पुनम : भाभी.. मेने भी देखा हे सब.. क्या ये सब वाकइ तब हुआ होगा..? मेभी इस बातको जानकर हेरान थी.. क्या सचमे बापुका रीलेशन दादीसे यानीकी उनकी माके साथ.. मतलब.. वो.. बताने मे भी सरम आ रही हे.. अैसी क्या मजबुरी रही होगी दादीकी..?
मंजुला : (हसते) पुनो.. अब इतना सब कुछ जानलीया हेतो वोभी जान लेती.. पुनो.. हम ओरतोके लीये ये साली तनकी आग बहुत ही खतरनाक हे.. फीर चाहे दादी हो या हम सब.. हमारे दादा दादी बहुतही कम आश्रमपे जाते थे.. ओर जाते थे तोभी गांवके लोगोसे छुपकर जाते थे..
क्युकी तब हमारा रीस्ता गांवके लोगोके साथ नही था.. तब दादा दादी दोनो श्रापके नीवारणके लीये कइ जगाह इधर उधर भटकते थे.. इसी कारण दादी कोइ दुसरे तांत्रीकके चकरमे फसी थी.. बस.. उसीके कहेनेपे दादीने अपने बेटेके साथ यानीकी हमारे बापुके साथ रीलेशन रखलीया..
पुनम : (हसते सरमाते धीरेसे) भाभी.. लेकीन तांत्रीकने तो अेक ही बार दोनोका फीजीकल रीलेशन बनवाया था.. फीर तो वो दुसरी बार आया भी नही था.. तो फीर दादी बार बार बापुके साथ मतलब..
मंजुला : (हसते) पुनो.. मे तेरे कहेनेका सब मतलब समज गइ.. तब बापु भी पुरे जवान थे.. उनका भी पेनीस हमारे पतीकी तराह बहुत बडा ओर मोटा था.. फीर क्या.. दादी अेक बार बापुके साथ फीजीकल हुइ तो वो बापुके पेनीसकी दिवानी हो गइ.. ओर उनको दुसरी बार बापुके साथ फीजीकल होनेकी इच्छा होने लगी..
फीर तो बार बार तांत्रीक का हवाला देते जुठ बोलकर बापुके साथ फीजीकल होने लगी.. ओर अपने तनकी प्यास बुजाने लगी.. फीरतो उनको ये आदत होगइ थी.. दादी बहुत ही कामुक ओर चुदवानेकी सौकीन ओरत थी.. उनको दादासे संतोस नही होता था.. इसीलीये हमारे बापुको फसालीया..
पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. कीतना अजीब था तब.. लेकीन अबतो यहा भी अैसे कइ रीस्ते पनप रहे हे.. लखन भैयाके दोस्त मुनाभाइ ओर श्रीधर भाइको ही देखलो.. दोनोका उनकी मां के साथ रीलेशन हे.. ओर कीसी ओरको पता भी नही हे.. श्रीधर भैयाने तो उनकी मां ब्रीन्दा भाभीके साथ सादी भी करली हे.. लेकीन कीसीको आज तक उनके रीलेशनके बारेमे पता नही चला.. खुद लखन भाइको भी नही.. येतो हम दोनो सब जान लेती हे इसीलीये हम दोनोको सब पता हे.. भाभी.. आपने क्या शक्तिया दी हे मुजे.. हें..हें..हें..
मंजुला : (हसते) पुनोदी.. फीकर मत करो.. आने वाले समयमे मेरे अगले जन्मकी बात करुतो मेरे साथ भी यही होगा.. मुजेभी अपने बेटेसे यानी हमारे पोतेसे सादी करनी पडेगी.. हें..हें..हें..
पुनम : (हसते) हां भाभी.. तब आप मेरी बहु होगी.. तो मेभी सब देखुगी.. हें..हें..हें..
मंजुला : (सरमाते धीरेसे हसते) अब तुम भी हसलो.. पुनो.. ज्यादा खुसीया मत मनाओ.. मेरा तो सब अगले जन्ममे होगा.. लेकीन तुम ओर सृती खयाल रखना.. क्युकी तुम दोनोके साथ इसी जन्ममे बहुत कुछ होने वाला हे.. ओर अब वो वक्त भी दुर नही हे.. बस.. अेक बार मेरे विजयको बडा होने दो.. हें..हें..हें.. ओर वैसेभी विजयसे पहेलेका भी तो तुजे सब पता हे.. हें..हें..हें..
पुनम : (सर्मसार होते हसते धीरेसे) भाभी.. बस.. उसी बातका तो डर लग रहा हे.. क्या ये सब जायज होगा..? मुजे तो जानकर बहुत सरम आइ..
मंजुला : (सरारतसे मुस्कुराते) पुनो.. मत भुलो.. हम सब कौन हे.. हम यहा उसीके लीये तो सब आइ हे.. हमारा देवुतो फीर भी थोडा सर्मीला हे.. लेकीन लखन भैया बहुतही रंगीन मीजाजके हे.. वो कीसीकोभी अपनी चुगली बातोसे अपने वसमे कर सकते हे.. तो तुम अपना खयाल रखना.. क्युकी अब वो तुजे बहेनके बजाये अपनी भाभी मानने लगा हे.. तु समज गइनां.. हें..हें..हें..
पुनम : (सर्मसार होते मुस्कुराते) हां भाभी.. सब कुछ समज गइ.. मे अपना खयाल रखुगी.. वैसेतो आपको भी सब पता हे क्या होने वाला हे.. वो मेरी बहुत मस्ती करते हे.. क्या आपके साथ मस्तीया करते हे..? कल सृतीभाभीकी तो वाट लगादी.. हें..हें..हें..
मंजुला : (मुस्कुराते) हंम.. सृतीतो वैसेभी कमीनी हे.. कमीनी अपनी मांकी तराह बहुतही कामी ओर चुदकड हे.. ओर उपरसे मेरी तराह खुली सोच वाली.. जब तुम ओर लखन दोनो छोटेथे तबतो मेरी मस्ती नही करते थे.. लेकीन जबसे उनकी सादी करदी हे.. तबसे तो मेरी भी मस्ती करने लगे हे..
ओर वैसेभी देवर भाभीमे तो थोडी बहुत अैसी मस्तीया होती ही रहेती हे.. ओर होनी भी चाहीये.. तभी तो जींदगी जीनेका मजा आता हे.. फीरभी हम जहा तक उनको अपनी हदमे रख सके वहा तक हदमे रखेगे.. बाकीतो जो होना हे वोतो होगा ही.. आप समज गइनां..? हें..हें..हें..
पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) जी भाभी.. समज गइ.. हें..हें..हें.. आपभी अपना खयाल रखना.. हें..हें..हें..
मंजुला : (हसते खडी होकर अलमारीके पास जाते) पुनो.. सही कहा.. आगे देख लेगे.. मेने रातमे हमारे पतीको बहुत कुछ बता दीया हे.. ओर सभी तराहकी परमीशन लेली हे.. ओर इस बातके लीये उसे भी कोइ अेतराज नही हे.. तो अब हमे कीसीसे डरनेकी जरुरत नही हे.. तुजे तो सब पता ही होगा.. हें..हें..हें..
पुनम : (सरमाते हसते) भाभी.. मेने कल आप दोनोकी सारी बाते जानली.. भाइने क्या सचमे हमको सब छुट देदी हे..? उनको ये सब सुनकर बुरा नही लगा.. हें..हें..हें..
मंजुला : (हसते) हां पुनो.. इसमे बुरा लगनेकी क्या बात हे.. वोभी तो सबके साथ रीलेशन रखते हे.. ओर लताके बारेमे तो तुजे सब पता ही हे.. चल आज मे तुमको सब कुछ दिखा देती हु.. क्युकी आनेवाले दिनमे तुजेही इस अलमारीको सम्हालना हे.. बहुत कुछ हे जो सीर्फ हमे हमारे वो पोतेको ही देना हे..
ओर ध्यान रखना.. इस अलमारीको कभी कीसीको छुने भी मत देना.. खास करके मेरे इस विजयको.. वैसे भी वो बहुत अैयास आदमी होगा.. जब हमारा पोता आयेगा तब ये जडी बुटी उनको बचपनमे ही पीलानी हे.. आप समज गइनां..
पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. इतने छोटे बच्चेको..? क्या उनको कुछ होगातो नही..?
मंजुला : (मुस्कुराते) नही पुनो.. इसमे कोइ नुकसान नही होता.. जब वो जवानीके दहेलीजपे कदम रखेगा.. तब वो पुरी तराह कंपलीट होगा.. उसे कीस तराह जडी बुटी पीलानी हे.. ये सब इन डायरीमे मेने लीखा हे.. सब बाबाने लीखवाया हे.. तुम अेक बार ये डायरी पढ लेना.. इनमे मेने बहुत कुछ लीखा हे.. चलो..
कहातो पुनम मुस्कुराते मंजुके पीछे चली गइ.. तब मंजुने अलमारीके अेक सीक्रेट बक्सेसे बहुत सारी जडी बुटी नीकाली.. ओर उनमेसे थोडीसी लखनके लीये नीकालकर पुनमको देदी.. ओर बाकीकी वापस रखदी.. ओर बाकीकी जडीबुटी अपने पोतेको कैसे देनी हे उनकी जानकारीया देदी.. फीर मंजुने डायरीके साथ बहुत कुछ चीजे पुनमको दिखाइ जो सीर्फ अपने पोतेको ही देनी थी.. मंजुने पुनमको सब कुछ दिखाकर समजा दीया.. तभी..