भाभी और भाभी का भाई - शीला भाभी का फ्लैश बैक
जब भैया नहीं होते तो मैं और भाभी साथ सोते थे और भाभी अपनी और भैया की कबड्डी का हाल खुलकर बताती थी। आज वो दोनों भी साथ आ गए। मुन्ना भाभी का सगा भाई मेरी साइड में लेटा और लवली, उनका कजिन भाभी की ओर।
“फिर कुछ हुआ?” मैंने मैंने जोर से धक्का मारते हुए शीला भाभी से पूछा।
“अरे लाला, ये पूछो क्या नहीं हुआ?” नीचे से जोर से चूतड़ उठाके धक्के का जवाब धक्के से देती हुई वो बोली।
फिर उन्होंने बात आगे बढ़ायी- “भाभी का सगा भाई, मुन्ना थोड़े ही देर में वो मेरे ऊपर चढ़ायी करने की कोशिश करने लगा। मन तो मेरा भी कर रहा था, लेकिन मैं ना-नुकुर कर रही थी। लेकिन फिर जैसे जब जीजा ने चढ़ाई की थी, तो भाभी ने जीजू का साथ दिया बिलकुल उसी तरह अब वो फिर मैदान में आ गईं, और उन्होंने मेरे दोनों हाथ जोर से पकड़ लिए। अबकी भाभी का कजिन लवली भी उनके साथ था, वो तीन मैं अकेली…”
लवली ने मुन्ना से बोला- “चल यार तू नीचे का मोर्चा सम्हाल, मैं ऊपर का मजा लेता हूँ…” और दोनों जोबन जोर-जोर से मसलने लगा। मस्ती से मेरी हालत और खराब हो गई।
भाभी ने मेरे कान में चिढ़ाया- “अरे यार तेरे भैया को मैं रोज देती हूँ, आज होली का दिन है तू मेरे भाइयों को दे दे ना…”
“फिर?” मैंने पूछा।
“फिर क्या?” शीला भाभी ने बात आगे बढ़ायी- मुन्ना ने मेरी दोनों टांगें उठाकर हचक के एक धक्का दिया और सुपाड़ा अंदर, बहुत परपराया लेकिन मैं चीख भी नहीं पायी…”
“क्यों?” मैं अपनी उत्सुकता रोक नहीं पाया।
“इसलिए की लवली, भाभी के कजिन ने मेरे मुँह में अपना लण्ड ठेल दिया। जैसे ही मैं चीखी, भाभी ने जोर से मेरा चेहरा पकड़ लिया और मौके का फायदा उठाकर मेरे खुले मुँह में लवली ने लण्ड घुसेड़ दिया…”
भाभी ने और अपने भाई को चढ़ाया- “मुन्ना अब आराम-आराम से ले इसकी। एक बार तेरा सुपाड़ा घुस गया है अंदर, अब ये छिनार लाख चूतड़ पटके बिना चुदवाये बच नहीं सकती…”
और भाभी की बात एकदम सही थी। मैं गों। गों। करती रही, लेकिन लवली ने आधे से ज्यादा लण्ड मेरे मुँह में पेल रखा था, और मैं बोल नहीं पा रही थी। और कमर भी मैं लाख हिला रही थी, चूतड़ पटक रही थी, लेकिन जैसे कोई बोतल में कार्क अटक जाय, भाभी के भाई, मुन्ना का लण्ड मेरी चूत में धंसा था और उसके निकलने का कोई सवाल नहीं था।
ऊपर से भाभी और मजे ही ले रही थी, और मुझे चिढ़ा रही थी- “अरे बिन्नो, होली की रात में एक साथ दो-दो औजार बड़ी किश्मत वाली को मिलते हैं। और मेरे अलावा यहाँ है कौन, ले ले खुलकर मजे। वैसे भी अब तो ये दोनों तेरे ऐसे मस्त माल को बिना चोदे तो छोड़ेंगे नहीं। तो चाहे जबरदस्ती चुदवाओ चाहे खुशी-खुशी…”
मैंने भी सोचा भाभी ठीक कह रही है, और फिर मैं भी खुलकर मजे लेने लगी।
“फिर?” आदत के मुताबिक मैंने पूछ लिया।
शीला भाभी ने जोर से मुझे बाँहों में भींच के कहा- “फिर क्या? फिर हचक के चुदी मैं। तेरी रंजी की तरह थोड़े ही, की खुद चुदवासी, छनछनाती फिर रही है और तुम भी लार टपकाते रहते हो, ये नहीं की पटक के पेल दो साल्ली को। उससे मैं एक साल से ज्यादा छोटी थी और एक साथ दो-दो लण्ड, एक बुर में, एक मुँह में…”
थोड़ी देर में जब भाभी को लग गया की अब मैं कोई छिनालपना नहीं करूंगी और मजे ले लेकर चुदवा रही हूँ, तो उन्होंने अपने कजिन लवली को इशारा किया और उसने मेरे मुँह से लण्ड बाहर निकाल लिया। और उसके बाद तो मुन्ना, भाभी के सगे भाई ने वो रगड़-रगड़कर चोदा। चुदी तो मैं सुबह जीजू के साथ भी थी, लेकिन पहली बार था, इसलिए दर्द बहुत हो रहा था। दूसरे दिन का समय था तो ये भी था की कहीं कोई पड़ोसन दरवाजा ना खटखटाने लगे। अभी तो पूरी रात अपनी थी। साथ में लवली भी, कभी मेरी चूची दबाता तो कभी निपल चूस लेता।
उधर भाभी खूब मुझे चिढ़ा रही थी, अपने भाई को ललकार रही थी। यहाँ तक की जब वो, झड़ने लगा तो भाभी ने कहा-
“खिला दो इसको पूरी मलाई, एक बूँद भी बाहर नहीं आनी चाहिए। घबड़ा मत, मेरे पास पिल है कल खिला दूंगी इसको…”
और मुन्ना ने पूरी गाढ़ी मलायी मेरी बुर को खिला दी। थोड़ी देर बाद जब वो मेरे ऊपर से उठा तो मेरी निगाह घड़ी पे पड़ी। आधे घंटे पूरे चुदी थी मैं।
मेरे बिना हुंकारी भरे शीला भाभी ने कहानी आगे बढ़ायी।
असली मजा तो उसके बाद आया। मुन्ना को भूख लग गई थी। मैं डबल भांग वाली गुझिया ले आई और उन दोनों के साथ भाभी को भी खिलाया। फिर थोड़ी देर में ही हम चारों टुन्न थे। मैं एक हाथ में लवली और एक हाथ में मुन्ना का हथियार लेकर आगे-पीछे कर रही थी और थोड़ी देर में ही दोनों के एकदम तन्ना गए थे।
भाभी मुझे चिढ़ा रही थी- “चल आज तू मेरे भाइयों से मजा ले ले, फिर तुझे अपने सैंया से, तेरे भैया से भी से भी मजा दिलवाऊँगी…”
मैं क्यों पीछे रहती। मैंने भाभी को चिढ़ाया- “अरे भाभी मेरे भैया जब आयेंगे तब देखा जाएगा, अभी तो आपका भाई यहाँ है। उसका हथियार भी खड़ा है और आपकी बात मान के मैंने उसके साथ कर भी लिया तो अब आपका नंबर है। मेरे बहुत पीछे पड़ने पे वो मान गईं फिर मुन्ना उनके साथ…”
“मतलब?” मैं चौंक गया- “मुन्ना, मतलब उनका सगा भाई?” मैंने पूछा। मैंने इस फोरम में कितनी कहानियां पढ़ी थी लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ।
“अरे आगे तो सुनो…” शीला भाभी ने बात आगे बढ़ायी।
मुन्ना, मेरी भाभी की दोनों चूचियां पकड़कर जोर-जोर से धक्के मारते बोला- “दीदी कित्ते दिन हो गए…”
भाभी बोली- “झूठे, तीन महीने पहले ही तो मैं मायके आई थी, सात दिन के लिए और एक दिन जो तूने नागा किया हो…”
मुन्ना, वो भाभी का सगा भाई जोर-जोर से धक्के मारते बोला- “अरे दीदी तीन महीने बहुत होते हैं…”
तब मेरी समझ में आया की भाभी का उससे काफी दिनों से चक्कर था। और प्लान बनाके उन्होंने उसे मेरे ऊपर इसलिए चढ़ा दिया था की, एक तो उनका भाई मेरे ऊपर जोर से दीवाना था, और दूसरे भाभी समझ रही थी की एक बार मैं उनके भाई से चुद गई तो वो भी मेरे सामने ही उसके साथ मजे ले सकती हैं।
लेकिन अचानक शीला भाभी को फिर मेरी और रंजी की याद आ गई और वो मेरे पीछे पड़ गईं- “अब सोच ले तू सबक सीख ले। मेरी भाभी के सगे भाई ने, भाभी को। और रंजी तो तेरी कौन सी सगी बहन है। ममेरी बहन है तेरी और फिर भी इतने दिनों से तू, अरे वो तो मैंने और गुड्डी ने तुम दोनों को इतना चढ़ाया समझाया, तो तुम दोनों थोड़ा बहुत…”
मैंने बात टालने में ही भलाई समझी और शीला भाभी से पूछ लिया- “और भाभी वो लवली, आपके भाभी का कजिन…”
हँसकर वो बोली- “तूने मेरी भाभी को समझा क्या है? उन्होंने उसे उकसा के मेरे ऊपर चढ़ा दिया। फिर मुन्ना, भाभी को चोद रहा था और उनके बगल में लवली मुझे चोद रहा था। दोनों साथ धक्के लगाते, जैसे कोई बद के कुश्ती लड़े। और झड़े भी दोनों साथ। लेकिन उसके बाद भी मेरी बचत नहीं थी। भाभी ने एक बार फिर मुन्ना को और फिर लवली को मेरे ऊपर, चार बार चुदी मैं उस रात, दो बार लवली के साथ और दो बार मुन्ना के साथ…”
“और अपने जीजू को जोड़ लें तो पांच बार…” मैंने बोला।
“एकदम…” हँसकर शीला भाभी ने माना।
लेकिन शीला भाभी से बचना आसान नहीं था, वो क्या मेरी सारी ससुरालवालियाँ , गुड्डी की मम्मी हों या शीला भाभी सब एक बात समझाती थीं, गुड्डी की ननदों और सास के बारे में
बस शीला भाभी वही बात पहले इशारे से फिर डायरेक्ट बोलीं,
" लाला, हमार भौजाई, अपने सगे भाई से हमरे सामने, अपने फुफेरे भाई के सामने चुदवायीं खूब खुल के मजे ले ले के। और उन दोनों के जाने के बाद जब हम ननद भौजाई आंगन में बैठे बतिया रहे थे तो भौजी खुदे वो बात छेड़ीं और बोलीं,... ' बिन्नो, अगर हमार कउनो सगा देवर होत न तोहार समौरिया तोहसे थोड़ छोट बड़ा, तो अपने हाथ से पकड़ के ओकर खूंटा तोहरे बिलिया में सटाइत, अपने सामने एही आंगन में,... "
शीला भाभी ने छेड़ते हुए बोला, " अरे भौजी कुल भाई मुन्ना अस नहीं होते न कुल बहिन आप अस बहादुर "
भौजी शीला भाभी के रात भर मसले गए जोबन को फ्राक के अंदर हाथ डाल के रगड़ते बोलीं, " बिन्नो, कउनो स्साला भाई अस नहीं होत की बहिनिया की चूँचिया उठान देख के खड़ा न होय, ... और हमार देवर तो हमार देवर, तनिको नखड़ा करत न तो जांघिया खोल के यही अंगना में फेंक देइत और चूस चूस के,... फिर पूछती की बोल स्साले मेरी ननद चोदना है या गाँड़ मरवाना है,... अरे हम और मुन्ना तो कोई मौका नहीं छोड़ते थे जब तोहरी उमर की हम थे "
और मैं डर रहा था की शीला भाभी बात किधर ले जाएंगी और वो उधर ही ले गयीं, कस के मुझे अपनी बाँहों में बांध के अपने बड़े बड़े जोबन मेरी छाती में रगड़ते बोली, .. हमरे भौजी का भाई सगी बहिन के नहीं छोड़ा उनके ससुरार में उनकी ननद के सामने,... और तू स्साले,... तेरी तो सगी भी नहीं है कोई, ममेरी है , रंडी का नाम है,... छनछनाती रहती है, अरे गुड्डी की समौरिया, गुड्डी के क्लास में पढ़ती है उसकी पक्की सहेली,... हम तो गुड्डी से बोल दिए हैं जब तक तू ओकर टांग न फैलाइबा उहो गुड्डियों, टांग न फैलाई। "
भाभी को चूम के मैं बोला, " अरे भाभी इतनी बड़ी सजा न सुनाइये "
शीला भाभी ने धक्के के जवाब में धक्के मारते हुए कहा, ... सजा नहीं मजा है, गुड्डी बोली थी हमको तोहरे सगी नहीं लेकिन चचेरी मौसेरी फुफेरी बहुत है, ... और हम तो कम बोले हैं, जब अपने सास के सामने पड़ोगे न तोहरे बहिन महतारी सब पे अपने दामाद को चढ़वाएंगी। "
मेरे आपस इन बातों से बचने का एक ही तरीका था तूफ़ान मेल चलाना।