इस कहानी की सबसे बड़ी परेशानी थी
आप ऐसी पाठिकाओं, पाठकों का अभाव या कमी,... जो सहृदय हों , रसिक हों और धीमी आंच पे पके खाने का रस ले सकें , कई बार पोस्टों के बाद दो या तीन मित्रों के ही कम्नेट्स ही आते थे , ये आपने देखा होगा
लेकिन जो आते थे वो कहानी की भावना को समझने वाले और कहानी की पात्रों के साथ साथ चलने वाले थे, मेरे एक सहृदय मित्र पाठक का कमेंट मैं जस का तस कोट कर रही हूँ
कहानी का प्लाट और उसका एक्जीक्यूशन शानदार है..
विविधता भी है.. डायलॉग भी है... छेड़ छाड़ भी है.. मस्तियाँ भी है...
संवाद में अटैक और काउंटर अटैक भी है...
लेकिन व्यूज और रिप्लाई उतने नहीं मिल पा रहे..
ये आश्चर्यजनक है....
इसके तीन कारण मुझे समझ में आते है...
1. कहीं किसी जगह मैंने सर्वे में पढ़ा था कि किसी इस तरह की वेबसाइट पर जो कंटेंट रोज अपलोड होता है उसे पढ़ने और उस पर रिप्लाई देने के लिए पचास घंटे से ऊपर चाहिए...
लेकिन आदमी अपने सारे काम छोडकर सिर्फ इसी काम में लगा रहे तो भी उसके पास प्रतिदिन 24 घंटे हीं उपलब्ध है...
इसलिए सभी अपने अपने चॉइस से उसी कंटेंट पर जा कर रिएक्ट करते है....
2. शायद ज्यादातर लोगों की चॉइस इंसेस्ट (मम्मी, सगी बहन, पिता और अपना बेटा इत्यादि) है..
इसलिए संभवतः यह कहानी उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता और एक नजर मार कर वो आगे बढ़ जाते है...(शायद ममेरी बहन उन्हें इंसेस्ट में उतना उतेजित नहीं कर पाती..)
3. शायद कुछ क्लोज ग्रुप भी इस साईट पर हों जो किसी ख़ास कहानी का व्यूज बढ़ाने के लिए उस पर रिप्लाई पर रिप्लाई दिए जाते हैं..
जो इस स्वतंत्र, मौलिक और सृजनशील लेखिका को प्राप्त नहीं है...
लेकिन फिर भी लेखिका ने अपनी रचनात्मक शक्ति और कल्पना शीलता नहीं छोड़ी और कई लोगों के विरोध के बावजूद कहानी को अपने रफ्तार से जारी रखा है..
इसके लिए लेखिका स्तुति और अभिनंदन की पात्र है..( पृष्ठ २०४ और पोस्ट २०३७ )
और यह अकेले नहीं थे
भाई अच्छी quality हर कोई हज़म नहीं कर पाता, और इनकी कहानी इतनी अच्छी और perfect होती हैं कि वाह के अलावा कुछ लिख ही नहीं सकते।
यह कमेंट था उसी पन्ने पर ( पृष्ठ २०४ ) आखिरी कमेंट के रूप में
पृष्ठ २०१ से २०४ के बीच मात्र चार मित्रों के कमेंट्स
हाँ जिनके कमेंट होते थे वो बहुत हौसला बढाने वाले और साथ देने वाले थे पर जीवन की आपधापी में कई बार उन्हें भी समय नहीं मिलता होगा
और कई बार जब जीवन खुद शुष्क हो जाए कोई नागफनी के जंगल में हो तो उससे रस की एक छोटी से छोटी बूँद का रस का आसव पीने का आग्रह , शायद मेरा ही दुराग्रह हो
वैसे मैं इस कहानी की न आपने सिर्फ आत्मा को समझा उसके अंदर के रस का पान किया और तारीफ़ भी की पहली पोस्ट से लेकर अब तक जब कहानी की चला चली की बेला है ,
कोटिश साधुवाद आभार भी कम होगा
Bat sahi he. Log sex padhne aate he to sirf kahani me sex hi dhudhte he. Kahaniyo ki gaherai bhul jate he. Romanch ko bhul jate he. Muje is kahani ko aap ne pata nahi kyo recrimant kiya hoga.
Sex romanch vo maza sajan sajni ke bich bhi ho sakta he. Isme bhi maza aaega.
Par me is story me akarshit dono Kew bich ki chhed chhad shararat vo tadap se thi.
Ab sexual feelings to mujme bhi thi par is kahani se mene sex pane ki umid nahi bas vo romanch pane ki kosis ki thi.
Lekin jab sath lady co colding fantacy bhi puri ho rahi he to kya harz he.
Shadi ke us mahol ko mahesus karna. Pati sang vo pyar ki sharuat se shadi ke babdhan se bandhne tak ki kahani.
Par haha to romanch sure huaa tha. Vo samajik jivan ki shuruat se vo prem.
Shash or jethani ke sath vo jugalbandhi
Me kese samazau mere pas to sabd hi nahi he.
Bas ye kahani dill ko chhu gai he. Or jaha tak padhi he kuchh skip nahi kiya sab dill se padha he.
Ha ungli shikayat last me karungi chhoti si