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Erotica रंग -प्रसंग,कोमल के संग

komaalrani

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भाग ६ -

चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी

Phagun ke din chaar update posted

please read, like, enjoy and comment






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तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”

मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?

चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।

जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-

“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”

भाभी बोली-

“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी
 

Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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Shetan

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होली घर आंगन की , देवर का सिंगार पटार

( फागुन का दिन चार से )

किसी भाभी ने घड़ी देख ली और घबड़ाने लगी।

अरे एक बजने वाला है। अबहीं कालोनी में जाना है देर हो रही है।


हर साल होली की शुरूआत के बाद सभी ननद भाभियां, कालोनी में जहाँ से लड़कियां औरतें नहीं आ पाती थी वहां जाती थी और फिर उन सबकी ऐसी तैसी।

बस क्या था। पल भर में साड़ी वालियों ने अपनी साड़ी लपेट ली। कुछ के फटे ब्लाउज़ बचे थे वो भी पहन लिए। साया, ब्रा पैंटी तो सबके खेत रहे थे। टाप और स्कर्ट वालियों ने बस फटे टाप को किसी तरह ऊपर बाँध लिया। ब्रा पैंटी उनकी तो भाभियों ने चिथड़े चिथड़े कर दी थी। हाँ रंग से गीले होने से टाप और साड़ियां दोनों पारदर्शी हो गई थी और उभारों से एकदम चिपकी। लेकिन सबसे बुरी हालत मेरी थी।

मेरे तो सारे कपड़े फाड़ दिए गए थे। मैंने बोला- “मैं क्या पहनूंगा?”

तो एक लड़की बोली- “ऐसे ही चलिए…”

लेकिन भाभी ने गुड्डी की ओर देखा तो वो मेरी बचत में आ गई। मेरा पिछवाड़ाडा सहलाते हुए बोली,

" अरे नहीं अब ये मेरी जिम्मेदारी है। बीस आने में मेरी मम्मी ने खरीदा है बोली लगाकर। अगर किसी लौंडेबाज की नजर पड़ गई तो, रात तक चार बच्चो के माँ की तरह हो जायेगी। लेकिन मेरे पास लड़कों के कपड़े तो हैं नहीं। जो है वो। "

और थोड़ी देर में मेरा श्रृंगार उन दुष्टों ने मिलकर शुरू कर दिया और इसमें लड़कियां और भाभियां दोनों मिली थी-



रसिया को नार बनाऊँगी रसिया को।

सारा माहौल इसी गाने से गूंज गया था। मिश्रायिन भाभी और मेरी भाभी, सारी भाभियों को ललकार रही थी। और भाभियों के साथ लड़कियां भी इस अभियान में जुट गई थी। मैं बिचारा एक फटे पेटीकोट को, टावेल की तरह लपेट के, अपनी बची खुची लाज सम्हालने में लगा था।

और इस अभियान की पहल कर रही थी। और कौन- गुड्डी। वो एक पैकेट लेकर आई जिसमें एक साड़ी थी और भी बहुत कुछ, जिसके बारे में कल रात मैंने उससे पूछा था। तो उसने मुझे घुड़क दिया था- “तुमसे मतलब?”

और मेरी भाभी भी। मुश्कुराकर आँख नचाकर बोली, अरे मालूम हो जायेगा कल।

वो पैकेट जब खुला तो उसमें से क्या नहीं निकला।

वो सब स्प्रिंग लोडेड गहने, आर्टिफिशयल, जो कल गुड्डी ने मेरे पैसे से मुझसे ही खरीदवाये थे। चूड़ियां, मेकअप का सामान, ब्रा और एक और बंद पैकेट। गुड्डी के साथ उसकी ताजा बनी सहेली, लतिका (वही समोसेवाली) शामिल थी और लतिका ने एक-दो और लड़कियों को बुला लिया था की इसे नेल आर्ट्स बहुत अच्छी आती है। गाइडेंस रीतू भाभी की थी।

पैर के श्रृंगार में शीला भाभी और कालोनी की एक-दो और भाभियां। शीला भाभी ने तो महावर की पूरी बोतल मेरे दोनों पैरों पे खाली कर दी, खूब गाढा चौड़ा उनके साथ एक भाभी रच रच के ऐसे डिजाइन बना रही थी। जैसे गौने की दुल्हन के बनाते हैं (और अगले दिन उसकी ननदें चिढ़ाती हैं, जब दुल्हे के माथे पे वही महावर लगी नजर आती है। क्यों भाभी रात में भैया से पैर छुलवा रही थी क्या)

पैरों पे सुहागरात के पहले एक ग्राम्या का जो श्रृंगार होता है वो चल रहा था। तो मेरे हाथों पे लतिका और उस की हम उम्र सहेलियां हाथों में पूरा शहरी ब्यूटी पारलर खुल गया था। एक हाथ में लतिका तो दूसरे में उसकी सहेली। पिंक नेल पैंट डिजाइन बनाकर और साथ में कलाई तक वही डिजाइने। तब तक रीतू भाभी की निगाह मेरे तम्बू में बम्बू पे पड़ गई।

और लतिका से वो बोली- “अरे इसका इलाज तो कर…”


लतिका ने तने खड़े जंग बहादुर को देखा। तो पहले तो वीर बहूटी हो गई। फिर कुछ शर्माते कुछ लजाते बोली-

“ये तो। मैंने अभी तो किया। लेकिन इस पे तो कुछ असर ही नहीं पड़ता…”

रीतू भाभी हँसते-हँसते दुहरी हो गईं बोली
" तू तो ना मेरी पक्की ननद है। तुझे सपने में भी ना अपने भाइयों के खड़े औजार ही नजर आते हैं। अरे मेरे देवर का हथियार है ऐसे थोड़े ही सोने वाला है। मैं बताती हूँ।"


और उन्होंने लतिका की सहेली के बाल से उसके पिंक साटिन रिबन खोल लिए और लतिका को कुछ समझाया। फिर क्या था लतिका और उसके सहेली ने पहले तो फटे चिथड़े पेटीकोट का वो आवरण हटाया। दोनों के मुँह से एक साथ निकल गया वाउ। सो हाट।

रीतू भाभी ने प्यार से दोनों को हड़काया- अरे सालियों, छिनारों लार बाद में टपकाना। तेरा भाई है जब चाहे तब घोंट लेना। पहले जो बताया है वो काम करो। और वो दोनों किशोरियां, कच्ची कलियां काम पे लग गई। वो दोनों झुकी 'अपने काम' में लगी थी।

और मैं उनके फटे, टाप्स से झांकते बड़े-बड़े टिकोरे निहार रहा था।

और तभी उन दोनों की बात से पता चला की दोनों नवीं में गई थी अभी। और उनकी क्लास की चंडाल चौकड़ी ने ये तक किया था की जिसकी पहले फटेगी। वही क्लास की हेड गर्ल बनेगी और लतिका की सबसे पहले फटी। और भाभियों के साथ कित्ती उसकी सहेलियों के फोन पे उसका वीडियो सबूत था। वो दोनों इसका मतलब गूंजा और गुड्डी की मझली बहन के बराबर उम्र की थी। इसका मतलब उन दोनों सालियों पे भी मैं नंबर लगा सकता था।

लतिका जोर से मेरे जंगबहादुर को दबाकर मेरे जांघ से चिपका के सटाए हुए थी। और उसकी सहेली (रीमा नाम था उसका) उसे अपनी गुलाबी रिबन से मेरे जांघ से बाँध रही थी कसकर। रिबन खतम हो गया। लेकिन मेरा आठ इंची का सुपाड़ा अभी भी खुला था। लतिका की सहेली उससे भी एक हाथ आगे थी बोली- यार एक आइडिया है और मेरे खुले सुपाड़े से झांकते पी-होल (मूत्र छिद्र) के ठीक नीचे उसने गुलाबी लिपस्टिक से एक स्माइली बना दी।

दोनों किशोरियां खुलकर खिलखिला के हँसी अपने बाड़ी आर्ट को देखकर। लेकिन लतिका बोली यार ये खुल सकता है कुछ और करना पड़ेगा और उसकी निगाह रीमा की कमर की ओर पड़ी। रीमा ने मुश्कुराते हुए ना ना कहा। लेकिन लतिका कहाँ सुनाने वाली थी। उसने दोनों हाथों से उसकी स्कर्ट उठायी और थांग खिंच दी। बस दो इंच की गुलाबी, लेसी पट्टी की तरह।

और रीमा का भरत पुर भी एकदम मस्त चिक्कन मक्खन, गुलाबी बस दो-चार ताजा निकलेकरसर के फूल की तरह सुनहली बस निकलती हुई झांटे। उसे देखकर जंग बहादुर एकदम विप्लव पे उतारू। दोनों किशोरियों ने तुरंत थांग से उसे दुबारा रैप किया और तब तक गुड्डी आ गई उनकी सहायता करने को। आखीरकार, जंग बहादुर की मालेकिन तो वही थी।


वो एक मेडिकल टेप का बण्डल लायी थी। और अब तीनों ने मिलकर उसे अच्छी तरह कसकर टेप कर दिया। रीमा की निगाहें आँगन में कुछ ढूँढ़ रही थी। और उसने किसी ननद की पैंटी देख ली। आँगन फटी चिथड़ी ब्रा पैंटी पेटीकोट से पटा पडा था।

और वो एक पैंटी उठाकर ले आई और तीनों ने मिलकर मुझे पहना दिया और जोर से हाई फाइव कर के बोली- अब ये बच्चू काबू में आ गए और उसके बाद वो तीनों काम पे जुट गईं। वही चूडियां जो कल गुड्डी ने मुझसे खरीदवाई थी, लाल हरी। लतिका और रीमा तो चूड़ी पहनाने वालियों को भी मात कर रही थी। वही चिढ़ाना, वही अदा, उसी तरह उंगलियों को मोड़कर एक के बाद एक चूड़ी। मैंने एक-दो के बाद मना कर दिया। तो गुड्डी ने चढ़ाया उन दोनों को-

“अरे कल ये खुद खुशी खुशी अपनी पसंद से खरीद के ले आये थे। अब नखड़ा बना रहे हैं, पहनाओ कुहनी तक…”
Ritu bhabhi ki chalti tagdi he. Saj gai guddi rani. Ek or nath utrai ke lie. Maza aa gaya.

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Shetan

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रसिया को नार बनाओ जी,




गुड्डी ने चढ़ाया उन दोनों को- “अरे कल ये खुद खुशी खुशी अपनी पसंद से खरीद के ले आये थे। अब नखड़ा बना रहे हैं, पहनाओ कुहनी तक…”

उन दोनों को तो बस। गाँव की नई दुलहन की तरह सिरफ चूड़ियां ही नहीं कंगन, बाजूबंद। लतिका (वही 'समोसेवाली') ने छेड़ा। अरे रात भर चुरुमुर करेगी ये चूड़ियां। उधर आँगन में भाभियां लहक लहक के गा रही थी-



रसिया को नार बनाओ जी, रसिया को।

सिर पे उढ़ाय सुरंग रंग चुनरी।

अरे सिर पे उढ़ाय सुरंग रंग चुनरी।

उर चोली पहनाओ री

रसिया को नार बनाओ जी, रसिया को।




साथ में रीमा, लतिका, गुड्डी और एक-दो भाभियां कल जो गुड्डी आर्टिफिशियल ज्वेलरी खरीद के लायी थी। बस उसे पहनाने में जुटी थी। चूड़ी, कंगन और बाजूबंद के बाद अब नाक और कान का नम्बर था, रीमा ने कान में बड़े-बड़े झुमके पहनाये और लतिका ने छोटी सी नथुनी। एकदम सोने की लग रही थी। बीच में छोटा सा मोती।

मुझे चिढ़ाते हुए बोली,

" आप ने मेरी नथ उतारी और मैं आपको नथ पहना रही हूँ। "

लतिका और रीमा वास्तव में मेकअप में एक्सपर्ट थी। हाई चीक बोनस बना दी उन्होंने फिर रीमा ने आँखों का जिम्मा लिया। मस्करा, लाइनर, काजल कुछ भी नहीं छोड़ा और लतिका ने होंठों पे लाइनर, लिपस्टिक, लिप ग्लास, एकदम लड़की टाइप जैसे ब्राइडल मेकअप करते हैं वैसे।

उधर रीतू भाभी ने पैरों में चौड़ी, एक हजार घुंघरु वाली पाजेब पहना दी। मैंने बिछुआ पहनने में जो कुछ नाटक किया। तो डांट पड़ गई। और किसकी। गुड्डी की। सुहागिन की निशानी है ये। खबरदार और पांचो उंगलियों में घुँघर वाला बिछुआ। और उधर शीला भाभी ने मुझे चिढ़ाते हुए गाना शुरू कर दिया। मेरी भाभी भी साथ में और बाकी भी। यहाँ तक की रीमा और लतिका भी-




अरे घुंघुर वाला बिछुआ अजबे बना, अरे छोटे घुंघुर वाला।

ये बिछुआ पहने हमरे आनंद की बहना अरे देवर की बहना।

इ बिछुआ पहने रंजी छिनारी, अरे साल्ली रंजी छिनरी

अरवट बाजे, करवट बाजे, अरे चौका पे रोटी बेलावत बाजे

अरे टंगिया उठाय चुदावत बाजे, हमरे देवर के संग चुदावत बाजे

लौड़ा रोज पेलावत बाजे, अरे छोटे घुंघुर वाला।




अब कपड़ों का नम्बर आया और शीला भाभी ने गुड्डी जो साड़ी लायी थी और आँगन से किसी भाभी का गिरा पेटीकोट उतारकर पहना दिया। चोली पहनाने का काम गुड्डी ने किया लेकिन सब लोग चिल्लाये अरे पहले अन्दर वाला।

गुड्डी हँसकर बोली मुझे याद है बस नाप रही थी और फिर ब्रा। वही जो दुकान पे सेल्सगर्ल ने मुझसे मेरी बनियाइन का नंबर पूछ के दिया था बस वही पैकेट। मेरी भाभी भी मैदान में पीछे नहीं थी। गुड्डी से बोली। अरे तुझे कल कुछ बोल था ना बाजार से लाने के लिए।


गुड्डी बोली,

अरे आप घबड़ाए मत। आपके देवर का श्रृंगार कम लिंग परिवर्तन पूरा होगा। गारंटी कोई पहचान नहीं सकता। शाम को कालीन गंज (मेरे शहर का रेड लाईट एरिया) में इनको बैठा दीजियेगा तो सौ दो सौ कमा लायेगे।

उसने अपना बंद पैकेट खोलकर दो टेनिस की बाल निकाली उस पे दो बहुत छोटी-छोटी कंचे की गोलिया चिपकाई। उन्हें ब्रा के अंदर रखकर टेप से चिपका दिया। और अब वो हाफ कप पुश अप पैडेड ब्रा, के अनार जब चिपक गए तो लतिका के साथ मिलकर मुझे पहले वो पहनाया फिर चोली।

“हे अभी एक चीज बची है। दुल्हन का सिंदूरदान तो हुआ ही नहीं।

उस काम के लिए और कौन आता। गुड्डी ने ढेर सारा सिन्दूर मेरी सीधी मांग में भर दिया। कुछ क्या काफी कुछ मेरे नाक पे गिर गया…” गुड्डी ने चिढ़ाया।

फिर शीला भाभी ने- “अरे सास बहुत प्यार करेगी तोहका। जिस दुलहन की नाक पे सिन्दूर गिर जाता है ना उस की सास उस को हर तरह से प्यार करती है…”

गुड्डी ने सिन्दूर की डिबिया फिर लतिका और रीमा को भी पकड़ा दी। बोली-

“चल चल मैं मिल बाँट के खाने में विश्वास रखती हूँ, और जब तेरी शादी हो जायेगी न तो नंदोई पे पहले मैं नम्बर लगाऊँगी…”

किसी भाभी ने बोला- “अरे शादी होने में तो बहुत दिन लगेगा इन दोनों के…”

गुड्डी हँसकर बोली- “अरे यारों की तो लाइन लगी रहेगी ना। तो टेम्पोरेरी नंदोई ही सही…”

रीमा और लतिका ने भी एक एक चुटकी सिन्दूर डाल ही दिया। रीमा के गाल पिंच कर के मैं बोला- “हे सिंदूर दान तो हो गया अब सुहागरात?”

वो भी डरने वाली नहीं थी, हँसकर बोली- “जब चाहिए…”

हम लोगों की टोली घर से बाहर निकलकर के कालोनी में पहुँची। निकलने के पहले मुझे गुड्डी ने शीशा दिखाया। मैं खुद को नहीं पहचान पाया। मुझे भाभियों की टीम में शामिलकर लिया गया था और मिश्रायिन भाभी सबसे ये बोलती थी की मैं भाभी के मायके की हूँ।
Bichhua vala gana bahot mast he. Maza aa gaya.

Temprrry nandoi ke lie to sari rasam he. Nath pahenai hi is lie jati he ki utarvane ka amand liya ja sake. Maza aa gaya.

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komaalrani

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Bichhua vala gana bahot mast he. Maza aa gaya.

Temprrry nandoi ke lie to sari rasam he. Nath pahenai hi is lie jati he ki utarvane ka amand liya ja sake. Maza aa gaya.

IMG-20230317-170810 IMG-20230317-170822 IMG-20230317-170839
Thanks so much
 

komaalrani

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komaalrani

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गुड्डी भी पहले से हीं देखकर हाले बयां कर रही है...
एकदम मन से तो वो भी भाभियों के साथ है, ननदों की रगड़ाई करने वाली
 

komaalrani

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ससुराल हो और साली सलहज और नंदोई ना हो .. मामला कुछ जमता नहीं...
लेकिन क्या जमाया है आपने...
एकदम सही कहा आपने नन्दोई और सलहज की होली की अपनी मस्ती होती है, दोनों खेले खाये, अनुभवी, जीजा साली या देवर भाभी में तो एक कच्चा खिलाड़ी होता है पर नन्दोई सलहज में कोई नहीं और सलहज नन्दोई के साथ मस्ती करती ननद को चिढ़ाती भी है

सैंया से सैयां बदल लो ननदी
 
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