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Thanks in advance aap aisi readers paa ke to koyi bhi writer dhany ho jaayegaOh ho. Ye bhi me shuru karungi. Mohe rang de ke akhri sireh tak pahoch jau.
Na ham holi khatam hone denge na khushiya
Thanks in advance aap aisi readers paa ke to koyi bhi writer dhany ho jaayegaOh ho. Ye bhi me shuru karungi. Mohe rang de ke akhri sireh tak pahoch jau.
Na ham holi khatam hone denge na khushiya
Kya baat kahi aapne vaha agar aap aise writer ja comment dete hain to kahani ka swad doona ho jaata haiAb aaega matlab pe. Are dewarji tumhari bhabhiya ka dill bhi unke joban ki tarah hi bada he.
Ab kya batae dewarji. Aap ke pichhvade par bhoujiyo ka hak pahele he. Ye to bhoujiyo ka dharam he ki chhinar nandiya ho ya fir dewar. Pichhvada bhabhi hi kholegi.कम उम्र वाले देवर
खूंटा कब से खड़ा था ,
मैंने बस तर्जनी से बेस से आगे की ओर सहलाना शुरू किया , दो इंच , चार इंच , पांच इंच , और सुपाड़े के बेस पर बस छू भर के हाथ हटा दिया अब सीधे मुट्ठी में ,
नहीं मुठियाना नहीं शुरू किया , बस बेस को पकड़ लिया ,
ये स्साले कम उम्र वाले देवर न , एक तो नौसिखिये ( खैर इस मामले में मेरा देवर पक्का था ) और दूसरा गौने की दुलहन से भी ज्यादा लजाते शरमाते हैं , पर भाभियाँ किस लिए होती हैं यही उनकी लाज शरम लूटने के लिए , और यहाँ तो दो थीं और दोनों का आज इरादा पक्का था , देवर की इज्जत लूटने का ,
दस मिनट कब के हो चुके थे , ...
लेकिन तभी कम्मो ने एक बड़ी बाल्टी भर रंग हम दोनों की ओर फेंक दिया ,
कई असर हुए ,
एक तो मेरे देवर ने मुझे आगे कर दिया और मैं लाल भभुका
दूसरे रंग के जोर से एक बार फिर मेरी साड़ी पूरी तरह खुल गयी जो मैंने उभारों पर लपेटा था और मैं एक बार फिर टॉपलेस ,
तीसरे अब कम्मो भौजी भी होली में शामिल हो गयीं तो भौजाई का पलड़ा भारी ,
लेकिन उसके पहले कम्मो ने गाढ़े गाढ़े नीले रंग की के पूरी बाल्टी , और इस बार मुझे अपना रोल मालूम था ,
मैंने देवर की पैंट को पकड़ कर बाहर की ओर खींचा , दोनों अपने पैर फंसा कर , उसके पैर फैला दिए , अब वो हिल भी नहीं सकता था
पूरी बाल्टी की धार उसके खूंटे पर पैंट के अंदर ,
अब पीछे से कम्मो भौजी , आगे से कोमल भाभी , बीच में देवर ,
घर के बाहर से ताला बंद और अगले चार पांच घंटे तक किसी का आना जाना नहीं ,
कम्मो मेरी तरह ' धीमी आंच वाली ' नहीं थी , वो एकदम फ्रण्टल असाल्ट वाली , तो पहले तो पैंट की बेल्ट आँगन में नजर आयी , फिर बटन और बाद में ज़िपर
कम्मो भौजी अपने दोनों हाथों में गाढ़ा काही रंग पोत कर पहले से तैयार थीं , बस सीधे मेरे देवर के गोरे गोरे चिकने चर्म दंड पर , और कस के दबोच के वो मुठिया रही थीं पांच कोट , दस कोट ,
और मैं अपने दोनों हाथों में गाढ़ा लाल रंग , रंग नहीं पेट , वो भी प्रिंट वाला , ... जब मेरा नंबर आया तो अनुज जोर से चीखा ,
कम्मो भौजी ने अब पिछवाड़े का मोर्चा सम्हाल लिया था और उनकी एक ऊँगली जड़ तक अंदर , साथ में उसकी चीख का जवाब भी दे दिया उन्होंने
" स्साले , भोंसड़ी के , बहनचोद , तेरी बहन की बुर चोदू , बनारस जा रहे हो ,वहां भौजाइयां , गाँड़ पहले मारेंगी , रंग बाद में खेलेंगी , ... इतना कस के तो तेरी बहन गुड्डी भी नहीं चीखेगी , जब मेरे भाई , बनारस वाले सब उसकी फाड़ेंगे ,... "
कम्मो भौजी ने दस कोट काही रंग का लगाया था , तो मैं क्यों पीछे रहती बारह कोट लाल रंग की मैंने उसके मूसल पर लगा दी , ज़म क़र मुठियाया।
उसके बाद कम्मो भौजी ने गाढ़ी कड़ाही के पेंदे की कालिख ,
Dewarji aaj to tumhara balatkar karenge. Chup chap karwa lo. Varna fad ke karengeहोली
मैं -देवर दोनों टॉपलेस
कम्मो भौजी ने दस कोट काही रंग का लगाया था , तो मैं क्यों पीछे रहती बारह कोट लाल रंग की मैंने उसके मूसल पर लगा दी , ज़म क़र मुठियाया।
उसके बाद कम्मो भौजी ने गाढ़ी कड़ाही के पेंदे की कालिख ,
मैंने सफ़ेद बार्निश ,
और हाँ ये कहाँ लिखा है की देवरानी जेठानी की होली नहीं होती , मैं और मेरे देवर दोनों टॉपलेस थे , तो कम्मो कैसे बचती तो मैंने ही उसकी चोली खोल के , सीधे आँगन में ,
पर कम्मो भी इतनी सीधी नहीं , उसने मेरी पेटीकोट में फंसी साड़ी को खींच के फेंक दिया , तो मैंने भी
बस अब दोनों भौजाइयां पेटीकोट में रंग से गीले , देह से चिपके , और
देवर सिर्फ पैंट में और उसकी भी सारी बटनें , जिपर खुला , ,... मैंने कुछ बटन तोड़ भी दी ,
आगे से मैं , मेरे रंग में भीजे उरोज देवर की छाती से रगड़ते घिसटते और पीछे से कम्मो भौजी कस के अपने जोबन अनुज के पीठ पर मलती
खूंटा भी हम दोनों ने बाँट लिया था , गन्ना उनके हाथ , रसगुल्ला मेरे हाथ ,
बस सिर्फ ये फैसला करना था की देवर की कौन पहले लेगा ,
मैं कह रही थी की कम्मो भौजी बड़ी हैं पहले वो , और उसके बाद मैं मना नहीं करूंगी ,
लेकिन कम्मो का कहना था मैं नयकी भौजी हूँ , मेरा पहला फागुन है , तो देवर के साथ सफ़ेद रंग वाली होली पहले मुझे खेलनी चाहिए , उसके बाद अनुज ना नुकर भी करेगा तो तो वो बिना उसे चोदे नहीं छोड़ेंगी ,
बीच में अनुज कुछ बोलने की कोशिश करता तो हम दोनों उसे गाली दे दे कर चुप करा देते , तेरी भी ली जायेगी , तेरी बहन की भी ली जायेगी , ...
बीच में कई बार फोन की घंटी बजी पर मैं अनसुनी कर रही थी , मेरा ध्यान चिकने देवर पर था ,
फिर लगातार , कम्मो ही बोली ,
अरे ये जाकर देख ले न , कौन स्साला अपनी माँ बहन चुदाने के लिए बौराया है , ... और ये कहीं भागा नहीं जा रहा है आज इसी आंगन में इसकी ली जायेगी ,
मैंने बरामदे में जाकर फोन उठाया , ...
Kammo ke hathe chadh jae vo chhote. Pura nichod gai hogi muniyame. Maza aaya.देवर -भौजी
सफ़ेद रंग वाली होली
लेकिन शाम को कम्मो ने पूरी कहानी सुनाई , बिना किसी सेंसर के ,
सफ़ेद रंग वाली होली हुयी और वो भी जबरदस्त पूरे तीन बार ,
कम्मो ने मेरे देवर को ट्रेंड भी किया , गुड्डो और गुड्डो की मम्मी के साथ ' क्या और कैसे ' करना है ये भी
और इम्तहान भी लिया देवर राजा का , पूरे दस में दस ,
तो कम्मो की कहानी , मेरी जुबानी , सफ़ेद रंग की होली , देवर के संग।
कम्मो ने ले ली , ...
कम्मो ने पांच मिनट भी इन्तजार नहीं किया , वहीँ आंगन में देवर को पटक दिया , पीठ के बल , उसी आँगन में गिरी , भीगी मेरी चोली , अपने ब्लाउज से देवर के हाथ बाँध दिए और चढ़ गयी उसके ऊपर ,
कुछ देर तक तो उस तने खूंटे के ऊपर अपने भीगे होंठों को रगड़ाती रही , नीचे से चिकना बेताब था , पर देवर को तड़पाने ललचाने का अलग मजा है
लेकिन मन तो कम्मो का भी कर रहा था , एक जोर का धक्का और ,... गपाक
एक झटके में मोटा सुपाड़ा अंदर , लेकिन फिर कम्मो रुक गयी सारी ८४ कलाएं चुदाई की उसे आती थीं , मायके से ही सीख पढ़ कर , गन्ने के खेत की चैम्पियन ,
अरहर के खेत की मास्टरनी ,
बस जोर जोर से वो अपनी बुर में देवर का मोटा सुपाड़ा भींच रही थी , दबा रही थी , निचोड़ रही थी ,
देवर बेचारा बेताब , नीचे से उचकने की कोशिश कर रहा था चूतड़ उचका रहा था अंत में उसंने अर्जी लगायी ,
" भौजी करो न "
जवाब में कम्मो जोर से मुस्करायी और कस के उसके सुपाड़े को भींचते उससे पूछा।
" पहले ये बताओ , तोहार बहिनिया , ई गुड्डो , चोदवाये लायक हो गयी है न ,... "
कौन सगा भाई बोलता , .. पर कम्मो ने अपने को हल्का सा ऊपर खींचा जैसे बाहर निकाल रही हो , फिर एक बार कचकचा के गाल काट के पूछा.
" उसीकी क्लास वाली , उसकी सहेली , उसकी समौरिया , को कितने बार चोदे हो , तोहरी भौजी को सब मालूम है , बतावा साफ़ साफ़ तोहार गुड्डी चोदवाये लायक मस्त माल हो गयी हैं न , झूठ बोलोगे तो तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते , देवर भौजी में कउनो छिपाव नहीं होता। "
" हाँ " बहुत हलके से नीचे दबा चिकना बोला ,
" साफ साफ़ बोल स्साले वरना अभी गाँड़ मार लुंगी , अपनी मुट्ठी से " एक बार फिर सुपाड़े पर बुर का दबाव बढ़ाते वो बोली
" हाँ " अबकी कुछ जोर से उसकी आवाज खुली। "
" कौन क्या , साफ साफ़ बोल जैसे मैंने पूछा वरना , " कम्मो गरजी।
" हाँ हो गयी है , गुड्डी मेरी बहन चुदाने लायक "
ये हुयी न मेरे देवर लायक बात , ये कह के पूरी ताकत से कम्मो ने एक धक्का मारा और आधा बांस अंदर।
हाथ तो बंधे ही थे , दोनों हाथ उसके कस के पकड़ के अपने निप्स कम्मो ने देवर के होंठों पर रगड़े , और जैसे ही वो चूसने के लिए बढ़ा , सर उठाकर होंठ खोले , कम्मो ने अपने जोबन दूर कर लिए और चिढ़ाते आँख नचाते दूर कर लिए और पूछी
" हे तेरी गुड्डी के छोटे छोटे जोबन हो गए हैं न दबाने लायक "
उसके हाँ कहने पर ही भौजी के जोबन का स्वाद उसे मिला और साथ में एक जोरदार धक्का और ,
लकिन एक दो इंच अभी और बचा था , और कम्मो ने अनुज से कहलवाया , कबूल करवाया की गुड्डी को ,
कम्मो के भाई , उसके गाँव वाले , चमरौटी के चमार , भरौटी के भर , पठानटोली के पठान , सब चढ़ेंगे उसके ऊपर , सारे बनारसवाले , और तीन तिरबाचा नहीं दस बार कहलवाया तब चुदाई शुरू हुयी ,
और फिर तो तूफ़ान आ गया , क्या कोई मर्द किसी जवान होती कच्ची कली को चोदेगा , जिस तरह कम्मो मेरे देवर को चोद रही रही , बिना रुके धक्के दपर धक्के . मर्द को ऊपर चढ़ कर चोदने में कम्मो भौजी यूपी चैम्पियन थीं , धक्के पर धक्के ,
और जब धक्के बीच में रोक देतीं वो तो उनके होंठ , हाथ , नाख़ून और सबसे बढ़कर ३८ डी डी की साइज की जबरदंग चूँचियाँ , एकदम खड़ी , कड़ी पथरीली ,
जैसे कोई लौंडा किसी लौंडिया के कस कस के गाल काटे बस उसी तरह , अपने नाख़ून से चिकने देवर के छोटे छोटे निपल ऐसे पिंच कर रही थीं जैसे उसके न हों उसकी छोटी बहन गुड्डी के हों , और उसी गुड्डी का नाम ले ले कर एक से एक गालियां न खुद ले रही थीं , बल्कि अपने देवर से दिलवा रही थीं ,
और ज़रा भी हिचकिचाता वो तो कस के दांतो से उसके निप्स काट लेतीं और तब तक नहीं छोड़तीं जब तक , ... वो खुद अपनी बहन को गाली नहीं देता , बोलता की उसकी छुटकी बहिनिया को दस दस बनारस के लौंडे चोदेगे।
और उसके बाद बिना धक्के के , भौजी अपनी चूत में देवर का लौंडा ले कर ऐसे कस कस के भींचती की , कोई कमजोर मर्द होता तो वैसे ही झड़ जाता , पर था वो मेरा देवर , सच्चा मर्द ,
और उसके बाद बिना एक बूँद भी बाहर निकाले , जैसे कोई सावन का झूला झुलाये , जड़ तक लंड अदंर घुसेड़े , आगे पीछे आगे पीछे धक्के मार मार के , मार के , हिलती डुलती , लेकिन देवर को नहीं हिलने देतीं
देवर ने बहुत चिरौरी मिनती की मान लिया उसकी बहिन , भौजी जिससे भी कहेंगी , चाहेंगी , वो वो उसकी बहिन के ऊपर चढ़ेगा ,...
और देवर के हाथ खुल गए , लेकिन अभी भी वो नीचे दबा था ,
Kammo ke hathe chadh jae vo chhote. Pura nichod gai hogi muniyame. Maza aaya.देवर -भौजी
सफ़ेद रंग वाली होली
लेकिन शाम को कम्मो ने पूरी कहानी सुनाई , बिना किसी सेंसर के ,
सफ़ेद रंग वाली होली हुयी और वो भी जबरदस्त पूरे तीन बार ,
कम्मो ने मेरे देवर को ट्रेंड भी किया , गुड्डो और गुड्डो की मम्मी के साथ ' क्या और कैसे ' करना है ये भी
और इम्तहान भी लिया देवर राजा का , पूरे दस में दस ,
तो कम्मो की कहानी , मेरी जुबानी , सफ़ेद रंग की होली , देवर के संग।
कम्मो ने ले ली , ...
कम्मो ने पांच मिनट भी इन्तजार नहीं किया , वहीँ आंगन में देवर को पटक दिया , पीठ के बल , उसी आँगन में गिरी , भीगी मेरी चोली , अपने ब्लाउज से देवर के हाथ बाँध दिए और चढ़ गयी उसके ऊपर ,
कुछ देर तक तो उस तने खूंटे के ऊपर अपने भीगे होंठों को रगड़ाती रही , नीचे से चिकना बेताब था , पर देवर को तड़पाने ललचाने का अलग मजा है
लेकिन मन तो कम्मो का भी कर रहा था , एक जोर का धक्का और ,... गपाक
एक झटके में मोटा सुपाड़ा अंदर , लेकिन फिर कम्मो रुक गयी सारी ८४ कलाएं चुदाई की उसे आती थीं , मायके से ही सीख पढ़ कर , गन्ने के खेत की चैम्पियन ,
अरहर के खेत की मास्टरनी ,
बस जोर जोर से वो अपनी बुर में देवर का मोटा सुपाड़ा भींच रही थी , दबा रही थी , निचोड़ रही थी ,
देवर बेचारा बेताब , नीचे से उचकने की कोशिश कर रहा था चूतड़ उचका रहा था अंत में उसंने अर्जी लगायी ,
" भौजी करो न "
जवाब में कम्मो जोर से मुस्करायी और कस के उसके सुपाड़े को भींचते उससे पूछा।
" पहले ये बताओ , तोहार बहिनिया , ई गुड्डो , चोदवाये लायक हो गयी है न ,... "
कौन सगा भाई बोलता , .. पर कम्मो ने अपने को हल्का सा ऊपर खींचा जैसे बाहर निकाल रही हो , फिर एक बार कचकचा के गाल काट के पूछा.
" उसीकी क्लास वाली , उसकी सहेली , उसकी समौरिया , को कितने बार चोदे हो , तोहरी भौजी को सब मालूम है , बतावा साफ़ साफ़ तोहार गुड्डी चोदवाये लायक मस्त माल हो गयी हैं न , झूठ बोलोगे तो तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते , देवर भौजी में कउनो छिपाव नहीं होता। "
" हाँ " बहुत हलके से नीचे दबा चिकना बोला ,
" साफ साफ़ बोल स्साले वरना अभी गाँड़ मार लुंगी , अपनी मुट्ठी से " एक बार फिर सुपाड़े पर बुर का दबाव बढ़ाते वो बोली
" हाँ " अबकी कुछ जोर से उसकी आवाज खुली। "
" कौन क्या , साफ साफ़ बोल जैसे मैंने पूछा वरना , " कम्मो गरजी।
" हाँ हो गयी है , गुड्डी मेरी बहन चुदाने लायक "
ये हुयी न मेरे देवर लायक बात , ये कह के पूरी ताकत से कम्मो ने एक धक्का मारा और आधा बांस अंदर।
हाथ तो बंधे ही थे , दोनों हाथ उसके कस के पकड़ के अपने निप्स कम्मो ने देवर के होंठों पर रगड़े , और जैसे ही वो चूसने के लिए बढ़ा , सर उठाकर होंठ खोले , कम्मो ने अपने जोबन दूर कर लिए और चिढ़ाते आँख नचाते दूर कर लिए और पूछी
" हे तेरी गुड्डी के छोटे छोटे जोबन हो गए हैं न दबाने लायक "
उसके हाँ कहने पर ही भौजी के जोबन का स्वाद उसे मिला और साथ में एक जोरदार धक्का और ,
लकिन एक दो इंच अभी और बचा था , और कम्मो ने अनुज से कहलवाया , कबूल करवाया की गुड्डी को ,
कम्मो के भाई , उसके गाँव वाले , चमरौटी के चमार , भरौटी के भर , पठानटोली के पठान , सब चढ़ेंगे उसके ऊपर , सारे बनारसवाले , और तीन तिरबाचा नहीं दस बार कहलवाया तब चुदाई शुरू हुयी ,
और फिर तो तूफ़ान आ गया , क्या कोई मर्द किसी जवान होती कच्ची कली को चोदेगा , जिस तरह कम्मो मेरे देवर को चोद रही रही , बिना रुके धक्के दपर धक्के . मर्द को ऊपर चढ़ कर चोदने में कम्मो भौजी यूपी चैम्पियन थीं , धक्के पर धक्के ,
और जब धक्के बीच में रोक देतीं वो तो उनके होंठ , हाथ , नाख़ून और सबसे बढ़कर ३८ डी डी की साइज की जबरदंग चूँचियाँ , एकदम खड़ी , कड़ी पथरीली ,
जैसे कोई लौंडा किसी लौंडिया के कस कस के गाल काटे बस उसी तरह , अपने नाख़ून से चिकने देवर के छोटे छोटे निपल ऐसे पिंच कर रही थीं जैसे उसके न हों उसकी छोटी बहन गुड्डी के हों , और उसी गुड्डी का नाम ले ले कर एक से एक गालियां न खुद ले रही थीं , बल्कि अपने देवर से दिलवा रही थीं ,
और ज़रा भी हिचकिचाता वो तो कस के दांतो से उसके निप्स काट लेतीं और तब तक नहीं छोड़तीं जब तक , ... वो खुद अपनी बहन को गाली नहीं देता , बोलता की उसकी छुटकी बहिनिया को दस दस बनारस के लौंडे चोदेगे।
और उसके बाद बिना धक्के के , भौजी अपनी चूत में देवर का लौंडा ले कर ऐसे कस कस के भींचती की , कोई कमजोर मर्द होता तो वैसे ही झड़ जाता , पर था वो मेरा देवर , सच्चा मर्द ,
और उसके बाद बिना एक बूँद भी बाहर निकाले , जैसे कोई सावन का झूला झुलाये , जड़ तक लंड अदंर घुसेड़े , आगे पीछे आगे पीछे धक्के मार मार के , मार के , हिलती डुलती , लेकिन देवर को नहीं हिलने देतीं
देवर ने बहुत चिरौरी मिनती की मान लिया उसकी बहिन , भौजी जिससे भी कहेंगी , चाहेंगी , वो वो उसकी बहिन के ऊपर चढ़ेगा ,...
और देवर के हाथ खुल गए , लेकिन अभी भी वो नीचे दबा था ,
Naiki bhouji ke per chhu or dho ke pi. Pategi nahi or pategi to degi nahi. Re dewarji komaliya banaras vali he. Premras fir Banaras.गुड्डो की मम्मी
" क्यों लेने लायक नहीं है क्या ,... " कम्मो ने चिढ़ाते हुए पूछा ,
कुछ देर के बाद अनुज का मुंह खुला ,
" नहीं ये बात नहीं , असल में मैं गुड्डो के साथ और वो उसकी मम्मी ,.. " हिचकते हुए उसके बोल फूटे।
" तो क्या हुआ , अरे वो खाई देख लेना जहाँ से तेरी माल निकली है , ... अरे स्साले गांडू लोग सगी सास नहीं छोड़ते , सगी बहन नहीं छोड़ते और तू , किस जमाने में है , अब तू ये पूछेगा की वो पटेंगी कैसे तो मैं सिखाती हूँ , तीन स्टेप ,... "
अब अनुज अच्छे विद्यार्थी की तरह सुन रहा था ,
" पहली बात तो तेरे जैसे चिकने लौंडे के लिए बड़ी उम्र की औरतें छनछनाई रहती हैं और तेरा औजार भी मस्त है , और तेरी गुड्डो की मम्मी कुछ जयादा ही गरम हैं , दो तीन साल में एक बार तो उसके पापा आते हैं तो कोई भी ,... तुझे मालूम है डबल मीनिंग डायलॉग , चिढ़ाने में ,... "
अबकी अनुज ने बात काटी ,
"एकदम सही कह रही हैं , एक दो बार मैं मिल चुका हूँ , इतना चिढ़ाती हैं , उनक बस चले तो दो साल पहले आयी थीं मैं टेंथ में था , बड़ी भाभी से मुझे देख के पूछ रही थीं ,
" हे बिन्नो ये तेरा देवर है की ननद , एक बार खोल के चेक किया की नहीं , .. अंदर लटकन राम हैं की गुलाबो , इसको फ्राक पहना के दकह बहुत मस्त माल लगेगी ये ,... "
और इसी लिए मैं वहां नहीं रुक रहा था , लेकिन नयकी भाभी एकदम पीछे पड़ गयीं और उन्होंने बोला की एक्जाम तक कमरा बाद रहेगा तुम्हारा बस और तेरी भाभी की भाभी हैं , तो डबल देवर तो थोड़ा बहुत लेकिन तेरी पढ़ाई में कोई डिस्टर्ब नहीं होगा , हाँ उसके बाद रुक जाना दो चार दिन फिर गुड्डी भी तो है,
" वही बोल रही थी मैं ,... "
कम्मो ने पाठ जारी रखा ,
" अरे ये नयी उमर की नयी फसल का लजाना शरमाना , बस मन करता है पटक कर रेप कर दें , तो तुझे चिढ़ाएँगीं , छेड़ेंगी , ... और कमरा बंद करोगे तो बीच बीच में खाना पानी , ... आखिर एकदम तो नहीं , ... तो जब छेड़ें तो लजाना , और वो तुम अविसे ही छुई मुई हो लौंडिया मात , ... मैं जानती नहीं क्या , ... लेकिन कुछ कुछ बात का जवाब देना उनका शुरू करना , कुछ बोल के , कुछ देख के खास तौर से उनके जोबन को , और कुछ दिखा के ,... "
" दिखा के मतलब "
अनुज को तो एक एक चीज समझानी पड़ती थी पर कम्मो भाभी उसकी असली भाभी थीं , उन्होंने ट्रिक बतायी
देख तुम इम्तहान तक तो दो चार दिन कमरे में ही रहोगे , बस ,एक काम करना बजाय पैंट पाजामे के शार्ट पहनना , कोई पतली सी और उसके अंदर कुछ नहीं , बस आते जाते उन्हें खूंटे की झलक मिल जायेगी , फागुन है देवर है , खूंटा है , हाँ खड़ा हो तो छिपाने की कोशिश जरूर करना जैसे लड़कियां लड़कों को देखकर दुपट्टा एडजस्ट करती हैं , कोई न देखने वाला हो तो भी जोबन देख ले , ... बस उसी तरह और हिम्मत कर के एक दो मजाक का हलका फुल्का जवाब भी दे देना , तो ये रहा पहला स्टेप "
" देख स्साले ,चिकने , तेरी बहन की चूत मारुं , बोल , लौंडे भी तो देखते हैं सबसे पहले ये लौंडिया पटेगी की नहीं , और अगर पटेगी तो देगी की नहीं, उसी पर चारा डालते हैं , "
एक बार फिर कम्मो ने अनुज को धकेलते हुए फर्श पर गिरा दिया।
" एकदम भौजी , अब यही गुड्डो , ... मुझे लग रहा था की स्साली पट तो जायेगी , लेकिन देगी की नहीं पता नहीं , पर नयकी भौजी , उन्होंने साफ़ साफ़ बोला , अरे पटेगी तो देगी भी , वरना पटाने का क्या फायदा , और किस की हिम्मत है मेरे देवर को मना करे , बस थोड़ी सी हिम्मत मैंने की , थोड़ा सा नयकी भौजी ने मंतर फूका और बस २४ घंटे के अंदर बज गया उसका बाजा ,और उसके बाद तो रोज फिर भाभी ने कुछ जुगत लगा के , सब लोग चले गए उसके बाद भी हफ्ते दस दिन , और रोज बिना नागा कबड्डी ,... आप ने एकदम सही कहा , लड़के उसी के पीछे पड़ते हैं जिसके नाड़ा खुलने की कुछ उम्मीद होती है ,"
अनुज ने कम्मो भौजी की बात को सपोर्ट किया।
" बस यही बात तो गुड्डो की मम्मी को लगना चाहिए पहले दिन से ही की ये स्साला चिकना न सिर्फ पटेगा बल्कि देगा भी और खूंटा भी इसका जबरदस्त है , इसलिए कह रही हूँ , अपना शार्ट ही पहनना और आते जाते उन्हें खूंटे की झलक दिखा देना , पहले दिन से ही , और जब मजाक करेंगी , तो लजाना , झिझकना , लेकिन ललचाते हुए उनके उभार चोरी छुपे जरूर देखना , वो तुझे छुएं तो तू ,भी हाथ हटाने के बहाने , .. और कभी कभी मज़ाक का जवाब भी दे देना , असली चीज़ छूना है , और वही है दूसरा स्टेप , ... यही तुझे समझाना है , तलवार तो तेरी जबरदस्त है , तलवार बाजी भी थोड़ी बहुत आती है , लेकिन असली दांव पेंच , छूने में है , मर्द के पास सिर्फ लंड नहीं होता लड़कियों को पागल करने के लिए , उनकी उँगलियाँ , होंठ , आँखे ,... चलो तुझे सब आज सीखा देती हूँ लेकिन गुरु दक्षिणा भी लुंगी अभी से बता दे रही हूँ ,... :
कम्मो ने बात आगे बढ़ाई।
" एकदम भाभी , गुरु दक्षिणा के लिए तो अभी से मेरी हाँ , लेकिन क्या लेंगी गुरु दक्षिणा में " अनुज ने लिबराते हुए पूछा।
" गुरु दक्षिणा नहीं बुर दक्षिणा , तेरी बहन की , गुड्डी की कच्ची कोरी बुर , लेकिन तू अभी ध्यान से सुन "
Ab to kammo ke bhi pau chhuao. Vo to purani bhouji he.गुरु दक्षिणा
" एकदम भाभी , गुरु दक्षिणा के लिए तो अभी से मेरी हाँ , लेकिन क्या लेंगी गुरु दक्षिणा में " अनुज ने लिबराते हुए पूछा।
" गुरु दक्षिणा नहीं बुर दक्षिणा , तेरी बहन की , गुड्डी की कच्ची कोरी बुर , लेकिन तू अभी ध्यान से सुन "
और कम्मो भौजी ने उसे स्त्री के ३६ अंग जहाँ छूने से उसकी कामोत्तेजना बढ़ती है , होंठ उरोज या योनि नहीं , ये तो सब जानते हैं और ये सम्भोग के समय , लेकिन उसके पहले , उन्होंने अनुज की ऊँगली रख कर , लड़की के गले के साइड का हिस्सा , कंधे , पीठ के बीच की नाली , काँखे ,
और जब ज़रा पट जाए तो जाँघों का निचला हिस्सा , एक एक कर के सारे भाग , फिर ये भी की लड़कियों को पटाने के लिए क्या होगा और खेली खायी औरतों के लिए फिर खास तैर से गुड्डो की मम्मी के लिए , फिर ऊँगली में भी कब ऊँगली से सिर्फ हलके से छू कर के हटा लेना है , कब ,
जैसे एकांत हो तो कभी मलाई या कुछ भी होंठ पर से हटाने के बहाने , ऊँगली से होंठ धीरे धीरे रगड़ो
और वो आँखे बंद कर ले , सिसके , बदन पर सिहरन हो समझ ले न वो सिर्फ पट गयी है बल्कि दे भी देगी , ...
लेकिन इस पढ़ाई के दौरान ही देवर का खूंटा खूब खड़ा हो गया , और फागुन में कौन भौजी मना कराती ,
लेकिन अनुज ने जब ठेलने की कोशिश की कम्मो ने रोक दिया ,
" न न। इतनी जल्दी नहीं , ... मान लो मैं गुड्डो की मम्मी हूँ , तो पहले देर तक जांघ सहलाओ , वो खुद जाँघे खोल देगी , फिर खूंटे को खाली उसके निचले होंठों पर रगड़ो , हलके हलके छुला कर हटा दो , फिर रगड़ो , जब वो एकदम मस्ता जाए , तुझे पकड़ के अपनी ओर खींचो , .. हाँ चल कर ,.. "
और अनुज ने थ्योरी से प्रैक्टिकल किया , हालत तो उसकी भी खराब हो रही थी , पर भौजी की बात मानना भी जरूरी था ,
" हाँ बस , एक बार जैसे गलती से लग गया , क्लिट से हलके से छुला के हटा लो , ... अरे यहाँ नहीं यहाँ ,... "
कम्मो भौजी ने अपने देवर के खूंटे को अपने हाथ से पकड़ा कर अपनी क्लिट पर लगा कर देवर को समझाया।
" हाँ अब पेलो , लेकिन बस सुपाड़ा , और एक धक्के में नहीं रगड़ते , दरेरते , यहीं सब नर्व्स होती हैं , थोड़ा सा दरेरो , रगडोगे , ख़ास तौर से गुड्डो की मम्मी को न तो मजे से पागल हो जायेगी , नयी उम्र की लड़कियां तो थोड़ी घबड़ायी रहती हैं पर वो , उनका मरद तो दो तीन साल में आता है , खुदै छुंछियाई होंगी ,
हाँ अब इसके बाद होंठ , पहले पलक पर फिर गाल पर , होंठ पर और साथ साथ दोनों जोबन बस हलके हलके सहलाओ , कभी निप्स फ्लिक कर दो ,
और जब वो खुद चूतड़ उचकाने लगे , तो थोड़ा सा और ठेल दो , लेकिन उसी तरह से रगड़ते घिसटते , ... हाँ पूरा अभी नहीं ,... और अब होंठ से एक निप्स और दूसरा हाथ से , अब जोबन मसलना शुरू कर ,
हाँ ऐसे ही , और अब बाकी का ,... हाँ धीमे धीमे , ... "
कम्मो भौजी देवर को सिखा भी रही थीं , गाइड भी कर रही थीं और मजे भी ले रही थीं , नए जवान होते लौंडे का।
फिर दसो तरीके धक्के मारने के , शुरू में हलके से ठेलते , पेलते , दरेरते ,... और जब एक बार पूरा घुस जाए , तो थोड़ी देर ऐसे ही छोड़ दो , बुर को उसकी लमबी मोटाई का अहसास होने दे , उसके बाद आधा निकाल के आठ दस धक्के , धीमे धीमे ,
साथ में जोबन की मसलाई , चुम्मा , चूँची चूसो , फिर सब काम रोक कर , आलमोस्ट पूरा निकाल के , कमर पकड़ के जोरदार धक्का सीधे बच्चेदानी पर सुपाड़े की थाप लगनी चाहिए , और ऐसे पांच सात धक्के , एक के बाद एक ,
फिर रुक के लंड के बेस से ही क्लिट की रगड़ाई कर , दो चार मिनट तक , फिर वही जोरदार धक्के शर्तिया झड़ जायेगी , फिर चाहो तो आसान बदल के या वैसे ही घीमे धक्के , पहली बार में ऊपर चढ़ के ही ठीक रहता है , बाकी सब तरीके बाद में , ...
अब अनुज कम्मो भौजी की बताये तरीके कम्मो भौजी पर ही अपना रहा था , चुदाई पूरी तेजी में चल रही थी , नीचे से कम्मो भाभी भी जोर जोर से चूतड़ के धक्के मारती , उसकी बहन गुड्डी का नाम ले के गरियाती ,
" चोद स्साले , चोद गुड्डी के भंडुए , तेरी बहन को खूब चुदवाउंगी , पक्की चुदवासी , चुदक्कड़ बन जायेगी जब तक तू बनारस से लौटेगा , चोद स्साले देखतीं हूँ कितनी ताकत है ,... "
गाली सुन के अनुज दूने जोश से , दस पन्दरह मिनट तक लगातार बिना रुके , और वो और कम्मो भाभी साथ साथ झड़े "
कटोरी भर सफ़ेद मलाई , गाढ़ी थक्केदार ,
और जब अनुज उठ के उन के बगल में बैठा , तो कम्मो ने अपनी जाँघों के बीच बह रहे सफ़ेद रंग को ऊँगली में लपेट कर , अनुज के होंठ पर ,
" चाट ले स्साले तेरा माल है , .... "
और बात उन्होंने आगे बात बढ़ाई , तो ये रहा दूसरा स्टेप ,
पहली चुदाई में ही लड़की हो या औरत , पागल बना दे , तेरी गुलाम हो जाए , और हां कभी एक बार चोद कर मत छोड़ना , चाहे लड़की हो या औरत , उसके मन में कई बार ये अहसास हो जाता है , की गलत हुआ , आगे से नहीं करवाउंगी , और अगर कुछ देर रुक के उसे दुबारा चोद देगा न तो बस वो अहसास कभी नहीं होगा , उसके मन में खाली मजे का अहसास बचेगा , और हाँ लड़की हो या औरत पहले उसे झड़ना चाहिए , खास तौर से गुड्डो की मम्मी को , एक दो बार कम से कम उसे झाड़ के झड़ोगे न तो एकदम दीवानी हो जायेगी , खुद तो देगी ही औरों की दिलवाएगी , लेकिन रुक यार , कुछ खाने को लाती हूँ , दो बार तेरी टंकी खाली हो गयी ,
कम्मो भौजी स्टोर से थाली भर कर गुझिया , नमकीन समोसे , और दो बड़े ग्लासों में ठंडाई भर के लायीं और उन की ज्ञान गंगा चालू हो गयी
Oo dewarji aap banaras me ho. Or banaras vali shasural valo ko baxte nahi. Chahe fir vo nanabd chhinar ho ya gandu dewarथोड़ा सा हट के
देवर की हालचाल , और बनारस में अनुज
जब घर लौट के आयी तो बाद में कम्मो ने उसकी और देवर की होली , सारी बातें बतायीं , जो मैंने अभी शेयर की।
रात को मैंने अपने देवर का हाल चाल लिया , अनुज ने तो बस थोड़ा बहुत ,... लेकिन जिसकी ली जाती है वो स्साला कभी पूरी बात बताती हैं , पर मेरी जासूस थी न , गुड्डो
और उससे भी बढ़कर , गुड्डो की मम्मी ,... मेरी जेठानी की भौजी तो मेरी भी तो भौजी लगेंगी ,
और ननद भाभी में बात चीत , फिर अनुज के जाने के पहले ही मैंने ,..उन्हें खूब अच्छी तरह ,
मेरे देवर का स्वागत खूब अच्छे तरह से हुआ। एक कमरा उसके लिए अलग से पहले से सेट करके रखा था , अटैच्ड बाथरूम भी , एक टेबल , कुर्सी , उस पर टेबल लैम्प , जिस से उसके पढ़ने , एक्जाम में कोई दिक्कत न हो , पहुँचते ही उसका सामान गुड्डो ने रख लिया , भाभी ने उसका कमरा दिखाया , ... लेकिन उसे तुरंत कोचिंग में जाना था , वहीँ बगल में ही सेंटर था ,... उसके बाद लौटकर , फिर चार दिन बाद ही निकालता होली के अगले दिन , इम्तहान वाले दिन ,...
लेकिन जब लौट के आये तो सबसे पहले गुड्डो ने हड़काया
" ऐसे बाहर जातें हैं , हूश की तरह बाल भी ठीक से नहीं झाड़े ,... ये तेरा शहर नहीं है , बनारस है , कम से कम अपनी नहीं तो हम लोगों की इज्जत का ख्याल करते , नाक कटवाओगे तुम ,... "
ये कहने की बात नहीं , गुड्डो ने उसकी शर्ट और पैंट उतरवाकर , उसके बदले में सिर्फ एक शार्ट देकर , और जब उसने चड्ढी नहीं उतारी तो फिर डांट पड़ी ,
" उतारो उसे भी , थोड़ा उसे भी हवा लगने दो ,... "
बस बनियाइन और शार्ट में
तबतक गुड्डो की मम्मी आ गयी और वो अपने देवर की ओर से गुड्डो पर ,
" फालतू में उसे डांट रही हो , तुम क्या कर रही हो , चलो उसका बाल अब से झाड़ दो , अब से ये सब जिम्मेदारी तेरी "
बेचारे देवर को क्या मालूम था माँ बेटी की जुगलबंदी , ... वो कुर्सी पर बैठा था और वहां कोई शीशे विशे का जुगाड़ तो था नहीं ,... बस गुड्डो ने
बड़े प्यार से बड़ी देर तक बाल झाड़े , मांग काढ़ी और फिर कहीं दीवाल पर से चिपका हुआ बड़ा सा शीशा उखाड़ के ले आयी , और तारीफ़ सुनने का इन्तजार करते हुए बोल पड़ी ,
" अच्छा है न , ."
बेचारे अनुज से न बोलते बन रहा था न , किसी तरह से बोल फूटे,
" सीधी मांग, .... ?"
अब गुड्डो का नंबर था ठुनकने का , ...
" यार तू भी न एक तो इतनी अच्छी मांग काढ़ी , मैं तो ऐसे ही काढ़ती हूँ , मम्मी भी , तो मुझे यही आती है ,... "
लेकिन अब गुड्डो की मम्मी का नंबर था , उन्होंने अपनी बेटी को हड़का लिया , अरे सूनी मांग अच्छी लगती है , जाके जल्दी ,... "
उनकी बात पूरी होने के पहले ही सिन्दूर की डिबिया ले कर , गुड्डो हाजिर थी ,
" लीजिये डाल दीजिये , ... "
" तू क्या सोचती है मैं छोडूंगी इस चिकने को , लेकिन तूने इतने प्यार से इनकी इतनी अच्छी मांग काढ़ी थी , चल डाल सोचते नहीं ,... "
और गुड्डो ने सिन्दूर दान कर दिया , और उसके बाद गुड्डो की मम्मी ने भी ,... खाली मांग कितनी खराब लगती थी ,... "
कम्मो ने इतना सिखा पढ़ा कर भेजा था पर बनारस वालियों के आगे , बड़े बड़े पानी मांग जाते हैं ,...
और जब गुड्डो सिन्दूर की डिब्बी वापस रखने गयी तो बड़ी हिम्मत कर के , कम्मो का सब सिखाया, उनके बोल फूटे,
" सिन्दूर दान के बाद भी तो ,... "
गुड्डो की मम्मी ऐसी हंसती थी की सिगरा पर हँसे तो चौक में सुनाई दे , जोर से हंसी , बोलीं
" एकदम होगा क्यों नहीं होगा , लेकिन जिसकी मांग में सिन्दूर पड़ता है , उसी की ली जाती है धूमधाम से ,... यहाँ तो लौण्डेबाजों की लाइन लगी थी जब से तेरे आने का सुना उन्होंने , लेकिन तेरा इम्तहान, जिस दिन तेरा इम्तिहान ख़तम होगा , उसी रात चार की बुकिंग है, यही इसी कमरे में ,... और फिर वही हंसी ,... और गुड्डो की मम्मी ने बात आगे बढ़ाई , मैं मजाक एकदम नहीं कर रही , हाँ इस खूंटे के बारे में ,.... तो तेरी बहन को मैंने बुला लिया है , वो आ जायेगी इम्तहान के अगले दिन , बस इसी कमरे में हम लोगों के सामने ,... मना लेना मन भर सुहाग रात , या सुहागदिन ,... "
लेकिन तब तक गुड्डो अंदर आ गयी थी , उसने पूछ लिया ," क्या कह रहे थे ये ,"
" कहेंगे क्या, ... अपने माल को याद कर रहे थे, क्या नाम है उसका गुड्डी इनकी बहन ,... " मम्मी उसकी बोलीं ,...
गुड्डो भी कौन कम थी , वो भी बनारस वाली , बोली
" बड़ी लम्बी उमर है उसकी , अभी उसी की बात हो रही थी उसी की सहेली से , ... बोल रही थी जैसे ये यहां आये हैं वहां छैलों की लाइन लगी है , अभी चौथे का नंबर चल रहा है। "
लेकिन गुड्डो की मम्मी के मन में कुछ और चल रहा था बोलीं , इतना चिक्क्न माथा , ऐसा खाली , ... " और अपनी बड़ी सी टिकुली उनके माथे पर लगा दी ,
उसके बाद खाना , लेकिन ससुराल में खाना तो बिना गाली के होती नहीं ,...
पर उसके बाद उन दोनों ने उसे पढ़ने के लिए छोड़ दिया था बस उसी शर्त के साथ मांग , सिन्दूर टिकुली हटाने की सोचे भी नहीं , अब तो घर में ही रहना है ,
बस तीन चार घंटे में एक बार कभी हार्लिक्स , कभी दूध कभी काफी , ज्यादातर गुड्डी ,... कभी उसकी मम्मी भी ,...
Hy komalji ye romance pe to me vari jau....व्हाट्सएप
ये व्हाट्सएप ऐसी चीज, जिसके बिना भी रहना मुश्किल और जिसके साथ भी रहना मुश्किल, आखिर एक एक जोक कोई दो बार चार बार कितनी बार पढ़ेगा , फिर चलो डिलीट करो ,... और सबसे ज्यादा परेशानी ग्रुप में, न खोलो तो भी ये बात खुल जाती है ,...
इसलिए मैं ज्यादा नहीं खाली ४०-४२ ग्रुप में हूँ , कितनों को तो मना कर दिया , अब आप पूछेंगे तो बाकियों में से भी ,... लेकिन कैसे ,...
मेरी स्कूल की सहेलियों का ही चार चार ग्रुप है , एक तो स्कूल का , एक मेरी क्लासमेट्स का , और एडल्ट्डस ओनली नाम से , जिसमें सिर्फ मेरी खास खास २५- २६ सहेलियां बस ,
उसके बाद इनके मायके के सात आठ ग्रुप , एक तो मेरी ननदों का जिसमें मैं जुगाड़ कर के घुस गयी हूँ , इनकी सारी ममेरी चचेरी मौसेरी फुफेरी बहने, कुल २७ हैं , और हर रोज सब तीन चार मेसेज तो करती ही हैं ,
दो गुड्डी रानी की सहेलियों के ग्रुप में भी , और अगर इनके मायके के सात आठ हैं ,
तो मेरे मायके के इसके दूने न भी हों तो इससे ज्यादा तो होने ही चाहिए , किसी का गुड मॉर्निंग का जवाब न दो तो वो मुंह फुला लेगा , और किसी के जोक पर स्माइली न चिपकाओ तो वो अलग और झगड़े इतने की पूछिए मत , ...
और दिन में दो बार झाड़ू न लगाओ तो मेमोरी का नाटक ,
और जब मैं ज्यादा ही झुंझालने लगी तो ये मेरे पास गरम गरम काफ़ी का प्याला लाकर पूछने लगे ,
" क्या हो गया ,... दो चार ग्रुप छोड़ क्यों नहीं देती "
सच में चाय और काफी दोनों में इनका जवाब नहीं था, ... जबरदस्त बनाते थे. मेरी सास का चक्कर जरूर किसी चाय वाले के साथ , चाय पर चर्चा के साथ ,
मैंने खोल कर इनकी ओर बढ़ा दिया , एक मस्त माल की फोटो थी , एकदम गर्मायी कच्ची कली ,
और वो शर्मा गए ,...
" पहचान कौन " मैंने चिढ़ाया , ... एक बार वो फिर से झेंप गए ,
शरमाने में कोई कम्पटीशन हो तो ये लौंडियों को पीछे छोड़ देंगे , मेरी भौजी और इनकी सलहज का सिर्फ एक सजेशन था , इन्हे किसी तरह इनकी ममेरी बहन के ऊपर चढ़ा दूँ तो इनकी सरम लाज सब छूट जाएंगी , और वैसे भी इनकी सास ने इन्हे मेरे सामने साफ साफ़ बोल दिया था की बस वो ससुराल पहुँच जाएँ , आगे का काम उनकी सास और सलहज मिल के कर दूंगी , सरम सब पिछवाड़े के अंदर ,..
फोटो इनकी फुफेरी बहन की थी , ...
" अब बता स्साली इत्ती मस्त माल के दरसन तो तुझे किसी पॉर्न साइट पर भी नहीं होंगे जो मेरी ननदों के ग्रुप पर होते हैं तो कैसे छोड़ दूँ "
उनकी वीडियो कांफ्रेंस ख़त्म हो गयी थी आधे घंटे का इंटरवल , इसलिए काफी ,...
" अच्छा तो ग्रुप भी नहीं छोड़ोगी तो बताओ तेरी परेशानी क्या है ,... "
एकदम एवमस्तु वाली मुद्रा में उन्होंने सवाल किया और मैं एकदम चालू हो गयी।
"वो जो नकली बुद्धि और बड़का डाटा की बात तुम लोग हरदम करते रहते हो न , ( मेरा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डाटा के लिए शब्द ) तो बस , अब रोज तो मैं मेसेज डिलीट करती रहती हूँ , दोनों टाइम , तो ये नहीं पता कर सकते की किस तरह का मेसेज मैं डिलीट करुँगी और किस तरह का पढूंगी , फिर मन लीजिये एक जोक मैं एक ग्रुप में पढ़ चुकी हूँ , लाइक भी कर दिया , फिर दूसरे ग्रुप में भी कर दिया तो आगे के ग्रुप में अगर मैंने नहीं पढ़ा तो उसे डिलीट कर दे , मुझे रोज रोज के झाड़ू पोंछे से तो मुक्ति दिलाये ,... "
वो बहुत ध्यान से सुन रहे थे , फिर बोले लेकिन मानलो उसने बिना पूछे डिलीट कर दिया तो कल तुम कहोगी नहीं मुझे वो चाहिए तो ,
बात में उनके दम था तो मैंने बीच का रास्ता निकाला
तो चलो २४ घण्टे का समय रख दो , उसके बाद दो चार दिन ट्रैश में , उसके बाद ख़तम कर दे , तो कुछ तो ये सफाई अभियान जो रोज चलाना पड़ता है , उससे मुक्ति मिले , और दूसरी बात , ग्रुप तो मैं छोड़ नहीं सकती मान लो उसमें ५० मेंबर हैं ३० -४० तो रोज मैं बिना पढ़े डिलीट करती हूँ , तो कम से कम उनकी बात, डिलीट कर दे ,... ऊँगली तक जाती है , ये ऊँगली इतनी मेहनत तोहरी बहिनी की बिल में करे तो वो स्साली तेरे लिए पट जाती , ...
" हो तो सकता है , मोबाइल स्पेसिफिक , परसन स्पेसिफिक ,... पर "
मेरे प्याले में और काफी डालते हुए , चिढ़ाते बोले , फिर तुम कहोगे , प्राइवेसी ,...
मैं झुंझला उठी , प्राइवेसी गयी तेल लेने , मैं कुछ लिखती हूँ मजाक में भी तो उससे जुड़े ऐड सपने में भी दिखने लगते हैं ,
पर वो इतनी जल्दी हार मानने वाले नहीं थे , एकदम मशीन वाली आवाज निकालते बो, ले,
मेसेज पूरी तरह एन्क्रिप्टेड होते हैं , हम आपकी प्राइवेसी का पूरा ख्याल रखते हैं ,
मुझे हंसी आ गयी पर मैंने अपने गुस्से वाले टोन बरक़रार रखी ,
" अभी कोई डंडा फटकारता आ जाये न तो सारी प्राइवेसी की , ... अभी एक बॉलीवुड वाली की तीन साल पुरानी , ... पता नहीं किसे वो माल कह रही थी , मैं तो तेरी सारी बहनों को ही माल कहती हूँ ,... और पुलिस तो चलो मान लिया ,... सारे चैनल , यू ट्यूबर , मैं जो कह रही हूँ वो सुनते नहीं ऊपर से बात टाल रहे हो , अरे मैं खाली झाड़ू पोंछा का काम काम करने को कह रही हूँ ,... "
लेकिन बात टालने में वो एक्सपर्ट , मेरे हाथ से काफी का प्याला ले कर किचेन में चले गए और जब लौटे तो उन्होंने बात बदल दी और उलटे मुझपर सवाल दाग दिया .
….
बस पीटा नहीं मैंने इनको,
" कोमल तुम्हारा नाम क्या है। "
मैं मारने के लिए कोई चीज ढूंढती उसके पहले उन्होंने दूसरा सवाल दाग दिया , जो थोड़ा मुश्किल था ,
" अच्छा चल तेरे नाम का पहला अक्षर क है न , तो ये बताओ अक्षर क्या है , और क्यों हैं ? "