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बड़ी भाभी,- जेठानी फिर से
लेकिन मैंने कुछ कम्मो के कान में फुसफुसाया , ... और वो समझ गयी ,
जबतक हम लोग लगे रहेंगे जेठानी जी मैदान में नहीं आएँगी ,
और हम दोनों ने तो कल भी इस लौंडे का रस लिया था जेठानी जी कितना बोल रही थीं तुम दोनों अकेले ,
पहले कम्मो हटी ,
शेर को फिर से पिजड़े में कर दिया ,
जेठानी जी आ गयी तो कुछ देर तक मैं उनका साथ देती रही , फिर अनुज को उनके हवाले करके मैंने बहाना बनाया ,
जरा बाल्टी में रंग घोलती हूँ , पुताई तो बहुत हो गयी इसकी लेकिन रंग भी
मैं और कम्मो आंगन के एक किनारे बैठी जेठानी जी कर देवर की होली देख रही थी और वही हुआ , जो हम चाहते थे ,
जेठानी जी ने भी मेरे और कम्मो की तरह अपना आँचल कमर में बाँध रखा था , ब्लाउज साफ़ खुला और दोनों उभार देवर को चैलेन्ज करते है हिम्मत ,
आओ दबा लो ,
अनुज ने हिम्मत भी की लेकिन ,
मेरा तो मन कर रहा था दस गाली दूँ उस बहन के भंडुए , गांडू को ,
कम्मो तो एकदम अलफ़ वो तो बोलना शुरू कर देती , लेकिन मैंने ही रोका , ... हाथ तो देवर राजा ब्लाउज के ऊपर से ,
छू भी रहा था , सहला रहा था , ...
जेठानी जी छुड़ाने की कोशिश कर रही थीं पर पीछे से होली में कोई देवर , नन्दोई अँकवार में भर ले तो छुड़ाना कितना मुश्किल होता है वो तो हर भाभी , सलहज को मालूम होता है ,
भले अनुज न समझ पा रहा हो , आंगन में बैठी हम दोनों उनकी देवरानियां समझ रही थी , मन उनका भी कर रहा है ,
पर देवर एकदम बुद्धू
जैसे सुहाग रात के दिन कोई दुलहन मारे लाज के बहाने बनाये , अभी नहीं और दुलहा मान जाए ,... अच्छा चल सो जाते हैं ,
पहल तो अनुज को ही करनी अनुज बेचारा ललचा तो बहुत रहा था , मन उसका बहुत कर रहा था , लेकिन हिम्मत नहीं कर पा रहा था ,
जेठानी जी के चिकने गालों से फिसलकर , उनके गले तक तो वो रंग लगा ले रहा था , पर ब्लाउज के अंदर हाथ डालने की उस बेचारे की हिम्मत नहीं पड़ रही थी ,,
कम्मो मुझसे दबी आवाज में गुस्से में बोली ,
" यार , गलती हम दोनों की है , कल इस स्साले की यहीं आँगन में पटक के गाँड़ हम दोनों मार लेते न तो बस सारी शरम लिहाज इस भोंसड़ी वाले , गंडुए की गाँड़ में पेल देती , अइसन कोई भौजी से होली खेलता है , ... "
बात कम्मो की एकदम सही थी , जेठानी मेरी और कम्मो की खुल्ल्मखुल्ला होली अभी थोड़ी देर पहले देख चुकी थीं , मन उनका भी बहुत कर रहा था , पर देवर से कैसे कहें , मेरा जोबन दबाओ स्साले भोंसड़ी के , ... क्या इधर उधर , ...
लेकिन मैं और कम्मो कर क्या कर सकते थे , ... सिवाय उस स्साले को गाली देने के ,
दस मिनट तक अनुज ब्लाउज के ऊपर से ,...
मेरी सास भी बरामदे में बैठी थीं और अंत में उन्होने ही सही फैसला लिया , वो भी समझ में रही थीं अब मामला इससे ज्यादा आगे बढ़ने वाला नहीं था
इंटरवल
"अरे ज़रा सा दूयी ठो गुझिया खियाई के इतने देर से बेचारे की रगड़ाई कर रही हो तुम तीनो , तानी कुछ खाई पी लो , ओकरे बाद , न तो कही देवर भाग जा रहा है न तुम लोग "
एक बार फिर से भांग वाली गुझिया , ठंडाई , भांग वाली बर्फी ,...
लेकिन इंटरवल का इस्तेमाल हम दोनों ने स्ट्रैटेजिक सेशन के लिए किया ,
लेकिन मैंने कुछ कम्मो के कान में फुसफुसाया , ... और वो समझ गयी ,
जबतक हम लोग लगे रहेंगे जेठानी जी मैदान में नहीं आएँगी ,
और हम दोनों ने तो कल भी इस लौंडे का रस लिया था जेठानी जी कितना बोल रही थीं तुम दोनों अकेले ,
पहले कम्मो हटी ,
शेर को फिर से पिजड़े में कर दिया ,
जेठानी जी आ गयी तो कुछ देर तक मैं उनका साथ देती रही , फिर अनुज को उनके हवाले करके मैंने बहाना बनाया ,
जरा बाल्टी में रंग घोलती हूँ , पुताई तो बहुत हो गयी इसकी लेकिन रंग भी
मैं और कम्मो आंगन के एक किनारे बैठी जेठानी जी कर देवर की होली देख रही थी और वही हुआ , जो हम चाहते थे ,
जेठानी जी ने भी मेरे और कम्मो की तरह अपना आँचल कमर में बाँध रखा था , ब्लाउज साफ़ खुला और दोनों उभार देवर को चैलेन्ज करते है हिम्मत ,
आओ दबा लो ,
अनुज ने हिम्मत भी की लेकिन ,
मेरा तो मन कर रहा था दस गाली दूँ उस बहन के भंडुए , गांडू को ,
कम्मो तो एकदम अलफ़ वो तो बोलना शुरू कर देती , लेकिन मैंने ही रोका , ... हाथ तो देवर राजा ब्लाउज के ऊपर से ,
छू भी रहा था , सहला रहा था , ...
जेठानी जी छुड़ाने की कोशिश कर रही थीं पर पीछे से होली में कोई देवर , नन्दोई अँकवार में भर ले तो छुड़ाना कितना मुश्किल होता है वो तो हर भाभी , सलहज को मालूम होता है ,
भले अनुज न समझ पा रहा हो , आंगन में बैठी हम दोनों उनकी देवरानियां समझ रही थी , मन उनका भी कर रहा है ,
पर देवर एकदम बुद्धू
जैसे सुहाग रात के दिन कोई दुलहन मारे लाज के बहाने बनाये , अभी नहीं और दुलहा मान जाए ,... अच्छा चल सो जाते हैं ,
पहल तो अनुज को ही करनी अनुज बेचारा ललचा तो बहुत रहा था , मन उसका बहुत कर रहा था , लेकिन हिम्मत नहीं कर पा रहा था ,
जेठानी जी के चिकने गालों से फिसलकर , उनके गले तक तो वो रंग लगा ले रहा था , पर ब्लाउज के अंदर हाथ डालने की उस बेचारे की हिम्मत नहीं पड़ रही थी ,,
कम्मो मुझसे दबी आवाज में गुस्से में बोली ,
" यार , गलती हम दोनों की है , कल इस स्साले की यहीं आँगन में पटक के गाँड़ हम दोनों मार लेते न तो बस सारी शरम लिहाज इस भोंसड़ी वाले , गंडुए की गाँड़ में पेल देती , अइसन कोई भौजी से होली खेलता है , ... "
बात कम्मो की एकदम सही थी , जेठानी मेरी और कम्मो की खुल्ल्मखुल्ला होली अभी थोड़ी देर पहले देख चुकी थीं , मन उनका भी बहुत कर रहा था , पर देवर से कैसे कहें , मेरा जोबन दबाओ स्साले भोंसड़ी के , ... क्या इधर उधर , ...
लेकिन मैं और कम्मो कर क्या कर सकते थे , ... सिवाय उस स्साले को गाली देने के ,
दस मिनट तक अनुज ब्लाउज के ऊपर से ,...
मेरी सास भी बरामदे में बैठी थीं और अंत में उन्होने ही सही फैसला लिया , वो भी समझ में रही थीं अब मामला इससे ज्यादा आगे बढ़ने वाला नहीं था
इंटरवल
"अरे ज़रा सा दूयी ठो गुझिया खियाई के इतने देर से बेचारे की रगड़ाई कर रही हो तुम तीनो , तानी कुछ खाई पी लो , ओकरे बाद , न तो कही देवर भाग जा रहा है न तुम लोग "
एक बार फिर से भांग वाली गुझिया , ठंडाई , भांग वाली बर्फी ,...
लेकिन इंटरवल का इस्तेमाल हम दोनों ने स्ट्रैटेजिक सेशन के लिए किया ,