तो इसी सहेरमे अेक खेल ओर होने लगा था.. आम तैरपे उमरकी वजहसे वृन्दा अपनी मांगमे सींदुर नही लगाती थी.. लेकीन जबसे जीतुलाल ओर वृन्दाने सादी करली थी.. तबसे वृन्दा हर दिन अपनी मांग भरने लगी थी.. उसने अपने गलेमे मंगलसुत्र भी पहेनके रखा था.. इस बदलावको देखकर जवेरीलालको भी कुछ अजीब लगता था.. लेकीन इस बारेमे वो वृन्दासे कुछ केह नही पाये..
वृन्दा अब हर दिन जवेरीलालको खानेमे नींदकी गोलीया खीलाकर उनको सुला देती.. ओर जवेरीलालके सोनेके बाद वो जीतुलालके कमरेमे चली जाती.. जीतुलाल भी वायाग्रा खाकर वृन्दाकी चुतमे खुब धमाके करता.. दोनो अेक मीया बीवीकी तराह खुलकर प्यार करते.. ओर वृन्दा वही जीतुलालसे चीपकके सो जाती.. ओर सुबह पांच बजे अपने कमरेमे चली जाती..
इस रात कभी ना थमने वाली रात थी.. लेकीन समय कीसीका इन्तजार नही करता.. ओर इस रातके बाद भी सुबह होगइ.. सबसे पहेले रजीया जाग गइ.. ओर वो कंपलीट होकर सृतीके कमरेमे चली गइ.. तो लखन ओर सृती.. दोनो नंगे अेक दुसरेसे चीपक कर सोये हुअे थे.. जीसे देखकर रजीया मुस्कुराने लगी... रजीयाको पता था दोनो पुरी रात जागे होगे.. इसीलीये उन दोनोको सोने देना उचीत लगा..
ओर वो वापस दरवाजा हल्कासा बंध करके नीलमको जगाकर नीचे चली गइ.. जब नीलम कंपलीट होकर रुमसे बहार नीकली.. तो उनसे भी सृतीके रुममे देखे बीना रहा नही गया.. ओर वो भी वहासे गुजरते दरवाजा खोलकर जांकती हे.. तो लखन सृतीको नंगा सोये हुअे देखकर सरमा गइ.. ओर मुस्कुराते नीचे जाकर रजीयाकी हेल्प करने लगती हे.. तो रजीया भी समज जातीहे की नीलु सब देखकर सरमा रही हे..
रजीया : (मस्ती करते) नीलु.. देखलीया सब..? देखले.. तेरी भी सुहागरात होगी तब तेरी भी अैसी हालत होगी.. हें..हें..हें..
नीलम : (सर्मसार होते) क्या दीदी..? आपभीनां.. जीजुको कहीये दरवाजा तो बंध करके सोये..
रजीया : (मुस्कुराते) अरे सोने दोनां.. वैसे भी यहा हम दोनोके सीवा हे भी कौन..? क्या तेरी अेक्जाम खतम हो गइ..?
नीलम : (मुस्कुराते) नही दीदी.. आज लास्ट पेपर हे.. फीर अेक हप्तेकी छुटी.. दीदी.. सबलोग प्रवासमे जा रहे हे.. तो मे जाउ..?
रजीया : (मुस्कुाते) ना बाबा ना.. ये सब तेरे जीजुसे पुछले.. अगर वो परमीशन देते हेतो चली जाना.. वैसे भी धिरेनकी वजहसे अभी तक सबलोग तुमसे नाराज हे.. तो हम रीस्क नही लेगे.. क्या वो कमीना अभी भी वहा आता हे..?
नीलम : (सरमाते धीरेसे जुठ बोलते) हां दीदी.. कभी कभार.. लेकीन मुजपे यकीन कीजीये.. मे उनको नही मीलती.. ये बात जीजुको भी पता हे..
रजीया : (मुस्कुराते) हंम.. चल ठीक हे.. तु कहेती हेतो मान लेती हु.. देख नीलु.. तेरे मम्मी पापाने हमपे भरोसा करके तुजे यहा पढनेके लीये भेजा हे.. तो कमसे कम हमारा भरोसा मत तोडना.. वो कमीना बहुत नीच हे.. वहा उनके गांवमे घरके पास भी उनका कोइ ओरतसे चकर हे.. कमीनेसे होता तो कुछ नही फीर भी साला बहुत ठरकी हे.. कीतनी बार मीले हो तुम दोनो..?
नीलम : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. प्लीज.. कीसीसे कहीयेगा नही.. अभी तक तीनसे चार बार मीले हे..
रजीया : (मुस्कुराते धीरेसे सामने देखते) तीनसे चार बार..? नीलु.. सच बताना.. क्या वो तुजे संतुस्ट कर पाता हे..?
नीलम : (सरमाकर नामे गरदन हीलाते) नही दीदी.. अच्छा कीया पुनो दीदीने उसे छोड दीया.. क्या वो भी जीजुसे सादी कर रही हेनां..?
रजीया : (मुस्कुराते) हंम.. तुजे तो पता हे इस घरमे सभीने अपनी बहेनसे ही सादी कीहे..
नीलम : (थोडी नीरास होते) दीदी.. कीतना अच्छा हेनां..? कास मेरा भी कोइ इतना बडा भाइ होता.. तो मे भी उनसे सादी कर लेती.. मेरी लता दीदी कीतनी लकी हे..
रजीया : (मुस्कुराते) तु फीकर मत कर.. तेरे जीजु तेरे लीये कोइ अच्छा लडका ढुंढ लेगे.. तब तु उनको अपना भाइ मानलेना.. हें..हें..हें.. सुन.. हमारे घरकी बात कही बहार मत करना.. समजी..?
नीलम : (सरमाकर हसते) क्या दी आपभी.. मुजे सब पता हे.. मे कभी नही करती.. दीदी.. जीजुको जगाना नही हे क्या..? आज मेरा लास्ट पेपर हे..
रजीया : (मुस्कुराते) अरे दोनोको सोने दोना.. पुरी रात जागे होगे.. सुन.. आज तुम अकेली ही स्कुटर लेकर चली जाना.. मुजे नही लगता दोनो दस बजेसे पहेले जागेगे.. चाइ बन गइ हे अभी नास्ता बनाती हु.. तु करले.. फीर स्कुल जानेकी तैयारीया करले.. आज पेपर हेनां..?
फीर रजीया नीलमको चाइ नास्ता करवाके स्कुल भेज देती हे.. तो दुसरी ओर गांवमे भी बंसी ओर जागृती देर तक अेक दुसरेसे चीपकके सोते रहे.. उधर सांतीने भी उन दोनोको देर तक सोने दीया.. ओर घरका काम समेटने लगी.. फीर नहा धोकर वो गांवके मंदिर चली गइ.. तो वहा उनको जयश्री ओर बरखा भी मील गइ.. तीनो दर्शन करके अेक जगाहपे बैठ गइ तो सांतीने उन दोनोको बंसी ओर जागृतीके मीलनकी बात बतादी.. जीसे सुनक दोनो खुस होगइ..