• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica मोहे रंग दे

komaalrani

Well-Known Member
21,486
54,413
259
भाई बहन वाली गारीयां और रसीली होती हैं।

एकदम सही कहा अपने लड़को को उनकी बहनों का नाम लगा लगा के, और ननदों को उनके भाइयों का नाम लगा के गारी देने में जो मजा आता है, और सुनने वालों/वालियों को भी खूब रस आता है,... गारियाँ पहले तो थोड़ी 'शराफत वाली' लेकिन जहाँ कुछ काम वालियां या कभी कभी जब सिर्फ औरतें लड़कियां होती हैं तो , 'मिर्च' बढ़ जाती है,... और उसके लिए कोई शादी बियाह के मौके की भी जरूरत नहीं , बस रिश्ता , देवर नन्दोई हों , जीजा हों , ननद हो,

इसी बात पर मेरी एक फेवरिट याद आ गयी देवरों को चिढ़ाने के लिए मैं,...

देवर हमारे आंगन में आये,


आने को आदर, बैठन को कुर्सी ,

खाने को खाना , पीने को पानी,

अरे संग सोवन को ( अब देवर को भी अंदाज लग जाता था की असली हमला होने वाला है )

अरे संग सोवन को , मजा लेवन को ननदी हमारी ( नाम लेकर, अक्सर जो उनसे थोड़ी छोटी या समौरिया होती थीं उन्ही का नाम ले ले के चिढ़ाया जाता था )

अरे संग सोवन को ननदी हमारी राजी रे

( और अगर कहीं मूड ज्यादा 'गरम' हुआ , सिर्फ औरतें लड़कियां हुयी ,... ये आखिरी लाइन और 'विस्तार ' से गए दी जाती थी, अरे संग सोवन को , अरे टांग उठावन को , .... और 'सब कुछ ' )

सच में रिश्तों की मिठास और मजा बहुत कुछ गानों में था और है।
 

komaalrani

Well-Known Member
21,486
54,413
259

komaalrani

Well-Known Member
21,486
54,413
259
" भौजाई दो






मैं भी कम्मो का साथ देने पहुँच गयी, मैं पहले अपनी ननद की गोरी चिकनी खुली मांसल जाँघों को सहलाती रही, फिर कम्मो ने जोर से आँख मार के इशारा किया,



" भौजाई दो -दो और मजा सिर्फ एक ही ले, बड़ी नाइंसाफी है "



गच्चाक से मैंने भी अपनी मंझली ऊँगली कम्मो की दोनों ऊँगली के साथ,... कुछ मेरी ऊँगली में इनकी मलाई लगी थी , कुछ बहिनिया की बुर अपने भैया की मलाई से बजबजा रही थी,



गप्प से घुस गयी. और हम दोनों की तीनो उँगलियाँ मजे से कुँवारी ननद की चूत का रस ले रही थी , अब तो फट गयी थी और फटी उस से थी जिस से मैं चाहती थी फटे , एकदम अच्छी तरह से फटी भी थी , ....



गुड्डी जोर जोर से चीख रही थी चूतड़ पटक रही थी , आखिर एक साथ तीन तीन उँगलियाँ , एक किशोरी की कसी चूत में, ...



पर वो जितना चीख रही थी, सुबक रही थी, उतना ही हम दोनों को मजा आ रहा था, मैंने महसूस किया कम्मो ने एक ऊँगली चम्मच की तरह मोड़ ली है ढूंढ रही है , मैं समझ गयी,



जी प्वाइंट, जैसे क्लिट बाहर होती है जादू की बटन उसी तरह ये चूत के अंदर और क्लिट से भी ज्यादा जोरदार, और मान गयी मैंने कम्मो रानी को,



चीखती सुबकती ननद रानी एकदम जैसे मस्ती से पागल हो गयीं ,



कम्मो ने हलके से उस प्वाइंट को छुआ ,



मैं क्यों पीछे रह जाती मेरा अंगूठा सीधे क्लिट पर , इस दुहरे अटैक से ननद रानी की हालत खराब , वो मस्त हो रही थी छोटे छोटे चूतड़ पटक रही थी , मचल रही थी,



और उस से ज्यादा इन की हालत खराब थी , झंडा एक बार फिर से फहराने लगा, उन की निगाह एकदम अपनी छुटकी बहिनिया पर चिपकी, कैसे वो मस्ता रही है,... ननद रानी झड़ने के कगार पर पहुंच गयीं थी, लग रहा था अब गयीं तब गयीं, पर वो झड़ जाती उस के पहले हम दोनों ने अपनी उँगलियाँ निकाल ली, कम्मो ने इनकी बहिना की बुर से निकली बहिना के रस से गीली दोनों ऊँगली सीधे इनके मुंह में



पर मैं स्वार्थी, अपनी ननद की प्रेम गली के रस का स्वाद लिए बिना मैं नहीं छोड़ने वाली थी तो मेरी ऊँगली मेरे होंठों के बीच, एकदम मस्त चाशनी, खूब गाढ़ी।



चासनी चाटने का मन तो कम्मो का भी कर रहा था, पर उसका काम ऊँगली से नहीं चलने वाला था, सीधे उसने ननदिया के रस कूप में होंठ लगाया, और कर चूसने लगी, फिर कुछ रुक के जैसे कोई जीभ से आम की फांकों को अलग कर कर के चाटे, एकदम उसी तरह, ...





और अपने देवर को दिखाते ललचाते अपनी जीभ वहीँ घुसेड़ दी जहाँ थोड़ी देर पहले उसके देवर का मोटा लंड घुसा था,

वो जीभ से चाट चूस नहीं रही थी, इनकी छुटकी बहिनिया को इन्ही के सामने चोद रही थी, जीभ से



हम दोनों भौजाइयों से ननद को बराबर बराबर बाँट लिया था , कमर के नीचे का हिस्सा, कम्मो के पास और ऊपर का, दोनों रसीले जोबन मेरे कब्जे में ,



मेरी जीभ ननद के छोटे जोबन पर , निप्स पर कभी फ्लिक करती तो कभी चूस लेती ,



जितनी हालत मेरी ननद की खराब थी उससे ज्यादा ननद के भैया की , अपनी बहना को देख देख के ,
 

komaalrani

Well-Known Member
21,486
54,413
259
Next post thodi der men
 

komaalrani

Well-Known Member
21,486
54,413
259
भौजी और ननद एक साथ












हम दोनों भौजाइयों से ननद को बराबर बराबर बाँट लिया था , कमर के नीचे का हिस्सा, कम्मो के पास और ऊपर का, दोनों रसीले जोबन मेरे कब्जे में ,मेरी जीभ ननद के छोटे जोबन पर , निप्स पर कभी फ्लिक करती तो कभी चूस लेती ,

जितनी हालत मेरी ननद की खराब थी उससे ज्यादा ननद के भैया की , अपनी बहना को देख देख के ,



सात आठ मिनट इसी तरह रगड़ाई के बाद हम दोनों ने जब छोड़ा



तो ये बेताब , बौराये, खूंटा एकदम खड़ा और कम्मो भौजी ने अपने देवर की सुधि ली , अपनी ननद के कान में कुछ कहा।
...,,,,, ननद वैसी ही ललचायी निगाहों से टनाटन खूंटे को देख रही थी, और उसके भैया की भी नजरें बहिना के छोटे छोटे जुबना पर ही लिबरा रही थीं.



और अबकी गुरुआइन और शिष्या, भौजी और ननद दोनों एक साथ, ...

दोनों ने मिल के लॉलीपॉप बाँट लिया, ...

सुपाड़ा तो पहले से ही खुला था, बस एक ओर से कम्मो भौजी, खेली खायी प्रौढ़ा जबरदस्त जबरदंग ३८ डी डी के भारी जोबना वाली और दूसरी ओर बसी नए नए उभार आते , किशोरी जवानी की दहलीज पर खड़ी, ३० सी वाली, ...



दोनों एक साथ खड़े खूंटे को बेस से सुपाड़े तक कभी हलके हलके कभी जोर जोर लिक करती, और गुड्डी ने एक झटके में सुपाड़ा पूरा का पूरा गप्प कर लिया और धीरे धीरे चूसने चुभलाने लगी,





इन्होने अपनी बहन के छोटे छोटे जोबन को हलके हलके दबाना सहलाना शुरू कर दिया। कम्मो साथ साथ अब अपने देवर के बॉल्स पर अपनी जीभ से सपड़ सपड़, गुड्डी सुपाड़ा चूसते हुए भी कम्मो की हरकते देख रही थी, सीख रही थी। और थोड़े ही देर में रोल बदल गया, गन्ना कम्मो के जिम्मे और रसगुल्ला गुड्डी के, चूसना, चाटना, मुंह में लेकर चुभलाना, ....



इन की हालत खराब हो रही थी पर मैंने और कम्मो दोनों ने नजरों से ही इन्हे बरज दिया था , ये ऐसी ही अधलेटे अपनी भौजी और किशोर बहन के बीच,

पर आज कम्मो भौजी को अपनी ननद को बहुत ट्रेनिंग देनी थी, अपने देवर के पिछवाड़े को उन्होंने थोड़ा सा उठाया और अपने होंठ सीधे पिछवाड़े की दरार पर,

गुड्डी चकित हो के देख रही थी की भौजी कैसे सपड़ सपड़

पर थोड़ी देर में कम्मो की जगह उसके होंठ थे और कम्मो ने कस के उसके सर को पकड़ रखा था।



रीमिंग, जबरदस्त



ये नहीं की शुरू में झिझकी नहीं वो, पर हम दो दो भौजाइयां थी न वहां, स्साली को रगड़ के, उसे जबरदस्त छिनार बनाना था, उसके शहर की सबसे मशहूर रंडी का भी कान काटे, वैसी,

एक पल के लिए सहमी वो पर कम्मो ने उसके भैया का पिछवाड़ा कस के फैलाया और में जोर से अपनी उस टीनेजर ननद की गर्दन पकड़ के, मुंह सीधे वहीँ,



" अरे मोरी रानी, अरे जीभ निकाल अपनी, हाँ चाट ऐसे ही, ... अरे अंदर डाल अंदर, जैसे अभी तेरे भैया ने तेरी चूत में मोटा लंड पेला था न वैसे तू उनकी गाँड़

के अंदर, हाँ थोड़ा सा अंदर , थोड़ा और ,... बस ऐसे,... "



कम्मो इनके पृष्ठ भाग के छिद्र को कस के फैलाये, अपनी कुँवारी ननद को गाइड कर रही थी, उकसा रही थी और मैं पीछे से कस के उस किशोरी का सर कस के पकडे दबोचे थी,



" अभी स्वाद आया की नहीं , आएगा आएगा , बस थोड़ी सी जीभ अंदर और, हाँ गोल गोल घुमाओ, ऐसे ही , अभी भैया का स्वाद ले लो , थोड़ी देर में भौजियों का दोनों स्वाद मिलेगा, आज की रात ही, बस थोड़ा सा और,... " कम्मो बोल रही, समझा रही थी,



बस मुश्किल से मिनट भर, उसके बाद मैंने अपनी ननद का सर छोड़ दिया, ... कम्मो ने भी , पर वो ननद हमारी अब अपने ही दोनों हाथों से कस के फैला के,



जीभ की टिप एकदम अंदर घुसेड़े, थोड़ी देर बाद जब जीभ निकली भी तो बस सपड़ सपड़ लपड़ चपड़,

कुछ देर तो वो मेरी ननदिया गुदा के छिद्र को ऊपर नीचे तो कभी गोल गोल चाटती, फिर कभी जोर से फैला के जीभ अंदर



और जैसे उसके साथ जुगलबंदी कर रही थीं उसकी भौजी, कम्मो भौजी।
 

komaalrani

Well-Known Member
21,486
54,413
259
ननद भौजाई की जुगलबंदी,





ननद इनके पिछवाड़े के छेद में घात लगाए थी, तो ननद की ख़ास भौजी, कम्मो भौजी अपने देवर के तन्नाए, बौराये, पगलाए,मस्ताए मोटे तगड़े खड़े चर्म दंड को छेड़ रही थी,


इनकी कम्मो भौजी की शोख शरारती उँगलियाँ, कभी खूंटे के बेस पर जोर से रगड़ देतीं तो कभी हलके हलके सहलाते हुए मुठियाती, तो कभी कस के उस दुष्ट को दबोच लेतीं, और कभी कम्मो के नाख़ून उन के बॉल्स को बस हलके से स्क्रैच कर देते और इनकी जोर की सिसकी निकल जाती।

मेरी निगाह कभी अपनी जस्ट जवान होती टीनेजर ननद की शैतानियों की ओर जाती तो कभी इनकी भौजी की ओर, लेकिन बार बार इनके चेहरे की ओर मुड़ जाती,

मस्ती से माते, आँखे बंद, कभी कभी जैसे सिसकी रोकने के लिए दांतों से होंठ काटते हुए, पूरी देह रस से भरपूर,,,,



और किसी की भी ये हालत हो जाती, एक जवानी की देहलीज पर बस कदम रख रही शोख टीनेजर और एक खेली खायी गदरायी प्रौढ़ा,



आखिर उनसे नहीं रहा गया, और उन्होंने अपनी कम्मो भौजी को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया,



उनकी आँखे तो हरदम बिना ब्रा वाले ब्लाउज में बंधे, भौजी के जोबन के देखती ललचाती रहती थीं , होली खेलने में तो कई बार वो पतले से कपडे का बंधन भी नहीं था , और कम्मो के जॉबन भी ३८ डी डी लेकिन इदं कड़े कड़े गोल गोल,



कम्मो भौजी भी तो यही चाहतीं थी , उनका देवर लाज शर्म छोड़कर सिर्फ मज़ा मस्ती,



कम्मो की जीभ इनके मुंह में घुसी , देर तक देवर भाभी की चुम्मा चाटी रही परचलती मन तो इनका मालपुआ का कर रहा था तो बस होंठों ने भौजी का एक जोबन गपुच कर लिया





और दूसरा जोबन कस के देवर के हाथों रगड़ा मसला जा रहा था था, एक हाथ तो खाली था न इनका बस वो कम्मो की भारी भारी मांसल जाँघों के बीच, प्रेम गुफा में,



ननद ने भी मोर्चा बदल दिया था, कम्मो भाभी ने जिस खूंटे को छोड़ा था उसे उसने दबोच लिया और अपने किशोर हाथों से कभी सहलाती कभी मुठियाती।



एक प्रौढ़ा

एक किशोरी



और दोनों के बीच वो

आज वो खुल के अपनी भौजाई के गदराये उभारों का रस वो ले रहे थे, कभी होंठो से कभी उँगलियों से और कम्मो भौजी भी आज अपने देवर को दोनों जोबना का दान दे रही थीं, जितना जोर से वो अपनी भौजाई का जोबन चूसते उससे भी जोर से भौजी खुद अपनी बड़ी बड़ी कड़ी कड़ी चूँची उनके मुंह में ठेलतीं, मुकाबला बराबरी का था,



उनकी दोनों उँगलियाँ जोर जोर से कम्मो की रसीली बुर में अंदर बाहर हो रही थीं और कम्मो की बुर भी देवर की उँगलियों को खूब कस कस के भींच रही थी, जैसे कोई दिन के बाद मिला हो,



मेरी छुटकी ननदिया इनके खूंटे को कभी चूसती कभी सहलाती देवर भाभी की मस्ती देख रही थी, फिर वो भी सरक के अपने भैया के पीछे



और अब वो मेरी ननद और अपनी भौजी के बीच सैंडविच बने एक साथ कच्ची जवानी और खेली खायी रसीली प्रौढ़ा दोनों का मजा एक साथ ले रहे थे, लेकिन कम्मो ने उन्हें एक झटका दिया और फिर



बहुत हुआ अब चोर सिपैहिया



गुड्डी का पिछवाड़ा उनकी ओर और और उनका पिछवाड़ा उनकी भौजी की ओर,



पीछे से हाथ डालके उन्होंने उस स्कूल वाली के नए आते टेनिस बाल साइज उभार दबा दिए , मसलने लगे , और उनकी बहना सिसकने लगी.



कभी वो जोर से उसकी छोटी छोटी चूँची मसलते तो कभी उँगलियों से बस निप्स फ्लिक कर देते, खूंटा उनका उनकी बहन के पिछवाड़े धक्के मार रहा था



पर कमान अभी भी कम्मो भौजी के हाथ में थी, उन्होंने अपनी टांग के सहारे करवट लेती ननदिया की एक टांग उठा दी, बस उनके देवर के मूसल को महल मिल गयी अगवाड़े के छेद की,



और गप्पाक,
 
286
611
109
एकदम सही कहा अपने लड़को को उनकी बहनों का नाम लगा लगा के, और ननदों को उनके भाइयों का नाम लगा के गारी देने में जो मजा आता है, और सुनने वालों/वालियों को भी खूब रस आता है,... गारियाँ पहले तो थोड़ी 'शराफत वाली' लेकिन जहाँ कुछ काम वालियां या कभी कभी जब सिर्फ औरतें लड़कियां होती हैं तो , 'मिर्च' बढ़ जाती है,... और उसके लिए कोई शादी बियाह के मौके की भी जरूरत नहीं , बस रिश्ता , देवर नन्दोई हों , जीजा हों , ननद हो,

इसी बात पर मेरी एक फेवरिट याद आ गयी देवरों को चिढ़ाने के लिए मैं,...

देवर हमारे आंगन में आये,


आने को आदर, बैठन को कुर्सी ,

खाने को खाना , पीने को पानी,

अरे संग सोवन को ( अब देवर को भी अंदाज लग जाता था की असली हमला होने वाला है )

अरे संग सोवन को , मजा लेवन को ननदी हमारी ( नाम लेकर, अक्सर जो उनसे थोड़ी छोटी या समौरिया होती थीं उन्ही का नाम ले ले के चिढ़ाया जाता था )


अरे संग सोवन को ननदी हमारी राजी रे

( और अगर कहीं मूड ज्यादा 'गरम' हुआ , सिर्फ औरतें लड़कियां हुयी ,... ये आखिरी लाइन और 'विस्तार ' से गए दी जाती थी, अरे संग सोवन को , अरे टांग उठावन को , .... और 'सब कुछ ' )

सच में रिश्तों की मिठास और मजा बहुत कुछ गानों में था और है।
सच में कोमल रानी जी आपका कोई तोड़ नहीं।


आप जैसी गारी गाने वाली मिल जाए तो मैं लंड खड़ा करके सूनूं।
 
  • Like
Reactions: komaalrani
286
611
109

मीठी रसीली गारियों का मजा वही समझ सकता है जिसने ये गारियां गायीं हों या सुनी हों,
सुनी है।

मामी के गौना में, मुझे और मेरी सगी बहन दोनों को आराम से साथ में बिठा के खुब रसीली गारियां गाई गई थी। उस समय मैं २१ और मेरी बहन १९ की थी।
 

komaalrani

Well-Known Member
21,486
54,413
259


सुनी है।

मामी के गौना में, मुझे और मेरी सगी बहन दोनों को आराम से साथ में बिठा के खुब रसीली गारियां गाई गई थी। उस समय मैं २१ और मेरी बहन १९ की थी।



आपने एकदम सही कहा, अगर भाई बहन साथ में पकड़ में आ जाएँ तो फिर तो कहना ही क्या और एक बात बताऊँ, लड़कियां या बहन मज़ा लेती हैं पर लड़का या भाई की लाज के मारे हालत खराब हो जाती है,

और एक बात और,

चिढ़ाने का ये काम सिर्फ गारियों में नहीं होता पुत्र जन्म के मौके पर गाये जाने वाले सोहर में भी और वहां भी ' लेवल ' गारी से नीचे का नहीं होता,

मेरी कहानी सोलहवां सावन की शुरुआत ही एक सोहर से होती है जिसमें एक किशोरी ननद को गाँव की भाभियाँ टारगेट करती हैं ,

दिल खोल के मांगों ननदी, जो मांगो सो दूंगी ,

उस कहानी में कई सोहर हैं ,... सब एक से एक, ...


लेकिन अब ये लोकगीत धीरे धीरे विलुप्त होते हां रहे हैं।
 

komaalrani

Well-Known Member
21,486
54,413
259
सच में कोमल रानी जी आपका कोई तोड़ नहीं।


आप जैसी गारी गाने वाली मिल जाए तो मैं लंड खड़ा करके सूनूं।
:) :)
 
  • Like
Reactions: Sexy launda
Top