रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १३
तब चंदा सरमसे पानीपानी होगइ ओर दांत पीसते हसते चंदाको मुका मारदीया.. तब तीनोही हसने लगे..,तभी दुसरी ओर सरपंच सामको उठतेही फ्रेस होगया तो रश्मीने सरपंचपे गुसेसे चाइ नही बनाइ थी तो सरपंच उनपे भडक गया ओर रश्मीको दो चांटा जड दीया तब रश्मी सोक्ट होगइ ओर रोने लगी..,तो सरपंच अपनी जीप लेके मुनीमके घरकी ओर चला गया..उसे आज चाइकी तलप हुइ.. जब वो वहा पहोच गया तब मुनीम उनका बेसब्रीसे इन्तजार कर रहाथा तो सरपंचको देखतेही अंदर लेगया....अब आगे
सरपंच : अरे यार पहेले भाभीसे कहेके अेक कप चाइ पीलादे.., सालीने दीमागका दही करदीया..
मुनीम : (हसते) अरी..ओ..चंपा..देख कोन आया हे.., राघवजीके लीये जरा अेक कप चाइ तो बनादे..
चंपा : (राघवका नाम सुनतेही खुसीसे बहार आते) जी..आगये आप..? आइअे.. अभी बनाके लाइ..
कहेते खुसी खुसी चाइ बनाने लगी..उनकी चुत राघवको देखतेही फडफडाने लगीथी.. चाइ बनाके अपने यार राघवको देके सीधेही बहार आंगनमे चली गइ ओर दरवाजा अच्छेसे लोक करके अंदर आगइ फीर होलकाभी दरवाजा अच्छेसे बंध करदीया ओर अपने रुममे जाके बेडकी चदर सही करके वहा कुछ छोटे कपडेके टुकडेको रखदीया ताकी अपनी चुतको अच्छेसे साफ कर सके.. फीर आइनेके सामने बेठते अपने आपको सवारने लगी बालमे कंगी लगाके हल्कीसी लीपस्टीक करके गालोपे हल्कासा मेकअप करने लगी
फीर बाथरुममे जाके सारी उची करली ओर अपनी पेन्टी नीकालके वही खुटेपे रखदी.., यानी चुदाइकी पुरी तैयारीया करने लगी, बस अब इन्तजार थातो अपने पतीके लुढकनेका.., उसे पताथा उनके पती ज्यादा दारु बरदास्त नही कर पाता ओर बेहोसीकी हालतमे चला जाता हे तब सरपंच उनको वही सुलाके रुममे आजाते हे फीर दोनोकी चुदाइकी रासलीला सुरु होजाती हे.., जबसे राघव सरपंच हुआहे तबसे चंपा लगभग हरदीन राघवसे चुदाइ करवाती रहेती हे.., क्युकी मुनीम अब उमरकी वजहसे उसे ठीकसे चोद नही पाता..
राघव : (चाइ पीते) मुनीम.., तेरे पास विदेसी माल कहासे आ गया..?
मुनीम : (हसते जुठ बोलते) हे.. मेरा अेक दोस्त.., जो सहेर गयाथा वहीसे लेके आया हे दो लाया था अेक मुजे देदी ओर दुसरी खुदने रखली.., क्या मस्त माल दीखता हे.., बस आपहीका वेइट कर रहा था..
सरपंच : (कप रखते) अच्छा इतना बढीया माल हे..? तबतो आज दो तीन पेग लगाना पडेगा..चल नीकाल.. कीतने दीन होगये अच्छा माल नही पीया.., वेसेभी आज रश्मीने दीमाग खराब करदीया हे..
तब मुनीम हसते हुअे दोनोका पेग भरता हे तब चंपा चखनेकी डीस लेकर आतीहे ओर सरपंचकी ओर कामुक स्माइल करते डीस रख देतीहे ओर अंदर जाते मुनीमसे छुपके सरपंचको अंदर आनेका इसारा करते चली जाती हे फीर दोनोही बाते करते दारुकी चुस्की मारने लगतेहे तो मुनीम दो तीन शीप मेही उनका ग्लास खाली कर देता हे ओर फीरसे दारु ग्लासमे डालते सरपंचको पुछने लगता हे..
मुनीम : राघवजी अेक बात समजमे नही आइ.., खुद ठाकुरने आपको सरपंच बनाया हे फीरभी इनसे आपकी क्या दुस्मनी हे.., जो मुजसे इतने सारी जमीनके कागजात नीकलवा लीये.. क्या कोइ पुरानी रंजीस..
राघव : (दारु पीते) मुनीम वो बात तेरे पले नही पडेगी.., बात सीर्फ जमीनके कागजातकी नही.. कुछ ओरही हे.., तु इस लफडेमे मत पड.., मुजे जो चाहीये बस अेक बार मेरे हाथ लग जाये..
मुनीम : (दारु खतम करते) राघवजी..बुरा मत मानना.., जबतक मुजे पुरी बातका पता नही चलेगा तबतक मे आपकी मदद केसे कर सकता हु.. मुजेभी पता होना चाहीये कोनसा कागज आपके काममे आने वाला हे
राघव : (ग्लास भरते) बाततो तेरी सही हे.., सुन..मुजे ठाकुरकी वो जमीन चाहीये जीसमे उनके पुर्खोने धनका पीटारा गाडके रखा हे.., तेरी ओर मेरी दोनोकी पीढीया अेस करेगी.., ओर खबरदार जो ये बातका जीक्र कीसीके सामने कीया तो.., यही तेरे ही घरमे जींदा गाड दुगा..
मुनीम : (दारु भरते) मेरी क्या सामत आइहे जो कीसीको कहुगा.., इनमे मेराभीतो फायदा हे.., हें..हें..हें..
राघव : (हसते) हां.. अब समजा.., समजमे नही आता ये बात कोन जानता हे.., साला मीलेतो वही चमडी उखाडके पुछ लेता.., खुद देवाभी नही जानता.., वरना कबका नीकाल चुका होता..
मुनीम : राघवजी.., तबतो इन कागजके टुकडोको ढुंढना छोड ही दीजीये.., आप कोइ अेसे इन्सानको पकडीये जो हवेलीसे तालुकात रखता हो.., ओर पुराना हो.., वोही सब बाते जानते होगे..
राघव : (दारु पीते मुनीमके साामने देखते) साला.. बाततो तेरी सही हे.., तीन पेग पेटमे जातेही तेरा दिमाग काम करने लगा हे.. ले..अेक पेग ओर लगा.., ओर मेराभी भरदे.. पुरा पटीयाला..हें..हें..हें.., अेसा आदमी कहा ढुंढु जो वहाकी खबर रखता हो.., ओर जो जानतीथी वोतो चली गइ.., वही काम करतीथी..
मुनीम : (दोनो ग्लास पुरा भरते) अच्छा कोनथी वो.., आप कीसकी बात कर रहे हे.. वहातो आपकी माताजीभी काम करती थी.. कही.. वो..तो..
राघव (सर जुकाते) हां.. वहीतो थी.. जो आधी बातही कहेके चली गइ.. वोभी मेरे बापुको बता रहीथी तो मेने सुनलीया था.., वरना मुजेभी कहा पता था.., बापुजीभी चले गये.. पता नही उनको क्या हुआथा अच्छे भलेतो थे.. बस रातको मांके साथ जगडा हुआ.. ओर अेक दीन सुबह उठेही नही..
मुनीम : (मनमे) मादर--, तुजे क्या मालुम तेरी मां कोन थी.., वो देवायतके बापकी रखैल थी.. पता नही तुभी इनकी ओलाद हो.., तेरा बापतो साला नामर्द था तभीतो तेरी मा देवाके बापसे चुदती थी.., ये बात तेरे बापको पता चल गइ ओर तेरी मांनेही तेरे बापका काटा नीकाल दीया.., ओर भोसडीके तुभी यही नीकला.. तभीतो तेरी बीवी अब देवायतसे चुदवाने लगी हे..
राधव : ओ मुनीमके बच्चे.. क्या सोच रहा हे.. ग्लास भरलीयेतो देनां.., ओर तु क्या केह रहा था..?
मुनीम : (बातोका दोर सम्हालते) राधवजी.. वो राजाथे..उनकी तीन पीढीया चली गइ हे.., बडे ठाकुरकोभी नही पता होगा.. वरना कोइतो इसका जीक्र करता.., ओर पीढीयोके लीये बच्चे पैदा करना जरुरी हे.. जो तुम्हारे पासभी नही हे ओर मेरे पासभी नही हे.. अैस क्या खाक करेगे.. अगर मीलभी जायेतो हम दोनो क्या उखाड लेगे..? हमारे पास वारीस भीतो होना चाहीये.. आपकी बात अलग हे.. मेतो साला कुछ करभी नही सकता..
राघव : (दारु अेकही बारमे खाली करते) मादर--, साला.. मुह खोलताहे तो कडवी बातेही नीकलती हे.., बहेन--, इसी बातकातो आज रश्मीके साथ जगडा हुआ.., उनकोभी बच्चा चाहीये.., अब नही होरहा हेतो क्या करु..? लंड काटके फेंकदु.., कहेतीहे सहेर जाके चेक करवालो..
मुनीम : (लडखाती आवाजमे) या..र..माफ..करना.. भाभी..सही..के..रही..हेहेहे.., अेक बार..चेक..करवालो..
राघव : (गुसेसे) भोसडीके..अब..तु..भी..भासण..म..त..जाड.., क्या हम नामर्द हे? बात करता हे.., यार नसाही उतार दीया चल दोनोका पेग भर.. आजतो पुरी बोतल खाली करनी हे.., भेण--, भरनां..
तब दोनोकोही होस नही रहेता फीरभी महा मुस्कीलसे मुनीम दोनोका पुरा ग्लास भरता हे.. तब दोनोही पीने लगते हे.., तब दुसरी ओर चंपा अपने बेडपे पुरी नंगी होके लेटे हुअे अपनी चुतमे उंगली अंदर बहार करते अपने आपको सरपंचसे चुदवानेके लीये तैयार कर रहीथी..
फीर थोडी देरके बाद चंपा बहार आके दरवाजेके पास खडी रहेते सरपंचको ओर दारु ना पीनेको इसारा करतीहे ताकी वो होसमे रेह सके ओर उनकी चुदाइ अच्छेसे कर सके.., लेकीन आज राघवका मुड खराब था..मुनीम ग्लास खतम होतेही वही लुढक गया..तब चंपा बहार आगइ ओर राघवका हाथ पकडते उसे अपने बेडरुममे लेजाने लगी.. तो राधवभी उनके साथ लडखडाते कदमोके साथ जाने लगा..
चंपा : (धीरेसे) समजतेही नही.., इतनी दारु क्यु..पीली.. होसभी नही हे.., अब क्या खाक करोगे..
राघव : (लडखडाती आवाजमे) अरे डार्लींग.., तुतो कर सकती हेना.. चल सुरु होजा.. क्या मस्त..चुसती..हे..
चंपा : (बेटपे सुलाते) हां.., अबतो सब मुजेही करना पडेगा.., चलो लेट जाओ.. कपडेभी नीकालना पडेगा..
कहेते चंपा राघवके सर्टके बटन खोलने लगती हे.. फीर सर्ट हटाके पेन्टकी क्लीप खोलके पेन्टको थोडा नीचे सरका देती हे..ओर राघवकी चडीका नाडा खीचके उसेभी नीचे करलेती हे तब राघवका मुरजाया लंड बहार आजाता हे तब चंपा उसे हाथमे पकडके सहेलाने लगती हे.., जब थोडा सख्त हुआ तब वो उनकी कमरके पास जुकके लंडको मुहमे भरलेती हे ओर लंडको अंदर बहार करते मुहसेही चोदने लगतीहे..
तब बहारकी ओर आज बहोत ज्यादा दारुकी वजहसे मुनीम बेहोसीकी हालतमे चला जाता हे ओर ये वो दारुथा जो रमेशने उसमे अेक देसी दवाइ मीलाके दीयाथा.. जीनकी वजहसे दवाने अपना काम करना सुरु करदीया था.. दोनोके खुनमे रक्तचाप बढने लगा.., तब राघवकाभी अेकदम रक्तचाप बढ गया ओर लंडमे अचानक तनाव बढ गया.., तो चंपाने मुहसे लंड नीकाल दीया ओर उनकी कमरपे पैर फेलाके बेठ गइ..
फीर अपनी कमरको थोडा उचा करते राघवके लंडको पकडलीया ओर अपनी चुतपे सेट करते धीरे धीरे बेठने लगी ओर पुरा लंटको चुतमे लेलीया फीर हल्का हल्का उछलते लंडको चुतमे अंदर बहार करने लगी ओर आनी आंख आधी चडाके राघवको खुदही गांडको गोल गोल घुमाते चोदने लगी..
थोडीही देरकी चुदाइके बाद वो उछलते उछलते थकने लगी तब राघवके उपर जुकुके पैर सीधे करलीये ओर उनके उपर सते सोतेही कमर हीलाके सोट मारने लगी तो थोडीही देरमे अकडके जडने लगी.. तब राघवके लंडसे पीचकारीया नीकलने लगी.. तब राधव जडनेकछी वजहसे बेहोसीकी हालत मे चला गया..
तब राधवका खुन उनके सरीरमे दोडने लगा ओर सरमे नस फुलने लगी तो राघवको बेहोसीमे ही दोरा पडा उनके मुहसे जाग नीकलने लगे.. तब चंपाने सर उचा करते देखलीया ओर वो गभरा गइ तब फटाफट नीचे उतर गइ ओर अपनी चुतको साफ करके खुदके कपडे पहेनने लगी फीर राघवके लंडको कपडेसे साफ कीया ओर उनके कपडेभी फटाफट सही करदीया.. फीर उनके मुहको पोछने लगी.. फीर बहार चली गइ..
देखातो उनका पतीभी अेसेही हालतमे पडा था उनके मुहसेभी जाग नीकल रहेथे.. ओर उनका सरीर जटके मार रहाथा..तब चंपा अेकदम गभरा गइ उनको समजमेही नही आरहा थाकी क्या करे.. कीसीको बुलाके मदद मागे.., लेकीन कोइ मददके लीये आयेगातो राघवको उनके बेडपे देखेगा तो बदनामी होगी.. इसी डरसे वो फटाफट अंदर चली गइ ओर राघवको उठानेकी कोसीस करने लगी तब राघवके हाथ पैर मुडने लगे..
वो जेसे तेसे करते राघवको खीचने लगी ओर बेडसे नीचे धकेल दीया तब राघवका सर जमीनपे टकरा गया.. ओर वो जेसे तेसे राघवको खीचते बहार तक लेआइ ओर दिवालके सहारे बीठानेकी कोसीस करने लगी तो राघवके नाक ओर कानसे खुन बहेने लगा.. तो वो फटाकसे दरवाजा खोलते बहार दोड पडी ओर अडोस पडोसमे दो तीन मर्द थे उसे बुलाके लाइ तो सब भागके मुनीमके घर आने लगे तो दोनोकी हालत देखके सब गभरा गये.. तब कीसीने देवायतको फोन करके सब जानकारी देदी..
तब देवायत कार लेके जटसे नीकल गया.. तो रास्तेमे उसे भानु घरकी ओर जाते मीला तो उसने भानुकोभी साथ लेलीया जब वहा जाके देखातो चंपा रो रहीथी ओर लोग मुनीम ओर सरपंचको मुनीमके घरकी बहार जोलीमे लेके नीकलते नजर आये.. तो देवायतने उनको फटाफट अपनी जीपमे डालनेको कहा.. जब लोगोने दोनोको जीपमे डाला तब देवायत ओर भानु दोनोको देखने लगे.., तो दोनोही कुछ देरके लीये गभरा गये.., उसेभी अंदाजा नही थाकी सरपंच ओर मुनीमकी अैसी हालत होगी..
तभी चंपाभी जीपमे बेठ जाती हे ओर भानुभी देवायतके पासवाली सीटमे बेठ जाता हे देवायतने चीप सहेरकी ओर भगादी.. आधे घंटेमेही अेक सरकारी बडी होस्पीटलमे पहोच गये वहा भानुने दोनोका केस नीकलवाया तब इमरजन्सीमे दोनोका इलास सुरु होगया तब चंपा अभीभी रो रहीथी.. डाक्टर ओर तीन नर्स दोनोके खुनके सेम्पल लीये ओर कुछ ओर टेस्ट करने लगे तबतक डोक्टर उन दोनोको इन्जेक्शन देने लगा..
देवायत : (चंपाको) भाभीजी ये सब केसे हुआ.., क्या कर रहेथे दोनो.. (हालाकी देवायत सब जानता था)
चंपा : (रोते हुअे) क्या करेगे.. इनकातो रोजका हुआ.., दोनोही दारु पी रहेथे.. पता नही आज कोनसी दारु पीली.., दोनोही आज कुछ ज्यादा पी गयेथे पुरी बोतल खाली करदी.. हें..भगवान.. बचाले इनको..
देवायत : भाभी रोइअे मत सब ठीक होजायेगा.., डोक्टर देख रहेहेनां.. सांत होजाइअे..
चंपा : (रोते) देखा.. दोनोही तुम्हारे दुस्मन हे.. ओर आज तुमही इनको बचाने आ गये.., भगवानने इनको इनकी सजा देदी.., देवरजी हो सकेतो इनको माफ करदो.. सायद भगवान आपकी सुनले..
भानु : (केस नीकलवाके आते) देवा क्या कहेते हे डोक्टर.. येलो.. दोनोके केस..
देवायत : इनका हम क्या करेगे.. जा डोक्टरको देके आ..
डोक्टर : (पास आते) ये दोनोके रीस्तेदार कोन हे..? (देवायतकी ओर देखते) क्या आप हो..?
देवायत : जी..ये रही इनकी पत्नी.. कहीये डोक्टर क्या हुआ हे..?
डोक्टर : देखीये ज्यादा दारु पीली हे सायद जहेरीली हे.. दोनको दीमागका दोरा पडा हे अेम आर आइ करना पडेगा फीर कुछ केह सकतेहे अभीतो दोनोको अेकमीट कर रहे हे आप साइन कर दीजीये..
चंपा : देवरजी आपही करदो.. मे अभागन कहा पढी लीखी हु..
देवायत : लाइअे डोक्टर मे दोनोकी साइन कर देता हु.. ये हमारे गांवके सरपंच हे..
डोक्टर : कमालहे..सरपंचही अेसा करता हे तो दुसरे लोगोको क्या कहे.. लीजीये..कर दीजीये..
तभी देवायत दोनो कागजपे साइन करता हे तभी अेक आदमी अपनी मोटरसाकीलपे राघवकी बीवी रश्मीको लेके आता हे तब रश्मी दोडके आइ ओर राघवकी हालत देखके रोने लगी तब बडी मुस्कीलसे चंपा ओर भानुने उसे सम्हाला.. देवायत डोक्टरके पास था फीर दोनोको अेक सेमी स्पेसीयल रुममे सीफ्ट करदीया तब वो तीनोभी रुममे चले गये ओर बेठ गये तभी दो नर्स उनको ट्रीप लगाने लगी..
रश्मी : (चोर नजरसे देवायतकी ओर देखते) भानुभाइ क्या हुआ था इन दोनोको..?
भानु : कुछ नही भाभी..बस रोजका..दोनो सराब पी रहेथे..लगता हे आज जहेरीली सराब आगइ होगी..
रश्मी : (गुस्से से) अच्छा हुआ.., बहोत पाप कीये हे इन्होने.. कीसीभी बहु बेटीको नही छोडा.. तो भगवानने ही सजा देदी.. अब भुगतने दो..
भानु : भाभी अेसा नही कहेते.., अपतीहे आपका.. गुसा थुकदो..
रश्मी : क्या खाक गुसा थुक दु.., पता हे.. कल मुजे कीतना मारा.. मेरी गलती क्या थी.. बस ये ठाकुर साहबके घर जातीहु इनकी बीवीको मीलने.. बस मुजपे सक करतेहे.. की देवायतजीके साथ मेरा.. छी..
चंपा : (कंधेपे हाथ रखते) छोडीयेना..दीदी.., ये पुरुष लोग होतेहे अैसे, इससेतो अच्छे ये ठाकुर साहब सरपंच थे वोही अच्छा था.., पता नही इनसे क्या दुस्मनी हे.. फीरभी इनको बचाने लेआये..
भानु : भाइ आप लोग बेठीये.. मे इन दोनो भाभीओका खाना बाना लेकर आता हु.. खायाभी नही होगा..
थोडी देरके बाद स्टाफ वाले अेक अेक को लेकर अेम.आइ.आर करने ले गये तबतक भानुभी दोनोका खाना लेकर आगया तब हमने दोनोको जबरदस्तीसे खीलाया तब डोक्टर सब रीपोट लेके आगये..
डोक्टर : आप ठाकुरसाब हेना..? अभी हमारे पास आपकी सीफारीस आइ हे.. मेने दोनोकी रीपोर्ट देखी.. ये.. दोनोकी दीमागकी नसे फट गइ हे.. हम इलाज कर रहे हे ३६ घंटे हम कुछ नही केह सकते.. इनके लीये बहुत भारी हे.. बाय चान्स बचभी गये.. तोभी हमेसाके लीये बीस्तरमेही रहेगे.. सब सुन ओर देख तो सकेते लेकीन अपने आप हाथभी नही हीला सकते अेसी पोजीसन होगी..
देवायत : देखीये डोक्टर.. कोइ स्पेसीलीस्टको बुलाना हे बुला लीजीये चार्ज मे देदुगा.. ये बचना चाहीये..
डोक्टर : ठाकुरसाब हम पुरी कोसीस कर रहे हे.. इनका दीमागही डेमेज हो गया हे.. आपतो समज सकते हे.. बाकी हम आपको परसोही बता सकते हेकी कीतनी प्रोग्रेस हुइ हे.. मुजे नही लगता कोइ चान्स हे..
इतना कहेके देवायतके कंधेपे हाथ रखके डोक्टर चले गये तब चंपा फीरसे आंसु बहाने लगी इस बार उनको रश्मीने सम्हाला.. लेकीन इस बातपे रश्मीको कोइ फर्क नही पडा बस वोतो देवायतकी ओर अेक आस.. भरी नजरोसे देखतीही रहेती थी.. उनको अब सरपंचसे नफरत होने लगीथी जबसे देवायतके संपर्कमे आइथी तबसे देवायतकोही अपना सब कुछ मानने लगी थी.. ओर उसने तैयभी करलीया थाकी अब जींदगी भर देवायतकी रखैल बनकेही क्युना रहेना पडे.. वो इन सबके लीये मन बना चुकी थी..
तभी रातमे देर होजानेकी वजहसे मंजुका देवायतके फोनपे फोन आता हे..तब देवायत उनको सारी बात बता देता हे.. ओर मंजुको देर लगनेकी बात करते कहेता हे
देवायत : मंजु हमे आनेमे देर लगेगी दोनो खाना खाके सोजाना मे रातमे आके सोजाउगा..
मंजुला : लेकीन आपने खानाभीतो नही खाया..
देवायत : अरे वो टेबलपे ढकके रख देना.. मे आके खा लुगा.. वो दया ओर रजीयाभी बेचारी थक गइ होगी.. तु मेरी चीन्ता मत कर.. हमे देर होजायेगी.. भानुभी साथ हे..
मंजुला : चलो तबतो ठीक हे.. रखतीहु फोन.. (फोन काट दीया तब देवायत रश्मीकी ओर देखते)
देवायत : भाभीजी अब आप दोनोभी आराम कीजीये इनकी देखभालके लीये नर्स हे.. अब हम चलते हे..
रश्मी : ठाकुरसाब आपका बहोत बहोत सुक्रिया.., वाकइ आप देवता हो..
चंपा : हां देवरजी अगर जींदगीमे हम कभी आपके काम आ सके तो याद कीजीयेगा..
देवायत : अरे ये आप क्या केह रही हे.. आप दोनोतो हमारे अपने हे.. आपको कोइ तकलीफ नही होने दुगा लीजीये.. ये कुछ पैसे रख लीजीये काम आयेगे.. फीर मे परसो डोक्टरको मीलने आता हु.. तबतक दोनो अपना खयाल रखना.. ओर जरुरत पडे तो कल साम भानु चकर लगाने आजायेगा..
रश्मी : ठाकुरसाब पैसेकी जरुरत नही हे मे लेके आइ हु.. चंपाभाभी को चाहीये तोभी मेरे पास हे..
फीर देवायत ओर भानु दोनो वापस गांवकी ओर चलते हे.. तब भानु देवायतसे बात करता हे..
भानु : भाइ मुजे लगता हे कुछ ज्यादाही हो गया.., इतना सबकुछ होगा अंदाजा नही था..
देवायत : भानु भुलजा सब.. इन मादर--की यही सजा हे.., तुजे पता हे ये सरपंत रमेशकी बीवी ओर उनकी लडकीको भी छेड चुका हे.., ओर रमेशकी लडकीतो बेचारी कोलेजमे पढ रही हे.. ओर घरपे ट्युशन कराती हे.. कीतनी मासुम हे.. भडवा इनके उपर नजर
गडाये बेठा था.. बाकी रही इन दोनो भाभीओकी बात इनको हम सम्हाल लेगे.. वेसेभी हमे हमारे बच्चे सम्हालनेके लीये कोइतो चाहीये था इनको नोकरीपे रख लेगे..
भानु : (हसते) हां.. दोनो काम होजायेगा बच्चेभी सम्हालेगी ओर बच्चेके बापको भी.. हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) कीतना कमीना हे तु.., वेसेभी मुजेतो कबसे सम्हालही रही हे.. क्या फर्क पडता हे.. तुजे पता हे आज सरपंचने रश्मीको बहोत मारा था.. मेने उनके चहेरेपे नीशान देखे.. कीतना हेवान था वो..
भानु : भाइ तबतो इनको अपने पतीसे छुटकारा मील जायेगा.. ओर मील जायेतो अच्छा हे.., भाइ कुछतो होगा.. जो ये दोनो आपके पीछे पडे थे.. आप थोडा डीपमे जाओ..मतलब तहेकीकात करो..
देवायत : (हसते) ठीक हे.. आगे देखते हे.. क्या होता हे.. अभीतो खरीदी करने जाना हे..इनके बारेमे सोच..
भानु : भाइ सोचना क्या हे..जब जाना हो.. केह देना मे लताको तुम्हारे साथ भेजदुगा..
अेसीही बाते करते दोनो गांव आजाते हे तब भानु अपनी जीप लेके चला जाता हे ओर देवायत कार लेके घर आजाता हे तब रातके ११ बज चुकेथे.. सब सो चुके थे तो देवायत धीरेसे आवाज ना करते अपने रुमका दरवाजा खोलके देखता हे.., मंजु गहेरी नींदमे सो चुकीथी तो धीरेसे दरवाजा बंध करके चंदाके रुमकी ओर बढता हे वहाभी धीरेसे दरवाजा खोलके देखता हे तब चंदाभी अपने सरपे हाथ रखके लेटी हुइथी
तो वहाभी दरवाजा धीरेसे बंध करके डाइनींग टेबलपे आके बेठ जाता हे.. तभी पीछे कीसीका होनेका आभास हुआ.. पीछे मुडके देखातो चंदा उनके पीछे खडीथी.. वो अेसेही जागते देवायतका वेइट कर रहीथी जब दरवाजेकी आहट हुइ तब उसने देवायतको देख लीया था तो उठके पीछे आगइ.. ओर देवायतके पासकी चेरपे बेठ गइ.. ओर देवायतको खाना परोसने लगी.. फीर अपने हाथोसे देवायतको खीलाने लगी.. तो देवायतभी चंदाको अपने हाथोसे खीलाता रहा दोनो अेक दुसरेको खीलाते रहे..
देवायत : (धीरेसे) क्या अभी तक जाग रही हो..?
चंदा : (धीरेसे खाना खीलाते) हां जब तक मेरा पती नही आता नींद कहा आती हे.., बहोत देर करदी..?
देवायत : नही चंदा अेक होस्पीटलके काम गया था इसीलीये देर होगइ.., क्या मंजुने खाना खा लीया..?
चंदा : हां खीला दीया.., आज कल मेरी बहोत चीन्ता करती हे.. हें..हें..हें..
देवायत : केसी चीन्ता..? क्या आपको कोइ प्रोबलेम हे..?
चंदा : नही नही.., कहेती थी मौसी आप सादी करलो भाडमे जाये दुनीया ओर ये रीवाज.., कहेतीथी धिरेनको मे समजा दुगी.., आप पुरी जींदगी अकेले केसे काटोगी..? कहोतो मेरी सैतन बनादु.. हें..हें..हें.. पता नही क्या क्या कहेती थी.. मुजेतो बहोत सरम आइ.. कैसा मजाक करती थी..
देवायत हसते) अच्छा अैसा कहा..? तो फीर आजा.. करले मुजसे सादी.. हे..हें..हें..
चंदा : (सरमाके हसते) अब आपभी मजाक करो.., अरे बाबा हमने सादीतो करली हे.. बेचारी.., देवु मुजे आज उनको धोखा देना बहोत बुरा लगा.. कास मेरी भांजी ना होके मेरी सगी बहेन होती..
अेसीही प्यार भरी बाते करते दोनो खा लेते हे फीर चंदा उसे हाथ पकडके अपने रुममे लेजाती हे.. तब अेक रुममे खीडकीसे दोनोको अेसे अेक दुसरेको खाना खीलाते बाते करते देख रहीथी जो उनकी बाते साफ रातके सनाटेमे सुन रहीथी, वो आंखे उन दोनोका प्यार देखके खुसीके मारे गीली होगइ, वोथी मंजुला.. जो देवायतको देखने खीडकीके पास आइथी की देवायत आगया की नही..
तब बहार डाइनींगपे चंदा ओर देवायतको अेक दुसरेको खीलाते वही खडी रहेके देखती रही.. आज उसे अपने पतीको सम्हालनेके लीये सौतन मील गइथी फीर अपने बेडपे जाके लेट गइ ओर दोनोके बारेमे सोचती रही.. उनको देवायतकी दुसरी सादीसे कोइ अेतराज नही था.. वो मनही मन खुस होते चंदाको अपनी सौतन बनानेका मन बना चुकीथी लेकीन अभी ये बात दोनोके सामने जाहीर होने देना नही चाहती थी..
तब बाजुके रुममे आज चंदा ओर देवायत दो जीस्म अेक जान होगये थे दोनोही प्यारके आगोसमे गोते लगा रहेथे तब चंदा देवायतके नीचे लेटके मदहोसीमे देवायतके हर धक्केको आह.. की आवाजके साथ बरदास्त कर रहीथी.. दोनोही कामुक होके अेक दुसरेमे समा जानेकी कोसीस कर रहेथे.. चंदा देवायतकी पत्नी होनेका हर सुख देवायतसे बटोर रही थी.. अब उसे धिरेनको पता चलनेका डर कम हो गयाथा..
तब दुसरी ओर भानुके गांवभी आज कामदेव अपने फुलोके बान लेके लताके रुममे बीराजमान थे.. जब भानु घर पहोचा तब भावना ओर सरला सो चुकीथी लेकीन लता कामाग्नीमे जलती जाग रहीथी वो पुरी तराह नंगी होकर बेडपे भावेसको लेकर लेटी हुइथी.. भावेशको उनके बगलमे लीटाके अेक हाथ नीचे लेजाते ओर आधी आंख चडाके चुतको सहेला रहीथी..
लता आंख बंध करते लखनके साथ सुहागरातको इमेजींग करते जोरोसे सीसकारीया कर रही थी.. तब उनको पता नही थाकी भानु अंदर आ चुका हे.., ओर सीसकारीयोकी आवाज सुनके उनके रुमकी खीडकी के पास खडा रहेके उनकी सारी रासलीला अपनी आंखोसे देख रहा हे.. तब लताने अेक उंगली अपनी चुतमे घुसादी ओर जोरोसे अंदर बहार करने लगी
तब देवायतका लंडभी खडा होने लगा.. ओर लंडको नीकालके हाथसे सहेलाते हीलाने लगा.. उनको आज रुममे अपनी बहेन लता नही कामदेवकी मुरत रती नजर आ रहीथी.. भानु अपना सब होस खो चुकाथा.. वो अंदर जाने लगा..
जेसेही लताने दरवाजा खुलनेकी आवाज आइ वो चोकनी होगइ ओर दरवाजेकी ओर देखती रही तब भानु अपना लंड हीलाते जटसे लताके बेडकी ओर आगया ओर बेडके कोनेपे बेठ गया तब लताने जटसे गभराते हुअे आनन फाननमे चदरको अपने उपर डालदी फीरभी उनके बुब्स बहार नजर आ रहेथे तब देवायत ने जोरोसे मुठ मारते अपना अेक हाथ लताके बुब्सपे रख दीया.. ओर जोरोसे मसलने लगा..
लता : (गभराते दुर खीसकते) भैया..ये आप क्या कर रहेहे..? ये गलत हे.. मे आपकी बहेन हु..
भानु : (जोरोसे मुठ मारते कामुक आवाजमे) लता.. सीइइ कुछ..मत.. बो..ल..मु..जे.. करने..दे..
लता : (गभराते धीरेसे) लेकीन भाइ मे आपकी बहेन हु.., ये गलत हे..
तब भानु पुरी तराह अपना होस खो चुका था वो जटसे खडा होगया ओर भावेशको जटसे जुलेमे डाल दीया.., तब लता उसे देखतीही रहीकी भाइ क्या कर रहा हे.. तब अचानक भानु बेडपे चड गया ओर लता कुछ समजे इसे पहेले उनको खीचके सरके पास बेठ गया ओर लताके सरको पकडके अपना लंड सीधेही उनके मुहमे घुसा दीया.. ओर धनाधन लंडको अंदर बहार करते लताके मुहमे चोदने लगा..तब लताकी हालत पतली होने लगी.. ओर उनकी आंख बडी होने लगी, उनको कुछ समजमे आये इसे पहेलेही भानुके लंडने मुहमे ही विर्यकी पीचकारीया मारनी सुरु करदी.. तब लताका पुरा मुह भर गया.. उनकी आंखमे आसु आ गये..
जब भानु पुरी तराह जड गया तब उनको होस आयाकी मेने क्या करदीया.., उसने फोरन अपना लंड लताके मुहसे नीकाल दीया.. तब लता ने वही जुकके सब माल मुहसे थुकते बेडसे उतरने लगी ओर बहारके बाथरुममे भाग गइ वहा उल्टीया करने लगी तब भानु जटसे पेन्ट सही करते अपने रुममे चला गया ओर भावनाके पास लेट गया.. तभी लताके खासने ओर उल्टीकी आवाज सुनके सरला जटसे जाग गइ ओर उठके बहार देखने लगी तब उसे बाथरुमसे लताके उल्टोयोकी आवाज आ रहीथी.. तो उसने बहारसेही पुछा..
सरला : बेटा क्या हुआ.., क्यु उल्टीया कर रही हे तबीयत ठीक नही हे क्या..?
लता : (गभराते मुह साफ करते) नही मां.. बस उल्टी जेसा लग रहा हे.. बल वो सेन्डवीच खाइथीना.., (लताने जुठ बोला वो अभी भानु ओर उनके बीचकी बात छुपाना चाहती थी)
सरला : मना कीयाथा क्यु सडी हुइ वासी सेन्डवीच खा रहीथी.. क्या भानुको उठादु.. ज्यादा तबीयत खराब हेतो डोक्टरके पास लेजायेगा..
लता : (जटसे) नही नही.. मां अभी उल्टीया हो गइ हे, ठीक हो जाउगी.. आप सो जाओ..
वो मुह धोते मनमे सोचती रहीकी तेरे भानुकी वजहसेही ये सब माजरा हुआ हे.. वो ये बात कीसीको कहेना नही चाहती थी.. क्युकी मनके अेक कोनेमे उनकोभी अच्छा लगाथा की उनकी महेनतके बगैरही आज भाइने उनकी मुहमेही कुटाइ करदीथी.. फीरभी इनको भानुकी इस हरकतको बरदास्त नही करनेका फैसला करलीया.. लताको भानुकी इस हरकतपे घीन आने लगी.. फीर बहार आके सीधेही अपने रुममे चली गइ..
ओर बेडपे लेटते सोचने लगी.. आज भाइको क्या होगया वो अंदर केसे आ गये? मेरी ही गलती हे मे कभी दरवाजा लोक करते नही सोती.. तब वो उठके दरवाजा लोक करके आ गइ ओर फीरसे बेडपे लेटते सोचने लगी की आज भाइने जोभी कीया सब गलत था उनको भानुपे गुसा आने लगा उनको लगने लगाकी अबतो जटसे इस घरसे छुटकारा मील जायेतो ही बहेतर हे.. वो अब लखनको मीलनेके लीये बेताब होने लगी
तब दुसरी ओर भानुभी गभराके सोच रहाथाकी कही लता कीसीको बता नादे उनकीही गलती हे.. लता अब जवान हो गइ हे तो ये सब करना जाहीरसी बात हे अब लताकी जल्द से जल्द सादी करदेनी चाहीये.. मे सगाइके दीनही सादीका तैय करलुगा अब मुजे ओर रीस्क नही उठाना कही लताके कदम गलत रास्ते चले गयेतो हमारी इजत मीटीमे मील जायेगी यही सब सोचते उसे पताही नही चला कब नींद आ गइ..
उधर देवायतभी चंदाके साथ दो बार जबरदस्त चुदाइ करके अपने रुममे आगया ओर मंजुलाको पीछेसे बाहोमे भरके सोने लगा तब मंजुलाभी करवट लेके देवायतमे सामने मुह करके पलट गइ ओर देवायतके सीनेमे सर छुपाके उसे होंठोपे कीस करते बाहोमे भरके सो गइ.., तब देवायतभी हसते उनके सरको सहेलाता कब सो गया उसे पताही नही चला....
कन्टीन्यु