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उसी तरह से दोपहर को हम तीनों , मैं मेरी जेठानी , और सासू जी जी गोष्ठी ज़मने लगी।
जाड़े की दोपहर , कभी छत या बरामदे में चिकोटी काटती धूप में हम बैठ के ताश खेलते , या फिर सासू जी या जेठानी जी के कमरे में चौड़ी पलंग पर , मोटी बड़ी रजाई के अंदर , ... लेटे लेटे टीवी देखते या फिर सीडी लगाकर कोई पिक्चर , ... और नहीं तो गप्प।
बस इनके जाने के अगले दिन ही , दोपहर में मैं ,मेरी सास और जेठानी जी , ... और हर बार की तरह मैं बीच में थी , ...
सासू जी मैंने बताया था न की खुल के मज़ाक करने में , एकदम मेरी मायके वालों की तरह थी , और मेरी बुआ सास के सामने तो , ....
एकदम कान में ऊँगली डाल लेनी पड़ी ऐसी बातें , ...
और बुआ भी तो वैसे ही इन्हे जवाब देती थीं।
ननदों के मामले में वो हरदम मेरा और मेरी जेठानी का साथ देती थीं , आखिर थीं भी वो इस घर की बहू ही ,
पहले दिन मुंह दिखाई में ही उन्होंने मुझे समझाया ,
' बहु , इस घर की सारी ननदें पक्की छिनार होती हैं "
चिढ़ा वो बुआ जी को रही थीं पर मेरी भी ननदें , मंझली ननद , गुड्डी सब पास में ही खड़ी थी।
मेरे आने के बाद तीसरी रात छत पर गाने का प्रोग्राम था , उन्होने मुझ खुद उकसा के , ...
और मैंने उन्हें भी एक से एक खुल के गारियाँ , मेरे मायके का कोई मरद बचा नहीं होगा , मेरे बाबूजी , चाचा , मामा , फूफा , मौसा , ... कोई बचा नहीं जिसे मैंने अपनी सास के ऊपर गारी में न चढ़ाया हो , ...
पर वो इतनी खुश हुयी की अपना फेवरिट हार वहीँ सबके सामने मेरे गले में पहना दिया।
पर इनके जाने के बाद ,जब से मैं और जेठानी जी एक साथ , तो फिर हम तीनो और खुल गए थे।
रोज बात कहीं से शुरू हो , लेकिन ख़तम सेक्स पर ही होती थी , ज्यादा रस ले ले कर मेरी सास ही अपने किस्से सुनाती।
मैंने बताया था न , जब विपरीत रति की बात हुयी तो जेठानी जी ने अपनी बात बताई ,
और इसके बाद सासू जी ने भी एक से एक , ... और साथ में ट्रिक भी एक से एक , ...
तो उस दिन भी , जेठानी जी , जेठ जी के किसी दोस्त के बारे में बता रही थीं ,
मैं भी जानती थी उन्हें एकदम घर जैसे ही थे , ... .
जेठानी जी ने हाल खुलासा सुनाया ,
की कैसे उनके कई कई औरतों , लड़कियों से चक्कर है।
उनकी वाइफ घर पे ट्यूशन चलाती हैं ,, ... दो लड़कियां तो उसी टूयशन वाली हैं।
मैं भोली , मैंने पूछ लिया जेठानी जी से , .. दी , क्या उनकी वाइफ को पता नहीं है , उन्ही की ट्यूशन की लड़कियां , ,,, अगर उन्हें पता चल गया तो
,... फिर तो मेरी जेठानी और सास ऐसी हंसी , ऐसी हंसी ,... और जेठानी जी ने राज खोला ,
' अरे यार तू समझती क्या है , उन कलियों को चुन के वही तो लायी , ...
और तू क्या सोचती है बिना उनकी हेल्प के वो फंसा पाते उन कलियों को , ...
मौका भी उन्होंने ही दिया , पहले क्लास एक्स्ट्रा क्लास के बाद उन को रोक देतीं ,
और उन्हें बोलती मैंने थोड़ा किचेन में हूँ ज़रा इनकी कॉपी चेक कर लो , हेल्प करा , ... दो
और हफ्ते दस दिन बाद ,... एक दिन , सिर्फ एक लड़की को बुलाया बाकी की छुट्टी कर दी ,...
और थोड़ी देर उसे पढ़ाने के बाद , ... उस लड़की को इनके हवाले कर के ,
दोनों को बोल के दो तीन घंटे के लिए बाहर चली गयीं , .... बाहर क्या मेरे ही पास आयी थीं ,
और जब उनका फोन आया की चिड़िया चारा चुग गयी , वो भी एक बार नहीं दो बार , तब वो घर लौटीं।
और इस उमर की लड़कियां अगर कभी एक दो बार चारा चुग लें न , तो फिर तो खुद ही स्कर्ट उठा खड़ी रहेंगी।
मैं उनका चेहरा देखती रह गयी।
जेठानी जी मेरा गाल प्यार से दुलार से सहलाते समझाया ,
" अरे कोमलिया , ( मेरी सास और जेठानी मेरे इसी प्यार के नाम से बुलाती थीं ) यार ये मर्द न एक खूंटे से बंधने वाले प्राणी नहीं। तो अगर बीबी खुद इनके लिए चारे का इंतजाम कर दे न , ... तो बस ये अहसान से ,..
और सबसे बड़ी बात पता रहता है की किसके साथ , कोई सरप्राइज पैकेज नहीं रहता , ...
लेकिन गुरु गंभीर मंत्र दिया , मेरी सासू जी ने मेरे बाल पर हाथ फेरते हुए , ...
" यार , मेरी सास ने एक बात कही थी और वही मैं अपनी बहुओं से भी कहती हूँ , मरद और लोटा बाहर ही मँजते है ,
फिर असली इस्तेमाल तो घर में ही होता है। "
मैंने और जेठानी जी ने अबकी हंसी में उनका साथ दिया।
( असल में बात ये ओपन डिफिकेशन फ्री वाले से पहले के जमाने की है , लोटे वाली। और प्लास्टिक की बॉटल के भी।
दिशा मैदान जाने के लिए लोटा घर में एक तय रहता था , बस प्रात: काल की आवश्यक क्रिया से निपट कर , खेत से लौटने के बाद , ...
वो लोटा बाहर ही कुंए पर माजा , साफ किया जाता था। )
मैंने भी सासू जी की तरह बड़ी सीरियसली , सासू जी की ओर मुंह करके एक बात कही।
" अगर मेरा वाला लोटा , एलवल में मंजे तो मुझे कोई ऐतराज नहीं ".
अबकी तो मेरी जेठानी , और उनसे ज्यादा मेरी सासू बहुत हंसी , हंसी रुक नहीं रही थी दोनों की।
और हंसी रुकी तो सास ने मुझे गले लगा लिया और बोलीं ,
" तू एकदम मेरी परफेक्ट बहू है , मेरी समधन ने चाहे जिससे कबड्डी खेल के तुझे जना हो , तेरे मामा से , मौसा से ,
लेकिन जना एकदम सही है , मेरी बहू बनने के लिए। "
फिर सासू जी ने जोड़ा ,
" बहु , आइडिया तेरा एकदम परफेक्ट है , ननद की नथ उतारने का काम ननद के भाई को ही करना चाहिए ,
ननदों की नथ उतराई करवाने का बड़ा पुण्य मिलता है भाभियों को ".
" तू एकदम मेरी परफेक्ट बहू है , मेरी समधन ने चाहे जिससे कबड्डी खेल के तुझे जना हो , तेरे मामा से , मौसा से ,
लेकिन जना एकदम सही है , मेरी बहू बनने के लिए। "
फिर सासू जी ने जोड़ा ,
" बहु , आइडिया तेरा एकदम परफेक्ट है , ननद की नथ उतारने का काम ननद के भाई को ही करना चाहिए ,
ननदों की नथ उतराई करवाने का बड़ा पुण्य मिलता है भाभियों को ".
मेरी जेठानी भी मैदान में शामिल हो गयीं , हँसते हुए बोलीं ,
". आखिर भाभियों को भी तो फायदा है , भले नथ उतराई का काम ननद के भइया करें ,
लेकिन ननद पर चढ़ने का काम भाभियों के भइया करते है , भाभियों के भइया ही तो उसे पक्की छिनार बनाते हैं "
पर दो मिनट बाद ही जेठानी जी व्यवहारिकता पर उतर आयीं , ...
" लेकिन यार उचकती बहुत है वो , ,,, " वो बोलीं।
पर मेरी सास इतनी आसानी से हार मानने वाली नहीं थीं , उन्होंने जेठानी जी को हड़का भी लिया और रास्ता भी बता दिया ,
" अरे तो भौजाई किस बात की हो तुम दोनों ,
ये तो भौजाई की नाक कटने वाली बात हो जाएगी। चल माना पहले तू अकेली थी , अब तो इत्ती अच्छी देवरानी मिल गयी है , ...
गारी शुरू होते ही वो भागती थी , लेकिन देखो उस दिन तेरी देवरानी ने उसी का नाम ले ले के कैसे एकदम असली वाली गारी सुनाई , ...
आखिर कान खोल के सुना की नहीं उसने ,...
एक से तो बच भी जाती वो , लेकिन दो दो भौजाई के बाद बचने का सवाल ही नहीं। "
सास की बातें सुनकर , मेरा ३४ सी वाला सीना ३६ डी हो गया।
अब ये साफ़ था की अगर मैं कुछ जुगत लगाऊं इनके और इनकी ममेरी बहन के बीच ,
तो सास को अगर पता भी चल गया तो ,...
उनकी ओर से ग्रीन सिग्नल।
जेठानी जी मुस्करायीं , चैलेन्ज स्वीकार किया उन्होंने अपनी सास का।
लेकिन एक मजेदार ट्रिक बताई सास जी ने , जो मैंने कभी सुना भी नहीं था।
" एक तरीका बताती हूँ , एकदम आजमाया हुआ नुस्खा , ... नहीं नहीं ये मेरी सास ने नहीं बताया , ये मेरे मायके से , मैं वहीँ से ,... देखो किसी मरद की मलाई अगर किसी कुँवारी लड़की को चखा दो , ...
कुँवारी का मतलब ये नहीं की शादी न हुयी हो , कुँवारी का मतलब जिसकी फटी न हो ,
और पूरी मलाई खिलानी जरूरी नहीं , दो चार बूँद भी काफी है , और किसी मीठी चीज में मिलाकर भी खिला सकती हो,...
बस मलाई खाने के बाद खुद वो उस मर्द के सामने नाड़ा खोल के खड़ी हो जाएगी।
उसे देख कर उस लौंडिया की बिल में मोटे मोटे चींटे काटने लगेंगे , खुद बहाना बना के चिपकेगी , चुदवाने का मौका खोजेगी। "
" लेकिन बिल्ली की गली में घंटी बांधेगी कौन , ... "
जेठानी जी ने फिर सवाल खड़ा किया ,
और अबकी स्कूल के स्टूडेंट की तरह मैंने हाथ उठा दिया ,
" दी , आपकी देवरानी है न , ... फिर मुझे अपना लोटा मँजवाना है एलवल में तो कुछ तो करना पड़ेगा न ,... "
हँसते हुए मैं बोली।
" तू मेरी एकदम पक्की बहू है , एकदम मेरे मन वाली , ... "
सासु ने दुबारा बोला , पर मेरे मन कुछ उबल रहा था , मैंने पूछ लिया उनसे चिपट कर ,
"पर अगर किसी लड़के का चक्कर किसी लड़की से चलवाना हो और लड़का एकदम सीधा , बुद्धू मार्का हो , ... "
सास बात समझ गयीं , हँसते हुए बोलीं ,
" जैसे तेरा लोटा , ... यही कहना चाहती है न ,... उस एलवल वाली की बिल में ऊँगली डाल कर , उसकी चाशनी , लड़के को चटा दे , ....
सारा सीधापन हवा हो जाएगा , वो भी बस मौक़ा तलाशेगा , उस लड़की की टांग उठाने का। "
लेकिन तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी , और नंबर देखते ही मैं उछल कर पलंग से दूर , ...
इन्ही का फोन था , और सास जेठानी के सामने इनसे बतियाना , ...
मैं कमरे के बाहर , ...
क्लास के बीच कोई टी ब्रेक था शायद , ... उसी में , ...
मैंने पूछा भी , ... तो चाय पर ये भी न बोले ,
' पी तो रहा हूँ , ... तुमसे मीठी गरम,... "
ये भी न एकदम बदमाश , असली गंदे वाले , ... पास होते तो मैं बताती।
मैं सिर्फ सुनती रही , सुनती रही ,...
कित्ते देर बाद इनकी आवाज़ सुनने को मिली थी , मुझे इससे ज्यादा मतलब नहीं था ये क्या बोल रहे हैं ,
बस बोलते रहें , ...
बस इतना समझ में आया शायद आज शाम को और रात को फोन न कर पाएं , ...
एकदम से मैं रुंआसी हो गयी , ... पर ऊपर से बोली ,
कोई बात नहीं मैं भी सोऊंगी घोड़े बेच कर ,....
बात ये थी की जो उनका प्रोजेक्ट था न , अरे वही जिसके लिए सबको वीकेंड का टाइम दिया गया था , पर ये लालची लड़का , इसे तो बस एक चीज़ चहिये ,
.. और चहिये तो चहिये , हजार किलोमीटर से ऊपर उड़कर उस चीज के लिए हाज़िर हो गया था आधी रात को ,...
किसी तरह टैक्सी में , प्लेन में लिख लिखा कर ज़नाब ने प्रोजेक्ट तो सब्मिट कर दिया था टाइम से , ... पर आज शाम को उसी का प्रजेंटेशन था , ...
और प्रेजेंटेशन तो ठीक , उन्हें उसे डिफेंड भी करना था , एक पैनल के सामने , ...
रात में डिनर के बाद , साढ़े आठ बजे से , ... सिर्फ इन्ही का नहीं सबका , तो इनका नंबर नहीं , ... सात साढ़े सात बजे तक तो क्लास चलती थीं , उस के बाद जल्दी जल्दी वही प्रजेंटेशन बनाना , और उसके बाद , आठ बजे मेस खुल जाती है , साढ़े आठ बजे प्रजेंटेशन के लिए पहुँचना था , ...
मैं चुपचाप सुनती रही , ...
बीच बीच में हूँ हाँ बोलती रही , ... देख नहीं सकती थी , मिल नहीं सकती थी ,
तो कम से कम आवाज तो सुनने को मिल रही थी , ... जित्ता देर मैं बोलती , उत्त्ती देर कम सुनने को मिलता न ,... बस यही बात।
लेकिन तब तक पीछे से किसी ने इनका नाम लेकर आवाज लगाई , ... कहाँ हो क्लास शुरू हो गयी है।
बस ये एक उड़ती चुम्मी देकर उडनछू हो गए , ...
मैं बहुत देर तक ऐसे ही फोन कान में लगाए रही ,
और जब फोन हटाया भी तो , पैर जैसे पत्थर के हो रहे थे , चुपचाप बड़ी देर तक वहीँ खड़ी रही ,
फिर फोन को देखती रही , ... अब फोन को देख के गुस्सा आ रहा था , मन कर रहा था सील लोढ़ा लेकर कूच दूँ , ...
आंखे डबडब कर रही थीं , ...
सास के पास से तो आयी सेकंडों में उड़ कर आयी थी , इनके फोन की घंटी सुन कर , अब जाने में वापस जैसे महीनों लग रहे थे , ...
किसी तरह पैर घसीटते हुयी पहुंची तो कमरे के बाहर से सास जेठानी दोनों खर्राटों की आवाज सुनाई पड़ रही थी।
मैं सासू जी के बगल में करवट कर लेट गयी , पर सासू जी भी न , ओर मुड़ी , मुझे अपनी बाँहों में दुबका लिया , कस के जैसे माँ करती थी जब मैं उनके पास सोती थी , ...
और कुछ देर में मैंने अपने पैर भी उनके ऊपर कर लिए , रजाई की गरमाहट , सासू जी का दुलार ,... बस थोड़ी देर में नींद आ गयी।
और आयी तो कस के ,
परसों रात उन के साथ , ... सोने का सवाल नहीं था।
और कल रात , उन के बिना नींद नहीं आयी।
तो इस समय कस के देर तक , ... और जब नींद खुली तो शाम होगयी थी , बल्कि रात , जेठानी जी मुझे चाय ले कर जगा रही थीं , सासु जी अपने कमरे में चली गयी थी।