धीरे-धीरे समय अपनी रफ्तार से गुजरता जा रहा था और परिवार के सभी सदस्य अपने अपने काम को करते हुए अपनी वासना के खड़डे को और ज्यादा अपने ही हाथों से खोदते चले जा रहे थे,,, संजय की आंखों के आगे हमेशा उसकी बड़ी बेटी का खूबसूरत बदन नाचता रहता था और संध्या धीरे-धीरे अपने बेटे की तरफ पूरी तरह से आकर्षित होती चली जा रही थी,,, और सोनू भी अपनी मां को प्यासी नजरों से निहारने का एक भी मौका छोड़ता नहीं था,,अपनी मां के बारे में सोच सोच कर उसके खूबसूरत कामुक बदन के कटाव से पूरी तरह से आकर्षित होकर अपने मन में अपनी मां को लेकर गंदे ख्याल लाते हुए वह ना जाने कितनी बार अपने हाथों से हीला कर अपनी गर्मी बाहर निकाल चुका था,,,,,,, रूबी जब एक बार अपनी दोनों टांगे संजय के लिए खोल दी तो फिर वह खुलती चली गई बदले में संजय ने उसे हॉस्पिटल में ढेर सारी रियायतें दे रखा था,,, लेकिन अपनी जवान बेटी के मदमस्त बदन को याद करते हुए वह रूबी की रोज लेता था,,,
जिस दिन से रात के समय संजय बिना बताए शगुन के कमरे में गया था उस दिन से लेकर सकून जिस तरह के हालात में वह बाथरूम से बाहर आई थी और अपने पापा को बाथरूम के एकदम करीब खड़ा हुआ देखी थी साथ ही पारदर्शी स्लीवलेस और केवल पेंटी मैं होने के नाते उसके पापा की नजर उसके ऊपर पूरी तरह से पड़ चुकी थी और चोर नजरों से अपने पापा के पेंट में बने तंबू को देखकर जो हाल सगुन का उस दिन हुआ था,,,, उस दिन से लेकर आज तक वहअपने पापा के मोटे तगड़े लंबे लंड की कल्पना करते हुए अपनी बुर में अपनी दोनों उंगली डालकर अपने बदन की गर्मी को मिटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन यह गर्मी थी कि मिटने का नाम ही नहीं लेती थी,,,,,।
ऐसे ही एक दिन शाम को संध्या मार्केट जाने के लिए तैयार हो रही थी,,, तभी सोनू घर आ गया और अपनी मां को तैयार होता हुआ देखकर बोला,,,।
कहां जा रही हो मम्मी,,,
मार्केट जा रही थी सब्जियां और फल खरीदना है,,,,,,,
मेरे लिए खरबूजा खरीदना मम्मी मुझे खरबूजे बहुत पसंद है,,,
ऐसा क्यों कि सब फल छोड़कर तुम्हें सिर्फ खरबूजे पसंद है,,,(आंखों को नचाते हुए वह सोनू की तरफ देखते हुए बोली,,,,)
क्योंकि मम्मी खरबूजा में रस बहुत होता है और सही कहो तो मुझे गोल गोल खरबूजे और वह भी बड़े-बड़े बहुत पसंद है,,,,,(सोनू अपनी मां की छातियों की तरफ उसके चुचियों के उभार को देखते हुए बोला,,,, संध्या अपने बेटे की नजरों को भांप गई थी,,, इसलिए वह एकदम अंदर तक सिहर उठी,,, उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,,, सोनू अपनी मां की तरफ खास करके उसकी छातियों की तरफ देखते हुए फिर बोला,,,,)
और तुम्हें क्या पसंद है मम्मी,,,,।
मुझे,,,, मुझे तो केला पसंद है,,,, और वह भी लंबा लंबा और मोटा,,,,,(अपनी मां की बातों को सुनकर सोनू एकदम से गनगना गया,,,,)
ऐसा क्यों मम्मी तुम्हें खरबूजे क्यों नहीं पसंद है,,?
खरबूजे तो तुम्हें पसंद है ना मुझे तो केला ही पसंद है,,,।
केला में ऐसी कौन सी खास बात है जो तुम्हें इतना पसंद है,,।
केला कितना लंबा मोटा और तगड़ा होता है,,,,( संध्या एकदम मदहोश होकर बोल रही थी,,, सोनू भी समझ रहा था कि उसकी मां केला के नाम लेकर किस बारे में बातें कर रहे हैं,,,) और तो और सोनु अंदर जाने के बाद अच्छी तरह से एहसास होता है कि पेट पूरा भरा हुआ है,,,,(संध्या यह बात सोनू के पेंट में बन रहे धीरे धीरे तंबू की तरफ देखते हुए बोली सोनू समझ गया था कि उसकी मां दो अर्थ वाले बातें कर रही है जिसमें अब दोनों को मजा आ रहा था,,,।)
क्या तुम सच कह रही हो मम्मी लंबे मोटे और तगड़े केले में इतना ज्यादा मजा आता है,,,,।
हां रे मैं सच कह रही हूं,,,, वही तो खरीदने जा रही हूं मैं मार्केट में,,,, चलोगे मेरे साथ,,,,
हां हां क्यों नहीं मैं भी चलूंगा मार्केट देखु तो सही तूम्हे किस तरह के केले पसंद है,,,,।
तो चलो मेरे साथ,,,,(इतना कहने के साथ ही संध्या टेबल पर पड़ा अपना पर्स उठाई और आगे आगे चलने लगी सोनू अपनी मां की भारी-भरकम और मटकती गांड को देखकर एक दम मस्त हुआ जा रहा था,,,, सोनू अपनी मां के पीछे पीछे जाने लगा इस तरह से उसकी मां बातें कर रही थी उससे उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही,,,, इतना तो उसे समझ में आई क्या था कि उसकी मां किस बारे में बातें कर रही थी और जिस तरह से बातें कर रही थी उसे सुनकर सोनू हैरान तो था ही लेकिन एकदम मस्त हो गया था,,, देखते ही देखते संध्या गांड मटकाते हुए घर से बाहर निकल गई,,,, और सोनू भी घर से बाहर आ गया,,, दरवाजा लॉक करने के बाद सोनू अपनी मोटरसाइकिल निकालकर स्टार्ट कर दिया और संध्या अपनी बेटी सोने के कंधों का सहारा लेकर अपनी भारी भरकम गांड को उठाकर पिछली सीट पर बैठ गई,,,, जानबूझकर अपने बेटे से कुछ ज्यादा ही सट कर बैठ गई,,, ऐसा नहीं था कि सोनू की पिछली सीट पर उसकी मां से मिला पहली बार बैठ रही हो और पहले भी इसी तरह से बैठ चुकी थी लेकिन आज उसके सोचने समझने और दोनों के बर्ताव में बदलाव आ चुका था इसलिए तो जैसे ही सोनू ने अपनी मां के बदन को अपने बदन से सत्ता हुआ महसूस किया वैसे ही उसके बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुटने लगी,,, संध्या सोनू के कंधे पर हाथ रखकर बराबर बैठ गई थी और सोनू को चलने के लिए बोली सोनू भी एक्सीलेटर देकर मोटरसाइकिल को आगे बढ़ा दिया,,,, संध्या जिस तरह से अपना एक हाथ उठाकर सोनू के कंधे पर रखकर बैठी थी उससे उसकी दाहिनी चूची सोनू की पीठ से रगड़ खा रही थी,,, सोनू मदहोश हुआ जा रहा था संध्या की चूची की नुकीली निप्पल किसी भाले की तरह सोनू की पीठ पर चुभ रही थी,,, सोनू को ऐसा लग रहा था कि मानो उसकी मां की चूचियां उसकी पीठ पर गुदगुदी कर रही है,,,,संध्या को भी इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी दाहिनी चूची उसके बेटे की पीठ से रगड़ खा रही है,,, लेकिन यह जानते हुए भी वह बेफिक्र होकर उसी तरह से अपने बेटे के कंधे पर हाथ रखे हुए थी,,,,, क्योंकि संध्या को भी इसमें मजा आ रहा था,,,,,,,,
तभी हवा से उड़ रही अपनी साड़ी के आंचल को ठीक करने के लिए जैसे ही वह सोनू के कंधे पर से हाथ हटाकर अपनी साड़ी को ठीक करना चाह ही रही थी कि ,,, तभी जानबूझकर सोनू छोटे से खड्डे में मोटरसाइकिल के टायर को हल्का सा ब्रेक मार कर उतार कर आगे बढ़ने लगा लेकिन खड्डे और ब्रेक मारने की वजह से सभी अपने आप को संभालने के चक्कर में जल्दबाजी में अपना हाथ सोनू की कमर मैं डालना चाहिए और उसे कस के पकड़ना चाहि लेकिन उसका हाथ सोनू के कमर से होता हुआ सीधे सोनू के पेंट बनाने तंबू पर चला गया अपने आप को संभालने के चक्कर में संध्या सोनू के लंड को जो की पैंट में तंबू की शक्ल ले चुका था उसे पकड़ ली,,,,,
अरे बाप रे,,,,,,(अपने बेटे के तंबू को पकड़कर संध्या तो अपने आप को संभाल ले चुकी थी लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह अनजाने में अपने बेटे के लंड को पकड़ ली है तो एकदम से गनगना गई,,,, संख्या को इस बात का एहसास होते वह तुरंत अपना हाथ सोनू के तंबू पर से हटा कर कंधे पर रख ली लेकिन मदहोशी के आलम में वह अपना हाथ हटाते हटाते जानबूझकर एक बार करके अपने बेटे के लिए अपनी मुट्ठी में लेकर दबा दी उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसके बेटे का हथियार कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा और बड़ा है,,,,संध्या ईतने में काफी उत्तेजित हो चुकी थी और अपने बेटे के कंधे पर हाथ रख कर एक बार फिर से अपने आप को संभाल ले गई थी,,, लेकिन सोनू का बुरा हाल था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी युक्ति इतना काम कर जाएगी की पहली बार में ही उसकी मां उसके लंड को पकड़ लेगी भले ही पेंट के ऊपर से ही सही लेकिन उसे गरमा गरम एहसास दे गई थी,,, आश्चर्य और उत्तेजना के मारे सोनू का मुंह खुला का खुला रह गया था,,,, लेकिन इस अफरातफरी में सोनू को दुगना मजा भी प्राप्त हो चुका था क्योंकि एकाएक ब्रेक मारने की वजह से संध्या की दाहिनी चूची पूरी की पूरी तरह से दबाव बनाते हुए उसके बेटे की पीठ से चिपक सी गई थी,,,और सोनू को अपनी पीठ के ऊपर अपनी मां की नरम नरम चुची का अहसास बड़ी अच्छी तरह से हुआ था,,,,,,,
इस हरकत को लेकर दोनों एक दूसरे से किसी भी प्रकार की बहस किए बिना ही मार्केट पहुंच गए,,,, सोनू एक अच्छी सी जगह पर मोटरसाइकिल खड़ी करके,,, अपनी मां के पीछे पीछे,,,शब्जी मंडी में जाने लगा,,,।