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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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Mahesh007

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १४

उधर देवायतभी चंदाके साथ दो बार जबरदस्त चुदाइ करके अपने रुममे आगया ओर मंजुलाको पीछेसे बाहोमे भरके सोने लगा तब मंजुलाभी करवट लेके देवायतमे सामने मुह करके पलट गइ ओर देवायतके सीनेमे सर छुपाके उसे होंठोपे कीस करते बाहोमे भरके सो गइ.., तब देवायतभी हसते उनके सरको सहेलाता कब सो गया उसे पताही नही चला....अब आगे

सुबह सब देरसे उठे तबतक दया ओर रजीया उठ चुकीथी ओर नहाधोके घरके सब काम नीपटानेमे लगी थी तो आज चंदाकोभी कलकी जबरदस्त चुदाइकी वजहसे चुतमे जलन हो रहीथी वो धीरेसे उठके बाथरुममे जाने लगी तब थोडा लंगडाके चल रहीथी जीसे चंदा सरमसे पानीपानी होगइ उनको चीन्ता होने लगीकी मे इस हालतमे मंजुके सामने केसे जाउगी कमीनी फोरन पहेचान जायेगी.. मे बाथरुमसे फीलनेका केह दुगी.. यही सोचते वो बाथरुममे चली गइ..

तो मंजुभी उठके तैयार होजाती हे फीर देवायतको जगाती हे तो वोभी उठके बाथरुममे चला जाता हे फीर नहाके तैयार होजाता हे फीर सब साथमे बेठके चाइ नास्ता करतेहे तब मंजुने पुछही लीया तब चंदाने बाथरुममे फीसलनेकी बात की..तो मंजु चंदाके जुठ पे मंद मंद मु्सकराने लगी.. उसे पताथा आज रात वो अपने पती देवायतसे पुरी रात चुदवाके आइ हे.. लेकीन वो बात अपने चहेरे पे जाहीर होने देना नही चाहती..

तब भानुके घर आज सब उठके चाइ नास्ता कर रहेथे तब भानु जागके भी सोता रहा.. क्युकी वो लताको फेइस करना नही चाहता था उनको नही पताथाकी लताने सबको बता दीया होगा की नही वो डरके मारे अ‍ेसेही बेडपे पडा रहा तब भावना अंदर आ गइ ओर भानुको जगाते कहेने लगी..

भावना : अरे भानु उठो.. कब तक सोते रहोगे..? कल रातभी देरसे आये.. कहा गये थे..?

भानु : (जागनेकी अ‍ेक्टींग करते) अरे कही नही.., वो सरपंच ओर मुनीमको लेके मे ओर देवा सहर होस्पीटल लेके गये थे तो देर होगइ..

भावना : (वोभी सरपंचको जानतीथी) अब उस मुअ‍े को क्या हुआ..? जो होस्पीटल ले गये थे..

फीर भानु उसे सबकुछ बता देता हे जीसे सुनके भावनाभी भानुपे गर्व करने लगती हेकी चलो उनके पती अ‍ेक नेक काम करके आये हे.. फीर वो भानुसे कोइ सवाल जवाब नही करती तब भानु बहार बाथरुममे नहाने चला जाता हे तब बहार लता ओर सरला चाइ नास्ता कर रहेथे जेसेही भानु रुमके बहार नीकला लताने उनकी तरफ देख लीया दोनोकी नजर मीलतेही लताने गुसेसे मुह फेर लीया तब भानुकी गांड फटने लगी..

फीर नहाके बहार आगया ओर रुममे जाके तैयार होगया जब बहार आयातो लता उठके अपने रुममे चली गइ, तब भावना उसे चाइ नास्ता देने लगी तब सरला बहार खटीयापे बेठीथी तो भानुको कहेने लगी..

सरला : भानु बेटा देख कल रात लताकी तबीयत बीगड गइथी उसे अबभी अच्छा ना होतो डाक्टरके पास लेजा..

लता : (अंदरसे बात सुनतेही जोरोसे बोली) नही बा..कोइ जरुरत नही मे ठीक हु.. मुजे दवाइ नही लेनी..

सरला : ठीक हे बाबा नही लेनी तो मत ले इसपे इतना चीलाती क्यु हे..

तब भानु राहतकी सांस लेता हेकी चलो लताने कीसीको नही बताया तब वो फटाफट चाइ नास्ता करके अपनी जीप लेके नीकल जाता हे ओर सीधेही अपने खेतोपे जाके खटीयापे बेठ जाता हे उसे कलके लताके साथ बर्तावके बारेमे बहुत पछतावा हो रहा था वो इस बारेमे लतासे मीलके माफी मांग लेना चाहता था.. तभी देवायतभी आके उनके पास बेठ जाता हे तब भानुका उदास चहेरा देखके पुछही लेता हे..

देवायत : क्युबे आज चहेरे पे बाराह केसे बजे हे.., कही मेरी सालीने देरसे आनेसे तेरी कुटाइतो नही करदी हें..हें..हें.., बता क्या बात हे..

भानु : नही यार.. तुतो जानता हे ये नइ नइ जवानी जब चडती हेतो लडके लडकीकी क्या हालत होती हे.. बस.. वोही.. लता आजकल ज्यादा ही अपने रुममेही रहेती हे, भावना केह रहीथी जीजुसे कहेके दोनोकी सादी जल्दी करवादो.. आजकल लता बहोत अपने रुममे उलटी सीधी हरकते कर रही हे.. यार अ‍ेसी बात तुजे नही कहुगातो कीससे कहुगा तुभीतो समज सकता हे..

देवायत : हां यार.. ये सब ओरतोकी बाते हे.., तो क्या पुनमभीतो अ‍ेसा करती होगी.. अब ये साली परीक्षा जल्दी खतम होजाये तो अच्छा हे..तु ठीक कहेता हे.. हम चारोकी सादी जल्दी कर देगे.. आजकलके बच्चे.. कही हमारी इजत मीटीमे ना मीलादे.. भलेही जीनके साथ सगाइ हुइ हो इनसे..

भानु : बस यार.. तु सब समज गयाने मे क्या कहेना चाहता हु.. बस सगाइ होतेही हम सादीका मुहुर्त नीकलवा देगे.. वेसेभी लडकी टाइमपे अपने घर चली जाये येही अच्छा हे..

देवायत : चल ठीक हे हम वोही करेगे बस.. अबतो मुड ठीक करले.. चल चाइ पीते हे हरीयाको बोल..

भानु : (जोरोसे आवाज करते) हरीया.. अरे ओ हरीया.. जरा मालतीको कहेके दो कप चाइतो भेजदे..

हरीया : जी मालीक अभी कहेता हु..

भानु : यार.. आज साम सहेर हलस्पीटलभी जाना पडेगा देखता हु दोनोकी क्या हालत हे..

देवायत : भानु अब मे सोच रहा हु.. रमेशको सरपंच बनादु.. वेसेभी मस्त आदमी हे हमारी इतनी सारी मदद की हमारे रास्तेका काटा अ‍ेसेही नीकाल दीया.. तु कीसीको कहेना मत.. उनकी लडकीभी कोलेनमे पढती हे वोभी होसीयार हे सोचता हु मुनीमका काम उसेही दे देते हे.. क्या कहेते हो..?

भानु : भाइ राजनीती मेरे पले नही पडती आपको सही लगेतो करदो.. लेकीन दोनोही अ‍ेकही परीवारके हे सोचलो.. बहुत कुछ हो सकता हे..आदमी का क्या भरोसा.. वेसे रश्मीभाभी भी पढी लीखी हे उसेही मुनीमकी नोकरी देदो.. उनको आमदानीभी होजायेगी.. वेसेभी चंपाभाभीको आप हवेलीपेतो रखही रहे हो..

देवायत : कमीना कहीका.. कीसने कहा तेरा दीमाग नही चलता.. कुते. चल हम वही करेगे.. तेरी बात सोला आनी सच हे.. हमे सीधे कीसीभी आदमीपे विस्वास नही करना चाहीये.. ओर मे सोचता हु रमेशकी बेटीको यहा स्कुलमेही नोकरीपे रखलु वेसेभी वो सबको ट्युशनतो देती ही हे..

भानु : हां यार ये तुने सही सोचा हे..

मालती : लीजीये साब चाइ आज सुबह सुबह ही चाइ.. लगताहे भाभीओने ठीकसे चाइ नही पीलाइ..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां.. नही पीलाइ इसीलीयेतो तेरे हाथकी चाइ पी रहे हे चल आजा.. हमे ठीकसे पीला..

मालती : (चाइ देके जाते हुअ‍े हसते) ना बाबा ना आपही पीलो मुजे बहोत काम पडा हे..हें..हें..हें..

दोनो चाइ पीते हसने लगते हे तभी देवायतके फोनकी रींग बजतीहे तो रश्मीभाभीका फोन था तब देवायत उनसे बाते करने लगा ओर उनके चहेरेके भाव बदलने लगे फीर फोन रख दीया तब भानु उनकी ओर प्रस्नार्थ भरी नजरोसे देखता रहा.. तब देवायत खटीयासे खडा होके कहेने लगा..

देवायत : चल जीप नीकाल.. हमे सहेर जाना होगा..

भानु : लेकीन.. हुआ क्या..? येतो बता..

देवायत : यार वो मुनीम नही रहा.., सुबह गुजर गया.. चंपाभाभी बहोत रो रही हे वहा कोइ नही हे चल..

तब भानु फटाफट जीप नीकालके ड्राइवींगकी सीटमे बेठ जाता हे ओर देवायत उनकी बाजुमे बेठते घरपे मंजुको फोन करता हे ओर उनको सारी बात बता देता हे.., तब भानुने स्पीडसे जीपको सहेरकी ओर जाने दी तब देवायत बीच बीच मे रमेश.. ओर दुसरे लोगोसे बाते करते सब बताने लगता हे.. दोनोही २५ मीनीटमे सहेर पहोच जाते हे ओर अंदर जाते हे तब चंपाभाभी उनको देखतेही देवायतसे लीपट जाती हे..
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चपांभाभी : (जोरोसे रोते) देवरजी वो नही रहे..आपके भाइ हमे छोडके चले गये..

देवायत : (उसे कसके बाहोमे भीचते) बस भाभी.. रोइअ‍े मत.. इनमे हमारी चलती हे क्या..?

चपांभाभी : (रोते हुअ‍े) देवरजी मेरा तो जीनेका जरीयाही यही थे अब मे क्या करुगी.. मेभी मर जाउगी..

देवायत : बस भाभी सांत होजाइअ‍े.. मे हुना..? आपको कोइ तकलीफ नही होने दुगा.. मेरी हवेलीपे आजाइअ‍ेगा.. वही रहीयेगा..

इतना सुनतेही चंपाने रोते हुअ‍े राहतकी सांसली की चलो इनकी देखभालके लीये कोइ तो हे तब उसे महेसुस हुआ की देवायतने उसे कसके बाहोमे भीचके रखा हे.. तब उनको अपनी चुतपे देवायतका लंड ठोकर मारते महेसुस हुआ तो वो नजर नीचे करते देखने लगी जब पेन्टका उभार देखा तो इतना बडा उभार देखते सरमसे पानीपानी होगइ ओर दुर हटके अपने आंसु पोछने लगी..

देवायत : भाभी आप बीलकुल चीन्ता मत करो मे हुनां..? सब ठीक हो जायेगा.. आप हवेलीमे मेरे साथ रहेगी वहा.. मंजु दया रजीया सब हे.. उनके साथ रेह लेना..

चंपाभाभी : (सरमसे आंसु पोछते) ठीक हेदेवरजी.. अब क्या करना हे..?

देवायत : भानु तु डोक्टरको मीलके आ ओर सारी फोर्मालीटी पुरी करदे हमे इसे घर लेजाना हे.. (रश्मीकी ओर देखते) भाभी अब राघवजीकी तबीयत केसी हे..

रश्मी : बस अ‍ेसेही पडे हे.. अभी तक होसही नही आया..पता नही कब ठीक होगे.. डोक्टर भीतो कुछ नही कहेते.. आपही पुछलोनां.. सायद आपको कुछ कहे..

देवायत : ठीक हे मे अभी मील लेता हु.. क्या डोक्टर चेक करके गये..?

रश्मी : नही अभी तक कोइ नही आया..

तभी डोक्टरकी टीम आती हे ओर सरपंचको चेक करने लगती हे फीर चेक करके दुसरे मरीजको चेक करतेहे फीर बहार नीकलते हेकी देवायतको देखतेहे तब उसके कंधेपे हाथ रखके उसे बहार लेजाते हे..

डोक्टर : ठाकुरसाहेब.. अच्छा हुआ आप आगये.. सरपंचकी तबीयतमे कुछ ज्यादा सुधार नही हो रहा.. इनको दो दीन ओर रखते हे वरना तबीयतमे कोइ सुधार नही दीखातो उसे घर लेजाइअ‍े ओर उनकी सेवा कीजीये.. ये ज्यादासे ज्यादा छे महीने नीकालेगे.. तबतक अ‍ेसेही रहेगे

देवायत : डोक्टरसाब कुछतो कीजीये कमसे कम इनको होस आये इतना तो कर दीजीये..

डोक्टर : ठाकुरसाहेब ये होसमेही हे.. हमारी सब बाते सुन सकते हे.. सब देख सकते हे सब महेसुस कर सकते हे बस अपने आप हील नही सकते.. अभीतो इनकी टड्ढीप लगी हेतो बेहोसीमे सोये रहेते हे फीर वो आंख खोलके सबको देख सकते हे.. बाकी इनके पेपर अभी कर देता हु फीर बोडी आप घर लेजा सकते हे..

तब भानुभी डोक्टरके साथ चला गया तब रश्मी चंपाभाभीको सम्हालके बेठी थी तो देवायत अंदर चला गयातो रश्मी उसे सब पुछने लगी तब देवायतने उसे बहार ले गया फीर हीमत करके सब बता दी, तो रश्मीभी आंसु बहाने लगी तब देवायत उसे धीरेसे बात करने लगा..

देवायत : देख रश्मी हीमतसे काम लेना.. इस कमीनेने तुजे हेरान करनेमे कोइ कसर नही रखी तो इनको इनकी सजा मील गइ.. बाकी तु फीकर मत करना मे हुना वहा आता जाता रहुगा.. तेरी हर जरुरत पुरी करुगा ओर तुजे इस मुनीमकी नोकरीभी दुगा अबतो इस कमीनेके सामनेही तुजे चोदुगा..

रश्मी : (धीरेसे आंसु पोछते सरमाते) ठाकुरसाब येतो दुनीयाको दीखाना पडता हे.. वरना ये कमीना मर जायेतोभी कोइ गम नही हे बस.. अबतो मुजे सीर्फ आपसेही मतलब हे फीर चाहे मुजे आपकी रखैल बनके रहेना पडे वोभी मंजुर हे.. कमीनेने मुजे बहोत मारा हे.. अब इस भडवेको दीखा दुगी..

देवायत : बस तु सीर्फ तेरे घरमेही रहेना मे वहा आता जाता रहुगा.. तुजे रखेल नही मेरी बीवी बनाके रखुगा.. बस ये बात दुनीया वालोको पता नही चलनी चाहीये..

रश्मी : ठीक हे.. सुक्रिया..आपने मेरे बारेमे इतना सोचा बस अ‍ेक महेरबानी कीजीयेगा.. मेरी अ‍ेक बार कोख भर दीजीयेगा.. मे सबको केह दुगीकी जब गुजर गये तब मे पेटसे थी.. आपका नाम कभी नही लुगी..

देवायत : (हसते) ठीकहे अबतो इस कमीनेके सामनेही हमारी सुहागरात होगी ओर वही आपकी कोख भरदुगा.. बस परसो हम इसे घर लेजायेगे..

भानु : (पासमे आते) भाइ सब होगया..डोक्टरने सर्टीफीकेट देदीया हे अब इस हम घर लेजा सकते हे..

देवायत : रश्मीभाभी आप खयाल रखीयेगा हम आपको परसो लेने आयेगे.. अब हम चलते हे..

चंपा : रश्मीबहेन हम चलतेहे आपका खयाल रखना.. इनकी मजाने हमारी जींदगी बरबाद करदी..

रश्मी : (गले लगते) बस..सांत रहीये.. कमसे कम अब हम दोनो खुलके जी तो सकेगी.. अब इनको छुटी मीलतेही आपके पास आजाउगी अपने आपको अकेली मत समजना..

फीर तीनो मुनीमकी बोडी अ‍ेम्ब्युलन्समे घर लेके नीकल जाते हे देवायत चंपाको अपने साथ जीपमे बीठा देता हे ओर आगे वो लोग चलते हे आधे घंटेके बाद सब लोग मुनीमके घर आजाते हे तब सारा गाव मुनीमके घर जमा होगया था फीर सब गांववाले उनकी स्मसानयात्राकी तैयारीया करने लगे तब आस पडोस की सभी ओरते चंपाभाभीके पास बेठके उसे आस्वासन देती रही.. ओर सब तैयारीया पुरी होगइ..

फीर सब लोग मुनीमको लेके स्मसान चले गये ओर वहा अग्नी संस्कार करके वापस आगये.. ओर साम ढल गइ तब पडोसकी ओरतने चंपाभाभीको खाना खीलाया ओर दो तीन ओरत वही रुक गइ ओर बाकी सब अपने अपने घरकी ओर नीकल गये.. तब भानुभी सीधा अपने घर चला गया ओर मेभी हवेलीपे आ गया तब मंजुने मुजे बहारही बीठाके मेरे उपर पानी डालदीया.. फीर अंदर जाके नहाया..

फीर बहार आके तैयार होगया ओर हम सब होलमे बेठ गये.. तब मेने सारी बात सबको बतादी.. तभी दया ओर रजीयाभी हमारे पास खडी रहेके गौरसे सुन रहीथी जेसेही सरपंचकी हालत बताइ तब रजीया ओर दया बहोत खुस होगइ ओर जोसमे आके बोलने लगी..

रजीया : अच्छा हुआ मुआ..ने खटीया पकडली.. बडाही हरामी आदमी था..

मंजुला : (जोरोसे हसते) कमीनी उसे गालीयातो मत दे हें..हें..हें.. क्या बीगाडा हे तेरा..

दया : दीदी रजु ठीक केह रही हे.. वोतो हमही जानती हे कीतना कमीना थावो..मुआ.. मर क्यु नही गया..

चंदा : (जोरोसे हसते) लगता हे दोनो इनकी चपेटमे आ गइ हे.. हें..हें..हें..

रजीया : दीदी चपेटमेतो नही आइ लेकीन आते आते बच गइ.. हरामीने गांवकी कीतनी ओरते ओर लडकीयोकी जींदगी खराब करदी हे.. देखना आज गांवमे सब मीठाइआ बाटेगी..

इस बातपे हम सब ठहाका मारके हसने लगे दोनोने अपना गुसा नीकाल दीया फीर अपना काम करने कीचनमे चली गइ ओर रातका खाना बनाने लगी तभी धिरेनका फोन आगया तो चंदा उनसे बात करते दुर चली गइ तब मंजु मेरे कंधेपे सर रखके अ‍ेक हाथसे मेरे सरको सहेलाते हसती रही.. फीर धीरेसे कहा..

मंजुला : जानु अ‍ेक बात कहु.. पता नही केसे कहु.., अगर तुम नाराज होगयेतो..? नही.. अभी नही करनी..

देवायत : (मंजुका सर सहेलाते) अरे बेबी कहोना..नही हुगा नाराज.. बता.. क्या बात हे..

मंजुला : (धीरेसे) अभी नही.. मौसी आ रही हे हमोर रुममे कहुगी..

चंदा : मंजु धिरेन कल सुबह नीकल रहा हे.. उसे सहेर कोलेजसे लेने जाना पडेगा.. गयाथा दोस्तके साथ..

मंजुला : (अपनी चाल चलते हसते) तो क्या हुआ.., कल चले जायेगा आपके जमाइके साथ..वोभीतो सहेर जा रहे हे क्यु जानु..

देवायत : मंजु मुजे कल वाकइ सहेर जाना हे दो पहोरको खाना खाके नीकलना हे.. धिरेन कब आ रहा हे..?

चंदा : कल सामका केह रहाथा.. कोइ बात नही.. आप अपना काम नीपटा लीजीयगा फीर कोलेज चले जायेगे.. वहा कीतनी देर लगेगी..?

देवायत : बस अ‍ेक वकीलको मीलना हे आधे घंटेका काम हे.. चलेगाना..?

मंजुला : (हसते) अरे दोडेगा.., मौसीको वहा कुछ आइसक्रिम बाइसक्रिम खीला देना.. बेठी रहेगी.. हें..हें..हें..

चंदा : (हसते मंजुको मुका मारते) मे कोइ बच्ची हु..जो आइसक्रिम खाती बेठी रहुगी.. तुतो जा नही सकती वरना तुजेही भेज देती.. धिरेनभी खुस हो जाता..

देवायत : मौसी ये अ‍ेक्जाम खतम होतेही मे चारोकी सगाइ कर देना चाहता हु.. फीर डीलेवरीके बाद हम सादीका सोचेगे.. क्या कहेती हो मंजु..?

चंदा : इतनी जल्दी..? क्यु कोइ खास वजह..?

देवायत : बस वजहतो कोइ खास नही.. वो काकीको बडी जल्दी हे.. कहेतीथी लडकीया जीतनी जल्दी घर चली जाये उतनाही अच्छा हे.. वो भानु मुजे आज बता रहा था.. बस वोही बाते कर रहेथे ओर होस्पीटलसे रश्मीभाभीका फोन आ गया..

मंजुला : (कुछ सोचते) मौसी देवु ठीक केह रहा हे.. आपके घरमेभी जल्दी बहु आजायेगी.. तो घर स्माल लेगी.. फीर आप फ्रि..हें..हें..हें..

देवायत : मंजु.. लेकीन पुनम कुछ कोलेजका केह रहीथी.. कहेतीथी घर रहेकेही कोलेज करना हे..

चंदा : हां तो क्या हुआ.. मे पढाउगी उसे.. उनको जीतनी मरजी आये पढे.. उनकेही काम आयेगी..

मंजुला : (हसते) देखा.. घरके लोगमे यही फायदा हे.. वरना पता नही पुनमको कैसा ससुराल मीलता..

देवायत : (हसते) मौसी मेने सुना हे मंजुकी तराह आपनेभी कोलेज बोलेज कीया हे.. कहा तक पढी हो..

चंदा : (सरमाते हसते) बस ज्यादा नही.. मास्टर कीया हे..अ‍ेम. बी. अ‍े. हें..हें..हें..

देवायत : (चोंकते) क्या..? अ‍े.बी.अ‍े..? तो फीर घरपे क्या कर रही हो..?

चंदा : (हसते) आपको नही पता मेरे पतीको जोब बोब करना अच्छा नही लगता था ओर मेरे ससुराल वालेभी पुराने खयालके थे.. तभीतो..मेरी सादी..(आंखमे आसु बहेने लगे)

तब मंजु खडे होके उनके पास बेठ गइ ओर बेठे बेठेही चंदाको हग करलीया तब चंदा उनके कंधेपे सर रखके आंसु बहाने लगी तबतक मंजु उनका सर सहेलाती रही फीर मंजुने उनके आंसु पोछ दीये..

मंजुला : मौसी भाडमे जाये दुनीया अबतो आपके ससुरवालेभी नही रहे.. मेरी मानो अभीभी कुछ नही बीगडा आप सादी करलो.. अकेले कैसे जींदगी काटोगी.. क्या कहेतेहो देवु..?

देवायत : हां मौसी मेरे खयालसे मंजु ठीक केह रही हे.. आपको सादी करलेनी चाहीये..

चंदा : (देवायतकी ओर देखते) ये आप क्या केह रहे हे.. अ‍ैसा नही हो सकता.. अबतो धिरेनभी बडा हो गया हे.. अब इस उमरमे सादी..

मंजुला : मौसी इतनीभी उमर नही हुइ हेकी आप सादी ना कर सको.. मे धिरनसे बात करुगी..

चंदा : मजु प्लीज.. उसे कुछ मत कहेना.. अब नही करनी सादी.. जो होना था हो चुका..

मंजु : मौसी जोभी हो मे सादी करवाके ही रहुगी.., अरे बाबा कब तक अकेले घुट घुटके छुपकेसे आंसु बहाती रहोगी.. अगर कीसीने कुछ कहातो मे उसे जवाब दे दुगी..

चंदा : (सरमाके हसते) अरे बाबा क्यु मेरे पीछे पडी हो नही करनी सादी.. ओर वेसे मेभी कीसीसे डरती नही हु.. लेकीन मेरी कुछ मजबुरी हे.. पहेले कहेती तो कुछ सोचती.. अब नही कर सकती.. समजी..?

मंजुला : सब बहाना हे.. अब क्यु नही कर सकती..? कही कीसीसे प्यार प्यारतो नही हो गया हें..हें..हें..

चंदा : (सरमसे हसते मुका मारते) कमीनी..कुछभी बोलती हे.. चल छोड ये सब बाते..

तब तीनोकोही पताथा की चंदाकी क्या मजबुरी हे तीनोको पता था चंदा सादीके लीये क्यु मना कर रही हे बस अ‍ेक दुसरेके सामने जाहीर करना नही चाहते थे, तो दुसरी तरफ मंजुनेभी तैय करलीया थाकी चंदाकी सादी देवायतसे करवाकेही रहेगी.. क्युकी उसे पता चल गयाथा की देवायत ओर चंदा अ‍ेक दुसरेसे प्यार करते हे ओर दोनोने प्यारकी सारी हदे पार करली हे.. इस रीस्तेसे मंजुकोभी कोइ अ‍ेतराज नही था.. क्युकी इसका रीजन सीर्फ मंजुकोही पता था..

अ‍ेसेही साम ढल गइ ओर सबने खाना खा लीया फीर कुछ देर बेठनेके बाद सब अपने अपने रुममे चले गये तब चंदा बेडपे लेटतेही रोमांचसे हसने लगी उनको आज मंजुकी बाते बहोत अच्छी लगती थी.. वोभी मनसे देवायतसे सादी करके इस घरमे बसना चाहती थी बस अ‍ेकही उलजनथी वो था धिरेन.., हालाकी धिरेन इस मामलेमे खुले विचारोका था इस बारेमे चंदाकोभी नही पता था बस ये बात सीर्फ मंजु जानतीथी की धिरेनकी सोच केसी हे, तब इनके बारेमेभी मंजुने भी कुछ सोच लीया था वोभी देवायतके सीनेमे सर रखके लेटे लेटे सोचमे डुबी हुइ थी.. तब..

देवायत : (सरको सरहेलाते) बेबी क्या सोचमे डुबी हे.. ज्यादा मत सोच हमारे बेबीपे असर होगा..

मंजुला : जानु मेने कहाथाना आपसे अ‍ेक बात करनी हे.., आप नाराजतो नही होगे..?

देवायत : (उनके सरको चुमते) बेबी मे कभी तुजसे नाराज हुआ हु क्या..? आइ लव यु बेबी.. बोल क्या कहेना हे.. नही हुगा नाराज.. जरुर कोइ सीरीयस बात हे तभीतो अ‍ेसा केह रही हो..बोल क्या कहेना हे..?
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मंजुला : (धीरेसे देवायतकी आंखोमे देखेत) जानु मे चाहतीहु मौसीसे आप सादी करलो..

देवायत : (चोकते) क्या..? क्या कहा तुने.., बेबी पागलतो नही होगइ हो..? तुजे पताभी हे तु क्या केह रही हे..? तु अपनीही सौतन लानेकी बात कर रही हे.. बेबी मे तुमसे बहोत प्यार करता हु..

मंजुला : आइ नो.. जानु मुजे पता हे आप मुजे बहोत चाहते हे.. लेकीन मे आपको सोच समजकेही बात कर रही हु.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही की मौसी मेरी सौतन बनके आये.. प्लीज.. आप हां कहेदो..

देवायत : नही मंजु अ‍ैसा कभी नही हो सकता.. माना की मेरे कइ ओरतोके साथ नाजायज रीस्ते रहेते थे इसका मतलब ये नहीकी मे तुजे इस मामलेमे धोखा देदु.. नही कर सकता यार.. ओर मुजे तेरा प्यार मील गया हे.. जो मुजे अपनी जानसेभी ज्यादा चाहती हो.. आइ लव यु बेबी आइ लव यु सो मच..

मंजुला : (आंखमे आसुके साथ) आइ लव यु टु जानु.. मे बहोत खुस हु आप मुजे इतना चाहते हे.. लेकीन मेरी बात मान लीजीये प्लीज.. आपको आपकी मंजुकी कसम..

देवायत : (आंसु बहेने लगे) बेबी ये तुने क्या केह दीया क्यु कसम देदी.. अ‍ेसी क्या मजबुरी हे तेरी.., जो मुजे कसम देती हे.., बेबी कही तुम मुजसे कुछ छुपातो नही रही..?

मंजुला : (गभराते) अरे नही नही.., मे तुमसे क्यु छुपाउगी..? मेतो बस अ‍ेसेही.. केह रहीथी.. चलो सो जाओ बहुत देर हो चुकी हे.. नींदभी आ रही हे..

तब देवायतभी कुछ नही बोलता उसे इस बारेमे बहेस करना अभी उचीत नही लगा उनके मनमे कुछ आसंकाये आने लगी.. की मंजु ये सादीके लीये इतनी जीद क्यु कर रही हे.. वो मुजसे क्या छुपा रही हे.. यही सब सोचते उनकी आंख लग गइ तब मंजु उनके सीनेपेही सर रखके नींदमे चली गइ तब उसने देवायतको कसके पकडाथा तो देवायत उठके चंदाके पासभी नही जा सकताथा ओर दोनोही नींदमे चले गये..

तभी देर रात चंदा उठके मंजुके रुमके पास आइ ओर खीडकीसे जांकने लगी तो देखा मंजु देवायतको कसके पकेडके उनकी बाहोमे सोइ हुइ थी तब वो समज गइ देवायत मंजुकी नींद खराब करना नही चाहता तब वो वापस आके अपने बेडपे सो गइ लेकीन आज चंदाकी आंखोसे नींद कोसो दुर थी वो करवटे बदलते सीर्फ देवायतके बारेमे ही सोचती रही ओर उसे कब नींद आगइ पताही नही चला....

कन्टीन्यु
 
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
देवायत बिस्तर पर पडे सरपंच के सामने उसकी बीबी रश्मी को चोदेगा और सरपंच खून के आसू रोयेगा लेकीन कुछ कर नहीं पायेगा
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १५

तभी देर रात चंदा उठके मंजुके रुमके पास आइ ओर खीडकीसे जांकने लगी तो देखा मंजु देवायतको कसके पकेडके उनकी बाहोमे सोइ हुइ थी तब वो समज गइ देवायत मंजुकी नींद खराब करना नही चाहता तब वो वापस आके अपने बेडपे सो गइ लेकीन आज चंदाकी आंखोसे नींद कोसो दुर थी वो करवटे बदलते सीर्फ देवायतके बारेमे ही सोचती रही ओर उसे कब नींद आगइ पताही नही चला....अब आगे

सुबह मंजु जल्दी उठ गइ ओर नहाके कंपलीट होगइ फीर देवायतके पास बेठ गइ ओर उसे प्यारसे देखने लगी तो देवायत सोते हुअ‍े बहुतही मासुम लग रहा था तब वो देवायतके कंधेपे हाथ रखके उनको पलटते जगाती हे ओर उनके होंठ चुम लेती हे.. तब देवायत इनको अपने पास खीचके साथमे सुला देता हे तो मंजुभी उनके सीनेमे सर रखते लेट जाती हे तब देवायत दोनोके उपर चदर डालके उनके होंठ चुमने लगता हे
morning-couple
good-morning-kiss-davydoff
मंजु : जानु उठ जाओ.. देखो सुबह होगइ हे.. आप अपना सब काम नीपटालो.. फीर टाइमपे खाना खाने आजाना.. वो धिरेनको लेने जाना हे..

देवायत : हां बेबी सुबह सुबह मेरी खुबसुरत बीवीका दीदार होगया.. चल नहाते हे..

मंजुला : (हसते) बाबु मे नहा चुकी हु आप फटाफट नहालो.. पता नही वो महारानी उठी हेकी नही..

देवायत : कोन..?

मंजुला : (हसते) अरे वो आपकी मौसी.. चलो.. फटाफट नहाके आजाओ उनको जगाती हु फीर चाइ नासता करते हे.. (हसते) बेचारी रातमे ठीकसे सोइ नही होगी.. हें..हें..हें..

देवायत : (बेडसे उतरते) कहासे सोयेगी.. तुने उनको सादीका डोज जो दे दीया हे हें..हें..हें..

मंजुला : देवु प्लीज.. मेने जो कहा हे उनके बारेमे सोचना.. वो बहोत अच्छी हे..

देवायत : (बाथरुमकी ओर जाते) मंजु.. तु फीर सुबह सुबह सुरु होगइ.. चल नहाने दे..

कहेके देवायत बाथरुममे घुस गया ओर ब्रस करते चंदाके बारेमे सोचने लगा.. तब उनका लंड तनके उपरकी ओर जाने लगा जेसे कीसी रोकेटको लोन्च कर रहा हो.. तब दुसरी ओर मंजु चंदाको जगाती हे ओर गुडमोर्नींग वीस करती हे तब चंदा उठके मंजुको हग करलेगी हे फीर उनके सरको चुमके सीधेही बाथरुममे घुस जाती हे.. तबभी उनके मनमे देवायतका दमदार लंड घुम रहा था

तब उनकी चुतभी फडफडा रहीथी ओर अपने आप हरकत करते गीली होने लगीथी तब चंदा आइनेके सामने नंगी होगइ ओर अपना सौन्दर्य देखने लगी फीर खुदही सरमाते हसने लगी फीर नहाते उनके बुब्स साफ करते उतेजीत होने लगी ओर अपनी चुतमे उंगली डालके आंख बंध करली ओर जोरोसे हीलाने लगी तब कुछही देरमे वो जड गइ तब खुब सरमाइ फीर नाहाके बहार आगइ.. ओर तैयार होने लगी..

मंजुला : (तब बेडपेही बेठी थी) मौसी अच्छेसे तैयार होना.. आप पतीके साथ जा रही हो.. आइ मीन मेरे पतीके साथ.. हें..हें..हें..

चंदा : (चोंकते सरमाते) मंजु.. तुम भीना.., कुछ भी बोलती हे.., कुछतो सरम कर..

मंजुला : मौसी.. मुहसे अ‍ेसेही नीकल गया..क्या आपको बुरा लगा.. तो सोरी.. (सर नीचा करते)

चंदा : (उनके पास बेठते हग करलीया) नही बेबी..सोरी मत बोल.. तुतो मेरी भांजी नही मेरी बहेन हे.. ओर बहेनोके बीच अ‍ेसे सोरी माफी कोइ सब्द नही होते.. मुजे अच्छा लगा तुम मेरे बारेमे इतना सोचती हो मेरी केर करती हो.. अरे पगली तेरे जेसी बहेन मुजे कहा मीलेगी.. लेकीन जो तु कहेना चाहती हे वो मे नही कर सकती.. बस मेरी कुछ मजबुरीया हे.. वरना तेरी बात जरुर मानती..

मंजुला : मौसी मुजे पता हे आपकी मजबुरी.. मे उन उलजन को खतम कर दुगी..

कहेके मंजु बहार जाने लगी तब चंदा उसे अ‍ेक नजरसे जाते हुअ‍े देखती रही.., आज उसे मंजुने इस वीसयको छेडके जंजोर दीयाथा ओर उनकी बातोपे सोचनेके लीये मजबुर करदीया था लेकीन वो कीस मुहसे कहेकी मेने तेरे पतीके साथही सादी करली हे.. वो बडीही कस्मकसमे थी, फीर भारी मनसे तैयार होगइ ओर बहार आगइ तब मंजु अकेले सोफेपे बेठी सोचमे डुबी हुइ थी.. तब चंदा उनके पास बेठ गइ..

चंदा : (उनका सर सहेलाते) क्या सोच रहीहे मेरी बहेन..

मंजुला : (चंदाके सामने देखते सर ना मे हीलाते) कुछ नही मौसी ये जींदगीभी बडी अजीब हेनां..?

चंदा : (हसते) हां.. मे इस बारेमे ज्यादा नही सोचती, भगवानने जो हमारी कीस्मतमे लीखा हे वो होकरही रहेता हे.. फीर चाहे मे ओर तुम मानो या ना मानो..

मंजु : ठीक हे मौसी जेसी आपकी मरजी.. चलो चाइनास्ता नही करना..देवुभी नही आया..

देवायत : (आते) आ गया बेबी..चलो चलो.. मुजे जाना भी हे भानु आगया होगा..

फीर तीनो चाइनास्ता करने लगतेहे तब चंदा बार बार चोर नजरसे देवायतको देखती रही तब मंजु बरोबर उनकी नजरका पीछा करते तीरछी नजरोसे देखती रही.. तब मंजुने कहा..

मंजुला : जानु.. आप कीतने बजे नीकलने वाले हो..

देवायत : मंजु तीन बजे वकीलको मीलना फीर आघा अ‍ेक घंटा लग जायेगा.. बस खाना खाके ही नीकलना हे.. पता नही धिरेन कब आने वाला हे..

चंदा : मुजेभी टाइम नही बताया सायद चार पांच बजे आजायेगा..

मंजुला : कोइ बात नही आप लोग उनका वेइट करलेना.. ओर सीधे अहीपे लेआना..

चंदा : नही मंजु अब मे घर जाउगीनां.. इधरभी तीन चार दीन होगये.. फीर तेरी डीलीवरीके टाइम आजाउगी

मंजुला : मौसी वहाभी क्या काम हे.. वेसेभी धिरेनकी छुटीया चल रही हेनां..? वोभी इधर आजायेगा तबतक लखन ओर पुनमभी आजायेगे तो सब बच्चो साथमे रहेगे तो आपसमे मील जुल लेगे.. क्यु देवु..?

देवायत : (हाथ धोते) हां मौसी.. मंजु ठीक केह रही हे.. ओर उन लोगोको लेने जाना हे तब खरीदीभी तो करनी हे तो धिरेनभी साथ चलेगा..उनकी पसंदका सब आजायेगा.. मे दोनोको इधरही ले आउगा..

चंदा : (हसते) अरे मे आजाउगीनां.. क्यु जीद कर रहे हो..?

मंजुला : नही मौसी मेरे पतीने केह दीया सो केह दीया.. देवु वरना जबरदस्ती इनका अपहरण करके लेआना, हें..हें..हें..

तब देवायत हसने लगा तो चंदाभी सरमके मारे सर नीचा करते हसती रही.. अ‍ेसेही मजाक करते सबने चाइ नास्ता फीनीस कीया.. तो देवायत दोनोको हग करके नीकल गया वो गोडाउन गया वहा सब काम देखके मुनीमके घरकी ओर नीकल गया तब वहा बेठनेके लीये कोइ नही था बस उनकी दो पडोसन बेठीथी देवायतको देखतेही नमस्ते करके वापस घर चली गइ तब घरमे सीर्फ देवायत ओर चंपाही थे..

तब चंपाने उसे बेठनेके लीये कहा ओर पानी लेने चली गइ फीर देवायतको पानी पीलाया ओर वही खडी रही.. आज उनके चहेरेपे गम काफी कम दीख रहा था.. उनको अब सीर्फ देवायतपेही उमीद थी..

देवायत : भाभी सब अच्छेसे करना पैसोकी चीन्ता मत करना.. (जेबसे पांच हजार नीकालके देते) ये लीजीये.. इनको रख लीजीये.. जब यहाका कार्य पुरा होजाये तब आप हवेलीपे आजायेगा.. वही काम करीयेगा.. मंजुकोभी कंपनी मील जायेगी..

चंपा : देवरजी क्या उनकीभी डीलेवरीका टाइम होगया हेनां..? होस्पीटल कब जाना हे..?

देवायत : बस अ‍ेक हप्तेके बादकी डेट हे.. मेरी मौसीजी आने वाली हे.. तबतक इधरभी सब कार्य सम्पन हो जायेगा फीर आजाना..

चंपा : आपने मुजपे बडी महेरबानीकी इतनातो कोइ सगे वालेभी नही करते.. देवरजव अब मुनीमजी के कुछ कागजात पडे हे मेरेतो कोइ कामके नही.. अब आपही लेजाइयेगा.. क्या पता कीसी गांवके वहीवटके कामके हो.. पता नही पंचायतका कागज घरपे क्यु रखा हे.. वहा उतनी बडी ओफीस तो हे..

देवायत : भाभी ये कागज आप अभी आपके पासही रखीये अ‍ेक दो दीनमे फ्रि होजाउगा तब लेकर जाउगा.. ओर इनका जीकर कीसीसे मत करना.., भाभी अब मे सोच रहा हु.. रश्मीभाभी को मुनीमकी जगाह रखलु..

चंपा : हां वो अच्छी हे पढीलीखी भी हे.. पता नही ये सरपंचके पले केसे पड गइ.., वेसे क्या हुआ उनका..

देवायत : बस कुछ नही.. अब तो जबतक जींदा रहेगे अ‍ेसेही बीस्तमे रहेगे जेसे होस्पीटलमे थे..

चंपा : चलो अच्छा हुआ.. कभीना.., कभीतो पापका घडा भरेगाही.. जो इनकी सजा मील गइ दोनो को..

देवायत : दोनो को..? इसमे मुनीमजीकी क्या गलती हे..?

चंपा : (दरवाजा बंध करके आइ) देवरजी सारी फसातकी जड आपके भाइसाबही थे.. इन्होनेही सब कागजात सरपंचको नीकालके दीये हे.. तब मेने रुमसे सुना वो आपकी जमीन ओर कुछ खजानेकी बात कर रहेथे.. मे ठीकसे सुन नही पाइ.. इसीलीयेतो सब कागजात आपको दे रही हु.. बस मेरा खयाल रखीयेगा..

कहेते सरमाते देवायतके पास बगलमे सर जुकाके बेठ गइ तब देवायत समज गया ओर उनके हाथपे अपना हाथ रख दीया ओर धीरेसे दबा दीया तब चंपा सरमसे पानीपानी होगइ ओर तीरछी नजरसे देवायतकी ओर देखती हसती रही उसने अपना हाथ हटानेकी कोइ कोसीस नहीकी तब अचानक देवायत उनको बेठे बेठेही बाहोमे कसके भरलेता हे तब चंपा खुब सरमाइ ओर मुस्कराते देवायतकी बाहोमे समा गइ..

अपना अ‍ेक हाथ देवायतके सीनेपे रखके सहेलाने लगी तो देवायतने उनका चहेरा अपनी ओर कीया ओर दोनोके होंठ मील गये ओर स्मुच करने लगे.. तभी देवायतने अ‍ेक हाथ कीस करतेही उनके उरोजोपे रख दीया ओर हल्केसे दबाके मसलने लगा तब चंपाके मुहसे सीसकारीया नीकलने लगी ओर देवायतका पुरा साथ देने लगी.. देवायतभी कल चंदाके पास नही जा सका इसलीये उनको कलसे ठरक चडी हुइ थी..

चंपा : (धिरेसे सरमाते) देवरजी इधर कोइ भी आ सकता हे.. अंदर चलीयेनां..

तब देवायत अलग हो जाते हे ओर चंपा उसे अपने बेडरुममे लेजाती हे ओर पीठके बल लेटतेही अपनी सारीको कमर तक उची करके अपने ब्लाउसके बटन खोलने लगती हे.. तब देवायतने देर ना करते अपने पेन्टकी क्लीप खोलदी फीर पेन्ट ओर नीकर नीचे करलीया तब चंपाकी चुतको देखतेही देवायतका लंड जटके मारने लगा तो देवायत उनके पैरके बीच बेठने लगा तब चंपाने अपने दोनो पैर फैला दीये..

देवायत : (चंपाकी चुतपे लंड घीसते) सरपंचके साथ कीतनी बार चुदी हो..?

चंपा : (सरमाते मुह दुसरी ओर करते) वो मुआ इधर कहा दारु पीने आताथा.. बस मेरे पतीको तीन चार पेग पीलादो उनको कोइ होसही नही रहेता फीर सरपंच अंदर आजाता, वो यहा मेरे साथ मजे करनेही आता था

देवायत : (उतेजनामे आके लंड घुसाते) अब मेरे साथ चुदेगीना.. मे तुजे रोज चोदुगा..

चंपा : देवरजी अबतो सीर्फ आपहीका सहारा हे अब आपके सीवा मेरी प्यास कोन बुजायेगा..? मे अ‍ेसे वेसी ओरत नही हु.. ओर अबतो आपसेही चुदवाउगी.. आपका हथीयारभीतो सबसे बडा हे ओर मोटाभी हे..

तब देवायत चंपाकी चुतमे लंड फसाके उनपे जुक जाता हे ओर होंठ चुमते कमरको अ‍ेक जोरका जटका मारता हे तब लंड चंपाकी चुतको चीरते अंदर घुस जाता हे तो चंदाकी हल्कीसी चीख नीकल गइ ओर आंसुभी टपक गये तब उसने अपने मुहपे हाथ रखदीया ओर छटपटाने लगी ओर देवायतको रुकनेको कहेने लगी.. तब देवायत लंबे लंबे सोट मारते चंपाको चोदने लगा..

चंपा : उउउउउइइइइइ मांमामाआआआ मममररर गगगगइइइइइ मोमोमोटाटाटाट हेहेहेहे.. रुकीयेयेये.. नही नही नही..सीसीसीसइइइइइइइ बस..बस..बस.. कीजीये...रुकीये...जलन हो..ती.. हेहेहेहे..सीसीसीइइइइइ
1722202
लेकीन देवायत कहा रुकने वालाथा, चंपाकी हालत दर्दके मारे खराब होने लगी ओर वो देवायतके सीनेमे दोनो हाथसे धका मारते उनको अपने उपरसे हटानेकी कोसीस करने लगी..तभी थोडीही देरके बाद उनकी दर्द भरी चीखे कामुक आवाजमे बदलने लगी ओर वो आधी आंख चडाते मदहोसीकी हालतमे चली गइ फीरतो वोभी कमर हीलाके देवायतका साथ देने लगी तब अचानक देवायतको बाहोमे भीच लीया..

ओर उनकी चुतने जवाब देदीया.. फीरभी देवायत उसे चोदेही जा रहा था तब थोडी देर वो सीथील होके पडी रही ओर देवायत उसे जटके मारते चोदता रहा तब उनके बुब्स देवायतके हर धकेके साथ उछल रहेथे, चंपाको आज असली मर्द मील गयाथा जो वो जड गइ उनके बावजुद चुद रही थी.. अ‍ेसा सुख ना उसे मुनीमसे पायाथा ओर नाही सरपंचसे पाया था.. वो आज बहुत खुस होगइ.. तब देवायतने स्पीड बढादी.. ओर लंडको जड तक घुसाते जोरोसे लंबे लंबे सोट मारते काफी देर तक चंपाकी चुदाइ करता रहा.. तब चंपाकी हर धकेके साथ आहे नीकलती रही.. तो बीच बीचमे देवायत उनके होंठ ओर उनके दोनो बुब्स चुमता रहा..
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तो चंपा फीरसे गरम होगइ ओर देवायतको बाहोमे भीचलीया ओर अपनी कमर आडी टेडी करके हीलाने लगी तब देवायतके सरीरमे हलचल तेज हो गइ ओर उसने चंपाको चीपकते जोरोसे बाहोमे भीच लीया तब चंपानेभी देवायतको कसके बाहोमे भरलीया ओर देवायत चंपाकी गरदनमे चुमते उनको होठोको भीचके लीपलोक करलीया तब चंपाकी आंखभी बडी होगइ ओर उसको अपने गर्भासयपे देवायतका गरम विर्य महेसुस होने लगा तब देवायत जटके मारते जड रहाथा तो चंपा अ‍ेक बार फीसे उतेजीत होके साथमे जडने लगी..

ओर देवायत चंपाके सीनेपे ढेर होगया दोनोही पसीने पसीने होगये ओर अपनी सांसे दुरस्त करते रहे तबतक चंपा देवायतकी पीठ सहेलाती रही जब दोनोही सांत हुअ‍े तब चंपा देवायतसे नजर नही मीला पा रहीथी उनका कारण देवायतकी दमदार चुदाइ थी चंपाने अ‍ेसी दमदार चुदाइ कभी नही करवाइ थी.. तभी देवायत उनके चहेरेको दोनो हाथसे पकडके अपनी ओर कर लेता हे तब चंपा उनकी ओर नजर करते सरमके मारे अपनी नजरे नीचे करलेती हे तो देवायत उनके होंठ चुमने लगता हे..

देवायत : चंपा अब मुजे जाना चाहीये.. सहेरभीतो जाना हे..

चंपा : (धीरेसे सरमाते) देवरजी आते रहीयेगा.. आज ये चंपा आपकी अमानत होगइ.. अब मे सीर्फ आपसेही चुदवाउगी मेरा खयाल रखीयेगा.. ओर मे रहुगी इधरही.. सीर्फ कामके लीये वहा आउगी.. ताकी हम यहा मील सके.. ओर हो सकेतो हमारी बातका जीक्र कीसीसे नही करीयेगा..

देवायत : (गाल चुमते) ठीक हे चंपा डार्लींग.. चलो मुजे जाना हे..

कहेके देवायत चंपाके उपरसे उतर गया तब लंडसे फच..की आवाज आइ जीसे सुनके चंपा सरमसे पानीपानी हो गइ तब उनकी चुतसे दोनोका काम रस चुतसे बहेने लगा तब चंपा कपडेसे अपनी चुतको साफ करने लगी उनको हीलनेकीभी ताकात नही थी वो वेसेही पडी रही तब देवायत बाथरुममे लंड साफ करने चला गया फीर बहार आगया तबभी चंपा अ‍ेसेही पडीथी तब देवायतने उनकी मदद करनेको कहा तो मना करदीया..

फीर देवायत दरवाजा खोलके बहार आगया ओर अपनी कार लेके गोडाउनपे आगया.. उनको चंपाको चोदनेमे कोइ मुस्कील नही लगा क्युकी उनको मालुम था चंपा बहुतही कामुक ओरत हे ओर हमेसा सरपंचसे चुदती हे इसीलीयेतो चंपा कोइ ना नुकुर करे बगैरही देवायतसे चुदवानेको तैयार होगइ.. देवायत आके बेठाही थाकी भानु आगया.. ओर उनके पास बेठ गया..

भानु : भाइ वो रश्मीभाभीका फोन आयाथा कल उनको छुटी दे रहे हे उसे लेने जाना पडेगा..

देवायत : ठीक हे कल लेके आजायेगे.. वेसेभी अब उनको घरपे हीतो रखना हे.., ओर सुन मे सहेर जा रहा हु.. वो धिरेन आ रहा हे ओर वो वकीलकोभी मीलना हे..

भानु : भाइ जीनका केश चल रहा हे वोतो खटीयामे पडा हे.. आप तारीखही लेलो..अबतो जबतक गुजर नही जाता अ‍ेसेही तारीख लेना हे.. फीर कुछ करते हे.. हम रश्मीभाभीको कहेके सारे कागजात नीकलवा लेगे..

देवायत : चल ठीक हे देखतेहे वकील क्या कहेता हे.. वो हरीयाको चाइकातो कहेदे फीर नीकलनाभी हे..

तभी भानु हरीयाको आवाज लगाता हे फीर दोनो चाइ पीतेहे ओर कुछ बाते करते देवायत नीकल जाता हे जब हवेलीपे पहोचतेहे तब चंदा बीलकुल तैयार होके बेठीथी आज वो कयामत लग रहीथी मंजुने उनके कपडे जबरदस्तीसे बदलवा दीये थे तो देवायत उसे देखता ही रहातो मंजु उनको देखते जोरोसे हसने लगी तब चंदाभी हसते सरमसे पानीपानी हो रहीथी.. तब मंजुने मजाक करते कहा..

मंजुला : (हसते) कंट्रोल पती देव कंट्रोल..आपकी मौसीजी हे अ‍ेसे ताडीये मत.. हें..हें..हें..

चंदा : (जुठे गुसेसे) मंजु.. बस यार कुछ तो सरम कर.. कुजभी बोलती हे..

देवायत : (जेंपते अंदर आते) मंजु तुभीनां.., वेसे मौसीजी सच कहु.. इस कपडेमे आप कयामत लग रही हे.. आप नीकलोगीतो हम नेसे नौजवानोकी लाइन लग जायेगी हें..हें..हें..

चंदा : (अ‍ेकदम सरमाते हसते) क्या देवुजी आपभी.. दोनोके दोनो पती पत्नी अ‍ेक जेसेही हो.. मुजे नही आना बहोत सरम आ रही हे.. मे ये कपडे चेन्ज करती हु..

मंजुला : (जटसे) नही नही नही..मौसी अब हम मस्ती नही करेगे बस..? आइअ‍े खाना रेडी हे देवु आप फ्रेस होके आइअ‍े तबतक खाना नीकलवाती हे फीर दोनोको जानाभी हे..

चंदा : (हसते खडे होते) तुजे हमे भगानेकी बडी जल्दी हे.. तेरा इरादातो नेक हेना..? हें..हें..हें..

मंजुला : अरे मौसी फीकर मत करो मेरे पतीको भगाके लेजाओ तोभी गम नही हे हें..हें..हें..

तब चंदा उसे सरमाते हसते अ‍ेक पीठमे मुका मारदेती हे फीर दोनो खानेपे चली जातीहे तबतक देवायतभी आगया ओर वोभी मंजुके पास बेठ गया तब चंदा बार बार देवुकी ओर देखते सरमा रहीथी फीर हल्की मुस्कानके साथ नजरे जुका लेती थी तब मंजु चंदाकी हर हरकतको नोटीस कर रहीथी ओर मनही मन खुस हो रहीथी उनका नीसाना बीलकुल सही लग रहाथा फीर तीनोने मजाक मस्ती करते खाना फीनीस कीया तो दया सब बरतन उठाके ले गइ ओर तीनो सोफेपे आके बेठ गये तबतक १ बज चुकाथा..

देवायत : तो मौसी हम चले..? सहेरभीतो यहासे दुर हे..

चंदा : (सरमाके हसते) जी.. चलीये..

तब मंजु थोडी मायुस होगइ देवायत उनके चहेरेका भाव फौरन पहेचान गया तीनोही खडे हो गये तब देवायत मंजुके पास चला गया ओर उनकी आंखोमे प्यार भरी नजरोसे देखता रहा ओर बहारकी जानेके लीये नेसेही मुडा तब मंजुने हीमत करके फोरन देवायतका चहेरा अपने हाथोमे लेलीया ओर उनको अ‍ेक होठोपे चुंबन जड दीया तब चंदाभी मुह घुमाते सरमसे पानीपानी होते हसने लगी फीर मंजुके सामने देखके सरारतसे नैन नचाने लथी तब मंजु खुब सरमाइ ओर मुहको दुसरी ओर करते हसने लगी
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फीर देवायत ओर चंदा दोनोही कारमे बेठ गये ओर मंजुको बाय करते हवेलीके बहार नीकल गये तब कार सीधी गांवके रास्तेसे जंगलमे होकर सहेरकी ओर दोड पडी तब चंदा देवायतके सामने देखके हसती रही आज चंदा कारमे बेठते कयामत लग रहीथी ओर बार बार अपने बालोको कानके पीछे लेजा रही थी.. तब देवुभी इनकी ओर हसता रहेता था वो अ‍ेक हाथसे कार चलाता रहा ओर दुसरा हाथ चंदाके हाथोपे रख दीया तब दोनोने अपने हाथोकी उंगलीया आपसमे फसाली..
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चंदा कुछ इस तराह दीखती थी, आखीर देवायतने अपनी चुपकी तोडी..
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देवायत : बेबी देखा तेरी सौतननेही हमे भेजदीया.. क्या तुमसे उन्होने कोइ बात की हे..?

चंदा : (सरमाके हसते) हां.. बहोत पीछे पड गइ हे..की सादी करलो सादी करलो.. अब उसे केसे कहुकी मेने तेरेही पतीसे सादी करली हे.. मुजेतो बहोत सरम आरही थी.. ओर देवु पता हे अ‍ेक बार क्या कहा.. कहेतीथी अगर मेरी सौतन बननाहे तोभी मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. देवु मुजे लगताहे उनको हम पर सक होगया हे..

देवायत : (सीरीयस होते) नही चंदा.., मुजे लगताहे मामला कुछ ओर ही हे.. कल रातमे भी मुजे यही केह रही थी.. की आप मौसीसे सादी करलो मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. उसनेतो अपनी कसम तक देदी.. इतना फोर्स करतीथी मुजसे.. जरुर कोइ ओर बात हे.. क्या बातो बातोमे तुजे कुछ नही बताया..?

चंदा : (आस्चर्यसे सीरीयस होते) नही जानु.. मुजे कुछभी नही बताया.. अगर प्रोबलेम होती तो कमसे कम मुजेतो बतातीही हे.. हम दोनो सब बाते अ‍ेक दुसरेसे सैर करते हे..

देवायत : बेबी मेरातो जी गभरा रहा हे.. मुजे लगता हे वो हमसे कुछतो छीपाती ही हे..

चंदा : (याद आते) हेय..हेय.. जानु अ‍ेक मीनीट..मुजे कुछ याद आया.. धिरेन केह रहाथा.., कुछ.. याद हे.. हमने सादी की तब हमने दो दीन सुहागरात ओर दीन मनायेथे.. तब धिरेन मंजु भावु सब बडी दीदीके घर थे.. तब धिरेन केह रहाथा वो मंजु दीदीके साथ सहेर गया था.. कुछ तबीयत खराब लग रहीथी अ‍ेसा केह रहाथा.. सायद धिरेनको पता होगा मे छुपकेसे उनसे बात करलुगी..

देवायत : चंदा कुछतो हे तभीतो बार बार मुजे तुमसे सादी करलेनेको केह रहीथी.. अपनी कसम तक देदी..

चंदा : (सीरीयस होते) जानु आप टेन्शन मत लो मे सब जान लुगी.. अगर होस्पीटल गइथी तो इनके पेपर घरपेही कही छुपाके रखे होगे.. आप उसे ढुंढना..

देवायत : (गभराते) हे..भगवान फीर कोइ नइ मुसीबत ना आजाये.. कास हमारा सक जुठा नीकले..

चंदा : (तब चंदा कारमे बेठेही देवुको हग करके उनके कंधेपे सर रख देती हे) जानु मे हुनां जरुरत पडीतो मे वहा आजाउगी.. मुजे धिरेनकी कोइ परवा नही.. वो अब बडा होगया हे अच्छा बुरा सब समजता हे.. मे आपको अ‍ेसे तकलीफ या चीन्तामे नही देख सकती.. ओर जो हमे मालुम ही नही उनके बारेमे गलत क्यु सोचना.. बाबु स्माइल करो.. आपके साथ इतनी खुबसुरत बीवी घुमने आ रही हे, हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हं.., सही केह रही हो.., बेबी तुम घर आजाओ.. मुजे आप दोनोसे बहोत बहोत प्यार करना हे.. अब मे आपके बीना नही रेह सकता.. हो सकेतो धिरेनसे बात करलो..

चंदा : नही नही.. अभी नही.. पहेले उनकी सादी होजानेदो वो अपनी बीवीमे बीजी होजायेगा तब हम बात करेगे.. तब हमारी बात समज भी सकेगा ओर मानभी लेगा..

देवायत : तो फीर जल्दी सादी करवादो.. अब भानुकी मां को नही मुजे जल्दी हे.. हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाके हसते बाजुमे मुका मारते) नोटी..बोय.. अरे बाबा जीतनी जल्दी आपको हे उतनीही मुजेभी हे.. जानु कुछ दीन इन्तजार करलो.. प्लीज.. मेरे अच्छे बच्चे.. हें..हें..हें..

तब चंदा सरमाते तीरछी नजरसे देवातको देखती रहेती हे.. दोनोही घने जंगलसे गुजर रहेथे तब देवायतने अचानक कारको जंगलकी ओर मोड दी तब चंदा हसते देवायतकी ओर देखने लगी ओर सरमसे पानीपानी होने लगी, उनको पता था देवायतने कार क्यु जंगलमे लेली.. तब नजरे जुकाते सरमाने लगी ओर मंद मंद मुस्कराती रही फीर तीरछी कातील नजरोसे धीरेसे पुछा..

चंदा : (सरमाते) आपने कारको इधर जंगलमे क्यो लेली..? जनाबका इरादातो नेक नही लगता..

देवायत : (पेन्टमे लंडको अ‍ेडजेस्ट करते मजाकमे) बेबी आपतो बहुत समजदार हो.. हें..हें..हें.., (सीरीयस होते) नही हम बाबाके पास जा रहे हे..

चंदा : जानु लेकीन आपको वकीलको मीलना था..

देवायत : नही उनसे सीर्फ तारीख लेनी हे.. वो फोनपे बात होजायेगी.. वेसे आपको भी बाबाको मीलना थाने..?

चंदा : हां लेकीन इतनी जल्दी मुलाकात.. क्या वो हमारे बारेमे सबकुछ जानते हे..?

देवायत : हां.. तुम चलतो रही हो.. खुद देख लेना.. ओर बाबासे सब जानभी लेना..

तब दोनोही अ‍ेक आश्रमके पास रुक जाते हे ओर नीचे उतरने लगते हे तब चंदा तो देखतीही रही.. की इतने घने जंगलमे इतना बडा आश्रम.. वो कुछ घबरासी गइ ओर देवायतके पास जाके उनका हाथ पकडलीया.. तब देवायत समज जाता हे ओर उनके हाथको थाम लेता हे फीर दोनोही अंदरकी ओर चलने लगतेहे तब चंदा यंत्रवत उनके साथ कदम मीलाते चलने लगती हे तब देवायत उनसे सब बताने लगता हे..

देवायत : चंदा तु अपने सरको पलुसे ढकले.. ये हमारे कुलगुरु हे.. पता नही इनकी उमर कीतनी हे.. हमारे परदादाके टाइमसे यही हे.. कहेते मे अ‍ेक मक्सदसे आया हु.. पर हमे बताते नही..

चंदा : हां तबतो कोइ महान संतही होगे.. आज दर्शन करनेका मौका मील गया..

दोनोही बाते करते अंदर जाने लगे तब वहा बहोत सारे सेवक काम कर रहे थे सभी देवायतको देखते नमस्ते ठाकुरसाब.. कहेते अभीवादन करते रहे.. ओर आखीर दोनो अ‍ेक होलमे चले जातेहे वहा सामने अ‍ेक सीहासन जेसी गादीपे बाबा बेठे थे.. तो दोनोको देखतेही मुस्कराने लगे.. तब देवायत ओर चंदा उनके पैर छुने लगे तब बाबाने दोनोके सरपे हाथ रख दीया ओर चंदाकी ओर मुस्कराते कहा....

कन्टीन्यु
 

Rajizexy

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Hi Raji Kabhi Kabhi Bat kar liya karo chahe coment karke hi..
Ji jarur,u r writing very well dear dilavar.
Please visit my story ❤️ if u could find 🆓 time.❣️❣️❣️
 
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