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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १९६

ओर सृती भावनाको कानमे कुछ कहेकर खडी होकर पीछे चली गइ.. तो लताभी सबकी ओर नजर डालते धीरेसे सबकी नजर बचाते वहासे सरक गइ.. ओर पुनमके पास पीछे चली गइ.. तब पुनम धीरेसे सरकते हवेलीकी ओर चलने लगी.. तो लताभी जटसे आकर पुनमके साथ होगइ.. ओर दोनो साथ चलते हवेलीकी ओर बाते करते जाने लगी.. आज पुनमने लताको सबकुछ बतानेका फैसला करलीया था....अब आगे

पुनम : (साथ चलते मुस्कुराते) हां.. भाभी.. बोल.. कल क्या केह रही थी तुम..?

लता : (मुस्कुराते) पुनोदीदी.. आप मुजसे कुछ कहेने वाली थी.. क्युकी परसो तो आप भी चली जायेगी.. ओर हम भी सहेर चले जायेगे तो हमे बात करनेका मौका ही नही मीलेगा.. बस.. सीर्फ इतना बता दीजीये आपको या मंजु भाभीको लखनको जडी बुटी देनेकी क्या आवस्यक्ता पड गइ.. की इनका इतना बडा होगया..

पुनम : (मुस्कुराते) हंम.. सुन भाभी.. अब आज मे जो भी बात करु.. वो सभी बाते तुमको अपने तक ही सीमीत रखना हे.. भुलसे भी रमा भाभी या नीलमको मत बताना.. वरना बहुत कुछ अनर्थ हो सकता हे.. क्युकी आज मे आपको सबकुछ बता देना चाहती हु.. तुमसे कुछ भी छीपाना नही चाहती..

लता : (आस्चर्यसे देखते धीरेसे) दीदी.. अनर्थ हो सकता हे मतलब..? क्या रमा भाभी ओर नीलुकी वजहसे..? लेकीन कैसे..? छीपाना नही चाहती मतलब..? मे कुछ समजी नही..

पुनम : (सामने देखते धीरेसे) हां भाभी.. ये सच हे.. मे आपको सबकुछ बता दुगी.. आपको तो पता हे मुजे ओर मंजुभाभीको हमारे बाबाकी दी हुइ शक्तिओके माध्यमसे सबकुछ पता चल जाता हे.. तो लखन भैयाको जडी बुटी देनेका फैसाला भी मेरा ओर मंजु भाभीका था.. ओर वो भी बाबाबके कहेने पे.. ताकी आगे चलकर वो भी अ‍ेक साथ कइ ओरतोको संतुस्ट कर सके.. लेकीन ये बात अभीके लीये नही हे.. अभी इस बातका कोइ मायना नही.. सब बाते आगेके लीये हे..

लता : (दोनो धीरेसे चलते) दीदी.. आगेके लीये..? ओर खुद बाबाने अ‍ैसा कहा हे..? मतलब मे कुछ समजी नही जरा खुलकर बताइअ‍ेनां..

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पुनम : ठीक हे भाभी.. मे सबकुछ बताती हु.. सुन.. तुजे तो पता हेनां हम सब कोइ सामान्य ओरते नही हे.. हम सभी उस लोककी परीया यातो अप्सराये हे.. हम यहा अपने स्वामीओके लीये आइ हे.. भाभी.. हमे पता हे.. तुम यहा सीर्फ लखन भैयाके लीये नही.. हमारे बडे भाइके लीये आइ हो.. लखनसे सादी तो सीर्फ यहा आनेका अ‍ेक जरीया हे.. सही मायनेमे तुम बडे भैयाकी बीवी हो.. ओर तेरी ही कोखसे वो हमारे राजाकी चहीती रानी जन्म लेगी.. हमारा यहा जन्म लेनेका उदेस्य कुछ ओर ही हे..

लता : (सरमाते मुस्कुराते) हां दीदी.. इस बारेमे पहेलेभी हमारे बीच सब बाते हुइ हे.. दीदी.. अगर मे बडे भाइकी बीवीहु.. तो फीर हमारे लखनका क्या होगा..? क्युकी इनको जेलना अब मेरे बसकी बात नही हे.. इसीलीये मेने कल ही उसे दुसरी सादीके लीये केह दीया हे.. तो सुनकर वो थोडा नाराज होगये थे.. दीदी.. वो मुजे बहुत प्यार करते हे.. आप अ‍ेक बार केह रहीथीनां.. उनका दुसरी ओरतोके साथ भी रीलेशन हे.. तो उनको कहीयेना उनके साथ ही..

पुनम : (परखते) भाभी.. तो फीर तुजे बुरा नही लगेगा..? हंम..

लता : (मुस्कुराते साथ चलते) दीदी इसमे बुरा लगनेकी क्या बात हे.. वैसे भी हमारे खानदानमे तो सब दो दो तीन तीन सादीया करते ही आये हे.. मानोनां दो तीन सादीओकी अ‍ेक परंपरा ही होगइ हे.. बडे भैयाकी भी तीन तीन सादीया हुइ हे.. ओर हम जैसी ओरत उनको प्यार करती हे वो अलग..

इनमे भावना भाभी ओर आप भी बाकात नही हे.. तो फीर लखन दुसरी सादी करले या दुसरी ओरतसे रीलेशन रखले तो मुजे क्या आपती हो सकती हे..? वैसे भी अ‍ेक दिनको मुजे बडे भैयाके साथ सादी करनी ही हे.. वो भी तो सब आपने ही कहा था..

पुनम : (मुस्कुराते) हां भाभी.. तो फीर सुन.. लखन भैयाको जडबुटी देना आवस्यक हो गया था.. क्युकी हमारा जन्म लेनेका उदेस्य अलग हे.. आपकी सादीसे पहेले लखन भैयाका दो ओरतोके साथ रीलेशन था.. अ‍ेक हम स्कुलमे थे तब.. ओर अ‍ेक हम स्कुलसे वापस घर आगये तब.. आप दोनोकी सादीसे पहेले वो उन्हीके साथ रीलेशनमे थे.. ओर अपनी प्यास बुजाते थे.. जीनके साथ उन्होने गांर्धव सादी भी करली हे.. तो तुम सबको वो कैसे संतुस्ट करते..? बस.. इसीलीये हमने उसे जडी बुटी दी हे..

लता : (थोडी मायुस होते) दीदी.. तो फीर मुजे पहेले बताया क्यु नही..? क्या उनको या आपको मुजपे विस्वास नही था..? क्या मे उनको मना करती..?

पुनम : (थोडा सीरीयस होते) नही भाभी.. बात विस्वास ओर अविस्वासकी नही हे..? जीस तराह आप बडे भैयाको प्यार करती हे.. उसी तराह लखन भैया भी उन दोनोसे प्यार करते हे.. ओर आप बहुत ही भोली ओर सेन्सेटीव हे.. उनको डर थाकी कही आपको पता चलेगा तो आप उनको छोडके चली ना जाओ.. ओर कुछ सचाइ अ‍ैसी हे जो जानकर आपको दुख होता.. बस.. इसी डरकी वजहसे वो आपको केह नही पाये.. बाकी कुछ बाते हे जो आज आपको पता चल जायेगी.. देखना सुनकर वीचलीत मत होजाना..

लता : (आंख गीली करते) दीदी.. मे इतनी कमजोर नही हु.. जीतनी आप ओर लखन समज रहे हे.. मेने तो आपको खुलकर सब बता दीया हे.. की हां मे बडे भाइसे प्यार करती हु.. ओर उनको ही पाना चाहती हु.. तो फीर लखनका दुसरी ओरतके साथ रीलेशनसे मुजे क्या फर्क पडता हे.. आपको तो सब पता चल जाता हे तो आपको भी मालुम हे की मे क्या चाहती हु.. मेरी कीताब तो खुली हे.. तो फीर आप मुजे सचाइ बतानेमे संकोच क्यु कर रही हे..? बता दीजीये मुजे सब.. मे भी खुलकर जीना चाहती हु..

पुनम : (धीरेसे साथ चलते) भाभी.. तो फीर सुन.. ओर अभी ये बात तुम तेरे तक ही सीमीत रखना.. क्युकी तुम जानकर अभी विचलीत भी हो सकती हो.. ओर मे ये बात आपको इसीलीये बता रही हु.. ताकी आगे चलकर हम चारोको ही इस घर ओर हमारी विरासतको सम्हालना हे.. क्युकी तुम हमारे लीये कीतनी इम्पोर्टन्ट हो तुजे तो पता ही नही हे..

लता : (आंसु पोछते मुस्कुराते) दीदी.. वो सब पता हे मुजे.. की मेरा रोल कीतना अहेम हे.. आज मुजे सबकुछ खुलकर बता दीजीये.. ओर हम चारो कौन हे..? वो भी बता दीजीये.. जीनका अभी आपने जीक्र कीया.. वो रमाभाभी ओर नीलुके बारेमे.. मैने तो हमारी सादीसे पहेले भी बहुत कुछ देखा हे.. मे इतनी कमजोर नही हु.. जीतनी आप समज रही हे..

पुनम : (गाल सहेलाते) भाभी.. आपको सायद नही पता.. मंजु भाभी मेरी बडी बहेन हे.. वो नीर्मला आंटी ओर हमारे बापुकी लडकी हे.. उसी तराह तुम भी हमारी बहेन हो.. आपके बापु सरला चाचीको सारीरीक सुख देनेमे कमजोर थे.. तो सरला चाचीने हमारे बापुके साथ ही रीलेशन रखलीया था.. सीर्फ आप ही नही.. भानुभाइ भी हमारे भाइ हे..

ओर अ‍ेक सचाइ ओर बतादु.. मंजु भाभी ओर आपकी तराह सृतीभाभी भी हमारी बहेन हे.. हालाकी इस बातका सृतीभाभी ओर भानुभाइको अभी पता नही हे.. तो आपभी खयाल रखीयेगा.. की अभी उन दोनोको इस बात मालुम ना पडे.. भाभी.. हम सब आपसमे बहेने हे.. ओर मजेकी बात ये हे.. हम सब अपने भाइकी बीवीया हे.. हें..हें..हें..
 
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dilavar

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लता : (आंसु बहाते हग करते) दीदी.. बस..? इतनीसी बात करनेके लीये डर रही थी..? अगर मुजे पहेले पता होता तो मे पहेलेसे ही इस घरमे बडे भाइकी बीवी बनकर आ चुकी होती.. दीदी.. इस बातका मुजेतो पहेलेसे ही सक था.. क्युकी मेरी मां बहुत ही कामी ओरत हे.. सीर्फ हमारे बापुके साथ ही नही..

मेरी सादीसे पहेले ही उनका बडेभैयाके साथ भी रीलेशन हे.. वो भी मुजे पता हे.. मेने दोनोको कइ बार सेक्स करते देखा भी हे.. तब ही मेने बडेभैयाका हथीयार देख लीया था.. तभी तो मे इनकी ओर आकर्सीत हुइ हु.. बस.. अब आप मुजे भी अपनी छोटी बहेनके रुपमे स्वीकार कर लीजीये..

पुनम : (आंसु पोछते) बस.. बस दीदी.. अब सांत होजाओ.. अब मे आपको कभी भाभी नही कहुगी.. आजसे आप मेरी छोटी बहेन हे.. दीदी.. आगे चलकर मुजे..आपको.. सृती भाभीको ओर भावना भाभी को ही सब सम्हालना हे.. वो कैसे इस बारेमे आप तीनो मुजपे छोड दीजीये.. इनमे अभी लखन भैया भी हमारे साथ हे.. बस.. अभी सीर्फ इतना कहेना हे आप रमाभाभी.. ओर नीलमको ज्यादा तवजो मत देना..

लता : (मुस्कुराते) हां दीदी.. येतो बताइअ‍े उन दोनोसे हमे क्या खतरा हे.. ताकी मेभी चौकनी रहु..

पुनम : दीदी.. अभी जैसा चल रहा हे चलने दो.. अब आप नीलमको धिरेनसे प्यार करनेमे नही रोकेगी.. उनको जो भी करना हो करने दो.. क्युकी मेभी धिरेनको प्यार नही करती.. ओर मुजे यहा वापस भी तो आना हे.. जब मे यहा हमेसाके लीये वापस आजाउगी.. तब हम चारोको इस हवेलीको सम्हालना हे.. ओर रमाभाभीके साथ भी अ‍ैसा व्यवहार करना.. जैसा अभी करती आइ हो.. क्युकी उन दोनोको पता नही चलना चाहीये की हमे उन दोनोके बारेमे सब पता हे..

लता : (मुस्कुराते) दीदी तो फीर रमा भाभी ओर नीलुसे कैसा खतरा हे..? इस बारेमे खुलकर बताइअ‍ेनां..

पुनम : (मुस्कुराते) हां दीदी.. अब इस बातको सुनकर आप वीचलीत मत होना.. क्युकी इसके लीये मेने लखन भैयासे मीलकर कुछ प्लान भी बनाया हे.. बस.. लखन भैयाको जडी बुटी देनेका अ‍ेक कारण येभी हे..

लता : (सरमाकर हसते) वैसे भी हमारा भाइ कमीना.. हे भी बहुत ठरकी.. हें..हें..हें..

पुनम : (जोरोसे हसते) कमीनी गालीयातो मत दे पती हे तेरा.. हें..हें..हें..

लता : (सरमाते हसते) दीदी.. तब पता नही थाकी मेरा भाइ ही मेरा पती हे.. वरना उसे गालीया देते प्यार करती.. हें..हें..हें.. इसका मतलब आखीर मैनेभी अपने भाइसे ही सादी की हे.. हें..हें..हें.. दीदी वो रमाभाभीके बारेमे बताइअ‍ेनां..

पुनम : (मुस्कुराते) हां सुन.. रमा भाभीकी तेरे मामाके साथ सादी नही हुइ थी तभीसे ही उसे पैसोसे बहुत लगाव हे.. ओर उपरसे तेरी नानीने उनको पैसेके बदले खरीदा हे.. मानोना.. वो बहुत ही गरीब थे.. जब तेरे मामाका अ‍ेक्सीडन्ट हुआ तब भानुभाइने ही सब खर्चा दिया हे.. तभी वो पैसे देखकर भानुभाइकी ओर ढल गइ.. ओर उनके साथ रीलेशन रखलीये.. वो पैसोके लीये कीसीभी हद तक जा सकती हे..

लता : (आस्चर्यसे धीरेसे) दीदी.. तो क्या वो भाइसे प्यार नही करती थी..? कहीयेना आपको तो सब पता चलजाता हे..

पुनम : (मुस्कुराते साथ चलते) हंम.. सुन.. उसने भानुभासे इसीलीये सादी की.. क्युकी वो समजती थीकी होस्पीटलमे अपने पतीपे इतना खर्चा कीया.. तो इनके पास बहुत पैसे होगे.. लेकीन यहा आकर उनका सपना सपनाही रेह गया.. फीर उसने बडे भैयाको भी रीजानेकी बहुत कोसीसकी.. लेकीन उनमे भी वो कामयाब नही हुइ.. क्युकी बडे भाइ.. भानुभाइको कभी धोखा नही देते.. इसीलीये भाइने उनपे कोइ ध्यान नही दीया..

लता : (आस्चर्यसे देखते) क्या..? कमीनी अ‍ैसी हे..? फीर..

पुनम : (मुस्कुराते) अरे दीदी.. आगेतो सुन.. सुनकर तेरा तो दिमाग ही चकरा जायेगा.. जब उनकी दाल वहा नही गली.. तब उसने हमारे लखन भैयाको फसालीया.. इसके लीये उसने अ‍ेक बहुत ही खतरनाकर चाल चली हे.. ओर वो भी अपनी बेटीको जरीया बनाके.. तुम सुनोगी तो उनको गालीया देने लगोगी..

लता : (धीरेसे) दीदी आज उनके बारेमे मुजे सबकुछ बताही दीजीये.. कमीनी दीखनेमे तो कीतनी भोली हे..

पुनम : दीदी.. जब आप ओर भाइ नीलुको धिरेनके वहासे लेकर आये.. फीर नीलु अपने घरपे चली गइ तब उसने नीलुको समजाकर अपने विस्वासमे लेलीगा.. ओर अपने प्लानमे सामील करलीया.. अपने प्लानके मुताबीक उसने हमारे लखन भैयाको नीलुके प्यारमे फसाकर उनके साथ फीजीकल रीलेशन रखेनेके लीये नीलुको राजी करलीया हे.. ताकी नीलु उनकी पढाइके आखरी साल लखन भैयासे प्रेगनेन्ट होजाये.. तबतक वो आइ पीलकी गोली लेती रहेगी..

लता : (चोंकते देखते) व्होट..? लेकीन क्यु..? वो नीलुको लखनसे क्यु प्रेगनेन्ट करवाना चाहती हे..? ओर नीलु इस कामके लीये राजी भी कैसे होगइ..?

पुनम : (कातील मुस्कानसे) दीदी.. आखीर नीलु भी तो उनकी बेटी हे.. जीस तराह रमा भाभीको पैसा प्यारा हे उसी तराह उनकी बेटी भी पैसोकी पुजारन हे.. उनके भी महेंगे महेगे सौक हे.. इसीलीये तो धिरेनसे प्यार करती हे.. क्युकी धिरेन बेन्कमे सरकारी जोब करता हे.. तो वो समजती हे उनके पास पैसोकी कमी नही हे.. इसीलीये तो धिरेनको प्यार करती हे.. देखा नही.. वो कैसे जुठ बोलकर धिरेनके साथ उनके घरपे रंगरेलीया मना रही थी.. ओर धिरेनने भी उनको महेगे कपडे ओर महेगा फोन भी तो दीलवाया हे..

लता : (आस्चर्यसे) अच्छा.. तो ये माजरा हे.. फीर..? इनमे रमाभाभी नीलुको लखनसे प्रेगनेन्ट करवाना क्यु चाहती हे..? कोइ खास वजह..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां.. ताकी इस बातका हमारे बडे भाइको पता चल जाये.. की लखनने नीलुको प्रेगनेन्ट करदीया हे.. ताकी वो नीलुकी सादी लखन भैयासे करवादे.. ओर वो कायदेसे लखन भैयाकी बीवी होजाये.. ताकी इस हवेलीकी आधी जायदादकी मालकीन बन जाये.. फीर दोनो ही मां बेटी दोनो भाइके बीच फुट डालवाके जायदादका बटवारा करवा दे.. ओर हमारी आधी जायदादकी मालकीन बन सके..

लता : (आस्चर्यसे धीरेसे) ओह.. माय.. गोड.. कुती.. कमीनी.. रंडीकी ओलाद.. दीदी.. कमीनीओने क्या प्लान बनाया हे.. अच्छा हे आपको ओर बडी दीदीको सब पता चल जाता हे.. वरना ये दोनो कमीनीतो हमारा घर ही बरबाद कर देती.. कमीनीओको छोडना मत.. क्या कोइ पैसोके लीये इतना नीचे गीर सकती हे..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां दीदी.. तभी तो हमे लखन भैयाको ये जडीबुटी देनेकी आवस्यक्ता पडी.. हमे भी पता था लखन भैयाको ओर उनके सभी दोस्तोको मुना भाइने स्टेमीनाके लीये आयुर्वेदीकका कोर्ष करवाया हे.. फीर भी हमने इनको जडीबुटी दी.. ताकी इनका हथीयारभी बडा ओर मोटा होजाये.. हमे लखन भैयाका अ‍ैसे बहुत उपयोग करना हे.. उन मा बेटीकी तो फाडके रखदेगे.. कमीनी.. अपनी बेटीको लखन भैयासे चुदवानेका बहुत सौक हेनां.. अब देखो भैया दोनोकी क्या हालत करते हे..

लता : (सरमाकर हसते) दीदी.. क्या रमा भाभीको भी.. मतलब.. वो भी..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां.. आपको पता नही वो भी चुदवानेकी कीतनी सौकीन हे.. नीलुसे पहेले तो वो लखन भैयाका लेनेके लीये उछल रही हे.. आपको पता नही हे वो भी लखन भैयाको प्यार करने लगी हे.. क्युकी अब उनको भानुभाइ संतुस्ट नही करपाते.. ओर उनको भानुभाइमे अब कोइ इन्ट्रेस भी नही हे.. क्युकी भानुभाइ भाइके प्रती बहुत ही वफादार हे.. उनको पता हे भानुभाइ उनका इस जायदादके मामलेमे साथ नही देगे.. तो उसने लखन भैयाको फसालीया हे..

लता : (थोठी सोचमे) दीदी.. ये दोनो कमीनी तो बहुत ही खतरनाक नीकली.. लखनको कहेना पडेगा.. की इनसे बचके रहे..

पुनम : (वापस मुडकर चलते मुस्कुराते) नही दीदी.. इसकी चीन्ता तुम मत करो.. तुम लखन भैयाको कुछ मत कहेना.. इन दोनोको तो मे ओर लखन भैयाही नीपट लेगे.. बस.. तुम सीर्फ हमारे बडे भाइपे ध्यान देना.. चलो हम वापस चलते हे..

कहेते पुनम ओर लता हवेली तक बाते करते पहोंच गइ थी.. दोनोही अपनी बातोमे मसगुल थी.. लेकीन पुनम हवेलीके आतेही वापस मुड गइ.. लताका पोजीटीव रीस्पोन्स देखकर पुनमने आज लताको सबकुछ बतानेका फैसला करलीया.. तो लता भी पुनमकी बातोसे खुस नजर आ रही थी.. दोनो बाते करते करते चलकर वापस सामत भाइके घरकी ओर चल पडी..
 

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लता : (हां मे गरदन हीलाते) ठीक हे दीदी.. मे आपकी सब बाते समज गइ.. मुजे समय समयपे मार्गदर्शन करीयेगा.. लेकीन दीदी.. अब मे लखन भैयाको क्या कहुगी..?

पुनम : लखनभैया..? हें..हें..हें..

लता : (सरमाकर हसते) हां.. अब भाइको भाइ नही तो क्या कहुगी..? कमीनेने.. अपनी बहेनकी ठोक ठोकके हालत खराब करदी.. हें..हें..हें.. दीदी.. कल रात जब अंदर डालानां.. मेरी तो चीख ही नीकल गइ.. अ‍ैसा लगा कीसीने बडा डंडा घुसादीया हो.. हें..हें..हें.. दीदी.. क्या उनको पता हे मे उनकी बहेन हु..?

पुनम : (हसते) हां.. कुछ दिन पहेले ही मेने उसे बताया.. हें..हें..हें.. तो कमीने सुनकर बहुत ही खुस हो रहेथे..

लता : (हसते) हां वैसे भी हमारे खानदानमे सबको अपनी बहेनको ठोकने मे ही मजा आता हे.. तो खुस तो होगेंनां.. हें..हें..हें.. पता नही आप उनसे कैसे बच गइ.. हें..हें..हें.. आप दोनो तो साथमे पढते थेनां..? तो फीर कभी आप पे लाइन मारनेकी कोसीस नही की..?

पुनम : (सर्मसार होते मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. वो मुजे पानेकी पुरी कोसीस कर चुके हे.. आज अ‍ेक ओर सचाइ आपको बता ही देती हु.. आज मे आपसे कुछ छुपाना नही चाहती.. हांलाकी इस बारेमे मंजुभाभीके अलावा सृतीभाभी ओर भावना भाभी भी जानती हे.. की जब हम दोनो स्कुलमे थे.. तब ही लखन भैया मुजको प्यार करने लगे थे.. लेकीन तब मेरी चाहत बडे भैया थे.. मे उनको प्यार करती थी.. तो लखन भैयाको मैने ज्यादा तवजो नही दी.. ओर उनका मुजे प्यार करनेका सपना सपना ही रेह गया..

लता : (खुस होते हसते) दीदी.. क्या केह ही हो..? इस बारेमे मुजेतो पता ही नही था.. लेकीन आपको कैसे पता चला..? क्या कभी उसने अपने प्यारका इजहार कीया था..?

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) नही.. दीदी.. उनकी प्यार जतानेकी हिंमत ही नही हुइ.. वरना आज मे उनकी बीवी होती.. ओर तब मेरे पास ये सब शकितया भी नही थी.. मुजे तो शक्तिया मीली तब पता चला.. ओर जब उनको भी ये पता चलाकी मे बडे भैयाकी बीवी हु.. तबसे वो मुजे भाभी कहेने लगे.. ओर हम दोनो ज्यादा नजदीक आगये.. तब उसने अ‍ेक दिन मेरी मस्तीया करते सबकुछ बता दीया.. की मे भी आपसे प्यार करता था.. लता दीदी.. क्या आपके साथ भी अ‍ेक हादसा हुआ हेनां..?

लता : (सर्मसार होते धीरेसे) हां दीदी.. वो भी तो हमारे भाइ ही हे.. तो वो कैसे अछुत रेह सकते हे.. इस बातका तो कीसीको पता भी नही हे.. मे ही जानती हु की उस रात मे भानु भाइसे कैसे बच गइ.. वरना उस रात पका वो मेरा बलात्कार कर देते.. हें..हें..हें.. (सरमाते हसते) दीदी.. अब तो बता दीजीये वो दोनो कौन हे जीन्होने लखनके साथ गांधव विवाह करलीया हे.. ओर मेरी सौतने हे..

पुनम : (मुस्कुराते) लता.. अ‍ेक तो हम स्कुलमे थे तब मेरी होस्टेलकी मालकीन.. ओर दुसरी हमारी रजीया..

लता : (सरमाते धीरेसे) क्या..? हमारी रजीया..? दीदी.. तो फीर रजीयाको कहीयेना.. अब वो भी हमारे साथ ही सोये.. क्युकी अब मे लखनको अकेली नही जेल पाउगी..

पुनम : (मुस्कुराते) ठीक हे लता.. मे भाभीसे कहुगी वो उनसे बात करलेगी.. उनको बताना भी हे की मेने तुजे सबकुछ बता दीया हे.. की तुम भी हमारी बहेन हो.. ओर सुन.. अ‍ेक राजकी बात ओर.. दया भी हमारी बहेन हे.. वो भी बडे भैयाके साथ रीलेशनमे हे.. हें..हें..हें..

लता : (सरमाकर हसते) दीदी.. हमारे बापु कीतने सौकीन ओर रंगीन मीजाजके रहे होगे.. यहा सबको अपनी बहेनकी लेनेमे ही मजा आता हे.. ओर हम जैसी बहेने भी कम नही हे.. कमीनी सबकी सब अपने भाइसे चुदवानेके लीये बेताब हे.. इनमे आप भी बाकात नही हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाकर हसते) हां.. सही कहा तुमने.. लता.. मे भी तुम्हारी तराह सुरुसे ही भाइको पसंद करती थी.. ओर मंजु भाभी डीलीवरीमे होस्पीटलमे थी तब हमने सादी भी करली.. लता मे बहुत खुस हु.. की इस वक्त मे हमारे भाइके बच्चेको मेरी कोखमे पाल रही हु.. अ‍ेक दिन अ‍ैसा भी आयेगा.. की तुम भी हमारे बडे भाइसे प्रेगनेन्ट होजायेगी.. ओर हमारे स्वामीकी चहीती रानीको जन्म देगी..

लता : (सर्मसार होते मुस्कुराते) दीदी.. वो सबतो ठीक हे.. लेकीन मे लखनको क्या कहुगी.. अगर उसे पता चल गयाकी मे भी बडे भाइके साथ रीलेशनमे हु.. तो हम उनको कैसे सम्हालेगे.. क्युकी अभी आपने कहानां की हम चारोके साथ लखन भैया भी हमारे साथ सामील हे..

पुनम : (मुस्कुराते) वो सब तु मुजपे छोडदे.. क्युकी आज तुजे वो बात भी बता देती हु.. जो मंजु भाभीने तैय कीया हे.. अब तुजे इस बातके लीये लखन भैयासे गभरानेकी जरुरत नही पडेगी..

लता : (आस्चर्य भावसे देखकर मुस्कुराते) दीदी.. आज तो अ‍ेक के बाद अ‍ेक राज खोल रही हे.. मुजे सबकुछ बता दीजीये.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाकर मुस्कुराते) ठीक हे दीदी.. सुनो.. आपतो जानती हे भाइकी लीगल ओर इलीगल.. मतलब जीनके साथ गांधर्व सादीया की हे.. सब मीलाकर उनकी कीतनी बीवीया हे..? मंजुभाभी.. चंदाभाभी.. सृतीभाभी.. के अलावा मे.. फीर रश्मीभाभी.. हमारी वंदना..

हाल हीमे उनकी मम्मी चारुभाभी.. हमारी नीशाभाभी.. दोनोके साथ भी भाइ सादी कर चुके हे.. ओर दो तीन ओर हे जो उनकी जींदगीमे आगेथी.. इनमेसे अ‍ेक तुम भी हो.. इसके अलावा कबीलेकी अ‍ेक लडकी.. फीर हमारी दया बहेन.. ओर दुसरी ओरतोके साथ रीलेशन हे वो अलग..

लता : (जोरोसे हसते) ओह गोड.. भाइ कीतनी बीवीया सम्हालेगे..? क्या भैया सबको टाइम दे पाते हे..? हें..हें..हें..

पुनम : (हसते) हां.. वो हीतो.. दीदी.. यही तो अ‍ेक समस्या खडी हुइ हे.. की भाइ सबको टाइम नही दे पाते.. इसीलीये मंजु भाभीने कुछ फैसला कीया हे.. ओर इस बातकी उन्होने भाइसे परमीशन भी लेली हे.. तो भाइ भी इस बातके लीये मान गये हे..

लता : (उत्सुक्तासे मुस्कुराते) दीदी.. प्लीज.. जल्दी बताइअ‍ेना भाभीने भाइसे कोनसी बात मनवाली हे..

पुनम : (हसते) दीदी.. भाइकी भी इतनी बीवीया हे.. ओर आने वाले वक्तमे लखन भैयाकी भी दो तीन बीवीया होगी.. तो भाइ भाभी दोनोने डीसाइड कीया हे.. की दोनो भाइकी जीतनी भी बीवीया हे.. वो सभी बीवीओको दोनो भाइ मीलकर सम्हाल ले.. लेकीन इनमे दोनोकी सहमती होनी चाहीये.. यहा जबरदस्ती कुछ भी नही होगा..

लता : (मुहपे हाथ रखकर आस्चर्यसे हसते) दीदी.. क्या कहे रही हे आप..? इसका मतलब.. अब वो दोनो भाइ हम सबको.. मतलब..? आप समज गइनां..? क्या ये कुछ अजीब नही हे..?

पुनम : (मुस्कुराते) नही लता.. इनमे कुछ भी अजीब नही हे.. हमारे उस लोकमे कहा कोइ रीस्ते नाते हे.. ओर हम सभी यहा हमारे स्वामीके लीये तो आइ हे.. जो कभी हमने उनको हर जन्ममे पानेकी कामना की थी.. तो ये दोनो भाइ उन्हीका तो अंस हे.. वरना सोच.. तु जब बडे भाइके साथ रीलेशन रखेगी..

तो क्या लखन भैयाको अच्छा लगेगा..? नहीनां.. ओर वैसे भी भाइको भी इतनी सादीया करनी ही थी.. वरना उस वचनका क्या होगा.. जो पीछले जन्ममे उनकी बीवीओको दे चुके हे.. इसीलीये उन्होने भी स्वीकार करलीया हेकी वो सबको टाइम नही देपायेगे.. इसीलीये भाइ भाभीने मीलकर ये फैसला लीया हे..
 

dilavar

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लता : (मनमे खुस होते हसते) ओह गोड.. हमे क्या क्या देखनेको मीलेगा.. दीदी.. तो इसका मतलब आप भी दोनो भाइसे.. आइ.. मीन.. भाइकी सभी बीवीया भी लखनके साथ..

पुनम : (थोडी सीरीयस होते) हां लता.. मत भुलो हम सब कौन हे.. हम सब उस्ी हिमाचलके राजाकी रानीया थी.. जो दुबारा जन्म लेकर उन राजाके लीये आइ हे जो मंजु भाभीके दुसरे जन्ममे उनकी कोखसे जन्मेगा.. हम सब यातो परीया हे या अप्सराये.. हम सबने कभी कामना कीथी.. की हर जन्ममे हमे यही पतीके रुपमे मीले.. ओर हमारे दोनो भाइ उसीका अंस हे.. इसीलीये हम सबका फर्ज हे उन दोनोको खुस रखे.. दरसल हम सभी उन दोनो भाइकी बीवीया हे..

लता : (मुसकुराते) दीदी उन कहानीको तो मे अच्छी तराह जानती हु.. ओर ये भी पता हे हम सब कौन हे.. तो क्या इसीलीये..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां.. तो फीर सुन.. तुजे अ‍ेक बात ओर बतादु.. फीर तुम ही डीसाइड करना आगे जाकर तुजे क्या करना हे.. भाभीने कहा हे.. अब हम सब की उमर थम जायेगी.. हम सब अ‍ैसेही जवान रहेगी.. ओर जब हमारा विजय बडा होजायेगा तब भाइ भी बुढे होजायेगे.. वो तब हमे कीसीको सारीरीक सुख देनेमे सक्षम नही रहेगे.. तब हम सब क्या करेगी..? क्या तुम अब मर्दके बीना रेह पाओगी..? बता..

लता : (सरमाते मुस्कुराते) नही दीदी.. वैसे भी हमारे घरकी सभी ओरते बहुत ही कामुक हे.. उनको हर दीन अपनी चुतमे अपने पतीका लंड चाहीये.. तो हम क्या करेगी..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां.. इसीलीये भाइ ओर भाभीने ये फैसला लीया हे.. तुम सोच जब भाइही सक्षम नही रहेगे.. तब अभी हमारे लखन भैया हे.. फीर हमारा विजय भी बडा होजायेगा.. वो तो इन दोनोसे भी ज्यादा अयास होगा.. फीर उनका बेटा जो स्वयंम वो राजा होगा वो आयेगे.. तब ये सब रीस्तेनाते धरेके धरे रेह जायेगे.. तब हमे यहा बहुत कुछ देखनेको मीलेगा.. तब हम चारो होगी.. तब तुम क्या करोगी..?

लता : (हसते) दीदी.. आपकी सभी बाते मे समज गइ.. मतलब हमे अपनी सोच बदलनी होगी.. हम सबको हमारी सरम त्यागनी होगी.. क्या यहीनां..? हें..हें..हें.. मतलब अब इनमे आप भी बाकात नही रहेगी.. हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार होते मुस्कुराते) हां दीदी.. मे अभी कुछ बता नही सकती.. लेकीन सायद तुम्हारी बात सच हे.. दीदी.. बडे भैयाका भी लखन भैयाके जीतना ही हे.. अब तुम क्या करोगी..?

लता : (सरमाकर मुस्कुराते) नही दीदी.. मेने सादीसे पहेले बडे भाइका भी देखा हे.. लेकीन लखनका तो उनसे भी बडा दीख रहा हे.. ओर वैसे भी बडे भैयासे मीलकर आप लोगोको तो कुछ नही हुआ.. लेकीन दीदी.. मैने इतना बडा कभी नही देखा.. इसीलीये अ‍ेक डर लग रहा था.. लेकीन लगता हे अब मुजे अ‍ेक बारतो ये दर्द जेलना ही पडेगा..

पुनम : (हसते) हां.. अब आइ लाइनपे.. दीदी.. क्या लखन भैयाका सचमे बडे भाइसे बडा दीखता हे..?

लता : (सरमाकर हसते धीरेसे) हां दीदी.. मेने तो भाइका भी देखा हे.. ओर अब लखन भैयाका भी देखा.. बापरे कीसी गध्धेका लग रहा हे.. हमारी तो फाडके रख देगा.. आप बचके रहीयो.. हें..हें..हें..

पुनम : (हसते धीरेसे) कमीनी तुम तो मुजे भी डरा रही हो.. मुजे इस बारेमे सृती भाभीसे भी बात करनी पडेगी.. चल सबके साथ बैठते हे.. सादी भी होगइ होगी..

लता : (सरमाते मुस्कुराते) दीदी.. क्या इस बारेमे लखन भैया भी सब जानते हे..?

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे सरमाकर) नही दीदी.. मुजे तो उनको बतानेमे भी सरम आ रही हे.. तो मैने मंजु दीदीको कहा हे.. वो उनसे बात करलेगी.. क्युकी ये सब उनको भी बताना पडेगा.. अब चलीये सबके साथ बैडते हे..

कहेते दोनो वापस मंडपके नीचे आगइ.. तो मंजु दोनोकी ओर देखकर हसने लगी.. तब पुनम ओर लता दोनोही सरमाकर हसने लगी.. ओर सबके साथ बैठ गइ.. आज पुनमने लताको सबकुछ खुलकर बता दीया था.. इस बातसे लता भी अ‍ेक्साइटेड होगइ थी.. तबतक सादीका फेरे भी होगये.. ओर सादी संपन होगइ.. तो सबलोग बंसी ओर सांतीको आशीर्वाद देने लगे.. ओर सामतभाइ भी खुस होते सभी महेमानोके पास आकर सबको गले मीलकर मीलने लगे..

तबतक भोजनकी भी तैयारीया होगइ थी.. तो रमेश सबको भोजनके लीये बुलाने आगया.. तो सभी जेन्ट्स सादीकी चर्चा करते भोजन पंडालकी ओर जाने लगे.. ज्यादातर लोग इस सादीसे खुस थे तो कुछ लोगोको अ‍ैसी सादी रांच नही आइ.. सभी जेन्ट्स भोजन करने चले गये.. तो गीताने बसंतीको बुलानेकी कोसीस की तो बसंतीने मुस्कुराकर बडे ही आरामसे गीताको पहेचाननेसे इन्कार करदीया..

तो गीताको बहुत बुरा लगा.. ओर वो बार बार धीरेसे बसंतीकी माफी मांगने लगी.. लेकीन हर बार बसंतीने उनको पहेचाननेसे इन्कार करती रही.. ओर वो ब्रिन्दाको लेकर गीतासे दुर चली गइ.. तब गीताकी आंख गीली होगइ.. ओर वो मंजुके पास जाकर बैठ गइ ओर उनसे बाते करने लगी.. तब मंजुके सामने गीताकी पुरी कुंडली आगइ.. ओर उसने गीताका भवीस्य भी जानलीया..
 

dilavar

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तबतक लखन भी बंसीको उनके रुममे छोडकर भोजन पंडालमे आगया.. ओर सभी दोस्तोके साथ मीलकर काम करने लगा.. तभी उनका ध्यान मुनाके मामा विनोदकी ओर गया तो वो मुस्कुराते विनोदके पास चला गया.. विनोद लखनको देखते ही उनके गले लग गया ओर दोनो हस हसके बाते करने लगे.. तब लखनने विनोदके साथ घनीष्ठा बढानेके लीये गांवमे बडी होस्पीटल ओर बडी स्कुलके बारेमे बाते करने लगा..

ओर बातो ही बातो मे लखनने उनकी बीवीको इस बडी स्कुलमे जोबकी ओफर करदी.. जीसे सुनकर विनोद बहुत खुस होगया.. बस.. यही तो लखन चाहता था.. आज लखनने मुनाका काम करते मछलीको पहेला दाना डाल दीया था.. ओर लखन विनोदसे बात करते वहासे मुनाके पास चला गया.. लेकीन उनको मुना कही नही मीला.. तो उसने दुसरे दोस्तोको मुनाके बारेमे पुछा.. तो कीसीको नही पताथा की मुना कहा गया..

दरसल बाबाके जाते ही मुना अपने घरपे चला गया था.. फीर घरसे कुछ जडी बुटीका पावडर मीलाकर दवाइ बना लेता हे.. फीर दवाइकी अ‍ेक पुडी बनाकर जेबमे रख लेता हे.. ओर जेबमे छुपाकर वापस आगया.. तब लखन उनको ढुंढते दीखाइ दीया.. तो मुना लखनके पास चला गया.. तब लखन उनको विनोदकी ओर इसारा करते हसने लगा.. तो मुना भी समज गया की लखन जरुर कुछना कुछ बाते करके आया हे..

फीर मुना धीरेसे सरकते श्रीधरके पास चला गया.. ओर उनके कानमे कुछ कहेने लगा.. तो श्रीधर भी थोडा गुस्सा होकर भानुकी ओर टेडी नजरसे देखते हां मे गरदन हीलाता रहा.. दोनोने मीलकर कुछ प्लान बनालीया.. जीसके बारेमे मुनाने श्रीधरको अभी कीसीको भी ना कहेनेकी बात करली.. फीर दोनो अपने अपने कामपे लग गये.. तो दुसरी ओर आज बंसी ओर सांतीकी सादी होगइ थी..

तो वो सादीके जोडेमे बैठकर नइ नइ दुल्हनकी तराह बहुत ही सरमाते अपने रुममे बैठी थी.. तब बरखा जयश्री ओर जागृती सांतीकी टांग खीचाइ करते छेड रही थी.. तो सांती बहुत ही सर्मसार होते मुस्कुराने लगती थी.. तब बंसी अपने रुममे जाकर फ्रेस होने लगा.. तभी कीसीने जागृतीको आवाज लगाइ.. तो वो खडी होकर हसते हुअ‍े बहार चली गइ.. तो जयश्री बरखा ओर सांती हस हसके बाते करने लगी..

जब जागृती बहार नीकली तो उनको वहा कोइ नही दीखा.. तो वो वापस जाने लगी.. तभी उनका ध्यान बंसीके रुमकी ओर गया.. ओर उसे आज सुबह बंसीको जगाने गइ तब बंसीने उनको कैसे दबोच लीया था.. ओर अपनी नीचे लीटाकर प्यार कीया था.. जागृतीको उनके साथ कीये हुअ‍े प्यारकी याद आगइ.. तब जागृतीकी दिलकी धडकन बढने लगी.. ओर अ‍ेक बार फीर उनको बंसीको मीलनेकी इच्छा होगइ..

तो दुसरी ओर इस वक्त घरमे कोइ नही था.. ओर सांती भी जयश्री बरखाके साथ उनके रुममे गप्पे लगा रही थी.. तब जागृतीकी बंसीके रुममे जानेकी उत्सुक्ता बढ गइ.. अ‍ेक बार फीर जागृतीकी चुत हरकतमे आकर फडफडाने लगी.. जैसे जागृतीसे पहेले उनकी चुतको बंसीके साथ मीलन करनेकी जल्दी हो.. ओर वो धीरेसे दबे पांव अ‍ेक बार फीर बंसीके रुमकी ओर चली गइ.. तब बंसी फ्रेस होकर दरवाजेकी ओर आ रहा था..

जैसेही जागृती बंसीके रुममे घुसी.. तो बंसीसे टकरा गइ तो सरमाकर हडबडा गइ.. तब रुममे कोइ नही था.. तो बंसीने जटसे बहारकी ओर देख लीया.. जब बहार भी कोइ नही दीखा तो बंसीने जटसे जागृतीका हाथ पकडकर रुममे खीच लीया ओर दरवाजा बंध करदीया.. तब जागृती बहुत ही सर्मसार होते हसते हुअ‍े बहारकी ओर जाने लगी.. तभी बंसीने जागृतीको अपनी बाहोमे दबोच लीया.. ओर उनके बुब्सको थामते मसलने लगा.. ओर उनके होठोपे कीस करते जागृतीके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगा.. तब..

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जागृती : (सर्मसार होते मुस्कुराते धीरेसे) भाइ.. बस.. बस.. ओर नही.. अभी घरपे सब महेमान हे.. हम बादमे प्यार करेगे.. छोडदो मुजे.. कोइ आजायेगा..

बंसी : (होट चुमते) जागु.. क्या मस्त लग रही हे.. अ‍ैसा लगता हे दुल्हन सांती नही तुम हो.. चलनें हम भी सादी करलेते हे.. प्लीज.. मे तेरे बीना नही रेह सकता.. कल मीलनेको कहा था.. तो क्यु नही आइ..? हंम..? सुबह भी नही करने दीया..

जागृती : (जोरोसे बाहोमे भीचते) भाइ.. मे कैसे आती..? भाभीने मुजे कामपे रोक लीया था.. भाइ.. इसीलीये मे आपको सुबह मीलने आइ थी.. हमने प्यार भी तो कीया था.. आज आप भाभीके साथ अपनी सुहागरात अच्छेसे मनालो.. फीर हम बादमे मीलीगे.. तब आप अपनी सारी तम्मना पुरी करलेना.. अब तो मे भी आपकी होगइ हु.. अब आपही मेरे पती होगे..

बंसी : (बुब्स दबाकर मसलते) जागु.. प्लीज.. मुजसे दुर मत होना.. मे तुमसे भी जल्दी सादी करना चाहता हु..

जागृती : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. जानती हु मे.. मेभी आपसे सादी करना चाहती हु.. ओर भाभी खुद चाहती हेकी मेभी आपसे सादी करलु.. लेकीन भाइ.. मे इस बारेमे अ‍ेक बार भाभीसे बात करलु.. फीर हम तीनो डीसाइड करलेगे की कब हमे सादी करनी हे.. तब तक हम दोनो अ‍ैसेही मीलेगे.. ओर आपकी कुछ तम्मना भी हे.. तो मे उसे भी पुरी करना चाहती हु.. भाइ.. फीकर मत करो.. हम हमारी सादीसे पहेले ही मीलेगे..

जागुती : (गलेको चुमते) ठीक हे जागु.. चलना अभी कोइ नही हे.. मे तेरे साथ मीलन करना चाहता हु.. मे तेरे बीना नही रेह सकता.. आज क्या पटाका लग रही हे.. जीतो चाहता हे आज सांतीके साथ तेरे साथ भी सादी करके हमारी सुहागरात मनालु..

जागृती : (सर्मसार होते मुस्कुराते) भाइ.. मे सीर्फ आपके लीये ही सजी थी.. बस.. थोडासा सब्र करलो.. हमारी सादी भी होगी ओर हमारी सुहागरात भी होगी.. मे भी तो यही चाहती हु.. हम जरुर मीलेगे लेकीन अभी नही.. अभी मुजे छोड दीजीये.. कोइ कभी भी इधर आ सकता हे.. वो दोनो भी मेरे पीछे पडी हेकी मे भी आपस सादी करलु.. भाइ छोडदो मुजे.. आइ प्रोमीस.. हम दोनो बहुत ही जल्द मीलेगे.. बस..?

कहातो बंसीने जागृतीके बुब्सको मसलते होठोको चुमकर छोड दीया.. तो जागृती बंसीकी ओर कामुक नजरोसे देखते हसते हुअ‍े जटसे अपने बालो ओर कपडेको सही करने लगी.. फीर अचानक बंसीकी बाहोमे समा गइ.. ओर बंसीके होठोपे कीस करके हसते हुअ‍े बहारकी ओर भाग गइ.. तब बंसी भी खुसीके मारे हसने लगा.. ओर जागृतीको जाते हुअ‍े देखता रहा.. फीर कुछ देरके बाद वो भी कंपलीट होकर बहार आगया ओर भोजनके पंडालमे चला गया....

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Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 
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