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मीठी मीठी सासू माँ
ये बाजार के लिए चल दिए , जेठानी की दो मिस्ड काल आ चुकी थीं , जेठ जी को चैन नहीं पड़ रहा था, तो वो भी अपने कमरे में और कम्मो भी पीछे अपनी कोठरिया में,...
और मैं सास जी के पीछे पीछे उनके कमरे में,...
उनके बेटे के वार्डरोब की जिम्मेदारी तो इस घर में आने के अगले दिन से ही मेरे ऊपर आगयी थी वरना वो दो रंग मोज़े और उलटा पजामा पहन के पूरे घर में टहलते , पर साथ साथ दस पन्दरह दिन में सासू माँ की भी जिम्मेदारी,... उनकी अलमारी, बॉक्स सब की चाभी,... कहीं जाना हो तो क्या पहनेंगीं वो, ...
और उनके कमरे में घुसते ही मैंने उन्हें बाँहों में भर लिया, और उन्होंने भी मुझे अँकवार में भर लिया, बोली मैं कुछ नहीं, बोलीं वो भी कुछ नहीं,...
मुझे याद है की जब वो मुझे देखने आयी थीं, बस खींच के मुझे गोद में बिठा लिया और माँ से बोलीं बस ये मेरी बेटी है मुझे ले जाना है अपने साथ. लड़के वाले शर्त रखते हैं लेकिन मेरी माँ ने,... और ये बिना कुछ सुने सिर्फ मुझे देखती रहीं, और माँ से बोली, समधन जी आपकी सब बातें सर माथे, लेकिन मेरी सिर्फ एक शर्त है ,
सब लोग चुप हो गए,.. दान दहेज़ क्या बोलेंगी, पर मुझे दुलराते वो बोलीं,
" जैसे लगन शुरू होगी, पहली लगन को मैं अपनी बेटी को ले जाउंगी, बस. बाकी आप की सब बातें मंजूर।"
सब लोग कहते थे ससुराल में ऐसे रहना, वैसे रहना, पुराने ज़माने का चलन है और मेरी सास ने जिस दिन आयी, उसके अगले दिन ही घूँघट को मना कर दिया, ... सब के सामने जेठानी जी से बोलीं,
" इत्ती सुन्दर चाँद सी देवरानी ले आयी हो ताले में बंद करने के लिए, अरे घूँघट करेगी तो ये हमारे घर में पूनो का चाँद निकला है दिखेगा कैसे, "
और उसी दिन, मेरी सब सास थीं बुआ सास , कुछ मोहल्ले की औरतें,... मैंने हल्का सा घूंघट ओढ़ रखा था , ज़रा सा माथा ढका था बस , चेहरा पूरी तरह खुला लेकिन सबके सामने जोर की डांट पड़ गयी मुझे,...
" एक बार में नहीं समझती हो, सीढ़ी चढ़ के ऊपर जाती हो , नीचे आती हो, कहीं घूंघट के चक्कर में भहरा पड़ी तो , कितना खरचा आएगा अस्पताल का , कौन भरेगा , तेरी माँ को हफ्ते भर के लिए गिरवी रखूंगी तब पैसा निकलेगा, ... जैसी तेरी ननदें रहती हों उसी तरह रहना है समझ लो. "
मैं समझ रही थी ये बात मुझसे ज्यादा मेरी उन सास लोगों के लिए है फिर तो अगले दिन से,...
" मेरा जाने का मन नहीं कर रहा है ,... " मैंने बोल दिया।
" तू न एकदम पागल है, तू न जाएगी तो बड़ी मुश्किल से जो मैं जा रही हूँ २१ दिन के लिए वो भी गड़बड़ हो जाएगा। " हँसते हुए वो बोलीं।
" चलिए आपका सामान पैक कर देती हूँ , मैं बोली और उन के ट्रिप की एक बड़ी अटैची दो बैग बैठ के पैक करने लगी।
ये बाजार के लिए चल दिए , जेठानी की दो मिस्ड काल आ चुकी थीं , जेठ जी को चैन नहीं पड़ रहा था, तो वो भी अपने कमरे में और कम्मो भी पीछे अपनी कोठरिया में,...
और मैं सास जी के पीछे पीछे उनके कमरे में,...
उनके बेटे के वार्डरोब की जिम्मेदारी तो इस घर में आने के अगले दिन से ही मेरे ऊपर आगयी थी वरना वो दो रंग मोज़े और उलटा पजामा पहन के पूरे घर में टहलते , पर साथ साथ दस पन्दरह दिन में सासू माँ की भी जिम्मेदारी,... उनकी अलमारी, बॉक्स सब की चाभी,... कहीं जाना हो तो क्या पहनेंगीं वो, ...
और उनके कमरे में घुसते ही मैंने उन्हें बाँहों में भर लिया, और उन्होंने भी मुझे अँकवार में भर लिया, बोली मैं कुछ नहीं, बोलीं वो भी कुछ नहीं,...
मुझे याद है की जब वो मुझे देखने आयी थीं, बस खींच के मुझे गोद में बिठा लिया और माँ से बोलीं बस ये मेरी बेटी है मुझे ले जाना है अपने साथ. लड़के वाले शर्त रखते हैं लेकिन मेरी माँ ने,... और ये बिना कुछ सुने सिर्फ मुझे देखती रहीं, और माँ से बोली, समधन जी आपकी सब बातें सर माथे, लेकिन मेरी सिर्फ एक शर्त है ,
सब लोग चुप हो गए,.. दान दहेज़ क्या बोलेंगी, पर मुझे दुलराते वो बोलीं,
" जैसे लगन शुरू होगी, पहली लगन को मैं अपनी बेटी को ले जाउंगी, बस. बाकी आप की सब बातें मंजूर।"
सब लोग कहते थे ससुराल में ऐसे रहना, वैसे रहना, पुराने ज़माने का चलन है और मेरी सास ने जिस दिन आयी, उसके अगले दिन ही घूँघट को मना कर दिया, ... सब के सामने जेठानी जी से बोलीं,
" इत्ती सुन्दर चाँद सी देवरानी ले आयी हो ताले में बंद करने के लिए, अरे घूँघट करेगी तो ये हमारे घर में पूनो का चाँद निकला है दिखेगा कैसे, "
और उसी दिन, मेरी सब सास थीं बुआ सास , कुछ मोहल्ले की औरतें,... मैंने हल्का सा घूंघट ओढ़ रखा था , ज़रा सा माथा ढका था बस , चेहरा पूरी तरह खुला लेकिन सबके सामने जोर की डांट पड़ गयी मुझे,...
" एक बार में नहीं समझती हो, सीढ़ी चढ़ के ऊपर जाती हो , नीचे आती हो, कहीं घूंघट के चक्कर में भहरा पड़ी तो , कितना खरचा आएगा अस्पताल का , कौन भरेगा , तेरी माँ को हफ्ते भर के लिए गिरवी रखूंगी तब पैसा निकलेगा, ... जैसी तेरी ननदें रहती हों उसी तरह रहना है समझ लो. "
मैं समझ रही थी ये बात मुझसे ज्यादा मेरी उन सास लोगों के लिए है फिर तो अगले दिन से,...
" मेरा जाने का मन नहीं कर रहा है ,... " मैंने बोल दिया।
" तू न एकदम पागल है, तू न जाएगी तो बड़ी मुश्किल से जो मैं जा रही हूँ २१ दिन के लिए वो भी गड़बड़ हो जाएगा। " हँसते हुए वो बोलीं।
" चलिए आपका सामान पैक कर देती हूँ , मैं बोली और उन के ट्रिप की एक बड़ी अटैची दो बैग बैठ के पैक करने लगी।
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