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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

Sanju@

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सोनू का दिन अच्छा तो था ही लेकिन बड़ी बेचैनी में बीत रहा थारात दिन उसकी आंखों के सामने उसकी मां का खूबसूरत बदन घूमता रहता था अब तो जब से वह अपनी बड़ी बहन की खूबसूरत नंगी गांड को देखा था तब से और मदहोश और बदहवास होता जा रहा था,,,,अब सोनू का आकर्षण दोनों तरफ था एक तो अपनी मां की तरफ और दूसरा अपनी बड़ी बहन की तरफ,,, दोनों मदहोश कर देने वाली जवानी से भरी हुई थी दोनों की जवानी उफान मार रही थी,,, जो हाल सोनू का था वहीं हाल संध्या का भी था अपने बेटै से जिस तरह से बातें की थी उन बातों के बारे में सोच सोच कर ही उसकी टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो जाती थी,,,। और शगुन के दिल में तो अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे और उन ख्यालों को लेकर वह काफी उत्साहित थी,, उसे इस बात का पक्का यकीन था कि,, उसकी गर्म जवानी देख कर उसका भाई जरूर पिघल गया होगा जैसे उसके पापा उसकी तरफ पूरी तरह से आकर्षित हो चुके थे उसी तरह से उसका भाई भी उसकी तरफ आकर्षित होता जा रहा है,,,,।

शगुन कैंटीन में बैठी हुई थी अपनी सहेली प्रीति के साथ,,, दोनों कॉफी की चुस्कीयों का आनंद ले रहे थे लेकिन सगुन के मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि प्रीति से किस तरह से बात करने की शुरुआत की जाए क्योंकि वह इस तरह की बातें करना चाहती थी उस तरह की बात ऊसने आज तक कभी नहीं की थी,,,, लेकिन फिर भी वह हिम्मत करके बोली,,,।

प्रीति क्या अभी भी तू अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलती है,,,।

अफकोर्श,,,, अभी भी उससे रोज मिलती हुं,,,लेकिन तु ऐसा क्यों पूछ रही है कहीं ऐसा तो नहीं कि तुझे भी बॉयफ्रेंड चाहिए,,,,,,,


नहीं नहीं ऐसे ही पूछ रही हूं,,,,


नहीं ऐसे तो तू नहीं पूछ रही है कहीं ऐसा तो नहीं कि,,,तेरी बुर में भी खुजली हो रही है और तू से मिटाना चाहती है इसीलिए बोयफ्रेंड ढूंढ रही है,,,, अगर ऐसा है तो सगुन में तेरे लिए इंतजाम कर दूंगी,,,,,(प्रीति सबकी नजरें बचाकर धीरे धीरे इस तरह की बातें कर रही थी ताकि कोई सुन ना ले शगुन प्रीति की बात सुनकर उसे डांटते हुए बोली।।)

पागल हो गई है क्या तू इस तरह से बातें करती है तुझे शर्म नहीं आती,,,,।


आती है मेरी जान लेकिन क्या करूं जो भगवान ने अपने दोनों टांगों के बीच जो पतली सी दरार बनाई है ना वो बेशर्म कर देती है और कुछ भी करने के लिए मजबूर कर देती है,,,।
(प्रीति की बातें सुनकर शगुन का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, उसके तन बदन में कुछ-कुछ हो रहा था,,,, प्रीति अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,) मेरी जान तुझे भी मजबूर कर देती होगी तेरी बुर,,,,

प्रीति थोड़ा तो शर्म कर,,,, हम कैंटीन में है कोई सुन लिया तो हम दोनों के बारे में क्या सोचेगा ,,,,।


क्या सोचेगा,,,,घर पर जाकर अपनी बीवी या अपनी गर्लफ्रेंड को चोदेगा ,,,,अगर कोई जुगाड़ नहीं मिला तो हम दोनों के बारे में सोच सोच कर अपना लंड हीलाता रहेगा,,, और क्या करेगा इससे ज्यादा और कुछ नहीं कर सकता,,,।

तुझे बहुत ज्ञान है इन सब मामलों में जैसे कि तू सब कुछ जानती है,,,,।(शगुन प्रीति के मुंह से और भी बातें सुनना चाहती है इसीलिए उसे ऊकसाते हुए बोली,,,)


तू शायद भूल कर रही है मेरे पास बॉयफ्रेंड है,,,, और एक मर्द के हाल को एक मर्द अच्छी तरह से समझ सकता है मेरा बॉयफ्रेंड मुझे सब कुछ बताता है,,,,। शगुनहम औरतों के पास वह है ना जिससे हम सारे मर्द को अपना गुलाम बना सकते हैं,,,, मर्दों के लिए औरत दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज है,,,, बस औरत को अपने अंगों का सही इस्तेमाल करने आना चाहिए,,,,।

मैं कुछ समझी नहीं,,,(प्रीति की बात को ध्यान से सुनने के बाद शगुन बोली)

तु डॉक्टर बन कर भी क्या उखाड़ लेगी,,, जब मर्दों को ही अच्छी तरह से नहीं समझ पाएगी तो,,,, अरे पागल भगवान ने जो हमको दोनों चूचियां दीए है ना,,, जानती है यह सिर्फ बच्चों को दूध पिलाने के लिए नहीं बल्कि मर्दों को रिझाने के लिए भी है,,, मर्दों की नजर जब हम जैसी लड़कीयों के बड़े बड़े दूध पर पड़ती है तो पागल हो जाते उन्हें दबाने के लिए नियमों में भरकर पीने के लिए वह पागल हो जाते हैं तड़प उठते हैं,,,,(शगुन बड़े ध्यान से प्रीति की बातें सुन रही थी और उसे प्रीति की बातें अच्छी भी लग रही थी,,,, प्रीति अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) और तो और मर्दों की नजर औरतों के अंगों पर सबसे पहले बड़ी-बड़ी चूची यां बड़ी बड़ी गांड पर ही जाती है,,,, और सच कहूं तो शगुन मर्द जितना हम औरतों की लड़कियों की गांड देखकर मस्त होते हैं इतना शायद मजा उन्हें और किसी चीज में नहीं आता,,,, यह तो हम लोगों को कपड़ों में देखकर इतना उत्तेजित होते हैं अगर बिना कपड़ों के देख ले तो शायद इनका पानी ही छूट जाए,,,,,
(शगुन एकदम गरम हो चुकी थी प्रीति के इस तरह की गंदी खुली बातें उसके दिमाग में हथोड़े चला रहे थे,,, शगुन अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई तो उसकी नंगी गांड को देख चुका है तभी शायद वह इतना व्याकुल हो गया है उसके पापा ने थे अब तक उसके नंगी गांड उसके नंगे बदन को ठीक तरह से देखना भी नहीं है फिर भी उनका हाल एकदम बेहाल है,,,, शगुन प्रीति की बातों को सुन ही रही थी कि प्रीति अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) सच कहूं तो शगुन हमें अपनी खूबसूरत बदन का सही इस्तेमाल करके अपना काम निकालना चाहिए वह चाहे जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए हो या फिर अपनी प्यास बुझाने के लिए मैं तो दोनों तरीके से अपनी खूबसूरती का सही उपयोग करती हूं और शगुन तू तो मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत है एकदम चिकनी है,,, तेरे छातियों पर लटकते खरबूजे और तेरी मदमस्त तरबुजे जैसी गांड मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत है तू चाहे तो किसी भी मर्द को अपना गुलाम बना सकती है,,,।(प्रीति की बात सुनकर शगुन के चेहरे पर शर्म की लालीमा छाने लगी,,,और प्रीति की बातों को सुनकर उसे अपनी खूबसूरती पर और अपने अंगों पर गर्व होने लगा,,, दोनों की बातचीत आगे बढ़ती ईससे पहले ही,,,, लेक्चर का समय हो गया और वह दोनों कैंटीन से बाहर आ गई लेकिन प्रीति की बातों ने शगुन के हौसलों में जैसे जान डाल दिया हो,,, उसके जवानी के पंख फड़फड़ाने के लिए मचल रहे थे शगुन की एक-एक बात उसके जेहन में फिर बैठती चली जा रही थी,,,प्रीति की बातों को सुनकर उसे पक्का यकीन हो गया था कि अगर वह चाहे तो अपने बाप और अपने भाई दोनों को अपना दीवाना और गुलाम दोनों बना सकती है और जिस तरह से उसके साथ वाक्या होता आ रहा था उससे उसकी जवानी पानी मांग रही थी,,,, वह भी प्रीति की तरह मजा लेना चाहती थी,,,, यही सब ख्याल उसके मन में आ रहे थे,,,,।


संध्या की जवानी और खिलने लगी थी तड़प बढ़ती जा रही थी संजय के मुसल से वह पूरी तरह से संतुष्ट थी,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे और अपने बेटे के लंड को लेकर वह काफी उत्सुक थी,,,मोटरसाइकिल पर बैठकर अपने आप को संभालने की कोशिश करते हुए अनजाने में ही पेंट के ऊपर से ही आए लंड को अपने हाथ में पकड़ कर जिस तरह की गर्माहट का अनुभव अपने बदन में की थी उसे याद करके अभी भी उसके बदन में सिहरन सी दौड़ ऊठती थी,,।
अपने बेटे से दो अर्थों में बात किए हुए लगभग 1 सप्ताह बीत चुका था वह बाथरूम में नहाने के लिए गई हुई थी और धीरे-धीरे करके अपने सारे कपड़े उतार रही थी लेकिन जब वह अपनी पैंटी को उतारी तो उसे अपनी पैंटी थोड़ी सी फटी हुई नजर आई,,, संध्या की यह आदत थी कि वह फटे हुए कपड़े कभी नहीं पहनती थी,,,। अपनी पेंटी में हुए छेद को देखकर उसे बुरा लग रहा था इसलिए वह आज ही नहीं पेंटी खरीदना चाहती थी,, वह जल्दी से नहा ली और केवल टावर लपेटकर बाथरूम से बाहर आ गई वैसे तो बाथरूम कमरे हीं था इसलिए कोई दिक्कत नहीं थी,,,। वह कमरे में इधर से उधर अपने कपड़े ढूंढने के लिए घूमने लगी और दूसरी तरफ सोनू को भूख लगी हुई थी और अपनी मां को ना पाकर वह उसे बुलाने के लिए उसके कमरे की तरफ जाने लगा,,,, धीरे-धीरे सोनू अपनी मां के कमरे के ठीक सामने पहुंच गया कमरे के बाहर खड़े होकर दरवाजे को देखते हैं उसे समझ में आ गया कि दरवाजा अंदर से लॉक नहीं था,, उसे जोरों की भूख लगी हुई थी इसलिए वह बीना दरवाजे पर दस्तक दिए,,, दरवाजा खोल कर उसके मुंह से केवल इतना ही निकल पाया,,,,
म,,,,,,,,(एकाएक दरवाजा खुलने की वजह से संध्या के हाथों से टावल छुट कर तुरंत नीचे गिर गया,,, और जो नजारा सोनू की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर वह आवाक रह गया,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,, उसकी आंखों के सामने उसकी खूबसूरत मम्मी एकदम नंगी हो चुकी थी,,, एकदम नंगी मादरजात,,, बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था और वह भी बाथरूम से निकलने की वजह से पूरी तरह से भीगा हुआ बदन,,, होश उड़ा दे ऐसा खूबसूरत जिस्म,,,, गोरी गोरी भीगे बदन पर से पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह से फिसल रही थी,,, भीगे हुए रेशमी बालों के गुच्छे में से पानी की बूंदे ऐसे टपक रही थी मानो किसी अद्भुत झरने से पानी का रिसाव हो रहा हो,,,जिंदगी में सोनू ने कभी इस तरह कतरी से नहीं देखा था और ना ही इस तरह के दृश्य की कभी कल्पना की थी एक लड़का होने के नाते उसने मोबाइल में कभी कबार पोर्न मूवी देख चुका था लेकिन जिस तरह से उस में नंगी औरतें खूबसूरत नजर आती थी उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत इस समय उसकी मां नजर आ रही थी,,, संध्या को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसने दरवाजा खुला छोड़ रखी है इसीलिए तो जैसे ही भड़ाक की आवाज के साथदरवाजा खुला वैसे ही उसके यहां से टावल छुट कर नीचे गिर गई और वह अपने बेटे के सामने एकदम नंगी हो गई,,,,,, कुछ पल के लिए तो वह भी कुछ समझ में नहीं पाई कि क्या हो रहा है उसे क्या करना चाहिए,,,और वह कुछ पल तक अपने बेटे के सामने उसी अवस्था में एकदम नंगी खड़ी रह गई मानो कि अपने बेटे को अपने जिस्म का हर एक कोना दिखाना चाहती हो,,अब तो कुछ नहीं अपने हाथों से भी अपनी खूबसूरत बेशकीमती आंखों को छुपाने की कोशिश तक नहीं की थी लेकिन जैसे ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसके बेटे की आंखों के सामने वह एकदम नंगी खड़ी है तो वह शर्म के मारे तुरंत नीचे झुक कर वापस टावल उठा लिया और उसे तुरंत अपने बदन पर लपेट ली,,, लेकिन अफरा-तफरी में जल्दबाजी दिखाते हुए वहां टावर को अपनी छाती के ऊपर तक लपेट ली जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को छुपाने में टावल नीचे से छोटी पड़ गई,,, और सोनू की नजर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच चली गई,,,,सोनू का दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी हालत खराब होने लगी हालांकि इतनी दूर से वह अपनी मां की रसीली बुर को ठीक से देख नहीं पा रहा था लेकिन उसे इस बात का अहसास था कि दोनों टांगो के बीच दुनिया की सबसे खूबसूरत अंग छिपा हुआ है,,,, इस एहसास सेवा पूरी तरह से मदहोश हो गया उसके पेंट में तुरंत तंबू सा बन गया,,,,, वह अभी भी दरवाजा पकड़कर दरवाजे पर ही खड़ा था अंदर आने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी और ना ही उसके मुंह से कुछ शब्द फुट पा रहे थे वह पूरी तरह से निशब्द हो चुका था,,,, हालात को पूरी तरह से संभालते हुए उसकी मा ही बोली,,,।

ततततत,, तू किस लिए आए हो,,,,(अपनी मां की आवाज कानों में पड़ते ही जैसे उसे होश आया हूं और वह भी हकलाते हुए बोला,,,)

ममममम,,,, मम्मी मुझे भूख लगी है,,,,।

भूख लगी है तो किचन में जाना चाहिए था ना बेटा,,,,

मम्मी आप तो जानते हो कि मैं अपने हाथ से खाना निकालकर कभी नहीं खाता,,।


मैं जानती हूं बेटा लेकिन तुम्हें अंदर आने से पहले दरवाजे पर नोकक तो करना चाहिए था,,,।(संध्या अभी भी नहीं समझ पाई थी कि उसकी टावर उसकी जांघों तक नहीं बल्कि कमर के ऊपर तक है थी जिससे उसके बेटे की नजर अभी भी उसकी दोनों टांगों के बीच ही थी,,,)

सॉरी मम्मी मुझे नहीं मालूम था कि आप इस हालत,,,,,(इतना कहकर वह चुप हो गया)

ठीक है तुम चलो मैं आती हूं,,,,
(अपनी मां की यह बातें सुनकर सोनू की जाने की तो इच्छा नहीं हो रही थी क्योंकि उसकी नजरें अभी भी अपनी मां की दोनों टांगों के बीच टिकी हुई थी इसी ताक में था कि उसे उसकी मां की बेहतरीन खूबसूरत बुर अच्छे से नजर आ जाए,,, लेकिन मोटी चिकनी मांसल जांघों के आपस में रगड़ खाने की वजह से उसकी बुर ठीक से दिखाई नहीं दे रही थी,,,, इसलिए सोनू मन मसोसकर अपनी मां को जल्दी से आने के लिए बोल कर चला गया ,,,, लेकिन जाते-जाते आखिरी बार अपनी मां की दोनों टांगों के बीच नजर घुमाकर दरवाजा बंद करके चला गया,,,इस बार संध्या उसकी नजरों को भांप गई और जैसे ही वह अपनी नजर नीचे करके देखी तो वह एकदम से दंग रह गई कमर के नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी और उसकी बुर साफ नजर आ रही थी ,,,अपने बेटे की नजरों और अपनी स्थिति का अहसास होते ही वह शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा उसकी बुर को देख रहा था,,,, अजीब सी,, हलचल उसके तन बदन में फैलती चली जा रही थी,,,,, उसके चेहरे पर शर्म की लाली छाने लगी,,,,,,, उसे अपनी बुर से अमृत धारा का रिसाव होता हुआ महसूस हो रहा था,,,, जिंदगी में सोनू दूसरा मर्द था जो उसे नंगी देख रहा था,,,, और इसी एहसास से लेकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी और वह अंदर ही अंदर खुश हो रही थी उसे ना जाने क्यों अच्छा ही लग रहा था कि अच्छा हुआ उसके बेटे ने उसे नंगी देख लिया,,, संध्या जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी,,, नीचे सोनू उसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था उसकी आंखों के सामने बार-बार उसकी मां का नंगा बदन घूम जा रहा था जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत को साक्षात नंगी देखा था और अभी किसी दूसरी औरत को नहीं बल्कि अपनी मां को अपनी मां की खूबसूरती और नंगे बदन को देख कर उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां वास्तव में दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत है जिसे पाने के लिए भोगने के लिए दुनिया का हर मर्द मचलता रहता है,,, अपनी मां के बारे में सोच कर सोनु उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, उसका लंड पैंट के अंदर गदर मचाया हुआ था,,,सोनू का बस चलता तो वह कमरे में प्रवेश करके दरवाजा अपने हाथों से बंद करके अपनी मां की चुदाई कर दिया होता लेकिन ऐसा करने की हिम्मत अभी उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,,,।

थोड़ी ही देर में संध्या सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए उसे नजर आई पीले रंग की साड़ी में वह बेहद खूबसूरत लग रही थी बाल अभी भी गीले ही थे वह सज धज कर नहीं बल्कि सिर्फ कपड़े पहन कर आई थी,,,,और अपने बेटे की तरफ देख कर हल्की सी स्माइल देकर किचन में चली गई,,,, सोनू अपनी मां को देखकर हैरान था उसे लगा था कि उसकी मां उसे गुस्से में देखेगी उससे बात तक नहीं करेगी लेकिन उसके होठों पर आई मुस्कुराहट देखकर सोनू को राहत महसूस होने लगी उसे लगने लगा कि जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में ही हुआ था इस बात का एहसास उसकी मां को अच्छी तरह से है,,। थोड़ी ही देर में थाली में खाना परोस कर संध्या किचन से बाहर आ गई और डाइनिंग टेबल पर परोसी हुई थाली रखते हुए बोली,,,,।

इतनी भूख लगी थी कि सीधा कमरे में घुस आया यह भी नहीं सोचा कि किस हालत में होंऊगी ,,,।


मम्मी आप आप मुझे शर्मिंदा कर रही है अगर पता होता तो मैं कभी भूलकर भी कमरे में नहीं आता मुझे बिल्कुल भी पता नहीं था,,,(सोनू नजरे नीचे झुकाए हुए ही बोला)

चलो कोई बात नहीं आइंदा से याद रखना,,,,( अपने बेटे के सर पर हाथ रखकर उसके रेशमी बालों को सहलाते हुए बोली,,,, संध्या अपनी बेटे के मन में उसके द्वारा की गई अनजाने में हरकत की वजह से घृणा पैदा नहीं करना चाहती थी इसलिए वह उसे सामान्य बनाए रखना चाहती थी ताकि इस तरह की गलती वह दोबारा भी करें क्योंकि अपने बेटे की इस गलती की वजह से उसके तन बदन में जो आग लगी थी उसी से उसके तन बदन में उत्तेजना की मीठी लहर दौड़ने लगी थी,,,अपनी मां का बर्ताव देखकर सोनू को भी अच्छा लगा और वह खाना खाने लगा,,, संध्या वही उसके पास कुर्सी खींचकर बैठ गई,,,,, और बोली,,,)

अब जल्दी से खाना खाले हमें बाहर जाना है,,,,।


बाहर कहां,,,?


अरे बाजार जाना है कुछ कपड़े खरीदने हैं,,,,

कैसे कपड़े मम्मी आपके पास तो ढेर सारे कपड़े है,,,(निवाला मुंह में डालते हुए बोला,,)

अरे जरूरी है की ढेर सारे कपड़े हो तो कपड़े ना खरीदा जाए,,,, तु सिर्फ चुपचाप खाना खाकर मेरे साथ चल,,,,।
(इतना सुनकर वहां कुछ बोला नहीं और खाना खाने लगा संध्या उठकर अपने बाल को संवारने के लिए चली गई,,, थोड़ी ही देर में सोनू खाना खा लिया संध्या तैयार होकर नीचे आ गई वह दोनों,,, जाने ही वाले थे कि,,, डोर बेल बजने लगी और सोनू जाकर दरवाजा खोला तो सामने शगुन खड़ी थी,,, शगुन को देखते ही सोनू की आंखों के सामने शगुन की नंगी गांड नाचने लगी,,, सोनू अभी भी शर्म के मारे उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था,,, और सोनू को इधर-उधर अपनी नजरें बचाता देखकर शगुन को इस बात का एहसास हो गया था कि उस दिन के वाक्य को लेकर सोनू उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा है और वह अंदर ही अंदर खुश हो रही थी,,,। वह बिना कुछ बोले घर में आ गई और अपनी मां को तैयार हुआ देखकर बोली,,,।)

कहीं जा रहे हो क्या मम्मी,,,,

हां बेटा थोड़ा बाजार जाना था,,,

मैं भी चलूं क्या मम्मी,,,,।

नहीं बेटा तुम यहीं रहो अगर तुम्हारे पापा आ गए तो उन्हें खाना देना होगा,,,,

ठीक है मम्मी में यहीं रुक जाती हुं,,,(इतना कहकर वह अपना बैग कुर्सी पर रख दी वैसे तो संध्या शगुन को अपने साथ ले जा सकती थी लेकिन वह अपने बेटे के साथ अकेले ही जाना चाहती थी क्योंकि उसे पेंटी खरीदनी थी और वह भी अपने बेटे की आंखों के सामने,,,, इसलिए बहाना बनाकर सब उनको घर पर ही रुकने के लिए बोली थोड़ी ही देर में दोनों घर से बाहर निकल गए,,,।
Excellent update 👌
 

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सोनू एक बार फिर से अपनी मां को अपनी मोटरसाइकिल पर बिठाकर बाजार लेकर चला गया,,, शगुन घर पर अकेली ही थी,,,,, गर्मी का समय था दोपहर के 2:00 बज रहे थे से गर्मी का एहसास हो रहा था और वह जानती थी कि घर पर कोई आने वाला नहीं है क्योंकि अक्सर उसके पापा दोपहर के समय बहुत ही कम आया करते थे इसलिए अपनी गर्मी मिटाने के लिए बाथरूम में घुस गई और वहां पर अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर स्नान करने लगी,,,, शावर चालू करते ही ठंडे पानी का फुहारा उसके नंगे बदन पर पड़ने लगा,,, बेहद गर्मी के अनुभव के बीच ठंडे पानी का फुहारा बदन पर पड़ते ही उसका पूरा बदन गनगना ऊठा,,,,, पानी का फुहारा सीधे उसके सिर पर पढ़ रहा था और वहां से पानी की बूंद नीचे की तरफ उसके कंधे से लेकर के उसके संपूर्ण नंगे बदन को अपनी आगोश में लेकर उसे भिगोकर ठंडक दे रही थी,,,, नहाते समय उसके बदन में अपने भाई और बाप को लेकर काफी हलचल हो रही थी जिसके कारण वह उत्तेजित हुए जा रही थी,,, शगुन को अपनी मस्त नारंगीयो पर गर्व हो रहा था ,,। और होता भी क्यों नहीं आखिरकार कुदरत ने अपने हाथों से उसकी चुचियों पर नक्सी काम जो किया था,,,, बेहतरीन आकार के उसके दोनों संतरे,,, संपूर्ण नंगे बदन में अपनी आभा बिखेर रहे थे,, शगुन से भी अपनी चूचियां देख कर रहा नहीं गया और वो खुद अपने दोनों हाथों में अपने दोनों संतरो को भरकर हल्के हल्के दबाना शुरू कर दी,,,, पल भर में ऊसके मुख से गर्म सिसकारी फूटने लगी,,,,सससहहहह आहहहहहहहह,,,,,ऊहहहहहहहहहह,,,,
एक अजीब सा एहसास ऊसके तन बदन में घुलता चला जा रहा था,,,। उसकी आंखें बंद हो चुकी थी पानी की बौछार उसके तन बदन को जितना ठंडक दे रहा था उससे अधिक गर्म कर रहा था,,,, बदन में उत्तेजना का मुख्य कार्य यही होता है बदन को गर्म करना,,, और यही शगुन के बदन में भी हो रहा था,,,। शगुन अपने हाथों से हीअपनी चूचियों को दबा रही थी और उसमें से बेहद गर्म ऊर्जा उसके तन बदन को अपनी आगोश में लपेटते जा रही थी,,,
ससससहहहह,,,,आहहहहहहह,,,,,,,,ऊहहहहह७हहह,,,,,हाय ,,,, यह क्या हो रहा है मुझे,,,,,ओहहहहहहहहह,,,,(गरम सिसकारी लेते हुए सगुन का एक हाथ अपने आप ही नीचे दोनों टांगों के बीच आ गया,, जो की हथेली के नीचे उसकी बुर भट्टी की तरह दहक रही थी,,, उस पर हथेली का हल्का सा दबाव पडते ही,,, शगुन की हालत खराब होने लगी वह ईससे ज्यादा करना चाहती थी,,,वह अपनी उंगली को अपनी पुर के अंदर डालना चाहते थे क्योंकि उसे अपनी बुर के अंदरूनी हिस्से में खुजली से महसूस हो रही थी जो कि यह शारीरिक खुजली नहीं बल्कि आत्मिक सुख को बढ़ावा देने वाली खुजली थी जिसे मिटाने के लिए शायद उंगली नहीं एक मर्द का लंबा मोटा तगड़ा लंड की आवश्यकता पड़ती है,,,,। लेकिन शगुन अपनी पर के अंदर अपनी उंगली डालने से भी अपने आप को बचा ले गई वह अपने मन पर काबू कर ले गई,,,,। और जल्दी से नहा कर टावल से अपनी बदन को अच्छी तरह से साफ करके नंगी ही बाथरूम से बाहर आ गई और उसी तरह से अलमारी में से अपने कपड़े निकालने लगी,,,, लाल रंग की पैंटी निकाल कर उसे पहनने के बाद,,, एक ट्रांसपेरेंट छोटी सी ड्रेस फूलों के डिजाइन वाली निकालकर उसे पहनने जो कि वह ड्रेस उसकी जांघों तक आती थी,,, और उस ड्रेस में से,,, शगुन के बदन का कोना कोना नजर आ रहा था,,,। आईने में अपने आप को देख कर वह खुशी से फूली नहीं समा रही थी,,, छोटे से ड्रेस में वह परी लग रही थी,,,, वह खुशी खुशी थोड़ा बहुत घर का काम करने लगी,,,

और दूसरी तरफ सोनू थोड़ी ही देर में अपनी मां को लेकर एक अच्छे से मॉल पर पहुंच गया वहां पार्किंग मैं अपनी मोटरसाइकिल खड़ी करके दोनों मां-बेटे मॉल के अंदर प्रवेश कर गए,,,, संध्या के आगे चल रही थी जिससे सोनू अपनी मां की भारी-भरकम गांड को देख कर मस्त हो रहा था,, वैसे भी उसकी मां को ज्यादा ही कसी हुई साड़ी पहनती थी जिसके कारण उसके नितंबों का उभार दोनों फांकों के बीच की पतली दरार के साथ एकदम साफ नजर आती थी देखने वालों का बिना कुछ मन में सोचे ही बस खड़ा हो जाता था,,,,,,, और यही पतली दरार गांड के बीज की गहराई,,, सोनू के अंतर्मन में भारी प्रभाव छोड़ रहा था सोनू खुद अपनी मां की गांड की गहराई में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था,,, वैसे भी सोनू अपनी मां के नितंबों पर अपने लंड का घर्षण अच्छी तरह से महसूस कर चुका था और उस समय जो सुख ऊसे प्राप्त हुआ था वह उस समय किसी संभोग से बिल्कुल कम नहीं था,,,,,। उसी पल को याद करके तब से लेकर अब तक ना जाने कितनी बार सोनू खाने नकली मां के मदमस्त बदन को याद करके खड़ा हो जाता था,,, अब उसे अपनी मा में हर एक तरह से कामुक और मादक स्त्री नजर आती थी,,, उसके भरावदार नितंबों के साथ-साथ उसकी चिकनी कमर और कमर पर पड़ने वाली हल्की सी गहरी लकीर को देखकर सोनू अत्यधिक काम उत्तेजना का अनुभव करता था,,, संध्या के आगे चली जा रही थी और सोनू उसके पीछे पीछे मॉल में दाखिल होने के बाद संध्या इधर-उधर अपने लिए कपड़े देखने लगी सोनू को यही लग रहा था कि उसकी मां नॉर्मल कपड़े खरीदने आई है इसलिए वह भी इधर उधर देख रहा था,,, संध्या चारों तरफ घूमने के बाद उसे अपने अंतर्वस्त्र नजर नहीं आ रहे थे इसलिए वह एक मॉल में काम करने वाली लेडी से पूछी तो उसने उसे मॉल के ऊपरी मंजिल पर जाने के लिए बोली सोनू को अभी तक नहीं मालूम था कि उन दोनों के बीच क्या बातचीत हुई और उसकी मां क्या लेना चाहती है,,, संध्या सीढ़ियों पर अपनी एक-एक कदम पर रखकर आगे बढ़ने लगी और पीछे सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर वह भी पीछे-पीछे सीढ़ियां चढ़ने लगा जब-जब संध्या अपना हर एक कदम सीढ़ी पर ऊपर की तरफ रखती थी तब तब ऊसकी मदमस्त बड़ी बड़ी गोल गांड तरबुज की तरह कमर के नीचे लटक जाती थी,, जिसे देखकर सोनू का मन यही करता था कि वह अपने दोनों हाथों से अपनी मां की तरबूज जैसे गोल गोल गांड को थाम ले,,, पूरी तरह से संध्या अपने बेटे को पानी-पानी कर दे रही थी ऐसा नहीं था कि संध्या अपने बेटे के कामुक नजरों से अनजान थी वह बीच-बीच में पीछे की तरफ नजर करके देख ले रही थी और सोनू को अपने बदन पर नजर घुमाता हुआ पाकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,, हालात दोनों तरफ गंभीर ही थे,,, देखते ही देखते संध्या मॉल के ऊपरी मंजिल पर पहुंच गई जहां पर भीड़भाड़ ना के बराबर थी क्योंकि आज ना तो शनिवार था और ना ही रविवार,,, इसलिए मॉल में भीड़भाड़ बिल्कुल भी नहीं थी और यही तो संध्या चाहती थी,,, अगर शनिवार या रविवार होता तो मॉल में पैर रखने की जगह नहीं होती थी,,,, सोनू अपनी मां के पीछे-पीछे चला जा रहा था,,, वह पीछे से अपनी मां को आवाज लगाता हुआ बोला,,,।

मम्मी आपको क्या लेना है आप कुछ बता भी नहीं रही है,,,

थोड़ा सब्र कर तुझे पता चल जाएगा कि मैं यहां क्या खरीदने आई हूं,,,,(इतना कहकर संध्या आगे आगे जाने लगी,,, यहां पर चारों तरफ लेडीस गारमेंट का स्टाल लगा हुआ था जिस पर सोनू की नजर पड़ते ही उसके मन में गुदगुदी होने लगी,,,, संध्या को ब्रांडेड ब्रा और पेंटी चाहिए थी इसलिए वह आगे निकल गई लेकिन सोनू सहज भाव से अपने इर्द-गिर्द स्टॉल पर पड़ी और लटकाई गई पेंटी को हाथ लगाकर उन्हें छूने के सुख को प्राप्त करने के लिए अपने आप को रोक नहीं पाया,,,और अपने दोनों तरफ हाथ आगे बढ़ाकर ब्रा और पेंटी दोनों को छूकर एकदम मदहोश होने लगा उनके गर्माहट को अपने अंदर महसूस करके उसे पहनने के बाद औरतों के नरम नरम कोमल अंगों के सुख के एहसास से मदहोश होने लगा,,,,,सोनू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मात्रा और पेंट खरीदने के लिए इधर आइए क्योंकि चारों तरफ जहां भी नजर जा रही थी वहां पर सिर्फ ब्रा और पेंटी लटकी हुई थी हर तरह के पेंटिं नरम नरम कपड़ों वाली जालीदार जिसे पहनने के बाद छुपाने लायक कुछ भी नहीं रहता था,,,। तभी संध्या एक जगह पर खड़ी हो गई और पैंटी को उठा उठा कर देखने लगी,,, सोनू को शर्म महसूस होने लगी वह अपनी मां के करीब जाने से कतरा ने लगा वैसे तो उसके मन में यह इच्छा हो रही थी कि वह भी अपनी मां के पास चला जाए और खुद अपने हाथों से अच्छी अच्छी पेंटिं लेकर अपनी मां को वही खरीदने के लिए बोले,,,

संध्या पेंटी को उठाकर देखते समय यही सोच रही थी कि काश उसका बेटा उसके पास आकर उसे पेंटी खरीदने में मदद करें,,,अपनी मां को इस तरह से पेंटी खरीदते हुए देखकर सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, पेंट के अंदर उसका लंड धीरे-धीरे अपनी औकात दिखाने लगा,,,,वहां पर दूसरा कोई कस्टमर नहीं था इसलिए सोनू की इच्छा नहीं हो रही थी कि वह अपनी मां के पास चला जाए,,,, तभी जैसे उसके मन की बात भगवान ने सुन लिया हो और संध्या उसे आवाज देकर अपने पास बुलाने लगी,,,, सोनू का दिल जोरो से धड़कने लगा हालांकि वह अपनी मां के करीब जाने से अपने आप को रोक नहीं पाया और वह अगले ही पल अपनी मां के पास पहुंच गया,,,।
बहुत ही गरमागरम और कामुक उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
वासना की आग में सोनू उसकी मां और सुगन संजय जल रहे हैं इनका कुछ तो करवा दो
 
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,,,,,,
सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसकी मां एक लाल रंग की पैंटी को अपने हाथ में लेकर उसे घुमा घुमा कर अपनी नाजुक उंगलीयो से उसकी नरमाहट को महसूस कर रही थी,,,, एक बेटे के लिए इस तरह का नजारा बेहद अद्भुत और मादकता भरा था। और होता भी क्यों नहीं क्योंकि अक्सर औरतें अपने बेटे तो क्या किसी भी मर्द के सामने इस तरह से खुले तौर पर पेंटिं हाथ में लेकर उसका जायजा नहीं करती,,, क्योंकि औरतों के हाथ में पेंटी देखते हीहर मर्दों के दिमाग में यही कल्पना घूमने लगती है कि पेंटी पहनते समय यह औरत किस तरह से दिखती होगी,,, या पेंटी पहनने के बाद यह कैसी दिखेगी,,,, और यही हाल सोनू का भी था अपनी मां के हाथ में लाल पेंटिं को देखकर करे उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, संध्या जी थोड़ा बेशर्म बन जाना चाहती थी क्योंकि उसे धीरे-धीरे एहसास होने लगा था कि बेशर्म बनने में ही बहुत मजा है क्योंकि आज तक उसने अपने बेटे के सामने इस तरह की हरकत नहीं की थी लेकिन इस तरह की हरकत करते हुए उसे अद्भुत एहसास हो रहा था उसके तन बदन में हलचल सी मची हुई खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी पतली सी मखमली दरार के अंदर उत्तेजना भरी चींटियां रेंग रही थी,,, वह अपने बेटे को अपने हाथ में ली हुई लाल रंग की पैंटी को दिखाते हुए बोली,,,,,।

यह कैसी लग रही है सोनू,,,,

अच्छी ही है मम्मी,,,,(सोनू शर्म के मारे इधर-उधर नजरें घुमाते हुए बोला,,,,)

अरे ठीक से देख कर बताना ईधर उधर क्या देख रहा है,,,।
(संध्या अपने बेटे की तरह हसरत भरी निगाहों से देखते हुए बोली,,,)


मम्मी मुझे यह खरीदने का कोई अनुभव नहीं है,,,,।


अरे अनुभव नहीं है लेकिन देखा तो होगा,,,,
(संध्या अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली अपनी मां की कही गई बात का मतलब समझते ही सोनू का लंड टन टनाने लगा,,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) ले हाथ में लेकर देख अच्छी तो है ना,,, तो फिर क्या है ना कि पहनने के बाद अजीब सी लगती है,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था अपनी मां की बात मानते हुए सोनू अपना हाथ बढ़ा कर अपनी मां के हाथ में सेना ने लड़की पहनती को अपने हाथ में ले लिया और वह भी अपनी मां के सामने लगभग घबराते हुए इधर-उधर करके पेंटी को चारों तरफ से देखने लगा,,, और धीरे से बोला,,,)

मम्मी मेरी मानो तो,,,,( इतना कहने के साथ सोनू अपना हाथ आगे बढ़ाकर एक हल्की गुलाबी रंग की पैंटी को उठा लिया जो की पूरी तरह से जालीदार थी और बेहद मुलायम उसे हाथ में लेते हुए बोला,,,) यह वाला ले लो यह आप पर बहुत अच्छी लगेगी,,,,
(सोनू की हालत खराब हो रही थी लेकिन संध्या का भी कम बुरा हाल नहीं था अपने बेटे की बात सुनकर उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था उसकी बुर में से तो मदन रस का बहाव हो रहा था,,, संध्या अपने बेटे के हाथ में से पेंटी को लेते हुए बोली,,,)
सोनू यह तो पूरा जालीदार है इसे पहनने के बाद छुपाने लायक कुछ भी नहीं रहेगा सब कुछ तो नजर आएगा,,,
(अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था क्या करें पैंट के अंदर लंड बगावत पर उतर आया था,,,)

मम्मी ईसे तो अंदर पहनना है ना आप पर अच्छी लगेगी इसलिए कह रहा हूं,,,,(सोनू शर्माते हुए बोला,,,)

अच्छी तो लगेगी बेटा लेकिन मुझे शर्म आ रही है इसे पहनने के बाद अगर तेरे पापा देखेंगे तो क्या कहेंगे,,,।


कुछ नहीं कहेंगे पापा वह तो खुश हो जाएंगे,,,,
(संध्या अपने बेटे के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी अपने बेटे कि ईस तरह की बातें उसके बदन में सिरहन सी दौडा दे रही थी,,,)

चल कोई बात नहीं तू कहे तो मैं ले लेती हूं मैं भी तो देखूं इस तरह की पेंटी पहनने के बाद कैसा लगता है,,,।

अच्छा ही लगेगा मम्मी,,,,

(संध्या का बुरा हाल था दिल जोरों से धड़क रहा था पैर थरथरा रहे थे,,, बुर बार-बार पसीज रही थी,,, तभी संध्या हाथ बढ़ाकर एक दूसरी पेंटी उठा ली और उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर देखने लगी तभी सोनु उस पेंटी को देखकर बोला,,)


के सही नहीं है मम्मी यह आपके लिए छोटी है,,,
(सोनू की बातें सुनकर संध्या यह जानने के लिए कि किस लिए छोटी है वह बोली,,,)

मुझे तो ठीक लग रही है सोनू,,,


नहीं मम्मी यह सही नही है इसका साइज ठीक नहीं है,,,


ऐसा क्यों मुझे तो ठीक लग रही है मुझे एकदम फिट आएगी,,,,।


आपके साइज के हिसाब से यह पहनती आपके लिए छोटी पड़ेगी क्योंकि आपकी बड़ी बड़ी है,,,।


बड़ी-बड़ी क्या बड़ी-बड़ी है,,,(संध्या उसी तरह से दोनों हाथों में पैंटी पकड़ कर उठाए हुए आश्चर्य से सोनू की तरफ देखती हुई बोली,,,)

ककककक,,, कुछ नहीं मम्मी लेकिन यह छोटी है,,,।

लेकिन तू कुछ बोल रहा था ना बड़ी बड़ी है क्या बड़ी बड़ी है,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू को शर्म महसूस हो रही थी अब वह कैसे कह दे कि तुम्हारी गांड बड़ी बड़ी है लेकिन फिर भी अपनी मां की जीद को देखते हुए वह बोला,,,)

अब कैसे कहूं मम्मी की तुम्हारी,,,,वो,,,(अपने हाथ से अपनी मां की गांड की तरफ इशारा करते हुए और अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाकर बालों बड़ा तरबूज पकड़ा हो इस तरह से हाथ करके बोला) बड़ी-बड़ी है इसे पहनते ही पेंटी फट जाएंगी,,,,(सोनू एकदम से शर्माते हुए बोला..लेकिन संध्या जानबूझकर सहज बनी रही वह ऐसी कोई भी बात या हरकत नहीं करना चाहती थी ताकि उसके बेटे को ऐसा लगे कि उसकी बात सुनकर उसे बुरा लगा है वह ऐसा ही जताना चाहती थी कि सब कुछ बिल्कुल सामान्य है इसलिए अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,)

ठीक है तू कहता है तो मैं इसे नहीं लेती हूं,,, लेकिन एक काम कर तू ही जल्दी जल्दी से तो 3 पेंटी मेरे लिए पसंद करके दे दे,,,,।
(अपनी मां की बात सुनते हैं सोनू भी बिल्कुल देर किए बिना ही पहले से ही अपनी नजर में रखी हुई पेंटी को उठाकर अपनी मां की तरफ आगे बढ़ा दिया,,,तब तक तो कॉलेज की लड़कियां जो कि एकदम पास में खड़ी थी और अभी अभी आई थी वह दोनों की हरकत को देख रही थी और जिस तरह से सोनू तीन पेंटी उठाकर अपनी मां की तरह बाकी पढ़ाया था उसे देखकर वह लड़की आपस में फुसफुसाते हुए अपनी सहेली से बोली,,,)

हाय ,,,,, देख तो सही,,, आंटी ने कितना मस्त लड़का फसाया है जो कि खुद पेंटी खरीद कर दे रहा है और वोभी अपने पसंद की,,,

अरे सच में आंटी एकदम नसीब वाली है जो उन्हें इतना जवान लड़का मिला है लवर के रूप में,,,
(उन लड़कियों की बात संध्या के कानों में पड़ गई थी और सोनू भी उन लड़कियों की बात सुन रहा था और लड़कियों की बात सुनकर सोनू का दिल जोर जोर से धड़कने लगा था,,, लेकिन वह जानबूझकर उन लड़कियों की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था और अपनी मस्ती में मस्त रहने का नाटक कर रहा था संध्या तो उन लड़कियों की बात सुनकर फूले नहीं समा रही थी,,, संध्या को ऊन जवान लड़कियों की बातें अच्छी लग रही थी,,, तभी एक लड़की अपनी सहेली के कान में बोली,,,)
देख तो सही लड़के को आंटी के गांड का साइज एकदम परफेक्ट मालूम है तभी तो देख एक झटके में तीन पेंटिंग निकाल कर दे दिया,,,।

मालूम क्यों नहीं होगा रात दिन मजे ले रहा होगा तो साइज क्यों नहीं मालूम होगी और वैसे भी लड़कों को तो,,, ईनकी जैसी औरतें ही पसंद आती है,,।

(संध्या की हालत खराब हो गई थी रात दिन मजे लेने वाली बात सुनकर तो उसकी हालत खराब होने लगी उसकी सांसों की गति तेज होने लगी हालांकि वह लड़कियां भी पेंटी को उलट पलट कर देख रही थी लेकिन बातों का केंद्र संध्या और सोनू पर ही टिका हुआ था,,, सोनू भी उन लड़कियों की बातें सुनकर मस्त हुआ जा रहा था तभी उनमें से एक लड़की बोली)

सच कहूं तो लड़कों को इस उम्र की औरतें ही पसंद है और वह भी शादीशुदा एकदम मजा आ जाता है लड़कों को,,, देख नहीं रही है आंटी की चुची कितनी बड़ी बड़ी और गोल गोल है,,, साला दबा दबा कर मजा लेता होगा और पिता भी होगा आंटी को तो मजा आ जाता होगा जवान लवर पाकर,,,
(यह बात सुनकर सोनू और संध्या दोनों के होश उड़ने लगे दोनों की बातें संध्या और सोनू के तन बदन में आग लगा रही थी,,,)

अच्छा एक बात बताओ तुझे तो इन सब में ज्यादा अनुभव सच सच बताना यह लड़का इस आंटी की दिन में कितनी बार लेता होगा,,,

ऊममममम,,, सच कहूं तो लड़के का बदन बेहद गठीला और कसरती है,,,, साला आंटी को चोद चोद कर थकता नहीं होगा,,, 1 दिन में कम से कम यह 5 बार तो जरूर इस आंटी को अपने लंड की सवारी कराता होगा,,,।
(अब तो संध्या की हालत एकदम से खराब हो गई उत्तेजना के मारे उसकी बुर में से बदल रस की दो बूंद पेंटी के अंदर टपक गई,,, और उत्तेजना के मारे सोनू का लंड उबाल मार रहा था,,, धीरे-धीरे दो चार लड़कियां और इकट्ठा होने लगी वह भी ब्रा और पेंटी लेने आई थी इसलिए अब संध्या का वहां ज्यादा देर तक खड़े रहना ठीक नहीं था लेकिन उन लड़कियों की बातें सुनने के चक्कर में उसने एक पेंट और पसंद कर ली और 5 पेंटी लेकर वह दूसरे कोने पर जाकर अपने लिए ब्रा पसंद करने लगी,,,जिसे खरीदने में सोनू भी अपनी मां की मदद कर रहा था लेकिन ब्रा की सही साइज उसे बिल्कुल भी नहीं मालूम थी,,,लेकिन इतना व जरूर जानता था कि उसकी मां की दोनों चूचियां खरबूजे के साइज की थी,,,,

संध्या अपने लिए ब्रा और पेंटी खरीद कर काउंटर पर बिल बनवाने लगी,,,,,सोनू को इस समय अपनी मां के साथ साथ खड़ा रहने में शर्म भी महसूस हो रही थी और गर्व भी महसूस हो रहा था क्योंकि यहां पर लोग उन दोनों को प्रेमी प्रेमिका के जोड़ी के रूप में देख रहे थे,,,,और शायद संध्या से उन लड़कियों को जलन भी हो रही थी क्योंकि संध्या इस उम्र में भी बेहद खूबसूरत और गठीले बदन की मालकिन थी शायद संध्या की गर्म जवानी के आगे उन लड़कियों की जवानी पानी भरने पर मजबूर नजर आ रही,, थी,,। जल्दी-जल्दी सोनू और उसकी मां उतर कर नीचे आ गई और एक रेस्टोरेंट में चले गए जो कि मॉल में ही बना हुआ था,,,।

दूसरी तरफ शगुन अपने लिए खाना गर्म कर रही थी दोपहर की चिलचिलाती गर्मी में छोटा सा फ्रॉक शगुन को राहत दे रहा था,,, राहत फ्रॉक के अंदर सिर्फ अपनी पेंटी पहनी हुई थी बाकी उसने ब्रा नहीं पहनी थी जिसकी वजह से रोकने से उसकी गोल-गोल संतरे एकदम साफ नजर आ रहे थे कोई भी इस समय आने वाला नहीं था इसलिए वह निश्चित थी,,। खाना गरम करने के बाद वह अपने लिए एक थाली में परोस कर रसोई घर से बाहर आ गई और डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खाने लगी,,, वह पूरी तरह से निश्चिंत हो चुकी थी खाना खाने में एकदम मशगूल,,, तभी डोर बेल बजने लगी,,, तो पूरी तरह से बे फ़िक्र थी एक हाथ में मोबाइल चलाते हुए वह खाना खा रही थी डोरबेल बजते ही ऊसका ध्यान दरवाजे पर गया,,, पर वह तुरंत कुर्सी पर से उठी और दरवाजा खोलने के लिए चली गई,,,,वह पूरी तरह से भूल चुकी थी कि इस समय वह अपने बदन पर कौन से कपड़े डाली हुई है उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि वह छोटी सी ड्रेस के अंदर केवल एक पेंटी पहनी हुई है और उस ड्रेस में से उसके बदन का हर एक हीस्सा ,,हर एक कोना कोना बदन का हर एक कटाव साफ नजर आ रहा है,,, मैं तुरंत दरवाजा खोल दी और दरवाजे पर उसके पापा से अपने पापा को देखते ही वह खुश होते हुए बोली,,,।

पापा आप इस समय,,,,,
(लेकिन संजय का तो सगुन की बातों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी उसकी नजरें शगुन के बदन पर टिकी हुई थी,,, क्योंकि संजय को शगुन के बदन का हर एक अंग साफ नजर आ रहा था,,, वह शगुन को बड़े गौर से ऊपर से नीचे तक देख रहा था छोटी सी ड्रेस थी जो कि बड़ी मुश्किल से जांघों तक पहुंच रही थी,,,। मोटी मोटी चिकनी जांघें देख कर संजय के होश उड़ रहे थे,,, तभी संजय की नजर पारदर्शी फ्रॉक में से झांक रहे अपनी बेटी के दोनों संतरो पर पड़ी तो वह उन्हें प्यासी नजरों से देखता ही रह गया,,, संजय को इस बात का एहसास हो गया कि उसकी बेटी फ्रॉक के अंदर केवल पेंटी पहनी हुई है,,, अपनी बेटी की हालत को देखकर संजय का लंड एकदम से खड़ा हो गया,,,शगुन को इस बात का एहसास हो गया कि वह किस हालत में अपने बाप के सामने खड़ी है वो एकदम से शर्मसार हो गई और बिना कुछ बोले वहां से भागते हुए अपने कमरे में चली गई,,,, संजय भी जैसे होश में आया हूं वो एकदम से शर्म के मारे अपनी नजरों को नीचे कर लिया और दरवाजा बंद करके एक कुर्सी पर बैठ गया,,,,
बहुत ही गरमागरम और कामुक उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया अब तो तीनो का टांका भिड़वा दो
 
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जिस तरह से शगुन वहां से शरमा कर भागी थी,, संजय को इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी बेटी किस लिए भागी है इसलिए उसे अपने आप पर भी शर्मिंदगी महसूस होने लगी थी,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह ऐसी स्थिति में क्या करें इसलिए वह वहीं पर एक कुर्सी पर बैठ गया,,जब उसे कुछ नहीं सोचा तो वह नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया लेकिन अफरातफरी में वह अपने कमरे में भी बाथरुम में नहीं बल्कि दूसरे ही बाथरूम में चला गया था,,,,

दूसरी तरफ किचन में किचन फ्लोर का सहारा लेकर उस पर अपनी गांड टीकाकर शगुन खड़ी थी और जोर से हांफ रही थी,,, उसके चेहरे पर शर्मिंदगी का भाव साफ झलक रहा था वह अपने आप पर थोड़ा गुस्सा भी हो रही थी कि उसे इस बात का एहसास क्यों नहीं हुआ कि वह इस समय क्या पहनी हुई है,,, अपने आप पर नजर घुमा कर देखने के बाद उसे एहसास हुआ कि उसके पापा ने उसके कपड़े मैसेज ना करें उसके अंगों को देख लिया होगा क्योंकि उसे खुद अपने ही पारदर्शी फ्रॉक में से पेंटी के साथ साथ नंगी चूचियां भी नजर आ रही थी चिकना सपाट पेट और गहरी नाभि सब कुछ नजर आ रहा था चिकनी केले के तने के समान मांसल जांघें सब कुछ उसके पापा की नजर में आ गया होगा यह एहसास उसके तन बदन में गुदगुदी पैदा कर रहा था,,,। गुस्सा अब अजीब से एहसास में बदलते जा रहा था और यह सांस आकर्षण और उत्तेजना का मिश्रण था जिस बात को लेकर उसे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी उसी बात से अब उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर पैदा हो रही थी,,,इस बात को लेकर कि उसके पापा ने उसके उन अंगों को देख लिया होगा जो हमेशा मर्दों की नजरों से छुपा कर रखा जाता है,,, पर यह सोच कर वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रही थी कि उसके पापा उसके अंगों को देखकर क्या सोच रहे होंगे,,, और तभी उसके मन में यह ख्याल आते ही कि उसके खूबसूरत अंगों को देखकर उसके पापा का लंड खड़ा हो गया होगा ,,, यह बात सोचते ही वह अपने मन में बोली,,,।

हे भगवान यह में क्या सोच रही हुं यह गलत है,,,, लेकिन उसका अपने ही मन पर बिल्कुल भी काबू नहीं हो पा रहा था,,,, तभी उसके मन में दूसरा ख्याल आया कि जो वह सोच रही है बिल्कुल सच है,,, उसके पापा का लंड जरूर खडा हो गया होगा वही जिसे वह पहली बार खिड़की से चोरी छुपे देखी थी,,, वही लंड जो उसकी मां की बुर में डालकर उसकी चुदाई कर रहा था मोटा तगड़ा लंबा एकदम मुसल की तरह,,,, उसकी मां को भी मजा आ रहा था,,, तभी तो वह कैसे अपनी बड़ी बड़ी गांड लंड पर पटक रही थी,,,, यह सब सोचकर शगुन की हालत खराब हुए जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें टांगों के बीच की स्थिति पूरे तन बदन के साथ-साथ मन में हाहाकार मचा रही थी,,, गरम बातों के एहसास से उसकी बुर पूरी तरह से पिघल रही थी,,,, जिससे उसकी पैंटी गीली होती जा रही थी,,,, मन और तन बदन में आए ईस परिवर्तन का उसके पास किसी भी तरह का हल नहीं था ,,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि को किचन से बाहर कैसे जाएं कैसे अपने पापा से नजर मिला पाएगी,,, सबसे पहले तो उसे इस बात का एहसास हो गया कि अपने छोटे कपड़े को निकाल कर नॉर्मल कपड़े पहनने होंगे इसलिए वह हिम्मत जुटाकर धीरे-धीरे किचन से बाहर आने लगी और किचन से बाहर आकर चारों तरफ नजर घुमा कर देखी तो वहां पर उसके पापा ने अपने कमरे में गई और सलवार और कुर्ती पहन कर बाहर आ गई,,,।

दूसरी तरफ संजय बाथरूम में घुसते ही अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया था शगुन के मायावी आकर्षण से भरा हुआ खूबसूरत बदन को देख कर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी इसमें कोई शक नहीं था कि अपनी ही बेटी के खूबसूरत बदन को देख कर उसका लंड अपने आप खड़ा हो चुका था सावर को चालू करके रिमझिम पानी की बूंदों की ठंडक के साथ-साथ शगुन के गर्म बदन का एहसास उसके तन बदन में और भी ज्यादा गर्माहट पैदा कर रहा था जिससे संजय अपनी ही बेटी के ख्यालों में डूबते हुए अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने खड़े लंड को पकड़ लिया और उसे शगुन को याद करते हुए हिलाना शुरू कर दिया,,,, एक-एक पल छिन संजय के लिए उत्तेजना का सागर उमाड़ रहा था,,,। संजय अपनी ही बेटी के मादकता भरे ख्यालों में डूब कर अपने लंड को हिला रहा था,,, उसके कल्पना ओकाकुरा अपनी तेज रफ्तार से उसे कल्पनाओं की दुनिया में लिए जा रहा था,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और दिल की धड़कन इस समय घोड़ों के टाप के बराबर चल रही थी,,, कल्पना संजय अपने ही बेटी के खूबसूरत लाल-लाल होठों को अपने होंठों में भर कर पीता हुआ अपने दोनों हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर उसके गोल गोल नितंबों को अपनी हथेली में भरकर जोर जोर से दबा रहा था और अपने खाली लंड की ठोकर उसकी मखमली बुर के ऊपर मार रहा था,,, कल्पना की दुनिया में सगुन भी पागल हुए जा रही थी अपनी बुर को बार-बार अपने पापा के लंड पर दबा रही थी,, दोनों की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी दोनों निर्वस्त्र हो चुके थे और संजय अपनी भुजाओं का दम दिखाते हुए अपनी बेटी की गोल गोल गांड को अपनी दोनों हथेली में पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठा दिया और बाथरूम में दीवार से सपा कर अपने खड़े लंड को एक हाथ नीचे की तरफ लाकर उसे पकड़ लिया और उसके मोटे सुपाड़े को शगुन की गुलाबी बुरके गुलाबी छेद पर रखकर धीरे धीरे ऊसे अंदर की तरफ सरकाने लगा,,, देखते ही देखते संजय का पूरा समुचा लंड शगुन की बुर के अंदर चला गया,,, शगुन की सांसे तेज चलने लगी और संजय की कमर दोनों अपनी रफ्तार से चल रही थी संजय अपनी बेटी कि दोनों चुचियों को बारी-बारी से मुंह में भर कर पी रहा था,,, थोड़ी ही देर में उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान होने के बाद बाप बेटी दोनों एक साथ झड़ गए जैसे ही कल्पनाओं का घोड़ा हिना हिना आता हुआ रुका संजय के लंड से तेज पिचकारी निकलकर सामने की दीवार पर गिरने लगी संजय पूरी तरह से मस्त हो चुका था यह कल्पना संभोग से भी कहीं ज्यादा शुखद एहसास दे गया था,,, संजय को इस समय ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह वास्तव में शगुन की चुदाई कर दिया हो आज अपनी खूबसूरत बीवी से संभोग से ज्यादा अपनी बेटी के साथ कल्पना के संभोग की परिकल्पना में खोते हुए हस्तमैथुन करने में मजा आया था,,,। नहाने के बाद संजय जब टॉवल लेने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह जल्दबाजी में अपने कमरे में नहीं बल्कि नीचे बने बाथरूम में आ गया था जहां पर टावर नहीं था और जो कपड़े उसने नीचे निकाल कर रखे थे वह गीले हो चुके थे अब वह क्या करें उसे समझ में नहीं आ रहा था ना चाहते हुए भी उसे शगुन को आवाज देना पड़ा,,,,,,,

शगुन ओ शगुन,,,,
( शगुन के कानों में अपने पापा की आवाज पहुंचते ही,,, सगुन इधर-उधर देखने लगी,,, तब जाकर उसे इस बात का एहसास हुआ कि आवाज बाथरूम में से आ रही है,,, वह तुरंत बाथरूम के करीब गई,,,।)

पापा आप अंदर है,,,?(आश्चर्य के साथ बोली)

हां शगुन में अंदर हुं,,,,

लेकिन पापा आपके कमरे में भी तो बाथरूम है,,, कुछ खराबी है क्या,,,?


नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है एक गर्मी ज्यादा पड़ गई थी तो मैं इधर आ गया,,,
(एकाएक गर्मी पड़ जाने वाली बात से शगुन के होठों पर मुस्कान तैरने लगी उसे इस बात का एहसास हो कि उसके पापा को किस वजह से एकाएक गर्मी बढ गई,,, एक बार शकुन फिर से ऊपर से नीचे तक अपने बदन पर नजर डाली तो उसे अपने खूबसूरत बदन पर गर्व होने लगा संजय अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) शगुन में जल्दबाजी में टावल लाना भूल गया क्या तुम मेरे कमरे में जाकर टावल ला सकती हो,,,,।

इसमें कौन सी बड़ी बात है अभी गई और अभी आई,,,(इतना कह कर सगुन वहां से चली गई,,, संजय अभी-अभी अपनी बेटी के बारे में गंदी कर बना करके मुठ मारा था लेकिन अभी भी उसका लंड ज्यों का त्यों खड़ा था,,,, जिसके बारे में इतनी जबरदस्त कल्पना करके अपना लंड हिला कर अपनी गर्मी शांत किया था उसी से बात करके उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, शगुन अपने पापा के कमरे में पहुंच चुकी थी,,, और जैसे ही अलमारी खोली ऐसे ही तुरंत कपड़ों के ढेर के साथ-साथ कुछ पैकेट भी नीचे गिर गया जिसे उत्सुकता वश शगुन नीचे झुककर उठाने लगे तो उस पैकेट को हाथ में लेते ही उसे समझते देर नहीं लगी कि वह पैकेट किस चीज का है,,, सुकून अपने हाथ में कंडोम का पैकेट उठा ली थी,,,कंडोम का पैकेट हाथ में आते ही उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,, जिंदगी में पहली बार वह कंडोम के पैकेट को देख रही थी पहले वह डॉक्टर की पढ़ाई कर रही थी लेकिन इन सब चीजों से बहुत दूर थी इसलिए तो कंडोम का पैकेट हाथ में लेकर उत्तेजना के मारे उसकी बुर गीली होने लगी थी,,,,वह कंडोम के पैकेट को चारों तरफ इधर-उधर घुमा कर देख रही थी उस पर बने अर्ध नग्न चित्र उसके उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रहे थे लेकिन तभी उसे याद आया कि उसके पापा जब उसकी मां को चोद रहे थे तब उनके लंड पर कंडोम बिल्कुल भी नहीं था,,, उत्सुकता बस उसने कंडोम के पैकेट को उसी तरह से कपड़ो के बीच करके रख दी,,, वह उसमें से एक पैकेट अपने पास रख लेना चाहती थी क्योंकि वह उसके अंदर के कंडोम को देखना चाहती थी,,,उसके बनावट से अच्छी तरह से वाकिफ होना चाहती थी लेकिन उसे डर था कि कहीं अगर एक पैकेट वह रख लेगी तो कहीं उसकी मम्मी आपके पापा को पता ना चल जाए इसके लिए बात वैसे ही सब कुछ रख कर सिर्फ टावल लेकर अपने पापा के कमरे से बाहर आ गई,,,, बाथरूम के अंदर संजय वैसे ही खड़ा था,,,

टावल लेकर शगुन बाथरूम के बाहर खड़ी हो गई और बोली,,,।

पापा में टावल ले आई,,,,


अच्छा की वरना मैं यहीं खड़े के खड़े रह जाता,,,(इतना कहने के साथ ही संजय धीरे से बाथरूम का दरवाजा थोड़ा सा खोला और उसमें केवल अपना सर बाहर निकाल कर अपनी बेटी से टावल लेने लगा,,, शगुन अपने पापा को टावल थमाने ही वाली थी कि मोबाइल की घंटी बज गई और एकाएक मोबाइल की घंटी बजने से हुआ बुरी तरह से चौक गई और उसके हाथ से टावल छूट कर नीचे गिर गई,,, शगुन को इस बात का एहसास होते ही की मोबाइल की घंटी बजी है वह नीचे झुककर टावल उठाने लगी और,,, टावल हाथ से छूटने पर उसे संजय भी उठाने के लिए हरकत में आया ही था कि दरवाजे की ओट में छुपा हुआ ऊसका खड़ा लंड,,, उसकी हरकत की वजह से दरवाजे की किनारी से बाहर आकर एकदम हवा में लहराने लगा तब तक शगुन नीचे बैठ कर टावल अपने हाथ में ले चुकी थी लेकिन जैसे ही दरवाजे की ओट में से संजय का लंड बाहर आकर हवा में लहराने लगा उस पर शगुन की नजर पड़ गई,,, शगुन तो अपने पापा के लंड को देखती ही रह गई,,। उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी आंखें इतनी नजदीक से अपने पापा के लंड के दर्शन कर रही है,,, लंड क्या था एकदम भयानक मोटा तगड़ा,, लंबा एकदम मुसल की तरह,,, शगुनअपने पापा के लंड को इतने नजदीक से देखने के बाद यकीन नहीं कर पा रही थी कितना मोटा तगड़ा और लंबा लंड उसकी मां की गुलाबी बुर के छोटे से छेद में पूरी तरह से घुस जाता होगा,,,, अपने पापा के लंड को देखकर उसके बदन में थरथराहट होने लगी,,,उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा उसकी आंखें फटी की फटी रह गई दोनों गुलाबी होंठ खुली की खुली रह गई उसके हाथ में अभी भी टावल था लेकिन वह भूल गई थी कि टावल उसके पापा को देना है,,,, वह बस आश्चर्य से अपने पापा के मुसल को देखती जा रही थी,,,, इतनी देर में संजय को भी एहसास हो गया था कि जिसे को छुपाने की कोशिश कर रहा था वह अपने आप ही बाहर आ गया है और उसकी बेटी ने उसके लंड को देखती है और जिस तरह से वह देख रही थी उसे देखकर संजय की अनुभवी आंखें,,, इतना तो समझ ही गई थी कि लड़की इस तरह से तभी देखती है जब उसे लंड के बारे में उत्सुकता होती है,,, संजय फिर भी एक बाप था इसलिए मैं जल्दी से दरवाजे के पीछे हो गया और बोला,,,।

क्या देख रही हो सगुन जल्दी से लाओ टावल,,,
(इतना सुनते ही जैसे शगुन की तंद्रा भंग हुई और अपने पापा की बात सुनकर उसकी इच्छा हो रही थी कि कह दे कि तुम्हारा लंड देख रही थी और यह कितना बड़ा मोटा और लंबा है,,,लेकिन यह सिर्फ मन की बात थी वह अपने मन की बात को होठों पर नहीं ला सकती थी,,, इसलिए शगुन शर्मा कर झट से खड़ी हुई और टावल अपने पापा को थमा कर वहां से चलती बनी,,, शगुन का बुरा हाल था उसकी आंखों ने जो देखा था उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था हालांकि वह दो बार अपनी मां की चुदाई देख चुकी थी और अपने पापा के मोटे तगड़े लंड से लेकिन आज इतने नजदीक से अपने पापा के लंड को देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,,

संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक बार फिर से उसके लंड में तनाव पूरी तरह से भर गया था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था क्योंकि उसने अपनी बेटी की आंखों में उसके लंड को पाने की उसे समझने की चमक देख लिया था,,,, फिर भी वह जैसे तैसे करके टावल लपेटकर अपने कमरे में चला गया,,,संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी बेटी से कैसे नजरे मिला है और यही हाल सगुन का भी था,,, हालांकि इस असमंजस ताको खुद संजय दूर करते हुए कपड़े पहन कर बाहर आया और शगुन को खाना गरम करने के लिए बोला सब कुछ सामान्य सा नजर आने लगा शगुन भी खाना गर्म करके डाइनिंग टेबल पर खाना लगाने लगी,,,,।

दूसरी तरफ सोना अपनी खूबसूरत सेक्सी मां संध्या को अपनी मोटरसाइकिल के पीछे बिठाकर घर की तरफ आ रहा था उसके मन में भी ढेर सारे सवाल उठ रहे थे जिस तरह से उसकी मां उसकी पसंद की पेंटिं खरीदी थी उसके मन में यही चल रहा था कि काश उसकी मां उसे पहनकर उसे दिखा पाती,,,,लेकिन शायद ऐसा होना अभी संभव नहीं था लेकिन फिर भी संध्या बात की शुरुआत करते हुए बोली,,,।


सोनू तेरी पसंद बहुत अच्छी है,,, तेरे द्वारा पसंद की गई पेंटी मुझ पर अच्छी लगेगी या नहीं यह तो मैं नहीं कह सकते लेकिन उसका कलर और डिजाइन मुझे बहुत पसंद आया,,,।

बहुत अच्छी लगी की मम्मी आपका गोरा रंग है और आपकी उस पर,,,, बहुत अच्छी लगेगी,,,,(सोनू एकदम से बोल गया तो संध्या के होठों पर मुस्कान तैरने लगी वह जानते हुए भी बोली)
किस पर अच्छी लगेगी,,,,।

अरे जिस पर पहनने के लिए ली हो देखना जब उसे पहनगी ना तो आसमान से उतरी हुई परी लगोगी,,,।

परी क्या पेंटिं पहनती है,,,,।

यह तो मैं नहीं जानता मम्मी लेकिन अगर पहनती होगी तो बिल्कुल आप की तरह ही लगती होगी,,,।
(अपने बेटे की बात संध्या को अच्छी लग रही थी,,, वह चाहती थी कि उसका बेटा और खुलकर बोली इसलिए तो वह खुद बोली,,)

तुझे कैसे पता कि अगर परी पेंटी पहनती होगी तो मेरे जैसी दिखती होगी तूने मुझे कभी देखा है क्या,,,


नहीं मम्मी देखा तो नहीं हुं,,,,


फिर कैसे कह रहा है,,,? सिर्फ बातें बनाता रहता है।

नहीं मम्मी मैं सच कह रहा हूं आप जैसी खूबसूरत औरत पर इस तरह की पेंटिं सच में बेहद खूबसूरत लगेगी,,,


तू इतना यकीन से कैसे कह पा रहा है,,,।

कल्पना करके भले ही मैंने आपको सिर्फ ब्रा और पेंटी में नहीं देखा लेकिन फिर भी कल्पना करके मुझे एहसास हो रहा है कि आप इसमें बहुत खूबसूरत लगोगी,,,।

ओह,,,, कल्पना करके तब तो कल्पना करके तु बहुत कुछ देख लिया होगा,,,।(संध्या अपनी आंखों को नचाते हुए बोली,,,सोनू अपनी मां के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन वह बोला कुछ नहीं बस खामोश रहा संध्या भी इस बात को आगे बढ़ाना नहीं चाहती थी इसलिए कुछ बोली नहीं लेकिन फिर भी उसके तन बदन में जिस तरह की हलचल हो रही थी उस हलचल को वह अपने आप से रोक नहीं पा रही थी इसलिए बोली,,,)

लेकिन सोनू जिस तरह के जालीदार पहनती तूने मेरे लिए पसंद किया है उसे पहनने के बाद तो छुपाने लायक कुछ भी नहीं बचता सब कुछ तो नजर आता है,,,।
(सोनू अपनी मां के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रहा था,,,उसे धीरे-धीरे समझ में आ रहा था कि उसकी मां भी उसके मुंह से बहुत कुछ सुनना चाहती है इसलिए वह भी थोड़ा हिम्मत करके बोला)

मम्मी इसमें छुपाने लायक कौन सी बात है,,,, पापा को अच्छा लगेगा,,,,


क्या अच्छा लगेगा,,,?

यही आपकी जालीदार पेंटी जिसमें से सब कुछ नजर आएगा पापा खुश हो जाएंगे,,,
(सोनू की बात सुनकर,,, संध्या का दिल जोरो से करने लगा उसकी पेंटी गीली होने लगी उसकी बुर में खुजली होने लगी और सोनू का लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा सोनू और संध्या ईससे ज्यादा बात करना चाहते थे,,, लेकिन तब तक घर आ चुका था,
बहुत ही गरमागरम और कामुक उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

rohnny4545

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सुबह के 5:00 बज रहे थे,,,, सूरज की पहली किरण धरती पर आने के लिए अंधेरों को चीरते आगे बढ़ रही थी,,,,,, सुबह की ठंडक में अभी भी बहुत से लोग बिस्तर में मीठी नींद का मजा ले रहे थे,,,, होटल में अभी भी चारों तरफ शांति छाई हुई थी,,,,,, लेकिन कपिल की आंख बहुत जल्दी खुल गई क्योंकी आज उसका एग्जाम था,,,उसे जल्दी तैयार होना था और कॉलेज भी जाना था जहां पर एग्जाम होने वाली थी,,,उसकी नींद खुली तो बिस्तर पर सो रहे उसके पापा पर उसकी नजर पड़ी जो की गहरी नींद में सो रहे थे वह चाहती थी कि उसके पापा से उठने से पहले हुए हैं नहा धोकर तैयार हो जाएगी,इसलिए सुबह-सुबह पेशाब के प्रेशर के साथ ही उसकी नींद खुल गई और वह बाथरूम में जाकर पेशाब करने लगी,,,पेशाब करते समय उसकी बुलाकी बुर के गुलाबी छेद से आ रही सिटी की जबरदस्त आवाज संजय कानों में पड़ते ही संजय की नींद उड़ गई,,,,, वह मधुर मादक सिटी की आवाज से अच्छी तरह से वाकिफ था,,,,और यह जानने के लिए की सिटी की माता का भाषा कहां से रही है इसलिए अब अपने बिस्तर पर नजर दौड़ा या तो शगुन वहां पर नहीं थी उसे समझते देर नहीं लगी कि बाथरूम के अंदर उसकी बेटी है,,,उत्तेजित होने के लिए यह एहसास ही उसके लिए काफी था पल भर में ही उसका लंड तनकर एकदम खड़ा हो गया,,,,,, पेशाब करने की आवाज से ही संजय पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा वह अपने मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने पजामी को घुटनों का सरका कर मुत रही होगी,,, या हो सकता है वह अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मुत रही हो,,,,,अपने मन में यह सोचने लगा की पेशाब की धार उसकी गुलाबी बुर के छोटे से छेद से निकलती हुई कैसी लग रही होगी,,, उसकी गोलाकार सुडोल,, गांड बैठने की वजह से कैसे निकल कर बाहर उभर आई होगी,,,, यह सब सोचकर संजय पागल हुआ जा रहा था और उसका हाथ अपने आप उसके पजामें में चला गया और उसने खड़े लंड को सहलाना शुरु कर दिया,,,, अभी भी बाथरूम से सीटी की आवाज लगातार आ रही थी संजय को समझते देर नहीं लगी कि उसकी बेटी को जोरों से पेशाब लगी हुई थी,,,,,,,
संजय बाथरूम के अंदर के नजारे को देखने के लिए तड़प उठा,,, लेकिन वो जानता था कि अंदर का नजारा देख सकना नामुमकिन है इसलिए अपने मन में ही अपनी कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा रहा था,,,,,, संजय को अपने पजामे में भूचाल उठता हुआ महसूस हो रहा था,,,संजय की हालत खराब थी अपने बेटी की मुतने की आवाज को सुनकर,,,, इस बात से बेखबर शगुन इत्मीनान से पेशाब करने के बाद उठ खड़ी हुई और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,, बाथरूम में लगे मिरर में,,, अपने संपूर्ण वजूद को देखकर खुद सगुन शर्मा गई,,,,,, उसे अपनी खूबसूरती पर गर्व हो रहा था उसका बदन संगमरमर से तराशा हुआ प्रतीत हो रहा था छातियों की शोभा बढ़ाती उसकी दोनों गोलाइयां,,, पेड़ में लगे अमरूद की तरह नजर आ रही थी,,,, लाल-लाल होठों में जैसे कि गुलाब की पत्तियों का सारा रस निचोड़ कर भर दिया गया हो,,,, शगुन की नजर अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वह शर्म से लाल हो गई,,, हल्के हल्के रोए उसे अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों के इर्द-गिर्द नजर आ रहे थे जिसे वह तीन-चार दिन हो गए थे क्रीम लगाकर साफ नहीं की थी यूं तो शगुन को अपनी दोनों टांगों के बीच सफाई ज्यादा ही पसंद थी,,, लेकिन तीन-चार दिनों से एग्जाम की तैयारी करने की वजह से उसे समय नहीं मिला था लेकिन फिर भी वह रेशमी रोए उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे,,,, अपने आप ही शगुन की हथेली अपनी दोनों टांगों के बीच पहुंच गई और वह अपने हाथों से अपनी बुर को मसल दी,,,।

सहहहहह ,,,,,की गरम सिसकारी की आवाज के साथ वह अपनी हथेली को अपनी बुर के ऊपर से हटा ली,,,,सावर चालू करने से पहले वहां पीछे घूम कर मिरर में अपने नितंबों की गोलाई को अपनी आंखों से नापने लगी,,, गजब का नजारा मिरर में नजर आ रहा था अपनी उभरती हुई गांड को देखकर खुद शगुन दांतो तले उंगली दबा ली,,,,,,,धीरे-धीरे अपने ही नंगे बदन को देख कर सब उनके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी लेकिन वह अपनी उत्तेजना को इस समय उभरने नहीं देना चाहती थी,,,क्योंकि वह अपना सारा ध्यान एग्जाम पर केंद्रित करना चाहती थी इसलिए सांवर चालू करके नहाने लगी,,, कुछ ही देर में गरम हुए बदन पर पानी की ठंडी बुंदे पडते ही,,, शगुन को थोड़ा राहत हुई लेकिन सावर से गिर‌ रहे पानी की आवाज को सुनकर संजय का मन बेचैन हो गया,,,उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहा रही है,,, उसका मन अपनी बेटी को नंगी देखने के लिए ललच रहा था,,,हालांकि वह अपने मन में आए गंदे विचार को लेकर काफी परेशान भी था लेकिन जवानी का जोश खूबसूरत नंगे बदन को देखने की लालच पर उसका अंकुश बिल्कुल भी नहीं रह गया था,,,,,,,

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थोड़ी ही देर में अपनी खूबसूरत संगेमरमरई बदन पर टावल लपेटकर वह बाथरूम से बाहर आ गई वह बाथरूम में अपने कपड़े ले जाना भूल गई थी,,,,जैसे ही वह बाथरूम से बाहर निकली वैसे ही समझे जानबूझकर अपनी आंखों को बंद कर लिया और गहरी नींद में सो रहे होने का नाटक करने लगा बाथरूम से निकलने के बाद शगुन एक नजर अपने पापा पर डाली और वह गहरी नींद में सो रहे हैं यह जानकर इत्मीनान से रूम में लगी मिरर के सामने खड़ी हो गई,,,,,, कुछ देर तक आईने में दीख रहे अपने अक्स को देखने लगी,,,,,और मुस्कुराने लगी उसका मन गीत गुनगुनाने को कर रहा था लेकिन अपने पापा की नींद में कोई खलल न हो जाए इसलिए वह अपने आप को रोके हुए थी,,,,

आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वह इस तरह से अपने पापा के कमरे में या उनके सामने कपड़े बदले और इस तरह से टॉवल में आए लेकिन आज का दिन और माहौल कुछ और था,,,वह अपने घर में नहीं बल्कि एक होटल में थी जहां पर वह एग्जाम देने आई थी और एक ही कमरा था जहां पर ना चाहते हुए भी उसे अपने कपड़े बदलना पड़ रहा था ऐसे तो वह बाथरूम में जाकर कपड़े बदल सकते थे लेकिन उसके पापा अभी नींद में थे इसलिए वह बेझिझक अपने कपड़े बदलने के लिए तैयार थी ,,,
संजय धीरे से अपनी आंखों को खोल कर अपनी बेटी को भीगे हुए खूबसूरत जिस्म को देख रहा था जिस पर एकता व लिपटी हुई थी लेकिन उसकी अनुभवी आंखें टॉवल में लिपटी हुई उसके संपूर्ण बदन के भूगोल को अपनी आंखों से टटोल रही थी,,,,,, संजय अपनी बेटी के गांड के उभार को देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, संजय का लंड अभी भी उसके पजामे में गदर मचा रहा था,,,, वह अपनी अधिक खुली आंखों से सब कुछ देख रहा था उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, शकुन अपने बैग में से कपड़े निकालने के लिए नीचे झुकी तो उसके झुकने की वजह से जो नजारा संजय की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, शगुन की गांड संजय की नजर की आंखों के सामने उभर कर आ गई थी और टांगों के बीच कि उसकी पतली दरार भी उसे साफ नजर आने लगी थी,,,अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार को देखते ही संजय की सांस रुकते रुकते बची थी,,, और उसके लंड में लावा का उबाल बढने लगा,,,, संजय की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी और दूसरी तरफ शगुन इस बात से अनजान कि उसके पापा अपनी आंखों को खोल कर उसके बेशकीमती खजाने को अपनी आंखों से ही लूट रहे हैं वह बैग में रखे अपने कपड़े को ढूंढ रही थी,,,,, सबसे पहले वह बैग में से अपनी लाल रंग की पैंटी को ढुंढ कर उसे हाथों में लेकर उसे पहहने के लिए खड़ी हुई तो उसकी टावल तुरंत खुल कर नीचे गिर गई,,,इस बात का अंदाजा सगुन को बिल्कुल भी नहीं था वह टावल के गिरने की वजह से पूरी तरह से नंगी हो गई थी और एकदम से चौक गई थीक्योंकि इस समय वह बिस्तर पर गहरी नींद में सो रहे हैं अपने पापा की आंखों के सामने इसलिए वह तुरंत पीछे नजर घुमाकर अपने पापा की तरफ देखने लगी लेकिन समय को भापकर संजय ने तुरंत अपनी आंखों को बंद कर लिया और चैन से गहरी नींद में सोए रहने का नाटक करने लगा,,,, अपने पापा को गहरी नींद में सोया हुआ देखकर सगुन ने राहत की सांस ली और ,,,,

कोई भी नहीं देख रहा है इस बात का एहसास होते ही शगुन नीचे गिरी अपनी टावल को उठाने की भी तस्दी नहीं ली,,,, और उसी तरह से नंगी खड़ी रही,,, क्यों किस बात का उसे इतना ना हो चुका था कि उसके पापा गहरी नींद में सो रहे हैं लेकिन इस बात से वह पूरी तरह से अनजान थी कि उसके पापा उसकी जवानी का रस को अपनी अधखुली आंखों से पी रहे हैं,,,,,,, संजय ने धीरे से अपनी आंखों को खोला तो उसकी आंखों के सामने उसकी बेटी पूरी तरह से नंगी खड़ी गिरेबान उसकी पीठ पर चिपक गए थे और उसमें से गिर रही पानी की बूंदे किसी मोती के दाने की तरह उसकी कमर से होती उसके नितंबों के घेराव को अपनी आगोश में लेकर नीचे फर्श पर गिर रहे थे,,,। संजय का होश ठिकाने बिल्कुल भी नहीं था,,,, अपने लंड को अपनी बेटी की चिकनी पीठ उसकी कमर पर उसके नितंबों के दरार के बीच रगड़ना चाहता था,,,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,,
शकुन अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनने के लिए अपनी एक टांग उठा कर उसके छेद में डाल दी और उसी तरह से अपने दूसरा पैर भी उठाकर पेंटी के दूसरे छेद में डाल दी ऐसा करने पर बार-बार उसके नितंबों का घेराव कुछ ज्यादा ही उभर जाता था जिसे देखकर संजय का लंड ठुनकी मार रहा था,,,

संजय पहली बार अपनी बेटी को पेंटी पहनते हुए देख रहा था और उसकी गोरी गोरी गांड पर लाल रंग की पेंटिं क्या खूब लग रही थी,,,,, लेकिन शकुन अपने बाकी के कपड़े बैग से लेने के लिए नीचे झुकती कि तभी उसकी नजर मिरर में पड़ी और अपने पापा की खुली आंखों को देखकर वो एकदम से चौक गई,,, उसे पता चल गया कि उसके पापा नींद में नहीं है बल्कि जाग रहे हैं और उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख रहे हैं,,,, यह देखते ही सगुन की हालत खराब होने लगी,,, संजय अभी भी शगुन को ही देख रहा था शगुन कुछ देर तक यूं ही खड़ी नहीं संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन सब अपने मन में सोच रही थी और उसके होंठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,।


आखिरकार वो भी किसी न किसी बहाने अपने पापा को अपने नंगे जिस्म का दर्शन कराना चाहती थी उसे उत्तेजित कराना चाहती थी ताकि जिस तरह कि वह कल्पना करती थी वह साकार हो सके,,,, अब वह अपने पापा को खुलकर अपने बदन का दर्शन करना चाहती थी,,, इसलिए वह कुछ देर तक खड़ी होकर सोचने के बाद, अपनी पेंटी के दोनों छोरों पर अपनी नाजुक नाजुक ऊंगलियो को रखकर उसे,,, नीचे की तरफ खींच कर उतारने लगी,,,, संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बेटी क्या कर रही है,,, लेकिन उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,,देखते ही देखते हल्के हल्के होले होले अपनी गांड को मटका अपनी पेंटी को अपनी लंबी चिकनी टांगों से उतार ली,,, एक बार फिर से वह अपने पापा की आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी हो गई,,,,, सामने का खूबसूरत मादकता भरा नजारा देखकर और अपनी ही बेटी के नंगे जिस्म को देखकर संजय को दिल का दौरा पडते-पडते रह गया,,,,, संजय का हाथ अभी भी पजामे के अंदर था,,, और वह अपने लंड को जोर-जोर से मुठ्ठी में भींच रहा था,,,,,,

उसके पापा को बिल्कुल भी शक ना हो इसलिए अपनी पेंटी को अपने हाथ में लेकर एक बार फिर से झुक कर उसे ,बैग में रखते हुए बोली,,,


यह लाल रंग का नहीं एग्जाम के लिए यह लाल रंग मुझे बिल्कुल लकी साबित नहीं हो रहा है अाज में आसमानी रंग की पहनुंगी,,,,(पर ऐसा क्या कर रहा अपनी बैग में से आसमानी रंग की दूसरी पेंटी को निकाल लीअपनी बेटी की बातों को सुनकर संजय को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि वह जानबूझकर अपनी पेंटिं को उसे दिखाने के लिए निकाली है,,,, और इस तरह से अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनी थी उसी तरह से अपनी आसमानी रंग की पैंटी को पहन ली,,, शगुन के गोरे रंग पर कोई भी रंग जच रहा था और संजय की उत्तेजना को बढ़ा रहा था,,,, शगुन चाहती तोइसी से मैं अपने पापा को अपनी दोनों टांगों के बीच की उस खूबसूरत दरार को दिखा देती जिसे बुर कहां जाता है जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है और जिसे देख कर ही ना जाने कितनों का पानी निकल जाता है लेकिन शगुन अपने पापा को और तड़पाना चाहती थे क्योंकि वह जान रही थी आईने में जिस तरह से उसके पापा उसे प्यासी नजर से देख रहे हैं अंदर ही अंदर कितना तड़प रहे होंगे,,,पर ना जाने क्यों आज उसे अपने पापा को अपना खूबसूरत जिस्म दिखाकर तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था और ऐसा सब उनके साथ पहली बार हो रहा था कि वह किसी मर्द के आंखों के सामने ही अपनी नंगे बदन पर एक एक कर के कपड़े पहन रही हो और उसकी आंखों के सामने नंगी खड़ी हो,,,



संजय गहरी सांस लेते हुए अपनी आंखों के सामने के नजारे का लुफ्त उठा रहा था और सगुन एक बार फिर से नीचे की तरफ झुक कर अपनी सलवार और कुर्ती निकालने लगी वह एग्जाम देने के लिए इसे ही पहनने वाली थी क्योंकि इसमें उसे आराम मिलता था,,,, वह सलवार कुर्ता पहनने के लिए अपनी टांग उठा रही थी कि उसे याद आया कि उसने बुरा तो पहनी नहीं अपने पापा को अपने नंगे बदन का दर्शन कराने के चक्कर में भूल गई थी वह भी आईने में अपने पापा को देख रही थी जो कि आंख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,,लेकिन ब्रा पहनने से पहले वह एक बार अपने पापा को अपनी दोनों चूचियां दिखाना चाहती थी जो कि अमरूद की तरह एकदम ठोस थी,,,,,,,ऐसा लग रहा था कि कैसे हो अपने पापा पर तरस खा रही हो क्योंकि वह अपनी बुर दिखाई नहीं थी और उसी के एवज में अपनी चूची दिखाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,। और इसीलिए ब्रा लेने के बहाने वह अपने पापा की तरफ घूम गई लेकिन अपनी नजरों को नीचे की हुई थी ताकि उसके पापा को यह ना लगे कि उसे पता चल गया है वह अपने पापा की नजरों में अंजान बने रहना चाहती थी,,,,,,



अपने पापा की तरह घूम जाने की वजह से संजय की आंखों के सामने जो नजारा पेश हुआ उसे देखकर संजय के तन बदन में चुदास पन की लहर दौड़ने लगी,,, अपने बेटी के दोनों अमरुदो को देखकर संजय का मन उसे अपने हाथों में पकड़ने को करने लगा और उसे मुंह में भर कर पीने को करने लगा क्योंकि उसकी बेटी की दोनों चूचियां एकदम जवान थी,,, संजय जानता था कि ऐसी चुचियों को हाथ में लेकर दबाने में बहुत मजा आता है और इस हरकत पर लड़कियां भी एकदम मस्त हो जाती है,,,,, संजय की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और शगुन की दोनों चूचियां एकदम तनी हुई थी ऐसा करने में शगुन भी उत्तेजित हो रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी चूचियों के दोनों निप्पल कैडबरी की छोटी सी चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,, जिसे संजय अपने मुंह में लेकर अपने दांतो से दबाना चाहता था,,,। उसे काटना चाहता था हालांकि अपनी इस ख्यालों को लेकर और पूरी तरह से परेशान भी था क्योंकि वह अपनी बेटी के बारे में इतने गंदे गंदे विचार अपने मन में ला रहा था लेकिन वह हालात से मजबूर था उसके सामने का नजारा था ही इतना मादक कि वह खुद उसके नशे में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था,,,,,

शगुन जानती थी कि उसके पापा ने उसकी दोनों चूचियों को नजर भर कर देख लिया है इसलिए वह नीचे झुक कर अपनी ब्रा उठाकर उसे पहनने लगी,,,, पर एक बार फिर से आईने की तरफ मुंह करके घूम गई अपनी ब्रा का हुक बंद करने के लिए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़प आते हुए ब्रा के हुक को ना लगाते हुए उसे इधर-उधर करके अठखेलियां करने लगी,,, संजय का मन कर रहा था कि वह बिस्तर से उठे और खुद जाकर अपनी बेटी के ब्रा के हुक को लगा दे या तो फिर उसे पूरी तरह से उतार कर फेंक दे,,,,,। आखिरकार शगुन अपनी ब्रा का हुक लगा दी,,, ब्रा के अंदर के कैद उसके दोनों अमरुद बहोत खूबसूरत लग रहे थे,,,।
देखते ही देखते शगुन अपनी सलवार और कुर्ती भी पहन ली वह तैयार हो चुकी थी अपनी बालों को सवारने लगे और घड़ी में 6:00 बज चुके थे इसलिए वह अपने पापा को जगाना चाहती थी जो कि पहले से ही जगे हुए थे लेकिन फिर भी औपचारिकता दिखाते हुए वह अपने पापा के बिस्तर के करीब बढी और यह देख कर अपनी आंखों को बंद कर लिया अपने पापा की हरकत को देखकर सगुन मुस्कुराने लगी,,,, और अपने पापा के हाथ को पकड़ कर उन्हें जगाते हुए बोली,,,।

उठो पापा देर हो रही है,,,,(पहले तो संजय जानबूझकर गहरी नहीं तो मैं सोने का नाटक करने लगा और यह देख कर शगुन बंद बंद मुस्कुराने लगी यह सोच कर कि उसके पापा कितना नाटक कर रहे हैं उसकी कमसिन खूबसूरत नंगी जवानी को अपनी आंखों से देख कर अपना लंड खड़ा कर लिए हैं फिर भी सोने का नाटक कर रहे हैं,,, एक दो बार और कोशिश करने पर संजय समझ गया क्या उसे उठना ही पड़ेगा और वह आलस मरोड़ ते हुए लेटे हुए बोला,,,)

कितना बज रहा है,,,


6:00 बज के 9:00 एग्जाम है हमें जल्दी निकलना है,,,,


ओहहह ,,,,, मैं तो सोया ही रह गया,,,,(अपने ऊपर से चादर को हटाकर एक तरफ रखते हुए वह जानता था कि उसके पजामे में उसका लंड तनकर एकदम तंबू बना हुआ है,,, और वह जानबूझकर अपनी बेटी को उसके पजामे में बने तंबू को दिखाना चाहता था,,,, और ऐसा हुआ भी,,,, संजय बेझिझक बिस्तर पर से खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ जाने लगा वह जानता था कि उसकी बेटी की नजर उसके पजामे पर जरूर पड़ेगी क्योंकि वह इस समय पूरी तरह से खुंटे की शक्ल ले चुका था,,,। जैसा वह चाहता था ऐसा हुआ कि बाथरूम में पहुंचने से पहले ही सगुन की नजर अपने पापा के पजामे के आगे वाले भाग पर पड़ी तो वह एक दम से चौंक गई,,,, पजामे में बने तंबु को देखकर वह दंग हो गई थी,,,, संजय बाथरूम में घुस गया था और सगुन के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी,,, क्योंकि वह जानती थी उसके पापा की हालत उसकी वजह से ही हुई है,,,।

संजय अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाया था और बाथरूम में घुस कर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था और तब तक मिला था जब तक कि उसका गर्म लावा बाहर ना निकल गया,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर नाश्ता करके एग्जाम देने के लिए कॉलेज की तरफ रवाना हो गए,,,।
 
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सुबह के 5:00 बज रहे थे,,,, सूरज की पहली किरण धरती पर आने के लिए अंधेरों को चीरते आगे बढ़ रही थी,,,,,, सुबह की ठंडक में अभी भी बहुत से लोग बिस्तर में मीठी नींद का मजा ले रहे थे,,,, होटल में अभी भी चारों तरफ शांति छाई हुई थी,,,,,, लेकिन कपिल की आंख बहुत जल्दी खुल गई क्योंकी आज उसका एग्जाम था,,,उसे जल्दी तैयार होना था और कॉलेज भी जाना था जहां पर एग्जाम होने वाली थी,,,उसकी नींद खुली तो बिस्तर पर सो रहे उसके पापा पर उसकी नजर पड़ी जो की गहरी नींद में सो रहे थे वह चाहती थी कि उसके पापा से उठने से पहले हुए हैं नहा धोकर तैयार हो जाएगी,इसलिए सुबह-सुबह पेशाब के प्रेशर के साथ ही उसकी नींद खुल गई और वह बाथरूम में जाकर पेशाब करने लगी,,,पेशाब करते समय उसकी बुलाकी बुर के गुलाबी छेद से आ रही सिटी की जबरदस्त आवाज संजय कानों में पड़ते ही संजय की नींद उड़ गई,,,,, वह मधुर मादक सिटी की आवाज से अच्छी तरह से वाकिफ था,,,,और यह जानने के लिए की सिटी की माता का भाषा कहां से रही है इसलिए अब अपने बिस्तर पर नजर दौड़ा या तो शगुन वहां पर नहीं थी उसे समझते देर नहीं लगी कि बाथरूम के अंदर उसकी बेटी है,,,उत्तेजित होने के लिए यह एहसास ही उसके लिए काफी था पल भर में ही उसका लंड तनकर एकदम खड़ा हो गया,,,,,, पेशाब करने की आवाज से ही संजय पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा वह अपने मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने पजामी को घुटनों का सरका कर मुत रही होगी,,, या हो सकता है वह अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मुत रही हो,,,,,अपने मन में यह सोचने लगा की पेशाब की धार उसकी गुलाबी बुर के छोटे से छेद से निकलती हुई कैसी लग रही होगी,,, उसकी गोलाकार सुडोल,, गांड बैठने की वजह से कैसे निकल कर बाहर उभर आई होगी,,,, यह सब सोचकर संजय पागल हुआ जा रहा था और उसका हाथ अपने आप उसके पजामें में चला गया और उसने खड़े लंड को सहलाना शुरु कर दिया,,,, अभी भी बाथरूम से सीटी की आवाज लगातार आ रही थी संजय को समझते देर नहीं लगी कि उसकी बेटी को जोरों से पेशाब लगी हुई थी,,,,,,,
संजय बाथरूम के अंदर के नजारे को देखने के लिए तड़प उठा,,, लेकिन वो जानता था कि अंदर का नजारा देख सकना नामुमकिन है इसलिए अपने मन में ही अपनी कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा रहा था,,,,,, संजय को अपने पजामे में भूचाल उठता हुआ महसूस हो रहा था,,,संजय की हालत खराब थी अपने बेटी की मुतने की आवाज को सुनकर,,,, इस बात से बेखबर शगुन इत्मीनान से पेशाब करने के बाद उठ खड़ी हुई और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,, बाथरूम में लगे मिरर में,,, अपने संपूर्ण वजूद को देखकर खुद सगुन शर्मा गई,,,,,, उसे अपनी खूबसूरती पर गर्व हो रहा था उसका बदन संगमरमर से तराशा हुआ प्रतीत हो रहा था छातियों की शोभा बढ़ाती उसकी दोनों गोलाइयां,,, पेड़ में लगे अमरूद की तरह नजर आ रही थी,,,, लाल-लाल होठों में जैसे कि गुलाब की पत्तियों का सारा रस निचोड़ कर भर दिया गया हो,,,, शगुन की नजर अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वह शर्म से लाल हो गई,,, हल्के हल्के रोए उसे अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों के इर्द-गिर्द नजर आ रहे थे जिसे वह तीन-चार दिन हो गए थे क्रीम लगाकर साफ नहीं की थी यूं तो शगुन को अपनी दोनों टांगों के बीच सफाई ज्यादा ही पसंद थी,,, लेकिन तीन-चार दिनों से एग्जाम की तैयारी करने की वजह से उसे समय नहीं मिला था लेकिन फिर भी वह रेशमी रोए उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे,,,, अपने आप ही शगुन की हथेली अपनी दोनों टांगों के बीच पहुंच गई और वह अपने हाथों से अपनी बुर को मसल दी,,,।

सहहहहह ,,,,,की गरम सिसकारी की आवाज के साथ वह अपनी हथेली को अपनी बुर के ऊपर से हटा ली,,,,सावर चालू करने से पहले वहां पीछे घूम कर मिरर में अपने नितंबों की गोलाई को अपनी आंखों से नापने लगी,,, गजब का नजारा मिरर में नजर आ रहा था अपनी उभरती हुई गांड को देखकर खुद शगुन दांतो तले उंगली दबा ली,,,,,,,धीरे-धीरे अपने ही नंगे बदन को देख कर सब उनके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी लेकिन वह अपनी उत्तेजना को इस समय उभरने नहीं देना चाहती थी,,,क्योंकि वह अपना सारा ध्यान एग्जाम पर केंद्रित करना चाहती थी इसलिए सांवर चालू करके नहाने लगी,,, कुछ ही देर में गरम हुए बदन पर पानी की ठंडी बुंदे पडते ही,,, शगुन को थोड़ा राहत हुई लेकिन सावर से गिर‌ रहे पानी की आवाज को सुनकर संजय का मन बेचैन हो गया,,,उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहा रही है,,, उसका मन अपनी बेटी को नंगी देखने के लिए ललच रहा था,,,हालांकि वह अपने मन में आए गंदे विचार को लेकर काफी परेशान भी था लेकिन जवानी का जोश खूबसूरत नंगे बदन को देखने की लालच पर उसका अंकुश बिल्कुल भी नहीं रह गया था,,,,,,,

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थोड़ी ही देर में अपनी खूबसूरत संगेमरमरई बदन पर टावल लपेटकर वह बाथरूम से बाहर आ गई वह बाथरूम में अपने कपड़े ले जाना भूल गई थी,,,,जैसे ही वह बाथरूम से बाहर निकली वैसे ही समझे जानबूझकर अपनी आंखों को बंद कर लिया और गहरी नींद में सो रहे होने का नाटक करने लगा बाथरूम से निकलने के बाद शगुन एक नजर अपने पापा पर डाली और वह गहरी नींद में सो रहे हैं यह जानकर इत्मीनान से रूम में लगी मिरर के सामने खड़ी हो गई,,,,,, कुछ देर तक आईने में दीख रहे अपने अक्स को देखने लगी,,,,,और मुस्कुराने लगी उसका मन गीत गुनगुनाने को कर रहा था लेकिन अपने पापा की नींद में कोई खलल न हो जाए इसलिए वह अपने आप को रोके हुए थी,,,,

आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वह इस तरह से अपने पापा के कमरे में या उनके सामने कपड़े बदले और इस तरह से टॉवल में आए लेकिन आज का दिन और माहौल कुछ और था,,,वह अपने घर में नहीं बल्कि एक होटल में थी जहां पर वह एग्जाम देने आई थी और एक ही कमरा था जहां पर ना चाहते हुए भी उसे अपने कपड़े बदलना पड़ रहा था ऐसे तो वह बाथरूम में जाकर कपड़े बदल सकते थे लेकिन उसके पापा अभी नींद में थे इसलिए वह बेझिझक अपने कपड़े बदलने के लिए तैयार थी ,,,
संजय धीरे से अपनी आंखों को खोल कर अपनी बेटी को भीगे हुए खूबसूरत जिस्म को देख रहा था जिस पर एकता व लिपटी हुई थी लेकिन उसकी अनुभवी आंखें टॉवल में लिपटी हुई उसके संपूर्ण बदन के भूगोल को अपनी आंखों से टटोल रही थी,,,,,, संजय अपनी बेटी के गांड के उभार को देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, संजय का लंड अभी भी उसके पजामे में गदर मचा रहा था,,,, वह अपनी अधिक खुली आंखों से सब कुछ देख रहा था उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, शकुन अपने बैग में से कपड़े निकालने के लिए नीचे झुकी तो उसके झुकने की वजह से जो नजारा संजय की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, शगुन की गांड संजय की नजर की आंखों के सामने उभर कर आ गई थी और टांगों के बीच कि उसकी पतली दरार भी उसे साफ नजर आने लगी थी,,,अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार को देखते ही संजय की सांस रुकते रुकते बची थी,,, और उसके लंड में लावा का उबाल बढने लगा,,,, संजय की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी और दूसरी तरफ शगुन इस बात से अनजान कि उसके पापा अपनी आंखों को खोल कर उसके बेशकीमती खजाने को अपनी आंखों से ही लूट रहे हैं वह बैग में रखे अपने कपड़े को ढूंढ रही थी,,,,, सबसे पहले वह बैग में से अपनी लाल रंग की पैंटी को ढुंढ कर उसे हाथों में लेकर उसे पहहने के लिए खड़ी हुई तो उसकी टावल तुरंत खुल कर नीचे गिर गई,,,इस बात का अंदाजा सगुन को बिल्कुल भी नहीं था वह टावल के गिरने की वजह से पूरी तरह से नंगी हो गई थी और एकदम से चौक गई थीक्योंकि इस समय वह बिस्तर पर गहरी नींद में सो रहे हैं अपने पापा की आंखों के सामने इसलिए वह तुरंत पीछे नजर घुमाकर अपने पापा की तरफ देखने लगी लेकिन समय को भापकर संजय ने तुरंत अपनी आंखों को बंद कर लिया और चैन से गहरी नींद में सोए रहने का नाटक करने लगा,,,, अपने पापा को गहरी नींद में सोया हुआ देखकर सगुन ने राहत की सांस ली और ,,,,

कोई भी नहीं देख रहा है इस बात का एहसास होते ही शगुन नीचे गिरी अपनी टावल को उठाने की भी तस्दी नहीं ली,,,, और उसी तरह से नंगी खड़ी रही,,, क्यों किस बात का उसे इतना ना हो चुका था कि उसके पापा गहरी नींद में सो रहे हैं लेकिन इस बात से वह पूरी तरह से अनजान थी कि उसके पापा उसकी जवानी का रस को अपनी अधखुली आंखों से पी रहे हैं,,,,,,, संजय ने धीरे से अपनी आंखों को खोला तो उसकी आंखों के सामने उसकी बेटी पूरी तरह से नंगी खड़ी गिरेबान उसकी पीठ पर चिपक गए थे और उसमें से गिर रही पानी की बूंदे किसी मोती के दाने की तरह उसकी कमर से होती उसके नितंबों के घेराव को अपनी आगोश में लेकर नीचे फर्श पर गिर रहे थे,,,। संजय का होश ठिकाने बिल्कुल भी नहीं था,,,, अपने लंड को अपनी बेटी की चिकनी पीठ उसकी कमर पर उसके नितंबों के दरार के बीच रगड़ना चाहता था,,,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,,
शकुन अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनने के लिए अपनी एक टांग उठा कर उसके छेद में डाल दी और उसी तरह से अपने दूसरा पैर भी उठाकर पेंटी के दूसरे छेद में डाल दी ऐसा करने पर बार-बार उसके नितंबों का घेराव कुछ ज्यादा ही उभर जाता था जिसे देखकर संजय का लंड ठुनकी मार रहा था,,,

संजय पहली बार अपनी बेटी को पेंटी पहनते हुए देख रहा था और उसकी गोरी गोरी गांड पर लाल रंग की पेंटिं क्या खूब लग रही थी,,,,, लेकिन शकुन अपने बाकी के कपड़े बैग से लेने के लिए नीचे झुकती कि तभी उसकी नजर मिरर में पड़ी और अपने पापा की खुली आंखों को देखकर वो एकदम से चौक गई,,, उसे पता चल गया कि उसके पापा नींद में नहीं है बल्कि जाग रहे हैं और उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख रहे हैं,,,, यह देखते ही सगुन की हालत खराब होने लगी,,, संजय अभी भी शगुन को ही देख रहा था शगुन कुछ देर तक यूं ही खड़ी नहीं संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन सब अपने मन में सोच रही थी और उसके होंठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,।


आखिरकार वो भी किसी न किसी बहाने अपने पापा को अपने नंगे जिस्म का दर्शन कराना चाहती थी उसे उत्तेजित कराना चाहती थी ताकि जिस तरह कि वह कल्पना करती थी वह साकार हो सके,,,, अब वह अपने पापा को खुलकर अपने बदन का दर्शन करना चाहती थी,,, इसलिए वह कुछ देर तक खड़ी होकर सोचने के बाद, अपनी पेंटी के दोनों छोरों पर अपनी नाजुक नाजुक ऊंगलियो को रखकर उसे,,, नीचे की तरफ खींच कर उतारने लगी,,,, संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बेटी क्या कर रही है,,, लेकिन उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,,देखते ही देखते हल्के हल्के होले होले अपनी गांड को मटका अपनी पेंटी को अपनी लंबी चिकनी टांगों से उतार ली,,, एक बार फिर से वह अपने पापा की आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी हो गई,,,,, सामने का खूबसूरत मादकता भरा नजारा देखकर और अपनी ही बेटी के नंगे जिस्म को देखकर संजय को दिल का दौरा पडते-पडते रह गया,,,,, संजय का हाथ अभी भी पजामे के अंदर था,,, और वह अपने लंड को जोर-जोर से मुठ्ठी में भींच रहा था,,,,,,

उसके पापा को बिल्कुल भी शक ना हो इसलिए अपनी पेंटी को अपने हाथ में लेकर एक बार फिर से झुक कर उसे ,बैग में रखते हुए बोली,,,


यह लाल रंग का नहीं एग्जाम के लिए यह लाल रंग मुझे बिल्कुल लकी साबित नहीं हो रहा है अाज में आसमानी रंग की पहनुंगी,,,,(पर ऐसा क्या कर रहा अपनी बैग में से आसमानी रंग की दूसरी पेंटी को निकाल लीअपनी बेटी की बातों को सुनकर संजय को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि वह जानबूझकर अपनी पेंटिं को उसे दिखाने के लिए निकाली है,,,, और इस तरह से अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनी थी उसी तरह से अपनी आसमानी रंग की पैंटी को पहन ली,,, शगुन के गोरे रंग पर कोई भी रंग जच रहा था और संजय की उत्तेजना को बढ़ा रहा था,,,, शगुन चाहती तोइसी से मैं अपने पापा को अपनी दोनों टांगों के बीच की उस खूबसूरत दरार को दिखा देती जिसे बुर कहां जाता है जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है और जिसे देख कर ही ना जाने कितनों का पानी निकल जाता है लेकिन शगुन अपने पापा को और तड़पाना चाहती थे क्योंकि वह जान रही थी आईने में जिस तरह से उसके पापा उसे प्यासी नजर से देख रहे हैं अंदर ही अंदर कितना तड़प रहे होंगे,,,पर ना जाने क्यों आज उसे अपने पापा को अपना खूबसूरत जिस्म दिखाकर तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था और ऐसा सब उनके साथ पहली बार हो रहा था कि वह किसी मर्द के आंखों के सामने ही अपनी नंगे बदन पर एक एक कर के कपड़े पहन रही हो और उसकी आंखों के सामने नंगी खड़ी हो,,,



संजय गहरी सांस लेते हुए अपनी आंखों के सामने के नजारे का लुफ्त उठा रहा था और सगुन एक बार फिर से नीचे की तरफ झुक कर अपनी सलवार और कुर्ती निकालने लगी वह एग्जाम देने के लिए इसे ही पहनने वाली थी क्योंकि इसमें उसे आराम मिलता था,,,, वह सलवार कुर्ता पहनने के लिए अपनी टांग उठा रही थी कि उसे याद आया कि उसने बुरा तो पहनी नहीं अपने पापा को अपने नंगे बदन का दर्शन कराने के चक्कर में भूल गई थी वह भी आईने में अपने पापा को देख रही थी जो कि आंख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,,लेकिन ब्रा पहनने से पहले वह एक बार अपने पापा को अपनी दोनों चूचियां दिखाना चाहती थी जो कि अमरूद की तरह एकदम ठोस थी,,,,,,,ऐसा लग रहा था कि कैसे हो अपने पापा पर तरस खा रही हो क्योंकि वह अपनी बुर दिखाई नहीं थी और उसी के एवज में अपनी चूची दिखाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,। और इसीलिए ब्रा लेने के बहाने वह अपने पापा की तरफ घूम गई लेकिन अपनी नजरों को नीचे की हुई थी ताकि उसके पापा को यह ना लगे कि उसे पता चल गया है वह अपने पापा की नजरों में अंजान बने रहना चाहती थी,,,,,,



अपने पापा की तरह घूम जाने की वजह से संजय की आंखों के सामने जो नजारा पेश हुआ उसे देखकर संजय के तन बदन में चुदास पन की लहर दौड़ने लगी,,, अपने बेटी के दोनों अमरुदो को देखकर संजय का मन उसे अपने हाथों में पकड़ने को करने लगा और उसे मुंह में भर कर पीने को करने लगा क्योंकि उसकी बेटी की दोनों चूचियां एकदम जवान थी,,, संजय जानता था कि ऐसी चुचियों को हाथ में लेकर दबाने में बहुत मजा आता है और इस हरकत पर लड़कियां भी एकदम मस्त हो जाती है,,,,, संजय की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और शगुन की दोनों चूचियां एकदम तनी हुई थी ऐसा करने में शगुन भी उत्तेजित हो रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी चूचियों के दोनों निप्पल कैडबरी की छोटी सी चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,, जिसे संजय अपने मुंह में लेकर अपने दांतो से दबाना चाहता था,,,। उसे काटना चाहता था हालांकि अपनी इस ख्यालों को लेकर और पूरी तरह से परेशान भी था क्योंकि वह अपनी बेटी के बारे में इतने गंदे गंदे विचार अपने मन में ला रहा था लेकिन वह हालात से मजबूर था उसके सामने का नजारा था ही इतना मादक कि वह खुद उसके नशे में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था,,,,,

शगुन जानती थी कि उसके पापा ने उसकी दोनों चूचियों को नजर भर कर देख लिया है इसलिए वह नीचे झुक कर अपनी ब्रा उठाकर उसे पहनने लगी,,,, पर एक बार फिर से आईने की तरफ मुंह करके घूम गई अपनी ब्रा का हुक बंद करने के लिए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़प आते हुए ब्रा के हुक को ना लगाते हुए उसे इधर-उधर करके अठखेलियां करने लगी,,, संजय का मन कर रहा था कि वह बिस्तर से उठे और खुद जाकर अपनी बेटी के ब्रा के हुक को लगा दे या तो फिर उसे पूरी तरह से उतार कर फेंक दे,,,,,। आखिरकार शगुन अपनी ब्रा का हुक लगा दी,,, ब्रा के अंदर के कैद उसके दोनों अमरुद बहोत खूबसूरत लग रहे थे,,,।
देखते ही देखते शगुन अपनी सलवार और कुर्ती भी पहन ली वह तैयार हो चुकी थी अपनी बालों को सवारने लगे और घड़ी में 6:00 बज चुके थे इसलिए वह अपने पापा को जगाना चाहती थी जो कि पहले से ही जगे हुए थे लेकिन फिर भी औपचारिकता दिखाते हुए वह अपने पापा के बिस्तर के करीब बढी और यह देख कर अपनी आंखों को बंद कर लिया अपने पापा की हरकत को देखकर सगुन मुस्कुराने लगी,,,, और अपने पापा के हाथ को पकड़ कर उन्हें जगाते हुए बोली,,,।

उठो पापा देर हो रही है,,,,(पहले तो संजय जानबूझकर गहरी नहीं तो मैं सोने का नाटक करने लगा और यह देख कर शगुन बंद बंद मुस्कुराने लगी यह सोच कर कि उसके पापा कितना नाटक कर रहे हैं उसकी कमसिन खूबसूरत नंगी जवानी को अपनी आंखों से देख कर अपना लंड खड़ा कर लिए हैं फिर भी सोने का नाटक कर रहे हैं,,, एक दो बार और कोशिश करने पर संजय समझ गया क्या उसे उठना ही पड़ेगा और वह आलस मरोड़ ते हुए लेटे हुए बोला,,,)

कितना बज रहा है,,,


6:00 बज के 9:00 एग्जाम है हमें जल्दी निकलना है,,,,


ओहहह ,,,,, मैं तो सोया ही रह गया,,,,(अपने ऊपर से चादर को हटाकर एक तरफ रखते हुए वह जानता था कि उसके पजामे में उसका लंड तनकर एकदम तंबू बना हुआ है,,, और वह जानबूझकर अपनी बेटी को उसके पजामे में बने तंबू को दिखाना चाहता था,,,, और ऐसा हुआ भी,,,, संजय बेझिझक बिस्तर पर से खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ जाने लगा वह जानता था कि उसकी बेटी की नजर उसके पजामे पर जरूर पड़ेगी क्योंकि वह इस समय पूरी तरह से खुंटे की शक्ल ले चुका था,,,। जैसा वह चाहता था ऐसा हुआ कि बाथरूम में पहुंचने से पहले ही सगुन की नजर अपने पापा के पजामे के आगे वाले भाग पर पड़ी तो वह एक दम से चौंक गई,,,, पजामे में बने तंबु को देखकर वह दंग हो गई थी,,,, संजय बाथरूम में घुस गया था और सगुन के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी,,, क्योंकि वह जानती थी उसके पापा की हालत उसकी वजह से ही हुई है,,,।

संजय अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाया था और बाथरूम में घुस कर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था और तब तक मिला था जब तक कि उसका गर्म लावा बाहर ना निकल गया,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर नाश्ता करके एग्जाम देने के लिए कॉलेज की तरफ रवाना हो गए,,,।
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Sanju@

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परिवार में ही एक दूसरे के बीच आकर्षण बढ़ता जा रहा था,, सोनू अपनी मां की तरह पूरी तरह से आकर्षित था तो संध्या के लिए अपने बेटे की तरफ झुकती चली जा रही थी वह तो इतनी ज्यादा अपने बेटे से प्रभावित हुई थी कि अगर उसका बेटा उसके साथ मनमानी करना चाहता तो शायद वह उसके लिए इजाजत दे देती,,, दूसरी तरफ शगुन अपने पापा की दीवानी होती जा रही थी,,, संजय को कल्पना में ही अपनी बेटी शगुन के साथ संभोग सुख का आनंद उठा चुका था और ना जाने कितनी बार अपनी बेटी के खूबसूरत बदन की कल्पना करते हुए मुट्ठ मार चुका था,, शगुन पूरी तरह से अपने पापा से आकर्षित होती चली जा रही थी सबसे पहले वह अपनी मम्मी और पापा के बीच शारीरिक संबंध को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित और उत्सुक हो चुकी थी इतना तो वो जानती थी कि उसके पापा का लंड बहुत ही दमदार है,,, औ‌र जब वह बेहद नजदीक से अपने पापा के लंड़ को देखी तब तो उसकी हालत और खराब हो गई,, उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था मुझे तरह से बाथरूम के दरवाजे की ओट में से निकल कर उसके पापा का लंड उसकी आंखों के सामने झुलने लगा था उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,, सब कुछ बेहद अद्भुत और अतुल्य था उस समय वह अपने पापा के अपना हाथ आगे बढ़ कर पकड़ लेना चाहती थी उसके स्पर्श को महसूस करना चाहती थी कि लंड कठोर होता है या नरम लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि नरम तो बिल्कुल भी नहीं होता होगा क्योंकि जिस तरह से वह कठोर नजर आता है उसके आगे शायद लोहे की छड़ भी कमजोर नजर आती होगी,,,।

बाथरूम वाली घटना को दो-चार दिन गुजर चुके थे लेकिन सब उनकी हालत बेहद खराब थी उसकी आंखों के सामने बार-बार ना चाहते हुए भी उसके पापा का लंड झूलने लगता था अपने पापा के लंड को लेकर बेहद उत्सुक थी बार-बार अपनी पेंटिं गीली होने से वह परेशान हो चुकी थी,,, ऐसे ही एक दिन वह अपने कमरे में बैठकर मोबाइल पर अपनी सहेली से चैटिंग कर रही थी,,, बात बाद में उसने चैटिंग करते हुए यह बताइए कि आज वह अपने बॉयफ्रेंड से भी नहीं किया और उसके साथ संभोग भी की थी यह बात जानते हो शगुन की दोनों टांगों के बीच की हलचल बढने लगी,,, शगुन जिस तरह से अपने सहेली के मुंह से चुदाई की कहानी चैटिंग में पढ़ रही थी शगुन की हालत खराब होती जा रही थी उसकी सहेली बार-बार अपने बॉयफ्रेंड के लंड की तारीफ कर रही थी,,,,शगुन शर्म के मारे कुछ ज्यादा कुछ पूछ नहीं रही थी लेकिन फिर भी थोड़ा बहुत अपने आप को खोल रही थी,,, चैटिंग करते हुए उसकी सहेली ने बताइ की,,,उसके बॉयफ्रेंड का लंड इतना तगड़ा है कि एकबार बुर के अंदर जाने के बाद कम से कम 2 बार उसका पानी निकल जाता है तब जाकर वह झढ़ता है,,,। चैटिंग करते हुए शगुन अपनी उत्सुकता को रोक नहीं पा रही थी,, इसलिए वह मैसेज में लिख कर भेजी,,।



बड़ी तारीफ कर रही है अपने बॉयफ्रेंड के उसका,,,, ऐसी क्या खास बात है उसके उसमें,,,।

लंड मे मेरी जान,,,, तू बुद्धु है इसलिए अपनी जवानी का भरपूर मजा नहीं ले पा रही है अगर एक बार तेरी बुर में भी लंड चला गया ना तब तु लंड की पूजा करती रह जाएगी,,, लंड तुझे इतना मजा देगा कि तू पागल हो जाएगी,,, देखना चाहेगी मेरे बॉयफ्रेंड का लंड,,,,।
(चैटिंग में इतना पढ़कर सगुन की हालत खराब होने लगी उसकी सहेली उसे अपने बॉयफ्रेंड के लंड को दिखाने की इच्छा जाहिर की थी,,, लेकिन शर्म के मारे शगुन उसके सवाल का जवाब नहीं दे पा रही थी मैसेज में हां लिखकर भेजने में भी उसे शर्म आ रही कुछ देर तक चैटिंग बोर्ड पर खामोशी छाई गई तब उसकी सहेली है इस खामोशी को तोड़ते हुए मैसेज की,,,।

क्या हुआ डर गई क्या मुझे पता था तू डर जाएगी,,, मेरे बॉयफ्रेंड का लंड है ही इतना तगड़ा की तू अगर देखेगी तो तेरी बुर पानी छोड़ देगी,,,।
(इस मैसेज के साथ उसकी सहेली शगुन को सीधे-सीधे चैलेंज कर रही थी और कोई भी उसे चेंज करें यह बात सगुन को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी,,, इसलिए वह भी उत्सुकता और ताव में आकर मैसेज की,,,)

दिखा कैसा है मैं भी तो देखूं तू इतना जोर जोर से जो चिल्ला रही है मुझे भी तो पता चलना चाहिए कि वाकई में क्या है तेरे बॉयफ्रेंड का,,,,


अच्छा तो घबराना नहीं मैं तुझे पिक सेंड कर रही हूं,,,पर मैं चैटिंग नहीं कर पाऊंगी क्योंकि पापा घर पर आ गए हैं,,,(इतना मैसेज करने के बाद ही उसकी सहेली ने अपने बॉयफ्रेंड के लंड की ली हुई पिक्चर को सेंड कर दी और ऑफलाइन हो गई शगुन की डिस्प्ले पर जैसे ही लाइट हुई सगुन का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, वह क्लिक करके उस पिक्चर को डाउनलोड करने लगी और कुछ ही सेकंड में डिस्प्ले पर उसके बॉयफ्रेंड के लंड की पिक्चर उभर गई,,, शगुन का दिल जोरों से धड़क रहा था कमरे का दरवाजा पूरी तरह से बंद होने के बावजूद भी वह बार-बार दरवाजे की तरफ देख ले रही थी कि कहीं कोई है तो नहीं,,, पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद सचिन अपने मोबाइल की डिस्प्ले पर आई हुई पिक्चर को देखने लगी,,, शगुन का दिल जोरों से धड़क रहा था वाकई में उसकी सहेली के बॉयफ्रेंड का लंड दमदार था,,, लेकिन जब शकुन अपनी सहेली के बॉयफ्रेंड के लंड की तुलना अपने पापा से लेने से करने लगी तो उसके सहेली के बॉयफ्रेंड उसके पापा के लंड से 19 ही साबित हुआ,,,,शगुन को इस बात का पूरी तरह से एहसास हो गया कि उसके पापा का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा है,,, अब लंड को लेकर उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी इसलिए उसने अपने मोबाइल में देसी लंड टाइप करके सर्च करने लगी,,,, और कुछ ही सेकंड में ढेर सारी देसी लंड की पिक्चर उपसने लगी,,, शगुन की हालत खराब होती जा रही थी वह मोबाइल स्क्रीन पर उंगली से ऊपर की तरफ स्क्रीन को मारते हुए एक से एक दमदार लंड के दर्शन कर रही थी उसके लिए जिंदगी में पहला मौका था जब अपने मोबाइल पर इस तरह की गंदी पिक्चर देख रही थी,,, एक से बढ़कर एक खड़ा लंड उसकी उत्सुकता को और ज्यादा बढ़ा रहा था,,, किसी किसी पिक्चर में तो लंड से बुर की पिचकारी निकलती हुई नजरों में यह नजारा शगुन को और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था,,, और एक पिक्चर में तो लंड गुलाबी बुर की ऊपरी सतह पर उसकी पंखुड़ियों को स्पर्श करता हुआ नजर आ रहा था यह नजारा देखते हैं शगुन की हालत खराब होने लगी और उसका हाथ खुद ब खुद उसकी सलवार के अंदर चली गई अपनी हथेली का इस पर अपनी बुर के ऊपर होते ही वह पूरी तरह से सिहर उठी,,,, उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,मोबाइल पर स्क्रीन पर दौड़ रहे एक से एक गरमा गरम पिक्चर शगुन की उत्तेजना में बढ़ोतरी करके जा रहे थे तभी उसे एक लिंक मिली इनसैट कहानी की और उसने कहानी पर क्लिक कर दी जो कि बाप और बेटी के बीच में हो रहे अवैध संबंध के बारे में ही थे,,, जिसमें शादी की उम्र हो जाने के बावजूद भी लड़की की शादी नहीं हो पाती और वहां अपने बदन में उत्तेजना की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाती और अपने ही पापा के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए उत्सुक हो जाती है और आखिरकार उसका बाप भी अपनी बेटी के साथ संभोग करके उसे तृप्त करने की कोशिश करता है,,, यह कहानी पढ़कर शगुन पूरी तरह से मस्त हो गई उसे भी अपने पापा के साथ संभोग करने की इच्छा जागने लगी और वह अपने पापा के साथ संभोग क्रिया की कल्पना करते हुए अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर एकदम नंगी हो गई,,,और कल्पना करते हुए अपने दिल के अंदर अपनी एक उंगली डालकर से अंदर बाहर करते हुए अपने पापा के लंड की कल्पना करने लगी जो की कल्पना में उसके पापा उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपना मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर रहे थे यह कल्पना उसे काफी गर्माहट प्रदान कर रही थी और अपने पापा के साथ संभोग की कल्पना में अपनी उंगली को जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगी और देखते ही देखते एक झटके में उसकी बुर में पानी की पिचकारी बाहर फेंक दी,,,वासना का तूफान शांत होते ही शक उनको इस बात का एहसास हुआ कि जो कुछ भी वह कर रही थी और कल्पना कर रही थी वह ठीक नहीं था उसे अपने ऊपर थोड़ा बहुत क्रोध आने लगा और ग्लानि भी हो रही थी,,,। लेकिन जैसे ही कुछ समय गुजरता था वापस उसके दिमाग पर यह सब गंदी बातें हावी होने लगती थी,,।

दूसरी तरफ संध्या रसोई में खाना बनाते हुए यह सोच रही थी कि आखिरकार मर्दों को क्या पसंद है यह एक मर्द अच्छी तरह से जानता है,, तभी तो उस दिन पहनती पसंद करते समय उसका बेटा कितने विश्वास के साथ कहा था कि पापा को यह पेंटिं अच्छी लगेगी और उसने जो कहा था वह बिल्कुल सच साबित हुआ,,,,,संध्या को अच्छी तरह से ज्यादा था कि रात को सहन करनी उसके पति ने जब उसके सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करने जा रहे थे तो उसके बदन पर जालीदार पेंटी देखकर बहुत खुश हुए थे और जालीदार पेंटी की वजह से उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई थी और बिस्तर पर जिस तरह का दम संजय ने उस दिन दिखाया था उसकी हड्डियां चटका कर रख दिया था,,,। इस बात को याद करके संध्या की पेंटिं अभी भी गीली होती जा रही थी,,। और इस समय उसने अभी भी वही जालीदार पेंटी पहनी हुई थी पेंटी पहनते ने उसे अपने बेटे की बात याद आ रही थी,,, संध्या अपनी बेटे को उसके द्वारा पसंद की गई पेंटिं में वह कैसी लगती है यह दिखाना चाहती थी,,, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी फिर भी उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी वह किसी भी तरह से अपने बेटे को अपनी जालीदार पैंटी दिखाना चाहती थी,,, लेकिन कैसे यह उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था,,,,,, उसकी बुर में चल रही थी अपने बेटे की आंखों के सामने आने के लिए,,,संध्या देखना चाहती थी कि उसकी रसीली मधुर बुर को देख कर उसके बेटे का क्या हाल होता है उसके चेहरे पर क्या हाव भाव निखर कर आता है,,, अपने मन में उमड़ रहे कामोत्तेजना से भरपूर खयालों की बदौलत उसकी पेंटी बार-बार गीली होती जा रही थी जो कि उसे बेहद असहज महसूस हो रहा था और वह बार-बार अपने हाथों से अपनी पेंटिं को एडजस्ट कर रही थी,,,,,। वह नाश्ता तैयार कर रही थी सुबह का समय था,,,हालांकि बाप और बेटी दोनों जल्दी जा चुके थे सोनू अपने कमरे में तैयार हो रहा था,,,घर में और कोई मौजूद ना होने की वजह से संध्या का दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी एक मां होने के बावजूद अंतर्वस्त्र और अपनी खूबसूरत अंग को अपने बेटे को दिखाने की उत्सुकता बढ़ रही थी,,,। लेकिन कैसे दिखाएं यह उसकी समझ के बिल्कुल बाहर था,,,
थोड़ी ही देर में तैयार होकर सोनू नाश्ता करने के लिए नीचे आ गया डायनिंग टेबल पर किसी को भी ना पाकर वह सीधे किचन में चला गया जहां पर उसकी मां उसके लिए नाश्ता तैयार कर रही थी और उसके आने से पहले ही वह अपनी साड़ी को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठाकर अपनी कमर से खोंश रखी थी,,, उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया नजर आ रही थी जिसे देखते ही सोनू के पेंट में कुंडली बनना शुरू हो गया था,,, सोनू अपनी मां के करीब पहुंचकर बोला,,,।

मम्मी दीदी और पापा कहां गए,,,

आज वो लोग जल्दी नाश्ता करके चले गए हैं,,,
Nice update 👌👌👌👌
 
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अपने मन में उमड़ रहे कामोत्तेजना से भरपूर खयालों की बदौलत उसकी पेंटी बार-बार गीली होती जा रही थी जो कि उसे बेहद असहज महसूस हो रहा था और वह बार-बार अपने हाथों से अपनी पेंटिं को एडजस्ट कर रही थी,,,,,। वह नाश्ता तैयार कर रही थी सुबह का समय था,,,हालांकि बाप और बेटी दोनों जल्दी जा चुके थे सोनू अपने कमरे में तैयार हो रहा था,,,घर में और कोई मौजूद ना होने की वजह से संध्या का दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी एक मां होने के बावजूद अंतर्वस्त्र और अपनी खूबसूरत अंग को अपने बेटे को दिखाने की उत्सुकता बढ़ रही थी,,,। लेकिन कैसे दिखाएं यह उसकी समझ के बिल्कुल बाहर था,,,
थोड़ी ही देर में तैयार होकर सोनू नाश्ता करने के लिए नीचे आ गया डायनिंग टेबल पर किसी को भी ना पाकर वह सीधे किचन में चला गया जहां पर उसकी मां उसके लिए नाश्ता तैयार कर रही थी और उसके आने से पहले ही वह अपनी साड़ी को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठाकर अपनी कमर से खोंश रखी थी,,, उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया नजर आ रही थी जिसे देखते ही सोनू के पेंट में कुंडली बनना शुरू हो गया था,,, सोनू अपनी मां के करीब पहुंचकर बोला,,,।

मम्मी दीदी और पापा कहां गए,,,

आज वो लोग जल्दी नाश्ता करके चले गए हैं,,,,,,(संध्या तवे पर रखी हुई रोटी के फुलने पर उसे दूसरी तरफ पलटते ही बोली,,,फूली हुई रोटी को देखकर यही सोच रही थी कि इस समय उसकी बुर भी रोटी की तरह फूल चुकी है,,, सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें सोनू की आंखें अपनी मां की गोलाकार नितंबों पर टिकी हुई थी जिसमें हो रही थिरकन उसके होश उड़ा रही थी,,, संध्या के भी तन बदन में गुदगुदी हो रही थी,,, अपनी जालीदार ब्रा और पेंटी दिखाने के लिए वह मचल रही थी,,, लेकिन कैसे यह अभी तक उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,वह उसी तरह से रोटी पकाती रही,,,,

मम्मी नाश्ता तैयार हो गया है क्या,,,,,?(सोनू अपनी मां की गोल गोल गांड के साथ-साथ उसकी गोरी गोरी पिंडलियों को देखते हुए बोला,,,)

हां बेटा तैयार हो गया,,,,, थोड़ा रुक जा मैं तुझे नाश्ता देती हूं,,,,(इतना कहते हुए वह जानबूझकर अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर अपनी पेंटी के ऊपर साड़ी के ऊपर से ही पकड़ कर उसे खुजलाने जैसी हरकत करने लगी,,,, और जानबूझकर अपने बेटे का ध्यान उस पर लाते हुए बोली,,,)

तेरे पसंद की पहनी हु ना,,,, और वो जालीदार है,,, इसलिए ठीक तरह से एडजस्ट नहीं हो पा रहा है,,, लगता है कि मेरी साईज से छोटी ले ली हुं,,,,।
(अपनी मां को इस तरह से अपनी पुर वाली जगह पर खिलाते हुए देखकर सोनू के तन बदन में आग लगने लगी और वह अपनी मां की बात सुनकर बोला,,,)

नहीं नहीं मम्मी आपके ही नाप की है,,,, आपने लगता है पहले कभी जालीदार पैंटी नहीं पहनी हो इसलिए आपको ऐसा महसूस हो रहा है,,,,


नहीं नहीं मुझे तो लगता है कि मेरी साईज से छोटी है,,, वरना एकदम आरामदायक महसूस होता,,,।


मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा मम्मी क्योंकि मैं,, ठीक तरह से देख कर लिया था तुम्हारे मखमली नरम नरम बदन पर वह जालीदार पेंटिं एकदम आरामदायक महसूस कराती,,
(सोनू बातों ही बातों में अपनी मां के खूबसूरत बदन की तारीफ कर दिया था जो कि संध्या को अपने बेटे की यह बात उसके मुंह से अपने खूबसूरत बदन की तारीफ सुनकर अच्छा लगा था,,,)


मैं जानती हूं बेटा की को अच्छा ही सोच कर लिया होगा लेकिन ना जाने क्यों मुझे एकदम कसी हुई महसूस हो रही है,,,,,(रोटी को तवे पर रखकर संध्या अपने बेटे की तरफ घूम कर उसकी आंखों में आंखें डालकर और एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर साड़ी के ऊपर से अपनी बुर खुजाते हुए बोली,,,।और सोनू अपनी मां की यह हरकत देखकर उत्तेजित होने लगा पैंट के अंदर उसका लंड खड़ा होने लगा,,, उसकी मां पेंटी के बारे में उससे इतना खुलकर बातें करेगी यह अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था,,,लेकिन अपनी मां के मुंह से इस तरह की खुली बातें सुनकर उसे अच्छा लग रहा था और उत्तेजना महसूस हो रहा था,,, अपनी मां की बात सुनकर सोनू बोला,,,)

पता नहीं ऐसा क्यों हो रहा है मम्मी लेकिन जब आपको दिक्कत हो रही है तो आपको उतार देना चाहिए था उसे पहनना नहीं चाहिए था,,,,


वह तो तेरी बात रखने के लिए मैं पहन ली क्योंकि पहली बार तो अपनी पसंद का कपड़ा मुझे पहनने के लिए बोला था,,,,(इतना कहते हुए संध्या वापस घूम कर तवे पर पड़ी रोटी को घुमा घुमा कर पलटने लगी,,,, सोनू अपनी मां की बात सुनकर खुश होने लगा खुशी ना जाने क्यों अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर उसे प्यार करने का मन कर रहा था वह अपने आप को रोक नहीं पा रहा था इस समय संध्या की पिंक उसकी आंखों के सामने थी सोनू अपनी मां को ऊपर से नीचे की तरफ बराबर देख रहा था उसकी आंखों में वासना और उत्तेजना की चमक साफ नजर आ रही थी,,,, कमर के नीचे गजब का उभार लिए हुए संध्या के नितंब पानी भरे गुब्बारे की तरह इधर-उधर घूम रहे थे ना जाने क्यों सोने का मन उसे अपने हाथों से पकड़ कर मसलने को कर रहा था,,, अपनी मां के मुंह से बात रखने वाली बात सुनते ही आगे बढ़ाओ अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भर कर उसके घर को प्यार से चुमते हुए बोला,,,)

ओहहहहह,,, मम्मी तुम कितनी प्यारी हो कि मेरी बात रखने के लिए ना चाहते हुए भी परेशानी सहकर पेंटी पहन रही हो,,,(सोनू की थोड़ा खुल कर बोलो सोनू की यह बात संध्या को भी अच्छी लग रही थी लेकिन जिस तरह से उसने अपनी बाहों में उसे पीछे से भर लिया था संध्या के तन बदन में आग लग गई थी क्योंकि सोनू के पेंट में उत्तेजना के मारे उसका लंड खड़ा हो गया था जो किसी ने उसकी दोनों गांड की फांकों के बीच की दरार में धंसने लगा था,,,,, सोनू के लंड को अपनी गांड पर महसूस करते ही,,, संध्या के रसीली बुर उत्तेजना के मारे मदन रस टपकाने लगी,,,। संध्या कुछ बोली नहीं बस अपना काम करती रही वह रोटी बेल रही थी जिसकी वजह से उसका बदन हिल रहा था,,, और साथ ही ऊसकी बड़ी बड़ी गांड भी हील रही थी जो कि सोनू की खडे लंड पर मानो चोट कर रही हो, सोनू की तो हालत खराब होती जा रही थी जिस तरह से उसकी मां की गांड उसके लंड पकड़ कर रही थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कहीं उसका लंड पानी ना छोड़ दे,,,, सोनू भी काफी उत्तेजित हो चुका था वह अपनी मां के गले में दोनों बाहें डालकर खड़ा था एकदम उसके पिछवाड़े से सटके ,,,,वह भी अपनी मां को दुलारता हुआ अपनी कमर को दाएं बाएं हल्के हल्के हिला रहा था जिसे से सोनू का खड़ा लंड पेंट में होने के बावजूद भी संध्या को साड़ी पहने होने के बावजूद भी अपनी गांड पर दाएं बाएं जाता हुआ एकदम से रगड़ खाता हुआ महसूस हो रहा था,,,। संध्या अपने बेटे की हरकत से काफी उत्तेजित में जा रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उत्तेजना के मारे उससे खुद से ही गलती ना हो जाए इसलिए वह अपने बेटे को प्यार से पुचकारते हुए बोली,,,।)

चल अब रहने भी दे आज तुझे बहुत प्यार आ रहा है अपनी मां पर,,,,।


आज नहीं नहीं मुझे तो रोज ही आप पर प्यार आता है,,,


क्यों ऐसा क्या खास है मुझ में,,,,?


तुम बहुत प्यारी हो बहुत खूबसूरत भी,,,,(सोनू उसी तरह से अपनी मां को बाहों में जकड़े हुए बोला,,,अपने बेटे की हरकत और उसकी बातें संध्या को बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन तवे पर जलती हुई रोटी को देखकर वह बोली,,,)

बस कर अब छोड़ मुझे,,,, तेरी रोटी में घी लगाना है,,,, ऊपर से मुझे डिब्बा उतारना है जा स्टुल लेकर आ जा,,,,


ओहहहहह,,, मम्मी तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो,,,,


हां तो ख्याल रखूंगी ना तू मेरा बेटा जो है,,,जा अब जल्दी जाकर स्टुल लेकर आ घी का डिब्बा उतारना है,,,,


ठीक है मम्मी मैं अभी लेकर आता हूं,,,।(इतना कहने के साथ ही सोनू स्टुल लेने के लिए किचन से बाहर चला गया,,, सोनू के कीचन से बाहर जाते ही,,, संध्या राहत की सांस लेते हुए अपने मन में बोली,,,।)

बाप रे कुछ देर और सोनू मुझे अपनी बाहों में भरे रहता तो उसके लंड की चुभन,, मैं अपनी गांड पर बर्दाश्त नहीं कर पाती और मजबूरन मुझे आज ही अपनी साड़ी कमर तक उठा देना पड़ता,,, बाप रे इसका लंड इतना मोटा और लंबा है कि पेंट में होने के बावजूद भी मुझे मेरी गांड की दरार के बीचो बीच अच्छी तरह से महसूस हो रही थी,,,,,(अपने आप से ही यह सब बातें कहते हुए उत्तेजना के मारे उसके पसीने छूट रहे थे,,, उसे अपने बेटे की लंड की चुभन अपनी गांड के ऊपर बराबर महसूस हो रही थी,, संध्या को उस दिन बगीचे वाला दृश्य याद आ गया जब वह झाड़ियों के पीछे छुप कर झाड़ियों के अंदर एक औरत और एक लड़के के बीच की जबरदस्त चुदाई को देख रही थी और सोनू की थी उसके पीछे खड़े होकर उसकी गांड पर अपना लंड धंसाते हुए उस मनोरम दृश्य का आनंद लूट रहा था,,।
दूसरी तरफ सोनू किचन के बाहर कर इधर-उधर छोटी सी स्टूल ढूंढ रहा था,,, लेकिन उसे मिल नहीं रही थी सोनू के मन में भी ढेर सारे सवालों का बवंडर उठ रहा था,,, उसे अपनी मां का बदला हुआ रवैया काफी उत्तेजित और आनंदमय लग रहा था जिस तरह से उसकी मां बेझिझक पेंटी की बातें कर रही थी,, उसे लेकर सोनू के तन बदन में और उसके अंतर्मन में अजीब सी खलबली मची हुई थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मा ऊससे इस तरह की बातें क्यों करने लगी थी,,,, लेकिन जो बातें भी वर्क कर रहे थे उससे सोनू को अद्भुत सुख का अहसास होता था,,, सोनू अपने मन में यही सोच रहा था कि किचन में उसका लंड पूरी तरह से कहां पड़ा जिससे वह अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भर कर खाना था और अपने लंड को उसके गांड पर रगड़ रहा था जरूर उसकी मां को भी उसके लंड की चुभन अपनी गांड के ऊपर महसूस हुई होगी,,,इसी बात को लेकर वह हैरान था कि उसकी मां उसे रोकी क्यों नहीं उसे डांटी क्यो नहीं,,, कहीं ऐसा तो नहीं कि लंड की चुभन उसे अच्छी लग रही हो,,,,एक पल के लिए यह बात सोचते ही उसके लंड ने एक बार फिर से अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया,,,। इधर-उधर ढूंढते हुए उसे स्टुल नहीं मिली,,,। वह वापस किचन में प्रवेश करते हुए बोला,,,।)

मम्मी स्टुल तो नहीं मिली,,, लाइए में उतार देता हूं,,,,


अरे तू नहीं उतार पाएगा ऊंचाई पर है,,,,


अरे देखने तो दो,,,,(इतना कहने के साथ ही सोनू किचन के सबसे ऊपर के ड्रोअर तक हाथ पहुंचाने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी कोशिश नाकाम साबित हो रही थी क्योंकि ऊपर का डोवर कुछ ज्यादा ऊंचाई पर था,,,।)

देख लिया कह रही थी ना,,,,


तो आप कैसे उतरेगा मम्मी,,,,(तभी सोनू के दिमाग में युक्ति सूझी और वह बोला) इधर आओ मम्मी,,,,


क्यों क्या हुआ,,,,? (संध्या आश्चर्य से बोली)

अरे हुआ कुछ नहीं इधर आओ तो सही,,,,
(सोनू की बात सुनकर संध्या उसके करीब आ गई संध्या को इतना तो एहसास हो गया था कि सोनू क्या करने वाला है लेकिन वह उत्सुक भी थी इसलिए उसके करीब आकर खड़ी हो गई...)

ले आ गई अब,,,,

( संध्या के इतने कहते ही सोनू अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ लाकर उसके नितंबों के घेराव के नीचे अच्छे से पकड़कर उठाना शुरू कर दिया,,,,)

अरे अरे यह क्या कर रहा है,,, छोड़ मुझे गिर जाऊंगी,,,


अरे नहीं गिरोगी मम्मी उस पर भरोसा नहीं क्या,,,,?
(और देखते ही देखते सोने अपनी भुजाओं का बल दिखाते को अपनी मां को उठा लिया,,,, पल भर में ही संध्या उस अलमारी के खाने के करीब पहुंच गई,,, जहां से आराम से वह घी का डब्बा ले सकती थी,,,,अपने बेटे की ताकत को देखकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे इस तरह से अपनी गोद में उठा लेगा क्योंकिअच्छी तरह से जानती थी कि उसका वजन कुछ ज्यादा ही था लेकिन जीतने आराम से उसके बेटे ने उसे उठाया था उसे यकीन नहीं हो रहा था,,,,अपने बेटे की इस हरकत की वजह से उसके तन बदन में उत्तेजना की गुदगुदी हो रही थी अपने बेटे पर उसकी ताकत देखकर गर्व के साथ साथ अत्यधिक उत्तेजना का भी अनुभव हो रहा था क्योंकि इस समय वह उसकी दोनों भुजाओं के सहारे उठी हुई थी और उसकी दोनों बुझाओ से उसके नितंबों का घेराव दबा हुआ था और जितना ऊपर वह उठाया हुआ था उसकी नाभि एकदम उसके होंठों के करीब थी,,, जहां से वह आराम से अपनी मां की नाभि में अपनी जीभ डाल कर उसे चाटने का सुख भोग सकता था लेकिन उसे डर लग रहा था लेकिन फिर भी वह हिम्मत करके अपने होठों को अपनी मां की नाभि से सटा दिया था,,,अपने बेटे के गर्म होठों को अपनी मां की पर महसूस करके संध्या अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी उसकी हालत खराब होती जा रही थी खासकर के उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में भूचाल सा मचा हुआ था,,, सोनू अपनी मां को उठा रही हूं मैं उसकी नाभि पर अपने होंठ रख कर उत्तेजना बस गहरी गहरी सांसे ले रहा था,,और उसकी गर्म सांसे संध्या को साफ महसूस हो रही थी वह अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,, नाभि से उसकी बुर की दूरी तकरीबन पांच छः लअंगुल की ही रह गई थी,,,, लेकिन सोनू के द्वारा नाभि पर हो रही हरकत उसकी बुर के अंदर सनसनी पैदा कर रही थी,,,। सोनू को भी ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी नाक में उसकी नाभि की खुशबू नहीं बल्कि उसकी मां क‌ी रसीली बुर की मादक खुशबू जा रही है इसलिए तो उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,, संध्या को अपने बेटे की भुजाओं पर पूरा विश्वास होने लगा था इसलिए वह निश्चिंत होकर अलमारी का खाना खोलकर उसमें से घी का डब्बा निकाल रही थी,,, नरम नरम गांड को अपनी भुजाओं में भरकर सोनू अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था पहला मौका था जब वह इस तरह से अपनी मां की गांड को स्पर्श कर रहा था,,,, जो हरकत सोनू अपनी मां की नाभि के ऊपर अपने होंठ रख कर कर रहा था वही हरकत सोनू अपना मुंह अपने होंठअपनी मां की बुर के ऊपर रखकर करना चाहता था भले ही इस समय साड़ी के ऊपर से ही सही लेकिन वह अपनी इच्छा को रोक नहीं पा रहा था,,,इसलिए वह थोड़ा सा और दम लगा कर अपनी मां को थोड़ा सा और उत्तर उठा लिया उतना कि जहां उसका मुंह उसकी मां की दोनों टांगों के बीच ठीक उसकी बुर वाली जगह पर आकर रुक जाए और वैसा ही होगा जैसे ही संध्या की बुर उसके होठों के बेहद करीब आ गई तब वह बोला,,,)

आराम से मम्मी कोई जल्दी नहीं है,,,,(और इतना कहने के साथ ही सोनू अपने होठों को उसके पेट के निचले हिस्से के खड्डे में जहां से उसकी जांघों के बीच कब अद्भुत हिस्सा शुरू होता है जो कि औरत का अनमोल खजाने के समान होता है जिसे पाने के लिए दुनिया का हर मर्द आंखें बिछाए रहता हैं,,, सोनू के प्यासे होठ जैसे ही उस जगह पर पहुंचे उसके तन बदन में अजीब सी झुर्झुरी पैदा होने लगी,,, गोदावास होने लगा,,, और वह धीरे से अपने होठों को अपनी मां के दोनों टांगों के बीच उसकी बुर वाली जगह पर हल्के से दबाते हुए गहरी सांस लेने लगा मानो कि वह अपनी मां की बुर की मादक खुशबू को अपने अंदर नथुनों के द्वारा उतार लेना चाहता हो,,,,अपने बेटे की हरकत की वजह से संध्या के तन बदन में आग लगने लगी और पल भर मे ही उसकी बुर से,,, पानी की धार फुट पड़ी,,,,।
Awesome update
 
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सुबह के 5:00 बज रहे थे,,,, सूरज की पहली किरण धरती पर आने के लिए अंधेरों को चीरते आगे बढ़ रही थी,,,,,, सुबह की ठंडक में अभी भी बहुत से लोग बिस्तर में मीठी नींद का मजा ले रहे थे,,,, होटल में अभी भी चारों तरफ शांति छाई हुई थी,,,,,, लेकिन कपिल की आंख बहुत जल्दी खुल गई क्योंकी आज उसका एग्जाम था,,,उसे जल्दी तैयार होना था और कॉलेज भी जाना था जहां पर एग्जाम होने वाली थी,,,उसकी नींद खुली तो बिस्तर पर सो रहे उसके पापा पर उसकी नजर पड़ी जो की गहरी नींद में सो रहे थे वह चाहती थी कि उसके पापा से उठने से पहले हुए हैं नहा धोकर तैयार हो जाएगी,इसलिए सुबह-सुबह पेशाब के प्रेशर के साथ ही उसकी नींद खुल गई और वह बाथरूम में जाकर पेशाब करने लगी,,,पेशाब करते समय उसकी बुलाकी बुर के गुलाबी छेद से आ रही सिटी की जबरदस्त आवाज संजय कानों में पड़ते ही संजय की नींद उड़ गई,,,,, वह मधुर मादक सिटी की आवाज से अच्छी तरह से वाकिफ था,,,,और यह जानने के लिए की सिटी की माता का भाषा कहां से रही है इसलिए अब अपने बिस्तर पर नजर दौड़ा या तो शगुन वहां पर नहीं थी उसे समझते देर नहीं लगी कि बाथरूम के अंदर उसकी बेटी है,,,उत्तेजित होने के लिए यह एहसास ही उसके लिए काफी था पल भर में ही उसका लंड तनकर एकदम खड़ा हो गया,,,,,, पेशाब करने की आवाज से ही संजय पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा वह अपने मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने पजामी को घुटनों का सरका कर मुत रही होगी,,, या हो सकता है वह अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मुत रही हो,,,,,अपने मन में यह सोचने लगा की पेशाब की धार उसकी गुलाबी बुर के छोटे से छेद से निकलती हुई कैसी लग रही होगी,,, उसकी गोलाकार सुडोल,, गांड बैठने की वजह से कैसे निकल कर बाहर उभर आई होगी,,,, यह सब सोचकर संजय पागल हुआ जा रहा था और उसका हाथ अपने आप उसके पजामें में चला गया और उसने खड़े लंड को सहलाना शुरु कर दिया,,,, अभी भी बाथरूम से सीटी की आवाज लगातार आ रही थी संजय को समझते देर नहीं लगी कि उसकी बेटी को जोरों से पेशाब लगी हुई थी,,,,,,,
संजय बाथरूम के अंदर के नजारे को देखने के लिए तड़प उठा,,, लेकिन वो जानता था कि अंदर का नजारा देख सकना नामुमकिन है इसलिए अपने मन में ही अपनी कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा रहा था,,,,,, संजय को अपने पजामे में भूचाल उठता हुआ महसूस हो रहा था,,,संजय की हालत खराब थी अपने बेटी की मुतने की आवाज को सुनकर,,,, इस बात से बेखबर शगुन इत्मीनान से पेशाब करने के बाद उठ खड़ी हुई और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,, बाथरूम में लगे मिरर में,,, अपने संपूर्ण वजूद को देखकर खुद सगुन शर्मा गई,,,,,, उसे अपनी खूबसूरती पर गर्व हो रहा था उसका बदन संगमरमर से तराशा हुआ प्रतीत हो रहा था छातियों की शोभा बढ़ाती उसकी दोनों गोलाइयां,,, पेड़ में लगे अमरूद की तरह नजर आ रही थी,,,, लाल-लाल होठों में जैसे कि गुलाब की पत्तियों का सारा रस निचोड़ कर भर दिया गया हो,,,, शगुन की नजर अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वह शर्म से लाल हो गई,,, हल्के हल्के रोए उसे अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों के इर्द-गिर्द नजर आ रहे थे जिसे वह तीन-चार दिन हो गए थे क्रीम लगाकर साफ नहीं की थी यूं तो शगुन को अपनी दोनों टांगों के बीच सफाई ज्यादा ही पसंद थी,,, लेकिन तीन-चार दिनों से एग्जाम की तैयारी करने की वजह से उसे समय नहीं मिला था लेकिन फिर भी वह रेशमी रोए उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे,,,, अपने आप ही शगुन की हथेली अपनी दोनों टांगों के बीच पहुंच गई और वह अपने हाथों से अपनी बुर को मसल दी,,,।

सहहहहह ,,,,,की गरम सिसकारी की आवाज के साथ वह अपनी हथेली को अपनी बुर के ऊपर से हटा ली,,,,सावर चालू करने से पहले वहां पीछे घूम कर मिरर में अपने नितंबों की गोलाई को अपनी आंखों से नापने लगी,,, गजब का नजारा मिरर में नजर आ रहा था अपनी उभरती हुई गांड को देखकर खुद शगुन दांतो तले उंगली दबा ली,,,,,,,धीरे-धीरे अपने ही नंगे बदन को देख कर सब उनके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी लेकिन वह अपनी उत्तेजना को इस समय उभरने नहीं देना चाहती थी,,,क्योंकि वह अपना सारा ध्यान एग्जाम पर केंद्रित करना चाहती थी इसलिए सांवर चालू करके नहाने लगी,,, कुछ ही देर में गरम हुए बदन पर पानी की ठंडी बुंदे पडते ही,,, शगुन को थोड़ा राहत हुई लेकिन सावर से गिर‌ रहे पानी की आवाज को सुनकर संजय का मन बेचैन हो गया,,,उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहा रही है,,, उसका मन अपनी बेटी को नंगी देखने के लिए ललच रहा था,,,हालांकि वह अपने मन में आए गंदे विचार को लेकर काफी परेशान भी था लेकिन जवानी का जोश खूबसूरत नंगे बदन को देखने की लालच पर उसका अंकुश बिल्कुल भी नहीं रह गया था,,,,,,,

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थोड़ी ही देर में अपनी खूबसूरत संगेमरमरई बदन पर टावल लपेटकर वह बाथरूम से बाहर आ गई वह बाथरूम में अपने कपड़े ले जाना भूल गई थी,,,,जैसे ही वह बाथरूम से बाहर निकली वैसे ही समझे जानबूझकर अपनी आंखों को बंद कर लिया और गहरी नींद में सो रहे होने का नाटक करने लगा बाथरूम से निकलने के बाद शगुन एक नजर अपने पापा पर डाली और वह गहरी नींद में सो रहे हैं यह जानकर इत्मीनान से रूम में लगी मिरर के सामने खड़ी हो गई,,,,,, कुछ देर तक आईने में दीख रहे अपने अक्स को देखने लगी,,,,,और मुस्कुराने लगी उसका मन गीत गुनगुनाने को कर रहा था लेकिन अपने पापा की नींद में कोई खलल न हो जाए इसलिए वह अपने आप को रोके हुए थी,,,,

आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वह इस तरह से अपने पापा के कमरे में या उनके सामने कपड़े बदले और इस तरह से टॉवल में आए लेकिन आज का दिन और माहौल कुछ और था,,,वह अपने घर में नहीं बल्कि एक होटल में थी जहां पर वह एग्जाम देने आई थी और एक ही कमरा था जहां पर ना चाहते हुए भी उसे अपने कपड़े बदलना पड़ रहा था ऐसे तो वह बाथरूम में जाकर कपड़े बदल सकते थे लेकिन उसके पापा अभी नींद में थे इसलिए वह बेझिझक अपने कपड़े बदलने के लिए तैयार थी ,,,
संजय धीरे से अपनी आंखों को खोल कर अपनी बेटी को भीगे हुए खूबसूरत जिस्म को देख रहा था जिस पर एकता व लिपटी हुई थी लेकिन उसकी अनुभवी आंखें टॉवल में लिपटी हुई उसके संपूर्ण बदन के भूगोल को अपनी आंखों से टटोल रही थी,,,,,, संजय अपनी बेटी के गांड के उभार को देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, संजय का लंड अभी भी उसके पजामे में गदर मचा रहा था,,,, वह अपनी अधिक खुली आंखों से सब कुछ देख रहा था उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, शकुन अपने बैग में से कपड़े निकालने के लिए नीचे झुकी तो उसके झुकने की वजह से जो नजारा संजय की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, शगुन की गांड संजय की नजर की आंखों के सामने उभर कर आ गई थी और टांगों के बीच कि उसकी पतली दरार भी उसे साफ नजर आने लगी थी,,,अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार को देखते ही संजय की सांस रुकते रुकते बची थी,,, और उसके लंड में लावा का उबाल बढने लगा,,,, संजय की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी और दूसरी तरफ शगुन इस बात से अनजान कि उसके पापा अपनी आंखों को खोल कर उसके बेशकीमती खजाने को अपनी आंखों से ही लूट रहे हैं वह बैग में रखे अपने कपड़े को ढूंढ रही थी,,,,, सबसे पहले वह बैग में से अपनी लाल रंग की पैंटी को ढुंढ कर उसे हाथों में लेकर उसे पहहने के लिए खड़ी हुई तो उसकी टावल तुरंत खुल कर नीचे गिर गई,,,इस बात का अंदाजा सगुन को बिल्कुल भी नहीं था वह टावल के गिरने की वजह से पूरी तरह से नंगी हो गई थी और एकदम से चौक गई थीक्योंकि इस समय वह बिस्तर पर गहरी नींद में सो रहे हैं अपने पापा की आंखों के सामने इसलिए वह तुरंत पीछे नजर घुमाकर अपने पापा की तरफ देखने लगी लेकिन समय को भापकर संजय ने तुरंत अपनी आंखों को बंद कर लिया और चैन से गहरी नींद में सोए रहने का नाटक करने लगा,,,, अपने पापा को गहरी नींद में सोया हुआ देखकर सगुन ने राहत की सांस ली और ,,,,

कोई भी नहीं देख रहा है इस बात का एहसास होते ही शगुन नीचे गिरी अपनी टावल को उठाने की भी तस्दी नहीं ली,,,, और उसी तरह से नंगी खड़ी रही,,, क्यों किस बात का उसे इतना ना हो चुका था कि उसके पापा गहरी नींद में सो रहे हैं लेकिन इस बात से वह पूरी तरह से अनजान थी कि उसके पापा उसकी जवानी का रस को अपनी अधखुली आंखों से पी रहे हैं,,,,,,, संजय ने धीरे से अपनी आंखों को खोला तो उसकी आंखों के सामने उसकी बेटी पूरी तरह से नंगी खड़ी गिरेबान उसकी पीठ पर चिपक गए थे और उसमें से गिर रही पानी की बूंदे किसी मोती के दाने की तरह उसकी कमर से होती उसके नितंबों के घेराव को अपनी आगोश में लेकर नीचे फर्श पर गिर रहे थे,,,। संजय का होश ठिकाने बिल्कुल भी नहीं था,,,, अपने लंड को अपनी बेटी की चिकनी पीठ उसकी कमर पर उसके नितंबों के दरार के बीच रगड़ना चाहता था,,,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,,
शकुन अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनने के लिए अपनी एक टांग उठा कर उसके छेद में डाल दी और उसी तरह से अपने दूसरा पैर भी उठाकर पेंटी के दूसरे छेद में डाल दी ऐसा करने पर बार-बार उसके नितंबों का घेराव कुछ ज्यादा ही उभर जाता था जिसे देखकर संजय का लंड ठुनकी मार रहा था,,,

संजय पहली बार अपनी बेटी को पेंटी पहनते हुए देख रहा था और उसकी गोरी गोरी गांड पर लाल रंग की पेंटिं क्या खूब लग रही थी,,,,, लेकिन शकुन अपने बाकी के कपड़े बैग से लेने के लिए नीचे झुकती कि तभी उसकी नजर मिरर में पड़ी और अपने पापा की खुली आंखों को देखकर वो एकदम से चौक गई,,, उसे पता चल गया कि उसके पापा नींद में नहीं है बल्कि जाग रहे हैं और उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख रहे हैं,,,, यह देखते ही सगुन की हालत खराब होने लगी,,, संजय अभी भी शगुन को ही देख रहा था शगुन कुछ देर तक यूं ही खड़ी नहीं संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन सब अपने मन में सोच रही थी और उसके होंठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,।


आखिरकार वो भी किसी न किसी बहाने अपने पापा को अपने नंगे जिस्म का दर्शन कराना चाहती थी उसे उत्तेजित कराना चाहती थी ताकि जिस तरह कि वह कल्पना करती थी वह साकार हो सके,,,, अब वह अपने पापा को खुलकर अपने बदन का दर्शन करना चाहती थी,,, इसलिए वह कुछ देर तक खड़ी होकर सोचने के बाद, अपनी पेंटी के दोनों छोरों पर अपनी नाजुक नाजुक ऊंगलियो को रखकर उसे,,, नीचे की तरफ खींच कर उतारने लगी,,,, संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बेटी क्या कर रही है,,, लेकिन उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,,देखते ही देखते हल्के हल्के होले होले अपनी गांड को मटका अपनी पेंटी को अपनी लंबी चिकनी टांगों से उतार ली,,, एक बार फिर से वह अपने पापा की आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी हो गई,,,,, सामने का खूबसूरत मादकता भरा नजारा देखकर और अपनी ही बेटी के नंगे जिस्म को देखकर संजय को दिल का दौरा पडते-पडते रह गया,,,,, संजय का हाथ अभी भी पजामे के अंदर था,,, और वह अपने लंड को जोर-जोर से मुठ्ठी में भींच रहा था,,,,,,

उसके पापा को बिल्कुल भी शक ना हो इसलिए अपनी पेंटी को अपने हाथ में लेकर एक बार फिर से झुक कर उसे ,बैग में रखते हुए बोली,,,


यह लाल रंग का नहीं एग्जाम के लिए यह लाल रंग मुझे बिल्कुल लकी साबित नहीं हो रहा है अाज में आसमानी रंग की पहनुंगी,,,,(पर ऐसा क्या कर रहा अपनी बैग में से आसमानी रंग की दूसरी पेंटी को निकाल लीअपनी बेटी की बातों को सुनकर संजय को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि वह जानबूझकर अपनी पेंटिं को उसे दिखाने के लिए निकाली है,,,, और इस तरह से अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनी थी उसी तरह से अपनी आसमानी रंग की पैंटी को पहन ली,,, शगुन के गोरे रंग पर कोई भी रंग जच रहा था और संजय की उत्तेजना को बढ़ा रहा था,,,, शगुन चाहती तोइसी से मैं अपने पापा को अपनी दोनों टांगों के बीच की उस खूबसूरत दरार को दिखा देती जिसे बुर कहां जाता है जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है और जिसे देख कर ही ना जाने कितनों का पानी निकल जाता है लेकिन शगुन अपने पापा को और तड़पाना चाहती थे क्योंकि वह जान रही थी आईने में जिस तरह से उसके पापा उसे प्यासी नजर से देख रहे हैं अंदर ही अंदर कितना तड़प रहे होंगे,,,पर ना जाने क्यों आज उसे अपने पापा को अपना खूबसूरत जिस्म दिखाकर तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था और ऐसा सब उनके साथ पहली बार हो रहा था कि वह किसी मर्द के आंखों के सामने ही अपनी नंगे बदन पर एक एक कर के कपड़े पहन रही हो और उसकी आंखों के सामने नंगी खड़ी हो,,,



संजय गहरी सांस लेते हुए अपनी आंखों के सामने के नजारे का लुफ्त उठा रहा था और सगुन एक बार फिर से नीचे की तरफ झुक कर अपनी सलवार और कुर्ती निकालने लगी वह एग्जाम देने के लिए इसे ही पहनने वाली थी क्योंकि इसमें उसे आराम मिलता था,,,, वह सलवार कुर्ता पहनने के लिए अपनी टांग उठा रही थी कि उसे याद आया कि उसने बुरा तो पहनी नहीं अपने पापा को अपने नंगे बदन का दर्शन कराने के चक्कर में भूल गई थी वह भी आईने में अपने पापा को देख रही थी जो कि आंख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,,लेकिन ब्रा पहनने से पहले वह एक बार अपने पापा को अपनी दोनों चूचियां दिखाना चाहती थी जो कि अमरूद की तरह एकदम ठोस थी,,,,,,,ऐसा लग रहा था कि कैसे हो अपने पापा पर तरस खा रही हो क्योंकि वह अपनी बुर दिखाई नहीं थी और उसी के एवज में अपनी चूची दिखाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,। और इसीलिए ब्रा लेने के बहाने वह अपने पापा की तरफ घूम गई लेकिन अपनी नजरों को नीचे की हुई थी ताकि उसके पापा को यह ना लगे कि उसे पता चल गया है वह अपने पापा की नजरों में अंजान बने रहना चाहती थी,,,,,,



अपने पापा की तरह घूम जाने की वजह से संजय की आंखों के सामने जो नजारा पेश हुआ उसे देखकर संजय के तन बदन में चुदास पन की लहर दौड़ने लगी,,, अपने बेटी के दोनों अमरुदो को देखकर संजय का मन उसे अपने हाथों में पकड़ने को करने लगा और उसे मुंह में भर कर पीने को करने लगा क्योंकि उसकी बेटी की दोनों चूचियां एकदम जवान थी,,, संजय जानता था कि ऐसी चुचियों को हाथ में लेकर दबाने में बहुत मजा आता है और इस हरकत पर लड़कियां भी एकदम मस्त हो जाती है,,,,, संजय की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और शगुन की दोनों चूचियां एकदम तनी हुई थी ऐसा करने में शगुन भी उत्तेजित हो रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी चूचियों के दोनों निप्पल कैडबरी की छोटी सी चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,, जिसे संजय अपने मुंह में लेकर अपने दांतो से दबाना चाहता था,,,। उसे काटना चाहता था हालांकि अपनी इस ख्यालों को लेकर और पूरी तरह से परेशान भी था क्योंकि वह अपनी बेटी के बारे में इतने गंदे गंदे विचार अपने मन में ला रहा था लेकिन वह हालात से मजबूर था उसके सामने का नजारा था ही इतना मादक कि वह खुद उसके नशे में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था,,,,,

शगुन जानती थी कि उसके पापा ने उसकी दोनों चूचियों को नजर भर कर देख लिया है इसलिए वह नीचे झुक कर अपनी ब्रा उठाकर उसे पहनने लगी,,,, पर एक बार फिर से आईने की तरफ मुंह करके घूम गई अपनी ब्रा का हुक बंद करने के लिए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़प आते हुए ब्रा के हुक को ना लगाते हुए उसे इधर-उधर करके अठखेलियां करने लगी,,, संजय का मन कर रहा था कि वह बिस्तर से उठे और खुद जाकर अपनी बेटी के ब्रा के हुक को लगा दे या तो फिर उसे पूरी तरह से उतार कर फेंक दे,,,,,। आखिरकार शगुन अपनी ब्रा का हुक लगा दी,,, ब्रा के अंदर के कैद उसके दोनों अमरुद बहोत खूबसूरत लग रहे थे,,,।
देखते ही देखते शगुन अपनी सलवार और कुर्ती भी पहन ली वह तैयार हो चुकी थी अपनी बालों को सवारने लगे और घड़ी में 6:00 बज चुके थे इसलिए वह अपने पापा को जगाना चाहती थी जो कि पहले से ही जगे हुए थे लेकिन फिर भी औपचारिकता दिखाते हुए वह अपने पापा के बिस्तर के करीब बढी और यह देख कर अपनी आंखों को बंद कर लिया अपने पापा की हरकत को देखकर सगुन मुस्कुराने लगी,,,, और अपने पापा के हाथ को पकड़ कर उन्हें जगाते हुए बोली,,,।

उठो पापा देर हो रही है,,,,(पहले तो संजय जानबूझकर गहरी नहीं तो मैं सोने का नाटक करने लगा और यह देख कर शगुन बंद बंद मुस्कुराने लगी यह सोच कर कि उसके पापा कितना नाटक कर रहे हैं उसकी कमसिन खूबसूरत नंगी जवानी को अपनी आंखों से देख कर अपना लंड खड़ा कर लिए हैं फिर भी सोने का नाटक कर रहे हैं,,, एक दो बार और कोशिश करने पर संजय समझ गया क्या उसे उठना ही पड़ेगा और वह आलस मरोड़ ते हुए लेटे हुए बोला,,,)

कितना बज रहा है,,,


6:00 बज के 9:00 एग्जाम है हमें जल्दी निकलना है,,,,


ओहहह ,,,,, मैं तो सोया ही रह गया,,,,(अपने ऊपर से चादर को हटाकर एक तरफ रखते हुए वह जानता था कि उसके पजामे में उसका लंड तनकर एकदम तंबू बना हुआ है,,, और वह जानबूझकर अपनी बेटी को उसके पजामे में बने तंबू को दिखाना चाहता था,,,, और ऐसा हुआ भी,,,, संजय बेझिझक बिस्तर पर से खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ जाने लगा वह जानता था कि उसकी बेटी की नजर उसके पजामे पर जरूर पड़ेगी क्योंकि वह इस समय पूरी तरह से खुंटे की शक्ल ले चुका था,,,। जैसा वह चाहता था ऐसा हुआ कि बाथरूम में पहुंचने से पहले ही सगुन की नजर अपने पापा के पजामे के आगे वाले भाग पर पड़ी तो वह एक दम से चौंक गई,,,, पजामे में बने तंबु को देखकर वह दंग हो गई थी,,,, संजय बाथरूम में घुस गया था और सगुन के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी,,, क्योंकि वह जानती थी उसके पापा की हालत उसकी वजह से ही हुई है,,,।

संजय अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाया था और बाथरूम में घुस कर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था और तब तक मिला था जब तक कि उसका गर्म लावा बाहर ना निकल गया,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर नाश्ता करके एग्जाम देने के लिए कॉलेज की तरफ रवाना हो गए,,,।
Mast update bhai 🤩🤩
 
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