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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ५८ -

मंजू भाभी, मिश्राइन भाभी और स्ट्रेटजी

9,62, 626


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बस छुटकी की दूसरी शर्त का मैंने फायदा उठाया और उसे समझा दिया की मैच के दौरान या उसके ठीक पहले, वो गीता को,... गीता कबड्डी में आएगी तो उसके सामने छुटकी ही ,... बस शर्त के मुताबिक़ वो छुटकी को मार नहीं सकती और छुटकी के आगे हार मान जाती,... मेरी बड़ी मुश्किल सुलझ गयी।



तबतक मंजू भाभी, रामजनिया और कजरी की भौजी आ गयीं,... और मंजू भाभी ने और रमजनिया ने ननदों की स्ट्रेटजी के बारे में बताना शुरू कर दिए।


मंजू भाभी ने पिछले चार साल से कबड्डी खेली थी और दो साल तो वो वाइस कैप्टेन भी थीं.


रमजनिया खेलती नहीं थी क्योंकि अब तक खाली बबुआने क लड़कियां और औरतें, लेकिन रहती जरूर थी और मुझे उसकी नज़र और अकल दोनों पे भरोसा था. उसी के भरोसे मैंने चंदू का किला जीता था वरना पूरे गाँव की औरतों ने ऐसा चैलेन्ज दिया था की उसका लंगोटा खुलवाना बड़ा मश्किल है और अब ननदो की शलवार स्कर्ट खुलवानी थी, ....


बात मंजू भाभी ने शुरू की और रमजानिया बीच बीच में जोड़ती जा रही थी,...




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सारांश ये था की जब कोई भौजाई जाती थी तो वो घेरा चौड़ा के अर्द्ध चंद्राकार बना लेती थी, और सबसे कमजोर कच्ची उमर की लड़कियां एकदम सेंटर में पाल्हे से सबसे दूर,... बस वो भौजाई को उकसाती और भौजाई को लगता की उसे छू के भागना आसान है , बस वो और अंदर और अंदर जब उसे छू के लौटने लगती तब तक गीता और बाकी सब पीछे से कूद के ,... दो सबसे मोटी पहले ऊपर चढ़ जातीं और फिर वो दुर्गत बस थोड़ी देर में हाथ उठा के वो हार मान लेती

"लेकिन जब उनकी ओर से कोई आता तो ,"

छुटकी ने पूछा वो तो रीजनल रैली में मेडल जीत के आयी थी कबड्डी का,स्टेट में अंडर १५ में सेलेक्शन बस होते होते रह गया।कुछ दिन पहले की ही तो बात है।



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और अबकी जवाब रमजनिया ने दिया,...

' अरे वो छिनार सब बहुत चतुर चालाक , ख़ास तौर से गितवा और नैना,... वो सब जानती थीं की भौजाई सब तो दिन भर चूल्हा फूंक फूंक के और रात भर मर्दो के साथ रतजगा कर के, चार चार बच्चे जन के दूध पिया के, ताकत तो होगी नहीं ज्यादा, और ननदें सब चढ़ती जवानी,... तो बस आतीं तो वहीँ लाइन पार कर के खाली इधर उधर, इधर उधर,... पहले चार पांच बार तो बस छकाती,.. सांस भी उन सबो की ज्यादा,... बस भौजाई सब थोड़ी देर में थकने लगती और वो सब इस लिए नहीं आतीं थी की मारेंगी बस थकाने,... और जब थकी भौजाई उधर जाती तो दबोच लेतीं। भौजाई लोग शुरू में ही अपनी सब तगड़ी तगड़ी तो उसमें से आधा तो,... बस उसके बाद जो लड़की आती वो जानती थी की अब ये सब थकी हैं तगड़ी सब ख़तम है तो बस मार के चली जाती।



तब तक कजरी की भौजी भी आ गयी थी,गुलबिया, हमरे नाउन की बहुरिया



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वो पिछले साल ही होली के पहले गौने से आयी थी और पिछले साल की कबड्डी में दर्शक के तौर पे थी उसने भी रामजनिया की बात की ताकीद की और ये जोड़ा की हमने ये देखा की उ गितवा, दो तीन भौजाई तो छुड़ा के करीब पाल्हा तक लेकिन गितवा अकेले और पता नहीं क्या बोली की वो हाथ पैर ढीला छोड़ दीं और फिर बाकी सब लड़कियां पकड़ के छाप लीं।

अब मेरी आँख खुली, गितवा की ट्रिक

जो थोड़ी जवान भौजाई थीं गितवा क भाई अरविंदवा सब पे चढ़ाई किया होगा, और किसके जांघ पे तिल है, किसके दायीं चूची पे किसकी गाँड़ कहाँ कहाँ मारा है सब गितवा को बताया होगा और वही बात गितवा उनके कान में की भौजी जोर से बोल देईन कब ट्यूबुलवा पे हमरे भैया से चोदवाई हो, मालूम भले सबको हो, लेकिन वहां सास भी उसकी रहतीं और बाकी औरतें, बस, और कम से कम मिनट भर के ध्यान तो हट ही जाता है और कबड्डी में इतना टाइम बहुत है हार जीत का अंतर् करने में।



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और अपनी स्ट्रेटजी बनाने में इसका मुझे ध्यान रखना होगा वैसे भी अब टीम में तीन चार ही पुराने लोग रह गए थे।

तब तक बाकी लोग भी आगए, चमेलिया, अरे वही कुसुमा, कल्लू क मेहरारू मेरी बाकी जेठानियाँ और एक बार फिर मज़ाक चालू लेकिन मंजू भाभी ने फिर से स्ट्रेटजी की बात शुरू की ,..

हाँ ये फायदा हो गया था की इन पुराने लोगों से मुझे ननदों की टीम में कौन ११ होने वाले हैं सबका अंदाजा मिल गया।

लेकिन थोड़ी देर में बाकी लोग भी आ गए और टीम पूरी हो गयी.

पुरानी टीम में से मंजू भाभी के अलावा सिर्फ मिश्राइन भौजी और दूबे भाभी थीं,



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और वो भी इसलिए की जब मैं रमजानिया, नाउन क बहू कजरी का भौजी और चमेलिया को जोड़ने की बात कर रही थी उन्ही दोनों ने मेरा सपोर्ट किया और ये भी कहा की बहुत हो गया अबकी कुछ भी हो ननदों को हराना ही होगा, और उसके बाद रगड़ रगड़ के वो नंगा नाच करवाया जाएगा की, मंजू भाभी ने बताया की दोनों लोग पिछले साल भी लेकिन जब टीम का कप्तान ही हारने पे तुला हो तब भी मंजू भाभी के साथ ये दोनों लोग मुकाबला कर रही थीं.
 
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स्ट्रेटजी- ननदों की, नैना की


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लेकिन थोड़ी देर में बाकी लोग भी आ गए और टीम पूरी हो गयी. पुरानी टीम में से मंजू भाभी के अलावा सिर्फ मिश्राइन भौजी और दूबे भाभी थीं, और वो भी इसलिए की जब मैं रमजानिया, नाउन क बहू कजरी का भौजी और चमेलिया को जोड़ने की बात कर रही थी उन्ही दोनों ने मेरा सपोर्ट किया

और ये भी कहा की बहुत हो गया अबकी कुछ भी हो ननदों को हराना ही होगा, और उसके बाद रगड़ रगड़ के वो नंगा नाच करवाया जाएगा की, मंजू भाभी ने बताया की दोनों लोग पिछले साल भी थीं लेकिन जब टीम का कप्तान ही हारने पे तुला हो,... तब भी मंजू भाभी के साथ ये दोनों लोग मुकाबला कर रही थीं.


और आज उन दोनों लोगो ने बहुत काम की बाते बतायीं जैसे हमें सामने वाले टीम के ११ नहीं बल्कि १५ लोगों के बारे में सोचना चाहिए, ...

अबकी नैना है तो वो अपनी पसंद और दो चार नई नई कम से कम टीम में जोड़ेगी वो तो पिछले साल वाली टीम के साथ साथ, और नाम दूबे भाभी ने चटपट गिनवा दिए पांच -छह लड़कियों के, और चमेलिया और रमजनिया उन दोनों ने अपनी बात जोड़ी की उनमे से कौन चार होंगी। सब की सब कच्ची कली, टिकोरे बस आना शुरू ही हुए थे। नैना समझती थी की उनके गेम के बारे में हमें पता नहीं होगा, अभी छोरिया हैं तो भागने में कन्नी काटने में बहुत फुर्ती होगी,... इसलिए सरप्राइज पैकेज के तौर पे तीन चार नयी खिलाड़ियों को अपनी टीम में शामिल करेगी,... जैसे हम लोग प्लानिंग कर रहे हैं वो भी अपनी स्ट्रेटजी गितवा के साथ मिल के बना रही होगी।



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बस अब पंद्रह नाम हमारे पास थे सामने की टीम के, नैना ननदिया की कप्तानी में ननदों की टीम के जिन्हे न सिर्फ आज सालों बाद हम भौजाइयों को हराना था बल्कि उन ननदों को नंगा नचाना था और अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों चौड़ा करना था। रोज इन ननदों के भैया भौजाइयों की लेते थे, आज हमारी बारी थी इन ननदों की लेने की।



और हमारी टीम की जीत दिलाने में हमारे चार सरप्राइज खिलाडी भी इम्पोर्टेन्ट होने वाले थे,... तीन जिन का नाम मैंने सजेस्ट किया था, कलुआ की मेहरारू चमेलिया, कहारिन,
उसका मर्द घर के कुंवे पे पानी भरता था , जो गाँव में अकेली मेरी देवरानी थी, उम्र में भी मुझसे छोटी,



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नाउन की बहू और कजरी की भौजाई गुलबिया उम्र में मेरी समौरिया ही होगी, पिछले साल डेढ़ साल पहले गवना आया था, मरद पंजाब कमाने गया था,...


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और रमजनिया मुझसे उमर में चार पांच साल बड़ी होगी, लेकिन पटती बहुत थी मुझसे और गाँव में सबके घर का भेद अगर किसी को मालूम था तो रमजनिया को और उसी की बदौलत चंदू का किला मेरा मतलब है लंगोट भेद पायी थी और जो बीड़ा मैंने सब जेठानियों को कहने पर उठाया था , चंदू का ब्रम्हचर्य खतम करने वाला,...


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लेकिन उन तीनों से बीस निकली चौथी, जिसका नाम मंजू भाभी ने जुड़वाया था, चननिया,

अहिराने की, देखा तो मैंने पहले था कई बार लेकिन इन तीनों की तरह मेरी भेंट मुलाकात नहीं थी. उमर में रमजनिया क समौरी, लेकिन देह से बहुत तगड़ी खूब कर्री,... और दांव पेंच में भी कई बार रतजगे में देखा था, अहिराने , और भरौटी की दो चार बियाहता ननदें भी मिल के , बाएं हाथ से उनको निपटाती थी और दाएं हाथ से उन सबके पेटीकोट का नाड़ा खींचती थी बल्कि तोड़ देती थी और सारी रात क्या कोई मरद चोदेगा,... मैं तो नयी बहुरिया थी , एक दो बार सास के साथ रतजगे में गयी थी तो देखा था और आज भी मैच के पहले जो जो बातें उसने बोली



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अब जिन मेरी जेठानियों को लगता था की मेरा अति उत्साहहै, मैं नयी हूँ अभी कितना दिन हुआ है आये,... मैं लाख कोशिश करूँ जीतेगी तो नैना ननदिया ही , वो भी मान गयीं की पासा आज पलटेगा।



चननिया ने एक से एक ट्रिक बताई , खासतौर से मेरी दो जेठानियों को जो मुझसे दो चार साल ही बड़ी थी और उन्हें और वो लोग ध्यान से सुन रही थीं।

मैं भी साथ ही ये सोच रही थी की अब ननदों की ट्रिक तो पता चल गयी थी उनकी टीम का भी अंदाज लग गया था तो मार्किंग भी कर लेनी चाहिए,... उनकी टीम की सबसे तगड़ी दो खिलाड़ी थीं, नैना और गीता दोनों छरहरी, गन्ने और अरहर के स्कूल की चैम्पियन, खूब तगड़ी, सारे दांवपेंच और देह के साथ दिमाग भी उसी तरह से तेज,... और अब नैना बियहता हो गयी थी तो गितवा ही ननदों की , न खाली बबुआने की बल्कि चमरौटी, भरौटी, अहिरौटी, सब की, तो इन दोनों के लिए,...सिर्फ मैं ही नहीं सब भौजाइयां सोच रही थीं अगर ये दोनों किसी तरह से पार लग जाएँ तभी,...

और जो एक दम कोरी चार ननदें थीं, छुटकी की उमर वाली कच्ची अमिया,... कच्चे टिकोरे देख के खाली लौंडो का पैंट नहीं टाइट होता हम भौजाइयों के मुंह में भी पानी आता है, इनके साथ चुसम -चुसव्वल खेलने में, बस आ रही कच्ची अमिया पे ठोर लगाने में कितना मजा आएगा,...


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उनके लिए टीम की दो सबसे सीनियर मेंबर्स को लगाया, और ये सुन के वो दोनों लोग एकदम खुस आखिर कच्ची अमिया किसे नहीं अच्छी लगती कुतरने के लिए , भोग लगाने के लिए,... लेकिन उनका काम था जब वो सब आएँगी तो बस उन्हें ललचाना अपने को छूने की लिए , और उनकी टीम हमारी टीम के इन्ही दोनों को सबसे कमजोर मानती इसलिए उन कच्ची कलियों को शुरू में ही भेजेगी, हाँ लेकिन असली खेल करतीं चमेलिया और गुलबिया, कजरी क भौजी वो दोनों पीछे से गपुच लेतीं ,

और चननिया ने याद दिलाया असली खेल है कपडे फाड़ने का उतारना नहीं, फाड़ देना , एक बटन खोले , दूसरी फाड़ेगी और तीसरी चीथड़े चिथड़े कर के सामने वाली टीम की ओर जिससे कमजोर दिल वाली ननदें जब आएं तो पकडे जाते ही हार मान ले,

और झाड़ना भी है , हँसते हुए मैंने याद दिलाया।



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एक बार कोई खिलाड़ी झड़ गयी या उसने हार मान लिया तो बस वो दुबारा जिन्दा नहीं हो सकती , लेकिन उसके लिए चार मिनट का समय ही था,... अगर चार मिनट में उसने हार नहीं मानी या नहीं झड़ी तो वो खेल से बाहर हो जायेगी लेकिन दूसरी टीम का कोई खिलाड़ी जब मरेगा या खेल से बाहर होगा तो उसके बदले में विपक्षी टीम अपनी टीम के किसी भी खिलाड़ी को जो खेल से बाहर होंगे उन्हें जिन्दा कर सकता है या खेल में वापस ला सकता है लेकिन अगर वो झड़ गयी है या उसने हार मान लिया है तो वो खेल से हमेशा के लिए बाहर ,

अबकी दोनों पुरानी टीम मेंबर एक साथ बोलीं पक्का झाड़ दूंगी वो कच्ची कलियाँ है

लेकिन मुझे उन दोनों से ज्यादा गुलबिया और कल्लो की मेहरारू मेरी देवरानी चमेलिया पे भरोसा था कितनी बार पांच मिनट में वो मुझे चूस चूस के झाड़ चुकी है।ऊँगली से ज्यादा जीभ चमेलिया की, और पूरी देह, सबसे बड़ी बात गुलबिया और चमेलिया दोनों की पकड़, वो सँड़सी जिससे बड़ा बड़ा बटुला भी उतर जाता है, उससे भी तगड़ी थी और इन कच्ची अमियों की ककड़ी सी कलाइयां जब इन दोनों की पकड़ में आ जाएंगी तो बिना झड़े,... दो मिनट में पानी फेंक देंगी स्साली सब,...
 
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जीत के बाद- ननद पर चढ़ेंगे देवर


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लेकिन मैं मान गयी,... जो मेरी दो जेठानियाँ मुझसे थोड़ी ही बड़ी, एकदम अर्जुन की तरह चिड़िया की आँख देखती थीं सीधे मुद्दे पर आ गयीं,

" अरे असली बात है स्साली छिनरों को झाड़ने की, जो चुदी चुदाई हैं अपने भाइयों से चुदवा के उनको झाड़ने में थोड़ा टाइम लग सकता है लेकिन जो एकदम कच्ची कलियाँ है ,... "

और रमजानिया और कजरी की भौजी, नउनिया बहू ने तुरंत फिर से कन्फर्म किया चार, नाम एक एक का बता के, अभी भी अनचुदी हैं, हाँ लेने लायक पूरी हैं , झांटे भी आ गयी हैं और हर महीने बिना नागा खून खच्चर भी होता है , और बाकी चार जो रिजर्व खिलाड़ी हैं उनमे भी दो,...



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और अब दूबे भाभी मैदान में आ गयीं, और उन्होंने मेरी जेठानियों को बात की ताकीद की, इसी होली में उन सब ननदों की चड्ढी उन्होंने फाड़ी थीं,... अब बिना बुर रंगे ननद भौजाई की होली तो पूरी नहीं होती, ... बोलीं अब आएगा मज़ा ननद सालियों को मजा, होली में तो चड्ढी फाड़ के लाल गुलाबी रंग उन सब की चुनमुनिया में लगा था अबकी सफ़ेद रंग वो भी अंदर तक, ...

मंजू भाभी उनकी पक्की सहेली, हमारी कप्तान, हँसते हुए बोलीं अरे ननदें तो नंगी पुंगी ही अच्छी लगती हैं,...



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मैं क्यों चुप रहती मैंने भी अपनी मन की बात कह दी, उनके भैया का पहला मुद्दा होता है हम सब के कपडे उतरवाने का तो आज हम लोगों का मौका है, हम लोग जीतेंगी भी, ननदों को नंगा नचाएंगी भी,...

तो पहला प्लान यही बना की हर ननद पे डबल नहीं बल्कि ट्रिपल अटैक होगा, एक भौजाई चूँची रगडेगी,... दूसरी ऊँगली करेगी और तीसरी चूस चूस के थेथर करेगी तभी चार मिनट में झाड़ पाएंगे हम लोग,...



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और यह सोच सोच के सब भौजाइयां एकदम खुस आज आएगा मजा, जो स्साली रतजगे में छिटक के भाग जाती थीं उन्हें खुले मैदान में सबके सामने रगड़ने का मजा, दिखा दिखा के ऊँगली करने का मज़ा,... नैना और गितवा तो पकड़ में ही नहीं आती थीं और ये सब कच्चे टिकोरे भी,... आज कुछ भी हो हम सब जीत के दिखा देंगे,...

लेकिन मैंने वीटो लगा दिया नहीं,...

वो चार,जो बारी कुँवारी है, जिनकी अभी तक नहीं फटी है, चुनमुनिया कोरी है,... एक बार भी लंड का स्वाद नहीं लिया उनको चूस के ही झाड़ा जाएगा, ऊँगली नहीं होगी."



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अब सब सन्न, होली में भी ननदों के ऊँगली नहीं होगी तो कब होगी, ...

फिर दूबे भाभी बोलीं, मिश्राइन भाभी के बाद उमर में सबसे बड़ी, शायद यह सोच के की मैं नहीं चाहती की जिन बेचारियों ने अपना कुंवारापन बचा के रखा है, साजन के पास ले जाने के लिए उन्हें हम क्यों फाड़ के,... और शायद एक अच्छी सलहज की तरह मैं अपने होने वाले नन्दोईयों का भला सोच रही होऊं, इसलिए ऊँगली से फाड़ने को मना कर रही हूँ,... मुझे प्यार से समझाती,

" अरे नयको, तुम नयी आयी हो न साल भर का छह महीना नहीं हुआ, तोहें यह गाँव क रिवाज और ननदों का चाल चलन नहीं मालूम, आज तक कोई ननद इस गाँव की बिना फड़वाये गौने नहीं गयी, और आधी तो आठ महीने बाद लौटती हैं तो कोरा में एक, ... और हम सब सकल मिलाते हैं की बच्चे की सकल उसके किस सगे, चचेरे भाई से मिलती है,... तो तोहरे बचाये से ये कउनो ननद बचेंगी नहीं, अगली होली तक ये कच्ची अमिया वाली दस पांच लौंडे चढ़वा चुकी होंगी अपने ऊपर। "



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मैंने दूबे भाभी से बड़े आदर से कहा,

" आप जो कह रही हैं एकदम सोलह आना सच है, लेकिन बस एक बात अगली होली तक काहें, ....ये सब बेचारी हमारी प्यारी दुलारी ननद हैं रोज हमको चिढ़ाती है रात का हाल चाल पूछती हैं,... अरे रंग पंचमी में तो अभी दो दिन बाकी है न , बस सी रंगपंचमी के ख़तम होने के पहले ही कउनो ननद नहीं बचेगी, बिना फड़वाये, हमरे जेठानी का हुकुम,... और जंगल में मोरा नाचा किसने देखा तो कब रात में अमराई में,... दिन में गन्ने के खेत में कौन चाप दिया पता भी नहीं चलेगा न,... तो आपकी आँख के सामने, अरे हम गुलबिया चमेलिया हाथ गोड़ पकड़ के अपनी जेठानी लोगन के सामने, जउनो कउनो स्साली मना न करे की हमने नहीं फड़वाई है,.... लेकिन बस आज कबड्डी में ऊँगली से फाड़ने के लिए,... "



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लेकिन जो मैंने प्लान बताया फिर तो सब हो हो कर के,... और मंजू भाभी ने मेरी ओर तारीफ़ की नजरों से देखा,...क्या देवरानी है

मैं बोली,

" अरे रंग पंचमी आज ख़तम थोड़े हो रही है असली हंगामा तो कल होगा जब देवर लोग भी होंगे,...हाँ आज हम सब जीते रहेंगे तो कल भी, ननदों को भौजाइयों का हर हुकुम मानना पडेगा,,... आज तो रगड़ाई होगी ही स्सालियों की कल भी,... ( उस दिन सास और सब लोग नहीं होते थे, देवर भौजाई और ननद ) तो बस उन छिनरों पे उनके भाइयों को चढ़ाएंगे , ... एक तीर से दो शिकार, बहिनचोद देवरों से उनकी बहिन अपने सामने चुदवायेंगे, स्साले सब बहिनो की चूँची आते ही ताड़ना शुरू कर देते हैं, सोच सोच के मुट्ठ मारते होंगे तो खुल के हम लोगों के सामने ही, अपनी बहिनिया की ,... और वो कच्ची कुंवारी अपना कुंवारापन अपने भाई के हाथ भौजाइयों के सामने ही न्यौछावर करेंगी, कहीं कोने अंतरे, बँसवाड़ी में झाड़ी झंख़ाडी में नहीं,...

जब तक भौजाई देवर से ननद की न फड़वाये तब तक कौन होली, स्साली एक बार हम सबके सामने अपने अपने भाइयों से चुदवा लेंगी, मोबाइल में फोटो वीडियो सब तो साल भार निगाह नीची कर के,... उस के बाद हम सब के भाइयों के आगे खुद शलवार का नाड़ा खोलेंगी , "



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सबसे ज्यादा दूबे भाभी खुश मुझे अँकवार में भरती बोलीं,

"मान गए नयको तोहार सास देख सुन के अइसन बहुरिया लायी हैं जो आज तक नहीं आयी। आज ननदों क हार पक्की। "


" एकदम लेकिन वो स्साले देवर अपनी बहिनिया चोदने के लिए,..... "किसी ने वाजिब सवाल खड़ा किया

लेकिन जवाब कल्लू बो, चमेलिया के पास पहले से तैयार था,गाँव में मेरी अकेली देवरानी, उसकी भी पहली होली थी, ...

" काहें नहीं , अरे ससुरों को पहिले भांग पिला पिला के धुत्त कर देंगे , ... फिर आँख पे उनकी बहनों की ही फटी शलवार बांध देंगे,... उसके बाद जब चुदाई होने लगेगी, झड़ने का टाइम आएगा तब पट्टी खुलेगी,...तब पता चलेगा की जिसको चोद रहे हैं वो न भौजाई है न नयकीभौजाई क छुटकी बहिनिया, बल्कि उनकी अपनी सगी बहिनिया, जिसके टिकोरे देख देख के वो मुट्ठ मारते थे,... फिर झड़ते समय कौन मरद लंड निकालता है ,... "



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चमेलिया की बात सुन के एक बार खूब हो हो हुआ और मंजू भाभी ने छुटकी मेरी छोटी बहिनिया को प्यार दुलार से देखते हुए चिपका लिया, आज की कब्बडी में छुटकी का बड़ा रोल था न सिर्फ गितवा को चित्त करने के लिए बल्कि गाँव में किसी को नहीं मालूम था,..

. की वो कबड्डी की रीजनल चैम्पियन टीम में है, और स्टेट लेवल पे अंडर १५ में बस इसलिए होते होते रहगया था की फेडरेशन के जो बॉस थे, ... जिस लड़की को उन्होंने लिया,... 'उसकी असल में भी लिया', और उसकी माँ उनकी पुरानी रखैल थी, और जब एक दो सेलेक्टर्स, और टीम की कप्तान ने बोला भी तो समझा दिया की अरे जिसको सेलेक्ट किया है वो इसी साल ओवरएज हो जाती, तो उसको रिजर्व में रखना,... मत खिलाना, स्टेट का सर्टिफिकेट रहेगा तो नौकरी में कालेज में एडमिशन में हर जगह मदद मिल जायेगी, ... फिर छुटकी का अगले साल,...



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और अब चमेलिया ने देवरों को लुभाने ललचाने में, ...और मेरी बहन है भी ऐसी, जब से हम लोग स्टेशन पर उतरे हैं हमारा गाँव तो छोड़िये, ... आस पास के गाँव जवार में भी उसी की चरचा,... चेहरा तो लगे दूध के दांत नहीं टूटे और जोबन जबरदंग,...




. ..



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"एकदम सही बोल रही है , और सालियों की गाँड़ भी मरवा देंगे उनके भाइयों से ," मेरी एक बड़ी उम्र की जेठानी हँसते हुए बोलीं,...




और मेरा ध्यान देवरों की ओर चला गया, मिश्राइन भौजी के यहाँ से होली खेल के जब हम भौजाइयों की टोली वापस आ रही थी,तीन दिन पहले की ही तो बात है

सब के सब भांग में टुन्न, तीन चार गिलास से कम डबल भांग की डोज वाली ठंडाई न किसी ननद ने पी न भौजाई ने,... रस्ते में एक लड़का दिखा,...



इन्ही दूबे भाभी ने ललकारा मुझे,...

" अरे नयको देखा स्साला बच के ना जाए, अरे पजामा फाड़ के देख, इस नयी उमर की नयी फसल का अभी खड़ा वड़ा होता भी है नहीं, मशीन से पानी निकलता है की नहीं,... "



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बस फिर क्या था, हम भौजाइयों ने उसे छाप लिया,... दो चार ने दौड़ाया, वो गन्ने के खेत की ओर भागा और वहां मैं पहले से खड़ी थी,... आँचल से कालिख और रंग निकाल के हाथ में लगा के तैयार और उसे दबोच लिया,...


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दोनों हाथों ने पहले तो चेहरे की रंगाई पुताई,... फिर और जब उसका हाथ चेहरे पे,... वही तो मैं चाहती थी, जो काम मैं सुबह से ननदों की शलवार से कर रही थी वही देवर के पाजामे से किया, नाड़ा खोला नहीं, तोड़ दिया,... पाजामा सररर नीचे,... स्साले ने अंदर भी जांघिया पहन रखी थी, ... उसके नाड़े की भी वही हालत,... और वो भी सररर कर के,... और पल भर में पाजामे और जांघिया दोनों के दस दस टुकड़े अलग अलग दिशा में गन्ने के खेत में,

और पकड़ के हिलाते मैं बोलीं,

"बाबू बहुत लुका के रखे थे कउनो खास चीज है का, अपनी बहिन के लिए बचा रहे थे की महतारी के लिए,... "



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तब तक रज्जो भाभी ने पहिचान लिया, मुझसे थोड़ी ही बड़ी, मेरी ही पट्टी की, बोलीं, स्साला ये तो सुनितवा क छोट भाई हो,...


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दूबे भाभी खिलखिलाते हुए मुझे देख रही थीं, वहीँ से गुहार लगाई, अरे नयको देख नूनी है की लंड,...

मोहिनी भौजी बोलीं, वो भी मुझसे दो साल पहले ही गौना आई थीं,...

अरे नूनी होगा तब भी छोड़ थोड़ो देंगे,... देवर होली में पकड़ में आया है,... अरे अपनी बहन के भोंसडे में छिपते तो वहां से भी निकाल के ले आती,...



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मैंने एक झटके में खींच के सुपाड़ा खोल दिए, ... बेचारा बहुत घबड़ा रहा था लेकिन मेरी पकड़ में आ गया था चारों ओर से भौजाइयां घेरे खड़ी थी, एक बड़ी उमर की मेरी जेठानी ने उसे चिढ़ाया,...

" अरे तोहार महतारी अभी नूनी खोल के कडुवा तेल लगाती हैं की नहीं,... "

तो दूसरी ने हँसते हुए बोला, " अरे ननदें स्साली तो सब भाई चोद हैं ही सास सब भी बेटाचोद, ... अब कडुवा तेल लगा के अपनी बिल में,... "

सुनितवा के भाई का अब थोड़ा थोड़ा खड़ा होने लगा था, मैं रंग की एक कोट लगा चुकी उसके छोटे छोटे खूंटे पे, जोर से हड़काया मैंने, स्साले हिलना मत अभी नहीं तो यहीं निहुरा के गांड मार लूंगी, चिकने गांड तो मरवाने लायक हो गए हो,... "


मैंने रंग के बाद अपने दोनों हाथ में पक्का पेण्ट लगा लिया, देवर के खूंटे और ननद की चूँची पे जबतक चार पांच कोट रंग न चढ़े रंगपंचमी के दस पंद्रह दिन बाद तक निशान न रहे तो कौन भौजी,... लेकिन तब तक वो तो नहीं बोला, लेकिन दूबे भाभी ने सुनीतवा के छोटे भाई की ओर से जवाब दे दिया,...

" अरे नयको तोहार पहली होली, तोहार देवर, पूँछ काहें रही चेक कर के देख लो, गांड़ मरवाता है की नहीं , नहीं तो निहुराय के मार लो, अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों चेक कर लो ,... "



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मैं ऐसी देवरानी नहीं थी जो जेठानी की बात न मानूं, पेण्ट पुते बाएं हाथ की एक ऊँगली कलाई के पूरे जोर से सीधे उसके पिछवाड़े पेल दिया पूरा जोर लगा के और दाएं हाथ से मैंने मुठियाना शुरू किया ,... साथ में पेण्ट की पुताई भी,... नूनी तो अब कतई नहीं थी फनफना रहा था,...

अब वो बेचारा गिड़गिड़ा रहा था भौजी छोड़ दा, हाथ जोड़त हैं।

" अबे स्साले, उखाड़ के थोड़े ले जाउंगी, तोहरे बहिन महतारी के लिए छोड़ दूंगी, चल सुनीता क नाम ले के दस गारी दे,... "

कोई बड़ी उम्र की मेरी जेठानी बोलीं अपनी महतारी का भी नाम ले ले के,...

पांच मिनट , आठ मिनट दस मिनट,... मैं जोर जोर से मुठिया रही थी और सोच रही थी ये स्साले इस गाँव के लौंडे इनकी महतारियाँ कहाँ कहाँ से चोदवा के,... मेरी सास तो खैर दर्जन भर गदहे घोड़े के साथ सोई थीं तो ये पेट में आये,...

और अब वो किनारे पे पहुँच रहा था, पहली बार लग रहा था पानी निकलने वाला था,...

" भौजी छोड़ दा पता नहीं कइसन लग रहा है का हो रहा है, भौजी,... " मैं समझ गयी का हो रहा है , मुठियाने की रफ़्तार बढ़ाते मैं ने और उसे उकसाया,...

" अरे सुनीतवा के बारे में सोच, ओकर छोट छोट चूँची पकड़ के चोद रहे हो, खूब मस्त चुदवाने लायक है वो,... सोचो तो आराम से,... "



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और बस में फलफलकार, कटोरी भर तो नहीं लेकिन मेरी मुट्ठी भर मलाई निकल आयी,... सब मेरे हाथ में,... और रंग के साथ अब वो सफेदा भी मैंने उसके चेहरे पे पोत दिया और छोड़ते हुए बोली,... जायके सुनीता से चटवाना बोलना बहिनिया देख नया स्वाद,...

रज्जो भौजी ने ज्ञान दिया स्साले गांडू रोज सुनीतवा से चुसवाया कर जल्द ही लम्बा भी हो जाएगा और मोटा भी।


और मेरा ध्यान वापस आया किसी के सवाल से


"लेकिन सबके सगे भाई हैं भी की नहीं "

सवाल तो एकदम सही था,... जो कच्ची कुँवारी थी, बिन चुदी अगर आज हम उनकी नहीं फाड़ते इसलिए की कल उनके भाई से सबके सामने फड्वायंगे और कोई देवर ही न पकड़ा में आया जो उनका भाई हो तो,...

अभी मुझे बियाह के आए साल भर नहीं हुया था था इसलिए सब ननदों की कुंडली मेरे पास नहीं थी, पर मेरी साथ की थीं न और रमजानिया. जिसने मुझे चंदू देवर का लंगोटा खुलवाने की तरकीब बतायी, न गाँव का कोई लौंडा बचा था न लौंडिया जिसके पेट की भी बात रमजानिया से छिपी हो. सबकी कमजोरी, किसका किससे चक्कर है, कौन बबुवाने वाली अपने हरवाह से फंसी है तो कौन अहिराने के किस ग्वाले से अपना दूध दुहवाती है, सब,... हालंकि गाती नहीं थी, मेरी उसकी दोस्ती पक्की थी इसलिए मेरी बात और,... तो उसी ने उन चारो कच्ची कलियों का नाम ले ले के बताया उस ने गिना दिया तीन के नाम जिनके सगे भाई थे , दो के बड़े एक का छोटा,...



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और जिसके सगा भाई नहीं है, मेरी एक नयी नयी आयी जेठानी ने पूछा

और अबकी चननिया ने जवाब दिया,

" अरे उस स्साली का एक मुस्टंडा चचेरा भाई है आस पास की कउनो लौंडिया बची नहीं उससे लेकिन उसकी बहन पे कोई ज़रा भी तो कटखने कुत्ते ऐसा दौड़ता है “



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बस सर्वसमत्ति से तय हुआ की उस ननद के ऊपर उसका वही चचेरा भाई, और वो जिम्मेदारी भी चननिया और कजरी की भौजी के जिम्मे,

लेकिन आज तो पहली लड़ाई ननदों को कबड्डी में हराने की बात थी, उनके भाइयों को उनके ऊपर चढ़ाने की बात तो कल के लिए थी, इलसिए पहले कब्बड्डी की, खासतौर से ननदों की कमजोरी के बारे में पहले से सोच के तैयारी कर के जाना जरूरी था, और किस ननद का कैसे मुकाबला किया जाए,.... हाँ सगुन के लिए आज अगर दूबे भाभी या मिश्राइन भाभी चाहेंगी तो उन कच्ची ननदों की भी बिन चुदी चूत में एक एक पोर ऊँगली की बिना झिल्ली फाड़े , और जीतने के बाद खाली जो नैना की कबड्डी की टीम में कोरी हैं उन्ही को उनके भाइयों से थोड़ी फड़वाना है, हारने के बाद तो सारी ननदों की हार होगी,... इसलिए गाँव की जितनी भी कच्ची कोरी ननदें है सब का हिसाब किताब होगा और कल किसके ऊपर किसका कौन भाई चढ़ेगा, ... ये जिम्मेदारी मैच के बाद तय करने की होगी, रमजनिया, चननिया की और फाइनल फैसला दूबे भाभी के हाथ में

लेकिन अभी थोड़ी देर में शुरू होने वाली कबड्डी

अब अगला सवाल था किस ननद की कौन कौन कमजोरी लगती है तो फिर वही चारो चननिया, गुलबिया, चमेलिया और रमजनिया काम आयीं, किसके गुदगुदी लगती है और कहाँ ,... किसकी साँस जल्दी फूलती है,... और मैं रामजनिया को मान गयी वो बोली की उन चारों के अलावा बाकी सब के यार भी हैं बस उनका नाम ले ले के बिचारि बदनामी के डर से

" सिवाय गितवा और नैना और के " मंजू भाभी ने हँसते हुए कहा और फिर खोल के बोला, अरे नैना के इतने यार है किसका किसका नाम कौन गिनायेगा और गितवा तो खाली भाई अरविंदवा से और उसका भी एकदम खुल्ल्म खुल्ला,...



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" गितवा को तो छुटकी सम्हाल लेगी " मैंने अब राज की बात खोली लेकिन शर्त वाली बातें नहीं बतायीं

" अकेले " मेरी जेठानियाँ बोली तो मैंने करेक्शन जारी किया

" नहीं , गुलबिया, चमेलिया और चांननीया रहेंगी न उसके साथ "

फिर और बात चली तो मैंने अल्टीमेट सरेंडर वाली पिक्स अपने मोबाइल में दिखायीं और पिक्स देखकर तो सबकी हालत खराब एक एक फोटो दस बार, और कजरी की भउजाई गुलबिया तो बोलने लगी
 
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अल्टीमेट सरेंडर


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फिर और बात चली तो मैंने अल्टीमेट सरेंडर वाली पिक्स अपने मोबाइल में दिखायीं और पिक्स देखकर तो सबकी हालत खराब एक एक फोटो दस बार, और कजरी की भउजाई गुलबिया तो बोलने लगी

केतना बढ़िया एक हाथ से एह लौंडिया के दोनों हाथ दबाय के गोड़वा से ओकर दोनों टंगिया फैलाय के कैसे घचाक से बुरिया में ऊँगली पेल देहले बा. "



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और जो टैग वाली थी जिसमे दो औरतें चढ़ी थीं उसे देख के दूबे भाभी ने रमजानिया और चमेलिया दोनों को समझाया, देखो ऐसी तरह चढ़ जाना तुम दोनों और हचक के पेलना, कउनो साली ननद बचनी चाहिए।

सारी ट्रिक एक से एक,... और सबसे ज्यादा मज़ा आया आखिरी राउंड देखने पर जब सब ने देखा की कैसे जीतने वाली स्ट्रैप ऑन से हचक हचक के नयी नयी लौंडिया को चोद रही हैं,



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तो पीछे से किसी ने बोला, ये कहाँ से आएगा,...

तो कजरी की भौजी गुलबिया नाउन बहू, हंस के बोली अरे चाकी क खूंटी, नहीं तो गोरू का खूंटा उखाड़ के ले आएंगे न खूब लम्बा भी मोटा भी और कड़ा भी

दूबे भी ने न सिर्फ हामी भरी बल्कि और उसमे सुधार भी कर दिया,

" अरे मैं लाऊंगी कंडोम, बस खूंटी के ऊपर उहे निरोध लगा के गपागप,... अगवाड़ा पिछवाड़ा सब "
" एकदम और कल तो देवर भी रहेंगे न, तो उन सबकी भी गाँड़ मारने के काम आएगा,... " कजरी की भौजी, हमारे नाउन की बहुरिया, मेरी पक्की सहेली गुलबिया बोली,

" एकदम साल्ले गांडू, रोज तो अरहरिया में निहुर के गांड़ मरौव्वल करते हैं और भौजाई से मरवाने में नखड़ा,...ननद और देवर को बगल बगल निहुरा के मारेंगे खूंटा लगा लगा के एही फोटुवा की तरह,... " रज्जो भाभी बोलीं,

थीं तो मेरी जेठानी, हमारी पट्टी की ही,... दो घर छोड़ के, उनकी सास और मेरी सास में भी खूब दोस्ती थी,... और हम दोनों में भी,... बहुत छनती थी, मैं जैसे बिदा होके ससुरे में उतरी उसी दिन से,... मैं पैर छूती थी उनका तो बहुत डाँट पड़ती थी, हमार छोट बहिन हो, गले लगा करो,... और थी भी मेरी समौरिया, दो चार साल बड़ी रही होंगी, मुझसे दो तीन साल पहले गौने उतरी थीं और देवरों ननदों के बारे में हमारे उनके विचार एकदम मिलते थे, ननदों का नाम ले के बुलाने का तो खैर रिवाज नहीं था चाहे जितनी छोटी क्यों न हों, फलनवा क बहिनिया, बिन्नो लल्ली पर बिना उसके गाली लगाए वो नहीं बोलती थीं,...



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और का जउन काम ननदिया अगवाड़े से करती हैं वो देवर स्साले पिछवाड़े से करते हैं दूबे भाभी ने फैसला सुना दिया।

और पूरे गाँव में हम देवरानियों को तो छोड़ दीजिये बाइस पुरवा में दूबे भाभी और मिश्राइन भाभी की बात कोई नहीं टालता था, हम लोगों की सास भी नहीं। तो बस दूबे भौजी की बात मतलब हम देवरानियों के लिए हुकुम,...




सारी भौजाइयां खुस और आज ये सोच सोच के की जीतने के बाद एक से एक कच्ची कलियाँ मिलेंगी भोगने को, और खाली जो खेल रही हैं वही थोड़ी , सारी की सारी ननदें,

मेरे मन में भी कुछ आया और मैंने लेकिन कुछ सोच के मिश्राइन भौजी से कहा, हमारी पीढ़ी में सबसे बड़ी और उनकी इज्जत भी बहुत थी और वो भी कुल पुरवा में और सब बिरादरी में, यहाँ तक की सास लोग भी,... वो बड़ी जोर से मुस्कारयी और उन्होंने मंजू भाभी और दूबे भाभी से कुछ फुसफुसा के मुझे आँख से इशारा किया की मैं अभी कुछ न बोलूं

चलिए मेरे पेट में तो बात पचती नहीं तो बता ही देती हूँ कहाँ हज्मौला ढूंढती रहूंगी।


बात ये थी की मुट्ठी करने की, ये नहीं की होता नहीं था लेकिन एक दो भौजाइयां, और वो भी उस ननद की जो लड़कोर हो जिसके भोसड़े से दो चार बच्चे निकल चुके हों , पर वो भी कितने साल से तो भौजाइयां जीती नहीं थीं,... तो वो भी ,


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तो वही बात और मेरा मानना था की शादी शुदा और कुँवार में का फरक करना अगर वो कुँवार रोज गपागप हमरे देवर का अपने भैया क लंड घोंट रही हो , ... तो वही बात लेकिन कोई बात में खलल न पैदा करे इसलिए मैंने मिश्राइन भौजी को पकड़ा और उन्होंने सबसे कहा,
बात असल में मेरे मायके की होली की याद की थी,... और जब मैं बियाह के बाद ससुरे में उतरी थी तो जैसे किसी ननद को देखती थी, बस यही सोचती होली में इसकी मुट्ठी करने में बड़ा मजा आया, होली में ऊँगली तो सबकी होती है लेकिन ननद हो तो बस सीधे मुट्ठी,...


ज्यादा पुरानी बात नहीं तीन चार साल पहले की, मैं छुटकी की उमर की थी, रीतू भाभी उसी साल दो चार महीने पहले गौने में आयी थीं,... और उनकी भी पहली होली थी, लेकिन असली बात थी बुआ की,...



वो आयी थी होली में खूब हो हो,... हो रहा था सब लड़कियों औरतों ने आंगन में गोल घेरा बना रखा था बीच में बुआ, और साथ में माँ, चाची, माँ की मोहल्ले की दो चार जेठानी देवरानी,... बुआ की साड़ी तो सुबह होली शुरू होते ही चीथड़े चीथड़े हो गयी थी फिर पेटीकोट ब्लाउज , और मोहल्ले की औरतों ने जो उनकी भौजाई लगती थीं, कच्चे मिटटी वाली आँगन में उन्हें रगड़ रगड़ कर घिसराया था,...



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कीचड़, कालिख, रंग पेण्ट,... और अब माँ,... उनकी दोनों खुली फैली जाँघों के बीच, एक टांग चाची ने पकड़ रखी थी एक पडितायिन चाची ने कस के फैला रखी थी,... और उन्हें चिढ़ा रही थीं,

" बिन्नो मायके ससुरार में बहुत टांग फैलाये होगी लौंडन के आगे आज तानी भौजाइयों के भी आगे फैला लो, काहें छिनरपन कर रही हो , जो होना होगा सो तो होगा ही,... "

माँ बड़े आराम से अपने दाएं हाथ की सब चूड़ी कंगन निकाल रही थीं, बुआ लाख कोशिश करें टांग सिकोड़ तो सकती नहीं थीं, उनकी खुली बुर साफ़ साफ़ दिख रही थी।

तभी उनकी निगाह मेरे ऊपर पड़ी, ... रीतू भाभी मुझे दबोचे थीं, मेरा टॉप उन्होंने फाड़ दिया था एक उभार बाहर खूब भाभियों के रंग से रंगा पुता, और रीतू भाभी का हाथ मेरे शलवार में अंदर ग्घूसा मेरी चुनमुनिया रगड़ता ,... पहले तो उन्होंने रीतू भाभी को हड़काया,...

" अरे कइसन भौजाई हो, होली में ननद क कपड़ा अभी देह पर बचा है, ... ननद तो निसूती ही होली के दिन,... "



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बस क्या था चरर चरर पहले मेरा टॉप फटा , और भाभियों ने लूट लिया फिर ब्रा,... ननद की शलवार, चड्ढी का नाडा खोलते नहीं तोड़ देते हैं, जिससे लाख कोशिश कर के भी वो न पहन पाए, ये भी उस दिन रीतू भाभी से मैंने सीखा था,...


माँ फिर बिजी हो गयीं, नारियल के तेल की शीशी से सीधे तेल अपनी कोहनी से चुआ के दाहिनी हथेली में पूरा चिपोड़ा,... फिर बुआ की बुर को फैला के सीधे शीशी का मुंह उसके अंदर खोल दिया,... बुर छलछला गयी तेल से,... छलक के बाहर,... फिर सीधे तीन ऊँगली अंदर डाल के पेल दिया



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बुआ जोर से चीखीं लेकिन आँगन में इत्ती जोर से हल्ला हुआ की उनकी चीख उसी में दब गयी, गोल गोल तीन ऊँगली बुआ की बुर में घुमाते उन्होंने मेरी ओर देखा,... और खुस हो गयीं,

रीतू भाभी ने मुझे सच में निसूती कर दिया था एक जोबन वो कस के रगड़ मसल रही थीं और दाएं हाथ की दो ऊँगली मेरी दोनों फांको को पकड़ के रगड़ रही थी, मैं गिनगीना रही थी अब झड़ी की तब,...

माँ ने रीतू भाभी की ओर देख के जैसे हामी में मुस्करा दिया,... और बोली, देख ले ननदों के साथ का करते हैं ,... बोल वो भाभी से रही थीं लेकिन साफ़ था सुना मुझे रही थीं, तीन चार साल बाद तेरी भी शादी होगी अभी से सीख, ... होली में ननदों के साथ,...

फिर पूरी ताकत से चौथी और पांचवी ऊँगली, लेकिन माँ के ऊँगली के नक्क्ल फंस रहे थे , बुआ चीख रही थीं, चूतड़ पटक रही थीं,... पडितायिनं चाची ने इशारा किया और फिर एक साथ मोहले की चार चाचियों ने किसी ने निपल नोचा, किसी ने क्लिट पे नाख़ून गड़ाया, बस बुआ का ध्यान बटा और माँ ने पूरी ताकत से पेल दिया, थोड़ी सी मुट्ठी घुसी फिर गोल गोल घुमाते,...



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तब से मेरे मन में ये बात थी और अब मिश्राइन भाभी ने हरी झंडी दे दी थी लेकिन अभी किसी को बताना नहीं था और सबसे पहले मैच तो हम लोग जीतें

" देखो जीतने के बाद आज वो मजा आएगा जो आज तक न आया होगा, और कल भी ऐसी होली होगी देवरों और ननदों के साथ, जो आज तक कभी हुयी न होगी। फिर ननद हार गयीं तो साल भर झुक के,.... अपने अपने मायके के भाइयों का सोचो फायदा ,... तो बस सब कुछ भूल के पूरी ताकत लगा के जीतना है और क्या होगा उन ननद छिनरों का वो मैं तय करुँगी लेकिन कउनो ससुरी बचेगी नहीं। "



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उसके बाद तो खूब हो हो हुआ कुछ देर में फिर मैंने एक एक करके अलग अलग सबको उसका रोल बताया और टीम की रणनीति भी , फिर हम लोग उस बाग़ की तरफ चल पड़े जिधर ननद भौजाई की कबड्डी होने वाली।


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अबकी हमारी टीम एकदम अलग थी, ६ वो थे जो मेरी टीम की कोर स्ट्रेंथ थी।

मैं और छुटकी। छुटकी तो जिले की कब्बडी टीम तीन साल से थी और कुछ समय पहले स्टेट की अंडर 15 वाली टीम में बस होते होते रह गयी थी.

लेकिन असली चार थीं, गुलबिया कजरी की भौजी नउनिया बहू जो पिछले साल गौने आयी थी, उमर में मेरी समौरिया, चमेलिया, कल्लू की मेहरारू, गाँव में अकेली मेरी देवरानी, मेरे बाद जिसका गौना हुआ था, देह की बड़ी कड़ी,.. रमजनिया उमर में मुझसे थोड़ी बड़ी होगी पर हर चीज में होशियार और उसी के सहारे मैंने चंदू का किला जीता था और इन चारो में उमर में सबसे बड़ी लेकिन बहुत तगड़ी जिससे ८ -१० गाँव की ननदें नाम सुनने पे भागती थीं, अहिराने की चननिया, जो मंजू भाभी ने सजेस्ट किया था.



हम छह के अलावा टीम की कप्तान थीं मंजू भाभी, ३४-३५ की उमर की जिनके छोटे देवर चुन्नू को मैंने आज ही छोटे से बड़ा किया था, और दो और सीनियर लोग साल दो साल बड़ी, दूबे भाभी और मिश्राइन भाभी , जो जोश में और मस्ती में हम लोगों की ही टक्कर की थीं। तो ये हो गयी नौ।




बची दो तो वो मेरी दो जेठानियाँ,
 
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Sutradhar

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अल्टीमेट सरेंडर


फिर और बात चली तो मैंने अल्टीमेट सरेंडर वाली पिक्स अपने मोबाइल में दिखायीं और पिक्स देखकर तो सबकी हालत खराब एक एक फोटो दस बार, और कजरी की भउजाई गुलबिया तो बोलने लगी

केतना बढ़िया एक हाथ से एह लौंडिया के दोनों हाथ दबाय के गोड़वा से ओकर दोनों टंगिया फैलाय के कैसे घचाक से बुरिया में ऊँगली पेल देहले बा. "

और जो टैग वाली थी जिसमे दो औरतें चढ़ी थीं उसे देख के दूबे भाभी ने रमजानिया और चमेलिया दोनों को समझाया, देखो ऐसी तरह चढ़ जाना तुम दोनों और हचक के पेलना, कउनो साली ननद बचनी चाहिए।

सारी ट्रिक एक से एक,... और सबसे ज्यादा मज़ा आया आखिरी राउंड देखने पर जब सब ने देखा की कैसे जीतने वाली स्ट्रैप ऑन से हचक हचक के नयी नयी लौंडिया को चोद रही हैं, तो पीछे से किसी ने बोला, ये कहाँ से आएगा,...

तो कजरी की भौजी गुलबिया नाउन बहू, हंस के बोली अरे चाकी क खूंटी, नहीं तो गोरू का खूंटा उखाड़ के ले आएंगे न खूब लम्बा भी मोटा भी और कड़ा भी

दूबे भी ने न सिर्फ हामी भरी बल्कि और उसमे सुधार भी कर दिया,

" अरे मैं लाऊंगी कंडोम, बस खूंटी के ऊपर उहे निरोध लगा के गपागप,... अगवाड़ा पिछवाड़ा सब "

सारी भौजाइयां खुस और आज ये सोच सोच के की जीतने के बाद एक से एक कच्ची कलियाँ मिलेंगी भोगने को, और खाली जो खेल रही हैं वही थोड़ी , सारी की सारी ननदें,

मेरे मन में भी कुछ आया और मैंने लेकिन कुछ सोच के मिश्राइन भौजी से कहा, हमारी पीढ़ी में सबसे बड़ी और उनकी इज्जत भी बहुत थी और वो भी कुल पुरवा में और सब बिरादरी में, यहाँ तक की सास लोग भी,... वो बड़ी जोर से मुस्कारयी और उन्होंने मंजू भाभी और दूबे भाभी से कुछ फुसफुसा के मुझे आँख से इशारा किया की मैं अभी कुछ न बोलूं

चलिए मेरे पेट में तो बात पचती नहीं तो बता ही देती हूँ कहाँ हज्मौला ढूंढती रहूंगी। बात ये थी की मुट्ठी करने की, ये नहीं की होता नहीं था लेकिन एक दो भौजाइयां, और वो भी उस ननद की जो लड़कोर हो जिसके भोसड़े से दो चार बच्चे निकल चुके हों , पर वो भी कितने साल से तो भौजाइयां जीती नहीं थीं,... तो वो भी , तो वही बात और मेरा मानना था की शादी शुदा और कुँवार में का फरक करना अगर वो कुँवार रोज गपागप हमरे देवर का अपने भैया क लंड घोंट रही हो , ... तो वही बात लेकिन कोई बात में खलल न पैदा करे इसलिए मैंने मिश्राइन भौजी को पकड़ा और उन्होंने सबसे कहा

" देखो जीतने के बाद आज वो मजा आएगा जो आज तक न आया होगा, और कल भी ऐसी होली कभी हुयी न होगी। फिर ननद हार गयीं तो साल भर झुक के तो बस सब कुछ भूल के पूरी ताकत लगा के जीतना है और क्या होगा उन ननद छिनरों का वो मैं तय करुँगी लेकिन कउनो ससुरी बचेगी नहीं। "

उसके बाद तो खूब हो हो हुआ कुछ देर में फिर मैंने एक एक करके अलग अलग सबको उसका रोल बताया और टीम की रणनीति भी , फिर हम लोग उस बाग़ की तरफ चल पड़े जिधर ननद भौजाई की कबड्डी होने वाली।

अबकी हमारी टीम एकदम अलग थी, ६ वो थे जो मेरी टीम की कोर स्ट्रेंथ थी। मैं और छुटकी। छुटकी तो जिले की कब्बडी टीम तीन साल से थी और कुछ समय पहले स्टेट की अंडर 15 वाली टीम में बस होते होते रह गयी थी. लेकिन असली चार थीं, गुलबिया कजरी की भौजी नउनिया बहू जो पिछले साल गौने आयी थी, उमर में मेरी समौरिया, चमेलिया, कल्लू की मेहरारू, गाँव में अकेली मेरी देवरानी, मेरे बाद जिसका गौना हुआ था, देह की बड़ी कड़ी,.. रमजनिया उमर में मुझसे थोड़ी बड़ी होगी पर हर चीज में होशियार और उसी के सहारे मैंने चंदू का किला जीता था और इन चारो में उमर में सबसे बड़ी लेकिन बहुत तगड़ी जिससे ८ -१० गाँव की ननदें नाम सुनने पे भागती थीं, अहिराने की चननिया, जो मंजू भाभी ने सजेस्ट किया था.



हम छह के अलावा टीम की कप्तान थीं मंजू भाभी, ३४-३५ की उमर की जिनके छोटे देवर चुन्नू को मैंने आज ही छोटे से बड़ा किया था, और दो और सीनियर लोग साल दो साल बड़ी, दूबे भाभी और मिश्राइन भाभी , जो जोश में और मस्ती में हम लोगों की ही टक्कर की थीं। तो ये हो गयी नौ।



बची दो तो वो मेरी दो जेठानियाँ,

अरे वाह कोमल जी

बस अब हो जाय कबड्डी, बहुत इंतजार हो गया। नैना और गितवा की तो तसल्लीबख्श तरीके से।

सादर
 

Shetan

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जीत के बाद- ननद पर चढ़ेंगे देवर


लेकिन मैं मान गयी जो मेरी दो जेठानियाँ मुझसे थोड़ी ही बड़ी, एकदम अर्जुन की तरह चिड़िया की आँख देखती थीं सीधे मुद्दे पर आ गयीं,

" अरे असली बात है स्साली छिनरों को झाड़ने की जो चुदी चुदाई हैं अपने भाइयों से चुदवा के उनको झाड़ने में थोड़ा टाइम लग सकता है लेकिन जो एकदम कच्ची कलियाँ है ,... "

और रमजानिया और कजरी की भौजी, नउनिया बहू ने तुरंत फिर से कन्फर्म किया चार, नाम एक एक का बता के, अभी भी अनचुदी हैं, हाँ लेने लायक पूरी हैं , झांटे भी आ गयी हैं और हर महीने बिना नागा खून खच्चर भी होता है , और बाकी चार जो रिजर्व खिलाड़ी हैं उनमे भी दो,...


और अब दूबे भाभी मैदान में आ गयीं, और उन्होंने मेरी जेठानियों को बात की ताकीद की, इसी होली में उन सब ननदों की चड्ढी उन्होंने फाड़ी थीं अब बिना बुर रंगे ननद भौजाई की होली तो पूरी नहीं होती, ...

तो पहला प्लान यही बना की हर ननद पे डबल नहीं बल्कि ट्रिपल अटैक होगा, एक भौजाई चूँची रगडेगी,... दूसरी ऊँगली करेगी और तीसरी चूस चूस के थेथर करेगी तभी चार मिनट में झाड़ पाएंगे हम लोग,...


लेकिन मैंने वीटो लगा दिया नहीं वो चार उनको चूस के ही झाड़ा जाएगा, ऊँगली नहीं होगी

अब सब सन्न, होली में भी ननदों के ऊँगली नहीं होगी तो कब होगी, ...

लेकिन जो मैंने प्लान बताया फिर तो सब हो हो कर के और मंजू भाभी मेरी ओर तारीफ़ की नजरों से क्या देवरानी है





" अरे रंग पंचमी आज ख़तम थोड़े हो रही है असली हंगामा तो कल होगा जब देवर लोग भी होंगे,... ( उस दिन सास और सब लोग नहीं होते थे, सर्फ देवर भौजाई और ननद ) तो बस उन छिनरों पे उनके भाइयों को चढ़ाएंगे , ... जब तक भौजाई देवर से ननद की न फड़वाये तब तक कौन होली, स्साली एक बार हम सबके सामने अपने अपने भाइयों से चुदवा लेंगी, मोबाइल में फोटो वीडियो सब तो साल भार निगाह नीची कर के,... उस के बाद हम सब के भाइयों के आगे खुद शलवार का नाड़ा खोलेंगी , "

" एकदम लेकिन वो स्साले देवर अपनी बहिनिया चोदने के लिए,..... किसी ने वाजिब सवाल खड़ा किया लेकिन जवाब कल्लू बो, चमेलिया के पास पहले से तैयार था ,

" काहें नहीं , अरे ससुरों को पहिले भांग पिला पिला के धुत्त कर देंगे , ... फिर आँख पे उनकी बहनों की ही फटी शलवार बांध देंगे,... उसके बाद जब चुदाई होने लगेगी, झड़ने का टाइम आएगा तब पट्टी खुलेगी,... फिर झड़ते समय कौन मरद लंड निकालता है ,... "

एकदम सही बोल रही है गुलबिया, और सालियों की गाँड़ भी मरवा देंगे उनके भाइयों से , मेरी एक बड़ी उम्र की जेठानी हँसते हुए बोलीं,...


"लेकिन सबके सगे भाई हैं भी की नहीं " अभी मुझे बियाह के आए साल भर नहीं हुया था था इसलिए सब ननदों की कुंडली मेरे पास नहीं थी, पर मेरी साथ की थीं न और रामजानिया ने गिना दिया तीन के नाम जिनके सगे भाई थे , दो के बड़े एक का छोटा लेकिन तीनों नम्बरी चोदू।

और जिसके सगा भाई नहीं है, मेरी एक नयी नयी आयी जेठानी ने पूछा और अबकी चननिया ने जवाब दिया,

" अरे उस स्साली का एक मुस्टंडा चचेरा भाई है आस पास की कउनो लौंडिया बची नहीं उससे लेकिन उसकी बहन पे कोई ज़रा भी तो कटखने कुत्ते ऐसा दौड़ता है “

बस सर्वसमत्ति से तय हुआ की उस ननद के ऊपर उसका वही चचेरा भाई, और वो जिम्मेदारी भी चननिया और कजरी की भौजी के जिम्मे,

अब अगला सवाल था किस ननद की कौन कौन कमजोरी लगती है तो फिर वही चारो चननिया, गुलबिया, चमेलिया और रमजनिया काम आयीं, किसके गुदगुदी लगती है और कहाँ ,... किसकी साँस जल्दी फूलती है,... और मैं रामजनिया को मान गयी वो बोली की उन चारों के अलावा बाकी सब के यार भी हैं बस उनका नाम ले ले के बिचारि बदनामी के डर से

" सिवाय गितवा और नैना और के " मंजू भाभी ने हँसते हुए कहा और फिर खोल के बोला, अरे नैना के इतने यार है किसका किसका नाम कौन गिनायेगा और गितवा तो खाली आने भाई अरविंदवा से और उसका भी एकदम खुल्ल्म खुल्ला,...

" गितवा को तो छुटकी सम्हाल लेगी " मैंने अब राज की बात खोली लेकिन शर्त वाली बातें नहीं बतायीं

" अकेले " मेरी जेठानियाँ बोली तो मैंने करेक्शन जारी किया

" नहीं , गुलबिया, चमेलिया और चांननीया रहेंगी न उसके साथ "

फिर और बात चली तो मैंने अल्टीमेट सरेंडर वाली पिक्स अपने मोबाइल में दिखायीं और पिक्स देखकर तो सबकी हालत खराब एक एक फोटो दस बार, और कजरी की भउजाई गुलबिया तो बोलने लगी
Ye to rivaz pura hoga. Ab maza aaega khel me. Bhouji party jindabad
 

Shetan

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अल्टीमेट सरेंडर


फिर और बात चली तो मैंने अल्टीमेट सरेंडर वाली पिक्स अपने मोबाइल में दिखायीं और पिक्स देखकर तो सबकी हालत खराब एक एक फोटो दस बार, और कजरी की भउजाई गुलबिया तो बोलने लगी

केतना बढ़िया एक हाथ से एह लौंडिया के दोनों हाथ दबाय के गोड़वा से ओकर दोनों टंगिया फैलाय के कैसे घचाक से बुरिया में ऊँगली पेल देहले बा. "

और जो टैग वाली थी जिसमे दो औरतें चढ़ी थीं उसे देख के दूबे भाभी ने रमजानिया और चमेलिया दोनों को समझाया, देखो ऐसी तरह चढ़ जाना तुम दोनों और हचक के पेलना, कउनो साली ननद बचनी चाहिए।

सारी ट्रिक एक से एक,... और सबसे ज्यादा मज़ा आया आखिरी राउंड देखने पर जब सब ने देखा की कैसे जीतने वाली स्ट्रैप ऑन से हचक हचक के नयी नयी लौंडिया को चोद रही हैं, तो पीछे से किसी ने बोला, ये कहाँ से आएगा,...

तो कजरी की भौजी गुलबिया नाउन बहू, हंस के बोली अरे चाकी क खूंटी, नहीं तो गोरू का खूंटा उखाड़ के ले आएंगे न खूब लम्बा भी मोटा भी और कड़ा भी

दूबे भी ने न सिर्फ हामी भरी बल्कि और उसमे सुधार भी कर दिया,

" अरे मैं लाऊंगी कंडोम, बस खूंटी के ऊपर उहे निरोध लगा के गपागप,... अगवाड़ा पिछवाड़ा सब "

सारी भौजाइयां खुस और आज ये सोच सोच के की जीतने के बाद एक से एक कच्ची कलियाँ मिलेंगी भोगने को, और खाली जो खेल रही हैं वही थोड़ी , सारी की सारी ननदें,

मेरे मन में भी कुछ आया और मैंने लेकिन कुछ सोच के मिश्राइन भौजी से कहा, हमारी पीढ़ी में सबसे बड़ी और उनकी इज्जत भी बहुत थी और वो भी कुल पुरवा में और सब बिरादरी में, यहाँ तक की सास लोग भी,... वो बड़ी जोर से मुस्कारयी और उन्होंने मंजू भाभी और दूबे भाभी से कुछ फुसफुसा के मुझे आँख से इशारा किया की मैं अभी कुछ न बोलूं

चलिए मेरे पेट में तो बात पचती नहीं तो बता ही देती हूँ कहाँ हज्मौला ढूंढती रहूंगी। बात ये थी की मुट्ठी करने की, ये नहीं की होता नहीं था लेकिन एक दो भौजाइयां, और वो भी उस ननद की जो लड़कोर हो जिसके भोसड़े से दो चार बच्चे निकल चुके हों , पर वो भी कितने साल से तो भौजाइयां जीती नहीं थीं,... तो वो भी , तो वही बात और मेरा मानना था की शादी शुदा और कुँवार में का फरक करना अगर वो कुँवार रोज गपागप हमरे देवर का अपने भैया क लंड घोंट रही हो , ... तो वही बात लेकिन कोई बात में खलल न पैदा करे इसलिए मैंने मिश्राइन भौजी को पकड़ा और उन्होंने सबसे कहा

" देखो जीतने के बाद आज वो मजा आएगा जो आज तक न आया होगा, और कल भी ऐसी होली कभी हुयी न होगी। फिर ननद हार गयीं तो साल भर झुक के तो बस सब कुछ भूल के पूरी ताकत लगा के जीतना है और क्या होगा उन ननद छिनरों का वो मैं तय करुँगी लेकिन कउनो ससुरी बचेगी नहीं। "

उसके बाद तो खूब हो हो हुआ कुछ देर में फिर मैंने एक एक करके अलग अलग सबको उसका रोल बताया और टीम की रणनीति भी , फिर हम लोग उस बाग़ की तरफ चल पड़े जिधर ननद भौजाई की कबड्डी होने वाली।

अबकी हमारी टीम एकदम अलग थी, ६ वो थे जो मेरी टीम की कोर स्ट्रेंथ थी। मैं और छुटकी। छुटकी तो जिले की कब्बडी टीम तीन साल से थी और कुछ समय पहले स्टेट की अंडर 15 वाली टीम में बस होते होते रह गयी थी. लेकिन असली चार थीं, गुलबिया कजरी की भौजी नउनिया बहू जो पिछले साल गौने आयी थी, उमर में मेरी समौरिया, चमेलिया, कल्लू की मेहरारू, गाँव में अकेली मेरी देवरानी, मेरे बाद जिसका गौना हुआ था, देह की बड़ी कड़ी,.. रमजनिया उमर में मुझसे थोड़ी बड़ी होगी पर हर चीज में होशियार और उसी के सहारे मैंने चंदू का किला जीता था और इन चारो में उमर में सबसे बड़ी लेकिन बहुत तगड़ी जिससे ८ -१० गाँव की ननदें नाम सुनने पे भागती थीं, अहिराने की चननिया, जो मंजू भाभी ने सजेस्ट किया था.



हम छह के अलावा टीम की कप्तान थीं मंजू भाभी, ३४-३५ की उमर की जिनके छोटे देवर चुन्नू को मैंने आज ही छोटे से बड़ा किया था, और दो और सीनियर लोग साल दो साल बड़ी, दूबे भाभी और मिश्राइन भाभी , जो जोश में और मस्ती में हम लोगों की ही टक्कर की थीं। तो ये हो गयी नौ।




बची दो तो वो मेरी दो जेठानियाँ,
Me najane kitne wakt se yahi kisso ka intjar kar rahi thi. Or kisse start hur or me network bahar. Kya julm he.
 

komaalrani

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Update posted, please read enjoy, like and comment.

i like likes but i like comments more.
 

komaalrani

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Mast update
Thanks so much for first comment. 🙏🙏🙏🙏🙏
 
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