रीत का जवाब
रीत का कमरा भी उसने बाहर से लाक कर दिया था। अब रीत करन अपने बिल में बंद थे और सिर्फ उन्हें उस कमरे में घुस के एलिमिनेट करना था। न वो कहीं बाहर भाग सकते थे, न कहीं बाहर से हेल्प आ सकती थी। उसने एक बार फिर ध्यान से फीड सुना, रीत के कमरे से कोई आवाज नहीं आ रही थी। इसका मतलब वो सभी निश्चिन्त सो रहे थे।
दोनों एक साथ बाहर रीत के कमरे के सामने इकट्ठे हुए। खिड़की से उनकी नाइट विजन ग्लासेज से साफ दिख रहा था, बिस्तर पर सब सो रहे थे, रजाई से ढंके, हाँ रजाई थोड़ी सी सरक गई थी एक ओर, जो अक्सर अगर एक पलंग पे कई लोग सोएं तो हो जाता है। जो आदमी एक्सटर्नल एरिया चेक करके आया था उसने अपने को कंट्रोल रूम के बाहर पोजीशन किया, जहाँ से वो बाहर का रास्ता देख सकता था, कंट्रोल रूम में कोई फोन आये तो सुन सकता था और वहां से रीत की खिड़की के बाहर खड़े अपने साथी के विजुअल कांटैक्ट में भी था। दोनों के बीच की दूरी मुश्किल से 80-85 मीटर थी और कोई बात होने पे वो 15-20 सेकंड पे पहुँच जाता।
और दोनों इयर-बड और फेस-माइक के जरिये कांटैक्ट में थे ही।
पहला आदमी खिड़की से घुस के टारगेट को एलिमिनेट या न्यूट्रलाइज करता और चार मिनट के बाद दूसरा भी अंदर पहुँच जाता। फिर दोनों को बोट पर बैठे अपने कंट्रोल को सक्सेस मेसेज देना था जहाँ से सेटेलाइट फोन से वो सबमैरीन को और कमांड सेंटर को मेसेज भेजता।
पहले हमलावर ने एक पल के लिए खिड़की से अंदर कमरे को देखा और चारों ओर की पोजीशन चेक की। पहली बार से कोई फर्क नहीं था। या तो वो खिड़की शीशा तोड़कर दाखिल होता लेकिन वो रीत और करन के बारे में अच्छी तरह ब्रीफ किया गया था और उसकी सक्सेस 90% सरप्राइज पर ही डिपेंड करती थी।
उसने अपनी डुंगरी की जेब से मल्टीपर्पज 5॰11 डबल रिस्पान्डर नाइफ निकाला, और खिड़की के शीशे पर एक निशान खींचा और दुबारा जब परपेंडीकुलर दबाव लगाकर उसने काटना शुरू किया तो पूरा का पूरा ग्लास नीचे से कट गया लेकिन वो अलर्ट था और शीशे के टूटकर गिरने के पहले उसने एक शीट पर सारा ग्लास कलेक्ट कर लिया जिससे कोई आवाज न हो। अब पूरी खिड़की बिना शीशे के थी और कोई भी जैग्गड एजेज नहीं थी।
कमरे में अभी भी कोई हरकत नहीं थी। उसके बाद कमरे में घुसना बच्चे का खेल था। लेकिन उसे नहीं मालूम था आगे क्या होना है?
रीत कबर्ड में कपड़ों के पीछे छुपी दबी खड़ी थी। न वह कुछ सोच रही थी, न तैयारी, बस एकदम सन्नद्ध। उसकी हर इन्द्रियां, खुली, सचेत, सजग, हमले को तैयार। बिना देखे उसे पता चल गया की कब दोनों खिड़की के पास खड़े हुए। उसके कान जरा सी हरकत को सुनने के लिए तैयार थे और जब चाकू से शीशे के काटने की बहुत हल्की सी आवाज आई और शीशे की गिरने की वो भी उसने सुनी। लेकिन हर चीज पता करने के लिए सुनना देखना जरूरी नहीं होती।
महा विद्याओं का आशीर्वाद, योग की शिक्षा या दीक्षा, उसकी पूरी देह आँख भी थी कान भी। शीशे के हटते ही जो हवा का झोंका आया बस उससे उसे अंदाज लग गया की बस अब खिड़की खुल गई है और हमला होने वाला है। बहुत हल्की सी रोशनी जो बाहर से आ रही थी, उसके अवरुद्ध होने से रीत को ये भी पता चल गया की वो अंदर आ गया है और उसकी लोकेशन कहाँ है।
वह कबर्ड और पलंग के बीच खड़ा था। और आते ही उसने जो पहला हमला किया उसके लिए रीत और करन दोनों तैयार थे, और न तैयार होते तो पहली बाजी क्या पूरा मैच हार जाते।
दो स्टेन-ग्रेनेड, एम-84 पहले तो घुसते ही उसने पलंग की ओर फेंके। इनका असर तेज फ्लैशिंग लाइट और धमाकेदार आवाज (जो 170-180 डेसीबेल की रही होगी) -हुआ। और, नार्मली, लोग ऐसी तेज आवाज में करीब आधे मिनट से एक मिनट तक अपना ओरिएनेटशन खो देत्ते हैं, कुछ करने की हालत में नहीं रहते है। बैलेंस समाप्त हो जाता है और कुछ दिखाई पड़ना भी मुश्किल होता है।
इतने समय में अटैक करने वाले को सिचुएशन पूरी तरह कंट्रोल करना आसान होता है।
लेकिन रीत ने इसकी तैयारी पूरी कर रखी थी। कबर्ड में पड़े कंबल से उसने अपने चेहरे, कान को अच्छी तरह ढक रखा था, खुद टंगे हुए कपड़ों के पीछे खड़ी थी और कबर्ड एक झिर्री के अलावा पूरी तरह बंद था, इसलिए कबर्ड, कपड़ों और कंबल ने स्टेन-ग्रेनेड के असर से उसको अच्छी तरह इन्सुलेट कर दिया। हाँ फायदा ये हुआ की अटैकर की लोकेशन अब उसे पूरी तरह कन्फर्म हो गई थी।
पलंग के नीचे छुपे करन को पलंग का पूरा प्रोटेक्शन तो मिला ही, जो उन्होंने रजाई खींच रखी थी नीचे तक उसने भी ब्लाइंडिंग फ्लैश और साउंड को अब्जार्ब कर लिया। इसके साथ ही रजाई से निकालकर करन ने रूई अपने कान में ठूंस रखी थी, दोनों हाथों से कान जोर से बंद कर रखे थे और अपने को फर्श से चिपका रखा था।
लेकिन हमलावर ने स्टेन-ग्रेनेड का असर खत्म होने के पहले ही स्मोक-ग्रेनेड एक पलंग के ऊपर और दूसरा पलंग के नीचे की ओर लांच किया। लेकिन उनका असर शुरू हो उसके पहले ही तेजी से कबर्ड का दरवाजा खुला, कपड़ों का एक बण्डल सीधे उसके ऊपर और जब तक वह सम्हले रीत सीधे उसके कंधों पर।
स्मोक में नाइट विजन गागल्स के बावजूद हमलावर के लिए देखना मुश्किल था।
लेकिन रीत को किसी नाइट विजन की कभी जरूरत नहीं पड़ी।
काली अँधेरी रात में घने जंगल में चीता शिकार की घात में बैठा रहता है, और तेजी से भागते सारंग को जिस झटके से दबोच लेता है, या सुंदरबन में जंगलों और सागर के बीच नाव पर बैठे शिकार को जिस तरह झपट्टा मारकर बंगाल का बाघ अपना शिकार बना लेता है, सिर्फ अपनी शक्ति, स्वभाव और प्रकृति के कारण बस वही हालत रीत की थी।
महाविद्या-स्त्रोत और महाविद्या-कवच का पाठ अभी उसने किया था, और बस सबका आशीर्वाद सबकी शक्ति लेकर उतरी थी, विनाश की दूती बनकर। सीधे वह उसकी पीठ पर चढ़ी थी, बायां हाथ सीधे काल का फन्दा बना उस हमलावर के गले में लिपटा था और दायें हाथ की कुहनी ने, उस हाथ पर पूरी ताकत से चोट की, जिसमें उसने एच&के (हेकलर एंड कोच) यूनिवर्सल मशीन पिस्टल पकड़ रखी थी और उसकी उंगलियां ट्रिगर पर थी। कुहनी के साथ पैर की पूरी ताकत भी उसी हाथ की कुहनी पर पड़ी, और अचानक हुए इस हमले का लाभ ये हुआ की गन उसके हाथ से छूट गई और फर्श पर गिर पड़ी।