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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

Sanju@

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और वह धीरे से अपने होठों को अपनी मां के दोनों टांगों के बीच उसकी बुर वाली जगह पर हल्के से दबाते हुए गहरी सांस लेने लगा मानो कि वह अपनी मां की बुर की मादक खुशबू को अपने अंदर नथुनों के द्वारा उतार लेना चाहता हो,,,,अपने बेटे की हरकत की वजह से संध्या के तन बदन में आग लगने लगी और पल भर मे ही उसकी बुर से,,, पानी की धार फुट पड़ी,,,,। संध्या को यकीन नहीं हो रहा था कि वह अपने बेटे की हरकत की वजह से पल भर में ही चरम सुख पाते हुए अपना पानी छोड़ दी है,,,। सोनू के पेंट में गदर मचा हुआ था उसका लंड पूरी औकात में आ चुका था,,, संध्या हाथ ऊपर करके अलमारी खोलकर घी के डिब्बे को अपने हाथ में ही लिए रह गई थी,,, पल भर में वह सब कुछ भूल चुकी थी,,,अपने बेटे की हरकत की वजह से उसे चरम सुख के साथ-साथ अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था वो कभी सपने में भी नहीं सोचते कि अपने बेटे की इस तरह की हरकत से वह पल भर में स्खलित हो जाएगी,,,। बुर में से पानी की धार फूटने की वजह से,, मदन रस की खुशबू उसकी नाक मैं बड़े ही आराम से पहुंच रही थी अद्भुत माधव खुशबू का अहसास उसके तन बदन को और ज्यादा मदहोश कर रहा था सोनू की आंखों में नशा छाने लगा था,,, और उसके तन बदन में अजीब सी हलचल के साथ-साथ ताकत का संचार होने लगा था क्योंकि अभी तक वह अपनी मां को इस तरह से उठाया हुआ था लेकिन उसे बिल्कुल भी थकान महसूस नहीं हो रहा था,,, दिल की धड़कन बड़ी रफ्तार से चल रही थी संध्या को अपने नितंबों के इर्द-गिर्द अपने बेटे के बाहों का कसाव बेहद आनंददायक लग रहा था,,,। सोनू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसके मन में यह हो रहा था कि काश यह साड़ी कमर तक उठी होती तो वह अपनी मां की बुर पर अपने होंठ रख कर उसे चाटने का सुख भोग पाता,,, वह अत्यधिक उत्तेजना के मारे अपनी मां के नितंबों को अपनी बाहों में लेकर कस के दबोचे हुआ था,,,सोनू इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था और चुदवासा कि उसे ऐसा लगने लगा था कि कहीं उसके लंड से पानी की बौछार ना फूट पड़े,,,,, जिस तरह की इच्छा सोनू के मन में हो रही थी उसी तरह की इच्छा संध्या के मन में भी जागरूक हो रही थी वह भी अपने बेटे के होठों को अपनी प्यासी बुर पर महसूस करना चाहती थी,,,,। संध्या पानी छोड़ चुके हैं लेकिन उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बरकरार थी लेकिन काफी समय से वह अपने बेटे की भुजाओं के सारे ऊपर उठी हुई थी मानो किसी सीढ़ी पर चढ़ी हो,,, इसलिए वहां अब नीचे उतरना चाहती थी घी का डब्बा भी उसके हाथों में ही था,,, इसलिए वह अपने बेटे से बोली,,,।

अब उतारे का भी या ऐसे ही पकड़े रहेगा,,, देख घी के चक्कर में एक रोटी भी जल गई,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू का एहसास हुआ कि वाकई में तवे पर रखी हुई रोटी जलने लगी थी,,,इसलिए वह अपनी मम्मी को नीचे उतारने लगा वैसे तो उसका मन बिल्कुल भी नहीं हो रहा था अपनी मां को अपनी बाहों से दूर करने के लिए लेकिन फिर भी मजबूरी थी,,,)

संभाल के बेटा छोड़ मत देना वरना गिर जाऊंगी,,,,


चिंता मत करो मम्मी मैं गिरने नहीं दूंगा,,,,,(इतना कहने के साथ ही,,, सोनू आराम आराम से अपनी मां को नीचे की तरफ सरकाने,,, जैसे-जैसे सोनू अपनी मां को नीचे की तरफ जा रहा था वैसे वैसे संध्या के बदन पर उसका कसाव बढ़ता जा रहा था और यह संध्या को भी अच्छा लग रहा है ना देखते ही देखते सोनू अपनी मां को जब नीचे उतार दिया लेकिन अभी भी वह उसकी बाहों में कसी हुई थी और उत्तेजना के मारे सोनू का लंड पूरी तरह से खड़ा था,,। और जैसे ही वह अपनी मां को जमीन पर उतारा और अपनी बाहों में कसे होने की वजह से सोनू का खड़ा लंड जोकी पेंट में होने के बावजूद भी पूरी तरह से उत्तेजना के मारे तंबू सा बन चुका थावह सीधे जाकर संध्या की दोनों टांगों के बीच साड़ी के ऊपर से ही उसकी गुलाबी मखमली बुर पर ठोकर मारने लगा,,, अपनी मखमली बुर के ऊपर एकदम सीधे हुए सोनू के लंड के हमले से वह पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गई,,,अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के ऊपर महसूस करते ही वह पूरी तरह से उत्तेजना के मारे गनगना गई,,,,उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी सोनू को ईस बात का एहसास था कि उसका लंड सीधा उसकी मां की बुर के ऊपर ठोकर मार रहा है इसलिए वह भी अत्यधिक उत्तेजना से भर चुका था,,,। सोनू अपनी मां को अपनी बाहों के कैद से आजाद नहीं करना चाहता था उसे अपनी मां की बुरर कर अपने लंड की ठोकर अत्यधिक उत्तेजना का एहसास करा रही थी उसे अच्छा लग रहा था,,,। संध्या को भी अच्छा लग रहा था लेकिन वह पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,,, संध्या खुद अपने आपको अपने बेटे की बाहों से आजाद करते हुए बोली,,,।

अब छोड मुझे रोटी पर घी लगाना है तुझे नाश्ता भी करना है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने बेटे से अलग हुई और रोटी पर डिब्बे से निकालकर घी लगाने लगी,,, सोनू तो एकदम खामोश हो चुका था इस बात का एहसास था कि उसकी हरकत उसकी मां को जरूर पता चल गया जी लेकिन फिर भी वह वहीं खड़ा रहा और फ्रीज में से पानी की बोतल निकाल कर पीने लगा,,, अभी भी पेंट में उसका तंबू बना हुआ था जिसे संध्या तिरछी नजरों से देख ले रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,,,। दोनों के बीच खामोशी छाई हुई थी कुछ देर की खामोशी के बाद संध्या दोनों की चुप्पी को तोड़ते हुए बोली,,,।)

सोनू तेरे में बहुत दम है वरना मुझे इस तरह से उठा पाना किसी के बस की बात नहीं है,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर दोनों मुस्कुराने लगा लेकिन जवाब में कुछ बोला नहीं क्योंकि उसकी नजर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर टिकी हुई थी और इस बात का एहसास संध्या को भी हो चुका था क्योंकि बातें करते हुए वह उसे देख ले रही थी और उसकी नजरो के शीधान को भी अच्छी तरह से समझ पा रही थी ,,,,लेकिन अपने बेटे की प्यासी नजरों को अपनी गांड पर महसूस करते ही वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर जा रही थी,,,। संध्या ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)

बेटा देख फिर से चुभने लगी ना मुझे लगता है कि मुझे बदलनी पड़ेगी,,,,


क्या,,,,?


पेंटी और क्या,,,,?


पर मुझे तो नहीं लगता मम्मी,,,,,


तुझे नहीं लग रहा है लेकिन मुझे जालीदार पैंटी कुछ अजीब लग रही है क्योंकि मैंने आज तक कभी पहनी नहीं हूं इसलिए,,,,,


पापा को अच्छी लगी क्या,,,,?

क्या,,,,,?(संध्या आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,, संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा किस बारे में बोल रहा है लेकिन फिर भी वह अपनी तसल्ली के लिए पूछ बैठी थी,,,)

कुछ नहीं बस ऐसे ही,,,,(सोनू बात को डालना के उद्देश्य से बोला,,,)


नहीं ऐसे ही नहीं कुछ तो बोला तू,,,,


मेरा मतलब है कि मम्मी पापा ने तो देखे होंगे उन्हें कैसे लगी,,,


कैसी लगी अच्छी लगी होगी बोले थोड़ी ना,,,,।


क्या पापा कुछ भी नहीं बोले,,,,


हां कुछ भी नहीं बोले,,,,


कमाल है,,,,,, मुझे लगा था कि पापा तारीफ किए होंगे आपके पसंद की,,,,।


नहीं ऐसा कुछ भी नहीं हुआ लेकिन तुझे कैसे मालूम कि पापा देखे होंगे,,,


बस ऐसे ही,,,,,(सोनू शरमाते हुए बोला)



ऐसे ही नहीं अब तु बड़ा हो गया है,,, शैतान हो गया है तु,,,(संध्या रोटी पर घी लगाते हुए अपने बेटे की तरफ देखकर बोली,,,, संध्या की बातों में भी शरारत थी,,,ना जाने क्यों दोनों में से कोई एक दूसरे को किस किस तरह से आगे बढ़ने से रोक नहीं रहा था दोनों के बीच धीरे-धीरे इस तरह की खुली हुई बातें होने लगी थी,,, संध्या के मन में ऐसा हो रहा था कि काश उसका बेटा पहले ही नहीं उसे देखने के लिए बोले लेकिन ऐसा हो नहीं रहा था और संध्या अपने बेटे को अपनी जालीदार पेंटिं,,,दिखाने के बहाने बहुत कुछ दिखाना चाहती थी,,,,)

मम्मी मुझे भूख लगी है जल्दी से नाश्ता तैयार कर दो कॉलेज जाना है,,,,


हां बेटा तैयार हो गया है बस 2 मिनट,,,,(इतना कहकर संध्या नाश्ते की प्लेट लेकर नाश्ता रखने लगी और सोनू किचन से बाहर चला गया संध्या का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि ऐसा मौका शायद उसे दोबारा ना जाने कब मिलने वाला था आज माहौल पूरी तरह से गर्म था ,, वह चाहती थी कि उसका बेटा उसे पेंटी देखने के बहाने उसके खूबसूरत हुस्न को देखें इसके लिए वह अपने मन में उसे अपनी पेंटी दिखाने की युक्ति सोचने लगी,,,, सोनू बाहर डायनिंग टेबल पर बैठ चुका था घर में संध्या और सोनू के सिवा तीसरा कोई भी नहीं था वह बेसब्री के नाश्ते का इंतजार कर रहा था और संध्या के मन में कुछ और ही चल रहा था वह नाश्ते की प्लेट लेकर किचन के बाहर चली गई हो डायनिंग टेबल पर रखते हुए बोली,,,।)


नहीं सोनू अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है मुझे निकालना ही होगा,,,(संजय जानबूझकर साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर वाली जगह को खुजलाते हुए बोली,,,इस बार अपनी मां को भी इस तरह से अपनी बुर खुजलाते हुए देखकर सोनू से रहा नहीं गया और उसके मुंह से निकल गया,,,)

लाओ अच्छा दिखाओ तो मैं भी देखूं ईतनी खूबसूरत पैंटी इतना तंग क्यों कर रही है,,,,!
(अपने बेटे के मुंह से इतना सुनते ही,,, संध्या का दिल जोरो से धड़कने लगा उसके अरमान मचलने लगे,,, और वह थरथराते स्वर में बोली,,,,)


ले तू भी देख ले तुझे विश्वास नहीं हो रहा है,,,,(इतना कहते हुए ना जाने कहां के संजय के अंदर की बेशर्मी आ गई थी कि वह अपने ही बेटे की आंखों के सामने अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी और देखते ही देखते उसे अपनी कमर तक उठा दीसोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था जैसे-जैसे सोनू अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ ऊठते हुए देख रहा था वैसे-वैसे सोनू की आंखों में उसकी मां की नंगी टांग ऊपर की तरफ धीरे-धीरे नंगी होती चली जा रही थी,,, और अपनी मां की चिकनी टांग का नंगापन उसकी आंखों में वासना का तूफान उठा रहा था,,,, और जैसे ही संध्या की साड़ी उसकी कमर तक आई सोनू अपनी मां के खूबसूरत मोटी मोटी दुधिया चिकनी जांघों को देखता ही रह गया,,,।सोनू को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी उसकी आंखें देख रही है वह वास्तविक है या कोई सपना देख रहा है,,, लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखें देख रही थी वह शत प्रतिशत सच था लेकिन फिर भी किसी कल्पना से कम नहीं था इतना खूबसूरत नजारे के बारे में शायद उसने कभी ना तो कल्पना किया था और ना ही सपने में देखा था,,, अपनी मां की मोटी मोटी नंगी जांघों को देखकरउसका मन मचल रहा था उसका लंड अंगड़ाई लेना था और जैसे उसकी नजर अपनी मां की जालीदार पहनती पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए वाकई में जालीदार पहनती है उसकी मां के खूबसूरत बदन पर बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,गौर से देखने के बाद उसे इस बात का अहसास लड़की जालीदार पेंटी में से उसकी मां की बुर साफ साफ नजर आ रही थी जिसे आज तक उसने सिर्फ मोबाइल में ही देखा था आज उसकी आंखों के सामने वास्तविक मे किसी औरत की बुर देख रहा था और वह भी खुद की मां की,,, सोनू एकदम साफ साफ देख पा रहा था कि उसकी मां की बुर एकदम चिकनी और एकदम साफ थी और समय वह कचोरी की तरह फूली हुई थी,,,, सोनू की आंखें एकदम चोडी हो चुकी थी उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,, संध्या अपने बेटे के आश्चर्य में पड़े चेहरे को देखकर मन ही मन खुश हो रही थी अपने बेटे के चेहरे पर उत्तेजना के भाव उसे साफ नजर आ रहे थे उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी बुर को देखकर उसके बेटे की हालत खराब हो गई है,,,वह कुछ बोल नहीं रही थी बस अपनी साड़ी को कमर तक उठाई अपने बेटे को अपनी मदमस्त जवानी का झलक दिखा रही थी,,,,सोनू का मन अपनी मां की बुर को स्पर्श करने को हो रहा था उसे अपनी उंगली से छुने का मन हो रहा था,,,,इसमें उत्तेजना के मारे उसके मन में किसी भी प्रकार का डर नहीं था इसलिए वह अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए पैंटी के ऊपर से अपनी मां की फूली हुई बुर को उंगली के सहारे स्पर्स करते हुए बोला,,,।


वाह मम्मी तुम कितनी खूबसूरत हो,,,, लाजवाब एकदम बेमिसाल,,,,,(संध्या को अपने बेटे की उंगली का स्पर्श अपनी फूली हुई बोरकर बेहद आनंददायक और ऊतेजनात्मक महसूस हो रही थी,,,, अपने बेटे की हरकत की वजह से उसकी सांसे उत्तेजना के मारे गहरी चलने लगी थी वह कुछ बोल नहीं रही थी बस अपने बेटे की हरकत को महसूस कर रही थी उसे देख रही थी कि किस कदर उसका बेटा उसकी मद मस्त जवानी को देखकर मदहोश हो चुका है,,,,)
मम्मी पापा को शायद ठीक से नजर नहीं आया होगा आप ही जालीदार पैंटी में स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही है,,,(सोनू अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया और जब आपको सुनने को शायद तैयार नहीं था इसलिए खुद ही बोले जा रहा था और खुद ही अपनी उंगलियों से हरकत कर रहा था इसलिए वह अपनी उंगली को जालीदार पैंटी की जाली में से धीरे से अंदर की तरफ उतारा और अपनी मां की मदमस्त रसीली फुली हुई बुर की दरार के ऊपर रखकर उसे हल्के से दबाते हुए बोला,,,)


मम्मी तुम खूबसूरत हो यह बात तो मैं जानता ही हूं लेकिन इतनी ज्यादा खूबसूरत होगी आज पहली बार पता चल रहा है,,,,
(सोनू अपनी मां की मद भरी जवानी के आगोश में पूरी तरह से खोते हुए बोला,,,,इस तरह से वह बदहवास और मदहोश हो चुका था कि उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि वह अपनी मां के साथ किस तरह की हरकत कर रहा है लेकिन उसकी मां भी उसे इस तरह की हरकत करने से रोक नहीं रही थी बल्कि उसकी हरकत का पूरी तरह से आनंद ले रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसकी आंखें बंद होने लगी थी वह अपने हाथों में अपनी साड़ी को पकड़कर उसी तरह से किसी पुतले की तरह खड़ी की खड़ी रह गई थी और अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया को होती हुई ना देख कर सोनू की हिम्मत बढ़ती जा रही थी और इस बार वह पूरी तरह से मदहोश होते हुएअपनी एक उंगली को अपनी मां की बुर की दरार पर रखकर उसे हल्के से अंदर की तरफ दबाने लगा,,, धीरे-धीरे सोनू की प्यासी उंगली उसकी मां की मदन रस में गीली होते हुए अंदर की तरफ सरक रही थी,,, संध्या को इस बात का एहसास था कि उसका बेटा अपनी उंगली को उसकी बुर के अंदर डालने की कोशिश कर रहा है लेकिन वह उसे रोक नहीं रही थी,,,, बल्कि उसकी खुद की हालत खराब होती जा रही थी सोनू पूरी तरह से नशे में मदहोश होकर धीरे-धीरे अपनी मां की बुर में उंगली डालने लगा जैसे जैसे उसकी नौकरी अंदर खुश रही थी वैसे भी उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज निकलने लगी थी,,, पहली बार सोनू के मुंह से इस तरह से उत्तेजना आत्मक आवाज निकल रही थी,,,,।

ससससहहहहहह,आहहहहहहहह,,, मम्मी,,,,,,,(इतना कहने के साथ ही जैसे सोनू की आधी उंगली बुर के अंदर गई वैसे ही संध्या को थोड़ा दर्द का एहसास हुआ उसकी आंखें बंद थी लेकिन दर्द का एहसास होते ही उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल गई,,,,,)

ऊईईईईई,,,ममममा,,,,,,
(अपनी मां के मुंह से इस तरह की आवाज सुनते ही जैसे उसे होश आया हो और वह तुरंत अपनी ऊंगली को अपनी मां की बुर से बाहर निकाल दिया,,,वह,, एकदम से शर्मिंदा हो चुका था संध्या को भी जैसे होश आया हूं और वह अपने बेटे की ऊंगली अपनी बुर के अंदर से बाहर निकलते ही,,,शर्म से पानी पानी हो गई और तुरंत अपनी साडी को कमर से नीचे की तरफ छोड़कर तुरंत वहां से अपने कमरे की तरफ भाग गई सोनू को इस बात का अहसास हो चुका था कि उसके हाथों गलत हो चुका है,,, और वह भी बिना कुछ खाए अपना बैग लेकर घर से बाहर निकल गया,,,।)
Very hot 🔥 update
 

Naik

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सोनू बाथरूम में मुतने नहीं गया था बल्कि अपने लंड के हालात का जायजा लेने गया था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां की मद मस्त जवानी की गर्मी से उसका लंड पूरी तरह से बेहाल हो चुका था इसीलिए तो लावा उगल दिया था,,,, सोनू अभी इस खेल में कच्चा खिलाड़ी था इसलिए अपने आप को संभाल नहीं पाया था और वक्त से पहले ही बिना कुछ किए ही ढेर हो गया था लेकिन अपने इस हार से ही उसे सीखना था अपने आप को मजबूत बनाना ताकि वह,, जवानी की आंधी में अपने आप को संभाल सके,,,।
बाथरूम में घुसते ही सोनू ने तुरंत अपने पजामे को नीचे कर दिया उसका लंड पूरी तरह से झड़ चुका था लेकिन अभी भी उसमें से कुछ बूंदे नीचे टपक रही थी अपने लंड की हालत को देखकर सोनू को भी ताज्जुब हो रहा था क्योंकि झड़ जाने के बावजूद भी उसका लंड पूरी तरह से लोहे के रोड की टनटनाया हुआ था,,,,,,, सोनू अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करते हुए दो तीन बार झटका देकर उस में फंसी दो चार बूंदों को और बाहर निकाल दिया,,, भले ही अपने आप निकल गया था लेकिन सोनू को मजा बहुत आया था सोने को बाकी के अंदर वह कल याद आ रहा था जब वह अपनी उंगली को उसकी मां की साड़ी के अंदर सरका कर पर उसकी पेंटी के नीचे उंगली डालकर उसकी गांड की दरार को सहला रहा था,,,सोनु अपने मन में यही सोच रहा था कि जब इतने से ही इतना मजा आता है तो जब चुदाई करेगा तो कितना मजा आएगा,,, यह एहसास ही सोनू के लिए काफी था,,,,,


बाहर बिस्तर पर लेटी हुई संध्या अपने बेटे के सवाल पर पूरी तरह से सोच में पड़ गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस सवाल का जवाब क्या दें अपने मन में यह सोच रही थी कि यह सवाल पूछ कर कहीं उसका बेटा उसके मन में क्या चल रहा है यह तो नहीं जानना चाहता,,,,,,संध्या अपने मन में सोच रही थी कि जो भी हुआ जो अपने बेटे के साथ संबंध बनाकर रहेगी,,, यह बात होगी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा भी यही चाहता है क्योंकि कुछ दिनों से जो कुछ भी बदला उसमें हो रहा था उसी से साफ पता चल रहा था कि उसका बेटा उसके प्रति पूरी तरह से आकर्षित होता जा रहा है,,,वह जो अपनी बेटी को लेकर कल्पना करती है वही कल्पना उसका बेटा भी करता है,,, तभी तो इस समय की मालिश करने के बहाने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया,,था,,,। यह ख्याल आते ही संध्या के होठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,,,,, वह बिस्तर पर बैठ गई थी और बाकी के दरवाजे की तरफ मुंह करके बैठी थी उसकी नंगी छातीया बवाल मचाने को तैयार थी,,,,, वो दरवाजा खुलने का इंतजार कर रही थी आज की रात वह अपने बेटे के ऊपर पूरी तरह से छा जाना चाहती थी अपनी जवानी का नशा अपने बेटे को चखा कर उसे अपने हुस्न का गुलाम बना लेना चाहती थी,,,। सोनु जैसे ही दरवाजा खोला संध्या पूरी तरह से तैयार बैठी थी वह एक बार फिर से अपनी छलकती जवानी के दर्शन अपने बेटे को कराना चाहती थी उसका मन तो अपना अंग का हर एक कोना अपने बेटे के सामने परोसने का मन कर रहा था,,, लेकिन थोड़ी हिचक उसमें अभी बाकी थी,,,। संध्या जानबूझकर अपने साड़ी के पदों को कंधे पर लेकर अपनी दोनों दशहरी आम को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी और जैसे ही दरवाजा खुला सोनू की नजर वैसे ही बिस्तर पर बैठी अपनी मां पर पड़ी,,, एक बार फिर से उसकी दोनों छलकती जवानी को देखकर उसके होश उड़ गए,,,,, उसे अंदाजा नहीं था कि बाथरूम से बाहर निकलते ही उसे इस तरह का लुभावना द्रशय देखने को मिलेगा,,,, लेकिन इस बार भी पल भर के लिए ही था,,,संध्या यह बात जानती थी कि उसका बेटा उसकी चूचियों पर नजर मार चुका है इसलिए अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही वह अपनी साड़ी के पल्लू को कंधे पर डाल कर पलंग पर से उठते हुए बोली,,,।


मुझे भी बड़े जोरों की लगी है रुक में आती हूं,,,,(इतना कहकर वह बिस्तर से खड़ी होगी और बाथरूम की तरफ कदम आगे बढ़ा दी उसकी नजर अपने बेटे के पजामे पर पड़ी तो,,, संध्या की दोनों टांगों के बीच कुलबुलाहट बढ़ने लगी,,,। झड़ जाने के बाद भी सोनू का लंड उसी तरह से खड़ा था,,,,संध्या को इस बात का अहसास तक नहीं है कि उसका बेटा उसकी मालिश करते करते झड़ गया है,,, वह अपनी चुचियों को साड़ी से ढककर बाथरूम में जाने लगी,,, लेकिन संध्या की सूचियों का आकार कुछ ज्यादा ही बड़ा था जिसकी वजह से सारी मैं छुपाने से भी नहीं छुप रहा था और सोनू को इन हालात में अपनी मां की चूचियां और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,, थोड़ी देर में संध्या बाथरूम में घुस गई और सोनू बिस्तर पर आकर बैठ गया लेकिन दरवाजा बंद होने का आवाज उसे बिल्कुल भी नहीं आया,,, संध्या ने दरवाजा बंद नहीं की थी ,,,, उसे वास्तव में जोरो की पेशाब लगी हुई थी,,, बाथरूम में जाते ही वह अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी उसकी नजर अपनी पेंटी पर पड़ी तो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी अपनी गीली पेंटिं को देखकर वो मुस्कुराने लगी,,, आज जरूरत से ज्यादा उसकी बुर ने पानी बहाया था,,, अपनी पेंटी को जांघों तक सर का कर ,, वह अपनी चिकनी बुर का जायजा लेने लगी,,, उत्तेजना के मारे उसकी बुर कचोरी की तरफ फूल गई थी जिसे देखकर उसकी आंखों में भी चमक आने लगी थी,,, वह नीचे बैठ गई और मुतने लगी,,,, उसकी बुर से कुछ ज्यादा ही प्रेशर से पेशाब बाहर निकल रही थी पर्स की गुलाबी पुर की गुलाब की पत्तियों के बीच में से सुमधुर सीटी की आवाज निकलना शुरू हो गई जो कि तुरंत सोनू के कानों तक पहुंच गई सोनू एकदम से मदहोश हो गया वह मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी मां पैशाब कर रही होगी,,,, इस समय का माहौल सोनू के लिए बिल्कुल भी बर्दाश्त के बाहर झड़ने के बावजूद भी उसके लंड की नसें अकड़ रही थी,,,, लगातार आ रही सीटी की आवाज से सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका है संध्या को भी इस बात का आभास था कि उसकी पुर से निकल रही तेज सीटी की आवाज उसके बेटे के कानों तक पहुंच रही होगी और वह ऐसा चाहती भी थी वह तुझे भी चाह रही थी कि उसका बेटा चोरी से उसे पेशाब करता हुआ देखे उसकी बड़ी बड़ी गांड को देखें और मस्त होकर उस की चुदाई करें लेकिन सोनू वहीं बैठा रहा,,,,

थोड़ी ही देर में संध्या पेशाब करके बाथरूम से बाहर आ गई,,,, वह अपने बेटे को देखकर मुस्कुरा रही थी,,, और जैसे ही पलंग पर बैठने के लिए वो थोड़ा नीचे जो कि उसका साड़ी का पल्लू कंधे पर सिर नीचे गिर गया और उसके दशहरी आम हवा में झुलने लगे,,,,,,, सोनू की आंखों के सामने उसकी मां की दोनों चूची हवा में लहरा रही थी पपैया की तरह उसका शेप हो चुका था,,, सोनू की तो हालत खराब हो गई संध्या जानबूझकर नहीं बल्कि अपने आप ही साड़ी कंधे से नीचे गिर जाने की वजह से और ज्यादा खुश नजर आ रही थी,,,, उसे लग रहा था कि जैसे पूरा वातावरण उस के पक्ष में हो,,,सोनू के ठीक आपके सामने उसकी मां की चूचियां पके हुए आम की तरह लटक रही थी,,, सोनू से बर्दाश्त नहीं हो रहा था यह अनजाने में हुआ था इसलिए सैलरी आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और सोनू अपनी मां की तरफ,,,, दोनों की नजरें आपस में टकराई दोनों के बीच आकर्षण का पुल बंधता चला जा रहा था,,,,,,,

सोनू के लिए यह पल बेहद कामुकता से भरा हुआ था माता-पिता से भरी उसकी मां की चूचियां उसकी आंखों के सामने किलकारी कर रही थी ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे संध्या की चूचियां इशारा करके उसे अपने पास बुला रही हो,,, उसकी दोनों चूचियां हवा में ऐसे झूल रही थी जैसे पेड़ से झूला बांध दिया गया हो,,,सोनू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की छोरियों को पकड़ना चाहता था उन्हें स्पर्श करना चाहता था वह कठोर है या नरम यह महसूस करना चाहता था,,,,, कुछ पल तक ऐसा ही चलता रहा संध्या अपने दोनों चुचियों को छुपाने की बिल्कुल की कोशिश नहीं कर रही थी,,, उसकी आंखों में अपनी बेटी के लिए आमंत्रण था,,,, जैसे कि वह अपने बेटे को अपनी चुचियों को पकड़ने का निर्देश दे रही हो आज्ञा दे रही हो,,, यह सब कुछ आंखों ही आंखों में हो रहा था,,,, संध्या की साड़ी का आंचल कंधे से सरक कर नीचे जमीन पर गिर चुकी थी,,,, सोनू कोई समय कुछ नजर नहीं आ रहा था शिवाय उसकी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो के और उसके खूबसूरत चेहरे के,,,,,,,

संध्या जानबूझकर कुछ पल तक इसी तरह से झुकी रही शायद उसे इस बात का अंदाजा था कि उसका बेटा अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी बड़ी बड़ी चूची को थामेगा पकड़ेगा मसलेगा,,,, और ऐसा ही हुआ सोनू अपनी मां की खूबसूरत चुचियों को देखकर अपने आपे से बाहर हो गया उत्तेजना उसके सर पर सवार हो गई और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर बेझिझक अपनी मां की चूचियों को थाम लिया,,,, और अपनी मां की आंखों में झांकने लगा,,, सोनू अपनी मां की चूचियों को बस अपनी हथेली में भरकर हल्के से तराजू की तरह उठाया ही था उसे दबा बिल्कुल भी नहीं रहा था मानो के जैसे इसे आगे कुछ करने के लिए अपनी मां की इजाजत चाहता हो उसकी मांअपनी बेटी की इस हरकत से पूरी तरह से खुश नजर आ रही थी उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी अभी अपने बेटे की आंखों में देखते हुए बोली,,,।


तू पूछ रहा था ना मैं क्या चाहती हूं,,,,,(सोनू कुछ कहता इससे पहले ही उत्तेजित अवस्था में मदहोश होते हुए,,, संध्या अपने चेहरे को नीचे की तरफ लाइव और तुरंत गुलाबी होठों को अपने बेटे के होठों पर रखकर चूसना शुरु कर दी,,,, सोनू को तो कुछ समझ में नहीं आया और संध्या अपने बेटे के होंठों को चुंबन करते हुए चूसते हुए उसे आगे बढ़ने की इजाजत दे दी लेकिन फिर भी सोनु उसी तरह से अपनी मां की चूचियों को थामें रह गया,,,,,, पल भर में ही सोनू की सांसे तेज चलने लगी संध्या मदहोश हो चुकी थी पागल हो चुकी थी उसे अपने बेटे में अपना प्रेमी नजर आया था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने बेटे को नहीं बल्कि अपने प्रेमी को पहली बार चुंबन कर रही हो,,,,,,कुछ देर में जब सोनू को भी समझ में आया तो वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की मदमस्त जवानी का रस और होंठों से चखते ही,,, वह भी अपनी मां का साथ देती है तेरी मां के गुलाबी होठों को मुंह में भर कर चुसना शुरू कर दिया इस तरह के चुंबन को वह आज तक मूवी में ही देखता आया था खास करके हॉलीवुड की इसलिए उसे थोड़ा बहुत ज्ञान था वह अपनी मां की चूची को थामे अपनी मां के होंठों को चूस रहा था,,,,, उत्तेजना पूरी तरह से दोनों मां-बेटे पर सवार हो चुकी थी,,,,सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और उसकी हथेली खाता था उसकी मां की चुचियों पर बढ़ता जा रहा था जैसे जैसे उसकी हथेलियां चूची पर कश्ती जा रही थी वैसे वैसे संध्या के तन बदन में आग लग रही थी और सोनू को भी अपनी मां की चुचियों को कस के दबाने में मजा आ रहा था,,, सोनू अपनी मां की निप्पल सहित चुचियों को अपनी हथेली में भर भर कर दबा रहा था उत्तेजना के मारे संध्या की निप्पल चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,

जब यह चुंबन की श्रंखला टूटी तो संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और वह अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी सोनू भी अपनी मां को देख कर मुस्कुरा रहा था संध्या गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।


तुमसे पूछ रहा था ना कि मैं क्या चाहती हूं मैं भी यही चाहती हूं जो बगीचे में झाड़ियों के अंदर वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे,,,,(संध्या एक झटके में गहरी सांस लेते हुए अपने मन की बात बोल गई और सोनू अपनी मां की यह बात सुनकर पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गया उसे अपनी खुशी समा नहीं रही थी,,,सोनू को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी बिल्कुल सच था सोनू तो इस बात के एहसास से ही पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था कि उसकी मां उससे चुदवाना चाहती है,,,। अपनी मां के पास सुनकर सोनू बोला,,,)


तुम सच कह रही हो मम्मी,,,?


बिल्कुल सच कह रही हूं,,,,,



लेकिन मुझे तो नहीं आता,,,,


क्या नहीं आता,,,,?(संध्या अपनी साड़ी को कमर से खोलते हुए बोली,,, सोना अपनी मां को साड़ी खोलता हुआ देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,)

ववव, वही जो झाड़ियों में वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे,,,



अरे मेरे बुद्धु आ जाएगा,,,,(संध्या मुस्कुराते हुए बोली सोनू को तो इस पल के लिए बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी जिंदगी में यह सब इतनी आसानी से हो जाएगा,,, देखते ही देखते संध्या अपनी साड़ी को उतार कर नीचे फर्श पर फेंक दी इस समय उसके बदन पर केवल पेटीकोट थी बाकी उसका पूरा बदन नंगा था ट्यूबलाइट की रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां चमक रही थी उसका पूरा बदन चमक रहा था उसकी गहरी नाभि मैं सोनू का मन डूब जाने को कर रहा था,,,। संध्या अपने बेटे की हालत पर मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अच्छी तरह से जानते थे कि उसका बेटा इस खेल में बिल्कुल नया खिलाड़ी है इसलिए उसके मन में अजीब अजीब से सवाल उठ रहे होंगे वह सभी सवालों का जवाब देते हुए संध्या बोली,,,)



अब तुझे मैं दुनिया की सबसे बेहतरीन और खूबसूरत चीज दिखाती हुं,,,,(इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर बैठ कर लेट गई व पीठ के बल लेट गई थी सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या दिखाने की बात कर रही है,,, तकिया को अपने सिर के नीचे लगा कर अपनी टांग को अच्छी तरह से फैलाते हुए बोली,,, सोनू बिस्तर के किनारे पलंग के नीचे पैर लटकाए बैठा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या होने वाला है,,,,अपनी मां की तरफ आश्चर्य से देख रहा था उसकी तनी हुई चुचियों को बड़े गौर से देख रहा था उसके पेट के बीच में गहरी नाभि को प्यासी नजरों से देख रहा था और कमर पर बंदी पेटिकोट की डोरीको बडी आस भरी नजरों से देख रहा था कि मानो जैसे पेटिकोट की डोरी खुद-ब-खुद खुल जाएगी अपने बेटे की आंखों में चमक देखकर उसकी उत्सुकता और भोलापन देखकर संध्या मन ही मन में खुश हो रही थी,,,, सुनो अपनी मां की तरफ देखकर आश्चर्य भरे स्वर में बोला,,,)

कौन सी बेशकीमती चीज दिखाना चाहती हो मम्मी,,,,

(अपने बेटे कैसे खोलें पन से भरे सवाल को सुनकर संध्या मुस्कुराते हुए बोली,,,)


सबर कर लेकिन इसके लिए तुझे खुद ही देखना होगा,,,,
(सोनू को अपनी मां की बात समझ में आ गई थी इसलिए उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ नजर आने लगे पल भर में सोनू का चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था लेकिन वह हीचकीची रहा था उसकी मां अपने बेटे की हीचकीचाहट को समझते हुए बड़े प्यार से बोली,,,,)


मेरी पेटीकोट की डोरी खोल,,,,

(अपनी मां की मादक स्वर को सुनते ही सोनू की नशे अकड़ने लगी उसे डर लगने लगा कि कहीं एक बार फिर से उसके लंड का पानी न छूट जाए क्योंकि यह बात कह कर तो उसकी मां ने अपनी बदन का पूरा खजाना उसके सामने परोस दी थी सोनू पलभर में ही कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा ने लगा अपने मन में बिना पेटीकोट की डोरी खोलें ही सोचने लगा कि पेटीकोट की डोरी खोलते समय उसे कैसा लगेगा जब उसकी मां की टांगों के बीच की पतली दरार कैसी नजर आएगी यह सब सोचकर वह पूरी तरह से दीवाना हुआ जा रहा था,,,, अपनी बेटी को इस तरह से आंखें फाड़े देखता हुआ पाकर संध्या बोली,,,)

क्या हुआ क्या सोच रहा है तेरा मन नहीं कर रहा है क्या,,,?


नहीं नहीं ऐसा नहीं है,,,(सोनू तपाक से बोला जैसे कि उसके हाथ से यह मौका वापस उसकी मां छीन ना ले,,,)


तो खोलना पेटीकोट की डोरी,,,।
(सोनू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था आज वह अपनी मां का एक नया रूप देख रहा था सोनू पैसे में लगी नहीं रहा था कि जैसे बिस्तर पर उसकी आंखों के सामने अर्धनग्न अवस्था में लेटी हुई औरत उसकी मां है उसे ऐसा लग रहा था कि कोई और औरत है क्योंकि उसके बोलने का तरीका भी बदल चुका था,,, लेकिन जो भी हो सोनू को तो इसमें मजा ही मजा आ रहा था वह अपनी मां की जवानी लूट लेने के लिए बिल्कुल तैयार था इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की पेटीकोट की डोरी खोलने लगा लेकिन पेटीकोट की डोरी खोलते समय उसके हाथों की उंगलियां कांप रही थी,,, जिसमें उत्तेजना और डर दोनों बराबर मिला हुआ था,,, संध्या को उसकी कॉपी में उंगलियां देखा कर हंसी छूट रही थी लेकिन बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी पर काबू किए हुए थी संध्या को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका बेटा कोई बम को डिफ्यूज करने के लिए अपने ऊंगलीयो को हरकत दे रहा हो और डर के मारे कांप रहा हो,,,,,,पेटिकोट की डोरी कैसे खोली जाती है यह भी सोनू को नहीं आता था लेकिन जिस तरह से मशक्कत करके उसने अपनी मां की ब्रा का हुक खोला था उसी तरह से अपनी मां की पेटीकोट की डोरी में भी उलझा हुआ था,, लेकिन जल्द ही उसने पेटिकोट की डोरी का एक सिरा पकड़कर उसे खींच दिया,,,,, जैसे ही पेटीकोट की डोरी खुली सोनू के दिल की धड़कन बढ़ गई और संध्या के भी तन बदन में कसमसाहट होने लगी,,,,,, संध्या के बदन मे उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,। नाभि के नीचे वाला हिस्सा उत्तेजना के मारे थरथरा रहा था,,,।

पेटिकोट की डोरी खोल कर सोनू प्रश्नार्थक मुद्रा में अपनी मां की तरफ देखने लगा मानो कि पूछ रहा हो कि अब क्या करना है,,,, लेकिन अपने बेटे की आंखों में संध्या को उसके मन का सवाल साफ झलक रहा था इसलिए वह खुद ही बोली,,,।


अब इसे उतार ,,,,

(सोनू के लिए यह पल बेहद अद्भुत और बेहद नाजुक था इस तरह के वाक्ये उसने आज तक नहीं गुजरा था,,, उसके लिए यह जिंदगी में पहला मौका था जब वह किसी औरत की किसी और औरत की नहीं बल्कि अपनी ही मां की पेटीकोट को उतारने जा रहा था,,,,,,अपनी मां की आज्ञा का पालन करते हुए अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर पेटीकोट के दोनों छोर को अपनी उंगली में उलझा कर नीचे की तरफ खींचने लगा यह पल सोनू के लिए उत्तेजना से भरा हुआ था यह पल किसी भी मर्द के लिए बेहद अनमोल और उन्मादक होता ही है,,,जिंदगी में पहली बार कोई मर्द जब किसी औरत के कपड़े उतारता है कि उसके तन बदन में जो हलचल मची हुई होती है उसका बयान कर पाना शायद नामुमकिन है,,, वही हाल सोनु का भी थाक्योंकि सोनू जानता था कि पेटीकोट उतारने के बाद उसे उसकी मां की दोनों टांगों के बीच का अनमोल खजाना नजर आने लगेगा जिसके बारे में वह सिर्फ कल्पना किया करता था,,,,, संध्या के भी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी जिंदगी में उसके कपड़े सिर्फ उसके पति नहीं उतारे थे और आज दूसरी बार उसके बेटे के हाथों यह शुभ काम होने वाला था जिसमें संध्या को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,सोनू पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचने लगा लेकिन संध्या की भारी-भरकम गांड के भार के नीचे पेटीकोट नीचे की तरफ सरक नहीं पा रही थी,,,संध्या भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी भरकम कलाकार गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दी,,, अपनी मां सहकार और उसकी हरकत को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,, किसी भी औरत का इस तरह से सहकर देना इस बात को साबित करता है कि वह पूरी तरह से उस मर्द को समर्पित हो चुकी है,,,,,,
उत्तेजना के मारे सुख के गले को अपने थूक से गीला करते हुए सोनू अपनी मां की पेटीकोट को तुरंत नीचे की तरफ खींचने लगा उसे लगा था कि पेटिकोट के नीचे आते ही,, उसे उसकी मां की बुर का संपूर्ण भूगोल अपनी आंखों से नजर आने लगेगा,,, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था पेटिकोट के अंदर उसके बारे में पेंटी पहनी हुई थी,,,, पेटिकोट के नीचे पेंटी को देखकर ,,, सोनू को निराशा नहीं बल्कि और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होने लगा,,, क्योंकि उसके मां के खूबसूरत गोरे बदन पर लाल रंग की पैंटी और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,, और इस बात की खुशी और भी थी कि उसे अपनी मां की पेटीकोट के साथ-साथ उसकी पैंटी भी उतारनी पड़ेगी,,,,

Sonu apni mummy k sath


Sonu apni mummy k blouse ka button kholte huye


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संध्या अपनी गांड ऊपर करके पेटिकोट उतारने अपने बेटे की बहुत ही अच्छी तरीके से मदद की थी,,,,सोनू जल्दबाजी दिखाते हुए अपनी मां की पेटीकोट को उतार कर बिस्तर पर रख दिया था अब वह उसकी आंखों के सामने केवल पेंटी में थी और पेंटिं में संध्या बहुत ही खूबसूरत लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे बिस्तर पर खुद कामदेवी लेटी हो,, अब आगे क्या करना है सोनू ने अपनी मां से बिल्कुल भी नहीं पूछा और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पेंटिं के दोनों छोर पर अपने हाथ रखकर पेंटी उतारने लगा,,,, पेंटी पर हाथ लगते ही संध्या कसमसाने लगी उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,पेंटी के आगे वाला भाग पूरी तरह से गिला हो चुका था जो कि संध्या की बुर से निकला मदन रास्ता और वह सोनू को बड़े अच्छे से नजर आ रहा था,,,

धड़कते दिल के साथ सोने अपनी मां की पेंटिंग करने लगा और जिस तरह से पेटीकोट उतारने में उसकी मां ने उसकी सहायता की थी उसी तरह से इस बार भी वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी और सोनू तुरंत अपनी मां की पेंटिं को घुटनो खींच लिया,,,,उसके बाद तो सोनू भूल ही गया क्या उसे क्या करना है क्योंकि उसकी आंखों के सामने दुनिया की सबसे बेशकीमती और सबसे खूबसूरत चीज थी उसकी आंखों के सामने का नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से अपनी मां की बुर के दर्शन करेगा,,,,सोनू को साफ नजर आ रहा था कि उसकी मां की सुर्खी गुलाबी पत्तियों के बीच से बदल रस की बूंदें टपक रही थी जो कि किसी बेशकीमती मोती की तरह लग रही थी सोनू पहली बार बुर को इतने करीब से देख रहा था,,,। इसलिए उसकी आंखें चौंधिया गई थी,,,, पल भर में सांसों की गति कम तेज हो गई थी और होती भी क्यों नहीं संघ के बारे में वह कल्पना करके रात दिन अपना हाथ से हिलाया करता था आज उसे अपनी आंखों के सामने देख रहा था उसके भूगोल से परिचित हो रहा था संध्या पूरी तरह से उत्तेजित थी वह बड़ेगौर से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और जिस तरह से उसका बेटा आंखें उसकी बुर को देख रहा था संध्या शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, संध्या कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा क्या वह अपने बेटे को अपनी बुर दिखाएगी,,,, जिस अंग को वह दुनिया से छुपाए रखी थी ढंककर रखती थी,, साड़ी के नीचे पेटीकोट के अंदर और पेंटी के पीछे लेकिन आज सब कुछ उजागर हो गया था,,,,संध्या की सांसो की गति पर तेजी से चल रही थी और सांसो के साथ-साथ उसके पानी भरे गुब्बारों की तरह दोनों चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी सोनू के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,,, सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका सारा ध्यान संध्या की दोनों टांगों के बीच स्थिर हो चुकी थी,,,, संध्या की बुर भी बेहद अद्भुत थी,, दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी और उम्र के इस दौरान भी उसकी बुर क्या थी एक पतली दरार थी,,,, जो कि तवे पर रखी हुई गरम रोटी की तरह फूल गई थी,,,, उसमें से मदन रस ऐसे बह रहा था मानो रसमलाई से रस टपक रहा हो,,,,।

अपने बेटे की हालात का संध्या को दया आ रही थीउसे समझते देर नहीं लगी कितना हैंडसम और खूबसूरत होने के बावजूद भी उसका बेटा पहली बार किसी औरत की बुर को देख रहा है वरना अब तक वह अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई भी कर दिया होता,,,


ऐसे क्या देख रहा है कभी देखा नहीं है क्या,,,?


नहीं आज से पहले मैंने कभी नहीं देखा,,,,


कमरे में तेरी आंखों के सामने मेरी टावल नीचे गिर गई थी तब भी नहीं देखा था,,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं सच कहूं तो तुम इतनी खूबसूरत हो कि तुम्हारे बदन का कौन सा अंग देखना है यह मुझे पता ही नहीं चला,,,
(संध्या को अपने बेटे की मासूमियत पर हंसी भी आ रही थी और दया भी आ रहा था,,,)


चल कोई बात नहीं आज तो देख लिया ना,,, कैसा लग रहा है तुझे,,?(संध्या खुद अपने ऊपर हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह का सवाल मां अपने बेटे से कैसे पूछ सकती है और किस तरह के सवाल पूछने की हिम्मत उसमें कैसे आ गई यह कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जो कुछ भी वह पूछ रही थी उससे उसके तन बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी,,,)


बहुत खूबसूरत मैंने आज तक ऐसा नजारा कभी नहीं देखा,,,,,, क्या मम्मी मैं इसे छु सकता हूं,,,,,(सोनू एकदम से भोलेपन में यह सवाल पूछा तो संध्या मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)


अरे बुद्धू तो जो भी सकता है और बहुत कुछ कर भी सकता है आज से यह तेरी है,,,


सच मम्मी,,,,(इतना कहने के साथ ही सुनो अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर कांपती उंगलियों को अपनी मां की बुर के उपर रख दिया,,,,, और जैसे ही संध्या को अपनी बुर के ऊपर अपने बेटे की उंगली का स्पर्श हुआ तो उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सससहहहहहह,,,,,,,
(और अपनी मां के मुंह से निकली हुई है आवाज सुनकर सोनू एकदम से मदहोश हो गया और वह अपनी पूरी हथेली अपनी मां की बुर के ऊपर रखकर उस छोटी-सी लकीर को ढक दिया,,,, बुर एकदम गरम थी सोनू कक्कड़ के लिए लगाकर कैसे हो अपनी हथेली को अपनी मां की बुर के ऊपर नहीं बल्कि तपते हुए तवे पर रख दिया हो,,, सोनू को मजा आ रहा है एक अद्भुत सुख से पूरी तरह से भीगने लगा था सोनू अपनी हथेली को अपनी मां की ओर के ऊपर आगे पीछे करते हुए हौले हौले से रगड़ने और जैसे-जैसे वहअपनी मां की बुर को रगड़ रहा था वैसे वैसे संध्या की हालत खराब होती जा रही थी,,,।)

बहुत गर्म है मम्मी,,,,

यह इसी तरह से रहती है एकदम गर्म,,, तुझे अच्छा नहीं लग रहा है क्या,,,,


बहुत अच्छा लग रहा है,,,,,


तो मेरी पैंटी तो पूरी उतार दे घुटनों में फंसा कर रखा है,,,


(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि उसने अपनी मां की बुर देखने में पेंटिं उतारना भूल ही गया थाऔर अगले ही पल वहां अपनी मां की पेंटि को पूरी तरह से उसकी मन की चिकनी कमर से बाहर निकाल कर बिस्तर पर रख दिया अब उसकी आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी,,,, बहुत ही खूबसूरत ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके बदन के हर एक अंग के कटाव को उभार को भगवान ने अपने हाथों से बनाया हो,,,, बिस्तर पर लेटी हूं संध्या किसी चित्रकार की चित्रकारी का बेहद अद्भुत उम्दा चित्र लग रही थी,,,, किसी मूर्तिकार के हाथों से बनाया हुआ शिल्प लग रही थी,,,, संध्या अपने आप में बेजोड़ थी बहुत ही खूबसूरत कामुकता से भरी हुई गठीला बदन की मालकीन गदराए जिस्म की मालकिन,,,, जिसे देखकर ही,, आह निकल जाए,,,,।



रात के 12:00 बज रहे थे और संध्या अपने बेटे के साथ अपने ही कमरे में अपने बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी और उसका बेटा बिस्तर पर बैठा हुआ था जो कि उसकी बेशकीमती रसीली बुर को अपनी आंखों से देख कर उसके मदन रस को अपनी आंखों से ही पी रहा था,,, सोनू की हथेलीअभी भी उसकी मां की बुर पर थी जिसमें से निकल रहा मदन रस उसकी हथेली को भीगो रहा था,,,,,,,

संध्या की हालत खराब हो रही थी सोनू काफी देर से उसकी बुर पर हथेली रखकर उसे हल्के हल्के रगड़ रहा था जिससे संध्या मदहोश होने जा रही थी उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी उसके बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, संध्या का मन अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए कर रहा था लेकिन इतनी जल्दबाजी दिखाना ठीक नहीं था,,,, इसलिए गहरी सांस लेते हुए अपने बेटे से बोली,,,।



सोनू क्या तू चाहता है कि हम दोनों भी वही करें जो झाड़ियों में वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे जो मेडिकल पर वह लड़का कंडोम खरीद रहा था अपनी मां को चोदने के लिए,,,
(अपनी मां का इस तरह का सवाल सुनते ही सोनू की हालत एकदम से खराब हो गई क्योंकि सीधे-सीधे उसकी मां उसे चोदने के लिए आमंत्रित कर रही थी सोनू भला कब इनकार करता उसे तो इसी दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार था वह तो चाहता था अपनी मां को चोदना लेकिन इस तरह से इतना आसान होगावह कभी सपने में भी नहीं सोचा था इसलिए अपनी मां का इस तरह का आमंत्रण सुनते ही बोला,,,)


क्या ऐसा हो सकता है मम्मी,,,,?(यह सवाल पूछते हुए सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,)

क्यों नहीं हो सकता हो सकता है तु अपनी आंखों से देखा था ना एक बेटा कैसे अपनी मां की चुदाई करता है और एक बेटा कैसे कंडोम खरीदा था अपनी मां को चोदने के लिए तो ऐसा हो सकता है,,,,

लेकिन किसी को पता चल गया तो ,,,,,,

कैसे पता चलेगा,,,,


अगर पापा को पता चलेगा तो,,,,



किसी को कान्हा कान्हा पता तक नहीं चलेगा और मैं जानती हूं कि तू इतना बड़ा बेवकूफ तो है नहीं हम दोनों के बीच की बात किसी और को बताएगा,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनु ना में सिर हिलाया,,,)


तो बस फिर क्या जवानी का मजा ले देख कितना मजा आता है,,,,और हां इस खेल में कूदने से पहले अपने कपड़े तो उतार ले मेरा तो सब कुछ देख लिया मुझे भी तो दिखा कि तेरे पास कैसा हथियार है,,,,

(अपनी मां की बात सुनकर सोनू एकदम से शर्मा गया क्योंकि अपनी मां की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारने में झिझक महसूस कर रहा था,,, अपनी मां की बात सुनकर उसे अच्छा लग रहा था क्योंकि उसकी मां उसके लंड को देखना चाहती थी,,,। सोनू कुछ देर तक उसी तरह बैठा रहा तो संध्या बोली,,,)

क्या हुआ शर्मा क्यों रहा है,,, अगर इसी तरह से शर्माएगा तो मेरे साथ आगे कैसे बढ़ेगा,,, अच्छा रूक में ही कुछ करती हुं,,,, तो बिस्तर पर अच्छे से घुटनों के बल खड़े हो जा,,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही उसकी बात मानते हुए सोनू बिस्तर पर अच्छी तरह से बैठ गया और घुटनों के ऊपर खड़े हो गया लेकिन इस समय के पजामे में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था और संध्या की नजर उस के तंबू पर पड़ते ही उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,,,आश्चर्य से अपने मुंह पर हाथ रखते हुए संध्या बोली,,,)

बाप रे पजामे के ऊपर से ही इतना खतरनाक लग रहा है,,,,, अब तो मेरी उत्सुकता और बढ़ गई है तेरे लंड को देखने के लिए,,,(संध्या एकदम खुले शब्दों में बोल रही थी और अपनी मां के मुंह से एक लंड शब्द सुनते ही उत्तेजना के मारे सोनू एकदम से गनगना गया,, संध्या बिस्तर पर बैठकर घुटनों के बल हो गई थी और एक कदम आगे बढ़ा कर अपने बेटे के बेहद करीब पहुंच गई थी उसकी नजर अपने बेटे के पजामे में बने तंबू पर था उसकी अनुभवी आंखों ने पजामे के ऊपर से ही अंदाजा लगा लिया था कि पजामे के अंदर धमाल मचा देने वाला खतरनाक औजार है,,, संध्या का मन ललचा उठा,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड का दीदार कर लेना चाहती थी,,,। सोनू के पजामे में बने तंबू को देखकर ही संध्या की हालत खराब होने लगी,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के को देखने के लिए तड़पने लगी,,,इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर वह अपने बेटे के पजामे पर रखकर उसे एक झटके में नीचे घुटनों तो खींच दी,,, ओर पजामा के नीचे आते ही सोनू का बम पिलाट लंड हवा में लहराने लगा,,, संध्या की आंखें फटी की फटी रह गई,,, संध्या को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वाकई में उसके बेटे का लंड बेहद जानदार था एकदम तगड़ा मोटा लंबा,,, और उसका सुपाड़ा आलू बुखारे की तरह था,,, संध्या के दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के अंदर जल्द से जल्द महसूस करना चाहती थी,,, वह प्यासी नजरों से अपने बेटे के लंड को देख रही थी और सोनू अपनी मां को इस तरह से देखता हुआ पाकर अपने अंदर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,, अपनी मां के मन में क्या चल रहा है यह जानने के लिए सोनू बोला,,,)


क्या हुआ मम्मी ऐसे क्यों देख रही हो,,,?


बाप रे इतना बड़ा मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,, तेरे पापा से भी तगड़ा है,,,(अपनी मां के मुंह से यह बात सुनते ही अपने लंड की तुलना अपने बाप से होता हुआ देखकर सोनू का दिल जोरो से धड़कने लगा और उत्तेजना के मारे उसका लंड ऊपर नीचे होने लगा,,, मानो कि जैसे गहरी सांस ले रहा हो,,,)

क्या सच में,,,,


हारे में बिल्कुल सही कह रही हुं,,,, मेरा तो मन इसको पकड़ने को कर रहा है,,,(और इतना कहने के साथ ही संध्या अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लंड को अपनी मुट्ठी में भर ली,,,, अपने लंड को अपनी मां के हाथ में देखते ही सोनू एकदम से धधक उठा उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सहहहहहह,,,,,,, बाप रे,,,,
(संध्या को अब कुछ सूझ नहीं रहा था वह अपने बेटे के लंड से जी भर कर प्यार करना चाहती थी,,, उसे ऊपर नीचे करके हिलाने लगी हिलाते समय उसका लंड और ज्यादा जानदार लग रहा था,,,, संध्या अपने बेटे के लंड को आगे पीछे करके मुठिया रही थी,,,,मोटे तगड़े अपने बेटे के लंड को देखकर संध्या की आंखों में चमक जाग उठी थी,,, सोनू का लंड अपनी मां के हाथों में आते ही और ज्यादा कड़क हो गया,,,, सोनू अपने मन में ही सोच रहा था कि अगरउसकी मां उसके लंड को मुंह में लेकर चूसती तो और मजा आता,,,और जैसे कि उसके मन की बात उसकी मां ने सुन ली हो इस तरह से अपनी होंठों को अपने बेटे के लंड की तरफ आगे बढ़ाने लगी,,,जैसे-जैसे संध्या आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे सोनु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, सोनू का बदन उत्तेजना के मारे कसमसा रहा था,,,,,
और देखते ही देखते सोनू को बिना समय दिया संध्या अपनी गुलाबी होठों को खोलकर अपने बेटे की लंड को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,, सोनू पर उसकी मां की तरफ से यह जबरदस्त शारीरिक हमला था जिसके लिए सोनू बिल्कुल भी तैयार नहीं था वह पूरी तरह से ध्वस्त हो गया उसकी सांस अटक गई,,,उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि उसकी मां एक झटके से उसके लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरु कर देगी,,, क्योंकि आखिरकार वह कोई गैर औरत नहीं बल्कि उसकी मां थी,,,,,, सोनू अपने पिता को संभाल नहीं सका और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फोटो पड़ी,,,,।

सहहहहहह,,,आहहहहहहहह,,,,
(अपने बेटे के मुख से सिसकारी की आवाज सुनते ही संध्या ऊपर नजर करके अपने बेटे की तरफ देखने लगी जो की पूरी तरह से मस्त हो चुका था संध्या अब रुकने वाली बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके हाथों में उसका पसंदीदा खिलौना जो मिल गया था,,,। संध्या को इस बात का एहसास हो गया कि उसके बेटे के लंड का सुपाड़ा उसके पति के लंड का सुपाड़ा उसके पति से काफी बड़ा है,,,,अपने बेटे के लंड को चुसते चुसते संध्या के मन में यह ख्याल भी आ रहा था कि इतना मोटा सुपाड़ा उसकी बुर के छेद में घुस पाएगा कि नहीं,,,, वो बाद की बात थी,,, इस समय संध्या को बहुत मजा आ रहा था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसे अपने बेटे का लंड चूसना पड़ेगा,,,,,,,,

धीरे-धीरे करते हुए संध्या अपने बेटे के लंड को अपने गले तक उतार ले गई गले तक पहुंचते ही संध्या की बुर कलबुलाबुलाने लगी,,,,अपने मन में यही सोच रही थी कि जब गले तक उसका बेटे का नाम क्या मजा दे रहा है तो उसकी बुर की गहराइयों करेगा तो उसे कितना मजा देगा,,,,

और सोनू कभी सपने में भी नहीं सोचा कि उसे अपनी मां का यह रूप देखने को मिलेगा वह चाहे कैसी भी थी लेकिन बिस्तर पर इस तरह से खुली औरत होगी इस बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा था,,, लेकिन सब कुछ भूल कर सोनू लंड चुसाई का मजा ले रहा था,,,।

Sandhya apne bete k lund ko make lekar chusti huyi

आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था दोनों मां बेटे आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे,,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह अपनी टी-शर्ट को अपने हाथों से निकाल कर बिस्तर पर फेंक दिया था,,,, क्योंकि वह जानता था भले ही इस खेल में गया था लेकिन फिर भी इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि बिस्तर में औरत के साथ नंगे होकर ही मजा आता है,,,,सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी थी शर्म का पर्दा हट नहीं लगा था वैसे भी अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर संध्या खुद आगे से मर्यादा और रिश्ते नाते की दीवार को गिरा चुकी थी,,,सोनू को बिल्कुल भी हर्ज नहीं था उस दीवार को लांघ कर आगे बढ़ जाने में,,,,,,, इसलिए अपनी तरफ से खुले पन का एहसास दिलाते हुए मदहोशी के आलम में वह अपनी कमर आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया था,,,।चुदाई का बिल्कुल अनुभव और ज्ञान नहीं था लेकिन फिर भी वह जानता था कि चोदने के लिए कमर को आगे पीछे करना पड़ता है और ऐसा करने में सोनू को अद्भुत सुख का अनुभव हो रहा था,,, संध्या मदहोश हुए जा रहे थे उत्तेजित हुए जा रही थी,, उत्तेजित अवस्था में वह अपनी दोनों हथेलियों को अपने बेटे की गांड पर रखकर उसे जोर जोर से दबा रही थी सोनू को भी अपनी मां की हरकत बेहद लुभावनी लग रही थी,,,, कुछ देर तक अपने बेटे का लंडड चुसती रही,,,लेकिन अब वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थी क्योंकि उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी इसलिए वह,,,, अपने बेटे के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल दी,,, उसकी सांस अटक रही थी तो कुछ देर तक अपनी सांसो को दुरुस्त करती रही अपने मन में ही सोचती रही किउसके पति से ज्यादा मजा उसके बेटे के लंड को चूसने में आ रहा था,,,,,,,

घुटनों में फंसे पजामे कोसंध्या अपने हाथों से नीचे करके उसके पैरों में से निकाल दी अब बिस्तर पर दोनों मां-बेटे एकदम नंगे थे ट्यूबलाइट की रोशनी में दोनों के बदन चमक रहे थे अपने बेटे के गठीले मजबूत शरीर को देखकर खास करके उसके मुसल जैसे लंड को देख कर संध्या के मुंह में पानी आ रहा था,,,, सोनू के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था वह सिर्फ अपनी मां के आदेश का पालन करना चाहता था और वह जानता था कि इसी में उसकी भलाई है,,,।


बाप रे तेरा लंड तो बहुत ताकतवर है,,,, आगे चलकर ना जाने कैसा गुल खिलाएगा,,,,


तुम्हें मजा आया मम्मी,,,,


पूछना कितना मजा आया कि मैं बता नहीं सकती जिंदगी में मुझे ऐसा मजा कभी नहीं मिला,,,,


अब क्या करना है,,,,।


करना क्या है तेरी मेरी मलाई चाटनी,,, जो कि तेरे लंड की वजह से कुछ ज्यादा ही निकल रही है,,,, मलाई चाटने का मतलब जानता है ना,,,,
(मलाई चाटने के मतलब को सोनू समझ नहीं पाया,, इसलिए ना में सिर हिला दिया उसके भोलेपन को देखकर उसकी मां मुस्कुराने लगी मुस्कुराते हुए बोली,,,)


अरे बुद्धू मलाई चाटने का मतलब होता है बुर चाटना,,,
(अपनी मां के मुंह से निकले शब्द सुनकर सोने की निरंतर बढ़ती ही जा रही थी क्योंकि आज तक उसने अपनी मां के मुंह से इस तरह के गंदे शब्द कभी नहीं सुना था और ना तो किसी को जोर से बोलते हुए सुना था,,, इसलिए सोनू के लिए यह सब बिल्कुल नया और अद्भुत था,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

चाटेगा ना मेरी बुर को,,,
(आप औरत के द्वारा इस प्रस्ताव को कोई बेवकूफ ही होगा जो ईंकार कर पाएगा,,, लेकिन सोनू ना हा बोला था और ना ,,,,लेकिन संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे पसंदीदा चीज क्या होती है इसलिए वो जानती थी उसका बेटा कभी इंकार नहीं कर पाएगा,,,इसलिए वह अपने बेटे का जवाब मिले बिना ही बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई अपनी दोनों टांगों को फैला दी और अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे जोर जोर से मसल कर अपने बेटे को दूसरे हाथ की उंगली से इशारा करके अपने पास बुलाने लगी,,, संध्या की यह हरकत बेहद कामुक और अपने आप में बेहद मादकता से भरी हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पोर्न मूवी चल रही है और उसकी मां कोई पोर्न एक्ट्रेस हो,,,,सोनू अपनी मां की माता पिता भरी हरकत से अपने आप को रोक नहीं पाया और घुटनों के बल चलता हुआ उसकी दोनों टांगों के बीच पहुंच गया,,,
सोनू के लिए यह पहला मौका था जब वो किसी औरत की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना रहा था और वह भी खुद की अपनी मां के टांगों के बीच ,,,,यह पल उसके लिए बेहद यादगार साबित होने वाला था उसने कभी नजर भर कर किसी औरत की बुर नहीं देखा था ना उसे छुआ था ना मसला था ना उससे मिलने वाले सुख को कभी महसूस किया था लेकिन आज का दिन आज का ही है पर आज की रात उसके लिए बेहद अतुल्य थी,,,, अपनी मां की पनियाई बुर को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,, उससे रहा नहीं जा रहा था और उसकी मां आज भरी नजरों से अपने बेटे को ही देख रही थी,,,, संध्या की कचोरी की तरह फुली हुई बुर बहुत ही खूबसूरत लग रही थी,,, बाल का एक रेशा तक नहीं था एकदम चिकनी बुर थी संध्या की,,, और सोनू ईस बात अच्छी तरह से जानता था कि आज ही उसकी मां ने वीट क्रीम लगाकर अपनी बुर को साफ की है,,,।

सोनू पूरी तरह से तैयार था एक नई दुनिया में कदम रखने के लिए,,,, वह अपने हौसलों को बुलंद कर रहा था क्योंकि यही एक पल थी जब वह अपनी मां पर पूरी तरह से छा जाना चाहता था,,, इसलिए सोनू अपने प्यासे होठों को अपनी मां की दहहती हुई बुर के करीब ले जाने लगा,,, संध्या का बदन कसमसाने लगा,,,, एक अद्भुत पल को वह जीने जा रही थी, एक नए,, एहसास की उत्सुकता उसके तन बदन में बढ़ती जा रही थी,,,

आखिर कार वह पल आ गया जब सोनू के प्यासे होंठ संध्या की बुर पर स्पर्श हो गए,,,, सोनू पागल हो गया पूरी तरह से मदहोश हो गया उसके होंठ उसकी मां की बुर के बीचोबीच थे,,,, बुर चाटना सोनू को बिल्कुल भी नहीं आता था वह अपनी मां की बुर पर अपने होठों को रगड़ना शुरु कर दिया लेकिन इतने से भी सोनू की उत्तेजना में बढ़ोत्तरी हो रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,


जीभ निकालकर बेटा,,,,,(संध्या मदहोश होते हुए बोली और सोनू अपनी जी बाहर निकाल कर अपनी मां की बुर की पतली दरार में डाल कर चाटना शुरू कर दिया,,, पहले तो सोनू को अपनी मां की बुर के मदन रस का स्वाद थोड़ा कसैला लगा लेकिन धीरे-धीरे वह कैसे रासवाल मीठे फल में बदलता चला गया खारे पन में बदलता चला रह रह कर बुर से निकलने वाले मदन रस का स्वाद बदलता जा रहा था,,,,,,सोनू की हालत खराब होने लगी थी अब सोनु को सिखाने की जरूरत नहीं थी सोनू अच्छी तरह से समझ गया था कि अबक्या करना है,,,क्योंकि मोबाइल में पोर्न मूवी में वह सब कुछ देख चुका था बस उससे अवगत नहीं था,,,,
सोनू मारे उत्तेजना के तड़प रहा था और वह अपनी तड़प अपनी मां की बुर पर निकाल रहा थादेखते ही देखते सोनू जितना हो सकता था उसने अपनी जीभ को अपनी मां की बुर की गहराई में डालकर उसे चाट कर मजा ले रहा था,,, संध्या की हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी बार-बार उसकी बुर पानी छोड़ रही थी उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इतने अच्छे से उसकी बुर की चटाई करेगा,,,,


सहहहहह आहहहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,,सोनू मेरे बेटे,,,,,, बस ऐसे ही,,,,,,, ऐसे ही,,,,, जोर जोर से चाट,,,,,,,,बहुत मजा आ रहा है बेटा,,,,,,सीईईईईईईईई,,,,,
आहहहहह,,,,,
(सोनु अपनी मां की बातेऔर उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था उसे उम्मीद नहीं थी कि वह अपनी मां को इस तरह से खुश कर पाएगा लेकिन उसकी गरम सिसकारी को सुनकर सोनू को विश्वास हो गया कि जो कुछ भी वो कर रहा है वह बिल्कुल सही है,,, इसलिए वह और मस्ती के साथ अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, बेहद मादकता से भरा हुआ,,, यह नजारा था मां अपने कमरे में अपने बिस्तर पर नंगी होकर अपनी दोनों टांगें फैलाकर अपने बेटे को अपनी बुर चटवां रही थी,,,, सोनू से रहा नहीं जा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की बुर के भूगोल से वाकिफ हो चुका हो,,,, इसलिए वह जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर चोदना चाहता था,,,, अपने बेटे की मस्ती भरी बुर चटाई की वजह से संध्या दो बार झड़ चुकी थी,,,,,अब वह भी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए मचल रही थी तड़प रही थी,,,,इसलिए वह मद भरी गहरी गहरी सांसे लेते हुए बोली,,,,,।


आहहहहहह,,,,, सोनू मेरे बेटे मेरी बुर में खुजली मची हुई है,,,, बिल्कुल भी देर मत कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,, में तेरे लंड को अपनी बुर में लेना चाहती हुं,,,,ओहहहहह,,,सोनु,,,,,,,(ऐसा कहते हुए संध्या अपने बेटे के बालों में उंगली घुमाने लगी सोनू को और क्या चाहिए था वह अपनी मां के मुंह से यही सुनना चाहता था,,,, अपने होठों पर अपनी मां की बुर से हटाते हुए वह घुटनों के बल खड़ा हो गया,,,, संध्या की नजर अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड पर पड़ी जो की छत की तरह मुंह उठाए खड़ा था तो उसे देखते ही संध्या के मुंह से आह निकल गई,,,,,)


अब तुझे मालूम है ना क्या करना है,,,,

(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू हां में सिर हिला दिया और संध्या हंसते हुए बोली)

यह तो पता ही होगा,,,,, बस अब शुरू हो जा मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,,
(अपनी मां की तडप देखकर सोनू की भी तड़प बढ़ रही थीं,,, वह भी जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाल देना चाहता था,,, इसलिए वह घुटनों के बल दो कदम और चलकर अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया,,,, अपने बेटे को अपने करीब आता देखकर संध्या अपनी दोनों टांगों को और ज्यादा फैला दी,,,,, सोनू की नजर अपनी मां की बुर से बिल्कुल भी नहीं हट रही थी,,,, वह एक हाथ से अपने लंड को हिला रहा था,,, उत्तेजना के मारे संध्या का गला सूख रहा था सोनू अपनी मां के बेहद करीब पहुंच कर और अपने दोनों हाथ को अपनी मां की गांड के नीचे की तरफ लाकर उसे हल्के से अपनी तरफ खींचा,,, अब लंड और बुर दोनों आमने सामने थी तकरीबन दो अंगुल की दूरी थी दोनों के बीच सोनू ने अपने लैंड को हाथ से पकड़ कर अपनी मां की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखते हुए वह दूरी भी मिटा दिया,,,,,, लेकिन सोनू के अपनी मां की बुलंद रखते ही संध्या की हालत एकदम से खराब हो गईपल भर गई संध्या को पुरानी यादें ताजा हो गई जब वह पहली बार शादी करके अपने ससुराल आई थी और संजय ने पहली बार अपने लंड को उसकी बुर के ऊपर रखा था ठीक उसी तरह का अनुभव वह इस समय महसूस कर रही थी,,, संध्या का मन एकदम से मचल उठा,,,,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी उसका बदन एकदम से कसमसाने लगा,,,,
सोनू का धैर्य जवाब दे रहा था,,,सोनू अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी मां की बुर की पतली दरार के बीचों बीच रखकर ऊपर नीचे करके अपने सुपाड़े को उसकी बुर पर रगड़ रहा था इससे संध्या की हालत और ज्यादा खराब हो जा रही थी उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी पूछ रही थी और उत्तेजना के मारे वह अपना सर दाएं बाएं पटक रही थीऔर खुद भी कोशिश कर रही थी कि वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले ले इसलिए वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ हल्के हल्के हिलाते हुए उछाल रही थी,,,,

अपनी मां की तरफ देख कर सोनू को उसकी ऊतेजना का एहसास हो रहा था,,,, सोनू से भी रहा नहीं जा रहा था,,,अपनी मां के गुलाबी छेद का अंदाजा उसे अच्छी तरह से हो गया था इसलिए वह अपने सुपाड़े को उस गुलाबी छेद पर टिका कर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेला तो उसका लंड का सुपाड़ा धीरे से उसकी मां की बुर के अंदर सरकने लगा,,,,, इस पर सोनू को अपनी खुशी का ठिकाना ना था,,, वह अपनी कमर को और आगे की तरफ ठेलने लगा,,,,सोनू कैलेंडर का सुपाड़ा काफी मोटा था लेकिन फिर भी उसकी मां की अनुभवी बुर उसे अंदर लेने में सक्षम थी इसलिए अपने बेटे के लंड को अंदर की तरफ सरकता हुआ महसूस करके वह भी अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रही थी काफी उत्तेजित भी,,,,,। वह अपने बेटे का हौसला बढ़ाते हुए बोली,,,,।

आहहहहह,,,, आहहहहह,,,, बस ऐसे ही बेटा अंदर आने दे और जोर लगा बहुत मजा आ रहा है देखना थोड़ी देर में तेरा लंड मेरी बुर के अंदर होगा और तु मुझे चोद रहा होगा,,,


फिर क्या था अपनी मां की बात सुनकर सोनू का जोश बढ़ने लगा और वह अपनी मां की कमर थाम कर अपने लंड को और तेजी से अंदर की तरफ ठेलने लगा,, देखते ही देखते बुर की चिकनाहट पाकर सोनू का लंड पूरी तरह से संध्या की बुर में समा गया,,,,, सोनू को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसका लंड उसकी मां की बुर की गहराई में पूरा का पूरा घुसश गया है,,,,वह बड़े गौर से अपनी मां की बुर देख रहा था और बुर में घुसा हुआ उसका लंड को देख रहा था उसकी सासे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,सोनू अपनी मां की तरफ देखा तो वह भी उसी को देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों के होंठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,, सोनू समझ गया था कि उसे क्या करना है,,,, वह कमर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया था,,,और बड़े गौर से अपनी मां की बुर देख रहा था जिसमें उसका लंड अंदर बाहर हो रहा था,,,, सोनू को यह देख कर बहुत मजा आ रहा था,,, और संध्या को अपने बेटे के लंड बुर की गहराई में महसूस करके आनंद आ रहा था,,,,।

दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी बस दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे,,,, आंखों ही आंखों से बातें हो रही थी,,,,,,, सोनू का लंडउसकी मां की बुर की अंदर की दीवारों में रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था जिससे संध्या की उन्मआदकता और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,, गहरी सांस लेते हुए गरमा गरम सिसकारी छोड़ने लगी,,,,,


आहहहहहह,,सहहहहहहहह,,,,आहहहहहह,सीईईईईईईईई,,ऊई,,,,, मां,,,,,,ओहहहहहरहहह,,,,,,हाय मर गई रे बहुत मोटा है रे तेरा लेकिन बहुत मजा आ रहा है अब थोड़ा जोर से पेल,,,,,
(इतना सुनते ही सोनू अपनी कमर को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया,,, अब सोनू का लंड बड़ी रफ्तार से बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,। अब बड़े अच्छे से सोनू अपनी मां को चोद रहा था,,,, उसके हर एक धक्के पर संध्या की आह निकल जा रही थी और जितनी जोर से धक्के लगा रहा था उसके बदन के साथ-साथ संध्या की बड़ी-बड़ी चूचियां भी पानी भरे गुब्बारे की तरह छतिया पर इधर-उधर घूम रही थीं,,, जिसे देखकर सोनू का मन ललच रहा था उससे रहा नहीं गया और अब अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की दोनों चुचीयो को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपनी मां की चुची को अपने हाथों से पकड़कर दबा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था उसे उम्मीद नहीं थी कि चूची दबाने में इतना मजा आता होगा,,,,

kids in distress

संध्या अपने बेटे के मोटे लंड को लेकर पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,उसे आज अपने पति से भी ज्यादा अपने बेटे से चुदवाने मजा आ रहा है,,,,,, सोनू के धक्के पड़े तेजी से चल रहे थे,,,, और देखते ही देखते संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी वह तीसरी बार झड़ने के कगार पर थी,,, उसका बदन अकड़ रहा था और सोनू अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए अपना लंड पेल रहा था,,,,, संध्या गरम सिसकारी लेते हुए तीसरी बार भी झडने लगी,,,, संध्या चाहती थी कि यह चुदाई और देर तक चालू रहे लंबी चली लेकिन सोनू का यह पहली बार था इसलिए वह अपनी उत्तेजना को अपने काबू में नहीं कर पाया संध्या के ऊपर ही ढेर हो गया,,,।
Bahot behtareen
Shaandaar update bhai
 

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गजब का अद्भुत एहसास,,,, संध्या कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि,,,, उसका बेटा उसके साथ इस तरह की हरकत करेगा,,,, संध्या को इस बात का एहसास हो चुका था कि उसके बेटे सोनू को भी अपनी गलती का एहसास हो चुका था और वह शर्मिंदा होकर वहां से भाग गया था,,।
लेकिन जिस तरह की हरकत उसने किया था संध्या के तन बदन में जवानी का जोश और ज्यादा उबाल मारने लगा था,,, संध्या हीरोइन की अपने आप पर भी और अपने बेटे की हिम्मत भरी हरकत को देखकर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इतनी बड़ी हरकत कर देगा,,,उसे तो लगा था कि उसकी खुद की बेशर्मी भरी हरकत को देखकर शायद उसका बेटा शर्म आ जाएगा तो फिर पहली बार एक औरत की मदहोश कर देने वाली बुर को देखकर उसे देखता ही रह जाएगा लेकिन उसका बेटा तो एक कदम आगे चलकर प्यासी नजरों से घूरते हुआ ना कि उसे देखता रहा बल्की अपनी उंगली से उसे छूकर,,, और अपनी उंगली को छुकर ऊसे अंदर डालकर उसके अंदर की गर्मी को महसूस करके मजा लेता रहा,,,संध्या को अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था कि अपने पति को इतना मोटा और लंबा लंड अपनी बुर में ले लेती थी लेकिन आज तक नहीं करती थी और अपने बेटे की एक उंगली के हल्के से अंदर जाने से ही उसके मुंह से दर्द भरी आह के साथ गर्म सिसकारी फुट पड़ी थी और उसी की आवाज को सुनकर उसका बेटा सोनू अपनी हरकत को वहीं समाप्त करके अपनी उंगली बाहर निकाल दिया था और शरमा कर घबरा कर अपना बैग लेकर चलता बना था,,, संध्या के मन में इस बात का मलाल था कि अगर उसके मुंह से मस्ती भरी और दर्द भरी आवाज न निकली होती तो उसका बेटा ना जाने क्या करता,,,,संध्या को अपनी बेशर्मी पर भी गर्व हो रहा था कि अपने बेटे की आंखों के सामने ही वह अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर उसे अपनी जालीदार पैंटी देखने पर मजबूर की थी,,, वह अपने मन में जो सोच कर रखी थी वह कर चुकी थी,,,,। सोनू के घर से चले जाने के बाद भी,, संध्या के तन बदन की गर्मी शांत होने की जगह और ज्यादा बढ़ने लगी वह एकाग्र चित्त बैठ नहीं पा रही थी,,, उसके मन में सारी घटनाएं किसी फिल्म की तरह चल रही थी,,,किस तरह से उसका बेटा अपनी ताकत का जोर दिखाते हुए उसे अपनी भुजाओं का सहारा देकर ऊपर की तरफ उठाया हुआ था,,, और अपनी भुजाओं का घेराव उसके नितंबों पर देकर उसे और ज्यादा उत्तेजित करते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पर अपना मुंह लगाकर अपनी गर्म सांस का एहसास करा रहा था,,, संध्या को इतना तो जरूर पता था कि उसका बेटा अनजाने में नहीं बाकी जानबूझकर इस तरह की हरकत कर रहा था पहले उसके होठ उसके गहरी नाभि तक पहुंच रहे थे जिसे वह अपने होठों से छू कर उसे और गर्मी दे रहा था शायद नाभि पर अपने होंठों का स्पर्श उसे और ज्यादा उत्तेजित कर गया हो और वह कुछ और करने के इरादे से ही उसे और जो लगाकर ऊपर की तरफ उठा दिया था तभी तो उसका मुंह सीधे-सीधे उसकी दोनों टांगों के बीच आ रहा था,,, और उसे नीचे उतारते उतारते अपने खाने लैंड का एहसास उसकी दोनों टांगों के बीच की मखमली दरार पर करा गया था,,, उसके पेंट में बना तंबू भी उसे साफ साफ नजर आया कुल मिलाकर उसका बेटा उसे पूरी तरह से उत्तेजित और मदहोश कर गया था,,, अजीब सा एहसास उसके तन बदन मैं फैला गया था,,,संध्या कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी दिन आएगा कि जब वह अपने बेटे के प्रति इस तरह से आकर्षित हो जाएगी कि उसके साथ शरीर सुख का आनंद लेने की कल्पना करने लगेगी,,, अपने बेटे के दुलार में अब उसे आकर्षण के साथ साथ वासना भी नजर आने लगा था,,,अपने बेटे के बारे में सोचते हुए और कुछ देर पहले उसके साथ जिस तरह की हरकत उसके बेटे ने किया था उससे वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और उसकी जालीदार पेंटी एकदम से गीली हो चुकी थी,,,,नई नई खरीदी हुई जालीदार परंतु उसे बेहद आरामदायक महसूस करा रही थी लेकिन वह जानबूझकर असहज महसूस करने का बहाना करते हुए अपने बेटे को अपनी पैंटी दिखाना चाहती थी और वह अपने मन की कर चुकी थी,,,
गर्म होने के बाद औरतों को जिस चीज की कमी महसूस होती है कहीं कमी संध्या को भी महसूस हो रही थी,,, इसलिए वह फ्रिज खोल कर उसमें से मोटा तगड़ा बैगन निकालकर,,,, किचन के अंदर ही एक टांग को ऊपर किचन के फर्श पर रखकर जालीदार पैंटीके एक छोर को पकड़ कर उसे अपनी फुली हुई बुर के दूसरे किनारे पर रख दी और हल्का सा थुक को बैगन पर लगाकर उसे अपनी गुलाबी बुर के ऊपर रखकर गुलाबी छेद में डालना शुरू कर दी,,, जैसे-जैसे बैगन अंदर की तरफ जा रहा था वैसे वैसे संध्या की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी और कल्पना में वह उस बेगन की जगह अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर के अंदर ले रही थी,,, देखते देखते उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी उसकी कल्पनाओं का घोड़ा और तेज दौड़ने लगा उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका बेटा उसकी दोनों कमर को पीछे से पकड़ कर अपने लंड को उसकी बुर के अंदर अंदर बाहर कर कर उसे चोद रहा है,,, यह कल्पना हकीकत से भी अत्यधिक सुखद और संतुष्टि भरा एहसास दे रही थी इसलिए संध्या इस कल्पना में पूरी तरह से अपने आप को डुबो देना चाहती थी,,,, देखते ही देखते संध्या अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पाई और वह उस बैंगन से ही चरम सुख को प्राप्त कर ली तब जाकर उसके बदन की गर्मी शांत भी इसके बाद वह बाथरुम में जाकर ठंडे पानी से स्नान करके तरोताजा हो गई,,,।

सोनू अपनी हरकत की वजह से अपनी मां से नजरे मिला नहीं पा रहा था कुछ दिन तक वह अपनी मां से नजरें बचाकर रहने लगा,, संध्या भी अपने बेटे की मनोदशा को भलीभांति समझती थी इसलिए वह भी अपनी बेटी से कुछ दिन तक दूरी बनाकर रह रही थी केवल औपचारिक रूप से ही उससे बातें करती थी उसे इस बात का एहसास नहीं होने देना चाहती थी कि उस दिन की घटना से वह निराश हुई है या उसे बुरा लगा है,,,संध्या अपने बेटे को इस बात का एहसास दिलाना चाहती थी कि उसकी गंदी हरकत का उस पर किसी भी प्रकार का बुरा प्रभाव नहीं पड़ा है और ना ही बार उससे नाराज है,,,सोनू को भी लगने लगा था कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां उससे नाराज नहीं है इसलिए वह धीरे-धीरे नॉर्मल होने लगा था,,,, दूसरी तरफ शगुन की हालत जल बिन मछली की तरह होती जा रही थी,,, वह हर एक दिन औपचारिक रूप से संभोग के एहसास से तड़प रही थी वह संभोग के हर एक क्रियाकलाप से वाकिफ होना चाहती थी उसके सुख को अपने अंदर अनुभव करना चाहती थी,,अपने पापा के मोटे तगड़े लंबे लंड के दर्शन करने के बाद से ही वह अपने पापा के लंड के प्रति पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी और रोज मोबाइल में देसी के साथ-साथ विदेशी लंड को सर्च करके उन्हें देखकर अपनी मखमली बुर की दोनों पत्तियों को आपस में मसल कर अपना मदन रस निकलवाया करती थी,,,। देखते ही देखते दिन गुजर रहे थे,,,, औपचारिक रूप से संध्या और संजय दोनों की वासना तो एक दूसरे से बुझ रही थी संजय तो फिर भी कई औरतों के साथ संबंध बनाकर अपने जिस्म की गर्मी को शांत कर लेता था लेकिन शगुन और सोनू दोनों इस आग में जल रहे थे और साथ ही संध्या,,,,।


ऐसे ही एक दिन अपने बंगले में ही बने जिम में कसरत करने के बाद संजय किचन में ऑरेंज जूस पीने के लिए आया तो संध्या खाना बना रही थी सुबह का समय और जवानी का खुमार संजय की आंखों में अपनी ही बीवी की मटकती हुई गांड देखकर छाने लगारोहित संजय को अपने बाहों में पीछे से भरते हुए और पल भर में ही खड़े हुए अपने लंड को अपनी बीवी की गांड पर धंसाते हुए बोला,,,।


ओहहहह मेरी जान आज तो कयामत लग रही हो,,,


आज ही तुमको कयामत लग रही हूं रोज क्या लगती हुं,,,(संध्या किचन का काम करते हुए बोली)

मेरी जान मेरे लिए तो रोज ही कयामत लगती हो तुम्हारी खूबसूरती है तुम्हारा खूबसूरत बदन मेरे तन बदन में 4 बोतलों का नशा भर देता है लेकिन आज तुम्हारी बड़ी बड़ी मटकती गांड देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा,,,।


चलो हटो भी वह तो तुम्हारा रोज ही खड़ा हो जाता है,,, तो क्या हर वक्त तुम्हारे लिए अपनी टांगें खोल कर रखु,,,
(संध्या नखरा दिखाते हुए बोली वैसे भी अपने पति के लंड को अपनी गांड के बीचो बीच महसूस करते ही उसके भी बुर में कुलबुलाहट होने लगी थी,,,)

टांगे नहीं खोलना है मेरी रानी बस साड़ी ऊपर उठाना है,,,(इतना कहने के साथ ही साथ यह दोनों हाथों में संध्या के साडी पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा तो संध्या उसका हाथ पकड़कर पीछे हटाते हुए बोली,,,)

पागल हो गई हो क्या पता है ना कि दोनों बच्चे घर पर ही हैं अगर किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा,,,,।


सोचे क्या क्या दोनों बड़े हो चुके हैं दोनों को समझदारी आ चुकी है और इतना तो समझते ही हैं कि पापा और मम्मी के बीच क्या होता है,,,।


चलो तुम रहने दो बहाना बनाने को और किचन से बाहर निकलो,,,,(इतना कहते हुए संध्या संजय को बाहर की तरफ प्यार से धक्का देते हुए बोली,,,)


क्या मेरी जान बस अब ऐसा ही करोगी,,, तुम तो ऐसा कर रही हो कि जैसा मैं कोई पराया हुं,,,,।


इस वक्त के लिए तो पराए ही हो जो कुछ भी करना है रात को आना अभी कुछ भी नहीं हो पाएगा,,,,।


क्या मेरी जान मेरे पर नहीं कम से कम,( उंगली से अपने पेंट में तने हुए लंड की तरफ इशारा करते हुए) इस पर तो तरस खा जाओ,,,,


इस पर तरस खाने का मतलब है कि खुद को सजा देना,,,, तुम्हारा यह है ना,,,(अपना हाथ आगे बनाकर अपने पति के पेंट के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ते हुए,,) एक बार अंदर कुछ नहीं के बाद अपनी मनमानी करके ही बाहर आता है फिर भले ही मेरी बुर की दुर्दशा क्यों ना हो जाए,,,(संध्या एकदम बेशर्मी भरे लहजे में बोली,,,) और वैसे भी रात को दो बार लिए तो हो सोने नहीं देते और फिर सुबह भी परेशान करते हो ,,,,


बस एक बार और अंदर ले लो मेरी जान,,,(संजय पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को सहलाते हुए बोला,,, यह देखकर संध्या के तन में झुर्झुरी सी दौड़ने लगी,,, उसकी भी बहुत इच्छा हो रही थी लेकिन वह अपने मन को रोके हुए थी,,,संजय की मदहोशी को देखते हुए वह उसे एक बार फिर से धक्का देते हुए बोली,,,)


जाओ और दोनों बच्चों को जगा दो अभी तक दोनों उठे नहीं है,,,,


अरे यार तुम तो पूरा मूड खराब कर देती हो,,,,
(इतना कहने के साथ ही संजय सगुन के कमरे की तरफ जाने लगा और संध्या मुस्कुराते हुए किचन में चली गई,,, थोड़ी ही देर में संजय शगुन के कमरे के सामने खड़ा था पर दरवाजे पर दस्तक देने जा ही रहा था कि उसके हाथ दरवाजे पर पडते ही दरवाजा खुद-ब-खुद खुलने लगा,,, देखते ही देखते पूरा दरवाजा खुल गया उसे लगा कि शायद सगुन जाग रही है लेकिन सामने बेड पर नजर पड़ते ही उसके होश उड़ गए क्योंकि शगुन सोई हुई थी,,,, उसकी एक टांग बिल्कुल नंगी नजर आ रही थी और बाकी पर चादर पड़ी हुई थी,,,, शगुन की नंगी टांग को देखकर संजय के मन में तुरंत वहां से चले जाने का विचार आया और वो जाने ही वाला था लेकिन शगुन की नंगी चिकनी टांग की मदहोशी में वह अपने आप को खोता हुआ महसूस करने लगा,,,,, लेकिन एक बार फिर उसके मन में अजीब सी उलझन ले चैनल लेना शुरू कर दिया और वह वापस लौटने के लिए अपना कदम पीछे ले लिया और दरवाजे को खोलकर जैसे ही बाहर जाने वाला था ना जाने क्यों उसका दिमाग होना शुरू हुआ और वह एक बार फिर से अपनी बेटी के कमरे में वापस कदम बढ़ाने लगा,,,, बेड पर सगुन बेसुध होकर सोई हुई थी।
Nice update 👌👌👌
 
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सोनू का यह अनुभव पहली बार का था इसलिए वह ज्यादा देर टिक नहीं पाया था,,,जिस तरह से वह अपनी मां की बुर में धक्के लगा रहा था उसका मन और ज्यादा करने को कर रहा था,,,,अपनी मां की बुर में अपने लंड की रबड़ को महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो रहा था,,,,, लेकिन अपनी मां की बुर की गर्मी उसके ताप को वह ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाया और बहुत ही जल्द अपनी मां की पुर में पिघल गया,,,,, संध्या गीत इससे ज्यादा की अपेक्षा रखी थी लेकिन वह भी समझ सकती थी कि उसका बेटा पहली बार चुदाई कर रहा था,,,, लेकिन फिर भी इस दौरान उसके बेटे ने उसे 3 बार झाड़ चुका था,,, यही उसके लिए काफी था,,,,

सोनू अपनी मां के चूचियों के बीच मुंह छुपा कर गहरी गहरी सांस ले रहा था,,, संध्या को अपने बेटे पर बहुत प्यार आ रहा था,,, वह अपने बेटे के बालों में ऊंगली घुमाते हुए बोली,,,।


कैसा लगा तुझे,,,


बहुत मजा आया मैं बता नहीं सकता,,,


ईसीको चुदाई कहते हैं,,,(संध्या मुस्कुराते हुए बोली,,,,,) कितना मजा आता है ना जब लंड बुर में जाता है,,,,


बहुत मजा आता है मम्मी,,, तुम्हारी बुर बहुत गर्म है ,,, मैं तो बहुत जल्दी पिघल गया,,,।


चल कोई बात नहीं शुरू शुरू में ऐसा ही होता है,,, लेकिन तुने मुझे तीन बार झाड़ दिया,,,,,,, बहुत मजा आया,,,,


मम्मी अगर यह सब पापा को पता चल गया तो,,,,


कैसे पता चल जाएगा तू बताएगा क्या,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू ना में सिर हिला दिया,,,)

तो फिर कैसे पता चलेगा जब तू नहीं बताएगा मैं नहीं बताऊंगी तो पता कैसे चलेगा,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू मुस्कुरा दिया उसे समझ में आ गया था कि अब यह सिलसिला शुरू हो चुका है,,, सोनू को अपनी मां की नरम नरम बड़ी-बड़ी चूचियां बहुत अच्छी लग रही थी सोनू अपनी मां की छाती पर सिर रखे हुए था,,, और अपनी मां की कड़ी निप्पल को देखकर सोनु सिरहाने गया और वह उसे छूकर दबाने लगा,,,,,,,, और बोला,,,)

मम्मी तुम्हारी निप्पल कितनी खूबसूरत लग रही है,,, एकदम कैडबरी चॉकलेट की तरह,,,,
(अपनी निप्पल की तुलना कैडबरी चॉकलेट से होते ही संध्या हंसने लगी,,,)

हां तो सच कह रहा है एकदम कैडबरी चॉकलेट की तरह लेकिन उसे खाना पड़ता है और इसे मुंह में भर कर पीना पड़ता है,,,,


तो क्या मे ईसे मुंह में भरकर पी सकता हूं,,,,(निप्पल को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच में लेकर मसलते हुए बोला,,,)

क्यों नहीं ईसी तरह से तो खेला जाता है,,, औरतों की चूची से मुंह में लेकर किया जाता है दबाया जाता है मसला जाता है ऐसा करने से तुम मर्दों को भी मजा आता है और हम औरतों को भी,,,,


क्या सच में मैंने तुम्हें भी मजा आता है जोर-जोर से दबाने में लेकिन दुखता तो होगा ना,,,,।


दुखता तो है लेकिन दुखने के दर्द से ज्यादा उसे दबाने के बाद जो मजा आता है उसकी अपेक्षा में हर औरत उस दर्द को भूल जाती है और बस मजा लेती है,,,

(सोनू अपनी मां की बात बड़े गौर से सुन रहा था आज उसके सामने उसकी मां संभोग से जुड़े हर एक पहलु को एक-एक करके खोल रही थी मानो जैसे कि वह संभोग की अध्यापिका हो और संभोग की किताब के हर एक पृष्ठ को खोल कर उसे पढ़ा रही हो,,,अपनी मां की बातों को सुनकर सोनू को बहुत कुछ सीखने को मिल रहा था जो कि इस समय और आने वाले समय में उसके लिए बहुत ही लाभकारी होने वाला था,,,, अपनी मां की बात सुनकर सोनू बोला,,,)


तो क्या मम्मी तुम्हें भी मजा आ रहा था जब मैं जोर-जोर से तुम्हारी चूचियों को दबा रहा था,,,


हारे बहुत मजा आ रहा था,,,जब तू धक्के लगाते हुए मेरी चूची को जोर जोर से दबा रहा था तो पूछ मत कितना मजा आ रहा था,,, लेकिन इससे भी ज्यादा मजा तब आता जब तुझसे मुंह में लेकर जोर-जोर से पीता,,,,,,
(जो सोनु का मन कर रहा था वही बात उसकी मां ने कह दी थी,,,,,, फिर क्या था सोनू अपनी मां की छाती के ऊपर से खड़ा हुआ और बिस्तर पर बैठ कर मैं दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची को थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा,,,अपनी मां के चेहरे के बदलते हाव-भाव को देखकर सोनू को अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी वह सच था,,,,पसीने वाली के चक्कर अपनी मां की निप्पल को मुंह में भर लियाऔर उसे चूसना शुरू कर दिया जैसे कि एक छोटा बच्चा अपनी मां का दूध पीते हुए चुसता है,,, सोनू को मजा आ रहा है आज जिंदगी में दूसरी बार हो अपनी मां की चूची को अपनी मुंह में लेकर पी रहा था एक तब जब वह छोटा बच्चा था और अब जब वह पूरी तरह से जवान हो चुका है,,,,,, मर्दों के मुंह में औरतों की चूची दो ही बार आती है एक तो तब जब वह अपनी भूख मिटाने के लिए उसे मुंह में लेकर दूध पीता है और दूसरा तब जब वह अपने तन की भूख मिटाने के लिए उसे मुंह में ले कर पीता है,,,,इसमें कोई शक नहीं था कि संध्या को बहुत मजा आ रहा था सोनू धीरे-धीरे इस कला में पारंगत होता जा रहा था वह बारी-बारी से अपनी मां की दोनों चूचियों को मुंह में भरकर जोर-जोर से पी रहा था,,, संध्या की गरम सिसकारी एक बार फिर से पूरे कमरे में गुंजने लगी थी,,,,

संध्या को इस बात से पूरी तरह से राहत था कि इस समय घर में सिर्फ वह और उसका बेटा ही था,,,, इसलिए तो जोर-जोर से सिसकारी की आवाज निकाल रही थी क्योंकि उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी वहां सुनने वाला नहीं था,,, और अपनी मां की गरम सिसकारी की आवाज सुनकर वह और ज्यादा दीवाना हुआ जा रहा था वह और ज्यादा मदहोश होता चला जा रहा था,,,,,,,,

आहहहहह,,,सईईईईईईईईईईई,,,,, और जोर-जोर से पी और जोर से लगा नीचोड डाल मेरे दूध को,,,,आहहहहह,,, मेरे लाल क्या मस्त दूध पीता है तु,,,,ऊहहहहहहह,,,,,ओहहह मेरे बेटे,,,,,

(सोनू तो अपनी मां की गरम सिसकारी की आवाज और उसकी बातें सुनकर पुरई तरह से जोश में आ गया और वो जितना हो सकता था उतना दम लगा कर अपनी मां की चूचियों को दशहरी आम की तरह दबा दबा कर पीने लगा,,,, संध्या के बदन में खुमारी छाने लगी थी,,,,,, तीन बार पानी छोड़ चुकी संध्या फिर से तैयार हो चुकी थी,,, और यही हाल सोनू का भी था अभी पूरी तरह से उसका लंड ढीला भी नहीं हुआ था कि उस में तनाव आना शुरू हो गया था,,,। कुछ देर तक वह अपनी मां की चूचियों को दबा देना उसे मुंह में भरकर पीता रहा यह सब अनुभव उसे पहली बार मिल रहा था और उसे इतना मजा आ रहा था कि पूछो मत ऐसा लग रहा था कि उसके हाथों में दुनिया भर का खजाना लग गया हो संध्या की आंखें बंद थी उसके तन बदन में चार बोतल का नशा सा छाने लगा था,,, एक बार फिर अपने होश खोने लगी थी सोनू अपनी मां की तरफ देखा तो देखता ही रह गया उसका चेहरा लाल सुर्ख हो गया था और उसके लाल लाल होंठ खुले रह गए थे अपनी मां के लाल लाल होठों को रंग देखकर सोनू का मन ललच उठा और वह सूचियों से ध्यान हटा ते हुए अपनी मां के लाल हैं फोटो पर ध्यान केंद्रित करके अपने होठों को अपनी मां के लाल लाल होठों पर रख दिया संध्या की आंखें बंद थी लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से उसके पूरे बदन में जैसे बिजली सी दौड़ने लगी वह अपनी आंखों को खोल नहीं पाई,,, क्योंकि अपने बेटे की इस मादक हरकत की वजह से वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,सोनू पागल हो गया अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने मुंह में भर कर उसके रस को पीने लगा उसे चबाने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे उसमें से मधुर रस टपक रहा हो और उसकी हर एक बूंद को अपने गले में उतार लेना चाहता हो,,,संध्या का हाथ अपने आप ही नीचे की तरफ आ गया और वहां अपने बेटे के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हीलाना शुरू कर दी हालांकि उसकी आंखें बंद थी लेकिन उसे अपने बेटे के लिंग की मोटाई का जायजा अपनी हथेली में बराबर महसूस हो रहा था जो कि कुछ देर पहले ही वह अपनी बुर में लेकर मस्त हो चुकी थी,,, अपनी मां की हरकत से सोनू को भी मजा आने लगा,,, एक और फिर से दोनों मां बेटे तैयार हो चुके थे अगले राउंड के लिए,,,,,
कुछ देर तक वह अपनी मां के होंठों का रस पीता रहा,,,,और जब अपने होठों को अपनी मां के होठों से जुदा किया तो उसके खूबसूरत चेहरे को एकटक देखता रह गया संध्या धीरे से अपनी आंखें खोली तो अपने बेटे को अपने चेहरे की तरफ देखता पाकर एकदम से शर्मा गई यह पहला मौका था जब वह बिस्तर पर अपने बेटे से शर्मा रही थी,,, उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी जबकि वो एक बार अपने बेटे से जमकर चुदवा चुकी थी फिर भी उससे ना जाने क्यों शर्माने लगी थी,,,, अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ते हुए सोनू मुस्कुराते हुए बोला,,,,


क्या हुआ मम्मी शर्मा क्यों रही हो,,,,


पता नहीं कि मुझे एकदम से शर्म आ गई,,,,


अभी अभी तो तुमने मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाई हो फिर भी,,,,


हारे में भी तो यही सोच रही हूं,,,,(इतना कहकर संध्या मुस्कुराने लगी और सोनू भी तुम सोनू अपनी मां की दोनो टांगों के बीच एक नजर मारता हुआ बोला,,,)

मम्मी मेरा मन फिर कर रहा है कि मैं तुम्हारी बुर को चाटु,,
, Sonu apni ma ki boor chatta hua

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तो चाटना मना किसने किया है ,,,(संध्या एकदम से मदहोश होते हुए बोली,,,,तो फिर क्या था इतना कहते ही समझा एक बार फिर से अपनी दोनों टांगों को अपने बेटे के लिए खोल दि और एक बार फिर से सोनू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंच गया और उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया लेकिन इस बार का स्वाद कुछ अलग था क्योंकि दोनों के गर्म लावे का मिश्रण हो चुका था और उसे जीभ से सोनू चाट रहा था इस बार संध्या को और ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि उसके पति ने कभी भी एक बार अपना पानी उसकी बुर में गिराने के बाद बुर को चांटा नहीं था लेकिन इस बार कुछ नया था उसका बेटा उसकी बुर को चाट रहा था और वह भी अपना पानी गिराने के बाद,,,,, इसलिए संध्या पूरी तरह से जोश से भर गई,,,, कुछ देर तक वह अपने बेटे से चटाई का मजा लेती रही,,,और फिर मदहोश होकर उसे अपने लंड को अपनी बुर में डालने के लिए बोली लेकिन इस बार आसान अलग था तरीका वही था,,, बस कमर को हिलाना और संध्या हाथ की कोहनी और घुटनों के बल बिस्तर पर बैठ कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में लहराते हुए अपने बेटे की तरफ सरका दी और बोली,,,,)

Sonu अपनी मां की बुर चाट कर झाड दीया

बेटा तुझे पीछे से डालना है,,,


ठीक है मम्मी तुम जहां से बोलोगी मैं वहां से डालूंगा,,,,


मेरा अच्छा बेटा तुझे मेरे बुर का छेद तो दिखाई दे रहा है ना,,,

(सोनू अपना ही खत्म अपनी मां की गांड पर रखकर उसे अंगूठे से हल्का सा फैलाते हुए अपनी मां की गुलाबी बुर के छेद को अच्छी तरह से देखते हुए बोला,,,)


हां मम्मी तुम्हारी फिर मुझे एकदम साफ नजर आ रही है,,,


बस अब तुझे क्या करना है तुझे मालूम ही होगा,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी मैं तुम्हें एकदम मस्त कर दूंगा,,,
(इतना कहने के साथ ही वह भी घुटनों के बल खड़ा हो गया,,, और आगे बढ़ कर अपनी मां की गांड के करीब पहुंच गया सोनू ने किसी पोर्न मूवी में देखा था कि मूवी का हीरो हीरोइन की गांड पर जोर जोर से चपत लगाता है,इसलिए अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी गांड को देखकर सोनू का भी मन करने लगा कि वह भी जोर जोर से अपनी मां की गांड पर चपत लगाए,,,, और लगातार दो चार चपत अपनी मां की गांड पर लगा दिया,,,,,,,,,,
संध्या अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करते हुए



आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,, यह क्या कर रहा है तू दुखता है,,,,


तुमही तो कह रही थी मम्मी,,,, दुखने के बाद मजा भी देता है,,,


तो ऐसा थोड़ी कही थी कि तू मेरी गांड पर थप्पड़ लगा,,,


क्या करूं मम्मी तुम्हारी बड़ी बड़ी गोरी गोरी गांड मुझे बहुत अच्छी लग रही थी,,,,।


अच्छी लगेगी तो क्या चाट भी लेगा,,,,


हां मम्मी चाट भी लूंगा मुझे तुम्हारी गांड बहुत अच्छी लगती है,,,,

तो चाट के दिखा,,,,
(संध्या का इतना कहना है कि सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपने चेहरे को उसकी गांड के बीचो बीच ले जाने लगा संध्या अपनी नजरों को पीछे घुमा कर अपने बेटे की हरकत को देख रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि उसका बेटा मजाक कर रहा है और वह मजाक में ही बोली थी,,, पर जैसे ही उसे अपनी गांड के भूरे रंग के छेद कर अपने बेटे की जीभ का स्पर्श हुआ वह पूरी तरह से लहरा उठी,,,, उसका तन बदन पूरी तरह से मचल उठा,,,उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इस तरह की हरकत करेगा वह सिर्फ इसे मजाक समझ रही थी लेकिन यह बिल्कुल सच था उसका बेटा उसकी गान्ड के बुरे रंग के छेद को से कुरेद कुरेद कर चाट रहा था ,,,पल भर में ही संध्या को इतना मजा आने लगा कि वह अपने बेटे को इनकार नहीं कर पाई उसे रोक नहीं पाई और उसे अपनी गांड चाटने दी,,, संध्या पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी क्योंकि शादी के इतने वर्षों में जो काम संजय में नहीं कर पाया था आज उसके बेटे ने कर दिखाया था संध्या की ख्वाहिश हमेशा से यही रही थी कि उसका पति उसकी गांड को भी चाटेलेकिन ऐसा कभी नहीं हो पाया था ना तो संजय खुद ही उसकी गांड चाटा था ना ही संध्या ने अपने मन की बात उसे बता पाई थी,,,इसलिए अपने बेटे के द्वारा अपने मन की इच्छा पूरी होती देखकर संध्या इंकार नहीं पाई और मज़े लेने लगी वह खुद ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने बेटे के चेहरे पर रगड़ने लगी,,,सोनू अपनी मां की गांड चाटने में इतना मस्त हो चुका था कि उसे बिल्कुल भी एहसास नहीं हो रहा था कि वह क्या कर रहा है उसे तो बस मजा मिल रहा है,,,,,,
सोनु और संध्या


सोनू की हरकत की वजह से संध्या की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई उसकी इच्छा हो रही थी कि अपने बेटे के लंड को अपनी गांड के छेद में डलवा ले और जिंदगी में पहली बार गांड मरवाने का सुख प्राप्त कर ले,,,लेकिन वह इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ थी कि उसकी बेटी का लंड को ज्यादा ही मोटा था उसकी गांड का छेद अभी छोटा था ना तो उसे गांड मरवाने का कोई अनुभव था इसलिए अपनी इस मन की इच्छा को मन में ही दबा ली,,,, लेकिन अब वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी बुर की गहराई में महसूस करना चाहती थी,,, इसलिए अपने बेटे से बोली,,,।


आहहहहह ,,,,, बस बेटा बस अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है अब तु चोद मुझे,,,,आहहहहहह,,, डाल अपने लंड को मेरी बुर में,,,।

(सोनू के भी लंड की हालत खराब थी,,, उससे रहा नहीं जा रहा था इसलिए वह जल्दी से खड़ा हुआ और उतावलापन दिखाते हुए अपने खड़े लंड को अपनी मां की बुर पर रखकर अपने दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को थाम कर अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल दिया,,,, और संध्या के मुंह से हल्की सी आ निकली और लंड एक बार फिर से बुर को चीरता हुआ उसके बच्चेदानी से जा टकराया,,,,, एक बार फिर से सोनू का लंड उसकी मां की बुर की गहराई में उतर चुका था,,,, संध्या कसमसा उठी उसका बदन पूरी तरह से लहरा उठा,,,, सोनू धीरे धीरे से अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया वह चाहता था कि इस बार वह अपनी मां की चुदाई लंबे समय तक कर सके इसलिए उतावलापन दिखा नहीं रहा था लेकिन फिर भी जोश में आकर रह रहे कर दो चार धक्के बड़ी तेजी से लगा दे रहा था,,, जिससे संध्या को मजा के साथ साथ उसका जोश भी बढ जा रहा था,,,, जिससे वह अपने बेटी का हौसला बढ़ाते हुए जोर जोर से बोल रही थी,,,,।

आहहहहह आहहहहह,,,,बस ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगालबहुत मजा आ रहा है ,,,आहहहहहह,,,आहहहहह,,, मेरे बच्चे बहुत मजा आ रहा है जोरों का ठोकर लग रहा है मेरी बुर के अंदर,,,,,,ऊममममममम,,,, सससहहहहहह,,,,,,,


आहहहहह,,,,आहहहह,,,, मुझे भी बहुत मजा आ रहा है मम्मी क्या मस्त बुर है तुम्हारी,,,,आहहहहह,,,आहहहहह,,,, क्या मस्त गांड है मम्मी तुम्हारी (अपनी मां की गांड पर जोर से चपत लगाते हुए) ऐसी गांड मैंने जिंदगी में नहीं देखा बहुत मस्त है,,,,ओहहहहह,,,,


चोद मुझे,,,, चोद मुझे मेरे बच्चे ,,,,मेरे बेटे चोद मुझे आहहहहहह,,,, बहुत मोटा लंड है तेरा तेरे पापा से भी ज्यादा दमदार है,,,,आहहहहहह,,,,।
(सोनू अपनी लंड की तुलना अपने पापा से होता हुआ देखकर और ज्यादा जोश में आकर क्योंकि उसकी मां अपने पति से ज्यादा अहमियत अपने बेटे के लंड को दे रही थी इसलिए सोनू का जोश दुगुना हो चुका था और वह जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया था संध्या की दोनों चूचियां पके हुए पपैया की तरह हवा में झूल रही थी,,, जिसे सोनू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा और यही अदा संध्या को और ज्यादा मस्तीखोर बना रही थी वह अपनी बेटी की सरकार से और ज्यादा जोश में आ गई थी और अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के लंड के ठाप का जवाब देते हुए जोर-जोर से पीछे की तरफ ठेल रही थी,,,,

सोनू के धक्के इतनी तेज थी कि पूरा पलंग चर मरा रहा था,,, यह बिस्तर संध्या के चुदासपन की निसानी थी,,, जिस पर वह बरसों से अपने पति के साथ और अब अपने बेटे के साथ चुदाई का मज़ा लुट रही थी,,,,,,

संध्या की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी वो झड़ने वाली थी,,,,

आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,, मेरा निकलने वाला है मैं झड़ने वाली हूं और जोर से धक्के मार,,,और और जोर से और जोर से,,,,,,

(इतना सुनते ही सोनु समझ गया और अपने धक्कों की रफ़्तार को और तेज कर दिया देखते ही देखते हल्की चीख के साथ संध्या का पानी निकल गया और कुछ धक्कों के बाद सोनू भी अपना पानी अपनी मां की बुर में निकाल दिया,,,, दोनों एक बार फिर से चरम सुख को प्राप्त कर चुके थे,,,,

दोनों एक दूसरे की बाहों में नंगे ही कब सो गए दोनों को पता नहीं चला,,,, सुबह- जब आंख खुली तो संध्या अपने आपको अपने बेटे की बाहों में पाई और औपचारिक रूप से अपने बेटे के खड़े लंड को अपने गांड पर महसूस करके वह एक बार फिर से चुदासी हो गई,,, अपने बेटे को बिना जगाए वह अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,संध्या की हरकत की वजह से सोनू की भी नहीं खुल गई लेकिन अपनी मां को अपने पर झुका हुआ था करवा कुछ बोल नहीं पाया उसे भी मजा आ रहा था,,, लेकिन इस बार संध्या पूरा चार्ज अपने हाथ में ले ली थी और अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर अपने बेटे के लंड पर सवार हो गई,,, सोनू के लिए यह आसन भी बिल्कुल नया था देखते ही देखते संध्या ने अपने बेटे की लंड को अपने बुर की गहराई में छुपा ली और अपने बेटे के लंड पर उठक बैठक करने लगी,,, सोनू को बहुत मजा आ रहा था और यह अनुभव सोनू के लिए बिल्कुल नया था,,,, थोड़ी देर में एक बार फिर से दोनों चरम सुख को प्राप्त कर लिए,,,।


दूसरी तरफ सुबह होते ही शगुन की नींद खुली तो वह बिस्तर से उठ कर कमरे में ही बने अटैच बाथरूम में चली गई,,, रात को जब वह दोनों होटल पर पहुंचे थे तो खाना खाकर सो गए थे दोनों ने एक ही कमरा बुक कराया था एक ही बिस्तर पर दोनों दिन भर की थकान की वजह से आराम से सो गए थे,,,, बाथरूम के दरवाजे की आवाज से संजय की नींद खुल गई तो उसने पाया कि बिस्तर पर उसकी बेटी सगुन नहीं थी जो कि बाथरूम में गई थी,,, पर थोड़ी देर में उसके कानों में बाथरूम से आ रही सीटी की आवाज सुनाई देने लगीऔर इस आवाज को संजय भली-भांति जानता था उसे समझते देर नहीं लगी की बाथरूम के अंदर उसकी बेटी पेशाब कर रही है,,,।
Bahot behtareen
Shaandaar update bhai
 
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सोनू का यह अनुभव पहली बार का था इसलिए वह ज्यादा देर टिक नहीं पाया था,,,जिस तरह से वह अपनी मां की बुर में धक्के लगा रहा था उसका मन और ज्यादा करने को कर रहा था,,,,अपनी मां की बुर में अपने लंड की रबड़ को महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो रहा था,,,,, लेकिन अपनी मां की बुर की गर्मी उसके ताप को वह ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाया और बहुत ही जल्द अपनी मां की पुर में पिघल गया,,,,, संध्या गीत इससे ज्यादा की अपेक्षा रखी थी लेकिन वह भी समझ सकती थी कि उसका बेटा पहली बार चुदाई कर रहा था,,,, लेकिन फिर भी इस दौरान उसके बेटे ने उसे 3 बार झाड़ चुका था,,, यही उसके लिए काफी था,,,,

सोनू अपनी मां के चूचियों के बीच मुंह छुपा कर गहरी गहरी सांस ले रहा था,,, संध्या को अपने बेटे पर बहुत प्यार आ रहा था,,, वह अपने बेटे के बालों में ऊंगली घुमाते हुए बोली,,,।


कैसा लगा तुझे,,,


बहुत मजा आया मैं बता नहीं सकता,,,


ईसीको चुदाई कहते हैं,,,(संध्या मुस्कुराते हुए बोली,,,,,) कितना मजा आता है ना जब लंड बुर में जाता है,,,,


बहुत मजा आता है मम्मी,,, तुम्हारी बुर बहुत गर्म है ,,, मैं तो बहुत जल्दी पिघल गया,,,।


चल कोई बात नहीं शुरू शुरू में ऐसा ही होता है,,, लेकिन तुने मुझे तीन बार झाड़ दिया,,,,,,, बहुत मजा आया,,,,


मम्मी अगर यह सब पापा को पता चल गया तो,,,,


कैसे पता चल जाएगा तू बताएगा क्या,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू ना में सिर हिला दिया,,,)

तो फिर कैसे पता चलेगा जब तू नहीं बताएगा मैं नहीं बताऊंगी तो पता कैसे चलेगा,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू मुस्कुरा दिया उसे समझ में आ गया था कि अब यह सिलसिला शुरू हो चुका है,,, सोनू को अपनी मां की नरम नरम बड़ी-बड़ी चूचियां बहुत अच्छी लग रही थी सोनू अपनी मां की छाती पर सिर रखे हुए था,,, और अपनी मां की कड़ी निप्पल को देखकर सोनु सिरहाने गया और वह उसे छूकर दबाने लगा,,,,,,,, और बोला,,,)

मम्मी तुम्हारी निप्पल कितनी खूबसूरत लग रही है,,, एकदम कैडबरी चॉकलेट की तरह,,,,
(अपनी निप्पल की तुलना कैडबरी चॉकलेट से होते ही संध्या हंसने लगी,,,)

हां तो सच कह रहा है एकदम कैडबरी चॉकलेट की तरह लेकिन उसे खाना पड़ता है और इसे मुंह में भर कर पीना पड़ता है,,,,


तो क्या मे ईसे मुंह में भरकर पी सकता हूं,,,,(निप्पल को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच में लेकर मसलते हुए बोला,,,)

क्यों नहीं ईसी तरह से तो खेला जाता है,,, औरतों की चूची से मुंह में लेकर किया जाता है दबाया जाता है मसला जाता है ऐसा करने से तुम मर्दों को भी मजा आता है और हम औरतों को भी,,,,


क्या सच में मैंने तुम्हें भी मजा आता है जोर-जोर से दबाने में लेकिन दुखता तो होगा ना,,,,।


दुखता तो है लेकिन दुखने के दर्द से ज्यादा उसे दबाने के बाद जो मजा आता है उसकी अपेक्षा में हर औरत उस दर्द को भूल जाती है और बस मजा लेती है,,,

(सोनू अपनी मां की बात बड़े गौर से सुन रहा था आज उसके सामने उसकी मां संभोग से जुड़े हर एक पहलु को एक-एक करके खोल रही थी मानो जैसे कि वह संभोग की अध्यापिका हो और संभोग की किताब के हर एक पृष्ठ को खोल कर उसे पढ़ा रही हो,,,अपनी मां की बातों को सुनकर सोनू को बहुत कुछ सीखने को मिल रहा था जो कि इस समय और आने वाले समय में उसके लिए बहुत ही लाभकारी होने वाला था,,,, अपनी मां की बात सुनकर सोनू बोला,,,)


तो क्या मम्मी तुम्हें भी मजा आ रहा था जब मैं जोर-जोर से तुम्हारी चूचियों को दबा रहा था,,,


हारे बहुत मजा आ रहा था,,,जब तू धक्के लगाते हुए मेरी चूची को जोर जोर से दबा रहा था तो पूछ मत कितना मजा आ रहा था,,, लेकिन इससे भी ज्यादा मजा तब आता जब तुझसे मुंह में लेकर जोर-जोर से पीता,,,,,,
(जो सोनु का मन कर रहा था वही बात उसकी मां ने कह दी थी,,,,,, फिर क्या था सोनू अपनी मां की छाती के ऊपर से खड़ा हुआ और बिस्तर पर बैठ कर मैं दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची को थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा,,,अपनी मां के चेहरे के बदलते हाव-भाव को देखकर सोनू को अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी वह सच था,,,,पसीने वाली के चक्कर अपनी मां की निप्पल को मुंह में भर लियाऔर उसे चूसना शुरू कर दिया जैसे कि एक छोटा बच्चा अपनी मां का दूध पीते हुए चुसता है,,, सोनू को मजा आ रहा है आज जिंदगी में दूसरी बार हो अपनी मां की चूची को अपनी मुंह में लेकर पी रहा था एक तब जब वह छोटा बच्चा था और अब जब वह पूरी तरह से जवान हो चुका है,,,,,, मर्दों के मुंह में औरतों की चूची दो ही बार आती है एक तो तब जब वह अपनी भूख मिटाने के लिए उसे मुंह में लेकर दूध पीता है और दूसरा तब जब वह अपने तन की भूख मिटाने के लिए उसे मुंह में ले कर पीता है,,,,इसमें कोई शक नहीं था कि संध्या को बहुत मजा आ रहा था सोनू धीरे-धीरे इस कला में पारंगत होता जा रहा था वह बारी-बारी से अपनी मां की दोनों चूचियों को मुंह में भरकर जोर-जोर से पी रहा था,,, संध्या की गरम सिसकारी एक बार फिर से पूरे कमरे में गुंजने लगी थी,,,,

संध्या को इस बात से पूरी तरह से राहत था कि इस समय घर में सिर्फ वह और उसका बेटा ही था,,,, इसलिए तो जोर-जोर से सिसकारी की आवाज निकाल रही थी क्योंकि उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी वहां सुनने वाला नहीं था,,, और अपनी मां की गरम सिसकारी की आवाज सुनकर वह और ज्यादा दीवाना हुआ जा रहा था वह और ज्यादा मदहोश होता चला जा रहा था,,,,,,,,

आहहहहह,,,सईईईईईईईईईईई,,,,, और जोर-जोर से पी और जोर से लगा नीचोड डाल मेरे दूध को,,,,आहहहहह,,, मेरे लाल क्या मस्त दूध पीता है तु,,,,ऊहहहहहहह,,,,,ओहहह मेरे बेटे,,,,,

(सोनू तो अपनी मां की गरम सिसकारी की आवाज और उसकी बातें सुनकर पुरई तरह से जोश में आ गया और वो जितना हो सकता था उतना दम लगा कर अपनी मां की चूचियों को दशहरी आम की तरह दबा दबा कर पीने लगा,,,, संध्या के बदन में खुमारी छाने लगी थी,,,,,, तीन बार पानी छोड़ चुकी संध्या फिर से तैयार हो चुकी थी,,, और यही हाल सोनू का भी था अभी पूरी तरह से उसका लंड ढीला भी नहीं हुआ था कि उस में तनाव आना शुरू हो गया था,,,। कुछ देर तक वह अपनी मां की चूचियों को दबा देना उसे मुंह में भरकर पीता रहा यह सब अनुभव उसे पहली बार मिल रहा था और उसे इतना मजा आ रहा था कि पूछो मत ऐसा लग रहा था कि उसके हाथों में दुनिया भर का खजाना लग गया हो संध्या की आंखें बंद थी उसके तन बदन में चार बोतल का नशा सा छाने लगा था,,, एक बार फिर अपने होश खोने लगी थी सोनू अपनी मां की तरफ देखा तो देखता ही रह गया उसका चेहरा लाल सुर्ख हो गया था और उसके लाल लाल होंठ खुले रह गए थे अपनी मां के लाल लाल होठों को रंग देखकर सोनू का मन ललच उठा और वह सूचियों से ध्यान हटा ते हुए अपनी मां के लाल हैं फोटो पर ध्यान केंद्रित करके अपने होठों को अपनी मां के लाल लाल होठों पर रख दिया संध्या की आंखें बंद थी लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से उसके पूरे बदन में जैसे बिजली सी दौड़ने लगी वह अपनी आंखों को खोल नहीं पाई,,, क्योंकि अपने बेटे की इस मादक हरकत की वजह से वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,सोनू पागल हो गया अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने मुंह में भर कर उसके रस को पीने लगा उसे चबाने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे उसमें से मधुर रस टपक रहा हो और उसकी हर एक बूंद को अपने गले में उतार लेना चाहता हो,,,संध्या का हाथ अपने आप ही नीचे की तरफ आ गया और वहां अपने बेटे के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हीलाना शुरू कर दी हालांकि उसकी आंखें बंद थी लेकिन उसे अपने बेटे के लिंग की मोटाई का जायजा अपनी हथेली में बराबर महसूस हो रहा था जो कि कुछ देर पहले ही वह अपनी बुर में लेकर मस्त हो चुकी थी,,, अपनी मां की हरकत से सोनू को भी मजा आने लगा,,, एक और फिर से दोनों मां बेटे तैयार हो चुके थे अगले राउंड के लिए,,,,,
कुछ देर तक वह अपनी मां के होंठों का रस पीता रहा,,,,और जब अपने होठों को अपनी मां के होठों से जुदा किया तो उसके खूबसूरत चेहरे को एकटक देखता रह गया संध्या धीरे से अपनी आंखें खोली तो अपने बेटे को अपने चेहरे की तरफ देखता पाकर एकदम से शर्मा गई यह पहला मौका था जब वह बिस्तर पर अपने बेटे से शर्मा रही थी,,, उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी जबकि वो एक बार अपने बेटे से जमकर चुदवा चुकी थी फिर भी उससे ना जाने क्यों शर्माने लगी थी,,,, अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ते हुए सोनू मुस्कुराते हुए बोला,,,,


क्या हुआ मम्मी शर्मा क्यों रही हो,,,,


पता नहीं कि मुझे एकदम से शर्म आ गई,,,,


अभी अभी तो तुमने मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाई हो फिर भी,,,,


हारे में भी तो यही सोच रही हूं,,,,(इतना कहकर संध्या मुस्कुराने लगी और सोनू भी तुम सोनू अपनी मां की दोनो टांगों के बीच एक नजर मारता हुआ बोला,,,)

मम्मी मेरा मन फिर कर रहा है कि मैं तुम्हारी बुर को चाटु,,
, Sonu apni ma ki boor chatta hua

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तो चाटना मना किसने किया है ,,,(संध्या एकदम से मदहोश होते हुए बोली,,,,तो फिर क्या था इतना कहते ही समझा एक बार फिर से अपनी दोनों टांगों को अपने बेटे के लिए खोल दि और एक बार फिर से सोनू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंच गया और उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया लेकिन इस बार का स्वाद कुछ अलग था क्योंकि दोनों के गर्म लावे का मिश्रण हो चुका था और उसे जीभ से सोनू चाट रहा था इस बार संध्या को और ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि उसके पति ने कभी भी एक बार अपना पानी उसकी बुर में गिराने के बाद बुर को चांटा नहीं था लेकिन इस बार कुछ नया था उसका बेटा उसकी बुर को चाट रहा था और वह भी अपना पानी गिराने के बाद,,,,, इसलिए संध्या पूरी तरह से जोश से भर गई,,,, कुछ देर तक वह अपने बेटे से चटाई का मजा लेती रही,,,और फिर मदहोश होकर उसे अपने लंड को अपनी बुर में डालने के लिए बोली लेकिन इस बार आसान अलग था तरीका वही था,,, बस कमर को हिलाना और संध्या हाथ की कोहनी और घुटनों के बल बिस्तर पर बैठ कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में लहराते हुए अपने बेटे की तरफ सरका दी और बोली,,,,)

Sonu अपनी मां की बुर चाट कर झाड दीया

बेटा तुझे पीछे से डालना है,,,


ठीक है मम्मी तुम जहां से बोलोगी मैं वहां से डालूंगा,,,,


मेरा अच्छा बेटा तुझे मेरे बुर का छेद तो दिखाई दे रहा है ना,,,

(सोनू अपना ही खत्म अपनी मां की गांड पर रखकर उसे अंगूठे से हल्का सा फैलाते हुए अपनी मां की गुलाबी बुर के छेद को अच्छी तरह से देखते हुए बोला,,,)


हां मम्मी तुम्हारी फिर मुझे एकदम साफ नजर आ रही है,,,


बस अब तुझे क्या करना है तुझे मालूम ही होगा,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी मैं तुम्हें एकदम मस्त कर दूंगा,,,
(इतना कहने के साथ ही वह भी घुटनों के बल खड़ा हो गया,,, और आगे बढ़ कर अपनी मां की गांड के करीब पहुंच गया सोनू ने किसी पोर्न मूवी में देखा था कि मूवी का हीरो हीरोइन की गांड पर जोर जोर से चपत लगाता है,इसलिए अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी गांड को देखकर सोनू का भी मन करने लगा कि वह भी जोर जोर से अपनी मां की गांड पर चपत लगाए,,,, और लगातार दो चार चपत अपनी मां की गांड पर लगा दिया,,,,,,,,,,
संध्या अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करते हुए



आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,, यह क्या कर रहा है तू दुखता है,,,,


तुमही तो कह रही थी मम्मी,,,, दुखने के बाद मजा भी देता है,,,


तो ऐसा थोड़ी कही थी कि तू मेरी गांड पर थप्पड़ लगा,,,


क्या करूं मम्मी तुम्हारी बड़ी बड़ी गोरी गोरी गांड मुझे बहुत अच्छी लग रही थी,,,,।


अच्छी लगेगी तो क्या चाट भी लेगा,,,,


हां मम्मी चाट भी लूंगा मुझे तुम्हारी गांड बहुत अच्छी लगती है,,,,

तो चाट के दिखा,,,,
(संध्या का इतना कहना है कि सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपने चेहरे को उसकी गांड के बीचो बीच ले जाने लगा संध्या अपनी नजरों को पीछे घुमा कर अपने बेटे की हरकत को देख रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि उसका बेटा मजाक कर रहा है और वह मजाक में ही बोली थी,,, पर जैसे ही उसे अपनी गांड के भूरे रंग के छेद कर अपने बेटे की जीभ का स्पर्श हुआ वह पूरी तरह से लहरा उठी,,,, उसका तन बदन पूरी तरह से मचल उठा,,,उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इस तरह की हरकत करेगा वह सिर्फ इसे मजाक समझ रही थी लेकिन यह बिल्कुल सच था उसका बेटा उसकी गान्ड के बुरे रंग के छेद को से कुरेद कुरेद कर चाट रहा था ,,,पल भर में ही संध्या को इतना मजा आने लगा कि वह अपने बेटे को इनकार नहीं कर पाई उसे रोक नहीं पाई और उसे अपनी गांड चाटने दी,,, संध्या पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी क्योंकि शादी के इतने वर्षों में जो काम संजय में नहीं कर पाया था आज उसके बेटे ने कर दिखाया था संध्या की ख्वाहिश हमेशा से यही रही थी कि उसका पति उसकी गांड को भी चाटेलेकिन ऐसा कभी नहीं हो पाया था ना तो संजय खुद ही उसकी गांड चाटा था ना ही संध्या ने अपने मन की बात उसे बता पाई थी,,,इसलिए अपने बेटे के द्वारा अपने मन की इच्छा पूरी होती देखकर संध्या इंकार नहीं पाई और मज़े लेने लगी वह खुद ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने बेटे के चेहरे पर रगड़ने लगी,,,सोनू अपनी मां की गांड चाटने में इतना मस्त हो चुका था कि उसे बिल्कुल भी एहसास नहीं हो रहा था कि वह क्या कर रहा है उसे तो बस मजा मिल रहा है,,,,,,
सोनु और संध्या


सोनू की हरकत की वजह से संध्या की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई उसकी इच्छा हो रही थी कि अपने बेटे के लंड को अपनी गांड के छेद में डलवा ले और जिंदगी में पहली बार गांड मरवाने का सुख प्राप्त कर ले,,,लेकिन वह इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ थी कि उसकी बेटी का लंड को ज्यादा ही मोटा था उसकी गांड का छेद अभी छोटा था ना तो उसे गांड मरवाने का कोई अनुभव था इसलिए अपनी इस मन की इच्छा को मन में ही दबा ली,,,, लेकिन अब वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी बुर की गहराई में महसूस करना चाहती थी,,, इसलिए अपने बेटे से बोली,,,।


आहहहहह ,,,,, बस बेटा बस अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है अब तु चोद मुझे,,,,आहहहहहह,,, डाल अपने लंड को मेरी बुर में,,,।

(सोनू के भी लंड की हालत खराब थी,,, उससे रहा नहीं जा रहा था इसलिए वह जल्दी से खड़ा हुआ और उतावलापन दिखाते हुए अपने खड़े लंड को अपनी मां की बुर पर रखकर अपने दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को थाम कर अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल दिया,,,, और संध्या के मुंह से हल्की सी आ निकली और लंड एक बार फिर से बुर को चीरता हुआ उसके बच्चेदानी से जा टकराया,,,,, एक बार फिर से सोनू का लंड उसकी मां की बुर की गहराई में उतर चुका था,,,, संध्या कसमसा उठी उसका बदन पूरी तरह से लहरा उठा,,,, सोनू धीरे धीरे से अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया वह चाहता था कि इस बार वह अपनी मां की चुदाई लंबे समय तक कर सके इसलिए उतावलापन दिखा नहीं रहा था लेकिन फिर भी जोश में आकर रह रहे कर दो चार धक्के बड़ी तेजी से लगा दे रहा था,,, जिससे संध्या को मजा के साथ साथ उसका जोश भी बढ जा रहा था,,,, जिससे वह अपने बेटी का हौसला बढ़ाते हुए जोर जोर से बोल रही थी,,,,।

आहहहहह आहहहहह,,,,बस ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगालबहुत मजा आ रहा है ,,,आहहहहहह,,,आहहहहह,,, मेरे बच्चे बहुत मजा आ रहा है जोरों का ठोकर लग रहा है मेरी बुर के अंदर,,,,,,ऊममममममम,,,, सससहहहहहह,,,,,,,


आहहहहह,,,,आहहहह,,,, मुझे भी बहुत मजा आ रहा है मम्मी क्या मस्त बुर है तुम्हारी,,,,आहहहहह,,,आहहहहह,,,, क्या मस्त गांड है मम्मी तुम्हारी (अपनी मां की गांड पर जोर से चपत लगाते हुए) ऐसी गांड मैंने जिंदगी में नहीं देखा बहुत मस्त है,,,,ओहहहहह,,,,


चोद मुझे,,,, चोद मुझे मेरे बच्चे ,,,,मेरे बेटे चोद मुझे आहहहहहह,,,, बहुत मोटा लंड है तेरा तेरे पापा से भी ज्यादा दमदार है,,,,आहहहहहह,,,,।
(सोनू अपनी लंड की तुलना अपने पापा से होता हुआ देखकर और ज्यादा जोश में आकर क्योंकि उसकी मां अपने पति से ज्यादा अहमियत अपने बेटे के लंड को दे रही थी इसलिए सोनू का जोश दुगुना हो चुका था और वह जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया था संध्या की दोनों चूचियां पके हुए पपैया की तरह हवा में झूल रही थी,,, जिसे सोनू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा और यही अदा संध्या को और ज्यादा मस्तीखोर बना रही थी वह अपनी बेटी की सरकार से और ज्यादा जोश में आ गई थी और अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के लंड के ठाप का जवाब देते हुए जोर-जोर से पीछे की तरफ ठेल रही थी,,,,

सोनू के धक्के इतनी तेज थी कि पूरा पलंग चर मरा रहा था,,, यह बिस्तर संध्या के चुदासपन की निसानी थी,,, जिस पर वह बरसों से अपने पति के साथ और अब अपने बेटे के साथ चुदाई का मज़ा लुट रही थी,,,,,,

संध्या की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी वो झड़ने वाली थी,,,,

आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,, मेरा निकलने वाला है मैं झड़ने वाली हूं और जोर से धक्के मार,,,और और जोर से और जोर से,,,,,,

(इतना सुनते ही सोनु समझ गया और अपने धक्कों की रफ़्तार को और तेज कर दिया देखते ही देखते हल्की चीख के साथ संध्या का पानी निकल गया और कुछ धक्कों के बाद सोनू भी अपना पानी अपनी मां की बुर में निकाल दिया,,,, दोनों एक बार फिर से चरम सुख को प्राप्त कर चुके थे,,,,

दोनों एक दूसरे की बाहों में नंगे ही कब सो गए दोनों को पता नहीं चला,,,, सुबह- जब आंख खुली तो संध्या अपने आपको अपने बेटे की बाहों में पाई और औपचारिक रूप से अपने बेटे के खड़े लंड को अपने गांड पर महसूस करके वह एक बार फिर से चुदासी हो गई,,, अपने बेटे को बिना जगाए वह अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,संध्या की हरकत की वजह से सोनू की भी नहीं खुल गई लेकिन अपनी मां को अपने पर झुका हुआ था करवा कुछ बोल नहीं पाया उसे भी मजा आ रहा था,,, लेकिन इस बार संध्या पूरा चार्ज अपने हाथ में ले ली थी और अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर अपने बेटे के लंड पर सवार हो गई,,, सोनू के लिए यह आसन भी बिल्कुल नया था देखते ही देखते संध्या ने अपने बेटे की लंड को अपने बुर की गहराई में छुपा ली और अपने बेटे के लंड पर उठक बैठक करने लगी,,, सोनू को बहुत मजा आ रहा था और यह अनुभव सोनू के लिए बिल्कुल नया था,,,, थोड़ी देर में एक बार फिर से दोनों चरम सुख को प्राप्त कर लिए,,,।


दूसरी तरफ सुबह होते ही शगुन की नींद खुली तो वह बिस्तर से उठ कर कमरे में ही बने अटैच बाथरूम में चली गई,,, रात को जब वह दोनों होटल पर पहुंचे थे तो खाना खाकर सो गए थे दोनों ने एक ही कमरा बुक कराया था एक ही बिस्तर पर दोनों दिन भर की थकान की वजह से आराम से सो गए थे,,,, बाथरूम के दरवाजे की आवाज से संजय की नींद खुल गई तो उसने पाया कि बिस्तर पर उसकी बेटी सगुन नहीं थी जो कि बाथरूम में गई थी,,, पर थोड़ी देर में उसके कानों में बाथरूम से आ रही सीटी की आवाज सुनाई देने लगीऔर इस आवाज को संजय भली-भांति जानता था उसे समझते देर नहीं लगी की बाथरूम के अंदर उसकी बेटी पेशाब कर रही है,,,।
Bahot behtareen
Shaandaar update bhai
सुबह के 5:00 बज रहे थे,,,, सूरज की पहली किरण धरती पर आने के लिए अंधेरों को चीरते आगे बढ़ रही थी,,,,,, सुबह की ठंडक में अभी भी बहुत से लोग बिस्तर में मीठी नींद का मजा ले रहे थे,,,, होटल में अभी भी चारों तरफ शांति छाई हुई थी,,,,,, लेकिन कपिल की आंख बहुत जल्दी खुल गई क्योंकी आज उसका एग्जाम था,,,उसे जल्दी तैयार होना था और कॉलेज भी जाना था जहां पर एग्जाम होने वाली थी,,,उसकी नींद खुली तो बिस्तर पर सो रहे उसके पापा पर उसकी नजर पड़ी जो की गहरी नींद में सो रहे थे वह चाहती थी कि उसके पापा से उठने से पहले हुए हैं नहा धोकर तैयार हो जाएगी,इसलिए सुबह-सुबह पेशाब के प्रेशर के साथ ही उसकी नींद खुल गई और वह बाथरूम में जाकर पेशाब करने लगी,,,पेशाब करते समय उसकी बुलाकी बुर के गुलाबी छेद से आ रही सिटी की जबरदस्त आवाज संजय कानों में पड़ते ही संजय की नींद उड़ गई,,,,, वह मधुर मादक सिटी की आवाज से अच्छी तरह से वाकिफ था,,,,और यह जानने के लिए की सिटी की माता का भाषा कहां से रही है इसलिए अब अपने बिस्तर पर नजर दौड़ा या तो शगुन वहां पर नहीं थी उसे समझते देर नहीं लगी कि बाथरूम के अंदर उसकी बेटी है,,,उत्तेजित होने के लिए यह एहसास ही उसके लिए काफी था पल भर में ही उसका लंड तनकर एकदम खड़ा हो गया,,,,,, पेशाब करने की आवाज से ही संजय पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा वह अपने मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने पजामी को घुटनों का सरका कर मुत रही होगी,,, या हो सकता है वह अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मुत रही हो,,,,,अपने मन में यह सोचने लगा की पेशाब की धार उसकी गुलाबी बुर के छोटे से छेद से निकलती हुई कैसी लग रही होगी,,, उसकी गोलाकार सुडोल,, गांड बैठने की वजह से कैसे निकल कर बाहर उभर आई होगी,,,, यह सब सोचकर संजय पागल हुआ जा रहा था और उसका हाथ अपने आप उसके पजामें में चला गया और उसने खड़े लंड को सहलाना शुरु कर दिया,,,, अभी भी बाथरूम से सीटी की आवाज लगातार आ रही थी संजय को समझते देर नहीं लगी कि उसकी बेटी को जोरों से पेशाब लगी हुई थी,,,,,,,
संजय बाथरूम के अंदर के नजारे को देखने के लिए तड़प उठा,,, लेकिन वो जानता था कि अंदर का नजारा देख सकना नामुमकिन है इसलिए अपने मन में ही अपनी कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा रहा था,,,,,, संजय को अपने पजामे में भूचाल उठता हुआ महसूस हो रहा था,,,संजय की हालत खराब थी अपने बेटी की मुतने की आवाज को सुनकर,,,, इस बात से बेखबर शगुन इत्मीनान से पेशाब करने के बाद उठ खड़ी हुई और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,, बाथरूम में लगे मिरर में,,, अपने संपूर्ण वजूद को देखकर खुद सगुन शर्मा गई,,,,,, उसे अपनी खूबसूरती पर गर्व हो रहा था उसका बदन संगमरमर से तराशा हुआ प्रतीत हो रहा था छातियों की शोभा बढ़ाती उसकी दोनों गोलाइयां,,, पेड़ में लगे अमरूद की तरह नजर आ रही थी,,,, लाल-लाल होठों में जैसे कि गुलाब की पत्तियों का सारा रस निचोड़ कर भर दिया गया हो,,,, शगुन की नजर अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वह शर्म से लाल हो गई,,, हल्के हल्के रोए उसे अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों के इर्द-गिर्द नजर आ रहे थे जिसे वह तीन-चार दिन हो गए थे क्रीम लगाकर साफ नहीं की थी यूं तो शगुन को अपनी दोनों टांगों के बीच सफाई ज्यादा ही पसंद थी,,, लेकिन तीन-चार दिनों से एग्जाम की तैयारी करने की वजह से उसे समय नहीं मिला था लेकिन फिर भी वह रेशमी रोए उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे,,,, अपने आप ही शगुन की हथेली अपनी दोनों टांगों के बीच पहुंच गई और वह अपने हाथों से अपनी बुर को मसल दी,,,।

सहहहहह ,,,,,की गरम सिसकारी की आवाज के साथ वह अपनी हथेली को अपनी बुर के ऊपर से हटा ली,,,,सावर चालू करने से पहले वहां पीछे घूम कर मिरर में अपने नितंबों की गोलाई को अपनी आंखों से नापने लगी,,, गजब का नजारा मिरर में नजर आ रहा था अपनी उभरती हुई गांड को देखकर खुद शगुन दांतो तले उंगली दबा ली,,,,,,,धीरे-धीरे अपने ही नंगे बदन को देख कर सब उनके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी लेकिन वह अपनी उत्तेजना को इस समय उभरने नहीं देना चाहती थी,,,क्योंकि वह अपना सारा ध्यान एग्जाम पर केंद्रित करना चाहती थी इसलिए सांवर चालू करके नहाने लगी,,, कुछ ही देर में गरम हुए बदन पर पानी की ठंडी बुंदे पडते ही,,, शगुन को थोड़ा राहत हुई लेकिन सावर से गिर‌ रहे पानी की आवाज को सुनकर संजय का मन बेचैन हो गया,,,उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहा रही है,,, उसका मन अपनी बेटी को नंगी देखने के लिए ललच रहा था,,,हालांकि वह अपने मन में आए गंदे विचार को लेकर काफी परेशान भी था लेकिन जवानी का जोश खूबसूरत नंगे बदन को देखने की लालच पर उसका अंकुश बिल्कुल भी नहीं रह गया था,,,,,,,

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थोड़ी ही देर में अपनी खूबसूरत संगेमरमरई बदन पर टावल लपेटकर वह बाथरूम से बाहर आ गई वह बाथरूम में अपने कपड़े ले जाना भूल गई थी,,,,जैसे ही वह बाथरूम से बाहर निकली वैसे ही समझे जानबूझकर अपनी आंखों को बंद कर लिया और गहरी नींद में सो रहे होने का नाटक करने लगा बाथरूम से निकलने के बाद शगुन एक नजर अपने पापा पर डाली और वह गहरी नींद में सो रहे हैं यह जानकर इत्मीनान से रूम में लगी मिरर के सामने खड़ी हो गई,,,,,, कुछ देर तक आईने में दीख रहे अपने अक्स को देखने लगी,,,,,और मुस्कुराने लगी उसका मन गीत गुनगुनाने को कर रहा था लेकिन अपने पापा की नींद में कोई खलल न हो जाए इसलिए वह अपने आप को रोके हुए थी,,,,

आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वह इस तरह से अपने पापा के कमरे में या उनके सामने कपड़े बदले और इस तरह से टॉवल में आए लेकिन आज का दिन और माहौल कुछ और था,,,वह अपने घर में नहीं बल्कि एक होटल में थी जहां पर वह एग्जाम देने आई थी और एक ही कमरा था जहां पर ना चाहते हुए भी उसे अपने कपड़े बदलना पड़ रहा था ऐसे तो वह बाथरूम में जाकर कपड़े बदल सकते थे लेकिन उसके पापा अभी नींद में थे इसलिए वह बेझिझक अपने कपड़े बदलने के लिए तैयार थी ,,,
संजय धीरे से अपनी आंखों को खोल कर अपनी बेटी को भीगे हुए खूबसूरत जिस्म को देख रहा था जिस पर एकता व लिपटी हुई थी लेकिन उसकी अनुभवी आंखें टॉवल में लिपटी हुई उसके संपूर्ण बदन के भूगोल को अपनी आंखों से टटोल रही थी,,,,,, संजय अपनी बेटी के गांड के उभार को देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, संजय का लंड अभी भी उसके पजामे में गदर मचा रहा था,,,, वह अपनी अधिक खुली आंखों से सब कुछ देख रहा था उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, शकुन अपने बैग में से कपड़े निकालने के लिए नीचे झुकी तो उसके झुकने की वजह से जो नजारा संजय की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, शगुन की गांड संजय की नजर की आंखों के सामने उभर कर आ गई थी और टांगों के बीच कि उसकी पतली दरार भी उसे साफ नजर आने लगी थी,,,अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार को देखते ही संजय की सांस रुकते रुकते बची थी,,, और उसके लंड में लावा का उबाल बढने लगा,,,, संजय की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी और दूसरी तरफ शगुन इस बात से अनजान कि उसके पापा अपनी आंखों को खोल कर उसके बेशकीमती खजाने को अपनी आंखों से ही लूट रहे हैं वह बैग में रखे अपने कपड़े को ढूंढ रही थी,,,,, सबसे पहले वह बैग में से अपनी लाल रंग की पैंटी को ढुंढ कर उसे हाथों में लेकर उसे पहहने के लिए खड़ी हुई तो उसकी टावल तुरंत खुल कर नीचे गिर गई,,,इस बात का अंदाजा सगुन को बिल्कुल भी नहीं था वह टावल के गिरने की वजह से पूरी तरह से नंगी हो गई थी और एकदम से चौक गई थीक्योंकि इस समय वह बिस्तर पर गहरी नींद में सो रहे हैं अपने पापा की आंखों के सामने इसलिए वह तुरंत पीछे नजर घुमाकर अपने पापा की तरफ देखने लगी लेकिन समय को भापकर संजय ने तुरंत अपनी आंखों को बंद कर लिया और चैन से गहरी नींद में सोए रहने का नाटक करने लगा,,,, अपने पापा को गहरी नींद में सोया हुआ देखकर सगुन ने राहत की सांस ली और ,,,,

कोई भी नहीं देख रहा है इस बात का एहसास होते ही शगुन नीचे गिरी अपनी टावल को उठाने की भी तस्दी नहीं ली,,,, और उसी तरह से नंगी खड़ी रही,,, क्यों किस बात का उसे इतना ना हो चुका था कि उसके पापा गहरी नींद में सो रहे हैं लेकिन इस बात से वह पूरी तरह से अनजान थी कि उसके पापा उसकी जवानी का रस को अपनी अधखुली आंखों से पी रहे हैं,,,,,,, संजय ने धीरे से अपनी आंखों को खोला तो उसकी आंखों के सामने उसकी बेटी पूरी तरह से नंगी खड़ी गिरेबान उसकी पीठ पर चिपक गए थे और उसमें से गिर रही पानी की बूंदे किसी मोती के दाने की तरह उसकी कमर से होती उसके नितंबों के घेराव को अपनी आगोश में लेकर नीचे फर्श पर गिर रहे थे,,,। संजय का होश ठिकाने बिल्कुल भी नहीं था,,,, अपने लंड को अपनी बेटी की चिकनी पीठ उसकी कमर पर उसके नितंबों के दरार के बीच रगड़ना चाहता था,,,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,,
शकुन अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनने के लिए अपनी एक टांग उठा कर उसके छेद में डाल दी और उसी तरह से अपने दूसरा पैर भी उठाकर पेंटी के दूसरे छेद में डाल दी ऐसा करने पर बार-बार उसके नितंबों का घेराव कुछ ज्यादा ही उभर जाता था जिसे देखकर संजय का लंड ठुनकी मार रहा था,,,

संजय पहली बार अपनी बेटी को पेंटी पहनते हुए देख रहा था और उसकी गोरी गोरी गांड पर लाल रंग की पेंटिं क्या खूब लग रही थी,,,,, लेकिन शकुन अपने बाकी के कपड़े बैग से लेने के लिए नीचे झुकती कि तभी उसकी नजर मिरर में पड़ी और अपने पापा की खुली आंखों को देखकर वो एकदम से चौक गई,,, उसे पता चल गया कि उसके पापा नींद में नहीं है बल्कि जाग रहे हैं और उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख रहे हैं,,,, यह देखते ही सगुन की हालत खराब होने लगी,,, संजय अभी भी शगुन को ही देख रहा था शगुन कुछ देर तक यूं ही खड़ी नहीं संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन सब अपने मन में सोच रही थी और उसके होंठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,।


आखिरकार वो भी किसी न किसी बहाने अपने पापा को अपने नंगे जिस्म का दर्शन कराना चाहती थी उसे उत्तेजित कराना चाहती थी ताकि जिस तरह कि वह कल्पना करती थी वह साकार हो सके,,,, अब वह अपने पापा को खुलकर अपने बदन का दर्शन करना चाहती थी,,, इसलिए वह कुछ देर तक खड़ी होकर सोचने के बाद, अपनी पेंटी के दोनों छोरों पर अपनी नाजुक नाजुक ऊंगलियो को रखकर उसे,,, नीचे की तरफ खींच कर उतारने लगी,,,, संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बेटी क्या कर रही है,,, लेकिन उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,,देखते ही देखते हल्के हल्के होले होले अपनी गांड को मटका अपनी पेंटी को अपनी लंबी चिकनी टांगों से उतार ली,,, एक बार फिर से वह अपने पापा की आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी हो गई,,,,, सामने का खूबसूरत मादकता भरा नजारा देखकर और अपनी ही बेटी के नंगे जिस्म को देखकर संजय को दिल का दौरा पडते-पडते रह गया,,,,, संजय का हाथ अभी भी पजामे के अंदर था,,, और वह अपने लंड को जोर-जोर से मुठ्ठी में भींच रहा था,,,,,,

उसके पापा को बिल्कुल भी शक ना हो इसलिए अपनी पेंटी को अपने हाथ में लेकर एक बार फिर से झुक कर उसे ,बैग में रखते हुए बोली,,,


यह लाल रंग का नहीं एग्जाम के लिए यह लाल रंग मुझे बिल्कुल लकी साबित नहीं हो रहा है अाज में आसमानी रंग की पहनुंगी,,,,(पर ऐसा क्या कर रहा अपनी बैग में से आसमानी रंग की दूसरी पेंटी को निकाल लीअपनी बेटी की बातों को सुनकर संजय को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि वह जानबूझकर अपनी पेंटिं को उसे दिखाने के लिए निकाली है,,,, और इस तरह से अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनी थी उसी तरह से अपनी आसमानी रंग की पैंटी को पहन ली,,, शगुन के गोरे रंग पर कोई भी रंग जच रहा था और संजय की उत्तेजना को बढ़ा रहा था,,,, शगुन चाहती तोइसी से मैं अपने पापा को अपनी दोनों टांगों के बीच की उस खूबसूरत दरार को दिखा देती जिसे बुर कहां जाता है जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है और जिसे देख कर ही ना जाने कितनों का पानी निकल जाता है लेकिन शगुन अपने पापा को और तड़पाना चाहती थे क्योंकि वह जान रही थी आईने में जिस तरह से उसके पापा उसे प्यासी नजर से देख रहे हैं अंदर ही अंदर कितना तड़प रहे होंगे,,,पर ना जाने क्यों आज उसे अपने पापा को अपना खूबसूरत जिस्म दिखाकर तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था और ऐसा सब उनके साथ पहली बार हो रहा था कि वह किसी मर्द के आंखों के सामने ही अपनी नंगे बदन पर एक एक कर के कपड़े पहन रही हो और उसकी आंखों के सामने नंगी खड़ी हो,,,



संजय गहरी सांस लेते हुए अपनी आंखों के सामने के नजारे का लुफ्त उठा रहा था और सगुन एक बार फिर से नीचे की तरफ झुक कर अपनी सलवार और कुर्ती निकालने लगी वह एग्जाम देने के लिए इसे ही पहनने वाली थी क्योंकि इसमें उसे आराम मिलता था,,,, वह सलवार कुर्ता पहनने के लिए अपनी टांग उठा रही थी कि उसे याद आया कि उसने बुरा तो पहनी नहीं अपने पापा को अपने नंगे बदन का दर्शन कराने के चक्कर में भूल गई थी वह भी आईने में अपने पापा को देख रही थी जो कि आंख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,,लेकिन ब्रा पहनने से पहले वह एक बार अपने पापा को अपनी दोनों चूचियां दिखाना चाहती थी जो कि अमरूद की तरह एकदम ठोस थी,,,,,,,ऐसा लग रहा था कि कैसे हो अपने पापा पर तरस खा रही हो क्योंकि वह अपनी बुर दिखाई नहीं थी और उसी के एवज में अपनी चूची दिखाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,। और इसीलिए ब्रा लेने के बहाने वह अपने पापा की तरफ घूम गई लेकिन अपनी नजरों को नीचे की हुई थी ताकि उसके पापा को यह ना लगे कि उसे पता चल गया है वह अपने पापा की नजरों में अंजान बने रहना चाहती थी,,,,,,



अपने पापा की तरह घूम जाने की वजह से संजय की आंखों के सामने जो नजारा पेश हुआ उसे देखकर संजय के तन बदन में चुदास पन की लहर दौड़ने लगी,,, अपने बेटी के दोनों अमरुदो को देखकर संजय का मन उसे अपने हाथों में पकड़ने को करने लगा और उसे मुंह में भर कर पीने को करने लगा क्योंकि उसकी बेटी की दोनों चूचियां एकदम जवान थी,,, संजय जानता था कि ऐसी चुचियों को हाथ में लेकर दबाने में बहुत मजा आता है और इस हरकत पर लड़कियां भी एकदम मस्त हो जाती है,,,,, संजय की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और शगुन की दोनों चूचियां एकदम तनी हुई थी ऐसा करने में शगुन भी उत्तेजित हो रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी चूचियों के दोनों निप्पल कैडबरी की छोटी सी चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,, जिसे संजय अपने मुंह में लेकर अपने दांतो से दबाना चाहता था,,,। उसे काटना चाहता था हालांकि अपनी इस ख्यालों को लेकर और पूरी तरह से परेशान भी था क्योंकि वह अपनी बेटी के बारे में इतने गंदे गंदे विचार अपने मन में ला रहा था लेकिन वह हालात से मजबूर था उसके सामने का नजारा था ही इतना मादक कि वह खुद उसके नशे में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था,,,,,

शगुन जानती थी कि उसके पापा ने उसकी दोनों चूचियों को नजर भर कर देख लिया है इसलिए वह नीचे झुक कर अपनी ब्रा उठाकर उसे पहनने लगी,,,, पर एक बार फिर से आईने की तरफ मुंह करके घूम गई अपनी ब्रा का हुक बंद करने के लिए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़प आते हुए ब्रा के हुक को ना लगाते हुए उसे इधर-उधर करके अठखेलियां करने लगी,,, संजय का मन कर रहा था कि वह बिस्तर से उठे और खुद जाकर अपनी बेटी के ब्रा के हुक को लगा दे या तो फिर उसे पूरी तरह से उतार कर फेंक दे,,,,,। आखिरकार शगुन अपनी ब्रा का हुक लगा दी,,, ब्रा के अंदर के कैद उसके दोनों अमरुद बहोत खूबसूरत लग रहे थे,,,।
देखते ही देखते शगुन अपनी सलवार और कुर्ती भी पहन ली वह तैयार हो चुकी थी अपनी बालों को सवारने लगे और घड़ी में 6:00 बज चुके थे इसलिए वह अपने पापा को जगाना चाहती थी जो कि पहले से ही जगे हुए थे लेकिन फिर भी औपचारिकता दिखाते हुए वह अपने पापा के बिस्तर के करीब बढी और यह देख कर अपनी आंखों को बंद कर लिया अपने पापा की हरकत को देखकर सगुन मुस्कुराने लगी,,,, और अपने पापा के हाथ को पकड़ कर उन्हें जगाते हुए बोली,,,।

उठो पापा देर हो रही है,,,,(पहले तो संजय जानबूझकर गहरी नहीं तो मैं सोने का नाटक करने लगा और यह देख कर शगुन बंद बंद मुस्कुराने लगी यह सोच कर कि उसके पापा कितना नाटक कर रहे हैं उसकी कमसिन खूबसूरत नंगी जवानी को अपनी आंखों से देख कर अपना लंड खड़ा कर लिए हैं फिर भी सोने का नाटक कर रहे हैं,,, एक दो बार और कोशिश करने पर संजय समझ गया क्या उसे उठना ही पड़ेगा और वह आलस मरोड़ ते हुए लेटे हुए बोला,,,)

कितना बज रहा है,,,


6:00 बज के 9:00 एग्जाम है हमें जल्दी निकलना है,,,,


ओहहह ,,,,, मैं तो सोया ही रह गया,,,,(अपने ऊपर से चादर को हटाकर एक तरफ रखते हुए वह जानता था कि उसके पजामे में उसका लंड तनकर एकदम तंबू बना हुआ है,,, और वह जानबूझकर अपनी बेटी को उसके पजामे में बने तंबू को दिखाना चाहता था,,,, और ऐसा हुआ भी,,,, संजय बेझिझक बिस्तर पर से खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ जाने लगा वह जानता था कि उसकी बेटी की नजर उसके पजामे पर जरूर पड़ेगी क्योंकि वह इस समय पूरी तरह से खुंटे की शक्ल ले चुका था,,,। जैसा वह चाहता था ऐसा हुआ कि बाथरूम में पहुंचने से पहले ही सगुन की नजर अपने पापा के पजामे के आगे वाले भाग पर पड़ी तो वह एक दम से चौंक गई,,,, पजामे में बने तंबु को देखकर वह दंग हो गई थी,,,, संजय बाथरूम में घुस गया था और सगुन के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी,,, क्योंकि वह जानती थी उसके पापा की हालत उसकी वजह से ही हुई है,,,।

संजय अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाया था और बाथरूम में घुस कर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था और तब तक मिला था जब तक कि उसका गर्म लावा बाहर ना निकल गया,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर नाश्ता करके एग्जाम देने के लिए कॉलेज की तरफ रवाना हो गए,,,।
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Vikash007

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सगुन को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,, आंखों को बंद किए हुए अपने खूबसूरत अंग पर खुरई हरकत को महसूस करके वह यही समझ रही थी कि उसके साथ इस तरह की हरकत करने वाला उसका भाई है,,, लेकिन दरवाजे पर जाते हुए जब वह अपने पापा को देखी तो उसके तन बदन में अजीब सी हलचल मचने लगी थी,,,, पल भर में ही उसकी बुरे से मदन रस की धारा फूट पड़ी,,, इतना तो वह जानती थी कि उसके पापा के प्रति वह पूरी तरह से आकर्षित थी लेकिन आज उसे इस बात का पक्का यकीन हो गया कि उसके पापा भी उसकी तरफ पूरी तरह से आकर्षित है,,,, अभी भी सगुन की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, वह गहरी सांस लेते हुए अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी,,,,अपनी खूबसूरत फूली हुई गुलाबी बुर को देख कर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कुछ पल पहले उसके पापा उसके अंदर अपनी उंगली घुसाने की कोशिश कर रहे थे,,,, और लगभग लगभग वह अपने इरादे में कामयाब भी हो जाती है अगर वह कसमसाती नहीं तो,,, शगुन को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था क्योंकि आज उसके लिए बहुत ही अच्छा मौका था अगर वह कसमसाती नहीं तो शायद उसके पापा अपनी पूरी उंगली उसकी बुर में डाल देते और इसके बाद क्या पता उसकी किस्मत का दरवाजा भी खुद उसके पापा ही खोलते,,,
अपने पापा की कामुक हरकत की वजह से शगुन पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,,,जिस तरह से संजय अपनी बेटी की खुबसूरत बुर की मादक गर्मी को अपने अंदर महसूस करके पूरी तरह से गर्म हो चुका था और अपनी गर्मी शांत करने के लिए बाथरूम में चला गया था वैसे ही सगुन भी अपने पापा की गरम हरकत की वजह से अपने अंदर की जवानी के जोश को ठंडा करने के लिए अपने बाथरूम में चली गई और जाते ही अपने सारे कपड़े उतार दि वैसे भी वह कमर के नीचे पहले से ही नंगी थी और बाथरूम के अंदर घुसते ही अपनी टी-शर्ट निकालकर एकदम मादरजात नंगी हो गई,,, भगवान ने उसे झोली भर भर कर हुस्न दिया था,,, तभी तो आईने में अपने नंगे बदन को देख कर वह शर्माने के साथ-साथ उत्तेजित भी हो गई,,,, और जो काम उसके पापा ने अधूरा छोड़ कर भाग गए थे उसी काम को पूरा करने के लिए वह एक साथ अपनी दो उंगली को अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में डालकर उसे अंदर-बाहर करने लगी और अपनी गर्म सिसकारी के साथ पूरे बाथरूम को मादकता भरे गरम सिसकारी की मादक संगीत से भरने लगी,,, और थोड़ी ही देर में अपनी गर्म जवानी मदन रस में घोलकर बहाने लगी,,,।

पूरे घर में बस दिन-रात मां बेटे और बाप बेटी चारों के दिमाग में एक दूसरे के प्रति चुदाई का आकर्षण बढ़ता ही जा रहा था और चारों के दिमाग में बस चुदाई चुदाई चुदाई गी चल रही थी,,, और वो भी किसी गैर से नहीं बल्कि अपनों से ही,,,

संध्या और सोनू धीरे धीरे आपस में खुलकर बातें करने लगे थे लेकिन 2 अर्थों में अभी तक दोनों के बीच शब्दों में संपूर्ण रूप से खुलापन नहीं आया था,,,। ऐसे ही एक दिन शाम के 5:00 बजे,,, सोनू अपने पापा के घर में ही बने छोटे से जिम में कसरत करके पसीना बहा रहा था,,, कसरत करते समय सोनू भी केवल शोर्ट ही पहनता था,,,, क्योंकि इससे उसे कसरत करने में बड़ा आरामदायक महसूस होता था,,,,। सोनू को रोजाना कसरत करने की आदत सी पड़ गई थी वह भी अपने फिटनेस को बरकरार करने के लिए तभी तो उसके डोले शोले एकदम किसी फिल्मी हीरो की तरह लगते थे,,, चौड़ी छाती,,, मजबूत कंधा बॉडी जबरदस्त,,, वैसे भी वह हैंडसम ही था लेकिन उसे इस अवस्था में अगर कोई भी लड़की या औरत देख ले तो उसकी दीवानी हो जाए,,, ऐसे ही वह 5 5 किलो का डंबल लेकर अपनी बॉडी बना रहा था,,,, और संध्या छत पर सुख रहे कपड़ों को इकट्ठा करके नीचे अपने कमरे में रखने के लिए जा रही थी कि तभी बाजू वाले कमरे का दरवाजा खुला देखकर वह अनायास ही उस तरफ आगे बढ़ गई और जैसे ही दरवाजे पर पहुंची सामने अपने बेटे को कसरत करता हुआ देखकर और उसकी जबरदस्त फिल्मी हीरो की तरह बॉडी देखकर दंग रह गई,,, ऐसा नहीं था कि वहअपने बेटे को इससे पहले नहीं देखी थी लेकिन आज की बात कुछ और थी क्योंकि अब उसका नजरिया अपने बेटे को देखने का बिल्कुल भी बदल गया था अब उसे अपने बेटे के अंदर बेटा नहीं बल्कि एक मर्द नजर आता था और वह भी एक दम प्यासा नौजवान,,, दरवाजे पर खड़े होकर उसकी दिल की धड़कन बढ़ने लगी अपने बेटे की चौड़ी छाती मजबूत कंधा मोटी मोटी जांघों को देखकर उसे अपनी दोनों जांघों के बीच हलचल महसूस होने लगी,,,सोनू अपनी मस्ती में बारी-बारी से उस पांच 5 किलो के वजन को उठा रहा था जिससे उसकी हाथों की बॉडी और ज्यादा फूलती हुई नजर आ रही थी जिसे देखकर संध्या की खुद की रसीली बुर तवे पर पड़ी गरम रोटी की तरह फुलने पिचकने लगी थी,,,,

सोनू का लंड वाकई में ईतना बड़ा था कि छोटी सी चड्डी के अंदर उसका उभार बड़ा ही मनमोहक और मादकता से भरा हुआ लगता था

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संध्या के हाथों में कपड़ों का ढेर था,, और वह सब कुछ भूल कर केवल अपने बेटे को देखने में मशगूल हो गई थी,,,उसकी नजर ऊपर से लेकर के धीरे-धीरे नीचे की तरफ आ रही थी वजह से ही उसकी नाभि के नीचे उसकी नजर गई तो शॉर्ट में ऊभरा हुआ उसका दमदार लंड वाला भाग नजर आने लगा जिसे देखते ही संध्या की बुर में खुजली होना शुरू हो गया,,, हालांकि अभी शोर्ट के अंदरसोनू का लंड बिल्कुल सामान्य अवस्था में था लेकिन फिर भी उसका उभरा हुआ भाग ऐसा लग रहा था कि मानो,,, शोर्ट के अंदर उसका लैंड खड़ा हो रहा है,,,,संध्या की निगाहें अच्छी तरह से अपने बेटे के बदन के हर एक कोने का निरीक्षण कर रही थी,,,, उसकी चौड़ी छाती पर पसीने की बूंदे मोती की तरह चमक रही थी,,,।सोनू अपने बदन को ज्यादा गठीला बनाने के लिए पसीना बहा रहा था जिसे देखकर उसकी मां की बुर अपना पसीना निकाल रही थी,,,, तभी सोनू की नजर दरवाजे पर खड़ी अपनी मां पर गई,,, और उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,, वह मन ही मन खुशी से झूम उठा,,,कोई और समय होता तो शायद वह अपनी अवस्था को कपड़ों से डरने की जरूरत को समझता लेकिन ना जाने क्यों वह अपनी मां की आंखों के सामने अपनी अवस्था को बिल्कुल भी छुपाने की कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि वह तो यही सोच रहा था कि उसकी मां उसे उस अवस्था में देखें उसके मर्दाना जिस्म को देखकर अपनी गर्म जवानी को पिघलने पर मजबूर कर दे,,,,,, सोनू अच्छी तरह से जानता था कि शोर्ट में सामान्य अवस्था में होने के बावजूद भी उसका लंड काफी उभरा हुआ लगता था,,, और उसे यकीन था कि उसकी मां उसके मर जाना जिस्म के साथ-साथ उसकी दोनों टांगों के बीच के उस कुंडली को भी देख रही होगी,,, और वह यही चाहता भी था,,,,,,, क्योंकि जिस तरह की हरकत उसकी मां उसके साथ करने लगी थी सोनू को लगने लगा था कि उसकी मां को कुछ चाहिए,,,।,,, सोनू अपनी मां को दरवाजे पर देखकर बोला,,,।

मम्मी तुम यहां,,,,,


क्यों नहीं आ सकती क्या,,,,


नहीं ऐसी कोई बात नहीं है आना चाहिए मैं तो कहता हूं कि आपको भी रोज जिम करना चाहिए,,,
(अपनी बेटी की बात सुनकर संध्या मुस्कुरा दी,,,, उसका मन तो कर रहा था कि वही खड़ी होकर अपने बेटे की खूबसूरत मजबूर कटीले बदन का दीदार कर सके लेकिन,,, उसे ऐसा लग रहा था कि कहीं उसका बेटा उसकी उपस्थिति में अपनी हालत पर शर्मा ना जाए,,, इसलिए वह बोली,,,)

तू कसरत कर मै जा रही हु,,,,(इतना कहने के साथ जैसे ही संध्या अपना कदम पीछे हटाई वैसे ही सोनू बोल पड़ा,,,)

कहां जा रही हो मम्मी थोड़ी मेरी मदद करो,,,,


भला मैं तेरी कैसे मदद कर सकती हूं,,,,


अरे ज्यादा कुछ नहीं करना है,,,, बस में वेटलिफ्टिंग करने जा रहा हूं और तुम उसका वजन बढ़ाना,,,,(इतना कहने के साथ ही सुनो अपने हाथ में लिए हुए डंबल को नीचे रख दिया,,,, वह पूरी तरह से पसीने से भीगा हुआ था,,, पूरे कमरे में उसके पसीने की गंध फैली हुई थी लेकिन इस समय संध्या को अपने बेटे के पसीने की गंध और ज्यादा मादक लग रही थी,,, क्योंकि उसका बेटा मर्दाना ताकत से भरा हुआ नौजवान था,,। सोनू 60 किलो के वजन को अपनी मां की आंखों के सामने उठाने लगा,, यह देखकर संध्या दंग हुए जा रही थी,,,,देखते ही देखते सोनू अपनी मां की आंखों के सामने ही भारी-भरकम वजन को उठाकर अपने कंधों से उपर कर लिया,,,। सोनू का गठीला बदन पसीने से भीगा हुआ था उसकी चौड़ी छाती फुल कर और ज्यादा चोडी हो गई थी,,, और यह देखकर संध्या की बुर फुलने लगी थी,,।

वाह वाह बेटा वाह,,,, तेरे में तो बहुत दम है,,,, 60 किलो तु उठा लिया और वो भी ईतने आराम से,,,,।


अरे यह तो कुछ भी नहीं है मम्मी 120 किलो भी मैं आराम से उठा लु,,,,(इतना कहते हुए सोनू 60 किलो के वजन को वापस नीचे रखते हुए बोला) अब मम्मी तुम उधर 10 किलो वाला वजन तीन इसमें डालो और तीन उस छोर पर डालो,,,
(इतना सुनते ही संध्या आश्चर्य से बोली)

इतना वजन नहीं नहीं सोनू,,, उठाने में तकलीफ हो गई तो कमर में मोच आ गई तो मुसीबत हो जाएगी नहीं नहीं ऐसा मत कर,,,।

क्या मम्मी तुम भी बच्चों जैसी बात करती हो,,, मेरा रोज का है आज पहली बार नहीं उठा रहा हूं,,,,


फिर भी मुझे डर लग रहा है,,,।
(संध्या का डर लाजमी था क्योंकि उसका बेटा 120 किलो वजन उठाने की बात कर रहा था जो कि बहुत ज्यादा था संध्या को इस बात का डर लग रहा था कि कहीं वजन उठाने की वजह से उसकी कमर में मोच ना आ जाए,,,।)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी मुझ पर विश्वास रखो,,, बस जैसा मैं कहता हूं वैसा ही कर दो,,,

(संध्या को अंदर ही अंदर घबराहट हो रही थी लेकिन उसे अपने बेटे की कही बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे लग रहा था कि उसका बेटा 120 किलो का वजन उठा लेगा ,,, इसलिए वह अपने बेटे के कहे अनुसार वजन रखने लगी और देखते ही देखते वह 120 किलो का हो गया,,, लेकिन इस बात को शायद घबराहट की वजह से संध्या भूल गई थी कि हाथ में ढेर सारे कपड़ों का ढेर लिए वह जब पहली बार वजन को उठाने के लिए नीचे झुकी तो वैसे ही उसकी साड़ी तुरंत उसके कंधे से नीचे गिर गए जिसकी वजह से उसके दोनों दशहरी आम एकदम से सोनू की आंखों के सामने नाचने लगे,,,, यह देखकर सोनू के मुंह में पानी आ गया था,,,,सोनू को लग रहा था कि उसकी मां की भारी-भरकम चुचियों का भार शायद उसके ब्लाउज के छोटे-छोटे बटन नहीं उठा पाएंगे और टूट कर बिखर जाएंगे जिससे उसके दोनों चुचीयां उसके ब्लाउज से निकलकर बाहर लहराने लगेंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,,, लेकिन सोनू के तन बदन में आग लग गई उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, और संध्या अपना साड़ी का पल्लू ठीक ना करके कपड़ों के ढेर को वही कुर्सी पर रखकर अपने बेटे के कहे अनुसार वजन रखने लगी लेकिन इस दौरान उसके साड़ी का पल्लू नीचे ही गिरा हुआ था जिससे ,, और यह मादकता भरा नजारा देखकर सोनू के छोटे से शोर्ट में उसका लंड जो कि अब तक कुंडली मार कर बैठा हुआ था वह फुंफकारने लगा था,,
छोटी सी चड्डी में बने अपने बेटे के लंड के उभार को देखकर अक्सर संध्या अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की बारे में कल्पना करती रहती थी।

और देखते ही देखते मां छोटी सी चड्डी में तंबू बनाना शुरू कर दिया था,,,, अब तक संध्या की नजर अपने बेटे की छोटी सी चड्डी में बने तंबू पर नहीं पड़ी थी,,, लेकिन उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गई थी और उसके दोनों खरबूजे ब्लाउज में से बाहर उछल पढ़ने के लिए बेताब थे और यह भी पता था कि उसके बेटे की प्यासी नजर उसके ब्लाउज के ऊपर ही टिकी हुई थी,,,, यह अद्भुत रोमांचकारी एहसास संध्या की दोनों टांगों के बीच खलबली मचाने लगा,,,, सोनू पूरी तरह से तैयार था वजन उठाने के लिए,,, सोनू के लिए बिल्कुल भी नया नहीं था लेकिन संध्या के लिए यह बिल्कुल अलग किस्म का अनुभव था 120 किलो का वजन मायने रखता था,,,,सोनू वेटलिफ्टिंग करते समय झुका हुआ था जिससे संध्या को अपने बेटे के छोटी सी चड्डी में बना तंबू नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे ही सुनो पूरा बैलेंस बनाकर 120 किलो वजन को जैसे ही अपने कलाइयों का जोर दिखाते हुए उसे ऊपर उठाया,,, और अपनी छातियों तक लाकर जैसे ही उसे अपने कंधे के ऊपर लाकर और जोर से झटका देकर एकदम आसमान की तरफ ले गया वैसे ही तुरंत वह पूरी तरह से खड़ा हो गया संध्या हैरान थी अपने बेटे की ताकत को देख कर उसके भुजाओं के बल को देखकर,,, 120 किलो का बदन उसके हाथों में था,,,, संध्या का मुंह आश्चर्य से खुला खुला रह गया था,,,। सोनू खुश था मुस्कुरा रहा था अपनी मम्मी को इंप्रेस करने में पूरी तरह से कामयाब हो चुका था,,,,,,, सोनू को इस बात का अहसास था कि छोटी सी चड्डी में उसका मोटा लंबा पूरी तरह से तंबू बना चुका था और ऐसा लग रहा था कि उस चड्डी को चेंध करके उसका लंड बाहर आ जाएगा,,,और वह किसी भी तरह से अपनी छोटी सी चड्डी में बने कमरों को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश ना करते हुए जानबूझकर अपनी कमर को थोड़ा सा और हल्के से आगे की तरफ कर दिया मानो कि जैसे वह जानबूझकर अपनी मां को दिखाना चाहता हो,,,और संध्या की नजर अपने बेटे की चौड़ी छाती से होती हुई नीचे की तरफ आ गई और अपने बेटे की छोटी सी चड्डी में बने तंबू को देखकर उसकी बुर कुल बुलाने लगी,,,,, वह तो आंख फाड़े अपने बेटे के तंबू को देखे जा रही थी,,,,, उत्तेजना और आश्चर्य से उसका गला सूखता जा रहा था,,,, और सोनू अपनी मां को यह सब नहीं दिलाना चाहता था कि उसे इस बारे में पता है कि उसका लंड खड़ा हो चुका है इसलिए वह सहज बनते हुए बोला,,,।
  • अक्सर सोनू अपनी मां के बारे में सोचता था तो इसी तरह से उसका लंड खड़ा हो जाता था जिसे वह अपने हाथ से मसलकर शांत करने की कोशिश करता था,,,

देख ली ना मम्मी अपने बेटे की ताकत,,,, कोई भी तुम्हारे बेटे के आगे खड़ा नहीं हो सकता,,,,(सोनू जानबूझकर दो अर्थो वाली भाषा बोल रहा था,,,संध्या भी अपने बेटे के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह भी बोली,,,)

हां बेटा देख रही हूं और आज अच्छी तरह से जानती हूं तेरी ताकत को,,, तेरे से ज्यादा सचमुच किसी का खड़ा,,,, मेरा मतलब है तेरे आगे कोई भी खड़ा नहीं हो सकता,,,,(जल्दी से अपने शब्दों को सुधारते हुए बोली,,,)

मम्मी मैं तुम्हें भी बहुत ही आराम से उठा सकता हूं,,, यह तो तुम मस्ती किचन में देख ही चुकी हो,,,(सोनू ऊस वजन को नीचे जमीन पर रखते हुए बोला,,, लेकिन उसके मन में एक बार फिर से उस दिन की तरह आज भी अपनी मां को उठाने की इच्छा हो रही थी ताकि वह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच अपने तंबू को धंशा सके अपनी मां की बुर की गर्मी को अपने लंड पर महसूस कर सके,,,) कहो तो फिर से उठाकर दिखाऊं,,,,


नहीं नहीं मुझे डर लगता है कहीं गिर गई तो,,,,(संध्या अपने बेटे की बात सुनकर बोली वैसे उसका भी मन नहीं हो रहा था जो सोनू के मन में चल रहा था वह भी अपनी बेटी के लैंड के दबाव को अपनी मखमली फुली हुई बुर के ऊपर महसूस करना चाहती थी,,,,,,) नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं,,,,


अरे कुछ नहीं होगा मम्मी नहीं ,, गिरोगी,,,
(संध्या ना ना ना कहती रह गई लेकिन सोनू कहां मानने वाला था लेकिन संध्या का मन भी तो यही कह रहा था,,, सोनू एक बार फिर से भुजाओं का दम दिखाते हुए अपनी मां को उसके नितंबों के इर्द-गिर्द अपनी भुजाओ का घेरा बनाकर उसे उठा लिया,,,एक बार फिर से दोनों के तन बदन में अद्भुत एहसास और अत्यधिक उत्तेजना का प्रसार होने लगा,,, मादकता और मदहोशी का संचार दोनों के बदन में बड़ी तेजी से हो रहा था,,,,सोनू एक बार फिर से अपने होठों को अपनी मां की नाभि पर रखकर उसे अनजाने में चुंबन करके मदहोश होने लगा,,,, अपने बेटे के होंठों का स्पर्श से अपनी नाभि की गहराई में अच्छे से महसूस हो रही थी इसकी वजह से उसकी बुर से नमकीन पानी का रिसाव होने लगा,,, वह पूरी तरह से मदहोश होने लगी क्योंकि उसका बेटा सोनू लगभग लगभग नग्न अवस्था में ही था कि वह छोटी सी चड्डी उसके बदन पर थी जो कि उसके बमपिलाट लंड को ढक पाने में असमर्थ साबित हो रही थी,,,, अपने बेटे की नंगी छातियों पर अपने बदन को स्पर्श महसूस करते हैं संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हो रही थी,,,, सोनू की भी हालत पल पल खराब होती जा रही थी,,, वह अपनी उत्तेजना और जज्बातों पर काबू करते हुए बोला,,,।

देखी ना मम्मी मैं कितने आराम से तुम्हें उठाकर तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम्हारा वजन बहुत ज्यादा है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तुम फूल की तरह नाजुक हो तुम्हारा वजन एकदम फूल की तरह है,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर संध्या गदगद हुए जा रही थी,,, अपनी बेटी की बाहों में उसे बहुत अच्छा लग रहा है ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि उसका बेटा उसे अपने भुजाओं के सहारे उठाया हुआ है वह बिल्कुल सामान्य था,,, लेकिन यह बात शायद संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि कितना बार सामान्य दिख रहा था उसके अंदर हो रही खलबली सामान्य बिल्कुल भी नहीं थी खास करके उसके दोनों टांगों के बीच लटकता हुआ उसका दमदार हथियार,,, संध्या को इस बात का एहसास होने लगा था कि वजन रखने के लिए जब वह झुकी थी तो उसके साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया था और उसे ब्लाउज मैं से झांक रहे उसकी दोनों चूचियों को देखकर ही उसके बेटे का लंड पूरी तरह से खराब हो गया था क्योंकि झुकने से पहले उसके बेटे का लंड एकदम सामान्य था,, इस बात का एहसास उसके बदन में मादकता की चिकोटि काट रही थी,,, सोनू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)

मम्मी तुम बहुत खूबसूरत हो अगर थोड़ा सा भी अपने ऊपर ध्यान दो तो तुम्हारे आगे तो हीरोइन भी फेल है,,,।


बस कर कितनी तारीफ करेगा,,,


मम्मी तुम हो ही तारीफ के लायक,,, जितनी भी की जाए कम है,,,


चल अब बस मुझे नीचे उतार,,,,


नहीं पहले कहो सुबह सुबह मेरे साथ दौड़ने चलोगी,,,


मुझे बहुत काम रहता है सोनू,,,,(संध्या अभी भी अपने बेटे की भुजाओ मे थी,,,)

नहीं मैं कुछ सुनना नहीं चाहता मैं भी चाहता हूं कि मेरी मम्मी सबसे फिट रहे,,,,


कभी कभार तो चली जाती हु ना,,,


कभी कभार से काम नहीं चलेगा रोज चलना पड़ेगा,,,,


तु बहुत जिद करता है,,,,


पहले हां कहोगी तभी नीचे उतारुंगा,,,,


थक जाएगा,,,,

मैं नहीं थकूंगा देखना चाहती हो,,,,
(संध्या को अपनी बेटे पर पूरा भरोसा था,,, लेकिन फिर भी वहां जानबूझकर शंका जताते हुए बोली,,,।)

हां देखना चाहती हूं,,,,
(फिर क्या था लगभग लगभग 10 मिनट तक सोनू उसी तरह से अपनी मां को अपने हाथों में उठाए हुए पूरे कमरे में इधर से उधर घूमता रहा,,, लेकिन उसके चेहरे पर या बदन में जरा भी थकान का अहसास तक नहीं हो रहा था,,,संध्या मन ही मन अपने बेटे की ताकत पर पूरी तरह से फिदा हो चुकी थी,,, आखिरकार खुद ही हार मानते हुए वह बोली।)

अच्छा बाबा मैं चलूंगी तेरे साथ सुबह दौड़ लगाने बस अब मुझे नीचे उतार दे,,,,
(संध्या को पूरा यकीन था कि उसका बेटा उसे नीचे उतारते समय अपने तंबू को उसकी दोनों टांगों के बीच जरुर दबाएगा,,, और ऐसा ही हुआ,,, सोनू भी इसी पल का इंतजार कर रहा था उसका लंड था कि ढीला पड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था,,, और वह सच में अपनी मां को नीचे उतारते समय अपने तंबू को उसकी दोनों टांगों के बीच जोर से दबाव देते हुए नीचे उतारने लगा,,, जिससे सोनू का खड़ा लंड संध्या की मखमली बुर के ऊपर पूरी तरह से दबाव बनाने लगा,,,, और दोनों मां-बेटे अद्भुत संभोग कारी सुख के अनुभव से गदगद हो गए,,, संध्या जल्दी से वहां से सूखे हुए कपड़े उठाकर बाहर निकल गई और सोनू अपनी मां को जाते हुए उसकी बड़ी-बड़ी मटकती गांड को देखकर छोटी सी चड्डी के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा,,,।
संध्या को अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखने की लालसा दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी,,,

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जबरदस्त अपडेट है । लगता है सोनू ओर संध्या अपनी मंजिल पर जल्दी ही पहुँच जाएंगे
 
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संध्या कमरे से बाहर जा चुकी थी लेकिन जाते-जाते अपने बेटे के तन बदन में जवानी की आग को सुलगा चुकी थी,,, छोटी सी चड्डी में अपने तने हुए लंड को पकड़ कर वह मसल रहा था,,,। और मन ही मन कल्पना कर रहा था कि काश उसके लंड क9 उसकी मां पकड़कर इसी तरह से दबा दबा कर मसलती तो कितना मजा आता ,,,,,,, जवानी की गर्मी लंड के नीचे दोनों गोटीयों में उबाल मार रही थी,,, जिसे शांत करना बहुत ही जरूरी हो चुका था,,, इसलिए वह अपने कमरे में गया,,, और अपनी छोटी सी चड्डी को भी निकाल कर एकदम नंगा हो गया,,,, आंखों को बंद करके बिस्तर पर बैठ कर अपनी मां के बारे में कल्पना करने लगा जिसमें उसकी मां धीरे-धीरे माता कथा बिखेरते हुए उसकी आंखों के सामने अपने एक एक कपड़ों को अपने हाथों से उतार रही थी,,,, जैसे-जैसे संध्या के बदन पर से वस्त्र कम होते जा रहे थे वैसे वैसे सोनू के लंड में जवानी का उबाल बढ़ता जा रहा है,,,। कल्पना में सोनू को एकदम साफ नजर आ रहा था उसकी कल्पना की रचना इतनी प्रबल थी कि सब कुछ साक्षात नजर आया था सोनू की आंखों के सामने संध्या अपनी ब्लाउज के बटन खोल रही थी जैसे-जैसे बटन खुल रहा था वैसे वैसे उसके दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतर ब्लाउज के कैद में से आजाद होने के लिए फड़फड़ा रहे थे,,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, थोड़ी ही देर में संध्या की गोल-गोल चूचियां उसकी आंखों के सामने थी,,, सोनू अपना लैंड हिलाता हुआ मदहोश हुआ जा रहा था अपनी मां की दोनों चुचियों को देखकर उसकी कामवासना और भी ज्यादा प्रबल हो रही थी,,, लेकिन इससे ज्यादा की कल्पना भी नहीं कर पाया क्योंकि वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि बस अपनी मां की चूचियों को कल्पना में देखते ही उसके लंड का फव्वारा फूट पड़ा,,,।

दूसरी तरफ संध्या की भी हालत पतली होती जा रही थी,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके बेटे का कसरत करता हुआ गठीला बदन नजर आ रहा था,,, छोटी सी चड्डी में उसके बेटे का नंगा बदन बहुत ही सेक्सी लग रहा था,,, सोनू संध्या को कामदेव का रूप लग रहा था,,, जिसको देखते ही औरतें काम लिप्त हो जाती हैं,,, और उसके साथ शारीरिक सुख भोगने के लिए मचल उठती हैं,,। वही नजारा संध्या अपनी आंखों से देख कर पूरी तरह से कामविवश हो चुकी थी,,,। लेकिन कर भी क्या सकती थी अपने मन में हो मरते तूफान को शांत करने की कोशिश करते हुए वह किचन में चली गई और खाना बनाने लगी,,, लेकिन रात को संजय ने सारी कसर उतार दिया,,,, शगुन को लेकर जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव संजय अपने तन बदन में कर रहा था,,, उसके चलते कमरे के अंदर पहुंचते ही संजय ने अपनी बीवी संध्या को एक पल काफी टाइम दिए बिना पल भर में उसके बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,, और खुद भी अपने हाथों से ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,इस समय संजय अपने बेडरूम में अपनी बीवी के साथ संपूर्ण नग्न अवस्था में पलंग तोड़ चुदाई कर रहा था,,, लेकिन दोनों के सोचने का तरीका बदल चुका था देखने का नजरिया बदल चुका है संजय को उसकी बीवी में उसकी खुद की बेटी शगुन नजर आ रही थी और संध्या को अपने पति संजय में अपना बेटा सोनू नजर आ रहा था जिसकी वजह से दोनों अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करते हुए एक दूसरे को संभोग सुख दे रहे थे,,,, संजय की कमर लगातार किसी मशीन की तरह चल रही थी जिसमें जरा भी ठहराव नहीं था और संध्या अपने पति से चुदने के बावजूद भी मानोअपने बेटे सपनों के साथ संभोग क्रिया में लिप्त होकर उसका साथ देते हुए नीचे से अपनी बड़ी बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उछाल रही थी,,, तकरीबन संजय ने पूरी पलंग को चरमराते हुए अपनी बीवी संध्या की 25 मिनट तक जमकर चुदाई किया और उसके बाद निढाल होकर उसके ऊपर ही गिर गया,,,,। शाम की गर्मी संध्या अपनी बुर की गुलाब की पत्तियों के बीच बहता हुआ महसूस कर रही थी,,,,

तकरीबन 5:00 बजे के करीब सोनू की नींद खुल गई,,, वह जोगिंग वाले कपड़े पहन कर तैयार हो रहा था,,, दूसरी तरफ संध्या भी अपने बेटे के साथ जोगिंग करने के लिए सुबह के 5:00 बजे का अलार्म लगा चुकी थी अलार्म बजते ही उसकी नींद खुल गई,,, टेबल पर से अलार्म को अपने हाथों में लेकर उसे बंद करके वापस टेबल पर रख कर संध्या बिस्तर पर उठ कर बैठ गई और उसे एहसास हुआ कि रात को नंगी ही सो गई थी लेकिन उसे कपड़े पहनने की जरा भी उतावल नहीं थी,,, इसलिए संपूर्णा नग्नावस्था में ही वह चहल कदमी करते हुए कमरे में बने अटैच बाथरूम में पेशाब करने के लिए चली गई,,,, संजय नींद की आगोश में चैन की नींद सो रहा था और एक बेहतरीन खूबसूरत नजारे को देखने से चुक गया था,,, गोल गोल भरावदार गांड की लचक कयामत ढा रही थी उसी तरह से अपनी गांड मटकाते हुए बाथरूम में चली गई,,,, जहां पर वह कमोड पर बैठ कर पेशाब करने की जगह,,, बैठकर मुतने लगी,,,,एक जबरदस्त सुमधुर सीटी की आवाज उसकी गुलाबी बुर की गुलाब की पत्तियों को चीरती हुई बाहर आने लगी,,, लेकिन इस सुरीली आवाज को सुनने के लिए इस समय वहां पर कोई भी चेतना अवस्था में नहीं था इतना तो मुमकिन ही था कि सोनू अगर अपनी मां की बुर में से आ रही है मधुर सिटी की आवाज को सुन लेता तो पूरी तरह से आनंद के सागर में गोते लगाने लगता और उत्तेजना अवस्था को बर्दाश्त न कर पाने की वजह से अपने लंड से पानी छोड़ दिया होता,,,,,लेकिन शायद इस तरह का खूबसूरत नजारा देखने का मौका अभी सोनू के पास नहीं था,,,, इत्मीनान से पेशाब करने के बाद संध्या बाथरूम से बाहर आ गई हो जोगिंग करने के लिए कपड़े पहनने लगे आमतौर पर वह हमेशा साड़ी ही पहनती थी लेकिन आज वह अपने बेटे की आंखों में अपने पहरावे की वजह से चमक देखना चाहती थी,,, इसलिए वह साड़ी ना पहन कर एक टी-शर्ट पहन ली जिसके अंदर उसकी नंगी चूचियां खरबूजे की तरह नजर आ रही थी और उन्हें बैलेंस करने के लिए उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी क्योंकि संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि पहली बार जब वह जोगिंग कर रही थी तब उसके बेटे की नजर उसकी उछाल खाती हुई चुचियों पर ही थी,,।
आईने में अपने आप को टीशर्ट में देखकर उसकी खुद की आंखों में चमक नजर आ रही थी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि टी-शर्ट के अंदर उसकी दोनों चूचियां कुछ ज्यादा ही आकर्षक और बड़ी बड़ी लग रही थी,,,, खाना की कमर के नीचे अभी तक वह पूरी तरह से नंगी थी और वह अलमारी खोलकर एक आरामदायक स्किन टाइट पैजामा निकालकर पहन ले जो की स्किन टाइट होने की वजह से उसकी संपूर्ण कमर से लेकर के नीचे तक वह पजामा चिपका हुआ था और संध्या के खूबसूरत नितंबों के साथ-साथ उसकी सुडोल टांगो का आकार पजामा पहनने के बावजूद भी किसी को भी आराम से समझ आ सकता था एक बार फिर से अपने पूरे अक्स को आईने में निहारने के बाद उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई,,,, अपने खुले रेशमी बालों को जुड़ा बनाकर उस पर रबड़ लगा दी जिससे उसके बाल पोनीटेल के रूप में नजर आने लगे जिससे और भी ज्यादा सेक्सी नजर आने लगी,,,, अब वह अपने बेटे के साथ जोगींग करने के लिए पूरी तरह से तैयार थी,,,। दूसरी तरफ सोनू सोच रहा था कि उसकी मां की नींद नहीं खुली होगी और वह उसे जगाने के चक्कर में था लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि अपने पापा के कमरे में जाकर वह कैसे अपनी मां को जगाएगा,,,,, वह इस बारे में सोच रहा था कि तभी उसके कमरे की बेल बजने लगी,,,,। मजाक से बिस्तर पर से खड़ा हुआ है दरवाजा खोलने लगा,,, दरवाजे खुलते ही दरवाजे पर अपनी मां को खड़ी देखकर सोनू की आंखें फटी की फटी रह गई वह अपनी मां को आज एक नई रूप में देख रहा था इस रूप में उसकी मां आज के जमाने की बहुत ही सेक्सी औरत लग रही थी वैसे भी बहुत पहले से ही सेक्सी थी लेकिन टी-शर्ट और पजामे में वह कयामत लग रही थी,,,। सोनू ऊसे ऊपर से नीचे तक देखता ही रह गया,,, खास करके उसकी नजरें अपनी मां की टीशर्ट के अंदर दोनों खरबूजे पर टिकी हुई थी जो कि बहुत ही ज्यादा घेराव दार नजर आ रही थी,,,, सोनू की हालत तो एकदम खराब होती जा रही थी जब उसकी नजरें अपनी मां की टी-शर्ट के अंदर से बाहर झांक रही चूची के निप्पल पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि टी-शर्ट के अंदर उसकी मां ब्रा नहीं पहन रखी है,,,, यह एहसास सोनू के तन बदन में आग लगा गया,,, अपने बेटे की नजरों को भांप कर,,, अपनी नजरों को नीचे लाकर अपने चुचियों के उभारों की तरफ देखी तो उसे भी अपनी तनी हुई निप्पल टी-शर्ट से बाहर जाती हुई नजर आने लगी यह देख कर उसे भी शर्म सी महसूस होने लगी लगी ना जाने कौन सा,,, उमंग उसके तन बदन में अपना असर दिखा रहा था कि शर्म महसूस होने के बावजूद भी उसे अच्छा लग रहा था,,,,। वह साफ तौर पर देख पा रही थी कि उसका बेटा उसकी हुस्न के जादू में पूरी तरह से खो चुका था इसलिए उसे होश में लाने के लिए उसकी आंखें चुटकी बजाते हुए बोली,,,

हेलो ,,,,कहां खो गए,,
(अपनी आंखों के आगे अपनी मां के द्वारा इस तरह से चुटकी बजाने से वह उसमें आया और एकदम से हड बढ़ाते हुए बोला,,,)


क्या बात है मम्मी आज तो तुम एकदम सेक्सी लग रही हो,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए सेक्सी शब्द सुनकर संध्या एकदम से उत्तेजना से भर गई,,, क्योंकि यह पहली मर्तबा था जब सोनु अपने मुंह से उसकी तारीफ में उसे सेक्सी का दर्जा दे रहा था,,,, सोनू की ईस बात का जवाब देने के लिए संध्या के पास कोई शब्द नहीं मिले तो वह बात को काटते हुए बोली,,,)

चलना नहीं है क्या,,,,?


चलना है ना,,,,(इतना कहने के साथ ही सोनू घर से बाहर की तरफ चलने लगा घर के बाहर आकर संध्या ने सबसे पहले दरवाजे को बंद करके और रोड पर चलने लगी दोनों साथ में चल रहे थे,,, सुबह के 5:00 बज रहे थे इसलिए अभी भी अंधेरा ही था,,, लेकिन जगह-जगह पर स्ट्रीट लाइट की वजह से सड़क पर रोशनी थी,,,, सोनू की हालत खराब हो रही थी पहली बार वह अपनी मां को इस तरह के कपड़ों में देखा था,,,, थोड़ी ही दूर पर गार्डन बना हुआ था जहां पर लोग मॉर्निंग वॉक करने के लिए आते थे,,,, सोनू अपनी मां की पानी भरे गुब्बारों की तरह उछलती हुई गांड को देखना चाहता था,,, इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,)

मम्मी यहां से थोड़ा दौड़ते दौड़ते चलते हैं,,,, सुबह का समय है हवा ठंडी चल रही है बदन में थोड़ी कर भी आ जाएगी,,,।


मेरे होते हुए भी तुझे ठंडी लग रही है,,,।(संध्या इतना कहकर मुस्कुराने की लगी,,, पहले तो सोनू अपनी मां को कहने का मतलब समझ नहीं पाया लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां क्या कही,,,, उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, फिर भी संध्या धीरे-धीरे दौड़ना शुरू कर दी सोनू जान बूझकर अपनी मां के पीछे ही था,,, क्योंकि वह अपनी मां की,, गांड को देखकर अपनी आंखों को सेंकना चाहता था,,। और यह बात संध्या को भी अच्छी तरह से मालूम थी,,, इसलिए उसे भी आगे आगे चलने में कोई भी एतराज नहीं था,,,। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा क्यों उसके पीछे चल रहा है,,,



क्रमश:
Nice update 👌👌👌👌👌 lagta h Sonu jaldi hi apni maa ko chod payega
 
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सुबह का समय ठंडी ठंडी हवाएं बदन में मीठा अहसास दिला रही थी,,, सड़क बिल्कुल सुनसान थी,,, शायद अभी मॉर्निंग वॉक पर निकलने वालों का समय नहीं हुआ था लेकिन यही समय मॉर्निंग वॉक करने का बिल्कुल सही था,,, क्योंकि समय बिल्कुल भी भीड़भाड़ नहीं होती हवा एकदम शुद्ध होती है,,,, संध्या के बदन में आज अलग ही निखार था,,,,, आज कपड़ों की वजह से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह खुद ही अपने आप में बहुत ही सेक्सी महसूस कर रही थी,,, औरतों में यह एहसास की खूबसूरती में और व्यक्तित्व में एक अलग ही निखार पैदा कर देता है,,, ऐसा ही कुछ संध्या भी अपने अंदर महसूस कर रही थी वह निश्चिंत होकर धीरे-धीरे दौड़ लगा रही थी वह जानती थी कि इस तरह से दौड़ने में उसकी भारी-भरकम गांड के दोनों कुल्हे बड़े-बड़े तरबूज की तरह आपस में रगड़ खा रहे होंगे,,, और यह देखकर उसका बेटा पानी पानी हो रहा होगा यही देखने के लिए वह पीछे नजर घुमाकर अपने बेटे को देख ले रही थी, और, उसके सोचने के मुताबिक ही उसका बेटा उसकी बड़ी बड़ी गांड को घुर रहा था,,, यह देखकर संख्या के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, संध्या को मजा आ रहा था जिस तरह से वह दौड़ रही थी उसकी दोनों चूचियां जो कि टी-शर्ट के अंदर बिना लगाम की थी,,, वह टेनिस के गेंद की तरह ऊछल रही थी,,, संध्या यह देखना चाहती थी कि उसका बेटा उसकी उछलती हुई चुचीयों को देखने के लिए उत्सुक है या नहीं,,, इसलिए वह दौड़ लगाते हुए बोली,,,,


मर्द होकर औरतों के पीछे रहता है थोड़ा तेज दौड़,,,,(संध्या के मुंह से अचानक ही मर्द शब्द निकल गया था,,, जिसकी वजह से वास्तव में उसे अपने बेटे में एक मर्द होने का एहसास हो रहा था सोनू भी अपनी मां के मुंह से अपने लिए मर्द शब्द सुनकर उत्साहित हो गया,,, वह अपनी मां के बराबर आ कर दौड़ लगाना नहीं चाहता था क्योंकि अपनी मां के पीछे खड़े होने में ही उसे अद्भुत सुख का एहसास और प्राप्ति हो रही थी,,,, वाकई में स्किन टाइट पजामी में उसकी मां की गांड कुछ ज्यादा ही बड़ी बड़ी लग रही थी,,, सोनू का आगे आने का मन बिल्कुल भी नहीं कहा था वैसे भी औरतों के पीछे रहने में ही मर्दों को ज्यादा मजा आता है,,,लेकिन फिर भी एक बार फिर से कहने पर सोनू थोड़ा तेज दोड कर अपनी मां के बराबर आ गया,,, लेकिन आगेआते ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह एक और बेहद खूबसूरत कामुकता भरा हुआ दृश्य को नजरअंदाज कर रहा था जैसे ही वह अपनी मां के बराबर आ कर दौड़ लगाते हुए अपनी मां की तरफ देखा तो वैसे ही उसे अपनी मां की टीशर्ट में ऊछलती हुई चुचियां साफ नजर आने लगी,,,। सोनू का दील जोरो से धड़कने लगा,,, क्योंकि वाकई में उसकी मां की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी और बेहद गोल थी,,, सोनू की नजर नहीं हट रही थी,,, अपनी मां की टेनिस के गेंद की तरह चलती हुई चुचियों को देखकर ऐसा लग रहा था कि अभी टी-शर्ट फाड़कर दोनों चूचियां बाहर आ जाएंगी,,, सोनू को दोनों तरफ से मजा मिल रहा था आगे से भी और पीछे से भी,,, इस बात का एहसास सोनू को हो चुका था कि उसकी मां हर तरफ से देखने लायक चीज थी,,, सोनू अपनी मां की खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए बोला,,।

कैसा लग रहा है मम्मी,,,,?

बहुत अच्छा लग रहा है पहली बार में इतनी सुबह-सुबह दौड़ लगा रही हुं,,,


मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है मम्मी तुम्हारे साथ दोड लगाते हुए,,,


शुरू शुरू में मैं बहुत ध्यान रखती थी अपने शरीर का लेकिन तेरे होने के बाद से घर के कामकाज में ही उलझ कर रह गई,,,।


लेकिन फिर भी मम्मी आपकी कद काठी आपका बदन अभी भी पूरी तरह से गठीला है,,,।

तू झूठ बोल रहा है,,,।


नहीं मम्मी मैं सच कह रहा हूं,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए इस तरह की बातें सुनकर संध्या मन ही मन खुश होने लगी क्योंकि वह जानती थी कि औरतों की खूबसूरती के बारे में सबसे ज्यादा मर्दों को ही पता होता है और सोनू की बातें उसकी नजरिया से कह रहा था इसलिए संध्या खुशी से फूले नहीं समा रही थी क्योंकि हर औरत का सपना होता है कि उसे चलते फिरते आते जाते लोग देखकर गरम आहे भरे,,,, और एक जवान लड़का जब यह बात कह रहा है तो जरूर कुछ बात होगी संध्या को अपने आप में अभी भी पूरी तरह से दूसरे मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित कर देने की क्षमता थी,,, अपने बेटै की बातें सुनकर संध्या दौड़ते दौड़ते रुक गई और गहरी सांस लेते हुए बोली,,,)

क्या सच में मैं और मेरा बदन खूबसूरत है,,,?

हां मम्मी इसमें कोई दो राय नहीं है तुम बहुत खूबसूरत हो,,,
(संध्या अपने बेटे की बात सुनकर खुश हो रही थी वह दोनों बगीचे के गेट तक पहुंच चुके थे,,, तभी संध्या को बगीचे के गेट के अंदर उस दिन वाली औरत और वही लड़का जाते हुए दिखाई दिए,,, उन दोनों को देखते ही संध्या का दिमाग चकराने लगा क्योंकि पल भर में ही संध्या को उस दिन की घटना उसकी आंखों के सामने घूमती हुई नजर आने लगी जब वह उस औरत को झुका कर पीछे से उसकी बुर में लंड पेल रहा था,,,, सोनू भी उन दोनों को पहचान लिया था लेकिन शर्म के मारे वह अपनी मां से कुछ बोल नहीं पाया,,,, दोनों बगीचे के अंदर जा रहे थे तभी संध्या बोली,,,)

वह देख सोनु उस दिन वाली औरत,,,


किस दिन वाली मम्मी,,,(सोनू जानता था लेकिन अनजान बनते हुए बोला)

अरे उसी दिन वाली,,,, चल फिर बताती हूं देखु तो सही आज ये दोनों क्या करने वाले हैं,,,,
(इतना कहने के साथ ही संध्या अपने बेटे का हाथ पकड़ी और बगीचे के अंदर की तरफ जाने लगी,,, बगीचे में जगह-जगह पर एक लैंप लगा हुआ था जिसकी हल्की रोशनी बगीचे में फैली हुई थी लेकिन घनी झाड़ियों में अभी भ6 पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था,,,, जिस तरह से उसकी मां हाथ पकड़ कर उसे अंदर की तरफ ले जा रही थी सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था खास करके उस औरत और उस लड़के के पीछे जो कि सोनू अच्छी तरह से जानता था कि उस दिन झाड़ियों में वह दोनों क्या कर रहे थे और उसकी मां की अपनी आंखों से देखी थी,,, सोनू के मन में यही चल रहा था कि आज भी उन दोनों की चुदाई का नजारा देखने को मिल जाता तो मजा आ जाता क्योंकि वह उस कामोत्तेजक नजारे को अपनी मां के साथ देखना चाहता था यही ख्याल संध्या के भी मन में आ रहा था,,,संध्या अपने बेटे को साथ में लेकर धीरे-धीरे उस औरत की तरफ आगे बढ़ने लगी जोकी घनी झाड़ियों की करीब जा रही थी,,,। संध्या और सोनू दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उन दोनों का घनी झाड़ियों की तरफ जाना है इस बात की पूर्ति कर रहा था कि दोनों के बीच फिर कुछ होने वाला है,,,, लेकिन दोनों के बीच क्या रिश्ता है इस बारे में दोनों को कुछ भी पता नहीं था,,,, बगीचा अभी भी पूरी तरह से खाली था इसका मतलब मॉर्निंग वॉक करने वाले इस समय यहां नहीं आते थे,,,वह दोनों की पूरी तरह से निश्चिंत होकर झाड़ियों की तरफ जा रहे थे क्योंकि उन्हें इस बात का अंदाजा था कि इस समय यहां कोई नहीं होता है,,, देखते ही देखते दोनों झाड़ियों के बीच चले गए,,,। सोनू का लंड खड़ा होने लगा,,, संध्या की भी हालत खराब होने लगी उन दोनों के बीच होने वाली चुदाई को देखने के लिए सोनू का मन मचल रहा था लेकिन फिर भी वह जानबूझकर अपनी मां से बोला,,,।

कहां जा रही हो मम्मी वह दोनों वही है जो उस दिन झाड़ियों के अंदर थे,,,,(सोनू एकदम धीरे से बोला)

जानती हूं,,,, लेकिन देखना चाहती हु कि आज ये दोनों क्या गुल खिलाते हैं,,,


जाने दोना मम्मी,,, दोनों ने हमें देख लिया तो खामखां,,,,, रहने दो चलो अपने चलते हैं,,,।


पागल हो गया है,,,क्या तु,,,, देखने तो दे क्या होता है,,,,।
(संध्या अपने बेटे सोनू को शांत कराते हुए बोली,,,,)


लेकिन मम्मी ऊन दोनों के बीच कुछ गंदा होने वाला है ,,हम दोनों को नहीं देखना चाहिए,,,


तुझे शर्म आ रही है,,ऊन दोनों को बिल्कुल भी नहीं आ रही है और तुझे शर्म आ रही है,,, तुझे जाना है तो जा मैं आज पता लगा कर रहूंगी कि इन दोनों के बीच रिश्ता क्या है,,,,


क्या मम्मी तुम भी,,,,
(सोनू भले ही ऊपरी मन से: देखने के लिए इंकार कर रहा था,,, लेकिन उसका मन अंदर ही अंदर तड़प रहा था उसने चेहरे को देखने के लिए और अपनी मां की उत्सुकता देखकर वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,, क्योंकि वह जानता था कि सामने चल रही चुदाई के दृश्य को अपनी मां के साथ देखने में कितना मजा आता है और तब और ज्यादा मजा बढ जाता है जब मां भी अपनी बेटी के साथ चुदाई के दृश्य को देखकर काफी गर्म हो जाए,,,, सोनू धीरे-धीरे अपनी मां के पीछे पीछे चलने लगा देखते ही देखते दोनों झाड़ियों के बीच कुल करीब पहुंच गए जहां से वह दोनों साफ नजर आ रहे थे,,,5:20 का समय हो रहा था अभी भी अंधेरा छाया हुआ था लेकिन बगीचे में चल रहे लैंप की वजह से थोड़ा थोड़ा उजाला दिखाई दे रहा था और उस उजाले में वह लड़का और वह औरत साफ नजर आ रहे थे,,,। संध्या और सोनू दोनों का दील जोरों से धड़क रहा था,,, यु तो सोनूअपनी मां को बगीचे में मॉर्निंग वॉक के लिए लाया था ताकि वह उसके खूबसूरत बदन को देख कर अपने बदन की गर्मी तो और ज्यादा उत्तेजित कर सके लेकिन यहां तो कुछ और ही माजरा सामने आ चुका था और यह सोनू के लिए अच्छा ही था,,, इस तरह का नजारा वह पहले अपनी मां के साथ देख कर जिस तरह से उसके पिछवाड़े पर अपना लंड सटाकर खड़ा था,,, आज फिर से उसकी उम्मीद जाग चुकी थी,,,, दोनों मां बेटे झाड़ियों के करीब उसी अवस्था में खड़े थे जिस तरह की उस दिन,,,,


मुझे जोरो की पेशाब लगी है पहले पेशाब कर लु फिर उसके बाद,,, (और इतना कहने के साथ ही वह औरत अपनी साड़ी झटके में पकड़ कर उसे कमर तक उठा ली,, और तुरंत नीचे बैठ गई,,,

is tarah se


सोनू का दिल तो उत्तेजना के मारे एकदम हलक तक आ गया,,, आश्चर्य और उत्तेजना से उसका मुंह खुला का खुला रह गया सेकंड के दसवें भाग में ही औरत अपनी साड़ी कमर उठाकर नीचे बैठ गई और मुतने लगी,,,, पलक झपक ने मात्र के समय में सोनू को उस औरत की भारी-भरकम गोल गोल गांड नजर आ गई,,, सोनू की तो हालत खराब हो गई,,,पहली बार वह किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था,,, एकदम नंगी,,,, पल भर में सोनू का लंड खड़ा हो गया,,, यह नजारा संध्या की भी नजरों से अछूता नहीं रह पाया,,,, वह भी उस औरत की हिम्मत और बेशर्मी को देखकर हैरान थी,,,, जिस तरह से वह औरत सोनू से लगभग एक 2 साल कम ही होगा,,, उसकी आंखों के सामने ही अपनी साड़ी कमर तक उठा कर मुतना शुरू कर दी थी,,,


इस बारे में संध्या कभी सोच भी नहीं सकती थी लेकिन उसकी यह हिम्मत को देखकर संध्या की बुर गीली होने लगी,,,, सोनू और संध्या दोनों हैरान थे और दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे पल भर में ही दोनों के कानों में उस औरत के पेशाब करने की वजह से उसकी गुलाबी बुर्के छेद में से सीटी की आवाज पड़ने लगी उस आवाज को सुनकर सोनू पूरी तरह से मस्त हो गया मदहोश होने लगा उसकी आंखों में नशा छाने लगा उसका मन कर रहा था कि अभी उस झाड़ियों में घुस जाए और उस औरत को पकड़कर उसकी चुदाई कर दें,,,,,।)

देख बेटा मेरी चूत कितना पानी छोड़ रही है,,, तेरे लिए ही मैं पेंटी भी नहीं पहनी हूं ताकि सब कुछ जल्दी जल्दी हो जाए तुझे कोई दिक्कत ना हो उसे उतारने में,,,,


मुझे कोई भी दिक्कत नहीं होती मम्मी मुझे तो अच्छा लगता है अपने हाथों से तुम्हारे कपड़े उतारने में,,,, तुम्हें नंगी करने में,,,(वह लड़का पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलता हुआ बोला,,, लड़के की बात सुनते ही दोनों मां बेटे के कान एकदम सुन्न हो गए,,,उन दोनों को भी ऐसा ही लगता था कि उन दोनों के बीच शारीरिक संबंध को छोड़कर किसी भी प्रकार का रिश्ता शायद नहीं होगा लेकिन उन दोनों की सोच धरी की धरी रह गई थी औरत और वह लड़के के बीच मां बेटे का संबंध था,,,। दोनों को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था इसलिए दोनों एक बार एक दूसरे को देखने के बाद वापस उस झाड़ियों के अंदर के नजारे को देखने लगे और अपने कान को खड़े कर लिए,,,)

लेकिन घर पर यह मुमकिन नहीं है ना बेटा,,,मुझे भी अच्छा लगता है जब तुम अपने हाथों से मेरे एक एक कपड़े उतार कर मुझे नंगी करता है मुझे कितना जोश आ जाता है जब मैं तेरे सामने नंगी हो जाती हूं,,,,


तो घर पर क्यों नहीं करने देती मम्मी,,,,?( इस बार वह लड़का अपनी पेंट की बटन खोल कर अपनी लंड को बाहर निकालकर उसे हीलाते हुए बोला,,,)

घर पर संभव नहीं है बेटा वहा तेरी बड़ी बहन और तेरे पापा भी घर पर रहते हैं अगर तेरे पापा को जरा भी शक हो गया तो तू जानता है ना क्या होगा,,,,
(संध्या पूरी तरह से समझ गई थी कि दोनों मां बेटे हैं और मां बेटे के रिश्ते होने के बावजूद भी दोनों इस तरह से खुले तौर पर एकदम गंदी बातें कर रही थी यह सुनकर संध्या की टांगों के बीच हलचल होने लगी थी और यही हाल सोनू का भी था सोनू का मन कर रहा था किवह अपने लंड को बाहर निकाल कर ही आना शुरू कर दे लेकिन अपनी मां की उपस्थिति में ऐसा करने से उसे डर लग रहा था,,,,)

मम्मी क्या पापा तुम्हें अच्छी तरह से चोद नहीं पाते,,,

वो,,, चोद पाते तो मुझे तुझसे करवाने की जरूरत ही नहीं पड़ती,,, तू तो जानता है कि तेरे पापा बीमार रहते हैं शरीर भी कमजोर पड़ गया है,,, मेरी प्यास वो नहीं बुझा सकते,,,,,(ऐसा कहते हुए वह खड़ी हो गई लेकिन साड़ी को कमर तक उठाकर पकड़ी ही रह गई,,, और एक हाथ अपनी दोनों टांगों के बीच,,, ले जाकर अपनी बुर को मसलते हुए बोली,,,) आहहहहह ,,,, बेटा मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है अब तो तेरे लंड के बिना रहा नहीं जाता,,,,


मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है मम्मी तुम्हारी चूत में डाले बिना मेरे लंड को चैन नहीं मिलता,,,, बस मम्मी दोनों टांगें खोलकर मुझे अपना गुलाबी छेद दिखा दो,,,,
(इतना सुनते ही उस लड़के की मां अपने बेटे की तरफ गांड करके खड़ी हो गई और धीरे-धीरे झुकते हुए अपनी दोनों टांगों को खोल दी,,,, यह नजारा देखकर और उन दोनों मां बेटों की गंदी बातें सुनकर संध्या का दिमाग उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कानों पर भरोसा नहीं हो रहा है बेटा अपनी मां के लिए इतनी गंदी बात और एक मां अपने बेटे से इतनी गंदी बात करते हुए कैसे अपना नंगा बदन उसके सामने कर सकती हैं,,,,यह सब संध्या के गले से नीचे नहीं उतर रहा था लेकिन फिर भी जो उसकी आंखें देख रही थी वह सनातन सत्य था और बेहद कामोत्तेजक भी,,,, सोनू की हालत एकदम खराब हो गई थी झाड़ियों के अंदर का दृश्य देखते हुए एक बार फिर से वो धीरे धीरे अपनी मां की पिछवाड़े से पूरी तरह से सट गया,,,, और जैसे ही सोनू के पेंट में बना तंबू संध्या की गांड के बीचो बीच धंसता हुआ महसूस हुआ वैसे ही तुरंत संध्या चौक पड़ी लेकिन उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका बेटा उससे सटा हुआ है और उसका लंड उसकी गुलाबी बुर का गुलाबी छेद ढूंढ रही है,,, संध्या जरा सा भी अपने बदन को आगे की तरफ ले लेने की दरकार नहीं की बल्कि वह अपनी गांड को थोड़ा सा और पीछे दबाने लगी,,,, और अंदर के दृश्य का मजा लूटने लगी,,,।)


बस अब डाल दे बेटा रहा नहीं जाता,,,,


रुक जाओ मम्मी थोड़ा सा तुम्हारी चुत का स्वाद तो चख लुंं
(और इतना कहने के साथ ही वह लड़का अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपनी मां की मोटी मोटी जांघों को दोनों हाथों से पकड़ कर अपना मुंह उसकी गुलाबी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, यह देखकर सोनू का लंड फटने की कगार पर आ गया,,, उससे यह कामोत्तेजक दृश्य बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,उसे अपनी आंखों पर भरोसा भी नहीं हो रहा था एक बेटा अपनी मां की बुर को इस तरह से मुंह लगाकर चाटेगा इस बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,, संध्या की हालत खराब हो रही थी उसे उस औरत से जलन हो रही थी क्योंकि इस दृश्य को देखकर संध्या अपने मन में अपने बेटे को लेकर कल्पना करने लगी थी कि वह भी इसी तरह से अपनी दोनों टांगे फैलाकर खड़ी है और उसका बेटा सोनू उसकी दोनों टांगों के बीच आकर अपनी जीभ उसकी बुर पर लगाकर चाट रहा है,,,, संध्या की हालत खराब हो रही थी उसकी सांसे गहरी चलने लगी थी,,, सोनू पागल हुआ जा रहा वह अपने लंड का दबाव अपनी मां की गांड पर बराबर बनाए हुए था,,, संध्या को अपने बेटे के लंड के कड़क पन का अहसास बड़ी अच्छी तरह से हो रहा था,,,। उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके बेटे का लंड पजामा फाड़ कर उसकी बुर में ना घुस जाए,,,,)


सससहहहहह,,,आहहहहहहह,,,, बेटा बस कर तूने तो मेरी चूत में आग लगा दीया है,,, अब अपना लंड इसमें डाल कर यह आग बुझा दे,,,,
(उस लड़की की मां तड़प रही थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए लेकिन उसका बेटा था कि उसकी गुलाबी बुर को चाटने में लगा था शायद चुदाई से ज्यादा उसे अपनी मां की बुर चाटने में आ रहा था,,,, यह नजारा झाड़ियों के बाहर खड़े दोनों मां बेटे के लिए,,, मदहोश कर देने वाला था दोनों की आंखों में मदहोशी और वासना साफ नजर आ रही थी सोनू का मन कर रहा था कि अपनी मां को अपनी बाहों में भर ले और जो वह लड़का कर रहा है वही वह भी करें,,,, लेकिन इतनी हिम्मत उसमें नहीं हो रही थी फिर भी वह अपने दोनों हाथ अपनी मां के कंधों पर रख दिया संध्या को भी अपने बेटे का हाथ अपने कंधों पर बहुत सुकून दे रहा था,,,। और उत्तेजना के मारे सोनू की हथेली का दबाव संध्या के कंधो पर बढ़ता जा रहा था,,,,।

अद्भुत अतुल्य अविश्वसनीय गजब का नजारा बगीचे में नजर आ रहा था सोनू अपनी मां को साथ मॉर्निंग वॉक पर इसलिए लाया था ताकि वाह कपड़ों के अंदर से ही सही अपनी मां के खूबसूरत रंगों को उछलते हुए लहराते हुए देख तो पाएगा लेकिन उसे क्या पता था कि बगीचे में उससे भी गजब का जबरदस्त नजारा ऊन दोनों को देखने को मिलेगा,,, अभी भी सूरज निकला था इसलिए चारों तरफ अंधेरा था केवल स्ट्रीट लाइट का उजाला ही नजर आ रहा है पर अभी तक बगीचे में और कोई भी प्रवेश नहीं किया था,,,, इसलिए थोड़ा बहुत संध्या निश्चिंत और वह दोनों मां-बेटे भी जो झाड़ियों के बीच कामलीला में मस्त थे,,, औरत की हालत को देखकर साफ पता चल रहा था कि उसका बेटा जिस तरह से उसकी बुर चाट रहा था उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,और वॉइस मस्ती में पूरी तरह से खो जाना चाहती थी इसीलिए तो उसकी आंखें बंद हो चुकी थी उसके चेहरे की लालिमा पूरी तरह से निखार लिए हुए थी,,,फिर भी शायद वह अपने बेटे से कुछ और ज्यादा की उम्मीद में लगी हुई थी,,,और उसका बेटा उसकी उम्मीद पर खरा भी उतरता आ रहा होगा तभी तो वह दोनों बगीचे में आया करते थे,,,।वह लड़का पुरी मस्ती के साथ,, अपनी मां की बुर को चाटने में लगा हुआ था,,। यह देखकर सोनू की भी हालत खराब हो रही थी,,, जिस तरह से संध्या उस औरत की जगह अपने आप को रखकर महसूस कर रही थी,,उसी तरह सोनू भी उस लड़के की जगह अपने आप को रखकर महसूस कर रहा था,,,, नजारा बेहद गर्म होता जा रहा था एक मां बेटे के सामने एक मां बेटे कामलीला मैं लगे हुए थे उस औरत की प्यास बढ़ती जा रही थी वह अपनी बुर को अपने बेटे के मुंह पर रख रही थी,,, आज तक सोनू और संध्या दोनों ने अपनी आंखों से इस तरह का दृश्य बिल्कुल भी नहीं देखे थे सोनू चोरी-छिपे मोबाइल में देख लिया करता था लेकिन मोबाइल की वीडियो से भी कहीं ज्यादा गरम नजारा झाड़ियों में देखने को मिल रहा था,,,,।


बस बस बेटा जल्दी कर अब दूसरों के आने का समय हो गया है,,,, इसीलिए तुझे यहां लेकर आती हूं क्योंकि इस समय यहां कोई नहीं होता,,,,


जानता हूं मम्मी सुबह तुम्हारे साथ चलने के लिए मुझे रात भर नींद नहीं आती मैं रात भर यही सोचता रहता हूं कि कब 5:00 बजे,,,(इतना कहते हुए लडका खड़ा हो गया और अपने हाथ से लंड पकड़ कर हिलाते हुए अपने लिए जगह बनाने लगा तब तक उसकी मां उसकी तरफ अपनी गांड पर की झुकने लगी वह झाड़ियों की डाली को पकड़कर उसका सहारा लेकर झुक कर खड़ी हो गई और वह लड़का अपनी नजरों को नीचे करके अपनी मां के गुलाबी छेद को बराबर देखकर अपने लंड के सुपाड़े को उस गुलाबी छेद पर रख करहल्के से अपनी कमर का दबाव आगे की तरफ बढ़ाया और पहले से ही उस लड़के के लंड का सांचा उसकी मां की गुलाबी बुर में बन चुका था,,,इसलिए बिना किसी दिक्कत के पहली बार में उसका लंड अंदर की तरफ घुसना शुरू हो गया यह नजारा देखकर संध्या की बुर चिपचिपी होने लगी,,, उसकी सांसों की गति तेज होने लगी और सोनू अपनी मां की कंधों को जोर से पकड़े हुए ही अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा मानो की पजामी के ऊपर से ही वह अपनी मां की बुर में लंड डाल देना चाहता हो,,,,संध्या को भी अपने बेटे के लंड की चुभन अपनी गुलाबी बुर पर अच्छी तरह से महसूस हो रही थी,,,। झाड़ियों के अंदर वह लड़का अपनी मां को चोदना शुरु कर दिया था,,, जैसे-जैसे उस लड़के की कमर आगे पीछे हो रही थी,, वैसे वैसे सोनू की हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया था मानो कि जैसे वह भी अपनी मां को चोद रहा हो,,, संध्या की बुर पानी से लबालब भर चुकी थी,,, पजामी केअंदर उसने भी पेंटी नहीं पहनी थी इसलिए सोनू को अपने लंड के ऊपर जो कि वह भी पजामे में ही था,,, उसे अपनी मां की बुर की गर्मी साफ महसूस हो रही थी,,।,,।



ओहहहह,,, मम्मी,, बहुत मजा आ रहा है मम्मी,,,, हर बार लगता है कि पहली बार कर रहा हूं,,,,आहहहहहह,,,,आहहहहह,,, मम्मी,,,,,,,


मुझे भी बेटा,,,,आहहहहहह,,,तेरा लौड़ा बहुत बड़ा है,,,आहहहहह,,,,ऊहहहहहहहह,,,, मां,,,,,,,और जोर से,,,,आहहहहहहहह,,,,,,,


(उस औरत की गरम संस्कारी सोनू और संध्या दोनों के कानों में अच्छी तरह से पड रही थी और यह गरम सिसकारी दोनों के तन बदन में आग लगा रही थी,,, दोनों की प्यास को और ज्यादा बना रही थी,,,, संध्या से अपनी आंखों के सामने का गर्म नजारा सहा नहीं जा रहा था,,।
वह धीरे-धीरे अपनी गदराई गांड को अपने बेटे के लंड पर जोकी पजामे के अंदर था और तंबू बनाया हुआ था उस पर रगड़ रही थी,,। अपनी मां की हरकत को देखकर सोनू पूरी तरह से गर्म हो चुका था और सामने झाड़ियों में वह लड़का लगातार अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,, उसकी मां ने अपने बेटे की चुदाई से उसकी मोटे बड़े लंड से बेहद खुश थी और लगातार गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकाल रही थी,,,, सोनू और संध्या दोनों गरम हो चुके थे,,,, बगीचे में अभी तक किसी दूसरे शख्स ने प्रवेश नहीं किया था,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी आंखों के सामने एक लड़का अपनी मां को चोद रहा था और वो खुद अपनी मां की गांड पर अपना लंड रगड रहा था यह नजारासोनू के तन बदन में आग लगा रहा था उस से बर्दाश्त नहीं हुआ था वह अपनी दोनों हथेली को अपनी मां की कंधे पर रखकर जोर जोर से दबा रहा था,,, झाड़ियों में हुआ लड़का कब अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के बटन खोल कर अपनी मां की चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया यह सोनू को पता तक नहीं चला लेकिन संध्या सामने के नजारे को बराबर देख रही थी,,, उस लड़के की हरकत अपनी मां के साथ में देखकर संध्या की भी इच्छा कर रही थी कि उसका बेटा भी अपना हाथ उसकी चूची पर जोर जोर से दबाए उसे स्तन मर्दन का आनंद दे,,, और ऐसा हुआ भी जब सोनू की नजर उस लड़के पर पड़ी तो उसकी हरकत को देखकर उसकी भी इच्छा आने लगी और वह अपने दोनों हाथों को कंधे पर से हटाते हुए अपनी मां की छाती का शर्तिया टी-शर्ट के अंदर उसकी चूचियां और ज्यादा बड़ी और गोल लग रही थी यह पहला मौका था जब सोनू किसी औरत की चूची पर अपना हाथ रखा हुआ था और अभी किसी दूसरी औरत की चूची पर नहीं बल्कि अपनी मां की ही चुची पर,,, सोनू की हालत खराब होने लगी बाहर से सख्त और कड़क दिखने वाली चुची अंदर से इतनी गरम होगी यह पहली बार सोनू को एहसास हो रहा था,,, उत्तेजित अवस्था में सोनू अपनी मां की चूची को टीशर्ट के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया और अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपने फलंडड को अपनी मां की मस्त बड़ी बड़ी गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया,,,, संध्या की हालत खराब हो रही थी जिंदगी में पहली बार उसकी चूचियां किसी दूसरे मर्द के हाथों में थी और वह भी खुद के अपने सगे बेटे के हाथों में जिससे संध्या की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी,,,,सामने वाला लड़का पूरी जान लगा कर अपनी मां को चोद रहा था,,,,संध्या चाहती थी कि उसका बेटा उसके पजामे को नीचे सरका कर वह भी उस लड़के की तरह अपने लंड को उसकी बुर मे डालकर उसकी चुदाई कर दें,,, सोनू की भी यही इच्छा हो रही थी लेकिन उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी,,,, सोनू पूरी तरह से गरमा गया था उसके लंड की नसों में मानो विस्फोटक सामग्री भर दी गई है वह कभी भी फट सकता था,,,संध्या की खुद की बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और पजामे के आगे वाले भाग को पूरी तरह से गिला कर दिया था,,, सोनू की मदहोशी बढ़ती जा रही थी,,, पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और अपने लंड को अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड की दरार के बीच में रगड रहा था संध्या को अपनी बुर के ऊपर अपने बेटे का लंड बराबर महसूस हो रहा था,,,। सोनूअपनी जवानी के जोश को और अपने बदन की गर्मी को संभाल नहीं पाया और एकाएक उसके लंड से उसका गर्म लावा फूट पड़ा,,,, अपनी मां की चूची को मसलते हुए गहरी गहरी सांसे लेने लगा संजय को इस बात का एहसास होने लगा कि सोनू के लंड से उसका पानी निकल गया है तभी तो उसे भी गीला गीला महसूस हो रहा था जबकि खुद ही उसकी बुर पानी छोड़ कर झड़ चुकी थी,,,,। तभी संध्या को बगीचे का गेट की आवाज सुनाई दी और वह एकदम से सचेत हो गई,,,।

सोनु चल यहां से कोई आ रहा है,,,,(संध्या धीरे से सोनू के कानों में फुसफुसाई सोनू भी मौके की नजाकत को समझते हुए वहां से खिसक लिया,,,, सोनू और संध्या दोनों बगीचे के गेट पर पहुंच चुके थे दोनों एक-दूसरे से नजरें मिलाने से कतरा रहे थे,,,, बगीचे में लोग आना शुरू हो गए थे और अब शर्म के मारे संध्या वहां रुकना नहीं चाहती थी इसलिए धीरे-धीरे दूर लगाते हुए घर की तरफ जाने लगे सोनू भी समझ गया था इसलिए वह भी बिना कुछ बोले अपनी मां के पीछे पीछे दौड़ लगाते हुए घर की तरफ जाने लगा।)



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बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है मजा आ गया
 

Sanju@

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आज जो कुछ भी हुआ था जो कुछ भी दोनों मां बेटो ने देखा था,, वह उनके दिलो-दिमाग पर पूरी तरह से छाया हुआ था,,,संध्या का मन बिल्कुल भी घर के कामों में नहीं लग रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने झाड़ियों के अंदर का दृश्य नजर आ रहा था,,, जिस तरह से वह लड़का अपनी मां को चोद रहा था और जिस तरह से मजे ले कर उसकी मां खुद अपने बेटे से चुदवा रही थी,,, वह देखकर संध्या की बुर बार-बार गीली हो जा रही थी,,, उसे नहीं है कि नहीं हो रहा था कि उसकी आंखें जो कुछ भी देखी है वह सच है,,,बार-बार उसके दिमाग में यही सवाल घूम रहा था कि एक बेटा अपनी मां को कैसे चोद सकता है और एक मां अपने बेटे से कैसे चुदवा सकती है,,,, दोनों एक दूसरे से प्रेमी प्रेमिका की तरह मजा ले रहे थे,,, खाना बनाते समय उस दृश्य को याद करके संध्या की सांसे भारी हो जा रही थी,,, और उस दृश्य को देखते हुए उसका बेटा जिस तरह से गर्म होकर अपने खड़े लंड को पजामे के अंदर से ही उसकी पजामी पर रगड़ रहा था,,, और ऊसके लंड के कड़क पन को अपनी बुर पर महसूस करके जिस तरह से वह उत्तेजित हुई थी बार-बार वह अपनी कल्पना ने उस लड़के की जगह अपने बेटे को और उस औरत किसी का अपने आप को रखकर उस कल्पना का भरपूर आनंद ले रही थी,,,अपने बेटे के साथ संभोग की कल्पना करते हुए उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव रहा था,,।
जैसे तैसे करके वह खानाबना ली लेकिन अपनी बुर की गर्मी उसे सहन नहीं हो रही थी इसलिए वह बाथरुम में जाकर अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई और आते समय फ्रीज में से एक मोटा और लंबा बैंगन साथ लेकर आई थी जिसे वह अपनी एक टांग कमोड के ऊपर रखकर अपनी बुर के अंदर उस बैगन को डालकर अंदर बाहर करने लगी,,,,अपनी बुर में वह डाल तो रही थी पर 1 अंकों लेकिन उसकी कल्पना में उसकी बुर के अंदर उस बैगन की जगह उसके बेटे का मोटा तगड़ा था जिससे उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ रही थी,,जब जब वह अपने बेटे के बारे में कल्पना करती तब तब उसकी उत्तेजना अत्यधिक तीव्र हो जाती थी और उसे अत्यधिक आनंद की अनुभूति होती थी,,, ऐसा करके तो अपनी बुर की गर्मी को शांत कर ली लेकिन सुकून नहीं मिला,,,,

दूसरी तरफ सोनू आज बिना नाश्ता किए ही कॉलेज चला गया था क्योंकि झाड़ियों के अंदर का नजारा उसके भी दिलो-दिमाग पर छाया हुआ था उस नजारे से अत्याधिक काम वेदना वह अपनी मां के पिछवाड़े पर अपना लंड रगडने की वजह से महसूस कर रहा था,,,,बार-बार उसे वहीं पर याद आ रहा था जब वह पूरी तरह से अपनी मां की कमर थामे और अनजान बन जाऊंगा उसकी चूची को दबाते हुए जिस तरह से अपने लंड को उसकी गांड पर रख रहा था वही दृश्य उसकी आंखों के सामने बार बार घूम जा रहा था,, झाड़ियों के पीछे उन दोनों मां-बेटे की गरमा गरम चुदाई देखकर अब उसका भी मन करने लगा था अपनी मां को चोदने के लिए,,,अपने मन में यही सोच रहा था कि जिस तरह से उस लड़के को अपनी मां को चोदने में मजा आ रहा था उसे भी उसी तरह का मजा आएगा और उस औरत की तरह उसकी मां भी उसके मोटे तगड़े लंड से चुदवाकर संतुष्ट हो जाएगी,,,। यह सोचकर ही कॉलेज के अंदर उसका लंड खडा हो गया,,, जैसे तैसे करके वह अपने मन को दूसरी तरफ घुमाने की कोशिश करता था लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,, बार-बार उसका ध्यान अपनी मां के ऊपर ही चला जा रहा था अब उसे अपनी मां और ज्यादा खूबसूरत लगने लगी थी ऐसा नहीं था कि वह सुंदर नहीं थी उसकी मां बेहद खूबसूरत बेहद हसीन थी लेकिन अब अपनी मां के बारे में उसका देखने और सोचने का रवैया बदल चुका था इसकी वजह से उसकी मां उसे और भी अत्यधिक खूबसूरत और मादकता से भरी हुई नजर आती थी,,,, अब उसका ध्यान बार-बार अपनी मां की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार की कल्पना करने में ही उलझ जाता था हालांकि उसने आज तक बुर का साक्षात दर्शन नहीं किया था लेकिन फिर भी उसके बारे में कल्पना करके मस्त हो जाता था,,,,,,।

कॉलेज से छुटते ही वह अपने घर चला गया,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मां से नजर कैसे मिलाएगा,,, दूसरी तरफ उसकी मां सोनू के नाश्ता ना करके जाने की वजह से परेशान थी वो जानती थी कि वह किस लिए नाश्ता किए बिना चला गया वह शर्मिंदा हो गया इसलिए संध्या अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके सामने ऐसी कोई भी बात नहीं करेगी जिससे वह फिर परेशान हो जाए वह उसके सामने सामान्य बनी रहेगी पहले की तरह ताकि वह सहज हो सके,,,। शगुन मेडिकल कॉलेज से छूटकर घर नहीं गई थी क्योंकि उसे कुछ बुक खरीदनी थी जो कि शहर से थोड़ी दूरी पर मिलती थी,,। आज उसके साथ कोई जाने वाला तैयार नहीं था वैसे तो उसकी सहेली उसके साथ जाती थी लेकिन आज उसकी तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए बात नहीं आ सकी,,,, वह सोनू को फोन करके बुलाना चाहती थी लेकिन सोनु का मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था,,, थक हार कर वह अपने पापा को फोन लगा दी,,, जो कि कॉलेज के ही करीब थे,,,और वो 5 मिनट में ही शकुन के पास पहुंच गए,,,, शगुन आज सफेद रंग की कुर्ती और सलवार पहनी थी जो कि एकदम चुस्त थी जिसमें उसकी गोल गोल गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर नजर आ रही थी,,,,, संजय शगुन को देखा तो देखता ही रह गया वह बहुत खूबसूरत लग रही थी,,,, कुछ दिनों से ना जाने क्यों सगुन को देखते ही संजय के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी,,, संजय देख तो सब उनको रहा था लेकिन उसका पूरा ध्यान उसके अमरुद पर थे,,, जो कि वह अच्छी तरह से जानता था कि सगुन के अमरुद बेहद स्वादिष्ट होंगे,,। उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था,,, संजय कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी ही बेटी के प्रति उसके देखने का रवैया इस कदर बदल जाएगा,,, अब वह शगुन को हमेशा गंदी नजरों से ही रहता था,,,

शगुन कार में आगे वाली सीट पर बैठ गई थी,,, शगुन के भी बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, संजय ब्लैक रंग की ऑफिशियल पेंट के साथ आसमानी रंग का शर्ट पहना हुआ था जिससे उसकी पर्सनालिटी में चार चांद लग रहे थे अपने पापा की पर्सनैलिटी देखकर,,, शगुन मंत्र मुग्ध हुए जा रही थी,,।


और कैसी चल रही है पढ़ाई,,,(कार चलाते हुए संजय बोला)


अच्छी चल रही है पापा,,,


90% तो आ जाएंगे ना,,,,


कोशिश तो पूरी कर रही हूं आ जाना चाहिए,,,,


अगले महीने ही है ना एग्जाम,,,

हां पापा अगले ही महीने हैं,,,



मुझे निराश मत करना तुमसे मुझे बहुत उम्मीद है,,,।


मैं पूरी कोशिश करूंगी आप की उम्मीद पर खरी उतरने की,,,


हां ऐसा होना भी चाहिए आखिरकार आगे चलकर तुम्हीं को तो हॉस्पिटल संभालना है,,,, तुम भी मेरी तरह जानी-मानी डॉक्टर बनोगी,,,।



जी पापा,,,,(फ्रंट शीशे से बाहर देखते हुए बोली,,, लेकिन संजय जब भी उससे बात कर रहा था तो उसकी नजर उसकी सफेद रंग की कुर्ती के लो कट गले के डिजाइन पर ही था जिसमें से सगुन की संतरे जैसी चूचियां नजर आ रही थी,,, उसे देख कर संजय की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,, तकरीबन 20 मिनट कार चलाने के बाद वह दुकान आ गई जहां पर वह किताब मिलती थी,,, एक जगह पर कार खड़ी करके दोनों कार से नीचे उतर गए और शगुन किताब लेने लगी,,, काउंटर पर कुछ लोग और खड़े थे,,, शगुन भी काउंटर पकड़ के खड़ी होगी और ठीक उसके पीछे संजय खड़ा हो गया,,, दुकान वाला बहुत ही व्यस्त था,,, वह देने वाला अकेला था और लेने वाले ढेर सारे लोग थोड़ा समय लगने लगा तो कुछ लोग और दुकान पर आ गए जिससे भीड़ लगने लगी,,, और संजय को थोड़ा और आगे खसकना पड़ा,,,,,, पीछे खड़े लोग भी उस दुकानदार से किताब देने की गुजारिश कर रहे थे लेकिन वो एक साथ किसको किसको किताब देता,,, वह पारी पारी से दे रहा था,,, देखते ही देखते लाइन लगना शुरू हो गई शगुन के अगल-बगल जो लोग खड़े थे,,, शगुन के आगे हो गए सगुन उनके पीछे और संजय अपनी बेटी सगुन के पीछे,,, संजय के तन बदन में करंट सा दौड़ने लगा,,, क्योंकि वह ठीक सगुन के पीछे खड़ा था जिससे उसका आगे वाला भाग शगुन के पिछवाड़े से स्पर्श कर रहा था,,,, पल भर में ही संजय की उत्तेजना बढ़ गई,,, और पेंट के अंदर उसका लैंड खड़ा होने लगा,,,पीछे से लोग सफल नहीं रहे थे वह आगे की तरफ लगभग लगभग धक्का दे दे रहे थे जिससे संजय भी आगे की तरफ लुढ़क सा जा रहा था लेकिन ऐसा करने पर संजय का लंड जो कि पैंट के अंदर खड़ा हो चुका था वह सीधे,, जाकर शगुन की गांड से टकरा जा रहा था सगुन की हालत खराब होने लगी,,, क्योंकि उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया कि उसकी गांड़ पर जो कठोर चीजें चूभ रही है वह क्या है,,, पहली बार जब उसे अपनी गांड पर नुकीली चीज चिली तब ऊसे समझ में नहीं आया कि वह क्या है,,, उसे इस बात का एहसास तो हो रहा था कि जो कुछ भी उसकी गांड पर चुभ रहा है वह कुछ और ही है लेकिन जब दोबारा उसे अपनी गांड की दरार के बीचो बीच वह चीज चुभी तो उसके होश उड़ गए उसे पता था कि उसके ठीक पीछे उसके पापा खड़े हैं आश्चर्य चकित हो गई वह अपने आप से ही अपने मन में बोली अरे यह तो पापा का लंड है,,,,। उसकी आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गई लेकिन उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में,,,,यह एहसास उसे अद्भुत सुख की तरफ ले जा रहा था कि उसकी गांड पर चुभने वाला अंग उसके बाप का लंड है पहली बार उसकी गांड पर कोई मर्दाना अंग स्पर्श हुआ था,,, जिससे उसके तन बदन में सुरसुरी सी दौड़ने लगी थी,,, संजय की तो हालत खराब हो गई थी,,, उसे भी मजा आ रहा था अब उससे पीछे खड़े लोग धक्का नहीं लगा रहे थे लेकिन फिर भी वह जानबूझकर थोड़ा आगे की तरफ आ गया था जिससे लगातार उसके पेंट में बना तंबू उसकी बेटी की गांड पर स्पर्श हो रहा था,,, संजय का मन मचल रहा था वह अपने होश में नहीं था वह मदहोश होने लगा था अगर कोई और जगह होती तो शायद वह अपने हाथों से अपनी बेटी की सलवार की डोरी खोलकर सलवार को नीचे टांगो तक सरका कर उसकी बुर में अपना लंड डाल दिया होता,,, लेकिन वह भीड़ की वजह से मजबूर था और यह सब उनका भी हो रहा था वह दिन रात जिस लंड की कल्पना कीया करती थी उसका स्पर्श आज उसकी कांड पर हो रहा था और सलवार इतनी चूस्त थी कि उसे अपने पापा के लंड का स्पर्श,,, बहुत अच्छी तरह से हो रहा था,,, सलवार का कपड़ा एकदम पतला होने की वजह से,, उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे,,, उसके पापा का लंड उसकी नंगी गांड पर स्पर्श हो रहा है,, इस दुकान में आकर दोनों को अच्छा ही लग रहा था दोनों अपनी-अपनी तरह से सुख प्राप्त कर रहे थे,,,, लगातार संजय का लंड पेंट में होने के बावजूद भी शगुन की गांड से स्पर्श हो रहा था,,।
शगुन का नंबर आने वाला था और संजय एहतियात के तौर पर उसे थोड़ा सा हटके खड़ा हो गया लेकिन शगुन एकदम से मचल उठी उसकी गांड पर उसके पापा कर लंड स्पर्श ना होता देख कर वह हैरान हो गई,,, उसे अपने पापा के लंड की मजबूती उसकी कठोरता अपनी गांड पर बेहद अच्छी लग रही थी,,, इसलिए उससे रहा नहीं गया और उसका नंबर आते ही वह किताब के लिस्ट उस दुकानदार को थमा कर आराम करने की मुद्रा में उस काउंटर पर अपने दोनों हाथों की कोहनी रखकर झुक कर खड़ी हो गई और इस तरह से झुकने पर उसकी गोलाकार गाने सीधे उसके पापा की लंड के आगे वाले भाग से टकरा गई,,, अभी भी संजय की पैंट में तंबू बना हुआ था और एकाएक शगुन के झुकने की वजह से उसका संपूर्ण गोलाकार नितंब,, संजय के तंबू से टकरा गई,,, संजय के तन बदन में फिर से एक बार बिजली दौड़ने लगी उसकी इच्छा हो रही थी कि अपनी बेटी की कमर दोनों हाथों से पकड़कर सलवार के ऊपर से ही उसकी गांड पर अपना लंड रगड़ ले लेकिन वह कुछ सेकेंड तक उसी अवस्था में खड़ा रहा और वापस कदम खींच लिया तब तक सगुन की किताब निकल चुकी थी,,,

थोड़ी ही देर में दोनों दुकान से बाहर आ गए,,, संजय और सगुन दोनों की हालत खराब थी,,, संजय इस जगह पर बहुत बार आ चुका था,,, इसलिए उसे मालूम था कि थोड़ी दूर पर नाश्ते की दुकान है,,, उसे भूख लगी थी जाहिर था कि सगुन को भी लगी होगी,,, इसलिए वह सगुन से बोला,,,।


आगे ही नाश्ते की दुकान है चलो थोड़ा नाश्ता कर लेते हैं,,,(संजय कार का दरवाजा खोलते हुए बोला,, लेकिन शगुन कुछ बोल नहीं पाई क्योंकि किताबों की दुकान में जो कुछ भी हुआ था उसे से अभी भी उसके तन बदन में अजीब सी सिरहन सी दौड़ रही थी उसे साफ एहसास हो रहा था कि ऊसकी पेंटिं धीरे-धीरे गिली हो चुकी थी,,। वह भी कार का दूसरा दरवाजा खोल कर आगे की सीट पर बैठ गई और संजय कार आगे बढ़ा दिया,,,,,, संजय की हालत खराब थी आज पहली बार वह अपनी बेटी के पिछवाड़े पर अपने लंड का रगड महसूस किया था,,, संजय को उसकी बेटी ने पूरी तरह से गर्म करके रख दी थी,,, संजय को इस बात का अहसास हो गया था कि,, उसकी बेटी गर्म जवानी से भरी हुई है,,, बार-बार संजय को उसकी बेटी की वह हरकत याद आ रही थी जब वह काउंटर पर अपने दोनों कहानियों के सहारे खड़ी होकर अपनी गांड को पीछे की तरफ कर दी थी जिससे,, शगुन की गांड ठीक उसके लंड पर जाकर टकरा गई थी,,,, उस पल को और इस हरकत को याद करके अभी तक संजय कि सांसे दुरुस्त नहीं हो पाई थी,, शगुन की भी हालत ठीक संजय की ही तरह थी,,, क्योंकि जवानी के इस दौर से गुजरते हुए पहली बार उसके पिछवाड़े पर लंड की चुभन जो ऊसे महसूस हुई थी,, दोनों के लिए किताब की दुकान वाला वह पल बेहद उत्तेजना से भरा हुआ था,,।

कच्ची सड़क से कार गुजर रही थी,,, शगुन को समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पापा कहां लिए जा रहे हैं,,, इसलिए वह अपने पापा से बोली,,,।


यहां कहां जा रहे हो पापा,,,


तुम शायद नहीं जानती,,, जहां मै ले चल रहा हूं वहां के समोसे और पकोड़े बहुत मशहूर है,,,, वो देख रही हो,,,(स्टीयरिंग संभालते हुए दूसरे हाथ की उंगली से इशारा करके दूर की दुकान दिखाने लगे जोकी दूर से कोई खास नहीं लग रही थी,,, और वह एक बड़े पेड़ के नीचे थी और चारों तरफ खेत नजर आ रहे थे यह जगह शहर से बाहर की और थी इसलिए यहां पर इस तरह के नजारे देखने को मिल ही जाते थे,,,) वहीं दुकान है समोसे और पकौड़े कि मैं जब यहां से गुजरता हूं तो,,, यहां के पकोड़े और समोसे खा कर जाता हूं तुम्हें पहली बार आई हो इसलिए सोचा कि तुम्हें भी खिला दुं,,,,,
(इतना कहते हुए संजय धीरे-धीरे कार आगे बढ़ाने लगा लेकिन आगे का रास्ता ठीक नहीं था इसलिए कार वहू खड़ी करके वह दोनों उतरकर पैदल जाने लगे थोड़ी देर में वह समोसे और पकोड़े की दुकान आ गई दुकानदार गरमा गरम पकोड़े और समोसे के साथ-साथ गरमा गरम जलेबीया भी छान रहा था,,,। गरमा गरम जलेबी को देखकर शगुन के मुंह में पानी आ गया,,, आज भीड़ भाड़ बिल्कुल कम थी इसका मतलब साफ था कि अभी ग्राहकी शुरू हुई थी शाम ढलने से पहले ही ग्राहकों का झुंड नजर आता था,,, संजय और शगुन एक टेबल पर बैठ गए और वहां काम करने वाला एक छोकरा आर्डर लेने के लिए आया,,,, संजय ने उसे समोसे पकौड़े और जलेबीया लाने के लिए बोला,,, सगुन अपने पापा से ठीक से नजर नहीं मिला पा रही थी,,, उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, थोड़ी ही देर में वो लड़का गरमा गरम जलेबी समोसे और पकौड़े ले आया,,,, शगुन को सबसे ज्यादा जलेबी अच्छी लग रही थी वह जलेबी खा रही थी और संजय समोसे लेकिन समोसा खाते समय वह सगुन को तिरछी नजरों से देख ले रहा था,,, और अपनी मन नहीं कह रहा था कि,,, शगुन इतनी ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी होगी इस बात का मुझे अंदाजा नहीं था,,, कुछ पल में ही इसने तो मेरी हालत खराब कर दी अगर कुछ देर और भी अपनी गांड मेरे लंड से सटाए होती तो,,,मेरा तो पानी निकल जाता,,,।यही सोचकर बार एक बार फिर से गर्म होने लगा उसके पैंट में उसका लंड फिर से खड़ा होकर अपनी ही बेटी की जवानी को सलामी भरने लगा,,, समोसे से ज्यादा गर्म उसे अपनी बेटी शगुन लग रही थी,,, जलेबी खाते समय वहां उसके रस को जीभ बाहर निकाल कर चाट रही थी,,, और सगुन की इस अदा पर संजय पूरी तरह से फिदा हो गया अपनी बेटी को इस तरह से जी बाहर निकालकर जलेबी के रस को चाटते हुए देखकर उसकी कल्पनाओं का घोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ने लगा वह ऐसा कल्पना करने लगा कि उसके लंड को उसकी बेटी जीभ बाहर निकाल कर चाट रही हैं,,, यह कल्पना संजय के लिए हकीकत से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और उन्माद से भरा हुआ महसूस हो रहा था,,, अब उसका खाने में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था कुछ देर के लिए शगुन गरमा गरम रसीली जलेबी देख कर और उसे खाते हुए यह भूल गई थी कि किताब की दुकान में क्या हुआ था इसलिए वह पूरी तरह से सामान्य थी,,, संजय का लंड पूरी तरह से अकड चुका था पूरा बदन अपनी बेटी की गर्म जवानी की गर्मी से पिघलता हुआ महसूस हो रहा था इसलिए उसे बड़ी जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,,वह नाश्ता कर चुका था,,, इसलिए टेबल पर से उठा और दुकान के पीछे की तरफ जाने लगा शगुन अपने पापा को दुकान के पीछे जाते हुए देख रही थी भीड़ भाड़ बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए वो भी निश्चिंत होकर नाश्ता कर रही थी,,। नाश्ता खत्म होते ही उसे पानी पीना थाउसे लगा कि उसके पापा दुकान के पीछे पानी पीने के लिए और हाथ धोने के लिए कि नहीं इसलिए वह भी टेबल पर से उठी और दुकान के पीछे की तरफ चल दी वह अपनी मस्ती में मस्त थी,,, जैसे ही वह दुकान के पीछे पहुंची उसके पापा उसे झाड़ियों के बीच खड़े हुए दिखाई दिए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पापा वहां झाड़ियों के बीच खड़े होकर क्या कर रहे हैं,,, लेकिन तभी उसे सारा माजरा समझ में आ गया जब उसकी नजर उसके पापा की खड़े लंड पर पड़ी जो कि इस समय उसके पापा के हाथ में था,,, उस नजारे को देखते ही उसकी सांसे थम गई उसकी आंखें फटी की फटी रह गई वह अपने पापा की खाड़ी लैंड को देख रही थी जो कि तकरीबन 8 इंच का था और काफी मोटा था उसके पापा के हाथ में था उसमें से पेशाब की तेज धार निकल रही थी,,, शगुन के लिए यह पहला मौका था जब वह किसी मर्द को इस तरह से पेशाब करते हुए देख रही थी और वह भी खुद के पापा को,,, अपने पापा के खड़े मोटे तगड़े लंड को देखकर उसकी टांगों के बीच सिहरन सी दौड़ने लगी,,, शगुन की नजर अपने पापा के खड़े लंड पर से हट नहीं रही थी,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि यह वही लंड है जो कुछ देर पहले किताब की दुकान में उसकी गांड पर चुभ रहा था,,, अच्छा हुआ कि वह सलवार पहनी हुई थी वरना पापा का लंड बुर में घुस जाता,,, अपने मन में यह सोचते हुए वह पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी और फिर अपने आप से ही बातें करते हुए वह बोली काश वह सलवार ना पहनी होती कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी होती तो उसके पापा का लंड उसकी बुर में घुस जाता,,, कितना मजा आता ,,, लेकिन फिर वह अपने मन में सोचने लगी कि क्या इतना मोटा और लंबा लंड उसके छोटी सी बुर की गुलाबी छेद में घुस पाता,,,, यह सोचकर उसका बदन सिहर उठा,,, दूसरी तरफ संजय इस बात से पूरी तरह से निश्चिंत की उसकी बेटी ऊसे पेशाब करती हुई देख रही है वह अपनी ही मस्ती में,,, अपने खड़े लंड को हाथ से पकड़ कर पेशाब कर रहा था,,, संजय पेशाब कर चुका है इसलिए लंड की नशो मैं ठहरी हुई आखरी बूंदों को भी बाहर निकालने के लिए वह अपने खड़े लंड को उपर नीचे करके जोर-जोर से हिलाने लगा और इस तरह से अपने पापा को वह मोटे तगड़े लंड को हिलाते हुए देखकर पूरी तरह से सिहर उठी,,,, उससे अब एक पल भी वहां रुक पाना मुश्किल हुआ जा रहा था इसलिए वह तुरंत वहां से दबे पांव वापस लौट आई,,, और टेबल पर आकर बैठ गई उसकी हालत खराब हो गई थी चेहरे पर शर्म की लाली छाने लगी थी,,,, कुछ ही देर में उसके पापा आते हुए दिखाई दिए,,, और पास में ही बनी हेडपंप पर हाथ धोने लगे,,, उसे अपनी गलती पर शर्मिंदगी महसूस होने लगी क्योंकि पास में ही नल होने के बावजूद भी उसकी नजर उस पर नहीं पड़ी और वह यही सोच रही थी कि उसके पापा दुकान के पीछे पानी पीने के लिए गए हैं,,, लेकिन एक तरह से उसे अपनी ही गलती पर,, गुस्सा नहीं आ रहा था क्योंकि उसकी गलती ने उसे ऐसा नजारा दिखाया था कि उसे मजा आ गया था,,, वह भी उठी और घर पर हाथ मुंह धो कर पानी पीकर कार की तरफ जाने लगी उसके पापा पैसे चुका रहे थे उसे भी जोरों की कसम लगी हुई थी खासकर के उत्तेजना की वजह से,,, लेकिन पेशाब कहां करें यह उसे समझ में नहीं आ रहा था,,, सोचते सोचते वह कार के पास पहुंच गई,,,, उसके पापा आप ही पी थोड़ी दूर पर थे और धीरे-धीरे आ रहे हैं,,,उसे जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था इसलिए वह कार के पीछे जा कर अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी,,, और सलवार के ढीली होती है वह तुरंत अपनी सलवार को घुटनों तक कर के नीचे बैठ गई और सुरसुराहट की आवाज के साथ पेशाब करने लगी,,,,, शगुन कार की ओट में पीछे बैठी हुई थी इसलिए संजय को वह नजर नहीं आई थी वह चारों तरफ नजर घुमा कर उसे ढूंढ रहा था,,,
तभी सगुन पेशाब कर ली और खडी हो गई,,, संजय की नजर कार के पीछे शगुन पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए,,, क्योंकि बहुत आगे बोलने वाली जगह की ओट के नीचे बैठ कर पेशाब कर रही थी और खड़ी होने पर उसकी गोरी गोरी गांड नजर अाने लगी संजय के तो होश उड़ गए उसकी आंखों में चमक आ गई,,, संजय को समझ पाता इससे पहले वह अपनी सलवार कमर तक उठाकर डोरी बांधने लगी थी तकरीबन 2 सेकंड का ही यह दृश्य था लेकिन इस 2 सेकेंड के अंदर उसने अपनी बेटी की भरपूर जवानी से भरी हुई गोल गोल गांड को एकदम नंगी देख चुका था,,, संजय को समझ पाता इससे पहले शगुन अपनी सलवार की डोरी बांधकर अपने कपड़ों को व्यवस्थित करके पीछे मुड़ी तो उसकी नजर अपने पापा पर पड़ी जो कि उसकी तरफ ही देख रहे थे,,, शगुन को समझते देर नहीं लगी कि,, उसके पापा ने बहुत कुछ देख लिया है खास करके उसकी गोरी गोरी गांड को,, क्योंकि वह बोले की ऊंचाई से अपनी कमर तक की लंबाई को नाप चुकी थी,,,, जहां से अच्छी तरह से उसकी गांड को देखा जा सकता था,,, उसे यकीन हो गया था कि उसके पापा ने उसकी गांड को देख लिया है,,, दोनों की नजरें आपस में टकरा चुकी थी और एक पल के लिए दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए शर्म के मारे दूसरी तरफ नजर फेर लिए,,, दोनों कार में बैठ गए और बिना कुछ बोले थोड़ी ही देर बाद घर पहुंच गए,,,।
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है
लगता है जल्दी ही सगुन और संजय की दमदार चूदाई देखने को मिलेगी
 
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