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Erotica मोहे रंग दे

komaalrani

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ननद चढ़ी





अपने भैया के ऊपर





जब मैंने सर छोड़ दिया तो भी वो कस कस के चूसती रही,...

और जब सर निकाला उसने तो विजयी भाव से उसने पहले अपने भैया कोदेखा फिर दोनों भाभियों को ,

खुश होके मैंने उसे चूम लिया , लेकिन कम्मो भाभी ने एक नयी शर्त रख दी ,


" अबकी तुम को चढ़ के ऊपर ,... "



ननद मेरी अब समझदार हो गयी उलटे कम्मो से बोली ,

" एकदम भौजी लेकिन पहले आप अपने देवर कम ननदोई के ऊपर चढ़ जाइये, मैं देख के वैसे ही ,... "

कम्मो ने तुरंत बात मान ली , आखिर देवर का खड़ा खूंटा देख कर उनकी भी तो गीली हो रही थी।

कम्मो सच में खिलाड़न नहीं थी, खिलाड़ीनों की खिलाड़िन थी, तड़पाने में , ललचाने में , हर चीज में,



उनका खूंटा एकदम बावरा हो रहा था भौजी की रसीली प्यारी बिल में घुसने के लिए



पर इत्ती मस्ती से वो इन्हे ललचा रही थी , विपरीत रति में पारंगत, जैसे कोई सवार घोड़े पर चढ़ जाए बस एकदम उसी तरह लेकिन अपनी बिल पगलाए मोटे सुपाड़े पर वो रगड़ रही थीं, उनके देवर ने नीचे से धक्का मारने की कोशिश की तो उन्होंने पहले तो आँखों से बरज दिया, फिर अपनी दोनों मजबूत बाँहों से कस के दबा दिया,



" पहले बोल मजा आया बहिन चोदने में, ... "



" हाँ भौजी बहुत " वो भी मुस्कराते हुए बोले।



:" जोबन जोरदार है न तेरी बहिन का, " कम्मो आज उनसे सब कबुलवा लेना चाहती थीं।

" हाँ एकदम,... " उनके चेहरे से मस्ती टपक रही थी,

" आज तू चोद ले फिर तेरे साले पेलेंगे। " बोला कम्मो ने और हचक कर वो धक्का मारा की एक बार में उनके देवर का मोटा सुपाड़ा, भौजी की बिल में सटाक



लेकिन कम्मो ने धक्का रोक दिया और अपनी बुर में धंसे इनके सुपाड़े को जोर जोर से भींच रही थी , निचोड़ रही थी , सिकोड़ रही थी

इनकी हालत खराब हो रही थी, और मन तो कम्मो का भी कर रहा था , कुछ ही देर में हचक कर वोमेन ऑन टॉप वाली चुदाई चालू हो गयी ,

गुड्डी एक अच्छी शिष्य की तरह अपनी भौजी की बिल में भैया का लंड आते जाते देख रही थी, गीली हो रही थी ,


कम्मो ने खींच कर इनका हाथ उसके छोटे छोटे उभारों पर रख दिया और ये भी हलके हलके अपनी बहिना का जोबन प्यार से दबा रहे थे।


पांच दस मिनट तक इसी तरह , फिर कम्मो हट गयीं और अब नंबर गुड्डी रानी का था बांस पर चढ़ने का

मेरी ननद कुछ घबड़ा रही थी, कुछ नखड़े दिखा रही थी,



पर दो दो भौजाइयां किस लिए थीं आखिर, हम लोगो ने जबरदस्ती पकड़ कर उसे मोटे बांस पर चढ़ा दिया और ऊपर से मैं कंधे पकड़ कर उस टीनेजर के दबाने लगी , पूरी ताकत से, और कम्मो भौजी की जबरदस्त ताकत, पहले तो उन्होंने ननदिया के गुलाबो को फैला के उसके भैया का मोटा सुपाड़ा सेट किया, प्रेम गली में अबकी पिछली चुदाई की गाढ़ी मलाई पचर पचर कर रही थी, बस उसके बाद कम्मो ने उसकी पतली कमर पकड़ी और हम दोनों ने जोर से,


गप्पाक,

पूरा सुपाड़ा गप्प से अंदर, वो जोर से चीखी, ... पर हम दो दो भौजाइयां किस लिए थीं, भौजाइयां ऐसे छोड़ दें तो सारी ननदें बिन चुदे न रह जाएँ, ...



मैं पूरी ताकत से कंधे पर उसे दबाती रही, और कम्मो ने उसकी कटीली पतली कमर पकड़ रखी थी और नीचे की पुश कर रही थी, ... पांच सात मिनट, उसके भैया भी नीचे से चूतड़ उचका उचका कर हम दोनों का साथ दे रहे थे, और धीरे धीरे कर चूत रानी ने आधे से ज्यादा लंड घोंट लिया।

कम्मो अपनी शिष्या के कान में मंतर भी फूंक रही थी और वो भी अब अपने दोनों हाथों से बिस्तर को पकडे , अपने को नीचे की ओर पुश कर रही थी.

मैंने हलके से उसे छोड़ दिया और कम्मो को भी धीरे से इशारा किया और वो भी अलग हो गयीं, पर,...

कुछ देर बाद मैं इनकी बहन से बोली, अरे बिन्नो जरा शीशे में देखो, ...



और वो शर्मा गयी, जैसे कोई नटनी की लड़की बांस पर चढ़ती उतरती हो, एकदम उसी तरह मेरी ननद इनके मोटेउसके बांस पर कभी ऊपर नीचे स्लाइड करती तो कभी आगे पीछे हो कर, ,,, मस्ती से झूमझूम कर, ...

वो जरा सा नीचे झुकती तो उसके भैया सर उठा के उसके बस आ रहे छोटे छोटे निप्स कभी चूस लेते तो कभी बाइट कर लेते,



पर एक आसन में चोदने इनका मन थोड़े ही भरने वाला था उस कच्ची कली को और पलट कर उसे नीचे किया और लगे कस के उसके दोनों छोटे छोटे चूतड़ पकड़ के धक्के मारने
 

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ननद



उसके भैया






पर एक आसन में चोदने इनका मन थोड़े ही भरने वाला था उस कच्ची कली को और पलट कर उसे नीचे किया और लगे कस के उसके दोनों छोटे छोटे चूतड़ पकड़ के धक्के मारने



और कम्मो भी साथ में कभी देवर का मजा लेती तो कभी ननद का,

कभी देवर का पिछवाड़ा सहलाते हुए एक ऊँगली दो पोर तक ठेल देती , बोलती ससुराल में तो गाँड़ मारी ही जायेगी, और सबसे पहले तेरी सास मारेंगी, अभी से प्रैक्टिस करवा ले

और ननद की क्लिट जोर से रगड़ देतीं ,

इन सब का नतीजा हुआ की गुड्डी रानी जोर जोर से झड़ने लगीं और अबकी उन्होंने बाहर निकाला तो कम्मो ने देवर का खूंटा हथिया लिया और


चूँची चोदन का कार्य उन्होंने शुरू कर दिया , देवर लेटे हुए और भौजी ने अपनी बड़ी बड़ी मस्त ३८ डी डी साइज की चूँचियों में पकड़ के


और क्या मस्त चोद रही थी, देवर को हिलने की भी इजाजत नहीं थी खुद अपनी दोनों बड़े बड़े जोबन के बीच,






जब उनके खूंटे पर भौजी की चूँचियाँ रगड़ती तो वो गिनगीना जाते , ब्लाउज के अंदर से झांकती ललचाती ब्लाउज फाड़ती चूँचियों को देख कर ही इनका टनटना जाता था और जब भौजी उन्ही चूँचियों के बीच उनका लंड , और खुले सुपाड़े पर चूम भी लेती , जीभ से सुरसुरी कर देतीं,

गुड्डी बगल में बैठी ललचायी निगाह से देख रही थी, जैसे एक सहेली लॉलीपॉप चूसे और दूसरी ललचाये , उसके मुंह में पानी आये एकदम वैसे ,


और कम्मो भौजी ने अपने देवर को अपनी ननद के हवाले कर दिया , और वो अपनी छोटी छोटी टेनिस बॉल्स साइज बूब्स के बीच अपने भैया का मोटा लंड टिट फ़क भले ही वो पहली बार टिट फ़क कर रही थी पर कम्मो भौजी को देख देख कर, ...



लेकिन कुछ देर में ही उसके भैया की हालत ख़राब हो गयी , उनसे नहीं रहा गया ,

और वहीँ पलंग पर गुड्डी को निहुरा के,

क्या कातिक में कुतिया चुदती होगी जिस तरह से मेरी ननदिया चुद रही थी ,



हर धक्का तूफानी,



वो कुतिया बनी निहुरी पीछे से उसके भैया चढ़े,... हचक हचक कर हर धक्का बच्चेदानी पर

वो कभी चीखती कभी सिसकती, पर ये पोज तो उसके भैया फेवरिट था , चूँची का भी मजा, और चूत का भी
और दस पंद्रह मिनट की धुंआधार चुदाई के बाद जब वो झड़ी तो साथ साथ उसके भैया भी और सब बच्चेदानी में



अगर मैंने उसे पिल न दी होती तो शर्तिया गाभिन हो जाती,

तीसरे राउंड के बाद इंटरवल हो गया, मैं नीचे उतर आयी बखीर लाने के लिए ,... कुछ देर के बाद कम्मो भी मेरे पीछे पीछे



हाँ भाई बहिन को ये बोला गया था , हम दोनों के बिना चुम्मा चाटी से ज्यादा कुछ भी नहीं।
 

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इंटरवल-बखीर




तीसरे राउंड के बाद इंटरवल हो गया, मैं नीचे उतर आयी बखीर लाने के लिए ,...




कुछ देर के बाद कम्मो भी मेरे पीछे पीछे

हाँ भाई बहिन को ये बोला गया था , हम दोनों के बिना चुम्मा चाटी से ज्यादा कुछ भी नहीं।

इंटरवल में बड़े काम थे,


एक तो सांड़ और बछिया दोनों में डीजल भरना जरूरी था, बखीर मैंने इसी लिए बना के रखी थी , एकदम वही जिसे गौने की रात दुल्हन को उसकी ननदें जरूर खिलाती हैं की रात में उनकी भौजी खुद टाँगे फैला दें,


दूसरा थोड़ा सा ब्रेक, ढाई तीन घंटे से लगातार, तीन बार तो उसके भैया ने चढ़ाई की, फिर बीच बीच भौजाइयों ने भी खूब रस लिया उसके नए आते जुबना का


और तीसरा कुछ कम्मो भौजी की ख़ास प्लानिंग भी थी, ...

मैं नीचे आ गयी थी बखीर का बड़ा वाला कटोरा फ्रिज से निकालने के लिए,



तबतक पीछे पीछे कम्मो भाभी भी आ गयीं , हँसते हुए बोली, मैंने दोनों को बाँध छान के छोड़ दिया वरना दोनों फिर चालू हो जाते, ... और फिर वो अपनी कुठरिया में गयीं कुछ लाने, ...




और फिर पता नहीं कौन कौन सी जड़ी बूटियां, जादू टोने की चीजें ले आयीं, और वो सब बखीर में मिला के पूरे सात मिनट उन्होंने चलाया ,

मैं समझ रही थी इन सबका असर जित्ता उनके देवर पर होगा उससे ज्यादा हम दोनों की टीनेजर ननद पर, वैसे ही वो आज पगला रही है , इसके बाद तो और,...

४५ मिनट का इंटरवल लगता था जैसे पल भर में ख़तम हो गया,


मैंने खिड़कियां खोल दी , बाहर के टेसू से लदे टेसू के पेड़ जैसे मेरी ननदिया का रूप रस देखने , उसके भैया के साथ उसके ' चक्कर' की जासूसी करने, खिड़कियों से झाँक रहे थे ,




बस अब होली चार पांच दिन ही तो रह गयी थी, मस्त फागुनी बयार चल रही थी और उसमे फगुआ के रसीले गाने घुले थे,

नकबेसर कागा ले भागा, अरे सैंया अभागा ना जागा,

उड़ उड़ कागा मेरी चोलिया पे बैठा, मेरे जुबना का सब रस ले भागा,

पर आज तो मेरी ननद का जुबना लूटने वाला कोई और था, ( हाँ ये बात अलग है की आज तो नथ उतरी थी , उसकी भौजाई की बात रही तो कित्ते भौरें उसके जुबना का रस लूटेंगे वो भी नहीं गईं पाएगी )



मैंने बखीर बांटना शुरू किया ही था की गुड्डी ने मेरे कान में बोला,
" आज भैया को मैं दूंगी "


" एकदम आज अपने भैया को दो कल से हमारे भैया को, ... है न "

कम्मो ने हम दोनों की ननद को छेड़ा , लेकिन बात सच ही थी हम लोगों के जाने के बाद यही होना था। बिना नागा।

वैसे भी कम्मो ने उनके हाथ अभी नहीं खोले थे, ननद रानी ने अपने मुंह में दो चम्मच बखीर डाली, थोड़ी सी गप्प , बाकी देर तक मुंह में, ... फिर अपने भैया के पास जा कर अपने मुंह से सीधे उनके मुंह में,

बेचारे उनके हाथ तो बंधे थे दोनों पीठ के पीछे, कस के कम्मो की लगाई गाँठ , छूटने वाली नहीं
 

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फागुन



फागुन हो , देवर भाभी हों और होली न हो,...और होली के लिए रंग का होना जरूरी थोड़े ही है,

और कम्मो भौजी का देवर ननद दोनों के साथ साल भर होली, ...

बस कम्मो ने हथेली में भर के ढेर सारी बखीर उठा के, अपने देवर के गालों पर पोत दी और गुड्डी को बोला चल चाट चाट के साफ़ कर,



और उसे तो यही चाहिए थे, बस गुड्डी कस कस के, मेरी ननद ने मेरे साजन के गाल एकदम चाट चाट के साफ़ कर दिए, ...

मुझे कुछ बदमाशी सूझी , मैंने कम्मो को आइडिया दी, और फिर हम दोनों ने मिल के ननद रानी को पलंग पर लिटा दिया, कस के



और मैंने कलछुल से निकाल निकाल के बर्फ सी ठंडी बखीर, दो दो कलछुल ननद के छोटे छोटे जोबन पर, इतनी बखीर डाल दी की दोनों उगते उठते उभार छुप गए ,

और कम्मो ने अपने देवर को सीधे अपनी ननद के उभारों पर,

" चाट अपनी बहिनिया क चूँची"एकदम लालची वो, पांच मिनट में सारी बखीर साफ़ थी, हाथ उनके खुल गए थे और अब मैं अपनी ननद की बिलिया फैला के उसमे बड़े चम्मच से बखीर, ... वहां पहले से उसके भैया की रबड़ी बजर बजर कर रही थी,... कुछ बखीर जांघों पर,



और अब मेरी ननद के ऊपर लेटे लेटे सरक के सीधे प्रेम गली पर , ननद कौन छोड़ देती उसने भी मुंह खोल के अपने भैया का गड़प, थोड़ी देर पहले ही वो पूरा घोंट चुकी थी



मस्त 69 चालू हो गया था , ऊपर भैया बहिन की बुर चाट रहे थे

नीचे से बहिनिया अपने भैया का मोटा लंड घोंटे हुए थे,



और जैसे ही वो चाट के बखीर साफ़ करते मैं कलछुल से एक दो कलछुल और,...


पर कम्मो भौजी के देवर अकेले अकेले कम्मो की ननद का मजा लें ये तो नाइंसाफी होती न ,


तो वो भी , फिर मैं भी....

अब हम तीनो चूत चटोरे, कुँवारी कसी चूत के रसिया,...


थोड़ी देर में ही गुड्डी रानी की हालत खराब हो गयी , जब मेरा सैंया उसकी क्लिट चाटता चूसता तो मैंने उसकी बहन की बुर में जीभ डाल के चोदती, मेरी उँगलियाँ ननद के बंद गाँड़ के छेद का हाल चाल लेती और

कम्मो कुछ और कीमियागिरी में मगन थीं , मैंने बोला था न वो अपनी कुठरिया से ' कुछ ' लायी थी

पाउच देसी दारू , वो भी महुआ वाली , कुछ उन्होंने बखीर में मिलाया और कुछ मुझे अपने देवर को हटा के अपनी ननद की बुरिया को फैला के , एक पाउच में छेद करके , बूँद बूँद,



बहन की बुर से महुआ , नशा सौ गुना हो गया , और वहीं से कभी सपड़ सपड़ चाटते तो कभी चूसते,



गुड्डी कितनी बार झड़ी पता नहीं, हालत एकदम खराब थी ,... और थोड़ी देर में उसके दिन के भैया रात के सैंया को हटाकर हम दोनों, मैं और कम्मो



लेज 69



वो झड़ झड़ के थेथर हो गयी , पर हम दोनों ने उसे नहीं छोड़ा जब तक हम दोनों को उसने चूस चूस के नहीं झाड़ा,


और ये देख कर खूंटा इनका पागल,

लेकिन अब मेरी ननद की हालत बहुत खराब थी , इसलिए देवर पर उनकी भौजी ने नंबर लगाया,


उस रात मेरा रिकार्ड भी टूटा एक रात का,



ये सात बार झड़े ,



ननद के झड़ने की गिनती कोई भौजाई करती है जो हम करते,

सात बार में चार बार मेरी ननद की बुरिया में और दो बार अपनी कम्मो भौजाई के अंदर।।।


 

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कम्मो भौजी


सातवीं बार ,... बताउंगी बताउंगी, अभी कहानी ख़तम थोड़े ही हो रही है,...

हाँ तो मैं कह रही थी, मेरी ननद थेथर हो गयी, एकदम हिलने की हालत में नहीं, बस खाली छु भर लो तो झड़ने लगती, और उसकी ये हालत उसके प्यारे भैया ने नहीं बल्कि दोनों शैतान भाभियों ने की थी, मैंने और कम्मो ने मिल के खूब चूसा था उस रसीली की रसभरी को, दोनों फांको को फैला के अंदर तक जीभ पेल के, गोल गोल घूमती जीभ बार बार ननदिया के जी प्वाइंट को छु जाती तो वो एकदम पागल हो जाती, लेकिन मैं रुकने वाली नहीं थी, उसके साथ मैं अपने अंगूठे को कभी उसकी क्लिट पर रगड़ती तो कभी तर्जनी और अंगूठे से पकड़ कर पुल करती, ... और उसका झड़ना शुरू होता तो वो रुकती नहीं,



और रुकती हम दोनों भी नहीं, कभी साथ साथ तो कभी बारी बारी, मेरी जीभ ननद की बिल में तो कम्मो की जीभ ननद की क्लीट पे, और कभी जब मैं चासनी चाटते चाटते थक जाती तो कम्मो के हवाले उस कमसिन को कर देती, और दो चार पानी झाड़ के, चार पांच मिनट में एक बार फिर मेरे हवाले,



लेकिन अपनी बहना की ये हालात देखकर, उसके भैया की हालत खराब हो रही थी, ... खूंटा एकदम खड़ा, कुछ देर पहले तक तो बहन उनकी चूस चाट रही थी , और अब बहना की जो चुसाई चल रही थी , दोनों का असर था बेचारे पर, ... सामने तीन तीन रसीली बुर पर वो खड़ा,... अपनी बारी का इन्तजार कर रहा था,



" भौजी भौजी प्लीज अब छोड़ दीजिये , एकदम ओह्ह आह्हः नहीं उफ्फफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ,... " वो हम दोनों से बोलती और फिर झड़ने लगती।



मैं तो मान भी गयी पर उसकी कम्मो भौजी, आँख नचाते, हाथ घुमाते,... " अच्छा, और जउन इतना मोटा तगड़ा खूंटा खड़ा किया हो हमरे देवर का उसका इंतजाम कौन करेगा। "



पर ननद न एकदम ननद होती है , चाहे उसकी जो भी हालत हो, ... थकी बेबस वो मुस्कराती , चिढ़ाती कम्मो को देखती बोली,



" अरे हमार बड़की भौजी हैं न,... अबकी देवर भौजी का,... "



उसकी बात पूरी करते, मैंने भी गुड्डी की ओर से जोड़ा,



" सही तो कह रही है गुड्डी, अब दो दिन बल्कि डेढ़ दिन में देवर चले जाएंगे, और देवर भौजी की एको बार सफ़ेद रंग वाली होली नहीं हुयी,... एक बार खेल लीजिये मन भर, फिर,... "



मन तो कम्मो का भी यही कर रहा था, इतना मोटा खूंटा कभी न उसने देखा न सुना, एक दो बार अभी गुड्डी के साथ साथ, लेकिन जम कर चुदवाने की बात और है, फिर ये लास्ट चांस,



अपनी बहन पे चढ़ाई कर के अब इनकी भी लाज शर्म झिझक ख़तम हो गयी थी, फिर तो दो दिन बाद ससुराल में, अभी से इनकी सलहज ने बोल रखा था, कपड़ा पहनने को नहीं मिलेगा,...





गुड्डी को खींच के मैं सोफे पर ले गयी

जैसे कोई छोटी सी बच्ची को प्यार दुलार करे न, एकदम उसी तरह से दुबका के सोफे पे अपनी बगल में उसे मैंने बैठा लिया और वो भी एकदम मुझसे चिपकी दुबकी बैठी, थोड़ा सा मैंने उसे और अपनी ओर खींचा तो सीधे मेरी गोद में, मेरी जाँघों पर, ... झुक के उस किशोरी के गाल मैंने खूब प्यार से बहुत हलके से बस छू भर दिए अपने होंठों से,



वो गिनगीना गयी.



मेरे हाथ साइड से उसकी खुली कच्ची अमिया को हलके हलके सहला रहे थे , और हम दोनों कम्मो भौजी को देख रहे थे,



और कम्मो भौजी इनके तन्नाए खड़े मोटे खूंटे को,



मान गयी मैं कम्मो भौजी को, वो महुआ से भरे ढेर सारे पाउच लायी थीं, बस एक पाउच को खोला थोड़ी सी महुए वाली दारू अपनी हथेली में , और दोनों हथेलियों से उस मोटे खूंटे को पकड़ के उसकी जम कर मालिश शुरू कर दी, ... फिर दो चार मिनट मालिश करने के बाद, उसी पाउच से बूँद बूँद इनके मूसल पर टपकाने लगीं और एक बार फिर से महुआ की मालिश,



लिंग उनका चमकने लगा, लेकिन कम्मो भौजी को इतने से संतोष कहाँ , उस पाउच का बचा खुचा महुआ सीधे अपने दोनों बड़े बड़े जुबना पर और जुबना से लंड को पकड़ के एकदम मस्त टिट फक, कुछ देर तो सिर्फ भौजी अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों से देवर के लंड को कसर मसर मसल रही थीं पर कुछ ही देर में उनके देवर भी नीचे से चूतड़ उठा उठा के अपनी भौजाई का साथ देने लगे ,



कम्मो भौजी कभी अपने कड़े खड़े निपल से देवर के पेशाब के छेद में रगड़ दे रही थीं तो कभी महुए से भीगे लंड से बूँद बूँद रिसती दारू को अपनी ऊँगली में लगा के पिछवाड़े की दरार पर रगड़ दे रही थीं,



अब उनके देवर से रहा नहीं जा रहा था, मन तो उनका कबसे कर रहा था अपनी उस भौजी के साथ,



लेकिन कम्मो भी न, वो जानती थी उनका देवर उनके जोबन के लिए कितना ललचाता था ,... तो थोड़ा उनकी देह पर सरक कर , अपने दोनों जोबन उनके होंठों के पास , ...



और उनके देवर ने मुंह खोल दिया,



कम्मो ने एक नया पाउच खोला और अब जोबन पर से टपकते हुयी महुए की बूंदे इनके मुंह में और ये गट गट पी रहे थी,
 

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महुए की बूंदे



कम्मो ने एक नया पाउच खोला और अब जोबन पर से टपकते हुयी महुए की बूंदे इनके मुंह में और ये गट गट पी रहे थी,



गुड्डी की निगाह एकदम देवर भौजी के इस खेल तमाशे से चिपकी थी जितना उसके भैया गरमा रहे थे उतनी ही उनकी बहना और मेरी उँगलियाँ अब ननद की मांसल जांघो पर फिसल रही थी, उसकी जाँघे धीरे धीरे खुल रही थीं ,



पर उसके भैया से अब नहीं रहा गया कमान उन्होंने अपने हाथ में ले ली , एक हल्का सा झटका और भौजी पलंग पर देवर ऊपर भी अंदर भी,



शुरुआत ही इन्होने चौथे गेयर से की, कम्मो की दोनों चूँचियों को पकड़ के क्या जबरदस्त धक्के मार रहे थे, कम्मो सिसक रही थी



पर ये मुकाबला बराबर का था, कुछ देर में उतनी ही जोर से नीचे से अपने बड़े बड़े चूतड़ उठा के कम्मो भौजी भी धक्के लगा रही थीं, अपने हाथों से अपने देवर की पीठ उन्होंने कस के पकड़ ली थी, नाख़ून शोल्डर ब्लेड में धंस गए थे



इन्होने भी शुरू से ही अपनी भौजी पर तिहरा हमला बोल दिया था एक चूँची इनके मुंह में कस कस के चूसी जा रही थी तो दूसरा इनके बाएं हाथ से मसली जा रही थी , इनका तीसरा हाथ भौजी की जाँघों के बीच क्लिट पर, कोई और होती तो चार पांच मिनट में ये झाड़ देते पर कम्मो भौजी,



लेकिन थोड़ी देर में मुझे कम्मो की चालाकी समझ में आ गयी।

मैं ध्यान से देख रही थी, जिस तरह चूतड़ उठा उठा के हर धक्के का जवाब दे रही थीं , अपनी बड़ी अब्दी छातियां अपने देवर के सीने में रगड़ रही थीं, देवर की भी हालत खराब थी,



लेकिन भौजी की हालत ज्यादा खराब थी, पर जैसे ही वो झड़ने के कगार पर पहुँचती, देवर को हल्का सा धक्का देकर, फिर कभी बांसुरी वादन, अपने दोनों होंठों के बीच इनकी बित्ते भर की बांसुरी लेकर, ...या फिर से एक बार चूँची चोदन, और साथ जिस तरह इन्हे मजे से उकसाते चिढ़ाते देखतीं, बस इनकी हालत खराब हो जाती ,



पर कम्मो भौजी के पार उतरने का टाइम थोड़ा और बढ़ जाता,



पर उनके देवर भी रोज सास सलहज की बातें सुन सुन के इतने सीधे नहीं रह गए थे, उन्हें अपनी भौजी की चाल का पता चल गया, बस ताकत तो थी ही बहुत इनकी देह में, वहीं पलंग पर पटक कर, निहुरा के,



पिछवाड़े से , अपनी भौजी को कातिक की कुतिया बना के चढ़ गए, हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे साथ में दोनों चूँची बड़ी बड़ी कस कस के रगड़ते , झुक के उनके गाल काट लेते , कभी हाथ बढ़ा के उनकी क्लिट भी निप्स के साथ मसल देते,



गुड्डी बहुत ध्यान से देख रही थी और अपने भैया की चाल से खुश भी हो रही थी और कम्मो भौजी को छेड़ भी रही थी,



" क्यों भौजी कैसे लग रहे हैं देवर के धक्के"



और जवाब में क्या मस्त गन्दी गालियां कम्मो कभी मेरी ननद को लेकर तो कभी इनको लेकर , बहन इनकी , मेरी कोई ससुराल वाली नहीं बची यहाँ तक की मायके वालों का भी नंबर लगवा दिए मेरे , मेरे कोई सगा भाई तो था नहीं लेकिन चचेरे, मौसेरे, फुफेरे, ममेरे सब भाइयों का नाम तो उन्हें मालूम ही था, बस सब का नाम ले ले कर इन्हे गरियाँ रही थीं,



तेरे सब सालों से, रमेश बरजेस उमेस से तो तोरी बहिना क गाँड़ मरवाई, तोहार कुल सार तोहरी बहिनिया क भतार,... बहिन चोद,



और गालियों का जो असर इन पर होना था, हुआ और ये दुगुने जोश से अपनी निहुरी भौजाई की रगड़ाई करने में लग गए

और उस रगड़ाई का जो असर होना था वो भी हुआ, इनकी भौजी कांपने लगी, भौजी की हालत खराब थी, जिंदगी में उनको बहुत कम ऐसे मर्द मले थे जो औरत को झाड़ के झड़ते और ये तो तो जब तक तीन बार न झाड़ लें, ... कम्मो ने छुड़ाने की कोशिश की पर इन्होने पकड़ और जबरदस्त कर दी, धक्के और तेज कर दिए, ...



कम्मो भाभी की गालियों की रफ्तार बढ़ गयी, मेरी सास ननद, सब को इनसे जोड़ के और इन्हे भी, गँड़ुआ, भंड़ुआ,



वो झड़ रही थीं, काँप रही थी पर इन्होने ज़रा भी नहीं ढील दी, ... बल्कि अपनी टांगों के बीच कम्मो भौजी की तगड़ी टांगों को कस के फंसा के बाँध के, क्या मस्त चोद रहे थे,



इनकी चुदाई देख के मैं तो खुश हो ही रही थी, आखिर 'सांड़' तो मेरा ही था, लेकिन मुझसे ज्यादा मेरी ननदिया, उनकी बहिनिया,... उसके चेहरे पे ख़ुशी देखते बनती थी, ...



वो और उन्हें उकसा रही थी, हाँ भैया हाँ और जोर से , आज भौजी को मिला है कोई उनके जोर का, इसी लिए सब बनारस वालियां आती हैं हमारे शहर में टाँगे फैलाने,



प्यार से उसके नये आते जुबना दबा के मीस में बोली,

" अरी बिन्नो, बस दो चार दिन और , मेरे और कम्मो के भैया सब बनारस वाले, एक साथ तीन तीन चढ़ेंगे तो पता चलेगा बना रस का रस. "



बिना घबड़ाये वो बोली, " अरे आज अपने भैया को देख लिया तो दो चार दिन में भौजी के भैया को भी देख लूंगी, लेकिन भैया एक साथ तीन तीन,... "
 
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