रजीया : (मुस्कुराते) दीदी.. कैसी रही आप दोनोकी सुहागरात..? हमारे पतीसे अच्छेसे मील लीया..? मेने ले लीयाना कल वाली मजाकका बदला..? कैसा हे मेरे पतीका हथीयार..? हें..हें..हें..
सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) अरे रजोदीदी.. पुछोही मत.. अैसा बदला कोइ लेता हे क्या..? आपको क्या बताउ..? अैसी सुहागरात तो मेरी देवुके साथ भी नही हुइ थी.. हमारे पतीने पुरी रात सोने नही दीया.. ओर सुबह सुबह भी दो बार मेरी कुटाइ होगइ.. अभी भी नीचे जलन हो रही हे.. क्या ये तुम्हारे ओर लताके साथ भी अैसा करते थे..?
रजीया : (सरमाते धीरेसे) हां दीदी.. क्या बताउ.. इतका बस चले तो उनको सारा दिन यही करना हे.. बहुत ठरकी हे.. लेकीन हमे मजा भी बहुत देते हे.. चलीयेना अंदर.. क्या मे गरम पानसे सीकाइ करदु..?
सृती : (सरमाते धीरेसे) नही रजुदीदी.. थेन्क्स.. मे अेक पेइन कीलर लेलुगी.. तो साम तक ठीक होजाउगी.. आज तो इनको मेरे पास भटकने भी नही दुगी.. मेरी पुरी मुनीया सुजादी..
रजीया : (बाल बनाते) दीदी.. अब इनसे जीतना भी दुर रहेनेकी कोसीस करलो.. आप नही रेह पाओगी..
सृती : (सरमाते मुस्कुराते) दीदी.. सही केह रही हे आप.. मेरा तो अभी भी उनसे दुर रहेनेका मन नही हे.. रजुदीदी.. इनको कहीयेना मुजे आज नीचे बीठादे.. यहा अकेली अकेली बोर हो जाउगी.. कमसे कम वहा आपसे बाते तो होते रहेगी.. मे सोफेपे बैठ जाउगी..
रजीया : (खडी होते) दीदी अब आपको डोक्टरने थोडा थोडा चलनेको कहा हे.. तो प्रेकटीस कीजीयेनां..
सृती : (मुस्कुराते) हंम.. चलो ठीक हे.. मे नीचे चलुगी.. आपके पास आउगी कीचनमे.. मुजे चेर चाहीये..
रजीया : (मुस्कुराते) दीदी.. आप हमारे पतीको क्या समजती हे..? वो कल साम आपके लीये वोकर लेकर आये हे.. हें..हें..हें.. नीचे रखा हे..
सृती : (खुस होते हसते) क्या..? हां उनको पता हे मुजे डोक्टरने चलनेके लीये कहा हे.. हें..हें..हें..
फीर रजीया लखनको बुलाती हे.. तो लखन सृतीके होठ चुमकर उसे गोदमे उठालेता हे.. फीर नीचे जाकर सीधा डाइनींगपे बीठा देता हे.. ओर वहा तीनो चाइ नास्ता करने बैठ गये.. रजीयाने आज आलुके पराठे बनाये थे.. बीच बीचमे लखन रजीया ओर सृतीको खीलाता हे.. तो दोनो खुस होजाती हे.. सृती भी लखनको खीलाती हे.. तीनो बाते करते चाइ नास्ता करते रहे.. तब..
लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. कैसा लगा बर्थडे गीफ्ट..? मजा आयाकी नही.. हें..हें..हें..
सृती : (सर्मसार होते लखनकी जांगपे मुका मारते) कीतने कमीने हो आप.. कमसे कम रजुदीदीका तो खयाल करो..
रजीया : (हसते) दीदी.. अबतो आप मेरी सोतन होगइ हे.. ओर सौतने भी आयेगी.. तो अब हम सबके बीच कैसा पर्दा..? बीस्तरमे तो हम सब साथ ही होगी.. अब सरमानेसे कोइ फायदा नही.. बताओनां..?
सृती : (सरमाकर हसते) भाइ.. सच कहु..? मेरी पुरी लाइफमे ये सबसे बेस्ट गीफ्ट थी.. बस.. हमे अैसे ही प्यार देते रहेनां..
लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. पुनोदीदीको आने दीजीये.. तब आपके लीये अेक ओर सरप्राइज हे..
सृती : (हसते) भाइ.. अब आप भी उस राजाकी तराह सरप्राइज देने लगे..
लखन : (मुस्कुराते) हां वो बडा भाइ था मेरा.. तो उन्हीसे सब सीखा हु..
सृती : (मुस्कुराते) भाइ.. बतादोना.. क्या सरप्राइन देने वाले हो..
लखन : (मुस्कुराते) कीतनी भोली हो.. बीलकुल मेरी मालतीकी तराह.. वो भी अैसा ही पुछती थी.. क्या आपको सरप्राइजके बारेमे नही पता..? हें..हें..हें..
कहा तो सृतीकी आंख छलक गइ.. ओर वो बैठेकी लखनकी बाहोमे समा गइ.. ओर आंसु बहाने लगी.. उनको बबलु मालतीकी पुरी कहानी याद आने लगी.. वो कैसे बबलुको छोडकर उन राजाकी ओर ढलने लगी थी.. सृतीको सबकुछ याद आने लगा.. बस उसी गलतीकी वजहसे इस जन्ममे उनको देवायतसे सादी करनी पडी.. लेकीन अब ये गलती वो दुबारा नही करना चाहती थी..