आज हॉस्पिटल में शर्मा जी का ऑपरेशन था जो कि कोई बहुत बड़ा ऑपरेशन नहीं था बहुत ही मामूली सा पथरी का ऑपरेशन था लेकिन इस तरह का सीन क्रिएट किया गया था कि जैसे बहुत ही कठिन और गंभीर बीमारी का ऑपरेशन है,,, इसलिए तो सरिता घबरा गई थी और तुरंत गांव से शहर आई थी अपने पति का ऑपरेशन करवाने के लिए शर्मा जी सरकारी ऑफिस में मामूली से कलर्क थे,,, उसकी हैसियत बिल्कुल भी नहीं थी इतने बड़े हॉस्पिटल में ऑपरेशन करवाने की,,, इसीलिए तो उससे ऑपरेशन के पैसे का जुगाड़ बिल्कुल भी नहीं हो पाया था,,,। लेकिन संजय सिंह की सांत्वना को पाकर वह निश्चिंत हो चुकी थी,, लेकिन संजय सिंह की इस सांत्वना के पीछे छिपे गहरे राज को वह कुछ कुछ समझ रही थी लेकिन अपने पति की भलाई के लिए वह खामोश रहना ही उचित समझ रही थी,,, इसलिए वह घर से नहा धोकर जल्दी से हॉस्पिटल पहुंच चुकी थी,, शर्मा भले ही पैसों के मामले में अमीर नहीं था लेकिन किस्मत के मामले में बेहद धनी था जो उसे सरिता जैसी खूबसूरत बीवी मिली थी,,। भरे बदन की सरिता बेहद खूबसूरत लगती थी,, इसीलिए तो उसकी खूबसूरती पर पूरी तरह से मोह कर संजय सिंह उसके हॉस्पिटल का पूरा खर्चा माफ करने के लिए तैयार हो चुका था जो कि इस बारे में उसके हॉस्पिटल का किसी भी स्टाफ को पता नहीं था यह अंदर की बात थी जो कि सरिता और संजय सिंह को ही मालूम थी,,, घर पर वह करीब रात के 3:00 बजे पहुंचा था और जल्द ही 6:00 बजे ही घर से निकल चुका था,, 10:00 बजे शर्मा जी का ऑपरेशन करना था,,,। ऑपरेशन की पूरी तैयारी हो चुकी थी शर्मा जी को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया था,,, ऑपरेशन बड़ा नहीं था इसलिए ऑपरेशन थिएटर में केवल 2 नर्श और संजय सिंह खुद था,,, 2 नर्स में रूबी भी थी।
ऑपरेशन थिएटर के बाहर सरिता बहुत परेशान नजर आ रही थी वह बार-बार आंखों को बंद करके भगवान से प्रार्थना कर रही थी बड़ी भोली और मासूम सी नजर आ रही थी और वैसे भी वह बहुत भोली ही थी गांव की होने के साथ-साथ वह बेहद संस्कारी और मर्यादा शील औरत थी,,, लेकिन इस समय ऑपरेशन थिएटर के बाहर उसके साथ कोई भी नहीं था घर के लोग शाम को आने वाले थे तब तक वह अकेली ही थी,,, वह परेशानी में इधर से उधर चहलकदमी कर रही थी,,, जब वह परेशान होकर इधर से इधर चहल कदमी करती थी,, तब उसके गोलाकार नितंबों की थिरकन आते जाते स्टाफ मेंबर और दूसरे मर्दों के तन बदन में हलचल पैदा कर देती थी,,,वह मन ही मन में भगवान से प्रार्थना करते हुए अपने पति की लंबी उम्र की दुआ मांग रही थी और अंदर ऑपरेशन शुरू हो चुका था,,,। संजय सिंह के लिए कोई बहुत बड़ा ऑपरेशन नहीं था या उसके लिए बाएं हाथ का काम था,,,
रूबी बार-बार संजय सिंह को अपनी तरफ रिझाने की कोशिश कर रही थी वैसे भी रूबी बला की खूबसूरत थी,,, ऑपरेशन थिएटर में स्कर्ट पहनी हुई थी और उस पर अपना सफेद रंग का नर्स का यूनिफॉर्म पहनी थी इस यूनिफार्म मे वह बेहद खूबसूरत और आकर्षक लगती थी यह बात संजय भी अच्छी तरह से जानता था,,,, ऑपरेशन शुरू हो चुका था संजय बड़ी ईमानदारी से शर्मा जी के ऑपरेशन को अंजाम दे रहा था,,, और रूबी ठीक उसके बगल में खड़ी होकर ऑपरेशन में उपयोग में लिए जाने वाले औजारों को एक ट्रे में लेकर खड़ी थी,,, तकरीबन 1 घंटे के बाद ऑपरेशन एकदम कामयाब रहा लेकिन रूबी के मन में कुछ और चल रहा था ऐसा नहीं था कि संजय का ध्यान रूबी के ऊपर नहीं जा रहा था संजय का ध्यान बार-बार उसकी मटकती हुई गोलाकार गांड पर जा रहा था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी लेकिन फिर भी वह अपना सारा ध्यान ऑपरेशन में लगाया हुआ था,,, और उसे यह भी पता था कि रूबी जानबूझकर इस तरह की हरकत कर रही है,,,। संजय चीरे पर टांका लेने की तैयारी कर रहा था,,, दूसरी नर्स टेबल के दूसरे छोर पर अपना काम कर रही थी,,, तभी संजय रूबी से बोला,,,,।
रूबी सुई देना तो,,,
(इतना सुनते ही रूबी को मौका मिल गया और वह जानबूझकर सुई को नीचे गिरा दी उसकी पीठ संजय की तरफ से और सुई के गिरते ही वह नाटक करते हुए बोली,,)
ओहहह शीट,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह नीचे सुई उठाने के लिए झुक गई,,, वह जानती थी कि संजय सिंह की नजर उसकी गांड पर जरूर पड़ेगी वो पहले से ही सारी तैयारी कर चुकी थी,,,, वजह से ही सही उठाने के लिए नीचे झुकी वैसे ही संजय सिंह की नजर भी उसके पिछवाड़े पर पड़ी और वह देखकर दंग रहेगा उसकी आंखों के सामने रूबी की एकदम खूबसूरत सुडौल आकार की गोरी गोरी गांड नजर आने लगी उसकी संपूर्ण गांडएकदम नंगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे ही उसने अपनी गांड को ढकने के लिए पैंटी नहीं पहनी है लेकिन ऐसा नहीं था वह पेंट पहनी जरूर थी लेकिन वह पहनती सिर्फ एक पतली सी डोरी के रूप में थी जो कि उसकी गोलाकार गांड के बीचों बीच की दरार में फंसी हुई थी,,, जो कि बेहद ध्यान से देखने पर ही पता चल रही थी इस नजारे को देखकर संजय सिंह का खून एकदम से खोलने लगा उसके तन बदन में वासना की लहर उठने लगी,,,, अगर ऑपरेशन थिएटर में ना होता तो अब तक वह रूबी को उसने भी नहीं दिया होता और उसी पोजीशन में अपने लंड को उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दिया होता जो कि रूबी खुद ऐसा चाहती थी,,, सुई उठाते समय रूबी यह देखने के लिए कि संजय की नजर उस पर पड़ती है या नहीं इसलिए वह अपनी नजरों को पीछे करके संजय की तरफ देखी तो वह उसकी भरी हुई मत मस्त खूबसूरत गांड को ही देख रहा था यह देखकर उसके होठों पर कामुक मुस्कान आ गई और वह संजय की तरफ मुस्कुराते हुए देख कर खड़ी हो गई संजय भीउसकी इस तरह की हरकतों को अच्छी तरह से समझ रहा था और वह मन में ठान लिया था कि मौका मिलने पर रूबी की बुर में लंड जरूर डालेगा,,,,, रूबी सुई उठाकर खड़ी होते हुए बोली,,,)
सॉरी सर लीजिए ,,,,(इतना कहकर सुई संजय सिंह की तरफ बढ़ा दी और संजय सूई अपने हाथ में लेकर टांका लेने लगा,,,, सब कुछ एकदम सही हो चुका था 1 घंटे बाद शर्मा को होश भी आ गया हल्का हल्का दर्द हो रहा था लेकिन कोई दिक्कत की बात नहीं थी,,,, सरिता अपने पति को होश में आया हुआ देखकर बेहद खुश नजर आ रही थी,,, वह अपने पति के पास टेबल पर बैठी हुई थी कि तभी नर्स उसके पास आई है और उसे सर के केबिन मैं उनसे मिलने के लिए बोल कर चली गई,,,)
मैं अभी आती हूं,,,,(इतना कहकर सरिता टेबल पर से उठ खड़ी हुई और संजय के केबिन की तरफ जाने लगी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था वह घबराई हुई थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि क्या होने वाला है एक पैसा भी उसका नहीं लगा था इसका मतलब साफ था कि उसे पैसों के बदले में कुछ और चुकाना होगा,,,,धीरे-धीरे वह संजय के केबिन के करीब पहुंच गई दरवाजा खुला हुआ था दरवाजे पर सरिता को देखते ही संजय खुश हो गया और उसे अंदर आने के लिए बोला,,,, सरिता डरी सहमी सी कुर्सी के करीब जाकर खड़ी हो गई तो संजय ही उसे बोला)
घबराओ मत बैठ जाओ,,,,(संजय की बात सुनकर सरिता टेबल के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई संजय अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) देखो सरिता मामला बहुत पेचीदा था लेकिन अब कोई घबराने की बात नहीं है सब कुछ सही हो चुका है अब तुम्हारे पति खतरे से एकदम बाहर है बस अब उनका इलाज ठीक से करवाना है और खाने पीने पर ध्यान देना है 15 दिन में एकदम सही हो जाएंगे,,,
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर साहब,,,
धन्यवाद मेरा नहीं भगवान का कर लो मैं तो सिर्फ अपना फर्ज निभाता हूं बाकी सब मर्जी भगवान की होती है और हां सरिता तुम्हारा कुल मिलाकर ऑपरेशन का खर्चा ₹120000 हुआ है अगर जुगाड़ हो चुका हो तो भर दो आगे भी दो-तीन दिन तक तुम्हारे पति को हॉस्पिटल में ही रहना होगा उसका खर्चा अलग से,,,,।
(इतना सुनते ही सरिता एकदम से घबरा गई इतना पैसा वह कहां से लाएगी यह सोचकर ही उसके पसीने छूटने लगे वह रोने जैसी हो गई उसकी आंखों में आंसू भर आए एकदम निराश हो गई उसके घर वाले भी इतने पैसे वाले नहीं थे की मदद कर सकते वह निराश हो चुकी थी उसके सामने कोई रास्ता नहीं था,, वो रोने लगी उसे रोता हुआ देखकर तुरंत संजय अपनी कुर्सी पर से खड़ा हुआ है और सबसे पहले जाकर दरवाजे को बंद कर दिया,,,, दरवाजे के बंद होने की आवाज कानों में पड़ते ही सरिता का बदन एक अनजान डर से थरथर करके कांपने लगा.. और संजय मौके का फायदा उठाते हुए तुरंत उसके ठीक पीछे कुर्सी के करीब खड़ा होकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,)
डरने की कोई बात नहीं है सरिता अगर पैसों का जुगाड़ नहीं हो पाया हो फिर भी बोल सकती हो तुम्हारे पति का इलाज चलता रहेगा जब तक कि वह बिल्कुल ठीक नहीं हो जाते,,,, लेकिन इसके बदले में तुम्हें मेरी बात माननी होगी,,,
कककक,,,, कैसी बात,,,,,(सरिता संजय की हरकत की वजह से घबराहट भरे स्वर में बोली,,,, उसके बदन की थरथराहट संजय को अपनी हथेली में साफ महसूस हो रही थी सरिता के हाव भाव को देखकर संजय समझ गया कि वह बेहद भोली भाली और एकदम सीधी औरत थी,,,, ओर यह देखकर संजय के होठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी क्योंकि उसकी जिंदगी में इतनी सीधी साधी भोली भाली औरत पहली बार आई थी जिसके साथ वह संभोग करने के लिए व्याकुल होने लगा था,,,)
तुम्हें ज्यादा कुछ नहीं करना है सरिता,,,,(इतना कहने के साथ ही संजय उसके कंधे पर के पल्लू को पकड़कर नीचे की तरफ गिरा दिया और जैसे ही पल्लू उसके कंधे से सरक कर नीचे गिरा उसकी भारी भरकम दूध से भरी हुई छातियां एकदम उजागर हो गई जो कि ब्लाउज में अच्छी तरह से समा नहीं पा रही थी और ब्लाउज का बटन तोडकर बाहर आने के व्याकुल हो रही थी,,,, संजय उसकी बड़ी बड़ी चूचियों के बीच की गहरी लकीर को देखकर एकदम वासना से भर गया उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी,,, और सरिता एकदम से शर्मा गई गांव की औरत होने की वजह से वह एकदम से शर्म से गढ़ी जा रही थी अपने बदन को समेटे हुए छुपाने की कोशिश कर रही थी लेकिन संजय शायद जानता था कि उसके आगे समर्पण के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं है इसलिए अपने दोनों हाथ को कंधों से नीचे की तरफ ले जाकर ब्लाउज के ऊपर से उसकी दोनों चूचियों को अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए बोला,,,)
सरिता तुम चाहो तो सब कुछ हो सकता है तुम अपने पति का इलाज आगे भी जारी रख सकती हो जब तक कि वह ठीक नहीं हो जाते।(उत्तेजना वश संजयसरिता की दोनों चूचियों को क्लाउज के ऊपर से इतनी जोर से दबा रहा था कि ना चाहते हुए भी सरिता के मुंह से आह निकल गई,,,) मैं तुमसे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा मैं बस इतना पूछना चाहता हूं कि क्या तुम चाहती हो कि तुम्हारे पति का इलाज आगे भी अच्छी तरह से जारी रहें ताकि बहुत ही जल्दी तुम्हारे पति ठीक हो कर घर जा सके,,,,
(संजय की बातें सुनकर सरिता कुछ बोल नहीं पा रही थी,, उसकी हालत खराब होती जा रही थी वह शर्म से गाड़ी जा रही थी जिंदगी में पहली बार किसी गैर मर्द ने उसके दोनों स्तनों को अपनी हथेली में भरकर दबाया था,,, सरिता का तन बदन उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि डॉक्टर की इस हरकत पर कैसे भाव प्रकट करें,, डॉक्टर की दोनों हथेलियां ताकत से भरी हुई थी इस बात का एहसास उसे बहुत जल्द हो गया था,,, चरित्रवान होने की वजह से संजय की कामुक हरकत पर सरिता का तन बदन उत्तेजना वाली हरकत बिल्कुल भी नहीं कर रहा था उसके दिमाग के साथ-साथ उसका बदन भी असमंजस में था कि डॉक्टर के इस तरह की कामुक हरकत के प्रतिभाव में वह कैसा भाव प्रकट करें उत्तेजित हो या क्रोध जता कर उसे दूर कर दे,,,लेकिन सरिता यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि हालात अब उसके बस में बिल्कुल भी नहीं थे 120000 का बिल उसके लिए भुगतान कर पाना बहुत बड़ी बात थी जिसका इंतजाम नामुमकिन था और आगे का इलाज यह सब सोचकर ही उसका दिमाग फटा जा रहा था,,,,सरिता की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया होती ना देख कर संजय अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
सरिता क्या तुम नहीं चाहती कि तुम्हारे पति का इलाज अच्छी तरह से मुमकिन हो सके,,,,(संजय शायद समझ चुका था कि उसका तीर ठीक निशाने पर लगा है उसकी बात मानने के सिवा सरिता के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था इस बात का अंदाजा लगते ही वह अपनी बात कहते हैं अपने हाथों से उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा क्योंकि वह अपने हाथ में आए इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था सरिता की खूबसूरत दोनों गोलाईयों को अपनी आंखों से नजर भर कर देखना चाहता था,,,,सरिता को इस बात का अहसास था कि डॉक्टर उसके ब्लाउज का बटन अपने हाथों से खोल रहा है यह उसके लिए शर्म से मर जाने वाली बात थी,, लेकिन इस समय वह कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं थी सवाल उसके पति के सेहत का था उसके इलाज का था जिसका भुगतान कर पाना शायद उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था उसके बस में था तो बस डॉक्टर की बात मान लेना,,,, और उसकी बात मान लेने पर उसके पति का इलाज बेहतरीन तरीके से संभव था,,, वह अपने आप को संजय सिंह की बात माल लेने के लिए तैयार कर रही थी और उसकी हामी आती इससे पहले ही संजय उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल चुका था,,, संजय सिंह की आंखों में वासना की चमक साफ नजर आने लगी जब उसकी नजर लाल रंग की ब्रा में छुपे हुए दोनों चूचियों पर गई दोनों चूचियां ऐसी लग रही थी मानो सीपी में छुपी हुई मोती,, जिनको पाने के लिए उसकी कीमत अदा कर पाना शायद किसी के बस में नहीं था क्योंकि दोनों चुचियां अनमोल थी,, जीन्हे पाना शायद किस्मत की बात थी,,, लेकिन शायद सरिता की किस्मत खराब थी जो संजय सिंह उसे किस्मत से नहीं बल्कि उसकी मजबूरी का फायदा उठा कर प्राप्त कर रहा था,,, सरिता का प्रति भाव जाने बिना ही संजय अपनी दोनों हथेलियों को सरिता की चुचियों के नीचे की तरफ लाकर उसकी लाल रंग की ब्रा को पकड़कर ऊपर की तरफ खींच दिया और उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां फुटबॉल की तरह उछल कर बाहर आ गई,,,। यह देख कर संजय के मुंह में पानी आ गया ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी आंखों के सामने बेहतरीन किस्म के दो दशहरी आम थाली में सजाकर रखे गए हो और जिस पर सिर्फ संजय का हक है,,, सरिता चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी,,, डॉक्टर उसे पल पल वस्त्र विहीन करता जा रहा था,,, लेकिन वह खामोश थी एकदम शांत थी खामोश थी सिर्फ और सिर्फ अपने पति के लिए क्योंकि जब नर्स उसे डॉक्टर के केबिन में जाने के लिए बोली थी तो वह कुर्सी से उठने के बाद अपने पति की तरफ नजर डाली थी और उसका पति अपनी बीवी को देखकर मुस्कुरा दिया था और सरिता अपने पति के चेहरे पर आई मुस्कुराहट को खोना नहीं चाहती थी क्योंकि इतनी तकलीफ में भी उसे देखकर वह मुस्कुरा रहा था उसकी मुस्कुराहट जीने देना सरिता के बस में बिल्कुल भी नहीं था उसके सामने बस अब डॉक्टर की बात मान लेने के सिवा कोई चारा नहीं था,,, संजय की सांसे ऊपर नीचे हुई जा रही थी,,,, सरिता की चुचियों को देखकर संजय को समझते देर नहीं लगी थी की खूबसूरती अमीरी या गरीबी देखकर नहीं मिलती,,, वह तो भगवान का तोहफा होता है किसी को भी मिल सकता है जैसा कि सामान्य परिवार से आने वाली सरिता को भगवान ने खूबसूरती दोनों हाथों से बटोर कर उसकी झोली में डाल दिया था और उसी झोली में से संजय अपने हिस्से की खुशियां लूटना चाहता था,,,। और यह हिस्सा भी उसने जबर्दस्ती का बनाया हुआ था,,,,,, सरिता मजबूर होकर हां कहना चाहती थी लेकिन हां कहने में भी उसे बेहद शर्म महसूस हो रही थी और संजय उसके जवाब का इंतजार किए बिना ही उसकी सूची के बीचो बीच की खूबसूरती बढ़ाते हुए उसके निप्पल जो कि एकदम किसमिस के दाने की तरह नजर आ रहे थे उसे संजय सिंह अपने दोनों हाथों की उंगलिययों का उपयोग करके उसे ंसलना शुरू कर दिया,,,,, और इस बार सरिता के मुंह से हल्की सी सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,।
सससहहहहहहहह,,,,।
(यह सिसकारी की आवाज सरिता के मुंह से उत्तेजना बस निकली थी आखिरकार वह भी एक औरत थी तब तक एक पराए मर्द की कामुक हरकतों की वजह से अपने आपको दवाई रह सकती थी,,,, आखिरकार बदन उसके दिमाग का साथ छोड़ रहा था,,, सरिता के मुंह से निकली गरमा-गरम सिसकारी की आवाज उसकी तरफ से पूर्ण समर्पण का एहसास दिला रहा था जिससे संजय बेहद खुश था,,,, देखते ही देखते संजय उसके खूबसूरत गर्दन पर अपने होंठ रख कर उस पर चुंबन लेना शुरू कर दिया साथ ही अपनी नाक से गरमा गरम सांस को उसके गर्दन पर छोड़ने लगा जिससे सरिता ना चाहते हुए भी मदहोशी का एहसास करने लगी,,,, उसका बदन कसमसाने लगा और संजय लगातार उसके निप्पल को मसलता रहा,,,, औरतों को उत्तेजित करने की कला संजय सिंह अच्छी तरह से जानता था संजय उसके कान के बाली पर अपनी जीभ निकालकर उसे चाटना शुरू कर दिया,,, वैसे भी कान के पीछे वाले भाग पर मर्दों के द्वारा उत्तेजित अवस्था में चुंबन लेने पर औरत एकदम काम भावना से ग्रस्त हो जाती है और यही सरिता के साथ हो रहा था,,,, संजय अच्छी तरह से जानता था कि सरिता अपने आप को उसके आगे समर्पित कर दे रही है वरना वह उसे ब्लाउज का बटन खोलने नहीं देती,,,,लेकिन एक बार फिर से सरिता के मन में क्या चल रहा है यह जानने के लिए वह धीरे से उसके कान में बोला,,,।
क्या कहती हो सरिता अपने पति का इलाज जारी रखना चाहती हो या यहीं पर रोक देना चाहती हो,,,
जजजज,,, जारी रखना चाहती हूं,,,,(सरिता कांपते स्वर में बोली,,,, और संजय यह सुनकर एकदम खुश हो गया,,,)
डेट्स गुड गर्ल,,,, यह हुई ना बात,,,,,(इतना कहने के साथ ही संजय उसकी बांह पकड़ कर उसे खड़ी करने लगा और सरिता कुर्सी से उठकर खड़ी हो गई,,,, संजय ठीक उसके सामने खड़े होकर उसकी खूबसूरती को देख रहा था खूबसूरत चेहरा एकदम गोरा लाल लाल होंठ कजरारी आंखें और छातीयो की शोभा बढ़ाती उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां जिसे दबा दबा कर संजय सिंह ने टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,, सरिता की लाल लाल दशहरी आम को देखकर उसे मुंह में लेकर चूसने की लालच को संजय दबा नहीं पाया और तुरंत अपना मुंह उसकी चूची पर रख कर उसकी कैडबरी जैसी चॉकलेटी निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, शर्म और उत्तेजना का असर सरिता के खूबसूरत संस्कारी चेहरे और मन दोनों पर अजीब सी हलचल मचा रहा था,,,, आखिरकार एक औरत होने के नाते संजय जैसे एक बड़े डॉक्टर और उसके मर्दाना ताकत भरे हाथों का असर उसके तन बदन पर हो रहा था लेकिन वह अजीब सी कशमकश में थी,,,, वह अगर मजा लेना चाहती तो उसके पति से उसकी तरफ से दगा होता,,, लेकिन हालात के हाथों मजबूर थी वह यह सब करना नहीं चाहती थी लेकिन मजबूरी बस सब कुछ अपने आप होता चला जा रहा था संजय बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों का स्वाद ले रहा था,,,, सरिता शर्म के मारे अपनी आंखों को बंद कर चुकी थी उसे यह शर्मनाक नजारा देखा नहीं जा रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह किसी पराए मर्द को इस तरह से अपने बदन को हाथ लगाने देगी,,,,,,, लेकिन कर भी क्या सकती थी,,,, ना चाहते हुए भी संजय की कामुक हरकतों की वजह से उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और देखते ही देखते उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज आने लगी,,,उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन कहां पड़ा था उसे इस बात का डर था कि कहीं वह चक्कर खाकर गिर ना जाए इसलिए वह अपना दोनों हाथ संजय के कंधों पर रखकर उसके कंधे का सहारा ले ली थी और संजय उसके समर्पण की भावना को अच्छी तरह से समझ रहा था संजय ज्यादा देर नहीं लगाना चाहता था क्योंकि कोई भी आ सकता था,,, यह लंच का समय का इसलिए उसे कोई डिस्टर्ब नहीं कर रहा था अभी भी उसके पास 10 मिनट का समय था,,,,पेंट के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खडा हो चुका था,,,, अब देर करना उचित नहीं था,,,, अब संजय ना तो उसे कुछ समझा रहा था और ना ही सरिता कुछ समझने के लिए तैयार थी वह तो समय की बहाव में बहती चली जा रही थी,,,, देखते ही देखते संजय अपनी स्थिति को पूरी तरह से बदल लिया सरिता नहीं जानती थी कि संजय क्या करने वाला है वह इतना चाहती थी कि वह उस की चुदाई करेगा लेकिन कैसे करेगा यह हुआ बिल्कुल भी नहीं जानती थी,,,, देखते ही देखते संजय उसे टेबल की तरफ मुंह करके खड़ी कर दिया और पीछे खड़ा होकर उसकी साड़ी को उठाना शुरू कर दिया यह पल सरिता के लिए बेहद शर्मनाक था शर्म से गड़ जाने वाली बात थी उसके लिए लेकिन कुछ भी उसके हाथों में नहीं था देखते ही देखते संजय उसकी साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसका जबरदस्त भरावदार पिछवाड़ा नजर आने लगा जिस पर अभी भी काली रंग की चड्डी चढ़ी हुई थी,,,,सरिता शर्म के मारे अपनी नजर पीछे करके देख भी नहीं रही थी वह अपनी आंखों को बंद कर ली थी इस शर्मनाक पल कि वह एकलौती गवाह थी,,,लेकिन उसने भी अपनी आंखों को बंद करके इस शर्मनाक हरकत को होने दे रही थी,,,,सरिता को अभी भी यह सब एक सपना जैसा लग रहा था क्योंकि वह सपने में भी नहीं सोची थी कि इतने बड़े हॉस्पिटल का मालिक इतना बड़ा डॉक्टर इतनी गंदी हरकत करेगा,,,, उसे साफ महसूस हो रहा था कि संजय उसके चिकनी मांसल कमर को अपनी हथेली से सहला रहा था,,, सरिता को अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि डॉक्टर बहुत शातिर है औरतों के साथ किस तरह से काम लिया जाता है यह उसे अच्छी तरह से मालूम था तभी तो वह ना चाहते हुए भी मदहोश होने लगी थी,,, तभी उसके बदन में कपकपी सी छा गई जब संजय दोनों हाथों से उसकी काली रंग की चड्डी को पकड़कर उतारना शुरू कर दिया,,,, सरिता जानती थी कि एक ही पल में संजय उसे एकदम नंगी कर देगा और ऐसा हुआ भी संजय तुरंत उसकी चिकनी मांसल टांगो से होती हुई उसकी काली रंग की चड्डी को उतारकर वही डेस्क पर रख दिया,,,, इस बार हिम्मत करके सरिता अपनी नजर पीछे की तरफ करके संजय की तरफ देखी उसकी आंखों में उसकी गोरी गोरी बड़ी-बड़ी गांड को देख कर उसे पाने की लालच साफ नजर आ रही थी,,, उसकी आंखों की लालच को देखकर सरिता को खुद शर्म आ गई और वापस अपनी नजर घुमा ली,,,,,, लेकिन अपनी पोजीशन अपने होदेकी शर्म संजय की आंखों में बिल्कुल नजर नहीं आ रही थी बल्कि अपनी पोजीशन का गलत फायदा उठाना कैसे आता है यह उसकी आंखों में साफ नजर आ रहा था,,, संजय सरिता की मदमस्त गोरी गोरी गांड को देखकर एकदम पागल हो गया था,,, समय का अभाव था वरना सरीता के खूबसूरत जिस्म से वह जी भर कर खेलता,,,, उत्तेजना बस संजय उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर दो चार चपत लगा दिया,,,, और सरिता के मुंह से आहह के सिवा और कुछ नहीं निकला,,,,, देखते ही देखते संजय अपने पेंट की बेल्ट और बटन खोल कर अंडरवियर सहित उसे घुटनों तक खींचकर सरका दिया,,,उसका मोटा तगड़ा मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड हवा में गोते खाने लगा,,,
सरिता का संपूर्ण वजूद थरथर कांप रहा था,,, उसके साथ डॉक्टर क्या करने वाला है यह उसे अच्छी तरह से मालूम था,,,, और देखते ही देखते संजय अपना एक हाथ सरिता की पीठ पर रखकर उसे दबाव देते हुए और थोड़ा झुक जाने का इशारा किया और देखते ही देखते सरिता अपनी बड़ी बड़ी चूची यों को झूला ते हुए डेस्क पर झुक गई,,, अब संजय के लिए सरिता की बुर तक पहुंच पाना एकदम आसान हो चुका था,,, बड़ी-बड़ी उभार दार गांड होने की वजह से उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां गांड की गहरी दरार के अंदर छिपी हुई थी जिसे खोजने में संजय को ज्यादा वक्त नहीं लगा,,, और अगले ही पल संजय अपनी मोटे तगड़े लंड के सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर हल्के से धक्का लगाया,,, सरिता भले यह सब करना नहीं चाहती थी लेकिन संजय की हरकतों की वजह से वह भी उत्तेजित हो चुकी थी और उसके बदन की गर्मी सहित बनकर उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों से टपक रही थी जिसकी चिकनाहट पाकर संजय का मोटा लंड आराम से अपने लक्ष्य को भेदने के लिए अपने निशाने पर आगे बढ़ने लगा,,, संजय का आधा लंड सरिता की बुर में घुस गया था और इतने से ही सरिता को एहसास हो गया था कि,,संजय का लंड काफी मोटा और तगड़ा है तभी तो जैसे जैसे उसका लंड बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे सरिता के चेहरे का भाव बदलता जा रहा था,,, संजय की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी इस बार सरिता की कमर को थाम कर एक जोरदार धक्का लगाया और संजय का लंड बुर के अंदरूनी अड़चनों को दूर करता हुआ सीधे जाकर उसके बच्चेदानी से टकरा गया,,, पर इस बार सरिता अपने आप को रोक नहीं पाई और उसके मुंह से दर्द से भरी हुई चीख की आवाज निकल गई,,,।
आहहहहहहह,,,,,, डॉक्टर साहब,,,आहहहहहह,,,, बहुत दर्द कर रहा है प्लीज निकाल लीजिए,,,,,आहहहहहहह,,, मुझे बहुत दर्द कर रहा है,,,,,
( सरिता की दर्द भरी आवाज सुनकर संजय समझ गया कि उसकी तुलना में उसके पति का लंड बहुत ही मामूली किस्म का होगा तभी सरिता को दर्द हो रहा है,,, इसलिए वह सरिता को समझाते हुए बोला,,)
बस बस हो गया सरिता आधे से ज्यादा काम हो चुका है,,, मेरा लंड तुम्हारी बुर की गहराई में पूरा का पूरा घुस चुका है,,, अब थोड़ी देर में तुम्हें भी मजा आने लगेगा,,,
नहीं नहीं डॉक्टर साहब मुझे नहीं लगता कि मैं झेल पाऊंगी प्लीज निकाल लीजिए मुझे बहुत दर्द कर रहा है,,,,(सरिता उसी तरह से डेस्क पर झुकी हुई बोली,,,)
तो बिल्कुल भी मत घबराओ सरिता सब कुछ ठीक हो जाएगा बस थोड़ा समय दो,,,,( इतना कहते हुए संजय हल्के हल्के धक्के लगाता हुआ अपने लंड को सरिता कि बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था पर थोड़ी ही देर बाद संजय की कही बात और सरिता का धैर्य आनंद में बदलने लगा सरिता के मुंह से आने वाली दर्द से भरी कराहने की आवाज अब गरम सिसकारी में बदलने लगी थी,,, जो कि बड़ी मुश्किल से वह अपने अंदर समेटे हुए थी,,, लेकिन संजय के मर्दाना ताकत के आगे वह लाचार हो चुकी थी कुछ भी उसके बस में नहीं था और देखते ही देखते उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,, इसमें कोई दो राय नहीं थी कि सरिता को संजय सिंह के लंड से चोदने में मजा नहीं आ रहा है,,, सरिता को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी और ऐसा आनंद उसने कभी अपनी जिंदगी में कभी नहीं प्राप्त की थी,,,, चुदाई का असली सुख उसे आज डॉक्टर के केबिन में प्राप्त हो रहा था,,,,,, संजय एकदम से कामोत्तेजना से भर गया जब सरिता की तरफ से जवाबी कार्रवाई में उसे महसूस हुआ कि सरिता अपनी कार को पीछे की तरफ ठेल रही है,,,,अब संजय के लिए रोक पाना बेहद मुश्किल हो रहा था और वह अपनी रफ्तार को बढ़ा दिया देखते ही देखते उसका लंड सरिता की बुर में इंजन की तरह चलना शुरू हो गया सरिता एकदम आनंद से भाव विभोर हुए जा रही थी,,,, उसे अभी भी यह सब कल्पना और सपना की तरह लग रहा था क्योंकि जिंदगी में उसने इस तरह की सुख की कभी भी कामना नहीं की थी जिस तरह का सुख उसे डॉक्टर दे रहा था,,,,, देखते ही देखते सरिता की सांसे तेज चलने लगी संजय समझ गया कि वह एकदम चरम सुख के करीब पहुंच चुकी है इसलिए अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसके दोनों झूलते हुए दशहरी आम को पकड़ लिया और उसे दबाते हुए अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,, आखिरकार सरिता का मदन रस का लावा फूट पड़ा और थोड़ी ही देर में संजय सिंह की गर्मी भी सरिता की बुर में पिघलने लगी और वह निढाल होकर सरिता के ऊपर ही गिर गया,,,,।
सरिता मस्त हो चुकी थी अनजाने में मिलेगी इस सुख को वो जिंदगी भर नहीं भुलने वाली थी भले ही मजबूरी में सही जीवन में असली संभोग सुख को प्राप्त कर चुकी थी,,,, डेस्क पर पड़ी अपनी काली रंग की चड्डी को उठाकर का डॉक्टर से नजर बचाकर पहन ली लेकिन डॉक्टर उसे देख ही रहा था,, सरिता की यह नजाकत भरी हरकत डॉक्टर के मन में गड़ गई,,,, सरिता जाने को हुई तो वह बोला,,,।
सरिता तुमने मुझे खुश कर दिया लेकिन अभी तुमसे संपूर्ण सुख प्राप्त करना बाकी रह गया है,,,, रात को तुम्हें मेरे पास एक बार फिर आना होगा और तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो तुम्हारे पति का ट्रीटमेंट बिल्कुल फ्री होगा,,,,
आना कहां है,,? (सरिता एकदम नजाकत भरे स्वर में बोली।)
यही ऊपर ही मैं अपने आराम करने के लिए कमरा बनवाया हु,,,, रात को 10:00 बजे के बाद चली आना,,,।
इतना सुनकर सरिता केबिन से बाहर निकल गई और संजय उसकी भारी-भरकम मदमस्त गांड को देखता रह गया,,,