जैसे कि आपने पढ़ा किस प्रकार एक संस्कारी, धार्मिक एवम पतिव्रता मा हवस के वशीभूत होकर अपने ही सगे बेटे के सामने अपना boor खोलकर लेटी थी।
राजेश तो एक नौजवान था। नया नया जोश था। उसको तो सिर्फ boor चाहिए था।अपनी land की गर्मी शांत करने अब इस उम्र में नौजवान दिल दिमाक से नही land से सोचता हैं,बाद मे परिणाम क्या होगा इसके बारे में नही सोचते।
राजेश यह भी जान चुका था कि जोऔरत इस समय मेरे सामने लेटी हैं यह वो ma सुनिता नही जो हमेशा मुझे मर्यादा की पाठ पढ़ाती हैं । ये तो एक प्यासी जनाना हैं जो कामांध होकर यह भूल चुकी हैं कि वह जिसके नीचे नंगी होकर लेटी हैं ,वह उसका सगा बेटा है।
सुनिता एक गदराई औरत थी। एक गदराया खूबसूरत बदन वाली औरत ,किसी पुरुष को भोगने कहे और वह पुरुष उस औरत को भोगने को छोड़कर उसे सही गलत का ज्ञान कराए तो ,सभी उस पुरुष की पुरुषत्व पर सक करेंगे।
राजेश तो एक मर्द था । नया नया जोश था तो वह भी यह जानते हुवे की, सामने जो औरत लेटी हैं वो उसकी सगी मां हैं ।भूल गया और उसे वह एक गदराया बदन की खूबसूरत औरत नज़र आ रही थी जो उसे जन्नत मे ले जायेगी , परम सुख देगी।
राजेशको इस बात का भय था कि कही मां के ऊपर जो हवस की भूत सवार हैं कही उतर गया। तो फिर से मर्यादा की पाठ पढ़ाना शुरू कर देगी। और वह देर न करते हुवे दो धक्के मे ही अपने आधे से अधिक land ko अपने मां के योनी में उतार दिया था।
इसके बाद राजेश अपनी मां के ऊपर लेट गया और उसके ओंठो को चुसने लगा। एक हांथ से अपने मां के स्तनों का मर्दन करने लगा।
सुनिता राजेश की इन हरकतों से अपने chut se pani बहाने लगी ।
अब राजेश अपने कमर को धीरेधीरे ऊपर नीचे करने लगा । सुनिता के मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
अब राजेश उकडू बैठ गया और अपने मां के स्तनों को दोनों हाथो से मर्दन करने लगा। उससे खेलने और चूसने लगा।
राजेश की इन हरकतों से ,सुनिता के शरीर को अब बर्दाश्त के बाहर हो गया अब वह खुद ही अपने कमर उठा कर राजेश के land को निगलने की कोशिश करने लगी।
राजेश समझ गया की सुनिता तेज chudna चाहती है।
अतः वह अब देर न करते हुए सुनिता के chut चू त पर land ki धक्के की गति को बढ़ाना शुरू कर दिया।
इधर सुनिता भी राजेश का सहयोग land को पूरे अंदर घुसाने मे कर रही थीं जिसका नतीजा यह huwa की लौड़ा कुछ ही पल सुनिता की boor में पूरी तरह समा गया।
अब राजेश अपने land पूरा बाहर खींचकर सुनिताके chut के अंदर डालकर चोदने लगा।
Land सुनिता के chut की रस से सराबोर होकर बड़े आसानी से अन्दर बाहर होने लगा।
Land काफी मोटा होने के कारण boor की पूरी दीवार को अच्छी तरह रगड़ रहा था । जिससे सुनिता जन्नत में पहुंच गई।
वह अपने मुंह से लगातार कामुक आवाजे निकालने लगी।
Land chut me गपागप अन्दर बाहर होने लगा।
सुनिता को आज से पहले चुदाने में इतना आनन्द कभी नही आया था।
Chut का पानी झरने की तरह बाहर आने लगा।
Chut का रस राजेश के land se होता huwa उसके अंडकोस से bed par टपकने लगा।
Rajesh भी अब जन्नत में पहुंच गया।
उसे सुनिता को चोदने में सुमन से भी ज्यादा मजा आ रहा था।
अब वह अपने chudai की गति को लगातार बड़ा रहा था। कमरे में सुनीता की सिसकने और चीखने की आवाज गूंजने लगी।
यदि दरवाजा बंद ना होता तो सुनिता की चीखने कीआवाज सुनकर स्वीटी और राजेश जरूर उठ जाता ।
सुनिता राजेश की कमर को अपने दोनों हाथो से जकड़ लिया । राजेश पूरे जोश में आकर सुनिता की दनादन chudai करने लगा।
सुनिता ज्यादा देर बर्दास्त ना कर सकी और rajhesh कि कमर को जोर से जकड़ कर चीखते हुवे झड़ने लगी।
राजेश समझ गया कि सुनिता झड़ गई है।
वह अच्छी तरह जानता था कि यदि वह ज्यादा देर तक रुका तो उसकी मां के उपर चढ़ा हवस का भूत उतर जायेगा और फिर उसकी मां उसे चोदने नही देगी।
अतः वह chudai की गति कम जरूर कर दिया लेकिन chudai रोका नहीं।
वह अपने मां की चुचियों को मसलना एवम चूसना लगातार जारी रखा जिससे सुनिता फिर गर्म होने लगी।
उसके मुंह से फिर सिसकारी निकलने लगीं।
राजेश को पता चल गया की उसकी मां फिर गरम हो गई है। वह फिर से chudai की गति बड़ा दी।
कुछ ही पल में फिर से सुनिता जन्नत में पहुंच गई वह अत्यंत कामुक आवाजे निकालने लगी।
Rajhesh अब तेज तेज चोदने लगा जिससे कमरे में फाच फ्च की आवाज गूंजने लगा।
सुनिता एकबार फिर झड़ने की स्थिति में पहुंच गई।
वह राजेश के कमर को जोर से जकड़ ली और झड़ने लगी। उसके हांथ पैर कपकाने लगे।
इधर राजेश नही झड़ा था वह नही चाहता था कि उसके झड़ने से पहले उसकी मां होश में आए।
अतः वह chudai जारी रखा।
वह अपने हाथो से अपने मां के गले को सहलाते, होंठो को चूसते, चुचियों को मसलते हुवे chudai जारी रखा। अब सुनिता थकने लगी थी पर राजेश की हरकतों से वह फिर गरम होने लगीं।
राजेश का land अपने मां के boor का पानी पी पीकर खूब मोटा हो था । chut land को puri tarah जकड़ा huwa था। वह कसा कसा अन्दर बाहर हो रहा था।
सुनिता दो बार झड़ चुकी थी, अब वह फिर गरम होकर सिसकारी निकालने लगी।
राजेश जिस chut se बाहर आया था वह उसी के अन्दर समा जाने मा बेटे के बीच फिर से एक बार युद्ध होने लगा, पर पुरुष कितना ही ताकतवार हो अंत में हार तो पुरुष का ही होता है।
अतः राजेश भी अब स्खलन की ओर बढ़ने लगा अब वह अपने कमर को उपर उठा उठाकर जोर जोर से चोदने लगा। पूरे कमरे में fuch fuch guch की आवाज गूंजने लगा।land का टोपा chut के अंतिम छोड़ पर पहुंच कर सुनिता के गर्भाशय को ठोकर मारने लगा जिससे सुनिता को अनोखा आनंद आने लगा ऐसा सुख की कल्पना भी उसने नही की थी।
आनंद के मारे वह अपने आंखे पलटने लगी।
इधर राजेश भी अपने अंतिम अवस्था मे पहुंच गया।
वह अपनी मां को हूमच हुमच कर चोदने लगा। वह जन्नत में था
अब rajhesh अपने को रोक न सका और सुनिता की कमर को जोर से जकड़ कर ,आह मां,,, haah ma h,hh, कर कराहते करते हुवे आंख बंद झड़ने काआनंद लेने लगा।
वह सुनीता के बच्चेदानी मेंअपने land se वीर्य की लम्बी लंबी पिचकारी मारने लगा। पूरे गर्भाशय को अपने बीज से भर दिया।
सुनीता गरम गरम वीर्य को अपने कोख में महसूसकर बर्दास्त ना कर सकी । क्योंकि बरसो बाद यह आनंद उसको मिला था और वह भी चीखते हुवे झड़ने लगी। और वह इस आनंद को बर्दास्त ना कर सकी और वह बेहोश हो गई।
इधर राजेश भी थक कर bed में लेट गया।
कुछ देर बाद राजेश नार्मल huwa वह अपनी मां की ओर देखा मां की आंखे बंद थी।
वह मां को आवाज लगाई । मां ।
उसे हाथो से हिलाया।
सुनिता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया।
राजेश ghabra गया।
वह कमरे में रखे जग से पानी लाया और पानी की छींटे उसके चहरे पर मारा। और बोला उठो मां। क्या होगया आपको।
पानी की छींटे चहरे पर पड़ते ही सुनिता को होश आया। वह अपने हालत को देखा। उसके ऊपर से हवश का भूख उतर चुका था। वह रोने लगी। वह देखी की वह अपने बेटे के सामने नंगी है वह लज्जित होकर जोर जोर से रोने लगी।
वह अपने कपड़े ठीक करते हुवे जोर जोर से रोने लगी।he भगवान मुझसे ये इतना बड़ा पाप कैसे हो गया।
मै कैसे बहक गई। मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रही। ये कैसा अनर्थ हो गया। मै अपने ही बेटे के साथ सो गई।
मै हवस में इतनी अंधी कैसे ho गई, और वह जोर जोर से रोने लगी।
राजेश अपने मां को रोते देख उसे गले लगाकर चुप karnae की ,उसे समझआने की कोशिश करने लगा।
सुनिता राजेश को जोर से धक्का दे देती है और कहती हैं।
मै तो हवस में कामंध हो गई थी।
तुमने मुझे क्यू रोका नहीं।
राजेश अपनी मां से माफी मांगने लगा।
राजेश के गालों पर सुनिता तीन चार चांटे लगा देती है।
तुम तो खुद ही मुझे भोगना चाहते थे। तुमने भी मुझे रोकने के बजाए मौके का अच्छा फायदा उठाया । तुम तो बहुत खुश होगे अपने मां का शील भंग कर मेरी पतिव्रता को भंग कर।
राजेश अपनी मां के पैरो को पकड़कर माफी मांगने लगा। सुनिता ने उसे पैरो से लताड़ लगा कर मुझे मत छु।
सुनिता छोड़ दो मुझे छुओ मत। अगर आज के बाद मुझे कभी छुआ भी तो मेरा मरा मूंह देखोगे। वह कमरे मे अपने हाथो से सिर पकड़कर रोते बैठी रही।
फिर अपने सारे कपडे समेटकर सुबकते हुवे अपने कमरे मे चली गई।
राजेश भी सुबक रहा था।
उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा था।