Tiger 786
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Dehat ka yeh hasi mazak bohot badiya warnan karte ho aap komal ji.बेसबरा
तब तक मेरी जेठानी भी आ गयीं , फिर तो मैं शेर हो गयी ,...
ननदों को उन्होंने जबरदस्त ऑफर दिया ,
" मेरे भाइयों के साथ मेरे देवर भी ,... अरे पूछने में क्या रखा है , करवा के देख लो न खुद ही , न तुम्हारे पास ओखल की कमी , न बाहर मूसल की ,... एक से एक , मेरे भाई तो हैं ही , मेरे देवर भी एक के साथ एक फ्री ,... और बस दो तीन दिन की बात ,... चौथी में तो नयकी भाभी के भी भैया लोग आएंगे , बरात में तो तुम सबों ने भेंट मुलाकात कर ही ली होगी अच्छी तरहनाप जोख करवा भी लिया हो , कर भी लिया होगा ,... लेकिन उस के लिए तुम लोगों की बुकिंग तेरी नयकी भौजी ही करेंगी। "
उन्होंने सब को बाहर खदेड़ा , बाहर नाश्ता लग गया है , चलो जल्दी नाश्ता कर के तैयार हो जाओ।
लेकिन गीता और मीता को मेरे काम पर लगा दिया ,
" सुनो तुम दोनों , इतनी मीठी मीठी भाभी मिली है तुम दोनों को खाली तंग करने के लिए ,
जाके हम दोनों के लिए नाश्ता ले आओ , ... जलेबी , मूंग का हलवा ,.. मैं भी अपनी देवरानी के साथ ,... "
और बड़ी जेठानी सारी ननदों को हाँक कर बाहर ले गयीं , और अब कमरे में सिर्फ मैं और जेठानी बैठीं थी।
जब मेरी ननदें मुझे छेड़ रही थीं , मेरे कान तो उनकी रसीली बातें सुनने में लगे थे ,
लेकिन कनखियों से , ... मुझे लग रहा था ,
उढ़काये हुए दरवाजे के बाहर , ... एक दो बार ,... शायद 'ये ' ....
पर अब जब सिर्फ मैं और जेठानी जी थी , मैंने देखा की , यही थे दरवाजे के बाहर , ...हलके से झाँक रहे थे ,
चोरी चोरी ,...
पर उसी समय गीता और मीता हम लोगों के लिए ब्रेकफास्ट ले कर आ रही थीं , तो वो हट गए।
पर उन दोनों के बाहर निकलने के बाद ,...
फिर एक बार उनकी झलक ,...
मैं मुस्कराये बिना न रह सकी।
बेसबरा ,
गनीमत थी जेठानी जी ने नहीं देखा , हम दोनों जलेबी , मूंग का हलवा और पकौड़ी उड़ाने में बिज़ी थे , ...
तबतक उनसे नहीं रहा गया ,
कुछ देर तो बाहर से ताक झाँक फिर धीरे से आस पास उन्होंने देखा कोई नहीं था , वो अंदर आ गए , ...
और जेठानी के बगल में बैठ गए , बोले
" भाभी अकेले अकेले ,.... "
" एकदम नहीं , मेरी देवरानी है न साथ ,... तुम नजर मत लगाओ ,... चाहिए तो बोलो ,... "
उनकी भाभी ने भी उसी तरह जवाब दिया।
" एकदम भाभी , नेकी और पूछ पूछ ,... "
वो लिबराते हुए मुझे देख रहे थे। लालची।
समझ मैं भी रही थी , उनकी भाभी भी ,...
उनके देवर को क्या चाहिए था , क्या देख के वो ललचा रहे थे।
भाभी उनकी , उन्होंने एक जलेबी उठायी और मेरे मुँह में ,... मैंने आधी काट के गप्प कर ली ,
मेरी जूठी अधखायी जलेबी अपने देवर के मुंह में , झट्ट से उन्होंने गप्प कर ली। पूरी की पूरी।
इसके बाद मूंग का हलवा भी , चम्मच मेरी जेठानी ने पहले मेरे मुंह में फिर उन्हें मेरा जूठा ,...
उन्होंने हलके से अपने देवर के कान में बोला , लेकिन मैं साफ़ साफ़ सुन रही थी ,
' रात भर दावत उड़ाई , ... और सुबह सुबह फिर ,... '
वो बेचारे जोर से ब्लश करने लगे ,
इतना जो मुझसे मेरी ननदें मेरी रात का हाल चाल पूछ रही थीं , मैं नहीं शरमा रही थी।
लेकिन उनकी किस्मत गड़बड़ , जबतक हम लोगों ने नाश्ता खतम किया ,
मेरी जेठानियाँ , इनकी भावजें , मेरी ननदें ,...
और साथ में बताया था न वो नाउन की बहू , जो रिश्ते में इनकी भाभी लगती थी ,
और मेरी ननदों की रगड़ाई करने , खुल के गाली देने में ,...
और उसी ने नोटिस किया , ...
" अरे देवर जी ई तोहरे माथे में महावर कैसे इतना चाकर लगी है , ...
कतो रात भर दुल्हिन के पैर तो नहीं पड़ रहे थे , ... "
लेकिन अभी ननदें भी थी , मेरी खिचाई करने के लिए , एक बोली ,
" अरे भइया , भाभी के पैरों के बीच की कोई चीज मांग रहे होंगे , इसी लिए पैर छुलवाया होगा ,...
क्यों भाभी दिया की नहीं ,... "
" भाभी से काहें पूछ रही हो , अपने भैया से पूछो न , महावर तो उनके माथे पर लगा है ,... "
एक जेठानी ने उसे रगड़ा।
बेचारे इतने शरमा रहे थे , और उनकी भाभियाँ अब निकलने भी नहीं दे रही थीं।
और मुझे भी समझ में आगया की क्यों कल रात को सुहाग रात में जाते समय,
क्यों मेरी ननदों ने नाउँ को उकसा कर , खूब चौड़ी और गीली महावर लगाई गयी थी ,
मेरे पैर जब इनके कंधे पर हों तो महावर तो इनके माथे पर लगनी ही थी।
लेकिन ननदें इतनी आसानी से हार मानने वाली नहीं थी , मिली मुझे चिढ़ाते बोली ,
" भाभी बता दीजिये न , ... क्या है आपकी टांगों के बीच जसिके लिए आपने भइया से पैर भी छुलवा लिया। "
लेकिन उसका खामियाजा उठाना पड़ा मेरी सबसे छोटी ननद , ...
वो इनकी अकेली कजिन थी जो इनके शहर में ही रहती थी , इनके घर के पास के मोहल्ले में
बस एक जेठानी ने उसका गाल मींड़ते हुए कहा ,
" अरे वही चीज तो तुम्हारी टांगों के बीच भी है , ज़रा देखा दो न अपने भैया को ,... "
और मजाक अब शब्दों से ऐक्शन में आ गया , एक जेठानी ने उस बछेड़ी के दोनों हाथ पीछे से कस के पकडे और दूसरे ने उसकी फ्राक उठा दी।
मेरी बड़ी जेठानी जो मज़ाक़ में एकदम मुंह फ़ट इनसे , अपने देवर से बोलीं , ...
" अरे लाला बचपन में तो बहुत डाक्टर नर्स खेले होंगे , ननदों के साथ , ... अब काहें लजा रहे हो ,... देख लो न ,... "
फ्राक उठाने पर उस किशोरी की गोरी गोरी चिकनी जाँघे , और एक छोटी सी सफ़ेद चड्ढी ,...
उसकी चुनमुनिया को छिपाए ,...
वो बिचारी कसमसा रही थी , छटपटा रही थी , लेकिन मेरी जेठानी की पकड़ , ...
पर मेरी ननद से ज्यादा वो शर्मा रहे थे ,
" अरे इहे देखने बार बार चक्कर काट रहे थे न ,... "
एक जेठानी बोलीं और थोड़ा सा चड्ढी सरका दी ,
चुनमुनिया तो नहीं दिखी लेकिन नयी नयी आती रेशम क्यारी ,...
और फिर वो नाउन की बहू , ( जिसने मेरी सास की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा था की
यहाँ ननदों की झांटे बाद में आती हैं , पर वो मोटा औजार पहले ढूंढने लगती हैं ) एकदम चालू हो गयी , कान में ऊँगली डालनी पड़े ,
ऐसी बातें ,...
" अरे झांट तो बड़ी प्यारी आ रही है , अभिन कुछ गया की नहीं अंदर , की खाली मोमबत्ती और बैगन से काम चलाती हो ,... इतने लड़के हैं शादी का घर घोंट लो गप्पागप्प।
मौके का फायदा उठा के ये बेचारे बाहर सरक लिए।
Awesome