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Erotica रंग -प्रसंग,कोमल के संग

komaalrani

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भाग ६ -

चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी

Phagun ke din chaar update posted

please read, like, enjoy and comment






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तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”

मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?

चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।

जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-

“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”

भाभी बोली-

“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी
 

komaalrani

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शीला भाभी



भाभी खुद ही बोली- “मेरी एक भाभी ने समझाया था की जब औरत के पेट में बीज जाता है, वो गाभिन होती है, तो उसे अजीब सा लगता है, एक खास तरह का। बस मुझे वैसे ही लग रहा है। एकदम पक्का, तूने वो काम कर दिया जिसके लिए मैं इतने दिनों से कहाँ-कहाँ भटक रही थी…”

मुझे भी बहुत खुशी हुई आखीरकार, गुड्डी को मैंने प्रामिस किया था। मैंने भाभी के पेट पे हाथ फिराते बोला, तो भाभी दो-तीन महीने में उल्टी और नौ महीने में केहा केहा, सोहर।

“एकदम लाला और अब तो तुम्हारा नेग पक्का तेरी ससुराल वालियां और गुड्डी की ससुराल वालियां…”

वो चिढ़ाते हुए बोली। खुशी से उनके आँखें चमक रही थी। अब वो कल गाँव लौटेंगी तो चैन से।

बगल के स्टूल पे दूध का ग्लास रखा था उन्होंने मेरी ओर बढ़ाया तो मैंने पहले उनके होंठों से लगाकर कहा-

“अरे भाभी इत्ती खुशी की खबर है, तो इसको मीठा तो कर दो…” और उन्होंने मीठा कर दिया लेकिन आधे से और ज्यादा ग्लास मुझे ही पीना पड़ा।

“चलो तुमहू तो कुछ मीठा खिलाओ…”

भाभी बोली और जब तक मैं समझता मेरा गन्ना उनके मुँह में और वो जमकर चूस रही थी।




इतना मस्त स्टाइल था की थोड़ी ही देर में वो एकदम कड़ा और खड़ा हो गया। शीला भाभी क्या मस्त चूस रही थी और चूसते समय कभी अपने गाल तो कभी अपनी गदराई चूचियां रगड़ देती थी और मेरी हालत खराब हो जाती थी।

लण्ड चूसने के साथ वो बीच में चाट भी रही थी और जिस तरह से वो चाट रही थी, एकदम जानमारूं था। लण्ड के नीचे से पूरे खुले सुपाड़े तक उनकी जीभ लप-लप चाट रही थी और फिर उन्होंने अचानक मेरी बाल्स को मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगी।



लेकिन साथ में मीठे गन्ने को वो नहीं भूली और अपने एक हाथ से उन्होंने पहले उसके बेस पे जोर से पकड़ा, दबाया, फिर उनकी उंगलियां उसी तरह दबाते हुए ऊपर सरकने लगी और जहाँ सुपाड़ा लण्ड से मिलता है बस वहीं जोर-जोर से रुक के दबाने लगी।

मेरी हालत खराब थी। यही अंतर है प्रौढ़ा और नवोढ़ा की। प्रौढ़ा को सारी वो जगहें अच्छी तरह मालूम होती हैं जिससे किसी मर्द को पागल किया जा सके।

लेकिन तभी शीला भाभी ने वो हरकत की जो मैं सोच भी नहीं सकता था।

उन्होंने दो कुशन निकालकर मेरे नितम्बों के नीचे लगाके उसे ऊपर उठा दिया। अभी भी वो मेरे बाल्स जोर-जोर से चूस रही थी। दोनों उनके मुँह में था। फिर एक बार उन्होंने चाटने का काम शुरू किया और अब उनकी जीभ सट सट, लप-लप मेरे बाल्स और पिछवाड़े के छेद के बीच में चाट रही थी। दोनों नितम्बों को उन्होंने अपने ताकतवर हाथों से जोर से फैला रखा था। अचानक उन्होंने दोनों नितम्बों को कसकर चूम लिया और उनकी लम्बी जीभ मेरे पिछवाड़े के छेद के चारों ओर चक्कर काट रही थी।



मैं मस्ती से काँप रहा था, अपने चूतड़ हल्के-हल्के उठा रहा था।

शीला भाभी के एक हाथ का लम्बा नाखून मेरे लण्ड पे जोर से दबाते ऊपर-नीचे हो रहा था। और दूसरे हाथ की तरजनी को उन्होंने अब सीधे पिछवाड़े पे रगड़ना शुरू किया। रगड़ते रगड़ते उन्होंने उसे अंदर घुसाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं घुसा।

उन्होंने थोड़ा जोर बढ़ाया लेकिन वो अभी भी बाहर था, और शीला भाभी की गालियां चालू हो गईं-


“अरे साले, तेरी गाण्ड तो उस तेरी बहन कम माल रंजी के छेद से भी टाइट है। इतना मक्खन मार्का गाण्ड और अभी तक। चल जैसे तेरी ससुराल में तेरी बहनों के लिए मोटे लण्ड का इंतजाम है, वैसे तेरी ससुराल में पक्के लौंडेबाज भी हैं जो सिर्फ गोलकुंडा के शौकीन है। उनकी तो चांदी हो जायेगी तुझे पाकर…”

और उसके बाद उनके होंठ सीधे मेरे पिछवाड़े के छेद पे थे।

क्या जोर-जोर से चूम रही थी, चूस रही थी, चाट रही थी और जहाँ उनकी तरजनी नहीं घुस पायी वहाँ जीभ की टिप भी घुसाने की कोशिश कर रही थी, और साथ-साथ में आशीष भी दे रही थी-



“अरे साले, बहनचोद, गान्डू, तेरी इस कसी कुँवारी गाण्ड में खूब मोटे-मोटे लौंडे घूसे, जिस लण्ड को लेने में चार बच्चो वाली को, भोंसड़ी वालियों को पसीना छूटे वो तू हँसते-हँसते घोंट ले, तेरी छिनार बहनों की तरह तुझे भी कभी…”

भाभी की बातें आगे बढ़ती इससे पहले मैंने काउंटर अटैक किया-

“अरे भौजी, तनी हमहु के रस मलाई का मजा चखावा ना…”

मैंने बोला और जब तक वो रिस्पांस दे हम दोनों 69 की पोज में थे।



हालांकि अभी भी शीला भाभी ऊपर थी और एक बार फिर वो जोर-जोर से लण्ड चूस रही थी। हम दोनों साथ-साथ, सुर ताल में मजे ले रहे थे, मजे दे रहे थे। जैसे कोई पेयर सिंक्रोनाइज्ड डाइविंग कर रहा हो, एकदम उसी तरह। बिना बोले मुझे मालूम था की वो क्या करेंगी और उन्हें मालूम था की मैं क्या करूँगा। मेरी हर हरकत का जवाब उनके पास था और उनकी हर हरकत का मेरे पास।

जैसे जंगल में कोई प्यासा दरिया ढूँढ़ ले, उनकी झांटो भरी बुर में मैंने तुरन्त उनकी मांसल, भरी भरी पुत्तियां, रसीले भगोष्ठ ढूँढ़ लिए और उन्हें हटाकर, शहद के उस झरने में गोता लगा दिया। जब मैं चूसता तो वो चूसती और जब मैं उनकी बुर चाटना शुरू करता तो वो भी लण्ड चाटने लग जाती।

हम लोगों की ये जुगलबंदी चलती रही और हम दोनों पागल होते रहे, पागल करते रहे। मैं जीभ की नोक से उनके मांसल गोल कड़े क्लिट को छेड़ता, तो उनकी जीभ मेरे पी-होल में घुस के सुरसुरी करने लगती मेरी उंगलियां शीला भाभी की बुर में घुस के रगड़ घिस करती, तो उनका अंगूठा मेरे सुपाड़े को दरेरने लगता। हम दोनों मजे की चरम स्थिति की और तेजी से बढ़ रहे थे।

बदमाशी मैंने ही शुरू की। शीला भाभी के रस के झरने से शहद झर रहा था। और शहद की एक बूँद का पीछा करते-करते मैं पिछवाड़े पहुँच गया। क्या मस्त नितम्ब थे, गोल-गोल, मांसल रस से छलकते गागर। जब वो कसी साड़ी में चलती, तो कसर मसर, कसर मसर, लेफ्ट राइट करते उनके दोनों तरबूज ऐसे 38+ चूतड़ देखकर ही, जंगबहादुर की हालत खराब हो जाती थी। वो तुरंत 90° होकर उन्हें सैल्यूट देता था।
 
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पिछवाड़े




शहद की एक बूँद का पीछा करते-करते मैं पिछवाड़े पहुँच गया। क्या मस्त नितम्ब थे, गोल-गोल, मांसल रस से छलकते गागर। जब वो कसी साड़ी में चलती, तो कसर मसर, कसर मसर, लेफ्ट राइट करते उनके दोनों तरबूज ऐसे 38+ चूतड़ देखकर ही, जंगबहादुर की हालत खराब हो जाती थी। वो तुरंत 90° होकर उन्हें सैल्यूट देता था।

और आज वही चूतड़ मेरे हाथ में थे। मेरे हाथों ने सहलाना, मसलना शुरू कर दिया। फिर लालची जीभ ही क्यों पीछे रहती। पहले चुम्बन, और फिर चाटना, चूसना, फिर मेरे खोजी होंठ, उस रस कूप के छेद की ओर बढ़े, जो दोनों भरे नितम्बों के बीच दबा, दुबका छिपा था। मुझसे कोई छेद बचे, मैंने जोर से शीला भाभी के दोनों चूतड़ फैलाये और सीधे छेद पे मेरे होंठ। बहुत ही कसा, छेद क्या बस एक हल्की सी भूरी दरार सी। मेरे जीभ की टिप वहाँ सुरसुरी कर रही थी, रगड़ रही थी, और दोनों अंगूठे उसे फैलाने की नाकामयाब कोशिश कर रहे थे।



दूसरी गलती भी मैंने की, बोलने और छेड़ने की-


“भौजी, तोहार पिछवाड़ा तो बहुत मस्त बा। लगता है इधर अभी हल नहीं चला, कोरी ही बची है…”

और फिर क्या जैसे किसी ने मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाला हो।


मेरे दोनों नितम्ब तो उन्होंने पहले ही फैला रखे थे और मेरी तरह उनके अंगूठे भी पिछवाड़े के छेद को तंग कर रहे थे, बस एक चीज थी जिसमें मैं शीला भाभी का मुकाबला नहीं कर सकता था, और वो थी उनकी गालियां। (और शीला भाभी ही सिर्फ नहीं, गुड्डी की मायकेवाली सभी, यहाँ तक की उसकी मम्मी भी, थोड़ी देर पहले उन्होंने फोन पे क्या-क्या नहीं सुनाया। लेकिन गालियां ऐसी रसीली होती थी की उनका असर वियाग्रा से भी दूना होता था, जीतनी ‘खतरनाक’ उतनी असरदार, और जंगबहदर तो तुरंत सावधान की मुद्रा में आ जाते थे)

और शीला भाभी चालू हो गई-


“अरे लाला कोरी तो तोहरो हौ लेकिन एक बार ससुरारी आओगे न, त न तोरे बहिनन क कोरी बची, न तोहार। अइसन मस्त गाण्ड के बदे, बस कुछ दिन की बात है, सबुर कर लो एक से एक मोटे हथियार घुसवाऊँगी इसमें घबड़ाओ नहीं। आखीरकार, तुम्हारे सब मायकेवाली मजा लेंगी तो तुम्हीं काहे बाकी रहो, पक्का गण्डुवा बनाकर छोड़ेंगी सब ससुराल वाली…”



भाभी की बात मैं शर्मा भी रहा था झिझक भी रहा था और सच बोलूं तो कुछ-कुछ मजा भी आ रहा था। शीला भाभी की गालियों में भी बहुत रस था और वो बोल रही थी तो लण्ड आजाद हो गया था, लेकिन उनकी उंगलियों में भी कम जादू नहीं था। आगे तर्जनी और मंझली उंगली जोड़ के उन्होंने जिस तरह से उसके बीच में डालकर लण्ड को आगे-पीछे कर रही थी, बस यही लग रहा था जैसे मैं किसी कच्ची कुँवारी साल्ली कि फुद्दी में लण्ड रगड़ रहा होऊं।

और उनसे ज्यादा शैतानी उनके दूसरे हाथ कि उंगलियां कर रही थी। पहले तो उन्होंने अपने अंगूठे को बड़ी देर तक मेरे पिछवाड़े के छेद पे रगड़ा और फिर थूक लगाकर तरजनी की टिप को गाण्ड के छेद में अंदर पुश करने की कोशिश कर रही थी। एक नए ढंग कि कशिश, एक नया, कुछ, कुछ। लग रहा था भाभी की उस पिछवाड़े की उंगली से।

लेकिन मैंने कुछ बोलने की कोशिश की-


“अरे भाभी, मुझे वो सब शौक नहीं है, मैं वो, मेरा मतलब…”

और मेरी आधी तिही बात शीला भाभी की गालियों में डूब गई। मैं समझ गया की न मैं गुड्डी से पार पा सकता हौं और न गुड्डी के गाँव वालियों से।

“अरे साले, हरामी के, छिनार के, बहनचोद, अपनी बहन के भड़ुए, साल्ली तेरे सारे मायकेवालियों के बुर में तेरे ससुराल वालों के मोटे-मोटे लण्ड, पहले तू बहनचोद था क्या, मार अपने उस माल से शर्माता घूमता था, अब मेरे सामने उसकी चूची अपने आँगन में दबा रहा था की नहीं, बोल हो गया बहनचोद कि नहीं। तो तू ये कहना चाहता है ना कि तू गान्डू नहीं है, गंड़ुआ नहीं है, ओ तुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है वो तेरी सास, बस एक बार अपने ससुराल के गाँव में पहुँचना, बाकी तो सब हम सब देख लेंगी तू तो बस निहुर के मजा लेना मोटे-मोटे लण्ड का, जैसे तेरी गधा चोदी बहनें लेंगी…”



और उसी के साथ भाभी के उंगली का जोर मेरे पिछवाड़े के छेद पे बढ़ गया और आधी पोर तरजनी का घुस गया। बस क्या था वो उसे गोल-गोल घुमाने लगी। मुझे भी कुछ अलग ढंग का लग रहा था, मैंने कुछ बोलना चाहा लेकिन शीला भाभी फिर चालू हो गईं-

“अरे साले, अपनी बहन के यार, तेरी उस ममेरी बहन की ही मैंने उंगली की थी, वो भी कच्ची कुँवारी है, लेकिन तेरी तो उससे भी ज्यादा कसी संकरी है, बहुत मजा आएगा उसे जो तेरी गाण्ड मारेगा पहले पहल। तेरी सास तेरे लिए खूब मोटे मस्त लण्ड का इंतजाम करेंगी, नथ उतरवाने के लिए।

और भाभी की गालियां जो एक पल के लिए रुकीं तो फिर तो उनके होंठ एक बार फिर से सपड़-सपड़ मेरे सुपाड़े को चाटने में लग गए और साथ में मेरे पिछवाड़े अंदर घुसी उंगली का पोर भी तेजी से गोल-गोल घूम रहा था, मस्ती से मेरी हालत खराब था, आँखें मुंदी जा रही थी, ऐसी हालत मेरी कभी भी पहले नहीं हुई थी।

और भाभी से कोई बात छिपती है क्या? वो फिर बोली-


“अरे लाल्ला सोचो-सोचो, जब एक उंगली के पोर में इतना मजा आ रहा है तो जब मोटे-मोटे लण्ड इस गाण्ड में घुसेंगे तो कितना मजा आएगा?”

मैं बोलने कि हालत में नहीं था, एक तो दोतरफा मस्ती के चक्कर में और दूसरे भाभी ने अपनी झांटो भरी बुर से मेरा मुँह पूरी तरह सील कर दिया था। और भाभी अब फिर दुबारा चालू हो गईं, गालियों के साथ समझाने सिखाने की मुद्रा में-


“अच्छा आई बताओ हम लोग तोहरी बहनन के साथ, अपनी ननद के साथ मजा लेते हैं कि नहीं…”



मैं कैसे मना कर सकता था, अभी थोड़ी देर पहले ही तो भाभी ने रंजी के साथ, और उसके पहले होली में दिन में क्या-क्या नहीं हुआ था, शीला भाभी, मंजू, मेरी भाभी सब लोग मोहल्ले के लड़कियों के साथ।

शीला भाभी ने अपनी बात आगे बढ़ायी-

देखो एक तो तुम लजा सरमा रहे हो कि आई बात में गड़बड़ है, झिझक रहे हो गौने की दुल्हन कि तरह या तो डर रहे हो की इतनी संकरी जगह में मोटा-मोटा। त आई सोचो की आखीरकार, हम, तोहार भाभी, और बाकी सब लोग लड़कियन के साथ मजा लेते हैं ना। आज तोहरी ऊ दीदी के साथ होली में मिश्राइन भाभी, तोहार भाभी सबके सामने आँगन में और रंजी के साथ कल सांझ को मैं और मंजू और गुड्डी, तोहरे सामने ओकरे चूत में रगड़ घिस्स हुई थी कि नहीं और फिर ऊ तोहार समोसेवाली के साथ बहुत मस्त लौंडिया है साली। और अबहीं तोहरे लण्ड का भी मजा लिया हमने, चूत का भी मजा और लण्ड का भी मजा दूना मजा। एही लिये मैं समझा री हूँ कि मजा लेने से मतलब जैसे मजा मिले। अरे चुदक्कड़ तो तुम नम्बरी हो देखना तोहरे कुल ससुराल वालियोंन का मजा दिलवाऊँगी एक से एक कच्ची कली से लेकर। और गुड्डी के ससुराल वालियोन का भी, और कभी कभी पिछवाड़े का भी मजा ले लेना। कबों कबों गाण्ड मरवाने से कोई गंड़ुआ थोड़े ही हो जाता है…”

भाभी कि बात में दम था लेकिन उससे ज्यादा उनकी उंगलियों में जो एक साथ जबरदस्त मेरे लण्ड और गाण्ड की हालत खराब किये हुई थी। और मैं बोलने कि हालत में नहीं था। भाभी ने अल्पविराम लिया दो-चार बार जोर-जोर से मेरे सुपाड़े को चूसा।

और एक बार फिर चालू हो गईं-


“लेकिन वैसे भी ओहमे तोहसे पूछेगा कौन, बस जब ससुराल में पहुँचोगे न उन्हा तो ससुराल वालन क, मतलब तोहरे सास क ही चली। त लण्ड तो तोंहे घोंटे के पड़बे करी, हाँ आई बात तुहार ठीक हौ कि इतना कसल गाण्ड में। दर्द तो बहुत होई। जब दरेरत, रगड़त, फाडत घुसी, लेकिन तू चाहे जितना चीख चिल्ला, एक बार जब गाण्ड में सुपाड़ा घुस जायी ना, फिर तो तू खूब गाण्ड पटकबा, बिना पूरा लण्ड घोंटे कौन चारा ना हो। वैसे जब चार-पांच मर्द का घोंट लेबा, त खुदे तोहरे गाण्ड में इतना जोर से चींटी काटे लागी की त जैसे तोहार बहन तोहरे ससुराल वालन से चुदवावे के हरदम लण्ड लण्ड खुदे मांगे लगेंगी बस उहे हालत तोहार होई…”




अब मुझसे नहीं रहा गया-

“चार-पांच मर्द, मैं तो समझा था चार-पांच बार…”

मैंने बोला।

वो हँसी- “चार-पांच बार में तोहार दर्द खतम होई, अरे तू इस सब चिंता छोड़ा आई ससुराल वालिन के ऊपर छोड़ा, एक से एक मोटा गपागप…”


और साथ में पूरा जोर लगाकर उन्होंने अंगुली का एक पोर अंदर घुसा दिया। उनकी बात का जवाब तो मैं बात से दे नहीं सकता था।

इसलिए मैंने वही किया जो मैं कर सकता था, ऐक्शन। तुरंत उन्हें निहुरा के डागी पोज में कर दिया। गाण्ड मारने के लिए आइडियल पोज, लेकिन अभी तो टारगेट बुर थी, गाभिन करने के लिए। लेकिन मन का क्या करें, बार-बार निगाह, शीला भाभी के मटके ऐसे गोल मटोल बड़े-बड़े चूतड़ों की ओर चली जा रही थी। खूब चिकने, आधे कटे तरबूजों की तरह, और उसके बीच पतली संकरी गली और, एकदम कसा, चिपका भूरा सा छेद। हाथ शीला भाभी के चूतड़ सहला रहा था और अपने आप मेरी एक उंगली उनकी गाण्ड के छेद पे चली गई।



एकदम कसी। मैंने जोर लगाया, लेकिन उंगली घुसी नहीं। बात साफ थी, शीला भाभी का पिछवाड़ा अभी कोरा था। मैं उंगली उनके दुबदुबाते गाण्ड के छेद पे दबा रहा था और मेरे जंगबहादुर भी ठुनक रहे थे-


“भाभी, आज तो आपका पिछवाड़ा बच गया लेकिन अगली बार आपके गाँव में मिलूंगा न, तो…”

आगे की बात उन्होंने मेरे मुँह से छीन ली-

“अरे लाला, हमरे पूरे गाँव के साले, गुड्डी की सब ननदों के भतार, तोहरे मुँह में घी गुड़। पक्का रहा। अगली बार जब तू अइबा न, त हमार और तोहार दोनों लोगन के गाण्ड क उद्घाटन होई जाई। अरे आखीरकार, आई ससुरी गाण्ड बनल त मरवाये बदे हौ न। तोहार लण्ड हमरी गाण्ड में और हमरे गाँव के लौण्डेबाजन क लण्ड तोहरी गाण्ड में और उहो सूखा। खूब दरेरत रगड़ जाई…”



गुड्डी या गुड्डी के मायकेवालियों से पार पाना मुश्किल था इसलिए मैंने वही किया जो कर सकता था। शीला भाभी तो पहले ही कुतिया वाली पोज में थी, मैंने कमर थोड़ी और उठायी, फनफनाते लण्ड को उनकी पनियाई बुर पे सेंटर किया और पहला ही धक्का, हेलीकाप्टर शाट वाला था।

और शीला भाभी जोर से चीखी- “अरे साले बहनचोद अपनी गदहा चोदी मायकेवालियों का भोंसड़ा समझ रखा है क्या?”
 
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हेलीकाप्टर शाट




गुड्डी या गुड्डी के मायकेवालियों से पार पाना मुश्किल था इसलिए मैंने वही किया जो कर सकता था। शीला भाभी तो पहले ही कुतिया वाली पोज में थी, मैंने कमर थोड़ी और उठायी, फनफनाते लण्ड को उनकी पनियाई बुर पे सेंटर किया और पहला ही धक्का, हेलीकाप्टर शाट वाला था।

और शीला भाभी जोर से चीखी- “अरे साले बहनचोद अपनी गदहा चोदी मायकेवालियों का भोंसड़ा समझ रखा है क्या?”

जवाब में मैंने खूब जोर से उनकी लटक रही बड़ी-बड़ी चूची को दबाया, निपल को पूरी ताकत से पुल किया और अगला धक्का पहले से भी जोरदार था। शीला भाभी की दोनों टांगों को मैंने अपनी टांगों के बीच में डालकर खूब अच्छी तरह फैला दिया। कम से कम तीन-चार फीट, और मेरी दोनों टांगें उनमें फँसी थी। अब वो चाहकर भी टांगें सिकोड़ नहीं सकती थी। और साथ ही उनकी बुर भी फैल गई। माना की शीला भाभी अनचुदी नहीं थी, लेकिन शादी के बाद से तो उनकी बुर में लण्ड नहीं गया था इसलिए एकदम कुँवारी की तरह कसी लग रही थी।

मैंने चुदाई कि रफ्तार थोड़ी हल्की कि और साथ में मेरा एक हाथ अब सीधे उनकी क्लिट पे पहुँच गया। मस्ती से क्लिट एकदम कड़ी थी। मैंने अंगूठे से उसे दबाया फिर तर्जनी और अंगूठे के बीच पकड़कर गोल-गोल घुमाने लगा।



शीला भाभी अब सिसकियां ले रही थी, हल्के-हल्के खुद अपने भारी चूतड़ मेरे लण्ड की ओर पुश कर रही थी। दोनों हाथों से उन्होंने जोर से पलंग को पकड़ रखा था। वो पूरी तरह झुकी थी और चूतड़ हवा में उठे।

अब मैंने एक बार फिर से लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकाला, जोर से उनकी क्लिट और निपल पिंच किये और दोनों चूतड़ पकड़कर एक धक्के में पूरा बालिश्त भर का लण्ड अंदर पैबस्त कर दिया। सुपाड़ा सीधे उनकी बच्चेदानी से टकराया, और शीला भाभी की चीख और सिसकियां दोनों एक साथ निकली। लेकिन असली जवाब उनकी बुर ने दिया, जिसने मस्ती में गनगना के मेरे लण्ड को भींच लिया, दबोच लिया। मैं बता नहीं सकता कितना मजा आया।

थोड़ी देर तक उनकी रसीली चूत मेरे लण्ड को दबोचती सिकोड़ती रही। मेरे बाल्स भाभी के बड़े-बड़े चूतड़ों से लड़ रहे थे। हल्के-हल्के मैंने चुदाई फिर शुरू की और भाभी चुदाई में बराबर का साथ दे रही थी। कभी वो धक्के का जवाब धक्के से देती तो कभी अपनी बुर जोर से लण्ड पे सिकोड़ लेती, और साथ में बीच-बीच में गालियों का तड़का।

मुझे भी एक शरारत सूझी। मैंने अपनी दोनों टांगें शीला भाभी की टांगों के बीच से निकाल लिया और अब वो दोनों टांगें बाहर से शीला भाभी की टांगों को पकड़े थी। शीला भाभी चुदाई की मस्ती में चूर, उन्हें पता ही नहीं चला की कब उनकी दोनों टांगें एकदम एक दूसरे से चिपक गईं, और अब मेरी दोनों टांगों ने कैंची की तरह उनके पैरों को इस तरह से दबोच लिया कि वो लाख कोशिश करें, उनके पैर हिल नहीं सकते थे। उनकी टांगें, जांघें एकदम एक दूसरे से चिपकी थी। और मेरा आठ इंच का लण्ड बुर में अंदर घुसा।

ये ट्रिक मुझे चंदा भाभी ने सिखायी थी। उनका कहना था की इस ट्रिक से चोदोगे तो चार बच्चो की माँ, किसी भोसड़ीवाली को भी कुँवारी बुर की चुदाई का मजा आएगा, जांघें और टांगें चिपकी रहने से बुर इतनी कसी, संकरी हो जायेगी।



शीला भाभी कि किसी कुँवारी लड़की ही ऐसी टाइट थी उसपर से ये पोज। मेरा मोटा लम्बा लण्ड पूरी तरह से शीला भाभी के अंदर घुसा था इसलिए उन्हें उस समय तो पता नहीं चला और साथ ही मेरे हाथ होंठ उन्हें पागल करने में लगे थे। कभी मैं कसकर उनकी गोल-गोल गदराई बड़ी-बड़ी चूची मींजता, तो कभी निपल फ्लिक करता और कभी पूरी हथेली से उनकी मस्ती का दाना, क्लिट रगड़ देता और शीला भाभी गिनगिना जाती। उनकी चूत जोर-जोर से मेरे लण्ड को भींच लेती और वो खुद मेरे हाथ को पकड़कर अपनी चूची पे दबाती।

मैंने धीरे-धीरे धीरे अपना मोटा लण्ड भाभी की कसी चूत से सुपाड़े तक बाहर निकाल लिया और फिर एक बार जोर से अपनी टांगों के बीच उनकी जांघों को भींच के लण्ड पेलना शुरू किया। एक तो संकरी टाइट सालों से अनचुदी भाभी की बुर और फिर जिस तरह से मैंने दबोच रखा था, लण्ड दरेरता, रगड़ता, घिसटता उनकी बुर में इंच इंच कर घिसटते हुए घुस रहा था। मैं पूरी ताकत से उनकी बुर में दोनों चूची पकड़कर ठेल रहा था।

“उईईई… ओह्ह… आह्ह… लल्ला क्या करते हो। लगता है। इतना दर्द तो पहली बार भी नहीं हुआ था…” भाभी सिसक रही थी और चूतड़ पटक रही थी।

मुझे खूब मजा आ रहा था, खास तौर से ये याद करके की अभी थोड़ी देर पहले कितनी जबरदस्त गालियों वो मेरी बहनों, सारी मायकेवालियों को दे रही थी। जब आधे से ज्यादा लण्ड उनकी बुर में दरेरते रगड़ते घुस गया तो मैं रुका और अब मेरे हाथ और होंठ मैदान में आ गए थे। उनकी चूची की अब पूरी जोर से रगड़ाई हो रही थी साथ ही क्लिट कि भी, झुक के मैं जोर से अपने दांतो के निशान उनके जोबन पे बना रहा था जो दस पंद्रह दिन तक तो रहने ही थे।

और अब दर्द कि जगह भाभी मस्ती से चूतड़ पटक रही थी अपनी चूत मेरे लण्ड पे भींच रही थी। मैं समझ गया कि बस अब वो झड़ने के कगार पे हैं। लण्ड थोड़ा सा पीछे खींचकर जो मैंने करारा धक्का मारा तो सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से टकराया।

“उह्ह… अह्ह्ह… ओह्ह… हाय… मुह्ह… अह्ह्ह…” भाभी तेज हवा में पत्ते कि तरह कांप रही थी। उनकी चूचियां पत्थर कि तरह हो गई थी और दोनों हाथ पलंग को कसकर पड़े हुए थे।

मैं कसकर सुपाड़े से बच्चेदानी को रगड़ रहा था, और साथ मैंने क्लिट को भी मसल दिया।

भाभी दुबारा झड़ने लगी। मैं लण्ड को उसी तरह ठेले रहा और बुर को कसकर भिंचे रहा। जब वो नार्मल हुई तो उन्होंने मुश्कुराकर सिर मोड़कर मेरी ओर देखा और जवाब में मेरे लण्ड ने एक धक्का और मार दिया। चुदाई फिर शुरू हो गई थी और अब वो एक बार फिर कभी जोर से मेरे लण्ड को भींच लेती तो कभी उनकी चूत बारी-बारी से कभी सिर्फ सुपाड़े को तो कभी पूरे लण्ड को दबोच ले रही थी। मेरी भी हालत खराब हो रही थी। मैंने पूरी ताकत से चुदाई शुरू कर दी।

थोड़ी देर में भाभी फिर कगार पे पहुँच गई और मैं भी। बस मैंने उनकी कमर को थोड़ा और उठाया और एक जोर का धक्का जोर से मारा। बुर उसी तरह से भिंची हुई थी। रगड़ता, घिसटता दरेरता सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से टकराया और मैं काम्पने लगा साथ ही भाभी भी। हम दोनों साथ-साथ झड़ रहे थे।

मेरे लण्ड ने कम से कम दो अंजुरी भर गाढ़ी थक्केदार मलायी सीधे शीला भाभी के बच्चेदानी में ही उंडेल दी। और खुश होकर जैसे उनकी बुर बार-बार मेरे लण्ड को सिकोड़ रही थी। उनकी कमर इस तरह उठी थी कि एक बूँद भी वीर्य बाहर निकलने का सवाल ही नहीं था। बड़ी देर तक मैं उन्हें ऐसे ही उठाये रहा और फिर हम दोनों पलंग पे निढाल लेट गए, तब भी मेरा एक हाथ उनकी चूची और दूसरा उनके बुर पे था जिसे मैं दबोचे हुए था। मैंने उन्हें पीछे से बाहों में बाँध रखा था।

कुछ देर बार शीला भाभी ने ही बात शुरू की, वो बातें सच में जिसके बारे में मेरा ज्ञान शून्य था। जबरदस्त चुदाई के बाद मैं उन्हें पीछे से पकड़कर लेटा था मेरा एक हाथ उनकी गद्दर चूची पे था और दूसरा, उनके भारी चूतड़ सहला रहा था। बीच-बीच में मैं उनके रसीले गाल का रस भी चूस ले रहा था, कभी हल्के से काट लेता।
 
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malikarman

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हेलीकाप्टर शाट




गुड्डी या गुड्डी के मायकेवालियों से पार पाना मुश्किल था इसलिए मैंने वही किया जो कर सकता था। शीला भाभी तो पहले ही कुतिया वाली पोज में थी, मैंने कमर थोड़ी और उठायी, फनफनाते लण्ड को उनकी पनियाई बुर पे सेंटर किया और पहला ही धक्का, हेलीकाप्टर शाट वाला था।

और शीला भाभी जोर से चीखी- “अरे साले बहनचोद अपनी गदहा चोदी मायकेवालियों का भोंसड़ा समझ रखा है क्या?”

जवाब में मैंने खूब जोर से उनकी लटक रही बड़ी-बड़ी चूची को दबाया, निपल को पूरी ताकत से पुल किया और अगला धक्का पहले से भी जोरदार था। शीला भाभी की दोनों टांगों को मैंने अपनी टांगों के बीच में डालकर खूब अच्छी तरह फैला दिया। कम से कम तीन-चार फीट, और मेरी दोनों टांगें उनमें फँसी थी। अब वो चाहकर भी टांगें सिकोड़ नहीं सकती थी। और साथ ही उनकी बुर भी फैल गई। माना की शीला भाभी अनचुदी नहीं थी, लेकिन शादी के बाद से तो उनकी बुर में लण्ड नहीं गया था इसलिए एकदम कुँवारी की तरह कसी लग रही थी।

मैंने चुदाई कि रफ्तार थोड़ी हल्की कि और साथ में मेरा एक हाथ अब सीधे उनकी क्लिट पे पहुँच गया। मस्ती से क्लिट एकदम कड़ी थी। मैंने अंगूठे से उसे दबाया फिर तर्जनी और अंगूठे के बीच पकड़कर गोल-गोल घुमाने लगा।



शीला भाभी अब सिसकियां ले रही थी, हल्के-हल्के खुद अपने भारी चूतड़ मेरे लण्ड की ओर पुश कर रही थी। दोनों हाथों से उन्होंने जोर से पलंग को पकड़ रखा था। वो पूरी तरह झुकी थी और चूतड़ हवा में उठे।

अब मैंने एक बार फिर से लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकाला, जोर से उनकी क्लिट और निपल पिंच किये और दोनों चूतड़ पकड़कर एक धक्के में पूरा बालिश्त भर का लण्ड अंदर पैबस्त कर दिया। सुपाड़ा सीधे उनकी बच्चेदानी से टकराया, और शीला भाभी की चीख और सिसकियां दोनों एक साथ निकली। लेकिन असली जवाब उनकी बुर ने दिया, जिसने मस्ती में गनगना के मेरे लण्ड को भींच लिया, दबोच लिया। मैं बता नहीं सकता कितना मजा आया।

थोड़ी देर तक उनकी रसीली चूत मेरे लण्ड को दबोचती सिकोड़ती रही। मेरे बाल्स भाभी के बड़े-बड़े चूतड़ों से लड़ रहे थे। हल्के-हल्के मैंने चुदाई फिर शुरू की और भाभी चुदाई में बराबर का साथ दे रही थी। कभी वो धक्के का जवाब धक्के से देती तो कभी अपनी बुर जोर से लण्ड पे सिकोड़ लेती, और साथ में बीच-बीच में गालियों का तड़का।

मुझे भी एक शरारत सूझी। मैंने अपनी दोनों टांगें शीला भाभी की टांगों के बीच से निकाल लिया और अब वो दोनों टांगें बाहर से शीला भाभी की टांगों को पकड़े थी। शीला भाभी चुदाई की मस्ती में चूर, उन्हें पता ही नहीं चला की कब उनकी दोनों टांगें एकदम एक दूसरे से चिपक गईं, और अब मेरी दोनों टांगों ने कैंची की तरह उनके पैरों को इस तरह से दबोच लिया कि वो लाख कोशिश करें, उनके पैर हिल नहीं सकते थे। उनकी टांगें, जांघें एकदम एक दूसरे से चिपकी थी। और मेरा आठ इंच का लण्ड बुर में अंदर घुसा।

ये ट्रिक मुझे चंदा भाभी ने सिखायी थी। उनका कहना था की इस ट्रिक से चोदोगे तो चार बच्चो की माँ, किसी भोसड़ीवाली को भी कुँवारी बुर की चुदाई का मजा आएगा, जांघें और टांगें चिपकी रहने से बुर इतनी कसी, संकरी हो जायेगी।



शीला भाभी कि किसी कुँवारी लड़की ही ऐसी टाइट थी उसपर से ये पोज। मेरा मोटा लम्बा लण्ड पूरी तरह से शीला भाभी के अंदर घुसा था इसलिए उन्हें उस समय तो पता नहीं चला और साथ ही मेरे हाथ होंठ उन्हें पागल करने में लगे थे। कभी मैं कसकर उनकी गोल-गोल गदराई बड़ी-बड़ी चूची मींजता, तो कभी निपल फ्लिक करता और कभी पूरी हथेली से उनकी मस्ती का दाना, क्लिट रगड़ देता और शीला भाभी गिनगिना जाती। उनकी चूत जोर-जोर से मेरे लण्ड को भींच लेती और वो खुद मेरे हाथ को पकड़कर अपनी चूची पे दबाती।

मैंने धीरे-धीरे धीरे अपना मोटा लण्ड भाभी की कसी चूत से सुपाड़े तक बाहर निकाल लिया और फिर एक बार जोर से अपनी टांगों के बीच उनकी जांघों को भींच के लण्ड पेलना शुरू किया। एक तो संकरी टाइट सालों से अनचुदी भाभी की बुर और फिर जिस तरह से मैंने दबोच रखा था, लण्ड दरेरता, रगड़ता, घिसटता उनकी बुर में इंच इंच कर घिसटते हुए घुस रहा था। मैं पूरी ताकत से उनकी बुर में दोनों चूची पकड़कर ठेल रहा था।

“उईईई… ओह्ह… आह्ह… लल्ला क्या करते हो। लगता है। इतना दर्द तो पहली बार भी नहीं हुआ था…” भाभी सिसक रही थी और चूतड़ पटक रही थी।

मुझे खूब मजा आ रहा था, खास तौर से ये याद करके की अभी थोड़ी देर पहले कितनी जबरदस्त गालियों वो मेरी बहनों, सारी मायकेवालियों को दे रही थी। जब आधे से ज्यादा लण्ड उनकी बुर में दरेरते रगड़ते घुस गया तो मैं रुका और अब मेरे हाथ और होंठ मैदान में आ गए थे। उनकी चूची की अब पूरी जोर से रगड़ाई हो रही थी साथ ही क्लिट कि भी, झुक के मैं जोर से अपने दांतो के निशान उनके जोबन पे बना रहा था जो दस पंद्रह दिन तक तो रहने ही थे।

और अब दर्द कि जगह भाभी मस्ती से चूतड़ पटक रही थी अपनी चूत मेरे लण्ड पे भींच रही थी। मैं समझ गया कि बस अब वो झड़ने के कगार पे हैं। लण्ड थोड़ा सा पीछे खींचकर जो मैंने करारा धक्का मारा तो सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से टकराया।

“उह्ह… अह्ह्ह… ओह्ह… हाय… मुह्ह… अह्ह्ह…” भाभी तेज हवा में पत्ते कि तरह कांप रही थी। उनकी चूचियां पत्थर कि तरह हो गई थी और दोनों हाथ पलंग को कसकर पड़े हुए थे।

मैं कसकर सुपाड़े से बच्चेदानी को रगड़ रहा था, और साथ मैंने क्लिट को भी मसल दिया।

भाभी दुबारा झड़ने लगी। मैं लण्ड को उसी तरह ठेले रहा और बुर को कसकर भिंचे रहा। जब वो नार्मल हुई तो उन्होंने मुश्कुराकर सिर मोड़कर मेरी ओर देखा और जवाब में मेरे लण्ड ने एक धक्का और मार दिया। चुदाई फिर शुरू हो गई थी और अब वो एक बार फिर कभी जोर से मेरे लण्ड को भींच लेती तो कभी उनकी चूत बारी-बारी से कभी सिर्फ सुपाड़े को तो कभी पूरे लण्ड को दबोच ले रही थी। मेरी भी हालत खराब हो रही थी। मैंने पूरी ताकत से चुदाई शुरू कर दी।

थोड़ी देर में भाभी फिर कगार पे पहुँच गई और मैं भी। बस मैंने उनकी कमर को थोड़ा और उठाया और एक जोर का धक्का जोर से मारा। बुर उसी तरह से भिंची हुई थी। रगड़ता, घिसटता दरेरता सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से टकराया और मैं काम्पने लगा साथ ही भाभी भी। हम दोनों साथ-साथ झड़ रहे थे।

मेरे लण्ड ने कम से कम दो अंजुरी भर गाढ़ी थक्केदार मलायी सीधे शीला भाभी के बच्चेदानी में ही उंडेल दी। और खुश होकर जैसे उनकी बुर बार-बार मेरे लण्ड को सिकोड़ रही थी। उनकी कमर इस तरह उठी थी कि एक बूँद भी वीर्य बाहर निकलने का सवाल ही नहीं था। बड़ी देर तक मैं उन्हें ऐसे ही उठाये रहा और फिर हम दोनों पलंग पे निढाल लेट गए, तब भी मेरा एक हाथ उनकी चूची और दूसरा उनके बुर पे था जिसे मैं दबोचे हुए था। मैंने उन्हें पीछे से बाहों में बाँध रखा था।

कुछ देर बार शीला भाभी ने ही बात शुरू की, वो बातें सच में जिसके बारे में मेरा ज्ञान शून्य था। जबरदस्त चुदाई के बाद मैं उन्हें पीछे से पकड़कर लेटा था मेरा एक हाथ उनकी गद्दर चूची पे था और दूसरा, उनके भारी चूतड़ सहला रहा था। बीच-बीच में मैं उनके रसीले गाल का रस भी चूस ले रहा था, कभी हल्के से काट लेता।
Shandar update...
Guddi iske samne kisi aur se bhi karwaegi???
 

komaalrani

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Shandar update...
Guddi iske samne kisi aur se bhi karwaegi???
nahin,

Phagun ke din chaar ek Erotic thriller hai aur Shilla Bhabhi ke character vaale parts yahan hai .

Guddi ek teenager hai jiska romance Anand babu ke saath hai kaafi dino se lekin kuch ho nahi paa raha tha is story ke pahle,... story vahin se shuru hoti hai aur Guddi aur Ananad babu ke shaadi pakki hone tak aur post script men shadi ke baad ka

Guddi tin bahonon men sbase badi hai aur apni chahceri mauseri mameri bahanon men sabse pahale uski shaadi,...

To guddi ke erotic scene ya balki kahun love scenes sirf uske lover aur hone vaale Hero ke saath hain Ananad ke sath .

Han kuch lez scene Ranji ke sath hain jo uski age ki hai, pakki saheli hai aur ananad baabu ke naate uski nanad bhi to uske saath thode bahoot scene hain .

par anand babau ka scene Chanda Bhabhi ke sath, Shila aur Ranji ke saath bhi hai par vo sb Guddi ki knowledge men balki uske uksaane aur green signal dene ke baad .

i can't understand and unable to depict sex in every scene and with every possible person, and it requires a lot of seduction, background and even casual sex has some background like Shila Bhabhi's problem of not being able to conceive as her hubby has different priorities,
 

malikarman

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nahin,

Phagun ke din chaar ek Erotic thriller hai aur Shilla Bhabhi ke character vaale parts yahan hai .

Guddi ek teenager hai jiska romance Anand babu ke saath hai kaafi dino se lekin kuch ho nahi paa raha tha is story ke pahle,... story vahin se shuru hoti hai aur Guddi aur Ananad babu ke shaadi pakki hone tak aur post script men shadi ke baad ka

Guddi tin bahonon men sbase badi hai aur apni chahceri mauseri mameri bahanon men sabse pahale uski shaadi,...

To guddi ke erotic scene ya balki kahun love scenes sirf uske lover aur hone vaale Hero ke saath hain Ananad ke sath .

Han kuch lez scene Ranji ke sath hain jo uski age ki hai, pakki saheli hai aur ananad baabu ke naate uski nanad bhi to uske saath thode bahoot scene hain .

par anand babau ka scene Chanda Bhabhi ke sath, Shila aur Ranji ke saath bhi hai par vo sb Guddi ki knowledge men balki uske uksaane aur green signal dene ke baad .

i can't understand and unable to depict sex in every scene and with every possible person, and it requires a lot of seduction, background and even casual sex has some background like Shila Bhabhi's problem of not being able to conceive as her hubby has different priorities,
Lovely ideas
 

komaalrani

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