चन्दन की मां कमला, भगत को अपनी आप बीती सुना ने लगी कि किस तरह वह अपने बेटे से शारीरिक संबंध बनाने मजबूर हो गई। उसने को भी बताया वृत्तांत निम्नानुसार हैं __
बात आज से चार साल पहले की है, हमारे परिवार में पांच सदस्य हैं। उस समय मेरा पति श्यामलाल 48वर्ष, मै कमला 44 वर्ष, मेरी बड़ी बेटी चंपा 25वर्ष, छोटी बेटी चंचल 22वर्ष और सबसे छोटा चन्दन जिसकी उम्र उस समय 18वर्ष की थी।
बड़ा खुशहाल परिवार था हमारा घर में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। मेरा पति गांव में किराना दुकान चलाता था। जिससे अच्छी आमदनी होती थी।मेरी दोनो बेटियों की शादी हो चुकी थी वे अपने ससुराल में रहते थे, बड़ी बेटी चम्पा की 3वर्ष की एक बच्ची भी थी।
घर में अब हम पति पत्नी और मेरा बेटा चन्दन ही रह रहे थे। चन्दन 12 वी कक्षा पास कर लेने के बाद पढ़ाई बंद कर ,किराना दूकान में अपने पिता का हांथ बटाने लगा था। सब कुछ कुशल मंगल पूर्वक चल रहा था कि तभी किसी की बुरी नजर हमारे परिवार पर लगी।
मेरे पति अक्सर दूकान में समान खतम हो जाने पर,अपने मोटर साइकिल से ,पास के शहर जाकर किराना सामान लाता था।एक दिनमेरा पति किराना सामान लाने अपने मोटर साइकिल से पास के शहर गया था।
वह सामान मोटरसाइकल में लादकर गांव आ रहा था। सामान ओवरलोड हो गया था। रास्ते ट्रक गुजरने पर वह मोटर साइकिल को कंट्रोल नही कर पाया और वह मोटर साइकिल से सामान सहित गिर पड़ा।उसके सिर पर चोट लगी, वह उठ नही पाया।
गांव का एक पड़ोसी शहर जा रहा था। उसने मेरे पति को पहचान लिया ।उसनेफोन द्वारा हादसे की जानकारी मेरे बेटे को दिया।
हम लोग चन्दन के बापू को,लोगो की मदद से पास के शहर के हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले गए।
डॉक्टरों द्वारा चेकअप से पता चला की मेरे पति के सिर पर अंदरूनी चोंट लगी है जिसके कारण उसका एक हांथ और पैर काम नही कर पा रहा।
डॉक्टरों ने अपने ओर से पुरी कोशिश की परंतु। मेरे पति के स्थिति में कोई सुधार नहीं आया तब डॉक्टरों ने उसे बड़े हॉस्पिटल ले जाने की सलाह दी।
डॉक्टरों के सलाह के अनुसार हम उसे बड़े शहर में डॉक्टरों द्वारा बताए हॉस्पिटल में एडमिट करा दिए।चन्दन के पिता करीब एक माह तक उस हॉस्पिटल में एडमिट रहा।
उसके हांथ एवम पैर में थोडा मूवमेंट जरुर आया लेकिन अभी भी स्वयं खड़ा हो पाने की स्थिति में नही आया था। डॉक्टरों ने कहा कि आप इन्हे घर ले जाए इनके लिए दवाई लिख रहे हैं जो नियमित रूप से खिलाते रहना होगा जिससे इनकी स्थिति में सुधार होता जाएगा।
इस प्रकार हम लोग चन्दन के पिता जी को घर ले आये एवम डॉक्टर के द्वारा दिए गए दवाई को नियमित रूप से खिलाते रहे।मेरे पति के स्थिति में कुछ सुधार भी huwa,अब वह उठकर बैठ सकता था। उसके पैर में काफ़ी सुधार huwa था पर हांथ कि स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं huwa था।
इस तरह10माह गुजर गए।इसी बीच मेरी बड़ी बेटी चम्पा जो इस समय 8माह की पेट से थी। वह dilwari के लिए अपनी मायका चली आई क्यू की उनकेससुराल में कोई नही था, जो चम्पा की देखभाल कर सकें
।दामाद जी ड्यूटी पर चला जाता था। चम्पा घर में अकेली रह जाती थी इसलिए dilvari बच्चे को जन्म देनेके लिए वह अपने मायका हमारे पास चली आई। अपने 3वर्ष की बेटी को लेकर ।
अब हम धीरेधीरे इस दुख से बाहर निकल रहे थे। बेटा चन्दन पूरी तरह से अब दूकान की जिम्मेदारी संभाल लिया था। मैं घर का काम और पति की सेवा में अपना समय बिताने लगी।
चम्पा भी अब हमारी कुछ मदद कर देती थीं।सब कुछ सामान्य होने लगा था तभी एक कि दिन मेरी ननंद जो दूर एक गांव में बिहा कर गई है ,मेरे पति अपने भाई को देखने घर आई थी।
उसने बताया की वह एक नामी बाबा के बारे में सुनी है जो लोगो का दुवा और दवा दोनो से उपचार करता है। लोगो का कहना है की उसने हजारों लकवा पीड़ित मरीज का उपचार किया है।आप लोग भईया को एक बार बाबा को दिखा लाते।
मैने कहा अगर ऐसी बात है तो हम जरुर एक बार उस बाबा जी के आश्रम जाकर चंदन के बापू को दिखा लायेंगे।हमने उस बाबा के बारे में सारी जानकारी पूछ लियाऔर यह भी निर्धारित कर लिया की उसे कब लेकर जाना है।
बहुंत जल्द वह दिन भी आ गया जब हमे चंदन के बापू को बाबा के आश्रम ले जाना था।
एक निजी वाहन किराए पर लेकर मैं और चन्दन मेरे पति को लेकर आश्रम के लिए निकल पड़े।
निर्धारित समय पर हम आश्रम पहुंच गए। वहा जाकर देखा की लोगो की काफ़ी भीड़ लगी है।
काफ़ी दूर दूर से लोग अपनी समस्या लेकर आश्रम पहुंचे थे। बाबा का एक शिष्य आश्रम में आने वाले लोगों का नाम पता और यहां आने का प्रयोजन पूछ रहे थे।
हमने भी अपना आने का प्रयोजन नोट कराया और आश्रम में एक बडा सा हाल बना था जहा सभी लोग बैठे अपने नाम पुकारने के इंतजार कर रहे थे।
नाम पुकारे जाने पर लोग कमरे के अंदर जाते जहा बाबा बैठा लोगो को उनकी परेशानी पूछकर इलाज कर रहा था।
हम भी हमारे नाम पुकारे जाने का इंतजार करने लगे।
वहा पर मौजूद लोग में कै लोग ऐसे थे जो पहली बार यहां आए थे कुछ लोग कई बार यहां पहले भी आ चुके थे। लोग आपस मे चर्चा कर रहे थे।
बाबा जी के इलाज से हमारी पीड़ा दूर हुई कई उसकी महिमा का बखान कर रहे थे। जिसे यहाँ पहली बार आने वाले लोगों के मन में एक उम्मीद दिखाई पड़ रहा था कि वे सही जगह आए है। जहा उनके समस्या का समाधान हो जाएगा।
जब कोई रोगी व्यक्ति बाबा के इलाज से ठीक होने की जानकारी हाल में बैठे लोगों को देते थे तब बाबा के भक्त लोगो द्वारा बाबा की जयकारा लगाया जा रहा था।
कुछ समय बाद बाबा के शिष्य द्वारा मेरे चंदन के बापू का नाम पुकारा गया, हम चंदन के बापू को लेकर कमरे में प्रवेश किए।
कमरे मे बाबा जो काले धोती और कुर्ता धारण किया huwa था। लंबी दाढ़ी जो आधा पक गया था बाल भी कुछ काले एवम सफ़ेद थे उनकी उम्र 60से 65के बीच रही होगी, वह हमे अंदर आता देखकर वहा बिछी चटाई पर बैठने का इशारा किया।
हम लोग चंदन के बापू को बाबा के सामने बिठाकर वहा कोने पर baith गए। बाबा ने मुझसे यहां आने का प्रयोजन और सारी घटना के बारे में पूछा।
मैने बाबा जी को सारी बाते विस्तार से बताया। मैने बाबा से हाथ जोड़कर रोते हुवे कहा बाबा जी मेरे पति को ठीक कर दीजिए। बड़ी उम्मीद लेकर हम यहां आए है।
बाबा जी ने कहा बेटी तुम बिल्कुल ठीक जगह पर आए हो। बाबा के बाजू में पत्थर की एक देवी की मूर्ति थी। उसे देखते हुवे कहा देवी मां के शरण में आने वाला कभी निराश नहीं होता तुम्हारा पति मां की कृपा से जल्दी ठीक हो जायेगा।
इसके लिऐ जो उपाय एवम नियम यहां बताया जाएगा उनका तुम्हे अच्छे से पालन करना होगा।
कमला _बाबा जी आप जो उपाय एवम नियम बताएंगे मैं उसका पालन करूंगी मेरे पति को एक बार ठीक कर दीजिए।
बाबा _बेटी यहां पर दुआ और दवा दोनो से इलाज किया जाता है। मै तुम्हे दुर्लभ जड़ी बूटी एवम भस्म से बना औषधि दूंगा जिसे तुम सुबह शाम एक गिलास दुध में थोडा उबालकर अपने पति को नियमित खिलाना होगा। यह तो है दवा की बात।
अब दुवा के लिए तुम्हे अपने घर में देवी मां की मूर्ति स्थापित करना होगा और मैं एक मंत्र दूंगा जिसे तुम्हे हर रोज सुबह 101बार जाप करना होगा। तुम्हे हर रोज जाप करना होगा। किसी भी कारण से इसे बीच में छोड़ना नही, नही तो परिणाम बुरा भी हो सकता है। क्या तुम कर सकोगी?
आगे अगले अपडेट मे,,,,,