सुनीता ने राजेश से कहा देखो बेटा किसी की मदद करना अच्छी बात है ,लेकिन इस प्रकार की मदद में तुम आगे चलकर बहुत बड़ी मुसीबत में फंस सकते हो।
मैं नहीं चाहता कि तुम किसी मुसीबत में फसो। वे किसी दूसरे से भी मदद ले सकते हैं तुम उन लोगों को साफ इनकार कर देना ।
तुम उन लोगों को बोल देना तुम उन लोगों की कोई मदद नहीं कर सकते और कल से उनके हैं यहां जाना मत ,अगर तुम मेरे अच्छे बेटे हो तो मेरा कहना मानना होगा ।
राजेश ने कहा ,मैं तुम्हारा अच्छा बेटा बनूंगा मां मुझे तुम पर पूरा भरोसा है कि तुम मेरे हित के बारे में ही बातें करोगी और जो मेरे लिए अच्छा होगा तुम वही करोगी ।मैं उन लोगों को मना कर दूंगा ।
सुनीता राजेश से कहा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेटे। मेरे भरोसे को बनाए रखना ।
राजेश ने कहा ठीक है मां ,अब तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो रात बहुत हो गई है मेरे तरफ से चिंता ना करना।
सुनीता ने कहा गुड नाईट बेटा ,तुम भी सो जाओ ।
और सुनीता वहा से चली गई।
रात में सुनीता को नींद नहीं आई ,वह दिन भर आज की घटनाक्रम को याद करती रही ।
कब सुबह हुआ उसे पता ही नहीं चला ।
सुबह उठकर राजेश जिम जाने के लिए तैयार हो गया उसकी मां किचन मेंकाम कर रही थी।
वह किचन के अंदर गया और पीछे से सुनीता को हज कर लिया उसने सुनीता को गुड मॉर्निंग बोला
सुनीता ने भी रिप्लाई दिया गुड मॉर्निंग बेटे ।रात में नींद कैसे रही सोया कि नहीं
राजेश ने कहा काफी लेट सोया, उसने अपनी मां से कहा , मां आपको नींद आई कि नहीं ।
सुनीता ने झूठ कहा ,अच्छी नींद आई ,जो मुझे पुराना राजेश जो मिल गया ,मां का आज्ञाकारी बेटा ।
और दोनों मुस्कुराने लगे राजेश ने सुनीता को लव यू मां कहा ।
सुनीता ने भी लव यू बेटा कहां ।
राजेश ने मा से कहा अच्छा मैं जिम के लिए निकलता हूं ।
सुनीता ने कहा ठीक है बेटा ।
राजेश जिम चला गया ,कुछ समय के बाद उसे सौरभ का फोन आया राजेश कैसे हो ।
राजेश ने कहा ठीक हूं, सर आप कैसे हैं ?सौरभ ने कहा मैं भी अच्छा हूं तो आज शाम को आ रहे हो ना तुम्हारी मैम पूछ रही है ।
राजेश ने कहा मुझे माफ करना सर मैं नहीं आ पाउंगा।
सौरभ ने कहा राजेश यह तुम क्या कह रहे हो।सुमन का दिल टूट जाएगा ।कुछ बात हो गई क्या ?कल तो तैयार थे !
हां सर कल मैं तैयार था पर आज नहीं राजेश ने कहा।
सौरभ _क्या हुआ कुछ बात है क्या ।
राजेश हां सर मैंने सारी बातें अपनी मां को बता दिया। क्योंकि यदि इन के बारे में मां को कभी पता चला तो काफी दुख होता और मैं नहीं चाहता कि मां को मेरे कारण दुख पहुंचे ।
मां ने मुझे आप लोगों की मदद करने से साफ इनकार कर दिया , उनका कहना है कि मैं आगे चलकर बड़ी मुसीबत में फस सकता हूं और वह नहीं चाहती कि मैं किसी मुसीबत में फसू।
उसने मुझे आपके यहां जाने से, आप लोगों की मदद करने से साफ मना कर दिया ।
राजेश तुम यह क्या कह रहे हो मैं यह बात सुमन से कैसे कहूं ?उसने कितने अरमान सजो ए थे ,जब तुमने हां कहा था
!राजेश ने कहा मुझे भी बहुत दुख है सर पर मैं कुछ नहीं कर सकता ,हां एक उपाय हो सकता हैं ।
आप लोग मेरी मां से मिलकर इस बारे में बात करो ।
वह दिल की बहुत अच्छी है ।शायद वह मान भी जाए।
सौरभ ने कहा ठीक है राजेश हम आपके घर आएंगे।
राजेश ने कहा ठीक है सर लेकिन उस समय आना मां घर में जब अकेली हो । 10:30 बजे वह घर में अकेली होती है। इस समय घर आ जाना और उनसे निवेदन करना।
सौरभ_ ठीक है ।
राजेश जब घर आया तो सुनीता किचन मैं खाना तैयार कर रही थी ।
राजेश सुनीता को आवाज़ लगाया।
सुनिता किचन से ,क्या बात है बेटा आ गया जिम से।
राजेश ने कहा हां मां ।
सुनीता ने कहा कुछ कहना था क्या ?बेटा!
राजेश मां सौरभ सर का फोन आया था। वह पूछ रहा था कि आज शाम को आ रहे हों न।
मैंने साफ मना कर दिया मैं ठीक किया ना मॉम
सुनीता ने कहा अच्छा किया बेटे जो मना कर दिया। तुम मेरे अच्छे बेटे हो और सुनीता ने राजेश के माथे को चुम लिया और कहां जा बेटे अब नहा कर फ्रेश हो जाओ मैं खाना बनाती हूं ।
शेखर अपनी ड्यूटी पर चला गया ,स्वीटी और राजेश भी समय पर कॉलेज चले गए ।सुनीता अकेली रहगई घर में ।
करीब 11:00 बजे दरवाजे पर किसी ने घंटी बजाई सुनीता ने दरवाजा खोलने के लिए आगे बढा,इस वक्त कौन हो सकता है ?
दरवाजा खोलते ही एक महिला और एक पुरुष खडा दिखा, वह खूबसूरत सी महिला और एक पुरुष को पहचानने की कोशिश करने लगी ,तभी पुरुष ने कहा नमस्ते दीदी।
सुनीता ने कहा नमस्ते जी मैंने आप लोगों को पहचाना नहीं पुरुष ने कहा दीदी मैं सौरभ हूं और ये मेरी पत्नि राजेश की केमिस्ट्री टीचर।
सुनीता चौकी और सुमन को गौर से देखने लगी।
सुमन ने सुनीता को नमस्ते दीदी कहा ।
दोनो ही उसे दीदी करके संबोधित कर रहे थे वे याचक बनकर आए थे।
सुनीता ने दोनो को अंदर आने के लिए कहा ।
सुमन और सौरभ दोनों अंदर गए और सोफे पर जाकर बैठ गए।
सुनीता ने सुमन से कहा अच्छा आप ही सु मन है राजेश ने मुझे आपके बारे में बताया कैसे हैं आप लोग? कैसे आना huwa
सुमन ने कहा दीदी मैं आपके पास एक दुखियारी बनकर आई हूं। एक औरत ही औरत की दुख को अच्छी तरह से समझ सकती हैं क्योंकि तुम एक औरत हो ।
सौरभ ने कहा राजेश ने हमारे बारे में आपको बताया ही होगा हम तो आपसे याचना करने आए हैं ।।
वे दोनों सुनीता के पैरों पर गिर गए हमारी दुख तुम ही दूर कर सकती हो दीदी।
सुनीता ने कहा देखो मैं तुम दोनों की दुख को समझ सकता हूं लेकिन मैं अपने बेटे को मुसीबत में नहीं डाल सकती ।
सौरभ ने कहा हम आपसे वादा करते हैं करते हैं कि राजेश के ऊपर कोई मुसीबत नहीं आएगा और यह राज सिर्फ हम चारों तक ही सीमित रहेगा । हम बड़ी आशा लleka आपके पास आए हैं हमें निराश ना करो दीदी ।
मुझे अपनी छोटी बहन समझो और सुमन रोने लगी।
सुनीता को सुमन की ऐसे रोता देखकर दुख हुआ उन दोनों से कहा देखो मैं तुम दोनों की और कोई दूसरी मदद कर सकू तो बताओ मैं तैयार हूं लेकिन इस प्रकार की मदद करने से मेरे बेटे पर आगे मुसीबत आ सकता है ।
तुम लोग आपस में भविष्य में झगड़ गए तब यह बातें अन्य लोगों पता चल जाएगा और मेरा बेटा का जीवन मुसीबत में फससकता है उसके परिवार बिखर सकता है।
दीदी हमारा विश्वास करो यह बात किसी अन्य को पता नहीं चलेगा सौरभ ने कहा यह जो भी हो रहा है हम दोनों के सहमति से ही हो रहा है इसलिए आगे कोई परेशानी नहीं आएगा आप हम पर विश्वास कीजिए ।
सुनीता कुछ देर सोंची फिर उन से बोली ठीक है पर मेरी एक शर्त है ।यदी तुम मेरी शर्त मान लिए तो मैं तुम्हारे मदद के लिए राजेश को बोलूंगी ।
सुमन ने सुनिता से कहा कैसी शर्त है दीदी तुम्हेराजेश से शादी करनी होगी
सुमन _पर दीदी मैं शादी सुधा हू और शादी कैसे कर सकती हूं एक पति के रहते।
सुनिता ने कहा मैं नहीं चाहती की मेरा बेटा किसी परा या स्त्री से नाजायज संबंध बनाए और उसका बच्चा नाजायज कहलाए तुम्हे मेरी शर्त माननी होगी नहीं तो मैं आप लोगो की कोई मदद नहीं कर सकती
सुमन ने कहा पर दीदी मैं अपने पति को नहीं छोड़ सकती ।
सुनिता ने कहा देखो सुमन तुम्हे अपने पति को छोड़ने की कोई जरूरत नहीं जब द्रौपदी के पांच पति हो सकते है तो तुम्हारे दो नही हो सकते।
सुमन सौरभ की ओर देखने लगा
सौरभ ने कहा दीदी हमे यह शर्त मंजूर है ।
सुमन सौरभ से बोली ये क्या कह रहे है आप
सौरभ ने कहा दीदी ठीक कह रही है जो तुम्हारे बच्चे का बाप हो उसे पति का हक भी मिलना चाहिए।
सुमन ने कहा पर क्या राजेश इसके लिए तैयार होगा
सुमन ने कहा वो मेरा कहना मना नही करेगा।
पर दीदी शादी होगी कब सोनोग्राफी के अनुसार सुमन के गर्भधारण का अभी उपयुक्त समय चल रहा है।
सुनिता ने कहा शादी भी अभी होगी और सुहागरात मतलब सुहागदीन भीं आज ही होगी इसी घररमें।
असल में सुनिता का सुमन सौरभ की मदद करने के पीछे एक राज छिपा था । जब राजेश ने सुनिता को बताया कि सौरभ बाप नहीबन सकता उसके वीर्य में शुक्राणु काम है तो वह रात भर यही सोचने लgi की कहीं राजेश को भी तो कोई समस्या ना हो ।मेरा बेटा बाप बन सकता है की नही यह जानने की जिज्ञासा avam चिंता करने लगी । यह पता करने की कि राजेश बाप बन सकता है ,उसके लिए सुमन एक अच्छा जरिया लगा।