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Komal ji apke likhne ka andaaz bohot badiya hai.maine xossip pe apki storie padhi thi fagun ke din char.साजन का रंग
समझ में नहीं आ रहा ये कहानी कैसे शुरू करूँ , इत्ते दिन हो गए छोड़े , जब जोरू का गुलाम लिखना छूटा ,.... , तो शायद लिखना थोड़ा मुश्किल हो रहा है , और फिर कहानी में अगर फ़साना कम , और आप बीती ज्यादा हो तो और ,... क्या छोडूं कैसे शुरू करूँ ,.... चलिए कोशिश करती हूँ।
ऑफ कोर्स मेरी होली की कहानी है , मेरी ससुराल में जो होली हुयी।
लेकिन मेरी ससुराल में होली , शादी के बाद मेरी पहली होली नहीं थी , दूसरी भी नहीं।
असल में शादी के पहले मेरी भाभियाँ बहुत डराती चिढ़ाती थीं , ससुराल की पहली होली के नाम से , .. और तो और मेरी मम्मी भी , वो मेरी भाभियों से किसी तरह कम नहीं थी , एकदम खुल कर ,... भाभियों के साथ मिल के ,... अरे नयी बहू की असली रगड़ाई तो होली में ही होती है , पहली रात तो चीख चिल्ला के झेल लेती है , उसको भी मालूम रहता है , फटेगी तो है ही , फिर जेठानी भी कुछ वैसलीन , सरसों का तेल ,...
लेकिन होली में तो ,.... जैसे नए गुड़ को देख कर चींटे आते हैं , नयी नवेली बहू को देख कर , सिर्फ रिश्तेदार लड़के ही नहीं अड़ोस पड़ोस वाले भी देवर बन के , और फागुन भर तो देवर जेठ , ससुर कुछ नहीं ,...
और देवरों से बढ़ कर ननदें , सब की सब पक्की छिनार ,...चाहे कच्चे टिकोरों वाली , फ्रॉक वाली हों , या चार चार बच्चों की माँ , ...
सब नयकी भौजी के अगवाड़े पिछवाड़े , अंगुली ,... तीन तीन , चार चार ( मैंने खुद एक होली में मम्मी को दुबे चाची के साथ मिल कर , बुआ की बिल में पूरी की पूरी मुट्ठी ठेलते देखा था ),...
और सबसे बड़ी बात उसे बचाने वाला कोई होता नहीं , पहली होली में घूंघट , पर्दा भी थोड़ा बहुत ,... और घर आंगन का अंदाज नहीं , ...हाँ दूसरी तीसरी होली तक तो वो भी , लेकिन पहली होली , शादी के बाद की , .... ससुराल में ,... जबरदस्त रगड़ाई वाली होती है ,...
लेकिन मैं बच गयी ,.... शादी के बाद मेरी पहली होली ससुराल में नहीं हुयी ,
तीसरे साल मैं होली में अपने ससुराल में थी ,
, लेकिन कहानी बिना भूमिका के ,... एकदम मजा नहीं आएगा न
तो बस थोड़ी थोड़ी बात
लेकिन साथ साथ थोड़ा अपने , थोड़ा इनके और थोड़ा इनके सालियों के मायके वालियों के बारे में नहीं बताउंगी , तो कहानी शुरू कैसे होगी तो चलिए फिर शुरू से , और कैसे मिले 'वो'
Awesome updateनैन मिले नैन से
मेरी शादी तय हुयी तो मैं टीन्स में ही थी , ... ऑलमोस्ट मिड्ल आफ टीन्स ,... बारहवीं में पढ़ती थी ,.... बस इन की नजर में पड़ गयी , ... पक्के चोर , मुझे चुरा लिया मुझी से ,... पर बावरे नैनों का ये खेल ,... मैं भी हारी ये भी हारे ,...
इन्होने इंजीनयिरंग किया था और एक नौकरी लग गयी थी ,... एक रिश्तेदारी की शादी में गयी थी ,... मेरी मौसेरी बहन की ,... बस वहीँ ,... मेरे जीजा के रिश्ते में ही लगते थे ( जिनसे मेरी मौसेरी बहन की शादी हुयी थी वही नए नए जीजू ) ,...
कुछ जूता चुरायी की छेड़छाड़ , कुछ गारी गवाई में , ... ( मैंने इनका नाम पता कर लिया था और चुन चुन के असली वाली गारियां ) ,... उमर में मुझसे पांच साल बड़े ,... आँखे बार बार चार हुईं ,...
बस उनकी भाभी ने मम्मी से बात चलाई , और जाड़े में शादी की तारीख तय हो गयी।
दिसंबर का जाड़ा , गाँव की शादी , वो भी तीन दिन वाली ,.... इनके अंदर बहुत सी अच्छाइयां , ...
देख के मेरी सहेलियां , मेरी भाभियाँ और इनकी सलहजें सब ललचा रही थीं , लम्बे खूब आलमोस्ट ६ फ़ीट ,
गोरे , रंग इतना गोरा की कोहबर और शादी में सब लड़कियां , औरतें , चिकना नमकीन कह कह के एक से एक खुल्लम खुल्ला मजाक ,...
लेकिन वही इनकी परेशानी और बुराई भी थी। शर्मीले इतने की कोई शर्मीली से शर्मीली लड़की मात , मुंह नीचे किये ,... बात बात पर लजा जाते ,...
कोहबर में इनकी इतनी रगड़ाई हुयी , इनकी सालियों , सलहजों ने (यहाँ तक की सास ने भी ),
और सिर्फ ये बात कह कह के ,...
'इतनी प्यारी मीठी मीठी , दुलहन मिल रही है तो इतना भी नहीं कर सकते हो ,... अगर नहीं किया न दुल्हन ले जाना तो दूर उसका मुंह भी नहीं देखने को मिलेगा '
... बस उसके बाद तो उनकी साली सलहजें कुछ भी ,... कुछ भी करवा ले रही थीं , कोहबर में।
और यही बात मैंने इनके मायके में भी देखी , बस मेरी लालच दे दे के ,... इनकी भाभी , मेरी जेठानी तो शुरू से ही मेरी ओर ,... ससुराल में जो दुल्हन दूल्हा के बीच जुआ होता है , जेठानी ने इनके कान में साफ साफ़ कहा ,
" दुल्हन को जीतने देना , अगर गलती से भी जीत गए न तो चार दिन के बाद कंगन खुलवाउंगी ,...तड़पना चार दिन तक , गनीमत मनाओ , इतनी प्यारी मीठी सी दुल्हन मिल गयी है ,... "
और वो एक बार तो जीतने के बाद भी उन्होंने दूध पानी के अंदर अंदर मेरे हाथ में , तीनो बार मैं जीती ,...
Bohot hi erotic updateदर्द का मज़ा
दुलारी बोली
" अरे धीरे डालने का दिन नहीं है आज , ... शादी कर के लाये हैं , हचक के डालेंगे ,...
और हचक के पेलेंगे नही तो भौजी की फटती कैसे ,२० साल से नैहर में हमारे भैया के लिए बचा के रखी थीं। "
" चलो चलो तुम सब नीचे आज फड़वातीं हूँ तुम सब ननदों की ,... पता चलेगा ,... मेरे मायके वाले हैं न ,... "
ये मेरी जेठानी की आवाज थी।
" अरे हम भौजाइयां भी तो हैं , चलो आज किसी ननद की बचेगी नहीं , तुम सब को बताएंगी हम , कैसे रोज तुम्हारे भाई हमारे ऊपर चढ़ाई करते हैं नएकदम वैसे ही ,... अपनी ऊँगली तो रोज करती होगी , आज भौजाइयों की ऊँगली का मजा लो ,... "
दूसरी जेठानी बोलीं।
मेरी चीखें बंद हो गयीं थी लेकिन तब भी चेहरे पर दर्द , ... और रुक रुक कर हलकी हलकी चीख
लेकिन तभी मेरी निगाह उनके चेहरे पर पड़ी ,...
उनका चेहरा जर्द ,...
जैसे किसी बच्चे से कोई बहुत मंहगा , खूबसूरत खिलौना टूट गया हो ,.. एकदम उसी तरह सहमा ,....
और मैं सहम गयी ,...
मेरी चीख का असर उनके ऊपर ,... लेकिन बिना सोचे , मेरी बाहें एकदम उनके चारों ओर , कस के भींच लिया मैंने ,
और खुद होंठ उठा के ,
एक दो चार चुम्मी , सीधे उनके होंठों ,... बिना बोले मेरी आँखे , मेरे होंठ मेरी पूरी देह कह रही थी ,
' करो न ,... "
मेरे चेहरे पर दर्द की जगह एक बार फिर चाहत छा गयी थी और वो ,
मेरा ,... हलके से फिर जोर से मेरी चुम्मी का जवाब , कस के चुम्बन से और एक बार फिर धक्का ,
पहले हल्का सा , थोड़ा सहम कर ,... और फिर थोड़ी जोर से ,...
मैंने एक बार फिर कस के पलंग पकड़ लिया था दांतों से होंठों को भींच लिया था , ...
और तय कर लिया था कित्ता भी दर्द हो चीखूंगी नहीं ,
मम्मी ने , भाभियों ने जैसा समझाया सिखाया था , मैंने अपनी जाँघे पूरी तरह फैला रखी थीं ,
कमर के नीचे वहां एकदम अपने को ढीला छोड़ दिया था ,
तब भी ,
उन्होंने कस के मेरी पतली कमर को दबोच रखा था और कुछ देर में उनके धक्के का जोर ,...
सब कुछ भूल के ,...
लेकिन यही तो मैं चाहती थी , इसी दर्द इसी तड़पन का इन्तजार मुझे था
और अब मैं लाज में डूबी लेकिन थोड़ा थोड़ा उनका साथ दे रही थी ,
मेरी देह अब मेरी नहीं थी
रगड़ रगड़ कर , दरेरते , घिसटते , फाड़ते उनका ,....
मेरे अंदर , ....
दर्द तो हो रहा था , बहुत हो रहा था ,....
लेकिन एक नया अहसास , एक नया मजा ,... और कुछ देर बाद ही मेरी आँखे मूंदने लगी ,
मेरी देह कांपने लगी ,
मुझे याद आ रहा था कोई भाभी मुझे चिढ़ा रही थीं ,
तेरा वाला एकदम नौसिखिया लगता है , असली कुंवारा ,... तू एक दो बार मेरे वाले से ट्राई कर लें ,...
मम्मी बोलीं ,
अरे जैसे मछली को तैरना नहीं सीखाना पड़ता , उसी तरह मरद को भी
सच में उनकी उँगलियों को उनके होंठों को जैसे मेरी देह के सारे गोपन रहस्य मालूम पड़ गए हों , ..
और वो मूसलचंद तो था ही मेरी , ऐसी की तैसी के लिए ,
अपने आप मेरी हलकी हलकी चीखें अब सिसकियों में बदल गयीं मेरी आँखे अपने आप बंद हो गयी ,
देह धीरे धीरे एकदम ढीली , जैसे मेरे काबू में न हो
मैं काँप रही थी , तूफ़ान में पत्ते की तरह , ... तेज और तेज ,... फिर धीरे धीरे ,... और
मेरा कांपना रुका नहीं था की वो भी मेरे साथ साथ , और अब मैं एक बार फिर से
बूँद बूँद ,... फिर जैसे बाढ़ आ गयी हो ,
देर तक मैं उन्हें अपनी बाँहों में बांधे रही ,
कुछ देर बाद जब हम थोड़े अलग हुए ,
मेरी निगाह घड़ी पर पड़ी , अभी भी बारह नहीं बजा था , साढ़े ग्यारह बजने वाले थे।
दर्द से मेरी देह चूर चूर हो रही थी , जाँघे फटी पड़ रही थीं , ....
लेकिन उनके चेहरे की ख़ुशी ,... वो बावरापन , ... मेरा सारा दर्द आधा हो गया।
वो एकटक मुझे देख रहे थे , और अचानक उन्होंने मेरे होंठों पर झुक कर ,... एक कस के चुम्मी ले ली ,
और बांहों में दबोच लिया।
और उनके बोल फूटे ,... फिर वो रुके नहीं ,...
' जानती हो जब से उस दिन तुझे देखा था , न बस यही सोचता था ,.. कैसे ,... किस तरह ,...
मुझे लगता नहीं था , तुम ,... सच में बस लग रहा था किसी तरह तुम मिल जाओ ,... बस ,... '
मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया ,
' मिल तो गयी न ,... हूँ अब तो "
लेकिन मैं भी बस उनके चेहरे को देख रही थी ,
और जाने अनजाने मैंने भी अब उन्हें अपनी बाँहों में बांध लिया , रजाई जो एकदम ऊपर से सरक गयी थी ,
एक बार फिर से ,.. लेकिन हम लोगों के चेहरे , गरदन के ऊपर से , एकदम खुले थे ,
और बरसती चांदनी में हम एक दुसरे को अच्छी तरह से देख रहे थे।
उनकी बातों का मरहम , उनकी आँखों के नशे में मेरा दर्द अब एकदम ख़तम हो गया था ,...
कभी कभी वो शरारती लड़कों की तरह ,... ललचाते , उनकी ऊँगली मेरे होंठ पर हलके से छू लेते ,
पर मैं पहले दिन से ही उन्होंने जब उस शादी में मुझे देखा था , ... और मैंने उन्हें ,...
मैं समझ गयी थी उनकी रातों की नींद जिसने उड़ा ली थी वो मेरे किशोर उभार थे ,
मेरे गदराये उरोज ,... और आज भी उनका मन ,... बोलने की हिम्मत तो उनकी पड़ नहीं रही थी , ...
उन्होंने रजाई थोड़ी और नीचे करने की कोशिश की ,
इरादा मैं समझ रही थी पर बदमाशी क्या वो अकेले कर सकते थे , मैंने एक हाथ से रजाई कस के दबोच ली ,
मेरे हाथ उनके हाथों से जीत सकते थे , पर मैं उनकी आँखों का क्या करती ,
चार आँखों का वो खेल तो मैं पहले दिन ही हार गयी थी , जब उस शादी में मैंने इन्हे सबसे पहले देखा था , ...
उन्हें क्या मालूम था मैं उस चितचोर के आगे सब कुछ उसी दिन ,...
वो चोर मुझसे मुझी को चुरा ले गया था , और उस चोरी का कोई थाना पुलिस भी नहीं हो सकती ,
और अब वही बदमाश लुटेरी आँखे मेरी आँखों में आँखे डाल के जिस तरह चिरौरी कर रही थीं , मेरी पकड़ थोड़ी सी ढीली हुयी ,
एक और जबरदस्त चुम्मा , और रजाई सरक कर एक बार फिर हम दोनों के कमर तक ,...
मन तो उनका बहुत कर रहा था , लेकिन बहुत हिम्मत कर के उनकी भूखी उँगलियाँ मेरे उभारों पर हलके से ,...
और अब मैंने मना भी नहीं किया ,...
उँगलियाँ अब चोर से डाकू हो हो गयीं , एकदम खुल्लम खुला ,
उनकी दोनों हथेलियों सीधे मेरे किशोर उभारों पर , और अब वो छू नहीं रहे थे , बल्कि कस के दबा रहे थे ,
दर्द भी हो रहा था , अच्छा भी लग रहा था , जेठानी की बात भी याद आ रही थी , मना ज्यादा मत करना ,
और अब तो भरतपुर लूट भी चुका था , बचाती क्या और किससे ,
उनसे बचने सिर्फ एक की शरण में जा सकती थी , ...
उन्ही की , ... मेरी आँखों ने उनकी आँखों में झांका , शिकायत की , ... गुहार लगाई ,
और लता की तरह खुद उनकी देह में लिपट गयी ,
उनके हाथों की शरारत कोई कम नहीं हुयी
एक हथेली उनकी मेरी खुली पीठ पर सहला रही थी और दूसरी , और कहाँ,…
मेरे किशोर उभार पर
उस नवल रसिया की सिर्फ दुष्ट उँगलियाँ ही नहीं ,
बल्कि अब अंगूठा भी मेरे निपल को हलके हलके फ्लिक कर रहा था ,
अपने साजन की बाँहों में बंधी , मैं पिघल रही थी ,
रह रह कर सिसक रही थी। वो भी इतना कस के मुझे भींचे दबाये हुए ,
उनके चौड़े सीने के नीचे मेरे किशोर बूब्स दबे मसले जा रहे थे ,
पर अचानक मुझे छोड़ कर वो उठे ,
Bohot hi erotic updateदर्द का मज़ा
दुलारी बोली
" अरे धीरे डालने का दिन नहीं है आज , ... शादी कर के लाये हैं , हचक के डालेंगे ,...
और हचक के पेलेंगे नही तो भौजी की फटती कैसे ,२० साल से नैहर में हमारे भैया के लिए बचा के रखी थीं। "
" चलो चलो तुम सब नीचे आज फड़वातीं हूँ तुम सब ननदों की ,... पता चलेगा ,... मेरे मायके वाले हैं न ,... "
ये मेरी जेठानी की आवाज थी।
" अरे हम भौजाइयां भी तो हैं , चलो आज किसी ननद की बचेगी नहीं , तुम सब को बताएंगी हम , कैसे रोज तुम्हारे भाई हमारे ऊपर चढ़ाई करते हैं नएकदम वैसे ही ,... अपनी ऊँगली तो रोज करती होगी , आज भौजाइयों की ऊँगली का मजा लो ,... "
दूसरी जेठानी बोलीं।
मेरी चीखें बंद हो गयीं थी लेकिन तब भी चेहरे पर दर्द , ... और रुक रुक कर हलकी हलकी चीख
लेकिन तभी मेरी निगाह उनके चेहरे पर पड़ी ,...
उनका चेहरा जर्द ,...
जैसे किसी बच्चे से कोई बहुत मंहगा , खूबसूरत खिलौना टूट गया हो ,.. एकदम उसी तरह सहमा ,....
और मैं सहम गयी ,...
मेरी चीख का असर उनके ऊपर ,... लेकिन बिना सोचे , मेरी बाहें एकदम उनके चारों ओर , कस के भींच लिया मैंने ,
और खुद होंठ उठा के ,
एक दो चार चुम्मी , सीधे उनके होंठों ,... बिना बोले मेरी आँखे , मेरे होंठ मेरी पूरी देह कह रही थी ,
' करो न ,... "
मेरे चेहरे पर दर्द की जगह एक बार फिर चाहत छा गयी थी और वो ,
मेरा ,... हलके से फिर जोर से मेरी चुम्मी का जवाब , कस के चुम्बन से और एक बार फिर धक्का ,
पहले हल्का सा , थोड़ा सहम कर ,... और फिर थोड़ी जोर से ,...
मैंने एक बार फिर कस के पलंग पकड़ लिया था दांतों से होंठों को भींच लिया था , ...
और तय कर लिया था कित्ता भी दर्द हो चीखूंगी नहीं ,
मम्मी ने , भाभियों ने जैसा समझाया सिखाया था , मैंने अपनी जाँघे पूरी तरह फैला रखी थीं ,
कमर के नीचे वहां एकदम अपने को ढीला छोड़ दिया था ,
तब भी ,
उन्होंने कस के मेरी पतली कमर को दबोच रखा था और कुछ देर में उनके धक्के का जोर ,...
सब कुछ भूल के ,...
लेकिन यही तो मैं चाहती थी , इसी दर्द इसी तड़पन का इन्तजार मुझे था
और अब मैं लाज में डूबी लेकिन थोड़ा थोड़ा उनका साथ दे रही थी ,
मेरी देह अब मेरी नहीं थी
रगड़ रगड़ कर , दरेरते , घिसटते , फाड़ते उनका ,....
मेरे अंदर , ....
दर्द तो हो रहा था , बहुत हो रहा था ,....
लेकिन एक नया अहसास , एक नया मजा ,... और कुछ देर बाद ही मेरी आँखे मूंदने लगी ,
मेरी देह कांपने लगी ,
मुझे याद आ रहा था कोई भाभी मुझे चिढ़ा रही थीं ,
तेरा वाला एकदम नौसिखिया लगता है , असली कुंवारा ,... तू एक दो बार मेरे वाले से ट्राई कर लें ,...
मम्मी बोलीं ,
अरे जैसे मछली को तैरना नहीं सीखाना पड़ता , उसी तरह मरद को भी
सच में उनकी उँगलियों को उनके होंठों को जैसे मेरी देह के सारे गोपन रहस्य मालूम पड़ गए हों , ..
और वो मूसलचंद तो था ही मेरी , ऐसी की तैसी के लिए ,
अपने आप मेरी हलकी हलकी चीखें अब सिसकियों में बदल गयीं मेरी आँखे अपने आप बंद हो गयी ,
देह धीरे धीरे एकदम ढीली , जैसे मेरे काबू में न हो
मैं काँप रही थी , तूफ़ान में पत्ते की तरह , ... तेज और तेज ,... फिर धीरे धीरे ,... और
मेरा कांपना रुका नहीं था की वो भी मेरे साथ साथ , और अब मैं एक बार फिर से
बूँद बूँद ,... फिर जैसे बाढ़ आ गयी हो ,
देर तक मैं उन्हें अपनी बाँहों में बांधे रही ,
कुछ देर बाद जब हम थोड़े अलग हुए ,
मेरी निगाह घड़ी पर पड़ी , अभी भी बारह नहीं बजा था , साढ़े ग्यारह बजने वाले थे।
दर्द से मेरी देह चूर चूर हो रही थी , जाँघे फटी पड़ रही थीं , ....
लेकिन उनके चेहरे की ख़ुशी ,... वो बावरापन , ... मेरा सारा दर्द आधा हो गया।
वो एकटक मुझे देख रहे थे , और अचानक उन्होंने मेरे होंठों पर झुक कर ,... एक कस के चुम्मी ले ली ,
और बांहों में दबोच लिया।
और उनके बोल फूटे ,... फिर वो रुके नहीं ,...
' जानती हो जब से उस दिन तुझे देखा था , न बस यही सोचता था ,.. कैसे ,... किस तरह ,...
मुझे लगता नहीं था , तुम ,... सच में बस लग रहा था किसी तरह तुम मिल जाओ ,... बस ,... '
मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया ,
' मिल तो गयी न ,... हूँ अब तो "
लेकिन मैं भी बस उनके चेहरे को देख रही थी ,
और जाने अनजाने मैंने भी अब उन्हें अपनी बाँहों में बांध लिया , रजाई जो एकदम ऊपर से सरक गयी थी ,
एक बार फिर से ,.. लेकिन हम लोगों के चेहरे , गरदन के ऊपर से , एकदम खुले थे ,
और बरसती चांदनी में हम एक दुसरे को अच्छी तरह से देख रहे थे।
उनकी बातों का मरहम , उनकी आँखों के नशे में मेरा दर्द अब एकदम ख़तम हो गया था ,...
कभी कभी वो शरारती लड़कों की तरह ,... ललचाते , उनकी ऊँगली मेरे होंठ पर हलके से छू लेते ,
पर मैं पहले दिन से ही उन्होंने जब उस शादी में मुझे देखा था , ... और मैंने उन्हें ,...
मैं समझ गयी थी उनकी रातों की नींद जिसने उड़ा ली थी वो मेरे किशोर उभार थे ,
मेरे गदराये उरोज ,... और आज भी उनका मन ,... बोलने की हिम्मत तो उनकी पड़ नहीं रही थी , ...
उन्होंने रजाई थोड़ी और नीचे करने की कोशिश की ,
इरादा मैं समझ रही थी पर बदमाशी क्या वो अकेले कर सकते थे , मैंने एक हाथ से रजाई कस के दबोच ली ,
मेरे हाथ उनके हाथों से जीत सकते थे , पर मैं उनकी आँखों का क्या करती ,
चार आँखों का वो खेल तो मैं पहले दिन ही हार गयी थी , जब उस शादी में मैंने इन्हे सबसे पहले देखा था , ...
उन्हें क्या मालूम था मैं उस चितचोर के आगे सब कुछ उसी दिन ,...
वो चोर मुझसे मुझी को चुरा ले गया था , और उस चोरी का कोई थाना पुलिस भी नहीं हो सकती ,
और अब वही बदमाश लुटेरी आँखे मेरी आँखों में आँखे डाल के जिस तरह चिरौरी कर रही थीं , मेरी पकड़ थोड़ी सी ढीली हुयी ,
एक और जबरदस्त चुम्मा , और रजाई सरक कर एक बार फिर हम दोनों के कमर तक ,...
मन तो उनका बहुत कर रहा था , लेकिन बहुत हिम्मत कर के उनकी भूखी उँगलियाँ मेरे उभारों पर हलके से ,...
और अब मैंने मना भी नहीं किया ,...
उँगलियाँ अब चोर से डाकू हो हो गयीं , एकदम खुल्लम खुला ,
उनकी दोनों हथेलियों सीधे मेरे किशोर उभारों पर , और अब वो छू नहीं रहे थे , बल्कि कस के दबा रहे थे ,
दर्द भी हो रहा था , अच्छा भी लग रहा था , जेठानी की बात भी याद आ रही थी , मना ज्यादा मत करना ,
और अब तो भरतपुर लूट भी चुका था , बचाती क्या और किससे ,
उनसे बचने सिर्फ एक की शरण में जा सकती थी , ...
उन्ही की , ... मेरी आँखों ने उनकी आँखों में झांका , शिकायत की , ... गुहार लगाई ,
और लता की तरह खुद उनकी देह में लिपट गयी ,
उनके हाथों की शरारत कोई कम नहीं हुयी
एक हथेली उनकी मेरी खुली पीठ पर सहला रही थी और दूसरी , और कहाँ,…
मेरे किशोर उभार पर
उस नवल रसिया की सिर्फ दुष्ट उँगलियाँ ही नहीं ,
बल्कि अब अंगूठा भी मेरे निपल को हलके हलके फ्लिक कर रहा था ,
अपने साजन की बाँहों में बंधी , मैं पिघल रही थी ,
रह रह कर सिसक रही थी। वो भी इतना कस के मुझे भींचे दबाये हुए ,
उनके चौड़े सीने के नीचे मेरे किशोर बूब्स दबे मसले जा रहे थे ,
पर अचानक मुझे छोड़ कर वो उठे ,
Lazwaab updateरात पिया के संग जागी रे सखी
अपने साजन की बाँहों में बंधी , मैं पिघल रही थी , रह रह कर सिसक रही थी। वो भी इतना कस के मुझे भींचे दबाये हुए , उनके चौड़े सीने के नीचे मेरे किशोर बूब्स दबे मसले जा रहे थे , पर अचानक मुझे छोड़ कर वो उठे ,
" मैं भी न कितना भुलक्कड़ हूँ ,... "
और उनका कुर्ता जो बिस्तर से नीचे गिरा मेरी चोली के ऊपर पड़ा था , उसे उठा कर उसकी जेब से ,...
मेरी आँखे चुंधिया कर रह गयीं ,
इतना खूबसूरत , कितना बढ़िया काम , ...
मैंने अपनी गर्दन उनकी ओर बढ़ा दी , और उन्होंने हार पहना दिया ,
दुष्ट ,...
उनकी निगाहों की चोरी मुझसे छिपती ,...
बजाय हार के उनकी निगाहें मेरी अनावृत्त गोलाइयों पर चिपकी थीं ,
( मम्मी ने मुझे पहले ही वार्न कर दिया था की ये पक्के बूब्स मैन हैं , उनके हिसाब से आदमी दो तरह के होते हैं बूब्स मैंन या आस मैंन , पिछवाड़े दीवाने ,... लेकिन ये दोनों थे ,
और मम्मी के सामने ही मेरे पिछवाड़े कस के चिकोटी काटते हुए रीतू भाभी ने जोर से चिढ़ाया , बिन्नो , तेरा पिछवाड़ा बचेगा नहीं। मम्मी मेरी और ,
... भाभी का ही साथ देते बोलीं , ... तो कौन मैं इसे बचाने के लिए भेज रही हूँ , )
और जैसे मैंने उनकी आँखों में झाँका , वो समझ गए उनकी चोरी पकड़ी गयी , ...
बात बदलने में तो वो पक्के उस्ताद , मुझे मोड़ कर मेरा चेहरा सामने ड्रेसिंग टेबल ,...
खूब बड़ा सा तीन शीशों वाला , .... ठीक हमारे बेड के सामने
( दो दिन बाद पता चला मुझे मेरी दुष्ट ननदों की शरारत थी ये , ऐसा ऐंगल था , जिससे बेड पर का सब कुछ ,... )
मेरी निगाहें सीधे मेरे गले में पड़े जड़ाऊ सतलड़ी वाले हार पर पड़ी थीं , जबरदस्त काम था , बहुत ही सुन्दर ,....
नाइट लैम्प भी उन्होंने जला दिया था इसलिए साफ़ दिख रहा था। खूब भारी भी था ,
लेकिन थोड़ी देर में मैं समझ गयी उनकी शरारत ,
ड्रेसिंग टेबल के बड़े से शीशे में न सिर्फ कुंदन का हार दिख रहा था बल्कि ,
मेरी दोनों किशोर गोलाइयाँ भी ,
पहली बार मैं इस तरह उनके साथ बैठ कर बगल में , मारे शर्म के मैंने अपने दोनों हाथ अपने उभारों पर रख दिए , ...
लेकिन ये भी न इतने सीधे हैं नहीं जितने लगते हैं मैं समझ गयी
( बाद में पता चला की ये इनसे ज्यादा इनकी सलहज , मेरी रीतू भाभी ,... कोहबर में इनकी सलहज ने सब राज मेरे , )
मुझे कहाँ गुदगुदी लगती है , सब ,... और उसी का फायदा उठा के इन्होने मेरी काँखों के बीच ,..
और मेरे दोनों हाथ उन्हें रोकने के चक्कर ,... एक बार फिर मेरे उभार , ...
न सिर्फ इन्हे बल्कि मुझे भी ड्रेसिंग टेबल के शीशे में ,...
मेरे पास सिर्फ एक ही तरीका था , मैं इनके सीने में चिपक गयी ,..
और मुझे पता चला इनकी उँगलियों से बढ़कर शैतान ,...
इनका वो ,... एकबार फिर से तन्नाया , खड़ा ,... मैं समझ गयी थी असली ख़तरा कहाँ से है। और मुझे भाभियों सारी सीखें अब एक बार फिर से याद आ गयीं , ...
जाँघों को समेट लेना कस के चिपका लेना , दोनों पैरों को आपस में क्रास कर लेना , उनको पैरों को बीच में घुसने मत देना
,... बस मैंने जाँघों को एकदम भींच लिया , पैरो को क्रास भी कर लिया , पर ये ,....
ये तो अभी ऊपरी मंजिल पर उलझे थे , और मैं भी पैरों के चक्कर में ,
जहाँ उनकी उँगलियाँ मुझे तंग कर रही थीं वहां अब इनके होंठ थे , मेरे उभारों के ठीक बेस पर ,
और वो चुंबन के छोटे छोटे पग धरते , वो रसीले होंठ कुछ देर में ही सीधे मेरे निप पर ,
पहले तो हलका सा एक किस ,
... फिर जीभ से फ्लिक करने लगे ,....
और थोड़ी देर में ही उनके होंठ हलके हलके मेरे निप्स को सक कर रहे थे ,
और दूसरा जोबन इनके हाथ के नीचे दबाया कुचला जा रहा था।
और इनका दूसरा हाथ मेरी पीठ को सहला रहा था , पर मुझे क्या पता था यही हाथ ,..
एक तो जिस तरह से उनके होंठ मेरे निप्स को सक कर रहे थे , निबल कर रहे थे , ....
मस्ती से मेरी आँखे मुंदी जा रही थीं , लेकिन अबकी मैं इतनी आसानी से इन्हे ,...
मैंने कस के अपनी दोनों जाँघों को भींच रखा था , दोनों पैर क्रास कर के , ...
पर उनका खूंटा अब ,... थोड़ी देर पहले ही तो वो दुष्ट ,... इतना खून खच्चर कर चुका था ,... पर उसका टच न ,...
मेरा भी मन गिनगीना रहा था ,...
और वही हाथ पीठ से सरकते मेरे नितम्बों तक , और वहीँ से उसने सेंध लगा दी , ...
और कौन ,... घर का भेदी , मेरी भाभी , इनकी सलहज ,... नंबरी दलबदलू ,....
मेरी जाँघों के ऊपरी हिस्से में ,... कांख से भी ज्यादा गुदगुदी ,... बस
थोड़ी देर में ही मेरी सावधानी सारी कोशिश ,... मेरी जाँघे खुली पड़ी थीं , ... और वो जाँघों के बीच ,
लेकिन अबकी न ये इतना झिझक रहे थे न मैं इतना सहम रही थी ,...
और अबकी नाइट लैम्प भी जल रहा था , हम दोनों एक दूसरे को साफ़ साफ़ देख भी रहे थे ,
Erotic nd hooootttttt updateचैन पड़ा जो अंग लागी रे सखी
थोड़ी देर में ही मेरी सावधानी सारी कोशिश ,... मेरी जाँघे खुली पड़ी थीं , ... और वो जाँघों के बीच ,
लेकिन अबकी न ये इतना झिझक रहे थे न मैं इतना सहम रही थी ,...
और अबकी नाइट लैम्प भी जल रहा था , हम दोनों एक दूसरे को साफ़ साफ़देख भी रहे थे ,
और मेरी नजर उनके ' उसपर' पड़ गयी , खूब मोटा , लम्बा ,...
लेकिन मेरी नजर उनकी आँखों पर जब गयी तो , ... वो झेंप रहे थे , शरमा रहे थे ,... मुझसे भी ज्यादा ,...
और मैंने निगाह वहां से हट कर जाने अनजाने ,... मैंने तकिया जरा सा सरकाया तो ,
उनके नीचे वैसलीन की बड़ी सी बॉटल ,... जो मेरी जेठानी ने वहां रखी थी ,... और पहली बार के बाद अभी भी उसका ढक्कन खुला हुआ था ,...
मेरी निगाह को उनकी निगाह देखती ही रहती थीं ,... और बस जैसे मेरा इशारा सा ,...
ढेर सारा वैसलीन ले के अपने 'उसपे ' उन्होंने अच्छी तरह लिथड़ लिया , फिर ' उसके मुंह ' पर भी ,...
डरते झिझकते मेरी निगाह उधर पहुँच ही जा रही थी , लेकिन कुछ मेरी झिझक ,
और कुछ उससे बढ़कर इनकी झिझक का डर ,...
और तबतक इन्होने अपनी उँगलियों में वैसलीन लगा कर मेरी चुनमुनिया में ,...
मारे लाज के अब मैंने आँख बंद कर ली , ...
पर पता तो चल ही रहा था , और अब मैं मना न कर सकती थी , न करना चाहती थी ,...
मेरी लम्बी लम्बी टाँगे , इनके कन्धों पर ,...
बस इनकी सलहज की सीख ,...
जब लगे की अब 'होना ही है ' तो ,... बस अपनी जाँघे जितना फैला सको , फैलाओ ,
' वो ' जीतनी ढीली कर सकती हो करो , वहां से ध्यान हटाओ ,...
वो नौसिखिये थे लेकिन इतने भी नहीं , और एक दो तकिये , मेरे हिप्स के नीचे ,
मुझे बस इतना याद है , की इनके दोनों हाथ मेरी कमर पे थे ,...
और कहीं दूर से एक के घंटे की आवाज आयी , और उसी के साथ ,...
अबकी मैंने चीख रोकने की जो कोशिश की , लेकिन तब भी चीख निकल गयी ,
दोनों हाथों से मैंने चददर दबोच रखी थी , टाँगे मेरी खूब फैली , इनके कंधे पर , ...
लेकिन उसी के साथ दूसरा तीसरा , चौथा धक्का , ...
और जब ' वो ' एकदम से अंदर ,... मेरी जोर की चीख निकल गयी ,...
और उसी के साथ ,.... मुझे अपनी गलती का अंदाज लग गया ,...
मैंने अपनी दियली सी आँखे खोली , सच में उनकी आँखों में ,...
लग रहा था जैसे उनसे कोई गलती हो गयी हो ,... बिना बोले उनकी आँखे पूछ रहीं थी , ' क्यों बहुत दर्द हो रहा है क्या ,... "
दर्द तो हो रहा था लेकिन ,... उनकी आँखों की परेशानी मेरी आँखे नहीं देख सकती ,
वो मुस्करायीं , मैंने कस के उन्हें अपनी बाँहों में न सिर्फ दबोच लिया और कस के अपनी ओर खींचा ,
एकदम अपने आप , मेरे होंठ उनके होंठों से ,...
बस उसके बाद , उनके सीने के नीचे मैं दब गयी , कुचल गयी ,...
और धक्के अब रुक नहीं रहे थे ,.....
रजाई कब सरककर पलंग नीचे चली गयी थी , नाइट लैम्प भी जल रहा था ,
और मैं उन्हें देख रही थी , उनकी ख़ुशी , उन के चेहरे पर छलकता मज़ा ,...
और उसका असर मेरे ऊपर भी कर रहा था , धीमे धीमे कई बार उनके धक्के के जवाब में मेरे भी नितम्ब हलके से ,
और साथ साथ हर धक्के के साथ मेरी पायल रुनझुन कर रही थी
चूड़ी चुरमुर कर रही थी ,
कमर छोड़ कर उनका एक हाथ अब मेरे उभार पर था और दूसरा मेरी मेरी कलाई पर ,
साथ में उनके होंठ कभी , मेरे होंठों पर कभी गालों पर कभी उभारों पर ,... मुझे भी सच बोलूं तो बहुत अच्छा लग रहा था ,... मैं चाह कर भी अपनी आँखे बंद नहीं कर पा रही थी , असली ख़ुशी तो उनकी खुशी देखने से हो रही थी ,... पर थोड़ी देर में पूरी देह में कुछ कुछ ,... उनकी एक ऊँगली कस कस के मेरे निप्स मसल रही थी ,
दूसरा निप्स , उनके मुंह में,...
और उनका वो पूरी तरह अंदर ,...
जाँघे तो अभी भी फटी पड़ रही थीं ,... पर देह मेरी शिथिल हो रही थी , मैं सिसक रही थी ,
एक अलग सी तरंग ,... मैंने देह को ढीली छोड़ दिया , कुछ देर बस ,... बस ,...
और उनके धक्के भी कुछ देर के लिए रुक गए , .... लेकिन फिर वो चालू हुए ,...
तो अबकी तो , ... मुझे दुहरा कर के एक बार फिर से मेरे पैर उनके कन्धों पर ,...
मैं अब एकदम उनके साथ साथ
और हम दोनों साथ साथ ही ,.. बहुत देर तक ,... मैं एकदम थेथर , थकी ,... और आँखे बंद कुछ थकान से कुछ लाज से ,... पलको पर उनके चुंबन ने ही मेरी आँखे खोलीं ,.... वो अभी भी मेरे अंदर ,.... उन्हें देख कर मैंने सिर्फ बोला
' धत्त " और फिर से आँखे बंद कर ली ,... पर उनकी सलहज ने जो गुदगुदी सिखाई थी , आँखे खुल ही गयी , ...
और हम दोनों ऐसी ही एक दूसरे से चिपके ,...
जल्दी से मैंने फर्श पर पड़ी रजाई उठायी और हम दोनों एक बार फिर रजाई के अंदर
और उनके बोल फूटे , ... लेकिन वही ,... मेरा मन बहुत करता है , ...
' क्या ' अब मैं भी हलके से बोलने लगी ,... पता तो मुझे अब तक चल ही गया था।
" तुम्हारा ,... तुमको पाने का " मेरे कानों के पास अपने होंठ कर बोले वो ,
और मैं जोर से उनके सीने से चिपक गयी , हलके से किसी तरह बोली ,...
' मिल गयी न "
Behtreen updateगजरा सुहाना टूटा ,
कजरा नयन का छूटा,...
उनके बोल फूटे , ... लेकिन वही ,...
मेरा मन बहुत करता है ...
' क्या '
अब मैं भी हलके से बोलने लगी ,...
पता तो मुझे अब तक चल ही गया था।
" तुम्हारा ,... तुमको पाने का "
मेरे कानों के पास अपने होंठ कर बोले वो ,
और मैं जोर से उनके सीने से चिपक गयी , हलके से किसी तरह बोली ,...
' मिल गयी न "
फिर उन्होंने पूरा किस्सा बताया , ...
तीन महीने पहले शादी में जब उन्होंने मुझे देखा था ,...
तब से कितनी कोशिश की , पहले तो पता लगाया , किससे बात करनी होगी ,
मम्मी का एड्रेस , ... फोन नंबर ,... फिर मेरी जेठानी , इनकी भाभी ,... और उन्होंने बहुत कोशिश की ,...
मुझे मालूम था ,
सबसे पहले मेरी जेठानी का ही फोन आया था मंम्मी के पास ,...
मुझको उड़ते पड़ते ये भी पता चला था की , कितने इनके रिश्तेदारों ने ,.. लड़की का घर गाँव में है ,.... लड़की अभी इंटर में पढ़ती है ,... इन्हेइतनी अच्छी नौकरी का ऑफर मिला है , कोई भी लड़की ,...
पतंग काटने की बड़ी कोशिश की , सब किसी न किसी और लड़की को टिकाना चाहते थे ,...
लेकिन ये और मेरी जेठानी ,...
फिर शादी का समय ,... ये चाहते थे जल्दी जाड़े की शादी ,...
उसके बाद ही इन्हे जनवरी फरवरी में महीने डेढ़ महीने की ट्रेनिंग में जाना था , उसके बाद पोस्टिंग हो जाती ,... दिसम्बर में लगन भी बहुत कमथी ,...
मम्मी को भी लगता था इतनी जल्दी शादी का इंतजाम ,....
आज से तीन महीने पहले ही तो हम दोनों ने एक दूसरे को देखा था और आज ,...
तभी मुझे दो बातें याद आयी , और मैं कुछ झुंझुलाई , कुछ मुस्करायी ,...
दूध ,...
जेठानी ने चार बार समझाया था दूध जरूर पिला देना ,...
और मम्मी ने भी तो बोला था , सुहागरात में पान और दूध ,...
दूध मैंने इन्हे दिया ,... तो ये बोले पहले तुम ,... लेकिन मैं बोली , पहले आप ,...
बस इनकी जिद्द भी न , ... मुझे कसम धरा दी वो भी अपनी ,... मैं लाख मना करती रही ,...
पर इन्हे मना करना मेरे बस में अब नहीं था। लेकिन बस थोड़ी सी बात मानी इन्होने ,... इस कमरे में या जहाँ सिर्फ हम दोनों हो ,... आगे से मैंभी इन्हे तुम बोलूंगी ,... आप नहीं ,...
और दूध भी जब तक मैंने जूठा नहीं किया इन्होने नहीं पिया ,
और जब ये दूध पी रहे थे तो मुझे हंसी आ गयी , कोहबर की बाते याद कर के ,...
कोहबर में तो क्या क्या नहीं इन्हे मेरा जूठा खिलाया गया , जो पान इन्हे मैंने खिलाया था , उसके भीतर एक और छोटा सा पान था ,
वो सिर्फ मेरा जूठा नहीं था , ... पूरे दो घंटे भाभी ने मेरे मुंह में रखकर कुचलवाया था और वो उस पान में डालकर , ...
खीर भी ,..
पानी तो वही कोहबर में ही उनकी नजर बचाकर , रीतू भाभी ने पहले मुझे पिलाया , फिर इन्हे।
मेरी मुस्कराहट इनसे कैसे छुपती , वो बोले ,.. क्या हुआ ,... नाइट लैम्प अभी भी जल रहा था ,
...रजाई एक बार फिर सरक कर हम दोनों के कमर तक , ... और अबकी मैंने उसे ठीक करने की कोशिश भी नहीं की ,
' कोहबर में ,... आपकी मेरा मतलब,... तुम ,.. सालियों और सलहजों ने आपकी ,... और सब बातें ,... '
सच में बड़े सीधे थे ये बोले
" क्या करता मैं , मेरी साली और सलहज ने शर्तें ही ऐसी रख दी थी की अगर मैं उनकी बात नहीं मानूंगा ,.... जो जो रसम होती है नहीं करूंगा ,... तो तुमसे मिलना तो दूर तुम्हे देख भी नहीं सकता ,...
भाभी ने भी बोला था ,... तुम्हारे ससुराल वाले क्या पता गौना रख दें ,.. फिर छह आठ महीने तक इन्तजार ,... तो इसलिए ,.. फिर साली सलहजकी बात ,... टालना ,... "
और अपने हाथ से बचा खुचा दूध मेरे होंठों से लगा कर ,...
पूरा ग्लास खाली हो गया और उन्होने ही टेबल पर रख दिया।
" तेरे होंठो पर दूध लगा है ,.. "
और बजाय साफ करने के उन्होंने चाट लिया। और एक बार फिर उनके होंठ मेरे होंठों से ,... और इस बार मेरे होंठ भी हलके से ही सही ,... उनका साथ दे रहे थे ,...
कुछ था दूध में लगता है , ... मेरी पूरी देह में एक लग सा खिंचाव ,..,
बस मन कर रहा था की वो बाँहों में भींच ले , मसल लें , दबा दे , रगड़ दे ,
कुछ देर में फिर हम दोनों रजाई के अंदर , ...
मैं उनकी बाँहों में दबी , साइड में लेटी , मेरे उरोज उनके सीने से दबे ,...
आँखे अपने आप आप बंद हो रही थी
' नींद आ रही है , क्या ,... " हलके से वो मेरे कानों में बोले।
' हूँ जरा ज़रा सी ,... ' और मैंने आँखे बंद कर ली। बस वो मेरी पीठ सहलाते रहे , ...
मुश्किल से पन्दरह बीस मिनट के लिए झपकी लगी होगी मिझे , उसमें भी मुझे यह अहसास था की वो एकटक मेरे सोते चेहरे को देख रहे हैं , मेरीएक लट मेरे गाल पर आ गयी थी ,
बड़े हलके से इन्होने उसे हटा दिया की कहीं मैं जग न जाऊं , पर। ..
दुष्ट लालची ,.... इनकी ऊँगली मेरे गाल को हलके से चोरी चोरी छूने से बाज नहीं आयी।
और मुर्गे की आवाज ने मेरी नींद खोली ,