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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २००

कहा तो जागृती ओर बंसी दोनो सरमाने लगे.. तो बंसीने मौका देखकर जागृतीको आंख मारदी.. तब जागृती सर्मसार होगइ.. ओर खडी होकर मुस्कुराते दोडकर अपने रुममे चली गइ.. तो जया ओर सामत जोरोसे हसने लगे.. तभी सांती तीरछी नजरोसे देखते बंसीकी ओर कामुक स्माइल करती रही.. तब बंसीने सामत ओर जयाकी नजर बचाते सांतीको भी आंख मारदी.. तब सांती भी बहुत सर्मसार होगइ.. ओर वो भी सरमाकर मुस्कुराते जागृतीके पास उनके रुममे चली गइ....अब आगे

जागृती : (अंदर जाते ही हसते) दीदी.. हमारे पतीतो बहुत ही कमीने हे.. हें..हें..हें..

सांती : (हसते) क्यु..? क्या हुआ..? उन्होने तुम्हारे साथ कोइ सरारत की क्या..? अरी बतानां..

जागृती : (सरमाकर हां मे गरदन हीलाते धीरेसे) दीदी.. मम्मी पापा थे.. ओर आप पापासे बात कर रही थी.. फीर भी उन्होने मुजे आंख मारी.. अगर मम्मी पापाने देख लीया होता तो..? मेरा भांडा तो वही फुट जाता.. अच्छा हुआ पापाने लडकेका नाम ओर उनके घरके बारेमे नही पुछा.. मुजे तो बहुत सरम आइ..

सांती : (जोरोसे हसते धीरेसे) छोटी.. वो बहुत कमीने हे.. मुजे भी आंख मारी.. उनसे जरा सम्हालके रहेना.. लगता हे बहुत ही जल्द तुम दोनोका मीलन होने वाला हे.. हें..हें..हें..

जागृती : (सर्मसार होते मुस्कुराते अ‍ेक मुका मारते) दीदी.. आप भी बहुत कीमीनी हो.. मे कोइ मीलन बीलन करने वाली नही हु.. मुजे तो बहुत सरम आ रही हे..

सांती : (गले लगाते) अरे मेरी बनो तो सरमा भी रही हे..? हें..हें..हें.. सुन छोटी.. आज पापाने जो भी कहा तुजे समजमे आया..? लगता हे उन्होने हमारी बहुत सारी टेन्शन खतम करदी.. अब हमे हमारे पतीको इतना नही समजाना पडेगा..

जागृती : (अलग होकर धीरेसे) बडीदीदी.. लगता हे इस बारेमे पापाभी सब कुछ जानते होगे.. ओर आज उसने सबके सामने अपनी गलतीको भी मान लीया.. चलो.. जो भी हुआ अच्छा ही हुआ.. चलो.. अब काम करते हे.. मम्मी बेचारी अकेली सब कर रही होगी.. मे उनकी मदद करती हु..

सांती : (मुस्कुराते) हंम.. चल.. आज सीर्फ तुजे ही काम करना हे.. मम्मी तो मुजे आज काममे हाथ भी नही लगाने देती.. कहेती थी कल तेरी सादी हुइ हे.. तो आज मुजे कोइ काम नही करना.. हें..हें..हें..

जागृती : (दांत पीसकर मुस्कुराते अ‍ेक मुका मारते) हां.. सही तो कहा उसने.. कल महारानीकी सादी जो हुइ हे.. देखना मेरी सादीके बाद मे भी कोइ काम नही करुगी.. हें..हें..हें.. चलो..

सांती : (हाथ पकडकर बहारकी ओर जाते धीरेसे) हां मत करना.. मे भी तुजे काम नही करने दुगी.. क्युकी हमारे पती तुजे दुसरे दिन काम करने लायक छोडेगा तब तुम काम करोगीनां.. हें..हें..हें..

कहातो जागृती फीर अ‍ेक बार सर्मसार होगइ.. ओर वो सांतीको मारनेके लीये दोडी तो सांती भी हसती हुइ दोडकर बहार भाग गइ.. ओर जागृती सांतीकी ओर कातील नजरोसे हसती हुइ कीचनमे चली गइ.. ओर जयाकी मदद करने लगी.. तो जया भी बहुत खुस होगइ.. आज जागृती उनके साथ हस हसके बाते करने लगी.. तब जयाने भी राहतकी सांस ली.. सामत भाइके घरपे इस तराह हसी खुसीसे दिनकी सुरुआत होगइ थी..

तो दुसरी ओर आज श्रीधरके घरपे भी सब लोग मीलकर हसी खुसी श्रीधर जयश्रीकी सादीकी तैयारीया करने मे जुट गये.. आज वृन्दा ओर जीतुलाल भी सादीकी तैयारीया करते खुस हो रहे थे.. क्युकी जीतुलालको सादीके बाद हमेसा हमेसाके लीये ब्रीन्दासे छुटकारा मीलने वाला था.. ओर हमेसाके लीये अपनी भाभीके साथ रहेकर उनको अपनी बीवी बनानेकी तैयारीया कर रहा था..

तो दुसरी ओर ब्रीन्दा श्रीधर ओर जयश्री भी बहुत खुस थे.. ब्रीन्दा भी अब हमेसाके लीये अपने बेटेकी बीवी होजानेके लीये तैयार थी.. बंसीकी दो दिनकी सादी ओर उनकी सादीकी खरीदारी.. ये तीन दिनमे ब्रीन्दा ओर श्रीधर काफी बार मील चुके थे.. जीनकी वजहसे अब ब्रीन्दाके तनकी आग ओर भडक गइ थी.. ओर वो अब हमेसाके लीये श्रीधरकी होजाना चाहती थी.. सबको अपनी अपनी खुसीकी अलग अलग वजह थी..

गांवमे सबकुछ हो रहा था.. तब इन सबसे दुर मुम्बइमे.. सुधीर नीशा ओर चारु यहासे नीकलते ही दुसरे दिन मुम्बइ पहोच गये थे.. ओर जाते ही सुधीर सीधा होस्पीटलमे अ‍ेडमीट हो चुका था.. उन्होने अ‍ेक स्पेसीयल रुम ले रखा था.. ताकी नीशा चारु उनके साथ ही रेह सके.. जाते ही सुधीरका सभी टेस्ट दुबारा हुआ.. ओर आज सुबह उनका ओपरेशन भी होगया था.. तो अब वो सुधीरसे वसुधा बन चुका था..

सुधीरको होर्मोन्स चेन्जके काफी इन्जेक्शन दीये गये.. ताकी उनके बुब्स.. ओर बालोमे भी चेन्ज आ सके.. ओर संभोग करते उनको लडकीकी तराह सभी तराहकी फीलींग्स आसके.. सुधीर अभी भी बेहोस था.. ओर आइ.सी.यु. मे उनको ओब्जर्वेशनमे रखा गया था.. तब नीशा ओर चारु उनके रुममे बैठकर गपे लगा रही थी.. ओर फोन करके रश्मी ओर वंदनाको सब जानकीया दे रही थी..

जीसे सुनकर वंदना ओर रश्मी हस रही थी.. फीर चारुने देवायत ओर मंजुसेभी सब बाते करली.. अ‍ैसे ही साम ढल गइ.. तब दुसरे गांवमे खाना खाते मुना ओर बरखाके मामा विनोद ओर उनकी बीवी गीता आपसमे बसंतीके बारेमे बाते कर रहे थे.. बसंती देवायत ठाकुरके गांवमे रहेती हे सुनकर विनोदकी आंखमे अ‍ेक बार फीर हवसकी चमक आने लगी.. ओर वो मन ही मन बसंतीको मीलनेका प्लान सोचने लगा..

लेकीन उनको नही पता था की इस बार उनका दाव उल्टा पडने वाला था.. तो विनोद भी गीताको लखनने कही बडी स्कुल खुलनेकी बात बता देता हे.. ओर गीताको उसी स्कुलमे जोबकी ओफरकी बात करता हे.. जीसे सुनकर गीता भी बहुत खुस होने लगी.. ओर वो अप डाउन करके भी इस बडी स्कुलमे जोब करनेके लीये तैयार होगइ.. तब उनको नही पता थाकी आने वाले वक्तमे उनके साथ क्या होने वाला हे..
 
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dilavar

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साम होते ही सबने चाइ नास्ता करलीया.. फीर सब लोग होलमे बैठे बाते करते रहे.. तब धिरेन जानेके लीये खडा होगया.. फीर सबकी इजाजत लेके पांव छुते बहार नीकल गया.. तो उनको उपरकी मंजीलपे नीलम दिखाइ दी.. तो सबसे छुपकर नीलमको इसारोसे फोनपे बाते करनेको कहेता हे.. तो नीलम भी इनको इसारा करते सहेरमे मीलनेकी बात करती हे.. ओर धिरेन अपने घरकी ओर नीकल जाता हे..

चंदा धिरेनके नये घरको लेकर बहुत खुस थी.. तो दुसरी ओर पुनम ओर मंजु धिरेनके बारेमे बहुत कुछ जान चुकी थी.. ओर पुनम इसी बातको जरीया बनाकर धिरेनसे अलग होना चाहती थी.. तो आज कल घरपे सबके होनेकी वजहसे देवायत भी उनको टाइम नही देपा रहा था.. जीनकी वजहसे पुनकी वासना भी बहुत बढ चुकी थी.. आज चंदा अपने रुममे कल जानेकी तैयारीया कर रही थी.. तब उनकी मदद पुनम ओर भावना कर रही थी.. तभी..

चंदा : (मुस्कुराते पेकींग करते) दीदी.. हम वापस आयेगे तब सहेरमे धिरेनके नये घरपे वो कुंभ रखनेकी वीधीया करेगे.. ओर आप धिरेनका खयाल रखना.. आज कल अकेला रहेता हे.. तो जरा उनपे ध्यान देना.. देखना उनको कोइ गलत आदत तो नही लग गइ.. क्युकी अब तो वो फोन भी नही करता ओर यहा आता भी नही.. जब हम फोन करते हे तभी आता हे..

पुनम : (सरमाकर मुस्कुराते) जी भाभी.. वो अ‍ैसे नही हे.. फीर भी मे सब देख लुगी.. आप उनकी फीकर मत करना.. मे उनका खयाल रखुगी..

भावना : (हसते) मौसी.. आप बहु सासके बीच अच्छी अंडर स्टेन्डींग हे.. हें..हें..हें.. कीतना अजीब हे.. अपनी बहुको दीदी कहेना.. ओर पुनोदी सासुमाको भाभी कहेती हे.. हें..हें..हें..

चंदा : (हसते सरमाके अ‍ेक मुका मारते) भावु.. तु बहुत बीगड गइ हो.. भले ही इनकी सादी मेरे बेटेसे हुइ हो.. लेकीन हे तो मेरी ननंद.. अब ननंदको दीदी नही कहुगी तो क्या कहुगी..? अब यही मेरा घर हे.. तो ससुरालके ही सब रीस्ते नीभाना पडेगा.. मुजे अब धिरेनकी नही मेरे विजयकी चीन्ता हे.. पता नही इतने दिन मेरे बगैर रेह पायेगा या नही..

भावना : (मुस्कुराते धीरेसे) मौसी.. लगता ही नही की वो मंजु दीदीका बेटा हे.. वो आपका ही लडका लगता हे.. ओर सारा दिन आपके साथ ही खेलता रहेता हे.. आपको नही लगता अब आपको भी अ‍ेक बच्चा कर लेना चाहीये..? हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते हसते) चल हट.. कुछ भी बोलती हे.. लेकीन जो भी हो.. मे मेरे विजयको मेरे पास ही रखुगी.. वो मंजुका नही मेरा बेटा हे.. समजी..

पुनम : (सरमाकर हसते) भाभी.. फीकर मत करो.. हमे बहुत जल्दी खुस खबर मीलने वाली हे.. हें..हें..हें.. क्यु भाभी..? हें..हें..हें..

कहातो चंदा सर्मसार होगइ.. ओर मुहको दुसरी ओर करते मुस्कुराने लगी.. तब भावना ओये.. होये.. कहेते खुस होकर चंदाको गले लग गइ.. तो पुनम उनको देखकर हसने लगी.. तब चंदा अ‍ेक बार फीर सरमाकर हसते हुअ‍े भावनाकी पीठमे मुका मारने लगी.. ओर अ‍ैसेही मस्ती मजाक करते सबका पेकींग हो गया.. तीनोने मीलकर भुमी नीर्मला ओर सरलाका भी सब पेकींग करलीया..

तब बहारकी ओर देवायत मंजु नीर्मला भुमीका ओर सरला बैठकर जानेकी चर्चा कर रहे थे.. देवायत नीर्मलासे सटकर ही बैडा था.. तो इस मौकेको नीर्मला कैसे हाथसे जाने देती.. वो बाते करते बार बार देवायतकी जांगोपे हाथ रख देती थी.. ओर सबसे छुपकर पैरसे पैरभी सहेलाती थी.. इतने दिन हो गये वो ओर भुमीका देवायतको नही मील सकी.. तो दोनो ही मीलनेके लीये पागल हो रही थी.. तभी..

मंजुला : (मुस्कुराते) देवु.. चारुभाभी ओर नीशा नही हे.. तो आप रश्मी भाभीके घर जाकर अ‍ेक बार वंदनाका हाल चाल जान लीजीये.. उनको कुछ चाहीये तो नही..? तो कल आप सहेर तो जाही रहे हो.. तो उनको जो भी चाहीये उनके लीये ले लीजीये..

नीर्मला : (धीरेसे) मंजु.. तो चारु ओर नीशा कहा गइ हे..? बहार गांव गइ हे क्या..?

मंजुला : (मुस्कुराते धीरेसे) हां मम्मी.. तीनो मुम्बइ गये हे.. सुधीर भाइको कुछ काम था तो दोनो भी साथमे घुमने चली गइ.. वहा चारु भाभीने सब कुछ देखा हे.. वो वहीकी तो हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (खडा होते) आप लोग बाते करो.. मे जरा खेतोपे चकर लगाकर आता हु.. तब वापसीमे रश्मीके घर होते हुअ‍े आउगा.. ओर सामत भाइके घरपे भी चकर लगाना हे.. फीर जवेरी भाइके घरपे भी सादी हे.. तो उनको भी मीलकर आउगा.. मुजे आनेमे देर होजायेगी.. तो मेरा खानेपे इन्तजार मत करना.. मे रश्मी भाभीके घरपे खा लुगा..

मंजुला : (मुस्कुराते) जी.. सुबह आप लोगोको जल्दी जाना भी हे.. तो टाइमपे आजाइअ‍ेगा..?

भुमीका : (हसते) अरे आजेयेगा.. तु पतीकी बहुत चीन्ता करती हे.. गांवमे ही तो हे.. वरना मे ओर नीमु जागती होगी.. हम बाते करेगे.. फीर पता नही अ‍ेक हप्तेके बाद हमे मीलेगा.. क्यु देवु..? हें..हें..हें..

कहातो देवायत ओर मंजु दोनो समज गये की भुमीका ओर नीर्मला जानेसे पहेले उनको मीलना चाहती हे.. तो मंजुने भी देवायतको आंखोके इसारोसे दोनोको मीलनेके लीये कहा.. ओर हसने लगी.. तो देवायत भी हसते हुअ‍े बहार चला गया.. ओर सीधा ही अपने खेतोपे चला गया.. तो वहा सीर्फ रामु काका बैठे थे.. उनसे पुछा तो भानु अपने घरपे चला गया था.. तब उसे भानुका खयाल आया.. जो पीछले कुछ दिनोसे उनको कम ही मीलता था.. तब..
 
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देवायत : (ओफीसकी ओर जाते जोरोसे आवाज लगाते) हरीया.. जरा अंदर आनां..

हरीया : (दोडकर आते) आया मालीक..

देवायत : (ओफीसमे बेठते जैसेही हरीया अंदर आया) हरीया.. कैसा चल रहा हे सब..? बैठ इधर..

हरीया : (खडा रहेते) जी.. इधरही खडा हु.. मालीक.. सब काम ठीक चल रहा हे.. कुछ हुआ हे क्या..?

देवायत : (मुस्कुराते) अरे कुछ नही हुआ.. कहा गया भानु..? क्या घर चला गया..?

हरीया : (रहस्च मुस्कानसे) जी मालीक.. वो आज कल थोडा जल्दी घरपे चले जाते हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (सामने देखते) जल्दी चला जाता हे..? मतलब..? क्या उनकी तबीयत खराब हे..?

हरीया : (मुस्कुराते) अरे नही नही मालीक.. उनकी तबीयत तो अच्छी हे.. हें..हें..हें.. लगता हे आज कल वो घरपे अकेले हे.. यहा मालती या तो फीर रीटा उनको खाना बना देती हे.. फीर साम होते ही कीसीको भी लेकर घरपे चले जाते हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (आस्चर्यसे हसते) हां.. आज कल कुछ दिनोसे उनके घरवाले हमारे यहा ही हे.. हरीया.. कीसीको भी लेकर घरपे चला जाता हे मतलब..? जरा खुलकर बता..

हरीया : (हसते) मालीक.. देखना उनको पता ना चले.. की मैने आपको सब बताया हे.. कीसीको भी मतलब.. हमारी अ‍ेक दो जवान मजदुरन हे.. जो भानु भाइ अक्सर उनको ट्युबवेल वाली रुममे मीलते हे.. ओर आज कल छोटुकी बीवी रीटा उनकी बहुत दिवानी होगइ हे.. पीछले दो दिनसे वो रीटाको ही ले जाते हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) तो क्या छोटु उनको कुछ नही कहेता..?

हरीया : (हसते) अरे मालीक.. छोटु उनको क्या कहेगा..? मालीक.. अब आपसे क्या कहु..? लगता हे आज कल यहा क्या क्या होता हे आपको पता ही नही.. कमीना वो भी हरामी ओर पैसोका लालची हे.. भानु भाइ उनको अक्सर पैसे देते हे.. ओर उनको भी अ‍ेक दो मजदुरनका स्वाद चखा दीया हे.. तो सारा दिन उनके पीछे ही लगा रहेता हे.. ओर भानु भाइ इनकी बीवीके साथ उनके ही घरमे मजे करते हे.. हें..हें..हें.. तो कमीना अपनी रुमके बहार ही बैठकर उन दोनोकी रखवाली करता हे.. ताकी कोइ अंदर ना चला जाये.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) अच्छा.. तो ये माजरा हे.. कमीना अपनी बीवी ओर अपनी माके घरपे ना होनेका अच्छा फायदा उठा रहा हे.. हें..हें..हें.. चल कोइ बात नही.. ये बता क्या कर रही हे तेरी दोनो बीवीया..

हरीया : (हसते) मालीक आपकी दयासे दोनो ही खुस हे.. वो मालती आपको याद कर रही थी.. तो क्या उनको भेजु..? ओर मालती केह रही थी.. की आप भी कबीलेपे जाने वाले थे.. वो आपकी जमीलाके साथ सादी जो हे.. मालीक.. अब आप जमीलासे सादी करके उनको कबीलेकी रानी बना दीजीये..

देवायत : (हसते) हां.. लेकीन मेरे ससुर गुजर जानेसे अभी टाइम ही नही मीलता.. जब वहा जाउगा.. तो तुम तीनोको भी साथ लेते जाउगा.. मुजे तुम लोगोके रीवाजके बारेमे क्या पता..? क्या तुजे कुछ मालुम हे.. तो बता.. हें..हें..हें..

हरीया : (हसते) मालीक.. क्यु मजाक कर रहे हे.. हें..हें..हें.. आपको तो हमारे सब रीती रीवाजके बारेमे पता हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) फीर भी कुछ तो बता.. मुजे सचमे नही पता.. की वहा जाकर क्या करना हे..

हरीया : (हसते) मालीक.. कुछ नही.. वो सब वहा वो बुढी माइ थी.. वोही सब सम्हाल लेगी.. आप दोनोको हमारे वो ही मंदिरमे जाकर सादी करनी हे.. जीन मंदिरको आपके पुर्खोने बनवाया हे.. फीर तो कबीलेपे रातमे सब लोगोका नाच गान ओर भोजन होगा.. पुरी रात सब लोग धमाल करेगे.. ओर तब आपको पुरी रात जमीलाके साथ रात बीतानी हे.. ओर उनको सुबह तक प्यार कना हे.. ओर कुछ नही.. क्युकी आप उनको प्रेगनेन्ट तो पहेलेसे ही कर चुके हो.. वरना उसी रात आपको जमीलाको प्रेगनेन्ट करना होता हे..

देवायत : (हसते) क्या तो तुमने भी अपनी दुसरी बीवीको प्रेगनेन्ट करदीया हे..?

हरीया : (सरमाकर हसते) मालीक क्यु मजाक कर रहे हे.. हें..हें..हें.. मेने तो उनको पहेले ही प्रेगनेन्ट करदीया था.. तभी तो हमे भागकर सादी करनी पडी.. अभी उनका छठा महीना चल रहा हे..

देवायत : (हसते) चल ठीक हे.. तुम जाओ.. अगर तेरी बीवीको कोइ दिकत होतो मेरी बीवीको दीखा देना.. मे उनको केह दुगा..

हरीया : (हसते) मालीक हम उन्हीको दिखाते हे.. वो हमारे कबीलेकी जानी पहेचानी डोक्टर हे.. कबीलेकी सभी ओरते उनसे ही अपनी डीलीवरी करवाती हे.. मालीक.. हमने सुना हे आप यहा बडी होस्पीटल खोल रहे हे..?

देवायत : हां हरीया.. उनको अभी अ‍ेक साल लगेगा.. फीर तुम लोगोको सहेर जानेकी जरुरत नही हे.. ओर सुन.. तुम हमारे खेतोका ओर कामका ध्यान रखना.. क्युकी कल तो लखन भी हमेसाके लीये सहेरमे रहेने जा रहा हे.. अब वहाका हमारा सब कारोबार हमारा लखनही देखेगा..

हरीया : (हसते) जी मालीक.. ये तो बहुत अच्छी बात कही आपने.. मालीक अगर होस्पीटल खुलजाये तबतो बडी महेरबानी.. चलो मे चलता हु.. आप यहाकी फीकर मत करना.. कुछ चाइ बाइ पीनी होतो कहेना.. मालती लेकर आजायेगी..

देवायतने कुछ देर बैठकर वहाका काम काज देखलीया.. फीर वो रश्मीके घरपे चला गया तो वहा रश्मी ओर वंदना पंचायतकी ओफीससे आकर खाना बनानेकी तैयारीया कर रही थी.. जैसेही दोनोने देवायतको देखा खुसीके मारे उछल पडी.. ओर दोडकर दोनो देवायतकी बाहोमे समा गइ.. तो देवायत भी हसने लगा फीर बारी बारी दोनोके होठ चुम लीये.. अब वंदनाकी सारी सरम मीट चुकी थी.. ओर देवायतको खुलकर मील रही थी..
 
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फीर तीनो ही सोफेपे बैठ गये तब रश्मी देवायतकी गोदमे बैठ गइ ओर उनके गलेमे हाथ डालकर उनके होठोको चुमने लगी.. तब वंदनाकी हसी नीकल गइ.. फीर दोनोने पंचायतकी सारी जानकारी देदी की वहा काम काज कैसा चल रहा हे.. फीर रश्मीने भी अपने नये मकानके प्रोग्रेसके बारेमे बता दीया.. फीर तीनोके बीच सुधीरको लेकर भी चर्चा हुइ.. ओर बात रमेश तक आगइ.. तभी..

वंदना : (रुहासी आवाजमे) भाइ.. सुना हे सामत भाइको लास्ट स्टेजका बल्ड केन्शर हे.. वो जब चले जायेगे तब पापा जया आंटीसे सादी कर लेगे..

रश्मी : (समजाते धीरेसे) वंदु.. बार बार क्यु इसे याद कर रही हे..? वो अब तेरी मम्मीको डिवोर्स भी दे रहे हे.. मत भुलो अब हम चारो इनकी पत्नीया हे.. क्या देवु.. हमे प्यार नही करता..?

वंदना : (आंसु पोछकर मुस्कुराते) दीदी ये हमे बहोत प्यार करते हे.. बस.. मे तो सीर्फ इनको बता रही थी..

देवायत : (मुस्कुराते गाल चुमते) बेबी मुजे सब पता हे.. तु फीकर मत कर.. कुछ दिनोमे सब कुछ ठीक होजायेगा.. कल चंदा सृती पुनो सब चले जायेगे.. अब घरपे सीर्फ मंजु भावु ही होगी.. तो मे चाहता हु तुम दोनो उन लोगोके वापस आने तक हमारे साथ हवेलीमे रहो.. ताकी तुम दोनोको भी कुछ चेन्ज मीले..

रश्मी : (होंठ चुमते) थेन्कस पतीदेव.. आपने हमारे बारेमे इतना सोचा वही हमारे लीये काफी हे.. क्या हेना.. वहा मंजुभाभीके सामने हमे बहोत सरम आती हे.. तो आप यही आकर हमे प्यार देते रहेना.. क्यु वंदु..? हें..हें..हें..

वंदना : (सरमाकर मुस्कुराते) हां भाइ.. पुनो दीदी भी नही हे.. तो हम यही रहेगे.. आप यहा आते जाते रहेना.. अब तो मुजे भी यहा बहुत अच्छा लगता हे..

रश्मी : (खडी होते) देवु आप दोनो बाते करो मे हम तीनोका खाना यही बनालेती हु.. वंदु.. तुम हमारी बडी सौतनको फोन करदे की देवु इधरही खाना खाकर आयेगे.. हें..हें..हें..

देवायत : (मुस्कुराते) कोइ जरुरत नही हे.. मे मंजुको कहेकर ही आया हु.. की खाना इधर खालुगा..

फीर देवायत ओर वंदना कुछ देर अ‍ेक दुसरेके होठोको चुमते बाते करते रहे.. ओर बातोही बातोमे देवायत वंदनाके बुब्ससे खेलने लगा.. तब वंदना बहुत ही उतेजीत हो गइ.. ओर वो खडी होकर देवायतको हाथ कडकर अपने रुममे ले गइ.. ओर फटाफट अपने कपडे नीकाल दीये.. फीर देवायतके कपडे नीकालकर उसे बेडपे ले गइ.. ओर लेटते ही देवायतको अपने उपर खीचलीया..

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वंदना : (वासना भरी नजरोसे देखते) भाइ.. अ‍ेक बार मुजे प्यार करलो.. अब मुजे आपकी आदत हो चुकी हे.. मे अपके प्यारके बीना पागल होजाती हु.. प्लीज जल्दीसे अंदर डाल दीजीये..

देवायत : (मुस्कुराते माथे चडते) वंदु.. अब तुम काफी खुल चुकी हो.. अबतो कोइ सरम नही हेनां..?

वंदना : (सरमाकर होठ चुमते) नही भाइ.. सब रश्मी भाभीका कमाल हे.. जब आप नही आते हो तब वो मेरा बहुत खयाल रखती हे.. ओर पतीसे प्यार करनेमे कैसी सरम..? भाइ.. कीतने दिन होगये हम नही मीले.. क्या आपको हमे मीलनेका टाइम नही मीलता..? हंम.. भाइ.. बहोत मन कर रहा हे.. पहेले आप फटाफट अंदर डालदो.. ओर अ‍ेक बार अच्छेसे अपनी इस बहेनको चोदलो.. फीर हम आरामसे बात करेगे..

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कहातो देवायतके लंडने अपने बीलका रास्ता ढुंढलीया.. तो अ‍ेक ही जटकेमे देवायतने पुरा लंड वंदनाकी चुतममे धुसा दिया.. तो वंदनाकी चोरोसे चीख नीकल गइ.. ओर उनका मुह खुलाही रेह गया.. तो बहार कीचनमे रश्मी खाना बनाते हसने लगी.. ओर इधर वंदनाने जोरोसे देवायतको अपनी बाहोमे भीच लीया.. ओर उनके होठोको जोरोसे चुसने लगी.. तब देवायत जोरोसे कमर हीलाते वंदनाकी जोरोसे चुदाइ करने लगा..
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वंदना : (आधी आंख चडाते) येस.. येस.. भाइ.. अपनी इस बहेनको अ‍ैसे ही चोदो.. बहुत मजा रहा हे.. भाइ.. फक मी हार्ड.. अपनी इस बहेनकी हालत बीगाडदो.. मे आपके बडे लंडसे इस दर्दको महेसुस करना चाहती हु.. मुजे जोरोसे चोदो भाइ.. आपने मुजे पहेले क्यु नही चोद लीया..

कहेते वंदनाके दोनो उरोज तालमेलमे उछलने लगे.. ओर पुरे रुममे सीर्फ फच.. फच.. फच.. की आवाज सुनाइ देने लगी.. वंदना बहुत ही कामुक ओर मदहोस होते सीर्फ देवायतकी आंखोमे देखती रही.. ओर देवायत हाथके बल वंदनाकी जबरदस्त चुदाइ करता रहा.. तब कुछ ही देरमे वंदनाने अपने दोनो पैर देवायतकी कमरमे आंटी लगाकर देवायतको जोरोसे बाहोमे भीच लीया ओर लीप लोक करलीया..

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फीर अपनी कमरको जटके मारते जडने लगी.. फीर भी अ‍ैसेही देवायत वंदनाको चोदता रहा.. तब कुछ ही देरमे वंदना वापस उतेजीत होकर देवायतका साथ देने लगी.. अ‍ैसेही घमासान चुदाइ करते देवायतने वंदनाको दो बार जडाकर नीचोड लीया.. तब वंदना पसीने पसीने होगइ थी.. ओर आखीर देवायतने वंदनाकी चुतमे जड तक अपना लंड घुसा दीया..
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ओर वंदनाके उपर जुकते उनके होठोको अपनी गीरफ्तमे लेलीया.. तब वंदनाने भी देवायतको कसके अपनी बाहोमे भीच लीया.. फीर दोनो ही अ‍ेक साथ अपनी कमरको जटके मारते अ‍ेक दुसरेके अंदर समा जानेकी कोसीस करते जडने लगे.. तब वंदनाकी चुतमे देवायत लंडसे पीचकारीया छोडते चुतको अपने पानीसे लबालब भरने लगा.. फीर दोनो ही सांत होगये तब वंदना भारी सांसोसे देवायतकी पीठ सहेलाती रही..
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वंदना : (सांस कंट्रोल होते ही कुछ देरेके बाद) भाइइइ.. आपने.. तो.. अ‍ेक.. ही.. बार मे.. मुजे.. पुरी.. नीचोड ली.. इतनी मस्त चुदाइ.. आपने कभी नही की.. बस.. मुजे.. अ‍ैसे ही चोदते रहेना..

देवायत : (बुब्स मसलते होठोको चुमकर) वंदु.. पुनोकी तराह मे भी तुजे बहेन मानता था.. जीतना पुनोको चोदनेमे मजा आता हे उतना ही तुजे चोदनेमे आता हे.. कल तेरी सहेली चली जायेगी.. उनके बीना अच्छा नही लगेगा.. इस बार मे उनको बहुत ही कम समय दे पाया..

वंदना : (मुस्कुराते) भाइ.. इनकी कमी तो मे पुरी नही कर सकती.. लेकीन कोसीस करुगी.. की मेरे भाइको पुनो जैसा प्यार दे सकु.. भाइ वो जानेसे पहेले मुजे मीलने आने वाली थी.. सायद खाना खाकर आये..

देवायत : वंदु मे कल सहेर जा रहा हु.. सबको छोडने.. तो क्या तुजे कुछ चाहीये..? क्युकी मंजुने मुजे कहा हे..

वंदना : (होंठ चुमकर) भाइ.. हमे आपके प्यारके अलावा कुछ भी नही चाहीये.. बस.. आप हमे अ‍ैसे ही प्यार देते रहीये..

देवायत : वंदु.. तुम मुजसे कुछ कहेने वाली थी.. बता.. क्या कहेना था..

वंदना : (मुस्कुराते) भाइ.. आज पापा ओफीसपे आये थे.. तो मेने उसे बता दियाकी मे आपसे सादी कर रही हु.. वो अपना सब काम नीपटाना चाहते हे.. सायद वो इस गांवको छोडकर सहेरमे रहेने जा रहे हे..

देवायत : (होठ चुमकर) हां.. मुजसे इनकी बात हुइ.. वो जया भाभीसे सादी कर रहा हे..

वंदना : भाइ.. वो सरपंचके पदसे इस्तीफा देना चाहते हे.. ओर उसने यहाका हमारा घर मेरे ओर मम्मीके नाम करदीया हे.. ओर पैसेमे आधा हीस्सा भी मेरे ओर मम्मीके अ‍ेकाउन्टमे डाल दीया हे.. भाइ.. तो फीर उस दुकानका हम क्या करे..?

देवायत : वो सब हम बादमे देख लेगे.. वैसे भी वो दुकान विभुभाइ ही चला रहे हे.. तो अ‍ैसेही चलने दो.. रही बात सरपंचकी.. तो वो भी सब मैने तैय करलीया हे.. की कीसको सरपंच बनाना हे.. इन सबकी फीकर तुम मत करो.. चल अब बहार नही चलना हे क्या..?

वंदना : (सर्मसार होकर मुस्कुराते धीरेसे) भाइ.. अ‍ेक बार ओर अच्छेसे चोदलोनां.. कीतने दिनोके बाद तो मीले हो.. तो बहुत इच्छा होती हे.. लेकीन इस बार धीरेसे करना.. आपतो हमे अ‍ेक ही बारमे थका देते हो..

कहातो देवायत हसने लगा.. लंडको पहेलेसेही वंदनाकी चुतमे था.. देवायत वंदनाके बुब्सको चुमने लगा तो वंदना फीरसे सीसकारीया करते उतेजीत हो गइ.. ओर अ‍ेक बार फीर दोनोके बीच घमासान चुदाइ होने लगी.. इस बार भी देवायतने वंदनाको चोद चोदकर दो दो बार जडा दीया तब वंदनाका अ‍ेक अ‍ेक अंग ढीला होगया.. ओर आखीर दोनो साथमे जड गये.. तब वंदना हीलनेकी स्थीतीमे भी नही थी..

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तबतक रश्मीने सब खाना बनालीया था.. ओर सब डाइनींग टेबलपे रख रही थी.. तब देवायत वंदनाको बाथरुममे ले गया.. ओर वहा दोनोने साथमे सावर लीया फीर कंपलीट होकर बहार आगये.. तब वंदना थोडा लंगडाते चल रही थी.. तो रश्मी उनको देखकर जोरोसे हसने लगी.. तो वंदना सर्मसार होते हसने लगी.. ओर रश्मीको मुका मारते उनके गले लग गइ.. फीर तीनो खानेके लीये बैठ गये तब खाना खाते..
 
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dilavar

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रश्मी : (खाना खाते) जानु.. आज टीनाका फोन आया था.. उसने मुजे ओर वंदुको उनके घरपे बुलाया हे.. तो सोचा जबतक चारुभाभी ओर नीशा नही आजाते तबतक तीन चार दिन मे ओर वंदु वहा होकर आते हे..

देवायत : (मुस्कुराते) डार्लींग.. क्या इस हालतमे वहा जाओगी..? देखो पेट कीतना नीकल आया हे.. अगर कारमे जा रही होतो जाना.. लेकीन अपना ध्यान रखके जाना..

रश्मी : (मुस्कुराते) जानु ये भी सही हे.. लेकीन आप मेरी चीन्ता मत करना क्युकी उनके पास कार हे.. तो वोही हम दोनोको लेने आ रही हे.. जानु.. अब उनको बहुत पछतावा हो रहा हे.. फोनपे भी मेरी बार बार माफी मांग रही थी..

देवायत : नही रश्मी.. टीना वाकइ अच्छी लडकी हे.. तुम अ‍ेक बार उनसे मीललो.. उनको भी अच्छा लगेगा.. अब मे तुमको तेरी डीलीवरीके बाद ही हाथ लगाउगा.. तबतक तु वंदुसे काम चला.. हें..हें..हें..

रश्मी : (मुस्कुराते खाना खाते) देवु.. तभी तो आज मे आपको मीलने नही आइ.. अच्छा हुआ आपने मेरे हीस्सेका प्यार भी वंदुको देदीया.. हें..हें..हें.. दीखता हे मुजे.. हें..हें..हें.. बेचारीकी हालत खराब करदी आपने.. हें..हें..हें..

वंदना : (सरमाके हसते) दीदी.. ये हमे कीतने दिनोके बाद तो मीले हे.. तो इनको छोडनेका मन ही नही करता.. अ‍ैसा लगता हे.. मे उनको मेरे उपर ही रखु.. हें..हें..हें..

देवायत : अरे.. कीतने दिन हुअ‍े..? मे तीन चार दिन पहेले ही मीलके तो गया था.. वंदु.. तुम भी रश्मीकी तराह ठरकी होगइ हे.. हें..हें..हें.. वंदु.. तुम रश्मीके साथ चली जाओ.. क्या हेना थोडा माहोल बदलेगा तो तुजे भी अच्छा लगेगा.. ओर अब तु तेरी मम्मीकी चीन्ता तो छोड ही दे.. अब तुम चारो मेरी जीम्वेवारी हो.. अब मे फ्रि होगया हु.. तो हम बहुत ही जल्द सादी कर लेगे..

चारो खाना खाते बाते करते रहे.. फीर देवायत सामत भाइके घरपे चला गया.. तो वहा भी सब लोग खाना खाकर बैठे थे.. ओर बंसी सभी दोस्तोको मीलने चौराहेपे चला गया था.. वहा देवायतने सामत भाइका हाल चाल पुछा.. तो जया सांती ओर जागृतीके चहेरेपे मायुसी छा गइ..

तब देवायतने सामतभाइ को उनके घरकी चीन्ता ना करनेको कहा.. ओर बंसीका खयाल रखनेको कहा.. तब सामत भाइने राहतकी सांस ली.. फीर सांतीने सबके लीये चाइ बनादी.. ओर सब लोग चाइ पीने लगे..तब देवायतको नही पता थाकी.. वो सामत भाइके साथ आखरी चाइ पी रहे हे.. ओर उनको आखरी बार मील रहे हे..

दुसरी ओर हवेलीपे भी सबलोग खानेके लीये बैठे थे.. तो आज रमा नीलमके साथ लखनके सामने ही बैठी थी.. ओर लता लखनके बील कुल बगलमे बैठी थी.. तो उनकी दुसरी साइड आज पुनम बैठ गइ.. ओर पुनके पास सृती बैठी थी.. सब लोग खाना खा रहेथे.. तब दया ओर रजीया सबको खाना परोस रही थी.. तो लता आज बडे प्यारसे लखन ओर रजीयाको देखकर मुस्कुरा रही थी.. तब रजीया बहुत ही सरमाइ..

ओर रमा नीलम सामने बैठे थे तब लखनको भी आज आगे बढनेका अच्छा मौका मील गया था.. वो धीरेसे अपना पैर आगे लेजाते रमाके पैरोको सहेलाने लगा.. तब रमा समज गइकी ये लखनकी सरारत हे.. तो वो जटसे आजु बाजु नजर धुमाकर देखने लगी.. की कोइ देख तो नही रहा.. फीर वो लखनकी ओर देखते सम्माइल करते सरमाने लगी.. तो लखन अपना पैर सहेलाते उनकी जांगो तक उपर लेजाने लगा..

तो रमा बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर हाथ नीचे लेजाकर लखनके पैरोको हटाने लगी.. तब लखनने अपने पैर वापस लेलीये.. ओर पासमे धीरेसे नीलमके पैरोके पास लेजाने लगा.. ओर पैरको थोडा उचा करके नीलमके दोनो पैरोके बीच जांगोमे धुसा दीया.. जो पैरोका अनुठा सीधा नीलमकी चुतपे रख दीया.. तो नीलम चौकते थोडी सक पकाइ.. लेकीन बहुत ही जल्द अपने आपको सम्हाल लीया.. ओर वो समज गइकी ये सब हरकते लखन कर रहा हे..

लेकीन नीलम सबकी हाजरीसे कुछ नही करपाइ.. ओर अपने दोनो होठोको जोरोसे अपने दांतोसे दबाते आंख बंध करली.. तभी लखन अनुठेसे नीलमकी चुतको कपडोके उपरसे ही खरोदने लगा.. तब नीलमकी हालत पतली होने लगी.. ओर उसने अपने दोनो पैर सीकुड लीये.. फीर हपना मुह बीगाडते धीरेसे अ‍ेक हाथ डाइनींगके नीचे लेगइ.. ओर हाथसे लखनके पैरोको हटानेकी कोसीस करने लगी..

जब लखनने पैर नही हटाया तब नीलम प्यारसे उनकी ओर देखते दया भावसे लखनको आंखोके इसारोसे पैर हटानेकी मनते करने लगी.. तो लखनने फौरन अपना पैर हटा लीया.. तब नीलमने राहतकी सांस ली.. फीर वो अपना सर जुकाते सरमके मारे मुस्कुराने लगी ओर जटसे खाने लगी.. सब लोग बाते करते खानेमे बीजी थे.. तब यही हरकत लखनने दुबारा की..

लेकीन इस बार नीलमकी जांगोपे नही उसने अपना पैर उचा करते सीधा ही रमाकी जांगमे फसा लीया.. ओर अनुठेसे चुतको सहेलाते सीधा ही उनकी चुतपे हमला बोल दीया.. तब लखनकी इस हरकतसे रमाकी सीसकारीया नीकल गइ.. तो उसने फौरन पानीका गीलास उठालीया ओर पानी पीने लगी.. ताकी सबको लगेकी रमाको सब्जीया थोडी तीखी लगी हे.. लखन रमाकी हालत देखकर मुस्कुराने लगा..

तब रमा नसीली आंखोसे लखनको देखती रही.. मानो वो लखनकी इस हरकतसे मदहोस ओर उतेजीत होगइ हो.. रमा आंख बंध करते लखनकी इस हरकतको अ‍ेन्जोय करने लगी.. तब कुछही देरमे उनकी चुतसे पानीका रीसाव होने लगा.. ओर रमा बहुत ही उतेजीत होने लगी.. वो अपनी कमर धीरे धीरे हीलाते अपनी दोनो जांगोसे लखनके पैरोको जकडने लगी.. तब कुछही देरमे उनकी चुतसे फवारा नीकल गया..

ओर रमा सांत होगइ.. तब रमाको सबके साथ होनेका अहेसास हुआ.. ओर उसने भी सरमाते धीरेसे लखनके पैरोको हटानेकी कोसीसकी.. तभी लखनकी जांगपे कीसीने हाथ रखते चीमटी काटी.. तो लखनने फौरन अपना पैर वापस खीच लीया.. ओर अपनी जांगपे देखने लगा.. तो वो हाथ पुनमका था.. जो सृतीसे हस हसके बाते करते खाना खा रही थी.. तब लखन समज गयाकी उनकी सभी हरकते पुनम जान गइ हे..

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तो आज लखनने भी पहेली बार हिंमत करते पुनमके हाथपे अपना हाथ रखते उंगलीओमे उंगलीया फसाकर पकड लीया.. तो पुनम फौरन अपना हाथ वापस खीचने लगी.. लेकीन लखनने उनका हाथ कसके पकड रखा था.. तब पुनमको लगाकी वो बुरी तराह फस गइ हे.. उसने अ‍ेक दो बार हाथ खीचनेकी कोसीसकी.. लेकीन लखन आज उनके हाथको छोडनेके मुडमे नही था.. तब पुनमने हाथ छुडानेकी कोसीस छोडदी..

ओर अपना हाथ अ‍ैसेही रखा.. तो लखनने पुनमके हाथोमे दबाव बनाकर कसके पकडके रखा.. तो पुनमको अ‍ैसा लगने लगाकी दोनो अ‍ेक प्रेमी जोडा हो.. जो सबसे छुपकर प्यार करते हे.. तो वो यही सोचते ही उनकी चुतसे पानीका रीसाव होने लगा.. तो पुनम थोडा अनकंम्फोटेबल फील करने लगी.. ओर लखनकी ओर तीरछी नजरोसे देखते गुस्सा करने लगी.. तब लखनने उनका हाथ छोड दीया..

तो पुनमने हाथ खीचकर राहतकी सांस ली.. ओर थोडा गुस्सेसे लखनकी ओर देखने लगी.. तब लखन मुस्कुराते सर जुकाते खाने लगा.. तो पुनम मनमे बडबडाते लखनको गालीया देने लगी.. तब उनके पास बैठी सृतीको भी पता चल गया..की लखनने जरुर कुछना कुछ पुनमके साथ सरारत कीहे.. तो वो पुनमसे पुछने लगी.. तो पुनमने सृतीको सब बता दीया.. जीसे सुनकर सृती लखनकी ओर कातील नजरोसे देखते हसने लगी....

कन्टीन्यु
 
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