रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १४
उधर देवायतभी चंदाके साथ दो बार जबरदस्त चुदाइ करके अपने रुममे आगया ओर मंजुलाको पीछेसे बाहोमे भरके सोने लगा तब मंजुलाभी करवट लेके देवायतमे सामने मुह करके पलट गइ ओर देवायतके सीनेमे सर छुपाके उसे होंठोपे कीस करते बाहोमे भरके सो गइ.., तब देवायतभी हसते उनके सरको सहेलाता कब सो गया उसे पताही नही चला....अब आगे
सुबह सब देरसे उठे तबतक दया ओर रजीया उठ चुकीथी ओर नहाधोके घरके सब काम नीपटानेमे लगी थी तो आज चंदाकोभी कलकी जबरदस्त चुदाइकी वजहसे चुतमे जलन हो रहीथी वो धीरेसे उठके बाथरुममे जाने लगी तब थोडा लंगडाके चल रहीथी जीसे चंदा सरमसे पानीपानी होगइ उनको चीन्ता होने लगीकी मे इस हालतमे मंजुके सामने केसे जाउगी कमीनी फोरन पहेचान जायेगी.. मे बाथरुमसे फीलनेका केह दुगी.. यही सोचते वो बाथरुममे चली गइ..
तो मंजुभी उठके तैयार होजाती हे फीर देवायतको जगाती हे तो वोभी उठके बाथरुममे चला जाता हे फीर नहाके तैयार होजाता हे फीर सब साथमे बेठके चाइ नास्ता करतेहे तब मंजुने पुछही लीया तब चंदाने बाथरुममे फीसलनेकी बात की..तो मंजु चंदाके जुठ पे मंद मंद मु्सकराने लगी.. उसे पताथा आज रात वो अपने पती देवायतसे पुरी रात चुदवाके आइ हे.. लेकीन वो बात अपने चहेरे पे जाहीर होने देना नही चाहती..
तब भानुके घर आज सब उठके चाइ नास्ता कर रहेथे तब भानु जागके भी सोता रहा.. क्युकी वो लताको फेइस करना नही चाहता था उनको नही पताथाकी लताने सबको बता दीया होगा की नही वो डरके मारे अेसेही बेडपे पडा रहा तब भावना अंदर आ गइ ओर भानुको जगाते कहेने लगी..
भावना : अरे भानु उठो.. कब तक सोते रहोगे..? कल रातभी देरसे आये.. कहा गये थे..?
भानु : (जागनेकी अेक्टींग करते) अरे कही नही.., वो सरपंच ओर मुनीमको लेके मे ओर देवा सहर होस्पीटल लेके गये थे तो देर होगइ..
भावना : (वोभी सरपंचको जानतीथी) अब उस मुअे को क्या हुआ..? जो होस्पीटल ले गये थे..
फीर भानु उसे सबकुछ बता देता हे जीसे सुनके भावनाभी भानुपे गर्व करने लगती हेकी चलो उनके पती अेक नेक काम करके आये हे.. फीर वो भानुसे कोइ सवाल जवाब नही करती तब भानु बहार बाथरुममे नहाने चला जाता हे तब बहार लता ओर सरला चाइ नास्ता कर रहेथे जेसेही भानु रुमके बहार नीकला लताने उनकी तरफ देख लीया दोनोकी नजर मीलतेही लताने गुसेसे मुह फेर लीया तब भानुकी गांड फटने लगी..
फीर नहाके बहार आगया ओर रुममे जाके तैयार होगया जब बहार आयातो लता उठके अपने रुममे चली गइ, तब भावना उसे चाइ नास्ता देने लगी तब सरला बहार खटीयापे बेठीथी तो भानुको कहेने लगी..
सरला : भानु बेटा देख कल रात लताकी तबीयत बीगड गइथी उसे अबभी अच्छा ना होतो डाक्टरके पास लेजा..
लता : (अंदरसे बात सुनतेही जोरोसे बोली) नही बा..कोइ जरुरत नही मे ठीक हु.. मुजे दवाइ नही लेनी..
सरला : ठीक हे बाबा नही लेनी तो मत ले इसपे इतना चीलाती क्यु हे..
तब भानु राहतकी सांस लेता हेकी चलो लताने कीसीको नही बताया तब वो फटाफट चाइ नास्ता करके अपनी जीप लेके नीकल जाता हे ओर सीधेही अपने खेतोपे जाके खटीयापे बेठ जाता हे उसे कलके लताके साथ बर्तावके बारेमे बहुत पछतावा हो रहा था वो इस बारेमे लतासे मीलके माफी मांग लेना चाहता था.. तभी देवायतभी आके उनके पास बेठ जाता हे तब भानुका उदास चहेरा देखके पुछही लेता हे..
देवायत : क्युबे आज चहेरे पे बाराह केसे बजे हे.., कही मेरी सालीने देरसे आनेसे तेरी कुटाइतो नही करदी हें..हें..हें.., बता क्या बात हे..
भानु : नही यार.. तुतो जानता हे ये नइ नइ जवानी जब चडती हेतो लडके लडकीकी क्या हालत होती हे.. बस.. वोही.. लता आजकल ज्यादा ही अपने रुममेही रहेती हे, भावना केह रहीथी जीजुसे कहेके दोनोकी सादी जल्दी करवादो.. आजकल लता बहोत अपने रुममे उलटी सीधी हरकते कर रही हे.. यार अेसी बात तुजे नही कहुगातो कीससे कहुगा तुभीतो समज सकता हे..
देवायत : हां यार.. ये सब ओरतोकी बाते हे.., तो क्या पुनमभीतो अेसा करती होगी.. अब ये साली परीक्षा जल्दी खतम होजाये तो अच्छा हे..तु ठीक कहेता हे.. हम चारोकी सादी जल्दी कर देगे.. आजकलके बच्चे.. कही हमारी इजत मीटीमे ना मीलादे.. भलेही जीनके साथ सगाइ हुइ हो इनसे..
भानु : बस यार.. तु सब समज गयाने मे क्या कहेना चाहता हु.. बस सगाइ होतेही हम सादीका मुहुर्त नीकलवा देगे.. वेसेभी लडकी टाइमपे अपने घर चली जाये येही अच्छा हे..
देवायत : चल ठीक हे हम वोही करेगे बस.. अबतो मुड ठीक करले.. चल चाइ पीते हे हरीयाको बोल..
भानु : (जोरोसे आवाज करते) हरीया.. अरे ओ हरीया.. जरा मालतीको कहेके दो कप चाइतो भेजदे..
हरीया : जी मालीक अभी कहेता हु..
भानु : यार.. आज साम सहेर हलस्पीटलभी जाना पडेगा देखता हु दोनोकी क्या हालत हे..
देवायत : भानु अब मे सोच रहा हु.. रमेशको सरपंच बनादु.. वेसेभी मस्त आदमी हे हमारी इतनी सारी मदद की हमारे रास्तेका काटा अेसेही नीकाल दीया.. तु कीसीको कहेना मत.. उनकी लडकीभी कोलेनमे पढती हे वोभी होसीयार हे सोचता हु मुनीमका काम उसेही दे देते हे.. क्या कहेते हो..?
भानु : भाइ राजनीती मेरे पले नही पडती आपको सही लगेतो करदो.. लेकीन दोनोही अेकही परीवारके हे सोचलो.. बहुत कुछ हो सकता हे..आदमी का क्या भरोसा.. वेसे रश्मीभाभी भी पढी लीखी हे उसेही मुनीमकी नोकरी देदो.. उनको आमदानीभी होजायेगी.. वेसेभी चंपाभाभीको आप हवेलीपेतो रखही रहे हो..
देवायत : कमीना कहीका.. कीसने कहा तेरा दीमाग नही चलता.. कुते. चल हम वही करेगे.. तेरी बात सोला आनी सच हे.. हमे सीधे कीसीभी आदमीपे विस्वास नही करना चाहीये.. ओर मे सोचता हु रमेशकी बेटीको यहा स्कुलमेही नोकरीपे रखलु वेसेभी वो सबको ट्युशनतो देती ही हे..
भानु : हां यार ये तुने सही सोचा हे..
मालती : लीजीये साब चाइ आज सुबह सुबह ही चाइ.. लगताहे भाभीओने ठीकसे चाइ नही पीलाइ..हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) हां.. नही पीलाइ इसीलीयेतो तेरे हाथकी चाइ पी रहे हे चल आजा.. हमे ठीकसे पीला..
मालती : (चाइ देके जाते हुअे हसते) ना बाबा ना आपही पीलो मुजे बहोत काम पडा हे..हें..हें..हें..
दोनो चाइ पीते हसने लगते हे तभी देवायतके फोनकी रींग बजतीहे तो रश्मीभाभीका फोन था तब देवायत उनसे बाते करने लगा ओर उनके चहेरेके भाव बदलने लगे फीर फोन रख दीया तब भानु उनकी ओर प्रस्नार्थ भरी नजरोसे देखता रहा.. तब देवायत खटीयासे खडा होके कहेने लगा..
देवायत : चल जीप नीकाल.. हमे सहेर जाना होगा..
भानु : लेकीन.. हुआ क्या..? येतो बता..
देवायत : यार वो मुनीम नही रहा.., सुबह गुजर गया.. चंपाभाभी बहोत रो रही हे वहा कोइ नही हे चल..
तब भानु फटाफट जीप नीकालके ड्राइवींगकी सीटमे बेठ जाता हे ओर देवायत उनकी बाजुमे बेठते घरपे मंजुको फोन करता हे ओर उनको सारी बात बता देता हे.., तब भानुने स्पीडसे जीपको सहेरकी ओर जाने दी तब देवायत बीच बीच मे रमेश.. ओर दुसरे लोगोसे बाते करते सब बताने लगता हे.. दोनोही २५ मीनीटमे सहेर पहोच जाते हे ओर अंदर जाते हे तब चंपाभाभी उनको देखतेही देवायतसे लीपट जाती हे..
चपांभाभी : (जोरोसे रोते) देवरजी वो नही रहे..आपके भाइ हमे छोडके चले गये..
देवायत : (उसे कसके बाहोमे भीचते) बस भाभी.. रोइअे मत.. इनमे हमारी चलती हे क्या..?
चपांभाभी : (रोते हुअे) देवरजी मेरा तो जीनेका जरीयाही यही थे अब मे क्या करुगी.. मेभी मर जाउगी..
देवायत : बस भाभी सांत होजाइअे.. मे हुना..? आपको कोइ तकलीफ नही होने दुगा.. मेरी हवेलीपे आजाइअेगा.. वही रहीयेगा..
इतना सुनतेही चंपाने रोते हुअे राहतकी सांसली की चलो इनकी देखभालके लीये कोइ तो हे तब उसे महेसुस हुआ की देवायतने उसे कसके बाहोमे भीचके रखा हे.. तब उनको अपनी चुतपे देवायतका लंड ठोकर मारते महेसुस हुआ तो वो नजर नीचे करते देखने लगी जब पेन्टका उभार देखा तो इतना बडा उभार देखते सरमसे पानीपानी होगइ ओर दुर हटके अपने आंसु पोछने लगी..
देवायत : भाभी आप बीलकुल चीन्ता मत करो मे हुनां..? सब ठीक हो जायेगा.. आप हवेलीमे मेरे साथ रहेगी वहा.. मंजु दया रजीया सब हे.. उनके साथ रेह लेना..
चंपाभाभी : (सरमसे आंसु पोछते) ठीक हेदेवरजी.. अब क्या करना हे..?
देवायत : भानु तु डोक्टरको मीलके आ ओर सारी फोर्मालीटी पुरी करदे हमे इसे घर लेजाना हे.. (रश्मीकी ओर देखते) भाभी अब राघवजीकी तबीयत केसी हे..
रश्मी : बस अेसेही पडे हे.. अभी तक होसही नही आया..पता नही कब ठीक होगे.. डोक्टर भीतो कुछ नही कहेते.. आपही पुछलोनां.. सायद आपको कुछ कहे..
देवायत : ठीक हे मे अभी मील लेता हु.. क्या डोक्टर चेक करके गये..?
रश्मी : नही अभी तक कोइ नही आया..
तभी डोक्टरकी टीम आती हे ओर सरपंचको चेक करने लगती हे फीर चेक करके दुसरे मरीजको चेक करतेहे फीर बहार नीकलते हेकी देवायतको देखतेहे तब उसके कंधेपे हाथ रखके उसे बहार लेजाते हे..
डोक्टर : ठाकुरसाहेब.. अच्छा हुआ आप आगये.. सरपंचकी तबीयतमे कुछ ज्यादा सुधार नही हो रहा.. इनको दो दीन ओर रखते हे वरना तबीयतमे कोइ सुधार नही दीखातो उसे घर लेजाइअे ओर उनकी सेवा कीजीये.. ये ज्यादासे ज्यादा छे महीने नीकालेगे.. तबतक अेसेही रहेगे
देवायत : डोक्टरसाब कुछतो कीजीये कमसे कम इनको होस आये इतना तो कर दीजीये..
डोक्टर : ठाकुरसाहेब ये होसमेही हे.. हमारी सब बाते सुन सकते हे.. सब देख सकते हे सब महेसुस कर सकते हे बस अपने आप हील नही सकते.. अभीतो इनकी टड्ढीप लगी हेतो बेहोसीमे सोये रहेते हे फीर वो आंख खोलके सबको देख सकते हे.. बाकी इनके पेपर अभी कर देता हु फीर बोडी आप घर लेजा सकते हे..
तब भानुभी डोक्टरके साथ चला गया तब रश्मी चंपाभाभीको सम्हालके बेठी थी तो देवायत अंदर चला गयातो रश्मी उसे सब पुछने लगी तब देवायतने उसे बहार ले गया फीर हीमत करके सब बता दी, तो रश्मीभी आंसु बहाने लगी तब देवायत उसे धीरेसे बात करने लगा..
देवायत : देख रश्मी हीमतसे काम लेना.. इस कमीनेने तुजे हेरान करनेमे कोइ कसर नही रखी तो इनको इनकी सजा मील गइ.. बाकी तु फीकर मत करना मे हुना वहा आता जाता रहुगा.. तेरी हर जरुरत पुरी करुगा ओर तुजे इस मुनीमकी नोकरीभी दुगा अबतो इस कमीनेके सामनेही तुजे चोदुगा..
रश्मी : (धीरेसे आंसु पोछते सरमाते) ठाकुरसाब येतो दुनीयाको दीखाना पडता हे.. वरना ये कमीना मर जायेतोभी कोइ गम नही हे बस.. अबतो मुजे सीर्फ आपसेही मतलब हे फीर चाहे मुजे आपकी रखैल बनके रहेना पडे वोभी मंजुर हे.. कमीनेने मुजे बहोत मारा हे.. अब इस भडवेको दीखा दुगी..
देवायत : बस तु सीर्फ तेरे घरमेही रहेना मे वहा आता जाता रहुगा.. तुजे रखेल नही मेरी बीवी बनाके रखुगा.. बस ये बात दुनीया वालोको पता नही चलनी चाहीये..
रश्मी : ठीक हे.. सुक्रिया..आपने मेरे बारेमे इतना सोचा बस अेक महेरबानी कीजीयेगा.. मेरी अेक बार कोख भर दीजीयेगा.. मे सबको केह दुगीकी जब गुजर गये तब मे पेटसे थी.. आपका नाम कभी नही लुगी..
देवायत : (हसते) ठीकहे अबतो इस कमीनेके सामनेही हमारी सुहागरात होगी ओर वही आपकी कोख भरदुगा.. बस परसो हम इसे घर लेजायेगे..
भानु : (पासमे आते) भाइ सब होगया..डोक्टरने सर्टीफीकेट देदीया हे अब इस हम घर लेजा सकते हे..
देवायत : रश्मीभाभी आप खयाल रखीयेगा हम आपको परसो लेने आयेगे.. अब हम चलते हे..
चंपा : रश्मीबहेन हम चलतेहे आपका खयाल रखना.. इनकी मजाने हमारी जींदगी बरबाद करदी..
रश्मी : (गले लगते) बस..सांत रहीये.. कमसे कम अब हम दोनो खुलके जी तो सकेगी.. अब इनको छुटी मीलतेही आपके पास आजाउगी अपने आपको अकेली मत समजना..
फीर तीनो मुनीमकी बोडी अेम्ब्युलन्समे घर लेके नीकल जाते हे देवायत चंपाको अपने साथ जीपमे बीठा देता हे ओर आगे वो लोग चलते हे आधे घंटेके बाद सब लोग मुनीमके घर आजाते हे तब सारा गाव मुनीमके घर जमा होगया था फीर सब गांववाले उनकी स्मसानयात्राकी तैयारीया करने लगे तब आस पडोस की सभी ओरते चंपाभाभीके पास बेठके उसे आस्वासन देती रही.. ओर सब तैयारीया पुरी होगइ..
फीर सब लोग मुनीमको लेके स्मसान चले गये ओर वहा अग्नी संस्कार करके वापस आगये.. ओर साम ढल गइ तब पडोसकी ओरतने चंपाभाभीको खाना खीलाया ओर दो तीन ओरत वही रुक गइ ओर बाकी सब अपने अपने घरकी ओर नीकल गये.. तब भानुभी सीधा अपने घर चला गया ओर मेभी हवेलीपे आ गया तब मंजुने मुजे बहारही बीठाके मेरे उपर पानी डालदीया.. फीर अंदर जाके नहाया..
फीर बहार आके तैयार होगया ओर हम सब होलमे बेठ गये.. तब मेने सारी बात सबको बतादी.. तभी दया ओर रजीयाभी हमारे पास खडी रहेके गौरसे सुन रहीथी जेसेही सरपंचकी हालत बताइ तब रजीया ओर दया बहोत खुस होगइ ओर जोसमे आके बोलने लगी..
रजीया : अच्छा हुआ मुआ..ने खटीया पकडली.. बडाही हरामी आदमी था..
मंजुला : (जोरोसे हसते) कमीनी उसे गालीयातो मत दे हें..हें..हें.. क्या बीगाडा हे तेरा..
दया : दीदी रजु ठीक केह रही हे.. वोतो हमही जानती हे कीतना कमीना थावो..मुआ.. मर क्यु नही गया..
चंदा : (जोरोसे हसते) लगता हे दोनो इनकी चपेटमे आ गइ हे.. हें..हें..हें..
रजीया : दीदी चपेटमेतो नही आइ लेकीन आते आते बच गइ.. हरामीने गांवकी कीतनी ओरते ओर लडकीयोकी जींदगी खराब करदी हे.. देखना आज गांवमे सब मीठाइआ बाटेगी..
इस बातपे हम सब ठहाका मारके हसने लगे दोनोने अपना गुसा नीकाल दीया फीर अपना काम करने कीचनमे चली गइ ओर रातका खाना बनाने लगी तभी धिरेनका फोन आगया तो चंदा उनसे बात करते दुर चली गइ तब मंजु मेरे कंधेपे सर रखके अेक हाथसे मेरे सरको सहेलाते हसती रही.. फीर धीरेसे कहा..
मंजुला : जानु अेक बात कहु.. पता नही केसे कहु.., अगर तुम नाराज होगयेतो..? नही.. अभी नही करनी..
देवायत : (मंजुका सर सहेलाते) अरे बेबी कहोना..नही हुगा नाराज.. बता.. क्या बात हे..
मंजुला : (धीरेसे) अभी नही.. मौसी आ रही हे हमोर रुममे कहुगी..
चंदा : मंजु धिरेन कल सुबह नीकल रहा हे.. उसे सहेर कोलेजसे लेने जाना पडेगा.. गयाथा दोस्तके साथ..
मंजुला : (अपनी चाल चलते हसते) तो क्या हुआ.., कल चले जायेगा आपके जमाइके साथ..वोभीतो सहेर जा रहे हे क्यु जानु..
देवायत : मंजु मुजे कल वाकइ सहेर जाना हे दो पहोरको खाना खाके नीकलना हे.. धिरेन कब आ रहा हे..?
चंदा : कल सामका केह रहाथा.. कोइ बात नही.. आप अपना काम नीपटा लीजीयगा फीर कोलेज चले जायेगे.. वहा कीतनी देर लगेगी..?
देवायत : बस अेक वकीलको मीलना हे आधे घंटेका काम हे.. चलेगाना..?
मंजुला : (हसते) अरे दोडेगा.., मौसीको वहा कुछ आइसक्रिम बाइसक्रिम खीला देना.. बेठी रहेगी.. हें..हें..हें..
चंदा : (हसते मंजुको मुका मारते) मे कोइ बच्ची हु..जो आइसक्रिम खाती बेठी रहुगी.. तुतो जा नही सकती वरना तुजेही भेज देती.. धिरेनभी खुस हो जाता..
देवायत : मौसी ये अेक्जाम खतम होतेही मे चारोकी सगाइ कर देना चाहता हु.. फीर डीलेवरीके बाद हम सादीका सोचेगे.. क्या कहेती हो मंजु..?
चंदा : इतनी जल्दी..? क्यु कोइ खास वजह..?
देवायत : बस वजहतो कोइ खास नही.. वो काकीको बडी जल्दी हे.. कहेतीथी लडकीया जीतनी जल्दी घर चली जाये उतनाही अच्छा हे.. वो भानु मुजे आज बता रहा था.. बस वोही बाते कर रहेथे ओर होस्पीटलसे रश्मीभाभीका फोन आ गया..
मंजुला : (कुछ सोचते) मौसी देवु ठीक केह रहा हे.. आपके घरमेभी जल्दी बहु आजायेगी.. तो घर स्माल लेगी.. फीर आप फ्रि..हें..हें..हें..
देवायत : मंजु.. लेकीन पुनम कुछ कोलेजका केह रहीथी.. कहेतीथी घर रहेकेही कोलेज करना हे..
चंदा : हां तो क्या हुआ.. मे पढाउगी उसे.. उनको जीतनी मरजी आये पढे.. उनकेही काम आयेगी..
मंजुला : (हसते) देखा.. घरके लोगमे यही फायदा हे.. वरना पता नही पुनमको कैसा ससुराल मीलता..
देवायत : (हसते) मौसी मेने सुना हे मंजुकी तराह आपनेभी कोलेज बोलेज कीया हे.. कहा तक पढी हो..
चंदा : (सरमाते हसते) बस ज्यादा नही.. मास्टर कीया हे..अेम. बी. अे. हें..हें..हें..
देवायत : (चोंकते) क्या..? अे.बी.अे..? तो फीर घरपे क्या कर रही हो..?
चंदा : (हसते) आपको नही पता मेरे पतीको जोब बोब करना अच्छा नही लगता था ओर मेरे ससुराल वालेभी पुराने खयालके थे.. तभीतो..मेरी सादी..(आंखमे आसु बहेने लगे)
तब मंजु खडे होके उनके पास बेठ गइ ओर बेठे बेठेही चंदाको हग करलीया तब चंदा उनके कंधेपे सर रखके आंसु बहाने लगी तबतक मंजु उनका सर सहेलाती रही फीर मंजुने उनके आंसु पोछ दीये..
मंजुला : मौसी भाडमे जाये दुनीया अबतो आपके ससुरवालेभी नही रहे.. मेरी मानो अभीभी कुछ नही बीगडा आप सादी करलो.. अकेले कैसे जींदगी काटोगी.. क्या कहेतेहो देवु..?
देवायत : हां मौसी मेरे खयालसे मंजु ठीक केह रही हे.. आपको सादी करलेनी चाहीये..
चंदा : (देवायतकी ओर देखते) ये आप क्या केह रहे हे.. अैसा नही हो सकता.. अबतो धिरेनभी बडा हो गया हे.. अब इस उमरमे सादी..
मंजुला : मौसी इतनीभी उमर नही हुइ हेकी आप सादी ना कर सको.. मे धिरनसे बात करुगी..
चंदा : मजु प्लीज.. उसे कुछ मत कहेना.. अब नही करनी सादी.. जो होना था हो चुका..
मंजु : मौसी जोभी हो मे सादी करवाके ही रहुगी.., अरे बाबा कब तक अकेले घुट घुटके छुपकेसे आंसु बहाती रहोगी.. अगर कीसीने कुछ कहातो मे उसे जवाब दे दुगी..
चंदा : (सरमाके हसते) अरे बाबा क्यु मेरे पीछे पडी हो नही करनी सादी.. ओर वेसे मेभी कीसीसे डरती नही हु.. लेकीन मेरी कुछ मजबुरी हे.. पहेले कहेती तो कुछ सोचती.. अब नही कर सकती.. समजी..?
मंजुला : सब बहाना हे.. अब क्यु नही कर सकती..? कही कीसीसे प्यार प्यारतो नही हो गया हें..हें..हें..
चंदा : (सरमसे हसते मुका मारते) कमीनी..कुछभी बोलती हे.. चल छोड ये सब बाते..
तब तीनोकोही पताथा की चंदाकी क्या मजबुरी हे तीनोको पता था चंदा सादीके लीये क्यु मना कर रही हे बस अेक दुसरेके सामने जाहीर करना नही चाहते थे, तो दुसरी तरफ मंजुनेभी तैय करलीया थाकी चंदाकी सादी देवायतसे करवाकेही रहेगी.. क्युकी उसे पता चल गयाथा की देवायत ओर चंदा अेक दुसरेसे प्यार करते हे ओर दोनोने प्यारकी सारी हदे पार करली हे.. इस रीस्तेसे मंजुकोभी कोइ अेतराज नही था.. क्युकी इसका रीजन सीर्फ मंजुकोही पता था..
अेसेही साम ढल गइ ओर सबने खाना खा लीया फीर कुछ देर बेठनेके बाद सब अपने अपने रुममे चले गये तब चंदा बेडपे लेटतेही रोमांचसे हसने लगी उनको आज मंजुकी बाते बहोत अच्छी लगती थी.. वोभी मनसे देवायतसे सादी करके इस घरमे बसना चाहती थी बस अेकही उलजनथी वो था धिरेन.., हालाकी धिरेन इस मामलेमे खुले विचारोका था इस बारेमे चंदाकोभी नही पता था बस ये बात सीर्फ मंजु जानतीथी की धिरेनकी सोच केसी हे, तब इनके बारेमेभी मंजुने भी कुछ सोच लीया था वोभी देवायतके सीनेमे सर रखके लेटे लेटे सोचमे डुबी हुइ थी.. तब..
देवायत : (सरको सरहेलाते) बेबी क्या सोचमे डुबी हे.. ज्यादा मत सोच हमारे बेबीपे असर होगा..
मंजुला : जानु मेने कहाथाना आपसे अेक बात करनी हे.., आप नाराजतो नही होगे..?
देवायत : (उनके सरको चुमते) बेबी मे कभी तुजसे नाराज हुआ हु क्या..? आइ लव यु बेबी.. बोल क्या कहेना हे.. नही हुगा नाराज.. जरुर कोइ सीरीयस बात हे तभीतो अेसा केह रही हो..बोल क्या कहेना हे..?
मंजुला : (धीरेसे देवायतकी आंखोमे देखेत) जानु मे चाहतीहु मौसीसे आप सादी करलो..
देवायत : (चोकते) क्या..? क्या कहा तुने.., बेबी पागलतो नही होगइ हो..? तुजे पताभी हे तु क्या केह रही हे..? तु अपनीही सौतन लानेकी बात कर रही हे.. बेबी मे तुमसे बहोत प्यार करता हु..
मंजुला : आइ नो.. जानु मुजे पता हे आप मुजे बहोत चाहते हे.. लेकीन मे आपको सोच समजकेही बात कर रही हु.. मुजे कोइ अेतराज नही की मौसी मेरी सौतन बनके आये.. प्लीज.. आप हां कहेदो..
देवायत : नही मंजु अैसा कभी नही हो सकता.. माना की मेरे कइ ओरतोके साथ नाजायज रीस्ते रहेते थे इसका मतलब ये नहीकी मे तुजे इस मामलेमे धोखा देदु.. नही कर सकता यार.. ओर मुजे तेरा प्यार मील गया हे.. जो मुजे अपनी जानसेभी ज्यादा चाहती हो.. आइ लव यु बेबी आइ लव यु सो मच..
मंजुला : (आंखमे आसुके साथ) आइ लव यु टु जानु.. मे बहोत खुस हु आप मुजे इतना चाहते हे.. लेकीन मेरी बात मान लीजीये प्लीज.. आपको आपकी मंजुकी कसम..
देवायत : (आंसु बहेने लगे) बेबी ये तुने क्या केह दीया क्यु कसम देदी.. अेसी क्या मजबुरी हे तेरी.., जो मुजे कसम देती हे.., बेबी कही तुम मुजसे कुछ छुपातो नही रही..?
मंजुला : (गभराते) अरे नही नही.., मे तुमसे क्यु छुपाउगी..? मेतो बस अेसेही.. केह रहीथी.. चलो सो जाओ बहुत देर हो चुकी हे.. नींदभी आ रही हे..
तब देवायतभी कुछ नही बोलता उसे इस बारेमे बहेस करना अभी उचीत नही लगा उनके मनमे कुछ आसंकाये आने लगी.. की मंजु ये सादीके लीये इतनी जीद क्यु कर रही हे.. वो मुजसे क्या छुपा रही हे.. यही सब सोचते उनकी आंख लग गइ तब मंजु उनके सीनेपेही सर रखके नींदमे चली गइ तब उसने देवायतको कसके पकडाथा तो देवायत उठके चंदाके पासभी नही जा सकताथा ओर दोनोही नींदमे चले गये..
तभी देर रात चंदा उठके मंजुके रुमके पास आइ ओर खीडकीसे जांकने लगी तो देखा मंजु देवायतको कसके पकेडके उनकी बाहोमे सोइ हुइ थी तब वो समज गइ देवायत मंजुकी नींद खराब करना नही चाहता तब वो वापस आके अपने बेडपे सो गइ लेकीन आज चंदाकी आंखोसे नींद कोसो दुर थी वो करवटे बदलते सीर्फ देवायतके बारेमे ही सोचती रही ओर उसे कब नींद आगइ पताही नही चला....
कन्टीन्यु