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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १०३/१

उसने भावना लता सरला.. सभीके बारेमे बात करली भानुको रमासे सादी क्यु करनी पडी वोभी मंजुने विस्तारसे नीर्मलाको बता दीया बस कुछ रीस्ते ओर पुनमके देवायतके साथ रीस्तेकी बात नही बताइ.. क्युकी नीर्मला धिरेनको बहुत प्यार करती हे ओर उसे अपना बेटा मानती हे.. तो जाहीरसी बात हे वो पुनमको अपनी बहु मानने लगी थी.. अब उसे देवायतकी कीतनीभी सौतन आजाये उसे बुरा नही लगा.. तभी मंजुने सृतीको फोन लगा दीया....अब आगे

मंजुला : (सृतीने फोन उठातेही हसते) हेलो.. क्या मेरी सौतन बोल रही हे.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते हसते फोनपे) कौन.. मंजु..? तुम अपनी हरकतोपे बाज नही आओगी.. हें..हें..हें.. कहो.. क्या बात हे.. अभी तक जाग रही हो.. ओर वोभी गांवमें.. यहा सीटीकी बात अलग हे.. यहातो सब देर तक जागते रहेते हे.. रातमेही रोनक होती हे जैसे दिन नीकला हो.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) नही.. मम्मी पापा आये हे.. सबलोग सो गये हे ओर देवु बहार गया हे.. तो मे ओर मम्मी दोनो इधर उनका इन्तजार करते बैठीथी तो तुजे फोन करदीया.. क्या बुआ जाग रही हे..?

सृती : (हसते) हां सायद कोइ अपनी कीताब पढ रही होगी.. पता नही सारा दिन क्या पढती रहेती हे.. लो अभी उनको फोन देती हु..

मंजुला : (जटसे) सृती.. सुन.. कल तुजे ओर बुआको इधर आना हे.. ओर सादी तक यही रुकना हे.. ले.. मम्मीसे बात कर.. (कहेते फोन नीर्मलाको पकडा देती हे)

नीर्मला : (हसते) हेलो.. सृती.. कैसी हो..? ओर क्या कर रही हे तुम्हारी मम्मी..? सो गइ क्या..?

सृती : (हसते) अरे मौसी.. बस मजेमे.. अभी ठहेरो मे मम्मीको फोन देती हु.. जागती होगी.. (कहेते भुमीकाके रुममे जाते फोन उसे पकडा देती हे) लीजीये मोम.. नीर्मला मौसी आपसे बात करना चाहती हे..

भुमीका : (हसते फोन लेते) क्या कमीनीको फोन करनेका टाइम मील गया..? ला.. दे.. हेलो..

नीर्मला : (जोरोसे हसते फोनपे) कुती गालीयातो मत दे.. हमारी बेटीया साथमे हे.. हें..हें..हें..

भुमीका : (हसते) हां तो गालीयातो दुगीनां.. ना कोइ फोन ना मुजसे मीलने आइ.. ओर राजीवको इतना कुछ होगया.. फीरभी तुजे फोन कनेका टाइम नही मीला..? अरे फोन कर देती.. तो मे वहा आजाती.. तु अकेली वहा क्या करती..? अब कैसा हे राजीव..

नीर्मला : सोरी भुमी.. वो अचानक इतना कुछ होगया तो मेरा तो दिमागने ही काम करना बंध कर दीयाथा.. बडी मुस्कीलसे उनको होस्पीटल लेकर आइ.. येतो अच्छा हुआ सुबह ही देवु उधर आगया.. ओर रीपोर्ट बीपोर्ट करवालीया तो सब सही होगया.. अब बीलकुल ठीक हे.. हम दोनो देवुके साथ मंजुके घर आये हे..

भुमीका : (धीरेसे) सुन नीमु.. क्या अब देवु तुमसे बोत करने लगा हे..? कुछ कहातो नही..?

नीर्मला : (धीरेसे) सुन भुमी.. अभी नही.. तु कल मीलेगी तब हम इस बारेमे हम बात करेगे.. कल तुजे ओर सृतीको इधर आना हे.. ओर राजीवभी आज तुमको याद कर रहा था.. कल आजा हम दोनो चार पांच दिन अब यही हे.. ओर तुभी इसी हीसाबसे तैयारीया करके आना.. हम खुब अ‍ेन्जोय करेगे..

भुमीका : (हसते) चल ठीक हे.. मेने सृतीको केह दीया हे.. उसने क्लीनीकपे अपनी सहेलीको कहेकर सारा इन्तजाम कर लीया हे.. अब सृतीभी वही मेरे साथ रुकेगी.. हम दोनोही कल सुबह नीकल रही हे.. तो अ‍ेक डेढ घंटेमे उधर आजायेगी.. ओर सुन.. मुजे तुमसे कल मीलकर कुछ बतानाभी हे.. हमारी सृतीके बारेमे.. आकर बात करुगी.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (हसते) हां.. मंजुने अभी मुजे सब बतादीया.. भुमी.. मे बहुत खुस हु.. हम दोनोकी बेटीया.. अ‍ेकही घरमे साथमे बहेन बनकर रहेगी.. कीतना अच्छा हेनां..? तुम कल मील.. फीर बात करेगे..

भुमीका : (हसते) क्या..? तुजे सब पता चल गया..? ओर तुम इस बातसे खुस हो..? चलो अच्छा हुआ.. मेरीतो सब टेन्शन खतम होगइ.. चल सृतीको देती हु.. कल मीलते हे.. (उधर नीर्मलाने फोन मंजुको देदीया)

सृती : (फोन लेते) मौसी.. आप फीकर मत करना मे मम्मीको लेकर सुबह आजाउगी..

मंजुला : (हसते) मौसीकी बच्ची मे तेरी सौतन बोल रही हु.. हें..हें..हें.. मेने सुनलीया हे.. कल सुबह तेरा इन्तजार करुगी.. चल अब रखती हु.. कल मीलते हे.. बाय..

सृती : (सरमाते हसते) बाय.. दी..दी.. हें..हें..हें.. (फोन कट करतेही) मोम.. अब सो भी जाओ.. हमे सुबह जल्दी नीकलना हे.. ओर मेने हम दोनोके सब कपडे पेक करलीये हे.. ओर मेभी सो जाती हु.. आपभी सुबहमे सब मेरे ओर आपके गहेने बहेने जोभी लेना हे याद करके ले लीजीयेगा..

भुमीका : (हसते) हां.. बाबा वो मे सुबह ले लुंगी.. अबतो तुजेतो जानेकी जल्दीही होगी.. अपने ससुरालजो जा रही हो.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते हसते) मोम.. आपभीनां.. चलो सो जाओ मे चलती हु.. जब देखो टांग खीचती रहेती हो..

कहेते सृती सरमाते हसती हुइ बहार नीकल गइ.. ओर सब लाइटे बंध करते दरवाजा चेक करलेती हे.. ओर अपने रुममे जाकर दरवाजा बंध करते मीररके सामने चली जाती हे.. ओर उनके डड्ढोअरसे अ‍ेक फोटो नीकालते उसे देखती हे वो देवायतका फोटोथा.. जो मंजुकी सादीमे उसने सबसे छुपकर मोबाइलमे लेलीया था.. ओर यहा फोटो नीकलवाकर हमेसा अपने डड्ढोअरमे रखती.. ओर अक्सर उनसे बाते करती..

सृती : (फोटो देखते) अरे.. मेरे सोना.. मु..हा.. कल तुमसे मीलनेके लीये आरही हु.. अपने ससुराल.. अब देखती हु.. मुजसे बचकर कहा जाते हो.. बहुत तडपाया हे तुमने अपनी सृती को.. बस अ‍ेक बार अपने हथीयारके दर्शन करादो.. वो कमीनी मंजु इनकी बहुत तारीफ करती रहेती हे.. आपको कीतनी हीन्टदी फीरभी कुछ समजतेही नही हे.. हें..हें..हें..

कहेते देवायतके फोटोको मीररके पास उनके सामने रख देती हे.. ओर उनसे बाते करते अपने अ‍ेक अ‍ेक कपडेको नीकालने लगती हे.. जबसे देवायतके पेन्टके उभारको देखाथा.. तबसे सृती देवायतको पानेकी कामना कर रहीथी.. जब पुरी नंगी होगइ तब दोनो हाथोमे अपने बुब्सको थामलीया.. ओर मीररमे देखकर उसे मसलने लगी.. ओर मदहोस होने लगी.. फीर देवायतका फोटो लेकर अपने बेडपे चली गइ ओर उसे चुमते हुअ‍े अ‍ेक हाथसे बुब्सको मसलते दुसरे हाथसे अपनी चुतको सहेलाने लगी..

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जबसे सृतीसे उनके लंडके बारेमे सुना तबसे सृती पागल जैसे होगइ थी.. की कीसाका इतना बडा लंड कैसे हो सकता हे..? ओर वो तबसे उसे देखनेके लीये मचल रहीथी.. ओर आज यही सोचकर अपनी चुतमे उंगली डालकर उसे हिला रहीथी की अब वही लंड उनकी चुतको नसीब होगा.. यही सब सोचकर वो बहुतही उतेजीत होगइ.. ओर अपनी आंख आधी बंध करते मदहोसीमे जोरोसे चुतमे उंगली हीलाने लगी..

तब कुछही देरमे उनकी चुतने जवाब देदीया ओर अ‍ेक तेज फवारा उनकी चुतसे नीकलकर देवायतकी फोटोको भीगोने लगा.. फीर सृती सांत होगइ.. ओर जैसेही फोटोकी ओर देखा उसे हसी आगइ.. ओर फोटो लेकर बाथरुममे घुस गइ फीर नहाकर फोटोकोभी साफ करलीया ओर ड्रायरसे सुखा दीया.. फीर वोभी बहार नीकलकर फोटोको वापस ड्रोअरमे रखते नाइटगाउन पहेनकर सोगइ..

तो इधर सृतीके जातेही भुमीने कीताबको रख दीया ओर रुमका दरवाजा धीरेसे बंध करलीया.. फीर अपने सब कपडे नीकालकर बेडपे आकर बेठ गइ.. सृतीसे ज्यादा कल उनको जानेकी जल्दीथी.. अपने यारको मीलनेके लीये वो बहुतही अ‍ेक्साइटेड थी.. जेसे सृती नही वो अपने ससुराल जा रही हो.. भुमी आजभी इतनी जवान दीख रहीथी.. उन्होने अपना सरीर बहुत मेइन्टेइन कीयाथा..

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सृतीकी तराह वोभी अपने अतीतको याद करते अपनी चुत सहेलाने लगी.. अपने यारको इमेजींग करते जोरोसे चुतमे उंगली डालकर हीलाने लगी.. तो कुछही देरमे वोभी जडकर सांत होगइ.. भुमी भी नीर्मलाकी तराह बहुतही कामुक्त ओरतथी.. सायद नीर्मलासेभी ज्यादा.. उसने आज तब अपने नये रीस्तेको कीसीके सामने उजागर होने नही दीया.. फीर वोभी गाउन पहेनकर सब सही करके सो गइ..

उधर मंजु ओर नीर्मला आपसमे बात कर रहीथी तब मंजुने नीर्मलाको बाबाके बारेमे उनकी शक्तिओके बारेमे.. देवायतके बारेमे फीर इस गांवके बारेमे उनकी जमीनके बारमे बहुत कुछ बता दीया.. ओर नीर्मला सबकुछ सुनती रही.. मंजुने नीर्मलाको पीछले जन्मके बारेमे ओर आने वाले समय ओर उनके जन्मके बारेमे भी नीर्मलाको बता दीया.. जीसे सुनकर नीर्मलाभी अचंभीत होकर सुनती रही..

तब जाके नीर्मलाको बात समजमे आने लगीकी वास्तवमे वो सब कौन हे.. फीर मंजुने नीर्मलाको भानु ओर उनकी मामीके बीच जोभी कुछ हुआ उनके बारेमेभी बता दीया.. की कीन हालातोमे भानुको उनकी मामीसे सादी करनी पडी.. मंजुने नीर्मलासे देवायतके नये रीस्तोके बारेमेभी बात करलीकी देवुको क्यु सबके साथ रीलेशन रखना पडता हे.. तब जाकर नीर्मलाको कुह राहत महेसुस हुइ..

नीर्मला : (हसते) बेटी.. हम जो सोचते हे ओर कीसके बारेमे जो भी धारणा करते हे.. अ‍ैसा कुछ भी नही होता.. तुम कीतनी स्ट्रोंग हो.. इतना सबकुछ होगया.. फीरभी तुमको जरासाभी गुसा नही आया.. सबके साथ अपने प्यारको बडी आसानीसे बांटती हो.. ओर देखो में.. जब पता चलाकी तुमभी हमारे देवुसे प्यार करती हो.. मे उसी बातकोभी सहेन नही करपाइ.. ओर तुम दोनोपे गुसा करदीया.. ओर नतीजा.. इतने महीनो तक तुम दोनोसे मुजे दुर रहेना पडा..

मंजुला : (हसते) मोम.. ये सब बाते अ‍ेक हादसेकी तराह भुल जाओ.. जो हुआ सो हुआ.. अब हमे कीसीसे भी कोइ गीला सीकवा नही रखना.. येतो सीर्फ हम तीनोके बीचकी बातथी.. लेकीन आगे जाकर आपको अ‍ैसा बहुत कुछ दिखनेको मीलेगा.. तब आप क्या करोगी..?

नीर्मला : (हसते) मंजु मे कुछ समजी नही.. तुम किसके बारेमे बात करना चाहती हो..?

मंजुला : (मुस्कुराते) मोम.. आप केह रहीथीनां मुजे सबके बारेमे जानना हे..? लेकीन अभी इतना टाइम नही हे.. फीरभी देवुके आने तक मे आपको कुछ बताती हु.. हमारी भावुके बारेमेही बात करते हे..

नीर्मला : (हसते) हमारी भावु..? अब इसके बारेमे क्या बाते हे.. मंजु मुजे सुरुसे बता..

मंजुला : (हसते) मोम.. आपको पता हे..? जब मे ओर भावु कोलेजमे थी.. तो भावु तबसेही हमारे देवुको प्यार करती हे.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (हसते) क्या..? हमारी भावु..? वोभी देवुसे प्यार करती थी.. तो फीर हमे बताया क्यु नही..? कमसे कम तुजेतो बता देती.. तेरी तो इनके साथ बनती भी हे..

मंजुला : (हसते) मोम.. वो बहुतही सर्मीली हे.. जबतक देवुको अपने दिलकी बात बताती इनसे पहेलेही मे ओर देवु बहुत आगे बढ चुके थे.. आप समज गइनां..? जीस दिन हम दोनो हमारे घरमे आपके सामने पकडे गये तब उसी दिन भावुभी अपना प्यारका लजहार करने आइथी.. ओर आपसे पहेले उसनेभी हम दोनोको देख लीयाथा.. तब हम दोनोने आपसमे पुरी बात करली.. ओर भावुको मेने सम्हाल लीया..

नीर्मला : मंजु तो फीर तुजे बादमेतो मुजे बताना चाहीये था.. क्युकी देवुतो अ‍ेक रोयल फेमीली हे.. वो कीतनीभी सादीया कर सकते हे तो फीर मे तबही भावुकी बातभी देवुसे करती..

मंजुला : मोम.. जो होनाथा होगया.. तब सीचुअ‍ेशनशी अ‍ैसी थी.. तो आपसे मे कैसे बात करती..? लेकीन मोम.. आज आपको अ‍ेक राजकी बात बता रही हु.. जो बात आप अपने तकही सीमीत रखेगी..

नीर्मला : (अ‍ेक नजरसे आस्चर्यसे देखते) अब कोनसी बात..? क्या भावुके बारेमे हें..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां मोम.. बस आप तब भावुको कुछ मत कहेना.. या उनसे कुछ मत पुछना.. क्युकी सब प्रकृतीका खेल हे.. ओर मत भुलो हमारी भावुभी हम मेसे अ‍ेक हे..

नीर्मला : (हसते) मंजु अब तुने मुजे सब सचाइ बतादी हे.. तो अब मुजे कीसीभी ओर के बारेमे सुनकर बुरा नही लगता हें..हें..हें.. बता क्या कहेना चाहती हे तु..?

मंजुला : (हसते) मोम.. जबसे भावुको भानुभाइ ओर उनकी मामीके बीचके रीलेशनके बारेमे पता चल गया तबसे हमारी भावुने अ‍ेक फैसला करलीया हे.. वो अब अपने पुराने प्यारको फीरसे हासील करके भानुभाइसे दुर होजायेगी.. ओर नतीजेके फल स्वरुप हमारी भावु अपने पुराने प्यार यानी हमारे देवुसे अपना प्यारका इजहार कर चुकी हे.. ओर ठीक होतेही जल्दसे जल्द वो देवुके साथ फीजीकल रीलेशनमे आजायेगी..

नीर्मला : (मुस्कुराते) मंजु क्या ये सही होगा..?

मंजुला : (सोचमे डुबते) हां मोम.. हमारी भावुका देवुके साथ रीलेशनमे आना जरुरी हे.. बलकी.. बहुत जरुरी हे.. सीर्फ मेरे लीये ही नही.. आपके लीयेभी.. क्यु जरुरी हे ये बात मे आपको अभी नही बता सकती..

नीर्मला : तेरे ओर मेरे लीये मतलब..? मे कुछ समजी नही..

मंजुला : (सरमाते हसते) मोम.. हमारा देवु हमारे लीये सबकुछ हे.. फीर विजयका बेटा आयेगा.. तब सायद हम दोनो नही होगी.. हम दोनोकोही नया जन्म लेकर आना पडेगा.. तबभी हम दोनो मां बेटी होते हुअ‍ेभी आजकी तराह अ‍ेक दुसरेकी सौतन होगी.. तब आपको मेरी कोखसे जन्म लेना हे.. ओर हम दोनोही मेरे पोतेकी रानीया होजायेगी.. बस अभी सीर्फ इतना ही कहेना हे..

दोनोही बात कर रहीथी तब देवायत नीशाका लेटर कारमे रखते अंदरकी ओर आगया ओर दोनो मां बेटीकी बाते अधुरी रेह गइ.. तब देवायत आतेही मंजुके पास उनसे सटकर बैठ गया ओर मंजुके कंधेपे हाथ रखकर उसे अपने नजदीक खीचलीया तो मंजु ओर नीर्मला दोनोही हसने लगी.. ओर देवायतने मंजुका सर चुमलीया.. तब मंजुने जुठा गुसा करके देवायतकी जांगपे अ‍ेक चपत लगादी ओर सरमाते हसने लगी..

नीर्मला : (हसते) देवु.. बस अ‍ैसेही मेरी बेटीओको प्यार देते रहेना.. में तुम ओर चंदाकी सादीसे बहुत खुस हु.. मेने चंदाको कभी अपनी छोटी बहेन नही माना.. वोभी मेरी बडी बेटी हे.. इनको इतनी खुस कभी नही देखा.. वो यहा कीतनी खुस हे..

देवायत : (हसते) मंजु ओल मोस्ट सभी जगहपे न्योता देकर आयाहु.. बस भुमीआंटीसे बात करलेना..

मंजुला : (हसते) पतीदेव.. अभी अभी बात होगइ हे.. कल सुबह वो दोनो मां बेटीभी इधर आजायेगी ओर सामको सरलाचाचीके घरके लोगभी इधर आजायेगे.. ओर वंदनातो सादी तक इधर ही रहेगी..

देवायत : (हसते) हां चारुभाभीभी वही केह रही थी.. चलो अब सोना नही हे क्या..?

मंजुला : (हसते) बस हम दोनो आपहीका वेइट कर रहे थे.. चलीये..

फीर तीनो खडे होगये तब नीर्मला देवायतकी ओर सरमाते हसती रही.. ओर जटसे राजीवके पास चली गइ तब मंजु ओर देवायत दोनोही अ‍ेक दुसरेका हाथ पकडकर अपने रुममे चले गये.. ओर देवायतने रुमका दरवाजा बंध करलीया.. तब चंदा घोडे बेचकर गहेरी नींदमे सो रहीथी.. तो मंजु उनकी ओर अ‍ेक नजर देखकर देवायतको देखते हसने लगी.. फीर देवायतकी बाहोमे समा गइ..

मंजुला : देवु.. लगताहे दीदी अभी तक ठीक नही हुइ.. बेचारी कल पुरी रात जागनेकी वजहसे सो गइ हे.. आपनेतो उनकी हालतही खराब करदीथी.. फीरभी बेचारी सारा दीन काम करती रही..

देवायत : (हसते) हंम.. मंजु हमे इनको डीस्टर्ब नही करना.. चल.. हम दोनो यही नीचे बीछाना डालकर सो जाते हे..

फीर मंजुने अ‍ेक गदा बेडके पास नीचेही बीछा दीया ओर दोनो चेन्ज करके वही नीचे सो गये तब मंजुने देवायतके सीनेपे सर रख दीया.. ओर दोनोके होंठ मील गये.. तभी मंजु अ‍ेक पैर उठाकर देवायतकी कमरपे डाल देती हे.. ओर देवायतके उपर चडकर लेट जाती हे.. तो देवायतभी मंजुको कसके अपनी बाहोमे भीच लेता हे.. ओर दोनो अ‍ेक दुसरेके होठोके रसपान करने लगे.. जबभी मंजु देवायतके साथ सोती तब उनका अ‍ेक अलगही रुप होता मानो वो कीसी कामदेवकी मुरत रती हो..

मंजुला : (धीरेसे कामुक आवाजमे) दे..वु.. पली..ज.. अंदर डालदो.. मुजे अंदर लेके सोना हे..

देवायत : (धीरेसे) मंजु अभी तुम ठीक नही हुइ.. बस सही होने तक इन्तजार करलो.. अभी ये सब करना तेरे लीये ठीक नही हे..

मंजुला : (होंठ चुमते) नही देवु.. में ठीक हु.. आप अंदर डालदो.. मुजे कुछ नही होता..

देवायत : मंजु क्या होगया हे तुजे..? क्यु जीद कर रही हे..? कुछ हुआहे क्या..? कीसीसे कुछ बात हुइ हे..? जो तुम इतनी गरम होगइ हो..

मंजुला : (धीरेसे) जानु.. लगताहे आज मुजे आपकोभी कुछ सचाइ बतानी पडेगी.. मेने सृतीको दीखाया तबही मे ठीक होगइ थी.. ओर कुछ बाते मे अभी आपको नही बताउगी.. इस बारेमे हम बादमे अकेले होगे तब डीस्कस करेगे.. बस यही समजलो मे अभीभी कवारी हु.. खब आप अ‍ेक बार घुसादो.. फीर मे आपको कुछ दीखाती हु..

देवायत : (धीरेसे हसते) मंजु तु बहुत बडा रीस्क ले रही हे.. अ‍ेक बार फीर सोचले..

मंजुला : (हसते) अरे बाबा कुछ नही होगा.. में केह रही हुनां.. चलो.. आप लेटे रहो.. मेही कुछ करती हु..

कहेते मंजु देवायतके उपरसे उतर गइ फीर खुदका ओर देवायतका गाउन नीकाल दीया.. ओर देवायतके पैरोके बीच बैठ गइ.. ओर उनके लंडपे जुककर अपनी जीभ नीकालकर देवायतकी ओर कामुक नजरोसे देखते उनके लंडको चाटने लगी.. देवायतको आज मंजु अ‍ेक अलगही रुपमे दीख रहीथी.. जैसे स्वर्गसे कोइ अप्सरा उतरके आइ हो.. आज पहेली बार देवायतको मंजुकी आंखोमे अ‍ेक अलगही चमक देखनेको मीली....

38564
कन्टीन्यु
 
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १०३/२

जब लंड गीला होगया तब मंजुने लंडको अपने मुहमे भरलीया ओर धीरे धीरे लंडको मुहमे अंदर बहार करने लगी.. तबतक देवायत मंजुकी सब हरकते देखता रहा.. उनकोभी अ‍ेक डर थाकी मंजु इतना बडा रीस्क क्यु ले रही हे.. लेकीन उनको क्या पता की मंजु पीछले जन्मकी देवयानी हे.. जो चुदवाते हुअ‍े भी अ‍ेक बार स्नान करतेही फीरसे कवारी लडकीकी तराह होजाती हे.. मंजु इस जन्ममेभी अपनी बहुत सारी शक्तिया पहेचान चुकी थी.. बस वो अभी कीसीके सामने उसे उजागर करना नही चाहती थी..
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जब देवायतका लंड गीला होगया तब वो मुहसे लंड नीकालकर वापस देवायतके उपर चड गइ.. ओर अपने हाथोसे देवायतका लंड पकडते अपनी चुतपे सेट करने लगी.. ओर देवायतकी ओर कामुक नजरोसे देखते धीरे धीरे लंडपे बैठने लगी.. ओर लंडको अपनी चतकी गीरफ्तमे लेने लगी.. तब अ‍ेक बारतो उनका मुहभी दर्दके मारे बीगड गया.. तब देवायत मंजुको कुछ कहेता उनसे पहेलेही मंजुकी चुतने अ‍ेक साप चुहेको नीगलता हे उसी तराह देवायतका पुरा लंड उनकी चुतने नीगल लीया..
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मंजु देवायतके चहेरेपे जुक गइ ओर उनके होठोको चुमते धीरे धीरे कमरको उपर नीचे करते देवायतसे चुदवाने लगी.. देवायत बस अ‍ैसेही लेटा रहा.. ओर मंजुका साथ देने लगा.. मंजुभी मदहोसीमे नसेकी हालतमे चली गइ.. ओर होले होले देवायतके लंडको अंदर बहार करते चोदती रही.. जब दोनोके बीच कामुक्ता भरी चुदाइ हो रहीथी.. तब चंदा गहेरी नींदमे सो रहीथी.. तभी मंजु देवायतके गलेके नीचे हाथ डालके उनसे पुरी तराह चीपक गइ.. ओर अपनी कमर हीलानेकी स्पीडको बढाने लगी..
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तब कुछही देरमे मंजु आधी आंख चडाते नसेकी हालतमे अपनी कमरको जटके देने लगी.. तभी देवायत समज गयाकी मंजु जड रही हे.. जब मंजु सांत होगइ तब देवायत उसे अपनी बाहोमे भरके पलट गया ओर मंजुके उपर चड गया.. फीर मंजुसे चीपक कर उनके गलेको चुमते मंजुको होले होसे सोट मारते चोदने लगा.. तब देवायतके हर धकेके साथ उनका लंड मंजुकी बच्चेदानीसे टकराने लगा.. तब मंजुकी मस्ती भरी आहे नीकलने लगी.. दोनो ही चुदाइमे पुरी तराह मस्तीमे छागये थे..
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दोनोही धीरे धीरे काफी देर तक अ‍ैसेही चुदाइ करते रहे.. देवायत मंजुको चोदते हुअ‍ेभी उनका बहुत खयाल रख रहाथा.. तभी अचानक देवायतने मंजुके गलेमे अपना मुह घुसा दीया ओर वहा उनके गलेमे दांत गडाते चुमने लगा.. तब मंजुने देवायतको जोरोसे कसके अपनी बाहोमे भीच लीया.. तभी उसे अपनी बच्चेदानी पर देवायतका गरम विर्य महेसुस हुआ.. जो मंजुकी चुतको लबालब भरते ही जा रहाथा.. जीसे मंजुका तनभी कांपने लगा.. ओर वोभी मुह खुला रखते आहे भरती देवायतके साथ फीरसे जडने लगी..
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तो दुसरी ओर आज दयाने सामनेसे रजीयाको लखनके पास जानेके लीये कहा.. तो रजीयाकी आंखमे आंसु आगये ओर वो दयासे लीपट गइ.. फीर जैसेही देवायत ओर मंजु अपने रुममे चले गये तब रजीया धीरेसे दबे पांव लखनके पास चली गइ.. ओर वहाभी दोनोके बीच जमकर चुदाइका दौर चल पडा.. लखनने रजीयाको तीन बजे तब दो बार चोद लीया.. ओर रजीया चुदवाकर वापस आकर सो गइ..

आज सुबहका सुरज नइ रोसनी लेकर अपने रथपे सवार होकर नीकला था.. तब हवेलीपे सबके मनमे अ‍ेक नइ उमंग ओर नइ उर्जाका संचार फील हो रहाथा.. दया ओर रजीया सुबह जल्दी उठकर अपने काममे लग गइ थी.. तभी नीर्मला मंजु चंदा सभी अपने अपने बाथरुममे नहाकर तैयार हो रहीथी.. तो पुनमभी सुबह कंपलीट होकर कीचनमे दयाका हाथ बटाने लगी.. तभी रजीया भी सभी सगाह जाडु पोछा लगा रहीथी..

इधर सहेरमे भी आज सृती सुबह जल्दी उठ गइ ओर नहा धोकर हल्कासा शींगार करने लगी.. तबतक भुमीकाभी उठ चुकी थी.. आज वोभी सजधजके कंपलीट होकर पुजा पाठ करके होलमे बैठीथी.. तभी सृती तैयार होकर रुमसे बहार आगइ तो भुमीका उसे देखतेही रेह गइ.. आज सृती पुरी तराह सज धजके अ‍ेक दुल्हनकी तराह तैयार हो गइथी.. जैसे उनकी आजही देवायतके साथ सगाइ हो.. तब भुमीका उनको देखकर हसने लगी.. तो सृती सरमा गइ..

सृती : (सरमाते हसते धीरेसे) मोम.. क्या हस रही हो..? मे सीर्फ तैयारही तो हुइ हु..

भुमीका : (हसते) सृती तुमतो अ‍ैसे तैयार हुइहो जैसे आजही तुम्हारी देवुके साथ सगाइ हे.. हें..हें..हें..

सृती : (सर्मसार होते हसते) मोम.. आपभी नां.. आपभीतो आज पटाका लग रही हो.. जेसे मुजे नही आपको वहा जानेकी जल्दी हो.. चलीये हमे देर हो रहीहे.. मे पहेले चाइ नास्ता बनाती हु.. फीर चलते हे..

भुमीका : ((हसते) हां.. हां.. जा बनादे.. आजतो तुजेभी अपने ससुराल जानेकी जल्दी होगी.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते जुठे गुसेसे) मोम.. आप मुजे तंग करनेका अ‍ेकभी मौका नही छोडती.. देखना मेरी भी बारी आयेगी.. तब मेभी बदला लुंगी..

कहेते सृती सरमाते हसते कीचनमे चली गइ.. तो भुमीका उनको देखकर हसती रही.. फीर सृतीने चाइ नास्ता बनालीया तो दोनो मां बेटीने साथ बैठकर चाइ नास्ता करलीया ओर सृतीने दोनोके कपडेकी बेग लेली.. ओर घरके सची खीडकी दरवाजे अच्छेसे चेक करके बंध करलीया ओर घरको ताला लगा दीया.. फीर मां बेटी दोनोही पडोसीको ध्यान रखनेको कहेकर देवायतके गांवकी ओर नीकल गइ..

लेकीन सृतीको क्या पताकी उनको जानेकी जल्दीके बजाये भुमीकाको जानेकी जल्दीथी.. क्युकी उनका रीजन सीर्फ वोही जानती थी.. आज देवायतके पीता किशनके गुजर जानेके बाद कितने महीनोके बाद वो हवेलीपे अपने कदम रखेगी.. वो बहुतही अ‍ेक्साइटेड होने लगी.. सृती हाइवेकी ओर कार दोडाने लगी.. तब भुमीका उनके पास बैठकर अपने अतीतको याद करने लगी.. ओर आंख बंध करते पुरानी बाते ताजा करने लगी..


(थोडा फ्लेशबेकमें)

जब उनका पती नरेश वीरजी राजीह नीर्मला ओर उनका चहीता भाइ किशन.. सब अ‍ेकही कोलेजमे साथ पढ रहेथे.. सबने पढाइके अलावा बहुत धमाल कीथी.. इनमेसे सबसे ज्यादा होशीयार किशन था.. ओर उपरसे वो राज परीवारसे तालुक रखताथा तो दोस्तोके पीछे ज्यादातर वोही सब खर्चा करता था.. फीर चाहे पढाइमे हो या कोइ पार्टीमे हो.. तब भुमीके मनमे किशनके लीये अ‍ेक अलगही फीलीग्स थी.. पुरे गृपमे सीर्फ वो दोनोही लडकी थी..

वो ओर नीर्मला बहुतही पक्की सहेली थी ओर हर बात दोनो आपसमे सेर करती थी.. ओर इनके लीये दोनो आपसमे कसमसे बंधी हुइ थी.. वो किशनके बारेमे नीर्मलासे अपनी दिलकी बात कहे उनसे पहेलेही अ‍ेक दिन नीर्मलाने उसे किशेनके साथ फीजीकल रीलेशनमे होनेकी बात कहेदी.. तबतो भुमीका दिल टुट हीगया.. ओर उसने अपने चहेरेपे कोइ भाव आने नही दीया.. ओर इस बारेमें बात करना टाल दीया.. फीरतो कइ बार नीर्मलाके साथ कीशनको मीलने साथमे जाना पडा.. ओर वो सबकुछ देखना पडा..

जीनकी वजहसे कुछही दिनोके बाद अ‍ेक दिन नरेशने उसे प्रपोज करदीया.. तो उसने नरेशका प्रपोज अ‍ेक्सेप्ट करलीया.. नीर्मलाभी घरपे किशनके बा बापुजी ओर उनके पीता ओर भाइ राजीवकी वजहसे किशनसे खुलकर नही मील पा रहीथी.. क्युकी तब किशनके मीलनेके लीये वो अक्सर भुमीकाको अपने साथ लेजाने लगी.. दोनो सहेलीया भुमीकाके घरका या सहेरमे कीसी होटेलमे खरीदी करनेका बहाना बनाकर साथमे अकेली चली जाती..

तब किशनभी सबकी नजर बचाते अकेलाही नीकल जाता.. ओर तीनो तैय की हुइ जगाहपे मीलने लगे.. भुमीकाके घरपे कोइ नही होता तब नीर्मला कभी भुमीके घर यातो किशन कीसी होटेलमे मीलनेके लीये बुलाता.. तब अ‍ेकही कमरेकी वजहसे नीर्मलाको भुमीकोभी साथ रखना पडता.. ओर नीर्मला किशन भुमीके सामनेही मीलने लगे.. अ‍ेक दो बार मीलनेके बादतो भुमीकाकी सरमभी चली गइथी.. किशन नीर्मलाकी चुदाइ अपनी आंखोके सामने देखकर तो उनके तनकी आग भी बढने लगी..

नीर्मलाभी नीर्लज होकर भुमीकाके सामनेही किशनसे चुदाइ करवाने लगती.. तो भुमीका भी वासनाकी आगमे जलने लगी.. लेकीन किशनको कहेभी तो कैसे..? ओर उपरसे नरेशभी उनको दिलोजानसे चाहने लगाथा.. ओर आखीर अ‍ेक दिन उनके घरपे कोइ नहीथा.. तब भुमीकाने नरेशको अपने घर बुलालीया..

ओर आखीर दोनो मीलही गये.. तब नरेशने भुमीकाका कौमार्य भंग कीया.. फीरतो वो ओर नरेश तीनसे चार बार फीजीकल हुअ‍े.. लेकीन उनके मामे अबभी किशन राज कर रहाथा.. वो किशनको अपने दिलसे नही नीकाल पाइ..

तो दुसरी ओर किशनभी मनसे भुमीकाको अपनी बहेन मानने लगाथा.. फीर तो किशनभी नीर्मलाको भुमीकाके सामने ही चोदने लगता.. दोनोही सब भुलकर खुब चुदाइ करते.. ओर भुमीका देखती रहेती.. अबतो किशन ओर नीर्मलाको भुमीकाकी हाजरीसे कोइ फर्क नही पडता था.. जब दोनो अपनी चुदाइमे मशगुल होते तब भुमीकाभी काफी गरम होजाती ओर दोनोकी चुदाइ देखते हुअ‍े अपनी चुतको सहेलाती..

जब बरदास्तसे बहार चला जाता तब अपनी चुतमे जोरोसे उंगली डालकर हीलाती ओर जड जाती.. यातो उसी दिन नरेशके साथ चुदाइ करवा लेती.. लेकीन भुमीकाने नीर्मलाको नरेशके साथ फीजीकल होनेकी बात कभी नही बताइ.. वो अपनी पसर्नल लाइफके बारेमे बहुतही कमही नीर्मलासे बाते करती.. उन्होने नीर्मलाको कभी नही बतायाकी उनका किशनके साथभी क्रश हे.. ओर ये बात वो सबसे छुपाना चाहती थी..

ओर जबसे किशनने उनको अपनी बहेन माना तबसे वोभी किशनको नरेशसे ज्यादा तवजो देने लगी.. जब चुदाइ होजाती तब किशन अक्सर नीर्मलाके साथ भुमीकाकोभी महेगी गीफ्ट देने लगा.. ओर राखीके दिन भुमीका किशनको राखी बांधती तबभी किशन भुमीकाहो राखीके तोहफे मे महेगी गीफ्ट ओर ढेर सारा केश भी देता.. ओर उसने भुमीकाकी पढाइका ओर उनकी सब जरुरतोका पुरा खर्चा उठालीया था..

तबभी भुमीका नरेशको प्यार करनेके बावजुद भी किशनकी ओर ज्यादा ढलने लगीथी.. लेकीन इसी बीच उनके साथ अ‍ेक हादसा होगया.. तब उसे नही पताथाकी वीरजीभी उसे प्यार करता हे.. ओर अ‍ेक दिन विरजीने भी उसे प्रपोज करदीया.. ओर भुमीने उसे मना करदीया तो विरजी बोखला गया ओर दोनोके बीच कहासुनी होगइ.. तब भुमीने विरजीको सनकी कहे दिया ओर विरजीका गुसा सातवे आसमानपे चला गया..

विरजीने मनमे भुमीकासे बदला लेनेकी ठानली.. ओर अ‍ेक दिन वासनाकी आगमे जलते मौका देखकर जबर दस्तीसे भुमीकाको उनके घर लेगया.. ओर भुमीकाके साथ बलात्कार कीया.. तभी पीछेसे किशन ओर नरेश आगये ओर किशनने विरजीको खुब मारा.. तब मारते वक्त किशनने विरजीको कहाकी ये उनकी बहेन हे.. तब विरजीकोभी पछतावा होने लगा ओर वही भुमीकाके पैरमे गीरते माफी मांगने लगा..

फीरतो दोस्तीकी वजहसे सबने विरजीको माफ करदीया.. लेकीन भुमीका मनसे विरजीको माफ नही कर पाइ.. फीरतो वोभी किशनको अपना भाइ मानने लगी.. लेकीन दिलके अ‍ेक कोनेमे अबभी किशनके लीये बेसुमार प्यार छलक रहाथा.. ओर अ‍ेक दिन अचानक नरेशके कहेनेपे कीसीको कहे बगैर भुमीका ओर नरेशने कोलेज छोडदी.. तब भुमीका ओर नरेशने आपसमे सादी करनेका फैसला करलीया था..

ओर अ‍ेक दिन दोनोही छुपकेसे अकेले किशनको कोलेजके बहार मीलनेके लीये आगये.. तब भुमीकाने किशनको भारी मनसे उनकी सादीमे आनेका न्योता दिया.. ओर दोनोही कोर्ट मेरेज करने वालेथे तब विटनेस के तौरपे भुमीकाने सीर्फ किशनको बुलालीया.. ओर कीसीको ना कहेनेकी किशनको कसमभी खीलवाइ.. तब किशन कीसीको कहे बगैर दोनोकी सादीमे चला गया.. ओर भुमीके भाइके रुपमे विटनेशमे साइन करदी..

तब भुमीका किशनको लीपटकर खुब रोइ.. फीर नरेश ओर भुमीकाने सीर्फ किशनको अपने घर मीलनेके लीये आनेकी छुट देदी.. तब किशनने कुछ पैसे देना चाहा तो भुमीका ओर नरेश दोनोने लेनेको मना कर दीया.. ओर किशनने भुमीकाको अ‍ेक भाइकी ओरसे तोहफा कहेकर जबर दस्तीसे भुमीको अ‍ेक तगडी रकम देदी.. फीरतो भुमीकी ओर नरेश दोनोका संसार अच्छेसे चलने लगा.. नरेशकोभी सरकारी होस्पीटलमे जोब मील गइथी.. ओर भुमीका उनका घर सम्हालने लगी..

किशन सालमे तीनसे चार बार भुमीका ओर नरेशको मीलने जाता.. ओर सालमे अ‍ेक बार भुमीकासे राखी बंधवाना कभी नही भुलता.. ओर गांवकी ओर दोस्तोकी सब बाते उनके साथ सेर करता.. तब दोपहोरका खाना वो उधर ही खाकर आता.. लेकीन भुमीकाने अब राखीके बदले तोहफा लेना बंध करदीया.. ओर हर बार जब जरुरत पडेगीतो मांग लुंगी कहेके टाल देती.. ओर अ‍ैसेही महीनो ओर साल बीतने लगे..

इसी बीच किशनकी हवेलीपे बहुत कुछ हो चुकाथा.. उनको नीर्मलाको छोडके उनकी बहेन विमलासे सादी करनी पडी.. तब सादीके कुछही हप्तो बाद किशनके माता पीताकी मोत होगइ.. ओर विरजीकीभी सादी सरलासे हो चुकीथी.. तब अ‍ेक दिन नरेश घरपे नहीथा तब किशन भुमीकाके घरपे आगया

ओर तब भुमीकाने किशनको अपने भाइ बहेनका वास्ता देकर विरजीसे बदला लेनेकी बात कहेदी.. ओर अ‍ैसा बदलाकी जीनकी वजहसे किशन सरलाके साथ रीलेशनमे आगया.. तब देवायत विमला नीर्मला के साथ बदलेकी बावनासे सरलाको भी प्रेगनेन्ट कर चुका था..

इसी बीच तीनसे चार साल बीत गये.. तबभी भुमीकाको बच्चा नही ठहेर रहाथा.. तब नरेश ओर भुमीका चींतीत होने लगे.. दोनोने बहुत इलाज करवाया.. फीरभी कुछ फर्क नही पडा.. ओर अ‍ेक दिन किशन नरेश ओर भुमीकाको अपने साथ आश्रमपे बाबाके पास लेगया.. तीनो पुरा दिन वही रहे.. तब बाबासे बहुत सारी बाते करली.. जब नरेश ओर किशन आश्रममे घुम रहेथे तब चुमीका बाबाके साथ बैठी रही.. जैसेही बाबा ओर भुमीका अकेले रेह गये तब बाबा भुमीकाके साथ अकेलेम कुछ बाते करने लगे..

बाबा : बेटी.. बुरा मत मानना.. जो मे तुमसे केह रहा हु उसे ध्यानसे सुनना.. तेरे नसीबमे अ‍ेक बच्ची हे.. लेकीन ये सब तेरे पतीसे मुमकीन नही हे.. वो कीसी ओरसे मुमकीन हे.. तु समज गइनां..?

भुमीका : (सरमाते थोडी सकपकाके) नही.. नही.. बाबा.. ये आप क्या केह रहे हे.. मे कुछ समजी नही.. इसका मतलब..? वो सब.. अ‍ैसा नही होसकता..

बाबा : (मुस्कुराते) बेटी.. तुम सब समजती हो.. ओर तुम जीनसे दिलसे प्यार करती हो उनसेही सब मुमकीन होगा.. क्या तुम तुम्हारे दोस्त देवायतसे प्यार नही करती..? हंम..?

भुमीका : (सरमाते) बाबा.. प्यारतो मे अबभी करती हु.. लेकीन अब मे सादी सुधा हु.. वो अब मुजे अपनी बहेन मानते हे.. ये सब अब मुमकीन नही हे.. अगर मे मानभी जाउ.. तो वो इस कामके लीये कभी राजी नही होगे..

बाबा : (हसते) बेटी.. उसने जब खुदकी सगी बहेनसे सादी करली.. फीरभी तुमतो उनकी मुह बोली बहेन हो.. ओर ये सब तुजे करनाही पडेगा.. तुजेही उनसे बात करके उनको मनवाना पडेगा.. ओर मुजे पका विस्वास हे तुम उनको मना लोगी.. ओर ये सब तेरे लीये जरुरीभी हे.. तुम चाहो या ना चाहो.. बच्चीतो सीर्फ उनसे ही होकर रहेगी..

भुमीका : (कुछ सोचते सरमाते) बाबा.. अब ये मुमकीन नही हे.. आपनेतो मुजे बडी उलजनमे डाल दीया.. अगर मेरे पतीको पता चल गया तो..? क्या ये सब उनको धोखा देना नही हे..? वो भी मुजे बहुत प्यार करते हे.. ओर किशनभी उनको कभी धोखा देना नही चाहेगा.. मे उसे अच्छी तराह जानती हुं..

बाबा : बेटी मेरी बात ध्यानसे सुनो.. सायद ये सब बाते जानकर तुजे दुखभी होगा.. लेकीन ये सब जानना तेरे लीये जरुरी भी हे.. ओर ये बात तुम सीर्फ तेरे तकही सीमीत रखना.. क्युकी ये सब होकरही रहेगा..

भुमीका : (सरमाते धीरेसे) जी. बाबा.. कहीये..

बाबा : (आंख बंध करते) सुन बेटी.. तेरे पतीकी आयु अब सीर्फ १० से १२ साल तककी ही हे.. फीर तुजे किशन ही तेरे साथ सादी करके तुजे सम्हालेगा.. तुम दोनोका संसार सबसे छुपके चलता रहेगा. तु इनकी चीन्ता मत करना.. ये सब किशन सम्हाल लेगा.. बस अब ये बातका जीक्र तुम अभी कीसीसे मत करना..

भुमीका : (सोक्ट होते धीरेसे) बाबा ये आप क्या केह रहे हे..? क्या ये सब सच हे..?

बाबा : हां बेटी.. मेरी आजतक कोइ बात मीथ्गा नही हुइ.. ओर अ‍ेक सचाइ ओर बता रहा हु.. किशनका बेटाही तेरी बेटीसे सादी करेगा.. अब उनके घरमे भाइ बहेनके बीच सादीकी परंपरा सुरु होगइ हे.. फीर वोही तुम दोनो मां बेटीका खयाल रखेगा.. तुम खुदभी उनको सामनेसे अपना लोगी..

भुमीका : (आस्चर्यसे देखते) बाबा ये आप क्या केह रहे हे..? आपको पका यकीन हेकी मेरी बच्चीका बाप किशनही होगा.. कोइ ओर इलाज नही होसकता..? ओर किशनके बेटेको मे अपना लुगी..? मेरीतो कुछ समजमे नही आता.. अ‍ैसे कैसे हो सकता हे..?

बाबा : (हसते) नही बेटी.. मेरी बात ध्यानसे सुनो.. वास्तवमे तुम सबको पताही नही हेकी तुम सब कौन हो..? बस कुछ सालो तक इन्तजार करले.. अ‍ेक दिन तेरे सामने सब सचाइ सामने आजायेगी..

किशन : (नरेशके साथ आते) बाबा क्या केह रहीहे भुमी.. कही आपका दिमागतो नही खा रही.. हें..हें..हें..

भुमीका : (जुठे गुसेसे हसते) किशन.. अ‍ेक मारुगीनां.. मे ओर बाबा तो बाते कर रहे थे.. बाबाने मुजे अ‍ेक दवाइ देदी हे.. मुजे वो छे महीने तक लेनी हे.. फीर सब ठीक होजायेगा.. क्यु बाबा..?

तभी किशन ओर नरेशभी खुस होते वही बैठ गये ओर बाबाभी भुमीके जुठ बोलनेपे हसने लगे.. फीर बाबाने भुमीकाको अ‍ेक बच्ची होनेकी बात केहदी.. तब नरेश बहुत खुस होगया.. फीर साम होतेही तीनो बाबाको दक्षीणा देकर वहासे नीकल गये.. तब किशनको नरेश ओर भुमीको छोडने वापस सहेर जानाथा.. ओर तीनो वहासे नीकल गये.. उनके बाद भुमी का नरेशके प्रती देखनेका नजरीया बदल चुकाथा..

वो अब किशनको अपने भाइसे ज्यादा अ‍ेक भावि पतीके रुपमे देखने लगी.. बच्चेकी चाहतमे उसे नरेशकी कम आयुकाभी अफसोस नही हो रहाथा.. बस अब भुमीके लीये सीर्फ अ‍ेकही काम बाकी रेह गया था.. ओर वो था किशनको इस बातके लीये राजी करना.. ओर ये बात वो भली भांती जानतीथी की किशनको इस बातके लीये कैसे राजी करना हे.. ओर वो इस बातके लीये आजसेही मीशन चाइल्डपे लग गइ..

भुमीका : (कारमे पीछे बैठे) नरेश.. तुम कितने दिन होगये बा को मीलने गांवमे नही गये.. तो इस बार २० दिनके बाद राखीभी हे.. तो तुम अपनी बहेनसे राखी भी बंधवा लेना.. ओर बा की तबीयत भी देख आना..

नरेश : भुमी पागल होगइ हो क्या..? हमारा गांव थोडीना नजदीक हे..? वहा जानेके लीयेभी १४ घंटे लगते हे.. मे वहा अ‍ेक दिन रुककर आजाउगा फीरभी वहा आने जानेके लीये तीन दिन लग जायेगे.. ओर अगर जाना हे तो तुजेभी साथ चलना पडेगा.. तुम तीन दिन अकेली यहा क्या करोगी..?

भुमीका : नरेश तुम समजते क्यु नही..? मुजे यहा अकेली कोन खाजायेगा.. ओर वेसेभी मुजेभी तो अपने भाइको राखी बांधनी हे.. मे किशनके घरही चली जाउगी.. तीन दिन पहेलेही बा का फोन आयाथा.. वो तुजे बहुत याद कर रही हे.. हम सादीके बाद सीर्फ तीन बारही उधर गये हे.. इस बार तुम अकेलाही चले जाना..

नरेश : भुमी.. पहेले मे छुटीका देखता हु.. अगर छुटी मील गइतो चला जाउगा.. ओर तुमभी अकेली यहा मत रहेना.. किशनके घरही चली जाना..

भुमीका : (मनमे खुस होते) हां तो वही चली जाउगी.. मेरे भाइका घर हे.. कीतने दिन होगये मे विमला भाभीको भी नही मीली.. उनसेभी मील लुंगी.. हें..हें..हें..

तीनोही बाते करते घर पहोंच गये.. पुरे रास्ते भुमी सीर्फ किशनके बारेमेही सोचती रही.. तो दुसरी ओर आज किशनको भी भुमीकी नजर उनके प्रती कुछ अलग ही लगी.. उसे बार बार किशनका वो तगडा लंड नजरमे आने लगा.. जो कइ बार नीर्मलाकी चुदाइ करते अपनी आंखोसे देख चुकीथी..

भुमी बार बार किशनके पेन्टके उभारको देखने लगी.. तब किशनको वहासे नीकल जाना मुनासीब लगा.. ओर वो नीकलने लगा तब भुमी ओर नरेशने किशनको रुकनेका बहुत आग्रह किया फीरभी किशन घरकी ओर नीकल गया.. तभी..


(फस्लेसबेक खतम)

सृती : (थोडी उची आवाजमें) मोम.. मोम.. क्या हुआ.. नींद आगइ क्या..? पुरी रात तो खर्राटा मारके सोती रही हो.. फीरभी आपको नींद कैसे आजाती हे.. हें..हें..हें.. कोइ नींद वींदकी गोलीतो नही खाइ..?

भुमीका : (अतीकसे बहार आते) अरे मे कोइ सो नही रहीथी.. कोइ गली नही खाइ.. समजी.. बस आंख बंध करके बैठी हुइ थी.. बस कुछ पुरानी बाते याद आ रहीथी.. मेरा किशन.. कीतने सालो के बाद मे वहा पैर रखुगी..

सृती : (हसते) मोम.. बस हम पहोंच गये.. देखो.. आपके देवुका गांव आगया.. ओर ये हवेली तो देखो.. दुरसेही बहुत बडी लग रही हे..

भुमीका : (सरारतसे हसते) हां.. यही तेरा ससुराल हे.. मे तो यहा कइ बार आ चुकी हु.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते हसते) मोम.. आप मेरी टांग खीचनेका कोइ भी मौका नही छोडती.. हें..हें..हें..

दोनोही मस्ती मजाक करते हवेलीपे आगइ.. जैसेही कारका बोर्न बजा तो मंजु चंदा पुनम सभी दोडके बहार आगइ.. ओर सृतीने कारको वही पार्क करदीया.. ओर दोनो कारसे उतर गइ.. तो भुमीका उतरतेही सब जगाहपे नजर घुमाते देखती रही.. तभी मंजु दोडकर सृतीके गले लग गइ.. फीर भुमीकाके पैर छु लीया तो सभी सृतीको गले लगाते भुमीके पैर छुने लगे.. ओर पुनमने सृतीका बेग लेलीया.. ओर सभी होलमे आने लगे.. तब होलमे राजीव ओर नीर्मला तैयार होकर बैठे थे.. जेसेही नीर्मलाने भुमीकाको देखा....

कन्टीन्यु
 
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dilavar

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Shandaar Jaandar updates./. Pratiksha agle rasprad update ki
Bhai Jyada Pratiksha Nahi Karani Padegi Bus Sunday Take intjar sijiye bus punam ki sadi ke bad kahani dusari pidhi ki or lejani hai.. abhi vandna or nisha bhi baki hai.. or kahani or mod
pe jane vali hai.. bus aap to padhate rahiye or koment karke hosla badhate rahiye..
 
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