• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica रंग -प्रसंग,कोमल के संग

komaalrani

Well-Known Member
22,306
58,080
259


भाग ६ -

चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी

Phagun ke din chaar update posted

please read, like, enjoy and comment






Teej-Anveshi-Jain-1619783350-anveshi-jain-2.jpg





तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”

मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?

चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।

जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-

“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”

भाभी बोली-

“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी
 

komaalrani

Well-Known Member
22,306
58,080
259
Ladke ke point of view se story bahut achhi lag rahi hai...jaise usne apni didi chudai ki kahani batayi... shandar
Phagun ke din chaar kahani poori tarh ladke ke point of view se hi likhi gayi hai
 
  • Like
Reactions: motaalund

komaalrani

Well-Known Member
22,306
58,080
259
Ladke ke point of view se story bahut achhi lag rahi hai...jaise usne apni didi chudai ki kahani batayi... shandar
aur page 29 par ki story ke part ke baare men kaisa laga likhiye
 

Shetan

Well-Known Member
15,135
40,750
259
IMG-20230319-141456 IMG-20230319-141410 IMG-20230319-141346 IMG-20230319-141332 IMG-20230319-141315 IMG-20230319-141301 IMG-20230319-141234 IMG-20230319-141217 IMG-20230319-141155 IMG-20230319-141135 IMG-20230319-141115 IMG-20230319-141101 IMG-20230319-141024 IMG-20230319-141002 IMG-20230319-140946 IMG-20230319-140932 IMG-20230319-140913 IMG-20230319-140835 IMG-20230319-140818 IMG-20230319-140731 IMG-20230319-140716 IMG-20230319-140652 IMG-20230319-140629 IMG-20230319-140610 IMG-20230319-140548 IMG-20230318-134132 IMG-20230318-134055
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
46,598
48,478
304
Awesome super duper gazab pics.
👌👌👌👌👌👌👌👌
✅✅✅✅✅✅
⭐⭐⭐⭐⭐
itne acche lady pics kahan se dhund leti ho, Shetan kahin ki.
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
46,598
48,478
304
कालोनी की होली

(फागुन के दिन चार से)



होली का माहौल मोहल्ले में और भी रंगीन था। और जब हम लोगों की टोली घर से निकली जोबन के मद से मदमाती, गदराती, खेली खायी भाभियां, तितली सी उड़ती, चिड़िया सी चहकती, उछलती, मचलती, उनकी ननदें और लड़कियां।

पुराना जमाना होता तो राजा इन्दर के अखाड़े की, लालपरी और सब्जपरी की उपमा शायद ठीक होती। लेकिन अभी तो ये कहा जा सकता है की जैसे किसी चैनेल की या फिल्मी होली पार्टी से स्टार होने वाली स्टार रंगों में लथपथ निकलती है। बस इसी तरह रंग के साथ भंग और वोदका और रम के नशे में चूर। फर्क सिर्फ ये था की इस टोली की होली तन और मन की भी हुई थी। शायद ही किसी के कपड़े फटने से बचे हों और जो थोड़े बहुत थे। वो बस सारे उभारों से चिपके, कटावों को झलकाते और आग लग रहा थे। सब लाल गुलाल लग रहा था पलाश के दहकते, जलते वन ही चले आ रहे हो हों। वो गाल जिन्हें छूने के लिए सूरज की किरणें भी इजाजत मांगती थी, जिन्हें देखकर गुलाब भी शर्मा जाते थे। जिनके बारे में ये कहा जाता था।




अल्लारे उनके फूलों-से गालों की ताजगी,

धूप आइने की देखकर कुम्हलाये जाती है।




वो रंगों से लाल पीले। खूब रगड़े मसले रुखसार होली की मस्ती से दहक रहे थे। जिन स्कूल जाती लड़कियों से नए आये जोबन का उभार, निखार सम्हाले नहीं सम्हलता था। बार-बार दुपट्टा इस कदर इस रूप से डालती थी की किसी लड़के की नजर न पड़ जाए। भाभियों ने उनके जोबन ऐसे लुटे थे। अब दुपट्टे और ब्रा ने तो साथ छोड़ा, टाप, फ्राक भी फटी चिथड़ी, रंगों से चिपकी, उन नए आये उभारों को नुमायां ज्यादा कर रही। और छुपा कम रही थी। और उनके चलने का अंदाज भी बता रहा थी की इस होली में वो कैशोर्य के आँगन से बाहर निकलकर, भोलेपन की दहलीज पारकर अब शोख अदाओं, छेड़खानी और मनुहार के, इस तरह से ना कहने की अदा की अगला समझ जाय की वो हाँ ही है, जवानी के मजे लेने की मस्त दुनियां में आ गई थी और छुपा कम रही थी गौने के रात की बाद दुल्हन की जो हाल होती है।






उसे लगता है हर निगाह उसकी रात की गुस्ताखियों का शोखियों का हर कदम के साथ स्वाद ले रही है,



आज बिरज में होरी रे रसिया, होरी रे रसिया बरजोरी से रसिया,

अपने अपने घर से निकरी कोई सांवर कोई गोरी रे रसिया।




और घर से बाहर निकलते ही। होली है के नारे हुड़दंगियों की टोली। गली के दोनों और छतों पे जो लड़कियों औरतों का झुण्ड था। बाल्टियों से पानी और रंग, पिचकारियों की फुहारे, रंगों भरे गुब्बारे, तन मन और गीला हो गया।

मैं रीतू भाभी, लतिका और रीमा के साथ था और गुड्डी सीधे मिश्रायिन भाभी की अंडरस्टडी के तौर पे और मिश्रायिन भाभी ने जो गुर आज तक किसी को नहीं सिखाये थे, अपनी इस पटु शिष्या को ना सिर्फ सिखाये बल्की अपने सामने करवाए भी।

गुड्डी अपने से उम्र में चौदह साल बड़ी, शादीशुदा ससुराल से कबड्डी खेलकर आई, एक से एक तीस-बत्तीस साल की प्रौढ़ा, ननदों को भी पछाड़ रही थी। लेस्बियन रेसलिंग, होली की गालियां हो या एक साथ होली की हूँ तू तू में अकेले ननदों के झुरमुट में घुस के दो-चार के कपड़े फाड़कर आना हो। गुड्डी की जोश और स्फूर्ति और मिश्रायिन भाभी की ट्रेनिंग और ट्रिक। उसके उम्र वाली कमसिन कन्यायें तो वैसे ही हाथ खड़ी कर देती थी। कर लो जो करना हो।

लड़कियों की इस होली में आदमी नहीं घुसते थे। हाँ दूर से देह से भीगे चिपके रंग से लथपथ कपड़ों में कटाव, उभार, झलकते हुए जोबन, एक दूसरे से जूझती औरतें लड़कियां, कपड़े के अन्दर हाथ डालकर गोलाईयां मिजवाती नापती, दबाती, मीजती, लड़कियां।





वो देखना ही उनके लिए होली का अनन्य सुख था।


हाँ हम लोगों की टोली, पीछे के रास्ते से कालोनी में गई तो इसलिए होली के हुड़दंगियों, हुरियारों से तो हम बचे रहे। लेकिन अगर कोई इक्का दुक्का कम उमर का लड़का पकड़ में आ गया तो भाभियां उसे रगड़े बिना नहीं छोड़ती थी। आखीरकार, देवर जो लगता। पैंट के अन्दर भी, आगे भी पीछे भी और उससे उसके बहन की नाम की दस पांच गालियां दिलवा के ही उसे छोड़ती।

लेकिन मेरा बड़ा फायदा हो गया, लतिका और रीमा के चलते। कालोनी में जहां कोई रंगीन बाला दिखती, जवानी के देहलीज पे खड़ी, थोड़ी लजाती, सकुचाती, झिझकती, शर्माती। उसकी रगड़ाई और सब कुछ। 'सिखाने दिखाने' का काम मेरा।

लतिका मुझे समझाती, उकसाती।


ये नीले फ्राक वाली, बहुत सीधी बनती है, कहती है इसको ऐसी वैसी बातें पसंद नहीं, लड़कों के नाम से कन्नी काटती है, छूने को छोडो कोई लड़का कमेंट भी पास कर दे तो एफ आई आर लेकर खड़ी हो जाती है।



बस दो-चार भाभियां उसे दौडातीं, जैसे हांका करते हैं। वो हिरणी भागकर लतिका और रीमा की और दौड़ती और मैं पीछे से उसे गपुच लेता। मेरा बायां हाथ काफी होता उसके हाथ पकड़ने के लिए। फिर मैं उसे थोड़ी देर छटपटाने देता और जब वो थक हार के खड़ी हो जाती।

तो पहले तो गोरे गोरे किशोर गालों का रस, और साथ में उसके कानों में ऐसी वैसी बातें जो वो अपनी सहेलियों से करने में शर्माती सकुचाती, गोलाइयों की नाप। किसने और कितनों ने उसके जोबन का रस लूटा है। वो धत्त धत्त करती रहती और मैं कहता चल कोई बात नहीं मैं खुद नाप लेता हूँ और फिर गीले देह से पहले तो ऊपर से जोबन रस का सुख और फिर एक झटके में फ्राक के अंदर हाथ।




मुसीबत में जैसे दोस्त भी साथ छोड़ देते हैं। उसी तरह फ्राक के बटन भी चट चट और मेरा हाथ अन्दर। जो नीति भाभियों ने मेरे घर के आँगन में की थी ननदों को ब्रा के कवच से मुक्त करने की। पहले वो और फिर गोरे कबूतर। उनके पंख लाल पीले रंगे जाते। पक्के रंगों से। खास तौर पे जब उन कबूतरों की ललछांह चोंच मैं दबाता, दबोचता, तो जिस तरह वो सिसकती चीखती। लतिका, रीमा से छुड़ाने की गुहार करती। लेकिन वो दोनों शोख हँसती, मुझसे कहती की जरा कबूतरों को हवा तो खिलाओ, पिंजरे से साल बरस के दिन, बाहर तो निकालो। और मैं कौन होता था मना करने वाला। चरर्र। फ्राक का ऊपरी हिस्सा फट के मेरे हाथ में, रंगा पुता कबूतर बाहर।

और साथ में लतिका और रीमा के हाथ में मोबाइल। स्नैप स्नैप। उड़ने को बेताब गोरे गुदाज कबूतर। मेरे हाथों से दबे मसले जा रहे कबूतर।

और फिर वो किशोरी कबूल कर लेती लतिका और रीमा के गैंग को जवाइन करने के लिए। लेकिन बचत इतने से भी नहीं। उसी के साथ मेरा दूसरा हाथ पैंटी का दुश्मन। उसे भी अलग कर लेता और उंगलियां सीधे रसमलाई का रस ही नहीं लेती, उसे चाट चाट कर उसे दिखाती। भरतपुर स्टेशन के अन्दर घुसकर जब तक वहां भी रंगाई पुताई न हो। वो नहीं बचती।

और फिर लतिका रीमा के साथ वो मिलकर अगला शिकार खुद पकड़वाती और ब्रा पैंटी फाड़ने का जिम्मा उसका। जैसे कई चिट फंड स्कीम में होता है की आप जिसे मेंबर बनायंगे, जब वो नया मेंबर बना लेगा तो आपका फायदा बस वही और फिर मोबाइल का इश्तेमाल, अन कहीं धमकियां और असली बात लड़कियों के झुरमुट में होली के मंजर में सब रंगी पुती भंग के नशे में मस्त। कौन देखता है कौन क्या कर रहा है और जो पहरेदार थी वो भी तो किसी और के साथ वही सब कर रही थी।



शायद ही कालोनी की कोई लड़की बची होगी जिसके उरोज कितने गदरा गएं हैं, कटाव, उभार कैसे हैं। मेरी उंगलियों ने नहीं देखा या रसमलाई का रस नहीं लिया। जो बड़ी उम्र की लड़कियां या शादी शुदा ननदें थी वो बाकी भाभियों के जिम्मे और कच्ची कली कचनार की। को होली का रस और देह का सुख सिखाने की जिम्मेदारी मेरी।
Super Holi episode,
didi tumari zimmedari hi sabse achhi thi,
jo maza kachi kaliyon ko sikhane masal ne mein atta hai,vo aur kahan.
👌👌👌👌👌👌👌👌
✅✅✅✅✅✅
⭐⭐⭐⭐⭐
 

komaalrani

Well-Known Member
22,306
58,080
259
Super Holi episode,
didi tumari zimmedari hi sabse achhi thi,
jo maza kachi kaliyon ko sikhane masal ne mein atta hai,vo aur kahan.
👌👌👌👌👌👌👌👌
✅✅✅✅✅✅
⭐⭐⭐⭐⭐
Thanks so much
 

komaalrani

Well-Known Member
22,306
58,080
259

Wonderful pictures and they will be transported to my stories soon. Thanks soooooooooooo much
 

komaalrani

Well-Known Member
22,306
58,080
259
नेकी और पूछ पूछ...
लेकिन हर बार की तरह परिष्कृत, परिमार्जित.. और नए प्रसंगों के साथ..
agar post kiya to change hoga bas bahot thoda sa , kyonki Phagun ke din chaar men erotic ke saath thriller ka tagda mixture hai aur main isi doubt men hun tag erotic ka dun ya thriller ka vaise bina Incest ka tag diye readers to kam hi aayenge han i will not put many pics, may be one pic part part
 

Shetan

Well-Known Member
15,135
40,750
259
agar post kiya to change hoga bas bahot thoda sa , kyonki Phagun ke din chaar men erotic ke saath thriller ka tagda mixture hai aur main isi doubt men hun tag erotic ka dun ya thriller ka vaise bina Incest ka tag diye readers to kam hi aayenge han i will not put many pics, may be one pic part part
Hame banaras ka bahot besabri se intjar he
 
Top