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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ८७

तब सृतीको पहेली बार देवायतने होंठ चुमकर कीस करदी तो सृती सोक्ट होते मुह फाटते उनकी ओर देखती रही.. क्युकी पीछले कुछ महीनोसे वो सीर्फ देवायतके बारेमे ही सोचती रहेती हे.. ओर जबसे देवायतके पेन्टके उभारको देखलीया हे तबसे वो पागल हो रही हे.. ओर आज मंजुकी बातो ने आगमे घी डालनेका काम कीया.. तबतक देवायत बहार नीकल चुकाथा तो वो जटसे उनके पीछेकी ओर दोड पडी.. जैसे उनसे उनका पुराना यार बीछड रहा हो....अब आगे

सृती दोडकर गेइट तक आइ तब सभी लोग कारमे बेठ रहेथे.. तो सृती वही रुककर सबको देखने लगी.. ओर देवायतने कार स्टार्ट करदी ओर गेइटकी ओर देखने लगा तब दोनोकी आंख मीलतेही सृती उनको हाथ हीलाकर मुस्कराते बाय.. कहेने लगी.. आज सुतीके दिलके तार संगीतके सुर छोडकर प्यारकी धुन बजाने लगे.. तब सृती बहुतही रोमांचींत होते सबके जाने तक वही खडी रही..

इधर देवायत सबको लेकर अपने गांवकी ओर चला गया.. तो मंजु ओर चंदाने बीच रास्तेमे अ‍ेक कपडे ओर ज्वेलेरीकी दुकानमे मंगलसुत्र खरीद लीया ओर अपने गांवकी ओर चले गये.. तो दुसरी ओर भानुभी अपने मामाका अस्थी विसर्जन करके वहासे नीकल गयाथा.. ओर आधे घंटेके बाद वोभी सृतीकी होस्पीटल आगया वहा सृतीने भावनाको ओर बच्चीको चेक करलीया देखातो भावनाकी योनीमे रेग्युलर सुधार हुआथा..

ओर उसने भावनाको अभी दो महीने सेक्स करनेको मना कीया.. फीर वो भी सृतीको दीखाकर बाजारमे सादीकी खरीदी करने चले गये.. तो वहा भावना अपनी बच्चीको लेकर कारमे ही बैठी रही ओर रमा नीलम लता सब अपने अपने कपडे लेने लगे तो रमाने सरला ओर भावनाके लीयेभी महेंगी महेंगी सारी खरीदली.. फीर सब अ‍ेक ज्वेलेरी सोपमे चले गयेतो वहाभी रमा जबरदस्तीसे भावुको साथ ले गइ ओर उन्होने लताके लीये कुछ ज्वेलरी लेली..

फीर नीलम लता ओर रमाने लताके लीये सादीका जरुरी सामन खरीद लीया सभी देर साम तक खरीदी करते रहे.. ओर बीचमे अ‍ेक होटेलमे खानाभी खा लीया.. तबतक रातमे देर होगइ.. सभी आजही सब खरीदीका काम नीपटाना चाहते थे.. तो इधर घरपे सीर्फ सरला अकेली थी..

तो उधर देवायत मंजु चंदा दया सबको लेकर दो पहरकोही हवेलपे आगया.. तो पुनमतो देखतेही बच्चेको गोदमे उठाकर अंदर चली गइ.. वो आराम करके काफी हद तक ठीक होगइ थी.. ओर सोफेपे बेठकर विजयके साथ खेलने लगी.. फीर सबने खाना खालीया.. ओर देवायत राजीवके पास जानेके लीये नीकलने लगा.. तब..

मंजुला : देवु.. अगर पापाको होस्पीटलसे डीस्जार्ज मील जाये तो आप उन दोनोको इधर ही लेकर आना..

चंदा : हां देवु.. अगर दीदी हानाकानी करेतो मुजसे बात करवाना.. वो बहुतही जीदी हे.. अ‍ेक बार मनमे ठानली.. फीर कीसीकी नही सुनती..

देवायत : हां ठीक हे.. आप टेन्शन मत लो वो जरुर आयेगे.. चलो मे चलता हु.. सायद रातको मुजे आनेमे देर होजाये..

कहेते देवायत वहासे अपनी बडी कार लेकर नीकल गया.. वो आज बहुत खुस था.. रीजन बस अ‍ेकही था.. आज चंदा हमेसा हमेसाके लीये उनके पास आ गइथी.. ओर उधर नीर्मलासे भी सुलेह होगइ थी.. तो आज सृतीने भी उनको हाथ दबाकर जटका दे दीयाथा.. तो मनही मन हसते खुस होते वो अपने ससुरके पास होस्पीटलपे पहेच गया.. ओर कार पार्क करके सीधाही अंदर चला गया.. ओर जेसेही दरवाजा खोला..

तो देखा नीर्मला राजीलको ज्युस पीला रही थी.. तो दोनोकी नजर देवायतकी ओर गइ.. ओर दोनोके चहेरे देवायतको देखतेही खील उठे.. तब देवायत राजीवके बेडके पास खाली चेयरपे बेठ गया ओर उनके सामने देखकर मुस्कराने लगा.. तब नीर्मलाभी सरमाते उनकी ओर देखते हसती रही.. राजीव अब पहेलेसे काफी बहेतर था.. ओर धीरे धीरे थोडा बोलनेभी लगाथा.. ओर सरीरमेभी काफी सुधार था..

देवायत : (हसते) कैसेहो पापा..? लगाहे अब काफी ठीक हो गेये हो.. हें..हें..हें..

राजीव : (धीरेसे हसते) हां.. अब तुम जो आगये हो.. तो ठीकतो होना ही पडेगा.. हें..हें..हें..

नीर्मला : सुनीये राजीव.. आप अभी कम बोलना.. डोक्टरने मना कीया हेनां..? मे देवुसे बात करती हु..

देवायत : क्या कहेते हे डोक्टर..? क्या सुबह देखने आये थे..?

नीर्मला : हां देवु.. यहा बहुत अच्छी ट्रीटमेन्ट हो रही हे बहुतही फास्ट रीकवरी आ रही हे.. फीरभी आप अ‍ेक बार डोक्टरसे मील लेनां.. अभी अपनी केबीन मे होगे.. क्या मे साथमे चलु..?

देवायत : (हसते खडे होते) हां हां.. चलो अ‍ेक बार मील लेते हे देखु तो सही वो क्या कहेते हे..

कहेते वो बहार जाने लगातो राजीव दोनोको आपसमे बात करते देखकर खुस होने लगा.. तभी नीर्मलाभी खडी होकर उनके साथ बहार नीकल गइ.. ओर जटसे देवायतके साथ जाके चलने लगी ओर उनका हाथ पकडलीया.. ओर दोनो अ‍ेक दुसरेके सामने देखके हसने लगे.. ओर रीसेप्नीस्टको कहेके वो डोक्टरको मीलने उनकी ओफीसमे चले गये.. तब नीर्मलाने देवायतका हाथ छोड दीया..

डो. राजेन्द्ग : (हसते) आइअ‍े आइअ‍े ठाकुर साहेब.. कैसेहे आप.. मजेमे..?

देवायत : (हसते हाथ मीलाते बेठते) बस अ‍ेकदम मजेमे.. कहीये क्या कहेते हे मेरे ससुरजी.. तबीयतमे तो काफी सुधार लग रहा हे.. अभी मुजसे बात भी की.. हें..हें..हें..

डो. राजेन्द्ग : (हसते) अरे आप टेन्शन मतलो.. उनकोतो मे वापस खडा करदुगा.. ओर अपने धंधे पे भेज दुंगा.. काफी अच्छी रीकवरी हे.. टाइमपे पहोंच गये ओर दवाइभी असर कर गइ.. बस अ‍ैसेही सुधार हुआ तो सायद कल छुटी देदुगा.. कल सामको देखते हे.. बस आज रात तक ड्रीप लगी रहेगी.. फीरतो सुबह वोभी नीकाल देगे.. लगता हे वो टेन्शनमे बहुत रहेते होगे.. तभी उनका बीपी हाइ हुआ हे..

देवायत : सायद.. पता नही उनको कोनसा टेन्शन होगा.. सर.. मे उनको अपने घर लेजाउगा वहा सब होगेतो अच्छे माहोलमे ठीक रहेगा.. वहा उनकी बेटी हे तो उनकोभी देख लेगे..

डो. राजेन्द्ग : (हसते) हां ये ठीक सोचा हे आपने.. हवा पानी भी बदल जायेगातो जल्दी ठीक होजायेगे..

देवायत : (हसते) सर वो आपकी फीस जमा करवानी थी.. तो बहार रीसेपनीस्टपे देदु..?

डो. राजेन्द्ग : (हसते) ठाकुर साहेब कल घरपे बाबुजीसे बात हुइ.. तो आज सुबह वो अंकलको देखने आयेथे.. दोनो पुराने दोस्त हेनां.. ओर उसने मुजे फीस लेनेके लीये बीलकुल मना करदीया हे.. तो मे नही ले सकता.. सोरी..

देवायत : अरे अ‍ैसे थोडी चलता हे.. आपने दवाइमे इतना बडा खर्चा कीया हे.. ओर सर वैसेभी पैसेकी कोइ प्रोबलेम नही हे..तो..

डो. राजेन्द्ग : (हसते) पता हे मुजे.. आप इतनी बडी वीरासतके मालीक हेतो पैसोकी प्रोबलेम कहा होगी.. लेकीन ये मेरे भी अंकल हे.. ओर हां मुजे सर मत कहीये आप मुजे नामसेही बुला सकते हे..

देवायत : (हसते हाथ मीलाते) ठीक हे मी. राजेन्द्ग तो आजसे आप मुजेभी ठाकुरसाहब मत कहेना.. मेरा नाम देवायत हे.. सीर्फ उन्हीसे काम चल जायेगा हें..हें..हें..

डो. राजेन्द्ग : (हसते) जी देवायतजी.. आपसे मीलकर मजा आगया.. आपके जैसे बहुत कम दोस्त मीलते हे..

फीर देवायत ओर नीर्मला बहार आगये तो नीर्मला बहुतही खुस थी.. ओर देवायतका हाथ पकडलीया ओर दोनो अपने रुमकी ओर आने लये तब नीर्मलाने वापस हाथ छोड दीया.. ओर दोनो राजीवके पास आकर बैठ गये तो नीर्मला राजीवको सबकुछ बताने लगी.. तबतक देवायत ओर राजीव हसते रहे.. फीर..

देवायत : (हसते) पापा डोक्टर केह रहेथे आपको टेन्शनकी वजहसे ये सब हुआ.. तो कहीये आपको कीस बातकी टेन्शन हे..? सब अच्छेसे तो चल रहा हे अबतो बेटीओकी भी चीन्ता नही हे..

राजीव : (थोडी देर आंख बंध करलेता हे फीर) बेटा.. नीमु तुमसे बात नही कर रहीथी.. ओर मे सोचता रहेताथा की मेरे जानेके बाद इनका क्या होगा..? वो अकेली कैसे रहेगी..? बस यही भीन्ता खाये जा रहीथी.. लेकीन अब ये चीन्ता बीलकुल नही हे.. क्युकी मेने देखा आप दोनो बोल रहेहे.. हें..हें..हें.. बस मेरा अ‍ेक काम करदो.. फीर कोइ चीन्ता नही..

नीर्मला : (आंख गीली होतेभी हसते) अब कोनसा काम बाकी रेह गयाहे हे आपका..? ओर हमारे बीच भी कोइ मनमोटाव नही था.. बस हम कुछ कम बोलते थे.. बस यही.. ओर कुछ नही..

देवायत : पापा आप अब कोइ टेन्शन मत लेना.. अबी आपका बेटा जींदा हे.. कहो क्या काम करना हे मुजे..

राजीव : (गहेरी सांस लेते) भगवान आपको लंबी उम्र दे.. बस अ‍ेक वादा चाहीये मुजे.. वोभी आपसे..

देवायत : (उनका हाथ थामते) पापा बाप भी कभी बेटेसे वादा लेता हे..? बस हुकुम कीजीये.. वोतो हुकुम करता हे.. मे आपको अ‍ैसेही पापा नही कहेता..

तभी राजीव कुछ अ‍ैसा करता हे जीससे देवायत ओर नीर्मला दोनोही सोक्ट होते अचंभीत होजाते हे.. ओर तीनो अ‍ेक दुसरेकी ओर देखते ही रहेते हे.. कीसीके मुहसे अ‍ेक सब्दभी नही नीकल रहाथा.. दरसल राजीवने अ‍ेक हाथसे नीर्मलाका हाथ थामलीया.. ओर दुसरे हाथसे देवायतका हाथ थामते नीर्मलाका हाथ देवायतके हाथोमे थमा दीया.. जीसकी वजहसे दोनोही सोक्ट होके राजीवकोही देखते रहे तब राजीवने हसते हुअ‍े कहा..

राजीव : बस बेटा.. यही वादा चाहीये मुजे.. अगर मुजे कुछ होजाताहे तो आप मेरी नीमुका खयाल रखीयेगा.. ताकी मुजे तसली होजायेकी मेरे जानेके बाद नीमु अकेली नही रहेगी.. उनकी देखभालके लीये उनका दामाद हे.. बस मुजे ओर कुछ नही चाहीये.. यही टेन्शन खाये जा रहीथी..

देवायत : (मम्मी बोलनेसे हीचकीचाते) पापा आप इनकी बीलकुल टेन्शन मतलो.. मे आपसे वादा करता हु.. म..मम्मी..का मे मरते दमतक खयाल रखुगा.. उनको मेरे पासही रखुगा.. लेकीन आप अ‍ैसा गलत क्यु सोचतेहो की मुजे कुछ होजायेगा.. आपको कुछ नही होगा हम सब हेना.. हम आप दोनोका खयाल रखेगे..

राजीव : (हसते) बस बेटा.. बुढापा हे ही अ‍ैसा.. मुजे कभीभी कुछभी हो सकता हे.. ओर नीमुकोतो अभी लंबा सफर काटना हे..

नीर्मला : (आंसुके साथ) ये आप कैसी बेहकी बेहकी बाते कर रहे हे..? आपको कुछ नही होने वाला..

राजीव : (हसते) नीमु.. हमारा देवा बहुतही अच्छा हे.. सबका खयाल रखता हे.. उनके बापुकी तराह.. मेरा जीगरजान भाइ.. मेरा सबकुछ.. जो जींदगीभर मेरा साथ नीभानेका वादा कीयाथा वो उसने पुरा कीया..

देवायत : पापा अब आप कुछ देर आराम कीजीये मे अब साम तक यही हु.. ओर कल सायद आपको यहासे छुटी मीलजाये.. तब आप दोनको मेरे साथ हवेलीपे आना हे वहा कुछ दिन आराम करलो.. जब बीलकुल ठीक होजाओ तब इधर आना होतो आजाना वरना वही रहेनां..

राजीव : बेटा बेटीके घरभी कोइ रहेता हे.. हम यहा ही ठीक हे.. आप हमारी चीन्ता मत करना..

नीर्मला : अब आप सोजाइअ‍े वो हम बादमे देख लेगे.. अगर आप मेरी वजहसे अ‍ैसा केह रहे हो तो अब मुजे वहाभी जानेमे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. हम वही चले जायेगे..

राजीव : (मुस्कुराते खुस होते) अच्छा..? तो फीर हम दोनो वहा मेरी मंजुके पास चलेगे..

नर्स : (अंदर आते) अंकल खाना खालीया हे..? तो लीजीये दवाइ पी लीजीये ओर आराम कीजीये.. आप बाते बहुत करते हे.. हें..हें..हें..

कहेते नर्सने राजीव अंकलको दवाइ पीलादी ओर चली गइ.. तो कुछ ही देरमे वो नींदकी आगोसमे चले गये.. तब नीर्मला देवायत हाथ पकडके उसे बहार लेगइ.. ओर वो दोनो होस्पीटलके बहार अ‍ेक पैडके नीचे बेन्च रखीथी वहा जाकर बैठ गये.. तब नीर्मला देवायतके कंधेपे सर रखके बैठ गइ.. ओर देवायतका हाथ थाम लीया.. जेसे कोइ दो प्रेमी बेठे हो..

नीर्मला : देवु क्या कर रही हे मंजु ओर चंदा..? क्या दोनो घरपे आगइ? ओर आप दोनो सादी कब कर रहे हो..?

देवायत : हां अभी मंजुको दीखाके आयेहे.. ओर दोनोको घरपे हे.. उसे घरपे छोडके ही आया हु.. ओर सादीका पता नही.. कल मंजुने मुजे घरपे रहेनेका ओर्डर दीया हे.. सायद कलही हमारी सादी होजायेगी.. आज छुटी नही मीली.. वरना आप लोगभी सामील होते.. मंजुने मुजे आप दोनोको साथ लेकर आनेको कहा हे..

नीर्मला : (हसते) कीतना अजीब हेना..? ये सब पुराने रीती रीवाज.. पता नही इनसे हम ओरतोको कब छुटकारा मीलेगा..? चंदातो बुहत छोटी थी.. मेरी गोदमे बीठाकर मेने उसे खेलाया खीलाया ओर बेचारी भर जवानीमे विधवा होगइ.. इनसेतो आपका घर अच्छा हे.. इतनी बडी रोयल फेमीली हे.. फीरभी वहा बहुत कुछ छुट हे.. ओरतको अपनी मरजीसे सादी करनेकी छुट.. मर्द कीतनीभी सादी करले कोइ कुछ पुछने वाला नही.. जीसे जैसी मरजीमे जीना हो.. सब खुलकर जींदगी जीतेहे..

देवायत : (हसते) तो फीर आप वहासे क्यु चली गइ..? मुजे कुछतो अंदाजा हे आपके साथ वहा जरुर कुछना कुछ गलत हुआ होगा.. बस मुजे आपके बारेमे ज्यादा नही पता..

नीर्मला : (आंख गीली करते अ‍ेक नजरसे) देवु.. आप मेरे बारेमे क्या जानते हे? जो मेरे इस अतीकके बारेमे पुछ रहे हे..

देवायत : नीमु.. बुरा मत मानना.. मेरी भुमी आंटीसे काफी बात चीत होचुकी हे.. तब मे इतना जान पायाकी आप ओर मेरे बापु आपसमे बहुत प्यार करते थे.. ओर आप सब अ‍ेकही कोलेजमे साथ पढते थे.. बस इतनाही.. पता हे.. नीमु मुजे तेरे अतीतके बारेमे जानना हे.. आइ प्रोमीस बात सीर्फ मेरे तकही सीमीत रहेगी.. मुजे जानना हे मेरी नीमु वहासे सबको छोडकर क्यु इधर आगइ..

नीर्मला : (फीकी मुस्कानके साथ) देवु क्यु गडे मुदे उखाड रहेहो.. जो वो केवल हमे दुख ही देता हे.. भुल जाओ सब.. मेभी सब भुल चुकी हु.. बडी मुस्कीलसे इन सब बातोसे बहार नीकलपाइ हु.. कुछ बाते अ‍ैसीहे जो वो राज रहे उसीमे हम सबकी भलाइ हे.. बस यही समजलो मे आपकी ओर मंजुकी सादीके खीलाफ थी.. उनका कारण भी यही था.. वरना मुजे आपकी ओर मंजुकी सादीसे क्या अ‍ेतराज हो सकता हे..

देवायत : नीमु.. आज तुमसे अ‍ेक बात कहेना चाहता हु.. तेरी मंजु कोइ सामान्य ओरत नही हे.. जीस दीन हमने बाबाके आश्रममे जाकर सादी करली उसी दीन बाबाने उनको बहुत कुछ बतादीया हे ओर उनके अंदर बहुत सारी शक्तिीया स्थापीत करदी हे.. वो हम सबके बामरेमे सब कुछ जानती हे.. बस कुछ बोलती नही.. क्युकी वो बाबाके साथ वचनसे बंधी हे.. वरना वो मुजे सबकुछ नही बता देती..? मेभी उनको फोर्स नही करता.. समय आनेपे वो मुजे धीरे धीरे सब बताती रहेती हे..

नीर्मला : (आस्चर्यसे अ‍ेक नजरसे देखते) तबतो वो मेरे बारेमे सब कुछ जान चुकी होगी.. फीरभी कुछ नही बोली..? क्या उसीने बोला हेना.. मम्मीको माफ करदेनां..? देवु.. मेरी मंजुका दिल कीतना विशाल हे.. मे उनको कभी समजही नही पाइ.. सब आपहीकी बदौलत हुआ हे.. आइ अ‍ेम सोरी.. आप दोनो मुजे माफ कर देना.. मे सब कुछ जानते हुअ‍ेभी अन्जान रही.. ओर आप अन्जान होते हुअ‍ेभी सब कुछ जानते हो..

देवायत : (हसते) नीमु.. पती पत्नीके बीच माफी नही मांगी जाती.. तु आजभी मेरी पहेली बीवी हे.. मे आजभी तुमको इतनाही चाहता हु. जीतना पहेले चाहता था.. बस तुमको हमारे बीच कुछ गलतफेहमी हो गइ थी.. जो अब दुर होगइ..

नीर्मला : (बेठेही हग करते) जानु.. मे आपको सबकुछ बता दुगी.. ओर मुजे यकीन हे.. आप मेरी बात सुनके वीचलीत नही होगे.. ओर हमारे रीस्तेमे आगेभी कोइ फर्क नही पडेगा.. आप प्रोमीस करो मुजे..

देवायत : (हसते) अरे बाबा कीतनी बार प्रोमीस करु..? हें..हें..हें.. ठीक हे फीरभी आइ प्रोमीस.. हमारे रीस्तेमे कोइ फर्क नही पडेगा.. जो भी कहेना हो बीन्दास्त कहेना.. आज भलेही सब राज खुलजाये.. मे वीचलीत नही होउगा.. ओर राजीव अंकल अभी सोये हे.. तो मुजे नही लगता दो घंटेसे पहेले वो जागेगे.. हमारे पास काफी टाइम हे..

नीर्मला : (गेहेरी सास लेते कंधेपे सर रखते) जानु तो सुनो.. आप मेरी जींदगीमे पहेले सख्स हो जो उनको मे सब सचाइ बताने जा रही हु.. ओर आपनेभी मुजे प्रोमीस कीया हे कीसीको नही बतायेगे.. मेरी कुछ बाते हे जो राजीवको भी नही पता.. जो आज आप जानोगे..

देवायत : हां नीमु.. मेतो यही मानता हु पती पत्नीके बीच कोइ पर्दा नही होना चाहीये.. बोलो..

(थोडा अतीतमे..)

नीर्मला : बात तबकी हे जो मेरे पीताजी आपके दादाके वहा मुनीम थे.. मां तो चंदा छोटीथी तबही गुजर गइथी.. ओर हम दोनो बहेने ओर अ‍ेक बडाभाइ वही हवेलीमे रहेते थे.. में.. मेरे बडेभाइ राजीव..आपके पीता किशन.. भानुके पीता वीरजी.. सृतीके मम्मी पापा यानी भुमीका ओर नरेश हम सब अ‍ेकही कोलेजमे अ‍ेकही क्लासमे साथमे पढते थे.. वो तीन लडके हमसे अ‍ेक साल आगे पढ रहेथे लेकीन अ‍ेटी केटीकी वजहसे आगे नही जापाये ओर हमारे साथ होगये ओर मे भुमी ओर किशन.. अ‍ेक साथ अ‍ेकही क्लासमे पढ रहेथे..

भुमी वही होस्टेलमे रहेती थी ओर नरेश सहेर मेही उनकी माताके पास रहेताथा.. उनके पीताजी नही थे.. ओर किशन राजीव विरजी ओर में हम चारो किशनकी कारसेही कोलेज जातेथे.. हम पढाइके साथ साथ बहुत धमाल करतेथे.. खासकर वो चारो लडके.. हमारे गृपमे सीर्फ हम दो लडकीया ही थी.. कोइ हमारी ओर आंख उठाके नही देखते.. अगर कीसीने हमे छेडा.. तो गया कामसे.. ये चारो उनकी हडी पसली अ‍ेक करदेते थे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) अच्छा..? पीताजी दीखनेमे तो कीतने भोले थे.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (हसते) नही वो सचमे बहुत भोले भाले थे.. लेकीन हम सबमे सबसे होशीयार वोही थे.. तभीतो मे उनसे दिल लगा बैठी.. किशनने मुजे क्लासमेही चीठी देकर अपने प्यारका इजहार करलीया.. ओर मेभीतो उनको चाहने लगीथी.. बस तबसे हम दोनोकी प्रेम कहानी सुरु होगइ..

EpYi
ओर भानुके पीता विरजी.. वो बहुत सनकी थे.. ओर दिखनेमेभी काफी क्रुर थे.. वो कीसीके सामने देखते तो आधी तो सामने वालेकी अ‍ेसेही फट जाती.. कोलेजसे बन्क मारके हम कीतनी बार सीनेमा ओर होटेलमे जाते ओर वो चारो बीन्दास दारु पीकर धमाल करते.. तब हम दोनो उनसे दुर ही रहेती.. ओर भाइ भी बहुत भोले थे.. ओर अभी भी अ‍ैसेही हे.. हें..हें..हें..
Esdv
हम सभीमे सबसे ज्यादा पढनेमे किशन होशीयार था.. घरपेभी मे भाइ ओर कीशन सब साथमेही पढते तो कभी कभी वीरजीभी पढने आजाता.. ओर भाइ पीताजीकी हेल्पभी करता.. ज्यादातर मे ओर किशन ही साथमे पढते.. ओर मुजे पढनेमे कोइ सवालमे प्रोबलेम होतीतो किशन मुजे पढाकर सोल्व कर देता.. ओर दोनोको अकेलेमे साथमे रहेनेका बहुत मौका मीला..
K9ff
ओर जीनकी वजहसे हम अ‍ेक दुसरेसे नजदीक आते गये.. ओर बात आगे बढती गइ.. फीरतो पढाइके अलावा बहुत कुछ होने लगा.. मुजेतो बतानेमे भी सर्म आ रही हे.. लेकीन आप काफी समजदार हो.. मेरी बातको समज गये होगे.. हमे जबभी मौका मीलता हम दोनो मस्तीया करने लगे.. ओर धीरे धीरे आगे बढने लगे.. हम दोनोही अ‍ेक दुसरेके बगैर दुर नही रेह सकते थे.. दोनोही साथमे रहेते..
3Hu2
जब फाइनल यरमे आये तबतक मे ओर किशन काफी आगे बढ चुके थे.. अ‍ेक बार हवेलीपे सीर्फ हम दोनोही अकेले थे.. तब हमारे बीच सब दुरीया खतम होगइ.. ओर हम दोनोके बीच सब कुछ होगया.. उसी दिन किशनने मेरा कौमार्य भंग कीया.. ओर मेरा किशनने मुजे लडकीसे ओरत बनादीया.. फीरतो हम दोनोको जबभी मौका मीलता हम दोनो मील जाते.. हम दोनोने ये बातकी कीसीको भनकभी नही लगने दी.. किशन मौका मीलतेही मुजे कहीभी पकड लेता.. ओर हम दोनो अ‍ेक हो जाते..
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तब वो बिलकुल आपही की तराह दीखतेथे.. ओर अ‍ेक दिन तुम्हारे दादा ओर दादी.. अ‍ेक खुबसुरत लडकीको तुम्हारे पुर्खोके आश्रमसे लेकर आगये.. बस.. यहीसे मेरी कीस्मतने करवट लेली.. ना हवेलीपे ओर नाही गांवमे, कीसको ये नही पताथा की ये लडकी कौन हे.. बस सब लोग यही कहेतेथे की लडकी गरीब हे ओर आश्रममे अकेली रहेतीथी तो तुम्हारी दादीको दया आगइ.. इसीलीये वो लडकीकी देखभाल करने इधर लेआये हे..

फीरतो वो लडकीभी किशनको पसंद करने लगीथी.. ओर पता नही उसने किशनपे कोनसा जादु करदीया.. मेरा किशन उनके पीछे पागल होने लगा.. ओर उनको सीर्फ वो लडकीही नजर आती थी.. फीर पता नही अ‍ेक दिन क्या हुआ.. आपके दादा ओर दादी दोनोही सुबह नही जागे.. ओर वो चल बसे..

देवायत : क्या वो लडकी मेरी मां थी नां..?

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नीर्मला : हां.. वोही आपकी मां विमलादेवी.. वोभी किशनकी ओर ढलने लगी ओर मेरा किशनभी उनके पीछे तो अ‍ैसे पागल होगया की.. कुछही दिनोमे वो लडकी अपना सबकुछ लुटा बैठी.. ओर पता नही किशनभी उनके पीछे लग गया.. फीरतो नीत्यक्रम बन गया.. दिनमे मेरे साथ तो रातमे हम सब सो जाते तब किशन देर रात उनके रुममे चला जाता.. ओर दोनो पती पत्नीकी तराह रहेने लगे.. इस बातकी भनक मुजेभी नही लगने दी.. ओर वो लडकी किशनको मेरे खीलाफ उल्टी सीधी बाते करके भडकाने लगी..

ओर किशनभी धीरे धीरे मुजसे दुर रहेने लगा.. ओर विमलाका पेट धीरे धीरे बहार नीकलने लगा.. तब ना विमलाको पताथा ओर नाही मुजे की हम दोनो किशनसे प्रेगनेन्ट हो चुकी हे.. तब मेरे पेटमे मेरी मंजु पलने लगी.. ओर विमलाके पेटमे आप पलने लगे.. हम दोनोकोही नही पता था.. हम दोनो किशनसे प्रेगनेन्ट होचुकी हे..

इसी जमेलेमे अ‍ेक घटना ओर होगइ.. जो हम सबभी दोस्तोके मनमे दरार होगइ.. उनका कारण था भानुके पीता वीरजी.. तब हमे नही पताथाकी वो मनही मन भुमीकाको प्यार करने लगा हे.. ओर भुमी तब नरेशको प्यार करती थी.. जब उसने भुमीको अपने प्यारका इजहार करदीया तो भुमीने उसे सनकी कहेकर काफी भला बुरा कहेके मना करदीया ओर केह दीयाकी मे ओर नरेश काफी आगे बढ चुके हे.. तो अ‍ेक तो वो सनकी था ओर उपरसे भुमीने उनको बहुत जलील करते उनके प्यारको ठुकरा दीया.. तब वो पागल जैसा होगया..

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ओर घर जाकर उसने गुसेमे सीसेमे हाथ दे मारा.. ओर उनके हाथकी नस कट गइ.. जब किशनको मालुम हुआ तो भाइ ओर किशन उसे होस्पीटल लेगये ओर उनका इलाज करवाया.. ओर वो ज्यादा सनकी होगये.. ओर मनही मन भुमीसे बदला लेनेकी ठानली.. अ‍ेक दिन पता चला.. वो अकेलाही हम सबसे छुपके भुमीको होस्टेलसे जबरदस्ती उठा लाया.. ओर उनके घरपे जबरदस्तीसे लेगया.. ओर उसी दिन उसने भुमीके साथ जबर दस्ती की.. ओर उनका रेप कर दीया..
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तब नरेश ओर किशनने उनको खुब मारा.. फीर पता नही नरेश ओर भुमी दोनोही कोलेज छोडके चले गये.. ओर उनका कीसीको अता पता नही मीला.. ओर अ‍ेक दीन मुजेभी खुब उल्टीया हुइ.. ओर मुजे किशन होस्पीटल लेगया.. तब वहा चेक कीयातो पता चला मे भी पेटसे होगइ हु.. ओर उपर दो महीना होगया हे.. तब किशन परेसान होगया.. ओर उसने मजबुरन मुजे सबकुछ सचाइ बतादी..

देवायत : कोनसी सचाइ..?

नीर्मला : यहीकी वो लडकी विमला जो उनके माता पीता आश्रमसे लेकर आये हे.. दरसल उन्हीकी सगी बहेन थी.. जो उनके जन्मके बाद उनकी माता यानी आपकी दादी उसे आश्रममे छोडके आइथी.. रीजन बस अ‍ेकही था.. जो आपके खानदानमे वो श्राप.. जो अ‍ेकही बच्चा होता था.. ओर दुसरा बच्चा करनेसे उनके पीताकी मौत होजाती थी.. तब उनको ये नही पताथाकी दोनो लडके ही होने चाहीये लडकी नही.. ओर वो इसी गलत फेहमीकी वजहसे सबसे छुपके बच्चीको आश्रम छोडके आगइ..

देवायत : तो क्या तब किसीको नही पताथाकी मेरी मां पेटसे हे.. कीसीको कुछ पता नही चला..?

नीर्मला : नही.. तब पता नही आपके दादा ओर दादीका कीसी गांव वालोसे कोइ रीस्ता नही था.. सब आपके खीलाफ थे.. रीजन मुजे नही पता.. लेकीन आपकी दादी हवेलीसे कभी बहार नही नीकली.. फीरतो जब काफी सालो बाद आपके गुरुजी आये ओर उसने सचाइ बतादी.. तब आपकी दादी वो लडकीको वापस हवेलीपे लेकर आगइ.. तबतक वोभी जवानीके देहलीजपे कदम रख चुकीथी.. ओर विधीके विधान देखो..

उन विमलाके आनेके बाद कुछही दिनोमे आपके दादा दादीभी चल बसे.. ओर पता नही उनके मनमे क्या चल रहाथा.. विमलाको सब सचाइ मालुम होनके बावजुद भी अपने ही भाइसे दिल लगा बैठी.. ओर उनपे सबकुछ लुटाकर वो मुजसेभी पहेले अपने भाइसे प्रेगनेन्ट होगइ.. ओर उसे पांचवा महीना चल रहाथा.. ओर दोनो भाइ बहेन आपसमे सादी करने वाले थे..

तभी ये सब बाते सुनकर मुजपे तो पहाड ही टुट पडा.. तब किशनने मुजे बहुत समजाया ओर दोनोके साथ सादी करनेकी बात करने लगा.. तब अ‍ेक बारके लीये तो मेभी मान गइ.. की चलो दोनो बहेने साथमे रेह लेगी.. लेकीन उसी रात मुजे विमला अकेली मीलने आइ.. ओर मुजे किशनको छोड देनेके लीये कहेने लगी.. कहेतीथी..

विमला : देख नीर्मला.. अगर तु किशनसे सादी करलेगी तो हम दोनो उनकी लीगल बीवी होजायेगी.. ओर तुभी पेटसे हे ओर मे भी पेटसे हु.. अगर हम दोनोको लडका होगया तो हमारा कीशन वो श्रापकी वजहसे नही बचेगा.. ओर हम दोनोही विधवा होजायेगी.. अब फैसला तुजे करना हे उनको छोड देना हेकी किशनको मार देना हे.. क्युकी वो किशनको छोडने वाली नही थी.. ओर मे उनके श्रापकी वजहसे बडी दुवीधामे पड गइ.. ओर दिन नीकलते रहे.. ओर मेराभी पेट बढने लगा..

अब ये बात लोगोसे कीतने दीन छुपी रहेती की मे प्रेगनेन्ट हु.. ओर मेरे पापाको ओर बडेभाइको पता चल गयाकी मे कीसीसे पेटसे हुइ हु.. लेकीन मेने किशनका नाम नही बताया.. ओर मेरे बापु परेसान रहेने लगे.. ओर अ‍ेक दिन मेरी चिन्ताकी वजहसे उनको दिलका दौरा पडा.. ओर वोभी चल बसे..

बस उसी रात हम दोनो भाइ बहेनने हवेली छोडनेका फैसला करलीया.. तब चंदा बहुत छोटी थी.. आइ थींक १२ सालकी होगी.. ओर हम दोनो भाइ बहेन कीसीको कहे बगैर देर रात चंदाको लेकर हवेलीसे नीकल गये.. ओर सबसे छुपकर इसी गावमे आगये..

देवायत : तो फीर पापा ओर मेरे बापु फीरसे कैसे मीले..? क्या आप उनको दुबारा नही मीली..?

नीर्मला : (हसते) हां फीर उनसे सीर्फ अ‍ेकही बार मुलाकात हुइ.. हमारे जानेके बाद उन्होने हमे बहुत ढुंढा.. लेकीन हम तीनो यहा अ‍ेक किरायेके रुममे गांवसे दुर रहेने लगे थे.. ओर वो हमे नही ढुढ पाये.. तब भाइभी गावमे अ‍ेक कीरानेकी दुकानपे काम करने लगा.. ओर हमारा गुजारा बडी मुस्कीलसे होने लगा.. ओर वक्त बीतने लगा.. तबतक विमला आपको जन्म देचुकी थी.. ओर आखीर मेनेभी नौ महिने पुरे होते अ‍ेक बच्चीको जन्म दे दीया.. वो थी मेरी मंजु.. आपकी सौतेली बहेन.. जो आज आपकी बीवी हे..

देवायत : (हसते) मेने भी क्या कीस्मत पाइ हे.. मेने भी मेरी ही बहेनसे सादी करली.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (सरमाते हसते) हां.. तभीतो मे आप दोनोकी सादीके खीलाफ थी.. लेकीन मे कीसीको केहभी नही सकतीथी की ये दोनो भाइ बहेन हे.. इनकी सादी नही हो सकती.. फीर सोचा आपके खानदानमे तो यही सब चलता हे ओर मेने भी अपने भाइसे सादी करली हे तो फीर मे क्यु अ‍ेतराज करु..? ओर मेने आपकी सादीके लीये हां कहेदी.. हें..हें..हें..

देवायत : तो फीर आप लोगोको बापुने कैसे ढुंढ लीया..?

नीर्मला : क्या आपको नही पता..? आपके बापुका कीतना बडा नेटवर्क हे.. उन्होने बहुत गावोमे हमे ढुंढा ओर सभीको कहेके रखाथाकी ये लोग मीलेतो उनसे इन्फोर्म करदे.. ओ यहाभी यही हुआ.. कीसी जान पहेचान वालेने राजीवको दुकानपे देखलीया ओर किशनको बता दीया.. तब उसी वक्त अपनी कार लेके सीधेही राजीवकी दुकानपे चले गये.. जहा वो नौकरी करता था.. ओर किशनने राजीवको सब सचाइ बतादी.. ओर येभी बता दीयाकी नीर्मलाकी बच्चीका बापभी मेही हु..

देवायत : तो फीर पापा कुछ नही बोले..?

नीर्मला : क्या बोलते..? आपके दादाका हमपे बहुत अहेसान था.. जब मां गुजर गइ तब आपकी दादीनेही हम सबको सम्हालाथा ओर हम सबकी पढाइका खर्चा वोही दे रहेथे.. ओर वो खुद कइ बार किशनके लीये मेरे बापुसे मेरा हाथ मांग चुकीथी.. लेकीन देखो.. कीस्मतको कुछ ओरही मंजुर था..

वरना किशन जब राजीवसे मीला तब मुजे पहेली बार मीला ओर मुजे अपनानेको तैयार था.. लेकीन मेनेही मना करदीया.. तब हम यहा इस गांवमे आगये थे.. तो मुजे नही पताथा की आपके गरुदेव हवेलीमे आकर वो श्रापका नीवारण कर चुकेथे.. वरना मे जरुर वापस आजाती.. ओर किशनसे सादी करलेती..

ओर मेने किशनकी जानकी खातीर उसे मना कर दीया.. ओर आपकी मां विमलाभी नही चाहतीथी की मे वहा वापस आजाउ.. ओर किशनने हमारे लीये हमसे छुपके यहा घरभी लेलीया ओर राजीवके साथ पार्टनरमे कीरानेका होलसेलका बीजनेसभी सुरु करदीया.. तब हमे नही पताथाकी वो ये सब हमारी मदद करनेके लीये कर रहा हे.. ओर येभी पता चलाकी वो विरजीभी आपकी खेतीबाडी सम्हालने लगाहे.. ओर उनकीभी सरलासे सादी होगइ हे.. इस बातका पता आप ओर मंजुकी सादीसे पहेलेही मुजे राजीवसे पता चला.. तबतक मेभी सबकुछ भुल चुकीथी..

देवायत : (हसते) तो फीर पापाके साथ आपकी सादी कैसे होगइ..? वोभी तो आपके बडे भाइ थे..

नीर्मला : (अ‍ेदम सर्मसार होते धीरेसे) वो..वो.. बस होगइ.. अ‍ेकतो मेरी वजहसे ओर दुसरा तब हमारी आर्थीक परीस्थीती अच्छी नहीथी.. तो भाइ कहेताथा हमारा गुजाराभी मुस्कीलसे हो रहा हे तो सादी करके क्या करुगा..? इसी वजहसे भाइने सादी ना करनेका फैसला करलीयाथा..

ओर कहेताथा अब इन बच्चीको मेरी ही बच्ची मानके पालुगा.. ओर दुसरा ओरत ओर मर्द जब साथ होतेहे ओर उनको बार बार अ‍ेकांत मीलता हेनां.. तो अ‍ेक दिन सबकुछ होही जाता हे.. फीर चाहे भाइ बहेन हो या मां बेटा.. ओर हम सब अ‍ेकही रुममे रहेते थे.. खाना पीना नहाना सोना सब अ‍ेकही रुममे होताथा.. फीर आपतो जानतेहे ओरत होया मर्द उनकीभी कुछ नीड होती हे.. बस यही मुजे ओर भाइको अ‍ेक दुसरेसे नजदीक लानेका कारण बनी..

ओर धीरे धीरे मे ओर भाइ अ‍ेक दुसरेकी ओर आकर्सीत होकर नजदीक आते गये.. मे भाइका अ‍ेक पतीकी तराह खयाल रखने लगी.. ओर हम दोनो धीरे धीरे खुलते गये.. अ‍ेक दुसरेसे छेडखानीसे सुरुआत होकर दोनोही आपसमे प्यार करने लगे.. ओर अ‍ेक दिन चंदा स्कुलमे थी..

तब हम दोनोही घरपे अकेलेथे ओर बहेक गये.. फीर सबकुछ होगया.. उस दिन हमने दो बार सेक्स कीया.. तब मे भुल चुकीथी की ये मेरा भाइ हे.. ओर भाइभी भुल चुकाकी ये मेरी छोटी बहेन हे.. बस हम दोनोही अ‍ेक दुसरेमे अ‍ेक मर्द ओर रतको देखते थे.. साली ये तनकी आग बहुतही खतरनाक हे.. कोइ रीस्ते नाते नही देखती..

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फीर तो हम दोनो भाइ बहेन काफी खुल चुके थे.. जबभी चंदा घरमे नही होती तब आये दीन भाइ मुजे पकड लेता ओर हम अ‍ेक दुसरेके साथ छेडखानी करते.. फीर हम दोनो अ‍ेक होजाते.. ओर ये सीलसीला रोजका होगया.. ओर मुजेभी भाइसे सेक्सकी आदत लग गइथी.. अब मे भी भाइसे सेक्स करनेके बगैर नही रेह सकती थी.. ओर हम दोनो अ‍ेक पती पत्नीकी तराह रहेने लगे.. जबभी चंदा सोजाती मे देर रात सरकके भाइके पास उनके बीस्तरमे चली जाती ओर हम दोनो अ‍ेक होजाते ओर अपनी प्यास बुजा लेते..
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हम दोनोके बीच प्यार ब्यार कुछ नहीथा.. बस अ‍ेक दुसरेकी तनकी जरुरत समजकर दोनोने हमेसाके लीये साथमे रहेनेका फैसला करलीया.. ओर अ‍ेक दिन मे ओर भाइ साथमे सेक्स कर रहेथे तब सोचा.. अगर किशन उनकी बहेनके साथ सादी कर सकता हे तो हम क्यु नही..? ओर हमने दुसरे ही दीन मंदिरमे जाकर आपसमे सादी करली.. ओर हमारा पती पत्नी वाला संसार अच्छेसे चलने लगा.. तब अ‍ेक दिन पता चला मे भाइसे प्रगनेन्ट होगइ हु.. तब हम दोनोही बहोत खुस हुअ‍े.. ओर पुरे नव महीनेके बाद मेरी भावुका जन्म हुआ..

तब चंदाभी काफी समजदार हो चुकीथी.. लेकीन मेरे ओर भाइके बीच जो नया रीस्ता हुआ इनसे उनको कोइ अ‍ेतराज नही कीया.. ओर हमारे रीस्तेको अ‍ेक्सेप्ट करलीया.. फीर तो वोभी कभी कभी मजाकमे राजीवको जीजु कहेते चीडाती.. ओर जब जवान होगइ.. तब अ‍ेक दिन किशनही रीस्ता लेकर आया.. ओर हमने चंदाकी सादी करदी.. फीरतो हम दोनोको खुली छुट मील गइ.. फीर काफी समय बीतता गया..

फीर अ‍ेक दिन मुजेभी भाइसे पता चलाकी मेरी मंजुके जन्मसे पहेले विमला आपको जन्म दे चुकीथी.. जब आप उनके पेटमे छे महीनेके थे तब उन्होनेभी अपने भाइसे सादी करली.. फीर तो आप यहा पहेली बार आये तो मेतो आपको देखके हैरान होगइ.. वोही चहेरा जो मेरे किशनका था..

वोही आंखे वोही कसरती बदन.. ओर मेरा पहेला प्यार फीरसे जाग गया.. ओर मे धीरे धीरे आपकी ओर आकर्शीत होती गइ.. आप बार बार हमारे घर आने लगे.. ओर हमारी नजरे मीलती रही.. मे आपके अंदर मेरे किशनको ढुंढती रही.. ओर आखीर अ‍ेक दिन आपने भी अपने बापुकी तराह मुजसे अपने प्यारका इजहार करदीया.. फीर उसके बाद क्या हुआ वोतो आप जानते ही हे.. हें..हें..हें.. बस यही मेरी कहानी हे..


(अतीत से बहार..)

देवायत : (हसते) हंम.. काफी इन्ट्रेस्टेड स्टोरी हे आपकी.. चलो जानकर खुसी हुइ.. की मेने मेरी बहेनसे ही सादी करली हे.. मेरी मंजु.., नीमु.. हमारे खानदानमे अ‍ैसा क्यु हो रहा हे तुजे पता हे..?
नीर्मला : (सरमाते हसते) नही.. आज आपभी कुछ राज बतादो.. हें..हें..हें..

फीर देवायत नीर्मलाको उन हीमाचलके राजाकी पुरी स्टोरी सुनाने लगता हे.. तब नीर्मला बडेही गौरसे सुन रहीथी.. जीनकी वजहसे उनकी चुतमे हलचल तेज होगइ ओर चुतके नाजुक होस्ट फडफडाने लगे.. ओर पानी छोडने लगे.. लेकीन नीर्मलाने उनपे कुछ खास ध्यान नही दीया.. ओर देवायत उनको पुरी स्टोरी सुना देता हे.. जीसे सुनके नीर्मला काफी अ‍ेक्साइटेड होगइ.. ओर देवायत नीर्मलाको वोही राजा रानी फीरसे उनके घर जन्म लेकर आने वालेहे बता देता हे.. तब नीर्मला सुनक बहुतही अ‍ेक्साइटेड होगइ.. तब जाके उनको अपने नीकरमे गीलापन महेसुस हुआ....

कन्टीन्यु
 

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ८८

फीर देवायत उन हीमाचलके राजाकी पुरी स्टोरी सुनाने लगता हे तब नीर्मला बडेही गौरसे सुन रहीथी.. जीनकी वजहसे उनकी चुतमे हलचल तेज होगइ ओर चुतके नाजुक ओस्ट फडफाने लगे.. ओर पानी छोडने लगे.. लेकीन नीर्मलाने उनपे कुछ खास ध्यान नही दीया.. ओर देवायत उनको पुरी स्टोरी सुना देता हे जीसे सुनके नीर्मला काफी अ‍ेक्साइटेड होगइ तब जाके उनको अपने नीकरमे गीलापन महेसुस हुआ....अब आगे

नीर्मला : (थोडा अनकंन्फोटेबल फील करते हसते) बडी मजेदार स्टोरी हे ये..

देवायत : नीमु.. ये सीर्फ स्टोरी या कहानी नही हे.. ये सब हकीकत हे.. इसीलीयेतो हिमाचलमे कीसीभी गांवमे आजभी कोइ विधवा या त्यक्ता नही मीलती.. सब आपसी रीस्तोमे प्यारभी करते हे ओर सादी भी करते हे.. बस.. ओर अब यही सब अब हमारे यहा होने वाला हे.. वोही राजा हमारे घर जन्म लेने वाला हे.. ओर सबकुछ होगा जो हिमाचलमे हो रहा हे.. ओर बाबाके कहेनेके मुताबीक इनकी सुराआत हमारी पीछली तीन पीढीसे सुरु होगइ हे.. देखा नही बापुने भी अपनी बहेनसे सादी करली.. सायद दादा दादीभी वोही होगे.. ओर अब मे.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (हसते) अरे हां.. मेने तो इस बातपे कभी गौरही नही कीया.. मंजुभी तो आपकी बहेन हुइ.. हें..हें..हें.. (सरारतसे हसते) ओर देखो इनमे मेभी बाकात नही हुं.. हें..हें..हें.. ओर आपकी छोटी बहेन पुनोभी बच गइ.. हें..हें..हें..

तब नीर्मलाको क्या पताथाकी उनकी छोटी बहेन पुनोभी देवायतकी बीवी हो चुकी हे ओर उनसे प्रेगनेन्टभी हो चुकी हे.. दोनोही बाते करते काफी देरतक बैठे रहे.. तब देवायतको पुनमके बारेमे नीर्मलाको बताना उचीत नही लगा.. ओर दोनो खडे होगये.. तब नीर्मला देवायतका हाथ पकडके उनके साथ अंदरकी ओर आने लगी.. तब उनको नीचेकी ओर काफी गीलापन लगने लगा ओर वो सर्मसार होगइ..

फीर दोनो अपने रुममे आगये तो राजीव अभीभी नींदमे सो रहाथा ओर नीर्मला फटाफट बाथरुममे घुस गइ.. ओर नीकर नीकालके अपनी चुतको साफ करने लगी.. फीर अ‍ैसेही बीना नीकर सही होकर बहार आगइ ओर देवायतके पास सटकर उनके कंधेपे सर रखकर बैठ गइ.. उनको आज फीरसे देवायतसे मीलन करनेकी तडप बढने लगी.. लेकीन इन सबके लीये उनको यहाका माहोल ठीक नही लगा.. ओर अ‍ेक हाथसे देवातकी जांगोपे रखके सहेलाने लगी.. ओर हसने लगी..

देवायत : (हसते धिरेसे) नीमु ये क्या कर रही हे..? अभी ये सब यहा करना उचीत नही हे.. देख अभी पापा जाग जायेगे.. वरना मुजसे कंट्रोल नही होगा.. ओर तुजे यही पटकके.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (सरमाते धीरेसे) नही.., देवु कीतने महीने होगये.. हम नही मीले.. क्या आपका मन नही करता..? मेतो रात रातभर आपसे मीलनके लीये तडप रहीहु.. ओर बीस्तरमे करवट बदलती रहेती हु..

देवायत : (लंडको अ‍ेडजेस्ट करते हसते) बहुत मन करता हे.. पर यहां..? हम घर जाके करेगे..

नीर्मला : (तीरछी नजरोसे हसते) देखा.. अबतो राजीवनेभी मेरा हाथ आपको सोंप दीया हे.. हें..हें..हें.. अब आपको अच्छी तराह मेरा खयाल रखना पडेगा.. केह देती हु.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां बहुत अच्छी तराह रखुगा.. आखीर तु मेरी पहेली बीवीजो हे.. फीर देखता हु मुजसे भागती हे की नही.. हें..हें..हें..

तभी नर्स अंदर आगइ तो नीर्मला जटसे देवायतसे थोडी दुर होगइ ओर सहीसे बेठ गइ.. तब नर्सने राजीवको हीलाकर जगाया.. ओर दोनोकी ओर देखके उनको चाइ नास्ता करवानेका कहेके वो चली गइ.. ओर देवायत खडा होगया.. फीर बहार जाकर वो चाइ ओर नास्ता लेकर आगया.. ओर दोनोने राजीवको चाइ नास्ता खीलाया ओर खुदने भी चाइ नास्ता करलीया.. फीर तीनो काफी देर बाते करते रहे..

देवायतने बातोही बातोमे राजीवको उनकी ओर चंदाकी सादीके बारेमे सबकुछ बता दीया जीसे सुनकर राजीव बहुत खुस होगया.. वो जानता था देवायत अ‍ेक राजाके खानदानसे तालुक रखता हे.. तो उनके खानदानमे दुसरी तीसरी सादीका कोइ मायना नही हे.. ओर वो अपनी छोटी बहेन चंदाकी विधवा होनेसे भी चींतीत था.. जो इस बातसेभी खुस हो गयाकी देवायतने उसे सादी करके सुहागनकी जींदगी देदी.. ओर वो उस खानदानकी रानी होगइ.. तभी मौका देखके नीर्मलाने केह दीया..

नीर्मला : राजीव.. आपको खीचडी देनी हे तो मुजे घरसे बनाके लाना पडेगा.. तो मे घर जाउ..? अभी फटाफट बनाके वापस आजाउगी.. मे देवुके साथ उनकी कारमेही जल्दीसे बनाकर वापस आजाउगी..

राजीव : (हसते हांमे गरदन हीलाते) मे अब यहा ठीक हु.. तुम लोग आरामसे आना.. जल्दबाजी ठीक नही..

नीर्मला : (स्माइल करते) हंम.. चलो.. साम ढलनेसे पहेले हम आजायेगे. सीर्फ खीचडी रोटीतो बनानी हे..

देवायत : सीर्फ आप दोनोके लीये बनाना मेरा खाना घरपे बन गया हे..

राजीव : (धीरेसे) नही.. इधर हमारे साथभी थोडा खाना खालेना.. फीर आरामसे चले जाना..

तब राजीवको क्या पताथाकी उनकी बीवी कौनसी खीचडी पकाने जा रही हे.. नीर्मला मनही मन बहुत खुस होने लगी.. ओर दोनो बहार आगये.. तब नीर्मलाने नर्सको अ‍ेक घंटेमे वापस आजायेगे कहा ओर दोनो कार लेकर उनके घरकी ओर नीकल पडे तो नीर्मलाने कारमे बेठतेही देवायतका गाल चुमलीया ओर कातील नजरोसे हसने लगी.. ओर उनकी बाजुको पकडके बेठ गइ.. फीर थोडीही देरमे दोनो घरपे आगये ओर नीर्मलाने फटाफट घरका ताला खोल दीया ओर अंदर चली गइ..

तभी देवायतभी कार पार्क करके अंदर आगया ओर मेइन दरवाजा बंध करके सोफेपे बैठ गया तब नीर्मला फटाफट कुकरमे खीचडी पकानेकी तैयारीया करने लगी ओर स्टवपे कुकर रखदीया जैसेही वो पीछे मुडी तो देवायतको कीचनके पास उनको देखते हुअ‍े खडा पाया..

ओर वो दोडके देवायतके गले लग गइ.. ओर देवायतके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी.. क्युकी घर आनेसे पहेलेही वो देवायतसे चुदवानेका मन बना चुकीथी.. फीर उनकी आंखोमे प्यारभरी नजरोसे देखती रही.. तब उनकी आंखोसे आंसु टपक गये..

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नीर्मला : देवु मे कीतने महीने होगये.. आपके प्यारसे वंचीत हुं.. आज मुजे पत्नीका वो सुख देदो जो हर ओरत अपने पतीसे वो सुख पाती हे.. अब मे कभी कोइ गलती नही करुगी.. मे आपके लीये बहुत तडपी हु.. अ‍ैसी अ‍ेक रातभी नही गइ जीसमे मेने आपको याद ना कीया हो..

देवायत : (बाहोमे भीचते) बस.. बस सांत होजा.. अब तु मेरी जीम्वेवारी हे.. भुलजा सब पुरानी बाते..

नीर्मला : देवु आप मुजे पहेलेकी तराह अपनालोगेनां..? वरना मे आपके प्यारके बगैर जी नही पाउगी..

देवायत : हां नीमु तु मेरी पहेली बीवी हे.. तुजे पत्नीका वो सब अधीकार मीलेगा जो मंजुको मीलता हे.. मे तुजे आजभी इतना चाहता हु जो पहेले चाहता था.. ओर हंमेसा चाहता रहुगा.. बोल.. अब क्या कहेना हे..?

नीर्मला : (सरमाते होंठ चुमते) बस जानु इतनाही.. आइ लव यु.. आप थोडी देरके बाद मेरे रुममे दरवाजा बंध करके आजाओ हमारे पास वक्त बहुत कम हे.. आज मुजे मेरे पतीको जी भरके प्यार करना हे.. मे आज आपके अंदर समा जाना चाहती हु..

कहेतेही वो जटसे अपने रुममे चली गइ.. ओर कुछ देरके बाद देवायत नीर्मलाके रुममे चला गया तो देखताही रेह गया.. क्युकी अंदर नीर्मला बेडपे बीलकुल नंगी लेटी हुइ थी.. उनका नंगा बदन आजभी अ‍ेक कांचकी पुतलीकी तराह चमक रहाथा..
उनके दोनो उरोज आजभी अ‍ेक लडकीकी तराह कसा हुआ था..

ओर देवायत रुमका दरवाजा बंध करके उनके पास चला गया.. ओर उसनेभी अपने सब कपडे नीकाल दीये.. फीर धीरेसे नीर्मलाके पास लेट गया तब नीर्मलाने करवट लेकर देवायतको जोरोसे अपनी बाहोमे भीचलीया.. ओर उनके चहेरेको चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी..

देवायत : (हसते) अरे थोडातो सबर कर.. क्या मेरा बलात्कार करेगी..? हें..हें..हें..

नीर्मला : (नसीली आंखोसे देखते) हां करुगी.. हें..हें..हें.. बाबु कल आपको देखा तबसेही मेरी मुनीयाने परेसान करके रखा हे.. ओर उपरसे आज आपने वो राजाकी कहानी सुनाइ.. तबसे मे पागल होगइ हु.. आज ओर कुछ भी नही.. बस मेरे उपर आजाओ ओर अपना मुसल हथीयार अंदर डालके मेरी प्यास बुजादो.. कीतमे महीने होगये.. मेने आपका हथीयार अंदर नही लीया.. मेतो इनकी दिवानी होगइ हु..

देवायत : (होंठ ओर गलेको चुमते) अरे बेबी इतनी आसानीसे ये थोडी मीलेगा.. पहेले मेरी बीवीको थोडा प्यारतो करलु.. कीतने महीनोके बाद हाथ लगी हे.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (सरमाते हसते) जानु प्लीज.. ओर मत तडपाना जल्दी करना हमे जानाभी हे..

कहातो देवायत नीर्मलाके पैरके बीच चला गया तो नीर्मलाने सरमाते अपने पैर थोडे फैला दीये ओर देवायतने सीधाही चुतमे मुह डालके हमला बोल दीया.. ओर अ‍ेक हाथसे नीर्मलाके कसे हुअ‍े बुब्सको मसलने लगा तब नीर्मला सीसकारीया करते छटपटाने लगी.. ओर आहे भरने लगी.. आज कितने महिनोके बाद फीरसे देवायतने उनकी चुतको छेडाथा.. ओर वो चुतमे अपनी जीभ घुसाके चुतके दानेको खरोदने लगा..

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नीर्मला : (छटपटाते मदहोसीमे) बस बस.. उंहु.. उंहु.. न..ही.. देवु.. प्लीज.. कुछ हो रहाहे अ‍ेअ‍े.. उइइइइ मां.. सीइइइइइ याइइइइ सीससइइइइ नही.. नही.. देवु.. अभी नीकल जायेगाइइइइइइ नही ..नही..नही.. मेंमम.. गइइ.. उइइइइ मांइइइइइइ आह..आह..आह.. सीइइइइइइइ

कहेते नीर्मला अपनी कमरको जटके देने लगी.. इतने महिनोके बाद देवायतने उनकी चुतको छेडाथा तो ज्यादा बरदास्त नही करपाइ ओर थोडीही देरमे उनकी चुतने जवाब देदीया.. ओर वो बेडपे कमर पटकके सांत होगइ.. ओर अपनी सांसे दुरस्त करने लगी.. तब देवायत नीर्मलाकी चुतको चाटकर साफ कर रहाथा.. तब नीर्मला बुरी तराह सर्मसार होने लगी.. ओर वो मुहको इधर उधर घुमाते देवायतसे नजरे चुराने लगी..

देवायत : (रुमालसे मुह साफ करते) क्यु नीमु डार्लींग मजा आया की नही..? हें..हें..हें..

नीर्मला : (सरमाते हसते) आप बहुत गंदे हो.. अ‍ैसेभी कोइ करता हे.. मेरीतो सांसे अटक गइथी.. कीतने दिनोके बाद मीले हो.. मेतो बरदास्तही नही करपाइ.. क्या मेरी मंजुके साथभी अ‍ैसा करते हो..?

देवायत : (नीर्मलाके उपर चडते) अरे अ‍ैसे केसे तेरी सांस अटकने देता.. अभीतो असली मजा बाकी हे.. ओर तेरी अंजुकीतो बातही कुछ ओर हे..

नीर्मला : (सर्मसार होते धीरेसे) देवु.. प्लीज धीरेसे करना.. आपका वो बहुत बडा लग रहा हे.. कीतने दिन होगये हम नही मीले तो.. प्लीज.. वरना चलनेमे दीकत होगी.. ओर मे आपके बगैर रेहभी तो नही सकती..

देवायत : (होंठ चुमते) मेरे बगैर की मेरे लंडके बगैर.. सच कहेना.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (सर्मसार होते मुस्कराते) छी.. कीतना गंदा बोलते हो..? हां.. वोही.. उनके बगैर.. हें..हें..हें..

तभी देवायत उनके बुब्सपे मुह लगाते बुब्स चुसने लगता हे ओर उनकी नीपलको अपने दातोसे दबाते खीचता हे तब नीर्मला तीलमीला उठी.. ओर उनके सरके बालोको मुठीमे पकडते खीचने लगती हे ओर आंख बंध करते जोरोसे सीसकारीया करने लगती हे.. तब देवायतका लंड नीर्मलाकी चुतपे ठोकर मारते अपने बीलमे घुसनेकी कोसीस करने लगा.. तब नीर्मला दो तरफा हमलेसे कांपने लगी..

उतेजनाकी वजहसे आंधी आंख चडाके नसेकी हालतमे चली गइ.. अ‍ैसा सुख जो उसे ना किशनसे मीलाथा ओर नाही अपने भाइ राजीवसे.. देवायतके साथ जबभी संभोग करती अ‍ेक अलगही अनुभुती महहेसुस करती.. इसीलीयेतो वो देवायतकी दिवानी हो चुकीथी.. वो आम अपने भाइ राजीवकी बीवी होनेके बावजुदभी देवायतसे हर रीसतेमे जुडनेके लीये तैयार थी..

नीर्मला : (मदहोसीके नसेमे) देवुउउउ... आहहह.. बस बससस.. कितना तडपाओगे... हंममम बुचच.. बुचच.. बुचच.. बस.. अब डालभी दो.. सीइइइइ आइ... मत खीचो... दुखता.. हे.. आइइइइ..सीसससइइइइ..

नीर्मलाकी चुत लगातार पानी छोड रहीथी जीनकी वजहसे लंडभी काफी गीला हो चुकाथा.. तभी लंडने अपने बीलका रास्ता अपने आप ढुंढ लीया ओर थोडा अंदर घुसके अपना मुह छुपा लीया.. तभी देवायतने अपनी कमरपे थोडा नीचे चुतकी ओर दबाया.. तो लंड आधेसे ज्यादा नीर्मलाकी चुतमे चला गया.. ओर नीर्मला देवायतके होंठ छुडाते मुह इधर उधर करते छटपटाने लगी.. ओर दर्दसे अपना मुह बीगाडने लगी..

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देवायत : (हसते) क्यु क्या हुआ..? हंम.. बोलनां..? तु मुजसे पहेली बार थोडीना चुदवा रही हे..

नीर्मला : (दर्दसे छटपटाते धीरेसे) उइइ मां.. मररर गइइइ... दे..वु.. पहेलेसे बहुत बडा.. लग रहाहेअ‍ेअ‍े... मांइइइ.. मररर गइइइइ... उंहु.. उंहु.. उंहु.. नही.. प्लीज.. रुक जाओओ... उइइइ मां.. नही चुदवानां... देवु... बहुत दर्द हो रहा हे..

देवायत : (होंठ चुमते) बस.. बस.. अभी दर्द कम होजायेगा.. सांत होजाओ.. हंम.. बुचच.. बुचच.. बुच..

देवायत उनके होंठ ओर बुब्सको चुमता रहा.. तब थोडीही देरमे नीर्मला उनके सरको सहेलाने लगी ओर धीरे धीरे सांत होगइ.. ओर आखीर देवायतकी पीठको सहेलाते सीसकारीया करने लगी.. उनकी दर्द भरी आवाज कामुक आवजमे तबदील होने लगी.. ओर कभी कभी देवायतकी ओर नजरे चुराते कामुक नजरोसे देखने लगी.. तब देवायतको उनकी आंखोमे वासना नजर आने लगी ओर वो हाथके बल थोडा उचा होगया..

ओर नर्मलाके बुब्सको थामते मसलने लगा ओर धीरे धीरे कमर हीलाके नीर्मलाको चोदने लगा.. तब नीर्मला फीरसे दर्दके मारे मुह बीगाडते चुदवाने लगी.. आज उनको देवायतका लंड अपनी बच्चेदानीपे ठोकर मारते महेसुस हो रहाथा.. क्युकी बाबाकी कृपासे देवायतका लंड लंबा ओर मोटाभी हो गयाथा.. देवायत होले होले सोट मारते नीर्मलाको चोदने लगा.. तब हर धकेके साथ नीर्मलाकी दर्दके मारे आहे नीकलने लगी..

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आज वाकइ देवायतके लंडको जेलना नीर्मलाके लीये मुस्कील लगने लगा.. फीरभी इतना दमदार लंड पाकर वो मनमे खुसभी हो रहीथी.. अबतक नीर्मला तीन तीन लंड अपनी चुतमे ले चुकीथी अ‍ेक देवायतके पीता किशन.. दुसरा उनके खुदके बडेभाइ राजीव.. ओर तीसरा खुद देवायत.. लेकीन आज देवायतके लंडको अपनी चुतमे लेकर वो अपने आपको धन्य ओर भाग्यसाली समजने लगी..

उनको नही पताथा की देवायतके लंडमे जडीबुटीकी वजहसे काफी बदलाव आ चुकाहे.. अब वो पहेलेसे ज्यादा कामी ओर आकर्सक हो चुका हे.. अब वो कीसीभी दस ओरत या लडकीको बडी आसानीसे अपनी ओर आकर्सीत करते संतुस्ट कर सकता हे.. नीर्मला दर्द होनेके बावजुद देवायतको चुदवानेमे साथ देने लगी.. ओर आखीर देवायतको अपने उपर खीचके अपने तनसे चीपकालीया..

ओर उनके होंठ लीपलोक करते देवायतको अपनी बाहोमे भीचलीया.. ओर वो कमरको जटके देने लगी.. ओर जडने लगी.. तब देवायतको अपने लंडपे काफी गरम महेसुस हुआ.. ओर अ‍ेक बार उतेजनामे उनकाभी सरीर कांप गया.. ओर हाथके बल उचा होते नीर्मलाके पैरोके बीच बैठ गया तो नीर्मलाने अपने दोनो पैर फैला दीये ओर उचा कर हाथोसे पकडलीया ओर देवायतकी ओर कामुक नजरसे देखती रही..

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तब देवायत तेजीसे कमर हीलाते नीर्मलाको जोरोसे सोट मारते चोदने लगा.. तो नीर्मलासे बरदास्त करना मुस्कील होने लगा ओर वो दर्दके मारे चीखने चीलाने लगी.. नीर्मला बहुतही कामुक ओरत थी.. फीरभी आज देवायतके लंडको जेलना उनके लीये मुस्कील होने लगा.. देवायतभी नीर्मलाको बेहरेहमीसे चोद रहाथा.. फीरभी दोनोही जोसमे आके अ‍ेक दुसरेको चुदाइमे साथ देने लगे.. ओर दोनोके बीच धमासान चुदाइ होने लगी.. तभी अ‍ेक बार फीर नीर्मलाने देवायतको अपने उपर खीचलीया..

ओर देवायतके चहेरेको पागलोकी तराह चुमते उनको कसके बाहोमे भीच लीया ओर आधी आंख बंध करते कमरको फीरसे जटके मारते जडने लगी.. तब देवायत उनके बुब्सको जोरोसे चुसने लगा.. ओर अपने लंडको नर्मलाकी चुतमे जड तक घुसा दीया.. जीनकी वजहसे नीर्मलाकी जोरोसे चीख नीकल गइ.. ओर उसे अपनी बच्चेदानीपे देवायतका गरम कामरस महेसुस होने लगा.. ओर वो मदहोसीकी हालतमे चली गइ..

तब देवायत उनके सीनेपे सर रखकर ढेर होगया.. ओर नीर्मला सरमके मारे उनकी पीठ ओर सरको सहेलाती रही.. आखीर आज देवायतने उनकी जबरदस्त तरीकेसे चुदाइ करही ली.. वो अब पुरी तराह संतुस्ट हो चुकीथी.. नीर्मलाकी इतने महिनोकी ना चुदनेकी कशर देवायतने अ‍ेकही बारमे पुरी करदी थी.. वो अभीभी बेसुध जेसी हालतमे देवायतकी बाहोमे अपनी सांस दुरस्त करते उनके नीचे लेटीथी..

दोनोही पसीनेसे भीगते तरबोर हो चुके थे.. जैसे दोनो संभोग कर रहे हो ओर कीसीने बाल्टी भरके दोनोके उपर पानी डाल दीया हो.. तब देवायत धीरेसे नीर्मलाके उपरसे हट गया.. तब लंड फच.. आवाजके साथ बहार नीकल गया.. तो नीर्मला खुब सर्मसार होगइ.. ओर देवायतसे नजरे चुराने लगी.. आज देवायतने उने चोद चोदकर पुरी तराह तोडके रख दीयाथा उनके तनकी अ‍ेक अ‍ेक नब्स ढीली हो चुकी थी..

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तब नीर्मलाकी चुत अभीभी कीसी डरे हुअ‍े पंखी की तराह फडफडा रहीथी.. ओर नीर्मलाकी चुतसे दोनोका कामरस बहारकी ओर बहेने लगा.. तब जाके नीर्मलाने अपनी आंख खोलदी.. तो देवायत खडे होकर उसीको देख रहाथा तो नीर्मला सर्मसार होगइ.. ओर देवायतके सामने देखकर मुस्कराने लगी.. उसने देवायतकी ओर दोनो हाथ लंबे करदीये.. तब देवायत उनके पास आगया ओर नीर्मलाको अपनी गोदमे उठालीया.. ओर दोनो बाथरुममे चले गये..

नीर्मला : जानु आपने तो आज मुजे पुरी नीचोडली.. मेरी इतनी जबरदस्त चुदाइ आज तक नही हुइ.. मेरी तो चीखे नीकलवादी आपने.. भलेही मेरी हालत खराब करदी आपने लेकीन बहुत मजा आगया.. बस अ‍ेसेही मुजे प्यार देते रहेना.. क्युकी अब मुजे नही लगता राजीव कुछ करपायेगा.. अब आपहीको मुजे अ‍ैसेही सम्हालना हे..

देवायत : नीमु तुजेतो मे पहेलेसे ही अपना चुका हु.. तुही मेरी पहेली बीवी हे.. ओर हमेसा रहेगी.. जीतो चाहता हे तुजे ओर प्यार करता ही रहु.. लेकीन जानाभी हे.. नीमु अब तुम दोनोही हवेलीपे आजाओ.. वही हम मीलते रहेगे..

नीर्मला : नही जानु मेरे खयालसे हम यही रहेगे.. आप यहा आते जाते रहेना.. वहा कोइ दिकत नही होगी.. ओर अभी ओर नही कर सकते.. वहा राजीव अकेला होगा.. खामखा हमपे सक होजायेगा.. ओर अ‍ेक बात पुछु..? आज आपका ये बहुत बडा लग रहा था.. इनमे इतना बदलाव कैसे..?

देवायत : (मुस्कुराते) नीमु.. ये सब बाबाकी दी हुइ जडीबुटीका कमाल हे.. मुजे ये मंजुने दि हे.. बस उनका रिजन मे तुजे अभी नही बता सकता.. वरना फीरसे दुखी हो जायेगी.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (हसते) नही.. अब कभी दुखी नही होउगी.. में आपके बारेमे काफी कुछ जान चुकी हु.. मे मंजु ओर चंदासे फोनपे बात करती रहेती हु.. उसीने आपके बारेमे मुजे बहुत कुछ बता दीया हे.. आप टेन्शन मतलो.. (सरमाते धीरेसे) चंदाभी आपसे बहुत खुस हे..

देवायत : (हसते) क्या..? चंदासे इस बारेमेभी बात करती हो..? हें..हें..हें..

नीर्मला : (हसते) हां.. उनका मेरे सीवा हेही कौन.. हम दोनो बहेने सब बाते सैर करती हे.. बस मेने उनको हमारे बारेमे नही बताया..

कहेते दोनोही नहाने लगते हे.. फीर फटाफट बहार आगये तब नीर्मला थोडा लंगडाते चल रहीथी.. ओर दोनो अपने कपडे पहेनके तैयार होगये.. तो नीर्मला किचनमे चली गइ तो खीचडी पक चुकीथी ओर नीर्मला फटाफट रोटी बनाने लगी.. तबतक देवायतभी बहार आगया.. ओर किचनमे चला गया.. तो नीर्मला रोटी बना रहीथी तो उनकी ब्लाउसकी डीझाइनमे पीठ नंगी दीख रहीथी तब देवायतको सररात सुजी..

ओर वो निर्मलाके पीछे जाकर खडा होगया.. ओर उनकी पीठमे अ‍ेक चुंबन लेलीया तो नीर्मलाके सरीरमे कंपन आगइ तबतक देवायत उनके पीछे सटकर खडा होगया.. ओर उसे अपनी बाहोमे भरलीया.. तब नीर्मला मुस्कुराते आंख बंध करते खडी रही.. तभी देवायतने उनके गाल चुमलीये.. तो नीर्मला सरमाके हसने लगी.. ओर जुठका गुसा करते हसती हुइ पीछे मुडकर देवायतको मारनेके लीये दोडी.. तो देवायत हसते हुअ‍े बहार भाग गया ओर सोफेपे जाके बेठ गया..


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नीर्मला : जानु अभी कोइ सरारत नही मुजे काम करने दो फीर जी भरके प्यार करलेना.. हें..हें..हें..

कहेते नीर्मला फीरसे कीचनमे चली गइ ओर खाना बनाने लगी तब देवायत वापस कीचनमे आकर उसे कीचनके दरवाजेपे खडा रहेते नीर्मलाको देखता रहा.. तब नीर्मला बीच बीचमे देवायतकी ओर देखते हसती रही.. तब देवायत उनको आंख मारते कुछ कामुक इसारा करदेता जीसे देखकर नीर्मला खुब सरमाती.. ओर नां मे गरदन हीलाते अपना काम करती रही.. फीर थोडी ही देरमे नीर्मलाने खाना बना लीया..

तब नीर्मला सब खाना पेक करके दोडकर देवायतकी बाहोमे समा गइ.. ओर दोनोके होंठ मील गये.. काफी देर तक अ‍ेक दुसरेके होठोके रसपान करते रहे.. तब नीर्मला देवायतसे अलग होगइ.. ओर खाना लेकर बहारकी ओर सरमाते हसती हुइ जाने लगी तब देवायतकोभी उनके पीछे जाना पडा ओर नीर्मलाने घरको ताला लगा दीया.. फीर दोनो कार लेकर होस्पीटलकी ओर नीकल गये..

तब नीर्मला कारमे देवायतकी बाजुमे बैठकर देवातकी ओर देखते हस रहीथी.. फीर धीरेसे उनकी जांगपे हाथ रखके सहेलाने लगी ओर सरारतसे मुस्कराती रही.. तब देवायतने कार चलाते अ‍ेक हाथ उनके बुब्सपे रखदीया ओर जोरोसे प्रेस करते दबा दीया.. तो नीर्मलाकी जोरोसे आउच.. करते आवाज नीकल गइ.. ओर उसने फोरन अपना हाथ हटालीया ओर देवायतकी जांगपे जोरोसे हसते हुअ‍े अ‍ेक चपत लगादी..

नीर्मला : (तीरछी नजरसे देखते) कीतने कमीने हो.. कोइ अपनी बीवीको अ‍ैसे प्यार करता हे..

देवायत : (हसते) हां.. मे करता हु.. मेरातो प्यार करनेका यही अंदाज हे.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (कामुक नजरोसे मुस्कराते) बडे आये अंदाज वाले.. देखना अ‍ेक दिन मेभी इनका बदला लुंगी..

दोनोही अ‍ैसी मस्तीया करते होस्पीटल पहोंच गये तब नीर्मला अ‍ेक बार फीर अपने कपडेको देखते सही करने लगी.. ओर दोनो साथ चलते राजीवके पास चले गये.. तब राजीव जाग रहाथा ओर दोनोको देखके हसने लगा.. फीर नीर्मलाने राजीवको दुध ओर खीचडी मीक्ष करके खीलादी.. ओर दोनोने भी साथमे खालीया.. फीर तीनोही काफी देर बाते करते रहे..

आज नीर्मला देवायतसे हस हसकर बाते कर रहीथी.. ओर बीच बीचमे देवायतसे हल्का मजाकभी कर लेती थी.. जीसे देखकर आज राजीव बहुतही खुस हो रहाथा.. तब उनको नही पताथाकी उनकी बीवी कहो या बहेन.. अब देवायतको अपना पती मानकर उसे पुर्ण समर्पीत हो चुकी हे..

ओर उनकी चुतपे अब देवायतके लंडकी मोहर लग चुकी हे.. बाद मे देवायत दोनोकी इजाजत लेकर वहासे नीकलने लगा.. तब नीर्मलाभी देवायतको बहार तक छोडने आगइ.. ओर दोनो बहार अ‍ेक अ‍ेकांत जगहपे चले गये.. जहा कोइ नही दीखता था.. तब मौका मीलते ही..

नीर्मला : (पास आतेही हग करते) जानु.. कल आओगेनां..? अब आपके बीना अच्छा नही लगेगा..

देवायत : नीमु.. सायद कल मे चंदासे सादी करलु.. क्या तुम खुसतो होनां..?

नीर्मला : (बाहोमे भीचते) अरे हां बाबा हां.. बहुत खुस हुं.. बस आप खयाल रखना उनको हमारे रीलेशनके बारेमे पता ना चलजाये.. आप इस बारेमे मंजुसेभी बात करलेना.. बाकी याद रखना.. आपकी अ‍ेक बीवी यहाभी आपका इन्तजार करते बेठी हे.. मुजे भुल मत जाना.. हें..हें..हें.. अब मेरे पती सीर्फ आपही हो..

देवायत : (वहा कीसीको ना देखते होंठ चुमते) मुं..हां.. चल ठीक हे तु भी कोइ भुलनेकी चीज हे..? मेने प्यार कीया हे तुमसे.. ओर मेरी जींदगीमे मेरी पहेली बीवी हो तुम.. तो कैसे भुल सकता हु.. चल कल टाइम मीलातो देरसे आजाउगा.. वरना परसो पका आजाउगा.. तबतक सायद पापाको छुटीभी मील जायेगी.. फीर कुछ सोचते हे.. आगे क्या करना हे.. ओर पापाको छुटी मील जायेतो फोन करदेनां.. ओर कहोतो मे आजाउगा..

नीर्मला : (बाहोमे खडी रहेते) नही.. वो सब मे देख लुगी.. आप अपना काम आरामसे करलो.. आगर टाइम मीलेतो आजाना.. वरना परसो सीधे घरपे आजाना.. मे आपका वहीं इन्तजार करुगी.. अब आपसे दुर रहेना बहुतही मुस्कील लग रहा हे.. देवु.. मे आपसे दुर रहेना नही चाहती.. कुछ करोनां..

देवायत : नीमु.. तुम परसो तैयार रहेना.. मे दोनोको लेने आउगा.. अब सादी तक आप दोनो हमारे साथही रहोगे.. तो पापाकोभी अच्छा लगेगा..

नीर्मला : ठीक हे मे देखती हु.. लेकीन मुजे वहाभी आपको मीलना पडेगा.. अभीसे केह देती हु.. हें..हें..हें..

अ‍ेक बार फीरसे दोनो होंठ मीलाके कीस करते हे ओर देवायत कार लेकर भानुके गांवकी ओर नीकल जाता हे तबतक नीर्मला वही खडी रहेते उनको जाते हुअ‍े प्यारसे देखती रही.. फीर वोभी वापस राजीवके पास कमरेमे आगइ.. ओर दोनो कुछ देर बाते करते रहे.. तब नर्स राजीवको दवाइ देकर चली गइ ओर राजीव नींदकी आगोसमे चला गया.. तब नीर्मला सोफेपे लंबी होकर लेट गइ ओर देवायतके बारेमे सोचते सोनेकी तैयारी करने लगी.. तभी उनके फोनपे चंदाका फोन आता हे तो वो सोफेपे लेटकर फोन उठाती हे....

कन्टीन्यु
 

Fhari

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ८८

फीर देवायत उन हीमाचलके राजाकी पुरी स्टोरी सुनाने लगता हे तब नीर्मला बडेही गौरसे सुन रहीथी.. जीनकी वजहसे उनकी चुतमे हलचल तेज होगइ ओर चुतके नाजुक ओस्ट फडफाने लगे.. ओर पानी छोडने लगे.. लेकीन नीर्मलाने उनपे कुछ खास ध्यान नही दीया.. ओर देवायत उनको पुरी स्टोरी सुना देता हे जीसे सुनके नीर्मला काफी अ‍ेक्साइटेड होगइ तब जाके उनको अपने नीकरमे गीलापन महेसुस हुआ....अब आगे

नीर्मला : (थोडा अनकंन्फोटेबल फील करते हसते) बडी मजेदार स्टोरी हे ये..

देवायत : नीमु.. ये सीर्फ स्टोरी या कहानी नही हे.. ये सब हकीकत हे.. इसीलीयेतो हिमाचलमे कीसीभी गांवमे आजभी कोइ विधवा या त्यक्ता नही मीलती.. सब आपसी रीस्तोमे प्यारभी करते हे ओर सादी भी करते हे.. बस.. ओर अब यही सब अब हमारे यहा होने वाला हे.. वोही राजा हमारे घर जन्म लेने वाला हे.. ओर सबकुछ होगा जो हिमाचलमे हो रहा हे.. ओर बाबाके कहेनेके मुताबीक इनकी सुराआत हमारी पीछली तीन पीढीसे सुरु होगइ हे.. देखा नही बापुने भी अपनी बहेनसे सादी करली.. सायद दादा दादीभी वोही होगे.. ओर अब मे.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (हसते) अरे हां.. मेने तो इस बातपे कभी गौरही नही कीया.. मंजुभी तो आपकी बहेन हुइ.. हें..हें..हें.. (सरारतसे हसते) ओर देखो इनमे मेभी बाकात नही हुं.. हें..हें..हें.. ओर आपकी छोटी बहेन पुनोभी बच गइ.. हें..हें..हें..

तब नीर्मलाको क्या पताथाकी उनकी छोटी बहेन पुनोभी देवायतकी बीवी हो चुकी हे ओर उनसे प्रेगनेन्टभी हो चुकी हे.. दोनोही बाते करते काफी देरतक बैठे रहे.. तब देवायतको पुनमके बारेमे नीर्मलाको बताना उचीत नही लगा.. ओर दोनो खडे होगये.. तब नीर्मला देवायतका हाथ पकडके उनके साथ अंदरकी ओर आने लगी.. तब उनको नीचेकी ओर काफी गीलापन लगने लगा ओर वो सर्मसार होगइ..

फीर दोनो अपने रुममे आगये तो राजीव अभीभी नींदमे सो रहाथा ओर नीर्मला फटाफट बाथरुममे घुस गइ.. ओर नीकर नीकालके अपनी चुतको साफ करने लगी.. फीर अ‍ैसेही बीना नीकर सही होकर बहार आगइ ओर देवायतके पास सटकर उनके कंधेपे सर रखकर बैठ गइ.. उनको आज फीरसे देवायतसे मीलन करनेकी तडप बढने लगी.. लेकीन इन सबके लीये उनको यहाका माहोल ठीक नही लगा.. ओर अ‍ेक हाथसे देवातकी जांगोपे रखके सहेलाने लगी.. ओर हसने लगी..

देवायत : (हसते धिरेसे) नीमु ये क्या कर रही हे..? अभी ये सब यहा करना उचीत नही हे.. देख अभी पापा जाग जायेगे.. वरना मुजसे कंट्रोल नही होगा.. ओर तुजे यही पटकके.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (सरमाते धीरेसे) नही.., देवु कीतने महीने होगये.. हम नही मीले.. क्या आपका मन नही करता..? मेतो रात रातभर आपसे मीलनके लीये तडप रहीहु.. ओर बीस्तरमे करवट बदलती रहेती हु..

देवायत : (लंडको अ‍ेडजेस्ट करते हसते) बहुत मन करता हे.. पर यहां..? हम घर जाके करेगे..

नीर्मला : (तीरछी नजरोसे हसते) देखा.. अबतो राजीवनेभी मेरा हाथ आपको सोंप दीया हे.. हें..हें..हें.. अब आपको अच्छी तराह मेरा खयाल रखना पडेगा.. केह देती हु.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां बहुत अच्छी तराह रखुगा.. आखीर तु मेरी पहेली बीवीजो हे.. फीर देखता हु मुजसे भागती हे की नही.. हें..हें..हें..

तभी नर्स अंदर आगइ तो नीर्मला जटसे देवायतसे थोडी दुर होगइ ओर सहीसे बेठ गइ.. तब नर्सने राजीवको हीलाकर जगाया.. ओर दोनोकी ओर देखके उनको चाइ नास्ता करवानेका कहेके वो चली गइ.. ओर देवायत खडा होगया.. फीर बहार जाकर वो चाइ ओर नास्ता लेकर आगया.. ओर दोनोने राजीवको चाइ नास्ता खीलाया ओर खुदने भी चाइ नास्ता करलीया.. फीर तीनो काफी देर बाते करते रहे..

देवायतने बातोही बातोमे राजीवको उनकी ओर चंदाकी सादीके बारेमे सबकुछ बता दीया जीसे सुनकर राजीव बहुत खुस होगया.. वो जानता था देवायत अ‍ेक राजाके खानदानसे तालुक रखता हे.. तो उनके खानदानमे दुसरी तीसरी सादीका कोइ मायना नही हे.. ओर वो अपनी छोटी बहेन चंदाकी विधवा होनेसे भी चींतीत था.. जो इस बातसेभी खुस हो गयाकी देवायतने उसे सादी करके सुहागनकी जींदगी देदी.. ओर वो उस खानदानकी रानी होगइ.. तभी मौका देखके नीर्मलाने केह दीया..

नीर्मला : राजीव.. आपको खीचडी देनी हे तो मुजे घरसे बनाके लाना पडेगा.. तो मे घर जाउ..? अभी फटाफट बनाके वापस आजाउगी.. मे देवुके साथ उनकी कारमेही जल्दीसे बनाकर वापस आजाउगी..

राजीव : (हसते हांमे गरदन हीलाते) मे अब यहा ठीक हु.. तुम लोग आरामसे आना.. जल्दबाजी ठीक नही..

नीर्मला : (स्माइल करते) हंम.. चलो.. साम ढलनेसे पहेले हम आजायेगे. सीर्फ खीचडी रोटीतो बनानी हे..

देवायत : सीर्फ आप दोनोके लीये बनाना मेरा खाना घरपे बन गया हे..

राजीव : (धीरेसे) नही.. इधर हमारे साथभी थोडा खाना खालेना.. फीर आरामसे चले जाना..

तब राजीवको क्या पताथाकी उनकी बीवी कौनसी खीचडी पकाने जा रही हे.. नीर्मला मनही मन बहुत खुस होने लगी.. ओर दोनो बहार आगये.. तब नीर्मलाने नर्सको अ‍ेक घंटेमे वापस आजायेगे कहा ओर दोनो कार लेकर उनके घरकी ओर नीकल पडे तो नीर्मलाने कारमे बेठतेही देवायतका गाल चुमलीया ओर कातील नजरोसे हसने लगी.. ओर उनकी बाजुको पकडके बेठ गइ.. फीर थोडीही देरमे दोनो घरपे आगये ओर नीर्मलाने फटाफट घरका ताला खोल दीया ओर अंदर चली गइ..

तभी देवायतभी कार पार्क करके अंदर आगया ओर मेइन दरवाजा बंध करके सोफेपे बैठ गया तब नीर्मला फटाफट कुकरमे खीचडी पकानेकी तैयारीया करने लगी ओर स्टवपे कुकर रखदीया जैसेही वो पीछे मुडी तो देवायतको कीचनके पास उनको देखते हुअ‍े खडा पाया..

ओर वो दोडके देवायतके गले लग गइ.. ओर देवायतके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी.. क्युकी घर आनेसे पहेलेही वो देवायतसे चुदवानेका मन बना चुकीथी.. फीर उनकी आंखोमे प्यारभरी नजरोसे देखती रही.. तब उनकी आंखोसे आंसु टपक गये..

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नीर्मला : देवु मे कीतने महीने होगये.. आपके प्यारसे वंचीत हुं.. आज मुजे पत्नीका वो सुख देदो जो हर ओरत अपने पतीसे वो सुख पाती हे.. अब मे कभी कोइ गलती नही करुगी.. मे आपके लीये बहुत तडपी हु.. अ‍ैसी अ‍ेक रातभी नही गइ जीसमे मेने आपको याद ना कीया हो..

देवायत : (बाहोमे भीचते) बस.. बस सांत होजा.. अब तु मेरी जीम्वेवारी हे.. भुलजा सब पुरानी बाते..

नीर्मला : देवु आप मुजे पहेलेकी तराह अपनालोगेनां..? वरना मे आपके प्यारके बगैर जी नही पाउगी..

देवायत : हां नीमु तु मेरी पहेली बीवी हे.. तुजे पत्नीका वो सब अधीकार मीलेगा जो मंजुको मीलता हे.. मे तुजे आजभी इतना चाहता हु जो पहेले चाहता था.. ओर हंमेसा चाहता रहुगा.. बोल.. अब क्या कहेना हे..?

नीर्मला : (सरमाते होंठ चुमते) बस जानु इतनाही.. आइ लव यु.. आप थोडी देरके बाद मेरे रुममे दरवाजा बंध करके आजाओ हमारे पास वक्त बहुत कम हे.. आज मुजे मेरे पतीको जी भरके प्यार करना हे.. मे आज आपके अंदर समा जाना चाहती हु..

कहेतेही वो जटसे अपने रुममे चली गइ.. ओर कुछ देरके बाद देवायत नीर्मलाके रुममे चला गया तो देखताही रेह गया.. क्युकी अंदर नीर्मला बेडपे बीलकुल नंगी लेटी हुइ थी.. उनका नंगा बदन आजभी अ‍ेक कांचकी पुतलीकी तराह चमक रहाथा..
उनके दोनो उरोज आजभी अ‍ेक लडकीकी तराह कसा हुआ था..

ओर देवायत रुमका दरवाजा बंध करके उनके पास चला गया.. ओर उसनेभी अपने सब कपडे नीकाल दीये.. फीर धीरेसे नीर्मलाके पास लेट गया तब नीर्मलाने करवट लेकर देवायतको जोरोसे अपनी बाहोमे भीचलीया.. ओर उनके चहेरेको चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी..

देवायत : (हसते) अरे थोडातो सबर कर.. क्या मेरा बलात्कार करेगी..? हें..हें..हें..

नीर्मला : (नसीली आंखोसे देखते) हां करुगी.. हें..हें..हें.. बाबु कल आपको देखा तबसेही मेरी मुनीयाने परेसान करके रखा हे.. ओर उपरसे आज आपने वो राजाकी कहानी सुनाइ.. तबसे मे पागल होगइ हु.. आज ओर कुछ भी नही.. बस मेरे उपर आजाओ ओर अपना मुसल हथीयार अंदर डालके मेरी प्यास बुजादो.. कीतमे महीने होगये.. मेने आपका हथीयार अंदर नही लीया.. मेतो इनकी दिवानी होगइ हु..

देवायत : (होंठ ओर गलेको चुमते) अरे बेबी इतनी आसानीसे ये थोडी मीलेगा.. पहेले मेरी बीवीको थोडा प्यारतो करलु.. कीतने महीनोके बाद हाथ लगी हे.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (सरमाते हसते) जानु प्लीज.. ओर मत तडपाना जल्दी करना हमे जानाभी हे..

कहातो देवायत नीर्मलाके पैरके बीच चला गया तो नीर्मलाने सरमाते अपने पैर थोडे फैला दीये ओर देवायतने सीधाही चुतमे मुह डालके हमला बोल दीया.. ओर अ‍ेक हाथसे नीर्मलाके कसे हुअ‍े बुब्सको मसलने लगा तब नीर्मला सीसकारीया करते छटपटाने लगी.. ओर आहे भरने लगी.. आज कितने महिनोके बाद फीरसे देवायतने उनकी चुतको छेडाथा.. ओर वो चुतमे अपनी जीभ घुसाके चुतके दानेको खरोदने लगा..

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नीर्मला : (छटपटाते मदहोसीमे) बस बस.. उंहु.. उंहु.. न..ही.. देवु.. प्लीज.. कुछ हो रहाहे अ‍ेअ‍े.. उइइइइ मां.. सीइइइइइ याइइइइ सीससइइइइ नही.. नही.. देवु.. अभी नीकल जायेगाइइइइइइ नही ..नही..नही.. मेंमम.. गइइ.. उइइइइ मांइइइइइइ आह..आह..आह.. सीइइइइइइइ

कहेते नीर्मला अपनी कमरको जटके देने लगी.. इतने महिनोके बाद देवायतने उनकी चुतको छेडाथा तो ज्यादा बरदास्त नही करपाइ ओर थोडीही देरमे उनकी चुतने जवाब देदीया.. ओर वो बेडपे कमर पटकके सांत होगइ.. ओर अपनी सांसे दुरस्त करने लगी.. तब देवायत नीर्मलाकी चुतको चाटकर साफ कर रहाथा.. तब नीर्मला बुरी तराह सर्मसार होने लगी.. ओर वो मुहको इधर उधर घुमाते देवायतसे नजरे चुराने लगी..

देवायत : (रुमालसे मुह साफ करते) क्यु नीमु डार्लींग मजा आया की नही..? हें..हें..हें..

नीर्मला : (सरमाते हसते) आप बहुत गंदे हो.. अ‍ैसेभी कोइ करता हे.. मेरीतो सांसे अटक गइथी.. कीतने दिनोके बाद मीले हो.. मेतो बरदास्तही नही करपाइ.. क्या मेरी मंजुके साथभी अ‍ैसा करते हो..?

देवायत : (नीर्मलाके उपर चडते) अरे अ‍ैसे केसे तेरी सांस अटकने देता.. अभीतो असली मजा बाकी हे.. ओर तेरी अंजुकीतो बातही कुछ ओर हे..

नीर्मला : (सर्मसार होते धीरेसे) देवु.. प्लीज धीरेसे करना.. आपका वो बहुत बडा लग रहा हे.. कीतने दिन होगये हम नही मीले तो.. प्लीज.. वरना चलनेमे दीकत होगी.. ओर मे आपके बगैर रेहभी तो नही सकती..

देवायत : (होंठ चुमते) मेरे बगैर की मेरे लंडके बगैर.. सच कहेना.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (सर्मसार होते मुस्कराते) छी.. कीतना गंदा बोलते हो..? हां.. वोही.. उनके बगैर.. हें..हें..हें..

तभी देवायत उनके बुब्सपे मुह लगाते बुब्स चुसने लगता हे ओर उनकी नीपलको अपने दातोसे दबाते खीचता हे तब नीर्मला तीलमीला उठी.. ओर उनके सरके बालोको मुठीमे पकडते खीचने लगती हे ओर आंख बंध करते जोरोसे सीसकारीया करने लगती हे.. तब देवायतका लंड नीर्मलाकी चुतपे ठोकर मारते अपने बीलमे घुसनेकी कोसीस करने लगा.. तब नीर्मला दो तरफा हमलेसे कांपने लगी..

उतेजनाकी वजहसे आंधी आंख चडाके नसेकी हालतमे चली गइ.. अ‍ैसा सुख जो उसे ना किशनसे मीलाथा ओर नाही अपने भाइ राजीवसे.. देवायतके साथ जबभी संभोग करती अ‍ेक अलगही अनुभुती महहेसुस करती.. इसीलीयेतो वो देवायतकी दिवानी हो चुकीथी.. वो आम अपने भाइ राजीवकी बीवी होनेके बावजुदभी देवायतसे हर रीसतेमे जुडनेके लीये तैयार थी..

नीर्मला : (मदहोसीके नसेमे) देवुउउउ... आहहह.. बस बससस.. कितना तडपाओगे... हंममम बुचच.. बुचच.. बुचच.. बस.. अब डालभी दो.. सीइइइइ आइ... मत खीचो... दुखता.. हे.. आइइइइ..सीसससइइइइ..

नीर्मलाकी चुत लगातार पानी छोड रहीथी जीनकी वजहसे लंडभी काफी गीला हो चुकाथा.. तभी लंडने अपने बीलका रास्ता अपने आप ढुंढ लीया ओर थोडा अंदर घुसके अपना मुह छुपा लीया.. तभी देवायतने अपनी कमरपे थोडा नीचे चुतकी ओर दबाया.. तो लंड आधेसे ज्यादा नीर्मलाकी चुतमे चला गया.. ओर नीर्मला देवायतके होंठ छुडाते मुह इधर उधर करते छटपटाने लगी.. ओर दर्दसे अपना मुह बीगाडने लगी..

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देवायत : (हसते) क्यु क्या हुआ..? हंम.. बोलनां..? तु मुजसे पहेली बार थोडीना चुदवा रही हे..

नीर्मला : (दर्दसे छटपटाते धीरेसे) उइइ मां.. मररर गइइइ... दे..वु.. पहेलेसे बहुत बडा.. लग रहाहेअ‍ेअ‍े... मांइइइ.. मररर गइइइइ... उंहु.. उंहु.. उंहु.. नही.. प्लीज.. रुक जाओओ... उइइइ मां.. नही चुदवानां... देवु... बहुत दर्द हो रहा हे..

देवायत : (होंठ चुमते) बस.. बस.. अभी दर्द कम होजायेगा.. सांत होजाओ.. हंम.. बुचच.. बुचच.. बुच..

देवायत उनके होंठ ओर बुब्सको चुमता रहा.. तब थोडीही देरमे नीर्मला उनके सरको सहेलाने लगी ओर धीरे धीरे सांत होगइ.. ओर आखीर देवायतकी पीठको सहेलाते सीसकारीया करने लगी.. उनकी दर्द भरी आवाज कामुक आवजमे तबदील होने लगी.. ओर कभी कभी देवायतकी ओर नजरे चुराते कामुक नजरोसे देखने लगी.. तब देवायतको उनकी आंखोमे वासना नजर आने लगी ओर वो हाथके बल थोडा उचा होगया..

ओर नर्मलाके बुब्सको थामते मसलने लगा ओर धीरे धीरे कमर हीलाके नीर्मलाको चोदने लगा.. तब नीर्मला फीरसे दर्दके मारे मुह बीगाडते चुदवाने लगी.. आज उनको देवायतका लंड अपनी बच्चेदानीपे ठोकर मारते महेसुस हो रहाथा.. क्युकी बाबाकी कृपासे देवायतका लंड लंबा ओर मोटाभी हो गयाथा.. देवायत होले होले सोट मारते नीर्मलाको चोदने लगा.. तब हर धकेके साथ नीर्मलाकी दर्दके मारे आहे नीकलने लगी..

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आज वाकइ देवायतके लंडको जेलना नीर्मलाके लीये मुस्कील लगने लगा.. फीरभी इतना दमदार लंड पाकर वो मनमे खुसभी हो रहीथी.. अबतक नीर्मला तीन तीन लंड अपनी चुतमे ले चुकीथी अ‍ेक देवायतके पीता किशन.. दुसरा उनके खुदके बडेभाइ राजीव.. ओर तीसरा खुद देवायत.. लेकीन आज देवायतके लंडको अपनी चुतमे लेकर वो अपने आपको धन्य ओर भाग्यसाली समजने लगी..

उनको नही पताथा की देवायतके लंडमे जडीबुटीकी वजहसे काफी बदलाव आ चुकाहे.. अब वो पहेलेसे ज्यादा कामी ओर आकर्सक हो चुका हे.. अब वो कीसीभी दस ओरत या लडकीको बडी आसानीसे अपनी ओर आकर्सीत करते संतुस्ट कर सकता हे.. नीर्मला दर्द होनेके बावजुद देवायतको चुदवानेमे साथ देने लगी.. ओर आखीर देवायतको अपने उपर खीचके अपने तनसे चीपकालीया..

ओर उनके होंठ लीपलोक करते देवायतको अपनी बाहोमे भीचलीया.. ओर वो कमरको जटके देने लगी.. ओर जडने लगी.. तब देवायतको अपने लंडपे काफी गरम महेसुस हुआ.. ओर अ‍ेक बार उतेजनामे उनकाभी सरीर कांप गया.. ओर हाथके बल उचा होते नीर्मलाके पैरोके बीच बैठ गया तो नीर्मलाने अपने दोनो पैर फैला दीये ओर उचा कर हाथोसे पकडलीया ओर देवायतकी ओर कामुक नजरसे देखती रही..

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तब देवायत तेजीसे कमर हीलाते नीर्मलाको जोरोसे सोट मारते चोदने लगा.. तो नीर्मलासे बरदास्त करना मुस्कील होने लगा ओर वो दर्दके मारे चीखने चीलाने लगी.. नीर्मला बहुतही कामुक ओरत थी.. फीरभी आज देवायतके लंडको जेलना उनके लीये मुस्कील होने लगा.. देवायतभी नीर्मलाको बेहरेहमीसे चोद रहाथा.. फीरभी दोनोही जोसमे आके अ‍ेक दुसरेको चुदाइमे साथ देने लगे.. ओर दोनोके बीच धमासान चुदाइ होने लगी.. तभी अ‍ेक बार फीर नीर्मलाने देवायतको अपने उपर खीचलीया..

ओर देवायतके चहेरेको पागलोकी तराह चुमते उनको कसके बाहोमे भीच लीया ओर आधी आंख बंध करते कमरको फीरसे जटके मारते जडने लगी.. तब देवायत उनके बुब्सको जोरोसे चुसने लगा.. ओर अपने लंडको नर्मलाकी चुतमे जड तक घुसा दीया.. जीनकी वजहसे नीर्मलाकी जोरोसे चीख नीकल गइ.. ओर उसे अपनी बच्चेदानीपे देवायतका गरम कामरस महेसुस होने लगा.. ओर वो मदहोसीकी हालतमे चली गइ..

तब देवायत उनके सीनेपे सर रखकर ढेर होगया.. ओर नीर्मला सरमके मारे उनकी पीठ ओर सरको सहेलाती रही.. आखीर आज देवायतने उनकी जबरदस्त तरीकेसे चुदाइ करही ली.. वो अब पुरी तराह संतुस्ट हो चुकीथी.. नीर्मलाकी इतने महिनोकी ना चुदनेकी कशर देवायतने अ‍ेकही बारमे पुरी करदी थी.. वो अभीभी बेसुध जेसी हालतमे देवायतकी बाहोमे अपनी सांस दुरस्त करते उनके नीचे लेटीथी..

दोनोही पसीनेसे भीगते तरबोर हो चुके थे.. जैसे दोनो संभोग कर रहे हो ओर कीसीने बाल्टी भरके दोनोके उपर पानी डाल दीया हो.. तब देवायत धीरेसे नीर्मलाके उपरसे हट गया.. तब लंड फच.. आवाजके साथ बहार नीकल गया.. तो नीर्मला खुब सर्मसार होगइ.. ओर देवायतसे नजरे चुराने लगी.. आज देवायतने उने चोद चोदकर पुरी तराह तोडके रख दीयाथा उनके तनकी अ‍ेक अ‍ेक नब्स ढीली हो चुकी थी..

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तब नीर्मलाकी चुत अभीभी कीसी डरे हुअ‍े पंखी की तराह फडफडा रहीथी.. ओर नीर्मलाकी चुतसे दोनोका कामरस बहारकी ओर बहेने लगा.. तब जाके नीर्मलाने अपनी आंख खोलदी.. तो देवायत खडे होकर उसीको देख रहाथा तो नीर्मला सर्मसार होगइ.. ओर देवायतके सामने देखकर मुस्कराने लगी.. उसने देवायतकी ओर दोनो हाथ लंबे करदीये.. तब देवायत उनके पास आगया ओर नीर्मलाको अपनी गोदमे उठालीया.. ओर दोनो बाथरुममे चले गये..

नीर्मला : जानु आपने तो आज मुजे पुरी नीचोडली.. मेरी इतनी जबरदस्त चुदाइ आज तक नही हुइ.. मेरी तो चीखे नीकलवादी आपने.. भलेही मेरी हालत खराब करदी आपने लेकीन बहुत मजा आगया.. बस अ‍ेसेही मुजे प्यार देते रहेना.. क्युकी अब मुजे नही लगता राजीव कुछ करपायेगा.. अब आपहीको मुजे अ‍ैसेही सम्हालना हे..

देवायत : नीमु तुजेतो मे पहेलेसे ही अपना चुका हु.. तुही मेरी पहेली बीवी हे.. ओर हमेसा रहेगी.. जीतो चाहता हे तुजे ओर प्यार करता ही रहु.. लेकीन जानाभी हे.. नीमु अब तुम दोनोही हवेलीपे आजाओ.. वही हम मीलते रहेगे..

नीर्मला : नही जानु मेरे खयालसे हम यही रहेगे.. आप यहा आते जाते रहेना.. वहा कोइ दिकत नही होगी.. ओर अभी ओर नही कर सकते.. वहा राजीव अकेला होगा.. खामखा हमपे सक होजायेगा.. ओर अ‍ेक बात पुछु..? आज आपका ये बहुत बडा लग रहा था.. इनमे इतना बदलाव कैसे..?

देवायत : (मुस्कुराते) नीमु.. ये सब बाबाकी दी हुइ जडीबुटीका कमाल हे.. मुजे ये मंजुने दि हे.. बस उनका रिजन मे तुजे अभी नही बता सकता.. वरना फीरसे दुखी हो जायेगी.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (हसते) नही.. अब कभी दुखी नही होउगी.. में आपके बारेमे काफी कुछ जान चुकी हु.. मे मंजु ओर चंदासे फोनपे बात करती रहेती हु.. उसीने आपके बारेमे मुजे बहुत कुछ बता दीया हे.. आप टेन्शन मतलो.. (सरमाते धीरेसे) चंदाभी आपसे बहुत खुस हे..

देवायत : (हसते) क्या..? चंदासे इस बारेमेभी बात करती हो..? हें..हें..हें..

नीर्मला : (हसते) हां.. उनका मेरे सीवा हेही कौन.. हम दोनो बहेने सब बाते सैर करती हे.. बस मेने उनको हमारे बारेमे नही बताया..

कहेते दोनोही नहाने लगते हे.. फीर फटाफट बहार आगये तब नीर्मला थोडा लंगडाते चल रहीथी.. ओर दोनो अपने कपडे पहेनके तैयार होगये.. तो नीर्मला किचनमे चली गइ तो खीचडी पक चुकीथी ओर नीर्मला फटाफट रोटी बनाने लगी.. तबतक देवायतभी बहार आगया.. ओर किचनमे चला गया.. तो नीर्मला रोटी बना रहीथी तो उनकी ब्लाउसकी डीझाइनमे पीठ नंगी दीख रहीथी तब देवायतको सररात सुजी..

ओर वो निर्मलाके पीछे जाकर खडा होगया.. ओर उनकी पीठमे अ‍ेक चुंबन लेलीया तो नीर्मलाके सरीरमे कंपन आगइ तबतक देवायत उनके पीछे सटकर खडा होगया.. ओर उसे अपनी बाहोमे भरलीया.. तब नीर्मला मुस्कुराते आंख बंध करते खडी रही.. तभी देवायतने उनके गाल चुमलीये.. तो नीर्मला सरमाके हसने लगी.. ओर जुठका गुसा करते हसती हुइ पीछे मुडकर देवायतको मारनेके लीये दोडी.. तो देवायत हसते हुअ‍े बहार भाग गया ओर सोफेपे जाके बेठ गया..


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नीर्मला : जानु अभी कोइ सरारत नही मुजे काम करने दो फीर जी भरके प्यार करलेना.. हें..हें..हें..

कहेते नीर्मला फीरसे कीचनमे चली गइ ओर खाना बनाने लगी तब देवायत वापस कीचनमे आकर उसे कीचनके दरवाजेपे खडा रहेते नीर्मलाको देखता रहा.. तब नीर्मला बीच बीचमे देवायतकी ओर देखते हसती रही.. तब देवायत उनको आंख मारते कुछ कामुक इसारा करदेता जीसे देखकर नीर्मला खुब सरमाती.. ओर नां मे गरदन हीलाते अपना काम करती रही.. फीर थोडी ही देरमे नीर्मलाने खाना बना लीया..

तब नीर्मला सब खाना पेक करके दोडकर देवायतकी बाहोमे समा गइ.. ओर दोनोके होंठ मील गये.. काफी देर तक अ‍ेक दुसरेके होठोके रसपान करते रहे.. तब नीर्मला देवायतसे अलग होगइ.. ओर खाना लेकर बहारकी ओर सरमाते हसती हुइ जाने लगी तब देवायतकोभी उनके पीछे जाना पडा ओर नीर्मलाने घरको ताला लगा दीया.. फीर दोनो कार लेकर होस्पीटलकी ओर नीकल गये..

तब नीर्मला कारमे देवायतकी बाजुमे बैठकर देवातकी ओर देखते हस रहीथी.. फीर धीरेसे उनकी जांगपे हाथ रखके सहेलाने लगी ओर सरारतसे मुस्कराती रही.. तब देवायतने कार चलाते अ‍ेक हाथ उनके बुब्सपे रखदीया ओर जोरोसे प्रेस करते दबा दीया.. तो नीर्मलाकी जोरोसे आउच.. करते आवाज नीकल गइ.. ओर उसने फोरन अपना हाथ हटालीया ओर देवायतकी जांगपे जोरोसे हसते हुअ‍े अ‍ेक चपत लगादी..

नीर्मला : (तीरछी नजरसे देखते) कीतने कमीने हो.. कोइ अपनी बीवीको अ‍ैसे प्यार करता हे..

देवायत : (हसते) हां.. मे करता हु.. मेरातो प्यार करनेका यही अंदाज हे.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (कामुक नजरोसे मुस्कराते) बडे आये अंदाज वाले.. देखना अ‍ेक दिन मेभी इनका बदला लुंगी..

दोनोही अ‍ैसी मस्तीया करते होस्पीटल पहोंच गये तब नीर्मला अ‍ेक बार फीर अपने कपडेको देखते सही करने लगी.. ओर दोनो साथ चलते राजीवके पास चले गये.. तब राजीव जाग रहाथा ओर दोनोको देखके हसने लगा.. फीर नीर्मलाने राजीवको दुध ओर खीचडी मीक्ष करके खीलादी.. ओर दोनोने भी साथमे खालीया.. फीर तीनोही काफी देर बाते करते रहे..

आज नीर्मला देवायतसे हस हसकर बाते कर रहीथी.. ओर बीच बीचमे देवायतसे हल्का मजाकभी कर लेती थी.. जीसे देखकर आज राजीव बहुतही खुस हो रहाथा.. तब उनको नही पताथाकी उनकी बीवी कहो या बहेन.. अब देवायतको अपना पती मानकर उसे पुर्ण समर्पीत हो चुकी हे..

ओर उनकी चुतपे अब देवायतके लंडकी मोहर लग चुकी हे.. बाद मे देवायत दोनोकी इजाजत लेकर वहासे नीकलने लगा.. तब नीर्मलाभी देवायतको बहार तक छोडने आगइ.. ओर दोनो बहार अ‍ेक अ‍ेकांत जगहपे चले गये.. जहा कोइ नही दीखता था.. तब मौका मीलते ही..

नीर्मला : (पास आतेही हग करते) जानु.. कल आओगेनां..? अब आपके बीना अच्छा नही लगेगा..

देवायत : नीमु.. सायद कल मे चंदासे सादी करलु.. क्या तुम खुसतो होनां..?

नीर्मला : (बाहोमे भीचते) अरे हां बाबा हां.. बहुत खुस हुं.. बस आप खयाल रखना उनको हमारे रीलेशनके बारेमे पता ना चलजाये.. आप इस बारेमे मंजुसेभी बात करलेना.. बाकी याद रखना.. आपकी अ‍ेक बीवी यहाभी आपका इन्तजार करते बेठी हे.. मुजे भुल मत जाना.. हें..हें..हें.. अब मेरे पती सीर्फ आपही हो..

देवायत : (वहा कीसीको ना देखते होंठ चुमते) मुं..हां.. चल ठीक हे तु भी कोइ भुलनेकी चीज हे..? मेने प्यार कीया हे तुमसे.. ओर मेरी जींदगीमे मेरी पहेली बीवी हो तुम.. तो कैसे भुल सकता हु.. चल कल टाइम मीलातो देरसे आजाउगा.. वरना परसो पका आजाउगा.. तबतक सायद पापाको छुटीभी मील जायेगी.. फीर कुछ सोचते हे.. आगे क्या करना हे.. ओर पापाको छुटी मील जायेतो फोन करदेनां.. ओर कहोतो मे आजाउगा..

नीर्मला : (बाहोमे खडी रहेते) नही.. वो सब मे देख लुगी.. आप अपना काम आरामसे करलो.. आगर टाइम मीलेतो आजाना.. वरना परसो सीधे घरपे आजाना.. मे आपका वहीं इन्तजार करुगी.. अब आपसे दुर रहेना बहुतही मुस्कील लग रहा हे.. देवु.. मे आपसे दुर रहेना नही चाहती.. कुछ करोनां..

देवायत : नीमु.. तुम परसो तैयार रहेना.. मे दोनोको लेने आउगा.. अब सादी तक आप दोनो हमारे साथही रहोगे.. तो पापाकोभी अच्छा लगेगा..

नीर्मला : ठीक हे मे देखती हु.. लेकीन मुजे वहाभी आपको मीलना पडेगा.. अभीसे केह देती हु.. हें..हें..हें..

अ‍ेक बार फीरसे दोनो होंठ मीलाके कीस करते हे ओर देवायत कार लेकर भानुके गांवकी ओर नीकल जाता हे तबतक नीर्मला वही खडी रहेते उनको जाते हुअ‍े प्यारसे देखती रही.. फीर वोभी वापस राजीवके पास कमरेमे आगइ.. ओर दोनो कुछ देर बाते करते रहे.. तब नर्स राजीवको दवाइ देकर चली गइ ओर राजीव नींदकी आगोसमे चला गया.. तब नीर्मला सोफेपे लंबी होकर लेट गइ ओर देवायतके बारेमे सोचते सोनेकी तैयारी करने लगी.. तभी उनके फोनपे चंदाका फोन आता हे तो वो सोफेपे लेटकर फोन उठाती हे....


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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ८९

अ‍ेक बार फीरसे दोनो होंठ मीलाके कीस करते हे ओर देवायत कार लेकर भानुके गांवकी ओर नीकल जाता हे तबतक नीर्मला वही खडी रहेते उनको जाते हुअ‍े प्यारसे देखती रही.. फीर वोभी वापस राजीवके पास कमरेमे आगइ.. ओर दोनो कुछ देर बाते करते रहे.. तब नर्स राजीवको दवाइ देकर चली गइ ओर राजीव नींदकी आगोसमे चला गया.. तब नीर्मला सोफेपे लंबी होकर लेट गइ ओर देवायतके बारेमे सोचते सोनेकी तैयारी करने लगी.. तभी उनके फोनपे चंदाका फोन आता हे तो वो सोफेपे लेटकर फोन उठाती हे....अब आगे

तब दुसरी ओर देवायत मंजु ओर चंदाको हवेलीपे छोडके गया.. तब मंजु अपने रुममे जा रहीथी तो चंदा दुसरे रुममे जाने लगी.. तब मंजुने उसे जबरदस्ती अपने साथ आनेको कहातो चंदाने सरमाते हुअ‍े मंजुके साथ रहेने उनके रुममे अपना सामान लेकर चली गइ फीर सबने साम तक आराम कीया.. फीरतो सबको पता चल गयाकी मंजु घरपे आगइ हे.. तब रश्मी चारु चंपाभाभी ओर आस पडोसकी सभी ओरते हवेलीपे आगइ..

ओर मंजु ओर उनके बच्चेका हालचाल जानने लगी.. फीर सभीने बच्चेको गोदमे लेकर प्यार दीया.. तब चारुके साथ वंदनाभी आइथी तो वंदना ओर पुनम उनके रुममे ही चले गये.. ओर दोनो खुलकर हस हसके देवायतके बारेमे बाते करने लगी.. ओर बहारभी सब लेडीस बाते करते बैठी रही.. तबतक मंजुने ओर चंदाने भावना ओर सरलासेभी फोनपे बात करली.. ओर उनकाभी हालचाल पुछ लीया.. ओर साम ढलतेही सब अपने अपने घरपे चली गइ..

तबतक लखनभी खेतोसे आगया ओर सभी खानेके लीये साथमे बैठ गये.. तब मंजुने लखनको कल सबके साथ चलनेको ओर पुनम लखनको अपनी सादीकी सब खरीदीकी लीस्ट बनानेको केह दीया.. तब लखन मनही मन खुस होने लगा तो पुनम.. मनसे थोडी वीचलीत होने लगी.. ओर मंजु उसे अपने भाइ देवायतसे उनको दुर कर रहीहे अ‍ैसा महेसुस करने लगी.. लेकीन अपने भाव अपने चहेरेपे जाहीर नही होने दीया..

लेकीन येतो मंजुथी.. सबकी जननी.. ओर उसने पुनमकी मनोदसा समजली.. ओर वो येभी जानतीथी की पुनमकोभी बहुत कुछ बाते मालुम हे जो आने वाले समयमे होने वाला हे.. तब उसने अ‍ेक बार इस बारेमे पुनमसे खुलकर बात करनेका फैसला करलीया.. ओर खाना खाते सबको बताभी दीयाकी हम सब कल आश्रम जा रहेहे.. ओर देवायत ओर चंदाकी सादी वहा मंदिरमे कर रहे हे.. तब सुनके चंदा खुब सरमाइ..

लखन : (खुस होते हसते) मौसी तबतो आज आखरी दीन हे मे आपको मौसी कहुगा.. देखना कल सादी होनेके बाद मेभी आपको भाभी कहुगा.. हें..हें..हें..

चंदा : (अ‍ेकदम सर्मसार होते हसते) जी लखन.. कल आपको जोभी कहेना हो कहीयेगा..

मंजुला : (हसते) बडीदी आप भलेही हमारी पुनमकी सांस हो.. पर बाकायदा कलसे आपभी उनकी भाभी होजायेगी.. हें..हें..हें.. अगर वो आपको भाभी कहेगीतो आप क्या करोगी..?

पुनम : (सरमाते चंदाकी ओर देखते) मम्मीजी आप बीलकुल चीन्ता मत करना मे आपको मम्मीजीही कहुगी..

चंदा : (प्यारसे सरपे हाथ घुमाते) नही पुनो बेटा.. ये सब भलेही कुछभी कहे.. ना मे तुजे अपनी बहु मानुगी ओर नाही मेरी ननंद.. बस तुतो हमेसा मेरी बेटी बनके रहेगी.. आइ प्रोमीस.. ओर तुजे जो मरजीमे आये मुजे कहेना.. अगर मुजे भाभी कहेगीतो भी मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे..

कहातो पुनम खडी होगइ ओर इमोस्नल होकर आंसु बहाते चंदाके गले लग गइ.. तब चंदाभी खडी होकर उसे गले लगाते हसने लगती हे.. फीर पुंनमका सर चुमते उसे वापस अपने पास बीठा देती हे.. सब अ‍ैसेही खाना खानेके बाद खडे हो जाते हे.. तब चंदा अपने मंजु वाले रुममे चली जाती हे ओर बच्चेको उठाके उसे सही करने लगती हे.. तब पुनम सोफेपे जाकर बैठ गइ तो मंजुभी उनके पास जाकर बैठ गइ ओर पुनके पास बैठतेही प्यारसे पुनमका सर सहेलाने लगी तो पुनम उनकी गोदमे सर रखके ढल गइ..

मंजुला : मेरी बच्ची.. तु कुछ परेसान दीख रही हे.. बता.. क्या बात हे..?

पुनम : (उनकी ओर मुस्कराते) नही भाभी.. कुछ भी तो नही.. बस अ‍ैसेही..

मंजुला : (धीरेसे) पुनो मुजे तुमसे कुछ बात करनी हे.. हम दोनो अकेले होगे तब.. में तेरे रुममे मे देरसे आजाउगी..

पुनम : भाभी कुछ परेसानीकी बात तो नही..? आपको मुजसे कीस बारेमे बात करनी हे..?

मंजुला : (हसते धीरेसे) हमारे पतीके बारेमे.. बस अभी यहा बात करना उचीत नही होगा.. अभी तेरी सास यहा आजायेगी.. समज गइनां.. तु फीकर मत करना सब सही होजायेगा.. में तेरे साथ हुनां..?

पुनम : (जटसे गोदसे उठ गइ ओर सर नीचे करते) भाभी.. वो.. वो.. आपने हमारे पती क्यु कहा..?

मंजुला : (हसते प्यारसे उनके गालको सहेलाते) बस अभी यहा नही.. बादमे.. ओके..? बस तु तेरी सादीका लीस्ट बना लेना हम सब कल जा रहे हे.. में आज वरना कल तुजे मौका मीलतेही सब बाते बता दुगी.. मुजे तुमसे बहुत कुछ बताना हे.. लेकीन जब हम दोनो अकेली होगी तब..

चंदा : (बच्चेको गोदमे लेकर आते वही बैठते) भाभी ननंद आपसमे क्या बाते कर रही हो.. हें..हें..हें.. ले इसे दुध पीला भुख लगी होगी.. कबसे रो रहा हे..

तब मंजु बच्चेको गोदमे लेकर उनपे सारीका पलु डाल देती हे ओर अंदरसे ब्लाउस उचा करके बुब्सको बहार नीकाल देती हे ओर बच्चेके मुहमे नीपल देते उसे दुध पीलाने लगती हे तब पुनम सब गौरसे देख रहीथी.. जीसे देखकर मंजुको सरारत सुजी.. ओर पुनमकी ओर देखते हसते हुअ‍े कहेने लगी..

मंजुला : पुनो सब ध्यानसे देखले.. आगे तेरे ही काम आयेगा.. की बच्चेको कैसे दुध पीलाते हे, हें..हें..हें..

कहतो चंदा जोरोसे हसने लगी.. तो पुनमभी सरमा गइ.. ओर खडी होते मुस्कराती मंजुको अ‍ेक पीठमे मुका जडते अपने रुममे भाग गइ.. तब लखन घुमनेके लीये बहार जाने लगा.. तब दया ओर रजीया खाना खा रहीथी तो लखन रजीयाकी ओर देखके उपरकी ओर आंखोसे इसारा करता गया तब रजीया सरमसे पानी पानी होगइ.. ओर दयासे नजर बचाते सरमसे हां मे गरदन हीलाते सर नीचे करते खाना खाने लगी..

तो चंदा ओर मंजु कलके बारेमे बाते करते सोफेपे बच्चेको दुध पीलाती रही.. तबतक दया ओर रजीयाने सब काम नीपटा लीया ओर सब सोनेके लीये उठ गये तब दया ओर रजीया अपने रुममे चली गइ.. देर रात लखनभी आकर उपरकी मंजीलपे चला गया.. तब पुनमभी देवायतके बारेमे सोचते अपने रुममे दरवाजा बंध करते बेडपे लेटीथी.. ओर मंजु चंदाभी अपने रुममे चली गइ ओर बच्चेको जुलेमे डालके सोने लथी.. तब चंदाने कहा..

चंदा : (सरमाते धीरेसे हसते) मंजु वो देवु कीधर सोयेगा..? क्या अभी तक वो दीदीके वहा होगे..? अभी तक आये नही..?

मंजुला : दीदी अबतो आपकेभी पती हे तो यही सोयेगा.. हें..हें..हें.. इसीलीये तो मे आजसेही आपको हमारे रुममे लाइ हु.. देखुतो सही मेरा देवु आपसे कीतना प्यार करता हे.. हें..हें..हें..

चंदा : (सरमसे पानीपानी होगइ सरमाते मुस्कराते) नही.. प्लीज मंजु.., क्या कल सादी तक तु रुक नही सकती..? मुजेतो बडी सरम आ रही हे.. हम कलसे साथमे सोयेगेनां.. आज रहेनेदे.. प्लीज.. मेरी अच्छी दीदी.. तुजेभी पता हे.. वो हमारी हालत खराब कर देते हे.. ओर कल हमारी सादी हे.. तो प्लीज..

मंजुला : (हसते) ठीक हे दीदी वो आज पुनमके बगल वाले रुममे सो जायेगे.. वो आयेगे तब मे उनको वहा भेज दुगी.. लेकीन दीदी कबतक मुजसे सरमाती रहोगी.. अ‍ेक दिनतो सब आपको फेइस करनाही पडेगा..

चंदा : (सरमाते हसते) हां.. मुजे पता हे.. मंजु लेकीन मे चाहती हु हमारी सादी तक उनसे दुर रहु.. ओर तु उसे फोन करके पुछतो सहीकी वो वहा रुकने वालेहे की आने वाले हे..? मुजेभी बडी दीदीसे बात करनी हे..

मंजुला : दीदी आप मम्मीसे अ‍ेक बार बात करलो.. क्या वो आपकी ओर देवुकी सादीसे राजीतो हेनां..?

चंदा : (सरमाते) अरे हां बाबा अ‍ेक बार मेरी उनसे इस बारेमे बात होगइ हे.. फीरभी तु कहेती हे तो अ‍ेक बार बात करलेती हु.. कास बडेभैया ओर दीदी यहा मेरी सादीमे होते.. कीतना मजा आता..

मंजुला : (देवायतको फोन लगाते) दीदी अभी में देवुसे बात करती हु पापाको छुटी देदी हेकी नही.. वरना छुटी नही होगीतो वो यहा कैसे आयेगे..?

देवायत : (हसते फोनपे) हां मंजु डार्लींग बोल.. कैसीहे तु.. ओर तेरी सौतन.. हें..हें..हें..

मंजुला : (फोनपे..चंदाकी ओर हसते) हां जानु मेभी ठीक हु ओर मेरी सौतनभी ठीक हे.. क्या पापाको छुटी मील गइ..? दोनो आपके साथ आ रहेहेनां..?

देवायत : नही मंजु.. पापाको कल सामको छुटी मीलेगी.. अगर हम आश्रमसे जल्दी आगये तो मुजे इधर आना हे.. फीर मे दोनोको उधर लेकर आउगा.. अब तो तेरी मम्मीभी आनेको राजी होगइ हे..

मंजुला : (हसते) चलो सब ठीक होगया.. लोजी अपनी दुसरी बीवीसे बात करो.. आपसे बात करनेके लीये मरी जा रही हे.. हें..हें..हें..

कहेते मंजुने फोन चंदाको पकडा दीया तो चंदा सरमसे पानी पानी होगइ ओर इसारोसे मंजुको फोनपे बात करनेको मना करने लगी.. लेकीन तबतक मंजुने चंदाको फोन पकडा दीया तो चंदाको बात करनी पडी.. ओर उसने फोन लेते मंजुकी पीठमे अ‍ेक मुका जड दीया.. ओर फोन लेकर देवुसे बात करने लगी..

चंदा : (सरमाते धीरेसे) हाइ.. देवु अब कैसी हे जीजुकी तबीयत.. क्या उनको होस्पीटलसे छुटी दे दी..?

देवायत : (हसते) अब बीलकुल ठीक हे.. ओर कल साम छुटी दे देगे.. तु बता.. कैसीहो तुम..?

चंदा : (सरमाते) बस.. मजेमे.. हम दोनो हमारे रुममें सो रही हे.. क्या आपको आने मे देर लगेगी..?

देवायत : नही रास्तेपे हु.. अभी भानुसे मीलकर वहा पहोंच जाउगा.. ओर हां खाना मेने इधरही खा लीया हे.. तो कीसीको जागनेकी जरुरत नही हे.. मुजे आनेमे देर होजायेगी..

चंदा : ठीक हे आप आरामसे आना.. लोजी मे मंजुको फोन देती हु.. (हसते हुअ‍े फोन मंजुको देदीया)

मंजुला : जानु आरामसे आना ओर आज आप पुनमके बाजुके कमरेमे सोजाना.. प्लीज.. सीर्फ आजके दीन..

देवायत : (हसते) कोइ बात नही.. तुम दोनो आरामसे सो जाओ.. मुजे आनेमे देर होजायेगी.. मे फोन रखता हु..

कहेते देवायतने फोन काट दीया ओर भानुके गांवकी ओर कारको दोडाने लगा.. तब कुछही मीनीटोके बाद वो भानुके घरके सामने था.. तभी सामभी ढल चुकी थी.. पुरे गांवमे कोइ बहार दिख ही रहाथा.. तब घरका मेइन गेइट बंध था.. वो कारसे उतरके अंदर चला गया तो पुरे घरमे कोइ दिख नही रहाथा..

ओर वो अंदर जातेही गेइट बंध करके लोक करदेता हे.. क्युकी वो जानता था सभी भानुके मामाका कार्य ओर भावुको सृतीसे दिखाकर खरीदी करने जाने वालेथे.. तो सरला इस वक्त घरपे अकेली होगी.. ओर सीधाही सरलाके रुमकी ओर चला गया.. तब सरला अपने बेडपे लेटकर आराम कर रही थी.. जेसेही देवायतको देखा खुसीसे जटसे बेडसे खडी होगइ..

सरला : (खुसीसे हसते) अरे देवु आप..? आइअ‍े आइअ‍े.. बडे मौकेपे आये हो.. आखीर इस बीवीकी याद आही गइ..

ओर देवायतके सामने हसती हुइ चली गइ ओर उनकी बाहोमे समा गइ तब देवायत समज गयाथा की अभी तक सहेरसे खरीदी करके घरपे कोइ वापस नही आया हे.. ओर उसने सरलाको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लीया.. ओर दोनोके होंठ मील गये.. दोनोही अ‍ेक दुसरेको पागलोकी तराह चुमने लगे..

तब सरला देवायतसे अलग होगइ ओर उनका हाथ पकडकर बेडकी ओर चली गइ.. ओर फीर खुदके ओर देवायतके कपडे फटाफट अपने हाथोसे नीकालके दोनो नंगे होगये.. ओर वो बेडके बीच पीठके बल पैर फैलाके लेट गइ तब देवायत उनके पैरोके बीच घुटनोके बल बैठ गया..

सरला : (होंठ चुमते) देवु वो लोग वापस आजाये उनसे पहेले मुजे अ‍ेक बार प्यार करलो.. कीतने दिन होगये हम मीलेही नही.. अबतो हमे अकेलेमे मीलनेका मौकाही नही मीलता.. चलो फटाफट मुजे अ‍ेक बार ठंडी करदो वरना वो लोग वापस आजायेगे.. क्या में अब आपको अच्छी नही लगती..?

देवायत : (हसते) अरे अ‍ैसा क्यु केह रही हो.. तुमतो आजभी इतनी जवान ओर खुबसुरत दीख रही हो.. आजभी अ‍ेक गदराये जीस्मकी मालीक हो.. ओर मत भुलो.. तुमने ही मुजे सबसे पहेले ये प्यारका पाठ पढाया हे.. तो मे तुजे कैसे भुल सकता हु..

सरला : (हसते) तबतो ठीक हे बाबा.. मेतो समजी अब मुजे कम मीलते होतो.. कही मुजसे इन्ट्रेसतो खतम नही होगया..? चलो फटाफट दुसरा प्यार हम बादमे फुरसतमे कर लेगे पहेले आपके मुसल हथीयारको मेरी चुतके अंदर घुसादो.. मे कीतने दिनोसे इनके बीना प्यासी हु..

तब देवायत बीना देरी कीये लंडको पकडके सरलाकी चुतपे घीसने लगा तो सरलाकी चुतसे पानीका रीसाव होने लगा.. जब लंड गीला होगया तब देवायत ने लंडको सरलाकी चुतमे फसा दीया ओर सरलापे जुकते उनके बडे उरोजोको अपने मुहमे लेलीया ओर चुसने लगा.. सरला होने वाले हमेलेके लीये अपने आपको मानसीक रुपसे तैयार करने लगी.. वो जानतीथी देवायतके लंडको जेलना उतना आसान नही था..

तभी अपनी चुतमे देवायतका लंड महेसुस करते सरला आंख बंध करके सीसकारीया करने लगी.. वो अब देवायतका लंड लेनेके लीये बीलकुल तैयारभी तभी देवायतका लंड उनकी चुतमे जडतक घुसके उनकी बच्चेदानीसे टकराते महेसुस कीया.. ओर सरला दर्दके मारे जोरोसे चीख पडी.. ओर उनकी आंखसे आंसु नीकल गये.. वो बेडपे पैर पटकते छटपटाने लगी.. जैसे कीसीने उनकी चुतमे गरम सरीया डाल दिया हो..

सरला : (छटपटाते) कीतने जालीम हो.. कोइ अ‍ेकही बारमे घुसाता हे क्या..? धीरे धीरे नही डाल सकते..?

देवायत : (सोट मारते बुब्स चुमते) काकी क्या करु..? आपको देखतेही कंट्रोल नही होता.. आप आजभी उतना ही कडक माल हो.. जीतो चाहता हे मे दिन रात आपको चोदताही रहु..

सरला : (छटपटाते चुदवाते) तो आजाना चाहीनां.. में पुरा दिन घरपे अकेली थी.. दोनो आरामसे पुरा दिन मजे करते.. मेरीही गलती हे मुजेही तुजे फोन करदेना चाहीये था.. अब चोदना सुरु करो.. आज तेरी काकीपे कोइ रहेम मत करना.. तु क्या मस्त चुदाइ करता हे.. मेतो तुजे देखतेही पागल होजाती हु..

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ओर देवायत जोरोसे कमर हीलाते सरलाको धनाधन चोदने लगा कभी उनके होठोको चुमलेता तो कभी उनके बडे बडे दोनो बुब्सको बारी बारी मुहमे लेकर चुमने लगता.. तब सरलाभी जोरोसे सीसकारीया करती रही वो काफी उतेजीत हो चुकीथी.. देवायत उनके गलेको चुमते उसे चोदने लगता तब सरला पागल होजाती थी.. ओर देवायतभी सरलाकी बेहरहेमीसे घमासान चुदाइ करनेके मुडमे था..

सरलाभी देवायतका तगडा लंड अपनी चुतमे होता तब वो अपने आपको दुनीयाकी सबसे खुस किस्मत ओरत समजती थी.. तभी उसने देवायतके गलेमे दोनो हाथ डालके उसे अपने तनसे चीपकालीया ओर दोनो पैर देवायतकी कमरपे रखके देवायतको जोरोसे बाहोमे भीचलीया ओर लीपलोक करलीया.. तब वो देवायतके लंडपे अपना गरम पानी छोडते लंडको भीगोने लगी.. ओर जड गइ..

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तब देवायत सरलाके दोनो पैर फैलाके पकडलेता हे ओर लंडको जडतक घुसा घुसाके जोरोसे कमरको जटका देते सरलाको चोदने लगता हे.. तब सरला चीखने चीलाते देवायतका तगडे लंडसे अपनी चुतको फडवाने लगी.. तब देवायतनेभी कोइ रहेम नही कीया ओर वो सरलाको जोरोसे चोदता रहा.. फीर वो अचानक सरलापे जुक गया तब सरलाने उसे जोरोसे अपनी बाहोमे भीचलीया तब देवायत कमरको जटके मारते सरलाकी चुतको अपने पानीसे भरने लगा.. तब सरलाभी अपने गर्भासयपे देवायतका गरम विर्य महेसुस करते अ‍ेक बार फीरसे उनके साथ डने लगी..
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ओर देवायत सरलाके सीनेपे ढेर होगया.. तब सरला सरमके मारे उनकी पीठको सहेलाती रही.. दोनोही पसीनेसे भीग चुके थे.. तभी अचानक सरलाको कुछ खयाल आया ओर वो देवायतको जटसे धका मारते अपने उपरसे हटाने लगी.. ओर बेडपे बेठकर अपनी चुतको कपडेसे साफ करने लगी.. फीर लडखडाते बाथरुममे भाग गइ.. तो देवायतभी हसते हुअ‍े उनके पीछे बाथरुममे घुस गया.. ओर सरलाको फीरसे बाहोमे भरलीया..

सरला : (सरमाते हसते) देवु प्लीज.. अब ओर नही वो लोग आतेही होगे.. तुमनेतो अ‍ेकही बारमे मेरी हालत खराब करदी.. कीतना जोरोसे चोदते थे.. कुछतो मुजपे रहेम करो..

देवायत : (होंठ चुमते) काकी अ‍ेक बार ओर करते हेनां.. मेरातो जी ही नही भरा..

सरला : (जटसे अलग होते) क्या जी नही भरा.. अरे बाबा तुम समजते नहीहो.. वो लोग आतेही होगे.. हम फीर कभी प्यार करलेगे.. अबतो मे उधरही आ रही हु.. फीर देखती हु तुम मुजे कीतना प्यार करते हो..

देवायत : (सरलाको पीछेसे पकडते) काकी सीर्फ अ‍ेक बार अभी खडे खडे होजायेगा..

तब सरला उनसे हसते हुअ‍े छुटनेकी कोसीस करने लगी ओर देवायतने उसे जबरदस्तीसे जुकाते उनके पीछे चीपकते उनकी चुतमे लंडको उतार दीया ओर सरलाकी दर्दके मारे चीख नीकल गइ.. वो देवायतसे कुछ कहेती उनसे पहेलेही देवायत उनकी दोनो हाथोसे कमर पकडते सरलाको पीछेसे धनाधन चोदने लगा ओर सरलाकी हालत पतली होने लगी.. तब सरला अ‍ेक बार फीरसे जड गइ..

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तबभी देवायतने सरलाको चोदना जारी रखा.. ओर सरला मुह बीगाडते देवायतसे चुदवाती रही.. ओर कुछही देरकी धकापैनी चुदाइके बाद देवायतने अ‍ेक बार फीरसे सरलाकी चुतको अपने पानीसे भरदीया.. ओर उनसे जटसे अलग होगया.. तब सरलाने देवायतके सीनेपे जुठे गुसेसे तीन चार मुके जड दीये.. ओर दोनो हसने लगे.. फीर दोनोही नहाकर बहार आगये.. अपने कपडे पहेनने लगे फीर देवायत बहार आगया..

तबतक सरलाभी अपने रुममे कपडे पहेनक लंगडाते हुअ‍े बहार आगइ.. तभी देवायत बहार खटीयापे बेठे सरलाकी ओर देखकर हस रहाथा तो सरला जुठे गुसेसे देखते उनकी ओर हसते हुअ‍े कीचने चली गइ.. तभी गेइट खुलनेकी आवाज आइतो सभी लोग हाथमे केरी बेग लेकर अंदर आने लगे.. तो देवायतको देखतेही भावना लता सरमाकर हसने लगी तो रमाभी बच्चीको लेकर हसते हुअ‍े भावनाके रुममे जाने लगी..

तब सरला देवायतके लीये पानी लेकर धीरे धीरे बहार नीकली.. ओर सबको देखके देवायतकी ओर देखने लगी.. जैसे उनको केह रहीहो हम दोनो बाल बाल बच गये.. तबतक भानुभी आकर देवायतको देखतेही उनके गले लग गया.. ओर दोनो खटीयापे बेठ गये तब सरलाने देवायतको पीनेका पानी दीया ओर वोभी वही देवायतके पास बेठ गइ.. तो देवायत पानी पीने लगा..

ओर बाकीके सब अपना सामान लेकर रुममे चले गये.. तभी लता सामन रखकर बहार नीकली ओर देवायतकी ओर सरमाते सहते हुअ‍े देखते देवायतके लीये चाइ बनाने कीचनमे चली गइ.. तो पीछे नीलमभी हसती हुइ चली गइ.. भावना ओर रमाभी अपने रुममे चली गइ तब अंदर जातेही भावना अपनी बच्चीको दुध पीलाने लगी.. ओर रमा सरमाती हुइ वही उनके पास बैठ गइ.. तब बहारकी ओर भानुभी बेठकर बाते करने लगा..

भानु : (हसते) क्यु भाइ.. लगता हे आपभी अभी अभी आये हो..?

सरला : (जटसे) हां भानु.. देवा बस.. अभी आकर बेठाही.. ओर मे उनके लीये पानी लेने गइ.. तब आपभी सब आगये.. क्या तुम पानी पीयोगे..?

भानु : नही माइ.. हम सबतो खाना खाकर ओर अभी अभी सबको ठंडाभी पीलाया.. आजतो पुरा दिन घुमाकर इन लोगोने मुजे थका दीया.. ओरते खरीदी करनेमे थकती ही नही हे.. भाइ क्या आप सीधे हमारे ससुरालसेही आ रहे हे..? अब कैसीहे अंकलकी तबीयत..? उनकी तबीयतमें कुछ सुधार हुआ..?

देवायत : हां भानु.. मे वहीसे आ रहा हु.. कल सायद उनको होस्पीटलसे छुटी मील जायेगी.. बस मेतो तुमसे मीलने आयाथा.. कुछ बात करनी थी.. तो सोचा तुमसे मीलकेही घर चला जाउ..

भानु : हां भाइ बोलो.. क्या बात करनी थी..? कुछ सीरीयस मेटर तो नही..?

देवायत : अरे नही नही.. क्या हेना हम सब कल आश्रम जा रहे हे.. सायद कल मे चंदासे सादी करलु.. तो क्या तुम लोग आना चाहोगे..? में चाहता हु आप लोगभी आश्रमपे आजाओ.. फीर वहासे मुजे सबको लेकर खरीदी करने सहेरभी जाना हे..

भानु : (हसते) भाइ हमने तो आज सब खरीदी अ‍ेक ही दिनमे पुरी करली.. हें..हें..हें..

सरला : (हसते) नही भानु तु देवाकी बातको समजा नही.. वो कल चंदाबेटी से सादी कर रहा हे.. तो वो चाहता हे तुभी रमाके साथ चला जा.. ओर तेरी भी रमासे मंदिरमे सादी होजाये.. बस देवु यही कहे रहाथा.. क्या देवु मे सच केह रही हुनां..?

देवायत : (हसते) हां भानु.. अगर अब मामाका सब कार्य संपन होगया हेतो तुभी साथ चल.. इसमे कहा हमे कीसीको दीखाना हे.. तो मामीभी तेरी बाकायदा बीवी होजायेगी.. वहा बाबा तुम दोनोकी भी सादी करवा देगे मे बाबासे बात करलुगा..

सरला : देवा.. तु फीकर मत कर मे कल सुबह भानुके साथ सबको भेज दुगी.. हम लोग सीधेही आश्रममे पहोच जायेगे तुम बाबासे बात करलेना.. फीर तुम लोग सहेर चले जाना ओर हम लोग वापस आजायेगे.. क्यु देवा यही ठीक रहेगानां..?

देवायत : हां काकी.. लेकीन आप हमारे साथ लता ओर नीलमको भेज देना.. इनकेलीये भी कुछ लेना होतो साथमे खरीदी होजायेगी.. मंजुने कहा हे वो इन दोनोको भी साथ लेजाना चाहती हे..

भानु : भाइ इन दोनोके लीयेभी आज बहुत सारे कपडे वगैरे लेलीये हे.. अब उनके लीये क्या लेना..?

देवायत : (हसते) साले.. ये बात तेरे पले नही पडेगी.. अब लता हमारी बहु हे.. तो उनके लीयेभी मंजु कुछना कुछतो लेगी.. ओर ये तेरे ओर मेरे विसयके बहारकी बाते हे.. तु फीकर मत करना सामको मे इन दोनोको धर छोडने आजाउगा..

सरला : (हसते) देवा क्यु खामखा तकलीफ लेनी.. अगर वहा रुकभी गइतो भी कोइ अ‍ेतराज नही.. अब ये तुम्हारे खानदानकी बहु हे.. अगर रातमे आनेमे देर होजायेतो फीकर मत करना दोनो वही सोजायेगी तुम दोनोको सुबह इधर छोड जाना.. हें..हें..हें..

लता : (सरमसे पानीपानी होते चाइ देते) लीजीये भैया चाइ..

रमा : (हसते) देवरजी.. खाना बाना खायाकी नही..? सीधे ससुरालसे ही आ रहेहोनां..? रुको मे अभी फटाफट खाना बना लेती हु.. आप खाना खाकरही जाना..

देवायत : (हसते चाइ पीते) जी भाभीजी.. खाना खाकरही उधरसे आया हु.. हें..हें..हें..

कहातो रमा सरमसे पानीपानी होगइ ओर सर घुमाके हसने लगी.. तबतक भावनाभी बहार आगइ ओर देवायतकी ओर अ‍ेक कातील स्माइल करते हसने लगी.. तबतक लता ओर नीलमभी भावुके पास जाकर खडी होगइ.. ओर सबकी बाते सुनने लगी.. तब सरलाभी हसने लगी ओर रमाको केह दीया..

सरला : रमा.. कल देवा आश्रम जा रहा हे.. उनकी वहा सादी हे तो कहेने आयाहे तुम ओर भानुभी अब सादी करलो.. तो कल सबकोभी आश्रम जाना हे..

रमा : (सरमाते भावुके पास जाते) दीदी वो सब आपही तैय करलो..

कहेते वो सरमसे पानीपानी होते भावनाके पीछे जाकर खडी होगइ.. तब लता उनकी कमरमे चीटकी काटते हसने लगी.. तो रमा लताकी पीठमे मुका मारते रुममे चली गइ.. तो सब हसने लगे..

भावना : (हसते) जीजु.. आप इन दोनोकी सादी कलही करवादो.. हम सब पहोंच जायेगे.. हें..हें..हें..

लता : (सरमाते जोरोसे हसते) नीलु.. तुमभी कल अपनी मम्मीकी सादीमे चलनां.. हें..हें..हें..

नीलम : (सर्मसार होते हसते लताको पीठमे मुका मारते) दीदी.. अ‍ेक मारुगीनां..

सभी हसने लगते हे.. तब भावना देवायतकी ओर देखते आंखोसे इसारेसे कुछ बात करती हे.. लेकीन देवायतको कुछ समजमे नही आया.. तब लता भावनाके इसारे देख लेती हे ओर वो देवायतकी ओर देखते सरमाते हसने लगती हे.. लता भावना ओर देवायतकी लव स्टीरीकी अ‍ेकलौती साक्षी थी.. वो भावनासे बाते करते देवायतके बारेमे बहुत कुछ जान चुकी थी..

फीरतो जबभी देवायतको देखती उनके दिलकी धडकन तेज होजाती.. वो धीरे धीरे देवायतकी ओर आकर्सीत होने लगी थी.. ओर उनको पताही नही थाकी वो देवायतकी ओर ढलने लगी हे.. लता अब देवायतसे बीना सरमाये बीन्दास्त बाते करती थी.. उनको देवायतसे बाते करना बहुतही अच्छा लगने लगाथा.. वो तो सब आने वाला वक्त तैय करेगा.. की आगे क्या क्या होता हे.. तभी..

देवायत : (खडा होते) भाइ.. अब मे चलता हु रातभी काफी होगइ हे.. चल तु कल सुबह आजाना.. हवेलीपे आयेगाकी सीधाही पहोंच जायेगा..?

भानु : (खडा होते) भाइ आज सब थके हे.. तो सुबह उठनेमे देर होजायेगी.. हम सब सीधेही आश्रम पहोंच जायेगे.. ओर अ‍ैसा हेतो नीकलनेसे पहेले में आपको फोन करदुगा.. आप बाबासे बात करलेना..

तब देवायत अ‍ेक बार भावनाकी ओर देखके बहार जाने लगा तो भावना देवायतसे नजर मीलतेही हसने लगी.. तब भानुभी उनके पीछे चलने लगा.. तभी सरलाभी उठकर अपने रुमकी ओर धीरे धीरे लंगडाते हुअ‍े जाने लगी वो थोडा लंगडाते चल रहीथी जीसे देखकर लता ओर भावना सबकुछ समज गइ.. की देवायत उनके आनेसे पहेले नही आयाथा.. वो पहेलेही आ चुका हे..

ओर दोनोही अ‍ेक दुसरेके सामने देखके रहस्यभरी कातील स्माइल करते हसती रही.. उनको पता चल गयाथा की सरलाकी अ‍ैसी हालत देवायतने ही करदी हे.. तब भावना सरमाते हसते हुअ‍े अपने रुममे चली गइ तब लता ये सब देखकर बहुत गरम होगइ.. ओर वो जटसे बहारके बाथरुममे घुस गइ.. उनकी सांसे तेज चलने लगी.. वो देवायतको इमेजींग करते जोरोसे चुतमे उंगली करने लगी.. ओर कुछही देरमे जडकर सांत होगइ.. आज पहेली बार लखनको छोडके देवायतके बारेमे सोचने लगी....

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