Rubi kaur
Punjabi jatti
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Erotic updateदिन दहाड़े
मेरे मन में तो बस उस लड़के का ख्याल था , लालची और बुद्धू , ...दस बारचक्कर लगा के ...
ऊपर कमरे में पहुंचा कर मेरी जेठानी ने पहले तो मुझे समझाया , दरवाजा अंदर से बंद कर लो , छह बजे से पहले मत खोलना , ... मैं किसी कोभेजूंगी , तैयार होके सात बजे तक , कुछ देर तक मुंह दिखाई होगी , फिर चाट पार्टी ,...
लेकिन चलने के पहले वो अपने देवर को हड़काना नहीं भूलीं ,
" देख , दे तो जा रहीं हूँ , अपनी देवरानी को लेकिन ज्यादा तंग मत करना इसे , आराम करने देना। "
बस जेठानी के निकलते ही , मैंने एक बार उन्हें देखा , ... मुड़कर दरवाजा बोल्ट किया , और उन्हें देखते हुए दिखाते , ललचाते , धीमे धीमेअपनी साडी उतार कर , सीधे सोफे पर और बस चोली और साये में , ...
हलके से मैं बोली , उन्हें सुनाते ,... लालची
रजाई में धंस ली।
वो आलरेडी सिर्फ बनयायिन और पाजामे में थे . कहने की बात नहीं , अगले पल उन्होंने खींच कर अपनी बाँहों में , ...दबोच लिया , इतनी कसके की जैसे कुचल ही डालेंगे।
और फिर ,... मेरे होंठ ,... चुम्मी पर चुम्मी , न मैंने गिना न उन्होंने ,...
और जब उनकी चुम्मी बंद हुयी तो पीछे रहती , मेरे होंठों ने भी हलके से , एक चुम्मी , होंठों पर नहीं उनके गोरे गाल पर जड़ दी , और धीरे सेबोला , ...
लालची , बेसबरे।
" मेरा मन करता है , बहुत करता है ,.. "
बस वही बात जो कल से वो बोल रहे थे ,...
" तुझे पाने को। "
सच में मेरा बालम एकदम बुद्धू था।
" आ तो गयीं हूँ आप के पास। "
मैंने हलके से बोला , और वो लड़का अलफ़ ,
' कल क्या बोला था , तुझे कसम भी दिलाई थी '
याद तो मुझे अच्छी तरह था , पर हो नहीं पारहा था मुझसे , उन्हें आप नहीं तुम बोलने का , कल बड़ी मुश्किल से मैं ये मानी थी की इस कमरे में, उन्हें मैं सिर्फ तुम बोलूंगी , ... और मैंने फिर एक चुम्मी ले कर उन्हें मनाया , और बोला
" ठीक है तुम्हारे पास , अब तो हरदम हूँ ,... न "
' हरदम का मतलब ,... हर पल,मेरे पास ... सच में कोमल , बहुत बहुत मन करता है "
कानों में भौरें की तरह मेरे साजन ने गुनगुनाया।
लेकिन उनका असली जिस चीज के लिए मन कर रहा था , वो काम उनकी उँगलियों ने शुरू कर दिया , और अब वो उँगलियाँ कल की तरह नघबड़ा रहीं थीं , न झिझक रही थीं।
झट से चोली के बटन उन्होंने खोल दी और फिर ब्रा की क्या बिसात थी ,...
बस उनके हाथों को मिल गया जिसके लिए वो इतने देर से बेसबरे हो रहे थे ,
अभी भी वो थोड़ा सा शरमा रहे थे , ललचाते तो बहुतथे , लेकिन उस मौके पर ,... बहुत हलके से , धीरे धीरे मेरे किशोर कड़े कच्चे उरोजों कोहलके हलके छू रहे थे , ...
मैंने आज न उन्हें मना किया न टोका , बल्कि एक टांग उनके ऊपर रख कर और चिपक गयी।
और बड़ी जोर से गड़ा।
खूब मोटा , लंबा तना बौराया , बेसबरा लालची ,
एकदम इन्ही की तरह जिसका हरदम मन करता रहता है , ...
मैंने और कस के उन्हें भींच लिया ,...
गड़े तो गड़े ,... मेरा तो है ,...
ननदों की छेड़खानी , दुलारी की खुली खुली बातों ने ,
और जिस तरह से ननदों ने मुझसे चुदवाया खोल के कहलवाया था , ...
मन तो मेरा भी करने लगा था ,
लेकिन सबसे बढ़कर जिस तरह मंझली ननद ने एकदम खुल के नन्दोई जी कैसे उनकी लेते हैं , ... मैं भी तो ,...
मैं टॉपलेस हो गयी थी तो मैं उन्हें कैसे छोड़ती ,
लेकिन खुद उनके कपडे उतारने की हिम्मत तो नहीं थी , पर मैंने उनकी बनयान बस जरा सा ऊपर सरकायी , और शिकायत की , उन्ही से ,... मुझे तो टॉप लेस कर दिया और खुद ,... बस उनकी बनयान उतर गयी और मेरे जोबन अब उनके चौड़े मजबूत सीने के नीचे दबे कुचले जा रहे थे।
फर्श पर मेरी ब्रा , चोली और उनकी बनियान बिखरी ,...
उनकी ऊँगली को भी अब और हिम्मत आ गयी , मेरे जोबन पर उनके होंठों ने डाका डालना शुरू कर दिया ,
उँगलियाँ साये के नाड़े से उलझी , और पल भर में पहले मेरा साया , फिर उनका पजामा ,
न मैंने पैंटी पहनी थी न उन्होंने चड्ढी ,
खूंटा सीधे मेरे निचले होंठों पर , मेरी उँगलियों ने कुछ गलती से कुछ जानबूझ कर ,...
और मैं एकदम समझ गयी ,
मेरी मंझली ननद जिस ' खूंटे ' की इतनी तारीफ कर रही थीं ,... मेरा वाला पक्का उससे २० नहीं २५ था।
लेकिन उस उंगली छूने का असर वो एकदम फनफना गया ,
मैं अब पीठ के बल लेटी थी , और वो मेरी खुली जाँघों के बीच में ,
और जब उन्होंने तकिये के नीचे से वैसलीन की शीशी निकाल कर अपने मूसलचंद पर लगाना शुरू किया ,... पहली बार मैंने 'उसे ' दिन दहाड़ेदेखा ,
दुष्ट , बदमाश , ... लेकिन बहुत प्यारा सा ,... और शर्म से आँखे बंद कर ली ,
जब उनकी उँगलियाँ मेरी निचले होंठों तक पहुंची , उन्हें फैलाया , वैसलीन से लिथड़ी चुपड़ी , उँगलियाँ , बहुत प्यार से सम्हाल कर , धीरे धीरेवैसलीन , ... फिर मंझली ऊँगली में वैसलीन लगाकर एकदम अंदर तक गोल गोल ,... थोड़ी देर तक
मैं सिहर रही थी , सिसक रही थी ,...
Kya kahu ya likhu apki lekhni ki tareef maiबेसबरा
मैं सिहर रही थी , सिसक रही थी ,...
और कुछ देर बाद , जब वो बौराया मूसलचंद मेरी गुलाबों के होठों को फैलाकर सटा
कर ,
सच , एक बार फिर मन में डर छाने लगा , ..
कल और सुबह की ,...
अभी तक जाँघे फट रही थीं , ज़रा सा चलती थी तो 'वहां' चिलख उठती थी , खूब जोर से , किसी तरह मैं दर्द पी जाती थी , ...
और अब तो मैंने देख भी लिया था , सिर्फ लम्बाई में ही मेरी नन्दोई से २५ नहीं था , मोटाई में मेरी कलाई इतना कम से कम ,...
लेकिन आज उन्होंने भी कोई जल्दी नहीं की ,
थोड़ी देर अपने ' उसको ' मेरे ' वहां ' रगड़ते रहे ,...
डर का जगह मस्ती ने ले लिया , मेरी देह मेरे काबू में नहीं रही , मैं सिसक रही थी , मचल रही थी , अब मन कर रहा था , डाल ही दो न , क्योंतड़पा रहे हो ,
डाल दिया उन्होंने , ...
लेकिन बहुत सम्हालकर ,... पर तभी भी दर्द उठा , जोर का उठा ,
...मैंने कस के दोनों मुट्ठी में पलंग की चादर भींच ली , आँखे मुंद ली
पर अब उन्हें भी रोकना मुश्किल था , एक धक्का बहुत करारा ,...
दूसरा उससे भी तेज ,... और रोकते रोकते भी मेरी चीख निकल गयी , ...
और उनका धक्का रुक गया ,
मैं समझ गयी , दर्द को मैं पी गयी , मुस्कराते हुए मैंने आँखे खोली ,
सच में ये लड़का कुछ जरूरत से ज्यादा ही केयरिंग था , इस बुद्धू को कौन समझाये लड़की जब करवाती है तो शुरू में चीखती चिल्लाती है ही , पर ये भी न
इनका चेहरा एक बार फिर घबड़ाया , जैसे कोई इनसे बहुत बड़ी गलती हो गयी हो ,...
पर जब उन्होंने मेरा मुस्कराता चेहरा देखा , और,... मैंने इन्हे कस के अपनी बाहों में भींच कर अपनी ओर खींचा ,... और,... मैं अपने को रोकनहीं पायी
एक छोटी सी किस्स्सी मेरे होंठों ने इनके होंठों पर ले ली ,
इससे बड़ा ग्रीन सिंग्नल इन्हे क्या मिलता , फिर न ये रुके न मैं ,
कुछ ही देर में मेरी आह सिसकियों में बदल गयी , और ये लड़का भी एकदम खुल के , पूरी ताकत से ,...
रगड़ता , दरेरता , घिसटता , फाड़ता जब वो मोटा मूसल अंदर घुसता , तो
दर्द तो बहुत होता , लेकिन दर्द से ज्यादा मज़ा आ रहा था ,
और असली ख़ुशी मुझे हो रही थी , उस लालची , बेसबरे लड़के के चेहरे पर छायी ख़ुशी को देखकर ,.. उस ख़ुशी के लिए तो मैं अपनी जान देसकती थी।
और अब सिर्फ मूसलचंद ही नहीं , ... वो तो आलमोस्ट अंदर तक धंसे ,...
लेकिन इनके हाथ , इनकी उँगलियाँ , कभी मेरे जोबन , कभी मेरे गाल , मेरे होंठ
जैसे भौंरा उड़ कर कभी इस कली पर तो कभी उस कली पर ,... उनके होंठ कभी मेरे होंठों पर तो कभी गालों पर तो कभी कड़े कड़े गोरे गुलाबीउरोजों पर ,...
कभी मेरे उरोजों को चूम चूस लेते तो कभी कच कच्चा के काट लेते ,
अब मुझे इस बात पर कोई परेशानी नहीं थी की ननदें देख कर चिढ़ाएँगी ,...
मैं भी रुक रुक कर हलके हलके उंनका साथ दे रही थी , किस कर के , ... कभी हलके से से उन्हें अपनी ओर भींच के , और शर्माते झिझकते
कभी कभी मैं भी हलके से ही नीचे से धक्के लगा लेती , और बस वो आग में घी डालने को काफी था ,
फिर तो वो जोर जोर से धक्के , एकदम तूफ़ान मेल ,...
मेरी देह तूफ़ान में पत्ते की तरह काँप रही थी मैं थोड़ी देर ढीली , आँखे बंद ,... जो मजा आ रहा था बता नहीं सकती ,
एक बार दो बार ,... और तीसरी बार वो भी साथ साथ ,... देर तक ,...
उनकी रबड़ी मलाई , मैंने पूरी जाँघे फैला रखी थी , प्यासी धरती की तरह रोप रही थी
बूँद बूँद
और वो सफ़ेद रस की नदी , मेरी प्रेम गली से निकल जाँघों पर ,...
हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भींचे एक दसरे को वैसे ही पड़े रहे बहुत देर तक , मेरा साजन मेरे अंदर , धंसा , घुसा।
बोली मैं ही सबसे पहले ,मौन चादर की उठाकर ,
और बोली भी क्या
" तुम न , बहुत ही बुद्धू हो ,... एकदम बुद्धू हो। "
Nice updateएकदम बुद्धू
" तुम न , बहुत ही बुद्धू हो ,... एकदम बुद्धू हो। "
मेरे मन में उनसे पहली मुलाकात का सीन याद आ रहा था ,
मेरी कजिन की शादी, गाँव में शादी का माहौल हो , फूल टाइम मस्ती सारी किशोरियां , हाईस्कूल इंटरवाली , ननद भाभी की रसीली छेड़छाड़ , बरातियों के लड़कों का तो हक़ ही होता है छेड़खानी करने का , घराती के भी जवान लड़के ,
जवानी की दहलीज पर कदम रखती किशोरियों पर ,...
मैंने सबसे पहले उन्हें नोटिस किया था बारात के डांस के समय , जबरदस्त डांस , उनकी हाइट भी ५. १ १ से ज्यादा ही , खूब गोरे चिट्ठे , ... उनकी भाभियाँ उन्हें खूब छेड़ रही थीं
" लाला इत्ती लड़कियां हैं यहाँ एक पसंद कर ले , साथ ले चलेंगे उठा के ,... "
दरवाजे पर जब बारात पहुंचती है तो एक रसम होती है बीड़ा मारने की , दुल्हन छत के ऊपर से दूल्हे के ऊपर बीड़ा मारती है , लोग कहते हैं कीअगर निशाना सही लगा तो लड़के का जोरू का गुलाम बनना पक्का , दुल्हन के साथ उसकी बहनें ,सहेलियां दुल्हन की सहायता करने के लिए ,
लेकिन दुल्हन की बहनें भी बारात में जो लड़के , दूल्हे के भाई , दोस्त ,...
उन्हें अपना निशाना बनाती हैं ,
और साथ में खूब छेड़छाड़ , गाँव में तो द्वारचार बिना गारी के शुभ ही नहीं होता , तो दुल्हन की भौजाइयां , मौसी , चाची बुआ , और गाँववालियां , एक से एक गारियाँ ,
मैं भी उसी में ,
लेकिन एक लड़की ने ध्यान इनकी ओर दिखलाया ,...
और मैं देखती रह गयी ,...
जो हालत चाँद और तारों की होती है वही इनकी थी बाकी लड़कों के के बीच , मोस्ट हैंडसम स्मार्ट , लेकिन, जैसे इन्हे मूठ मार गयी हो , बसमन्त्र मुग्ध ,...
बाकी बरातियों के लड़के ,लड़कियों को देख कर इशारे कर रहे , कमेंट कर रहे थे , लेकिन ये बस जैसे मन्त्रमुग्ध मुझे देख रहे थे ,
" दीदी मार न इसे , ... एकदम सही चीज है "
मेरी एक छोटी कजिन ने उकसाया ,
लेकिन मैं भी उसी तरह , हाथ में बीड़ा लिए ,...
आली मैं हार गयी नयनों के खेल में ,...
पर मेरी एक दो सहेलियों ने उकसाया और मैंने अपने हाथ का बीड़ा सीधे ,...
सीधे उनके दिल पर जा कर लगा ,...
बाकी लड़के बीड़ा लगने पर उलटे उस लड़की के ऊपर उसे फेंकने की कोशिश करते ,
कुछ उलटे सीधे कमेंट पास करते , पर इन्होने सम्हाल कर अपनी जेब में रख बस देखते रहे ,
मेरी कजिन, दुल्हन नीचे उतर कर जा रही थी ,
साथ में बाकी लड़कियां ,...
और मैं वहीँ छत पर, उसे मुझे देखते हुए देख रही थी ,
वो तो मेरी एक छोटी कजिन मुंझे खींच कर ,... नीचे ले गयी।
और उसी रात , कम से कम दस बार उसी तरह , वो जयमाल हो , खाने का टाइम हो , बस मुझे देखते रहते टुकुर टुकुर ,... और मैं भी ,... मुश्किल से नयन पाश में ,..
सभी मेरी सहेलियों कजिन्स को मालूम पड़ गया था , ये लड़का ,...
लेकिन बात देखने से आगे नहीं बढ़ रही थी ,
इससे आधी मुलाकात में कित्ती लड़कियां बारात के लड़कों के साथ , ...एक दो बार देखा देखी ,... फिर नाम वाम , और मौका देख कर मिलने कीसेटिंग ,...
एक दो बार लड़की रस्मी तौर पर ना नुकुर करती लेकिन तीसरी बार शर्तिया पट जाती ,
फिर जगह की सेटिंग ,...
लेकिन इन्होने तो ,... बोला तक नहीं कुछ ,... खाने के समय ये अकेले दिखे ,
लड़कियां अपने अपने वाले के साथ ,... मैं खुल कर पूछ ही लिया ,
लेकिन ये एकदम घबड़ा गए ,... नहीं नहीं ,.. चार बार बोला होगा उन्होंने।
लेकिन मैं इतनी आसानी सेछोड़ने वाली नहीं थी , इन बातों में लड़कियां लड़कों से कोसों आगे रहती हैं और मैं उन लड़कियों से कोसों आगे थी। बस बरातियों में आयी एक लड़की को मैंने पटाया , उसने नाम पता , लम्बाई , चौड़ाई से लेकर पूरी हिस्ट्री जियोग्राफी ,
लेकिन ये भी बता दिया की वो बहुत शर्मीले हैं , लड़कियों को लेकर तो बहुत ज्यादा ,... पर ये बात तो मुझसे ज्यादा कौन जानता था , मेरे साथकी , बल्कि मुझसे छोटी तीन लड़कियों की 'सेटिंग ' पक्की हो गयी थी , बारात के लड़कों से
और यहां नैन लड़ जहिये से बात आगे नहीं बढ़ रही थी।
मैंने बताया था न उस समय मैं इंटर में थी , उमर बस वही जो इंटर की लड़कियों की होती है , पर कुछ बाते मेरी अलग थी , मेरे क्लास की जोसबसे लम्बी लड़की थी मैं उससे भी सवा दो इंच ज्यादा लम्बी थी ,
एकदम सुरु के पेड़ की तरह छरहरी , सिवाय दो जगहों पर , आगे और पीछे।
उभार भी क्लास की सबसे गदरायी लड़की से दो नंबर ज्यादा ही थे , ... पर चेहरा , कभी कभी लगता था , जैसे दूध के दांत न टूटे हों , ...रंग औरउभार , सिर्फ मेरे ही नहीं मेरी दोनों छोटी बहनों के भी एकदम मम्मी पर गए थे , गोरा चम्पई रंग और उभार ,.. जोरदार।
भाभियाँ मेरे जोबन को लेकर मुझे खूब छेड़ती भी थीं।
तो जब रात को शादी का समय था , मैं जान बूझ कर खूब टाइट सूट पहन कर कर बैठी थी , मुझे विश्वास था , वो आएगा।
और वो आया , सीधे दूल्हे के बगल में एकदम सामने ,...
और एक बार फिर टकटकी लगा कर मुझे देखता , मेरी चुन्नी जो थोड़ा बहुत उभारों पर थी , एक बदमाश भाभी ने एकदम मेरे गले से चिपका दीऔर बोलीं ,
यार इत्ते मस्त मस्त लौंडे हैं सामने चला अपनी दुनाली। पर उसको एकटक मेरी ओर देखते हुए दूसरी भौजाई ने नोटिस किया तो छेड़ते हुए बोलीं,
" यार कोमलिया , तेरी दुनाली तो कस के चल गयी , ये बेचारा तो गया। "
मुझे तो मालूम था जब से मैंने बीड़ा उसे मारा था तभी से उस बेचारे का काम तमाम हो गया था।
मैं ढोलक सम्हाले थी , ... और गाँव की शादी हो तो गारियाँ न हो , ... और वो भी खुल्लम खुल्ला वाली ,
कुछ देर के बाद मेरी एक भौजाई बोली , सुन कोमलिया , अरे वो जरा अपने वाले को तो सुना दे ,...
मैं क्यों मौक़ा चुकती , मैंने उसका नाम तो मालूम ही कर लिया था , बस चालू हो गयी
Behtreen updateमंडप की रात
तो जब रात को शादी का समय था , मैं जान बूझ कर खूब टाइट सूट पहन कर कर बैठी थी , मुझे विश्वास था , वो आएगा।
और वो आया , सीधे दूल्हे के बगल में एकदम सामने ,... और एक बार फिर टकटकी लगा कर मुझे देखता ,
मेरी चुन्नी जो थोड़ा बहुत उभारों पर थी , एक बदमाश भाभी ने एकदम मेरे गले से चिपका दी और बोलीं ,
"यार इत्ते मस्त मस्त लौंडे हैं सामने चला अपनी दुनाली।"
पर उसको एकटक मेरी ओर देखते हुए दूसरी भौजाई ने नोटिस किया तो छेड़ते हुए बोलीं ,
" यार कोमलिया , तेरी दुनाली तो कस के चल गयी , ये बेचारा तो गया। "
मुझे तो मालूम था जब से मैंने बीड़ा उसे मारा था तभी से उस बेचारे का काम तमाम हो गया था।
मैं ढोलक सम्हाले थी , ... और गाँव की शादी हो तो गारियाँ न हो , ... और वो भी खुल्लम खुल्ला वाली ,
कुछ देर के बाद मेरी एक भौजाई बोली , सुन कोमलिया , अरे वो जरा अपने वाले को तो सुना दे ,... मैं क्यों मौक़ा चुकती , मैंने उसका नाम तो मालूम ही कर लिया था , बस चालू हो गयी , ...
आनंद की बहना बिकै कोई ले लो , …
इकन्नी में ले लो , दुअन्नी में ले लो ,
अरे जिया जर जाए जाए चवन्नी में ले लो ,..
और पहली बार मैंने उन्हें मुस्कराते देखा, ...
फिर तो मैंने एक और...
बिन बदरा के बिजुरिया कहाँ चमकी,
आनंद के बहिनी के गाल चमके,
चोली में दोनों अनार झलके ,
जांघिया के बिचवा दरार झलके ,
लेकिन दो चार के बाद, कोई बारात की लड़की बोली , इन्ही से , ...
‘ क्या भइया आप वाली तो एकदम बिना मिर्च के ,’
( मेरी शादी के बाद मुझे पता चला नाम उसका , मिली इनकी चचेरी बहन )
और मेरी एक भौजाई आ गयीं मेरा साथ देने, ...
फिर तो असली मिर्च वाली ,...
' चल मेरे घोड़े चने के खेत में , चने के खेत में बोया था गन्ना ,
आंनद की बहना को ले गया बभना , दबावै दोनों जोबना , चने के खेत में ,...
चने के खेत में बोई थी राई , आनंद की बहना की हुयी चुदाई , चने के खेत में
चने के खेत में पड़ा था रोड़ा , आनंद की बहना को ले गया घोडा ,
घोंट रही लौंडा चने के खेत में ,... "
और वो भी नान स्टाप ,
ऊँचे चबूतरा पे बैठे आंनद राजा करें अपनी बहिनी का मोल ,
अरे बड़की का मांगे पांच रुपैय्या , अरे छुटकी हमार अनमोल।
रात भर ,
और उनकी निगाह बस मेरे ऊपर ,...
मेरे गाने , इनकी भीगी भीगी मुस्कान , नीम निगाहें ,
कभी खुल कर कभी छिप छिप कर चलता चार आँखों का खेल
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारे जाने है ,
जाने न जाने गुल ही न जाने , बाग़ तो सारा जाने है।
सुबह सुबह जब बाराती वापस चले गए , दुलहा कोहबर में ( तीन दिन की बारात थी , विदाई अगले दिन होनी थी ) और मुंह अँधेरे ,
मैं निकली किसी काम के लिए घर से बाहर तो ,...
वो ,...
अभी अँधेरा छाया ही था ,... मेरा दिल धक् से रहा गया ,
मुझे लगा की मैंने इन्हे इतनी खुल के कहीं बुरा तो नहीं लगा ,...
या क्या पता अब इन्होने हिम्मत जुटा ली हो और ,...
ऐसी बात नहीं की इसके पहले लड़के मेरे पीछे नहीं पड़े थे , ...
लेकिन मैंने तय कर लिया था मैं लिफ्ट उसी को दूंगी , जिस को देख के मेरे दिल में घंटी बजे ,..
और कल जब बीड़ा मारते समय इस लड़के को देखा था तब से ,... घंटी नहीं , घंटा बज रहा था ,...
और पहली बार लग रहा था ,... आज ये कुछ भी कहेगा , ..
कुछ भी मांगेगा तो मैं मना नहीं करुँगी ,...
कुछ भी मतलब कुछ भी ,...
मैंने बहुत लड़कों को लड़कियों के पीछे पड़ते देखा था , लेकिन इतना सीधा शर्मीला ,...
और माँगा भी क्या , बहुत हलके से बोला वो , इधर उधर देख कर , बहुत हलके से ,...
अगर आप बुरा न माने , ... आप का नाम ,...
गुस्सा भी आया और हंसी भी , लेकिन हंसी रोक कर मुस्कराकर उसे छेड़ते मैं बोली ,
" अबतक आप को तो पता ही चल गया होगा , ... मैंने तो आप का नाम पता कर लिया , और आपने मण्डप में सुना भी , ...
तो बस आप भी पता कर लीजिए मेरा नाम ,.. और नहीं मालूम कर पाइयेगा शाम तक ,
तो बस शाम को मैं बता दूंगी ,... पक्का प्रॉमिस ,... "
शाम को वो मिला , ...
Ummdha updateआप का नाम
ऐसी बात नहीं की इसके पहले लड़के मेरे पीछे नहीं पड़े थे , ... लेकिन मैंने तय कर लिया था मैं लिफ्ट उसी को दूंगी , जिस को देख के मेरे दिल मेंघंटी बजे ,.. और कल जब बीड़ा मारते समय इस लड़के को देखा था तब से ,... घंटी नहीं , घंटा बज रहा था ,... और पहली बार लग रहा था ,...
आज ये कुछ भी कहेगा , ..कुछ भी मांगेगा तो मैं मना नहीं करुँगी ,...
कुछ भी मतलब कुछ भी ,...
मैंने बहुत लड़कों को लड़कियों के पीछे पड़ते देखा था , लेकिन इतना सीधा शर्मीला ,...
और माँगा भी क्या , बहुत हलके से बोला वो , इधर उधर देख कर , बहुत हलके से ,...
अगर आप बुरा न माने , ... आप का नाम ,...
गुस्सा भी आया और हंसी भी , लेकिन हंसी रोक कर मुस्कराकर उसे छेड़ते मैं बोली ,
" अबतक आप को तो पता ही चल गया होगा , ... मैंने तो आप का नाम पता कर लिया , और आपने मण्डप में सुना भी , ... तो बस आप भी पताकर लीजिए मेरा नाम ,.. और नहीं मालूम कर पाइयेगा शाम तक , तो बस शाम को मैं बता दूंगी ,... पक्का प्रॉमिस ,... "
शाम को वो मिला , ...
लेकिन उसके पहले भी दिन में भात पर , और भी रस्मों में ,... एकाध बार इधर उधर , ...
बस फरक सिर्फ इतना है , अब हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्करा रहे थे , \\
वो मुझसे मिलने का मौका ढूंढता ,... उससे ज्यादा मैं ,...
और ये बात मेरी भाभियों तक को पता चल गयी सब, भाभियाँ , सहेलियां कजिन्स मुझे उकसा रही थी ,
' यार उसके बस का कुछ है नहीं , तू ही उसे अरहर के खेत में ले जाकर उसका रेप कर दे ,... वरना कल बारात विदा हो जायेगी और ,.. तेरी चिड़िया ,..."
मेरी चार पांच सहेलियों की चिड़िया तो कल रात ही उड़ने लगी थी।
मिला वो शाम के पहले ही , वहीँ कोने में ,... जहाँ हम सुबह मिले थे ,
और बड़ी मुश्किल से उसके बोल फूटे ,...
" जी ,... कोमल जी ,... आप का नाम कोमल जी है न ,... "
मैंने बस माथा नहीं पीटा ,... लेकिन कड़क आवाज में बोली ,
" नहीं , गलत पता चला , आपको ,... "
और मैं जैसे वापस जाने के लिए मुड़ रही थी , बेचारे ने मुझे रोकने की कोशिश की ,
" लेकिन , ... बताइये न। "
मेरे लिए मुस्कराहट रोकना मुश्किल था , मैं एकदम उससे आलमोस्ट सट के खड़ी हो गयी ,
" मेरा नाम कोमल जी , नहीं सिर्फ कोमल है , और ये आप ने आप आप क्या लगा रखी है ,
आगे से मुझे तुम बोलियेगा , आप से छोटी हूँ मैं। मैंने अभी इंटर का इक्जाम दिया है ,.. "
वो जैसे घबड़ा गए , बोले
जी मेरा नाम आनंद है ,...
" मुझे पता है , ... कल गाने में आपको पता चल गया होगा की मुझे पता है , लेकिन आपने बुरा तो नहीं माना ,... "
हंस के मैं बोली। अंदर कलेवा की की रस्म चल रहे थी इसलिए इस समय इधर आने का किसी का सवाल नहीं था।
" आप बहुत अच्छा गाती हैं। " वो बोले।
मुझे नहीं पता था की शादी में , इनकी भाभी , मेरी जेठानी भी आयी हैं।
और मेरा गाना और ढोलक बजाना ,... बस इन दोनों ने मेरी होने वालीजेठानी को मेरा कायल कर दिया था ,
... और ये तो विदायी के पहले से ही ,... जेठानी जी को अपनी पसंद बता दी इन्होने।
देख तो जेठानी जी ने भी मुझे लिया था। मैं अपने घर में पहुंची , उसके दो दिन के अंदर इनके यहाँ से सन्देश आ गया।
मम्मी ने मुझसे नहीं मेरी बहनों से पूछा ,
... और उन्होंने मुझसे , मैंने कुछ नखड़ा बनाया , लेकिन हाँ कर दी ,...
फोटो भी आयी थी लेकिन वोउनकी सबसे छोटी साली ने अपने कब्जे में ले ली थी ,
सिर्फ मुझे दिखा दिखा के चिढ़ाती ,...
शर्ते बल्कि हमारे यहां से रखी गयीं , शादी गाँव से ही होगी , गाँव की रस्म से तीन दिन वाली , कुंडली मिलनी चाहिए ,
शादी के बाद भी लड़की कीपढ़ाई ,
रोड़े अटकाने वाले दोनों ओर से थे ,
इनकी पढ़ाई नौकरी के बारे मुझे बहुत बाद में शादी के चार पांच दिन पहले इनकी उसी छोटी साली ने बताया ,
इनकी ओर से तो खैर , इत्ता पढ़ा लिखा लड़का , बढ़िया नौकरी भी और गाँव में शादी , दहेज़ भी नहीं मिलने वाला ,...
लड़की भी अभी इंटर में पढ़रही ,
मेरी ओर से भी कुछ लोग थे , जल्दी क्या है , एक बार कम से कम बी ए कर ले ,....
लेकिन जल्दी थी , इन्हे भी और मुझे भी ,... एकदम नहीं रहा जा रहा था
मेरी ओर से मेरी मम्मी , रीतू भाभी और इनकी ओर से मेरी जेठानी , महीने भर के अंदर सगाई हो गयी और ढाई महीने के अंदर शादी , दिसंबर में, लगन खुलने के बाद पहली तारीख को,…
और वो भी वही सोच रहे थे , उनसे मिली नजर से लेकर शादी तक ,... उनकी मुस्कराहट साफ़ साफ़कह रही थी ,
मैंने उनकी नाक पकड़ी , और कहा।
" तुम पहले भी बुद्धू थे , और अभी भी बुद्धू हो "
खिलखिलाते हुए मैं बोली।
" मुझे बस ये लड़की चाहिए ,... "
फिर वो अपनी बात दुहराते बोले ,...
मैंने अबकी उन्हें चूम लिया , एक हलकी सी किस्सी , और बोली ,...
" मिल तो गयी न , .... "
और साथ में कस के उन्हें बाँध लिया अपनी बाँहों में ,...
" उन्ह , चाहिए मतलब , हर पल , हरदम ,... " बोले वो
वो भी न एकदम बेसबरे ,
लेकिन आज मेरे मुंह से वह निकल गया जो मैंने किसी से नहीं बोला था ,
" तुम क्या समझते हो , .... सिर्फ तुम्हे ही चाहिए था ,... मुझे भी ,... यही लड़का चाहिए था , बस यही। "
और मैंने अपनी मुसीबत बुला ली , उनके हाथ , उनके होंठ ,... मेरे दोनों जोबन मसले जा रहे थे , रगड़े जा रहे थे ,
मेरे गाल , मेर होंठ कस कस के चूसे जा रहे, कचकचा के काटे जा रहे थे ,
Awesome update
यही लड़का चाहिए
आज मेरे मुंह से वह निकल गया जो मैंने किसी से नहीं बोला था ,
" तुम क्या समझते हो , .... सिर्फ तुम्हे ही चाहिए था ,... मुझे भी ,... यही लड़का चाहिए था , बस यही। "
और मैंने अपनी मुसीबत बुला ली , उनके हाथ , उनके होंठ ,... मेरे दोनों जोबन मसले जा रहे थे , रगड़े जा रहे थे , मेरे गाल , मेर होंठ कस कसके चूसे जा रहे, कचकचा के काटे जा रहे थे ,
बदमाशी क्या वही कर सकते थे , मैं कौन कम थी , इनकी सलहज की ननद , इनकी सास की बिटिया ,...
मैं इन्हे कस के भींचे तो थीं ही , मेरा एक हाथ , थोड़ी गलती , थोड़ी शरारत ,... उनके वहां ,
ज्यादा जागा , थोड़ा सोया ,.... मेरी उँगलियों ने जैसे गलती से छुआ , सहलाया और हलके से दबा दिया ,
मुझे इनकी सलहज का काम भी करना था , उन्होंने दस बार याद दिलाया था , लम्बाई और मोटाई ,... उनके नन्दोई का ,...
लेकिन मेरी उँगलियों का स्पर्श होते ही वो एकदम फूल कर कुप्पा , खूब मोटा , एकदम कड़ा , टनटनाया ,...
मेरी उँगलियों ने इनकी सलहज का काम कर दिया , अंदाज लगाने का
पर सलहज के नन्दोई अब नहीं मानने वाले थे , अबकी साइड से ही ,... मैंने खुद ही अपनी टांग उठा के इनके ऊपर , मेरी गुलाबो इनके मूसल सेसटी ,..
पिछली बार की सारी रबड़ी मलाई , मेरे अंदर ,... और उससे बढ़िया लुब्रिकेंट,..
उन्होंने जोर से पुश किया ,... मुझे अब इनकी सलहज की सारी सीख याद आ गयी थी , टांग जितनी फैला सको , फैला लो , ... ;उसे ' एकदमढीली छोड़ दो , और कस के उन्हें पकडे रहो , ...
जोर के धक्के , और पहली बार साइड से मूसलचंद मेरे अंदर , न इनके धक्कों की रफ़्तार कम हुयी न तेजी ,
थोड़ी देर में साजन , सजनी के अंदर , एकदम जड़ तक , और हम दोनों एक दूसरे के बाँहों में , ..
. मुझे इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था की रजाई कब की सरक कर फर्श पर हमारे कपड़ों के साथ , बिस्तर पर हम दोनों पूरी तरह , सिर्फएक दूसरे को पहने , दिन दहाड़े , ... भले खिड़कियां बंद थी ,
लेकिन रोशनदान से तो धूप छलक छलक कर पूरे कमरे में , हमारी देह पर फैली हुयी थी ,
मेरी शरम लाज सब मेरे कपड़ों की तरह मेरे साजन ने मुझसे दूर कर दी थी ,
मेरे अंदर घुसे धंसे , मुझे उन्होंने मेरी पीठ के बल किया , और अबकी बिना उनके कुछ कहे किये , मेरी लम्बी गोरी टाँगे , इनके कंधे पर चढ़ गयी, लगे महावर तो लगे इनके माथे पर , मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था ,...
मेरे नितम्बों के नीचे बिस्तर के सारे तकिये मैं दुहरी ,
और अब जो धक्के लगाए उन्होंने , मैं चीखी भी , सिसकी भी ,
न इनके होंठों ने मेरी चीखों को रोकने की कोशिश की , न मैंने ,... आखिर ननदों , जेठानियों को मेरा सब राज तो मालूम ही हो गया था ,
और इनके दोनों हाथ मेरी कलाइयों पर , दोनों कलाई पकड़ के कस कस के,
पायल की रुनझुन , बिछुओं की झंकार , चूड़ियों की चुरुर मुरुर ,
और साथ में कभी मेरी सिसकियाँ तो कभी इनके चुंबन ,
बहोत ताकत थी इनके अंदर , रौंद के रख दिया ,... लेकिन अब मेरी देह यही चाहती थी , शादी के पहले जितना मैं डरती थी , अब वही दर्द मजादे रहा था।
जब बादल बरसे , उसके पहले दो बार मैं ,,,,
बस बेहोश नहीं हुयी थी, एकदम शिथिल , सिर्फ इनके मोटे दुष्ट मूसलचंद का असर नहीं था , इनकी उँगलियाँ , इनके होंठ कम मुझे नहीं पागलकरते थे
और तीसरी बार इनके साथ ,... ये झड़ रहे थे , मैं झड़ रही थी , कस के इन्हे अपनी बाहों में भींचे दबोचे ,
ये झड चुके थे तो भी मैंने इन्हे नहीं छोड़ा , दबोचे रही कस के अपनी लता सी बाँहों में ,...
पन्दरह बीस मिनट वैसे ही , और ऐसी हालत में न इन्हे टाइम का अंदाज था न मुझे ,... पर श्रीमती टिकटिक , इनसे कौन बच पाया है , मेरीनिगाह पड़ी तो पांच बज चुके थे , सवा छह तक मुझे तैयार हो कर निकलना था , पहले मैंने इन्हे खदेड़ा , तैयार होने ,...
सोफे पर पड़ी साडी को जस तस लपेट लिया , न ब्लाउज न साया ,...
उन्हें बस उठा के इनके कपड़ों के साथ ,... अंदर से इनकी आवाज आयी मेरे कपडे
और तब मैं समझी , अब इस लड़के का पूरा ख्याल मुझे ही रखना पडेगा , ...
" पहले बाहर तो आइये ,.. " मैं हँसते हुए बोली ,
मैं समझ रही थी , उस समय की बात और थी , अब ये एकदम शर्मा रहे थे ,...
एक बड़ी सी टॉवेल लपेटे , किसी तरह ये बाहर निकले
...सच में मन तो कर रहा था की झट से उनकी टॉवेल खींच लूँ ,.... पर मेरी निगाहें इनके माथे पर पड़ी , मेरे पैरों की महावर के ताजे निशान , हमलोगों की शाम की शरारत के सबूत ,...
अभी इनकी भौजाइयां ,...
एक गीले टॉवेल से , फिर थोड़ा सा मेकअप रिमूवर लगा लगा के ,... मैंने अच्छी तरह साफ़ किया , गाल पर दो जगह मेरी लिपस्टिक के निशानथे , ...
वो मैंने बस हलके कर दिए , रगड़ने पर भी साफ़ नहीं हो रहे थे ,
और कुछ तो रहने चाहिए मेरी जेठानियों के लिए ,... अपने देवर की रगड़ाई के लिए ,...
मैंने वार्डरोब खोल के इनके लिए एक डिजाइनर कुरता पाजामा , बनयाइंन चड्ढी निकाल के दी , ... मैंने बोला भी यहीं बदल लीजिये न , टॉवेलपहने तो हैं पर , झट से वो बाथरूम में ,...
मैं समझ गयी थी इस लड़के ने अब अपनी पूरी जिंदगी मुझे सौंप दी है , छोटी से लेकर बड़ी तक हर बात का इसके लिए फैसला मुंझे ही करनाहोगा।
फिर कमरे की हालत ठीक करने में मैं जुट गयी , ... घर का तो पता नहीं , पर ये लड़का और ये कमरा अब मेरी ही जिम्मेदारी थी।
बिस्तर पर मेरी चूड़ियां , चादर पर हमारी प्रेम लीला का सबूत , बड़ा सा सफ़ेद धब्बा ,.. चादर मैंने बदली , चूड़ियां समेटी , वैसलीन की शीशी बंदकी।
और तब तक वो निकले ,... साढ़े पांच बज गए थे। उनके तैयार होकर निकलते ही मैंने उन्हें कमरे से बाहर खदेड़ा ,... उनके रहते हरदम डर रहता, क्या पता उनका फिर मन करने लगे , और अब मैं उनकी किसी बात को मना नहीं कर सकती थी।
जैसे मैं फ्रेश होकर निकली ,
गुड्डो आ गयी ,... थोड़ा उसने मुझे तैयार होने में मदद की , मायने एक टाइट कोर्सेट पहन रखी थी , खूब डीप , बहार छलक रहे थे , पर उसेपीछे से कस के बांधता कौन , ...
घर पे तो मेरी बहनें थी , मम्मी थी ,... लेकिन यहाँ गुड्डो थी ,
और मैं भी उसे खूब उकसा रही थी , उस का भी मैंने खूब हॉट हॉट मेकअप किया , ... उकसाया , दुपट्टा एकदम गले तक ,...
साढ़े छह बजे तक मेरी दो ननदें भी , बाहर चाट पार्टी शुरू हो गयी थी ,...
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