Tiger 786
Well-Known Member
- 6,232
- 22,620
- 173
Bohot hi ummdha updateसलहज के चमचे
मैं बिस्तर पर नहायी धोयी ताज़ी फ्रेश साडी ब्लाउज पहने , नौ बजे ननदों के आने के लिए तैयार बैठी ,....
और फोन रखते ही उन्होंने मुझे हलके से पुश किया ,
मैं आधी पलंग पर पीठ के बल, और एक झटके में ,
मेरी लम्बी गोरी गोरी टाँगे , उनके कंधे पर , मेरी साडी पेटीकोट अपने आप सरक कर , मेरी पतली कमर तक , मेरी दोनों जाँघे खुली, फैली , और साथ साथ जबतक मैं कुछ बोलूं , मना करूँ , उन्होंने मेरी पैंटी खोल दी , एक स्ट्रिंग थांग सी थी और ,
वो फर्श पर , उनका पजामा भी ,
फिर तकिये को सरका कर वैसलीन की बड़ी सी शीशी से वैसलीन ढेर सारी वैसलीन निकाल कर अपने मुस्टंडे पर वो लगा रहे थे ,
उसका ' मुंह ' एकदम खुला , और वहां भी वैसलीन ,...
बची खुची मेरी खुली फैली जाँघों के बीच ,
और एक करारा धक्का , जब तक मैं बोलूं , अरे सुबह सुबह , ... लेकिन मैं बोलती क्या मेरा ध्यान तो उस मूसलचंद को देखने में लगा था ,
पहली बार दिन की रौशनी में , परदे अच्छी तरह बंद थे , पर छन छन कर सुबह की रौशनी तो आ ही रही थी और एकदम साफ साफ दिख रहा था ,
था तो उन्ही की तरह गोरा लेकिन खूब लम्बा मोटा , तन्नाया ,...
जैसे ही मेरी चीख निकली , वो अंदर घुसा , .... मेरे मुंह को उन्होंने अपने होंठो से भींच दिया , और ऊपर से मैंने एक लो चोली कट ब्लाउज पहना था , जिसके बटन सामने थे ,
और ब्रा भी फ्रंट ओपन , दोनों उतरे तो नहीं , खुल गए ,...
मेरी कमर तक की देह पलंग पर , टाँगे उनके कंधो पर , और वो फर्श पर खड़े ,
मेरे अंदर धंसे , ... चोली ब्रा खुली , साडी पेटीकोट कमर तक ,
और उनके दोनों हाथ मेरे उभारों पर कस के रगड़ते दबाते मसलते , मेरे निप्स को पिंच करते ,...
वो धकेलते रहे , ठेलते रहे , दबाते रहे , मसलते रहे , ...
और जब मेरे होंठों को बोलने की आजादी मिली , तो मैं सिर्फ ये बोल पायी ,
" सुबह सुबह ,... अभी जेठानी जी के ,... "
आलमोस्ट बाहर तक निकाल कर उन्होंने एक पूरी ताकत से धक्का मारा ,
कचकचा के मेरे जुबना के ऊपरी हिस्से पर अपने दांत गड़ाए और बोले ,
" मेरी सलहज का हुकुम था की सुबह सुबह , उनकी ननद के साथ , गुड मॉर्निंग कर लूँ ,... "
रीतू भाभी भी न, अब मेरी समझ में आया ,
उन्होंने स्पीकर फोन क्यों बंद किया था , क्यों थोड़ी दूर जाकर मुझसे , अपनी सलहज के साथ ,... गुपचुप
" अरे तो अपनी सलहज के साथ करते न ,... ननदोई सलहज के बीच मैं पिस रही हूँ , ... "
मुस्कराकर हलके से उनके धक्के का जवाब धक्के से देती , अपना चेहरा उठाकर , मैं बोली ,
" अभी जो पास में उसी के साथ न करूँगा ,... वैसे न सलहज को छोडूंगा न सालियों को ,...
और सलहज को तो कत्तई नहीं , तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा , ... "
कस कस के धक्के मारते , मेरे जोबन मसलते वो बोले , मैंने भी अब उन्हें अपनी बाँहों में भींच रखा था ,
मेरी जाँघे पूरी तरह खुली , मैं आलमोस्ट दुहरी ,...
" नही करियेगा तो बुरा लगेगा , खास तौर से सलहज के साथ ,... "
खिलखिलाते हुए मैं बोली ,
मर्दों का जवाब देने का बस एक तरीका होता है और वो मैं पहली रात में ही समझ गयी थी ,
एक बार फिर से मेरी टाँगे उन्होंने सेट की , अबकी दोनों हाथ कमर पर ,
आलमोस्ट पूरा बाहर निकाला , और एकदम जोर का धक्का ,...
मैं सिसक उठी , पूरा का पूरा एक धक्के में अंदर , मेरी बच्चेदानी तक।
" उईईईईईई उईईईईई " जोर से सिसक उठी मैं , लेकिन तभी मुंहे कुछ याद आया
" अरे नौ बजे मेरी जेठानी , ननदें आ जायेगीं , .... "
लेकिन बजाय निकालने के , रुकने के जैसे कोई तूफ़ान आ गया , और मैं उनकी साथ मस्ती के सागर में थपेड़े लेती , और जब हम दोनों साथ साथ , ...
तभी मझे सीढी पर किसी के चढ़ने की , ... फिर ननदों की खिलखिलाहट ,...
"हटो न ,... "
मैं बोली , पर वो न हटने की हालत में थे न मैं हटाने की ,
उनकी गाढ़ी रबड़ी मलाई मेरे अंदर , एक बार , बार बाद , साथ में मैं भी काँप रही थी , झड़ रही थी ,
साडी में सबसे बड़ा फायदा होता है , उठो और अपने आप सब ढँक जाता है , ...
दरवाजे पर पहली दस्तक के पहले ही मैंने ब्रा के हुक बंद कर लिए थे चोली के बटन भी ,
वो जबतक पाजामा का नाडा बाँध रहे थे मैं खड़ी हो गयी।
दरवाजे पर पड़ी पहली दस्तक के साथ , ... और दुष्ट ननदे भी न लगातार खटखट , और आवाजें भी , ...
" खोलतीं हूँ अभी , ... "
मैं आलमोस्ट दौड़ कर दरवाजे पर , ...
ये कुर्सी पर मुझसे दूर बैठे , ... जैसे रात भर वहीँ बैठे रहे हों , कुछ हुआ ही न हो ,...
और मैंने दरवाजा खोल दिया