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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २४९

लखन मुस्कुराने लगा.. ओर खडा होकर सृतीको बेडपे लीटा दीया ओर खुदभी उनकी बगलमे लेट गया.. तो सृती सरमाकर लखनकी ओंखोमे देखने लगी.. ओर लखनके हाथोमे उंगलीया फसाली.. लखनने सृतीकी ओर करवट लेली.. तो सृती भी लखनकी ओर करवट लेकर उनके सामने होगइ.. दोनो अ‍ेक दुसरेकी आंखोमे देखने लगे.. ओर धीरे धीरे करते दोनोके चहेरे नजदीक आगये....अब आगे

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ओर आखीर दोनोके होठ मील गये.. लखन बडे ही प्यारसे सृतीके होठोको चुमने लगा.. तो सृती भी प्यारसे लखनकी ओंखोमे वासना भरी नजरोसे देखते उनके होठोको चुमने लेगी.. अंदरसे सृती बहुत ही उतेजीत हो चुकी थी.. अब उनसे थोडासा भी सब्र नही हो रहा था.. ओर वो लखनकी आंखोमे देखते उनके सर्टके बटन खोलने लगी.. तो लखन भी उनकी नाइटीको नीकालने लगा..
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सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) भाइ.. आज सबकुछ होजाने दो.. मे बहुत प्यासी हु.. मीटादो मेरी प्यास..

लखन : (सामने देखते मुस्कुराते) दीदी.. अगर आप मेरी भाभी होती तो बहुत संकोच होता.. लेकीन अब आप मेरी दीदी हो.. मेरी मालती.. आज आपको छोडने वाला नही हु..

दोनो ही अ‍ेकदुसरेकी ओखोमे देखते अ‍ेक दुसरेके कपडे नीकाल रहे थे.. कुछ ही देरमे दोनो बीलकुल नंगे होगये.. सृतीकी चुत काफी गीली होचुकी थी.. तो लखनका लंड हवामे उपरकी ओर जटके मार रहा था.. ओर उनमेसे प्रीकम बहार नीकल रहा था.. जो अंधेरेमे भी चमक रहा था.. जीसे देखकर सृतीसे रहा नही गया.. ओर सृतीने उसे अपनी मुडीमे पकड लीया.. फीर बगलमे आकर होले होले उपर नीचे करते सहेलाने लगी..

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सृती : (मुस्कुराते) भाइ.. जडी बुटीकी वजहसे ये वाकइ बहुत बडा हो गया हे.. मुजे कुछ होगा तो नही..?

लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. हमारी सुहागरात हे.. तो कुछ भी हो सकता हे.. अब डरनेसे कोइ फायदा नही.. क्युकी आज मे कीसी भी तराह आपको छोडने वाला नही हु..

सृती : (सर्मसार होते हसते) भाइ.. आपको सचमे मुजे डरा रहे हो.. अब बाते मत करो.. आजाओ मेरे उपर.. मे कबसे आपके साथ मीलन करनेके लीये तरस रही हु.. मुजे ओर मत तडपाओ..

कहातो लखन आहीस्तासे अ‍ेक पैर सृतीकी कमरपे डालते धीरेसे सृतीके उपर चड गया.. तो सृतीने अपने दोनो पैर फैलादीये.. ओर लखन सृतीके बुब्सके साथ खेलते उनके होठोको तो कभी उनके बुब्सकी नीपलको चुमने लगा.. सृती मदहोस होने लगी.. वो आंखोकी पुतलीया पलटते अ‍ेक हाथ लखनकी गरदनमे डालकर दुसरे हाथसे लखनकी पीठ सहेलाने लगी.. ओर बीच बीचमे लखनके तनको अपने तनपे दबाने लगी.. जैसे केह रही हो मुजमे समा जाओ..

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लखन : (बुब्सको चुमते) दीदी.. आपके बुब्स बहुत ही मस्त हे.. ना छोटा ना बडा.. मेतो इनका दीवाना हो गया.. देखना मे अ‍ेक दिन इनका दुध पीउगा.. मेरी दीदीका दुध..

सृती : (मदहोसीमे धीरेसे) सीसस... आह.. भा..इ.. पी लेना.. जब मेरा बच्चा होगा.. भाइ.. अब ओर बरदास्त नही होता.. डालदो अंदर.. ओर नीचे अपनी बीवी होनेकी महोर लगादो.. आज मे मेरे भाइकी बीवी होजाउगी.. आजसे मे अपना ये तन आपको सोंपती हु.. अब इस तनको ओर कोइ हाथ नही लगायेगा..

लखन : (गलेको चुमते धीरेसे कानमे) दीदी.. मेरी फेन्टासी मेरी बीवीकी चुतमे महोर लगानेकी नही हे.. मेरी बहेनकी चुतपे महोर लगानेकी हे.. जो इस वक्त मेरी बडी बहेनकी चुतमे लगाने जा रहा हु.. ओर कुछही दिनोमे दुसरी बहेनकी चुतपे लगा दुगा.. दीदी.. क्या मस्त चुत हे आपकी.. मेतो पागल होजाउगा..

सृती : (कामुक्तासे जोरोसे बाहोमे भीचते) हां भाइ.. आपको पागल करने ही बुलाया हे.. तो फीर आज चोदलो अपनी बहेनको.. जब दुसरी आये तो उनको भी चोद लेना.. अब हम दोनो बहेन अपने भाइसे साथमे ही चुदवायेगी.. अभी चोदलो मुजे.. बहुत तडपाया हे आपने मुजे.. उस दिन घरपे मुजे लेने आये थे.. तो भाग क्यु गये..? आजाते अंदर.. मे तब ही आपसे चुदवानेके लीये रेडी थी.. उस दिन चोद लेते मुजे.. मे मना नही करती..

लखन : (मुस्कुराते) नही.. क्युकी मे आपको ओर तडपाना चाहता था.. तभी तो आज आप मुजसे इतना प्यार करती हो.. चलीये अब बाते बादमे.. पहेले मे मेरी बहेनसे प्यार तो करलु..

दोनो ही कामुक्त सब्दका इस्तमाल करते अ‍ेक दुसरेको प्यार करनेमे उक्सा रहे थे.. सृतीके उपर वासना पुरी तराह हावी हो चुकी थी.. तो दुसरी ओर लखन बडे ही सावधानीसे आगे बढ रहा था.. जब सृती बेकाबु होने लगी.. ओर लखनको बार बार चोदनेकी मनते करने लगी.. तब लखन धीरे धीरे चुमते नीचेकी ओर सरकने लगा.. ओर सृतीके बुब्सको मसलते उनकी चुतपे मुह लगा देता हे..

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dilavar

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तो सृती अ‍ेक बार कांप जाती हे.. लखन सृतीकी चुतके दानेको अपनी जीभसे खरोदने लगा.. तो सृती पागलो जैसी होने लगी.. ओर वो अपनी कमर हीलाते लखनके बालोको खीचने लगी.. इस फोरप्ले खेलमे लखन काफी माहीर था.. वो कीसी भी लडकी या ओरतको अ‍ेसे ही फोरप्लेय खेलते चुदवानेके लीये मजबुर कर देता.. ओर आज भी वो सृतीको हमेसाके लीये उनकी दिवानी बनाना चाहता था..
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सृती : (कामुक्त आवाजमे मनते करते) आइइ.. आह.. आह.. सीसससस... भा..इ.. मत ..करो.. मे पागल होजाउगी.. अब आजाओ मेरे उपर.. आइइइ.. सीससस... अंह.. अंह.. उइइइइ.. भाइ.. प्ली..ज.. अब चोदलो मुजे.. नही रहा जाता.. अंह.. अंह.. भाइ.. अपनी बहेनको चोद लीजीये.. सीइइइ...
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सृती लखनको चोदनेके लीये मनते करती रही.. ओर लखन उनके बुब्सको मसलते उनकी चुतको खरोदता रहा.. तो कुछ ही देरमे सृतीका तन अकडने लगा.. ओर वो अपनी कमर उछालने लगी.. उसने जोरोसे लखनके बालोको खीचा ओर अपनी कमरको जटके मारते जडने लगी.. तो लखनका पुरा मुह सृतीके पानीसे भीग गया.. फीर भी लखन उनकी चुतके रसको चाटता रहा.. सृती उनकी ओर देखते बहुत ही सर्मसार होगइ..
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सृती : (कामुक्तासे देखकर सरमाते धीरेसे) भाइ.. मत चाटो इसे.. बहुत गंदा हे..

लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. ये गंदा नही.. मेरी दीदीका अमृत रस हे.. जब आपका पैर सही होजाये ओर हमारी सादी होजाये तब आप दोनोको भी मेरा अमृत रस पीलाउगा.. आप तैयार रहेना..

सृती : (सरमाते हसते धीरेसे) भाइ.. अ‍ेक बार तो पीला दीया था.. वो क्लीनीकपे.. आप पुनो दीदीके साथ कहा तक आगे बढे..? कुछ कीया की नही..?

लखन : (खडा होते) नही दी.. हमे कीससे आगे बढनेका मौका ही नही मीला.. तो कहासे आगे बेढेगे.. अभी तो हम फोन सेक्स से ही काम चला रहे हे.. उन्होने भी सादीसे पहेले मीलनेका वादा कीया हे.. देखते अब हम कैसे मीलते हे.. मे मुह साफ करके आता हु..

सृती : (थोडी देरके बाद मुह साफ करके वापस आया तब) भाइ.. दो तीन दिनमे वो यहा खरीदी करने आ रही हे.. कहोतो मे आप दोनोके मीलनका इन्तजाम करदु..? हंम..?

लखन : (पास आकर लेटते होठोको चुमते) दीदी.. साथमे दया भाभी ओर भावना भाभी भी होगी.. तो कैसे..? आइ मीन.. यहा पोसीबल नही हे.. ओर उनमे टाइम भी बहुत लगेगा.. आप समज गइनां..?

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सृती : (हसते होठोको चुमते) भाइ.. मे कुछ जुगाड कर लुगी.. ओर आप दोनोके मीलनेका इन्तजाम भी हे.. तो आप फीकर मत करो.. मे पुनो दीदीसे बात करलुगी.. आप दोनो वहा चले जाना..

लखन : (बुब्सको चुमते) लेकीन कहा..?

सृती : (लखनको अपने उपर खीचते हसते धीरेसे) हे अ‍ेक जगह.. आपके लीये सरप्राइज होगी.. हें..हें..हें.. बस.. आप तो अब पुनो दीदीको मीलनेके लीये तैयार रहीयो.. ओर अभी तो इस बहेनको खुस करदो..

कहातो लखन खुस होते सृतीके बुब्सको मसलते उनके होठोको चुमने लगा.. तो सृती अ‍ेक बार फीर उतेजीत होने लगी.. वो जल्द से जल्द लखनका लंड अपनी चुतमे लेना चाहती थी.. तो सृतीने हाथ नीचे लेजाकर लखनके लंडको पकडलीया.. ओर अपनी चुतपे घीसने लगी.. तो लखन भी उतेजीत होते सृतीके गलेको चुमने लगा.. सृती बहुत ही मदहोस होने लगी..

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ओर उसने लंडको घीसते घीसते जब गीला हो गया.. तो अपनी चुतके लव होलमे फसा दीया.. ओर लखनकी नीतंबपे हाथ रखकर अपनी चुतपे दबाने लगी.. जैसे केह रही हो.. अब लंडको चुतमे घुसादो.. लेकीन लखनको पता था क्या होने वाला हे.. तो लखनने सृतीके दोनो हाथके पंजोमे उंगलीया फसाकर पकड लीया.. ओर सृतीके होठोको चुमते लीपलोक करलीया.. तो सृतीकी आंख बडी होगइ..
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वो समज गइकी अब वो घडी आगइ हे.. जीनका वो कइ दिनोसे इन्तजार कर रही थी.. वो लखनकी आंखोमे देखती रही.. जब लखनने लीपकीस करते उनकी ओर देखा तो सृतीने गरदन हांमे हीलाते लखनको लंडको घुसानेकी मुक सहेमती देदी.. ओर लखनने अ‍ेक जोरका जटका मारा.. तो आधा लंड सृतीकी चुतको चीरते अंदर घुस गया.. तो सृतीकी जोरोकी चीख नीकल गइ.. जो मुहमे ही दब गइ..
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सृतीकी आंखसे आंसु नीकलने लगे.. वो छटपटाने लगी.. वो कुछ समज पाती इनसे पहेले ही लखनने अ‍ेक ओर जटका मार दीया.. तो लखनका पुरा लंड सृतीधी चुतमे घुस गया.. सृती जोरोसे चीखते बेहोस होगइ.. ओर लखनने उनके दोनो हाथ छोड दीये ओर लीपलोक छुडालीया.. फीर हाथके बल उचा होते सृतीको जोरोसे कमर हीलाते चोदने लगा.. सृतीके दोनो बुब्स तालमेलमे उछलने लगे.. ओर सृती बेहोसीमे चुदने लगी..
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dilavar

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अ‍ैसा नही थाकी सृती पहेली बार चुदवा रही हो.. वो देवायतके बडे लंडसे काफी बार चुदवा चुकी थी.. लेकीन जबसे वो देवायतके साथ रीलेशन खतम करके आइथी तबसे वो लंडके लीये तरस रही थी.. जीसे उनकी चुतमे कसाव हो गया था.. ओर दुसरा.. देवायतके लंडसे लखनका लंड थोडा मोटा भी था.. जो सृतीके लीये उनको जेलना आसान बात नही थी.. इस बातको रमा भाभी तीन दिन बीस्तरमे आराम करते भली भांती जान चुकी थी..
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लखन काफी देर तक सृतीको चोदता रहा.. तभी धीरे धीरे करते सृतीको होस आने लगा तो लखनने चुदाइ रोकदी.. ओर सृतीके उपर लेटते उनके होठोको चुमने लगा.. सृतीकी अंखोसे आंसु बहेने लगे.. उसने देखा तो लखन उनके उपर लेटते पुरी तराह छाया हुआ था.. ओर उनका लंड अपनी चुतमे जड तक धुसा हुआ था.. तो वो लखनसे नजरे चुराने लगी..
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उनको अ‍ैसा लगता थाकी उनकी चुतमे बहुत बडा डंडा घुसा हो.. जो धीरे धीरे जटके मार रहा था.. ओर आखीर कुछ देरके बाद सृतीका दर्द कम हो गया.. तो वो नजरे चुराते लखनकी ओर देखने लगी.. ओर धीरे धीरे लखनकी पीठ सहेलाने लगी.. फीर पीठ सहेलाते लखनके बदनको अपने तनसे दबाते चीपकानेकी कोसीस करने लगी.. तो लखन समज गयाकी अब मामला बीलकुल सही हो गया हे..

सृती : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. वाकइ आपको जेलना इतनी आसान बात नही हे.. रमा भाभीकी तराह आपने मेरी भी चीखे नीकलवादी.. मुजे बेहोस तक करदीया.. भाइ.. आपका बहुत बडा हे..

लखन : (सृतीके होठ चुमते) दीदी.. ये सीर्फ मेरी दोनो बहेनेके लीये ही हे.. क्या अंदर हेतो आपको मजा आ रहा हे..? हंम..?

सृती : (जोरोसे बाहोमे भीचते धीरेसे) हां भाइ.. बहोत.. बहोत मजा आ रहा हे.. भाइ.. अब धीरे धीरे सुरु करो.. बहुत मन हो रहा हे..

कहा तो लखन धीरे धीरे कमर हीलाते सृतीको चोदने लगा.. तो सृती मदहोस होने लगी.. जैसे वो लखनके साथ हवामे उड रही हो.. वो आंखोकी पुतलीया पलटते चुदाइका मजा लेने लगी.. हर बार लखनका लंड सृतीकी बच्चेदानीसे टकरा रहा था.. जीसे हर सोटके साथ सृतीकी आहे नीकल जाती थी.. जीतना मजा उनको देवायतसे चुदवानेमे आता था इनसे कइ गुना ज्यादा मजा लखनसे साथ चुदवानेमे आने लगा.. उनका मुह खुला ही रेह गया.. ओर लखनकी ओर देखते जटकेको जेलती रही..

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लखनने थोडी स्पीड बढाइ.. ओर थोडा जोरोसे चोदने लगा.. तो सृतीने अचानक लखनको अपनी बाहोमे भीचलीया.. ओर उनके होठोसे लीपलोक करलीया.. फीर अपनी कमरको जटके देने लगी.. तभी लखनको अपने लंडपे गरमाहट महेसुस हुइ.. ओर वो उतेजनामे कांपने लगा.. वो बहुत ही अ‍ेक्साइटेड होगया.. ओर सृतीको जोरोसे कमर हीलाते चोदने लगा.. तो सृती हल्कासा चीखने लगी..
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दोनोके बीच घमासान चुदाइ होने लगी.. सृती जीतनी बार जडती लखनको अपनी बाहोमे भीच लेती.. आज लखनने तीन तीन बार सृतीको जडा दीया.. ओर अभी भी सृतीकी धमाकेदार चुदाइ जारी थी.. दोनो काफी देरसे चुदाइ कर रहे थे.. तभी लखनका तन कांपने लगा.. ओर वो जोरोसे सृतीसे चीपक गया.. तो सृती भी लखनको अपनी बाहोमे कस लेती हे.. ओर लखनसे लीपलोक करलेती हे..
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तभी लखनने पुरा लंड सृतीकी चुतमे जड तक घुसा दीया तो सृतीकी चीख नीकल गइ.. ओर उसे अपनी बच्चेदानीपे गरम गरम महेसुस होने लगा.. लखन अपनी कमरको जटकाते सृतीकी चुतमे पीचकारीया मारते अपना गाढा पानी उडेल रहा था.. तो सृती भी कांपने लगी.. ओर वो भी लखनके साथ जडने लगी.. फीर कुछ देरके बाद दोनो सांत होगये.. ओर लखन सृतीके सीनेपे ढेर हो गया..
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दोनो पसीनेसे तरबोर हो चुके थे.. ओर सृती लखनकी पीठ ओर उनके बालोको सहेला रही थी.. वो अपना मुह दुसरी ओर करते लखनसे नजरे चुरा रही थी.. आखीर आज सृती लखनसे चुद ही गइ.. उसे अपनी चुतमे अब भी लखनका लंड सख्त महेसुस हो रहा था.. जो अभी भी रेह रेहके अंदर जटके मार रहा था.. सृती लखनकी स्टेमीना देखकर बहुत ही खुस होगइ.. तभी लखनने उनकी आंखोमे देखा..
 
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dilavar

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सृती : (नजरे चुराते सरमाते धीरेसे) भाइ.. अ‍ैसे ना देखो.. मुजे बहुत सरम आ रही हे..

लखन : (जोरोसे बाहोमे भीचते) दीदी.. मुजे तो अब भी ये अ‍ेक सपने जैसा लग रहा हे.. मुजे यकीन नही हो रहा की मेने मेरी दीदीको चोद लीया हे.. ओर अभी भी उनके उपर लेटा हु..

सृती : (सरमसे पानी पानी होते धीरेसे) भाइ.. मुजे भी.. ये आपकी कैसी फेन्टासी हे..? जो हमे जीदगी भर आपकी बीवी बनकर नही.. आपकी बहेन बनकर आपसे चुदवाना पडेगा..

लखन : (मुस्कुराते धीरेसे कानमे) हां.. कमसे कम बीस्तरमे तो आप दोनो मेरी बहेन ही रहेगी.. बाकी आप दोनो जो समजो.. हें..हें..हें.. देखना आज आपको पुरी रात सोने नही दुगा..

सृती : (सर्मसार होते मुस्कुराते) हां.. वो तो जब आपने हमारी सुहागरात कहा तब ही मे समज गइ थी.. की आज मेरी खैर नही.. भाइ.. आज मेरे पैरकी वजहसे मे कुछ कर नही पाउगी.. वरना आपकी हर फेन्टासी मे पुरी करती.. आइ लव यु सो मच.. जो मेरी तम्मना आपने पुरी करदी..

लखन : (मुस्कुराते कमर हीलाते) दीदी.. अभी कहा पुरी हुइ हे..? अभी तो सुरुआत हे.. चलीये.. अब दुसरे राउन्डके लीये तैयार होजाइअ‍े..

सृती : (सामने देखते) अभी..? इतनी जल्दी..? थके नही हो क्या..? मुजेतो पुरी नीचोडली..

लखन : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. अभी कहा..? जय हो मुनाने ओर पुनो दीदीने दी हुइ जडी बुटी की..

कहेते लखन सृतीको फीरसे चोदने लगा.. सृतीकी पुरी चुत लखनके पानीसे भरी हुइ थी.. तो अब रुममे फच.. फच.. फच.. की आवाजसे अ‍ेक नया ही संगीत गुंजने लगा.. इस बार सृती भी कमर उछालते लखनका साथ देते फीरसे उतेजीत होने लगी.. ओर अ‍ेक बार फीर दोनोके बीच घमासान चुदाइ होने लगी.. इस बार हाथके बल लखन सृतीको चोद रहा था.. लखनने सृतीको दो बार जडा दीया..

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ओर तीसरी बार दोनो कांपते हुअ‍े साथमे जड गये.. लखन सृतीके उपर ढेर हो गया.. ओर सृती उनकी पीठको सहेलाने लगी.. लखनका लंड अब भी सृतीकी चुतमे था.. फीर भी उनका पानी अपनी जगाह बनाते बहार नीकलने लगा.. सृतीकी पुरी चुत भरी हुइ थी.. फीर लखन जटसे सृतीके उपरसे हट गया.. तो सृतीने अपना नीकर अपनी चुतपे साफ करने लगी.. तभी लखन उसे अपनी गोदमे उठाकर बाथरुममे ले गया..

तो दुसरी ओर बंसीने भी बीना लंड नीकाले जागृतीको दुसरी बार चोद लीया.. फीर जागृतीको घोडी बनाकर पीछेसे लंड घुसाके भी चोद लीया.. इस पुरी रातमे बंसीने जागृतीको अलग अलग पोजीसनमे तीन बार ओर चोद लीया.. तो आज जागृती पुरी तराह थक चुकी थी.. बंसीने उनका अ‍ेक अ‍ेक अंग तोडके रख दीया.. उनकी चुत सुजके पांव जैसी हो गइ थी.. फीर दोनो भाइ नंगेही अ‍ेक दुसरेसे चीपकके सो गये..

तो इधर पहेले लखनने सृतीको नहेलाया ओर खुदने भी सावर लीया.. फीर सृतीको गोदमे उठाकर वापस बेडपे लेकर आगया.. ओर लखन सृतीके पीछे चीपककर लेट गया.. ओर सृतीको पीछेसे बाहोमे लेकर उनके बुब्सके साथ खेलता रहा.. फीर अ‍ेक घंटे आराम करनेके बाद लखनने सृतीके पीछेसे ही उनकी चुतमे लंड घुसा दीया.. ओर सृतीको पीछेसे ही चोदने लगा.. तो सृती भी उनका साथ देने लगी..

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पुरी रात लखन सृतीकी चुतमे धमाका करता रहा.. ओर सृतीके अ‍ेक अ‍ेक अंगको चोद चोदके ढीला करदीया.. सृतीकी सारी आग आज लखनने मीटादी.. पुरी रात ना जाने सृती कीतनी बार जड चुकी थी.. उनकी इतनी जबरदस्त चुदाइ तो देवायतने भी नही कीथी.. आज सृती लखनकी दिवानी हो चुकी थी.. ओर वो लखनसे नंगी ही चीपक गइ.. ओर दोनो अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे सो गये..
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तो इसी सहेरमे अ‍ेक खेल ओर होने लगा था.. आम तैरपे उमरकी वजहसे वृन्दा अपनी मांगमे सींदुर नही लगाती थी.. लेकीन जबसे जीतुलाल ओर वृन्दाने सादी करली थी.. तबसे वृन्दा हर दिन अपनी मांग भरने लगी थी.. उसने अपने गलेमे मंगलसुत्र भी पहेनके रखा था.. इस बदलावको देखकर जवेरीलालको भी कुछ अजीब लगता था.. लेकीन इस बारेमे वो वृन्दासे कुछ केह नही पाये..

वृन्दा अब हर दिन जवेरीलालको खानेमे नींदकी गोलीया खीलाकर उनको सुला देती.. ओर जवेरीलालके सोनेके बाद वो जीतुलालके कमरेमे चली जाती.. जीतुलाल भी वायाग्रा खाकर वृन्दाकी चुतमे खुब धमाके करता.. दोनो अ‍ेक मीया बीवीकी तराह खुलकर प्यार करते.. ओर वृन्दा वही जीतुलालसे चीपकके सो जाती.. ओर सुबह पांच बजे अपने कमरेमे चली जाती..

इस रात कभी ना थमने वाली रात थी.. लेकीन समय कीसीका इन्तजार नही करता.. ओर इस रातके बाद भी सुबह होगइ.. सबसे पहेले रजीया जाग गइ.. ओर वो कंपलीट होकर सृतीके कमरेमे चली गइ.. तो लखन ओर सृती.. दोनो नंगे अ‍ेक दुसरेसे चीपक कर सोये हुअ‍े थे.. जीसे देखकर रजीया मुस्कुराने लगी... रजीयाको पता था दोनो पुरी रात जागे होगे.. इसीलीये उन दोनोको सोने देना उचीत लगा..

ओर वो वापस दरवाजा हल्कासा बंध करके नीलमको जगाकर नीचे चली गइ.. जब नीलम कंपलीट होकर रुमसे बहार नीकली.. तो उनसे भी सृतीके रुममे देखे बीना रहा नही गया.. ओर वो भी वहासे गुजरते दरवाजा खोलकर जांकती हे.. तो लखन सृतीको नंगा सोये हुअ‍े देखकर सरमा गइ.. ओर मुस्कुराते नीचे जाकर रजीयाकी हेल्प करने लगती हे.. तो रजीया भी समज जातीहे की नीलु सब देखकर सरमा रही हे..

रजीया : (मस्ती करते) नीलु.. देखलीया सब..? देखले.. तेरी भी सुहागरात होगी तब तेरी भी अ‍ैसी हालत होगी.. हें..हें..हें..

नीलम : (सर्मसार होते) क्या दीदी..? आपभीनां.. जीजुको कहीये दरवाजा तो बंध करके सोये..

रजीया : (मुस्कुराते) अरे सोने दोनां.. वैसे भी यहा हम दोनोके सीवा हे भी कौन..? क्या तेरी अ‍ेक्जाम खतम हो गइ..?

नीलम : (मुस्कुराते) नही दीदी.. आज लास्ट पेपर हे.. फीर अ‍ेक हप्तेकी छुटी.. दीदी.. सबलोग प्रवासमे जा रहे हे.. तो मे जाउ..?

रजीया : (मुस्कुाते) ना बाबा ना.. ये सब तेरे जीजुसे पुछले.. अगर वो परमीशन देते हेतो चली जाना.. वैसे भी धिरेनकी वजहसे अभी तक सबलोग तुमसे नाराज हे.. तो हम रीस्क नही लेगे.. क्या वो कमीना अभी भी वहा आता हे..?

नीलम : (सरमाते धीरेसे जुठ बोलते) हां दीदी.. कभी कभार.. लेकीन मुजपे यकीन कीजीये.. मे उनको नही मीलती.. ये बात जीजुको भी पता हे..

रजीया : (मुस्कुराते) हंम.. चल ठीक हे.. तु कहेती हेतो मान लेती हु.. देख नीलु.. तेरे मम्मी पापाने हमपे भरोसा करके तुजे यहा पढनेके लीये भेजा हे.. तो कमसे कम हमारा भरोसा मत तोडना.. वो कमीना बहुत नीच हे.. वहा उनके गांवमे घरके पास भी उनका कोइ ओरतसे चकर हे.. कमीनेसे होता तो कुछ नही फीर भी साला बहुत ठरकी हे.. कीतनी बार मीले हो तुम दोनो..?

नीलम : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. प्लीज.. कीसीसे कहीयेगा नही.. अभी तक तीनसे चार बार मीले हे..

रजीया : (मुस्कुराते धीरेसे सामने देखते) तीनसे चार बार..? नीलु.. सच बताना.. क्या वो तुजे संतुस्ट कर पाता हे..?

नीलम : (सरमाकर नामे गरदन हीलाते) नही दीदी.. अच्छा कीया पुनो दीदीने उसे छोड दीया.. क्या वो भी जीजुसे सादी कर रही हेनां..?

रजीया : (मुस्कुराते) हंम.. तुजे तो पता हे इस घरमे सभीने अपनी बहेनसे ही सादी कीहे..

नीलम : (थोडी नीरास होते) दीदी.. कीतना अच्छा हेनां..? कास मेरा भी कोइ इतना बडा भाइ होता.. तो मे भी उनसे सादी कर लेती.. मेरी लता दीदी कीतनी लकी हे..

रजीया : (मुस्कुराते) तु फीकर मत कर.. तेरे जीजु तेरे लीये कोइ अच्छा लडका ढुंढ लेगे.. तब तु उनको अपना भाइ मानलेना.. हें..हें..हें.. सुन.. हमारे घरकी बात कही बहार मत करना.. समजी..?

नीलम : (सरमाकर हसते) क्या दी आपभी.. मुजे सब पता हे.. मे कभी नही करती.. दीदी.. जीजुको जगाना नही हे क्या..? आज मेरा लास्ट पेपर हे..

रजीया : (मुस्कुराते) अरे दोनोको सोने दोना.. पुरी रात जागे होगे.. सुन.. आज तुम अकेली ही स्कुटर लेकर चली जाना.. मुजे नही लगता दोनो दस बजेसे पहेले जागेगे.. चाइ बन गइ हे अभी नास्ता बनाती हु.. तु करले.. फीर स्कुल जानेकी तैयारीया करले.. आज पेपर हेनां..?

फीर रजीया नीलमको चाइ नास्ता करवाके स्कुल भेज देती हे.. तो दुसरी ओर गांवमे भी बंसी ओर जागृती देर तक अ‍ेक दुसरेसे चीपकके सोते रहे.. उधर सांतीने भी उन दोनोको देर तक सोने दीया.. ओर घरका काम समेटने लगी.. फीर नहा धोकर वो गांवके मंदिर चली गइ.. तो वहा उनको जयश्री ओर बरखा भी मील गइ.. तीनो दर्शन करके अ‍ेक जगाहपे बैठ गइ तो सांतीने उन दोनोको बंसी ओर जागृतीके मीलनकी बात बतादी.. जीसे सुनक दोनो खुस होगइ..
 
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dilavar

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जयश्री : (खुस होते हसते) अच्छा..? चलो अच्छा हुआ.. कमीनी कीतने दिनोसे नखरे कर रही थी.. आखीर मेरी देवरानी होगइ.. हें..हें..हें..

सांती : (हसते) देवरानी..? तेरी तो पकी सहेली हेनां..?

बरखा : (हसते) दीदी.. सहेली क्या ये दोनो तो बहेन हे..

जयश्री : (सरमाते हसते) हां बहेन तो हेही.. लेकीन अब देवरानी भी होगइ.. क्युकी कमीने सभी दोस्तो हम सबको भाभी ही कहेते बुलाते हे.. तो इस नाते तो बंसी भैया मेरे देवर हुअ‍े नां..? हें..हें..हें..

बरखा : (सरमाते हसते) हां दीदी.. ये बात तो जयश्रीकी सच हे.. सब हमे भाभी कहेकर ही बुलाते हे..

जयश्री : (मुस्कुराते) दीदी.. तब तो हो सके तो दोनोकी सादी भी जल्दी करवादो.. वरना कुछ दीनोमे हमे पता चलेगा की वोतो कुआंरी मां बनने वाली हे.. हें..हें..हें..

सांती : (मुस्कुराते) हां.. मे भी यही सोच रही हु.. सुनो.. मे ये सादी अ‍ेक दो दिनमे ही नीपटाना चाहती हु.. यहा तो पोसीबल नही हे.. कही बहार ओर मंदिरमे सादी करनी पडेगी.. वरना यहा खामखा इस्यु बन जायेगा..

बरखा : सही कहा आपने.. हमने भी आश्रमपे जाके सादी करली थी.. मे तो कहेती हु आप भी वही चले जाओ..

सांती : हां ये ठीक रहेगा.. हम कल ही वहा चलते हे.. सादी वही मंदिरमे करवा देगे.. ओर वहा सीर्फ हम लोग ही होगे.. क्युकी पापा चले गये हे.. तो अब कोइ ताम जाम नही करना..

जयश्री : (मुस्कुराते) हां दीदी.. ये आपने सही सोचा हे.. सुनो.. आपने पुनम दीदीके बारेमे कुछ सुना..?

सांती : (हसते धीरेसे) हां सुना.. बंसी केह रहेथे.. अब तो पुनम दीदीका डीवोर्स हो गया हे.. तो वो भी हमारे लखन भैयासे सादी कर रही हे..

जयश्री : (हसते धीरेसे) दीदी.. श्रीधर केह रहा था उनका पती साला थोडा नपुसंक जैसा हे.. कुछ कर ही नही पाता..

सांती : (हसते) तब तो अच्छा हे पुनम दीदीने उनको छोड दीया.. ओर लखन भैयासे सादी कर रही हे.. अब तो उसे भी पता चलेगा.. की असली मर्दसे पाला पडा हे.. हें..हें..हें..

बरखा : (मुहपे हाथ रखकर हसते धीरेसे) ओ बापरे.. जयश्रीकी सादीमे हमने देखा.. पेन्टमे की बीतना बडा दीख रहा था.. लगता हे वोतो अपनी बहेनकी हालत ही बीगाड देगा.. हें..हें..हें..

जयश्री : (हसते) क्या तुमने भी देख लीया था.. हें..हें..हें..

बरखा : (हसते धीरेसे) कमीनी.. सीर्फ मेने नही.. गांवकी सभी ओरतोने देखा हे.. सब की सब कमीनी वहीतो देख रही थी ओर इन्हीकी चर्चा कर रही थी..

सांती : (खडी होते हसते) अच्छा तुम दोनो चर्चा करो.. मुजे जाना हे.. अभी तक दोनो सोये पडे हे..

जयश्री : (सरमाके हसते धीरेसे) हां जाइअ‍े.. दोनोने पुरी रात महेनत जो की होगी.. तो अभी तक पडे होगे.. दोनोको कुछ खीलाइअ‍े पीलाये.. ताकी फीरसे ताकात आजाये हें..हें..हें.. बाय दीदी.. हम सामको आयेगे घरपे.. हमारी देवरानीकी तबीयत पुछने.. हें..हें..हें..

सांती : (हसते) हां आना.. बरखा.. तुम भी साथ आना.. ओर सुनो.. तुम दोनो अपने पतीको कहेना कल आश्रमपे जाना हे.. बाकी कीसीको पता ना चले.. चलो बाय..

जयश्री : (दोनो खडी होते चलते) बरखा.. देख तेरा पेट काफी बढने लगा हे.. ये बता.. तेरे घरकी कहानी कहा तक पहोंची..? क्युकी आज कल तेरी मम्मी मेरी सासुमांसे फोनपे बहुत बात करती हे.. लगता हे बात काफी आगे बढ चुकी हे..

बरखा : (मुस्कुराते साथ चलते धीरेसे) हां जयश्री.. तु सही केह रही हे.. तो अब पेटकी वजहसे मे भी कोइ रीस्क लेना नही चाहती.. इसीलीये उन मां बेटेको अकेले मीलनेका मौका देती हु..

जयश्री : (हसते साथ चलते) अच्छा..? तो फीर दोनो मीलते हे..?

बरखा : (हसते धीरेसे सरमाते) मीलते हे..? अरे वोतो कमीने दोनो मौकेकी तलासमे ही रहेते हे.. दोनोके दोनो बहुत चुदकड हे.. अकेलेमे मीलनेका मौका मीला नही को दोनो अ‍ेक होजाते हे.. ओर उस्े लगता हेकी मुजे ये सब पता नही हे..

जयश्री : (सरमाते धीरेसे) तो फीर अब तेरे साथ..? मतलब.. अब तो तु पेटसे हे..

बरखा : (मुस्कुराते) अब मुना मेरे साथ सीर्फ दो बार ही सेक्स करता हे.. वरना तो सुबह उठने लायक नही छोडता.. बस.. सीर्फ पापाकी चीन्ता हे.. अभी तक उनको कुछ नही पता.. अच्छा तु बता.. ब्रीन्दा आंटीकी बात कुछ आगे बढी की नही..?

जयश्री : (मुस्कुराते) पता नही.. मेरी हालत भी तेरी जैसी हे.. जबतक मे मना ना करु भाइ भी लगे रहेते हे.. ओर मुजे थका देते हे.. सुबह जागने मेभी तकलीफ होती हे.. पता नही मुना भाइने सबको कौनसी जडी बुटी पीलाइ हे.. हमारी सादीसे पहेलेतो बहुत अच्छा लगता था.. लेकीन अब लगता हे.. हम पुरी लाइफ कैसे काटेगे.. अच्छा आज कल गर्मीका मौसम हेतो दो बार करके छतपे सोने चले जाते हे.. तो कुछ राहत मीलती हे..

बरखा : (मुस्कुराते धीरेसे) इसीलीये तुजे केह रही हु.. मेरी मम्मीकी तराह तु भी ब्रीन्दा आंटीको श्रीधर भैयाके साथ सेट करदे.. वैसे भी वो आजकल अकेली होगइ हे.. तो जट सेट होजायेगी..

जयश्री : (सरमाते हसते) बरखा.. जबसे तुमने कहा हे तबसे मे उन दोनोको अकेले मीलनेका मौका तो दे रही हु.. फीर भी पता नही दोनो आगे बढ रहे हेकी नही.. अगर बढे तो अच्छा हे.. मुजे भी कुछ राहत मीलेगी.. वरना हम अकेलीको हमारे पतीसे जेलना आसान बात नही हे.. तु अ‍ेक काम करना.. क्या तेरी मम्मीसे कहेकर तु कुछ नही कर सकती..?

बरखा : (मुस्कुराते धीरेसे) हां ये अच्छा आइडीया दिया तुमने मुजे.. चल.. मे ही मम्मीसे इस बारेमे बात करती हु..

जयश्री : (मनमे खुस होते) तब तो अच्छा हे यार.. वैसे भी घरकी बात घरमे रेह जायेगी.. आजकल मम्मी अकेली होगइ हे.. मम्मीका चकर कही ओर चल गया तो खामखा बदनामी होगी.. इनसे तो अच्छा हे हमारे पती ही सम्हालले..

बरखा : (मुस्कुराते) जयश्री.. मेने भी यही सोचकर मम्मीको मुनाके साथ सेट करदीया.. अच्छा ये बता.. तेरे मम्मी पापाकी कोइ खबर..? जबसे गये हे उन्होने कुछ फोन बोन कीयाकी नही..?

जयश्री : (सरमाते धीरेसे) नही बरखा.. यहासे गइ तब मुजे ओर भैयाको घरपे आनेका कहेकर गइ.. ओर सबकी माफी भी मांग रही थी.. वहा तो उन दोनोको पुरी छुट मील गइ हे.. अ‍ेक दिन छोडकर पापासे बात हो जाती हे.. उनका फोन आता हे.. ओर हमारी खबर लेते हे.. लगता हे वहा पापाको भी वो दोनो धोखा देते हे.. पापा बेचारेतो सारा दिन बीजनेस सम्हालते हे.. उनको क्या पता उनकी पीठके पीछे क्या हो रहा हे..

बरखा : (मुस्कुराते) जयश्री कीतना अजीब हेनां..? खुद तो अपने देवरके साथ लगी रहेती हे.. ओर तुम दोनो भाइ बहेनके रीस्तोसे अ‍ेतराज करती थी.. इनसे तो लखन भैयाका घर अच्छा हे.. वहा जो भी होता हे खुलके होता हे.. कीसीपे कोइ पाबंधी नही.. बीलकुल अ‍ैसाही हो रहा हे.. जैसा उन्होने कहा था.. पता नही आगे हमे ओर क्या क्या देखनेको मीलेगा.. यहा बीलकुल उस हिमाचलकी तराह होने लगा हे..

दोनो बाते करते अपने अपने घरकी ओर चली जाती हे.. तो दुसरी ओर जैसे ही सांती घरपे पहोची.. ओर बंसी जागृतीको जगाने गइ.. तब बंसी जागुतीके उपर लेटा हुआ था.. ओर उनकी होले होले चुदाइ कर रहा था.. तो जागृती भी मदहोस होते बंसीसे चीपकी हुइ थी.. ओर बंसीको कमर हीलाते चुदवानेमे साथ दे रही थी.. तो सांती हसने लगी.. ओर अपनी कमरपे हमथ रखते दोनोके पास जाकर खडी होगइ....

कन्टीन्यु
 
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Mass

Well-Known Member
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Wishing You and your Family a very Happy and Safe Deepawali!!

आप को और आपके परिवार को शुभ दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

dilavar
 
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