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Erotica रंग -प्रसंग,कोमल के संग

komaalrani

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भाग ६ -

चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी

Phagun ke din chaar update posted

please read, like, enjoy and comment






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तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”

मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?

चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।

जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-

“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”

भाभी बोली-

“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी
 

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पना बनारस की ससुराल का -

समधन का नंबर




…” मम्मी मेरी ओर इशारा करके बोली। फिर उन्होंने और मिर्च डाली-

“और ऊ जो तोहार सबसे कच्ची कली है, जो तू कह रहे थे छुटकी से भी छोट है, त कहाँ गाँव के लौंडन क मन इतना जल्दी भरी। उसको यहीं छोड़ देना, और चौथी की रसम अबकी 6 दिन के बाद निकली है, त चौथी में तोहार बहिनिया भी लौट जाएंगी उनहिंन के साथ। तब तक गाँव क मजा ले लेगी, गन्ना क खेत, अरहर क खेत, तू कह रहे थे न एकदम छोट है, त देखना जब लौटेगी त तोहार लड़कौर बहिन हैं न उंहु क नंबर डकाय देयी…” मम्मी बोली।

हमारे इलाके में चौथी की रस्म में, बिदाई के चार दिन बाद, दुल्हन के घर से उनके परिवार के लड़के लड़कियां चौथी लेकर आते हैं और दुल्हन की मायके वालों हो जाती है।



“हाँ मम्मी हाँ, एकदम सही आइडिया…” मेरी दोनों सालियां समवेत स्वर में बोली।

मेरे पास कोई च्वायस थी क्या, मैंने भी हामी भर दी। मुझे लगा की अब कल के इंगेजमेंट पर कोई खतरा नहीं लेकिन मम्मी ने दूसरा पत्ता फेंक दिया, और वो भी अपनी बेटियों पे।

मेरी सालियों से वो बोली- “अरे सालियों, तुम सबको खाली अपनी ननदों के मजे की पड़ी है, उनके लिए दो-दो, तीन-तीन का इंतजाम कर दिया और मेरी समधनों का क्या होगा? उनकी भी तो लिस्ट बनाओ इस साले से कबूलवाओ की…”



“मम्मी, ननदें हमारी, भाई हमारे इसलिए उनका इंतजाम हमने कर दिया। अब समधन आपकी, देवर, नंदोई आपके, उनका इंतजाम आप करिये। और जहां तक जीजा से कबुलवाने का सवाल है, अप समझती क्या हैं इनको, जब बहनों के लिए कबूल कर लिया तो इनके लिए भी कबूल कर लेंगे। और लिस्ट हम बना देंगे…”

मेरी दोनों सालियां एकसाथ खिलखिलाते बोली।



और मम्मी फिर चालू हो गईं अपनी समधन के लिए। गालियों की मात्रा और उनका तीखापन एकदम से बढ़ गया, क्योंकी अब बुआ और मम्मी मैदान में थी और टारगेट पर उनकी समधन थी। और एक पल के लिए अल्पविराम हुआ तो मम्मी ने वो सवाल कर दिया जिसका जवाब मैं सपने में भी ना में नहीं दे सकता था।

“बोल मेरी बेटी को प्यार करता है?” गुड्डी के गाल पे प्यार से हाथ फेरते उन्होंने पूछा।

“हाँ, मम्मी, अपनी जान से भी ज्यादा, किसी भी चीज से ज्यादा…”


“मेरी बात मानते हो?” अगले सवाल का जवाब भी हाँ में ही होना था।


“हाँ मम्मी, सपने में भी मैं आपकी बात को मना नहीं कर सकता…” मैंने हुंकारी भरी।

और मम्मी तुरंत अपने लेवल पर आ गई- “मादरचोद, छिनार के, तेरी माँ का भोंसड़ा। बोल जो मैं बोलती हूँ। बिना रुके, बिना सोचे, बोल…”

“जी, मम्मी…”

“बोल, मैं मादरचोद हूँ…” मम्मी ने तुरंत बोला।
“मैं, मादरचोद हूँ…” मेरे पास बोलने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं था।

पांच बार उन्होंने यही मुझसे कहलवाया। मंझली अपना रिकार्डर लेकर तैयार थी और मेरी सब बातें उसके मोबाइल में रिकार्ड हो गईं।

लेकिन सबसे तीखी मिर्ची छुटकी थी और उसकी अपनी बुआ से कुछ ज्यादा ही लगी बुझी थी। “बुआ, जीजू कितने अच्छे हैं, एकदम श्रीमान सत्यवादी। जाने कितने होते होंगे, लेकिन सबके सामने उन्होंने पांच बार कबूल किया की…”

लेकिन उसकी बात पूरी होने के पहले ही बुआ ने काट दी- “चुप, जीजा की चमची। अरे अगर मादरचोद होने में शर्म नहीं, चोदने में शर्म नहीं, सटासट उनके भोंसड़े में पेलने में शर्म नहीं, तो मादरचोद कहलाने में कौन शर्म…”




मम्मी और गुड्डी दोनों मुश्कुरा रही थी। और मम्मी ने बुआ की बात की ताईद की, गुड्डी से- “सही तो कह रही हैं तेरी बुआ, तेरी सारी ससुरालवालियां कितनी अच्छी हैं, चाहे ननदें हो, चाहे सास, किसी को मना नहीं करती। तो मेरे इस 6 फिट के दामाद को क्यों मना करेंगी?”

और गुड्डी भी इस आल राउंड पेस अटैक में चालू हो गई- “मम्मी सही कह रही हो, मैं तो होली में जो गई थी मैंने खुद देखा। इनके यहाँ खर्चा बहुत कम है, चाहे दूध वाला हो, धोबी हो यहाँ तक की मोची भी, बस महीने में जिसका जितना हुआ उसके हिसाब से, ले जाता है…”



“बिल के बदले में बिल…” मझली चहकी।



लेकिन जहाँ तक मम्मी का सवाल था, जब तक मामला ‘खुल्लमखुल्ला’ न हो हो तब तक क्या बात?
 

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मम्मी



लेकिन जहाँ तक मम्मी का सवाल था, जब तक मामला ‘खुल्लमखुल्ला’ न हो हो तब तक क्या बात?

मेरी आँखें बस उन्हें ही निहार रही थी, होंगी 35-36 साल की लेकिन लगती थी गुड्डी की बड़ी बहन या भाभी की तरह ही, खूब गोरी, दीर्घ नितम्बा, पूरी तरह + साइज वाली, ब्लाउज़ 36डीडी, साइज को छुपाने में एकदम असमर्थ, बल्की और उभर रहा था। कूल्हे से बंधी साड़ी से सिर्फ गोरा चिकना पेट ही नहीं दिख रहा था, बल्की खूब गहरी नाभि भी और जिस तरह से वो बैठीं थी उनकी गोरी मांसल पिंडलियां पूरी तरह खुली थी, आलमोस्ट घुटनों तक।



लेकिन सबसे बड़ी बात उनकी जो एक डामिनेटिंग स्टाइल थी की बस, उनकी बात चुपचाप मानकर सरेंडर करने का अपना मजा था और उसके साथ ही एक जबरदस्त नमक भी था और एक शैतानी भरी नटखट मुश्कान उनकी आँखों में भी और होंठों में भी।

और वो ये भी देख रही थी की मैं किस निगाह से उन्हें देख रहा हूँ, और वो फिर चालू हो गईं- “अच्छा गुड्डी की हर बात में हाँ करेगा न?” उन्होंने तीर फेंका।

“एकदम मम्मी…” और मैंने हाथ खड़े कर दिए, लेकिन वहां एक ट्रैप था।

“जोरू के गुलाम, सिर्फ जोरू की हर बात में हाँ करेगा और मेरी?” और उसी के साथ वो झुकीं, पल्लू गिरा और मेरी निगाह ‘वहीं’ अटक गई।



मुझे शीला भाभी की बात याद आ गई- “असली मजा तो भोंसड़ी वालियों में है…” लेकिन सम्हल कर तुरंत जवाब दे दिया- “लेकिन सिर्फ गुड्डी क्यों, आपकी भी …” मुश्कुराकर मैंने बात सम्हाली।

लेकिन यहाँ तो हर ओर से तीर बरस रहे थे। पीछे से मंझली और छुटकी एक साथ बोली- “और जीजू हमारी?”




“एकदम, किसकी हिम्मत है जो साली की बात पे ना करे…” पीछे मुड़कर मैं बोला, लेकिन तब तक मेरी निगाह बुआ की ओर पड़ी और मैंने तुरंत कोर्स करेक्शन किया- “सारे ससुराल वालियों की गुलामी…” हँसकर मैं बोला।

लेकिन गुड्डी ने कैच कर लिया- “मम्मी, एकदम इनका टेस्ट करके देख लीजिये, वरना वहां के लोगों को कोई भरोसा नहीं…” वो शोख मुश्कुराकर बोली।

“एकदम। सुन मादरचोद, मैं जो कहूँगी मेरी हर बात पे हाँ बोलना, और वो भी सिर्फ हाँ नहीं, पूरी बात खुलकर। और बच्चू एक बात और कान और गाण्ड दोनों खोलकर समझ लो। मैं जबरदस्ती नहीं करती, लेकिन जिस चीज के लिए तुम एक बार हाँ बोल दोगे न, फिर मुकर नहीं सकते, मजाक नहीं है। फिर तो मैं जबरन अपने सामने करवाऊँगी तुमसे वो, बनारस वाली हूँ…”

“हाँ मम्मी, हाँ, टेस्ट करके देख लीजिये न…” मन में कांपते हुए और ऊपर से मुश्कुराते हुए मैंने हामी भरी।

“बोल चोदेगा मेरी समधन को?”

“हाँ, मम्मी चोदूंगा…”

“बोल चोदेगा, अपनी…”

“बोल मारेगा गाण्ड, हचक-हचक के, अपनी…”

किस-किस बात की हामी मम्मी ने नहीं भरवाई, और एक से एक बढ़कर गन्दी, किंकी और मुझसे पूरे डिस्क्रिप्शन के साथ कहलवाई। 10 क्या, गिन कौन रहा था, 20-25 तो कम से कम रही होंगी।

हाँ फिर मम्मी के चेहरे पे जो खुशी चमकी, उसने मेरा सारा टेंशन खत्म कर दिया। मेरे पास आकर प्यार से मेरा उन्होंने गाल सहलाया और जोर से पिंच करके बोली-

“मान गई मैं, तुम मेरे परफेक्ट दामाद हो, न सिर्फ जोरू के बल्की सासु के भी गुलाम, लेकिन याद रखना अगर एक चीज भी इसमें से मुकरे तो शादी कछ जबरदस्ती…”



“नहीं मम्मी नहीं, आपकी बात टालने की मैं सोच भी नहीं सकता…” उनकी बात बीच में काटता बोला मैं। माहौल कौन खराब कर सकता था। इत्ती मुश्किल से तो वो खुश हुई थी।
 
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मम्मी





हाँ फिर मम्मी के चेहरे पे जो खुशी चमकी, उसने मेरा सारा टेंशन खत्म कर दिया। मेरे पास आकर प्यार से मेरा उन्होंने गाल सहलाया और जोर से पिंच करके बोली- “मान गई मैं, तुम मेरे परफेक्ट दामाद हो, न सिर्फ जोरू के बल्की सासु के भी गुलाम, लेकिन याद रखना अगर एक चीज भी इसमें से मुकरे तो शादी कछ जबरदस्ती…”

“नहीं मम्मी नहीं, आपकी बात टालने की मैं सोच भी नहीं सकता…” उनकी बात बीच में काटता बोला मैं। माहौल कौन खराब कर सकता था। इत्ती मुश्किल से तो वो खुश हुई थी।

मम्मी का मूड कुछ अच्छा हुआ, मुझे लगा की गुड्डी की शादी में आयी बाधा टली, और उसी मूड में मम्मी ने प्यार दुलार से मेरा गाल सहलाते हुए, मेरी हिम्मत बधाई,...

" अरे दुलरुआ, तू ये सोच रहे हो न की कहीं तोहार महतारी मना कर दें, न दें तो,... तो उसकी चिंता छोड़ दो, अरे हम हम हैं तोहार साली, सलहज,... बुआ सास, चचिया सास, दो दो मौसिया सास,... "

छुटकी न जितनी उमर में छोटी थी उत्ती ही तीखी हरी मिर्च,... कनखियों से में उसे देख रहा था और उसे ये मालूम था, मुस्कराते हुए वो जान बूझ के अपनी कच्चे टिकोरे और उभार के मुझे ललचा रही थी और उसका असर सीधे जंगबहादुर,... पर पड़ा और वो तन के,...



किसी तरह से मैंने शॉर्ट्स पर अपने दोनों हाथ रख के बल्ज को छिपाने की कोशिश की, पर मेरी स्साली, पक्की स्साली थी. छुटकी ने अपनी माँ से और आग लगायी,...

" मम्मी, आपने इनकी महतारी का नाम लिया और जीजू का सोच के तनतना गया, ... क्यों जीजू, जब नाम सुन के इतना मज़ा आ रहा है तो झूठ मूठ का बहाना काहें बना रहे थे,... "



मैं क्या लड़कियां ब्लश करती हैं एकदम लाल गुलाबी,... कस के दोनों हाथों से छिपाते गुड्डी की मम्मी से बोला,...

" नहीं नहीं मम्मी ऐसा कुछ नहीं है "

पर शादी के बाद जितनी जोर से लोगों को डांट नहीं पड़ती उतनी जोर से शादी के पहले पड़ गयी, गुड्डी ने जोर से हड़काया,...

" तो क्या मेरी छोटी बहन झूठ बोल रही है ? "




और साथ ही मंझली को इशारा किया,...

बस जब तक मैं कुछ समझता, मंझली ने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर न सिर्फ हटा दिए बल्कि प्यार से टनटनाये जंगबहादुर को हलके से सहला भी दिया,...

शार्ट में कुतुबमीनार, पूरे बित्ते भर के बम्बू से तम्बू तना था,...



लेकिन मेरी सास मेरे साथ थीं, वो और गुड्डी की बुआ ध्यान से उसे तने खंम्भे को देख रही थीं , और मम्मी मेरी ओर से गुड्डी से बोलीं,...

" अरे तो का हुआ अपनी सास के चूतड़ देखी है कैसे जबरदस्त, कसर मसर, कसर मसर, और दोनों जोबन ३८ नंबर से कम नहीं होंगे लेकिन एकदम तने रहते हैं बिना बनियान के चोली पहनती हैं ,... तो कोई भी होगा सोच के गरमा जाएगा, तोहरे चाचा, फूफा मौसा कुल अभी से तेल लगा लगा के मुठिया रहे हैं समधिन के स्वागत के लिए, इसलिए हम एक ही शर्त रखे थे, बरात में जितनी लड़कियां औरतें हो सब आवें, भले रतजगा आगे पीछे कर लें,... "

और अब फिर प्यार से मेरा गाल सहलाते हुए मुझको थोड़ा डांट के थोड़ा प्यार से समझाने लगी,...

" अरे तोहार महतारी के सोच के अगर ये खड़ा हो गया तो एहमें लजाने शरमाने छुपाने क कौन बात है, खड़ा हो गया तो खड़ा हो गया. अब तोपना ढांकना मत , और दूसर बात तो अगर ये सोच रहे हो की तोहार महतारी उछले कूदें मना करें तो कउनो चिंता करने की बात है न तो हार सास सलहज, साली सब हैं न। बस ये तोहार बुआ सास, चचिया मौसिया सास कुल पकड़ के निहुराय देंगी, पेटीकोट उठाय के कमर तक,... बस और तोहार साली सलहज पकड़ के वैसे,... और फिर जब महतारी क सोच सोच के टनटना रहा है"



" तो मातृभूमि देख के तो एकदम उछल पडेगा क्यों जीजू " ये मंझली थी.

अपनी मंझली बेटी की बात सुन के मम्मी, मेरी सास मुस्करायी, और पूछी मुझसे आगे का करोगे,...

" करूँगा मैं " मुश्किल से मेरे बोल निकले,...

" का करियेगा साफ़ साफ़ बोलिये ना " छुटकी ने फिर आग में घी डाला, ... मैंने आग्नेय नेत्रों से उसकी ओर देखा लेकिन वो षोडसी मुस्कराती चिढ़ाती उकसाती रही,...

और बुआ एक बार फिर से दुर्वासा का रूप धारण करें, मैंने बोल दिया, चोदूगा,....

अरे किसको,... छुटकी ने न सिर्फ मुझसे पूछा बल्कि अपने टिकोरों को भी सहला दिया जैसे कह रही हो जीजू ये चाहिए तो साफ़ साफ़ बोल दो,...





और मैंने बोल दिया,...

अपनी महतारी को,... माँ को,... माँ का क्या,

मम्मी भी अब छेड़ने में छुटकी का साथ दे रही थीं वो साफ़ साफ़ देख रही थीं की छुटकी कैसे अपनी कच्ची अमिया को,... मुझे चिढ़ाते बोलीं

" माँ का क्या,... अब यह मत कहना की चूत,... दो दो तोहरे ऐसे मर्द निकाल चुकी हैं, ... सैकड़ों चढ़े उतरे होंगे बोलो,... "

" माँ का, ... का,... भोंसड़ा,... " धीमे से मेरे मुंह से निकला,

बस अबकी छुटकी अलफ़,... क्या जीजू इत्ते धीरे से बोलते हैं तो करेंगे कित्ते धीरे से, सब बात पूरी एक साथ बोलिये और थोड़ा जोर से,...

" मैं चोदुँगा अपनी माँ का भोंसड़ा" कहने से बचने का कोई चारा भी नहीं था,...

लेकिन दोनों सालियों ने पांच बार कहलवाया,... खूब जोर से और हर बार मुझे दिखा के मंझली ने अपने मोबाइल में रिकार्ड भी किया। और रिकार्डिंग सुनाई भी।



" मलाई पूरी की पूरी अंदर ही गिराना मेरी समधन के,... गाभिन हो जाएंगी तो हो जाएंगी,... " मम्मी ने कहा।

पर गुड्डी थी न आज एकदम आपने मायके वालियों के साथ,... बोली,

" अरे नहीं मम्मी उसकी कोई चिंता नहीं,... इनके होने के बाद ही उन्होंने आपरेशन करवा लिया था इन्होने खुद ही मुझसे बोला था "

" ठीक तो किया तेरी सास ने, बेचारी नाड़ा तो बाँध नहीं पाती हैं इतने यार है एक आएगा दूसरा जाएगा,... और रबड़ में मजा आधा तिहा फिर खर्चा, और गोली में अलग परेशानी ,... " मम्मी बोलीं,...
 
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लिस्ट





" मलाई पूरी की पूरी अंदर ही गिराना मेरी समधन के,... गाभिन हो जाएंगी तो हो जाएंगी,... " मम्मी ने कहा।

पर गुड्डी थी न आज एकदम आपने मायके वालियों के साथ,... बोली,

" अरे नहीं मम्मी उसकी कोई चिंता नहीं,... इनके होने के बाद ही उन्होंने आपरेशन करवा लिया था इन्होने खुद ही मुझसे बोला था "

" ठीक तो किया तेरी सास ने, बेचारी नाड़ा तो बाँध नहीं पाती हैं इतने यार है एक आएगा दूसरा जाएगा,... और रबड़ में मजा आधा तिहा फिर खर्चा, और गोली में अलग परेशानी ,... " मम्मी बोलीं,...

और मम्मी ने बात मेरी ओर मोड़ दिया, " और एक बार जब तोहार खूंटा घुस जायेगा तोहरी महतारी के भोसड़े में तो बस हम लोग तोहार सास सलहज सब छोड़ देंगी तो बस दोनों चूँची पकड़ के रगड़ रगड़ के चोदना,... एक बार हमरे दामाद क मूसल घोंटे के बाद तो खुदे वो चूतड़ उठा उठा के चुदवायेगी,... "



" देखो मम्मी कितनी अच्छी हैं तुम्हारा कितना ख्याल रखती हैं " गुड्डी ने मुझे मक्खन लगाया,... पर लगा मम्मी को, खुश हो के मुझसे बोलीं,...

" गाँव में दर्जन भर से ऊपर है जो हमसे पहले से कहे हैं बयाना बट्टा दिए है फिर गुड्डी के चाचा, फूफा , दो दो मौसा है, वो सब भी,... लेकिन हमने भी तय कर लिया था पहला नंबर हमरे दामाद का लगेगा, वो भी सबके सामने,... जिससे बाद मैं कउनो छिनरपन न करें, गुड्डी तोहार साली, सलहज, सास,... सब के सामने,... "

छुटकी बोली, " अरे नहीं मम्मी, उसके साथ वीडियो रिकार्डिंग भी करेंगे, ताकि सनद रहे और वक्त बेवक्त काम आये,... मैं खुद करुँगी एकदम क्लोज ऊपर और सामने से भी जिससे जीजू का और उनकी माँ दोनों लोगो का चेहरा एकदम साफ़ साफ आये "

फिर छुटकी मुझसे बोलीं,... " और जीजू आपकी उस रिकारीडिंग की कोई फ़ीस भी नहीं लुंगी आपसे और ये सोचिये की मेरे चाचा, मौसा, फूफा सब इंतजार करते रहजाएंगे,... लेकिन हम सालियों ने आपका नंबर पहले लगवा दिया। "



" अरे तोहरे चाचा, फूफा, मौसा का भी नंबर आएगा, और फिर खाली इनकी महतारी थोड़ी आएँगी, बुआ, चाची ,मौसी, तब तक उन लोगों की चढ़ाई होगी। " बुआ ने मामला साफ़ कर दिया।


तब तक बुआ ने अपने पति के फायदे की कोई बात उन्हें दिलायी- “अरे गुड्डी क माँ, कुल मजा अपने दमादै के दे दोगी क्या? गुड्डी के फूफा, तोहरे नंदोई, गुड्डी के चाचा, मौसा। मामा…”


“अरे ई कौन मना करेगा, एहमें तो इसके चाची, मौसी, बुआ सबका फायदा है…” फिर उन्होंने बात का रुख मेरी ओर मोड़ा और बोली- “सुनो, जैसे तुमने अपने सालों का मन रखा, अपनी सब बहनें उनके नाम लिख दी, वैसे ही गुड्डी के फूफा हैं, गुड्डी के चाचा हैं जब से तुम्हारी बात चली है तब से सबका तन्नाया है, और फिर गाँव के जितने मर्द हैं सब रिश्ते से कोई गुड्डी क चचा कोई फूफा लगेगा। तुम तो पहले ही बोल चुके हो हाँ, तब क्या पूछना, मैंने तो सबको बोल भी दिया है की मेरा दामाद बहुत अच्छा है, कभी मना नहीं करेगा। मंझली चल लिस्ट बना…”

मम्मी मुस्करा कर बोलीं।



और फिर मुझे एक-एक का नाम, उम्र, रिश्ता फिगर सब कुछ उसी तरह लिखवानी पड़ी, जैसे मैंने कुछ देर अपनी कजिन्स का लिखवाया था। और साथ में छेड़खानी, गालियां।

और अब मम्मी और बुआ की तरह मेरी दोनों सालियाँ भी धीरे धीरे उसी लेवल पे आके खुल के बोलने लगी थीं और गुड्डी कौन कम, वो भी नमक मिर्च डालने से नहीं चूकती थी, मोबाइल पे रिकार्ड भी कर रही थीं दोनों और लिस्ट लिख भी रखी थीं और हर किसी के नाम पे, सवाल,...


जैसे मैंने बुआ का नाम लिया छुटकी कूद पड़ी,...

" अरे बुआ का नाम तो बताइये,... वैसे तो किसी को भी बुआ कह के , हम सब आधार कार्ड अंगुली का निशान सब चेक करेंगे,... "



मैंने जैसे आदत होती है बोल दिया, बड़ी बुआ,... तो दोनों सालिया खिलखिलाने लगीं,... ऐसा नाम पहली बार सुना , उनका जोबना क्या बहुत बड़ा है, उनके नाप की ब्रा भी मिलती है की नहीं,...

और गुड्डी ने नमंक मिर्च लगा दिया, अरे यार तुम सब इनके मायकेवालियों को हम लोगो की तरह समझ रही हो, इनके मायके में कोई लड़की हो औरत हो चड्ढी बनियाइन नहीं पहनती, चोली पहन लिया वही बहुत है,... ब्रा की जरूरत ही नहीं आएँगी तो बारात में खोल के देख लेना वरना अपने जीजू से कहाँ खुद ही खोल के दिखा देंगे , खुद ही तो कहा है अभी सालियों की सब बात मानेगें तो ये कौन बड़ी बात है, नाप के बता भी देंगे "

मैंने बात काट के बोलने की कोशिश की,

असल में मेरी दो बुआ है एक बड़ी एक छोटी, बड़ी वाली का नाम है पूनम और छोटी वाली का नाम है निशा।

और अब मम्मी पीछे पड़ गयीं कैसे जीजू हो छोटी साली ने एक सवाल किया की तोहरे बुआ का कितना बड़ा बड़ा है तो बता दो, बियाह में तो नाप जोख तोहरे चचिया ससुर , मौसिया ससुर सब करेंगे ही, तोहार हाथ भी लगवा देंगे,... अच्छा चलो ये बता दो की मेरे ऐसा है की इनके ऐसा,... गुड्डी की बुआ की ओर इशारा कर के,

उन ननद भौजाई के मज़ाक में मैं फंस गया था लेकिन बिना बताये चारा नहीं था,... मैंने कुछ सोच के बुआ की और इशारा किया,...



गुड्डी की बुआ कुछ बोलतीं की दोनों सालिया चढ़ गयी, ... झूठे कौंवा काटेगा, बड़ी जोर से,... हम लोग से बोल रहे थे साइज पता नहीं है अब, अरे इसका मतलब अपनी बूआ के जोबना पे निगाह रखते थे,...

अबकी बूआ मेरे साथ हो गयीं, दोनों को हड़काते बोलीं ,

" तो क्या गलत करता था, अरे इसकी बूआ के भाई ने इसकी माँ पे चढ़ाई की तो वो उनके बहन पे,... "



जब छोटी बुआ का नंबर आया तो उनकी शादी की तारीख और पहले बच्चे की तारीख में कुछ गड़बड़ तो उस पे चढ़ाई,...

" किसने गाभिन कर के भेजा था तोहरी बुआ को, जो सात महीने में उगल दी,... " मंझली बोली,

तो छुटकी ने और,

" अरे हमारे जीजा को कम समझती हो दीदी, आ गया होगा इन्ही का मन,... और आएगा तो बुआ की बिटिया से इनकी शकल मिला लीजियेगा,...

चाची, मौसी, कोई नहीं बचा

मंझली, दुष्ट उसने न सिर्फ मुझसे लिस्ट पढ़वाई, बल्की दोनों लिस्ट के नीचे साइन करवाया।

गुड्डी मुझे देखकर मीठा-मीठा मुश्कुरा रही थी, जैसे कह रही हो क्यों आया मजा ससुराल का। बुआ को जाना था इसलिए मैं बच गया, वरना अभी क्या-क्या नहीं होता।

जाते समय मैंने जब बुआ का पैर छुआ तो उन्होंने एकदम मना नहीं किया बल्की जबरदस्त आशीर्वाद दिया-

“तोहार महतारी, बहन, चाची, बुआ सब क हचक चुदाई हो तोहरे ससुराल में…”

“बुआ,... खाली ससुराल वाले…” गुड्डी ने आँख नचाकर कहा।






“अरे समझ गई मैं अपने दुलहा का फायदा करवाना चाह रही हो, इस बहनचोद मादरचोद का नंबर तो जरूर लगेगा…” और बुआ बोलीं
 
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शीला भाभी




तो यही सपना था जिसका जिक्र मैंने शीला भाभी से किया था,

शीला भाभी ने जैसे ही ये सुना की सुबह का सपना था तुरंत बोलीं, लाला जरूर सच होगा पूरा सच होगा और दो तीन महीने के अंदर ही, लेकिन सुनाना मत क्योंकि सुनाने से सपने का असर कम हो जाता है,...

और सपने में भी वही सब बातें थी जो रात भर घुमा फिर के शीला भाभी ने कहा था मुझसे हामी भी भरवा ली थी तीन तिरबाचा भी।

रात भर शीला भाभी के साथ कबड्डी हुयी, और हर बार मैंने वो आसन अपनाया की सब मलाई सीधे बच्चेदानी में जाए, गाभिन होने के चांस १०० % .

भोर होने पर कब आँख लगी पता नहीं, और कब कैसे मैं अपने कमरे में पहुँच गया ये भी,

सुबह उठा तो अपने कमरे में था। दिन के 10:00 बज रहे थे, और मंजू जगा रही थी- “अरे देवरजी उठो, शीला भाभी जा रही हैं, रिक्शा आ गया है। तुम्हारे भैया जा रहे हैं बस स्टेशन छोड़ने…”

जैसे मैं पलंग से उठा मंजू ने टोका- “लाला पजामा तो सीधा कर लो, रात किसके साथ थे?”
मैं थोड़ा सरमाया, थोड़ा सकपकाया। पाजामा सीधा करने के लिए उतारना तो पड़ेगा, और मंजू। मंजू ने मेरी झिझक भांप ली और मेरे कुछ, करने कहने के पहले ही पाजामे का नाड़ा खोलकर, घुटने तक सरका दिया और, आधे सोये आधे जागे जंगबहादुर बाहर।

मंजू ने उसे मुट्ठी में दबोच लिया और सहलाते, दबाते, बोली- “क्यों लाला, एही के लिए सरमा रहे थे। का हम इसको देखे नहीं है की पकड़े नहीं है, बस एक मौका मिले तो अंदर भी ले लूंगी, समझते का हो?”

जंगबहादुर फिर से खड़े हो रहे थे। मंजू ने एक झटके से चमड़ा खींचके सुपाड़ा खोल दिया और बोली- “अरे पजामा उतार तो हम दिहे हैं, अब पहिन लो की ऐसे चलोगे…” और अपने भारी चूतड़ मटकाते, मुझे ललचाते बाहर चली गई।

शीला भाभी का सामान बाहर चला गया था। भाभी उनके लिए किचेन से कुछ पैक कर रही थी। मुझे देखते ही शीला भाभी ने मुझे बांहों में भींच लिया और दबाते हुए बोली- “देवरजी, तुम्हारा अहसान मैं कभी नहीं भूलूंगी…” उनके आँखों में खुशी के आँसू थे।

उनका गाल सहलाते, मैंने कहा- “भाभी, देवर भी बोलती हैं और अहसान भी। अहसान तो आपका है की आपने गुड्डी को दिलवा दिया…”

तब तक भाभी भी निकल आई थी और बोली- “एकदम सही कह रहे हो, ये भाभी की देन थी की चट मंगनी पट ब्याह हो रहा है…”

शीला भाभी और चिढ़ाये नहीं, बोली- “अभी तो गुड्डी को दिलवाया है फिर गुड्डी की सारी ससुराल वालियों की भी दिलवाऊँगी, बहुत चींटे काटते है उनकी बिल में क्यों?”

और भाभी ने तुरंत हामी भरी- “एकदम भाभी…”

चलते समय शीला भाभी बोली- “आना जरूर गाँव। शादी के बाद भी…”

मेरी ओर से भाभी ने हामी भरी। और मैंने आँखों ही आँखों में। बाहर रिक्शा वाला चिल्ला रहा था- “भैया बस छूट जायेगी…”

शीला भाभी को छोड़कर मैं वापस आया, और बार बार जो शीला भाभी चिढ़ा रही थीं वही बातें याद आ रही थीं और वही सब तो सपने में भी था,... और चलते समय भी शीला भाभी बोल गयी थीं,


“अभी तो गुड्डी को दिलवाया है फिर गुड्डी की सारी ससुराल वालियों की भी दिलवाऊँगी, बहुत चींटे काटते है उनकी बिल में .
 
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Rajizexy

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शीला भाभी




तो यही सपना था जिसका जिक्र मैंने शीला भाभी से किया था,

शीला भाभी ने जैसे ही ये सुना की सुबह का सपना था तुरंत बोलीं, लाला जरूर सच होगा पूरा सच होगा और दो तीन महीने के अंदर ही, लेकिन सुनाना मत क्योंकि सुनाने से सपने का असर कम हो जाता है,...

और सपने में भी वही सब बातें थी जो रात भर घुमा फिर के शीला भाभी ने कहा था मुझसे हामी भी भरवा ली थी तीन तिरबाचा भी।

रात भर शीला भाभी के साथ कबड्डी हुयी, और हर बार मैंने वो आसन अपनाया की सब मलाई सीधे बच्चेदानी में जाए, गाभिन होने के चांस १०० % .

भोर होने पर कब आँख लगी पता नहीं, और कब कैसे मैं अपने कमरे में पहुँच गया ये भी,

सुबह उठा तो अपने कमरे में था। दिन के 10:00 बज रहे थे, और मंजू जगा रही थी- “अरे देवरजी उठो, शीला भाभी जा रही हैं, रिक्शा आ गया है। तुम्हारे भैया जा रहे हैं बस स्टेशन छोड़ने…”

जैसे मैं पलंग से उठा मंजू ने टोका- “लाला पजामा तो सीधा कर लो, रात किसके साथ थे?”
मैं थोड़ा सरमाया, थोड़ा सकपकाया। पाजामा सीधा करने के लिए उतारना तो पड़ेगा, और मंजू। मंजू ने मेरी झिझक भांप ली और मेरे कुछ, करने कहने के पहले ही पाजामे का नाड़ा खोलकर, घुटने तक सरका दिया और, आधे सोये आधे जागे जंगबहादुर बाहर।

मंजू ने उसे मुट्ठी में दबोच लिया और सहलाते, दबाते, बोली- “क्यों लाला, एही के लिए सरमा रहे थे। का हम इसको देखे नहीं है की पकड़े नहीं है, बस एक मौका मिले तो अंदर भी ले लूंगी, समझते का हो?”

जंगबहादुर फिर से खड़े हो रहे थे। मंजू ने एक झटके से चमड़ा खींचके सुपाड़ा खोल दिया और बोली- “अरे पजामा उतार तो हम दिहे हैं, अब पहिन लो की ऐसे चलोगे…” और अपने भारी चूतड़ मटकाते, मुझे ललचाते बाहर चली गई।

शीला भाभी का सामान बाहर चला गया था। भाभी उनके लिए किचेन से कुछ पैक कर रही थी। मुझे देखते ही शीला भाभी ने मुझे बांहों में भींच लिया और दबाते हुए बोली- “देवरजी, तुम्हारा अहसान मैं कभी नहीं भूलूंगी…” उनके आँखों में खुशी के आँसू थे।

उनका गाल सहलाते, मैंने कहा- “भाभी, देवर भी बोलती हैं और अहसान भी। अहसान तो आपका है की आपने गुड्डी को दिलवा दिया…”

तब तक भाभी भी निकल आई थी और बोली- “एकदम सही कह रहे हो, ये भाभी की देन थी की चट मंगनी पट ब्याह हो रहा है…”

शीला भाभी और चिढ़ाये नहीं, बोली- “अभी तो गुड्डी को दिलवाया है फिर गुड्डी की सारी ससुराल वालियों की भी दिलवाऊँगी, बहुत चींटे काटते है उनकी बिल में क्यों?”

और भाभी ने तुरंत हामी भरी- “एकदम भाभी…”

चलते समय शीला भाभी बोली- “आना जरूर गाँव। शादी के बाद भी…”

मेरी ओर से भाभी ने हामी भरी। और मैंने आँखों ही आँखों में। बाहर रिक्शा वाला चिल्ला रहा था- “भैया बस छूट जायेगी…”

शीला भाभी को छोड़कर मैं वापस आया, और बार बार जो शीला भाभी चिढ़ा रही थीं वही बातें याद आ रही थीं और वही सब तो सपने में भी था,... और चलते समय भी शीला भाभी बोल गयी थीं,


“अभी तो गुड्डी को दिलवाया है फिर गुड्डी की सारी ससुराल वालियों की भी दिलवाऊँगी, बहुत चींटे काटते है उनकी बिल में .
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malikarman

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" मलाई पूरी की पूरी अंदर ही गिराना मेरी समधन के,... गाभिन हो जाएंगी तो हो जाएंगी,... " मम्मी ने कहा।

पर गुड्डी थी न आज एकदम आपने मायके वालियों के साथ,... बोली,

" अरे नहीं मम्मी उसकी कोई चिंता नहीं,... इनके होने के बाद ही उन्होंने आपरेशन करवा लिया था इन्होने खुद ही मुझसे बोला था "

" ठीक तो किया तेरी सास ने, बेचारी नाड़ा तो बाँध नहीं पाती हैं इतने यार है एक आएगा दूसरा जाएगा,... और रबड़ में मजा आधा तिहा फिर खर्चा, और गोली में अलग परेशानी ,... " मम्मी बोलीं,...

और मम्मी ने बात मेरी ओर मोड़ दिया, " और एक बार जब तोहार खूंटा घुस जायेगा तोहरी महतारी के भोसड़े में तो बस हम लोग तोहार सास सलहज सब छोड़ देंगी तो बस दोनों चूँची पकड़ के रगड़ रगड़ के चोदना,... एक बार हमरे दामाद क मूसल घोंटे के बाद तो खुदे वो चूतड़ उठा उठा के चुदवायेगी,... "

" देखो मम्मी कितनी अच्छी हैं तुम्हारा कितना ख्याल रखती हैं " गुड्डी ने मुझे मक्खन लगाया,... पर लगा मम्मी को, खुश हो के मुझसे बोलीं,...

" गाँव में दर्जन भर से ऊपर है जो हमसे पहले से कहे हैं बयाना बट्टा दिए है फिर गुड्डी के चाचा, फूफा , दो दो मौसा है, वो सब भी,... लेकिन हमने भी तय कर लिया था पहला नंबर हमरे दामाद का लगेगा, वो भी सबके सामने,... जिससे बाद मैं कउनो छिनरपन न करें, गुड्डी तोहार साली, सलहज, सास,... सब के सामने,... "

छुटकी बोली, " अरे नहीं मम्मी, उसके साथ वीडियो रिकार्डिंग भी करेंगे, ताकि सनद रहे और वक्त बेवक्त काम आये,... मैं खुद करुँगी एकदम क्लोज ऊपर और सामने से भी जिससे जीजू का और उनकी माँ दोनों लोगो का चेहरा एकदम साफ़ साफ आये "

फिर छुटकी मुझसे बोलीं,... " और जीजू आपकी उस रिकारीडिंग की कोई फ़ीस भी नहीं लुंगी आपसे और ये सोचिये की मेरे चाचा, मौसा, फूफा सब इंतजार करते रहजाएंगे,... लेकिन हम सालियों ने आपका नंबर पहले लगवा दिया। "

" अरे तोहरे चाचा, फूफा, मौसा का भी नंबर आएगा, और फिर खाली इनकी महतारी थोड़ी आएँगी, बुआ, चाची ,मौसी, तब तक उन लोगों की चढ़ाई होगी। " बुआ ने मामला साफ़ कर दिया।


तब तक बुआ ने अपने पति के फायदे की कोई बात उन्हें दिलायी- “अरे गुड्डी क माँ, कुल मजा अपने दमादै के दे दोगी क्या? गुड्डी के फूफा, तोहरे नंदोई, गुड्डी के चाचा, मौसा। मामा…”


“अरे ई कौन मना करेगा, एहमें तो इसके चाची, मौसी, बुआ सबका फायदा है…” फिर उन्होंने बात का रुख मेरी ओर मोड़ा और बोली- “सुनो, जैसे तुमने अपने सालों का मन रखा, अपनी सब बहनें उनके नाम लिख दी, वैसे ही गुड्डी के फूफा हैं, गुड्डी के चाचा हैं जब से तुम्हारी बात चली है तब से सबका तन्नाया है, और फिर गाँव के जितने मर्द हैं सब रिश्ते से कोई गुड्डी क चचा कोई फूफा लगेगा। तुम तो पहले ही बोल चुके हो हाँ, तब क्या पूछना, मैंने तो सबको बोल भी दिया है की मेरा दामाद बहुत अच्छा है, कभी मना नहीं करेगा। मंझली चल लिस्ट बना…”

और फिर मुझे एक-एक का नाम, उम्र, रिश्ता फिगर सब कुछ उसी तरह लिखवानी पड़ी, जैसे मैंने कुछ देर अपनी कजिन्स का लिखवाया था। और साथ में छेड़खानी, गालियां।

और अब मम्मी और बुआ की तरह मेरी दोनों सालियाँ भी धीरे धीरे उसी लेवल पे आके खुल के बोलने लगी थीं और गुड्डी कौन कम, वो भी नमक मिर्च डालने से नहीं चूकती थी, मोबाइल पे रिकार्ड भी कर रही थीं दोनों और लिस्ट लिख भी रखी थीं और हर किसी के नाम पे, सवाल,...


जैसे मैंने बुआ का नाम लिया छुटकी कूद पड़ी,...

" अरे बुआ का नाम तो बताइये,... वैसे तो किसी को भी बुआ कह के , हम सब आधार कार्ड अंगुली का निशान सब चेक करेंगे,... "

मैंने जैसे आदत होती है बोल दिया, बड़ी बुआ,... तो दोनों सालिया खिलखिलाने लगीं,... ऐसा नाम पहली बार सुना , उनका जोबना क्या बहुत बड़ा है, उनके नाप की ब्रा भी मिलती है की नहीं,...

और गुड्डी ने नमंक मिर्च लगा दिया, अरे यार तुम सब इनके मायकेवालियों को हम लोगो की तरह समझ रही हो, इनके मायके में कोई लड़की हो औरत हो चड्ढी बनियाइन नहीं पहनती, चोली पहन लिया वही बहुत है,... ब्रा की जरूरत ही नहीं आएँगी तो बारात में खोल के देख लेना वरना अपने जीजू से कहाँ खुद ही खोल के दिखा देंगे , खुद ही तो कहा है अभी सालियों की सब बात मानेगें तो ये कौन बड़ी बात है, नाप के बता भी देंगे "

मैंने बात काट के बोलने की कोशिश की,

असल में मेरी दो बुआ है एक बड़ी एक छोटी, बड़ी वाली का नाम है पूनम और छोटी वाली का नाम है निशा।

और अब मम्मी पीछे पड़ गयीं कैसे जीजू हो छोटी साली ने एक सवाल किया की तोहरे बुआ का कितना बड़ा बड़ा है तो बता दो, बियाह में तो नाप जोख तोहरे चचिया ससुर , मौसिया ससुर सब करेंगे ही, तोहार हाथ भी लगवा देंगे,... अच्छा चलो ये बता दो की मेरे ऐसा है की इनके ऐसा,... गुड्डी की बुआ की ओर इशारा कर के,

उन ननद भौजाई के मज़ाक में मैं फंस गया था लेकिन बिना बताये चारा नहीं था,... मैंने कुछ सोच के बुआ की और इशारा किया,...



गुड्डी की बुआ कुछ बोलतीं की दोनों सालिया चढ़ गयी, ... झूठे कौंवा काटेगा, बड़ी जोर से,... हम लोग से बोल रहे थे साइज पता नहीं है अब, अरे इसका मतलब अपनी बूआ के जोबना पे निगाह रखते थे,...

अबकी बूआ मेरे साथ हो गयीं, दोनों को हड़काते बोलीं ,

" तो क्या गलत करता था, अरे इसकी बूआ के भाई ने इसकी माँ पे चढ़ाई की तो वो उनके बहन पे,... "

जब छोटी बुआ का नंबर आया तो उनकी शादी की तारीख और पहले बच्चे की तारीख में कुछ गड़बड़ तो उस पे चढ़ाई,...

" किसने गाभिन कर के भेजा था तोहरी बुआ को, जो सात महीने में उगल दी,... " मंझली बोली,

तो छुटकी ने और,

" अरे हमारे जीजा को कम समझती हो दीदी, आ गया होगा इन्ही का मन,... और आएगा तो बुआ की बिटिया से इनकी शकल मिला लीजियेगा,...

चाची, मौसी, कोई नहीं बचा

मंझली, दुष्ट उसने न सिर्फ मुझसे लिस्ट पढ़वाई, बल्की दोनों लिस्ट के नीचे साइन करवाया।

गुड्डी मुझे देखकर मीठा-मीठा मुश्कुरा रही थी, जैसे कह रही हो क्यों आया मजा ससुराल का। बुआ को जाना था इसलिए मैं बच गया, वरना अभी क्या-क्या नहीं होता।

जाते समय मैंने जब बुआ का पैर छुआ तो उन्होंने एकदम मना नहीं किया बल्की जबरदस्त आशीर्वाद दिया-

“तोहार महतारी, बहन, चाची, बुआ सब क हचक चुदाई हो तोहरे ससुराल में…”

“बुआ खाली ससुराल वाले…” गुड्डी ने आँख नचाकर कहा।


“अरे समझ गई मैं अपने दुलहा का फायदा करवाना चाह रही हो, इस बहनचोद मादरचोद का नंबर तो जरूर लगेगा…” और बुआ बोलीं
Zabardast update
 

Sutradhar

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शीला भाभी




तो यही सपना था जिसका जिक्र मैंने शीला भाभी से किया था,

शीला भाभी ने जैसे ही ये सुना की सुबह का सपना था तुरंत बोलीं, लाला जरूर सच होगा पूरा सच होगा और दो तीन महीने के अंदर ही, लेकिन सुनाना मत क्योंकि सुनाने से सपने का असर कम हो जाता है,...

और सपने में भी वही सब बातें थी जो रात भर घुमा फिर के शीला भाभी ने कहा था मुझसे हामी भी भरवा ली थी तीन तिरबाचा भी।

रात भर शीला भाभी के साथ कबड्डी हुयी, और हर बार मैंने वो आसन अपनाया की सब मलाई सीधे बच्चेदानी में जाए, गाभिन होने के चांस १०० % .

भोर होने पर कब आँख लगी पता नहीं, और कब कैसे मैं अपने कमरे में पहुँच गया ये भी,

सुबह उठा तो अपने कमरे में था। दिन के 10:00 बज रहे थे, और मंजू जगा रही थी- “अरे देवरजी उठो, शीला भाभी जा रही हैं, रिक्शा आ गया है। तुम्हारे भैया जा रहे हैं बस स्टेशन छोड़ने…”

जैसे मैं पलंग से उठा मंजू ने टोका- “लाला पजामा तो सीधा कर लो, रात किसके साथ थे?”
मैं थोड़ा सरमाया, थोड़ा सकपकाया। पाजामा सीधा करने के लिए उतारना तो पड़ेगा, और मंजू। मंजू ने मेरी झिझक भांप ली और मेरे कुछ, करने कहने के पहले ही पाजामे का नाड़ा खोलकर, घुटने तक सरका दिया और, आधे सोये आधे जागे जंगबहादुर बाहर।

मंजू ने उसे मुट्ठी में दबोच लिया और सहलाते, दबाते, बोली- “क्यों लाला, एही के लिए सरमा रहे थे। का हम इसको देखे नहीं है की पकड़े नहीं है, बस एक मौका मिले तो अंदर भी ले लूंगी, समझते का हो?”

जंगबहादुर फिर से खड़े हो रहे थे। मंजू ने एक झटके से चमड़ा खींचके सुपाड़ा खोल दिया और बोली- “अरे पजामा उतार तो हम दिहे हैं, अब पहिन लो की ऐसे चलोगे…” और अपने भारी चूतड़ मटकाते, मुझे ललचाते बाहर चली गई।

शीला भाभी का सामान बाहर चला गया था। भाभी उनके लिए किचेन से कुछ पैक कर रही थी। मुझे देखते ही शीला भाभी ने मुझे बांहों में भींच लिया और दबाते हुए बोली- “देवरजी, तुम्हारा अहसान मैं कभी नहीं भूलूंगी…” उनके आँखों में खुशी के आँसू थे।

उनका गाल सहलाते, मैंने कहा- “भाभी, देवर भी बोलती हैं और अहसान भी। अहसान तो आपका है की आपने गुड्डी को दिलवा दिया…”

तब तक भाभी भी निकल आई थी और बोली- “एकदम सही कह रहे हो, ये भाभी की देन थी की चट मंगनी पट ब्याह हो रहा है…”

शीला भाभी और चिढ़ाये नहीं, बोली- “अभी तो गुड्डी को दिलवाया है फिर गुड्डी की सारी ससुराल वालियों की भी दिलवाऊँगी, बहुत चींटे काटते है उनकी बिल में क्यों?”

और भाभी ने तुरंत हामी भरी- “एकदम भाभी…”

चलते समय शीला भाभी बोली- “आना जरूर गाँव। शादी के बाद भी…”

मेरी ओर से भाभी ने हामी भरी। और मैंने आँखों ही आँखों में। बाहर रिक्शा वाला चिल्ला रहा था- “भैया बस छूट जायेगी…”

शीला भाभी को छोड़कर मैं वापस आया, और बार बार जो शीला भाभी चिढ़ा रही थीं वही बातें याद आ रही थीं और वही सब तो सपने में भी था,... और चलते समय भी शीला भाभी बोल गयी थीं,


“अभी तो गुड्डी को दिलवाया है फिर गुड्डी की सारी ससुराल वालियों की भी दिलवाऊँगी, बहुत चींटे काटते है उनकी बिल में .
उफ्फ कोमल जी

आपका हर अपडेट शानदार और लाजवाब ही होता है लेकिन कितना भी बड़ा अपडेट हो छोटा ही लगता है। ऐसा लगता है कि पढ़ते ही ख़त्म हो गया हो।

ये आपकी लेखनी का ही कमाल है कि अपडेट का इंतजार हमेशा रहता है चाहे कहानी नईं हो या पुरानी।

सादर
 

komaalrani

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Awesome, erotic, update
👌👌👌👌👌

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Thanks so much, for the first comment, aapke comment ke bina koyi story complete nahi hoti,

i jave updated JKG aur chhutki also


भाग ५९ कबड्डी ननद और भौजाई की

हमारी टीम

जोरू का गुलाम भाग १९४

आनेवाला कल

 
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komaalrani

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शीला भाभी से जुड़ा यह अंतिम भाग था

यह मेरी पहले पोस्टेड ( इस फोरम में नहीं ) फागुन के दिन चार एक लम्बी कहानी या उपन्यास ही कहें का एक अंश था। अनेक चरित्र जो उस कथा से जुड़े हैं उनमें शीला भाभी का भी किरदार था, और अलग अलग जगहों से जोड़ कर ( लेकिन फागुन के दिन चार से ही ) यह प्रसंग प्रस्तुत किया गया।

यह प्रसंग पंसद आने पर या न अच्छा लगने पर कमेंट जरूर करें और एक सुझाव भी दें,


क्या मुझे इस फोरम में फागुन के दिन चार को फिर से पोस्ट करना चाहिए, अगर मैं करुँगी भी तो बहुत सीमित चित्रों के साथ और बिना कुछ घटाए बढाए,... लेकिन एक पहले की कहानी होने के नाते हो सकता है पाठकों में रूचि न हो,... यह कहानी थ्रिलर और रोमांस का मिश्रण है और इन्सेस्ट जरा भी नहीं है , इसलिए छुटकी की कहानी ख़तम होने के बाद या जब वह ख़तम होने के कगार पर,...
 
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