ननद संग होली - आंगन में मस्ती
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" अरे तो का पिछवाड़ा कोरा है अभी , ... " कम्मो बोली ,
मैं भी अब एकदम कम्मो के रंग में आ गयी थी , रंग एक बार फिर से लगा के मैं ज्योति के छोटे छोटे चूतड़ रंग रही थी
और फिर एक ऊँगली सीधे पिछवाड़े के छेद पर डालते हुए मैं कम्मो से बोली
" क्या करे ये ,... असल में हमारे देवर सब ही पैदायशी गांडू , तो इन सबकी गाँड़ मारने का काम भी हम भौजाइयों के जिम्मे आएगा , ... "
असल में मैंने इन्हे देख लिया था , ये थे तो बॉथरूम में लेकिन जब नीतू की स्ट्रिप टीज शुरू हुयी और मैंने मोबाइल पर गाना लगा दिया था
डलवाला छिनार होली में , डलवाला ,
तभी मैंने देख लिया था की बाथरूम की खिड़की थोड़ी सी खुली और ये हलके से झाँक रहे थे ,मैंने जबरदस्त आँख मारी इन्हे , और इशारा किया , लगे रहो मुन्ना भाई , आखिर तेरी बहने हैं , ...
अभी कुछ देर पहले कम्मो के चूतड़ पर रगड़ रगड़ कर इनके खूंटे की बुरी हालत हो गयी थी और अब इन किशोरियों के मस्त जोबन नयी चूत देख कर , .. लेकिन भाई के सामने बहन की रगड़ाई यही तो होली का मजा है और इसी लिएमैं कुछ ज्यादा ही मस्ती में आ गयी थी
" होली में दो दो भौजाई के रहते ननद को कउनो छेद बचा रहे , बहुत नाइंसाफी हैं न , ... "
कम्मो ने मुझसे कहा
और मैंने पीछे से नीतू को दबोचते बोला , ...
"एकदम मैं इसका पिछवाड़ा खोलती हूँ आप ज्योति स्साली का ,... "
" अरे सुन , ऊँगली से इन आजमगढ़ वालियों को मजा नहीं आता , सीधे मुट्ठी पेल के गाँड़ फाड़ते हैं दोनों की ,... "
कम्मो बोली
और मैंने काम शुरू भी कर दिया लेकिन दोनों बार बार चीख रही थीं ,
"नहीं भाभी मुट्ठी नहीं , मुट्ठी नहीं , ..."
" चलो अच्छा तुम भी क्या याद करोगी बनारस वाली दो भाभी मिली थी , दया की सागर ,... तुम दोनों आपस में चुम्मा चाटी चूसम चुसाई करती हो न , ... "
मैंने एक रास्ता दिखाया ,
नीतू ने ना बोला लेकिन ज्योति ने हाँ ,
अभी भी नीतू के जोबन पर रंग नहीं लगे थे मैंने कस के मीजना , निपल मरोड़ना शुरू कर दिया और वो भी बोली
हाँ भाभी एकाध बार ,,कम्मो अब ज्योति के चूतड़ और जोबन रंग रही थी मैं नीतू के ,
तो चल दोनों , 69 ,... ये मत कहना की कभी 69 किया नहीं है यारों के साथ , तो आज तुम दोनों आपस में ,
ज्योति नीचे , नीतू ऊपर
कम्मो अब ज्योति के चूतड़ और जोबन रंग रही थी मैं नीतू के ,
और मैं बाथरूम के पास जा के , मैंने खिड़की पूरी खोल दी , और बाथरूम का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया
आखिर बहने आपस में चूत चुसाई करें और भाई को देखने का मौका न मिले ,...
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और मोहल्ले के रिश्ते के नाते दोनों इनकी बहने ही तो थीं और इन्हे भैया ही बोलती थीं ,
" हैं न मस्त माल तेरी बहने , लेकिन जो जानते हो तुम्हारे जिला की जिल्ला टॉप माल तो वही एलवल वाली है , तेरी वाली , .. और उसे भी एक दिन तेरे सामने , ... "
और फिर मैं ज्योति नीतू की ओर , लेकिन उसके पहले किचेन से बाकी होली का सामान ,
" पांच मिनट में अगर कोई न झड़ा तो दोनों की गांड मारी जाएगी और जो पहले झड़ा उसकी जो बाद में झड़ेगी ननद वो मारेगी "
कंडोम में गुलाल भर के बांये ७ इंच के डिलडो को दिखाते मैं बोली।
दोनों एकदम मस्त चूसती थीं , मैं और कम्मो बगल में बैठ के देख रही थीं , दोनों को ललकार रही थीं , साथ में होली
दोनों के ऊपर सूखे रंग के एक पैकेट का मैंने छिड़काव किया ,
और सीधे पाइप लगा कर के जहां जहाँ रंग था वहीँ कम्मो ने फिर कभी दोनों के जोबन पर कभी चूतड़ पर
ज्योति पहले झड़ी , और वो एकदम सब शर्ते मानने को तैयार बस उसकी गाँड़ बच जाए , ...
" चल अच्छा , अपनी कम्मो भौजी को चूस चूस के झड़वा , और पांच मिनट के अंदर , वरना गांड बचेगी नहीं। "
कम्मो ने खड़े खड़े ही अपना पेटीकोट ऊपर सरकाया , और ज्योति को खिंच कर अपनी टांगो के बीच ,
मैं क्यों छोड़ती नीतू को , वो अभी भी आंगन में थकी लेटी थी , मैं सीधे उसके ऊपर फेस सिटिंग और घिस्से लगा कर ,
एकदम मेरी गाँव की होली,
और मैंने एक ऊँगली सीधे नीतू की बुर में ठेल दी , जड़ तक और अंगूठा उसकी क्लिट पर ,
लेकिन हालत खराब हो रही थी ज्योति की ,
कम्मो ने थोड़ी देर बुर चुसवाने के बाद , सीधे उसे खींच कर अपने पिछवाड़े के छेद पर
" चाट गाँड़ चट्टो चाट , डाल जीभ अंदर वरना मैं तेरी गाँड़ मार कर गाँड़ का मजा लेना सिखाती हूँ ,
साथ में उन दोनों की रंगाई पुताई भी जारी थी , आंगन में रंग फैला पड़ा था , हम दोनों के हाथों में भी , ...
हम सब जब झड़े तो कुछ देर तक वैसे ही आँगन में पड़े रहे , फिर मैं स्टोर से जाकर गुझिया , ठंडाई ,
पांच दस मिनट का इंटरवल , और खा पीकर होली शुरू हुयी तो मेरा फोन बज गया और रंग से फोन बचाने के लिए मैं दूर बरामदे में जाकर , मेरी जेठानी का फोन था , वो और सास मेरी शाम तक आने वाली थीं , और पांच मिनट तक गोद भराई का हाल चाल सुनाती रही , बुआ की लड़की का
ज्योति और नीतू अब कम्मो की रगड़ाई में जुटी पड़ी थी और अब कम्मो के बड़े बड़े जोबन पर जहाँ उनके देवर के रंग लगे थे अब ननदों के भी ,...
मैं भी नहीं बची , उन दोनों ने मिल कर ,... मेरे हर खास अंग को रंगा , पेटीकोट खुला ब्रा खुली ,
लेकिन होली में बचना कौन चाहता है ,
डेढ़ दो घंटे तक ,...
हाँ जब वो दोनों जाने लगीं तो उनके कपडे सूखे हमने वापस कर दिए पर उसके पहले कम्मो ने ज्योति को झुका के दो चार पुड़िया रंग ज्योति और नीतू की गांड में और मैंने गुलाल भरे दोनों डिल्डो की बुर में जड़ तक ठेल दिया।
पर जब वो जाने लगीं , तो मैं एक गुलाल अबीर की प्लेट ले कर आयी
और फिर सूखी होली , ... लोग क्या कहेंगे दो दो भाभियाँ , और ननदों के गुलाल भी नहीं लगा ,
जैसा लड़कियों की होली में होता है , सबसे पहले सिन्दूर की तरह गुलाल मांग में ,
उसके बाद गाल और जोबन पर , ...
आफ कोर्स ब्रा और पैंटी तो हमने जब्त कर लिए थे , बिना ब्रा के ननदें सच में होली में बहुत सेक्सी लगती हैं
और फिर अपने देवरों का ख्याल करके , जब दोनों निकल रही थीं एक एक आइस क्यूब , दोनों के कुर्ते और टॉप के अंदर , ... उसका असर दो चार मिनट में होता , जब तक वो सड़क पर पहुँचती , वो गुलाल स्पेशल था , २०% गुलाल और ८०% रंग का मिक्स , ... बस बर्फ पिघल कर दोनों के जोबन पर गुलाल भीगे रंग में
और मोहल्ले के लौंडों का लंड ज्योति और नीतू के गीले भीगे देह से चिपके जोबन को देख कर टाइट होता
और वो लौंडे आखिर मेरे तो देवर लगते न ,
और फागुन में देवर का फायदा भाभी नहीं करवाएंगी तो कौन करवाएगा।
ननद संग होली - आंगन में मस्ती " अरे तो का पिछवाड़ा कोरा है अभी , ... " कम्मो बोली , मैं भी अब एकदम कम्मो के रंग में आ गयी थी , रंग एक बार फिर से लगा के मैं ज्योति के छोटे छोटे चूतड़ रंग रही थी और फिर एक ऊँगली सीधे पिछवाड़े के छेद पर डालते हुए मैं कम्मो से बोली " क्या करे ये ...
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