साम होते ही सबने चाइ नास्ता करलीया.. फीर सब लोग होलमे बैठे बाते करते रहे.. तब धिरेन जानेके लीये खडा होगया.. फीर सबकी इजाजत लेके पांव छुते बहार नीकल गया.. तो उनको उपरकी मंजीलपे नीलम दिखाइ दी.. तो सबसे छुपकर नीलमको इसारोसे फोनपे बाते करनेको कहेता हे.. तो नीलम भी इनको इसारा करते सहेरमे मीलनेकी बात करती हे.. ओर धिरेन अपने घरकी ओर नीकल जाता हे..
चंदा धिरेनके नये घरको लेकर बहुत खुस थी.. तो दुसरी ओर पुनम ओर मंजु धिरेनके बारेमे बहुत कुछ जान चुकी थी.. ओर पुनम इसी बातको जरीया बनाकर धिरेनसे अलग होना चाहती थी.. तो आज कल घरपे सबके होनेकी वजहसे देवायत भी उनको टाइम नही देपा रहा था.. जीनकी वजहसे पुनकी वासना भी बहुत बढ चुकी थी.. आज चंदा अपने रुममे कल जानेकी तैयारीया कर रही थी.. तब उनकी मदद पुनम ओर भावना कर रही थी.. तभी..
चंदा : (मुस्कुराते पेकींग करते) दीदी.. हम वापस आयेगे तब सहेरमे धिरेनके नये घरपे वो कुंभ रखनेकी वीधीया करेगे.. ओर आप धिरेनका खयाल रखना.. आज कल अकेला रहेता हे.. तो जरा उनपे ध्यान देना.. देखना उनको कोइ गलत आदत तो नही लग गइ.. क्युकी अब तो वो फोन भी नही करता ओर यहा आता भी नही.. जब हम फोन करते हे तभी आता हे..
पुनम : (सरमाकर मुस्कुराते) जी भाभी.. वो अैसे नही हे.. फीर भी मे सब देख लुगी.. आप उनकी फीकर मत करना.. मे उनका खयाल रखुगी..
भावना : (हसते) मौसी.. आप बहु सासके बीच अच्छी अंडर स्टेन्डींग हे.. हें..हें..हें.. कीतना अजीब हे.. अपनी बहुको दीदी कहेना.. ओर पुनोदी सासुमाको भाभी कहेती हे.. हें..हें..हें..
चंदा : (हसते सरमाके अेक मुका मारते) भावु.. तु बहुत बीगड गइ हो.. भले ही इनकी सादी मेरे बेटेसे हुइ हो.. लेकीन हे तो मेरी ननंद.. अब ननंदको दीदी नही कहुगी तो क्या कहुगी..? अब यही मेरा घर हे.. तो ससुरालके ही सब रीस्ते नीभाना पडेगा.. मुजे अब धिरेनकी नही मेरे विजयकी चीन्ता हे.. पता नही इतने दिन मेरे बगैर रेह पायेगा या नही..
भावना : (मुस्कुराते धीरेसे) मौसी.. लगता ही नही की वो मंजु दीदीका बेटा हे.. वो आपका ही लडका लगता हे.. ओर सारा दिन आपके साथ ही खेलता रहेता हे.. आपको नही लगता अब आपको भी अेक बच्चा कर लेना चाहीये..? हें..हें..हें..
चंदा : (सरमाते हसते) चल हट.. कुछ भी बोलती हे.. लेकीन जो भी हो.. मे मेरे विजयको मेरे पास ही रखुगी.. वो मंजुका नही मेरा बेटा हे.. समजी..
पुनम : (सरमाकर हसते) भाभी.. फीकर मत करो.. हमे बहुत जल्दी खुस खबर मीलने वाली हे.. हें..हें..हें.. क्यु भाभी..? हें..हें..हें..
कहातो चंदा सर्मसार होगइ.. ओर मुहको दुसरी ओर करते मुस्कुराने लगी.. तब भावना ओये.. होये.. कहेते खुस होकर चंदाको गले लग गइ.. तो पुनम उनको देखकर हसने लगी.. तब चंदा अेक बार फीर सरमाकर हसते हुअे भावनाकी पीठमे मुका मारने लगी.. ओर अैसेही मस्ती मजाक करते सबका पेकींग हो गया.. तीनोने मीलकर भुमी नीर्मला ओर सरलाका भी सब पेकींग करलीया..
तब बहारकी ओर देवायत मंजु नीर्मला भुमीका ओर सरला बैठकर जानेकी चर्चा कर रहे थे.. देवायत नीर्मलासे सटकर ही बैडा था.. तो इस मौकेको नीर्मला कैसे हाथसे जाने देती.. वो बाते करते बार बार देवायतकी जांगोपे हाथ रख देती थी.. ओर सबसे छुपकर पैरसे पैरभी सहेलाती थी.. इतने दिन हो गये वो ओर भुमीका देवायतको नही मील सकी.. तो दोनो ही मीलनेके लीये पागल हो रही थी.. तभी..
मंजुला : (मुस्कुराते) देवु.. चारुभाभी ओर नीशा नही हे.. तो आप रश्मी भाभीके घर जाकर अेक बार वंदनाका हाल चाल जान लीजीये.. उनको कुछ चाहीये तो नही..? तो कल आप सहेर तो जाही रहे हो.. तो उनको जो भी चाहीये उनके लीये ले लीजीये..
नीर्मला : (धीरेसे) मंजु.. तो चारु ओर नीशा कहा गइ हे..? बहार गांव गइ हे क्या..?
मंजुला : (मुस्कुराते धीरेसे) हां मम्मी.. तीनो मुम्बइ गये हे.. सुधीर भाइको कुछ काम था तो दोनो भी साथमे घुमने चली गइ.. वहा चारु भाभीने सब कुछ देखा हे.. वो वहीकी तो हे.. हें..हें..हें..
देवायत : (खडा होते) आप लोग बाते करो.. मे जरा खेतोपे चकर लगाकर आता हु.. तब वापसीमे रश्मीके घर होते हुअे आउगा.. ओर सामत भाइके घरपे भी चकर लगाना हे.. फीर जवेरी भाइके घरपे भी सादी हे.. तो उनको भी मीलकर आउगा.. मुजे आनेमे देर होजायेगी.. तो मेरा खानेपे इन्तजार मत करना.. मे रश्मी भाभीके घरपे खा लुगा..
मंजुला : (मुस्कुराते) जी.. सुबह आप लोगोको जल्दी जाना भी हे.. तो टाइमपे आजाइअेगा..?
भुमीका : (हसते) अरे आजेयेगा.. तु पतीकी बहुत चीन्ता करती हे.. गांवमे ही तो हे.. वरना मे ओर नीमु जागती होगी.. हम बाते करेगे.. फीर पता नही अेक हप्तेके बाद हमे मीलेगा.. क्यु देवु..? हें..हें..हें..
कहातो देवायत ओर मंजु दोनो समज गये की भुमीका ओर नीर्मला जानेसे पहेले उनको मीलना चाहती हे.. तो मंजुने भी देवायतको आंखोके इसारोसे दोनोको मीलनेके लीये कहा.. ओर हसने लगी.. तो देवायत भी हसते हुअे बहार चला गया.. ओर सीधा ही अपने खेतोपे चला गया.. तो वहा सीर्फ रामु काका बैठे थे.. उनसे पुछा तो भानु अपने घरपे चला गया था.. तब उसे भानुका खयाल आया.. जो पीछले कुछ दिनोसे उनको कम ही मीलता था.. तब..