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Erotica मोहे रंग दे

komaalrani

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ननदें , ... गुड्डी












मैं बिना बोले देर तक फोन देखती रही , जैसे अभी फोन से फिर उनकी आवाज आनी शुरू हो जायेगी , ...


मुझे मालूम था , अब ज़नाब गगन विहारी होंगे , दो ढाई घंटे से पहले उनकी आवाज सुनने का कोई चांस नहीं , ...

और फोन पकडे पकडे , देखते देखते कब मैं सो गयी पता नहीं ,

उठी घंटे सवा घंटे बाद , लेकिन जानबूझ कर मैंने आँख नहीं खोली ,


गुड्डी थी , वही उनका माल ,

और उसकी दो सहेलियां , एकदम पक्की वाली।







पता तो मुझे चल गया था ,

भौजाइयों को तो ननदों की महक ,

और खास तौर से वो गुड्डी और उसकी सहेलियों की तरह कच्ची उमर वाली हों , तो सपने में भी लग जाती है , और ये तीनों तो नयी नयी टीनेजर में पहुंची किशोरियों की तरह चहक रही थीं ,

लेकिन जानबूझ कर मैंने आंखे और कस के मींच ली ,

" भाभी उठिये न , कित्ता सोयेंगी , ... "


ये गुड्डी थी , इनकी ममेरी बहन , वही एलवल वाली।

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" रात भर भैया ने सोने नहीं दिया होगा , ... "

ये लीला थी , गुड्डी की सहेसी गुड्डी के घर के बगल में ही रहती थी , उसी मोहल्ले में।


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गुड्डी की तो ब्रा मैंने खोल कर देख ली थी , २८ सी , इसकी नहीं देखी थी , पर मेरा अंदाज ये था की ३० से कम नहीं होगी , कप साइज भी सी या डी होगी , और मेरी भौजाइयों की सोहबत ने सिखा दिया था की मैं समझ जाऊं , ... ये मेरी ननद की सहेली , या तो आलरेडी चल रही होगी , या कम से काम रगड़वा मिजवा तो रही ही होगी , अपनी अमिया।

लम्बाई गुड्डी के बराबर ही होगी , ५.३ पर देह थोड़ी ज्यादा भरी , सिर्फ सीना ही नहीं चूतड़ भी थोड़े ज्यादा बड़े , रंग गुड्डी ऐसा गोरा तो नहीं था , गुड्डी तो जैसे कोई दूध में दो बूँद गुलाबी रंग के डाल दे उस तरह गोरी थी , पर ये ,... हाँ सांवली भी नहीं। पर नमक बहुत था , ...

" तू तो कह रही थी तेरे भैया , ... बाहर गए हैं। "

पूछने वाली रेनू थी , गुड्डी की दूसरी सबसे क्लोज सहेली , और मैं इन दोनों से मिल चुकी थी।

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इन के जाने के बाद गुड्डी दो बार आयी थी , अपने स्कूल से इन दोनों के साथ , ...

रेनू , के उभार लीला ऐसे तो नहीं लेकिन गुड्डी से थोड़े हलके से ज्यादा , बोलने में भी बहुत मुंहफट , मैं और जेठानी जी उसे चिढ़ाते थे , तो वोई भी मुंह खोल के जवाब देती थी , गंदे से गंदे मजाक का बुरा नहीं मानती थी। मेरी उससे एकदम पक्की दोस्ती हो गयी थी।

अनुज जब गुड्डो के चक्कर में , चक्कर लगाता था तो भी ये दोनों , गुड्डी और अनुज के साथ , फिर तो मैं गुड्डी , रेनू और लीला के साथ कभी लूडो खेलती कभी कैरम , ...

और अनुज अपने माल के साथ , कबड्डी।

लेकिन लीला ने भांप लिया , सोने में मेरा आँचल लुढ़क गया था , ब्लाउज तो लो कट मैं पहनती ही थी , ब्रा भी नहीं , ... बस इनके दांतों के निशान , मेरे उभारों पर साफ़ दिख रहे थे , चलते चलाते उन्होने चुम्मा लेते लेते मेरे गाल को कचकचा के काटा था और वहां भी दांतों के निशान , उभारों के ऊपरी भाग पर इनके नाखूनों के निशान , ...


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सुहागरात की अगली सुबह से मैं समझ गयी थी ,

छोटी से छोटी ननदें ढूंढ ढूंढ के ये सब निशान देखतीं थी और उन्हें चिढ़ाने का बहाना मिल जाता था , ...

और लीला तो मुझे शुरू से , खेली खायी या खेलने खाने के लायक लगती थी , ...

बस उसने रेनू और गुड्डी दोनों को निशान दिखाए , और तीनों खिलखिलाने लगी ,

" लगता है तेरे भैया कल आये थे , ... "

लीला गुड्डी से बोली ,

गुड्डी जरा सा मुस्करायी फिर आँख तरेर कर बोली ,

" तेरे भैया मतलब और तेरे क्या ,... "

लीला ने तुरंत गलती सुधारी और बोली , " ओके ओके , तेरे नहीं , सिर्फ भैया ,... "

लेकिन रेनू को कुछ याद आया , पिछली बार जब वो और गुड्डी आयीं थी तो मैं और जेठानी जी , गुड्डी को इनका माल कह के बार बार छेड़ रहे थे। गुड्डी ने भैया बोला तो जेठानी जी ने छेड़ा सिर्फ भ की जगह स लगा ले न दिन में भैया रात में सैंया।

पर मैंने और जोड़ा ,

"नहीं दीदी , दिन में भी सैंया रात में सैयां , ... अरे जब मिले मौका , तब मारो चौका। दिन रात का क्या। "

रेनू ने गुड्डी के गुलाबी डिम्पल वाले गाल में कस के चिकोटी काटी और छेड़ा ,

" चल हम दोनों के तो भैया और तेरे ,... बोल न भाभी पिछली बार क्या कह रही थीं , ... "

गुड्डी के गाल गुलाब हो गए , ... शर्म से लाल।

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उसने बात बदल के मुझे पकड़ के जगाने की कोशिश शुरू कर दी।

" भाभी उठिये न , ... शाम हो गयी है ".

बस मुझे मौका मिल गया उस , को दबोचने का।

मैंने ये ऐक्टिंग किया जैसे मैं गुड्डी को , ' वो ' समझ रही होऊं , और मैंने उसे पकड़ लिया , और बोली ,

" छोड़ न , रात भर , .. तंग किया , सुबह से , ... थोड़ी देर सोने दो न "

मेरी आँखे बंद थे लेकिन हाथ जाग रहे थे , और अगर क्यों भाभी ननद को पकड़ती है , तो उसके हाथ सबसे पहले कहाँ पहुँचते है , ... ये के बी सी का एक हजार वाला सवाल भी नहीं है , सिम्पल , ननद के , और खास तौर से गुड्डी की तरह नयी उमर की नयी फसल , ... सीधे उसके नए नए आते जुबना पर ,


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और मेरे हाथ भी वहीँ ,
ऐसे ,
एकदम रुई के फाहे ऐसे मुलायम , मुलायम , छोटे छोटे , जस्ट आते ,...

और मेरी ऊँगली निप्स पर , फ्लिक करतीं , ...

मटर के दाने जैसे , नहीं , ... नहीं बड़े वाले मटर के दाने नहीं ,

कच्ची छीमी जैसे होती है न , नयी नयी आयी मटर की फली , ... बस उसके दाने ऐसे , खूब मुलायम छोटे छोटे , बस वैसे ही

मैंने अंगूठे और तर्जनी के बीच दबा कर कस के मसल दिया , उन नए नए निप्स को ,

" भाभी छोड़िये न , ... " गुड्डी चीखी ,

लेकिन मैंने छोड़ने के लिए थोड़ी पकड़ा था , बस और कस के मसलने लगी ,

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" अरे भैया नहीं हैं , मैं हूँ " वो बेचारी बोली।

" जानती हूँ मैं , ... " और मैंने झट्ट से आँखे खोल दीं , ... जब तक वो सम्हले सम्हले , मैंने कस के अबकी उसके सर को पकड़ के उसे अपनी ओर खिंचा ,

मू मु ...


और कस के चुम्मी , लिप्पी ,... सीधे मेरे होंठ उस के होंठ पर , थोड़ी देर तक , .. फिर मेरे होंठों ने उस के होंठों को अपने होंठों के बीच दबोच लिया , और कचकचा कर ,


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चूमा भी , चूसा भी , काटा भी , ...
 
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मस्ती ननदों के संग
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और कस के चुम्मी , लिप्पी ,... सीधे मेरे होंठ उस होंठ पर , थोड़ी देर तक , ..


फिर मेरे होंठों ने उस के होंठों को अपने होंठों के बीच दबोच लिया , और कचकचा कर ,


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चूमा भी , चूसा भी , काटा भी , ..

.

रेनू , लीला दोनों खिलखिला रही थीं , ...

मैं भी खिलखिलाते बोली , ...

" भैया नहीं है तो भइया की बहिनी से ही काम चलाना पडेगा न। "


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"लेकिन लगता है , भैया आये थे , लग तो यही रहा है "



मेरे बगल में खड़ी लीला हँसते , मेरे अधखुले उभारों पर उनके दांतो के , नाखूनों के निशान देखते , मुझे छेड़ते बोली ,

गुड्डी को मैंने छोड़ा और लीला को दबोच लिया , वो थोड़ी गदरायी भी थी और उसके उभार भी रसीले ज्यादा थे ,


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मेरे होंठ एक बार फिर ननदिया के होठो के रस ले रहे थे , ...


और वो ज्यादा छुड़ाने की भी कोशिश नहीं कर रही थी लेकिन मेरे हाथ कुछ और सोच रहे थे ,

असल में ननदो को देख कर भौजाइयों के हाथ एकदम डाकू हो जाते हैं ,


फिर ऐसे रसीले जोबन टॉप में बंद रहे , बड़ी नाइंसाफी है

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और नाइंसाफी मुझे पसंद नहीं , मेरे हाथों को तो बिलकुल नहीं ,

और जब तक वो सम्हले मुझे रोके , लीला के टॉप के बटन मैंने खोल दिए


जोबन उछल कर बाहर , आलमोस्ट ,...

क्योंकि ब्रा का कवच अभी भी था , और पीछे से बंद , ...

पर न मैं पहली भाभी थी , न वो पहली ननद, जिसके उभारों को आजाद करने पर उसकी भाभी तुली हो ,

बस उसने दोनों हाथों से मेरे टॉप खोलते हाथों को रोकने की कोशिश की ,


और वहीँ लीला से चूक हो गयी , मेरा एक हाथ टॉप के पीछे से , ..

और आराम से मैंने ब्रा का हुक भी खोला और ब्रा को ढीला कर के सरका भी दिया , ...

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अब रेनू और गुड्डी खिलखिला रही थीं , हम दोनों का खेल तमाशा देख रही थीं ,

टॉप के ऊपर के दो बटन खुल चुके थे , मेरे काम के लिए ,

गुड्डी की सहेली लीला का ध्यान , टॉप बंद करने की कोशिश और टॉप में घुसे एक हाथ को निकालने के चक्कर में था ,


लेकिन चोली में घुसा हाथ बिना जुबना के रस लिए निकलता है क्या

, मेरा भी नहीं निकला और साथ में मैंने ये भी भांप लिया मेरी इस ननद के उभारों पर पर किसी लौंडे का हाथ जरूर पड़ चुका है ,

फिर मैं क्यों छोड़ती ,

अब पीछे से जिस हाथ ने सेंध लगाई थी , ब्रा खोला था , वो भी ,...

और दोनों जोबन , दोनों हाथों ने एकदम बराबर बराबर बाँट लिया ,

आखिर लौंडो से मिजवाती रगड़वाती है और भौजी से नखड़ा ,...


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लेकिन असली हमला हवाई होना था होंठों का ,


हाथ तो सिर्फ डाइवरजनरी टैक्टिस थे ,

वो मेरे उभारों के निशान देख के छेड़ रही थी न बस मेरे होंठ सीधे लीला रानी के उभारों के ऊपरी भाग पर

पहले तो कस के चूसा ,

फिर कस के दांत गड़ा दिए , वो जोर से चीखी ,


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लेकिन चीखने से क्या,

हम भाभियाँ चीखती हैं तो क्या ननदों के भाई छोड़ देते हैं ,




कुछ देर तक कचकचा कर काटने के बाद , ... वहीँ पर होंठों का ही मलहम , हलके हलके जीभ से सहलाना , चूसना , फ्लिक करना

और जैसे ही दर्द थोड़ा सा कम हुआ , कचकचा के पहली बार से दूनी ताकत से काटा ,

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ये ट्रिक मैंने ननद के भाई से ही सीखी ही थी , एक बार काटने पर अगर दुबारा काट लो , चूस के , तो निशान पक्का हो जाता है , ...



और मैंने तो हैट ट्रिक की , और फिर सिर्फ एक उभार पे टैटू बनाने से दूसरा वाला नाराज नहीं हो जाता ?


इसलिए दूसरे वाले पर भी।


" अब तेरे भैया तो थोड़ी देर पहले चले गए , तो चलो भाभी से ही निशान बनवा लो। "

लेकिन तब तक मेरी निगाह रेनू पर पड़ी , वो पहले ही मुझसे बहुत खुली थी।


वो लीला के बगल में खड़ी उचक उचक कर अपनी सहेली के खुले उभार पर जो मैंने दांतों से निशान बनाये थे ,


वो देख रही थी और उसे चिढ़ा रही थी ,


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बस मुझे मौका मिल गया ,

उसकी छोटी सी नेवी ब्लू कलर की स्कर्ट से रेनू की चिकनी मांसल गदरायी जाँघे झांक रही थीं , थोड़ी खुली और फैली भी ,

बस , एक भाभी को इससे ज्यादा क्या चाहिए , ...

और मैंने स्कर्ट के अंदर हाथ डाल दिया ,

वो चौंकी , उचकी और जाँघे सिकोड़ने की कोशिश की , पर इन सबका इलाज मुझे मालूम था , हल्की सी गुदगुदी और जांघ के एकदम ऊपरी हिस्से पर , एक जोर की चिकोटी काटी , बस ,... जाँघे पहले से भी ज्यादा फ़ैल गयीं। मेरी गदोरी , अब जाँघों के सबसे ऊपर के हिस्से में थी , एकदम उसकी पैंटी को छूती , ... और अब मुझे जल्दी भी नहीं थी।

हलके हलके मैं जाँघों के ऊपरी हिस्से को सहला रही थी , रेनू की आंखे मुंद रही थी , उसकी देह सिहर रही थी , पर बड़ी मुश्किल से बेचारी बोली ,

" भाभी , निकालिये न "

जवाब में मैंने हथेली सीधे उसकी पैंटी में घुसेड़ दिया और हँसते हुए बोली ,

" अरे ननद रानी , दो बातें तेरी गलत हैं , पहले तो अभी मैंने डाला भी नहीं है , ... दूसरे ये तुम तीनों की उमर डलवाने की है , और ऐसे मस्त माल को , ... अरे देखना लौंडे डालेंगे पहले , पूछेंगे बाद में। "
 
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रेनू




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लेकिन तब तक मेरी निगाह रेनू पर पड़ी ,

वो पहले ही मुझसे बहुत खुली थी।


वो लीला के बगल में खड़ी उचक उचक कर अपनी सहेली के खुले उभार पर जो मैंने दांतों से निशान बनाये थे ,

वो देख रही थी और उसे चिढ़ा रही थी ,


बस मुझे मौका मिल गया ,

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उसकी छोटी सी नेवी ब्लू कलर की स्कर्ट से रेनू की चिकनी मांसल गदरायी जाँघे झांक रही थीं ,

थोड़ी खुली और फैली भी ,

बस , एक भाभी को इससे ज्यादा क्या चाहिए , ...

और मैंने स्कर्ट के अंदर हाथ डाल दिया ,



वो चौंकी ,

उचकी और जाँघे सिकोड़ने की कोशिश की ,

पर इन सबका इलाज मुझे मालूम था ,

हल्की सी गुदगुदी और जांघ के एकदम ऊपरी हिस्से पर , एक जोर की चिकोटी काटी , बस ,... जाँघे पहले से भी ज्यादा फ़ैल गयीं।

मेरी गदोरी , अब जाँघों के सबसे ऊपर के हिस्से में थी , एकदम उसकी पैंटी को छूती , ...


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और अब मुझे जल्दी भी नहीं थी।

हलके हलके मैं जाँघों के ऊपरी हिस्से को सहला रही थी , रेनू की आंखे मुंद रही थी , उसकी देह सिहर रही थी ,

पर बड़ी मुश्किल से बेचारी बोली ,

" भाभी , निकालिये न "




जवाब में मैंने हथेली सीधे उसकी पैंटी में घुसेड़ दिया और हँसते हुए बोली ,

" अरे ननद रानी , दो बातें तेरी गलत हैं , पहले तो अभी मैंने डाला भी नहीं है , ...

दूसरे ये तुम तीनों की उमर डलवाने की है , और ऐसे मस्त माल को , ... अरे देखना लौंडे डालेंगे पहले , पूछेंगे बाद में। "


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सच में एकदम मस्त माल थी , पूरी मक्खन मलाई , ... झांटे तो आ गयी थीं , लेकिन बहुत छोटी छोटी , ... खूब मुलायम , ...

मैंने प्रेमगली का हाल चाल लिया ,


हथेली से दोनों पपोटों को थोड़ा रगड़ा मसला , और वो गीली होने लगी , ...


तर्जनी से उस कच्ची चूत की दोनों फांको के बीच हलके से ,

उफ़ , सच में जिस लड़के को ये पहली बार मिलेगी न उसकी किस्मत खुल जायेगी।


ऊँगली की टिप से खोद कर दोनों फांको के बीच मैंने थोड़ी सी जगह बनाई , फिर हलके से तर्जनी का जोर लगाया , नहीं घुसी।



फिर कलाई का पूरा जोर लगाया , तब भी टस से मस नहीं हुयी , ...बात साफ़ थी।

माल अभी कोरा है , एकदम कसी , सील बंद ,...



लेकिन मजा लेने को तैयार ,


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जिस तरह उसकी चुनमुनिया गीली हो रही थी , वो सिसक रही थी , ये भी साफ़ था ,

ननद रानी ने ऊँगली करना न सिर्फ सीख लिया है बल्कि , बिना नागा अपनी कुंवारी चूत रानी का हाल चाल पूछती रहती हैं।

मैंने ऊँगली घुसाने की कोशिश छोड़ अंगूठे और तर्जनी के बीच दोनों फांको को पकड़ कर मसलना शुरू किया।



ये ट्रिक मैंने रीतू भाभी से सीखी थी ,

जबरदस्त उचकने वाली सती साध्वी कन्या कुँवारी भी दो मिनट में पानी छोड़ देती है।

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तंग मैं रेनू को कर रही थी पर निगाह मेरी उनकी ममेरी बहन पर टिकी थी , गुड्डी रानी पर।

वो भी देख रही थी उसी की समौरिया , सहेली की रगड़ाई कैसे खुल के हो रही थी।





परपज भी मेरा यही था , वो भी मज़ा लेना सीख जाए।

उसकी सहेलियां खुल के अपने जोबन मिजवा रही थीं , चुसवा कटवा रही थीं , बिलिया में ऊँगली डलवा रही थीं , ...


और गुड्डी के भी छोटे छोटे उभार पथरा रहे थे , चेहरे पर उसके बजाय झिझक और चिढ़ने के , उत्तेजना भरी हुयी थी।



लेकिन तबतक मेरा ध्यान तीनो के ड्रेस पर पड़ा , सफ़ेद टॉप और नेवी ब्ल्यू स्कर्ट।

स्कूल की ड्रेस , मैंने बताया था न गुड्डी जी जी आई सी ( गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज ) में पढ़ती थी ,

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एकदम हम लोगों के घर के पास। छत पर से स्कूल भी दिखता था और स्कूल से आती जाती लड़कियां भी और उनको तकते , ललचाते घर तक छोड़ते ले आते लड़के भी , ...





रेनू और लीला भी वहीँ , इसलिए स्कूल से छुट्टी होने पर तीनों सीधे यहाँ ,

" हे संडे के दिन स्कूल "

रेनू की स्कर्ट से हाथ बाहर निकाल कर चौंकते हुए मैंने पूछा।

" भाभी , एक्स्ट्रा क्लास थी "

लीला बोली।



" मैं सब समझती हूँ , ये बोल तुम तीनो के एक ही यार थे , या अलग अलग जिसके साथ एक्स्टा क्लास थी ,
और यार ने एक ही बार ली या दो बार। "


हँसते हुए मैंने अपनी तीनों किशोर नंदों को छेड़ा।








" भाभी , आप सबको अपनी तरह समझती हैं , आप यही बहाना बनाती थीं न यारों से मिलने के लिए। "

लीला बोली।

ननद कौन जो भाभी का जवाब न दे , और लीला तो एकदम , ... मुझे पूरा शक था ,... घोंट चुकी है।



और मैं सीधे गाली पर आ गयी ,

" चलो देख आएं आज़मगढ़ का जी जी आई सी स्कूल , चलो देख आएं ,

" चलो देख आएं आज़मगढ़ का जी जी आई सी स्कूल , चलो देख आएं ,

जहाँ पढ़े हमारी गुड्डी रानी , अरे लीला रानी , अरे रेनू रानी , हमार ननद रानी

न पढ़े में तेज , न पढ़ावे में तेज , अरे न पढ़े में तेज न पढ़ावे में तेज ,

अरे रेनू छिनार , नौ नौ लौंडा फँसावे में तेज , अरे नौ नौ यार पटावे में तेज

अरे गुड्डी छिनार नौ नौ लौंडा फँसावे में तेज , अरे नौ नौ यार पटावे में तेज


अरे लीला छिनार , अरे नौ नौ लौंडन से चोदवावे में तेज , बुर मरवावे में तेज


अब तीनो मजा ले रही थी , मैंने भी फिर लीला को छेड़ा ,

" क्यों लीला , मैंने कहीं कम तो नहीं बोल दिया , नौ से ज्यादा तो नहीं है , ...




बस गलती से उसके मुंह से निकल गया नहीं भाभी नौ नहीं सिर्फ एक और वो भी बस , ...

जब तक वो चुप होती , बात बनाती तीर कमान से निकल चुका था , और अब रेनू और गुड्डी भी मेरे साथ दोनों ही उसकी हम राज ,
 
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