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Erotica मोहे रंग दे

Black horse

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Eagerly waiting for your erotic and komaal update
 
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komaalrani

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Eagerly waiting for your erotic and komaal update

baas jald , abhi Holi ki story update ki hai , ... bas ek do din ke baad
 

komaalrani

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aapke cooment ke bina ye kahani aage nahi badh dakti .... thanks so much , no words are enough
 

komaalrani

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toh aur kisi sayani badhi nanad ko chudwao bacchi ko chudwake koi mazaa nahi aane waala..

aaage dkhiye hota hai kya .... abhi to kahani shuru huyi hai ... asl men koyi sayani badi nanad hain kahan ... aap kahani padhiye naa ... meri manjhali nanad nandoyi to chle gaye , sagi nanaad to koyi hai nahi ,.... aur is shahar men bhi sirf vahi inki mamemri bahan hai ..... han aage ye kya karnege kiske saath karnge ....ye to aaage ke panno men pata chalegaa ,... par philhaal to main hi hun . ... ye kahani sajan ke sajani ke rng men rng jaane ki , sajani ke sajan ke rng men rng jaane ki hai .... par aagle paarts men aur bhi bahoot kuch hoga
 

komaalrani

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Interesting hoga

to abhi aapko intresting nahi lag raha :blush1::blush1:.. just joking....aayaga aayega ..sab kuch aayega ...par you know my stories are slow and simmering
 

komaalrani

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और पहली बार मैंने उनकी अपनी सास की बात काटी ,

और मैंने जेठानी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया।

और उन्होंने मुझे दुबका लिया।

बस मुझे तो और हिम्मत मिल गयी , मैं बोलने लगी

हम लोग मिल के गप्पे मारेंगी , टीवी देखेंंगी।

सास मेरी कहने लगी , तुम तो पांच हफ्ते रहोगे नहीं , बहू चाहो तो तुम तब मायके चली जाओ , कुछ दिन ,...

वो भी न एकदम क्या कहूं उन्हें , ... बोलने लगे , हाँ सच में चली जाओ , मेरे आने के पहले आ जाना ,

मैंने एकदम से मना कर दिया ,
" मैं कही नहीं जाने वाली , मैं दीदी के पास यही रहूंगी , ... आप क्या सोचते हैं , आप नहीं रहेंगे यहाँ तो ,


तो नाम सार्थक कर ही दिया,। मोहे रंग दे




कई बार कहानी के विछोह वाले प्रसंग लिखने में मुझे बहुत अच्छा लगता है , और खासतौर से जब कोई उसकी भावना की गहराई में उतर कर उसे सराहे , और सच बताऊं तो ये बातें लिखनी बहुत कठिन भी होती हैं अपने सारे विछोह के अनुभवों को संघनित कर के , ...

फागुन के दिन चार में , करन और रीत के बिछुड़ने का जो प्रसंग था , मेरे लेखे वो उस कहानी का शीर्ष था , ... और अंत भी बिछुड़ने से हुआ , ... और कइयों की आँखे नम हो आयीं थीं , उन प्रसंगो को पढ़ने में ,.. मेरे लिए मेरी मेहनत सार्थक हो जाती है जब ऐसे कमेंट मिलते हैं , ..

बस पढ़ते रहिये ,

लेकिन वियोग के बाद मिलन भी आता है , तो अब अगली पोस्ट में , ...
 
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Black horse

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कई बार कहानी के विछोह वाले प्रसंग लिखने में मुझे बहुत अच्छा लगता है , और खासतौर से जब कोई उसकी भावना की गहराई में उतर कर उसे सराहे , और सच बताऊं तो ये बातें लिखनी बहुत कठिन भी होती हैं अपने सारे विछोह के अनुभवों को संघनित कर के , ...

फागुन के दिन चार में , करन और रीत के बिछुड़ने का जो प्रसंग था , मेरे लेखे वो उस कहानी का शीर्ष था , ... और अंत भी बिछुड़ने से हुआ , ... और कइयों की आँखे नम हो आयीं थीं , उन प्रसंगो को पढ़ने में ,.. मेरे लिए मेरी मेहनत सार्थक हो जाती है जब ऐसे कमेंट मिलते हैं , ..

बस पढ़ते रहिये ,

लेकिन वियोग के बाद मिलन भी आता है , तो अब अगली पोस्ट में , ...
मेरे कम
कई बार कहानी के विछोह वाले प्रसंग लिखने में मुझे बहुत अच्छा लगता है , और खासतौर से जब कोई उसकी भावना की गहराई में उतर कर उसे सराहे , और सच बताऊं तो ये बातें लिखनी बहुत कठिन भी होती हैं अपने सारे विछोह के अनुभवों को संघनित कर के , ...

फागुन के दिन चार में , करन और रीत के बिछुड़ने का जो प्रसंग था , मेरे लेखे वो उस कहानी का शीर्ष था , ... और अंत भी बिछुड़ने से हुआ , ... और कइयों की आँखे नम हो आयीं थीं , उन प्रसंगो को पढ़ने में ,.. मेरे लिए मेरी मेहनत सार्थक हो जाती है जब ऐसे कमेंट मिलते हैं , ..

बस पढ़ते रहिये ,

लेकिन वियोग के बाद मिलन भी आता है , तो अब अगली पोस्ट में , ...
असल में मुझे लगा कि यह इस कहानी की यह आखिरी पोस्ट है क्योंकि आपने चौथे दिन की बात नहीं की और कहानी तेजी से आगे बढ़ गई।
और अंतमें सजनी साजन को अपने रंग में रंग कर, खुद भी उसके रंग में रंग गईं।
 
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komaalrani

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मेरे कम

असल में मुझे लगा कि यह इस कहानी की यह आखिरी पोस्ट है क्योंकि आपने चौथे दिन की बात नहीं की और कहानी तेजी से आगे बढ़ गई।
और अंतमें सजनी साजन को अपने रंग में रंग कर, खुद भी उसके रंग में रंग गईं।
नहीं , नहीं कहानी अभी जारी रहेगी , और बढ़ेगी , बीच में यह मिलन विछोह के पल आते जाते रहेंगे ,

तीन रातों के बाद कहानी इसलिए आगे बढ़ी तेजी से क्योंकि तो तीन रातें बदलने की रातें थी , दोनों की। अगर आप पहली रात की भाषा देखेंगे , यहाँ तक की चित्र भी तो वहां थोड़ी झिझक , थोड़ी लाज ,... पर तीसरी रात तक देह का रंग , काम का उद्दाम प्रवाह , चार पुरुषार्थों में एक , ... और उसके बाद धीरे धीरे जीवन की आपाधापी , नौकरी , ट्रेनिंग ,... लेकिन रस के बिना सब कुछ नीरस हो जाता है और श्रृंगार तो रसराज है , इसलिए

कहानी एक बार फिर संयोग श्रृंगार की ओर ,



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