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Erotica रंग -प्रसंग,कोमल के संग

komaalrani

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भाग ६ -

चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी

Phagun ke din chaar update posted

please read, like, enjoy and comment






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तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”

मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?

चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।

जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-

“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”

भाभी बोली-

“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी
 

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अभी तो भाभी के ताले में आनंद बाबू की ताली... मेरा मतलब है कि चाभी लगी हुई है...
कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे...
आखिर गुड्डी को वादा जो किया था...
केंचुआ के बजाए... कड़ियल नाग...
जिसका जहर... एक बार चढ़ गया... तो नौ महीने बाद केहां.. केहां ..
एकदम दुहरी जिम्मेदारी

एक तो उनकी हिम्मत नहीं की गुड्डी की कही कोई बात सपने में भी टाल दें.

दूसरे, गुड्डी से उनकी लगन कराने का काम तो सच में शीला भाभी ने ही किया, आंनद बाबू ने भाभी को अपने मन की बात बताई और दस मिनट के अंदर, जो बात कहने की हिम्मत वो अपनी भाभी से सोच नहीं सकते थे वो शीला भाभी ने,... और आधे घंटे के अंदर खाने की मेज पर फैसला हो गया, शाम होने के पहले अनाउंसमेंट और ये शीला भाभी ही थीं जो गुड्डी और उनको मंदिर ले गयीं, जोड़े से पूजा कराई, और पंडित से दोनों की कुंडली मिलवाई और मई की लगन भी निकलवा दी,... और शाम को गाजे बाजे तम्बू कनात सब की दिन तारीख पक्की,... तो ये कराने के बदले शीला भाभी उनसे कुछ भी करने को कहतीं,... और ये तो देवर भाभी का रिश्ता होली की रात,

और एक बात बोनस वाली भी थी,...

गुड्डी ने बोला था भाभी ही हैं चाभी,... मतलब गुड्डी के मायके में खास तौर से गाँव में चलती शीला भाभी की ही थी तो साली सलहज का बोनस,... वो भी शीला भाभी के सौजन्य से

और गुड्डी खुद रंजी के यहां चली गयी तो रास्ता साफ़ , एक रात शीला भाभी के नाम,... अगले दिन शीला भाभी को जाना भी था।
 

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उफ्फ .. टू फिंगर टेस्ट भी फेल...
फिर तो एकदम नई..नई भौजाई का मजा....
जिसके अंग अंग अभी निखरने शुरू हुए...
पांच साल का सूखा,... औरत गौने आती है ये सोच के की अब कोई दिन नागा नहीं होगा, यहाँ तो उलटा,... इसलिए देवर को मेहनत तो करनी होगी और शीला भाभी की बात मानें तो शादी के बाद उन्हें एक से एक कच्ची कुँवारी मिलेंगी, तो प्रैक्टिस भी
 

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***** ***** फलैश-बैक,...शीला भाभी



होली में जीजा ने


शीला भाभी ने अपनी पूरी कहानी बतानी शुरू कर दी। वो एक बार झड़ चुकी थी, इसलिए न उन्हें जल्दी थी न मुझे।

वो बोली-

“वो जो तेरा माल है ना साल्ली, छिनार, तेरी बहन, रंजी। फनफनाती फिरती है चूतड़ मटकाती, चुदवासी। जिस छिनार को चोदने में तुम इतना शर्मा, लजा रहे हो, जब मैं उसकी उमर की थी सात आठ लण्ड घोंट चुकी थी…”

उनके निपल को हल्के से काटकरके मैंने पूछा- “मतलब भाभी, आप सात आठ बार चुद चुकी थी…”


“तुम भी न लाला, तुझे बहुत सिखाना पड़ेगा। अरे खाते समय रोटी और जवानी में चुदाते समय कोई चुदाई गिनता है। सात आठ लड़कों, मरदों के लण्ड मैं घोंट चुकी थी और कितनी बार चुदी ये न मैंने हिसाब रखा न चोदने वालों ने। और उस तेरी रंजी साली का अभी तक खाता भी नहीं खुला…” मेरे सीने पे अपने गदराये बड़े-बड़े जोबन रगड़ते भाभी बोली।

अपना लण्ड शीला भाभी की बुर में गोल-गोल घुमाते मैंने पूछा- “भाभी कब, कौन था वो खुश-किश्मत?”
और मेरे बिना पूरा बोले भाभी बात समझ गईं और, फ्लैश बैक में चली गईं।

“आज का ही दिन था, होली का, और मैं तेरे माल, उस रंजी से एक साल से छोटी ही रही होऊँगी। घर पे मैं सिर्फ थी और मेरी भाभी, बाकी लोग कहीं शादी में गए थे। मेर इम्तहान थे इसलिए मैं और मेरा साथ देने के लिए भाभी रुक गई थी। मेरे एक जीजा थे और मैंने और भाभी ने उनसे बहुत कहा था कि होली में जरूर आयें…”

मैं चुपचाप सुन रहा था। बजाय हुंकारी भरने के, कभी मेरे होंठ, भाभी के भरे-भरे गाल काट लेते तो कभी चूची पे अपने दांत के निशान बना देते।

भाभी ने बात आगे बढ़ायी।

जब उनके जीजा घर आये तो शीला भाभी और उनकी भाभी ने बहुत प्लानिंग की थी। लेकिन जीजू ने सीधे अपनी कुँवारी, किशोर साली पे हमला किया और उस कच्ची कली के गालों का रस रंग लगाने के बहाने लेने लगे। लेकिन उनका टारगेट उसके टाप में छिपे जवानी के फूल थे और गालों से फिसल के जल्द ही हाथ टाप के अंदर घुस गए।

शीला भाभी ने बहुत कोशिश की, लेकिन उनकी भाभी ने पाला बदल लिया था और अपनी ननद की कोमल कलाइयों को पीछे से पकड़ लिया था। यही नहीं, उन्होंने पीछे से टाप उठाकर उनके ब्रा के हुक भी खोल दिए और अब दोनों कबूतर जीजू के हाथ में थे।

खूब जमकर वो रगड़ मसल रहे थे कि, शीला भाभी की भाभी ने अपने नंदोई को ललकारा-

“अरे नंदोई जी तोहार छोट साली है, होली के दिन भी बहन, बहन में फर्क कर रहे है। होली साली से खेलना है या उसके टाप से…”

और अगले ही पल पहले टाप और फिर ब्रा, आँगन में आ गई और जीजू ने खुलकर जोबन मर्दन शुरू कर दिया। यही नहीं, उनका एक हाथ अब शीला भाभी की स्कर्ट में घुस गया और उनकी चड्ढी भी उतर गई। पहली बार उनकी चुनमुनिया पे किसी मर्द का हाथ पड़ा था। लेकिन थोड़ी देर में जीजू और भाभी का भी यही हाल हो गया।

लेकिन प्लानिंग तो कुछ और थी।

रंग फैले हुए आँगन में ही जीजू ने अपनी किशोर साली पे चढ़ाई कर दी। और भाभी उनका पूरा साथ दे रही थी। एक हाथ भाभी ने पकड़ रखा था और साथ ही अपनी ननद की किशोर चूचियां भी जमकर दबा मसल रही थी। और नंदोई को ललकार रही थी-


अरे नंदोई जी, छोटी-छोटी चूचियां है, बुर बिना बाल की,

चोदो जीजू कसकर, साली है कमाल की…”


यहाँ तक की जब जीजू ने लण्ड ठेला, और शीला भाभी जोर से चीखीं, उनके जीजा ने मुँह बंद करने की कोशिश की तो, उनकी भाभी ने मना कर दिया। और बोली- “अरे चिल्लाने दो न साली को, अब सुपाड़ा घोंट लिया है उसने, तो वो लाख चूतड़ पटके लण्ड तो उसे पूरा घोटना ही होगा। रगड़-रगड़कर चोदो, कच्ची कली की चूत फाड़ने का मजा तो तभी है जब रोये चिल्लाये…”

मैंने शीला भाभी से पूछा- “आपको अपनी भाभी पे गुस्सा नहीं आया?”



तो वो नीचे से जोर से चूतड़ उठाकर मेरे धक्के का जवाब देते बोली- “उस समय तो बहुत आया लेकिन, बाद में जब चुदाई का मजा आने लगा तब सब गुस्सा खतम हो गया। और अब तो लगता है की उनकी बात कितनी सही थी, झिल्ली रोज-रोज थोड़े ही फटती है…”

और ये कहकर उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाहों में भींच लिया और साथ ही उनकी बुर ने भी मेरे पूरे धंसे लण्ड को दबोच लिया, पूरी ताकत से।


शीला भाभी ने अपनी बात आगे बढ़ायी-

“मैं रो रही, चीख रही थी जोर-जोर से चूतड़ आँगन में पटक रही थी, लेकिन बाहर होली का इतनी जोर से हंगामा चल रहा था की गालियों, जोगीड़ा और कबीर के शोर में मेरी चीख कौन सुनने वाला था, ये बात भाभी अच्छी तरह जानती थी। हाँ मेरे दोनों हाथ उन्होंने कसकर पकड़ रखे थे की कहीं मैं छुड़ाने की कोशिश ना करूँ। जीजू मेरी दोनों चूचियां मसलते, अब खुलकर, हचक-हचक के धक्के लगा रहे थे।


भाभी मुझे समझा भी रही थी की अरे तू किश्मत वाली है की तेरी चूत ऐन होली के दिन फटी, वो भी अपने जीजू के साथ। अब देखना तेरी चूत रानी को खूब मजे मिलेंगे।

जीजू का लण्ड भी तगड़ा था, हाँ तेरे ऐसा गधे या घोड़े जैसा नहीं था, लेकिन कुँवारी चूत को हिला देने के लिए बहुत था…”

अपनी तारीफ सुनके मेरे जंगबहादुर फूल के कुप्पा हो गए और सुपाड़ा तक लण्ड बाहर निकालकर मैंने हचक के एक जोरदार धक्का मारा।

“जबरदस्त चोदू हो तुम, तेरे सारे मायकेवालियों को तुमसे चुदवाऊँगी…” नीचे से धक्के के जवाब में जोर से चूतड़ उछालते, शीला भाभी बोली।

वो बात मेरी ओर मोड़ती, मैंने उन्हें उनकी पहली चुदाई के किस्से की ओर वापस भेज दिया। मैंने पूछा- “भाभी, फिर क्या हुआ?”

“अरे जब मेरी चूत चोद के जीजू उठे तो मैं हिल नहीं पा रही थी। सहारा देकर उन्होंने और भाभी ने मुझे बैठाया। फिर भाभी, ठंडाई के बड़े-बड़े ग्लास लायी और हम तीनों ने पिया। और जब भांग के सब नशे में चूर थे तब मुझे असली बात पता चली…” वो बोली।

“क्या थी असली बात?” मैं अपने को रोक नहीं पाया।

“असल में मेरी भाभी, अपने नंदोई से चुदना चाहती थी। मेरे भैया तो बिजनेस के चक्कर में महीने में 20 दिन बाहर रहते थे। लेकिन उनके नंदोई यानि मेरे जीजू ने शर्त ये रखी, की उन्हें पहले अपनी अनचुदी कुँवारी साली चाहिए। इसलिए होली के दिन भाभी ने ये सीन फिट किया…” शीला भाभी ने बताया।
 
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कुँवारी ननद, भाभी और भाभी के भैया -शीला भाभी फ्लैशबैक




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अपनी तारीफ सुनके मेरे जंगबहादुर फूल के कुप्पा हो गए और सुपाड़ा तक लण्ड बाहर निकालकर मैंने हचक के एक जोरदार धक्का मारा।

“जबरदस्त चोदू हो तुम, तेरे सारे मायकेवालियों को तुमसे चुदवाऊँगी…” नीचे से धक्के के जवाब में जोर से चूतड़ उछालते, शीला भाभी बोली।

वो बात मेरी ओर मोड़ती, मैंने उन्हें उनकी पहली चुदाई के किस्से की ओर वापस भेज दिया। मैंने पूछा- “भाभी, फिर क्या हुआ?”

“अरे जब मेरी चूत चोद के जीजू उठे तो मैं हिल नहीं पा रही थी। सहारा देकर उन्होंने और भाभी ने मुझे बैठाया। फिर भाभी, ठंडाई के बड़े-बड़े ग्लास लायी और हम तीनों ने पिया। और जब भांग के सब नशे में चूर थे तब मुझे असली बात पता चली…” वो बोली।

“क्या थी असली बात?” मैं अपने को रोक नहीं पाया।

“असल में मेरी भाभी, अपने नंदोई से चुदना चाहती थी। मेरे भैया तो बिजनेस के चक्कर में महीने में 20 दिन बाहर रहते थे। लेकिन उनके नंदोई यानि मेरे जीजू ने शर्त ये रखी, की उन्हें पहले अपनी अनचुदी कुँवारी साली चाहिए। इसलिए होली के दिन भाभी ने ये सीन फिट किया…” शीला भाभी ने बताया।
“तो क्या आपके जीजू ने आपकी भाभी को?” मैंने पूछा।

“एकदम वहीं, होली के रंगभरे आँगन में, पटक-पटक कर, और उस बार भाभी के दोनों हाथ मैंने पकड़े…” हँसते हुए शीला भाभी बोली।

“भाभी आपकी तो फिर होली अच्छी हो गई…” मैंने उनकी चूची दबाते हुए, मुश्कुराकर कहा।

“अरे कुछ नहीं, असली रगड़ाई तो फिर हुई रात को…” वो हँसकर बोली।

फिर उन्होंने एक ज्ञान की बात बतायी-

“मेरी भाभी ने बाद में समझाया और अब मैं भी मानती हूँ, की अगर किसी नई लौंडिया को चोदो, तो कम से कम दो बार जरूर चोदना चाहिए। वरना उसके मन में डर, घर कर लेगा, वो हदस जायेगी और अगर कहीं गिल्ट फिलिंग हो गई तो फिर तो कभी टांग नहीं फैलाएगी। और बेस्ट तो ये है कि दो अलग लण्ड से चुद जाए, फिर तो उसकी शर्म, झिझक, लिहाज सब खतम हो जाएगा और खुद उसकी चूत में चींटे काटेंगे। और फिर लड़के भी बोलेंगे न कि यार दो से चुद चुकी है मेरे में कांटे लगे हैं क्या? इसलिए एक बार चोद के कभी मत छोड़ना किसी नए माल को…”

मैंने बात गाँठ बाँध ली। लेकिन मैंने पूछा- “लेकिन भाभी शाम को कौन?”

“बताती हूँ…” हँसकर वो बोली और पूरा किस्सा बताना शुरू किया कि वो कौन दूसरा लण्ड था जो उनकी चूत में घुसा। ये भी उनकी भाभी की कर्टसी ही था।

हम लोगों कि चुदाई भी मध्यम गति से साथ-साथ चल रही थी और शीला भाभी ने बताना शुरू किया।

होली की शाम मुन्ना आया था, भाभी का भाई। भाभी से थोड़ा छोटा और मुझसे चार-पांच साल बड़ा, और उसके साथ, भाभी का एक बुआ का लड़का। मुन्ना को मैं बहुत चिढ़ाती थी, साल्ला-साल्ला बोलकर। आखीरकार, मेरे भैया का साल्ला तो था ही, साल्ला। चौथी में भाभी की शादी के बाद वो आया तो मैंने, मेरी सहेलियों ने जमके उसे गालियां सुनायीं थी, और ज्यादातर, भाभी से उसका नाम जोड़ के।



मुन्ना साल्ला आया हमारे आँगन,

आने को आदर, बैठन को कुर्सी,

खाने को खाना, पीने को पानी

अरे सोवन को अरे संग सोवन को

और मैं जोर से उसे सुनाकर कहती-

अरे संग को मजा लेवन को,

हमरी भौजी राजी रे, अरे मुन्ना कि बहिनी राजी रे।

और कोई मेरी सहेली और जोश में जोड़ देती-

अरे संग चुदावन को, बुर मरावन को हमरी भाभी राजी रे।

और भाभी जब मुझे चिढ़ाती कि- “बिन्नो एक बार चढ़वा लो मुन्ना को तो पता चलेगा…” तो मैं मुँह बनाकर बोलती- “अरे भाभी मुझे तो लगता है मुन्ना नहीं मुन्नी है…”

भाभी हँसकर बोलती- “अबकी आएगा ना तो खोलकर पकड़कर देख लेना क्या है?”

जवाब में मैं बोलती- “भाभी, वही साल्ला शर्माकर भाग जाएगा, आपकी ननद नहीं पीछे हटने वाली…”

भाभी ने जब बताया की- “मुन्ना आया है और उनके बुआ का लड़का लवली, मैं जरा उनसे जाकर मिल लूँ और वो अभी आ रही हैं…”

मेरे मन में शरारतें नाचने लगी। मैंने दो ग्लास में खूब भांग मिला के ठंडाई बनायी और एक प्लेट में पक्के रंग और ऊपर से हल्की सी गुलाल की परत। दोपहर में जब से जीजू ने मेरी प्रेम गली खोल दी थी मेरी धड़क और बढ़ गई थी, झिझक और कम हो गई थी और नीचे ‘वहाँ’ हल्की-हल्की चींटी काट रही थी। लेकिन सब दांव उलटा पड़ गया।

पहले तो उन्होंने खिंच के मुझे अपने बीच में बैठा लिया और जब मैंने ठंडाई का ग्लास दिया, तो वो लवली, भाभी के बुआ का लड़का बोला-

“लेडीज फर्स्ट आप जरा सा मुँह लगा दो, तो और मीठा हो जाएगा…”

मैंने सोचा चल झूठ मूंठ मुँह लगाकर इन्हें गिलास दे दूंगी और पीकर दोनों अंटागफील हो जायेंगे। लेकिन वो दोनों भी, जैसे मैंने ग्लास मुँह में लगाया मुन्ना, भाभी के सगे भाई ने ग्लास पकड़कर उठा दिया और मेरा सिर जबरन पकड़ लिया, और आधे से ज्यादा डबल भांग वाली ठंडाई सीधे मेरे पेट में। यही नहीं दोनों ने खींचकर सीधे मुझे गोद में बिठा लिया और फिर लवली, भाभी के फुफेरे भाई ने जोर से मेरी नाक पिंच कर दी। मेरे लिए सांस लेनी मुश्किल हो रही थी और मैंने मुँह खोल दिया और एक बार फिर मुन्ना ने दूसरा ग्लास भी मेरे मुँह से लगा दिया, मेरे पास गटक करने के कोई चारा नहीं थी।

डेढ़ ग्लास से ज्यादा भांग कि ठंडाई। थोड़ी ही देर में असर शुरू हो गया। लेकिन रंग डालने में मैं कामयाब हो गई। भाभी आ गईं और उन दोनों ने मुझे छोड़ दिया। मैंने दोनों के पीछे जाकर मांग में भर-भर लाल गुलाल डाल दिया और बाकी उनके गाल पे और चिढ़ाने लगी-

“भाभी देखिये आपके दोनों भाईओं का सिन्दूरदान हो गया। इन दोनों की मांग में सिन्दूर कितना अच्छा लग रहा है…”

लेकिन लवली ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला- “अरे जानूं, सिंदूरदान तो कर दिया है, फिर तो सुहागरात भी मनानी पड़ेगी…”

मैं कुछ बोलती इसके पहले भाभी ने मेरी और से जवाब दे दिया- “अरे मेरी बिन्नो को समझते क्या हो तुम दोनों। बस तुम रात को रुक जाओ तो ये सुहागरात भी मना लेगी। आज होली को इसने तय किया कि किसी को मना नहीं करेगी…”

“लेकिन दीदी। सिंदूर दान तो आपकी ननद ने दोनों के साथ कर दिया है तो फिर…” भाभी के सगे भाई, मुन्ना ने सवाल किया।

“अरे छोटी सी बात, तुम लोग समझते क्या हो मेरी ननद को, दोनों के साथ मना लेगी। बस तुम दोनों पुर्जी निकाल लेना की कौन पहले नंबर लगाएगा, या फिर साथ-साथ…” हँसते हुए बोली।

तब तक लवली ने प्लेट में रखा गुलाल उठाकर मेरे गाल पे लगाना शुरू कर दिया। मैंने कुछ हाथ चलाया, तो फिर भाभी ने आकर पीछे से मेरे दोनों हाथ पकड़ लिया और बोली-

“ये फाउल है, जब तुम सिंदूर दान कर रही थी तो मेरे सीधे साधे भाई ने तुम्हारा हाथ पकड़ा क्या, तो अब जब मेरे भाई डाल रहे हैं तो तुम भी चुपचाप डलवा लो…”

और साथ ही उन्होंने अपने सगे भाई को भी ललकारा-

“अरे मुन्ना तू भी आ जा ना, लवली गाल के मजे ले रहा है तो तू सीधे माल पे पहुँच जा…”

मुन्ना का एक हाथ टाप के ऊपर से और दूसरा टाप के नीचे से, और मेरे दोनों कबूतर उसके हाथ में थे। गुलाल तो सिर्फ बहाना था, वो मेरे उठते उभारों का रस ले रहा था। एक बार कसकर दबाकर उसने भाभी से बोला-

“दीदी जीजू का माल तो बहुत मस्त है…भाभी मेरे दोनों हाथ कसकर पकड़े हँसकर बोली- “अरे इस मस्त माल पे मस्ती भी बहुत चढ़ी है, जरा रगड़-रगड़कर छुड़ा दो…”

फिर क्या था, वो कचकचा के मेरे उठते जोबन रगड़ रहा था और बोला- “आज, जीजू को साल्ला बनाकर ही जाऊंगा…”

अब मुझे भी मजा आ रहा था और भांग भी चढ़ गई थी। मैं बोली- “अरी साले, तू साल्ला है, साल्ला रहेगा और मेरे भैया, जीजू रहेंगे…”

वो और भाभी एक साथ बोले- “कल सुबह पूछेंगे तुमसे…”

तब तक भाभी के कजिन लवली ने स्कर्ट उठाकर सीधे पीछे मेरे नितम्बों को सहलाना शुरू कर दिया और मुन्ना का एक हाथ मेरी पैंटी के अंदर घुस के मेरी चुनमुनिया को रगड़ने लगा। उस गुलाबी बुलबुल की चोंच ने आज पहली बार चारा खाया था इसलिए ज्यादा ही चहक रही थी।

भाभी हमें छोड़कर चली गई, फिर तो वो दोनों और बदमाशी पे उतर आये, लेकिन मैंने भी दोनों की पैंट में नाप जोख कर ली।


खाने के समय भी छेड़ खानी चालू थी।

जब भैया नहीं होते तो मैं और भाभी साथ सोते थे और भाभी अपनी और भैया की कबड्डी का हाल खुलकर बताती थी।

आज वो दोनों भी साथ आ गए। मुन्ना भाभी का सगा भाई मेरी साइड में लेटा और लवली, उनका कजिन भाभी की ओर।

“फिर कुछ हुआ?” मैंने मैंने जोर से धक्का मारते हुए शीला भाभी से पूछा।



“अरे लाला, ये पूछो क्या नहीं हुआ?” नीचे से जोर से चूतड़ उठाके धक्के का जवाब धक्के से देती हुई वो बोली।
 

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भाभी और भाभी का भाई - शीला भाभी का फ्लैश बैक




जब भैया नहीं होते तो मैं और भाभी साथ सोते थे और भाभी अपनी और भैया की कबड्डी का हाल खुलकर बताती थी। आज वो दोनों भी साथ आ गए। मुन्ना भाभी का सगा भाई मेरी साइड में लेटा और लवली, उनका कजिन भाभी की ओर।

“फिर कुछ हुआ?” मैंने मैंने जोर से धक्का मारते हुए शीला भाभी से पूछा।

“अरे लाला, ये पूछो क्या नहीं हुआ?” नीचे से जोर से चूतड़ उठाके धक्के का जवाब धक्के से देती हुई वो बोली।

फिर उन्होंने बात आगे बढ़ायी- “भाभी का सगा भाई, मुन्ना थोड़े ही देर में वो मेरे ऊपर चढ़ायी करने की कोशिश करने लगा। मन तो मेरा भी कर रहा था, लेकिन मैं ना-नुकुर कर रही थी। लेकिन फिर जैसे जब जीजा ने चढ़ाई की थी, तो भाभी ने जीजू का साथ दिया बिलकुल उसी तरह अब वो फिर मैदान में आ गईं, और उन्होंने मेरे दोनों हाथ जोर से पकड़ लिए। अबकी भाभी का कजिन लवली भी उनके साथ था, वो तीन मैं अकेली…”

लवली ने मुन्ना से बोला- “चल यार तू नीचे का मोर्चा सम्हाल, मैं ऊपर का मजा लेता हूँ…” और दोनों जोबन जोर-जोर से मसलने लगा। मस्ती से मेरी हालत और खराब हो गई।

भाभी ने मेरे कान में चिढ़ाया- “अरे यार तेरे भैया को मैं रोज देती हूँ, आज होली का दिन है तू मेरे भाइयों को दे दे ना…”

“फिर?” मैंने पूछा।

“फिर क्या?” शीला भाभी ने बात आगे बढ़ायी- मुन्ना ने मेरी दोनों टांगें उठाकर हचक के एक धक्का दिया और सुपाड़ा अंदर, बहुत परपराया लेकिन मैं चीख भी नहीं पायी…”

“क्यों?” मैं अपनी उत्सुकता रोक नहीं पाया।

“इसलिए की लवली, भाभी के कजिन ने मेरे मुँह में अपना लण्ड ठेल दिया। जैसे ही मैं चीखी, भाभी ने जोर से मेरा चेहरा पकड़ लिया और मौके का फायदा उठाकर मेरे खुले मुँह में लवली ने लण्ड घुसेड़ दिया…”

भाभी ने और अपने भाई को चढ़ाया- “मुन्ना अब आराम-आराम से ले इसकी। एक बार तेरा सुपाड़ा घुस गया है अंदर, अब ये छिनार लाख चूतड़ पटके बिना चुदवाये बच नहीं सकती…”

और भाभी की बात एकदम सही थी। मैं गों। गों। करती रही, लेकिन लवली ने आधे से ज्यादा लण्ड मेरे मुँह में पेल रखा था, और मैं बोल नहीं पा रही थी। और कमर भी मैं लाख हिला रही थी, चूतड़ पटक रही थी, लेकिन जैसे कोई बोतल में कार्क अटक जाय, भाभी के भाई, मुन्ना का लण्ड मेरी चूत में धंसा था और उसके निकलने का कोई सवाल नहीं था।

ऊपर से भाभी और मजे ही ले रही थी, और मुझे चिढ़ा रही थी- “अरे बिन्नो, होली की रात में एक साथ दो-दो औजार बड़ी किश्मत वाली को मिलते हैं। और मेरे अलावा यहाँ है कौन, ले ले खुलकर मजे। वैसे भी अब तो ये दोनों तेरे ऐसे मस्त माल को बिना चोदे तो छोड़ेंगे नहीं। तो चाहे जबरदस्ती चुदवाओ चाहे खुशी-खुशी…”

मैंने भी सोचा भाभी ठीक कह रही है, और फिर मैं भी खुलकर मजे लेने लगी।

“फिर?” आदत के मुताबिक मैंने पूछ लिया।



शीला भाभी ने जोर से मुझे बाँहों में भींच के कहा- “फिर क्या? फिर हचक के चुदी मैं। तेरी रंजी की तरह थोड़े ही, की खुद चुदवासी, छनछनाती फिर रही है और तुम भी लार टपकाते रहते हो, ये नहीं की पटक के पेल दो साल्ली को। उससे मैं एक साल से ज्यादा छोटी थी और एक साथ दो-दो लण्ड, एक बुर में, एक मुँह में…”

थोड़ी देर में जब भाभी को लग गया की अब मैं कोई छिनालपना नहीं करूंगी और मजे ले लेकर चुदवा रही हूँ, तो उन्होंने अपने कजिन लवली को इशारा किया और उसने मेरे मुँह से लण्ड बाहर निकाल लिया। और उसके बाद तो मुन्ना, भाभी के सगे भाई ने वो रगड़-रगड़कर चोदा। चुदी तो मैं सुबह जीजू के साथ भी थी, लेकिन पहली बार था, इसलिए दर्द बहुत हो रहा था। दूसरे दिन का समय था तो ये भी था की कहीं कोई पड़ोसन दरवाजा ना खटखटाने लगे। अभी तो पूरी रात अपनी थी। साथ में लवली भी, कभी मेरी चूची दबाता तो कभी निपल चूस लेता।

उधर भाभी खूब मुझे चिढ़ा रही थी, अपने भाई को ललकार रही थी। यहाँ तक की जब वो, झड़ने लगा तो भाभी ने कहा-

“खिला दो इसको पूरी मलाई, एक बूँद भी बाहर नहीं आनी चाहिए। घबड़ा मत, मेरे पास पिल है कल खिला दूंगी इसको…”

और मुन्ना ने पूरी गाढ़ी मलायी मेरी बुर को खिला दी। थोड़ी देर बाद जब वो मेरे ऊपर से उठा तो मेरी निगाह घड़ी पे पड़ी। आधे घंटे पूरे चुदी थी मैं।

मेरे बिना हुंकारी भरे शीला भाभी ने कहानी आगे बढ़ायी।

असली मजा तो उसके बाद आया। मुन्ना को भूख लग गई थी। मैं डबल भांग वाली गुझिया ले आई और उन दोनों के साथ भाभी को भी खिलाया। फिर थोड़ी देर में ही हम चारों टुन्न थे। मैं एक हाथ में लवली और एक हाथ में मुन्ना का हथियार लेकर आगे-पीछे कर रही थी और थोड़ी देर में ही दोनों के एकदम तन्ना गए थे।

भाभी मुझे चिढ़ा रही थी- “चल आज तू मेरे भाइयों से मजा ले ले, फिर तुझे अपने सैंया से, तेरे भैया से भी से भी मजा दिलवाऊँगी…”

मैं क्यों पीछे रहती। मैंने भाभी को चिढ़ाया- “अरे भाभी मेरे भैया जब आयेंगे तब देखा जाएगा, अभी तो आपका भाई यहाँ है। उसका हथियार भी खड़ा है और आपकी बात मान के मैंने उसके साथ कर भी लिया तो अब आपका नंबर है। मेरे बहुत पीछे पड़ने पे वो मान गईं फिर मुन्ना उनके साथ…”

“मतलब?” मैं चौंक गया- “मुन्ना, मतलब उनका सगा भाई?” मैंने पूछा। मैंने इस फोरम में कितनी कहानियां पढ़ी थी लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ।

“अरे आगे तो सुनो…” शीला भाभी ने बात आगे बढ़ायी।

मुन्ना, मेरी भाभी की दोनों चूचियां पकड़कर जोर-जोर से धक्के मारते बोला- “दीदी कित्ते दिन हो गए…”

भाभी बोली- “झूठे, तीन महीने पहले ही तो मैं मायके आई थी, सात दिन के लिए और एक दिन जो तूने नागा किया हो…”

मुन्ना, वो भाभी का सगा भाई जोर-जोर से धक्के मारते बोला- “अरे दीदी तीन महीने बहुत होते हैं…”

तब मेरी समझ में आया की भाभी का उससे काफी दिनों से चक्कर था। और प्लान बनाके उन्होंने उसे मेरे ऊपर इसलिए चढ़ा दिया था की, एक तो उनका भाई मेरे ऊपर जोर से दीवाना था, और दूसरे भाभी समझ रही थी की एक बार मैं उनके भाई से चुद गई तो वो भी मेरे सामने ही उसके साथ मजे ले सकती हैं।

लेकिन अचानक शीला भाभी को फिर मेरी और रंजी की याद आ गई और वो मेरे पीछे पड़ गईं- “अब सोच ले तू सबक सीख ले। मेरी भाभी के सगे भाई ने, भाभी को। और रंजी तो तेरी कौन सी सगी बहन है। ममेरी बहन है तेरी और फिर भी इतने दिनों से तू, अरे वो तो मैंने और गुड्डी ने तुम दोनों को इतना चढ़ाया समझाया, तो तुम दोनों थोड़ा बहुत…”

मैंने बात टालने में ही भलाई समझी और शीला भाभी से पूछ लिया- “और भाभी वो लवली, आपके भाभी का कजिन…”



हँसकर वो बोली- “तूने मेरी भाभी को समझा क्या है? उन्होंने उसे उकसा के मेरे ऊपर चढ़ा दिया। फिर मुन्ना, भाभी को चोद रहा था और उनके बगल में लवली मुझे चोद रहा था। दोनों साथ धक्के लगाते, जैसे कोई बद के कुश्ती लड़े। और झड़े भी दोनों साथ। लेकिन उसके बाद भी मेरी बचत नहीं थी। भाभी ने एक बार फिर मुन्ना को और फिर लवली को मेरे ऊपर, चार बार चुदी मैं उस रात, दो बार लवली के साथ और दो बार मुन्ना के साथ…”



“और अपने जीजू को जोड़ लें तो पांच बार…” मैंने बोला।

“एकदम…” हँसकर शीला भाभी ने माना।


लेकिन शीला भाभी से बचना आसान नहीं था, वो क्या मेरी सारी ससुरालवालियाँ , गुड्डी की मम्मी हों या शीला भाभी सब एक बात समझाती थीं, गुड्डी की ननदों और सास के बारे में

बस शीला भाभी वही बात पहले इशारे से फिर डायरेक्ट बोलीं,

" लाला, हमार भौजाई, अपने सगे भाई से हमरे सामने, अपने फुफेरे भाई के सामने चुदवायीं खूब खुल के मजे ले ले के। और उन दोनों के जाने के बाद जब हम ननद भौजाई आंगन में बैठे बतिया रहे थे तो भौजी खुदे वो बात छेड़ीं और बोलीं,... ' बिन्नो, अगर हमार कउनो सगा देवर होत न तोहार समौरिया तोहसे थोड़ छोट बड़ा, तो अपने हाथ से पकड़ के ओकर खूंटा तोहरे बिलिया में सटाइत, अपने सामने एही आंगन में,... "

शीला भाभी ने छेड़ते हुए बोला, " अरे भौजी कुल भाई मुन्ना अस नहीं होते न कुल बहिन आप अस बहादुर "

भौजी शीला भाभी के रात भर मसले गए जोबन को फ्राक के अंदर हाथ डाल के रगड़ते बोलीं, " बिन्नो, कउनो स्साला भाई अस नहीं होत की बहिनिया की चूँचिया उठान देख के खड़ा न होय, ... और हमार देवर तो हमार देवर, तनिको नखड़ा करत न तो जांघिया खोल के यही अंगना में फेंक देइत और चूस चूस के,... फिर पूछती की बोल स्साले मेरी ननद चोदना है या गाँड़ मरवाना है,... अरे हम और मुन्ना तो कोई मौका नहीं छोड़ते थे जब तोहरी उमर की हम थे "

और मैं डर रहा था की शीला भाभी बात किधर ले जाएंगी और वो उधर ही ले गयीं, कस के मुझे अपनी बाँहों में बांध के अपने बड़े बड़े जोबन मेरी छाती में रगड़ते बोली, .. हमरे भौजी का भाई सगी बहिन के नहीं छोड़ा उनके ससुरार में उनकी ननद के सामने,... और तू स्साले,... तेरी तो सगी भी नहीं है कोई, ममेरी है , रंडी का नाम है,... छनछनाती रहती है, अरे गुड्डी की समौरिया, गुड्डी के क्लास में पढ़ती है उसकी पक्की सहेली,... हम तो गुड्डी से बोल दिए हैं जब तक तू ओकर टांग न फैलाइबा उहो गुड्डियों, टांग न फैलाई। "

भाभी को चूम के मैं बोला, " अरे भाभी इतनी बड़ी सजा न सुनाइये "

शीला भाभी ने धक्के के जवाब में धक्के मारते हुए कहा, ... सजा नहीं मजा है, गुड्डी बोली थी हमको तोहरे सगी नहीं लेकिन चचेरी मौसेरी फुफेरी बहुत है, ... और हम तो कम बोले हैं, जब अपने सास के सामने पड़ोगे न तोहरे बहिन महतारी सब पे अपने दामाद को चढ़वाएंगी। "

मेरे आपस इन बातों से बचने का एक ही तरीका था तूफ़ान मेल चलाना।
 

komaalrani

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नौ महीने में




और मैं डर रहा था की शीला भाभी बात किधर ले जाएंगी और वो उधर ही ले गयीं, कस के मुझे अपनी बाँहों में बांध के अपने बड़े बड़े जोबन मेरी छाती में रगड़ते बोली, .. हमरे भौजी का भाई सगी बहिन के नहीं छोड़ा उनके ससुरार में उनकी ननद के सामने,... और तू स्साले,... तेरी तो सगी भी नहीं है कोई, ममेरी है , रंडी का नाम है,... छनछनाती रहती है, अरे गुड्डी की समौरिया, गुड्डी के क्लास में पढ़ती है उसकी पक्की सहेली,... हम तो गुड्डी से बोल दिए हैं जब तक तू ओकर टांग न फैलाइबा उहो गुड्डियों, टांग न फैलाई। "

भाभी को चूम के मैं बोला, " अरे भाभी इतनी बड़ी सजा न सुनाइये "

शीला भाभी ने धक्के के जवाब में धक्के मारते हुए कहा, ... सजा नहीं मजा है, गुड्डी बोली थी हमको तोहरे सगी नहीं लेकिन चचेरी मौसेरी फुफेरी बहुत है, ... और हम तो कम बोले हैं, जब अपने सास के सामने पड़ोगे न तोहरे बहिन महतारी सब पे अपने दामाद को चढ़वाएंगी। "

मेरे आपस इन बातों से बचने का एक ही तरीका था तूफ़ान मेल चलाना

शीला भाभी के पहली चुदाई की कहानी से मैं बहुत ज्यादा जोश में आ गया था। भाभी की टांगें मैंने आलमोस्ट दुहरी कर दी, और उनके दोनों बड़े-बड़े चूतड़ पकड़कर जोर का धक्का मारा। सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से टकराया। उईईई… भाभी के मुँह से सिसकी निकल गई। लेकिन मैं रुका नहीं, और एक बार फिर लण्ड सुपाड़े तक निकालकर जोर का धक्का जोर से, शीला भाभी की बुर में लण्ड दरेरता, रगड़ता, घिसटता घुसा और तभी रुका जब मेरे लण्ड का बेस उनके क्लिट से रगड़ रहा था।

मैं पूरा लण्ड भाभी की बुर में घुसाये, जोर-जोर से लण्ड के बेस से घिस्सा मार रहा था। और भाभी की बुर भी, जैसे वो भी उतनी मस्ता रही हो लण्ड कि रगड़ाई से, अपने आप मेरे मोटे लण्ड को भींच रही, थी दबोच रही थी, निचोड़ रही थी, जैसे कोई केन क्रशर, गन्ने को निचोड़कर उसका पूरा रस निकाल ले। मेरे दोनों हाथ शीला भाभी की गदराई चूचियों पे थे और जोर-जोर से उन्हें दबा मसल रहे थे।


मेरे मन में एक सवाल था, वो मैंने शीला भाभी से पूछ ही लिया-

“भाभी जब आपकी पहली बार, आपके जीजू ने, फिर भाभी के भाई ने ली थी तो… मेरा मतलब आपकी ये चूचियां कितनी बड़ी थीं?”

भाभी ने एक बार और जोर से अपनी रसीली बुर मेरे पूरे धंसे लण्ड पे सिकोड़ी, और कचकचा के मेरा गाल काटकर बोली-

“अरे तू खुद सोच न साले, मैंने बोला था न कि तेरे उस माल, ममेरी बहन से एक साल छोटी थी मैं। तो अच्छा चल मैं बता देती हूँ, गुड्डी की छोटी बहन के उभार देखे हैं?”

उनकी बात काटकर मैं बोला- “क्यों भाभी वो छुटकी, उसके तो बड़े-बड़े टिकोरे जैसे…”


अब बात काटने कि बारी शीला भाभी की थी। वो हँसकर बोली-

“अरे लाला वो नहीं, हालांकी दबवाने लायक तो वो भी हो गई हैं, उससे बड़ी वाली, मंझली, जो गुड्डी से ठीक छोटी है, उसकी चूची देखी है बस वैसे ही…”

सब लड़कों की तरह मेरी निगाह भी लड़कियों की चूची पे पहले पड़ती थी, चेहरे पे बाद में और गुड्डी की छोटी बहनें तो वैसे भी मेरी होने वाली सालियां थी। लण्ड बाहर तक निकालकर मैंने फिर एक जोरदार धक्का दिया, और बोला-

“एकदम भाभी, मस्त चूचियां उठान हैं अभी…”

“और यही उमर होती है, दबाने दबवाने की। इस उमर से मिजवाना शुरू करने पे मस्त चूचियां होती हैं…” शीला भाभी बोली।

मैं उनका इशारा समझ गया की मुझे गुड्डी की छोटी बहन और अपनी साली पे भी नंबर लगाना शुरू कर देना चाहिये। लेकिन भाभी को मस्का लगाने के लिए मैं बोला- “तभी तो भाभी आपका जोबन, इतना मस्त और गद्दर है। लेकिन जिस दिन उसमें दूध छलकेगा, ये और मस्त हो जाएगा और तब मैं जरूर इसका मजा लूंगा…”

“अरे लाला तेरे मुँह में घी शक्कर। अरे चूची से तुम्हें दूध भी पिलाऊंगी…” नीचे से चूतड़ उछालती शीला भाभी बोली।

“और भाभी नेग में क्या मिलेगा?” मैंने भाभी को और चिढ़ाया।

“और क्या, अपनी सारी ननदें, तेरी सारी ससुराल वालियों की दिलवाऊँगी, टिकोरे वालियों से लेकर भोसड़ी वालियों तक, अरे भोसड़ी वालियों का मजा अलग ही है, लाला…” भाभी ने मुझे अपनी बाहों में जोर से भींच के अपनी बुर मेरे लण्ड पे दबाते बोला।

“अरे भाभी आपके मुँह में घी शक्कर फिर तो मैं आपको दुबारा भी गाभिन करूँगा…” मैंने बोला और उनकी गद्दर चूची दबाकर जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया।

“अरे लाला, अभी पूरा नेग तो बताया नहीं मैंने…” नीचे से चूतड़ उठाकर धक्के मारते शीला भाभी बोली- “साथ में गुड्डी की भी ननदें और उसकी ससुराल वालियां भी…” उन्होंने जोड़ा।

मैं चुदाई में इतना मगन था की बिना कुछ सुने समझे मैंने हामी भर दी और एक बार फिर से आलमोस्ट पूरा लण्ड निकालकर ऐसा धक्का मारा की भाभी की बच्चेदानी भी हिल गई। जवाब में भाभी के नाखून मेरी पीठ में गड़ गए और खूब जोर से अपने चूतड़ उछाल के जवाब दिया।

तब तक मुझे याद आया की भाभी ने मुझसे किस बात के लिए हामी भरवा लिया। भाभी के गदराये गाल काटकर मैं बोला-

“मेरी ससुराल तो ठीक है लेकिन भाभी गुड्डी की ससुराल…”

मेरी बात काटकर वो बोली-

“अब तो लाला तुम हाँ कर दिए हो, अब तो कौनो रास्ता नहीं है। अरे घबड़ा का रहे हो, हम हैं न जउन ससुरी न मानिहै ना ओकर टांग जबरदस्ती फैला दूंगी…”

उसके बाद भाभी ने समझाया भी की जब से उनके सामने उनकी भाभी ने अपने सगे भाई से चुदवाया तो वो समझ गई की रिश्ता सिर्फ एक है लण्ड और बुर का-

“अरे लाला, लण्ड का काम है, प्यासी चूत की प्यास बुझाना और चूत का काम है लण्ड की गरमी शांत करना बस…”

शीला भाभी बात आगे बढ़ाती की मैंने तिहरा हमला कर दिया, मेरे होंठों और एक हाथ ने उनके उभारों पे, एक हाथ ने क्लिट पे और लण्ड ने बुर पे। मेरे होंठ जोर-जोर से भाभी के निपल चूस रहे थे, फ्लिक कर रहे थे, हल्के से काटकर रहे थे और उन्हीं की ताल पे दूसरे निपल को मेरी उंगलियां पुल कर रही थी पिंच कर रही थी। दूसरे हाथ का अंगूठा कभी जोर से भाभी की क्लिट दबा देता तो कभी मैं अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच उसे गोल-गोल घुमाने लगता। और साथ ही किसी इंजन के पिस्टन की तरह मेरा लण्ड बिना रुके अंदर बाहर हो रहा था।

हम दोनों झड़ने के एकदम करीब थे।

लेकिन मैंने गुड्डी को वचन दिया था की मैं आज भाभी को गाभिन करके रहूँगा, और मैं उनको उसी आसन में चोदना और उसी तरह से झड़ना चाहता था जिससे भाभी के गाभिन होने का चांस एकदम पूरा हो।

मैंने भाभी के चूतड़ों को थोड़ा और उठा दिया और सब कुशन तकिये इस तरह से लगा दिए की उनके चूतड़ पूरी तरह हवा में उठे थे और फिर उनकी टांगों को दुहरा कर दिया। अब हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे लग रहा था। भाभी मस्त हो रही थी, गिनगिना रही थी और फिर उन्होंने झड़ना शुरू कर दिया। उनकी देह शिथिल पड़ रही थी, आँखें मुंद रही थी और बुर जोर-जोर से मेरे लण्ड को भींच रही थी।

अब साथ में मैंने भी झड़ना शुरू कर दिया। मैंने पूरी ताकत से जोर से लण्ड पेला था और सुपाड़ा एकदम बच्चेदानी से सटा था। भाभी के चूतड़ हवा में उठे थे। और मेरी गाढ़ी मलायी सीधे बच्चेदानी पे ही, मैं गिरता रहा, झड़ता रहा। लग रहा था जैसे बहुत दिनों से सूखी धरती पे तेजी से बारिश हो रही हो धरती हरषा रही हो, भीग रही हो, गीली हो रही हो, सोख रही हो सब रस अपने अंदर। भाभी ने जोर से मुझे भींच रखा था जैसे वो अब कभी मुझे नहीं छोड़ने वाली।

और जब बारिश रुकी, तो एक बार फिर भाभी की बुर ने मेरे लण्ड को दबोचना, निचोड़ना शुरू कर दिया, जैसे वो आखिरी बूँद तक रस रोप लेना चाहती हो। और हुआ वही, मेरे लण्ड से फिर से वीर्यधार निकलने लगी। कम से कम एक मुट्ठी गाढ़ी थक्केदार मलायी।

झड़ने के बाद भी दस मिनट तक मैं हिला नहीं। मैं जानता था की इस पोज में, स्पर्म सीधे गर्भाशय में जाएगा और बचा हुआ वीर्य भाभी की योनि की दीवारों में सोख लिया जाएगा। दस मिनट बाद जब मैंने लण्ड बाहर निकाला तो भी उनकी चूत की पुत्तियों को मैंने दो उंगली से जोर से दबाकर भींच रखा था। एक भी कतरा बाहर नहीं निकला। कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए हुए।

मेरे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन मैंने उन्हें जोर से चूम लिया।

भाभी खुद ही बोली-

“मेरी एक भाभी ने समझाया था की जब औरत के पेट में बीज जाता है, वो गाभिन होती है, तो उसे अजीब सा लगता है, एक खास तरह का। बस मुझे वैसे ही लग रहा है। एकदम पक्का, तूने वो काम कर दिया जिसके लिए मैं इतने दिनों से कहाँ-कहाँ भटक रही थी…”

मुझे भी बहुत खुशी हुई आखीरकार, गुड्डी को मैंने प्रामिस किया था। मैंने भाभी के पेट पे हाथ फिराते बोला, तो भाभी दो-तीन महीने में उल्टी और नौ महीने में केहा केहा, सोहर
 
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malikarman

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और मैं डर रहा था की शीला भाभी बात किधर ले जाएंगी और वो उधर ही ले गयीं, कस के मुझे अपनी बाँहों में बांध के अपने बड़े बड़े जोबन मेरी छाती में रगड़ते बोली, .. हमरे भौजी का भाई सगी बहिन के नहीं छोड़ा उनके ससुरार में उनकी ननद के सामने,... और तू स्साले,... तेरी तो सगी भी नहीं है कोई, ममेरी है , रंडी का नाम है,... छनछनाती रहती है, अरे गुड्डी की समौरिया, गुड्डी के क्लास में पढ़ती है उसकी पक्की सहेली,... हम तो गुड्डी से बोल दिए हैं जब तक तू ओकर टांग न फैलाइबा उहो गुड्डियों, टांग न फैलाई। "

भाभी को चूम के मैं बोला, " अरे भाभी इतनी बड़ी सजा न सुनाइये "

शीला भाभी ने धक्के के जवाब में धक्के मारते हुए कहा, ... सजा नहीं मजा है, गुड्डी बोली थी हमको तोहरे सगी नहीं लेकिन चचेरी मौसेरी फुफेरी बहुत है, ... और हम तो कम बोले हैं, जब अपने सास के सामने पड़ोगे न तोहरे बहिन महतारी सब पे अपने दामाद को चढ़वाएंगी। "

मेरे आपस इन बातों से बचने का एक ही तरीका था तूफ़ान मेल चलाना

शीला भाभी के पहली चुदाई की कहानी से मैं बहुत ज्यादा जोश में आ गया था। भाभी की टांगें मैंने आलमोस्ट दुहरी कर दी, और उनके दोनों बड़े-बड़े चूतड़ पकड़कर जोर का धक्का मारा। सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से टकराया। उईईई… भाभी के मुँह से सिसकी निकल गई। लेकिन मैं रुका नहीं, और एक बार फिर लण्ड सुपाड़े तक निकालकर जोर का धक्का जोर से, शीला भाभी की बुर में लण्ड दरेरता, रगड़ता, घिसटता घुसा और तभी रुका जब मेरे लण्ड का बेस उनके क्लिट से रगड़ रहा था।

मैं पूरा लण्ड भाभी की बुर में घुसाये, जोर-जोर से लण्ड के बेस से घिस्सा मार रहा था। और भाभी की बुर भी, जैसे वो भी उतनी मस्ता रही हो लण्ड कि रगड़ाई से, अपने आप मेरे मोटे लण्ड को भींच रही, थी दबोच रही थी, निचोड़ रही थी, जैसे कोई केन क्रशर, गन्ने को निचोड़कर उसका पूरा रस निकाल ले। मेरे दोनों हाथ शीला भाभी की गदराई चूचियों पे थे और जोर-जोर से उन्हें दबा मसल रहे थे।


मेरे मन में एक सवाल था, वो मैंने शीला भाभी से पूछ ही लिया-

“भाभी जब आपकी पहली बार, आपके जीजू ने, फिर भाभी के भाई ने ली थी तो… मेरा मतलब आपकी ये चूचियां कितनी बड़ी थीं?”

भाभी ने एक बार और जोर से अपनी रसीली बुर मेरे पूरे धंसे लण्ड पे सिकोड़ी, और कचकचा के मेरा गाल काटकर बोली-

“अरे तू खुद सोच न साले, मैंने बोला था न कि तेरे उस माल, ममेरी बहन से एक साल छोटी थी मैं। तो अच्छा चल मैं बता देती हूँ, गुड्डी की छोटी बहन के उभार देखे हैं?”

उनकी बात काटकर मैं बोला- “क्यों भाभी वो छुटकी, उसके तो बड़े-बड़े टिकोरे जैसे…”


अब बात काटने कि बारी शीला भाभी की थी। वो हँसकर बोली-


“अरे लाला वो नहीं, हालांकी दबवाने लायक तो वो भी हो गई हैं, उससे बड़ी वाली, मंझली, जो गुड्डी से ठीक छोटी है, उसकी चूची देखी है बस वैसे ही…”

सब लड़कों की तरह मेरी निगाह भी लड़कियों की चूची पे पहले पड़ती थी, चेहरे पे बाद में और गुड्डी की छोटी बहनें तो वैसे भी मेरी होने वाली सालियां थी। लण्ड बाहर तक निकालकर मैंने फिर एक जोरदार धक्का दिया, और बोला-


“एकदम भाभी, मस्त चूचियां उठान हैं अभी…”

“और यही उमर होती है, दबाने दबवाने की। इस उमर से मिजवाना शुरू करने पे मस्त चूचियां होती हैं…” शीला भाभी बोली।

मैं उनका इशारा समझ गया की मुझे गुड्डी की छोटी बहन और अपनी साली पे भी नंबर लगाना शुरू कर देना चाहिये। लेकिन भाभी को मस्का लगाने के लिए मैं बोला- “तभी तो भाभी आपका जोबन, इतना मस्त और गद्दर है। लेकिन जिस दिन उसमें दूध छलकेगा, ये और मस्त हो जाएगा और तब मैं जरूर इसका मजा लूंगा…”

“अरे लाला तेरे मुँह में घी शक्कर। अरे चूची से तुम्हें दूध भी पिलाऊंगी…” नीचे से चूतड़ उछालती शीला भाभी बोली।

“और भाभी नेग में क्या मिलेगा?” मैंने भाभी को और चिढ़ाया।

“और क्या, अपनी सारी ननदें, तेरी सारी ससुराल वालियों की दिलवाऊँगी, टिकोरे वालियों से लेकर भोसड़ी वालियों तक, अरे भोसड़ी वालियों का मजा अलग ही है, लाला…” भाभी ने मुझे अपनी बाहों में जोर से भींच के अपनी बुर मेरे लण्ड पे दबाते बोला।

“अरे भाभी आपके मुँह में घी शक्कर फिर तो मैं आपको दुबारा भी गाभिन करूँगा…” मैंने बोला और उनकी गद्दर चूची दबाकर जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया।

“अरे लाला, अभी पूरा नेग तो बताया नहीं मैंने…” नीचे से चूतड़ उठाकर धक्के मारते शीला भाभी बोली- “साथ में गुड्डी की भी ननदें और उसकी ससुराल वालियां भी…” उन्होंने जोड़ा।

मैं चुदाई में इतना मगन था की बिना कुछ सुने समझे मैंने हामी भर दी और एक बार फिर से आलमोस्ट पूरा लण्ड निकालकर ऐसा धक्का मारा की भाभी की बच्चेदानी भी हिल गई। जवाब में भाभी के नाखून मेरी पीठ में गड़ गए और खूब जोर से अपने चूतड़ उछाल के जवाब दिया।

तब तक मुझे याद आया की भाभी ने मुझसे किस बात के लिए हामी भरवा लिया। भाभी के गदराये गाल काटकर मैं बोला-


“मेरी ससुराल तो ठीक है लेकिन भाभी गुड्डी की ससुराल…”

मेरी बात काटकर वो बोली-


“अब तो लाला तुम हाँ कर दिए हो, अब तो कौनो रास्ता नहीं है। अरे घबड़ा का रहे हो, हम हैं न जउन ससुरी न मानिहै ना ओकर टांग जबरदस्ती फैला दूंगी…”

उसके बाद भाभी ने समझाया भी की जब से उनके सामने उनकी भाभी ने अपने सगे भाई से चुदवाया तो वो समझ गई की रिश्ता सिर्फ एक है लण्ड और बुर का-

“अरे लाला, लण्ड का काम है, प्यासी चूत की प्यास बुझाना और चूत का काम है लण्ड की गरमी शांत करना बस…”

शीला भाभी बात आगे बढ़ाती की मैंने तिहरा हमला कर दिया, मेरे होंठों और एक हाथ ने उनके उभारों पे, एक हाथ ने क्लिट पे और लण्ड ने बुर पे। मेरे होंठ जोर-जोर से भाभी के निपल चूस रहे थे, फ्लिक कर रहे थे, हल्के से काटकर रहे थे और उन्हीं की ताल पे दूसरे निपल को मेरी उंगलियां पुल कर रही थी पिंच कर रही थी। दूसरे हाथ का अंगूठा कभी जोर से भाभी की क्लिट दबा देता तो कभी मैं अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच उसे गोल-गोल घुमाने लगता। और साथ ही किसी इंजन के पिस्टन की तरह मेरा लण्ड बिना रुके अंदर बाहर हो रहा था।

हम दोनों झड़ने के एकदम करीब थे।


लेकिन मैंने गुड्डी को वचन दिया था की मैं आज भाभी को गाभिन करके रहूँगा, और मैं उनको उसी आसन में चोदना और उसी तरह से झड़ना चाहता था जिससे भाभी के गाभिन होने का चांस एकदम पूरा हो।

मैंने भाभी के चूतड़ों को थोड़ा और उठा दिया और सब कुशन तकिये इस तरह से लगा दिए की उनके चूतड़ पूरी तरह हवा में उठे थे और फिर उनकी टांगों को दुहरा कर दिया। अब हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे लग रहा था। भाभी मस्त हो रही थी, गिनगिना रही थी और फिर उन्होंने झड़ना शुरू कर दिया। उनकी देह शिथिल पड़ रही थी, आँखें मुंद रही थी और बुर जोर-जोर से मेरे लण्ड को भींच रही थी।

अब साथ में मैंने भी झड़ना शुरू कर दिया। मैंने पूरी ताकत से जोर से लण्ड पेला था और सुपाड़ा एकदम बच्चेदानी से सटा था। भाभी के चूतड़ हवा में उठे थे। और मेरी गाढ़ी मलायी सीधे बच्चेदानी पे ही, मैं गिरता रहा, झड़ता रहा। लग रहा था जैसे बहुत दिनों से सूखी धरती पे तेजी से बारिश हो रही हो धरती हरषा रही हो, भीग रही हो, गीली हो रही हो, सोख रही हो सब रस अपने अंदर। भाभी ने जोर से मुझे भींच रखा था जैसे वो अब कभी मुझे नहीं छोड़ने वाली।

और जब बारिश रुकी, तो एक बार फिर भाभी की बुर ने मेरे लण्ड को दबोचना, निचोड़ना शुरू कर दिया, जैसे वो आखिरी बूँद तक रस रोप लेना चाहती हो। और हुआ वही, मेरे लण्ड से फिर से वीर्यधार निकलने लगी। कम से कम एक मुट्ठी गाढ़ी थक्केदार मलायी।

झड़ने के बाद भी दस मिनट तक मैं हिला नहीं। मैं जानता था की इस पोज में, स्पर्म सीधे गर्भाशय में जाएगा और बचा हुआ वीर्य भाभी की योनि की दीवारों में सोख लिया जाएगा। दस मिनट बाद जब मैंने लण्ड बाहर निकाला तो भी उनकी चूत की पुत्तियों को मैंने दो उंगली से जोर से दबाकर भींच रखा था। एक भी कतरा बाहर नहीं निकला। कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए हुए।

मेरे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन मैंने उन्हें जोर से चूम लिया।

भाभी खुद ही बोली-

“मेरी एक भाभी ने समझाया था की जब औरत के पेट में बीज जाता है, वो गाभिन होती है, तो उसे अजीब सा लगता है, एक खास तरह का। बस मुझे वैसे ही लग रहा है। एकदम पक्का, तूने वो काम कर दिया जिसके लिए मैं इतने दिनों से कहाँ-कहाँ भटक रही थी…”

मुझे भी बहुत खुशी हुई आखीरकार, गुड्डी को मैंने प्रामिस किया था। मैंने भाभी के पेट पे हाथ फिराते बोला, तो भाभी दो-तीन महीने में उल्टी और नौ महीने में केहा केहा, सोहर
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Sutradhar

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***** ***** फलैश-बैक,...शीला भाभी



होली में जीजा ने


शीला भाभी ने अपनी पूरी कहानी बतानी शुरू कर दी। वो एक बार झड़ चुकी थी, इसलिए न उन्हें जल्दी थी न मुझे।

वो बोली-

“वो जो तेरा माल है ना साल्ली, छिनार, तेरी बहन, रंजी। फनफनाती फिरती है चूतड़ मटकाती, चुदवासी। जिस छिनार को चोदने में तुम इतना शर्मा, लजा रहे हो, जब मैं उसकी उमर की थी सात आठ लण्ड घोंट चुकी थी…”

उनके निपल को हल्के से काटकरके मैंने पूछा- “मतलब भाभी, आप सात आठ बार चुद चुकी थी…”


“तुम भी न लाला, तुझे बहुत सिखाना पड़ेगा। अरे खाते समय रोटी और जवानी में चुदाते समय कोई चुदाई गिनता है। सात आठ लड़कों, मरदों के लण्ड मैं घोंट चुकी थी और कितनी बार चुदी ये न मैंने हिसाब रखा न चोदने वालों ने। और उस तेरी रंजी साली का अभी तक खाता भी नहीं खुला…” मेरे सीने पे अपने गदराये बड़े-बड़े जोबन रगड़ते भाभी बोली।

अपना लण्ड शीला भाभी की बुर में गोल-गोल घुमाते मैंने पूछा- “भाभी कब, कौन था वो खुश-किश्मत?”
और मेरे बिना पूरा बोले भाभी बात समझ गईं और, फ्लैश बैक में चली गईं।

“आज का ही दिन था, होली का, और मैं तेरे माल, उस रंजी से एक साल से छोटी ही रही होऊँगी। घर पे मैं सिर्फ थी और मेरी भाभी, बाकी लोग कहीं शादी में गए थे। मेर इम्तहान थे इसलिए मैं और मेरा साथ देने के लिए भाभी रुक गई थी। मेरे एक जीजा थे और मैंने और भाभी ने उनसे बहुत कहा था कि होली में जरूर आयें…”

मैं चुपचाप सुन रहा था। बजाय हुंकारी भरने के, कभी मेरे होंठ, भाभी के भरे-भरे गाल काट लेते तो कभी चूची पे अपने दांत के निशान बना देते।

भाभी ने बात आगे बढ़ायी।

जब उनके जीजा घर आये तो शीला भाभी और उनकी भाभी ने बहुत प्लानिंग की थी। लेकिन जीजू ने सीधे अपनी कुँवारी, किशोर साली पे हमला किया और उस कच्ची कली के गालों का रस रंग लगाने के बहाने लेने लगे। लेकिन उनका टारगेट उसके टाप में छिपे जवानी के फूल थे और गालों से फिसल के जल्द ही हाथ टाप के अंदर घुस गए।

शीला भाभी ने बहुत कोशिश की, लेकिन उनकी भाभी ने पाला बदल लिया था और अपनी ननद की कोमल कलाइयों को पीछे से पकड़ लिया था। यही नहीं, उन्होंने पीछे से टाप उठाकर उनके ब्रा के हुक भी खोल दिए और अब दोनों कबूतर जीजू के हाथ में थे।

खूब जमकर वो रगड़ मसल रहे थे कि, शीला भाभी की भाभी ने अपने नंदोई को ललकारा-

“अरे नंदोई जी तोहार छोट साली है, होली के दिन भी बहन, बहन में फर्क कर रहे है। होली साली से खेलना है या उसके टाप से…”

और अगले ही पल पहले टाप और फिर ब्रा, आँगन में आ गई और जीजू ने खुलकर जोबन मर्दन शुरू कर दिया। यही नहीं, उनका एक हाथ अब शीला भाभी की स्कर्ट में घुस गया और उनकी चड्ढी भी उतर गई। पहली बार उनकी चुनमुनिया पे किसी मर्द का हाथ पड़ा था। लेकिन थोड़ी देर में जीजू और भाभी का भी यही हाल हो गया।

लेकिन प्लानिंग तो कुछ और थी।

रंग फैले हुए आँगन में ही जीजू ने अपनी किशोर साली पे चढ़ाई कर दी। और भाभी उनका पूरा साथ दे रही थी। एक हाथ भाभी ने पकड़ रखा था और साथ ही अपनी ननद की किशोर चूचियां भी जमकर दबा मसल रही थी। और नंदोई को ललकार रही थी-


अरे नंदोई जी, छोटी-छोटी चूचियां है, बुर बिना बाल की,

चोदो जीजू कसकर, साली है कमाल की…”


यहाँ तक की जब जीजू ने लण्ड ठेला, और शीला भाभी जोर से चीखीं, उनके जीजा ने मुँह बंद करने की कोशिश की तो, उनकी भाभी ने मना कर दिया। और बोली- “अरे चिल्लाने दो न साली को, अब सुपाड़ा घोंट लिया है उसने, तो वो लाख चूतड़ पटके लण्ड तो उसे पूरा घोटना ही होगा। रगड़-रगड़कर चोदो, कच्ची कली की चूत फाड़ने का मजा तो तभी है जब रोये चिल्लाये…”

मैंने शीला भाभी से पूछा- “आपको अपनी भाभी पे गुस्सा नहीं आया?”



तो वो नीचे से जोर से चूतड़ उठाकर मेरे धक्के का जवाब देते बोली- “उस समय तो बहुत आया लेकिन, बाद में जब चुदाई का मजा आने लगा तब सब गुस्सा खतम हो गया। और अब तो लगता है की उनकी बात कितनी सही थी, झिल्ली रोज-रोज थोड़े ही फटती है…”

और ये कहकर उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाहों में भींच लिया और साथ ही उनकी बुर ने भी मेरे पूरे धंसे लण्ड को दबोच लिया, पूरी ताकत से।


शीला भाभी ने अपनी बात आगे बढ़ायी-

“मैं रो रही, चीख रही थी जोर-जोर से चूतड़ आँगन में पटक रही थी, लेकिन बाहर होली का इतनी जोर से हंगामा चल रहा था की गालियों, जोगीड़ा और कबीर के शोर में मेरी चीख कौन सुनने वाला था, ये बात भाभी अच्छी तरह जानती थी। हाँ मेरे दोनों हाथ उन्होंने कसकर पकड़ रखे थे की कहीं मैं छुड़ाने की कोशिश ना करूँ। जीजू मेरी दोनों चूचियां मसलते, अब खुलकर, हचक-हचक के धक्के लगा रहे थे।


भाभी मुझे समझा भी रही थी की अरे तू किश्मत वाली है की तेरी चूत ऐन होली के दिन फटी, वो भी अपने जीजू के साथ। अब देखना तेरी चूत रानी को खूब मजे मिलेंगे।

जीजू का लण्ड भी तगड़ा था, हाँ तेरे ऐसा गधे या घोड़े जैसा नहीं था, लेकिन कुँवारी चूत को हिला देने के लिए बहुत था…”

अपनी तारीफ सुनके मेरे जंगबहादुर फूल के कुप्पा हो गए और सुपाड़ा तक लण्ड बाहर निकालकर मैंने हचक के एक जोरदार धक्का मारा।

“जबरदस्त चोदू हो तुम, तेरे सारे मायकेवालियों को तुमसे चुदवाऊँगी…” नीचे से धक्के के जवाब में जोर से चूतड़ उछालते, शीला भाभी बोली।

वो बात मेरी ओर मोड़ती, मैंने उन्हें उनकी पहली चुदाई के किस्से की ओर वापस भेज दिया। मैंने पूछा- “भाभी, फिर क्या हुआ?”

“अरे जब मेरी चूत चोद के जीजू उठे तो मैं हिल नहीं पा रही थी। सहारा देकर उन्होंने और भाभी ने मुझे बैठाया। फिर भाभी, ठंडाई के बड़े-बड़े ग्लास लायी और हम तीनों ने पिया। और जब भांग के सब नशे में चूर थे तब मुझे असली बात पता चली…” वो बोली।

“क्या थी असली बात?” मैं अपने को रोक नहीं पाया।

“असल में मेरी भाभी, अपने नंदोई से चुदना चाहती थी। मेरे भैया तो बिजनेस के चक्कर में महीने में 20 दिन बाहर रहते थे। लेकिन उनके नंदोई यानि मेरे जीजू ने शर्त ये रखी, की उन्हें पहले अपनी अनचुदी कुँवारी साली चाहिए। इसलिए होली के दिन भाभी ने ये सीन फिट किया…” शीला भाभी ने बताया।
वाह ! क्या बात है ! चाहे जितनी भी बार पढ़ो मन नहीं भरता।
सादर
 
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