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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ५२

तब भानु देवायत ओर भावनाही जानतेथे की भावनाको देवायतसे क्या कामथा.. तब भानु टेन्शनमे आजाता हे ओर वो सामान लेके बहारकी ओर जाने लगता हे तो पुनम ओर चंदा भी मंजुका सामान लेके बहार नीकलने लगते हे.. तब पुनमभी फटाफट सामान लेजाते कारमे रखदेती हे ओर कारके पीछे जाके लताको फोन करने लगती हे.. जब लता फोन उठातीहे तो धीमी आवाजमे बात करने लगती हे....अब आगे
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लता : (हसते) हां पुनमदीदी कहीये केसे हे सब..?

पुनम : भाभी छोड सब.. हम सब होस्पीटलसे नीकल रहेहे अभी भानुभाइ ओर भाभी वहा पहोंय जायेगे अगर घरमे कुछ उल्टा सीधा होतो सब ठीक करदेना.. मतलब वो चदर बदर खराब होतो चेन्ज करलेना समज गइ..

लता : (सरमसे पानीपानी होते हसते) जी दीदी सब सही करदीया हे.. अ‍ेसी कोइ दीकत नही हे.. क्या आप सब लोग नीकल गये..?

पुनम : हां अभी नीकलही रहे हे, हम लोग मेरी सासुके घर जा रहे हे.. ओर भानुभाइ काकीलोग सब आपके घर आ रहेहे समज गइ..? चलो.. मे फोन रखती हु..

कहेते पुनम फटाफट वापस जाके चंदाके हाथसे सामान लेके कारमे रख देती हे तब देवायत मंजु ओर चंदा सृतीके साथ खडे होके बाते करते हे तब सृतीसे बाते करते सब कारके पास चले आते हे तो मंजु सृतीको गले लगाके कारमे पीछे बेठ गइ तो चंदाने बच्चेको मंजुके हाथमे देदीया ओर खुद सृतीको गले मीलते मंजुके पास बेठ गइ.. तब पुनम आगे देवायतके पास बेठ गइ ओर देवायतकी ओर कातील स्माइल करने लगी..

तो भानुभी कारमे बेठ गया ओर पीछे भावु ओर सरला बेठ गये ओर वो देवायतको हाथ हीलाके नीकल गया.. तो देवायतभी सृतीकी ओर स्माइल करते नीकलने लगा तभी सृतीने छुपकेसे इसारोसे देवायतको फोन करनेका इसारा कर दीया.. सृती देवायतको सुरुसे ही जानतीथी जब देवायत ओर मंजुकी सादीभी नही हुइथी.. उनके घर दोनो पहेली बार गयेथे तबही देवायत ओर मंजुने गांधर्वविवाह करलीया..

देवायत ओर मंजुका उनके घरही पहेलीबार सुहागरात मनाके मीलन हुआथा.. जब बादमे उनकी भी सादी होगइ तब वो अपने पतीसे खुस नहीथी ओर उनका डीवोर्स होगया.. तबसे वो बीना लंडके तडप रहीथी जबसे सृतीने मंजुसे देवायतके लंबे ओर मोटे लंडकी बात सुनी ओर देवायतके पेन्टके उभारको देखा तब उनकी काम वासना फीरसे जागृत होगइ ओर सृती देवायतके पीछे पागल होने लगी.. ओर देवायतको अपनी ओर आकर्सीत करनेकी पुरी कोसीस करने लगी..

उधर भानु कार लेके जा रहाथा तब सरला मनमे देवायतसे केसे मुलाकात करके अपनी प्यास बुजाये यही सोच रखते भानु ओर भावुसे लताकी सादीकी बाते कर रहीथी.. लेकीन भानु भावु ओर अपनी मामीके बीच रीस्तेको लेके विचारोमे खोया हुआथा वो भावुको छोडनाभी नही चाहताथा ओर अपनी मामीसेभी सादी करके उसे अपनी बीवी बनाना चाहता था.. सब अपनी अपनी सोचमे डुबे हुअ‍े थे..

तो दुसरी ओर भावुभी देवायतको सुरुसे ही पसंद करती थी ओर उसे प्यार करने लगी थी ओर भानुकी करतुतको अपनी आंखोसे देखके उसे देवायतके साथ रीलेशनमे आनेका रास्ता मील गयाथा तो वोभी भानुसे सब रीस्ता खतम करके देवायतके साथ केसे बात करके रीस्तेको कायम कर सके उनके बारेमे सोच रही थी.. ओर सब अपनी अपनी सोचमे डुबे अपने घरकी ओर बढ रहेथे..

तो देवायतभी कार लेके दुसरी ओर हाइवेमे कार दोडाते चोर नजरोसे सेन्ट्रल मीररमे चंदाकी ओर देखते मुस्करा देता तब पुनम इनकी इस हरकतको देखते धीरेसे देवायतकी जांगपे हाथ रखते आंखोके नैन नचाते देवायतकी ओर देखते हसने लगी तब मंजु अपने बच्चेको दुध पीला रहीथी..ओर चंदा मंजुसे बाते कर रहीथी..

दोनोही अपने अपने घर पहोंच गये तब पुनम पहेलीबार अपने ससुराल वाले घरपे आइथी तो वो बहुतही सरमा रहीथी.. तो चंदाने ताला खोल दीया ओर बच्चेको मंजुके हाथसे लेलीया फीर चारो अंदर आगये ओर सब सोफेपे बेठ गये तब चंदा सबको पानी देने लगी तो पुनम फटसे उठ गइ ओर चंदाके पास चली गइ ओर उनकी मदद करने लगी तो चंदानेभी हसते पुनमको कीचनमे सब दीखा दीया..

तब पुनम सबके लीये चाइ बनाने लगी तो चंदा मंजुको लेके नीचेके रुममे चली गइ यहा उसने मंजुको अपने बेडपे सुलाया ओर बच्चेको मंजुके पास छोडके बहार होलमे आगइ तब चंदा देवायतकी ओर देखते हसने लगी ओर उपरके रुमकी ओर इसारा करते कीचनमे जाने लगी..तब देवायतभी हसने लगा ओर खडा होके मंजुके पास चला गया तो मंजु देवायतको देखके बहुतही खुस होगइ ओर बच्चेको देवायतके हाथोमे देदीया..

मंजुला : (हसते) लोजी.. सम्हालो अपने बच्चेको.. देखो कीतना प्यारा हे बीलकुल आपहीकी तराह.. सब आपहीकी तराह हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (बच्चेको लेते हसते) नही इनकी सकल मेरी मंजुकी तराह हे.. अ‍ेकदम क्युट लग रहा हे. हें..हें..हें..

मंजुला : जानु.. मे यहा ज्यादा दीन नही रहुगी येतो मौसीने जीद की इसीलीये इधर आगइ.. क्या आप मुजे रोज मीलनेतो आओगेनां?

देवायत : हां बेबी.. मुजेभी वहा तेरे बीना अच्छा नही लगेगा मे आता जाता रहुगा..

मंजुला : जानु मुजे लगता हे भावु ओर भानुभाइके बीच कुछ अनबन हुइ लगती हे.. दोनोही अ‍ेक दुसरेसे बात नही कर रहेथे.. उन दोनोके बीच कुछतो हुआ हे आप भानुभाइसे बात करके जोभी मामला हो सुलजादो..

देवायत : (हसते) ठीक हे मे आजही भानुसे बात करता हु क्या तुजे भावुने कुछ कहा हे..?

मंजुला : नही..मेने भावुसे बहोत पुछा लेकीन कुछ बतानेको तैयारही नही.. कहेतीहे पहेले जीजुसे बात करलु फीर तुमको सब कुछ बताउगी.. लगता हे मेटर कुछ ज्यादाही सीरीयस हे.. आप भावुसे भी मील लेनां..

देवायत : ठीक हे उनसेभी बात करलुगा अब ये बता पुनमकी सादीके बारेमे क्या सोचा हे..? वो काकी बडीही उतावली हो रही हे.. क्या इस बारेमे तुम्हारे साथ कोइ बात हुइ..?

मंजुला : (हसते) जानु लगता हे ये चारो जीस तराह फोनपे बात कर रहेहे उसीसे उनको लगता होगाकी सादी जीतनी जल्दी होजाये उतना अच्छा हे.. कहेतीथी आजकलके लडके लडकीका कोइ भरोसा नही ये जवानी हेही अ‍ेसी.. (जोरोसे हसते) लगता हे काकी इस मामलेमे ज्यादा तजुरबेदार हे.. हें..हें..हें..वोभी अपनी जवानीमे ये सब खेल खेल चुकी लगती हे हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) अब वोतो काकीही जानती होगी.. हें..हें..हें.. मंजु तुनेतो अ‍ैसी बाते करके मुजे गरम करदीया.. कुछ करनां..

मंजुला : (सरमाते हसते) जानु सृतीने मुजे दो महीने तक कुछभी करनेको मना करदीया हे तो फीर आप क्या करेगे..? (सरमाते) क्या आप मौसीके साथ..मतलब..वो आपकी बीवीही हेतो..उपर मीलना चाहोतो..

देवायत : नही मंजु अभी हमारी सादी कहा हुइ हे पहेले हमारी सादी होनेदे..

मंजुला : (सरमाते हसते) जानु वेसेभी आप दोनो सब कुछ करतो चुके हो.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही आप मौसीको मीललो ताकी हम तीनोकी नजदीकीया बढ सके.. कहोतो मौसीसे बात करु..? आप यही मेरे सामनेही मीललो.. उनकीभी सरम चली जायेगी..

देवायत : अभी नही बेबी आज पुनमभी साथ हे.. अगली बार मे अकेले आउगा तब देखेगे.. तुम मौसीसे हमारी सादीके बारेमे बात करलेना..

मंजुला : (खुस होते) ठीक हे जानु बस यही उलजन थी मेतो आपको अभी प्यार नही दे सकती ओर इसी बहाने मौसीसे आपकी नजदीकीयाभी बढेगी फीरतो हम तीनोको साथमेही रहेना हे.. खुब मजे करेगे..

पुनम : (अंदर आते) लीजीये भाइ भाभी आप दोनो चाइ पीजीये.. तबतक खाना बन जायेगा..

मंजुला : (हसते) अरे तुमनेतो अभीसे ससुरालमे सब काम सम्हाल लीया हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते चाइ देते देवायतकी ओर तीरछी नजरोसे देखते) क्या भाभी.. मेनेतो कबसे सुसुरालमे काम सम्हाल लीया हे.. हें..हें..हें.. आपकोही ध्यानमे नही आया क्यु भैया.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) तो क्या तुम इधर पहेले आ चुकी हो..? कही धीरेनके साथतो नही आइ.. हें..हें..हें.. देवु.. लगताहे इन दोनोकी सादी हमे जल्दी करदेनी पडेगी.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते) चुप करो भाभी.. भाइ खाना खाके हमे नीकलनाभी हे फीर वहाभी कोइ नही हे.. (मंजुको) भाभी आप उधरही चली आती.. हम सबतो हे वहा.. हम चंपाभाभीको ही बुला लेते..

मंजुला : पुनो मेभी यही केह रहीथी देखतेहे यहा अच्छा लगातो ठीक हे वरना मे मौसीको लेके वहा चली आउगी.. ओर देवु आप आजही भानुभाइसे मीललो ओर दोनो बाबाको मीलके जल्दी तारीख लेलो..

पुनम : (सरमाते धीरेसे मंजुको) भाभी क्या इतनी जल्दी हे..? पहेले हम भाइ ओर मौसीकी सादी करवा देते हे.. फीर हमारी सादी आरामसे रखते.. क्या कहेती हो आप..?

मंजुला : (हसते धीरेसे) हां पुनो हम यही करेगे तभीतो मुजे वहा आनेकी जल्दी हे..

देवायत : (हसते) अब तुम दोनो क्या खुसरपुसर कर रही हो..? जरा मोटेसे नही बोल सकती..?

पुनम : (हसते) जी नही ये आपके सुननेकी बात नही हे हम ओरतोकी बात हे क्यु भाभी..?

मंजुला : (देवायतसे तीरछी नजरोसे मुस्कराते) जी..आपको कोइ सुननेकी रुरत नही हे आपको जीतना कहा उतना कर दीजीये.. उन दोनोको मीलके कुछ कीजीये..

पुनम : (उठके जाते) आप दोनो बाते कीजीये मे मम्मीको कुछ मदद करती हु..

कहेके पुनम वापस कीचनमे चली गइ तो मंजु ओर देवायत उसे देखके हसते रहे तभी देवायत धीरेसे मंजुके पास आके बेठ जाता हेतो मंजु फोरन देवायतको बाहोमे भरलेती हे ओर दोनोके होंठ मील जाते हे ओर दोनोही अ‍ेक दुसरेके होंठ चुमने लगे तभी देवायत मंजुके बुब्स पकडके मसलने लगता हे.. तभी अंदर चंदा आगइ ओर दोनोको इस हालतमे देखके वही जम गइ ओर देखतीही रही तब चंदा खुब सरमाइ..

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फीर मुह दुसरी ओर घुमाके जुठमुठका खांसने लगी तो देवायत ओर मंजु जटसे अलग होगये ओर सरमके मारे मुस्कराते रहे.. तब चंदा सरमाते हसती हुइ मंजुके पास आगइ ओर उनके पास बेडपे बेठ गइ फीर देवायतकी ओर सरमाके हसने लगी तो देवायत उठकर बहार चला गया ओर सोफेपे जाके बैठ गया तब..

चंदा : तुम दोनो कुछ दीन इन्तजार नही कर सकते.. अगर पुनमने देखलीया होता तो.. केसे बेसरमोकी तराह अ‍ेक दुसरेसे चुमाचाटी कर रहेथे..

मंजुला : (मोका देखते सरमाते) दीदी क्या करु.. इनके बीना रहाभी नही जाता..

चंदा : मंजु मे जानती हु आप दोनो आपसमे बहुत प्यार करते हे लेकीन कुछ दीनतो सबर करलेते पता नही इनसे सबर नही हुआतो..? क्या करेगे.. तुजे कमसे कम अ‍ेक महीने ध्यान रखना पडेगा..

मंजुला : (सरमाते) दीदी क्या देवु मेरे बीना अ‍ेक महीना रेह पायेगा..? प्लीज आप देवुसे सादी करलो ताकी मेरी कमी देवुको महेसुसना हो प्लीज.. आज पुनो साथमे हे वरना मे देवुको आपके साथ उपर भेज देती..

चंदा : (सरमसे पानीपानी होते) मंजु तु ये क्या केह रही हे..? कुछतो सर्म कर.. अभी सादीभी नही हुइ..

मंजुला : (सरमाते) दीदी तो क्या हुआ वेसेभी आप दोनो मीलतो चुके हो प्लीज.. मेरे देवुको सम्हाल लीजीये.. वो दुसरोकी तराह आम इन्सान नही हे उनको रोज प्यार चाहीये पता नही मेरा देवु मेरे बीना केसे रेहता होगा..? प्लीज दीदी आप कुछ कीजीये.. मे चाहतीहु धिरेन पुनोकी सादीसे पहेले आप दोनोकी सादी होजाये.. ताकी मेरी कमी वो आपसे पुरी कर सके..

चंदा : (सरमसे नजरे चुराते) मंजु प्लीज.. मत कर अ‍ैसी बाते.. मुजे सरम आ रही हे.. क्या ये सही होगा..?

मंजुला : (हसते) हां दीदी.. हमे कहा दुनीयाको दीखाना हे.. अबतो धिरेनभी मान चुका हे.. ओर पुनमकोभी सब पता हे.. तो क्या दीकत हे.. ओर आपभीतो मेरे देवुसे प्यार करती हो.. क्या उनके बीना रेह सकती हो..?

चंदा : (सरमसे मंजुको गले लगाते) प्लीज.. मंजु.. तु सच केह रही हे.. मे नही रेह पाती इनके बीना.. मेभी जल्दसे जल्द तुम लोगोके पास आना चाहती हु.. लेकीन क्या करु.. धीरेनकाभीतो देखना पडता हे.. उनकी सादी होजायेतो उनको पुनम सम्हाल लेगी.. फीर कोइ दीकत नही हे.. मे आजाउगी..

मंजुला : (हसते) दीदी इनकाभी हल हे.. जबतक ये दोनोकी सादी नही होजाती तबतक धिरेन यही आके खाना खा लेगे ओर वहा रहेतो भी हमे दिकत नही हे.. मे देवुसे बात करलुगी.. आप वही आजाओ..

चंदा : (मंजुके गालको चुमते) मेरी स्वीट दीदी.. थेन्क्स मेरी तकलीफ समजनेके लीये.. तुम जोभी करो मुजे सब मंजुर हे.. बस मेरे देवुसे मुजसे मीलादो.. हम दोनो मीलके उसे खुब प्यार देगे..

मंजुला : (हसते) दीदी ये हुइनां बात.. फील हालतो हमारे देवुको सीर्फ आपकोही प्यार देना हे अ‍ेक महीनेके बाद मेभी आपके साथ सामील होजाउगी तबतक आपको अकेलेको ही मेरे देवुको सम्हालना पडेगा..

चंदा : (सरमाते हसते धीरेसे) चल ठीक हे मे सम्हाल लुगी..पता नही उनमे कीतना आकर्शण हे हम उनको देखतेही पागल होजाती हे.. मुजसे उनके बीना नही रहा जाता..

मंजुला : (हसते) दीदी पता हे जब हमने प्यारका इजहार कीया तबसे मेरी हालतभी आपके जेसीथी ओर अभीभी वोही हालत हे मे मेरे देवुको प्यार करके बगैर रेह ही नही सकती मुजे उनका प्यार हर दीन चाहीये..

चंदा : (सरमाते धीरेसे) अब बसभी कर मुजे नीचे कुछ हो रहा हे.. मेरी खातीर हमे धिरेन पुनमकी सादी जल्दी करवानी पडेगी.. तुम देवुको कहेके तारीख जरा जल्दी नीकलवालो ताकी मे वहा आ सकु..

मंजुला : (हसते धीरेसे) दीदी आप फीकर मत कीजीये मे देवु ओर धिरेन दोनोसे बात करलुगी.. क्या आपको अभी देवुसे मीलना हे..? तो फीर उपर चली जाइअ‍े मे देवुको भेजती हु..

चंदा : (अ‍ेकदम सर्मसार होते) नही.. प्लीज.. वो..वो पुनम इधर हे यार.. मुजे सरम आयेगी..

दोनोही रुममे बेठके बाते कर रहीथी तब देवायत होलमे बेठते पुनमको कीचनमे काम करते देख रहाथा तो पुनमभी सरमाते देवायतसे काम करते इसारोमे बात कर रहीथी उनको वहासे जानेकी बडी जल्दीथी ताकी घर जाके वो देवायतसे मील सके जबसे देवायतके साथ सुहागरात मनाके देवायतके लंडको अपनी चुतमे लीया तबसे ना पुनमको ओर नाही उनकी चुतको.. कही चेइन नही मीलताथा.. उनकी चुतकी दोनो नाजुक पंखडीया देवातको देखते फडफडा रहीथी ओर लगातार पानी छोड रहीथी..

ओर उपरसे अपनी भाभीसे अपनी सादीकी बात सुनके उनकी बेचेनी ओर बढ गइथी क्युकी वो सादीसे पहेले जल्दसे जल्द देवायतसे प्रेगनेन्ट होना चाहती थी.. जबतक मंजु यहा हे तबतकत पुनम ओर देवायतके पास अकेले मीलन करनेका पुरा मौकाथा ताकी वो अपने भाइ देवायतसे जल्दसे जल्द प्रेगनेन्ट हो सके.. जो इस मोकेको पुनम गवाना नही चाहती थी इसीलीये वो फटाफट खाना बना रहीथी ताकी खाना खाके दोनो जल्दी यहासे नीकल जाये..

दोनोही आंखोसे इसारा करते मस्तीया कर रहेथे तब पुनमकी चुतमे जोरोकी खुजली हो रहीथी ओर उनकी चुतसे पानी नीकल रहाथा तो बीच बीचमे कभी फ्लाइंग कीस देती तो कभी अपने बुब्सके दर्शन कराते देवुको अपना जलवा दीखाती रही.. दुसरी ओर मंजु ओर चंदाभी देवायतके बारेमे बाते करते कामुक होने लगीथी तब चंदाकी चुतसेभी पानी नीकलने लगा..

तभी पुनमने रोटीया बनाली ओर सबको खानेके लीये बोल दीया तब सब अ‍ेक साथ खानेके टेबलपे आगये चंदा मंजुको धीरे धीरे चलाके टेबल पे आगइ..

देवायत : मंजु खाना खाके हम नीकल रहेहे सोचता हु अ‍ेक दो दीनमे ही सब काम नीपटालु..

चंदा : देवु आप तारीख नीकलवालो मुजेभी सब तैयारीया करनी पडेगी..

मंजुला : मौसी कोइ जरुरत नही जो हे उसीमे हम नीपटालेगे बस कुछ कपडे ज्वेलरी लेनी हे वो आप ओर पुनो देवुके साथ जाके लेलेना..जीस तराह सगाइकी खरीदी करली उसी तराह सादीकी भी करलेना..

चंदा : पुनम बेटा तुजे कोनसी सारी लेनीहे या ड्रेस लेना हे..? मुजे बता देना वो मे ले लुगी.. तुम यहा डं्रेस पहेनो हमे कोइ अ‍ेतराज नही.. ओर आपका अ‍ेडमीशनकाभी देख लेना.. कोलेज पुरी करलो तुम..

पुनम : (सरमाते हसते) मम्मीजी..वो मे भाइके साथ जाउगी तब देखके आउगी देखती हु ओपनमे अ‍ेडमीसन मीलताहे तो ठीक हे वरना यहीसे पढाइ खत्म..

चंदा : (हसते) अरे अ‍ेसे थोडी चलता हे.. तुम पढो.. मे तुजे पढाउगी..

चंदा : (देवायतकी ओर सरमाते हसते) नही मम्मीजी अब ओर पढनेका मन नही हे.. फीरभी देखती हु..

मंजुला : (हसते) पुनो तुजे पढना हेतो कोइ मनाइ नही हे.. फीरभी अ‍ेक बार सोचले.. तुजे जो ठीक लगे करना.. अब सादीके बाद घरहीतो सम्हालना हे.. तुजे कहा कोइ नोकरी करनी हे..

सब अ‍ेसेही बाते करते खाना खा रहेथे फीर खाना खाके पुनमने चंदाका काममे हाथ बटाया फीर काम खतम होतेही देवायत ओर पुनम मंजु चंदाकी इजाजत लेके अपनी हवेलीकी ओर नीकल गये.. तब दुसरी ओर भानु सकबो लेके अपने गांवमे आगया पुरे रास्ते सीर्फ सरलाही बोलती रही जेसेही घर आये लता दोडके बहार आगइ ओर भावनाके हाथसे बच्चीको लेलीया ओर उसे देखते मुस्कराने लगी.. ओर बच्चेको प्यार देने लगी..

तब भानुभी सब सामान नीकालके अंदर लेजाने लगा ओर सरला भावुका हाथ पकडके उसे धीरे धीरे अंदर लेजाने लगी.. ओर पीछे लताभी बच्चीको लेके चलने लगी सब अंदर आगये तो सरलाने लताको कहा..

सरला : बेटा जा जरा अंदर जाके बहु के बेडको सही करदे ओर इसेभी लेतीजा..

तभी लता बच्चीको लेके अंदर चली गइ ओर उसे जुलेमे सुलाके बेडकी चदर सही करने लगी.. तबतक सरला भावुको लेकर अंदर आगइ ओर भावुको बेडपे सुलादीया ओर बच्चीको उनकी बगलमे लीटा दीया तब भावु ब्लाउस उचा करते बच्चीको दुध पीलाने लगी.. ओर सरला बहार आगइ तब लता भावेसको लेने अपने रुममे चली गइ तब भानु अपने रुममे आगया ओर लतासे बात करने लगा..

भानु : (धीरेसे रीक्वेस्ट करते) भावु प्लीज मुजसे बात कर कबतक मुजसे नाराज रहेगी.. कुछतो बोल..

भावना : भानु प्लीज तुम अभी जाओ.. मुजे आपसे कोइ बात नही करनी.. जबतकमे जीजुसे बात करलु तबतक तुम मुजसे दुर रहो.. मुजे मेरी कीस्मतपे छोडदो.. मे जीजीसु बात करके कोइ डीसीजन लुगी..

भानु : देख लता मे मानता हु मेने गलती की हे.. लेकीन तु मामीकी सीचुअ‍ेशनतो समज.. वो मामाके साथ रहेकेभी अ‍ेक अकेली ओरतकी तराह जींदगी गुजार रही हे.. उनके यहा खानेका भी प्रोबलेम हे तो मे उसे पैसे देने जाता था ओर हम करीब आगये ओर हमारे बीच रीलेशन होगया.. वो अकेली ओरत हे तु ओरतकी सीचुअ‍ेशनभी नही समजती..?

भावना : (भानुकी ओर अ‍ेक नजरसे गुसेसे देखते) भानु अगर यही सीचुअ‍ेशन मेरे साथ होती तो..? क्या तुम मुजे दुसरे मर्दके साथ सोते देखकर मुजे अ‍ेक्सेप्ट करते..? यार तुम जाओ यहा से.. मे मंजुदीदीसे या जीजुसे बात करके कोइ फैसला लुगी.. तबतक मुजसे दुर रहेना..

भानु : भावु प्लीज.. इस बारेमे मंजुभाभीसे कुछ बात मत करना उनकी तबीयत ठीक नही हे.. मे देवुसे कहुगा वो आके तुमसे बात करेगा.. वेसेभी सामको या कल देवु इधर आयेगा.. तब बात करलेना..

कहेते भानु वहासे नीकल जाता हे ओर बहार जाके टेन्शनमे खटीयापे बेठ जाता हे.. तब लता भावेशको लेके भावुके पास चली गइ ओर भावेसको अपनी छोटी बहेनको दीखाते उसके साथ खेलने लगी.. तब भावु छुपकेसे आंसु बहाते अपनी बच्चीको दुध पीला रहीथी तो लताने भावुके आंसु देख लीये ओर भावेशको जुलेमे डालके वो भावुके पास आके बैठ गइ ओर भावुके आंसु पोछने लगी....

कन्टीन्यु
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १०२/१

दोनोही मां बेटी मुस्कुराते नीचेकी ओर आने लगी.. तब लखनके कमरेके पास गुजरे तब लखनभी अपने बेडपे लेटकर मोबाइलपे लतासे बात कर रहाथा तब वहा दरवाजेके पास रुकते मंजुने लखनकोभी नीचे डीनरके लीये आनेको केह दीया ओर दोनो मां बेटी नीचे आगइ तब राजीव ओर देवायत अभी दोनो गांवकी बाते करते गप्पे लगा रहेथे.. ओर नीर्मला मंजु उनके पास आकर सोफेपे बैठ गइ....अब आगे

तभी डीनरभी बन गया ओर दयाने सबको डीनरके लीये बुलालीया.. तब राजीव ओर नीर्मला अपने रुममे फ्रेस होने चले गये.. तो देवुभी मंजुके साथ अपने रुममे चला गया.. तो उनके पीछे चंदाभी आगइ.. तीनो बारी बारी फ्रेस होगये.. आज चंदा बहुतही सरमा रहीथी.. तभी देवायतने उसे अपनी बाहोमे भरलीया ओर उनके होंठ चुमलीया.. तो मंजु ठहाका मारते हसने लगी.. तो देवुने उसनके बुब्स दबालीये..

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तो चंदा खुब सरमाते हसते हुअ‍े देवुके सीनेपे मुके मारने लगी.. ओर उनसे छुटकर बहार भाग गइ.. तब मंजु ओर देवायत दोनोही हसने लगे.. ओर मंजु हसते हुअ‍े देवायतकी बाहोमे समा गइ.. ओर दोनोके होंठ मील गये.. फीर दोनोही अ‍ेक दुसरेका हाथ थामते बहार आगये.. तभी नीर्मला ओर राजीवभी डाइनींगपे आगये तो पुनमभी आकर देवायतके दुसरी ओर बैठ गइ.. ओर दया रजीयाने सबको खाना परोस दीया..

ओर सभी लोग डीनर करने लगे.. तो पुनम खाना खाते नीचेसे देवायतके पैर सहेलाने लगी.. तो देवायतभी अ‍ेक हाथ नीचे इेजाते पुनमकी जांघोपे रख देता हे तब पुनम सीहरसी गइ.. वो कामुक होते तीरछी नजरोसे देवायतको देखने लगी.. तभी देवायत सबसे छुपकर पुनमकी जांघको सहेलाने लगा.. तो पुनमने धीरेसे देवायतके कानमे रश्मीभाभीको वहा मीलनेकी बात कहेदी.. तभी..

JPrz
मंजुला : (खाना खाते) देवु आप डीनर करके यहाभी कुछ लोगोको न्योता देना हे उसेभी कहेदो.. तब मे सृती ओर भुमीआंटीको भी फोन कर देती हु.. वो रश्मीभाभी चंपाभाभी रमेशभाइ चारु ओर आपके वो डोक्टर उनीकी बीवी नीशाकोभी कहेदो.. बाकीको जीनकोभी बुलाना हो उसे कल साम तक कहेदो.. कलतो सरलाचाचीके घरके लोगभी आजायेगे..फीरतो आपको टाइमही नही मीलेगा..

राजीव : (सरारतसे मुस्कुराते) कौन हमारी समधन..? हें..हें..हें..

नीर्मला : (सरमाकर हसते) हां.. आपकी समधन.. हें..हें..हें.. उनसे तो बहुत लटु पटु होकर बात करते हो.. हें..हें..हें..

राजीव : (जोरोसे हसते) नीमु.. देखतो सही इधर बच्चेभी बैठे हे.. क्या तुमभी.. हें..हें..हें.. अब वोही तो हमारी अ‍ैक लौती भाभी हे.. तो भाभीसे बात नही करुगा.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते) कोइबात नही पापा.. आप लगे रहो.. हमने कुछभी नही सुना.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (जोरोसे हसते) लो..जी.. आगइ पापाकी परी.. हें..हें..हें..

कहातो सब खाना खाते ठहाका मारते हसने लगे.. इसी तराह सब मस्ती मस्ती मजाक करते डीनर करने लगे.. जब डीनर फीनीस कीया तब नीर्मला ओर राजीव बहुतही खुस लग रहेथे.. ओर सभी उनके साथ घुलमील गयेथे.. तब देवायत अपनी बाइक लेकर सीधा रश्मीके घर चला गया.. तो रश्मी उसे देखकर ही खुस हो गइ.. ओर उसे सरपंच वाले रुममे लेजाकर देवायतकी बाहोमे समा गइ.. वो काफी देर तक उनकी बाहोमे खडी रही..

रश्मी : जानु.. कीतने दिनोके बाद आयेहो.. क्या इस बीवीको मीलनेका मन नही करता..? क्या इतना बीजी होगये थे..? सुनाहे आपके ससुरकी तबीयत खराब होगइ थी..?

देवायत : हां रश्मी.. मे वही था ओर कुछ सादीकी खरीदीमे बीजी था.. अब कैसीहे तेरी तबीयत..

रश्मी : (मुस्कुराते होंठ चुमते) जानु.. सब ठीक हे.. ओर मे हरदिन पंचायतकी ओफीसमे जाती हु.. ओर आपने जो कहाथा वो कामभी पुरा होगया हे.. सब लीस्ट रमेशभाइके पास हे.. ओर उसी हीसाबसे हमने सभी दस्तावेजोकी फाइल कंपलीट करदी हे..

देवायत : रश्मी कल सायद सृतीभी इधर आजायेगी.. मे चाहता हु तुम ओर पुनो उसे अ‍ेक बार यही सब दीखादो..

रश्मी : (होंठ चुमते) जानु.. क्या पुनोदीदीका भी काम होगया..? कही दीखाकर कंन्फर्म कीया..?

देवायत : रश्मी वो मंजुकी फ्रेन्ड उन्हीकी डोक्टर हे.. वो कल इधरही आ रहीहे तो वोही सब कल कन्फर्म करलेगी.. वो यही आकर तुम दोनोको चेक कलेगी.. तुमभी उसे दीखादो..

रश्मी : जानु मे जानती हु उनको.. मेराभी उन्हीके पास चेकअप करवायाथा.. ओर उनकीही दवाइआ चालु हे..

देवायत : ओर सुन.. तीन दिनके बाद पुनो ओर लखनकी सादी हे.. तुम्हे अब उधर रोज आना हे..

रश्मी : जानु वोतो आप नही कहेते तोभी मे आजाउगी.. लेकीन आपसे अ‍ेक बातभी कहेनी हे.. आप जरा उस रमेशभाइको समजा देना.. उनकी नीयत मुजे ठीक नही लगती.. मुजे अजीब नीगाहोसे घुरते रहेते हे.. साला सब सरपंच बनतेही सब हरामी होजाते हे.. तो मेने पहेले आपसे बात करनेका उचीत समजा..

देवायत : (कुछ सोचते) रश्मी.. तुभी कुछ कम नही हे.. तु आजभी जवान ओर सेक्सी दीखती हेतो रमेशतो क्या सबकी नजर तुजपे रहेती हे.. बस तुम सीर्फ उनको इतनाही कहेना.. की मुजे घुरना बंध करदो वरना मे ठाकुर साहबको तुम्हारी सीकायत करदुगी.. फीर देखना कैसे उनकी गांड फटती हे.. साला अपनी बीवीकोतो ठीकसे चोद नही पाता ओर दुसरी ओरतोको घुरता हे.. इसीलीयेतो चारुभाभीभी मुजसे चुदवाती हे..

रश्मी : (सरमाते हसते) जानु मे इतनीभी सेक्सी हुतो क्या आप अ‍ैसेही चले जाओगे..? अभी मेरा पेट उतना नीकला नही हे.. कमसे कम मेरी जरुरतको तो पुरा करदीजीये.. बस अ‍ेक बार.. अ‍ेक बार इनके सामनेही मुजे चोद लीजीये.. आज कल खटीयापे पडे हे फीरभी नखरे कर रहे हे.. यही इनके सामने ही मुजे खडे खडे चोद लीजीये..

देवायत : (हसते) रश्मी.. तुभी चारुभाभीकी तराह ठरकी होगइ हे.. चल आजा..

कहेते देवायत रश्मीको वही दिवालसे सटाकर खडा कर देता हे ओर रश्मीका ड्रेस उचा करते उनकी पेन्टी नीचे सरका देता हे.. फीर अपनी पेन्टको ढीली करते लंडको बहार नीकाल लीया ओर रश्मीकी कमर पकडते अपने तनसे सटाते लंड पकडकर उनकी चुतमे घुसा दीया तो रश्मीकी हल्कीसी चीख नीकल गइ.. देवायत वही खडे खडे रश्मीको चोदने लगा.. तो रश्मीभी सीसकारीया करते मजेसे देवायतसे चुदवाने लगी..

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दोनो काफी देर चुदाइ करते रहे तभी देवायतने रश्मीको अपनी बाहोमे भीच लीया ओर नीचेसे कमरको जटके देने लगा.. तो रश्मीका मुह खुला रेह गया ओर आधी आंख चडाते वोभी मदहोसीमे देवायतके साथ जडने लगी.. ओर दोनो सांत होके अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे खडे रहे.. तब सरपंच गुसा होते रश्मीको देवायतसे चुदवाते हुअ‍े देखता रहा की कैसे उनकी बीवी अ‍ेक रंडीकी तराह उनके सामनेही देवायतसे चुदवा रही हे..

रश्मी : (चुतको साफ करते) जानु.. वो चारुभाभी मीलीथी.. हम दोनोमे आपके बारेमे बात हुइ.. वो आपसे अकेलीमे मीलना चाहती हे.. तो मेने केह दियाकी जबभी मीलना हो मेरे घर चली आना.. मे फोन करके आपको बुला दुगी..

देवायत : (हसते) हां अब वोभी तेरी तराह मेरे लंडकी आदी होगइ हे.. इसीलीये मेनेही उसे तुमसे मीलनेके लीये कहाथा.. लेकीन अभी ये सब सादी बादी नीपटाने दे.. फीर तुम दोनोको मे यहा ठंडी करता रहुगा..

रश्मी : (सरमाते होंठ चुमते) जानु.. अ‍ैसी कीतनी आपकी सीक्रेट बीवीया हे.. ओर हां आप अ‍ेक बार चारुभाभीको मील लेना.. बेचारी आपका कीतना खयाल रखती हे.. वो उनकी सहेलीको आपसे मीलवाना चाहती हे.. क्युकी उनकी सहेलीके घरमे दोनो मीया बीवीके साथ बहुत बडा इस्यु चल रहा हे.. इसीलीये उसे आपकी मदद की जरुरत हे.. सायद उनकाभी चारुभाभी जैसा इस्यु हे.. लगता हे वोभी आपसे चुदवाना चाहती हे.. क्या मस्त माल हे.. आप अ‍ेक बार उनसेभी मीललो..

देवायत : (हसते) ठीक हे.. चल मे चलता हु.. अभी मुजे कइ जगाहपे जाना हे ओर सबको न्योता देना हे..

रश्मी : (जोरोसे बाहोमे भीचते) जानु.. क्या अ‍ैसेही चले जाओये..? रुक जाइअ‍ेनां.. कीतने दिनोके बादतो आये हो.. आपके लीये मे कुछ बनाती हु..

देवायत : (होंठ चुमते) नही रश्मी.. आज जान जरुरी हे.. फीर आउगा तब तेरा दुध पीउगा.. ओर तुम अपना खयाल रखना ओर टाइमपे आजाना.. अब हम सादीके बादही अच्छी तराह मीलेगे.. ओर अब तुभी मीलन करनेमे थोडा ध्यान रखना.. समजी..? कही बच्चेको चोटना लगजाये..

रश्मी : (सरमाते हसते) जी.. समज गइ.. इसीलीये तो आज खडे खडे कीया.. ओर कोइ हुकुम.. हें..हें..हें..

देवायत : हां.. सायद सादीसे पहेले मुजे मीलनेके लीये पुनम इधर आजाये.. तब मुजे फोन करना.. ओर हो सकता हे मेरी कुछ सीक्रेट बीवीभी मीलना चाहे.. तो मे उसे इधर लेकर आउगा.. तुम समज जानाकी ये मेरी सीक्रेट वाइफ हे..

रश्मी : (हसते) हां.. सायद पुनमदीदी अपने पतीके साथ आखरी बार मीलन करना चाहती होगी.. हें..हें..हें.. जानु.. अब इस मकानका क्या करु..? यहा सबकी नजर रहेती हे.. साले सब मुजे ताडते रहेते हे..

देवायत : पुनोकी सादीके बाद तुम हमारे गांवके बहार घर बनवाना चालु करदे.. तो वहा हम सबको मीलनेमे आसानी रहेगी.. रमेशको कहेना लास्ट वाला प्लोट नीकालकर देदे.. मे उनसे बात करलुगा..

फीर देवायत वहासे नीकल गया तब राघव दोनोकी बाते सुन रहाथा ओर देवायतके जातेही रश्मीकी ओर गुस्सेसे घुरने लगा.. तो रश्मी उनकी ओर कातील स्माइल करने लगी.. ओर अपने पेटपे हाथ घुमाते जोरोसे हसने लगी.. तभी अचानक उसने अपना ब्लाउस उचा करदीया ओर उनके बुब्स बहार आगये.. ओर रश्मी राघवकी कमरपे चडके बेठ गइ ओर राघवपे जुकते उनका बुब्स राघवके मुहमे दे दीया.. ओर कहेने लगी..

रश्मी : (थोडा गुसेसे) देखले भडवे.. अभी जो आयाथानां उसीने तेरी बीवीको चोद चोदकर प्रेगनेन्ट कीया हे.. असली मर्द वोही हे.. देखते होनां वो यहा आकर कैसे तेरी बीवीको चोदता हे.. अब कुछही दिनोमे इधरसे दुध नीकलेगा.. तब तु जींन्दा होगातो तुजेभी पीलाउगी..

नामर्द कहीका.. वो कैसे मेरी चीखे नीकलवाता हे.. तुमने भी तेरी बहेनका बहुत दुध पीया हेनां.. अब मे तुजे पीलाउगी.. ओर जबतक तु जीन्दा हे तेरे सामनेही उनसे अ‍ैसेही चुदवाउगी.. तुजे चोदनाका बहुत सोक थानां.. हंम.. देख वो तेरी चंपाको भी अ‍ैसे चोदता हे.. ले देखले..

कहेते रश्मी राघवके उपरसे खडी होजाती हे.. राघवके मुहके पास जाकर अ‍ेक पग उनके बेडपे रखदेती हे ओर अपना पेटीकोट उचा करके अपनी चुत राघवके मुहके पास रखकर उनमे अपनी उंगली घुसा देती हे ओर देवायतको इमेजींग करते जोरोसे चुतमे उंगली अंदर बहार करने लगी.. तब कुछही देरमे चुतसे अ‍ेक पानीका फवारा नीकलकर राघवके चहेरेको भीगो देता हे.. फीर रश्मी ड्रेस सही करते बहार चली जाती हे..

तो राघव उसे गुसेसे आंख घुमाते जाते हुअ‍े घुरने लगता हे.. उनका चहेरा रश्मीके कामरससे भीगा हुआथा फीरभी उनकी मजबुरीथी.. वो अपने आप चहेरेको पोछभी नही सकताथा.. राघवको कामरसकी अ‍ेक अजीबसी खुस्बु आ रहीथी.. रश्मी राघवको जलील करनेका अ‍ेकभी मौका नही छोडती थी.. राघवभी रश्मीको अ‍ैसेही जलील करता था.. तो अब रश्मीभी राघवसे बदला ले रहीथी.. इधर रश्मी फ्रेस होकर कीचनमे खाना नीकालकर खाने लगी..

दुसरी ओर देवायत रमेशके घर चला जाता हे.. तब रमेश घरपेही था.. ओर वो रश्मी ओर वंदना तीनोही खाना खाकर टीवीमे न्युज देख रहेथे जैसेही देवायतको देखा तो रमेश टीवी बंध करके उनके गले लग गया.. ओर रमेशने उसे हाथ पकडते उनके पास बीठा दीया तब चारु ओर वंदना दोनोही पास बेठते हसती रही.. तभी वंदना अपने रुममे जानेके लीये सरमके मारे खडी होने लगी तब चारुने उनका हाथ खीचके रखा ओर वही बैठे रहेनेका इसारा कीया..

ओर वो देवायतकी ओर कामुक नजरोसे हसती रही.. तब वंदनाभी सर्मसार होते वही बैठी रही तभी रमेशने चारुकी ओर देखातो चारु खडी होकर पानी लेने कीचनमे चली गइ.. ओर अंदर जातेही वो वंदनाको कीचनकी खीडकीसे हाथोके इसारेसे वही बेठनेको कहेती हे.. तब वंदनाकोभी उनकी मम्मीकी हरकतसे सरम आने लगी.. वो जानतीथी की उनकी मम्मी अ‍ैसा क्यु कर रही हे.. ओर वो सर जुकाते बैठी रही.. तब चारु पानी लेकर आगइ.. ओर देवायतको देते उनके हाथोको छुलीया..

चारु : (हसते) कहो देवरजी.. कैसेहो आप ओर मेरी देवरानी..? क्या सादीकी सब खरीदी होगइ..?

देवायत : (हसते) हां भाभी.. बस उसीका न्योता देने आया हु.. तीन दिनके बाद हमने घरके लोगोमेही सादी रखी हे.. तो आप सबको तीन दिन वही आना हे..

रमेश : भाइ क्या सब तैयारीया होगइ..? अरे कुछ काम होतो मुजे या चारुको कहेना.. हम आजायेगे..

देवायत : यार.. वो भानुकी फेमीलीभी इधर आयेगी तो तुम चारुभाभी ओर वंदनाको उधर भेज देना.. ओर वंदना तु अपने सब कपडे लेकर ही उधर आजा.. जबतक पुनो इधर हे तुम उनके साथही रहेना..
वंदना : (सर्मसार होकर हसते) जी..

चारु : (कामुक नजरोसे देखते) देवरजी आप फीकर मत करो मे ओर वंदु दोनोही आजायेगी.. वेसेभी पुनोदीदी वगैरे सबका मेकअप भी तो करना हे.. तो वंदना उधरही रुक जायेगी.. हम कल सुबहही उधर आजायेगे.. कुछ काम बाममे हाथ बट जायेगा.. अ‍ेजी.. क्या कहेतेहो आप..?

रमेश : (हसते) अरे तो चली जाओनां मुजसे क्यु पुछती हो.. वोभीतो हमारा ही घर हे.. क्यु भाइ..?

देवायत : (रमेशकी ओर देखते) ओर नहीतो क्या..? रमेश.. मेने तुजे कुछ काम सोंपाथा.. क्या हुआ इनका..?

रमेश : (हसते) बस इस बारेमे मे कल आपको फोन करनेही वाला था.. अच्छा हुआ आज आप आगये.. सब रेडी हे.. मेने ओर रश्मीभाभीने मीलकर सब पेपर रेडी रखे हे.. कमीनो ने कीतनी गडबड कीथी..

चारु : (जोरोसे हसते) अरे वो बेचारा तो खटीयामे पडा हे.. क्यु उसे गाली देते हो.. हें..हें..हें..

रमेश : चारु वो कोइ बेचारा नही हे.. तुम उनकी सब करतुत सुनतीनां.. तो हमसे पहेले तुमही उनको मार देती.. साला अ‍ेक नंबरका हरामी था.. अब मर जायेतो अच्छा हे..

चारु : (हसते) छोडो ये सब कामकी बाते.. देवरजी कहो आप क्या पीयोगे चाइ या कुछ ठंडा..?

देवायत : (हसते) अरे कुछ नही पीना मुजे ओर जगह भी जाना हे फीर कभी पीलुगा.. हें..हें..हें..

चारु : (कामुक मुस्कानसे) अरे बैठोनां मे अभी फटाफट बनाकर लेआइ.. वंदुकोभी आपसे कुछ कामथा.. तबतक आप दोनो बाते करो मे अभी बनाकर लेआइ.. (कहेते अंदर चली गइ)

देवायत : (हसते) हां वंदना.. बोल सब पेपर रेडी करलीया..?

वंदना : : (सरमाचे हसते) हां.. बस वोही कहेनाथा आपसे.. मेने सब पेपर कंपलीट रखे हे..

देवायत : रमेश.. अबतो सादीके बादही हम जा सकेगे.. अभीतो मेरे सास ससुर ओर कलभी सब महेमान आजायेगे तो मे सादी तक बीजी रहुगा.. ओर तुमभी आजाना.. ओर हमारे पंचायतके सभी सदस्योकोभी आना हे मे उनको मीलकर केहतो दुगा लेकीन तुमभी सबको केहदेना..

रमेश : भाइ उनकी चीन्ता आप मत करो.. ओर कीसीको कहेना हे..? तो बोलो उनकोभी मे केह दुगा..

देवायत : हां यार.. गांवमे हमारे जीतनेभी जान पहेचानके हे सबको कहेना हे.. ओर तुजेतो सब पता हे हमारे जान पहेचान वाले कौन हे.. बस मे वो सुधीरके घर अभी जा रहा हु.. कमीना मेरे स्कुलका दोस्तभी हे.. अगर नही कहुगातो वोतो साला अकडु हे.. मुजसे नाराज होजायेगा.. हें..हें..हें..

रमेश : (हसते) ठीक हे भाइ.. लेकीन भाइ.. आजकल वो कुछ ज्यादाही परेसान लगता हे.. उनका कुछ प्रोबलेम हे.. आप उसे बात करके नीपटालो.. मुजेतो कुछभी नही कहेता..

चारु : (ठंडा लाते) लीजीये देवरजी.. पीजीये.. मे ओर वंदु कल आजायेगे..

चारु सबके लीये ठंडा लाइ तो सब पीने लगे.. तब आज पहेली बार वंदनाको चारुने जबरदस्तीसे वही बीठाके रखा.. तो वंदना खुब सरमा रहीथी.. इनके पीछे चारुका बस अ‍ेकही इन्टेस था.. की वंदना ज्यादासे ज्यादा देवायतके साथ वक्त बीता सके.. ओर वंदनाके दिलमेभी देवायतके लीये अपनी फीलींग्स बढ सके.. उसके बाद देवायत वहासे जाने लगा तब रमेश ओर चारु उनको बहार तक छोडने आये..

तबभी चारु अपनी हरकतोसे बाज नही आइ.. उसने मौका मीलतेही देवायतका हाथ पकडलीया ओर अपनी चुचीपे रखदीया फीर उनकी ओर देखते कामुक मुस्कान करने लगी.. ओर देवायत जटसे अपना हाथ खीचकर वहासे सीधाही डो. सुधीरकी क्लीनीकपे चला गया.. जो महज सुधीरके घरसे कुछही दुरी पर थी.. उसी समय रातके तकरीबन ८.४५ बजनेको आयेथे....कन्टीन्यु
 
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १०२/२

सुधीर अपनी क्लीनीक पेसन्टकी वजहसे रात ९ बजेतक खुली रखता था.. ओर कभी कभीतो रातके दस साडे दसभी बज जाते थे.. उन्होने क्लीनीकपे सीर्फ दवाइ देनेके लीये उसी गांवके अ‍ेक पढे लीखे लडके मुनाको रखाथा.. ओर सुधीरके साथही वो घर जाता था.. क्युकी दोनो आसपासही रहेते थे.. ओर केस नीकालनेके लीये अ‍ेक लडकीको रखाथा.. जो मुनाकीही छोटी बहेन बरखा थी.. वोभी पढीलीखी थी.. वो आठ बजतेही अपने घर चली जाती थी..

दोनोही छोटे परीवारसे थे.. उनके पीताजी रमेशके वहा उनकी दुकानपे नोकरी करते हे.. रमेशनेही मुना ओर उनकी बहेन बरखाको पढाया था.. दोनोही भाइ बहेन सहेरमे साथमे बसमे पढने जाते ओर सामको वापस आजाते जीनकी वजहसे दोनो भाइ बहेनको साथमे रहेनेका मोका ज्यादा मीलताथा.. कभी कभी बसमे जगाह कम होती तो दोनो अ‍ेकही सीटमे अ‍ेडजेस्ट करके बैठ जाते..

तो कभी ज्यादा भीडकी वजहसे दोनोही खडे खडे मुसाफरी करते तब मुना उनकी बहेनको प्रोटेक्ट करते उनके पीछे खडा रहेता जीनकी वजहसे उनका लंड तनके खडे होजाता ओर अपनी बहेनकी चुतडपे घुसे मारता.. तब उनकी बहेन सर्मसार होजाती ओर ये कइ बार होता था.. फीरतो वोभी भीड ना होती तबभी मुनासे अपनी गांड सटकर खडी रहेती.. कभी कभी अ‍ेक जगाह मीलती तो मुनाकी गोदमेही बैठ जाती.. ओर दोनोके बीच अ‍ेक दुसरेके प्रती आकर्सण बढने लगा..

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जब दोनो कोलेजमे आगये.. बार बार दोनो अ‍ेक दुसरेके छुनेकी वजहसे नजदीक आने लगे.. फीरतो घरपेभी दोनो अकेले होते तब अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया करने लगे.. ओर बात मस्तीयोसे सुरु होकर छेडछाड तब पहुंच गइ.. मुना मस्यीया करते उनकी बहेनके चुतडको दबाता.. तो कभी जान बुजकर उनके बुब्सको छु लेता.. उनकी बहेनभी मुनाकी अ‍ैसेही म्सया करने लगती.. उनकोभी इस खेलमे मजा आने लगा..

ओर अ‍ेक दिन मुनाने कोलेज जाते वक्त मौका देखते उनकी बहेनसे अपने दिलकी बात कहेदी.. तो उनकी बहेनने सरमाते मुनाको सबको पता चल जानेका डर जाहीर कीया तो मुनाने उसे सबसे बात छुपाने ओर जींदगीभर साथ नीभानेकी बात कहेते उसे मनालीया ओर उनकी बहेन बरखाने मुनाका प्यार अ‍ेक्सेप्ट करलीया.. नइ जवानीकी वजहसे आपसमे ही दोनो सबसे छुपकर प्यार करन लगे.. जबभी घरमे कोइ नही होता तो दोनो अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे समा जाते.. ओर अ‍ेक दुसरेके होठोको चुमने लगते..

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आखीर अ‍ेक दिन घरपे दोनो अकेलेथे तब दोनोही बहेक गये.. उस दिन मुनाने अपनी बहेनका कौमार्य भंग कर दीया.. ओर तबसे दोनोके बीच जीस्मानी तालुकात बन गये.. फीरतो अक्सर मौका मीलतेही दोनो मील जाते.. मुनाने उनकी बहेनको चोदकर उसे ओर कामुक्त करदीया.. उसेभी मुनासे चुदवानेकी लत लग गइ.. फीरतो दोनोही सबके सोजानेके बाद उपर छतपे मीलते.. यातो बरखा मुनाके रुममे देर रात चली जाती..

ओर खुब चुदाइ करते.. उनकी बहेनभी पढीलीखी होनेकी वजहसे समय समयपे आइपील लेलेती.. दोनोके रीस्तेके बारेमे आज तक कीसीको पता नही चला.. जब पढाइ पुरी होगइ तब दोनोही सुधीरके वहा नोकरीपे लग गये.. सबके सामने भाइ बहेन जैसा व्यहार करते ओर अपनी मयार्दामे रहेते.. ओर रात होतेही दोनो अ‍ेक दुसरेको मीया बीवी मानकर अ‍ेक होजाते.. ओर खुब चुदाइ करते..

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देवायत जेसेही क्लीनीकमे गया वहा कोइ पेशन्ट नही था ओर सुधीरकी केबीनमेभी कोइ नही दिख रहाथा तब देवायत अंदरकी ओर जाने लगा.. तभी पेशन्टको चेक करनेकी केबीनसे उनका आदमी मुना अपने दांतोमे सर्ट दबाकर अपने पेन्टकी क्लीप बंध करते बहार नीकल रहाथा जैसेही देवायतकी ओर नजर गइतो अ‍ेकदा गभराते डर गया.. ओर सर नीचे करते जटसे बहार नीकल गया तो देवायतको कुछ अजीब लगा..

ओर वो उस केबीनकी ओर गया जहासे अभी मुना अपनी पेन्ट पहेनते बहार नीकलाथा.. ओर अंदर जाकते देखा तो सुधीरकी पेन्ट उनके घुटनो तकथी ओर वो जुककर टीस्यु पेपरसे अपनी गांड पोछ रहाथा.. तब देवायतको जरासीभी समजनेमे देर नही लगीकी सुधीर अंदर बेकीनमे अपने आदमी मुनासे गांड मरवा रहाथा.. ओर देवायत सुधीरकी नजर पडे इसे पहेलेही वहासे हट गया ओर बहार चला गया..

फीर कुछ देर रुककर फीरसे अंदर आगया.. तब सुधीरभी अपनी पेन्टमे क्लीप लगाते बहारकी ओर आ रहाथा ओर देवायतको अंदर आते देखकर अ‍ेकबार तो वोभी गभरा गया.. ओर फौरन नोर्मल होनेकी अ‍ेक्टींग करते देवायतकी ओर स्माइल करने लगा ओर उसे आवकार देते अपनी सामनेकी चेरपे देवायतको बेठनेका इसारा करने लगा.. तो देवायत उनके सामने बेठ गया ओर अ‍ेक नजरसे सुधीरकी ओर देखता रहा..

तब सुधीरकी गांड फटने लगी.. क्युकी वो देवायतको कोलेजसे जानता था ओर उसे येभी पताथाकी उनकी कोलेजमे सब उसे गांडु कहेके बुलातेथे.. तब अ‍ेक देवायतही था जो उनके लीये कीसीसेभी लडाइ करलेता था.. तबसे उनकी देवायतसे दोस्ती होगइ थी.. ओर उसने अपनी सादीमे देवायतकोभी न्योता दीयाथा ओर देवायतही उनके साथ सादीके मंडपमे उनके पासही अणवर बनके बैठाथा था..

देवायतकोभी पताथाकी सुधीरको सब गांडु क्यु कहेते थे.. लेकीन उसने आजतक सुधीरकी अ‍ैसी कोइ हरकत नही देखीथी जो सबपे विस्वास कर सके.. ओर आज उसने अपनी नजरोसे सुधीरकी सब हरकतोको देख लीया.. ओर उसे यकीन हो गयाकी वाकइ सुधीर गांड मरवानेका सौकीन हे.. तो वो अपनी खुबसुरत बीवीको कैसे चोदता होगा..? ओर उसे सुधीरकी बीवी नीशाका उनके प्रती देखनेका नजरीया समजमे आने लगाकी वो उनके प्रती क्यु आकर्सीत होने लगी हे..ओर उसे नीशाके लीये हम दर्दी होने लगी.. तभी..

डो.सुधीर : (हसते) आओ भाइ.. कहो आज यहाका रास्ता कैसे भुल गये.. हें..हें..हें.. बहुत दिनोके बाद हमारी याद आगइ..

देवायत : (हसते) भाइ तुजे ओर भाभीको सादीका न्योता देने आयाथा.. लखन ओर मेरी बहेन पुनमकी सादी हे.. तो तुम दोनो मीया बीवीको सादीमे आना हे.. ओर दोनोकी सादी हवेलीपे रखी हे..

सुधीर : (हसते) अरे वाह.. तो फीर घरपे आना चाहीयेनां.. चलो हम दोनो घरपे चलते हे.. आपकी भाभी सुनकर खुस होजायेगी.. आपको बहुत याद कर रही हे.. कभीतो घरपे भाभीको लेकर आया करो..

देवायत : (मुस्कुराते) हां.. तेरे घरतो चलते हे लेकीन मुजे तुमसे ओर बातभी करनी हे.. बैठ थोडी देर..

कहातो सुधीरकी गांड फटने लगी.. वो गभराने लगा ओर सोचने लगाकी कही अभी देवायतने उसे मुनासे गांड मरवाते देखतो नही लीया.. जो इस बारेमे बात करना चाहते हो.. ओर वो धीरेसे कहेने लगा..

सुधीर : (थोडा गभराते) भाइ.. वो.. वो.. आप कीस बारेमे मुजसे बात करना चाहते हे..?

देवायत : (जोरोसे हसते) अबे साले तो तुम इतना गभरा क्यु रहे हो.. तुम आज भी इतना फंटुसही हो..

सुधीर : (हसते सरमाते) नही यार.. अ‍ैसी कोइ बात नही हे.. बस तुम मुजसे बहुत कम मीलता हे तो तुमसे बात करनेमे अ‍ेक डरसा लगता हे.. तुम ठहेरे अ‍ेक ठाकुर ओर में.. अ‍ेक गांवका मामुली डाक्टर..

देवायत : (थोडा गुसेमे) साले अ‍ेक जापट लगाउगांना.. बात करता हे.. साले मे तुजे आजभी अपना वोही पुराना दोस्त मानता हु.. ओर मे दुसरोके लीये ठाकुर होगा.. तुम्हारे लीये नही समजा..? देख जाकर रमशेको.. वो आजभी मुजसे अ‍ेक दोस्तकी हेसीयतसे बीन्दास्त बाते करता हे.. साले उनके कहेनेपे तुमसे बात करने आया हु.. सोचा चलो बातभी करलुगा ओर साथमे सादीका न्योताभी देदुगा..

सुधीर : (थोडी आंख गीली करते) सोरी यार.. पता नही अब मुजे क्या होगया हे.. मुजे सबसे डर लग रहा हे.. साला मुजे कोइ समजने वालाही नही हे.. खुद मेरी बीवी भी नही..

देवायत : हां उसीके बारेमे तुमसे बात करनीथी.. बोल दोनोके बीच क्या इस्यु चल रहा हे.. तुम दोनोके बीच कुछ जगडा बगडा हुआ हे क्या..? येतो आज रमेशने कहा तभी मुजे मालुम हुआ..

सुधीर : (आंखमे आंसु बहाते) भाइ मे अब आपसे क्या कहु.. मे टुट चुका हु.. अंदरही अंदर घुट घुटके मर रहा हु.. साला सबका इलाज करता हु.. पर खुदका इलाज नही कर सकता..

कहेते सुधीरका सब्रका बांध टुट चुका ओर वो फुट फुटकर रोने लगा तब देवायत खडा होकर उसे सीनेसे लगा लेता हे.. ओर उनकी पीठ सहेलाता हे.. तब कुछ देर रोनेके बाद सुधीर सांत होजाता हे तब वहीसे अ‍ेक मटकेसे देवायत उसे पानी भरके पीला देता हे.. ओर सुधीर सांत होजाता हे.. फीर वो अपना मुह पानीसे धीकर पोछ लेता हे ओर वापस अपनी जगाहपे बेठ जाता हे.. ओर अपने सीनेमे दबे हुअ‍े राज अपने यारको केह देनेका फैसला करलेता हे..

देवायत : हां सुधीर.. अब बोल तुजे क्या प्रोबलेम हे..? तु बतायेगा तभीतो उनका हल नीकलेगा..

सुधीर : भाइ.. अब आपसे क्या छुपाउ.. भाइ.. में.. में.. आपकी भाभीको डीवोर्स देना चाहता हु..

देवायत : (चोंकते) अरे पागलतो नही होगया क्या..? दोनोके बीच जगडा बगडातो नही हुआ..?

सुधीर : (सरमींदा होते) नही भाइ.. हम दोनो मीया बीवीके बीच कोइ जगडा नही हे.. हम दोनोही अ‍ेक दुसरेको बहुत प्यार भी करते हे.. फीरभी मे उसे डीवोर्स देना चाहता हु.. ताकी उनकी जींदगीतो सुधर जाये.. लेकीन वो मना कर रही हे.. कहेती हे डीवोर्स दियातो मे सुसाइड करलुगी.. अब आपही बताओ मे क्या करु..? उसे दुखी होते भी तो नही देख सकता.. वो बहुतही मासुम ओर अच्छी हे..

देवायत : (थोडा गुसेसे) तो फीर डफर.. अगर तुम दोनोमे इतना प्यार हेतो तुम उसे डीवोर्स देना क्यु चाहते हो..? कुछतो रीजन होगा.. बता क्या प्रोबलेम हे..?

सुधीर : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. प्लीज.. ये बात कीसीको मत कहेना.. दरसल.. दरसल मे आपकी भाभीको सारीरीक सुख ओर बच्चा देनेमे समर्थ नही हु.. ओर वो मुजे बार बार बच्चेके लीये फोर्स कर रही हे.. कहेती हे अपना इलाज करवाओ.. लेकीन अब उसे कैसे समजाउकी मेरा इलाज नही हो सकता.. मे उसे बच्चा नही दे सकता..

देवायत : (थोडा चींतीत होते) क्यु..? तेरा इलाज क्यु नही हो सकता..? अबतो विज्ञानभी काफी आगे बढ चुका हे.. ओर तुम खुद अ‍ेक डोक्टर हो.. तो इलाज करवानेमे क्या प्रोबलेम हे..?

सुधीर : (सरमाते) भाइ.. अब आपसे क्या कहु.. आपतो सब जानते हो.. बस बचपनसे मेरी कुछ गलत आदतकी वजहसे.. जो मे आपको नही बता सकता.. मेरे होर्मोन्स सामान्य मानीवसे कुछ अलगही हे..

देवायत : (थोडा सख्त लहेजेमे) मुजे पता हे तेरी आदत.. कोलेजमे सब सचही कहेते थे.. लेकीन में नही मानता था.. ओर आज देखभी लीयाकी वो लोग सच ही कहेते हे.. कमीने तुजे अ‍ैसी गलत आदत कहासे लग गइ.. हंम..? क्या इनकी वजहसे तुजे प्रोबलेम होगइ हे..? मुजे सब सच बताना..

सुधीर : (सर नीचे करते सरमाते) भाइ.. सोरी.. क्या आपने आज देखलीया..?

देवायत : (थोडी सख्तीसे) हां देखलीया.. अभी अभी वो रमशेके आदमीका लडका गया हे.. अपनी पेन्ट पहेनते.. सधीर तु अ‍ेक डोक्टर हे.. ओर डोक्टर होकर तुजे अ‍ैसी आदत कहासे लग गइ..? बात कुछ समजने नही आइ.. अगर तुजे पताही थाकी मे सारीरीक सुख ओर बच्चे देनेमे सक्षम नही हु.. तो फीर तुमने नीशाभाभीसे सादीही क्यु की..? क्युकी उनकी जींदगी खराब..

सुधीर : (खडे होते) भाइ.. सोरी.. अब मुजे आपको सब सचाइ बतानीही पडेगी वरना आपभी मुजे गलतही समजते रहोगे.. भाइ मेरे घरपे ये बात कोइ नही जानता.. मेने कीसीको नही बताया.. लेकीन मे आपको फुरसतमे सबकुछ सच बता दुगा.. अभीतो जानेका टाइम हे ओर आपकोभी ओर जगाह न्योता देने जाना हे..

तो आइअ‍े हम घर चलते हे आपही अपनी भाभीको न्योता देदो.. जब सादीका नीपट जायेतो हम दोनो अकेले मीलेगे तब मे आपको सबकुछ बतादुगा.. अभीतो मेरे साथ घर चलो.. ओर आपकी भाभीसेभी बात करलो उनको कुज समजाओ.. सायद आपकी बात मानजाये..

देवायत : (खडे होते बहारकी ओर नीकलते) साले समजना उनको नही तुजे हे.. तु उनको डीवोर्स देना चाहता हे वो नही.. समजे..? चल उनसेभी मील लेता हु.. कइ दिनोसे भाभीको मीलाही नही..

कहेते दोनोही क्लीनीकके बहार चले जाते हे.. तब सुधीर क्लीनीकको ताला लगा देता हे ओर देवायतके पीछे बाइकमे बैठ जाता हे फीर देवायतने बाइक सीधेही पासमे सुधीरके घरपे लेली.. ओर दोनो उतर कर अंदर चले गये.. तो सुधीरकी बीवी नीशा टीवी देख रहीथी.. जैसेही देवायतको देखा उनके चहेरेपे चमक आगइ ओर हसते हुअ‍े देवायतको नमस्ते करने लगी.. ओर सुधीरने देवायतको सोफेपे बीठाया..

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नीशा : (खुस होते हसते) आइअ‍े देवरजी.. आज इधरका रास्ता कैसे भुल गये..? मुजसे नही तो कमसे कम अपने फ्रेन्डको मीलनेतो आजाते.. हें..हें..हें..

सुधीर : (हसते) नीशा.. उनके छोटे भाइ बहेनकी सादी हे.. तो हमे न्योता देने क्लीनीकपे आयेथे.. तो मे इसे इधर लेकर आगया.. कहा आपही अपनी भाभीको न्योता देदो.. हें..हें..हें..

नीशा : (हसते) हांतो सही हेनां.. न्योता देने क्लीनीकपे थोडीनां जाते हे.. वोतो घरका व्यवहार हे.. ओर मेरी इस बारेमे चारुभाभी ओर रश्मीभाभीसे बातभी होगइ हे.. आप नही कहेते तोभी हम कल आने वाली हे.. कलही मुजे चारुभाभीके साथ आपके घर जाना हे.. मंजुभाभीने कहेलवाया हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) देखा..? देख डफर.. तुजे कैसी समजदार बीवी मीली हे.. ओर तु हेकी.. हें..हें..हें..

नीशा : (हसते) देवरजी समजाइअ‍े अपने भाइको.. कैसी कैसी नादानीया करते हे.. उनको मुजे डीवोर्स देना हे.. कुछतो सोच समजकर बोलते.. क्या ये सब बच्चोका खेल हे..? समजाइअ‍े इसे..

सुधीर : (हसतेअपने कान पकडते) सोरी नीशा.. अब अ‍ैसी गलती नही करुगा बस..? मेने इस बारेमे भाइसे बात करली हे.. वोही कुछ रास्ता नीकालेगे.. मे तुजे खोना नही चाहता..

नीशा : (हसते) हंम.. अब ठीक हे.. सुधीर तुम जरा फ्रेस होजाओ मे देवरजीके लीये कुछ बनाती हु..

देवायत : (हसते) भाभी कुछ नही पीना.. बस मुजे जाना हे.. अभी तीन चार घरपे ओर जाना हे..

सुधीर : (खडा होते) भाइ.. कीतने दिनोके बाद हमारे घर आये हो.. आप कुछ पीकरही जाना.. बैठो मे अभी फटाफट फ्रेस होकर आता हु..

कहेते वो बाथरुममे टोलीया लेकर चला गया तब नीशा जटसे अपने बेडरुममे चली गइ ओर थोडीही देरमे हाथमे अ‍ेक बंध कवर लेकर आगइ.. ओर देवायतके पास उनसे सटकर बैठ गइ फीर कवरको देवायतसे देते धीरेसे बात करने लगी..

नीशा : देवरजी ये चीठी हे.. अभी अपनी जेबमे फटाफट रखलो.. आप घर जाकर अकेलेमे फुरसतमे पढलेना.. मुजे आपसे बहुत कुछ कहेना हे.. जो बात मेने चीठीमेभी लीखी हे आप पढोगे तो सब कुछ समज जाओगे..

देवायत : (हसते धीरेसे) भाभी ये सब मै क्या सुन रहा हु.. कुछ प्रोबलेम हे क्या..?

नीशा : देवरजी मेने चीठीमे सबकुछ लीखा हे आप पढलीजीयेगा.. ओर हां इस बारेके कीसीसे जीक्र करनेकी जरुरत नही हे.. बात सीर्फ हम दोनोकेबीचही रहेनी चाहीये.. ये मेरी पर्सनल बात हे.. जो मे आपको रुबरु नही केह सकती.. इस बारेमे सीर्फ चारुभाभी जानती हे.. ओर कोइ नही.. अब आप बैठीये मे कुछ ठंडा बनाकर लाती हु.. अभी सुधीर आजायेगा.. हम फुरसतमे बात करेगे..

कहेते नीशा सरमाती हुइ कीचनमे चली गइ.. तब कुछही देरमे सुधीरभी अपना हाथ ओर मुह पोछते हुअ‍े नीकला तबतक नीशाकी चीठी देवायतने जेबमे रखली थी.. तो कुछही देरमे नीशाभी दो ग्लास ठंडा लेकर आगइ ओर देवायतको देते उनकी ओर कातील स्माइल करने लगी.. जैसे कोइ जंग फतेह करली हो.. वो बहुतही खुसथी.. ओर देवायत ठंडा पीकर वहासे नीकलने लगा.. तब सुधीर ओर नीशा उनको दरवाजे तक बहार छोडने आये तब नीशा बहुतही सरमा रही थी..

फीर देवायत तीन चार जगाह ओर न्योता देकर सीधाही चंपाभाभीके घर चला गया.. तब वो सोनेकी तैयारीया कर रहीथी.. वो देवायतको देखतेही खुस होगइ ओर उनके अंदर जातेही उन्होने घरका दरवाजा बंध करलीया फीर देवायतको लेकर अपने बेडरुममे चली गइ.. जाहीरसी बात हे चंपाभाभी बहुतही कामी ओरत थी ओर देवायतको कभीभी अ‍ैसे बीना चुदवाये नही जाने देतीथी.. देवायत उसे कुछ कहे उनसे पहेलेही वो अपने सब कपडे नीकालकर अपने बेडपे पैर फैलाके लेट गइ.. ओर देवायतकी ओर देखकर हसने लगी..

फीर देवायतका हाथ खीचकर अपने उपर गीरा दीया.. तभी देवायत उसे कुछ कहेता इनसे पहेले चंपाभाभीने देवायतके मुहपे हाथ रखदीया ओर देवायतके सर्टके बटन खोलने लगी.. वो उसे कुछ बोलनेही नही देतीथी.. ओर लेटे लेटेही देवायतके कपडेभी नीकाल दीया ओर अपने उपर चडालीया.. फीर हाथ नीचे लेजाते उनके लंडको मुठीमे पकडलीया..

अपनी गीली चुतमे घीरसे चुतके लव होलमे लंडको अपना रास्ता दीखा दीया.. तभी देवायतने अ‍ेकही जटकेमे पुरा लंड चंपाभाभीकी चुतमे उतार दीया तब चंपाभाभी दर्दके मारे मुह बीगाडते छटपटाने लगी.. ओर उसने देवायतको कसके अपनी बाहोमे भीचलीया ओर अपने पैर उनकी कमरपे रखते पैरकी आंटी लगादी.. फीर कुछ देर अ‍ैसेही देवायतकी कमरको अपनी चुतमे दबाते पडी रही.. ओर उनका दर्द कम होगया..

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देवायत : (हसते होंठ चुमते) भाभी.. तुजेतो बहुत आग लगी हुइ हे.. हंम.. मुजे बोलनेही नही देती..

चंपा : (मुस्कुराते) मुजे सब पता हे आप मुजे न्योता देने आयेहो.. लेकीन मुजे मालकीनने केह दीया हे.. बस आपतो अपना कामही करो.. मुजे अ‍ेक बार ठंडी करदो.. जब आप मुजे अ‍ैसे बेहरीमेसे चोदते हो तो मुजे बहुत अच्छा लगता हे.. आजतो आप मेरी हालत खराब करही दो..

देवायत : (हसते कमर हीलाते) भाभी तु बहोत ठरकी होगइ हे.. इतनी ठरकीतो रश्मीभी नही हे..

चंपा : (कमर उछालते) आपको जोभी कहेना हो कहीये.. मेतो अ‍ैसेही आपसे चुदवाती रहुगी.. ओर कमसे कम तीन दिनमे तो मेरी अ‍ेक बार चुदाइ करकेही जाना.. अब आपकी आदतजो लग गइ हे..

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फीर देवायत हाथके बल उचा होकर बडेही जोसमे चंपाकी चुदाइ करने लगता हे तब चंपा दर्दके मारे छटपटाते अपनी कमर उछाल उछालकर देवायतसे चुदवाती रही दोनोके बीच घमासान चुदाइ हुइ.. ओर काफी धकोपैनीके बाद दोनोही साथमे जड गये.. तब देवायतने चंपाभाभीकी चुतको अपने पानीसे लबालब भरदी.. ओर वो चंपाभाभीके उपरसे उतरकर बाथरुममे चला गया ओर अपना लंड साफ करेके बहार आगया..

फीर अपने कपडे पहेनकर चंपाभाभीकी ओर देखता हे तब वो बेसुध्ध जैसे बीस्तरे पडीथी ओर मुह बीगाडते दर्दके मारे कणस रहीथी.. आज देवायतने उनको बहुतही बहेरहेमीसे चोद लीया था.. तब देवायतको उनको देखकर हसी आगइ.. तो चंपाभी दर्द होते हुअ‍े भी सरमाकर मुस्कराने लगी.. ओर देवायतने उनके उपर जुकते चंपाभाभीके होंठ चुमलीये ओर वो बहार नीकलकर अपनी हवेलीकी ओर नीकल गया..

इधर हवेलीपेभी सभी लोग अपने अपने रुममे जाकर सो चुकेथे.. होलमे सीर्फ नीर्मला चंदा ओर मंजुही बैठे थे ओर आपसमे बाते कर रहेथे.. कल पुरी रात देवायतने अपनी सुहागरातमे बीना नीचे उतरे चंदाको चौद लीयाथा.. इसीलीये वोभी काफी थकी हुइथी ओर उसे बहुत जोरोकी नींद आ रहीथी.. तो कुछ देर बाते करते वोभी सोने चली गइ.. तब होलमे सीर्फ मंजु ओर नीर्मलाही रहे गइ.. ओर देवु देरसे आने वाला था..

इसीलये मां बेटीको बाते करनेका पुरा मौका मील गया.. ओर मंजुने नीर्मलाको बाबाने कही हुइ सृतीकी पुरी बात बतादीकी सृतीभी उनकी सौतन हे.. तब अ‍ेक बारतो नीर्मलाकोभी सृतीसे ज्वेलेसी होने लगी.. फीर मंजुकी सब बाते याद आतेही अपने आपको नोर्मल करलीया.. फीरतो मंजुने सुरुसे लेकर अबतक की सब बाते नीर्मलाको बतादी की वो सब वास्तवमे कौन हे.. सभीका देवायतके साथ रीलेशन क्यु हे..

उसने भावना लता सरला.. सभीके बारेमे बात करली भानुको रमासे सादी क्यु करनी पडी वोभी मंजुने विस्तारसे नीर्मलाको बता दीया बस कुछ रीस्ते ओर पुनमके देवायतके साथ रीस्तेकी बात नही बताइ.. क्युकी नीर्मला धिरेनको बहुत प्यार करती हे ओर उसे अपना बेटा मानती हे.. तो जाहीरसी बात हे वो पुनमको अपनी बहु मानने लगी थी.. अब उसे देवायतकी कीतनीभी सौतन आजाये उसे बुरा नही लगा.. तभी मंजुने सृतीको फोन लगा दीया....

कन्टीन्यु
 
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Kuldipr99

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १०२/२

सुधीर अपनी क्लीनीक पेसन्टकी वजहसे रात ९ बजेतक खुली रखता था.. ओर कभी कभीतो रातके दस साडे दसभी बज जाते थे.. उन्होने क्लीनीकपे सीर्फ दवाइ देनेके लीये उसी गांवके अ‍ेक पढे लीखे लडके मुनाको रखाथा.. ओर सुधीरके साथही वो घर जाता था.. क्युकी दोनो आसपासही रहेते थे.. ओर केस नीकालनेके लीये अ‍ेक लडकीको रखाथा.. जो मुनाकीही छोटी बहेन बरखा थी.. वोभी पढीलीखी थी.. वो आठ बजतेही अपने घर चली जाती थी..

दोनोही छोटे परीवारसे थे.. उनके पीताजी रमेशके वहा उनकी दुकानपे नोकरी करते हे.. रमेशनेही मुना ओर उनकी बहेन बरखाको पढाया था.. दोनोही भाइ बहेन सहेरमे साथमे बसमे पढने जाते ओर सामको वापस आजाते जीनकी वजहसे दोनो भाइ बहेनको साथमे रहेनेका मोका ज्यादा मीलताथा.. कभी कभी बसमे जगाह कम होती तो दोनो अ‍ेकही सीटमे अ‍ेडजेस्ट करके बैठ जाते..

तो कभी ज्यादा भीडकी वजहसे दोनोही खडे खडे मुसाफरी करते तब मुना उनकी बहेनको प्रोटेक्ट करते उनके पीछे खडा रहेता जीनकी वजहसे उनका लंड तनके खडे होजाता ओर अपनी बहेनकी चुतडपे घुसे मारता.. तब उनकी बहेन सर्मसार होजाती ओर ये कइ बार होता था.. फीरतो वोभी भीड ना होती तबभी मुनासे अपनी गांड सटकर खडी रहेती.. कभी कभी अ‍ेक जगाह मीलती तो मुनाकी गोदमेही बैठ जाती.. ओर दोनोके बीच अ‍ेक दुसरेके प्रती आकर्सण बढने लगा..

जब दोनो कोलेजमे आगये.. बार बार दोनो अ‍ेक दुसरेके छुनेकी वजहसे नजदीक आने लगे.. फीरतो घरपेभी दोनो अकेले होते तब अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया करने लगे.. ओर बात मस्तीयोसे सुरु होकर छेडछाड तब पहुंच गइ.. मुना मस्यीया करते उनकी बहेनके चुतडको दबाता.. तो कभी जान बुजकर उनके बुब्सको छु लेता.. उनकी बहेनभी मुनाकी अ‍ैसेही म्सया करने लगती.. उनकोभी इस खेलमे मजा आने लगा..

ओर अ‍ेक दिन मुनाने कोलेज जाते वक्त मौका देखते उनकी बहेनसे अपने दिलकी बात कहेदी.. तो उनकी बहेनने सरमाते मुनाको सबको पता चल जानेका डर जाहीर कीया तो मुनाने उसे सबसे बात छुपाने ओर जींदगीभर साथ नीभानेकी बात कहेते उसे मनालीया ओर उनकी बहेन बरखाने मुनाका प्यार अ‍ेक्सेप्ट करलीया.. नइ जवानीकी वजहसे आपसमे ही दोनो सबसे छुपकर प्यार करन लगे.. जबभी घरमे कोइ नही होता तो दोनो अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे समा जाते.. ओर अ‍ेक दुसरेके होठोको चुमने लगते..

आखीर अ‍ेक दिन घरपे दोनो अकेलेथे तब दोनोही बहेक गये.. उस दिन मुनाने अपनी बहेनका कौमार्य भंग कर दीया.. ओर तबसे दोनोके बीच जीस्मानी तालुकात बन गये.. फीरतो अक्सर मौका मीलतेही दोनो मील जाते.. मुनाने उनकी बहेनको चोदकर उसे ओर कामुक्त करदीया.. उसेभी मुनासे चुदवानेकी लत लग गइ.. फीरतो दोनोही सबके सोजानेके बाद उपर छतपे मीलते.. यातो बरखा मुनाके रुममे देर रात चली जाती..

ओर खुब चुदाइ करते.. उनकी बहेनभी पढीलीखी होनेकी वजहसे समय समयपे आइपील लेलेती.. दोनोके रीस्तेके बारेमे आज तक कीसीको पता नही चला.. जब पढाइ पुरी होगइ तब दोनोही सुधीरके वहा नोकरीपे लग गये.. सबके सामने भाइ बहेन जैसा व्यहार करते ओर अपनी मयार्दामे रहेते.. ओर रात होतेही दोनो अ‍ेक दुसरेको मीया बीवी मानकर अ‍ेक होजाते.. ओर खुब चुदाइ करते..

देवायत जेसेही क्लीनीकमे गया वहा कोइ पेशन्ट नही था ओर सुधीरकी केबीनमेभी कोइ नही दिख रहाथा तब देवायत अंदरकी ओर जाने लगा.. तभी पेशन्टको चेक करनेकी केबीनसे उनका आदमी मुना अपने दांतोमे सर्ट दबाकर अपने पेन्टकी क्लीप बंध करते बहार नीकल रहाथा जैसेही देवायतकी ओर नजर गइतो अ‍ेकदा गभराते डर गया.. ओर सर नीचे करते जटसे बहार नीकल गया तो देवायतको कुछ अजीब लगा..

ओर वो उस केबीनकी ओर गया जहासे अभी मुना अपनी पेन्ट पहेनते बहार नीकलाथा.. ओर अंदर जाकते देखा तो सुधीरकी पेन्ट उनके घुटनो तकथी ओर वो जुककर टीस्यु पेपरसे अपनी गांड पोछ रहाथा.. तब देवायतको जरासीभी समजनेमे देर नही लगीकी सुधीर अंदर बेकीनमे अपने आदमी मुनासे गांड मरवा रहाथा.. ओर देवायत सुधीरकी नजर पडे इसे पहेलेही वहासे हट गया ओर बहार चला गया..

फीर कुछ देर रुककर फीरसे अंदर आगया.. तब सुधीरभी अपनी पेन्टमे क्लीप लगाते बहारकी ओर आ रहाथा ओर देवायतको अंदर आते देखकर अ‍ेकबार तो वोभी गभरा गया.. ओर फौरन नोर्मल होनेकी अ‍ेक्टींग करते देवायतकी ओर स्माइल करने लगा ओर उसे आवकार देते अपनी सामनेकी चेरपे देवायतको बेठनेका इसारा करने लगा.. तो देवायत उनके सामने बेठ गया ओर अ‍ेक नजरसे सुधीरकी ओर देखता रहा..

तब सुधीरकी गांड फटने लगी.. क्युकी वो देवायतको कोलेजसे जानता था ओर उसे येभी पताथाकी उनकी कोलेजमे सब उसे गांडु कहेके बुलातेथे.. तब अ‍ेक देवायतही था जो उनके लीये कीसीसेभी लडाइ करलेता था.. तबसे उनकी देवायतसे दोस्ती होगइ थी.. ओर उसने अपनी सादीमे देवायतकोभी न्योता दीयाथा ओर देवायतही उनके साथ सादीके मंडपमे उनके पासही अणवर बनके बैठाथा था..

देवायतकोभी पताथाकी सुधीरको सब गांडु क्यु कहेते थे.. लेकीन उसने आजतक सुधीरकी अ‍ैसी कोइ हरकत नही देखीथी जो सबपे विस्वास कर सके.. ओर आज उसने अपनी नजरोसे सुधीरकी सब हरकतोको देख लीया.. ओर उसे यकीन हो गयाकी वाकइ सुधीर गांड मरवानेका सौकीन हे.. तो वो अपनी खुबसुरत बीवीको कैसे चोदता होगा..? ओर उसे सुधीरकी बीवी नीशाका उनके प्रती देखनेका नजरीया समजमे आने लगाकी वो उनके प्रती क्यु आकर्सीत होने लगी हे..ओर उसे नीशाके लीये हम दर्दी होने लगी.. तभी..

डो.सुधीर : (हसते) आओ भाइ.. कहो आज यहाका रास्ता कैसे भुल गये.. हें..हें..हें.. बहुत दिनोके बाद हमारी याद आगइ..

देवायत : (हसते) भाइ तुजे ओर भाभीको सादीका न्योता देने आयाथा.. लखन ओर मेरी बहेन पुनमकी सादी हे.. तो तुम दोनो मीया बीवीको सादीमे आना हे.. ओर दोनोकी सादी हवेलीपे रखी हे..

सुधीर : (हसते) अरे वाह.. तो फीर घरपे आना चाहीयेनां.. चलो हम दोनो घरपे चलते हे.. आपकी भाभी सुनकर खुस होजायेगी.. आपको बहुत याद कर रही हे.. कभीतो घरपे भाभीको लेकर आया करो..

देवायत : (मुस्कुराते) हां.. तेरे घरतो चलते हे लेकीन मुजे तुमसे ओर बातभी करनी हे.. बैठ थोडी देर..

कहातो सुधीरकी गांड फटने लगी.. वो गभराने लगा ओर सोचने लगाकी कही अभी देवायतने उसे मुनासे गांड मरवाते देखतो नही लीया.. जो इस बारेमे बात करना चाहते हो.. ओर वो धीरेसे कहेने लगा..

सुधीर : (थोडा गभराते) भाइ.. वो.. वो.. आप कीस बारेमे मुजसे बात करना चाहते हे..?

देवायत : (जोरोसे हसते) अबे साले तो तुम इतना गभरा क्यु रहे हो.. तुम आज भी इतना फंटुसही हो..

सुधीर : (हसते सरमाते) नही यार.. अ‍ैसी कोइ बात नही हे.. बस तुम मुजसे बहुत कम मीलता हे तो तुमसे बात करनेमे अ‍ेक डरसा लगता हे.. तुम ठहेरे अ‍ेक ठाकुर ओर में.. अ‍ेक गांवका मामुली डाक्टर..

देवायत : (थोडा गुसेमे) साले अ‍ेक जापट लगाउगांना.. बात करता हे.. साले मे तुजे आजभी अपना वोही पुराना दोस्त मानता हु.. ओर मे दुसरोके लीये ठाकुर होगा.. तुम्हारे लीये नही समजा..? देख जाकर रमशेको.. वो आजभी मुजसे अ‍ेक दोस्तकी हेसीयतसे बीन्दास्त बाते करता हे.. साले उनके कहेनेपे तुमसे बात करने आया हु.. सोचा चलो बातभी करलुगा ओर साथमे सादीका न्योताभी देदुगा..

सुधीर : (थोडी आंख गीली करते) सोरी यार.. पता नही अब मुजे क्या होगया हे.. मुजे सबसे डर लग रहा हे.. साला मुजे कोइ समजने वालाही नही हे.. खुद मेरी बीवी भी नही..

देवायत : हां उसीके बारेमे तुमसे बात करनीथी.. बोल दोनोके बीच क्या इस्यु चल रहा हे.. तुम दोनोके बीच कुछ जगडा बगडा हुआ हे क्या..? येतो आज रमेशने कहा तभी मुजे मालुम हुआ..

सुधीर : (आंखमे आंसु बहाते) भाइ मे अब आपसे क्या कहु.. मे टुट चुका हु.. अंदरही अंदर घुट घुटके मर रहा हु.. साला सबका इलाज करता हु.. पर खुदका इलाज नही कर सकता..

कहेते सुधीरका सब्रका बांध टुट चुका ओर वो फुट फुटकर रोने लगा तब देवायत खडा होकर उसे सीनेसे लगा लेता हे.. ओर उनकी पीठ सहेलाता हे.. तब कुछ देर रोनेके बाद सुधीर सांत होजाता हे तब वहीसे अ‍ेक मटकेसे देवायत उसे पानी भरके पीला देता हे.. ओर सुधीर सांत होजाता हे.. फीर वो अपना मुह पानीसे धीकर पोछ लेता हे ओर वापस अपनी जगाहपे बेठ जाता हे.. ओर अपने सीनेमे दबे हुअ‍े राज अपने यारको केह देनेका फैसला करलेता हे..

देवायत : हां सुधीर.. अब बोल तुजे क्या प्रोबलेम हे..? तु बतायेगा तभीतो उनका हल नीकलेगा..

सुधीर : भाइ.. अब आपसे क्या छुपाउ.. भाइ.. में.. में.. आपकी भाभीको डीवोर्स देना चाहता हु..

देवायत : (चोंकते) अरे पागलतो नही होगया क्या..? दोनोके बीच जगडा बगडातो नही हुआ..?

सुधीर : (सरमींदा होते) नही भाइ.. हम दोनो मीया बीवीके बीच कोइ जगडा नही हे.. हम दोनोही अ‍ेक दुसरेको बहुत प्यार भी करते हे.. फीरभी मे उसे डीवोर्स देना चाहता हु.. ताकी उनकी जींदगीतो सुधर जाये.. लेकीन वो मना कर रही हे.. कहेती हे डीवोर्स दियातो मे सुसाइड करलुगी.. अब आपही बताओ मे क्या करु..? उसे दुखी होते भी तो नही देख सकता.. वो बहुतही मासुम ओर अच्छी हे..

देवायत : (थोडा गुसेसे) तो फीर डफर.. अगर तुम दोनोमे इतना प्यार हेतो तुम उसे डीवोर्स देना क्यु चाहते हो..? कुछतो रीजन होगा.. बता क्या प्रोबलेम हे..?

सुधीर : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. प्लीज.. ये बात कीसीको मत कहेना.. दरसल.. दरसल मे आपकी भाभीको सारीरीक सुख ओर बच्चा देनेमे समर्थ नही हु.. ओर वो मुजे बार बार बच्चेके लीये फोर्स कर रही हे.. कहेती हे अपना इलाज करवाओ.. लेकीन अब उसे कैसे समजाउकी मेरा इलाज नही हो सकता.. मे उसे बच्चा नही दे सकता..

देवायत : (थोडा चींतीत होते) क्यु..? तेरा इलाज क्यु नही हो सकता..? अबतो विज्ञानभी काफी आगे बढ चुका हे.. ओर तुम खुद अ‍ेक डोक्टर हो.. तो इलाज करवानेमे क्या प्रोबलेम हे..?

सुधीर : (सरमाते) भाइ.. अब आपसे क्या कहु.. आपतो सब जानते हो.. बस बचपनसे मेरी कुछ गलत आदतकी वजहसे.. जो मे आपको नही बता सकता.. मेरे होर्मोन्स सामान्य मानीवसे कुछ अलगही हे..

देवायत : (थोडा सख्त लहेजेमे) मुजे पता हे तेरी आदत.. कोलेजमे सब सचही कहेते थे.. लेकीन में नही मानता था.. ओर आज देखभी लीयाकी वो लोग सच ही कहेते हे.. कमीने तुजे अ‍ैसी गलत आदत कहासे लग गइ.. हंम..? क्या इनकी वजहसे तुजे प्रोबलेम होगइ हे..? मुजे सब सच बताना..

सुधीर : (सर नीचे करते सरमाते) भाइ.. सोरी.. क्या आपने आज देखलीया..?

देवायत : (थोडी सख्तीसे) हां देखलीया.. अभी अभी वो रमशेके आदमीका लडका गया हे.. अपनी पेन्ट पहेनते.. सधीर तु अ‍ेक डोक्टर हे.. ओर डोक्टर होकर तुजे अ‍ैसी आदत कहासे लग गइ..? बात कुछ समजने नही आइ.. अगर तुजे पताही थाकी मे सारीरीक सुख ओर बच्चे देनेमे सक्षम नही हु.. तो फीर तुमने नीशाभाभीसे सादीही क्यु की..? क्युकी उनकी जींदगी खराब..

सुधीर : (खडे होते) भाइ.. सोरी.. अब मुजे आपको सब सचाइ बतानीही पडेगी वरना आपभी मुजे गलतही समजते रहोगे.. भाइ मेरे घरपे ये बात कोइ नही जानता.. मेने कीसीको नही बताया.. लेकीन मे आपको फुरसतमे सबकुछ सच बता दुगा.. अभीतो जानेका टाइम हे ओर आपकोभी ओर जगाह न्योता देने जाना हे..

तो आइअ‍े हम घर चलते हे आपही अपनी भाभीको न्योता देदो.. जब सादीका नीपट जायेतो हम दोनो अकेले मीलेगे तब मे आपको सबकुछ बतादुगा.. अभीतो मेरे साथ घर चलो.. ओर आपकी भाभीसेभी बात करलो उनको कुज समजाओ.. सायद आपकी बात मानजाये..

देवायत : (खडे होते बहारकी ओर नीकलते) साले समजना उनको नही तुजे हे.. तु उनको डीवोर्स देना चाहता हे वो नही.. समजे..? चल उनसेभी मील लेता हु.. कइ दिनोसे भाभीको मीलाही नही..

कहेते दोनोही क्लीनीकके बहार चले जाते हे.. तब सुधीर क्लीनीकको ताला लगा देता हे ओर देवायतके पीछे बाइकमे बैठ जाता हे फीर देवायतने बाइक सीधेही पासमे सुधीरके घरपे लेली.. ओर दोनो उतर कर अंदर चले गये.. तो सुधीरकी बीवी नीशा टीवी देख रहीथी.. जैसेही देवायतको देखा उनके चहेरेपे चमक आगइ ओर हसते हुअ‍े देवायतको नमस्ते करने लगी.. ओर सुधीरने देवायतको सोफेपे बीठाया..

नीशा : (खुस होते हसते) आइअ‍े देवरजी.. आज इधरका रास्ता कैसे भुल गये..? मुजसे नही तो कमसे कम अपने फ्रेन्डको मीलनेतो आजाते.. हें..हें..हें..

सुधीर : (हसते) नीशा.. उनके छोटे भाइ बहेनकी सादी हे.. तो हमे न्योता देने क्लीनीकपे आयेथे.. तो मे इसे इधर लेकर आगया.. कहा आपही अपनी भाभीको न्योता देदो.. हें..हें..हें..

नीशा : (हसते) हांतो सही हेनां.. न्योता देने क्लीनीकपे थोडीनां जाते हे.. वोतो घरका व्यवहार हे.. ओर मेरी इस बारेमे चारुभाभी ओर रश्मीभाभीसे बातभी होगइ हे.. आप नही कहेते तोभी हम कल आने वाली हे.. कलही मुजे चारुभाभीके साथ आपके घर जाना हे.. मंजुभाभीने कहेलवाया हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) देखा..? देख डफर.. तुजे कैसी समजदार बीवी मीली हे.. ओर तु हेकी.. हें..हें..हें..

नीशा : (हसते) देवरजी समजाइअ‍े अपने भाइको.. कैसी कैसी नादानीया करते हे.. उनको मुजे डीवोर्स देना हे.. कुछतो सोच समजकर बोलते.. क्या ये सब बच्चोका खेल हे..? समजाइअ‍े इसे..

सुधीर : (हसतेअपने कान पकडते) सोरी नीशा.. अब अ‍ैसी गलती नही करुगा बस..? मेने इस बारेमे भाइसे बात करली हे.. वोही कुछ रास्ता नीकालेगे.. मे तुजे खोना नही चाहता..

नीशा : (हसते) हंम.. अब ठीक हे.. सुधीर तुम जरा फ्रेस होजाओ मे देवरजीके लीये कुछ बनाती हु..

देवायत : (हसते) भाभी कुछ नही पीना.. बस मुजे जाना हे.. अभी तीन चार घरपे ओर जाना हे..

सुधीर : (खडा होते) भाइ.. कीतने दिनोके बाद हमारे घर आये हो.. आप कुछ पीकरही जाना.. बैठो मे अभी फटाफट फ्रेस होकर आता हु..

कहेते वो बाथरुममे टोलीया लेकर चला गया तब नीशा जटसे अपने बेडरुममे चली गइ ओर थोडीही देरमे हाथमे अ‍ेक बंध कवर लेकर आगइ.. ओर देवायतके पास उनसे सटकर बैठ गइ फीर कवरको देवायतसे देते धीरेसे बात करने लगी..

नीशा : देवरजी ये चीठी हे.. अभी अपनी जेबमे फटाफट रखलो.. आप घर जाकर अकेलेमे फुरसतमे पढलेना.. मुजे आपसे बहुत कुछ कहेना हे.. जो बात मेने चीठीमेभी लीखी हे आप पढोगे तो सब कुछ समज जाओगे..

देवायत : (हसते धीरेसे) भाभी ये सब मै क्या सुन रहा हु.. कुछ प्रोबलेम हे क्या..?

नीशा : देवरजी मेने चीठीमे सबकुछ लीखा हे आप पढलीजीयेगा.. ओर हां इस बारेके कीसीसे जीक्र करनेकी जरुरत नही हे.. बात सीर्फ हम दोनोकेबीचही रहेनी चाहीये.. ये मेरी पर्सनल बात हे.. जो मे आपको रुबरु नही केह सकती.. इस बारेमे सीर्फ चारुभाभी जानती हे.. ओर कोइ नही.. अब आप बैठीये मे कुछ ठंडा बनाकर लाती हु.. अभी सुधीर आजायेगा.. हम फुरसतमे बात करेगे..

कहेते नीशा सरमाती हुइ कीचनमे चली गइ.. तब कुछही देरमे सुधीरभी अपना हाथ ओर मुह पोछते हुअ‍े नीकला तबतक नीशाकी चीठी देवायतने जेबमे रखली थी.. तो कुछही देरमे नीशाभी दो ग्लास ठंडा लेकर आगइ ओर देवायतको देते उनकी ओर कातील स्माइल करने लगी.. जैसे कोइ जंग फतेह करली हो.. वो बहुतही खुसथी.. ओर देवायत ठंडा पीकर वहासे नीकलने लगा.. तब सुधीर ओर नीशा उनको दरवाजे तक बहार छोडने आये तब नीशा बहुतही सरमा रही थी..

फीर देवायत तीन चार जगाह ओर न्योता देकर सीधाही चंपाभाभीके घर चला गया.. तब वो सोनेकी तैयारीया कर रहीथी.. वो देवायतको देखतेही खुस होगइ ओर उनके अंदर जातेही उन्होने घरका दरवाजा बंध करलीया फीर देवायतको लेकर अपने बेडरुममे चली गइ.. जाहीरसी बात हे चंपाभाभी बहुतही कामी ओरत थी ओर देवायतको कभीभी अ‍ैसे बीना चुदवाये नही जाने देतीथी.. देवायत उसे कुछ कहे उनसे पहेलेही वो अपने सब कपडे नीकालकर अपने बेडपे पैर फैलाके लेट गइ.. ओर देवायतकी ओर देखकर हसने लगी..

फीर देवायतका हाथ खीचकर अपने उपर गीरा दीया.. तभी देवायत उसे कुछ कहेता इनसे पहेले चंपाभाभीने देवायतके मुहपे हाथ रखदीया ओर देवायतके सर्टके बटन खोलने लगी.. वो उसे कुछ बोलनेही नही देतीथी.. ओर लेटे लेटेही देवायतके कपडेभी नीकाल दीया ओर अपने उपर चडालीया.. फीर हाथ नीचे लेजाते उनके लंडको मुठीमे पकडलीया..

अपनी गीली चुतमे घीरसे चुतके लव होलमे लंडको अपना रास्ता दीखा दीया.. तभी देवायतने अ‍ेकही जटकेमे पुरा लंड चंपाभाभीकी चुतमे उतार दीया तब चंपाभाभी दर्दके मारे मुह बीगाडते छटपटाने लगी.. ओर उसने देवायतको कसके अपनी बाहोमे भीचलीया ओर अपने पैर उनकी कमरपे रखते पैरकी आंटी लगादी.. फीर कुछ देर अ‍ैसेही देवायतकी कमरको अपनी चुतमे दबाते पडी रही.. ओर उनका दर्द कम होगया..

देवायत : (हसते होंठ चुमते) भाभी.. तुजेतो बहुत आग लगी हुइ हे.. हंम.. मुजे बोलनेही नही देती..

चंपा : (मुस्कुराते) मुजे सब पता हे आप मुजे न्योता देने आयेहो.. लेकीन मुजे मालकीनने केह दीया हे.. बस आपतो अपना कामही करो.. मुजे अ‍ेक बार ठंडी करदो.. जब आप मुजे अ‍ैसे बेहरीमेसे चोदते हो तो मुजे बहुत अच्छा लगता हे.. आजतो आप मेरी हालत खराब करही दो..

देवायत : (हसते कमर हीलाते) भाभी तु बहोत ठरकी होगइ हे.. इतनी ठरकीतो रश्मीभी नही हे..

चंपा : (कमर उछालते) आपको जोभी कहेना हो कहीये.. मेतो अ‍ैसेही आपसे चुदवाती रहुगी.. ओर कमसे कम तीन दिनमे तो मेरी अ‍ेक बार चुदाइ करकेही जाना.. अब आपकी आदतजो लग गइ हे..

फीर देवायत हाथके बल उचा होकर बडेही जोसमे चंपाकी चुदाइ करने लगता हे तब चंपा दर्दके मारे छटपटाते अपनी कमर उछाल उछालकर देवायतसे चुदवाती रही दोनोके बीच घमासान चुदाइ हुइ.. ओर काफी धकोपैनीके बाद दोनोही साथमे जड गये.. तब देवायतने चंपाभाभीकी चुतको अपने पानीसे लबालब भरदी.. ओर वो चंपाभाभीके उपरसे उतरकर बाथरुममे चला गया ओर अपना लंड साफ करेके बहार आगया..

फीर अपने कपडे पहेनकर चंपाभाभीकी ओर देखता हे तब वो बेसुध्ध जैसे बीस्तरे पडीथी ओर मुह बीगाडते दर्दके मारे कणस रहीथी.. आज देवायतने उनको बहुतही बहेरहेमीसे चोद लीया था.. तब देवायतको उनको देखकर हसी आगइ.. तो चंपाभी दर्द होते हुअ‍े भी सरमाकर मुस्कराने लगी.. ओर देवायतने उनके उपर जुकते चंपाभाभीके होंठ चुमलीये ओर वो बहार नीकलकर अपनी हवेलीकी ओर नीकल गया..

इधर हवेलीपेभी सभी लोग अपने अपने रुममे जाकर सो चुकेथे.. होलमे सीर्फ नीर्मला चंदा ओर मंजुही बैठे थे ओर आपसमे बाते कर रहेथे.. कल पुरी रात देवायतने अपनी सुहागरातमे बीना नीचे उतरे चंदाको चौद लीयाथा.. इसीलीये वोभी काफी थकी हुइथी ओर उसे बहुत जोरोकी नींद आ रहीथी.. तो कुछ देर बाते करते वोभी सोने चली गइ.. तब होलमे सीर्फ मंजु ओर नीर्मलाही रहे गइ.. ओर देवु देरसे आने वाला था..

इसीलये मां बेटीको बाते करनेका पुरा मौका मील गया.. ओर मंजुने नीर्मलाको बाबाने कही हुइ सृतीकी पुरी बात बतादीकी सृतीभी उनकी सौतन हे.. तब अ‍ेक बारतो नीर्मलाकोभी सृतीसे ज्वेलेसी होने लगी.. फीर मंजुकी सब बाते याद आतेही अपने आपको नोर्मल करलीया.. फीरतो मंजुने सुरुसे लेकर अबतक की सब बाते नीर्मलाको बतादी की वो सब वास्तवमे कौन हे.. सभीका देवायतके साथ रीलेशन क्यु हे..

उसने भावना लता सरला.. सभीके बारेमे बात करली भानुको रमासे सादी क्यु करनी पडी वोभी मंजुने विस्तारसे नीर्मलाको बता दीया बस कुछ रीस्ते ओर पुनमके देवायतके साथ रीस्तेकी बात नही बताइ.. क्युकी नीर्मला धिरेनको बहुत प्यार करती हे ओर उसे अपना बेटा मानती हे.. तो जाहीरसी बात हे वो पुनमको अपनी बहु मानने लगी थी.. अब उसे देवायतकी कीतनीभी सौतन आजाये उसे बुरा नही लगा.. तभी मंजुने सृतीको फोन लगा दीया....

कन्टीन्यु
Mast update bahut Sundar
Keep going...
 
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