• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica रंग -प्रसंग,कोमल के संग

komaalrani

Well-Known Member
22,257
57,918
259


भाग ६ -

चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी

Phagun ke din chaar update posted

please read, like, enjoy and comment






Teej-Anveshi-Jain-1619783350-anveshi-jain-2.jpg





तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”

मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?

चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।

जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-

“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”

भाभी बोली-

“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
नौ महीने में




और मैं डर रहा था की शीला भाभी बात किधर ले जाएंगी और वो उधर ही ले गयीं, कस के मुझे अपनी बाँहों में बांध के अपने बड़े बड़े जोबन मेरी छाती में रगड़ते बोली, .. हमरे भौजी का भाई सगी बहिन के नहीं छोड़ा उनके ससुरार में उनकी ननद के सामने,... और तू स्साले,... तेरी तो सगी भी नहीं है कोई, ममेरी है , रंडी का नाम है,... छनछनाती रहती है, अरे गुड्डी की समौरिया, गुड्डी के क्लास में पढ़ती है उसकी पक्की सहेली,... हम तो गुड्डी से बोल दिए हैं जब तक तू ओकर टांग न फैलाइबा उहो गुड्डियों, टांग न फैलाई। "

भाभी को चूम के मैं बोला, " अरे भाभी इतनी बड़ी सजा न सुनाइये "

शीला भाभी ने धक्के के जवाब में धक्के मारते हुए कहा, ... सजा नहीं मजा है, गुड्डी बोली थी हमको तोहरे सगी नहीं लेकिन चचेरी मौसेरी फुफेरी बहुत है, ... और हम तो कम बोले हैं, जब अपने सास के सामने पड़ोगे न तोहरे बहिन महतारी सब पे अपने दामाद को चढ़वाएंगी। "

मेरे आपस इन बातों से बचने का एक ही तरीका था तूफ़ान मेल चलाना

शीला भाभी के पहली चुदाई की कहानी से मैं बहुत ज्यादा जोश में आ गया था। भाभी की टांगें मैंने आलमोस्ट दुहरी कर दी, और उनके दोनों बड़े-बड़े चूतड़ पकड़कर जोर का धक्का मारा। सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से टकराया। उईईई… भाभी के मुँह से सिसकी निकल गई। लेकिन मैं रुका नहीं, और एक बार फिर लण्ड सुपाड़े तक निकालकर जोर का धक्का जोर से, शीला भाभी की बुर में लण्ड दरेरता, रगड़ता, घिसटता घुसा और तभी रुका जब मेरे लण्ड का बेस उनके क्लिट से रगड़ रहा था।

मैं पूरा लण्ड भाभी की बुर में घुसाये, जोर-जोर से लण्ड के बेस से घिस्सा मार रहा था। और भाभी की बुर भी, जैसे वो भी उतनी मस्ता रही हो लण्ड कि रगड़ाई से, अपने आप मेरे मोटे लण्ड को भींच रही, थी दबोच रही थी, निचोड़ रही थी, जैसे कोई केन क्रशर, गन्ने को निचोड़कर उसका पूरा रस निकाल ले। मेरे दोनों हाथ शीला भाभी की गदराई चूचियों पे थे और जोर-जोर से उन्हें दबा मसल रहे थे।


मेरे मन में एक सवाल था, वो मैंने शीला भाभी से पूछ ही लिया-

“भाभी जब आपकी पहली बार, आपके जीजू ने, फिर भाभी के भाई ने ली थी तो… मेरा मतलब आपकी ये चूचियां कितनी बड़ी थीं?”

भाभी ने एक बार और जोर से अपनी रसीली बुर मेरे पूरे धंसे लण्ड पे सिकोड़ी, और कचकचा के मेरा गाल काटकर बोली-

“अरे तू खुद सोच न साले, मैंने बोला था न कि तेरे उस माल, ममेरी बहन से एक साल छोटी थी मैं। तो अच्छा चल मैं बता देती हूँ, गुड्डी की छोटी बहन के उभार देखे हैं?”

उनकी बात काटकर मैं बोला- “क्यों भाभी वो छुटकी, उसके तो बड़े-बड़े टिकोरे जैसे…”


अब बात काटने कि बारी शीला भाभी की थी। वो हँसकर बोली-


“अरे लाला वो नहीं, हालांकी दबवाने लायक तो वो भी हो गई हैं, उससे बड़ी वाली, मंझली, जो गुड्डी से ठीक छोटी है, उसकी चूची देखी है बस वैसे ही…”

सब लड़कों की तरह मेरी निगाह भी लड़कियों की चूची पे पहले पड़ती थी, चेहरे पे बाद में और गुड्डी की छोटी बहनें तो वैसे भी मेरी होने वाली सालियां थी। लण्ड बाहर तक निकालकर मैंने फिर एक जोरदार धक्का दिया, और बोला-


“एकदम भाभी, मस्त चूचियां उठान हैं अभी…”

“और यही उमर होती है, दबाने दबवाने की। इस उमर से मिजवाना शुरू करने पे मस्त चूचियां होती हैं…” शीला भाभी बोली।

मैं उनका इशारा समझ गया की मुझे गुड्डी की छोटी बहन और अपनी साली पे भी नंबर लगाना शुरू कर देना चाहिये। लेकिन भाभी को मस्का लगाने के लिए मैं बोला- “तभी तो भाभी आपका जोबन, इतना मस्त और गद्दर है। लेकिन जिस दिन उसमें दूध छलकेगा, ये और मस्त हो जाएगा और तब मैं जरूर इसका मजा लूंगा…”

“अरे लाला तेरे मुँह में घी शक्कर। अरे चूची से तुम्हें दूध भी पिलाऊंगी…” नीचे से चूतड़ उछालती शीला भाभी बोली।

“और भाभी नेग में क्या मिलेगा?” मैंने भाभी को और चिढ़ाया।

“और क्या, अपनी सारी ननदें, तेरी सारी ससुराल वालियों की दिलवाऊँगी, टिकोरे वालियों से लेकर भोसड़ी वालियों तक, अरे भोसड़ी वालियों का मजा अलग ही है, लाला…” भाभी ने मुझे अपनी बाहों में जोर से भींच के अपनी बुर मेरे लण्ड पे दबाते बोला।

“अरे भाभी आपके मुँह में घी शक्कर फिर तो मैं आपको दुबारा भी गाभिन करूँगा…” मैंने बोला और उनकी गद्दर चूची दबाकर जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया।

“अरे लाला, अभी पूरा नेग तो बताया नहीं मैंने…” नीचे से चूतड़ उठाकर धक्के मारते शीला भाभी बोली- “साथ में गुड्डी की भी ननदें और उसकी ससुराल वालियां भी…” उन्होंने जोड़ा।

मैं चुदाई में इतना मगन था की बिना कुछ सुने समझे मैंने हामी भर दी और एक बार फिर से आलमोस्ट पूरा लण्ड निकालकर ऐसा धक्का मारा की भाभी की बच्चेदानी भी हिल गई। जवाब में भाभी के नाखून मेरी पीठ में गड़ गए और खूब जोर से अपने चूतड़ उछाल के जवाब दिया।

तब तक मुझे याद आया की भाभी ने मुझसे किस बात के लिए हामी भरवा लिया। भाभी के गदराये गाल काटकर मैं बोला-


“मेरी ससुराल तो ठीक है लेकिन भाभी गुड्डी की ससुराल…”

मेरी बात काटकर वो बोली-


“अब तो लाला तुम हाँ कर दिए हो, अब तो कौनो रास्ता नहीं है। अरे घबड़ा का रहे हो, हम हैं न जउन ससुरी न मानिहै ना ओकर टांग जबरदस्ती फैला दूंगी…”

उसके बाद भाभी ने समझाया भी की जब से उनके सामने उनकी भाभी ने अपने सगे भाई से चुदवाया तो वो समझ गई की रिश्ता सिर्फ एक है लण्ड और बुर का-

“अरे लाला, लण्ड का काम है, प्यासी चूत की प्यास बुझाना और चूत का काम है लण्ड की गरमी शांत करना बस…”

शीला भाभी बात आगे बढ़ाती की मैंने तिहरा हमला कर दिया, मेरे होंठों और एक हाथ ने उनके उभारों पे, एक हाथ ने क्लिट पे और लण्ड ने बुर पे। मेरे होंठ जोर-जोर से भाभी के निपल चूस रहे थे, फ्लिक कर रहे थे, हल्के से काटकर रहे थे और उन्हीं की ताल पे दूसरे निपल को मेरी उंगलियां पुल कर रही थी पिंच कर रही थी। दूसरे हाथ का अंगूठा कभी जोर से भाभी की क्लिट दबा देता तो कभी मैं अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच उसे गोल-गोल घुमाने लगता। और साथ ही किसी इंजन के पिस्टन की तरह मेरा लण्ड बिना रुके अंदर बाहर हो रहा था।

हम दोनों झड़ने के एकदम करीब थे।


लेकिन मैंने गुड्डी को वचन दिया था की मैं आज भाभी को गाभिन करके रहूँगा, और मैं उनको उसी आसन में चोदना और उसी तरह से झड़ना चाहता था जिससे भाभी के गाभिन होने का चांस एकदम पूरा हो।

मैंने भाभी के चूतड़ों को थोड़ा और उठा दिया और सब कुशन तकिये इस तरह से लगा दिए की उनके चूतड़ पूरी तरह हवा में उठे थे और फिर उनकी टांगों को दुहरा कर दिया। अब हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे लग रहा था। भाभी मस्त हो रही थी, गिनगिना रही थी और फिर उन्होंने झड़ना शुरू कर दिया। उनकी देह शिथिल पड़ रही थी, आँखें मुंद रही थी और बुर जोर-जोर से मेरे लण्ड को भींच रही थी।

अब साथ में मैंने भी झड़ना शुरू कर दिया। मैंने पूरी ताकत से जोर से लण्ड पेला था और सुपाड़ा एकदम बच्चेदानी से सटा था। भाभी के चूतड़ हवा में उठे थे। और मेरी गाढ़ी मलायी सीधे बच्चेदानी पे ही, मैं गिरता रहा, झड़ता रहा। लग रहा था जैसे बहुत दिनों से सूखी धरती पे तेजी से बारिश हो रही हो धरती हरषा रही हो, भीग रही हो, गीली हो रही हो, सोख रही हो सब रस अपने अंदर। भाभी ने जोर से मुझे भींच रखा था जैसे वो अब कभी मुझे नहीं छोड़ने वाली।

और जब बारिश रुकी, तो एक बार फिर भाभी की बुर ने मेरे लण्ड को दबोचना, निचोड़ना शुरू कर दिया, जैसे वो आखिरी बूँद तक रस रोप लेना चाहती हो। और हुआ वही, मेरे लण्ड से फिर से वीर्यधार निकलने लगी। कम से कम एक मुट्ठी गाढ़ी थक्केदार मलायी।

झड़ने के बाद भी दस मिनट तक मैं हिला नहीं। मैं जानता था की इस पोज में, स्पर्म सीधे गर्भाशय में जाएगा और बचा हुआ वीर्य भाभी की योनि की दीवारों में सोख लिया जाएगा। दस मिनट बाद जब मैंने लण्ड बाहर निकाला तो भी उनकी चूत की पुत्तियों को मैंने दो उंगली से जोर से दबाकर भींच रखा था। एक भी कतरा बाहर नहीं निकला। कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए हुए।

मेरे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन मैंने उन्हें जोर से चूम लिया।

भाभी खुद ही बोली-

“मेरी एक भाभी ने समझाया था की जब औरत के पेट में बीज जाता है, वो गाभिन होती है, तो उसे अजीब सा लगता है, एक खास तरह का। बस मुझे वैसे ही लग रहा है। एकदम पक्का, तूने वो काम कर दिया जिसके लिए मैं इतने दिनों से कहाँ-कहाँ भटक रही थी…”

मुझे भी बहुत खुशी हुई आखीरकार, गुड्डी को मैंने प्रामिस किया था। मैंने भाभी के पेट पे हाथ फिराते बोला, तो भाभी दो-तीन महीने में उल्टी और नौ महीने में केहा केहा, सोहर
“अरे लाला, लण्ड का काम है, प्यासी चूत की प्यास बुझाना और चूत का काम है लण्ड की गरमी शांत करना बस…”

शीला भाभी का यही ज्ञान आनंद बाबू के जीवन में आगे काम आएगा...
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,731
173
नौ महीने में




और मैं डर रहा था की शीला भाभी बात किधर ले जाएंगी और वो उधर ही ले गयीं, कस के मुझे अपनी बाँहों में बांध के अपने बड़े बड़े जोबन मेरी छाती में रगड़ते बोली, .. हमरे भौजी का भाई सगी बहिन के नहीं छोड़ा उनके ससुरार में उनकी ननद के सामने,... और तू स्साले,... तेरी तो सगी भी नहीं है कोई, ममेरी है , रंडी का नाम है,... छनछनाती रहती है, अरे गुड्डी की समौरिया, गुड्डी के क्लास में पढ़ती है उसकी पक्की सहेली,... हम तो गुड्डी से बोल दिए हैं जब तक तू ओकर टांग न फैलाइबा उहो गुड्डियों, टांग न फैलाई। "

भाभी को चूम के मैं बोला, " अरे भाभी इतनी बड़ी सजा न सुनाइये "

शीला भाभी ने धक्के के जवाब में धक्के मारते हुए कहा, ... सजा नहीं मजा है, गुड्डी बोली थी हमको तोहरे सगी नहीं लेकिन चचेरी मौसेरी फुफेरी बहुत है, ... और हम तो कम बोले हैं, जब अपने सास के सामने पड़ोगे न तोहरे बहिन महतारी सब पे अपने दामाद को चढ़वाएंगी। "

मेरे आपस इन बातों से बचने का एक ही तरीका था तूफ़ान मेल चलाना

शीला भाभी के पहली चुदाई की कहानी से मैं बहुत ज्यादा जोश में आ गया था। भाभी की टांगें मैंने आलमोस्ट दुहरी कर दी, और उनके दोनों बड़े-बड़े चूतड़ पकड़कर जोर का धक्का मारा। सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से टकराया। उईईई… भाभी के मुँह से सिसकी निकल गई। लेकिन मैं रुका नहीं, और एक बार फिर लण्ड सुपाड़े तक निकालकर जोर का धक्का जोर से, शीला भाभी की बुर में लण्ड दरेरता, रगड़ता, घिसटता घुसा और तभी रुका जब मेरे लण्ड का बेस उनके क्लिट से रगड़ रहा था।

मैं पूरा लण्ड भाभी की बुर में घुसाये, जोर-जोर से लण्ड के बेस से घिस्सा मार रहा था। और भाभी की बुर भी, जैसे वो भी उतनी मस्ता रही हो लण्ड कि रगड़ाई से, अपने आप मेरे मोटे लण्ड को भींच रही, थी दबोच रही थी, निचोड़ रही थी, जैसे कोई केन क्रशर, गन्ने को निचोड़कर उसका पूरा रस निकाल ले। मेरे दोनों हाथ शीला भाभी की गदराई चूचियों पे थे और जोर-जोर से उन्हें दबा मसल रहे थे।


मेरे मन में एक सवाल था, वो मैंने शीला भाभी से पूछ ही लिया-

“भाभी जब आपकी पहली बार, आपके जीजू ने, फिर भाभी के भाई ने ली थी तो… मेरा मतलब आपकी ये चूचियां कितनी बड़ी थीं?”

भाभी ने एक बार और जोर से अपनी रसीली बुर मेरे पूरे धंसे लण्ड पे सिकोड़ी, और कचकचा के मेरा गाल काटकर बोली-

“अरे तू खुद सोच न साले, मैंने बोला था न कि तेरे उस माल, ममेरी बहन से एक साल छोटी थी मैं। तो अच्छा चल मैं बता देती हूँ, गुड्डी की छोटी बहन के उभार देखे हैं?”

उनकी बात काटकर मैं बोला- “क्यों भाभी वो छुटकी, उसके तो बड़े-बड़े टिकोरे जैसे…”


अब बात काटने कि बारी शीला भाभी की थी। वो हँसकर बोली-


“अरे लाला वो नहीं, हालांकी दबवाने लायक तो वो भी हो गई हैं, उससे बड़ी वाली, मंझली, जो गुड्डी से ठीक छोटी है, उसकी चूची देखी है बस वैसे ही…”

सब लड़कों की तरह मेरी निगाह भी लड़कियों की चूची पे पहले पड़ती थी, चेहरे पे बाद में और गुड्डी की छोटी बहनें तो वैसे भी मेरी होने वाली सालियां थी। लण्ड बाहर तक निकालकर मैंने फिर एक जोरदार धक्का दिया, और बोला-


“एकदम भाभी, मस्त चूचियां उठान हैं अभी…”

“और यही उमर होती है, दबाने दबवाने की। इस उमर से मिजवाना शुरू करने पे मस्त चूचियां होती हैं…” शीला भाभी बोली।

मैं उनका इशारा समझ गया की मुझे गुड्डी की छोटी बहन और अपनी साली पे भी नंबर लगाना शुरू कर देना चाहिये। लेकिन भाभी को मस्का लगाने के लिए मैं बोला- “तभी तो भाभी आपका जोबन, इतना मस्त और गद्दर है। लेकिन जिस दिन उसमें दूध छलकेगा, ये और मस्त हो जाएगा और तब मैं जरूर इसका मजा लूंगा…”

“अरे लाला तेरे मुँह में घी शक्कर। अरे चूची से तुम्हें दूध भी पिलाऊंगी…” नीचे से चूतड़ उछालती शीला भाभी बोली।

“और भाभी नेग में क्या मिलेगा?” मैंने भाभी को और चिढ़ाया।

“और क्या, अपनी सारी ननदें, तेरी सारी ससुराल वालियों की दिलवाऊँगी, टिकोरे वालियों से लेकर भोसड़ी वालियों तक, अरे भोसड़ी वालियों का मजा अलग ही है, लाला…” भाभी ने मुझे अपनी बाहों में जोर से भींच के अपनी बुर मेरे लण्ड पे दबाते बोला।

“अरे भाभी आपके मुँह में घी शक्कर फिर तो मैं आपको दुबारा भी गाभिन करूँगा…” मैंने बोला और उनकी गद्दर चूची दबाकर जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया।

“अरे लाला, अभी पूरा नेग तो बताया नहीं मैंने…” नीचे से चूतड़ उठाकर धक्के मारते शीला भाभी बोली- “साथ में गुड्डी की भी ननदें और उसकी ससुराल वालियां भी…” उन्होंने जोड़ा।

मैं चुदाई में इतना मगन था की बिना कुछ सुने समझे मैंने हामी भर दी और एक बार फिर से आलमोस्ट पूरा लण्ड निकालकर ऐसा धक्का मारा की भाभी की बच्चेदानी भी हिल गई। जवाब में भाभी के नाखून मेरी पीठ में गड़ गए और खूब जोर से अपने चूतड़ उछाल के जवाब दिया।

तब तक मुझे याद आया की भाभी ने मुझसे किस बात के लिए हामी भरवा लिया। भाभी के गदराये गाल काटकर मैं बोला-


“मेरी ससुराल तो ठीक है लेकिन भाभी गुड्डी की ससुराल…”

मेरी बात काटकर वो बोली-


“अब तो लाला तुम हाँ कर दिए हो, अब तो कौनो रास्ता नहीं है। अरे घबड़ा का रहे हो, हम हैं न जउन ससुरी न मानिहै ना ओकर टांग जबरदस्ती फैला दूंगी…”

उसके बाद भाभी ने समझाया भी की जब से उनके सामने उनकी भाभी ने अपने सगे भाई से चुदवाया तो वो समझ गई की रिश्ता सिर्फ एक है लण्ड और बुर का-

“अरे लाला, लण्ड का काम है, प्यासी चूत की प्यास बुझाना और चूत का काम है लण्ड की गरमी शांत करना बस…”

शीला भाभी बात आगे बढ़ाती की मैंने तिहरा हमला कर दिया, मेरे होंठों और एक हाथ ने उनके उभारों पे, एक हाथ ने क्लिट पे और लण्ड ने बुर पे। मेरे होंठ जोर-जोर से भाभी के निपल चूस रहे थे, फ्लिक कर रहे थे, हल्के से काटकर रहे थे और उन्हीं की ताल पे दूसरे निपल को मेरी उंगलियां पुल कर रही थी पिंच कर रही थी। दूसरे हाथ का अंगूठा कभी जोर से भाभी की क्लिट दबा देता तो कभी मैं अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच उसे गोल-गोल घुमाने लगता। और साथ ही किसी इंजन के पिस्टन की तरह मेरा लण्ड बिना रुके अंदर बाहर हो रहा था।

हम दोनों झड़ने के एकदम करीब थे।


लेकिन मैंने गुड्डी को वचन दिया था की मैं आज भाभी को गाभिन करके रहूँगा, और मैं उनको उसी आसन में चोदना और उसी तरह से झड़ना चाहता था जिससे भाभी के गाभिन होने का चांस एकदम पूरा हो।

मैंने भाभी के चूतड़ों को थोड़ा और उठा दिया और सब कुशन तकिये इस तरह से लगा दिए की उनके चूतड़ पूरी तरह हवा में उठे थे और फिर उनकी टांगों को दुहरा कर दिया। अब हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे लग रहा था। भाभी मस्त हो रही थी, गिनगिना रही थी और फिर उन्होंने झड़ना शुरू कर दिया। उनकी देह शिथिल पड़ रही थी, आँखें मुंद रही थी और बुर जोर-जोर से मेरे लण्ड को भींच रही थी।

अब साथ में मैंने भी झड़ना शुरू कर दिया। मैंने पूरी ताकत से जोर से लण्ड पेला था और सुपाड़ा एकदम बच्चेदानी से सटा था। भाभी के चूतड़ हवा में उठे थे। और मेरी गाढ़ी मलायी सीधे बच्चेदानी पे ही, मैं गिरता रहा, झड़ता रहा। लग रहा था जैसे बहुत दिनों से सूखी धरती पे तेजी से बारिश हो रही हो धरती हरषा रही हो, भीग रही हो, गीली हो रही हो, सोख रही हो सब रस अपने अंदर। भाभी ने जोर से मुझे भींच रखा था जैसे वो अब कभी मुझे नहीं छोड़ने वाली।

और जब बारिश रुकी, तो एक बार फिर भाभी की बुर ने मेरे लण्ड को दबोचना, निचोड़ना शुरू कर दिया, जैसे वो आखिरी बूँद तक रस रोप लेना चाहती हो। और हुआ वही, मेरे लण्ड से फिर से वीर्यधार निकलने लगी। कम से कम एक मुट्ठी गाढ़ी थक्केदार मलायी।

झड़ने के बाद भी दस मिनट तक मैं हिला नहीं। मैं जानता था की इस पोज में, स्पर्म सीधे गर्भाशय में जाएगा और बचा हुआ वीर्य भाभी की योनि की दीवारों में सोख लिया जाएगा। दस मिनट बाद जब मैंने लण्ड बाहर निकाला तो भी उनकी चूत की पुत्तियों को मैंने दो उंगली से जोर से दबाकर भींच रखा था। एक भी कतरा बाहर नहीं निकला। कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए हुए।

मेरे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन मैंने उन्हें जोर से चूम लिया।

भाभी खुद ही बोली-

“मेरी एक भाभी ने समझाया था की जब औरत के पेट में बीज जाता है, वो गाभिन होती है, तो उसे अजीब सा लगता है, एक खास तरह का। बस मुझे वैसे ही लग रहा है। एकदम पक्का, तूने वो काम कर दिया जिसके लिए मैं इतने दिनों से कहाँ-कहाँ भटक रही थी…”

मुझे भी बहुत खुशी हुई आखीरकार, गुड्डी को मैंने प्रामिस किया था। मैंने भाभी के पेट पे हाथ फिराते बोला, तो भाभी दो-तीन महीने में उल्टी और नौ महीने में केहा केहा, सोहर
“अरे लाला, लण्ड का काम है, प्यासी चूत की प्यास बुझाना और चूत का काम है लण्ड की गरमी शांत करना बस…”

शीला भाभी का यही ज्ञान आनंद बाबू के जीवन में आगे काम आएगा...
जबरदस्त.....
 

komaalrani

Well-Known Member
22,257
57,918
259
भाभी की भाभी...
नंदोई... भाई किसी को भी बख्सने के मूड में नहीं हैं...
जिंदगी.. चार दिन की है...
इसे मजे से काटना है... यही मन्त्र है...
जैसा ज्ञान शीला भाभी की भाभी ने कुंवारेपन में उन्हें दिया एकदम उसी तरह का ज्ञान वो अपनी कुँवारी नन्दो को देकर, नन्दोई का भला कर रही हैं,

इसलिए कहते हैं साली से सलहज अधिक पियारी, सलहज खुद भी देती है साली की भी दिलवाती है
 

komaalrani

Well-Known Member
22,257
57,918
259
अब सिंदूरदान के बाद वीर्यदान की बारी है...
लेकिन भाभी की भाभी का मुन्ना और लवली दोनों भाईयों से एक साथ आगे पीछे ...
शीला भाभी को दिखाकर ट्रेनिंग... दोहरी चुदाई की....
एकदम और यह सुना के वह आनंद बाबू को भी प्रेरित कर रही हैं

छेद छेद में भेद नहीं करना चाहिए,

शीला भाभी भले ही गाँव की है लेकिन विचारों में एकदम, ... भेदभाव के सख्त खिलाफ, इसलिए आनंद बाबू को आनंद मंत्र दे रही है, और बार बार सिखा रही हैं गुड्डी की बहन और गुड्डी में कोई फरक नहीं करना, एज इज जस्ट अ नंबर, और फिर गुड्डी की बहन और अपनी बहन में भेद भाव नहीं, ...

और शीला भाभी की बात टालने की आनंद बाबू में हिम्मत नहीं है।
 

komaalrani

Well-Known Member
22,257
57,918
259
शीला भाभी दिलेर भी और दिलदार भी...
और उदार भी

पढ़ाई में भी वह अच्छी थीं, जो जो नीति के दोहे उन्होंने पढ़े उसे न सिर्फ पढ़ा बल्कि गुना भी,

वृक्ष कबहुँ नहीं फल भखे, नदी न संचे नीर,

परमारथ के कारणे साधू धरा सरीर।

जो जोबन आने शुरू हुए हैं वो उनके इस्तेमाल के लिए थोड़े ही हैं और जवानी में जोबन बचाया नहीं लुटाया जाता है, उन्हें हिंदी वाले माट्साब ने अलग से बुला के समझाया था,... इसलिए गुड्डी के गाँव में उनकी बड़ी इज्जत थी और गुड्डी ने खुद आनंद बाबू से कहा था,

" भाभी हैं चाभी "/
 

komaalrani

Well-Known Member
22,257
57,918
259
“अरे लाला, लण्ड का काम है, प्यासी चूत की प्यास बुझाना और चूत का काम है लण्ड की गरमी शांत करना बस…”

शीला भाभी का यही ज्ञान आनंद बाबू के जीवन में आगे काम आएगा...

जबरदस्त.....
एकदम यही ज्ञान गुड्डी की मम्मी ने भी उन्ही दिया था,

अपनी समधन और गुड्डी की ममेरी, चचेरी फुफेरी ननदों के लिए
 

komaalrani

Well-Known Member
22,257
57,918
259
शीला भाभी
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,257
57,918
259
शीला भाभी



next part
 
Last edited:
Top