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Erotica रंग -प्रसंग,कोमल के संग

komaalrani

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भाग ६ -

चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी

Phagun ke din chaar update posted

please read, like, enjoy and comment






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तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”

मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?

चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।

जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-

“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”

भाभी बोली-

“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी
 

Shetan

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rashi ka matalb jaise Mesh rashi ya kanya ya singh aise vaali
Mene kuchh rango se rashi ka chunav kiya he
 

komaalrani

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होली देवर भाभी की


कम्मो

( मोहे रंग दे -होली प्रसंग )


"कम्मो बहुत नाराज थी आप से , आप उसे भौजी नहीं मानते वो कह रही थी। उसे भी पता चल गया की आपका मन तो बहुत करता है उसकी चोली में हाथ डालने का , जोबन जबरदंग हैं ही उसके , लेकिन होली में भी ,... वो कह रही थी , की उसकी बेइज्जती तो वो बर्दास्त कर लेती जबरदंग जोबन की बेइज्जती आज तक किसी ने नहीं की , ... कहीं वो काम वाली है इसलिए तो नहीं , ... ये बात उसने नहीं कही थी मैं कह रही हूँ ,

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भूल गए ससुराल में नाउन क बहू कैसी रगड़ाई की थी और नाउन के बेटी भी , ... उन दोनों का तो छोडो सलहज , साली का रिश्ता लगता है , नाउन खुदे बोल रही थी , अपनी सलहज से पूछ लेना , आने दो पाहुन को सास का रिश्ता लगने से क्या होता है , होली ने नई उम्र की बहुओं का कान काटूंगी ,...

Village-holi-rashmi-gautam-guntur-talkies-hd-stills010.jpg



और चमरौटी , भरौटी वाली , पानी भरने वाली कहाईन , गुलबिया ,...सब ,... और ये सब ,...



" नहीं ये नहीं है , ऐसा कुछ नहीं हमने तो उनको हरदम भौजी माना है , माना का है , हैं ही लेकिन ,... "

जवाब उन्होंने दे दिया लेकिन ऐन मौके पर रुक गए।



" लेकिन क्या बताओ न साफ़ साफ़ , ... " मैंने पूछ लिया।



" मन तो मेरा बहुत कर रहा था उसकी चोली में हाथ डालने को , लेकिन मन कर रहा था की कहीं भौजी गुस्सा न हो जाये , फिर ,... फिर तुम भी बैठी थी सामने , ... "



ये भी न एक तो बहुत सीधे है , फिर लजाते भी कितना है , पता नहीं ये लड़का कैसे सुधरेगा , ... मैंने उनके कान का पान बनाया और प्यार से समझाया ,



" यार तेरी गलती नहीं है , जो बुद्धू होते हैं न बुद्धू ही रहते हैं ,... अरे बुद्धूराम , ... वो तो इन्तजार कर रही थीं , खुद मुझसे बोलीं , होली में देवर भाभी की चोली न खोले तो ये भाभी की बेइज्जती है , ... और मैं क्यों बुरा मानती। मैं तो इस बात का बुरा मान रही थी की चोली फटी नहीं , अरे ऊपर झाँपर से तो होली में हर कोई चोली दबा लेता है

देवर का हक तो सीधे चोली के अंदर का है , ... ससुराल जा के साली सलहज के सामने नाक कटाओगे , ... खैर चलो , अगर कल चोली नहीं फटी और तेरी कम्मो भाभी का पेटीकोट नहीं खुला तो मैं भी उनके साथ मिल के तेरा ,... "

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देवर भौजी की असली होली अगले दिन हुयी सुबह सुबह ,


कम्मो भी तैयार थी और अब इनकी हिचक झिझक भी ,...

और मेरी जेठानी सास थे भी नहीं ,... इनकी और इनके कम्मो भौजी की होली अगले दिन कैसे शुरू हुयी , ये बताने का कोई मतलब नहीं , ...

देवर भाभी की होली तो कभी भी शुरू हो जाती है , कहाँ भी कैसे भी , और फागुन हो ,


कम्मो ऐसी रसीली जबरदंग जोबन वाली भौजी हो , जो अपने हर देवर को साजन बना के , ...


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फिर तो , बस परेशानी इनकी झिझक की थी तो कल रात में मैंने इन्हे खूब हड़काया था , ...

और कम्मो को भी समझाया था , देवर तोहरे थोड़े ज्यादा सीधे हैं , तो तोहिंके ,...


फिर सुबह सुबह मैंने दोनों को , देवर को भी भौजाई को भी , डबल भांग वाली एक नहीं दो दो गुझिया भी , ...


Gujhiya-2-download.jpg


मैं बरामदे में बैठी देख रही थी , मजे ले रही थी और आज मेरी सास जेठानी कोई थी भी नहीं ,
और तभी चरर की आवाज से मेरा ध्यान एक बार फिर से इनकी और इनकी कम्मो भौजी की ओर लौट गया। उनका ब्लाउज ,.... मैं मुस्कराने लगी , यही तो मैं चाहती थी।

कम्मो के मम्मे जबरदस्त थे ,

खूब बड़े , कड़े और एकदम खड़े , ... 38 डी डी ,

मम्मे देखकर तो ये वैसे ही ललचाते थे , और इनकी कम्मो भौजी के मम्मे तो और एकदम जबरदंग , और ऊपर से वो कभी भी ब्रा नहीं पहनती थी और ब्लाउज भी एकदम पतला , ... झलकते छलकते रहते थे , दोनों मम्मे

कल होली की शुरआत में बेचारे ब्लाउज के अंदर भले हाथ न डाल पाए हों पर रंग से भीगे , देह से चिपके पतले पारभासी ब्लाउज से झलक के एकदम साफ़ साफ़ दिख रहे थे , और ऊपर से जब वो ब्लाउज के ऊपर से अपनी कम्मो भौजी के ३८ डी डी वाले उभार दबा रहे थे , मसल रहे थे ,

वो भी उन्हें उकसा रही थी अपने कड़े कड़े बड़े बड़े चूतड़ कस कस के अपने देवर के भीगे पाजामे में तने बौराये खूंटे पे रगड़ रगड़ कर के ,

समझ तो ये भी रहे थे की उनकी भौजी फागुन में क्या चाहती हैं , और आज तो ,

एक तो कल रात मैंने उन्हें साफ़ साफ़ समझा दिया था , उनको भी , उनके उस मूसलचंद को भी , ... फागुन में भौजी , साली सलहज का हक इसपर मुझसे पहले है ( और मुझे तो शक था की जब ये ससुराल पहुंचेंगे तो उस लिस्ट में उनकी सास भी जुड़ जाएंगी ) ,
उन से ज्यादा उनकी कम्मो भौजी को ,

उनके देवर गौने की दुल्हिन से भी ज्यादा लजाते शर्माते हैं , जबतक कुछ जोर जबरदस्ती नहीं करेंगी वो , तो फागुन ऐसे सूखा चला जाएगा ,

और फिर आज सुबह देवर भौजाई दोनों को डबल भांग की दो दो गुझिया ,

और आज मेरी जेठानी, सास भी नहीं थी , सिर्फ मैं , और मैं तो खुद ही उन दोनों लोगो को चढ़ा रही थी ,
उनका एक हाथ ब्लाउज के अंदर घुस गया , चरर चररर , रहा सहा ब्लाउज भी फट गया ,... और अब दोनों हाथों की चांदी ,

कोई छोटे मोटे उभार नहीं थे , एकदम बड़े बड़े मक्खन के कटोरे , मुश्किल से उनके देवर के दोनों हाथों में आ रहे थे और ऊपर से उनकी कम्मो भौजी बजाय छुड़ाने के गरिया रही थीं

" अभिन हमहुँ फाड़ेंगी तोहार , लेकिन खाली पजामा नहीं पजामे अंदर वाला भी , ... बचपन में गांड मरवाये होंगे न वो याद आजायेगा , ... लौंडे तेल वैसलीन लगा के इस चिकने की मारते रहे होंगे पर मैं सूखी मारूंगी ,... "



photo high

मैं बरामदे में बैठी बैठी देवर भाभी की मस्ती देख रही थी , पर मैं अपने को नहीं रोक पायी , ... वहीँ से खिलखिलाते हुए बोली ,

" अरे नहीं , अभी इनकी कोरी है , कोहबर में खुद अपनी सास सलहज के सामने कबूला था इन्होने "



photo high

तब तक ये कस कस के कम्मो भौजी की बड़ी बड़ी चूँचिया मसल रहे थे , और जोबन मर्दन में तो जैसे इन्होने पी एच डी कर रखी थी , मुझसे ज्यादा कौन जानता था इस बात को , बस एक बार चोली खुल जाए और इनका हाथ लड़की के उभारों पर छू बस जाए , फिर तो वो खुद टाँगे फैला देगी , ...

कौन

और कम्मो तो खूब खेली खायी , ... उसकी हालत तो एकदम , ... वो एक जोबन एक निपल फ्लिक कर रहे थे तो दूसरे को पूरी ताकत से मीज रहे थे

सच में देवर भाभी की होली हो , जीजा साली की या नन्दोई सलहज की रंग तो बहाना है ,असली चीज तो जोबन मीजना मसलना रगड़ना है , और होली में जिसने भौजाई , साली , सलहज के जोबन नहीं मसले रगड़े न वो असली देवर , जीजा या नन्दोई है , और जिसने न मलवाया वो असली भौजाई , साली , सलहज नहीं ,

लेकिन कम्मो भौजी असली भौजी थीं , और उन्हें डर ये था की कहीं उनका देवर बिचक न जाये , इसलिए नाम के लिए भी वो इनका हाथ नहीं पकड़ रही थी , पर उन्हें गरियाने से कौन रोक सकता था

मैं तो कत्तई नहीं ,

" हे कहाँ से सीखा अइसन चूँची मीजना , मसलना , बचपन से आपन बहिन महतारी चूँची मीज मीज , के, स्साले तेरी बहन की गाँड़ मारुं ,... " कम्मो उन्हें गरिया रही थी ,




photo high


और हँसते हुए मैं बोली

" एकदम सही कह रही हो आप , लेकिन उस एलवल वाली की कच्ची अमिया , .. जरूर अपनी महतारी के साथ , ... उन्ही की बड़ी बड़ी हैं , ... "
" एकदम सही कह रही है तोहार दुल्हिन , अरे एक चूँची ये चूसर चूसर पीते थे और दूसरी चूँची रगड़ता मीजते थे , काहें देवर जी "
मैं जानती थी अब क्या होना है और वही हुआ ,
 
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Vikas@170

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होली देवर भाभी की

कम्मो

( मोहे रंग दे -होली प्रसंग )


"कम्मो बहुत नाराज थी आप से , आप उसे भौजी नहीं मानते वो कह रही थी। उसे भी पता चल गया की आपका मन तो बहुत करता है उसकी चोली में हाथ डालने का , जोबन जबरदंग हैं ही उसके , लेकिन होली में भी ,... वो कह रही थी , की उसकी बेइज्जती तो वो बर्दास्त कर लेती जबरदंग जोबन की बेइज्जती आज तक किसी ने नहीं की , ... कहीं वो काम वाली है इसलिए तो नहीं , ... ये बात उसने नहीं कही थी मैं कह रही हूँ ,

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भूल गए ससुराल में नाउन क बहू कैसी रगड़ाई की थी और नाउन के बेटी भी , ... उन दोनों का तो छोडो सलहज , साली का रिश्ता लगता है , नाउन खुदे बोल रही थी , अपनी सलहज से पूछ लेना , आने दो पाहुन को सास का रिश्ता लगने से क्या होता है , होली ने नई उम्र की बहुओं का कान काटूंगी ,...

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और चमरौटी , भरौटी वाली , पानी भरने वाली कहाईन , गुलबिया ,...सब ,... और ये सब ,...



" नहीं ये नहीं है , ऐसा कुछ नहीं हमने तो उनको हरदम भौजी माना है , माना का है , हैं ही लेकिन ,... "

जवाब उन्होंने दे दिया लेकिन ऐन मौके पर रुक गए।



" लेकिन क्या बताओ न साफ़ साफ़ , ... " मैंने पूछ लिया।



" मन तो मेरा बहुत कर रहा था उसकी चोली में हाथ डालने को , लेकिन मन कर रहा था की कहीं भौजी गुस्सा न हो जाये , फिर ,... फिर तुम भी बैठी थी सामने , ... "



ये भी न एक तो बहुत सीधे है , फिर लजाते भी कितना है , पता नहीं ये लड़का कैसे सुधरेगा , ... मैंने उनके कान का पान बनाया और प्यार से समझाया ,



" यार तेरी गलती नहीं है , जो बुद्धू होते हैं न बुद्धू ही रहते हैं ,... अरे बुद्धूराम , ... वो तो इन्तजार कर रही थीं , खुद मुझसे बोलीं , होली में देवर भाभी की चोली न खोले तो ये भाभी की बेइज्जती है , ... और मैं क्यों बुरा मानती। मैं तो इस बात का बुरा मान रही थी की चोली फटी नहीं , अरे ऊपर झाँपर से तो होली में हर कोई चोली दबा लेता है

देवर का हक तो सीधे चोली के अंदर का है , ... ससुराल जा के साली सलहज के सामने नाक कटाओगे , ... खैर चलो , अगर कल चोली नहीं फटी और तेरी कम्मो भाभी का पेटीकोट नहीं खुला तो मैं भी उनके साथ मिल के तेरा ,... "

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देवर भौजी की असली होली अगले दिन हुयी सुबह सुबह ,


कम्मो भी तैयार थी और अब इनकी हिचक झिझक भी ,...

और मेरी जेठानी सास थे भी नहीं ,... इनकी और इनके कम्मो भौजी की होली अगले दिन कैसे शुरू हुयी , ये बताने का कोई मतलब नहीं , ...

देवर भाभी की होली तो कभी भी शुरू हो जाती है , कहाँ भी कैसे भी , और फागुन हो ,


कम्मो ऐसी रसीली जबरदंग जोबन वाली भौजी हो , जो अपने हर देवर को साजन बना के , ...


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फिर तो , बस परेशानी इनकी झिझक की थी तो कल रात में मैंने इन्हे खूब हड़काया था , ...

और कम्मो को भी समझाया था , देवर तोहरे थोड़े ज्यादा सीधे हैं , तो तोहिंके ,...


फिर सुबह सुबह मैंने दोनों को , देवर को भी भौजाई को भी , डबल भांग वाली एक नहीं दो दो गुझिया भी , ...


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मैं बरामदे में बैठी देख रही थी , मजे ले रही थी और आज मेरी सास जेठानी कोई थी भी नहीं ,
और तभी चरर की आवाज से मेरा ध्यान एक बार फिर से इनकी और इनकी कम्मो भौजी की ओर लौट गया। उनका ब्लाउज ,.... मैं मुस्कराने लगी , यही तो मैं चाहती थी।

कम्मो के मम्मे जबरदस्त थे ,

खूब बड़े , कड़े और एकदम खड़े , ... 38 डी डी ,

मम्मे देखकर तो ये वैसे ही ललचाते थे , और इनकी कम्मो भौजी के मम्मे तो और एकदम जबरदंग , और ऊपर से वो कभी भी ब्रा नहीं पहनती थी और ब्लाउज भी एकदम पतला , ... झलकते छलकते रहते थे , दोनों मम्मे

कल होली की शुरआत में बेचारे ब्लाउज के अंदर भले हाथ न डाल पाए हों पर रंग से भीगे , देह से चिपके पतले पारभासी ब्लाउज से झलक के एकदम साफ़ साफ़ दिख रहे थे , और ऊपर से जब वो ब्लाउज के ऊपर से अपनी कम्मो भौजी के ३८ डी डी वाले उभार दबा रहे थे , मसल रहे थे ,

वो भी उन्हें उकसा रही थी अपने कड़े कड़े बड़े बड़े चूतड़ कस कस के अपने देवर के भीगे पाजामे में तने बौराये खूंटे पे रगड़ रगड़ कर के ,

समझ तो ये भी रहे थे की उनकी भौजी फागुन में क्या चाहती हैं , और आज तो ,

एक तो कल रात मैंने उन्हें साफ़ साफ़ समझा दिया था , उनको भी , उनके उस मूसलचंद को भी , ... फागुन में भौजी , साली सलहज का हक इसपर मुझसे पहले है ( और मुझे तो शक था की जब ये ससुराल पहुंचेंगे तो उस लिस्ट में उनकी सास भी जुड़ जाएंगी ) ,
उन से ज्यादा उनकी कम्मो भौजी को ,

उनके देवर गौने की दुल्हिन से भी ज्यादा लजाते शर्माते हैं , जबतक कुछ जोर जबरदस्ती नहीं करेंगी वो , तो फागुन ऐसे सूखा चला जाएगा ,

और फिर आज सुबह देवर भौजाई दोनों को डबल भांग की दो दो गुझिया ,

और आज मेरी जेठानी, सास भी नहीं थी , सिर्फ मैं , और मैं तो खुद ही उन दोनों लोगो को चढ़ा रही थी ,
उनका एक हाथ ब्लाउज के अंदर घुस गया , चरर चररर , रहा सहा ब्लाउज भी फट गया ,... और अब दोनों हाथों की चांदी ,

कोई छोटे मोटे उभार नहीं थे , एकदम बड़े बड़े मक्खन के कटोरे , मुश्किल से उनके देवर के दोनों हाथों में आ रहे थे और ऊपर से उनकी कम्मो भौजी बजाय छुड़ाने के गरिया रही थीं

" अभिन हमहुँ फाड़ेंगी तोहार , लेकिन खाली पजामा नहीं पजामे अंदर वाला भी , ... बचपन में गांड मरवाये होंगे न वो याद आजायेगा , ... लौंडे तेल वैसलीन लगा के इस चिकने की मारते रहे होंगे पर मैं सूखी मारूंगी ,... "



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मैं बरामदे में बैठी बैठी देवर भाभी की मस्ती देख रही थी , पर मैं अपने को नहीं रोक पायी , ... वहीँ से खिलखिलाते हुए बोली ,

" अरे नहीं , अभी इनकी कोरी है , कोहबर में खुद अपनी सास सलहज के सामने कबूला था इन्होने "



photo high

तब तक ये कस कस के कम्मो भौजी की बड़ी बड़ी चूँचिया मसल रहे थे , और जोबन मर्दन में तो जैसे इन्होने पी एच डी कर रखी थी , मुझसे ज्यादा कौन जानता था इस बात को , बस एक बार चोली खुल जाए और इनका हाथ लड़की के उभारों पर छू बस जाए , फिर तो वो खुद टाँगे फैला देगी , ...

कौन

और कम्मो तो खूब खेली खायी , ... उसकी हालत तो एकदम , ... वो एक जोबन एक निपल फ्लिक कर रहे थे तो दूसरे को पूरी ताकत से मीज रहे थे

सच में देवर भाभी की होली हो , जीजा साली की या नन्दोई सलहज की रंग तो बहाना है ,असली चीज तो जोबन मीजना मसलना रगड़ना है , और होली में जिसने भौजाई , साली , सलहज के जोबन नहीं मसले रगड़े न वो असली देवर , जीजा या नन्दोई है , और जिसने न मलवाया वो असली भौजाई , साली , सलहज नहीं ,

लेकिन कम्मो भौजी असली भौजी थीं , और उन्हें डर ये था की कहीं उनका देवर बिचक न जाये , इसलिए नाम के लिए भी वो इनका हाथ नहीं पकड़ रही थी , पर उन्हें गरियाने से कौन रोक सकता था

मैं तो कत्तई नहीं ,

" हे कहाँ से सीखा अइसन चूँची मीजना , मसलना , बचपन से आपन बहिन महतारी चूँची मीज मीज , के, स्साले तेरी बहन की गाँड़ मारुं ,... " कम्मो उन्हें गरिया रही थी ,




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और हँसते हुए मैं बोली

" एकदम सही कह रही हो आप , लेकिन उस एलवल वाली की कच्ची अमिया , .. जरूर अपनी महतारी के साथ , ... उन्ही की बड़ी बड़ी हैं , ... "
" एकदम सही कह रही है तोहार दुल्हिन , अरे एक चूँची ये चूसर चूसर पीते थे और दूसरी चूँची रगड़ता मीजते थे , काहें देवर जी "
मैं जानती थी अब क्या होना है और वही हुआ ,
Kitna gram hot ho tum komal love ❤😘u
 

komaalrani

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मैं जानती थी अब क्या होना है और वही हुआ ,

इनकी माँ बहन को गाली , उनका नाम लेकर छेड़ना , वियाग्रा से ज्यादा काम करता था , ... रात में तीन चार बार के बाद भी जैसे ही मैं उस दर्जा आठ वाली का नाम ले के उन्हें छेड़ती थी , ... लोहे का खम्भा झूठ , ... ऐसा कड़ा खड़ा और फिर मेरी रगड़ाई तय होती थी , ...

और वही हुआ , ... चूँची मसलने के साथ साथ वो पीछे से ही कम्मो के चूतड़ों पर ऐसे जोर जोर के धक्के मार रहे थे जैसे उसकी गाँड़ मार के रहेंगे।

और उनकी भौजाई कौन कम छिनार , वो भी अपने बड़े बड़े चूतड़ रगड़ के ,... साडी तो उनकी पहले ही खेत रही थी वो अब सिर्फ पेटीकोट में और उनके देवर बनियाइन , पाजामें में ,...

लेकिन चुदाई और होली में कब कौन पलटी मार जाए पता नहीं चलता , वही हुआ , ... अब बाजी भौजी के हाथ में थी ,

वही पहले गुदगुदी , ... फिर कम्मो ने पीछे पीछे से उनकी भीगी बनयायिन खींची , चररर , ... फट के हाथ में आ गयी ,

और जब तक वो सम्हलते उनकी भौजी ने उनके दोनों हाथ पीछे करके उन्ही की फटी बनयाईन और अपने फटे ब्लाउज से बाँध दिया था ,

फिर कड़ाही की कालिख , लाल , बैंगनी रंग का जबरदस्त कॉकटेल बना के अपने हाथ में रगड़ा और , पाजामा फटा नहीं , बस आराम से भौजी ने नाड़ा खोल दिया ,

( कल यही तो मैं सास से शिकायत कर रही थी , दो दो भौजाई और देवर का नाड़ा न खुले , ... लेकिन किसी किसी दुलहन का नाड़ा अगर कुछ बहाना वहाना बना के गौने की रात खुलने से बच भी जाता है तो अगले दिन तो शर्तिया खुलता है , बस वही हालत कम्मो भौजी के देवर की हुयी ,


नाड़ा खुल गया और रंग में लथपथ पैजामा उनकी कम्मो भौजी ने उछाल के फेंक दिया , मेरी ओर

और बरामदे में बैठी बैठी मैंने उसे कैच कर लिया , आखिर इतना तो मेरा हक भी था और जिम्मेदारी भी , ... आखिर उनकी कम्मो भौजी की देवरानी थी मैं ,

फटा पोस्टर निकला हीरो ,

लेकिन उसकी आजादी क्षणभंगुर थी , जैसे कम्मो के चोली फटने के बाद आज़ाद जोबन उनके देवर के हाथों में कैद हो गए वैसे ही

उनके देवर के पाजामा खुलने के बाद , आजाद खूंटे को कम्मो के हाथों ने कैद कर लिया ,

फिर तो पहले कालिख , बैंगनी लाल रंग की कॉकटेल , और फिर सफ़ेद पेण्ट

साथ में भौजी जबरदस्त मुठिया रही थीं , सुपाड़ा एकदम खुला , ... फूला , बौराया ,...

अब लग रहा था देवर भाभी की होली हो रही है ,...

मान गयी मैं उनकी कम्मो भौजी को , असल होली , देवर भौजी की आज हो रही थी ,

एकदम खुल्लम खुल्ला ,



जैसे देवर भौजाई , ननदोई सलहज , और जीजा साली की होनी चाहिए ,...



क्या जबरदस्त मुट्ठ मार रही थीं अपने देवर की , रंग पेण्ट कालिख का जबरदस्त कातिल कॉकटेल , सुपाड़ा एकदम खुला और बित्ते भर का लंड भौजी की दायीं मुट्ठी में कसा ,

भौजी भी समझ गयीं थीं देवर उनका लम्बी रेस का घोडा है , केतना भी जोर जोर से मुठियाएंगी वो पिघलने वाला नहीं ,

लेकिन कम्मो भौजी सिर्फ अपने देवर का लंड ही नहीं मुठिया रही थीं , जो रंग उनके देवर ने चोली फाड़ कर उनके जोबना में मला था पीछे से देवर की पीठ पर ,

दायां हाथ में कम्मो के इनका लंड था , मोटा तन्नाया , पर बायां हाथ तो खाली था , और वो उनके चिकने पिछवाड़े पर , सफ़ेद वार्निश पेण्ट रगड़ रगड़ कर , ... और साथ में दो ऊँगली , पिछवाड़े के छेद पर और साथ में उनकी भौजी की गालियां

" स्साले किसके लिए कोरा बचा के रखा है , असों होली में तोहार गाँड़ जरूर फटी , एकदम तोहरी बहिनिया की तरह कोर हो , एक बार खुल जाए न तो देखना एक से एक मोटा लंड तोहरी गाँड़ में जायेगी ,

में बरामदे में बैठी कम्मो को उकसा रही थी , इन्हे चिढ़ा रही थी और सोच रही थी कम्मो की बात एकदम सही है , इस होली में तो इनके पिछवाड़े की नथ उतरनी तय है , कोहबर में तो कैसे कर के बच गए , लेकिन सलहज सास सब ने बोल रखा था , जब ससुराल आओगे न तो बचेगी नहीं , और ये तो होली में , वो भी दस दिन के लिए , .. रीतू भाभी रोज याद दिलाती थीं मुझे , नन्दोई के पिछवाड़े वैसलीन लगाया की नहीं , ...

मैं अपनी जेठानी की कम्मो की ओर थी , लेकिन ये कहाँ लिखा है की देवरानी जेठानी में होली नहीं होगी , ... पर शुरआत कम्मो ने ही की ,
 

komaalrani

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57,780
259
देवरानी जेठानी की होली




मैं अपनी जेठानी की कम्मो की ओर थी , लेकिन ये कहाँ लिखा है की देवरानी जेठानी में होली नहीं होगी , ... पर शुरआत कम्मो ने ही की ,

और मैं जान रही थी वो बदमाशी उनकी अकेले की नहीं थी , उनके देवर ने ही उन्हें उकसाया की अपनी देवरानी को भी आँगन में घसीट लें , .. वो तो मुझे इशारा कर के बुला रहे , पर मैं मना कर रही थी , पहले अपने भौजी से निपट लो ,

बाल्टी में रंग बनाने का काम मेरा था , एक में गाढ़ा लाल , एक में गाढ़ा नीला , ...

और जैसे मैं बाल्टी देवर भाभी के ऊपर डालने के लिए बढ़ी , ...

holi-playing-indian-girls-wet-collection9.jpg


कम्मो ने उलटे मुझे बाल्टी लेकर सीधे मेरे ऊपर , ...

मैं क्यों छोड़ती मैंने भी दूसरी बाल्टी सीधे कम्मो के ऊपर वो भी सिर्फ पेटीकोट , साडी तो कब की खुल गयी थीं उनकी ,

ब्लाउज उनके देवर ने फाड़ दिया था और ब्रा वो पहनती नहीं थीं , ... मैंने बाल्टी का पूरा रंग सीधे भौजी के सेंटर पर ,

holi-5.jpg


लेकिन कम्मो भौजी उनकी रंग वंग में कहाँ , ...

बस पीछे से मुझे दबोच लिया , और आराम से मेरी साडी पेटीकोट से निकाली और चक्कर दे कर पूरी साडी निकाल ली , जब तक मैं सम्हलती साडी उनके हाथ में , ...

वो दुष्ट बदमाश , जोर जोर से अपनी भाभी को उकसा रहे थे , मुझे चिढ़ा रहे थे ,

साडी कम्मो ने खूब जोर से फेंकी , बरामदे में जहाँ मैं थोड़ी देर पहले बैठी थी , वहीँ पर गिरी , ... अब मुझे मिलने से रही लेकिन कम्मो को इतने से कहाँ संतोष था , उसने मेरे ब्लाउज पर हाथ लगाया , चट चट कर बटन टूटे , लेकिन वो ब्लाउज खोल पाती , मेरी आँखों ने उनसे गुहार की , पर उन्होंने इशारा किया उनके हाथ बंधे हैं।

कम्मो के दोनों हाथ मेरे जोबन पर थे और मेरे दोनों हाथ खुले

बस मैंने इनके भी हाथ खोल दिए , ... बस अब वो कम्मो के पीछे

और जब तक कम्मो समझे , अब वो पीछे से ,

एक जोबन भौजाई के उनके हाथ में और ,

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तबतक मैंने कम्मो का पेटीकोट उठा दिया और सीधे उसकी कमर में लपेट दिया , ... बस इनकी तो चांदी हो गयी ,

एक हाथ चूँची पर और दूसरा चूतड़ पर , मस्त बड़े चूतड़ खूब चाकर , अभी तक तो वो इनके पिछवाड़े पड़ी थी

और अब ये , गांड इन्होने मारी नहीं थी अभी तक लेकिन मन तो इनका करता थी था और कम्मो के चूतड़ , एकदम मांसल कड़े कड़े , ४० + ऊँगली सीधे पिछवाड़े के छेद पर ,

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मैंने एक बाल्टी में फिर रंग घोला और एक साथ देवर भाभी के ऊपर ,
उनका खूंटा कम्मो के पिछवाड़े ठोकर मार रहा था और अब वो खुल के कम्मो की बिलिया सहला रहे थे मसल रहे थे , एक ऊँगली अंदर

रंग से वो फिसले और साथ में कम्मो , वो नीचे और कम्मो ऊपर , कम्मो की दोनों जाँघे खुली फैली


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और मैं बाल्टी से रंग धीमे धीमे कम्मो की बुर के ऊपर टपका रही थी , "

" अब तोहार भौजी क बुरिया क गर्मी कुछ शांत होई " मैंने दोनों को चिढ़ाया ,



कम्मो खिलखिलाती बोली

" अरे देवरानी , होली में भौजी क बुर खाली देवर के पिचकारी के सफ़ेद रंग से जुड़ाती है , और कउनो रंग का असर नहीं होने वाला है "

" अरे तो भौजी भी हैं , देवर भी हैं और देवर क पिचकारी भी खूब कड़क बौराई , .. खेल लीजिये न "


मैंने कम्मो को उकसाया ,



तबतक कम्मो ने पलटा खाया और अब देवर नीचे



, भौजी ऊपर और अपनी गुलाबो से उनके खूंटे को रगड़ते मुझसे बोली ,

" हमरे देवर क पिचकारी तो गजबै हाउ , लेकिन बचपन में ओंकर महतारी , ... "

मैंने बात काट के कम्मो से बोला , अपने देवर से ही पूछ लीजिये न ,



फिर तो गारी की वो बौछार , और होली खाली रंग की बौछार से थोड़ी पूरी होती है , जब तक जम के गारी न हो , ...

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" बोल स्साले मादरचोद , बचपन में खूब अपनी महतारी के संग गुल्ली डंडा खेले होंगे न , खूब मुठियाये होगी वो बचपन में , बोल गदहा से चोदवा के तोहैं पैदा किया या घोड़ा से , तबहिं तो गदहा घोडा अस ,... बहुत आपन महतारी बहन चोदे होगे न बचपन में , लेकिन आज सब भूल जाओगे गांडू ,... ऐसा चोदुंगी न तुझे जैसा तेरे खानदान में न तेरी महतारी चोदी गयी होगी न तेरी बहनें , ... स्साले लेकिन बुर का मजा लेना है न भौजाई का तो पहले चूस चाट के , ... "
 
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komaalrani

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भौजी ऊपर


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फिर तो गारी की वो बौछार , और होली खाली रंग की बौछार से थोड़ी पूरी होती है , जब तक जम के गारी न हो , ...

" बोल स्साले मादरचोद , बचपन में खूब अपनी महतारी के संग गुल्ली डंडा खेले होंगे न , खूब मुठियाये होगी वो बचपन में , बोल गदहा से चोदवा के तोहैं पैदा किया या घोड़ा से , तबहिं तो गदहा घोडा अस ,... बहुत आपन महतारी बहन चोदे होगे न बचपन में , लेकिन आज सब भूल जाओगे गांडू ,... ऐसा चोदुंगी न तुझे जैसा तेरे खानदान में न तेरी महतारी चोदी गयी होगी न तेरी बहनें , ... स्साले लेकिन बुर का मजा लेना है न भौजाई का तो पहले चूस चाट के , ... "

और कम्मो अब उनके सर के ऊपर उसकी बुर ,
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सीधे इनके मुंह पर और क्या कस के घिस्से मार रही थी वो उनकी भौजी , और ये नहीं की उसके देवर का लंड आजाद हो गया था , वो अब कम्मो की मुट्ठी में और साथ में गारियाँ खोल


" तोहार महतारी खूब चुसवाये होगी बचपन में तभी इतना मस्त , .. अरे स्साले बुर में जीभ डाल अरे अभी तो तो तुझसे अपनी गांड भी चटवानी है , गाँड़ के अंदर का भी , जीभ अंदर डाल के , जैसे टेढ़ी ऊँगली अंदर डाल के घी निकालते हैं न एकदम वैसे ही लसर लसर ,हाँ तब भौजी क बुर मिलेगी होली में , .. हाँ चाट गांडू चाट "



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चाट वो कम्मो की रहे थे , गरमा मैं रही थी , बाल्टी में फिर मैंने दो चार बाल्टियां रंग की भर लीं , हाथ में पेण्ट भी ,

कुछ देर बाद कम्मो ने अपना चौड़ा पिछवाड़ा सीधे उनके मुंह के ऊपर ,

और उसके पहले हाथ से अपने दोनों चूतड़ फैला के छेद खोल के , सीधे उनके मुंह पर सील कर दिया ,

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उनकी जीभ कम्मो की गांड में घुसी पता नहीं , लेकिन दरवाजे पर जोर जोर से खटखट हुयी

भाभी , भाभी , ..दरवाजा खोलिये न ,...



सब रंगभग ,
 

komaalrani

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ननद भाभी की होली

( मोहे रंग दे -रंग प्रसंग )

ननदे , ज्योति,

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नीता ,..

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आवाज तो मैं पहचान ही गयी थी , मेरी मोहल्ले की दो लड़कियां इंटर वाली , दोनों ननदे , ज्योति , नीता ,... और दोनों पक्की छिनार , ज्योति तो खूब दबवा मिजवा के गदरा गयी थी , जोबन उसके आलमोस्ट मेरे साइज के , दोनों ११ वे पढ़ती हैं , वहीँ जहाँ गुड्डी पढ़ती है , हम लोगो के घर के बगल वाले गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज ,
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नीता भी कम मस्त नहीं है , हंसती है तो गाल में गड्ढे पड़ते हैं ,

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और दोनों मुझे जबसे मैं आयी तबसे होली का नाम ले ले कर धमका रही थीं , " भाभी अभी आप भैया से मजा ले लीजिये , आने दीजिये होली , इस होली में आपके कपडे से नहीं सिर्फ देह से होली होगी " नीता छेड़ती रहती ,
और ज्योति और
" अरे हमारी भाभी बनारस की डांसिंग क्वीन थीं , आने दो होली को इस आंगन में हम ननदें नचाएंगी , हाँ बिना कपडे के , और सेल्फी वीडियो , सब ,... "

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वही दोनों , उन दोनों को पता चल गया था की मैं होली में नहीं रहूंगी , सीधे होली के तीन दिन पहले अपने मायके ,
जैसे मैंने किवाड़ खोला , दोनों जोर जोर से बोलती घुसी ,



" अरे भाभी ये सख्त नाइंसाफी है , होली में अपने मायके यारों की पिचकारी का मजा लेने जा रही है , आप डर गयीं की होली में यहाँ ननदें नंगे नचाएंगी न ,
अरे बचपन की छिनार अपने भाइयों का भौजी आपने बहुत मजा लिया होगा अबकी अपने देवर और ननदों का रस लेना चाहिए था न , भाभी ये एकदम फाउल है "

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उन दोनों को क्या मालूम था मैं केवाड़ी के पीछे छुपी खड़ी हूँ , बनारस वाली हूँ इन आजमगढ़ वालियों की लेने के लिए आयी हूँ , ...

पीछे से मैंने नीतू को धर दबोचा और आगे से कम्मो ने ज्योति को अपनी अँकवार में कस के भींच लिया ,

कम्मो की पकड़ लोहे की सँडसी से भी जबरदस्त , चार चार बच्चो की माँ उससे पार नहीं पा सकती , ये ज्योति तो नयी बछेड़ी थी ,

ज्योति शलवार सूट में , जोबन उसके छलक रहे थे , ...

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बोली , " नहीं नहीं भाभी , ये ड्रेस मेरा , रंग से , ... आप लोग ,... "

उसकी निगाह रंग से लिथड़ी कम्मो पर पड़ी।

कम्मो ने बिना बोले , पहले उसे हलके से गुदगुदी लगाई , जब तक वह सम्हले , पीछे से उसकी दोनों कलाई कम्मो के हाथ में ,
और मुंह से ही उसने ज्योति का दुप्पटा खींच लिया , और हँसते हुए बोली

" ननद रानी ई जोबना फागुन में मिजवाने मसलवाने के लिए हैं , काहें हमारे देवर को ललचाती हो , देखाओ न खुल के , ... "

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और आराम से ज्योति के दोनों हाथ दुप्पटे से बाँध दिए ,

मैंने नीतू के दोनों हाथ पीछे से पकड़ रखे थे , वो टॉप और स्कर्ट में थी। कम्मो ने ज्योति की शलवार का नाड़ा न सिर्फ खोला बल्कि खींच कर निकाल दिया और उसी नाड़े से अब नीतू के हाथ बंधे थे ,

हम चारो अब आंगन में थे , आंगन में चारो ओर रंग बिखरा था , बाल्टियों में रंग भरा था , लग रहा था भी जबरदस्त होली हुयी थी ,
नीतू ने भी वही गुहार लगायी भाभी ये ड्रेस , रंग नहीं छूटेगा इस पर से , प्लीज हम दोनों कल आ जायेगीं , फिर ,

मैंने उसके गालों को मीठे मीठे चूमते हुए समझाया

" अरे ननद रानी , चलो तोहार वाली भी , ... होली ननद से खेलनी है उसके कपडे से थोड़े ही , "

और मैंने खींच के उसका टॉप उतार के , बरामदे में सम्हाल के रख दिया और तब तक कम्मो ने भी पहले तो ज्योति के कुर्ते के बटन खींचे और वो भी नीतू के टॉप के पास , ज्योति की शलवार सरक के उसकी टांगो के नीचे ,
और मैंने भी नीतू की स्कर्ट ,
अब दोनों ननदें ब्रा और पैटी में ,

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कपडे उनके ले जा कर मैं अपने कमरे में रख के आयी और फिर कम्मो के कान में फुसफुसाया , और हँसते हुए कम्मो ने एक शर्त रखी ,

" बहुत कपड़ा कपड़ा कर रही थी छिनार , अब कल आ के ले जाना , ... वरना एक छोटी सी शर्त है। "

खाली ब्रा पैंटी में , ... दोनों की हालत खराब , दोनों साथ साथ बोलीं " भौजी कौन शर्त है ,

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" सिम्पल , फागुन का स्ट्रिप डांस , ... देखो अब ब्रा पैंटी तो तुम दोनों की उतरनी ही है , तुम लोग उतारेगी तो बची रहेगी , और भौजाई उतारेंगी तो फाड़ के रख देंगी , ... तो पहली शर्त है की ज्योति तुम एक स्ट्रिप डांस पहले ब्रा के ऊपर से जोबन मसलो रगड़ो , जैसे तेरे यार रगड़ते हैं वैसे ही , फिर धीरे धीरे ब्रा उतार के फेंक दोगी , फिर अपनी दोनों चूँची हाथों से छिपा के , हलके हलके खोलोगी , उसके बाद दोनों जोबन को मसलते हुए डांस करोगी , और उसके बाद पैंटी , भी उसी तरह , पैंटी के ऊपर से अपनी चूत रगड़ो मसलो , फिर पैंटी उतार के चूत को हथेली से , और सबसे अंत में एक मिनट तक फिंगरिंग , कुल ढाई मिनट की फिंगरिंग , और नीतू तुम रिकार्ड करना , ... "

मैंने शर्त बता दी दोनों ननदों को, अब होली का असली मजा आने वाला था।

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थोड़ी देर तक तो दोनों नौटंकी की , लेकिन कम्मो के आगे ,

ज्योति ने स्ट्रीप टीज शुरू की और मैंने नीतू को ज्योति का ही फोन दे दिया , रिकार्ड करने को , मैं अपने आई फोन से , ...

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अपने पहले फागुन में ही ननद को नंगी नचाने का ख़्वाब तो हर भाभी का होता है , और ये दोनों तो मुझे चैलेंज कर रही थीं ,

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क्या मस्त ज्योति अपने जोबन दबा रही थी , चूत सहला रही थी , ...

और फिर फिंगरिंग , ...


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" अरे छिनार जड़ तक ऊँगली पेल , हमको मालूम नहीं है की का कित्ते साल पहले केकरे साथ झिल्ली फड़वा चुकी हो , रंडी की औलाद ,... वरना अभ कम्मो भौजी की पूरी मुट्ठी घोंटनी होगी , ... "

बेचारी ज्योति , लेकिन सच में थी नंबरी छिनार , मस्त ऊँगली कर रही थी , ...
और उसके बाद नीतू का नंबर , और अबकी रिकार्डिंग ज्योति के जिम्मे ,

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डांस ख़तम नहीं हुआ था की होली शुरू हो गयी , जब तक वो दोनों डांस कर रही थी , कम्मो कालिख का पूरा डिब्बा ले आयी , पेण्ट और रंग की जबरदस्त कॉकटेल हम दोनों ने अपने हाथ पार बना ली थी , और बाकि बरामदे में , ...

मैंने शुरआत की , एक लाल रंग की बाल्टी डांस करती नीतू के ऊपर उड़ेल कर , पर कम्मो को तो मजा हाथ से लेना था , और ज्योति के दोनों जोबन उसके हाथों के बीच

मुझको रीतू भौजी और अपने गाँव की बड़की भौजी की याद आ गयी , जोबन मींजने मसलने में मरद मात ,

और मैंने हाथ में लगा रंग ज्योति के गालों पर , ...
ज्योति चिल्लाई ,

" अरे भाभी एक के साथ साथ दो , ... "

" काहें कभी एक साथ दो दो का मजा नहीं लिया है , हम तो सुने थे की हमार ससुराल वाली , आजमगढ़ वाली सब बचपन की छिनार होती हैं , ... "मैंने चिढ़ाया

" अरे तो का पिछवाड़ा कोरा है अभी , ... " कम्मो बोली ,

मैं भी अब एकदम कम्मो के रंग में आ गयी थी , रंग एक बार फिर से लगा के मैं ज्योति के छोटे छोटे चूतड़ रंग रही थी और फिर एक ऊँगली सीधे पिछवाड़े के छेद पर डालते हुए मैं कम्मो से बोली

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" क्या करे ये ,... असल में हमारे देवर सब ही पैदायशी गांडू , तो इन सबकी गाँड़ मारने का काम भी हम भौजाइयों के जिम्मे आएगा , ... "असल में मैंने इन्हे देख लिया था , ये थे तो बॉथरूम में लेकिन जब नीतू की स्ट्रिप टीज शुरू हुयी और मैंने मोबाइल पर गाना लगा दिया था


"डलवाला छिनार होली में , डलवाला , "

तभी मैंने देख लिया था की बाथरूम की खिड़की थोड़ी सी खुली और ये हलके से झाँक रहे थे ,

मैंने जबरदस्त आँख मारी इन्हे , और इशारा किया ,


लगे रहो मुन्ना भाई , आखिर तेरी बहने हैं , .


 

komaalrani

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ननद संग होली - आंगन में मस्ती



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" अरे तो का पिछवाड़ा कोरा है अभी , ... " कम्मो बोली ,

मैं भी अब एकदम कम्मो के रंग में आ गयी थी , रंग एक बार फिर से लगा के मैं ज्योति के छोटे छोटे चूतड़ रंग रही थी

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और फिर एक ऊँगली सीधे पिछवाड़े के छेद पर डालते हुए मैं कम्मो से बोली

" क्या करे ये ,... असल में हमारे देवर सब ही पैदायशी गांडू , तो इन सबकी गाँड़ मारने का काम भी हम भौजाइयों के जिम्मे आएगा , ... "

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असल में मैंने इन्हे देख लिया था , ये थे तो बॉथरूम में लेकिन जब नीतू की स्ट्रिप टीज शुरू हुयी और मैंने मोबाइल पर गाना लगा दिया था

डलवाला छिनार होली में , डलवाला ,

तभी मैंने देख लिया था की बाथरूम की खिड़की थोड़ी सी खुली और ये हलके से झाँक रहे थे ,मैंने जबरदस्त आँख मारी इन्हे , और इशारा किया , लगे रहो मुन्ना भाई , आखिर तेरी बहने हैं , ...

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अभी कुछ देर पहले कम्मो के चूतड़ पर रगड़ रगड़ कर इनके खूंटे की बुरी हालत हो गयी थी और अब इन किशोरियों के मस्त जोबन नयी चूत देख कर , .. लेकिन भाई के सामने बहन की रगड़ाई यही तो होली का मजा है और इसी लिएमैं कुछ ज्यादा ही मस्ती में आ गयी थी

" होली में दो दो भौजाई के रहते ननद को कउनो छेद बचा रहे , बहुत नाइंसाफी हैं न , ... "

कम्मो ने मुझसे कहा

और मैंने पीछे से नीतू को दबोचते बोला , ...

"एकदम मैं इसका पिछवाड़ा खोलती हूँ आप ज्योति स्साली का ,... "

" अरे सुन , ऊँगली से इन आजमगढ़ वालियों को मजा नहीं आता , सीधे मुट्ठी पेल के गाँड़ फाड़ते हैं दोनों की ,... "
कम्मो बोली

और मैंने काम शुरू भी कर दिया लेकिन दोनों बार बार चीख रही थीं ,

"नहीं भाभी मुट्ठी नहीं , मुट्ठी नहीं , ..."

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" चलो अच्छा तुम भी क्या याद करोगी बनारस वाली दो भाभी मिली थी , दया की सागर ,... तुम दोनों आपस में चुम्मा चाटी चूसम चुसाई करती हो न , ... "

मैंने एक रास्ता दिखाया ,

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नीतू ने ना बोला लेकिन ज्योति ने हाँ ,
अभी भी नीतू के जोबन पर रंग नहीं लगे थे मैंने कस के मीजना , निपल मरोड़ना शुरू कर दिया और वो भी बोली


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हाँ भाभी एकाध बार ,,कम्मो अब ज्योति के चूतड़ और जोबन रंग रही थी मैं नीतू के ,

तो चल दोनों , 69 ,... ये मत कहना की कभी 69 किया नहीं है यारों के साथ , तो आज तुम दोनों आपस में ,

ज्योति नीचे , नीतू ऊपर



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कम्मो अब ज्योति के चूतड़ और जोबन रंग रही थी मैं नीतू के ,





और मैं बाथरूम के पास जा के , मैंने खिड़की पूरी खोल दी , और बाथरूम का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया

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आखिर बहने आपस में चूत चुसाई करें और भाई को देखने का मौका न मिले ,...



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और मोहल्ले के रिश्ते के नाते दोनों इनकी बहने ही तो थीं और इन्हे भैया ही बोलती थीं ,

" हैं न मस्त माल तेरी बहने , लेकिन जो जानते हो तुम्हारे जिला की जिल्ला टॉप माल तो वही एलवल वाली है , तेरी वाली , .. और उसे भी एक दिन तेरे सामने , ... "

और फिर मैं ज्योति नीतू की ओर , लेकिन उसके पहले किचेन से बाकी होली का सामान ,

" पांच मिनट में अगर कोई न झड़ा तो दोनों की गांड मारी जाएगी और जो पहले झड़ा उसकी जो बाद में झड़ेगी ननद वो मारेगी "


कंडोम में गुलाल भर के बांये ७ इंच के डिलडो को दिखाते मैं बोली।

दोनों एकदम मस्त चूसती थीं , मैं और कम्मो बगल में बैठ के देख रही थीं , दोनों को ललकार रही थीं , साथ में होली
दोनों के ऊपर सूखे रंग के एक पैकेट का मैंने छिड़काव किया ,

और सीधे पाइप लगा कर के जहां जहाँ रंग था वहीँ कम्मो ने फिर कभी दोनों के जोबन पर कभी चूतड़ पर

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ज्योति पहले झड़ी , और वो एकदम सब शर्ते मानने को तैयार बस उसकी गाँड़ बच जाए , ...

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" चल अच्छा , अपनी कम्मो भौजी को चूस चूस के झड़वा , और पांच मिनट के अंदर , वरना गांड बचेगी नहीं। "

कम्मो ने खड़े खड़े ही अपना पेटीकोट ऊपर सरकाया , और ज्योति को खिंच कर अपनी टांगो के बीच ,

मैं क्यों छोड़ती नीतू को , वो अभी भी आंगन में थकी लेटी थी , मैं सीधे उसके ऊपर फेस सिटिंग और घिस्से लगा कर ,

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एकदम मेरी गाँव की होली,

और मैंने एक ऊँगली सीधे नीतू की बुर में ठेल दी , जड़ तक और अंगूठा उसकी क्लिट पर ,

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लेकिन हालत खराब हो रही थी ज्योति की ,

कम्मो ने थोड़ी देर बुर चुसवाने के बाद , सीधे उसे खींच कर अपने पिछवाड़े के छेद पर

" चाट गाँड़ चट्टो चाट , डाल जीभ अंदर वरना मैं तेरी गाँड़ मार कर गाँड़ का मजा लेना सिखाती हूँ ,
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साथ में उन दोनों की रंगाई पुताई भी जारी थी , आंगन में रंग फैला पड़ा था , हम दोनों के हाथों में भी , ...


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हम सब जब झड़े तो कुछ देर तक वैसे ही आँगन में पड़े रहे , फिर मैं स्टोर से जाकर गुझिया , ठंडाई ,

पांच दस मिनट का इंटरवल , और खा पीकर होली शुरू हुयी तो मेरा फोन बज गया और रंग से फोन बचाने के लिए मैं दूर बरामदे में जाकर , मेरी जेठानी का फोन था , वो और सास मेरी शाम तक आने वाली थीं , और पांच मिनट तक गोद भराई का हाल चाल सुनाती रही , बुआ की लड़की का

ज्योति और नीतू अब कम्मो की रगड़ाई में जुटी पड़ी थी और अब कम्मो के बड़े बड़े जोबन पर जहाँ उनके देवर के रंग लगे थे अब ननदों के भी ,...

मैं भी नहीं बची , उन दोनों ने मिल कर ,... मेरे हर खास अंग को रंगा , पेटीकोट खुला ब्रा खुली ,


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लेकिन होली में बचना कौन चाहता है ,

डेढ़ दो घंटे तक ,...
हाँ जब वो दोनों जाने लगीं तो उनके कपडे सूखे हमने वापस कर दिए पर उसके पहले कम्मो ने ज्योति को झुका के दो चार पुड़िया रंग ज्योति और नीतू की गांड में और मैंने गुलाल भरे दोनों डिल्डो की बुर में जड़ तक ठेल दिया।

पर जब वो जाने लगीं , तो मैं एक गुलाल अबीर की प्लेट ले कर आयी

और फिर सूखी होली , ... लोग क्या कहेंगे दो दो भाभियाँ , और ननदों के गुलाल भी नहीं लगा ,

जैसा लड़कियों की होली में होता है , सबसे पहले सिन्दूर की तरह गुलाल मांग में ,

उसके बाद गाल और जोबन पर , ...
आफ कोर्स ब्रा और पैंटी तो हमने जब्त कर लिए थे , बिना ब्रा के ननदें सच में होली में बहुत सेक्सी लगती हैं

और फिर अपने देवरों का ख्याल करके , जब दोनों निकल रही थीं एक एक आइस क्यूब , दोनों के कुर्ते और टॉप के अंदर , ... उसका असर दो चार मिनट में होता , जब तक वो सड़क पर पहुँचती , वो गुलाल स्पेशल था , २०% गुलाल और ८०% रंग का मिक्स , ... बस बर्फ पिघल कर दोनों के जोबन पर गुलाल भीगे रंग में

और मोहल्ले के लौंडों का लंड ज्योति और नीतू के गीले भीगे देह से चिपके जोबन को देख कर टाइट होता

और वो लौंडे आखिर मेरे तो देवर लगते न ,

और फागुन में देवर का फायदा भाभी नहीं करवाएंगी तो कौन करवाएगा।

 
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होरी खेलूँगी श्याम तोते नाय हारूँ
उड़त गुलाल लाल भए बादर, भर गडुआ रंग को डारूँ
होरी में तोय गोरी बनाऊँ लाला, पाग झगा तरी फारूँ
औचक छतियन हाथ चलाए, तोरे हाथ बाँधि गुलाल मारूँ।



Beautiful lines 😍
 
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