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Fantasy राजा

Jaguaar

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एक जगह पर दो औरते आपस में बाते कर रही थी ।पहली औरत दूसरी वाली से बोलती है कि
पहली औरत "माँ आज यह आख़िरी बलि देने के बाद हमे अंधेरे के देवता से वह प्राप्त होगा जोकि हमारे मकसद में हमको कामयाबी दिलवाएगी ।उसके बाद इस रंजीत सिंह के पूरे खानदान को तहस नहस कर देंगे ।”
दूसरी औरत " बेटी अगर मुझे इस खानदान का नामोंनिशान मिटाना होता तो मैं तेरी शादी कभी भी इस घर मे नही करती बल्कि मैं तो यह चाहती हु जिस कारण से हमारे पूरे परिवार ने आत्महत्या कर लिया वह भी बिना किसी गलती की वजह से प्यार इसकी बेटी ने किया मेरे भाई से और जब माँ बन गयी तो मेरे भाई को बलात्कारी घोषित करके पूरे परिवार को गांव से बेदखल करवा दिया और इतने के बाद भी इन सबका मन नही भरा तो मेरी माँ का रेप मेरी और पिता जी के आंखों के सामने किया इन सबने और इसी गम में मेरे माँ और पिता जी ने आत्महत्या कर लिया ।मैं इसलिए बच गयी क्यूंकि मैं उस टाइम स्कूल गयी थी तभी उनलोगों ने यह कदम उठा लिया ।”
बेटी " माँ तब तो मेरा भी इस घर मे रहना मुझे ठीक नही लग रहा है मैं भी आपके साथ ही चलूंगी ।
अभी इन दोनों औरते की बातें चल ही रही थी कि पीछे से एक आदमी की गरजती हुई आवाज आती है
आदमी " तू क्या समझी रंडी तू मेरे परिवार के साथ इतना बड़ा कदम उठाएगी और मुझे पता नही चलेगा । मुझे तो पहले ही इस पर शक था कि कही ना कही मैं इसे देखा हु लेकिन मुझे याद नही आ रहा था लेकिन आज जब तुझे शहर से हमारे गांव की तरफ आते देखा तो तभी मुझे कुछ डाउट हुआ था लेकिन तू इतना बड़ा कदम उठाएगी मैं यह नही सोचा था ।"
दूसरी औरत "बेटी तू यंहा से जल्दी भाग जा मैं इन लोगो को कुछ समय के लिए रोक सकती हूं लेकिन ज्यादा समय तक मेरी भी सक्तिया उनकी काम नही करेगी ।
बेटी :लेकिन माँ मैं तुझे इन गुंडो के बीच मे छोड़ कर नही जा सकती हूं ।
दूसरी औरत "बेटी यह समय इन सब बातों में व्यतित करने का नही हैं।जल्दी से तू भाग जा और यह बात हमेशा याद रखना की मैं हमेशा तेरे साथ हु कभी भी तू खुद को अकेला मत समझना और इस कमीने से बदला जरूर लेना।
बेटी "माँ लेकिन मैं तुमको इस हालत में छोड़ कर कैसे जा सकती हूं।
दूसरी औरत "तुझे मेरी कसम है जा चली जा यंहा से ।"
आदमी "लगता है ये दोनों मा बेटी अपनी मौत को इतनी करीब से देख कर पागल हो गयी है ।देख रहा है ना छोटे तेरी बीवी भी पागल हो गयी है ।"
दूसरा आदमी "हा भइया देख रहा हु इतने आदमियो से घिरे होने के बाद भी सासु माँ भी सनक गयी है और वैसे भी भैया सासु मा भी अभी जवान है कसम से भैया इन दोनों माँ बेटियो को इतनी जल्दी नही मारिये पहले हमारे सभी आदमी इनका अच्छे से रस तो चूस ले क्यों रे भीमा चोदेगा इन दोनों कुतियों को ।
बेटी " तू भी इन कमीनो के जैसा ही निकला पहले तो मैं सोची थी कि तुझे छोड़ कर बाकी सबको नही छोडूंगी लेकिन अब तो सबसे पहले मैं तुझे ही बर्बाद करूँगी ।आज से तू अपनी उल्टी गिनती सुरु कर दे । आज के बाद तू मेरा सबसे बड़ा दुश्मन होगा ।"
पहला आदमी "छोटे तेरी बीवी तो धमकी देने लगी लगता है तूने इसकी गर्मी अच्छे से नही उतारी ।चल कोई बात नही जो काम तू नही कर सका वह अब मैं करूँगा इसे तो अब मैं अपनी रंडी बनाऊंगा ।
दूसरा आदमी "हा भैया सही कह रह है आप साली बहुत गरम माल है ।कितना भी चोदो साली हमेशा गरम ही रहती है ।
अभी ये दोनों आपस मे बाते कर रहे थे कि मौका पाकर दूसरी औरत ने कुछ मंत्र पढ़ने सुरु किये और जब मंत्र खत्म हुआ तो वहाँ पर इन दोनों माँ बेटी को छोड़ कर सभी लोग कुछ समय के लिए मूर्ति बन गए ।तब वह अपनी बेटी बोली
दूसरी औरत " बेटी मैने अंधेरे की पूजा करके कुछ विधा प्राप्त की है जिसके बल पर मैं यह सब कर सकती हूं लेकिन अब भी यंहा से केवल एक ही बच कर बाहर जा सकती है और तुम अब जाओ।"
इतना बोलकर वह औरत फिर से कुछ मन्त्र पढ़ती है और अपनी लड़की के पुर फूंक देती है और कुछ ही देर में उसकी परछाई से एक और उसकी ही हमशक्ल आ जाती है और उस औरत की चहेरा बदल जाता है ।अब उसे देख कर कोई भी यह नही कह सकता था कि वह उसकी बेटी है ।तब दूसरी औरत फिर बोलती है
दूसरी औरत "बेटी मैंने अपनी सक्तियो के बल जो भी तेरे लिए कर सकती थी ।वह मैंने कर दिया है मैंने तुझे एक नई शक्ल दे दी है जिसकी वजह से यह कमीने कभी भी तुझे नही पकड़ पाएंगे और अब तू जा यंहा से इन सबको कभी भी होश आ सकता है इसलिए अब तू बिना देर किए ही यंहा से चली जा ।

बेटी "माँ अगर ऐसा आप कर सकती हो तो आप भी चलो हमारे साथ ।"
माँ "नही बेटी मैं ऐसा 24 घंटे में एक बार ही कर सकती हूं और यह मैंने कर दिया है ।(मन मे माफ् करना बेटी मैं तुझसे झूठ बोल रही हु लेकिन क्या करूँ यही हम दोनों के लिए उचित है ।)
बेटी "ठीक है माँ जैसा तू बोलेगी मैं वही करूँगी लेकिन आज शाम को क्या करना है मैं तो कुछ भी नही जानती हूं और अगर मैं यह करने में सफल नही हुई तो तुम्हारा यह बलिदान किसी काम का नही होगा।"
दूसरी औरत "नही बेटी मैं तुझे कुछ मंत्र बताती हु इसे पढ़ कर बलि दे देना और याद रहे जब अंधेरे के देवता प्रकट हो तो उनसे डरना मत नही तो वह उसी पल तुझे मार देंगे और अब जा तू ।"
इतना बोल कर वह औरत अपनी बेटी को वंहा से भेज देती है और अपनी बेटी के परछाई के साथ वही पर उनके ठीक होने का इन्तजार करने लगी और कुछ ही पलों में वह ठीक भी हो गयी और इसके बाद वंहा पर उन सबने मिलकर उन दोनों के साथ जो दरिंदगी की वह देख कर किसी का भी कलेजा फट जाए ।
इधर वह दुसरी औरत अपने बदले हुए रूप के कारण आराम से वंहा से निकल गयी।
वह जंगल मे आगे बढ़ती गयी और जंगल मे एक गुफा के अंदर चली जाती है और वंहा पर बनी हुई शैतान की मूर्ति के आगे जाकर हाथ जोड़ती है और फिर यज्ञ वेदी में अग्नि जला कर कुछ हवन करने लगती है और करीब 1घण्टे की पूजा करने के बाद वह पास में पड़ी हुई चाकू उठा कर अपनी हथेली को काट कर उसमें से बहता हुआ खून अग्नि में डालने लगती है और कुछ ही पलों में उसके घाव अपने आप ठीक होने लगते है और उस मूर्ति की जगह एक काले कपड़े में एक आदमी खड़ा दिखाई देता है और उसकी हसी इतनी डरावनी होती है कि किसी का भी रूह कांप जाए और फिर बोलता है कि
आदमी "बोल किस लिए तूने मुझे बुलाया है ।"
औरत " हे मालिक आप सब जानते है कि हमारे साथ क्या हुआ है और हम आपकी पूजा किस लिए कर रहे है ।"
आदमी "मैं सब जानता हूं लेकिन एक बात तू भी जानती है कि अंधेरा अगर कुछ देता है तो उसके बदले कुछ शर्तें होती है उसकी है या यूं कह ले कि बिना अपने फायदे के कोई भी काम अंधेरा नही करता है ।"
औरत "आप जो भी कहेंगे हमे सब मंजूर है अब तो जीने का मकशद ही सिर्फ उन कमीनो से बदला लेना ही रह गया है इसलिये आपकी सभी शर्ते मंजूर है ।"
आदमी "ठीक है जो तुझे चाहिए बोल ।"
औरत "मैं सिर्फ उन कमीनो से बदला लेना चाहती हु जो कि मेरी बर्बादी का कारण बने है ।इसलिये मैं आपके अंश रूप में आपका पुत्र चाहती हु ।जो कि आगे चल कर मेरा बदला ले सके ।"
आदमी "किसी भी इंसानी सरीर में इतनी छमता नही है कि जो कि मेरे अंश को संभाल सके लेकिन तेरी साधना से मैं खुश हुआ हूं तो कुछ तो देना ही पड़ेगा इसलिए तेरे गर्भ में जो बालक पल रहा है उसे मैं अपनी सक्तिया प्रदान करता हु और आगे चल कर यही अँधेरे का राजा बनेगा।
इतना बोल कर वह आदमी वंहा से गायब हो जाता है लेकिन जब यह बात अंधेरे के राजा के बेटे को पता चलती है कि पिता जी ने किसी और को ही अपना वारिश बना लिया है तो वह गुस्से में अपने पिता के पास जाता है और बोलता है कि
राजकुमार " पिता जी यह मैं क्या सुन रहा हु की आपने एक इंसान के बच्चे को अंधेरे का राजा बना दिया है ।"
राजा "हा और वह इसलिये की क्यूंकि वह मेरा धर्म पुत्र है और वह हर तरह से काबिल होगा इसलिए मैंने उसे चूना है।"
Superb Update


2 aurat andhere ke devta ko khush karne ke liye yagya karti hai. Par beech mein hi woh yagya rukhta hai par baad mein yagya pura hota hai aur Andhere ka Raja kaun banega yeh bataya jaata hai.

Par iss baat se koi khush nhi hai aur woh hai Andhere ke Devta ka beta. Ab dekhte hai woh kyaa karta hai apni gaddi bachane ke liye.

Aur woh 2 aurat kaun thi aur 2 aadmi kaun the. Unki kyaa dushmani thi yeh abhi tak bola nhi gaya hai
 

Jaguaar

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राजकुमार अपने पिता की बात को सुनकर गुस्सा हो जाता है और बोलता है कि
राजकुमार "पिता जी अगर आप ने ऐसा सोच ही लिया है तो आज से मैं आपके राज्य और आपके नियमो का पालन करना बंद कर रहा हु ।आजतक सिर्फ आपके वजह से मैं अपनी दानवविर्ती क्रिया को छोड़ दिया था ।जिसकी वजह से आज हमारी इतनी दयनिय स्थिति हो गयी है और आज हम सिर्फ पाताल लोक तक ही सीमित रह गए है ।"
राजा "मेरी बात मानो पुत्र जो मैं कर रहा हु वह हमारे लिए उचित है और अगर तुमने हमारे नियमो के विरुद्ध जा कर कुछ किया तो यह तुम्हारे हित में नही होगा ।"
राजकुमार "अब जो भी होगा उसके जिम्मेदार आप ही होंगे और आज से पूरे पाताल लोक में मेरा सासन है और आपको बन्दी बनाया जाता है ।"
इसके बाद राजकुमार के आदेश पर राजा को बंदी बना लिया जाता है और यह खबर पूरे महल में आग की तरह फैल जाती है। जब यह खबर महारानी सुनती है उन्हें यकीन नही होता है कि ऐसा भी हो सकता है क्यूंकि वह जानती है कि महाराज के सक्तियो का सामना कोई भी नही कर सकता है सिवाय देवराज के लेकिन वह भी इन्हें बंदी बंनाने की समर्थ नही रखते है तो वह राजा से मिलने के लिये बंदीगृह पहुच जाती है और वंहा पहुच कर राजा से मिलती है और बोलती है कि
महारानी " महाराज यह कैसे हो गया आपको कोई बंदी बना ले यह कैसे संभव हो सकता है ।"
महाराज "हो सकता है महारानी विधि के विधान में कुछ भी हो सकता है और आप चिंता ना करे हम यंहा पर अच्छे से है ।बस आप अपना ख्याल रखे और हो सके तो जल्द से जल्द यह महल छोड़कर कही और चली जाय क्यूंकि आपका पुत्र जल्द ही पाप का प्रतीक बन जायेगा और उसका सामना केवल मेरा धर्मपुत्र ही कर सकेगा और मैने अपनी सक्तियो का कुछ भाग उसके अंदर संमहित कर दिया है और एक कार्य है जो मैं आपको दे रहा हु उसे याद से कर दीजियेगा नही तो मेरा छूटना सम्भव ही नही होगा ।"
महारानी "आपको हमारे पुत्र के माता को पाताल लोक के नदी का जल से नहला होगा ताकि वह हमारी सक्तियो को सहन कर सके और उसे एक बात और बता दीजियेगा की अगर वह अपने पुत्र को महासक्तिशाली बनाना है तो उससे शादी करनी होगी और एक बात का ख्याल और रखे कि उसके पहले वह किसी भी स्त्री से शारिरिक सम्बन्ध ना बना पाए ।"
महारानी " ठीक है महाराज जैसा आप कहे मैं वैसा कर दूंगी ।"

राजा "ठीक है अब आप जाए नही तो आपको भी बन्दी बनाया जा सकता है ।"
महारानी "मगर महाराज मैं आपसे एक बात पूछना चाहती हु अगर आपकी इजाजत हो तो ।"
राजा"पूछिये?"
महारानी "क्या हमारे समस्त वंस का नाश कर देगा आपका यह धर्मपुत्र ।"
राजा "नही जो पाप कर्म में लिप्त होंगे सिर्फ उन्हीं का विनाश करेगा और जो विधि के नियमो के खिलाफ जाकर कार्य करेंगे लेकिन वह भी दानव का धर्म पुत्र है तो भोग और विलाश की तरफ जरूर जाएगा लेकिन बिना स्त्री के मर्जी के खिलाफ जाकर कुछ नही करेगा और अब आप जाए और जो काम मैंने आपको दिया है उसे पूर्ण करे।"
इतना सुनकर महारानी बंदीग्रह से गायब होकर उस औरत के पास पहुच जाती है ।वह औरत भी महारानी की खूबसूरती देख कर उनमे खो जाती है जिसे महारानी ने हिलाया तो वह वास्तविकता में वापस लौट कर आई और बोली कि
औरत "हे देवी मैं आपको पहचान नही पायी कृपया करके अपनी पहचान बताये ।"
महारानी "मैं अंधेरे की महारानी थी कुछ देर पहले लेकिन अपने ही पुत्र ने अंधेरे के राजा को बंदी बनालिया है जिसकी वजह से अब मैं रानी नही रही ।इसलिए अब तूम मुझे रूपलेखा बुला सकती हो ।"
औरत "हे रानी मालिक ने कुछ बाते अधूरी छोड़ दी है जिसकी वजह से मैं यंहा पर उनकी साधना की तैयारी कर रही थी।"

(दोस्तो रानी को रूपलेखा लिखूंगा।)
रूपलेखा "अब उसकी कोई जरूरत नही है ।वही बताने के लिए मैं यंहा पर आई हूं और महाराज के कुछ अधूरे कार्य को पूर्ण करने के लिए यंहा पर मैं आयी हु।”
औरत "रानी जी मैं कुछ समझी नही कौन से अधूरे कार्य को पूर्ण करने के लिए आप यंहा पर आयी हुई है।"
इसके बाद महारानी ने उस औरत को सारी बाते बता देती है ।जिसे सुनकर वह औरत सोच में पड़ जाती है। उसे सोचते देख कर महारानी बोलती है कि
रूपलेखा " क्या सोच रही हो मुझे बताओ ।मैं तुम्हे उसका हल बताउंगी।"
औरत " मैं यही सोच रही थी कि क्या मेरा पुत्र मेरे से शादी करने के लिए तैयार होगा और अगर मैंने किसी तरह से तैयार कर भी लिया तो क्या यह समाज उसकी मान्यता देगा और एक बात उस उम्र में जाकर शादी करना उचित होगा ।"
रूपलेखा "तुम उसकी चिंता बिल्कुल भी मत करो कि तुम्हारा पुत्र तुमसे शादी करेगा कि नही क्यूंकि उसके जन्म के बाद से दुनिया की नजर मैं उसकी माँ रहूंगी क्यूंकि मेरे पति ने इसे अपना धर्मपुत्र माना है तो इस नाते यह मेरा पुत्र भी हुआ और रह जाती है बात समाज की तो हम यंहा से दूर चले जायेंगे जब तक की 18 वर्ष का नही होजाता और अब रह जाती है बात तुम्हारे उम्र की तो वह पाताल लोक की नदी के जल से स्नान करने के बाद तुम सदा के लिए एक जवान युवती बनी रहोगी ।बुढापा तुम्हे छू भी नही पायेगा ।"
औरत "ऐसा हो सकता है क्या "
रूपलेखा "जरूर होगा बस तुम्हे मेरे साथ चलना होगा ।"
इतना बोलकर महारानी ने उस औरत का हाथ पकडा और गायब हो गयी ।फिर उसके बाद वह नदी के किनारे प्रकट हुई ।फिर महारानी ने उस औरत से बोला कि
रूपलेखा " तुम पूर्ण रूप से नग्न हो कर इस नदी में स्नान कर लो ।"
औरत "पर महरानी आपके सामने मैं कैसे नग्न हो सकती हूं ।"
रूपलेखा "इसमे कौन सी बड़ी बात है जो तुम्हारे पास है वही मेरे पास भी है तो मुझसे कैसी शर्म और अगर तुम वस्त्र पहन कर नहा ली तो इसका कोई फायदा नही होगा ।"
औरत " किन्तु महारानी अगर आपके सिवा कोई और आ गया तो "
रूपलेखा "यंहा पर मेरे सिवा और कोई नही आ सकता है क्यूंकि यह स्थान बाकी सभी के लिए निषेध है इसलिए डरने की कोई जरूरत नही है।"
यह सुनने के बाद वह औरत अपने सम्पूर्ण वस्त्र उतार कर नग्न हो जाती है और नदी में नहाने लगती है और जब वह नदी से नहा कर निकलती है तो वह पहले से भी सुन्दर और जवान हो जाती है और उसका सरीर किसी पत्थर की तरह मजबूत हो जाता है । तब महारानी उसे कपड़े पहनने को बोलती है क्यूंकि उन्हें डर था कि कही उसके पुत्र को इस स्त्री के बारे में पता चल गया तो वह इसे बन्दी न बना ले और अगर ऐसा हो गया तो महाराज का छूटना मुश्किल हो जाएगा। इसके बाद वह उस औरत को लेकर धरती पर आ जाती है ।फिर जब वह औरत खुद पर ध्यान देती हो वह चकित हो जाती है और बोलती है कि
औरत "यह क्या मैं तो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत और जवान हो गयी हु ।"
रूपलेखा "हा यह सत्य है कि अब तुमपर उम्र का कोई बंधन नही रहा जब तक जीवित रहोगी सदा ऐसी ही जवान और खूबसूरत बनी रहोगी ।"
औरत "वह सब तो ठीक है लेकिन अब हम रहेंगे कंहा और करेंगे क्या ।क्यंकि जंहा मैं पहले रहती थी वंहा जाना सम्भव नही है और दूसरा कोई जगह मेरे ध्यान में नही है ।"
Awesome Update

Andhere ke Raja ko bandhi bana liya gaya. Aur uski patni aagayi hai prithvi pe uss Aurat ke paas.
Ab woh aurat saari umra javaan rahegi taaki woh apne bete se hi shaadi kar sake. Iske liye usse paatal ke nadi mein nanga nehlaya gaya.
Ab dekhte hai yehlog kyaa karte hai
 

Jaguaar

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महारानी उसकी बातों को सुनकर कुछ देर तक हस्ती रही और फिर बोली कि
रूपलेखा "तुम्हे क्या लगता है अब तुमको कोई पहचान पायेगा । अब तो यह संभव ही नही है बस इतना जान लो कि अब तुमको समाज मे एक नई पहचान से दुनिया के सामने आना होगा क्यूंकि अब तुम्हारी पुरानी पहचान तुम्हारे किसी काम की नही है और उससे भी बड़ी बात यह है कि अब अगर तुम अपने वास्तविक नाम से रहोगी तो हो सकता है तुम्हे जान से मारने की फिर से कोशिश की जाय जो कि ना तो तुम्हारे लिए हितकर होगा और ना ही मेरे लिए।
औरत ”तो आप क्या चाहती है कि मैं अपनी पहचान बदल लू ।तो चलिए मैं आपकी यह बात मान लेती हूं लेकिन फिर भी सवाल तो अब भी वही है कि हम रहेंगे कंहा और करेंगे क्या।"
रूपलेखा " उसकी चिंता तुम मत करो यंहा इंसानो के बीच मे जो हमारे गुलाम रहते है हम उनकी मदद ले सकते है लेकिन मैं ऐसा करने के लिए सोच भी नही सकती क्यूंकि वह राजसिंहासन के प्रति वफादार होते है ना कि किसी आदमी विशेष के लिए इसलिए अगर अब मैने उनसे मदद ली तो हो सकता है कि हमारी खबर उन तक पहुच जाए इसलिए मैं तो यही कहूंगी की हम एक साधारण जिंदगी जी सकते है जब तक कि हम उन कमीनो से लड़ने के काबिल ना बन जाये।"
औरत "ठीक है जैसा आप कहे और एक बात है अगर आपकी इजाजत हो तो कहु।"
रूपलेखा "तुम्हे कुछ भी कहने के लिये इजाजत लेने की जरूरत नही है बिना किसी संकोच के बोल सकती हो ।आखिर तुम मुझसे ज्यादा जानती हो यंहा के बारे में।"
औरत "मुझे एक बात समझ मे नही आ रही है कि आपके पुत्र ने महाराज को बन्दी क्यों बना लिया और अब आप भी डर की वजह से अपनी सारी सुख सुविधा छोड़ कर यंहा पृथ्वी पर इंसानो की भांति रहने पर मजबूर हो गयी है ।"
रूपलेखा" बस इतना समझ लो यह नियति का खेल है और आने वाले समय की मांग भी है ।इसके आगे समय आने पर पता चल जाएगा ।अब हमें ज्यादा समय
यंहा पर नही व्यर्थ करना चाहिए।"
इसके बाद महारानी ने उस औरत के साथ दूसरे सहर जाने के लिए निकल पड़ी या यूं कह लीजिए कि अपनी सक्तियो के मदद से दूसरे सहर को चली गई ।जहा पर उन्होंने अपनी सक्तियो के मदद से एक घर का निर्माण किया और वंहा पर रहने के लिए सारी व्यवस्था कर दी ।
वंही दूसरी तरफ उस औरत के भागने के बाद रंजीत ने माँ और उसकी बेटी की परछाई जो कि केवल 24 घंटे के लिए बनी थी उन दोनों के साथ अपने आदमियो के मदद से दोनों का बलात्कार करके उसकी माँ को जान से मार दिया और बेटी की परछाई को लेकर अपने घर के तरफ चल दिया ।उधर पाताल लोक में राजकुमार को पता चलता है कि उसकी माँ ने भी उसे धोखा दे दिया है और पिता जी से मिलने के बाद वह महल को वापस नही आई है और अभी कुछ देर पहले वो किसी के साथ नदी के तट पर आई हुई थी और वही से वापस चली गयी है तो वह अपने गुप्तचरों के माध्यम से पता करने की कोशिश करता है लेकिन उसे कुछ भी सफलता नही मिलती है और जब तक वह सिघषन पर विराजमान नही होजाता तब तक वह अपनी माँ के बारे में पता नही कर सकता है ।इस तरह कुछ महीने बीत जाते है और वह घड़ी भी आ जाती है जब वह सिघाशन पर बैठता है लेकिन इसके बाद भी वह मा के बारे में पता करने में सफल नही हो पाता है तो वह गुरदेव से इसका कारण पूछता है तो वह बताते हैंकि महारानी ने देवी से प्राप्त वरदान का प्रयोग अपने आप को दुनिया की नजर से बचने के लिए किया है और इसकी अवधि वह कितना रक्खी है और कितने लोगों पर की है इसके बारे में पता लगाना संभव नही हैं।
आखिर में थक कर राजकुमार अपनी सक्तियो को बढ़ाने में लग जाता है ताकि समय आने पर मुकाबला कर सके


ऐसे ही समय बीतता गया और वह समय भी आ गया जब औरत ने अपनी संतान को जन्म दिया। जन्म के साथ ही उसकी खूबसूरती में और भी ज्यादा निखार आ गया ऐसे मैं उसे देख कर कोई यह नहीं कह सकता था वह एक बच्चे की माँ है ।महारानी ने उस सन्तान का नाम आर्यन रक्खा ।
कहानी के पात्रों से परिचय
सीमा शर्मा हीरो की मां जिन्होंने बच्चे को जन्म दिया ।

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रूपा (रूपलेखा) हीरो की कथित माँ


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आर्यन (आर्या)कहानी का हीरो
रंजीत सिंह सहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन और राजघराने से सम्बन्ध रखते है

मधु सिंह एक घरेलू महिला लेकिन दिखने में किसी भी हीरोइन को फेल कर दे

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इनकी 3 संतान है एक बेटा और दो बेटियां है
रेनू सिंह अपनी माँ की तरह ही खूबसूरत और बहुत ही नेकदिल लड़की है ।यह सबकी मदद करती है चाहे वह कोई जीव जंतु हो या कोई आदमी अपनी माँ से बहुत प्यार करती है

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दीपाली सिंह यह भी अपनी माँ की तरह खूबसूरत है लेकिंन पैसे के घमण्ड हैंऔर अपने आगे किसी को भी नही समझती है

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आरव अपने पापा की तरह कमीना और घर की ही लड़कियो पर गंदी नजर रखता है खासकर रेनू पर ।
विजय सिंह रंजीत का छोटा भाई और उनके हर अच्छे बुरे कामो में भागीदार ।इसने अपनी बीवी को भी अपने भाई के कहने पर अपनी समझ से मार डाला है ।यानी कि एक नम्बर का कमीना इन्शान है ।
रूपाली विजय की दूसरी बीवी यह भी बहुत अच्छी हैं पर इनको विजय की पहली शादी के बारे में कुछ भी नही मालूम है और यह अपने पति को देवता मानती है।क्यूंकि यह काफी गरीब घर की लड़की थी तो बहुत ही सुलझी हुई औरत है

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इनकी एक मात्र बेटी है जो कि काफी गुस्से वाली है
मिताली

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दानव सम्राट ऐलिस
इनके 1 बेटा ओर 1 बेटी है
राजकुमार पारस
राजकुमारी ऐनी

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Awesome Update and Intro

Toh ab maharani aur woh aurat apni pehchan badal ke dusri jagah rehne lage hai. Aur Hero ka janam bhi hojaata hai. Aur naam rakha jaata hai Aryan.

Idher sabka intro hua par heroine ke baare mein nhi bataya. Kyaa jitni bhi ladkiyon ke baare mein bola gaya hai sabki sab hero ke neeche letne wali hai kyaa
 

Jaguaar

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अभी बच्चे के जन्म को कुछ ही समय हुए थे कि उसकी सक्तियो का स्पंदन पूरे ब्रह्मांड में हुआ । चाहे वह अच्छी सक्तिया हो या बुरी ।क्यूंकि इस बच्चे के अंदर अंधेरे के सम्राट का आधी सक्तिया मौजूद थी जो कि किसी को डर से कपा देने के लिए बहुत थी ।उस सक्तियो को महसूस करके जंहा राजकुमार बुरी तरह से गुस्से में भर उठा वही दूसरी तरफ़ कुछ महाराज के मित्र और उनके सुभचिंतक महारानी से मिलने के लिए धरतीलोक पर आए और महारानी को अपने साथ ले जाने को बोले और बच्चे की उचित पालन पोषण की व्यवस्था करने को बोले तो महारानी बोली कि
महारानी "आप लोग इस मुसीबत की घड़ी में हमारे साथ खड़े है यही हमारे लिए बहुत बड़ी बात है और आप लोग हमारी बिल्कुल भी चिंता नही करे और रही बात इसके लालन पोषण की तो वो एक माँ से बेहतर और कोई नही कर सकता है और इसकी तो यंहा पर दो माँ है ।"
तो उनमें से एक बोलता है कि
आदमी 1"महारानी आप ऐसा बोल कर हमें सर्मिन्दा कर रही है और रही बात इस बच्चे की पालन पोषण की तो इसमें हम लोग बाधा नही डालना चाहते है हम तो केवल इतना चाहते है कि इसकी सक्तियो को सही दिशा दिखाई जाए और इसके साथ समय आने पर युद्ध कला और पुरातन ज्ञान को पढ़ाने की व्यवस्था की जाए।"
महारानी " आप लोग निश्चिन्त रहे समय आने पर जब हमको आपकी जरूरत पड़ी तो हम आपको जरूर याद करेंगे और रही बात इसकी सक्तियो को इसके काबू में लाने की बात तो उसकी शिक्षा हम करा देंगे ।इतना तो आप लोग हम पर विश्वास कर ही सकते है ।"
आदमी 2 "महारानी हम लोगो को आपकी सक्तियो और साहस पर पूरा विश्वास है और हम यह भी जानते है जो विद्यया आप दे सकती है वह कोई और नही दे सकता है ।मैने आपकी युद्धकुशलता और मायावी सक्तियो पर जो आपका नियंत्रण है वह महाराज के अलावा और किसी के पास नही है ।"

महारानी "हम आप लोगो को एक बात बताना चाहते है जो हमे लगता है कि आप सभी लोगो को ध्यान से सुनना चाहिए ।"
आदमी 1 "ऐसी कौन सी बात है जिसकी वजह से आप हम सभी को सावधान करना चाहती है ।"
महारानी " वैसे तो हमारे लिए किसी भी प्रकार की चिंता करने की कोई जरूरत नही है क्यूंकि जो बच्चा पैदा हुआ है वह कोई मामूली इन्शान का बच्चा नही है वह पहले दानव सम्राट है जिनकी सक्तिया आज भी इस ब्रह्मांड में बिखरी हुई है और उनसे ज्यादा ताकतवर तो ना तो उस समय कोई था और ना ही अब कोई होगा ।"
आदमी 2 "मतलब की वह भविष्यवाणी सत्य सिद्ध होगी यानी कि वह समय ज्यादा दूर नही है जब पूरे ब्रह्मांड में दानवी सकक्तियो का ही राज होगा ।"
महारानी "महारानी यह सत्य है लेकिन इसका एक विनाशकारी परिणाम भी होगा ।"
सभी एक साथ "वो क्या महारानी "
महारानी "अगर ऐसा हुआ तो वही समय प्रलय का होगा सब खत्म हो जाएगा इसलिए हमें पाप और पुण्य दोनों को संतुलन में रख कर ही चलना होगा और वैसे अभी इन सब बातों में समय हैअब तुम लोगो को जब भी मिलना हो ध्यान अवस्था मे ही मिलो ।मैं नही चाहती कि हमारी एक गलती की वजह से महाराज की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।"

आदमी "जैसा आप को उचित लगे वैसा ही हम करेंगे ।हमारे लिये अगर कोई भी कार्य हो तो हमे जरूर याद कीजियेगा ।हम तुरन्त ही सेवा में हाजिर हो जाएंगे ।"
महारानी "आप लोग बस एक कार्य कीजिये कि मेरी बेटी को किसी भी तरह से संदेश पहुचा दीजिये की उसकी माँ ने उसे याद किया है और दूसरा काम यह है कि आप लोग एक स्थान का चुनाव करे जो कि सुरक्षित हो और वहां पर युद्ध का अभ्यास किया जा सके ।समय आने पर आप लोगो को बुला लिया जाएगा ।"
वही दूसरी तरफ रंजीत लगातार अपनी बेटियों के किस्मत के बल पर दिन दूनी रात चौगनी तरक्की के सफर बढ़ रहा था ।उसके दिमाग से सीमा और उसकी माँ के साथ किये गए दुष्कर्म को वह पूरी तरह से भूल चुका था ।उसके बाद उसने फिर कभी पीछे मुड़ कर नही देखा ।देखते ही देखते वह विश्व मे टॉप के 3 अमीरों में से एक बन गया ।उसकी तरक्की से जंहा एक तरफ खुशी का माहौल था वही दूसरी तरफ सीमा की चिंता बढ़ती जा रही थी कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह अपना बदला कैसे पूरा करेगी ।वही अब वह बच्चा समय के साथ पूरे 5 वर्ष का हो चुका था तो महारानी एक दिन अपने साथियों को याद किया और उन्हें बुलाया और उनसे बोली कि
महारानी " देखो अब वह समय आ चुका है कि अब तुम लोग इस बालक को युद्ध और पुरातन शिक्षा दो।"
आदमी "लेकिन महरानी हमे लगता है कि इस बालक को पुरातन विद्यया के साथ साथ आज के समय का पूरा ज्ञान होना चाहिए ।"
महारानी "हा मैं जानती हूं इसलिये आप लोग इस बात की बिल्कुल भी चिंता ना करे क्यूंकि मैं इस बालक को दो भागों में विभक्त कर दूंगी एक को आप लोग लेकर चले जाइयेगा और दूसरा हमारे साथ यंहा की सारी सभ्यता को सीखेगा और उसके साथ साथ मैं उसे ध्यान योग और संसार मे उपस्थित मायावी विद्यया का ज्ञान दूंगी।"
आदमी 2"महारानी इससे तो वह कमजोर हो जाएगा ।"
महारानी "अभी के समय मे कमजोर जरूर होगा लेकिन समय के साथ दोनों ही महान योद्धा और महासक्तिशाली होंगे ।"
आदमी "ठीक है जैसा आप कहे ।हम वैसा ही करेंगे ।"
इसके बाद महारानी ने सोते हुए बालक पर कुछ मंत्र पढ़ी और इसके बाद वह बालक दो भागों में बट गया।
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Jaguaar

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महारानी ने उस बालक के एक भाग को अपने साथ लेकर वंहा से दूर चली आयी और अपने साथ उन सभी लोगो को लेकर भी आई और फिर बोली
रूपलेखा :- "देखो तुम लोग इस बात का खास ध्यान रखना की आर्यन के बारे में जितने कम लोगो को पता चले उतना ही अच्छा होगा नही तो इसकी जान को खतरा हो सकता है और अगर ऐसा हुआ तो समझ लेना कि महाराज को छुड़ाना फिर नामुमकिन हो जाएगा ।"
आदमी 1 :-"महारानी आप बिलकुल भी चिंता ना करे हम अपनी जान देकर भी इसकी रक्षा करेंगे ।
महारानी :-आप लोग इसे इस संसार मे जितने तरह के युद्ध कला है और पुरातन ज्ञान है वह प्रदान करियेगा ।
सब एक साथ बोलते है जी ऐसा ही होगा और इसके बाद वह सब महारानी को प्रणाम करके वंहा से चले जाते है फिर महारानी भी वापस आकर अपने बिस्तर पर सो जाती है ।
सुबह होते ही वह अपने समय से उठती है तो देखती है सीमा बहुत ध्यान से आर्यन को देख रही है उसे इस तरह से देखते हुए देख कर रूपा बोलती है कि
(दोस्तो महारानी जब पाताल लोक के निवासियों से बात करेंगी तो उन्हें रूपलेखा और जब धरतीलोक के वासियो से बात करंगी तो रूपा लिखूंगा )
रूपा :क्या बात है सीमा बहुत ध्यान से आर्यन को देख रही हो ।
सीमा :दीदी मैं यही देख रही हु की आर्या कल के अपेक्षा आज कुछ कमजोर दिखाई दे रहा है ।
रूपा :ऐसी कोई बात नही है बस यह तूम्हारे मन का भर्म है और कुछ भी नही।
सीमा :ठीक है दी मुझे भी ऐसा ही लग रहा है चलिए कोई बात नही है मै आज थोड़ा जल्दी ऑफिस जा रही हु बॉस ने कुछ काम दिया है जो आज पूरा करना है ।
रूपा :हा जा तू लेकिन एक बात का ख्याल रखना कि
सीमा :हा मैं जानती हूं आखिर कितनी बार एक बात समझोगी दी आप ।
रूपा :हा मैं जानती हूं तू बहुत समझदार हो गयी है लेकिन मेरी बात को भूलना मत समझी की नही ।
सीमा : हा मैं समझ गयी और अगर आपकी इजाजत होतो क्या मैं अब जा सकती हूं।
रूपा :हा जाओ।
इसके बाद सीमा तैयार होकर अपने काम पर चली जाती है और रूपा आर्यन को तैयार करके स्कूल निकल जाती है और उसे वंहा छोड़ कर घर आ जाती है ।जब वह घर पहुचती है तो देखती है कि उसकी बेटी एनी घर मे बैठी उसका इन्तजार कर रही थी। अपनी बेटी को देखकर महारानी बहुत ही खुश होतीं है और अपनी बेटी के गले लगती है और उसे बैठने को बोलती है फिर एनी बोलती है कि

एनी :माँ आखिर कर यह सब क्या हो रहा है मुझे तो कुछ भी समझ मे नही आ रहा है ।वंहा पर पिता जी को भाई ने बन्दी बना कर कारागार में डाल दिया है और इधर आप एक मामूली इंसान की जिंदगी जीने पर विवश है ।जो भाई पिता जी के सामने सर नही उठा सकता था आज वह पिता जी को बन्दी बना रखा है ।
रूपलेखा :बेटी मैं तुम्हे ज्यादा तो नही बता सकती बस इतना जान लो अतीत एक बार फिर से खुद को दोहराने वाला है और अगर ऐसा हुआ तो समझ लो सब खत्म हो जाएगा ।बस हम लोग उसी से बचने का उपाय कर रहे है ।
एनी : मा मुझे जब सूचना मिली तो इसके बाद मैं किसी तरह से बच कर यंहा तक आने में सफल हो सकी है तो बताये आखिर किस लिए आपने मुझे याद किया है।
रूपलेखा :हमने तुम्हे बस इसलिए बुलाया है कि तुम्हे कुछ बातों से अवगत करा सकू।
एनी :ऐसी कौन सी बात है माँ जो आप इतना परेशान हो रही हो।
रूपलेखा :सुनो बेटी तुम और तुम्हारी जैसी चार लड़कियों की तलाश तुम्हारा भाई कर रहा है और अगर उसे यह पता चला कि तुम उनमे से एक हो तो यह हम सबके लिए ठीक नही होगा।
एनी :माँ आखिर आप कहना क्या चाहती है कुछ समझी नही।
रूपलेखा :तुमने पाताल लोक के प्रथम राजा का इतिहास तो पढ़ी हो ना तो बातओ उनकी कुल कितनी पत्नी थी ।
एनी : माँ जंहा तक मुझे याद है उनकी कुल 5 पत्निया थी ।एक मिनट आपके कहने का मतलब यह तो नही है ना कि मैं उनमे से एक हु ।
रूपलेखा : हा मैं यही कहना चाहती हु इसलिए जब तक तुमको तुम्हारे पूर्वजन्म के सम्राट नही मिल जाते तब तक तुम किसी के साथ शादी नही कर सकती और कुछ भी नही।
एनी : हा माँ मैं समझ गयी लेकिन मैं यह पूछ सकती हूं वह कौन है और इस वक्त कहा है ।
रूपलेखा :जब वह तुम्हारे सामने आएंगे या तुमको छू भी लिया तो तुम्हारा रूप परिवर्तन हो जाएगा
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Kahi yeh 5 patniyan Ranjeet aur Vijay ki betiyan bhi toh nhi
 

Jaguaar

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दोस्तो आखिर बहुत समय के बाद मैं इस कहानी को फिर से सुरु कर रहा हु इसलिए हो सकता है कि कहानी में थोड़ा बदलाव हो तो चलिए सुरु करते है।

Restart update 1
जैसा कि आप लोग जानते है कि सीमा और उसकी माँ ने काली सक्तियो को खुश करके पुत्र के रूप में दानवराज का अंश पाना चाहती है जो कि उनके बदले को पूरा कर सके । जिसमे वह लोग सफल भी होते है और उन्हें उनकी कीमत भी चुकानी पड़ती है जो कि सीमा को अपनी पहचान और माँ दोनो ही खोना पड़ता है ।उसकी माँ ने जो उसे नया चेहरा दिया उसकी मदद से वह अपनी एक नई पहचान बना लेती है ।वही दूसरी तरफ दानवराज के पुत्र को जब यह सूचना मिलती है तो वह अपने पिता को ही बन्दी बना लेता है और पूरे दानव लोक में अपना राज्य कायम कर लेता है इधर दानव रानी को जैसे ही इस बारे में पता चला तो वह दानवराज से मिलने के लिए जाती है ।जंहा पर दानवराज उनको धरती लोक पर भेजते है सीमा की मदद के लिए और सीमा की मदद करके दानवराज के पुत्र के रूप में पहले दानव सम्राट का जन्म होता है जिनके बारे में बहुत कम लोगो को ही मालूम होता है। इधर सीमा और रूपलेखा दोनो ही अपनी अलग पहचान बनाने में सफल होती है ।इधर रूपलेखा अपनी बेटी एनी को बुला कर सभी बातों से अवगत कराती है और यह भी बोलती है कि वह पहले दानवराज की बीवियों में से एक है और उसे अपने भाई से बचकर ही रहना होगा।।।।।।।।

अब आगे

अपनी माँ से यह सब बातें जानकर राजकुमारी को एक झटका लगता है और वह अपनी माँ से बोलती है
एनी :
माँ मुझे ऐसा लग रहा है कि आपको जरूर कोई गलतफहमी हो रही है वरना भला एक दानव कन्या और एक इंसान में भला कोई संबंध कैसे हो सकता है।

रूपलेखा : पुत्री अब जो सच है वह यही है और भूलो मत दानवराज का जन्म चाहे इन्शान से हो या फिर किसी दानव कन्या के गर्भ से उससे उनकी पहचान नही बदल जाएगी और यह बात तो तुम जानती ही हो कि जब उनका जन्म हो चुका है तो तुम्हरी तीन सौतन ने भी कंही ना कंही जन्म लिया ही होगा इसलिए मैं चाहती हु की तुम उनको खोजो और उनके सुरक्षा की प्रबंध करो ।

अभी वह इसके आगे कुछ और बोलती इससे पहले ही वंहा पर एक साया प्रकट होता है जिसे देखकर रूपलेखा चकित हो जाती है और तुरन्त ही घुटनो के बल बैठ कर प्रणाम करती है और बोलती है

रूपलेखा : गुरुदेव आप यंहा पर आने का कष्ट क्यों किया मुझे बुला लिया होता मैं ही आ गयी होती ।

साया : कोई बात नही महारानी मैं तो बस आपको यह बोलने के लिए आया था कि जो काम आप राजकुमारी को करने को बोल रही है उसे रोक दीजिये क्यूंकि जब तक उनकी बीवियों का मिलन दानवराज से नही होगा तब तक कोई चाह कर उनके बारे में कुछ भी नही पता लगा सकता है और उनकी सुरक्षा का प्रबंध दानवराज ने पहले ही कर दिया था ।राजकुमारी सहित उन पांचो कन्याओ में दानव राज के सक्तियो के अंश है जो की उन्हें हर तरह के मुशीबत से दूर रखेगा और कोई चाह के भी कुछ नही कर सकता है।

एनी : तो गुरुदेव ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए ।

साया : राजकुमारी अभी तो आपके लिए यही बेहतर होगा कि आप अपने लोक में ही रहकर दानवराज के वंहा पर आने का इन्तजार करे और जब वह अपनी सक्तियो के तलाश में आप से मिलेंगे तो ही दानव लोक का कल्याण होगा।

रूपलेखा : गुरुवर लेकिन अब मुझे नही लगता है कि इसका वंहा पर रहना सुरक्षित होगा क्यूंकि इतने वक्त में तो उन लोगो को यह मालूम हो चुका होगा कि यह वंहा पर नही है तो ऐसे में यह केवल मेरे पास ही आ सकती है तो ऐसे में इसका वंहा पर जाना ठीक नही होगा।

साया :उसकी चिंता आप ना करे महारानी इनकी सक्तियो की वजह से इनके दानव लोक से बाहर आते ही एक प्रतिरूप ने इनका जगह ले लिया था जिसकी वजह से वंहा पर तो किसी को इस बात का एहसास तक नही है कि दानव राजकुमारी अपने लोक में नही है।

इधर सीमा जो कि उसके बॉस ने काम है करके बुलाया था पर जब वह ऑफिस पहुची तो देखा कि आज ऑफिस स्टाफ में से कोई भी नही आया है तो यह देखकर उसको थोड़ा डर भी लगा कि बॉस ने आज उसको अकेले क्यों बुलाया है फिर भी वह उनके केबिन की तरफ जाती है तो उसे अंदर से कुछ आवाजे सुनाई देती है और जो कुछ सुना उसकी वजह से उसका दिमाग हिल गया क्यूंकि उसका बॉस उसके साथ आज जबरदस्ती करने के लिए बुलाया था और उसमें उसका साथ दे रहा था उसका खास आदमी जो कि उसका कुत्ता है। इधर दानव रानी रूपलेखा को इस बात की जानकारी हो जाती है कि सीमा के साथ क्या होने वाला है तो वह तुरन्त खड़ी हो जाती है और उनका पूरा सरीर इस वक्त गुस्से में उबल रहा था तो यह देखकर एनी बोलती है

एनी : क्या हुआ माँ आप इतने गुस्से में क्यों हो और इसका कारण क्या है।

रूपलेखा : बेटी मुझे इस वक्त ही जाना होगा क्यूंकि मैंने तुम्हारे पिता को सीमा और आर्यन की सुरक्षा का वचन दिया है ।

साया यह सब देख रहा था और रूपलेखा को शांत रहने को बोलता है और फिर कहते है कि

साया : महारानी आप को चिंता करने की कोई जरूरत नही है ।उन्हें कुछ भी नही होगा अब वह समय आ गया है जब उसे उसकी सक्तियो का परिचय कराया जाए क्यूंकि अब यह बहुत जरूरी हो चुका है ।दुश्मन अपनी सक्तिया बढ़ा रहा है और ऐसे में अगर उनसे लड़ना है तो केवल मायावी सक्तिया ही नही बल्कि धरतीलोक के इंसानो की तरह हर तरह से पावरफुल होना होगा।

उस साया की बात सुनकर रूपलेखा ने अपना सर हिलाते हुए बोली

रूपलेखा : आप सच कह रहे है गुरुदेव अब अगर यंहा पर इज्जत से जीना है तो खुद को इतना ऊँचा करना होगा कि लोगो की नजर भी ना पहुचे वंहा तक और अब तक इन सबने केवल एक लाचार औरत को देखा है लेकिन अब उनके सामने एक पॉवरफुल लड़की को देखेगा जिसके सामने आंख उठा कर देखना भी मुश्किल हो जाएगा।

इधर सीमा को समझ मे ही नही आ रहा था कि वह क्या करे तभी उसके सामने महारानी रूपलेखा प्रकट हुई और बिना कुछ बोले ही उसका हाथ पकड़ा और गायब होकर यंहा अपने घर पर आ गयी तो सीमा उन्हें हैरत से देख रही थी क्यूंकि आज पहलीबार धरती लोक पर आने के बाद महारानी ने अपनी सक्तियो का प्रयोग किया था तो वह बोली

सीमा : दीदी यह सब क्या है आपने तो बोला था कि आप एक नॉर्मल जीवन जीना चाहती है फिर यह सब क्यों।

रूपलेखा : वह इसलिए क्यूंकि अब मै एक बात जान चुकी हू कि यह दुनिया नॉर्मल लोगो को आसानी से जीने नही देती है इसलिए अब हमे अपने आप को बदलना होगा और वैसे भी तुम्हारे दुश्मन इतने आगे जा चुके है। हमे उनसे टक्कर लेने के लिए उनके बराबर मे जाना ही होगा और जिसमे हमे टाइम लगेगा इसलिए इसकी सुरूवात हमे करनी होगी।

सीमा ने जब रूपलेखा के मुह से अपने परिवार के दुश्मन के बारे मे सुनी तो उसकी सभी घाव ताजे हो गए और उसके आंखो मे अश्रु आ गए जिन्हें देख कर रूपलेखा बोली

रूपा : नही सीमा अब रोने का दिन नही है अगर तुम ऐसे ही खुद को कमजोर कर लिया तो आगे की लड़ाइ कैसे लड़ोगी क्योंकि अब बहुत जल्द हम उन लोगो का सामना भी करेंगे।

सीमा : पर जब तक आर्यन बड़ा होकर यह सब करने के लिए तैयार ना हो जाए तब तक हमे उसे उन लोगो से बचाना होगा।।

रूपलेखा : हा तो सीमा उसकी तैयारी हमे अब शुरू करनी ही होगी और वैसे भी आज से तैयार होगा तभी तो वह अपने मकसद मे कामयाब
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Update 2

सीमा रूपलेखा की बातो को समझ नही पाती है तो वह बोलती है कि

सीमा :
दीदी आप क्या बोल रही हो मै कुछ समझ नही पा रही हु आप जरा खुल कर बताएंगी।

रूपलेखा : इसमे ना समझ पाने वाली कौन सी बात है। मै यही कहना चाहती हु कि अब हमको इस गुमशुदा जिंदगी से बाहर आना ही होगा और अब समय आ गया है कि आर्यन की ट्रेनिंग और पढ़ाई दोनों ही शुरू कर देना चाहिए। अब आर्यन की स्कूल मे एडमिशन हो गया है और अब मै उसे मॉडर्न फाइट की शिक्षा दूंगी।

सीमा : ठीक है दीदी जी जैसा आपको उचित लगे आप वैसा करिए मैं तो वैसे भी उसकी सिर्फ जननी हूं बाकी तो पूरे मां का फर्ज आप ही निभा रही हो इसलिए सही मायने में उसकी मां आप ही हो और दुनिया की नजर में भी तो आप भी हो मैं तो उसकी होने वाली बीवी हूं ।

अभी तक सीमा की नजर एनी पर नहीं पड़ी थी और रूपरेखा भी जैसे उसको भूल गई थी तो यह देखकर एनी बोली कि

एनी :
अगर आप लोगों की बातें खत्म हो गई हो तो क्या हमारे ऊपर भी आप लोग ध्यान दे सकती हो । यहां तो ऐसा लग रहा है कि जैसे मैं यहां पर हूं ही नहीं।
सीमा की नजर जब एनी पर पड़ी तो वह उसकी खूबसूरती देखकर एक बार के लिए तो मोहित ही हो गई । अब एनी थी ही इतनी खूबसूरत की किसी की भी नजर उसके ऊपर से ना हटे। एनी सीमा को इस तरह खुद को अपनी तरफ देखते हुए पा कर बोलती है

एनी :
क्या हुआ ऐसे क्या देख रही हो आप मुझे।

सीमा कुछ बोलती नही बस मुस्कुरा के रह जाती है और फिर सवालिया नजरो से रूपलेखा की तरफ देखती है तो रूपलेखा अपनी बेटी का परिचय करवाती है और कुछ देर तक उन तीनो मे कुछ बाते होती है और उसके बाद एनी वापस लौट जाती है। इधर सीमा की ऑफिस मे उसका बॉस सीमा का वेट् कर रहा था पर जब वह नही आयी तो वह सीमा को फोन लगाता है लेकिन रूपा(रूपलेखा) उन्हे उठाने नही देती है। इसके बाद रूपा ने अपने मन मे किसी को याद किया तो कुछ ही देर मे एक आदमी उनके सामने खड़ा था जो महारानी रूपलेखा को देख कर झुक गया और फिर बोला

आदमी :
महारानी आपने इस गुलाम को याद किया। यह तो मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। आज आपने इस गुलाम का मान बड़ा कर दिया।।

रूपलेखा : मैंने तुम्हे यहा पर जिस काम को करने के लिए भेजा था उसका क्या हुआ।

आदमी : महारानी जी मैंने आपके कहे गए आदेश का पुरा पालन किया है और जैसा आप ने कहा था कि आपको धरती लोक मे अपने आदमी जिसके बारे मे आपके बेटे को ना मालुम हो मैंने वैसा ही किया है और वह सब बहुत ही यकीन के आदमी है और मैंने यहा पर अच्छा खासा बिजनेश् भी खड़ा कर दिया है। अब केवल आपका ही इंतजार है।


इतना सुन कर रूपलेखा बहुत खुश हुई और फिर सीमा का परिचय अपनी धर्म पुत्री के रूप मे करवाती है और बोलती है की

रूपलेखा :
हां तो सुनो अब तुम्हारा यहा का काम खत्म हो चुका है और अब तुम दानव लोक जा कर वंहा पर क्या समाचार है इस बारे मे हमे पूरी जानकारी दोगे पर उसके पहले मेरी बेटी सीमा को उस सब का जो आज तक दुनिया के नजर मे तुम्हारा था उसकी मालकिन घोषित करके जाओ और हा एक बात का खास ध्यान रखना की किसी को भी यह पता ना चले कि तुम हमसे मिले हो कभी वरना तुम्हारी मुस्किल और बढ़ जाएगी। जबसे मैंने पाताल लोक छोड़ कर यहा पर आयी हु तबसे मेरा बेटा मुझे खोज रहा है पर अभी तक उसे सफलता नही मिली है।।।

वह आदमी रूपलेखा की बातो को सुनता है और हा मे सर को हिला देता है और फिर बोलता है
आदमी :
जैसा आप का आदेश महारानी मै वैसा ही करूँगा। मै आज शाम तक सब काम निपटा कर दानव लोक लौट जाऊंगा।

इतना बोल कर वह आदमी गायब हो जाता है तो सीमा उनके तरफ देखती है और पूछती है कि

सीमा :
दीदी आप ने ऐसा क्यू किया आप तो बोलती थी कि यह लोग राजगद्दी के लिए वफादर होते है तो क्या ऐसे मे यह आपके पुत्र को यहा के बारे मे नही बता सकता है।

रूपलेखा : जरूर बता देता पर तुमने सुना नही की वह हर बार मुझे महारानी बोल रहा था इसका मतलब यह है कि मेरे बेटे ने महाराज को बंदी जरूर बना लिया है पर अभी तक उस राजगद्दी प्र बैठने के काबिल नही बन पाया है और उस काबिल होने के लिए अभी उसको अपनी ताकत को बढाने होंगे या फिर पूर्व राजा उसे अपना वारिस घोषित करे जो उन्होंने नही किया या फिर एक और तरीका हैं की राजा को बंदी बना लो जो उसने किया है और जिस किसी को राजा ने वरिश घोषित किया है उसे मार दो तब ही वह उस गद्दी के काबिल होता है और मैंने देवी मा की तप करके कुछ वरदान पाया था जिसका उपयोग मैंने हम तीनो के ऊपर किया है और जिसकी वजह से आर्यन के 18 वर्ष तक होने तक हमारा पता उसे या किसी को नही चलेगा जब तक मै ना चाहू।

इधर उस आदमी ने जाकर सभी बोर्ड ऑफ मेम्बर की मीटिंग बुला कर यह बोल दिया की आज D GRUP OF COMPANY की असली मालकिन आ रही है। दोस्तो यह वही कंपनी है जिसमे सीमा वंहा पर मैनेजर जूनियर असिस्टेंट के रूप मे काम करती थी और आज वह उसी कंपनी की मालकिन की मालकिन बन चुकी थी। यह कंपनी देश के टॉप पांच मे से एक थी लेकिन अभी भी रणजीत सिंह से बहुत ही पीछे थी। उसकी कंपनी internetionl थी और यह अभी उतनी नही फैल पाई थी पर भारत के हर बड़े सहर मे इसका ब्रांच हो गया था और ऐसे ही एक ब्रांच मे सीमा काम कर रही थी। ऐसे ही करीब दो दिन बीत गए और वह समय भी आ गया जब सीमा अपने नये आवतार मे सबके सामने आने वाली थी। वैसे तो उसे बहुत लोग जानते नही थे पर जो जानते थे उनके लिए यह बहुत बड़ा झटका सबित होने वाली थी।
Superb Update
 
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