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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १८०

कुछ देरके बाद मंजु भी नहाकर बहार नीकल गइ.. ओर आयनेके सामने बैठकर तैयार होने लगी.. वो अपने बालोको सवार रही थी.. अभी देवायतके रुममे मंजु अकेली ही थी.. तभी पुनम रुममे आकर दरवाजा धीरेसे बंध करदेती हे.. ओर मंजुके पास चली जाती हे.. क्युकी उसने लखनको वो जडीबुटी देनेकी बात कही थी.. जो इस वक्त मंजुके पास थी.. पुनम आतेही साइड मे रखा टेबल खीचकर मंजुके पास बैठ गइ.. ओर धीरेसे सरमाकर मंजुसे बात करने लगी....अब आगे

पुनम : (पास बैठकर धीरेसे) भाभी.. वो.. मेने कहाथानां वो थोडीसी जडी बुटी.. लखन भैयाको देनी हे..

मंजुला : (बालोको सवारते मुस्कुराते) हां पुनो.. अभी देती हु.. तुम लताको कहेना उसे दुधमे उबालकर ठंडा करके लखन भैयाको पीलादे.. आज उनको नास्ता मत करने देना.. ओर उनको कहेना आज पुरा दिन चाइको हाथ मत लगाये.. दो दिनमे ही उनका काम होजायेगा.. मतलब असर होते ही दुसरे दिन ठीक होजायेगा..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. इनको ओर कोइ तकलीफ तो नही होगी..?

मंजुला : (सामने देखते) अरे नही.. सीर्फ पहेले दिन उनको थोडा नीचे पेनीसमे दर्द होगा.. लेकीन लता को कहेना उनमे गभरानेकी कोइ बात नही हे.. कुछ सुजन जैसा लगेगा.. लेकीन दुसरे दिन सब ठीक होजायेगा..

पुनम : (सरमाकर मुस्कुराते) जी भाभी.. लता भाभी नही.. मेही भाइको दे दुगी.. भाभी.. इस बातकी अभी कीसीको कानो कान खबरभी नही होगी.. लता भाभीको भी नही.. मे ये जडीबुटी लखन भैयाको क्यु दे रही हु.. आपको तो सब पता हे.. अगर लताभाभीको पता चल गयाकी हम ये जडीबुटी नीलम ओर रमाभाभीके लीये दे रहे हे.. तो उनको दुख होगा.. आप समज गइनां..

मंजुला : (सरारतसे मुस्कुराते) हंम.. पुनो.. तो फीर क्या तुम खुद उनको दोगी..? लगता हे अब लखन सचमे तुजे भाभी मानने लगा हे.. हें..हें..हें.. ओर तुम भी अपने देवरका बहुत अच्छेसे खयाल रखने लगी हो.. हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) नही भाभी.. वो..वो.. जब हम दोनो अकेले होते हे तबही मुजे भाभी कहेते हे.. ओर आपतो जानती हो.. अब उनको ये जडीबुटी देना अनीवार्य हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) लेकीन पुनो अ‍ेक दिनतो तुजे लताको कहेना ही पडेगा.. की ये सब कीस वजहसे हुआ हे.. वरना लखनमे अचानक इतने बदलावसे वो भी डर जायेगी..

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) भाभी.. तब मे सब हेन्डल करलुगी.. अगर उनको बताना जरुरी लगा तो सब बता दुगी.. भाभी.. नीर्मला मम्मीके घरपे लखन भैया रमा भाभी ओर नीलमके बारेमे आप मुजसे कुछ बात करना चाहती थी.. तो बताइअ‍ेना क्या बात करनी थी..?

मंजुला : (पुनमकी ओर घुमते धीरेसे) पुनो.. तुमने जोभी डीसीजन लीया हे सही लीया हे.. उस दोनो कमीनीको छोडना नही.. हमारे ही घरपे उनकी बुरी नजर हे.. ओर उनकी बेटी.. कमीनी उनकी मांसे भी तेज दिमाग चलता हे उनका.. वो सीर्फ अपने अ‍ैसो आरामकी जींदगीके लीये तेरा ही घर उजाडनेमे तुली हे.. इसीलीये वो सीर्फ पैसोके लीये धिरनको प्यार करती हे.. अब ये पीछले दो दिनमे भी बहुत कुछ बदल चुकाहे.. वोभी तुजे सब पता होगा.. पुनो.. अब तुजे हर कीसीकी मुवमेन्टपे नजर रखनी हे..

पुनम : (सरमाकर धीरेसे मुस्कुराते) हां भाभी.. मुजे सब पता हे.. आगे क्या होने वालाहे.. इसीलीये तो मुजे लखन भैयाको उनके प्लानके बारेमे बताना पडा.. ताकी वो उनसे बदला ले सके.. मेने हमारे देवरजीसे सब बता दीया हेकी क्या करना हे.. इस बातको सीर्फ हम चारोही जानते हे.. उन दोनो मां बेटीको सब कुछ करना देना हे.. लेकीन हमारे प्लानके हीसाबसे.. उन दोनो कमीनीओको पताभी नही चलेगा..की उनकीही जालमे वो खुद फस जायेगी.. मे ओर लखनभैया सब सम्हाल लेगे.. आप फीकर मत करना..

मंजुला : (प्यारसे गाल सहेलाते) हंम.. मतलब मेरी बच्ची बहुत स्ट्रोंग होगइ हे.. चल कोइ बात नही.. अच्छा हे लताको इस बारेमे पता नही वरना बेचारी बहुतही दुखी होजाती.. तुमही लखनको ये जडीबुटी दे देना.. ओर हां.. अ‍ेक खास बात.. उनको कहेना अब कोइ गोली बोली ना खाये.. आज पुरा दिन उनको चाइ नही पीनी..

उनके पेनीसमेभी थोडा दर्द होगा.. ओर ये दो दीन वो लतासे दुर ही रहे.. तो दो दिनमे सब ठीक होजायेगा.. तब उनमेभी बहुत बडा बदलाव होगा.. हो सकता हे जडी बुटीकी वजहसे कुछ समय वो बेकाबु हो.. तब अपने आपको भी सम्हालना.. समज गइनां..? क्या ये सब तुम उनको खुलकर बता पाओगी..? क्युकी अ‍ैसी बाते सीर्फ अ‍ेक पत्नी ही बता सकती हे.. हम नही..

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) भाभी.. तो ओर कोइ चाराभी तो नही हे.. लता भाभीको तो हम बताना नही चाहते.. आने वाले वक्तके बारेमे आपतो सब जानती हे.. सायद मे अ‍ेक बहेन होकर ये सब नही बता पाती.. लेकीन अब उन्होने मुजे अपनी भाभी ओर मेने उनको अपना देवर स्वीकार करलीया हे.. तो मे ये सब आसानीसे बता पाउगी.. वैसेभी हम दोनो पहेले भी सभी तराहकी चर्चा खुलकर करते थे.. अबतो ओरभी आसान होगया हे.. अब अ‍ैसी चर्चा करनेमे ना उनको कोइ क्षोभ होगा ना मुजे..

मंजुला : (आस्चर्यसे हसते) दोनो खुलकर चर्चा करते थे..? मे कुछ समजी नही..

पुनम : (सरमाकर हसते) भाभी.. आप भोली मत बनीये.. मुजे पता हे आप हमारे बारेमे सबकुछ जानती हे.. लखन भैया मुजसे प्यार करते थे.. लेकीन तब मे बडे भाइको चाहती थी.. जब हम वहा पढते थे तब लखन भैयाका हमारी होस्टेलकी राधीका मेडमके साथ रीलेशन था.. जो अ‍ेक त्याक्ता हे.. कमीने दोनोही मुजे अपनी चोकीदारकी तराह बहार उनके दरवाजेपे खडी रखते थे..

जब दोनो अपने रुममे मीलते थे.. तब लखन भैयाके सामने मेरी भी सरम चली गइ.. ओर हम सब खुलकर चर्चा करते.. फीर भी जीस तराह भविस्यकी बात जान लेती हो.. तो थोडी बहुत भुतकालमे भी नजर डाल लेती.. अगर भुतकालमे नजर डाली होती तो आपको हमारे लखन भैयाके बारेमे ओर हमारे परीवारके बारेमे भी सबकुछ पता चल जाता..

मंजुला : (अ‍ेक नजरसे देखते धीरेसे) पुनो.. मुजे पता हे वो तुमको प्यार करता था.. मे तुम दोनोके बारेमे सब कुछ जानती हु.. लेकीन जोभी हुआ हे वो सब सही हुआ हे.. तेरा देवुके साथ रीलेशनमे आना जरुरी था.. वो बात भी तुजे धीरे धीरे पता चल जायेगी.. मेने तो इनसे आगे अतीत मेभी नजर डाली थी.. लेकीन मुजे कुछ अ‍ैसा देखनेको मीला.. तब मेने भुतकालको देखना छोड दिया.. क्युकी तब मे इतनी परीपकव नही थी.. मेने जो देखा तब वो मेरे लीये अ‍ेक्सेप्टेबल नही था.. ओर बापरे.. जो देखा वो मेरे लीये बहुतही सर्मसार था..
 

dilavar

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पुनम : भाभी.. मेने भी देखा हे सब.. क्या ये सब वाकइ तब हुआ होगा..? मेभी इस बातको जानकर हेरान थी.. क्या सचमे बापुका रीलेशन दादीसे यानीकी उनकी माके साथ.. मतलब.. वो.. बताने मे भी सरम आ रही हे.. अ‍ैसी क्या मजबुरी रही होगी दादीकी..?

मंजुला : (हसते) पुनो.. अब इतना सब कुछ जानलीया हेतो वोभी जान लेती.. पुनो.. हम ओरतोके लीये ये साली तनकी आग बहुत ही खतरनाक हे.. फीर चाहे दादी हो या हम सब.. हमारे दादा दादी बहुतही कम आश्रमपे जाते थे.. ओर जाते थे तोभी गांवके लोगोसे छुपकर जाते थे..

क्युकी तब हमारा रीस्ता गांवके लोगोके साथ नही था.. तब दादा दादी दोनो श्रापके नीवारणके लीये कइ जगाह इधर उधर भटकते थे.. इसी कारण दादी कोइ दुसरे तांत्रीकके चकरमे फसी थी.. बस.. उसीके कहेनेपे दादीने अपने बेटेके साथ यानीकी हमारे बापुके साथ रीलेशन रखलीया..

पुनम : (हसते सरमाते धीरेसे) भाभी.. लेकीन तांत्रीकने तो अ‍ेक ही बार दोनोका फीजीकल रीलेशन बनवाया था.. फीर तो वो दुसरी बार आया भी नही था.. तो फीर दादी बार बार बापुके साथ मतलब..

मंजुला : (हसते) पुनो.. मे तेरे कहेनेका सब मतलब समज गइ.. तब बापु भी पुरे जवान थे.. उनका भी पेनीस हमारे पतीकी तराह बहुत बडा ओर मोटा था.. फीर क्या.. दादी अ‍ेक बार बापुके साथ फीजीकल हुइ तो वो बापुके पेनीसकी दिवानी हो गइ.. ओर उनको दुसरी बार बापुके साथ फीजीकल होनेकी इच्छा होने लगी..

फीर तो बार बार तांत्रीक का हवाला देते जुठ बोलकर बापुके साथ फीजीकल होने लगी.. ओर अपने तनकी प्यास बुजाने लगी.. फीरतो उनको ये आदत होगइ थी.. दादी बहुत ही कामुक ओर चुदवानेकी सौकीन ओरत थी.. उनको दादासे संतोस नही होता था.. इसीलीये हमारे बापुको फसालीया..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. कीतना अजीब था तब.. लेकीन अबतो यहा भी अ‍ैसे कइ रीस्ते पनप रहे हे.. लखन भैयाके दोस्त मुनाभाइ ओर श्रीधर भाइको ही देखलो.. दोनोका उनकी मां के साथ रीलेशन हे.. ओर कीसी ओरको पता भी नही हे.. श्रीधर भैयाने तो उनकी मां ब्रीन्दा भाभीके साथ सादी भी करली हे.. लेकीन कीसीको आज तक उनके रीलेशनके बारेमे पता नही चला.. खुद लखन भाइको भी नही.. येतो हम दोनो सब जान लेती हे इसीलीये हम दोनोको सब पता हे.. भाभी.. आपने क्या शक्तिया दी हे मुजे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) पुनोदी.. फीकर मत करो.. आने वाले समयमे मेरे अगले जन्मकी बात करुतो मेरे साथ भी यही होगा.. मुजेभी अपने बेटेसे यानी हमारे पोतेसे सादी करनी पडेगी.. हें..हें..हें..

पुनम : (हसते) हां भाभी.. तब आप मेरी बहु होगी.. तो मेभी सब देखुगी.. हें..हें..हें..

मंजुला : (सरमाते धीरेसे हसते) अब तुम भी हसलो.. पुनो.. ज्यादा खुसीया मत मनाओ.. मेरा तो सब अगले जन्ममे होगा.. लेकीन तुम ओर सृती खयाल रखना.. क्युकी तुम दोनोके साथ इसी जन्ममे बहुत कुछ होने वाला हे.. ओर अब वो वक्त भी दुर नही हे.. बस.. अ‍ेक बार मेरे विजयको बडा होने दो.. हें..हें..हें.. ओर वैसेभी विजयसे पहेलेका भी तो तुजे सब पता हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार होते हसते धीरेसे) भाभी.. बस.. उसी बातका तो डर लग रहा हे.. क्या ये सब जायज होगा..? मुजे तो जानकर बहुत सरम आइ..

मंजुला : (सरारतसे मुस्कुराते) पुनो.. मत भुलो.. हम सब कौन हे.. हम यहा उसीके लीये तो सब आइ हे.. हमारा देवुतो फीर भी थोडा सर्मीला हे.. लेकीन लखन भैया बहुतही रंगीन मीजाजके हे.. वो कीसीकोभी अपनी चुगली बातोसे अपने वसमे कर सकते हे.. तो तुम अपना खयाल रखना.. क्युकी अब वो तुजे बहेनके बजाये अपनी भाभी मानने लगा हे.. तु समज गइनां.. हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार होते मुस्कुराते) हां भाभी.. सब कुछ समज गइ.. मे अपना खयाल रखुगी.. वैसेतो आपको भी सब पता हे क्या होने वाला हे.. वो मेरी बहुत मस्ती करते हे.. क्या आपके साथ मस्तीया करते हे..? कल सृतीभाभीकी तो वाट लगादी.. हें..हें..हें..

मंजुला : (मुस्कुराते) हंम.. सृतीतो वैसेभी कमीनी हे.. कमीनी अपनी मांकी तराह बहुतही कामी ओर चुदकड हे.. ओर उपरसे मेरी तराह खुली सोच वाली.. जब तुम ओर लखन दोनो छोटेथे तबतो मेरी मस्ती नही करते थे.. लेकीन जबसे उनकी सादी करदी हे.. तबसे तो मेरी भी मस्ती करने लगे हे..

ओर वैसेभी देवर भाभीमे तो थोडी बहुत अ‍ैसी मस्तीया होती ही रहेती हे.. ओर होनी भी चाहीये.. तभी तो जींदगी जीनेका मजा आता हे.. फीरभी हम जहा तक उनको अपनी हदमे रख सके वहा तक हदमे रखेगे.. बाकीतो जो होना हे वोतो होगा ही.. आप समज गइनां..? हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) जी भाभी.. समज गइ.. हें..हें..हें.. आपभी अपना खयाल रखना.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते खडी होकर अलमारीके पास जाते) पुनो.. सही कहा.. आगे देख लेगे.. मेने रातमे हमारे पतीको बहुत कुछ बता दीया हे.. ओर सभी तराहकी परमीशन लेली हे.. ओर इस बातके लीये उसे भी कोइ अ‍ेतराज नही हे.. तो अब हमे कीसीसे डरनेकी जरुरत नही हे.. तुजे तो सब पता ही होगा.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते) भाभी.. मेने कल आप दोनोकी सारी बाते जानली.. भाइने क्या सचमे हमको सब छुट देदी हे..? उनको ये सब सुनकर बुरा नही लगा.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) हां पुनो.. इसमे बुरा लगनेकी क्या बात हे.. वोभी तो सबके साथ रीलेशन रखते हे.. ओर लताके बारेमे तो तुजे सब पता ही हे.. चल आज मे तुमको सब कुछ दिखा देती हु.. क्युकी आनेवाले दिनमे तुजेही इस अलमारीको सम्हालना हे.. बहुत कुछ हे जो सीर्फ हमे हमारे वो पोतेको ही देना हे..

ओर ध्यान रखना.. इस अलमारीको कभी कीसीको छुने भी मत देना.. खास करके मेरे इस विजयको.. वैसे भी वो बहुत अ‍ैयास आदमी होगा.. जब हमारा पोता आयेगा तब ये जडी बुटी उनको बचपनमे ही पीलानी हे.. आप समज गइनां..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. इतने छोटे बच्चेको..? क्या उनको कुछ होगातो नही..?

मंजुला : (मुस्कुराते) नही पुनो.. इसमे कोइ नुकसान नही होता.. जब वो जवानीके दहेलीजपे कदम रखेगा.. तब वो पुरी तराह कंपलीट होगा.. उसे कीस तराह जडी बुटी पीलानी हे.. ये सब इन डायरीमे मेने लीखा हे.. सब बाबाने लीखवाया हे.. तुम अ‍ेक बार ये डायरी पढ लेना.. इनमे मेने बहुत कुछ लीखा हे.. चलो..

कहातो पुनम मुस्कुराते मंजुके पीछे चली गइ.. तब मंजुने अलमारीके अ‍ेक सीक्रेट बक्सेसे बहुत सारी जडी बुटी नीकाली.. ओर उनमेसे थोडीसी लखनके लीये नीकालकर पुनमको देदी.. ओर बाकीकी वापस रखदी.. ओर बाकीकी जडीबुटी अपने पोतेको कैसे देनी हे उनकी जानकारीया देदी.. फीर मंजुने डायरीके साथ बहुत कुछ चीजे पुनमको दिखाइ जो सीर्फ अपने पोतेको ही देनी थी.. मंजुने पुनमको सब कुछ दिखाकर समजा दीया.. तभी..
 

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पुनम : (सरमाते धीरेसे) भाभी.. अ‍ेक बात पुछु..? ये सब आप मुजेही क्यु दिखा रही हे.. तब सृतीभाभी ओर चंदाभाभी लताभाभी भी तो होगी.. क्या उनको ये सब जानकर बुरा नही लगेगा..

मंजुला : (अलमारी बंध करते अ‍ेक नजरसे देखते) पुनो.. तुम सब जानकर भी ये सवाल मुजसे क्यु पुछ रही हे..? क्या तुजे उनके बारेमे कुछ नही पता..? हंम..? वैसेभी इस मामलेमे मे कीसीका भरोसा नही कर सकती.. तुजे भी पता हे तब क्या होगा.. तब तुजेही तो सब सम्हालना हे.. तब हमारा देवु.. इतना सक्षम नही रहेगा.. ओर तुम.. सृती.. लता.. तब भी अ‍ैसेही जवान दीखोगी.. ओर तुमतो इस हवेलीकी महारानी होगी.. तब ना जाने यहा क्या क्या होगा.. वो तो तुजे भी सब पता हे.. तो क्यु गभरा रही हे..?

पुनम : (सर्मसार होते) हंम.. भाभी.. बस मे हमारे दोनो भाइके बारेमे सब कुछ जानती हु इसीलीये तो थोडी दिलमे गभराहट होती हे.. क्या मे ये सब करपाउगी..? बार बार मनमे अ‍ेक ही खयाल आता हे.. अगर ये सब जानकर हमारे पतीको बुरा लगातो..?

मंजुला : (मुस्कुराते) पुनो.. तुम देवुकी फीकर मत करो.. वो कीसीको कुछ नही कहेगे.. मेने रातमे ही इस बारेमे हमारे पतीसे सब खुलकर बाते करली हे.. उन्होने हम सभी ओरतोको सभी तराहकी परमीशन देदी हे.. लेकीन अभी इस बातका जीक्र आप कीसीसे मत करना.. पुनो तुम मेरी बहुतही स्ट्रोंग बच्ची हे.. इसीलीयेतो मे तुमपे भरोसा करती हु..

ओर वैसेभी तब तुजे सृती भावु लताको भी उन सबकी जरुरत महेसुस होगी.. जैसे आज मेरी मम्मी ओर भुमी आंटीको हो रही हे.. जैसेही मेरा पोता जवान होजायेगा तब हमारा देवु इतना सक्षम नही होगा.. तो तुजे.. सृती.. लता.. मेरी भावु.. सबको कौन सम्हालेगा..? बस तुमतो खुलकर अपनी लाइफको अ‍ेन्जोय करना हे.. तेरे दिन बहुतही सुहाने होगे.. तब तुही इस हवेलीकी महारानी होगी.. यहा सीर्फ तेराही राज चलता होगा.. हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार होकर मुस्कुराते धीरेसे) जी भाभी.. मे सब समज गइ.. मे सब हेन्डल करलुगी.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हग करते गालको चुमते) हंम.. गुड गर्ल.. हें..हें..हें.. मेरी स्ट्रोंग बच्ची.. हमारे लखनकी चहीती भाभी.. हें..हें..हें.. देखना जीतने दिन उनसे दुर रेह सको दुर रहेना.. फीरतो वोभी तुजे ओर सृतीको.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) भाभी.. यही सब जानकर तो मुजे बहुत सरम आ रही हे.. क्या मे रातमे आपकी भाइके साथ हुइ बाते सृती भाभीको बतादु..? ताकी वो कोइ ओर हंगामा ना करदे.. क्युकी आपको तो सब पता हे आगे क्या होने वाला हे.. तो इस बातके लीये वो पहेलेसे ही प्रीपेर रहे..

मंजुला : नही पुनो.. सृती तो क्या.. इस घरकी सभी ओरतोको बताना.. लेकीन सबकुछ मत बताना.. समय समयपे जीतना जरुरी हो उतनाही बताना.. क्युकी कुछ बाते सृतीको तब बतानी हे जब वो हमारे पतीसे नाराज होकर चली जायेगी.. तब हमे सृतीको सभी सचाइ बतानी पडेगी.. उनको अभी पता नही हेकी वोभी हमारी बहेन हे.. सृती अभी सब सचाइ बरदास्त नही कर पायेगी.. तु मेरी स्ट्रोग बेटी हे.. सृती नही..

पुनम : (धीरेसे) भाभी.. फीरभी कुछ बाते मे उसे बताना चाहती हु.. सीर्फ हमारे देवरके मामलेमे..

मंजुला : (हसते) हें..हें..हें.. बडी जल्दीके बतानेकी..? पुनो.. अभी तुम उनको हमारे देवरके मामलेमे बताओ या ना बताओ कुछ फर्क पडने वाला नही.. जो होना हे वोतो होकर ही रहेगा.. बस.. अब हमे अपनी लाइफको अ‍ेन्जोय करना हे.. फीर चाहे देवु हो लखन हो विजय हो या हमारा पोता.. मत भुलो हम सब कीसके अंस हे.. हमारा कामही यही हे.. की हमारे उस राजाके अंसोको खुस करना.. ओर उनके वंसको आगे बढाना.. हमारा जन्मही इसी उदेस्यसे हुआ हे.. तुम बीन्दास्त आगे बढो..

पुनम : (बुहतही सर्मसार होते मुस्कुराते धीरेसे) भाभी.. इसीलीये तो दिलमे गभराह होती हे.. आपको पता हे..? जब हम स्कुलमे पढते थे.. तब वो मुजे प्यार करने लगे थे.. लेकीन अपने दिलकी बात मुजे कभी नही बता पाये.. ओर मे बडे भाइको चाहती थी.. सायद इसीलीये वो राधीका मेडमको प्यार करने लगे थे.. ओर वो कमीनी भी हमारे लखन भैयाके पीछे पागल हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (मुस्कुराते गाल सहेलाते) पुनो.. मुजे सब कुछ पता हे.. ओर सुन.. जब तेरी सादी धिरेनसे हुइ.. तब वो लगभग टुट चुका था.. वो तुमसे सादी करना चाहता था.. लेकीन उनको क्या पता थाकी तुमने देवुसे सादी करली थी.. वो आजभी तुजे इतना ही चाहता हे.. जीतना पहेले चाहता था.. लेकीन तुजे ना पानेकी वजहसे अंदरसे बहुत दुखी भी हे.. वो आज भी सबसे ज्यादा प्यार तुजे ही करता हे.. लेकीन दिलपे पथ्थर रखके सबको हसाता रहेता हे.. ओर उपरसे खुस रहेनेका नाटक करता हे..

पुनम : (आंख गीली करते) भाभी.. इसीलीये तो मुजे बुरा लग रहा हे.. मुजे पता हे.. भाइ मुजे अब भी चाहते हे.. लेकीन मेरी भी मजबुरी हे.. मे इनको प्यार नही दे सकती.. दिलमे अ‍ेक डर लग रहा हे.. की कही हम बडे भैयाको धोखातो नही दे रहे.. इसीलीये मे सब मर्यादामे रहेकर उनसे बात करती हु..

मंजुला : (पुनमके आंसु पोछते) नही पुनो.. अब कोइ धोखा नही.. इसीलीये तो मेने हमारे पतीसे सब परमीशन लेली हे.. अब उनको भी पता हे लखन तुजे प्यार करता हे.. वो कहेते थे.. अगर उनको पहेले पता होता तो वो खुद तेरी सादी लखनसे करवा देते.. ओर वोभी तो लताके साथ रीलेशनमे आयेगे.. तो क्या वो अपने भाइको धोखा नही दे रहे..?

पुनो.. भुलजा सब रीस्ते नाते.. कबतक रीस्तोकी बेडीयोमे बंधी रहेगी..? तोडदे सब रीस्तोकी बेडीया.. हम सीर्फ अ‍ेक स्त्री हे.. ओर हमारे घरके सभी मर्द अ‍ेक पुरुष हे.. बस.. हमे सीर्फ इतना रीस्ता ही याद रखना हे.. अगर लखन भैयाका प्यार अ‍ेक्सेप्ट करलोगी तो क्या फर्क पडेगा..? मे तो कहेती हु अगर वो प्यारका इजहार करे.. तो तुम स्वीकार करलेना.. वो बहुत खुस होजायेगे..

पुनम : (आंख पोछते मुस्कुराते) हां भाभी.. सच कहा आपने.. हम सब आज भी रीस्तोमे उलजे हुअ‍े हे.. कास यहा भी उस हिमाचलके महेलकी तराह होता..

मंजुला : (मुस्कुराते) हंम.. अब सही लाइन पे आइ हे तु.. सुन.. पुनो.. हम सब भी वोही तो हे.. तो हम क्यु रीस्तोमे उलजे..? पुनो.. यहा भी वो सबकुछ होगा जो वहा होता था.. लेकीन इनकी सुरुआत हमसे ही करनी पडेगी.. तभी तो मेरी कोखसे हमारा पौता आयेगा.. तभी तो तेरी पोती मेरे पोतेकी रानी होगी.. जो उनको सभी शक्तिया उनके माध्यमसे मीलने वाली हे..

हमारी लता.. मेरी पोतेकी सबसे चहीती रानीको जन्म देगी.. क्या ये सब रीस्तोको मानेगे तो होगा..? नहीनां.. इसीलीये केह रही हु.. तुम सबको रीस्तोमे नही उलजना.. ओर वैसेभी हम सबका जीवन हमारे हाथमे हे ही नही.. वो तुजे भी पता हे.. तो फीर इन सब चीजोके लीये क्या सोचना..? जो होता हे होने देना हे.. अ‍ेक दिनतो ये सब होनाही हे..

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) जी भाभी.. मे सबकुछ समज गइ.. मे सृतीभाभीको मेरे हीसाबसे हेन्डल करलुगी..

मंजुला : (मुस्कुराते हग करते) हंम.. साबास मेरी स्ट्रोग बच्ची.. पुनो.. अभीतो मे हु.. अब जोभी परीस्थीती आयेगी हम दोनो हेन्डल करलेगी.. भुमी आंटीकी बात हम कीतने दिन छुपायेगे..? अ‍ेक दिनतो सृतीको सब पता चलही जायेगा.. बस.. कुछ दिन वो हम सबसे नाराज रहेगी.. तब हमारा लखन उनको सम्हाल लेगा.. जैसेही उनको अपनी गलतीका अहेसास होगा.. तब वो हमेसाके लीये तेरे पास आजायेगी..
 

dilavar

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आज पुनम ओर मंजुने सभी तराहकी चर्चा करली.. मंजुने आज पुनमको सब खुलकर बता दीया.. की आने वाले समयमे उनके साथ ओर बाकीकी सभी ओरतोके साथ क्या क्या होने वाला हे.. ये बात पुनम भी जान चुकी थी.. लेकीन मंजुसे इन सब बातोकी चर्चा करते अपने आपको तस्सली देना चाहती थी.. दोनो ही बाते कर रही थी तभी सृतीको भी अपनी क्लीनीकपे जानेकी जल्दी थी.. ओर वो मंजु ओर सृतीको ढुंढते आगइ..

सृती : (तभी अंदर आतेही जोरोसे) ओये.. दोनो इतनी देरसे आपसमे क्या लीपटकर खुस फुस कर रही हो..? बहार नही चलना..? सभी लोग कबसे तुम दोनोका वेइट कर रहे हे.. चलो चाइ नास्ता रेडी हे.. ओर अ‍ेक ये लखनभैया हे.. जो अभी भी घोडे बेचकर सो रहे हे.. येभी नही पता उनको मुजे छोडनेके लीये आना हे..

मंजुला : (हसते बहार जाते) लो आगइ कमीनी.. तो कुतीया जा लताको बोल उसे जगादे.. बस पुनोसे कुछ जरुरी काम था जो उनसे बात कर रही थी.. हें..हें..हें.. चल..

सृती : (हसते) उलुकी पठी.. सुबह सुबह गालीयातो मत दे.. वोतो मेने लताको उनको जगाने भेज दीया हे.. तुम दोनो चलो.. पुनोदी.. इनके पास ज्यादा नही रहेना.. वरना आपको भी सब गालीया सीखा देगी.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते) जी भाभी.. हें..हें..हें..

पुनम आज मंजुकी बात सुनकर बहुतही सर्मसार हो रही थी.. उसे आज सृतीपे ओर मंजुपे बहुत प्यार आ रहाथा.. ओर वोभी मुस्कुराते दोनोके पीछे बहार जाने लगी.. मंजुने पुनमको सभी बाते मर्यादामे रहेकर भी खुलकर बतादी थी.. फीरभी कुछ बाते वो पुनमके साथ खुलकर सेर नही करपाइ.. जो इस बातको पुनम भी जानती थी.. की वो ओर सृती दोनोही अपने प्यारे देवर लखनसे ज्यादा दिन बच नही पायेगी..

पुनोको अब सभीके बारेमे सब बाते मालुम होने लगी थी.. ओर धीरे धीरे हवेलीकी सब कमान अपने हाथोमे लेनेके लीये मंजुसे सब जानकारीया ले रही थी.. दोनोही अ‍ेक दुसरेके साथ इनकी चर्चा खुलकर करना चाहती थी.. लेकीन सृतीके आनेसे दोनोही बहार आगइ.. तब पुनम सीधेही कीचनमे चली गइ.. ओर अपने हाथोसे लखनके लीये जडी बुटी वाला दुध बनाने लगी..

तो बहार सबलोग चाइ नास्तेके लीये बैठ गये.. सबने पुनम लताकोभी बुलाया लेकीन मंजुने वो लखनके साथ करलेगे कहेकर बातको टाल दीया.. तब लताभी उपरकी मंजीलपे लखनको जगाने गइ थी.. जो इस वक्त लखनके नीचे लैटे उनकी जबरदस्त चुदाइ हो रही थी.. लखनने जागतेही लताको दबोच लीयाथा ओर उनकी चुदाइ कर रहाथा.. तब लताभी सर्मसार होते लखनको मना नही करपाइ.. ओर चुपचाप चुदवाती रही..

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उनको लखनकी ये आदतके बारेमे पहेलेसे ही पता था.. जब दोनो जड गये तो लखन बाथरुममे घुस गया ओर लता उनको प्यारसे गालीया देते अपने आपको सही करने लगी.. ओर फीर सरमाते नीचे आकर सीधी कीचनमे चली गइ.. तभी पुनम उनकी ओर नैन नचाते हसने लगी.. तो लता बहुतही सर्मसार होगइ.. ओर पुनमके गले लगते उनके कंधेपे सर रखदीया ओर मुस्कुराने लगी..

पुनम : (हसते धीरेसे) क्यु भाभी.. सुबह सुबह आपकी कुटाइ होगइ.. हें..हें..हें..

लता : (सर्मसार होते धीरेसे) हां दीदी.. आपके भाइको ये बहुतही बुरी आदत हे.. हम नहा धोकर रेडी होगइ हे.. ओर उनको जगाने जाओतो ये सब करना होता हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (हसते) तो अच्छा हेनां.. भाभी.. बस.. यहीतो जवानीका मजा हे.. हमे अ‍ैसेही खुसीया बटोरनी हे.. इसका मतलब वो तुमको प्यारभी तो बहुत करता हे.. हें..हें..हें..

लता : (सर्मसार होते) हां.. लेकीन यहा सब लोग इन्तजार कर रहे हे.. तो बहुतही सरम आती हे.. वैसे आप नास्ता करने क्यु नही गइ..?

पुनम : (धीरेसे जुठ बोलते) भाभी.. आज मेरी लखन भैयाके लीये कुछ मनत हे.. आज लखन भैयाको नास्ता नही करना.. ओर पुरे दिन चाइ भी नही पीना.. आज उनका अपवास हे.. सीर्फ ये दुध उनको पीलाना हे.. (जुठ बोलते) मेने उनके लीये अ‍ेक मनत मांगीथी.. जो कल पुरी होगइ हे.. तो इनको ये दुद पीलाना हे..

लता : (मुस्कुराते) ठीक हे दीदी.. आपही अपने हाथोसे पीला देना.. फीर हम दोनो चाइ नास्ता कर लेगे..

पुनमने बडीही सीफतासे लताको सम्हाल लीया.. तब कुछ ही देरके बाद लखन तैयार हो रहाथा.. तब पुनम ओर लता सबसे छुपाकर दुध लेकर उपर लखनके रुममे चली गइ.. तो अंदर जातेही लता लखनको पुनमकी मनतके बारेमे बताती हे.. तो लखन पुनमकी ओर आस्चर्यसे देखने लगा.. तभी पुनमने लतासे छुपकर लखनको आंख मारदी.. तो लखन सब समज गया.. ओर पुनमने लखनको दुध पीला दीया..

पुनम : लखनभैया.. आज आपको कुछ भी नही खाना.. तो अभी नास्ता नही करना हे.. पुरे दिन चाइभी नही पीना हे.. फीर आप सृती भाभीको ड्रोप करदो.. तब मुजे फोन करना.. मुजे वहा राधीका मेडमसे कुछ काम हे.. तो मेरी बात उनसे करवा देना..

लखनने दुध पीलीया तो तीनोही बहार नीकलने लगे.. तब पुनमने लतासे छुपकर लखनको फोन करनेका इसारा कर दीया.. तो लखन खुस होकर मुस्कुराने लगा.. वो सब कुछ समज गयाकी अभी पुनम दीदीने उसे जो पीलाया हे वो जो केह रहीथी वो जडीबुटी हे.. ओर तीनोही नीचे आगये तब सृती लखनको देखतेही उनपे भडक गइ.. ओर उनपे जुठा गुस्सा करने लगी.. तो सब लोग हसने लगे..

सृती : (पीठमे मुका मारते) कीतने कमीने हो आप.. देखो यही नव बज गये.. ओर जनाबको अभी सोना हे..

लखन : (जोरोसे हसते) अरे.. भाभी फीकर मत करो मे आपको अभी फटाफट पहोंचा दुगा.. हें..हें..हें..

मंजुला : (जोरोसे हसते) लेकीन कहा..? हें..हें..हें..

देवायत : (जोरोसे हसते) उपर.. हें..हें..हें..

कहातो सृती ओर भडक गइ.. ओर लखन देवायत दोनोको मारने लगी.. सब लोग ये तमासा देखकर जोरोसे हस रहे थे.. ओर लखन कारकी चाबी लेकर बहार जाने लगातो सृतीने उनको नास्तेके लीये पुछा.. तो लखनने आज उपवास होनेकी बात कही.. तो सबलोग बडेही आस्चर्यसे लखनकी ओर देखने लगे.. तभी देवायतने लखनको नीर्मला भुमीका सरला ओर चंदाकी हरद्वारकी टीकीट ओर अ‍ेक हप्तेके लीये रहेने घुमनेकी व्यव्सथा करनेको कहा..

लखन : (मुस्कुराते) भैया.. सब होजायेगा.. मे वहा कोइ बडीयासा पेकेज होगातो देखता हु.. वरना मे सब मेजेज करलुगा आप चारोका आइ. डी. प्रुफ देदो.. मे सामको सब इन्तजाम करके आता हु.. (सृतीकी ओर देखते) अब बीलीकी तराह खडी खडी आंखे फाडकर देख क्या रही हो..? क्लीनीक नही जाना क्या..? हें..हें..हें..

सृती : (मारनेके लीये पीछे दोडते) कीतने कमीने हे आप.. बात कर रहेथे तो देखती थी चलो.. सबका आइडी नही लेना क्या..? भुलडक कहीके..

तो लखन दोडकर वापस घरमे घुस गया ओर चारोका आ.डी. लेकर जोरोसे हसते कारमे बैठ गया.. तो सृती भी हसते हुअ‍े सबको बाय कहेते लखनकी बगलमे बैठ गइ.. ओर अंदर बैठतेही लखनको बाजुमे मुका मारने लगी.. ओर लखनने हसते हुअ‍े कारको सहेरकी ओर दोडादी.. सबलोग दोनोकी मस्ती मजाक देखते हसते रहे.. तब पुनमने मंजुकी ओर देखकर मुस्कुराते थम्सअप की साइ दीखाइ..

तो मंजुभी समज गइकी पुनमने लखनको जडी बुटी पीलादी हे.. ओर वो हसने लगी.. आज मंजुने इस खानदानसे जुडी सभी ओरतोको खुस करनेका इन्तजाम करलीया था.. इस हवेलीमे सभी ओरतोने अ‍ेक मर्यादा ओर रीस्तोका मुखोटा पहेना हुआ था.. मंजु ओर पुनम दोनोको पताथा की अब बहुतही जल्द सभी ओरतोके चहेरेपे मुखोटा हटने वाला हे.. ओर आज सबसे बडी वजह यही थी लखनको जडी बुटी पीलानेकी..
 

dilavar

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तो दुसरी ओर आज सामतभाइ ओर रमेश सुबहही सहेर नीकल गये.. जीला पंचायतकी ओफीसका काम नीपटाकर दोनोको अपने घरके रजीस्ट्रेशनके लीये जानाथा.. बंसी अभी घोडे बेचकर सो रहाथा तो जागृती भी उठकर नहानेके लीये बाथरुममे घुसी हुइ थी.. तब सांती अ‍ेक नइ नवेली बहुकी तराह तैयार होकर कीचनमे चली गइ.. तो वहा जया चाइको गेसके चुलेपे रखकर नास्चा बना रही थी..

जया : (धीरेसे मुस्कुराते) आगइ मेरी बहु.. हें..हें..हें.. क्या मेरा बेटा ज्यादा तंगतो नही करता.. हें..हें..हें..

सांती : (सर्मसार होते मुस्कुराते धीरेसे) क्या भाभी आपभीनां.. सुबह सुबह मेरी टांग खीच रही हे..

जया : (कामुक नजरोसे मुस्कुराते) नही.. अब तेरी टांग खीचनेका जीम्मा मेने मेरे बेटेको सोंप दीया हे.. अब वोही तेरी टांग खीचाइ करता रहेगा.. हें..हें..हें..

सांती : (सर्मसार होते अ‍ेक मुका मारते) भाभी.. आपको सरमभी नही आती.. अब मे आपकी बहु होने वाली हु.. कोइ सास अपनी बहुकी अ‍ैसी मस्तीया करती हे..?

जया : (मुस्कुराते) नही.. सांती.. तु अभी मेरी बहु नही हुइ.. अभी मेरी ननंद ही हो.. तो अ‍ेक भाभीतो अपनी ननंदकी मस्तीया करती हेनां..? ओर वैसेभी तुम अभी मुजे कहा अपनी सास मानती हो..?

सांती : (सामने देखते धीरेसे) भाभी.. प्लीज.. ताने मत मारीये.. मे क्या करु..? ओर मे आपकीभी तकलीफ भली भांती जानती हु.. मुजे आपके रीलेशनसे कोइ अ‍ेतराज नही बल्की येतो देखीये.. इसमे दो दो घर बरबाद हो रहे हे.. इसीलीये आपको मना कर रही थी..

जया : (आंख गीली करते) सांती.. बस.. अ‍ेक तुही मेरी तकलीफ को भली भांती जानती हे.. वरना देख.. आजकल जागुभी मुजसे नाराज रहेने लगी हे.. लगता हे उनकोभी हमारे बारेमे सब पता चल गया..(अचानक मुहमे हाथ रखते) उब.. उब.. उब..

कहेते जया जटसे अपने मुहपे हाथ रखकर अपने रुममे दोडकर चली गइ.. तो सांतीभी थोडा गभराते उनके पीछे चली गइ.. अंदर जाकर देखातो जया अपने रुमके बाथरुममे टोयलेटमे उलटीया कर रही थी.. तो सांती उनके पीछे जाकर उनकी पीठको सहेलाने लगी.. जब उल्टीया होगइ तब जयाने अपना मुह धोकर साफ करलीया.. ओर घुमकर सांतीको गले लगाकर आंसु बहाने लगी.. तब सांती उनको बहार लेकर आगइ ओर दोनो बेडपे बैठ गइ.. तभी..

जया : (जटसे) सांती.. जा पहेले देखले कही जागु जाग तो नही गइ..? फीर दरवाजा बंध करके वापस आजा मुजे तुमसे कुछ बात करनी हे..

सांती : (बहारकी ओर जाते) जी भाभी..

सांती फटाफट बहार नीकल गइ.. ओर जागृतीके रुमकी ओर जाने लगी.. तभी जागृती कंपलीट तैयार होकर रुमसे बहार नीकल ही रही थी.. की सांतीने जटसे अपने नाकपे उंगली रखकर उसे चुप रहेनेका इसारा कीया ओर इसारोसे जागृतीको जटसे रुममे वास जानेको कहेने लगी.. ओर वो दोडकर उनके रुमके पास पहोंच गइ.. तब जागृतीभी आस्चर्यसे डरते सांतीकी ओर देखते वापस रुममे चली गइ.. तब.. धीरेसे

सांती : (बहुत धीमेसे) जागु.. तुम अभी रुमसे बहार मत नीकलना.. मे जबतक तुजे ना बुलाउ.. तुम अंदरही रहेना.. मे भाभीसे बात कर रही हु.. फीर तुमको दोपहेरमे तेरे रुममे आकर अकेलेमे बताती हु.. जा अंदर..

तो जागृती भी बातकी गंभीरता समज गइ.. वैसेतो इस बारेमे वो सबकुछ जानती थी.. फीर भी वो अपने रुमका दरवाजा बंध करके वापस अपने बैडपे जाकर बैठ गइ.. तब सांती जटसे वापस जयाके रुममे चली गइ.. ओर दरवाजा बंध करके उनके पास जाकर बैठ गइ.. तब जया उनके कंधेपे सर रखकर फीरसे आंसु बहाने लगी.. तब सांती उनकी पीठ सहेलाते उनको सांत करती हे.. ओर जयाकी ओर सवालीया नजरोसे देखती हे..

सांती : (धीरेसे) भाभी.. क्या हुआ..? आपको ये अचानक उल्टीया.. मतलब जो मे समज रही हु.. कुछ.. हु..आ.. कही.. आप.. पे..ट..से..

जया : (नजरे जुकाकर धीरेसे) हां सांती.. जीसका डर था वोही हुआ.. अ‍ेक हप्ते पहेले मेरे टाइममे आनेका वक्त था.. तो इस बार वोभी मीस होगया हे.. तो सायद.. मे प्रेगनेन्ट होगइ हु..

सांती : (चोकते धीरेसे) क्या..? भा..भी.. कहेदो आप जुठ बोल रही हे..

जया : (नजरे चुराते धीरेसे) नही सांती.. मुजे कुछ दिनसे आसंकाये हो रही थी.. सायद उस दिन मे आइपील लेना भुल गइ थी.. जीस दिन चारुके साथ जगडा कीया.. उस दि तो मेरा दिमागही काम नही कर रहा था.. सायद इसी चकरमे मे आइ पील लेना भुल गइ थी.. सांती.. अब मे क्या करुगी..? मे मर जाउगी.. नही जीना मुजे.. ये दिुनीया मेरी तकलीफ कभी नही समजेगी..

सांती : (कंधेसे पकडकर) भाभी.. आप पागल होगइ हो क्या..? मत करो अ‍ैसे मरनेकी बाते.. हम सबका तो सोचो.. अभी आपके बेटेके साथ मेरी सादी हे.. सबलोग घरमे कीतना खुस हे.. क्या हम आपके मरेनेके बाद खुस रेह पायेगे..? बात करती हे.. इसीलीयेमे आपको मना कर रहीथी.. की मत करो अ‍ैसा..

जया : (आंसु बहाते) सांती तो फीर तुमही बताओ मे क्या करु..? अब इस हालतमे मे कीसको मुह दीखाउगी..? (पैरोमे पडते) मे तेरे पाव पडती हु.. तु अभी इस बारेमे कीसीको कुछ मत कहेना.. फीर मे कुछ करती हु..

सांती : (जयाको जटसे कंधेसे पकडकर उठाते) भाभी.. पागल मत बनो.. क्यु मेरे पैर पडती हो.. अब आप मेरी सास हो.. मुजे पाप लगेगा.. मत करो अ‍ैसा.. मे कीसीको कुछ नही कहुगी.. बस..?

जया : (गीडगीडाते धीरेसे) साती.. अभी पांच छे दिनमे तेरी सादी हे.. तुम तबतक इस बातको छुपाले.. फीर मे कुछ करती हु.. तबतक देखना घरमे कीसीको पता ना चले.. तुजे मेरी कसम.. मुजे तेरी सख्त जरुरत हे..

सांती : (धीरेसे कंधा पकडकर) भाभी.. आप कसम मत दो.. आप फीकर मत करो.. इस बातका कीसीको पता नही चलेगा.. आइ प्रोमीस.. बस.. आप मरनेकी बात कभी मत करना.. मेरी सादीके बाद आपको जोभी अच्छा लगे करना.. मे आपके साथ हु.. बस..?

जया : (खडी होकर हग करते) सांती.. थेन्क्स.. बस अ‍ेक तुही हे जो मेरी सभी तकलीफ समजती हे.. अब चल बहार वो जागु जाग गइ होगी.. अभी बहार आयेगी.. देखना उनको पता ना चले..

सांती : भाभी.. फीकर मत करो इस बातका कीसीको पता नही चलेगा.. चलो..

कहेतेही दोनो बहार आगइ.. ओर कीचनमे जाकर चुपचाप चाइ नास्ता बनाने लगी.. कुछही देर पहेले जया अपनी ननंद सांतीकी मस्तीया करते उनको छेड रही थी.. वोही जया.. अब मुरजाये हुअ‍े चहेरेके साथ चाइ नास्ता बना रही थी.. तब सांती जागृतीके रुममे चली गइ.. ओर उनको आवाज देकर जगानेका नाटक करने लगी.. तो कुछही देरके बाद जागृती भी बहार आगइ.. ओर सांतीकी ओर सवालीया नजरोसे देखकर जाडु पोछा लेकर सबके रुमकी सफाइ करने लगी....

कन्टीन्यु
 
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