सुबह के 5:00 बज रहे थे,,,, सूरज की पहली किरण धरती पर आने के लिए अंधेरों को चीरते आगे बढ़ रही थी,,,,,, सुबह की ठंडक में अभी भी बहुत से लोग बिस्तर में मीठी नींद का मजा ले रहे थे,,,, होटल में अभी भी चारों तरफ शांति छाई हुई थी,,,,,, लेकिन कपिल की आंख बहुत जल्दी खुल गई क्योंकी आज उसका एग्जाम था,,,उसे जल्दी तैयार होना था और कॉलेज भी जाना था जहां पर एग्जाम होने वाली थी,,,उसकी नींद खुली तो बिस्तर पर सो रहे उसके पापा पर उसकी नजर पड़ी जो की गहरी नींद में सो रहे थे वह चाहती थी कि उसके पापा से उठने से पहले हुए हैं नहा धोकर तैयार हो जाएगी,इसलिए सुबह-सुबह पेशाब के प्रेशर के साथ ही उसकी नींद खुल गई और वह बाथरूम में जाकर पेशाब करने लगी,,,पेशाब करते समय उसकी बुलाकी बुर के गुलाबी छेद से आ रही सिटी की जबरदस्त आवाज संजय कानों में पड़ते ही संजय की नींद उड़ गई,,,,, वह मधुर मादक सिटी की आवाज से अच्छी तरह से वाकिफ था,,,,और यह जानने के लिए की सिटी की माता का भाषा कहां से रही है इसलिए अब अपने बिस्तर पर नजर दौड़ा या तो शगुन वहां पर नहीं थी उसे समझते देर नहीं लगी कि बाथरूम के अंदर उसकी बेटी है,,,उत्तेजित होने के लिए यह एहसास ही उसके लिए काफी था पल भर में ही उसका लंड तनकर एकदम खड़ा हो गया,,,,,, पेशाब करने की आवाज से ही संजय पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा वह अपने मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने पजामी को घुटनों का सरका कर मुत रही होगी,,, या हो सकता है वह अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मुत रही हो,,,,,अपने मन में यह सोचने लगा की पेशाब की धार उसकी गुलाबी बुर के छोटे से छेद से निकलती हुई कैसी लग रही होगी,,, उसकी गोलाकार सुडोल,, गांड बैठने की वजह से कैसे निकल कर बाहर उभर आई होगी,,,, यह सब सोचकर संजय पागल हुआ जा रहा था और उसका हाथ अपने आप उसके पजामें में चला गया और उसने खड़े लंड को सहलाना शुरु कर दिया,,,, अभी भी बाथरूम से सीटी की आवाज लगातार आ रही थी संजय को समझते देर नहीं लगी कि उसकी बेटी को जोरों से पेशाब लगी हुई थी,,,,,,,
संजय बाथरूम के अंदर के नजारे को देखने के लिए तड़प उठा,,, लेकिन वो जानता था कि अंदर का नजारा देख सकना नामुमकिन है इसलिए अपने मन में ही अपनी कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा रहा था,,,,,, संजय को अपने पजामे में भूचाल उठता हुआ महसूस हो रहा था,,,संजय की हालत खराब थी अपने बेटी की मुतने की आवाज को सुनकर,,,, इस बात से बेखबर शगुन इत्मीनान से पेशाब करने के बाद उठ खड़ी हुई और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,, बाथरूम में लगे मिरर में,,, अपने संपूर्ण वजूद को देखकर खुद सगुन शर्मा गई,,,,,, उसे अपनी खूबसूरती पर गर्व हो रहा था उसका बदन संगमरमर से तराशा हुआ प्रतीत हो रहा था छातियों की शोभा बढ़ाती उसकी दोनों गोलाइयां,,, पेड़ में लगे अमरूद की तरह नजर आ रही थी,,,, लाल-लाल होठों में जैसे कि गुलाब की पत्तियों का सारा रस निचोड़ कर भर दिया गया हो,,,, शगुन की नजर अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वह शर्म से लाल हो गई,,, हल्के हल्के रोए उसे अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों के इर्द-गिर्द नजर आ रहे थे जिसे वह तीन-चार दिन हो गए थे क्रीम लगाकर साफ नहीं की थी यूं तो शगुन को अपनी दोनों टांगों के बीच सफाई ज्यादा ही पसंद थी,,, लेकिन तीन-चार दिनों से एग्जाम की तैयारी करने की वजह से उसे समय नहीं मिला था लेकिन फिर भी वह रेशमी रोए उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे,,,, अपने आप ही शगुन की हथेली अपनी दोनों टांगों के बीच पहुंच गई और वह अपने हाथों से अपनी बुर को मसल दी,,,।
सहहहहह ,,,,,की गरम सिसकारी की आवाज के साथ वह अपनी हथेली को अपनी बुर के ऊपर से हटा ली,,,,सावर चालू करने से पहले वहां पीछे घूम कर मिरर में अपने नितंबों की गोलाई को अपनी आंखों से नापने लगी,,, गजब का नजारा मिरर में नजर आ रहा था अपनी उभरती हुई गांड को देखकर खुद शगुन दांतो तले उंगली दबा ली,,,,,,,धीरे-धीरे अपने ही नंगे बदन को देख कर सब उनके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी लेकिन वह अपनी उत्तेजना को इस समय उभरने नहीं देना चाहती थी,,,क्योंकि वह अपना सारा ध्यान एग्जाम पर केंद्रित करना चाहती थी इसलिए सांवर चालू करके नहाने लगी,,, कुछ ही देर में गरम हुए बदन पर पानी की ठंडी बुंदे पडते ही,,, शगुन को थोड़ा राहत हुई लेकिन सावर से गिर रहे पानी की आवाज को सुनकर संजय का मन बेचैन हो गया,,,उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहा रही है,,, उसका मन अपनी बेटी को नंगी देखने के लिए ललच रहा था,,,हालांकि वह अपने मन में आए गंदे विचार को लेकर काफी परेशान भी था लेकिन जवानी का जोश खूबसूरत नंगे बदन को देखने की लालच पर उसका अंकुश बिल्कुल भी नहीं रह गया था,,,,,,,
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थोड़ी ही देर में अपनी खूबसूरत संगेमरमरई बदन पर टावल लपेटकर वह बाथरूम से बाहर आ गई वह बाथरूम में अपने कपड़े ले जाना भूल गई थी,,,,जैसे ही वह बाथरूम से बाहर निकली वैसे ही समझे जानबूझकर अपनी आंखों को बंद कर लिया और गहरी नींद में सो रहे होने का नाटक करने लगा बाथरूम से निकलने के बाद शगुन एक नजर अपने पापा पर डाली और वह गहरी नींद में सो रहे हैं यह जानकर इत्मीनान से रूम में लगी मिरर के सामने खड़ी हो गई,,,,,, कुछ देर तक आईने में दीख रहे अपने अक्स को देखने लगी,,,,,और मुस्कुराने लगी उसका मन गीत गुनगुनाने को कर रहा था लेकिन अपने पापा की नींद में कोई खलल न हो जाए इसलिए वह अपने आप को रोके हुए थी,,,,
आज तक
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ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वह इस तरह से अपने पापा के कमरे में या उनके सामने कपड़े बदले और इस तरह से टॉवल में आए लेकिन आज का दिन और माहौल कुछ और था,,,वह अपने घर में नहीं बल्कि एक होटल में थी जहां पर वह एग्जाम देने आई थी और एक ही कमरा था जहां पर ना चाहते हुए भी उसे अपने कपड़े बदलना पड़ रहा था ऐसे तो वह बाथरूम में जाकर कपड़े बदल सकते थे लेकिन उसके पापा अभी नींद में थे इसलिए वह बेझिझक अपने कपड़े बदलने के लिए तैयार थी ,,,
संजय धीरे से अपनी आंखों को खोल कर अपनी बेटी को भीगे हुए खूबसूरत जिस्म को देख रहा था जिस पर एकता व लिपटी हुई थी लेकिन उसकी अनुभवी आंखें टॉवल में लिपटी हुई उसके संपूर्ण बदन के भूगोल को अपनी आंखों से टटोल रही थी,,,,,, संजय अपनी बेटी के गांड के उभार को देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, संजय का लंड अभी भी उसके पजामे में गदर मचा रहा था,,,, वह अपनी अधिक खुली आंखों से सब कुछ देख रहा था उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, शकुन अपने बैग में से कपड़े निकालने के लिए नीचे झुकी तो उसके झुकने की वजह से जो नजारा संजय की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, शगुन की गांड संजय की नजर की आंखों के सामने उभर कर आ गई थी और टांगों के बीच कि उसकी पतली दरार भी उसे साफ नजर आने लगी थी,,,अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार को देखते ही संजय की सांस रुकते रुकते बची थी,,, और उसके लंड में लावा का उबाल बढने लगा,,,, संजय की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी और दूसरी तरफ शगुन इस बात से अनजान कि उसके पापा अपनी आंखों को खोल कर उसके बेशकीमती खजाने को अपनी आंखों से ही लूट रहे हैं वह बैग में रखे अपने कपड़े को ढूंढ रही थी,,,,, सबसे पहले वह बैग में से अपनी लाल रंग की पैंटी को ढुंढ कर उसे हाथों में लेकर उसे पहहने के लिए खड़ी हुई तो उसकी टावल तुरंत खुल कर नीचे गिर गई,,,इस बात का अंदाजा सगुन को बिल्कुल भी नहीं था वह टावल के गिरने की वजह से पूरी तरह से नंगी हो गई थी और एकदम से चौक गई थीक्योंकि इस समय वह बिस्तर पर गहरी नींद में सो रहे हैं अपने पापा की आंखों के सामने इसलिए वह तुरंत पीछे नजर घुमाकर अपने पापा की तरफ देखने लगी लेकिन समय को भापकर संजय ने तुरंत अपनी आंखों को बंद कर लिया और चैन से गहरी नींद में सोए रहने का नाटक करने लगा,,,, अपने पापा को गहरी नींद में सोया हुआ देखकर सगुन ने राहत की सांस ली और ,,,,
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कोई भी नहीं देख रहा है इस बात का एहसास होते ही शगुन नीचे गिरी अपनी टावल को उठाने की भी तस्दी नहीं ली,,,, और उसी तरह से नंगी खड़ी रही,,, क्यों किस बात का उसे इतना ना हो चुका था कि उसके पापा गहरी नींद में सो रहे हैं लेकिन इस बात से वह पूरी तरह से अनजान थी कि उसके पापा उसकी जवानी का रस को अपनी अधखुली आंखों से पी रहे हैं,,,,,,, संजय ने धीरे से अपनी आंखों को खोला तो उसकी आंखों के सामने उसकी बेटी पूरी तरह से नंगी खड़ी गिरेबान उसकी पीठ पर चिपक गए थे और उसमें से गिर रही पानी की बूंदे किसी मोती के दाने की तरह उसकी कमर से होती उसके नितंबों के घेराव को अपनी आगोश में लेकर नीचे फर्श पर गिर रहे थे,,,। संजय का होश ठिकाने बिल्कुल भी नहीं था,,,, अपने लंड को अपनी बेटी की चिकनी पीठ उसकी कमर पर उसके नितंबों के दरार के बीच रगड़ना चाहता था,,,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,,
शकुन अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनने के लिए अपनी एक टांग उठा कर उसके छेद में डाल दी और उसी तरह से अपने दूसरा पैर भी उठाकर पेंटी के दूसरे छेद में डाल दी ऐसा करने पर बार-बार उसके नितंबों का घेराव कुछ ज्यादा ही उभर जाता था जिसे देखकर संजय का लंड ठुनकी मार रहा था,,,
संजय पहली बार अपनी बेटी को पेंटी पहनते हुए देख रहा था और उसकी गोरी गोरी गांड पर लाल रंग की पेंटिं क्या खूब लग रही थी,,,,, लेकिन शकुन अपने बाकी के कपड़े बैग से लेने के लिए नीचे झुकती कि तभी उसकी नजर मिरर में पड़ी और अपने पापा की खुली आंखों को देखकर वो एकदम से चौक गई,,, उसे पता चल गया कि उसके पापा नींद में नहीं है बल्कि जाग रहे हैं और उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख रहे हैं,,,, यह देखते ही सगुन की हालत खराब होने लगी,,, संजय अभी भी शगुन को ही देख रहा था शगुन कुछ देर तक यूं ही खड़ी नहीं संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन सब अपने मन में सोच रही थी और उसके होंठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,।
आखिरकार वो भी किसी न किसी बहाने अपने पापा को अपने नंगे जिस्म का दर्शन कराना चाहती थी उसे उत्तेजित कराना चाहती थी ताकि जिस तरह कि वह कल्पना करती थी वह साकार हो सके,,,, अब वह अपने पापा को खुलकर अपने बदन का दर्शन करना चाहती थी,,, इसलिए वह कुछ देर तक खड़ी होकर सोचने के बाद, अपनी पेंटी के दोनों छोरों पर अपनी नाजुक नाजुक ऊंगलियो को रखकर उसे,,, नीचे की तरफ खींच कर उतारने लगी,,,, संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बेटी क्या कर रही है,,, लेकिन उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,,देखते ही देखते हल्के हल्के होले होले अपनी गांड को मटका अपनी पेंटी को अपनी लंबी चिकनी टांगों से उतार ली,,, एक बार फिर से वह अपने पापा की आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी हो गई,,,,, सामने का खूबसूरत मादकता भरा नजारा देखकर और अपनी ही बेटी के नंगे जिस्म को देखकर संजय को दिल का दौरा पडते-पडते रह गया,,,,, संजय का हाथ अभी भी पजामे के अंदर था,,, और वह अपने लंड को जोर-जोर से मुठ्ठी में भींच रहा था,,,,,,
उसके पापा को बिल्कुल भी शक ना हो इसलिए अपनी पेंटी को अपने हाथ में लेकर एक बार फिर से झुक कर उसे ,बैग में रखते हुए बोली,,,
यह लाल रंग का नहीं एग्जाम के लिए यह लाल रंग मुझे बिल्कुल लकी साबित नहीं हो रहा है अाज में आसमानी रंग की पहनुंगी,,,,(पर ऐसा क्या कर रहा अपनी बैग में से आसमानी रंग की दूसरी पेंटी को निकाल लीअपनी बेटी की बातों को सुनकर संजय को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि वह जानबूझकर अपनी पेंटिं को उसे दिखाने के लिए निकाली है,,,, और इस तरह से अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनी थी उसी तरह से अपनी आसमानी रंग की पैंटी को पहन ली,,, शगुन के गोरे रंग पर कोई भी रंग जच रहा था और संजय की उत्तेजना को बढ़ा रहा था,,,, शगुन चाहती तोइसी से मैं अपने पापा को अपनी दोनों टांगों के बीच की उस खूबसूरत दरार को दिखा देती जिसे बुर कहां जाता है जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है और जिसे देख कर ही ना जाने कितनों का पानी निकल जाता है लेकिन शगुन अपने पापा को और तड़पाना चाहती थे क्योंकि वह जान रही थी आईने में जिस तरह से उसके पापा उसे प्यासी नजर से देख रहे हैं अंदर ही अंदर कितना तड़प रहे होंगे,,,पर ना जाने क्यों आज उसे अपने पापा को अपना खूबसूरत जिस्म दिखाकर तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था और ऐसा सब उनके साथ पहली बार हो रहा था कि वह किसी मर्द के आंखों के सामने ही अपनी नंगे बदन पर एक एक कर के कपड़े पहन रही हो और उसकी आंखों के सामने नंगी खड़ी हो,,,
संजय गहरी सांस लेते हुए अपनी आंखों के सामने के नजारे का लुफ्त उठा रहा था और सगुन एक बार फिर से नीचे की तरफ झुक कर अपनी सलवार और कुर्ती निकालने लगी वह एग्जाम देने के लिए इसे ही पहनने वाली थी क्योंकि इसमें उसे आराम मिलता था,,,, वह सलवार कुर्ता पहनने के लिए अपनी टांग उठा रही थी कि उसे याद आया कि उसने बुरा तो पहनी नहीं अपने पापा को अपने नंगे बदन का दर्शन कराने के चक्कर में भूल गई थी वह भी आईने में अपने पापा को देख रही थी जो कि आंख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,,लेकिन ब्रा पहनने से पहले वह एक बार अपने पापा को अपनी दोनों चूचियां दिखाना चाहती थी जो कि अमरूद की तरह एकदम ठोस थी,,,,,,,ऐसा लग रहा था कि कैसे हो अपने पापा पर तरस खा रही हो क्योंकि वह अपनी बुर दिखाई नहीं थी और उसी के एवज में अपनी चूची दिखाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,। और इसीलिए ब्रा लेने के बहाने वह अपने पापा की तरफ घूम गई लेकिन अपनी नजरों को नीचे की हुई थी ताकि उसके पापा को यह ना लगे कि उसे पता चल गया है वह अपने पापा की नजरों में अंजान बने रहना चाहती थी,,,,,,
अपने पापा की तरह घूम जाने की वजह से संजय की आंखों के सामने जो नजारा पेश हुआ उसे देखकर संजय के तन बदन में चुदास पन की लहर दौड़ने लगी,,, अपने बेटी के दोनों अमरुदो को देखकर संजय का मन उसे अपने हाथों में पकड़ने को करने लगा और उसे मुंह में भर कर पीने को करने लगा क्योंकि उसकी बेटी की दोनों चूचियां एकदम जवान थी,,, संजय जानता था कि ऐसी चुचियों को हाथ में लेकर दबाने में बहुत मजा आता है और इस हरकत पर लड़कियां भी एकदम मस्त हो जाती है,,,,, संजय की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और शगुन की दोनों चूचियां एकदम तनी हुई थी ऐसा करने में शगुन भी उत्तेजित हो रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी चूचियों के दोनों निप्पल कैडबरी की छोटी सी चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,, जिसे संजय अपने मुंह में लेकर अपने दांतो से दबाना चाहता था,,,। उसे काटना चाहता था हालांकि अपनी इस ख्यालों को लेकर और पूरी तरह से परेशान भी था क्योंकि वह अपनी बेटी के बारे में इतने गंदे गंदे विचार अपने मन में ला रहा था लेकिन वह हालात से मजबूर था उसके सामने का नजारा था ही इतना मादक कि वह खुद उसके नशे में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था,,,,,
शगुन जानती थी कि उसके पापा ने उसकी दोनों चूचियों को नजर भर कर देख लिया है इसलिए वह नीचे झुक कर अपनी ब्रा उठाकर उसे पहनने लगी,,,, पर एक बार फिर से आईने की तरफ मुंह करके घूम गई अपनी ब्रा का हुक बंद करने के लिए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़प आते हुए ब्रा के हुक को ना लगाते हुए उसे इधर-उधर करके अठखेलियां करने लगी,,, संजय का मन कर रहा था कि वह बिस्तर से उठे और खुद जाकर अपनी बेटी के ब्रा के हुक को लगा दे या तो फिर उसे पूरी तरह से उतार कर फेंक दे,,,,,। आखिरकार शगुन अपनी ब्रा का हुक लगा दी,,, ब्रा के अंदर के कैद उसके दोनों अमरुद बहोत खूबसूरत लग रहे थे,,,।
देखते ही देखते शगुन अपनी सलवार और कुर्ती भी पहन ली वह तैयार हो चुकी थी अपनी बालों को सवारने लगे और घड़ी में 6:00 बज चुके थे इसलिए वह अपने पापा को जगाना चाहती थी जो कि पहले से ही जगे हुए थे लेकिन फिर भी औपचारिकता दिखाते हुए वह अपने पापा के बिस्तर के करीब बढी और यह देख कर अपनी आंखों को बंद कर लिया अपने पापा की हरकत को देखकर सगुन मुस्कुराने लगी,,,, और अपने पापा के हाथ को पकड़ कर उन्हें जगाते हुए बोली,,,।
उठो पापा देर हो रही है,,,,(पहले तो संजय जानबूझकर गहरी नहीं तो मैं सोने का नाटक करने लगा और यह देख कर शगुन बंद बंद मुस्कुराने लगी यह सोच कर कि उसके पापा कितना नाटक कर रहे हैं उसकी कमसिन खूबसूरत नंगी जवानी को अपनी आंखों से देख कर अपना लंड खड़ा कर लिए हैं फिर भी सोने का नाटक कर रहे हैं,,, एक दो बार और कोशिश करने पर संजय समझ गया क्या उसे उठना ही पड़ेगा और वह आलस मरोड़ ते हुए लेटे हुए बोला,,,)
कितना बज रहा है,,,
6:00 बज के 9:00 एग्जाम है हमें जल्दी निकलना है,,,,
ओहहह ,,,,, मैं तो सोया ही रह गया,,,,(अपने ऊपर से चादर को हटाकर एक तरफ रखते हुए वह जानता था कि उसके पजामे में उसका लंड तनकर एकदम तंबू बना हुआ है,,, और वह जानबूझकर अपनी बेटी को उसके पजामे में बने तंबू को दिखाना चाहता था,,,, और ऐसा हुआ भी,,,, संजय बेझिझक बिस्तर पर से खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ जाने लगा वह जानता था कि उसकी बेटी की नजर उसके पजामे पर जरूर पड़ेगी क्योंकि वह इस समय पूरी तरह से खुंटे की शक्ल ले चुका था,,,। जैसा वह चाहता था ऐसा हुआ कि बाथरूम में पहुंचने से पहले ही सगुन की नजर अपने पापा के पजामे के आगे वाले भाग पर पड़ी तो वह एक दम से चौंक गई,,,, पजामे में बने तंबु को देखकर वह दंग हो गई थी,,,, संजय बाथरूम में घुस गया था और सगुन के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी,,, क्योंकि वह जानती थी उसके पापा की हालत उसकी वजह से ही हुई है,,,।
संजय अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाया था और बाथरूम में घुस कर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था और तब तक मिला था जब तक कि उसका गर्म लावा बाहर ना निकल गया,,,।
थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर नाश्ता करके एग्जाम देने के लिए कॉलेज की तरफ रवाना हो गए,,,।