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शगुन जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी सब कुछ हैरान कर देने वाला था अपने भाई और अपनी मां के बीच इस तरह से एक दूसरे को उत्तेजित करने वाली क्रिया को देख कर उसे अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन ना जाने क्यों अपनी मां और अपने भाई के बीच के इस उत्तेजनात्मक क्रीया को लेकर उत्सुकता के साथ साथ मादकता और आकर्षण का भी एहसास हो रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब मम्मी भाई को रिझाने के लिए कपड़े धोने के बहाने मशीन खराब होने का बहाना करके बाथरूम में उसके साथ उत्तेजना भरा मटरगश्ती कर सकती हैं उसे रिझाने के लिए अपने बदन पर पानी डालकर अपने अंगों को दिखा सकती है तो वह क्यों नहीं कर सकती,,, जिस तरह का तंबू उसने अपने भाई के पजामे में देखी थी उसे देखकर इतना तो वह समझ गई थी कि मां की बस मस्त जवानी देखकर उसका आकर्षण देगा तो उसका भाई पागल हो चुका था तभी तो उसका मूड खराब हो गया था वरना आकर के मन में मां को लेकर गंदी विचार ना होते तो उसका लंड खड़ा नहीं होता और वह छत पर कपड़े सूखाने के बहाने मम्मी और उसकी खुद की पेंटिं अपने लंड पर ना रगडता ,,, यह सब सोचकर शगुन की हालत खराब होने लगी थी और बार बार उसकी पैंटी गीली होती जा रही थी,,,
दूसरे दिन शगुन सिर्फ चेक करने के लिए वॉशिंग मशीन चालू की तो वहां चालू हो गया था बिना किसी रूकावट के वह तुरंत वाशिंग मशीन बंद कर दी और सारा माजरा समझ में आ गया था,,,अब से पक्का यकीन हो गया था कि उसकी मां और आपके भाई के बीच कुछ चल जरूर रहा है जैसा कि उसके खुद के और ऊसके पापा के बीच चल रहा था,,,
अब वह अपनी मां और अपने भाई पर बराबर ध्यान देने लगी थी उनकी हर एक हरकतों को बारीकी से निरीक्षण करती थी,,, शगुन अपनी आंखें हमेशा खुली रखने लगी थी जब भी उसकी मां और भाई एक साथ होते तो वह दोनों को उनकी हरकतों को देखती रहती थी,,। सोनू की नजर उसे हमेशा अपनी मां की गांड पर उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर घूमती नजर आती थी,,, यह देख कर उसे भी उत्तेजना का एहसास होने लगा था,,, अपनी मां पर भी नजर रखने पर उसे पता चला कि उसकी मां भी कोई ना कोई बहाना उसेअपना खूबसूरत बदन दिखाने की भरपूर कोशिश करती थी हालांकि वह अपने कपड़ों को उतारकर नंगी होकर अपने अंगों को नहीं दिखा पाती थी,,,लेकिन फिर भी कभी अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर अपनी भरपूर चुचियों की गहरी दरार दिखाकर तो कभी झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड भले ही वह साड़ी के अंदर कैद रहती थी लेकिन फिर भी अपना पूरा असर दिखाती थी,,,यह देखकर उसका भाई जिस तरह से उत्तेजित होता था उसे देखकर सगुन की हालत खराब हो जाती थी,,,। कुछ दिन पहले ही अपनी सहेली से उसे इस बात का पता चला था कि लड़की ने जिस तरह से अपने आप को शांत करने के लिए अपनी बुर में उंगली डालकर अपना पानी निकालती है उसी तरह से जब लड़कों का मन करता है उनका लंड खड़ा हो जाता है तो वो अपने हाथ से हिला कर अपने लंड का पानी निकाल देते हैं,,,,, और अपने भाई के पजामे में बने तंबू को देखकर शगुन को इस बात का एहसास था कि उसके भाई का भी लंड खड़ा हो जाता है,,, अपने आप को शांत करने के लिए अपने हाथ से ही हीलाता होगा जैसा कि वह खुद जब गर्म हो जाती है तो उसे अपनी उंगली को अपनी बुर में डालना ही पड़ता है,,, यही सोचकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थी,,,और फिर वह अपने पापा के बारे में सोचने लगी कि उसके पापा भी तो उसे देखकर उत्तेजित हो जाते हैं उनका भी तो खड़ा हो जाता है,,,,,उसे पूरा विश्वास था कि उसके पापा का खड़ा हो जाने के बाद वह अपने हाथ से हिला कर अपना पानी नहीं निकालते होंगे,, क्योंकि उनके पास दुनिया की सबसे खूबसूरत और जो थी उनकी बीवी मतलब जिसकी खूबसूरत रोटी जैसी फुली हुई बुर में लंड डालकर अपनी सारी गर्मी निकाल देते होंगे,,,।
सगुन अपने कमरे में बैठकर यही सब सोच रही थी,,, उसका दिमाग खराब हो रहा था यह सोच कर कि क्या उसका भाई अपनी सगी मां को चोदना चाहता है और क्या उसकी मां खुद अपने बेटे से चुदवाना चाहती है,,, दोनों की हरकतें देखकर तो ऐसा ही लग रहा था,,,, सगुन यही सोच रही थी कि अगर मौका मिले तो उसका भाई मां की चुदाई करने से पीछे नहीं देगा और उसकी मां की मौके का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटेगी,,,यह सब सोचते ही सब उनको तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, यह सब विचार मन में लाकर वह अपने आप को धिक्कारती भी थी,,, लेकिन ना जाने क्यों इस तरह के विचार उसके तन बदन में अजीब सा सुकून पैदा करते थे,,,। इस तरह के गंदे विचारों से अपना ध्यान हटाने के लिए वह पढ़ाई में ध्यान लगाने लगी,,,।
दूसरी तरफ हॉस्पिटल में रुबी का बढ़ता हुआ वर्चस्व देखकर संजना से रहा नहीं जा रहा था,,, वह बार-बार इस बारे में संजय से बात भी कर चुकी थी लेकिन संजय इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था संजना को अच्छी तरह से मालूम था कि संजय को क्या चाहिए और किस लिए रुबी को ज्यादा वर्चस्व दे रहा है,,,। इसलिए 1 दिन दोपहर में जब पेशेंट कीआवाजाही बिल्कुल भी नहीं थी तब संजना सीधे संजय के केबिन में चली गई संजय किसी फाइल को देख रहा था,,,, वह फाइलों की अलमारी के लग खड़ा था,,, और फाइल देख रहा था,,,।
क्या बात है सर आजकल रूबी पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहे हैं,,, रूबी मुझसे ज्यादा मजा देती है क्या,,,?
नहीं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,(एक नजर संजना पर डाल कर वापिस फाइल को देखते हुए बोला)
नहीं लगता है कि मेरी जवानी अब आपको कम पड़ने लगी है,,,
नहीं सर ऐसी कोई भी बात नहीं है वह तो इसलिए कि तुम पर काम का बहुत ज्यादा रहता है,,, तुम्हारा काम का बोझ कम हो जाए इसके लिए,,,
और इसीलिए आप सारा बोझ अपने नीचे लेने लगे हैं,,,।
( संजना के कहने का मतलब को संजय अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए बोला कुछ नहीं,,, थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वह बोला)
संजना मेरे लिए तुम आज भी वैसी हो जैसा कि इस हॉस्पिटल को शुरू करते समय थी तुम्हारे बिना मैं यह हॉस्पिटल को ऊंचाई तक नहीं ले जा सकता था,,
तो फिर अब भेदभाव क्यों,,, रूबी एकदम जवान है इसलिए एक बात समझ लीजिए संजय सर,,, उम्र मायने नहीं रखती तजुर्बा मायने रखता है,,,और जिस काम के लिए आप रूपी को इतना महत्व दे रहे हैं उसका हमने मेरा तजुर्बा कुछ ज्यादा ही है देखना चाहते हैं,,,,
(संजय कुछ बोल पाता इससे पहले ही संजना,,, उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई और तुरंत संजय की पेंट कीजिए संजय कुछ समझ पाता इससे पहले संजना पेंट की जीप के अंदर अपनी तो उंगली डालकर टटोल ते हुए संजय की अंडरवियर के आगे वाले छेद में से अपनी दोनों उंगलियों को डाल कर उसके अधखडे लंड को बाहर निकाल ली,,,और उसे अपनी मुट्ठी में भरकर हल्के हल्के हीलाते हुए संजय की आंखों में देखने लगी पलभर में ही संजय की आंखो में खुमारी छाने लगी,.,,, देखते ही देखते मानो पिचके हुए गुब्बारे में हवा भरने लगी हो इस तरह से संजय का मुरझाया लंड खिलने लगा था,,और देखते ही देखते हैं कब वह पूरी अपनी औकात में आ गया यह संजय को भी पता नहीं चला,,,लेकिन संजना यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि संजय किस तरह से और कैसे उत्तेजित होता है और अपनी औकात पर आता है,,, क्योंकि बरसों से ही वह संजय के साथ इस तरह का खेल खेलते आ रही थी,,, संजय कुछ बोल नहीं पा रहा था काफी दिन हो गए थे समझे ना के साथ पल बिताए हुए,,, संजनाअब बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती थी,,, क्योंकि संजय का लंड अपनी औकात दिखा रहा था,,, संजना संजय की कमजोरी को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए अपनी जीभ को बाहर निकाल कर अपनी जीत के छोर से वह संजय के खड़े लंड के छोटे से छेद को चाटना शुरू कर दी,,,, संजना की यह हरकत संजय की हालत खराब कर देती थी,,, संजना के हाथों और उसकी जीभ का जादू संजय के लंड के ऊपर अब भी बरकरार था,,,संजना की हरकत की वजह से सन से पूरी तरह से उत्तेजित होने लगा उसके तन बदन में हलचल होने लगी,,, वह अपनी जीभ को नुकीली करके संजय के छेद पर कब आने लगी जिससे उसके लंड का छेद हल्का-हल्का खुलने लगा,,,, एहसास संजय को हवा में लिए उड़ रहा था,,,, अभी तो संजना ने सिर्फ संजय के लंड को जीभ से चाटना भर शुरू की थी,,,, तो भी संजय का बुरा हाल था,,,
देखते ही देखते समझना संजय को पर बिजलियां गिराते हुए उसके लंड के सुपाड़े को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,,,,आहहहहहहहह,,, की गरम सिसकारी संजय के मुंह से फुट पड़ी,,, संजय कमजोर पड़ता जा रहा था संजना की हरकत की वजह से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,। थोड़ी देर तक संजना संजय के लंड के सुपाड़े को बेकरी के क्रीम कि तरह मुंह में भर कर उसके स्वाद का मजा लेती रही,,
सससहहहहहह,,,,,आहहहहहहहहहह,,,,,,संजय कीमत भरी आवाज एक बार फिर से संजना के कानों में पड़ी जो कि संजना को इस बात का एहसास दिला रही थी कि उसकी हरकत संजय को उसके सामने घुटनों के बल बैठने पर मजबूर कर रही है,,,, संजना अब संजय के पूरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,।वह संजय कैलेंडर को पूरा का पूरा मुंह में लेकर उसे चूसने का मजा ले रही थी और संजय को दे रही थी और अपने दोनों हाथों से संजय के पेंट की बटन खोलने लगी और अगले ही पल वह संजय की पेंट के बटन को खोल कर उसे नीचे खींच कर उसके घुटनों से नीचे ला दी,,,, संजय के लंड कि वह हमेशा से दीवानी रही थी उसे पूरा यकीन था कि उसके बीवी के बाद संजय के ऊपर उसका पूरा हक है लेकिन कुछ दिनों से रूबी के ऊपर संजय ज्यादा ध्यान दे रहा था जो कि संजना से देखा नहीं जा रहा था और इस कार्य में संजना ने संजय से बात भी की थी लेकिन संजय इसका जवाब नहीं दे पा रहा था बस बात को टाल रहा था रूबी की तरफ बढ़ते झुकाव संजना को अच्छी तरह से मालूम था कि किस वजह से है,,, रूबी एकदम जवान लड़की की जवानी की दहलीज पर कदम रख कर इस मुकाम पर पहुंची थी,,, और संजय की सबसे बड़ी कमजोरी थी जवान खूबसूरत कसी हुई बुर जो कि रूबी के पास बखूबी थी,,, संजना किसी भी तरह से संजय का ध्यान रूबी पर से अपने ऊपर लाना चाहती थी इसलिए वह आज संजय के केबिन में उसे स्वर्ग का सुख दे रही थी,,,,
संजना अपने आप ही संजय के समूचे लंड को अपने गले तक उतार कर मजे ले रही थी और अपनी उंगलियों का जादू उसके लंड के नीचे के गोटियो को पकड़कर चला रही थी,,,,,, संजय को संजना की हर एक हरकत कामुकता से भरी हुई लग रही थी उसे स्वर्ग का सुख नहीं रहा था मानो जैसे वह हवा में उड़ रहा हो,,,,,
सजना की स्कर्ट पहनी हुई थी काले रंग की स्कर्ट में उसका गोरा बदन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था संजय के लैंड को मुंह में लेकर चूसते हुए वहां अपने दोनों हाथों से अपनी स्कर्ट को बैठे बैठे अपनी कमर तक उठा दी थी,,। लाल रंग की पैंटी में वह अपना हाथ डालकर अपनी गुलाबी बुर की पंखुड़ियों को मसल रही थी,,,। संजय को संजय की यह हरकत पागल बना रही थी संजना जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है इसलिए वह घुटनों के बल से खड़ी हुई और उसी तरह से झुके हुए ही वह संजय के लंड को मुंह में ही रह गई,,, संजय के एक हाथ दूरी पर संजना की गोरी गोरी गांड नजर आ रही थी और संजना जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है,,,और संजना के सोचने के मुताबिक संजय अपना हाथ आगे बढ़ाकर संजना की गांड को एक हाथ से पकड़ कर उसे दबाने लगा,,,, और उस पर चपत लगाने लगा,,,, कुछ देर तक यह खेल ऐसे ही चलता रहा,,। संजना भी काफी गर्म हो चुकी थी उसे भी अपनी बुर के अंदर संजय के लंड को लेने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,। इसलिए वह संजय के लंड को मुंह से बाहर निकाल कर खड़ी हुई,,,।इतना मोटा तगड़ा लंड मुंह में लेने की वजह से उसकी सांसे भारी चल रही थी,,
कैसा लगा,,,,?(मादक अदाओं से संजय की तरफ देखते हुए बोली)
बहुत अच्छा संजना,,,
क्या रूबी इतना मजा देती है,,,
(संजय संजना के सवाल का जवाब नहीं दे पाया,,, लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि संजना के जैसा मजा रुबी नहीं दे पाती थी,,, वह सिर्फ इतना ही बोला।)
तुम बहुत अच्छी हो संजना,,,,,,
तो फिर मेरे पर क्यों काट रहे हैं,,,,(संजना उत्तेजना आत्मक तरीके से अपनी पेंटी में हाथ डालते हुए बोली यह देख कर संजय की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,,,)
मैं कहां पर काट रहा हूं संजना,,,,
लगता तो ऐसा ही है रुबी मेरी बात नहीं मानती,,,
मानेगी संजना मानेगी,,,, मैं आज ही उसे बुलाकर अपने सीनियर से इजाजत लेने की कहुंगा,,,(इतना सुनते ही संजना के चेहरे पर खुशी के भाव नजर आने लगे,,,) अब मुझसे रहा नहीं जाता मेरी जान,,,,
(और इतना कहने के साथ ही,,, संजय उतावलापन दिखाते हुएसंजना को पकड़कर उसे टेबल पर चुका दिया तो उसकी पेंट को खींच कर नीचे घुटनों तक कर दिया,,, सजना की गोरी गोरी गांड देखकर और उसकी गुलाबी छेद को देखकर संजय पागल हो गया और अगले ही पल अपने खड़े लंड को संजना की गुलाबी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दीया संजना खुश नजर आ रही थी संजय लगातार टेबल पर संजना को झुका कर उसकी चुदाई कर रहा था और तभी सहज रूप से दरवाजा खुला और अंदर का नजारा देखकर शगुन की हालत खराब हो गई उसके हाथ पैर सुन्न हो गए वह उस नजारे को देखती ही रह गई,,,
शगुन यहां से गुजर रही थी तो सोची हॉस्पिटल से होकर घर जाएंगी और इसीलिए,, वह हॉस्पिटल में अपने पापा के केबिन में उनसे मिलने आई थी लेकिन यहां का नजारा ही कुछ और था शगुन ज्यादा से ज्यादा 15 सेकंड तक इस नजारे को देखती रही और इस 15 सेकंड में उसने सब कुछ देख ली,,, उसके पापा और संजना चुदाई में इतने मजबूर हो गए थे कि दरवाजा खुलने का उन्हें अहसास तक नहीं हुआ,,, और शगुन दरवाजे को फिर से बंद करके वहां से वापस लौट गई,,,,।
दूसरे दिन शगुन सिर्फ चेक करने के लिए वॉशिंग मशीन चालू की तो वहां चालू हो गया था बिना किसी रूकावट के वह तुरंत वाशिंग मशीन बंद कर दी और सारा माजरा समझ में आ गया था,,,अब से पक्का यकीन हो गया था कि उसकी मां और आपके भाई के बीच कुछ चल जरूर रहा है जैसा कि उसके खुद के और ऊसके पापा के बीच चल रहा था,,,
अब वह अपनी मां और अपने भाई पर बराबर ध्यान देने लगी थी उनकी हर एक हरकतों को बारीकी से निरीक्षण करती थी,,, शगुन अपनी आंखें हमेशा खुली रखने लगी थी जब भी उसकी मां और भाई एक साथ होते तो वह दोनों को उनकी हरकतों को देखती रहती थी,,। सोनू की नजर उसे हमेशा अपनी मां की गांड पर उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर घूमती नजर आती थी,,, यह देख कर उसे भी उत्तेजना का एहसास होने लगा था,,, अपनी मां पर भी नजर रखने पर उसे पता चला कि उसकी मां भी कोई ना कोई बहाना उसेअपना खूबसूरत बदन दिखाने की भरपूर कोशिश करती थी हालांकि वह अपने कपड़ों को उतारकर नंगी होकर अपने अंगों को नहीं दिखा पाती थी,,,लेकिन फिर भी कभी अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर अपनी भरपूर चुचियों की गहरी दरार दिखाकर तो कभी झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड भले ही वह साड़ी के अंदर कैद रहती थी लेकिन फिर भी अपना पूरा असर दिखाती थी,,,यह देखकर उसका भाई जिस तरह से उत्तेजित होता था उसे देखकर सगुन की हालत खराब हो जाती थी,,,। कुछ दिन पहले ही अपनी सहेली से उसे इस बात का पता चला था कि लड़की ने जिस तरह से अपने आप को शांत करने के लिए अपनी बुर में उंगली डालकर अपना पानी निकालती है उसी तरह से जब लड़कों का मन करता है उनका लंड खड़ा हो जाता है तो वो अपने हाथ से हिला कर अपने लंड का पानी निकाल देते हैं,,,,, और अपने भाई के पजामे में बने तंबू को देखकर शगुन को इस बात का एहसास था कि उसके भाई का भी लंड खड़ा हो जाता है,,, अपने आप को शांत करने के लिए अपने हाथ से ही हीलाता होगा जैसा कि वह खुद जब गर्म हो जाती है तो उसे अपनी उंगली को अपनी बुर में डालना ही पड़ता है,,, यही सोचकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थी,,,और फिर वह अपने पापा के बारे में सोचने लगी कि उसके पापा भी तो उसे देखकर उत्तेजित हो जाते हैं उनका भी तो खड़ा हो जाता है,,,,,उसे पूरा विश्वास था कि उसके पापा का खड़ा हो जाने के बाद वह अपने हाथ से हिला कर अपना पानी नहीं निकालते होंगे,, क्योंकि उनके पास दुनिया की सबसे खूबसूरत और जो थी उनकी बीवी मतलब जिसकी खूबसूरत रोटी जैसी फुली हुई बुर में लंड डालकर अपनी सारी गर्मी निकाल देते होंगे,,,।
सगुन अपने कमरे में बैठकर यही सब सोच रही थी,,, उसका दिमाग खराब हो रहा था यह सोच कर कि क्या उसका भाई अपनी सगी मां को चोदना चाहता है और क्या उसकी मां खुद अपने बेटे से चुदवाना चाहती है,,, दोनों की हरकतें देखकर तो ऐसा ही लग रहा था,,,, सगुन यही सोच रही थी कि अगर मौका मिले तो उसका भाई मां की चुदाई करने से पीछे नहीं देगा और उसकी मां की मौके का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटेगी,,,यह सब सोचते ही सब उनको तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, यह सब विचार मन में लाकर वह अपने आप को धिक्कारती भी थी,,, लेकिन ना जाने क्यों इस तरह के विचार उसके तन बदन में अजीब सा सुकून पैदा करते थे,,,। इस तरह के गंदे विचारों से अपना ध्यान हटाने के लिए वह पढ़ाई में ध्यान लगाने लगी,,,।
दूसरी तरफ हॉस्पिटल में रुबी का बढ़ता हुआ वर्चस्व देखकर संजना से रहा नहीं जा रहा था,,, वह बार-बार इस बारे में संजय से बात भी कर चुकी थी लेकिन संजय इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था संजना को अच्छी तरह से मालूम था कि संजय को क्या चाहिए और किस लिए रुबी को ज्यादा वर्चस्व दे रहा है,,,। इसलिए 1 दिन दोपहर में जब पेशेंट कीआवाजाही बिल्कुल भी नहीं थी तब संजना सीधे संजय के केबिन में चली गई संजय किसी फाइल को देख रहा था,,,, वह फाइलों की अलमारी के लग खड़ा था,,, और फाइल देख रहा था,,,।
क्या बात है सर आजकल रूबी पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहे हैं,,, रूबी मुझसे ज्यादा मजा देती है क्या,,,?
नहीं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,(एक नजर संजना पर डाल कर वापिस फाइल को देखते हुए बोला)
नहीं लगता है कि मेरी जवानी अब आपको कम पड़ने लगी है,,,
नहीं सर ऐसी कोई भी बात नहीं है वह तो इसलिए कि तुम पर काम का बहुत ज्यादा रहता है,,, तुम्हारा काम का बोझ कम हो जाए इसके लिए,,,
और इसीलिए आप सारा बोझ अपने नीचे लेने लगे हैं,,,।
( संजना के कहने का मतलब को संजय अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए बोला कुछ नहीं,,, थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वह बोला)
संजना मेरे लिए तुम आज भी वैसी हो जैसा कि इस हॉस्पिटल को शुरू करते समय थी तुम्हारे बिना मैं यह हॉस्पिटल को ऊंचाई तक नहीं ले जा सकता था,,
तो फिर अब भेदभाव क्यों,,, रूबी एकदम जवान है इसलिए एक बात समझ लीजिए संजय सर,,, उम्र मायने नहीं रखती तजुर्बा मायने रखता है,,,और जिस काम के लिए आप रूपी को इतना महत्व दे रहे हैं उसका हमने मेरा तजुर्बा कुछ ज्यादा ही है देखना चाहते हैं,,,,
(संजय कुछ बोल पाता इससे पहले ही संजना,,, उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई और तुरंत संजय की पेंट कीजिए संजय कुछ समझ पाता इससे पहले संजना पेंट की जीप के अंदर अपनी तो उंगली डालकर टटोल ते हुए संजय की अंडरवियर के आगे वाले छेद में से अपनी दोनों उंगलियों को डाल कर उसके अधखडे लंड को बाहर निकाल ली,,,और उसे अपनी मुट्ठी में भरकर हल्के हल्के हीलाते हुए संजय की आंखों में देखने लगी पलभर में ही संजय की आंखो में खुमारी छाने लगी,.,,, देखते ही देखते मानो पिचके हुए गुब्बारे में हवा भरने लगी हो इस तरह से संजय का मुरझाया लंड खिलने लगा था,,और देखते ही देखते हैं कब वह पूरी अपनी औकात में आ गया यह संजय को भी पता नहीं चला,,,लेकिन संजना यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि संजय किस तरह से और कैसे उत्तेजित होता है और अपनी औकात पर आता है,,, क्योंकि बरसों से ही वह संजय के साथ इस तरह का खेल खेलते आ रही थी,,, संजय कुछ बोल नहीं पा रहा था काफी दिन हो गए थे समझे ना के साथ पल बिताए हुए,,, संजनाअब बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती थी,,, क्योंकि संजय का लंड अपनी औकात दिखा रहा था,,, संजना संजय की कमजोरी को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए अपनी जीभ को बाहर निकाल कर अपनी जीत के छोर से वह संजय के खड़े लंड के छोटे से छेद को चाटना शुरू कर दी,,,, संजना की यह हरकत संजय की हालत खराब कर देती थी,,, संजना के हाथों और उसकी जीभ का जादू संजय के लंड के ऊपर अब भी बरकरार था,,,संजना की हरकत की वजह से सन से पूरी तरह से उत्तेजित होने लगा उसके तन बदन में हलचल होने लगी,,, वह अपनी जीभ को नुकीली करके संजय के छेद पर कब आने लगी जिससे उसके लंड का छेद हल्का-हल्का खुलने लगा,,,, एहसास संजय को हवा में लिए उड़ रहा था,,,, अभी तो संजना ने सिर्फ संजय के लंड को जीभ से चाटना भर शुरू की थी,,,, तो भी संजय का बुरा हाल था,,,
देखते ही देखते समझना संजय को पर बिजलियां गिराते हुए उसके लंड के सुपाड़े को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,,,,आहहहहहहहह,,, की गरम सिसकारी संजय के मुंह से फुट पड़ी,,, संजय कमजोर पड़ता जा रहा था संजना की हरकत की वजह से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,। थोड़ी देर तक संजना संजय के लंड के सुपाड़े को बेकरी के क्रीम कि तरह मुंह में भर कर उसके स्वाद का मजा लेती रही,,
सससहहहहहह,,,,,आहहहहहहहहहह,,,,,,संजय कीमत भरी आवाज एक बार फिर से संजना के कानों में पड़ी जो कि संजना को इस बात का एहसास दिला रही थी कि उसकी हरकत संजय को उसके सामने घुटनों के बल बैठने पर मजबूर कर रही है,,,, संजना अब संजय के पूरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,।वह संजय कैलेंडर को पूरा का पूरा मुंह में लेकर उसे चूसने का मजा ले रही थी और संजय को दे रही थी और अपने दोनों हाथों से संजय के पेंट की बटन खोलने लगी और अगले ही पल वह संजय की पेंट के बटन को खोल कर उसे नीचे खींच कर उसके घुटनों से नीचे ला दी,,,, संजय के लंड कि वह हमेशा से दीवानी रही थी उसे पूरा यकीन था कि उसके बीवी के बाद संजय के ऊपर उसका पूरा हक है लेकिन कुछ दिनों से रूबी के ऊपर संजय ज्यादा ध्यान दे रहा था जो कि संजना से देखा नहीं जा रहा था और इस कार्य में संजना ने संजय से बात भी की थी लेकिन संजय इसका जवाब नहीं दे पा रहा था बस बात को टाल रहा था रूबी की तरफ बढ़ते झुकाव संजना को अच्छी तरह से मालूम था कि किस वजह से है,,, रूबी एकदम जवान लड़की की जवानी की दहलीज पर कदम रख कर इस मुकाम पर पहुंची थी,,, और संजय की सबसे बड़ी कमजोरी थी जवान खूबसूरत कसी हुई बुर जो कि रूबी के पास बखूबी थी,,, संजना किसी भी तरह से संजय का ध्यान रूबी पर से अपने ऊपर लाना चाहती थी इसलिए वह आज संजय के केबिन में उसे स्वर्ग का सुख दे रही थी,,,,
संजना अपने आप ही संजय के समूचे लंड को अपने गले तक उतार कर मजे ले रही थी और अपनी उंगलियों का जादू उसके लंड के नीचे के गोटियो को पकड़कर चला रही थी,,,,,, संजय को संजना की हर एक हरकत कामुकता से भरी हुई लग रही थी उसे स्वर्ग का सुख नहीं रहा था मानो जैसे वह हवा में उड़ रहा हो,,,,,
सजना की स्कर्ट पहनी हुई थी काले रंग की स्कर्ट में उसका गोरा बदन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था संजय के लैंड को मुंह में लेकर चूसते हुए वहां अपने दोनों हाथों से अपनी स्कर्ट को बैठे बैठे अपनी कमर तक उठा दी थी,,। लाल रंग की पैंटी में वह अपना हाथ डालकर अपनी गुलाबी बुर की पंखुड़ियों को मसल रही थी,,,। संजय को संजय की यह हरकत पागल बना रही थी संजना जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है इसलिए वह घुटनों के बल से खड़ी हुई और उसी तरह से झुके हुए ही वह संजय के लंड को मुंह में ही रह गई,,, संजय के एक हाथ दूरी पर संजना की गोरी गोरी गांड नजर आ रही थी और संजना जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है,,,और संजना के सोचने के मुताबिक संजय अपना हाथ आगे बढ़ाकर संजना की गांड को एक हाथ से पकड़ कर उसे दबाने लगा,,,, और उस पर चपत लगाने लगा,,,, कुछ देर तक यह खेल ऐसे ही चलता रहा,,। संजना भी काफी गर्म हो चुकी थी उसे भी अपनी बुर के अंदर संजय के लंड को लेने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,। इसलिए वह संजय के लंड को मुंह से बाहर निकाल कर खड़ी हुई,,,।इतना मोटा तगड़ा लंड मुंह में लेने की वजह से उसकी सांसे भारी चल रही थी,,
कैसा लगा,,,,?(मादक अदाओं से संजय की तरफ देखते हुए बोली)
बहुत अच्छा संजना,,,
क्या रूबी इतना मजा देती है,,,
(संजय संजना के सवाल का जवाब नहीं दे पाया,,, लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि संजना के जैसा मजा रुबी नहीं दे पाती थी,,, वह सिर्फ इतना ही बोला।)
तुम बहुत अच्छी हो संजना,,,,,,
तो फिर मेरे पर क्यों काट रहे हैं,,,,(संजना उत्तेजना आत्मक तरीके से अपनी पेंटी में हाथ डालते हुए बोली यह देख कर संजय की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,,,)
मैं कहां पर काट रहा हूं संजना,,,,
लगता तो ऐसा ही है रुबी मेरी बात नहीं मानती,,,
मानेगी संजना मानेगी,,,, मैं आज ही उसे बुलाकर अपने सीनियर से इजाजत लेने की कहुंगा,,,(इतना सुनते ही संजना के चेहरे पर खुशी के भाव नजर आने लगे,,,) अब मुझसे रहा नहीं जाता मेरी जान,,,,
(और इतना कहने के साथ ही,,, संजय उतावलापन दिखाते हुएसंजना को पकड़कर उसे टेबल पर चुका दिया तो उसकी पेंट को खींच कर नीचे घुटनों तक कर दिया,,, सजना की गोरी गोरी गांड देखकर और उसकी गुलाबी छेद को देखकर संजय पागल हो गया और अगले ही पल अपने खड़े लंड को संजना की गुलाबी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दीया संजना खुश नजर आ रही थी संजय लगातार टेबल पर संजना को झुका कर उसकी चुदाई कर रहा था और तभी सहज रूप से दरवाजा खुला और अंदर का नजारा देखकर शगुन की हालत खराब हो गई उसके हाथ पैर सुन्न हो गए वह उस नजारे को देखती ही रह गई,,,
शगुन यहां से गुजर रही थी तो सोची हॉस्पिटल से होकर घर जाएंगी और इसीलिए,, वह हॉस्पिटल में अपने पापा के केबिन में उनसे मिलने आई थी लेकिन यहां का नजारा ही कुछ और था शगुन ज्यादा से ज्यादा 15 सेकंड तक इस नजारे को देखती रही और इस 15 सेकंड में उसने सब कुछ देख ली,,, उसके पापा और संजना चुदाई में इतने मजबूर हो गए थे कि दरवाजा खुलने का उन्हें अहसास तक नहीं हुआ,,, और शगुन दरवाजे को फिर से बंद करके वहां से वापस लौट गई,,,,।