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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १८४

तो दुसरी ओर मुनाके घरपे भी सामको सबलोग इकठे बैठकर खाना खा रहे थे.. तब बरखा भी नइ नवेली दुल्हनकी तराह सारी पहेनकर सरपे पलु डालकर सबको खाना परोस रही थी.. जीसे देखकर उनके बापु वीभुको भी कुछ अजीब लगा.. बरखाने बालोके अंदर अपनी मांग ओर ब्लाउसमे अपना मंगलसुत्र छुपाके रखा था.. ताकी उनके बापुकी नजरमे ना आये.. लेकीन तभी जुककर खाना परोसते बरखाका मंगलसुत्र बहार नीकल गया....अब आगे

विभु : (मंगलसुत्र देखतेही) बरखा.. ये तुमने क्या पहेनकर रखा हे.. अ‍ैसा तो सादीसुधा ओरत पहेनती हे.. ओर मे देख रहा हु आजकल तुमने ड्रेस पहेनना भी छोड दीया हे.. ओर सारा दीन सारी पहेनकर धुमती हे..

तब अ‍ेक बारतो बरखा मुना ओर बसंती तीनोकी गांड फटने लगी.. जीस बातको वो दोनो अपने बापु विभुसे ओर बसंती अपने पतीसे छुपाना चाहते थे.. वोही बात बरखाकी थोडी सी लापरवाही की वजहसे उजागर होगइ.. बरखा गभराते बसंती की ओर देखने लगी.. तो मुना भी बसंतीकी ओर मुह फाडते देखता रहा.. तब बसंतीने बडी ही सीफतता से बातको सम्हाल लीया.. ओर वीभुको डांटनेके अंदाजमे कहेने लगी..

बसंती : (थोडी सख्तीसे) क्या आप भी.. कोइ अपनी बेटीको अ‍ैसा पुछता हे..? ये सारी पहेननेको मेने ही इसे कहा हे.. ताकी इनको सारी पहेननेकी थोडी प्रेक्टीस होजाये.. अब ये सहेरमे पढी लीखी हे.. इनको सारी पहेनना भी नही आता.. कल अगर ये ससुराल जायेगी.. तो क्या वहा ये ड्रेस पहेनकर घुमेगी..?

ओर ये मंगलसुत्र नही हे.. जो सादी सुधा ओरत पहेनती हे.. समजे..? आजकल अ‍ैसेही पेन्डल बाजारमे मीलते हे.. जो मंगलसुत्र जैसे दीखते हे.. बरखाको उनके जन्मदीनपे उनकी सहेर वाली सहेलीने गीफ्ट दीया हे.. तो बेचारी पहेनकर घुमती हे..

वीभु : (मुस्कुराते) अरे बाबा तो मुजे थोडीना पता हे.. की आजकल फेसनमे क्या नीकला हे.. ये तो देखलीया तो पुछलीया.. हें..हें..हें.. इनमे तुम इतना चीलाती क्यु हो..? हें..हें..हें..

बसंती : चीलाउगी नही तो क्या करुगी.. आपने तो मेरी बरखाको डरा ही दीया.. अबतो गांवमे भी अ‍ैसा बहुत कुछ देखनेको मीलेगा.. तब आप क्या करोगे..?

वीभु : (मुस्कुराते) हां बसंती.. सबलोग अ‍ैसी बाते कर रहे हे.. रमेश बाबु भी अ‍ैसा केह रहे थे.. अब तो दुकानपे भी बैठकर मुजे बहुत कुछ दिखनेको मील रहा हे.. भगवान करे गांवमे बदलाव हो इनसे पहेले ही मे इस दुनीसे चला जाउ.. ताकी ये सब देखनेको तो नही मीलेगा.. बेटी.. तुजे जो पहेनना हो पहेर.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही..

बरखा : (राहतकी सांस लेते) बापु.. आजकल अ‍ैसी ही पेन्डलकी फेसन हे.. हमारे गांवकी ज्यादातर लडकीया अ‍ैसा ही पेन्डल पहेनती हे.. हें..हें..हें..

वीभु : (हसते) ठीक हे बेटा.. मुजे नही पताथा तो पुछ लीया.. पहेनो पहेनो..

तब वीभुको नही पता था की रीस्तोमे बदलाव की सुरुआत इनके घरसे ही हो गइ थी.. उनका बेटा मुना उनकी बेटीके साथ सादी कर चुका हे.. ओर उनकी बीवीको भी चोद चुका हे.. अबतो बसंती भी फीरसे मुनाके साथ जीस्मानी तालुकात बनाने मे बेकररार रहेने लगी हे ओर मुनासे चुदवानेके लीये सही मौकेकी तलासमे रहेने लगी हे.. जो मौका बसंतीको बहुत ही जल्द मीलने वाला था..

तो आज श्रीधरके घर भी श्रीघर को देखकर ब्रीन्दाकी आग भडकने लगी थी.. क्युकी वो भी अपने बेटे श्रीधरके साथ सादी कर चुकी थी ओर श्रीघरकी बीवी होनेके नाते उनके साथ कइ बार बीस्तर गरम कर चुकी थी.. जब श्रीधर ओर जयश्री दोनो फ्रेस होगये.. तब दोनो ही वापस ब्रीन्दाके रुममे चले गये.. तब श्रीधरको देखते ही ब्रीन्दाकी चुतमे हलचल बढने लगी.. ओर चुतके दोनो होंठ फडफडाने लगे..

ब्रीन्दाकी चुतसे पानीका रीसाव होने लगा.. तब श्रीधर ओर जयश्री दोनोही इस बातको जाननके लीये उत्साहीत थेकी आज घरपे क्या हुआ था.. तब ब्रीन्दाने सरमाते धीरेसे श्रीधरको रुमका दरवाजा बंध करके आनेको कहा.. तो श्रीधर ओर जयश्रीकोभी थोडा अजीब लगा.. ओर दोनो दरवाजा बंध करके ब्रीन्दाके पास उनके बेटपे चले गये.. ओर बैठ गये.. तो ब्रिीन्दा भी सही होकर श्रीधरके पास उनसे चीपककर बैठ गइ..तब..

श्रीधर : (धीरेसे) हां मोम.. अब बताइअ‍े.. मौसी कीस वजहसे हमसे नाराज हे.. आप केह रही थी की वो मेरी वजहसे नाराज हे.. लेकीन क्यु..?

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बेटा.. अब मे जोभी तुम दोनोको केहने जा रही हु.. तुम दोनो सुनकर परेसान मत होना.. क्युकी मुजे भी पताथा की अ‍ेकना अ‍ेक दिनतो यही सब होने ही वाला हे.. ओर तुम दोनो मुजे प्रोमीस करो.. की इस बारेमे आप कीसीको कुछ नही कहेगे.. ओर नाही कीसीको कोइ सवाल पुछेगे..

जयश्री : (धीरेसे हाथ थामते) मम्मी.. आइ प्रोमीस.. हम कीसीको कुछ भी नही कहेगे.. हमे बताइअ‍े आज अ‍ैसा क्या होगया.. जो आप हमसे प्रोमीस ले रही हे..

श्रीधर : हां मोम.. हम कीसीको कुछ भी नही कहेगे.. ना ही कुछ सवाल पुछेगे.. बताइअ‍े..

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बेटा.. अब हम दोनो फेमीली अलग हो रहे हे.. तुम दोनोकी सादीके बाद दीदी ओर बडे भैया सहेरमे रहेने जा रहे हे.. अब हमारे घरका बटवारा हो रहा हे.. क्युकी बडे भैया ये घरको अब हमारे नाम करवा रहे हे.. ओर खुद दीदीको लेकर सहेर जा रहे हे.. तो अब हम तीनो यही रहेगे..

श्रीधर : (सामने देखते) मोम.. मे कुछ समजा नही.. हम तीनो यही रहेगे मतलब..? तो फीर पापा..

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बीटु.. वो सायद अब बडे भैया ओर दीदीके साथ रहेगे.. क्युकी अब हम दोनो हमेसा हमेसाके लीये जुदा हो रहे हे.. तेरे पापा मुजे डीवोर्स दे रहे हे..

जयश्री : (चोंकते) व्होट..? क्या चाचु आपको डीवोर्स दे रहे हे..? लेकीन क्यु..?

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बीटु.. इनमे इतना परेसान होनेकी जरुरत नही हे.. क्युकी तुम दोनोको भी पता हे हमारे बीच कैसा रीस्ता था.. बस.. हम सीर्फ नामके ही पती पत्नी थे.. तो तुम दोनोको फीकर करनेकी कोइ जरुरत नही हे.. बस.. मुजे मेरे बेटे ओर मेरी बेटीका सहारा हे तो मेरी जींदगी अ‍ैसेही हसी खुसी बीत जायेगी..

श्रीधर : (सामने देखते) मोम.. पापाके अ‍ैसे अचानक आपको डीवोर्स देनेकी वजह..?

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बीटु.. तेरे पापा ओर बडी दीदी.. दोनो ही तुम दोनोके रीलेशन ओर तुम दोनोकी सादीकी वजहसे खुस नही हे.. ओर इन सबकी वजह मुजे मानते हे.. वो कहेते हे की तुम दोनोके रीलेशनमे आनेका ओर सादीके पीछे मेरा हाथ हे..

जयश्री : (हग करते आंसु बहाते) मम्मी.. आइ अ‍ेम सोरी.. हमारी वजहसे आपका घर टुट गया.. हमे माफ करदो.. चाचु अ‍ैसा कैसे कर सकते हे..? मे चाचुसे बात करुगी.. की मेरा भाइके साथ रीलेशनमे आनेका फैसला मेरा था.. इनमे मौसीका कोइ दोस नही हे.. क्युकी मे भाइसे सुरुसे ही प्यार करती थी..

ब्रीन्दा : (प्यारसे मुस्कुराते आंसु पोछते) नही बीटु.. तुम दोनो अपने आपको दोस मत दो.. उनसे बात करनेकी अब कोइ जरुरत नही हे.. उनको जो इल्जाम लगाना हे लगाने दो.. अगर तुम दोनोने सादी नही की होती तो मुजे अ‍ैसे प्यार करनेवाली बेटी थोडीना मीलती..? अगर मेरी बेटी भी मुजे इतना प्यार करती हे.. तो फीर मे मेरे पतीके साथ रहेने बजाये मेरी इस बेटी ओर मेरे बेटेके साथ रहेना पसंद करुगी.. हें..हें..हें..
 
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dilavar

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जयश्री : (जोरोसे हग करते मुस्कुराते) मोम.. आइ लव यु.. आपने हमारे बारेमे जो भी नीर्णय लीया.. इनमे हम दोनो बहुत खुस हे.. मुजे भाइ जैसा पती.. ओर अ‍ेक मांसेभी बढकर मुजे ढेर सारा प्यार करने वाली मां मील गइ हे.. हमे ओर कुछ नही चाहीये..

ब्रीन्दा : (प्यारसे गाल सहेलाते) बीटु.. इस बटवारेकी बातपे बडे भैया भी नाराज थे.. तो उसने तेरे चाचुका सभी हीस्सा हमारे नाम कर दीया हे.. इस घरमे भी.. ओर हमारे बीजनेसमे भी.. अब मेरा बेटा भी बीजनेसपे बैठेगा..

जयश्री : (सामने देखते) मोम.. पापा बहुत अच्छे हे.. लेकीन मम्मी उनको तो कुछ मानती ही नही.. आप तो जानती हे.. मामाके घरपे भी उनको कोइ ज्यादा तवजो नही देते.. वहा जैसा मान सन्मान आपको मीलता हे.. उतना मम्मीको नही मीलता.. पता नही उनकी वजह क्या हे.. ओर पापाकी लाइफ भी आपही की तराह हे.. लेकीन बेचारे क्या करे..? घरके सबसे बुजुर्ग आदमी हे.. तो कीसीको अपनी तकलीफ के बारेमे केह भी तो नही सकते..

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बेटा.. जानती हु मे.. छोड सब पुरानी बाते.. चलो ठीक हे.. अब जोभी कुछ हुआ अच्छा ही हुआ.. अब चलो.. डीनर करलो.. फीर आराम करना.. ओर सुनो.. अगर डीनर करते वक्त कुछ बाते होजाये.. तो तुम दोनो कुछ भी नही बोलोगे.. समजे..?

श्रीधर : (ब्रीन्दाकी ओर कातील स्माइल करते) येस मोम..

कहेते श्रीधर जयश्रीकी नजर बचाते ब्रीन्दाको आंख मार देता हे.. ओर मुस्कुराने लगता हे.. तो ब्रीन्दाभी श्रीधरकी हरकत देखकर सरमा गइ.. ओर मुहको दुसरी ओर करते मुस्कुराने लगी.. फीर तीनोही खानेके टेबलपे आगये.. तब वहा जवेरीलाल वृन्दा ओर जीतुलाल पहेलेसे ही तीनोका इन्तजार करते बैठे थे.. ब्रीन्दा ओर जयश्रीने सबका खाना टेबलपे रखदीया.. ओर दोनो बैठकर सबको परोसने लगी.. तभी..

जवेरीलाल : ब्रीन्दा बेटा.. मेने घरके ओर हमारे बीजनेसके सभी पेपर वकीलको कंपलीट करने दे दीये हे.. अब जोभी करना हे.. इस दोनोकी सादीके बाद करना हे.. मेने आज ब्रोकरको केह दीया हे.. की दो बेड वाला अ‍ेक मकान चाहीये.. तो अ‍ेक दो दीनमे वोभी देखकर ले लेगे.. ओर दुसरी बात.. अब जीतु हमारे साथ ही रहेगा.. बस.. अब तुमसे सीर्फ अ‍ेक ही रीक्वेस्ट हे..

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बडेभैया.. आप मुजे बेटी कहेते हे.. तो आपको मुजे रीक्वेस्ट करनेकी कोइ जरुरत नही हे.. मे भी आपको पीता समान मानती हु.. आपको जोभी कहेना हे हक से कहीये..

जवेरीलाल : (मुस्कुराते) थेन्क्स बेटी.. बस.. वही कहेनाथा.. की इस घरको तुम कभी मत बेचना.. क्युकी ये हमारे पुर्खोकी नीशानी हे.. नाजाने यहा कीतनी पीढीने अपनी जींदगी गुजारी हे.. हमारा बचपन यही गुजारा हे.. मेरा श्रीधर ओर जयश्री भी इस घरकी वारीस हे.. इसीलीयेतो मेने ये मकान तुम दोनोके नाम करदीया हे..

श्रीधर : (मुस्कुराते) बडेपापा.. आप फीकर मत करना.. आइ प्रोमीस.. हम जींदगीभर इस वीरासतको सम्हालकर रखेगे.. ओर हमारी अगली पीढीको देगे..

जवेरीलाल : (मुस्कुराते) साबास बेटा.. मुजे पता हे तुम मेरे होनहार बेटे हो.. अब हम तीन चार दिनमे ही तुम दोनोकी सादी करवा देगे.. बस.. मेरी जयश्रीका खयाल रखना..

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बडेभैया.. मे जयश्रीको अपनी बहु नही मानती.. इसे भी अपनी बेटी ही मानती हु.. तो आप जयश्रीकी फीकर कभी मत करना.. मेरे लीये जयश्री पहेले हे.. ओर श्रीधर बादमे..

जवेरीलाल : (आंख गीली करते मुस्कुराते) साबास बेटी.. मुजे तुमसे यही उमीद थी.. बस.. मे यही सुनना चाहता था.. ये कभी मत भुलना.. हमारे घरका बटवारा हुआ हे.. हमारे रीस्तोका नही.. अगर मेरा यहा आनेका मन हुआ तो मे यहा आता जाता रहुगा..

श्रीधर : (मुस्कुराते) बडेपापा.. भलेही आपने ये घर हमारे नाम करदीया.. लेकीन ये घरपे हमेसा आपका हक था.. हे.. ओर हमेसा रहेगा.. आप यहा कभी भी आ जा सकते हो.. ओर जीतना दिल करे रेह सकते हो..

जीतुलाल : (नजरे चुराते) भैया.. मेने भी मेरे ओर ब्रीन्दाके पेपर तैयार करवालीये हे.. (श्रीधरकी ओर देखते) बेटा.. सोरी.. अब मे ओर तेरी मम्मी अलग हो रहे हे.. मे भाइके साथ रहेने जा रहा हु..

जवेरीलाल : (सामने देखते) जीतु.. क्या अभी ये सब बच्चोके सामने कहेना जरुरी हे..? इसपे हम कोइ डीसकस नही करेगे..

वृन्दा : (थोडी परेसान होते) क्यु जी..? अब बच्चे भी तो बडे होगये हे.. तो वोभी अपना डीसीजन खुद लेने लगे हे.. अब हमसे पुछना भी जरुरी नही समजते.. तो उनको भी सब पता होना चाहीये.. इसमे जीतुने क्या गलत कहा..? (जयश्री श्रीधरको) देखो बेटा.. अब तेरे पापा ओर तेरी मम्मी अलग हो रहे हे.. तो अब तेरे पापा मेरे साथ रहेगे.. वैसे भी वो मेरे बेटे जैसा हे.. जयश्री तो अब इधर रहेगी.. तो मे अब जीतुको ही अपना बेटा मानती हु.. ओर उसे अब हमेसाके लीये मेरे साथ रखुगी..

ब्रीन्दा : (रहस्य भरी मुस्कानसे सामने देखते) स्योर दीदी.. सोखसे रखीये.. अब आप इनको कही पे लेजाइअ‍े.. इस आदमीके साथ अब मेरा कोइ लेना देना नही हे..

श्रीधर : (मुस्कुराते) मौसी.. लेकीन मे ओर जयश्री तो अब मम्मीके साथ इधर ही रहेगे..

कहेते श्रीधर ब्रीन्दाकी ओर देखते कातील स्माइल करने लगा.. तो ब्रीन्दाने आंखोके इसारेसे श्रीधरको हसनेके लीये मना करदीया.. ओर खुद वृन्दा ओर जीतुलालकी ओर कातीलाना स्माइल करने लगी.. तो जीतुलाल ओर वृन्दा ब्रीन्दाको अ‍ैसे हसते देखकर तीलमीलाने लगे.. ओर मनमे गुस्सा करने लगे.. फीर सबलोग चुपचाप खाना खाने लगे.. जब खाना खालीया तो श्रीधर अपने दोस्तोके पास लटार मारने चला गया.. ओर ब्रीन्दा ओर जयश्री भी सब काम नीपटाने लगी..

तो चोराहेपे सभी दोस्त अ‍ेकठे हो गये.. ओर चर्चा करने लगे.. तब बंसीने सबको दो दिनके बाद उनकी सादी होनेकी बात कही.. तो सबलोग सुनकर खुस होगये.. ओर बंसीको बधाइ देने लगे.. तो बंसीने लखनको कल सुबह सहेरमे सादीकी खरीदी करने उनकी जीप लेजानेकी बात करली.. ओर जागृतीके कहेनेपे श्रीधरको कल जयश्रीको भी अपने साथ खरीदी करने साथ लेजानेकी बात कही.. तो श्रीधर सुनकर खुस होगया.. लेकीन चहेरेपे जाहीर नही होने दीया..

क्युकी वोभी अपनी मम्मी ब्रीन्दाको कइ दिनोसे नही मीलाथा.. तो कल जयश्री जागृतीके साथ जाने वाली थी.. तो श्रीधरको भी कल ब्रीन्दाके साथ मीलन करनेका मौका मील रहा था.. तब श्रीधरने भी आज उनके मम्मी पापाके डीवोर्सके बारेमे घरपे हुइ बात बतादी.. तो लखनने साहीलको कल सुबह उनकी बडी अम्माके साथ सहेर उनके चाचाके पास पैसा लेकर साथ चलनेके लीये रेडी रहेने को कहा....

तो सुनकर साहील भी खुस होगया.. ओर उसने तभी फोन लगाकर उनके चाचा चाचीसे कल अम्माके साथ वही सहेरमे आनेकी बात करली.. ओर काफी देर बाते करते सभी दोस्तो अपने अपने घर चले गये.. अब दिन भर दिन ना इस गांवमे बल्की आजु बाजुके भी सभी गांवमे काम वासना बढने लगी थी.. तो इस रात भी कभी ना थमने वाला चुदाइका तुफान भवंडर बनकर कइ चुतोकी धजीया उडा रहा था..
 
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dilavar

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जीतने भी मर्द थे सभी अपनी मासुकाकी बहुत ही कामुक तरीकेसे चुदाइ कर रहे थे.. तब सीर्फ हमारे लखन भैया.. अपना लंड पकडकर दर्दके मारे करवटे बदल रहे थे.. आज उनको पुनमने जो जडीबुटी पीलाइ थी.. उनका असर सुरु हो गया था.. लखनका लंड तनके सुज गया था.. ओर आगेसे लाल टमाटर जैसे होकर फुल गया था.. वो अपने लंडपे आ रहे बदलावको महेसुस कर रहा था.. तो दर्द होते हुअ‍े भी खुस हो रहा था..

लता : (सरमाते धीरेसे) लखन.. आज क्या हुआ हे आपको..? हंम..? आज नही करना क्या..?

लखन : (दर्दसे मुह बीगाडते) नही लता.. दीदीने मेरे लीये कुछ कामना कीथी.. तो दो दिन मुजे सयम रखना हे.. ओर वैसे भी नीचे बहुत दर्द हो रहा हे.. देख कैसे तनकर फुल गया हे.. पुरा लंड लाल हो चुका हे.. जब नहाने गया तबतो कुछ भी नही था.. ओर अचानक दर्द हो रहा हे..

लता : (थोडी परेसानीमे) जानु.. जरा देखनेदो मुजे.. क्या हुआ हे.. अ‍ैसा तो कभी नही हुआ..

तब लता जटसे बेडपे बैठ गइ.. ओर लखनका लोअर खीचकर नीकाल दीया.. तो लता लखनका लंड देखकर चोंकते डर गइ.. लखनके लंडपे बहुत सुजन आगइ थी.. ओर सुजके बडा ओर लंबा हो गया था.. तो आगे लंडका टोपे भी लाल टमाटर होकर लोलीपोप जैसा हो गया था.. तो लता देखकर बहुत गभरा गइ.. तो लखन भी बैडपे बैठकर अपने लंडको देखने लगा.. तो अ‍ेक बारतो वोभी गभरा गया..

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क्युकी लंड पहेलेसे काफी बडा ओर मोडा हो गया था.. पुरे लंडपे सुजन आगइ थी.. तभी उसे पुनमसे हुइ बाते याद आगइ.. ओर लखन सबकुछ समज गया की ये सब सुबह पुनमने दी हुइ जडी बुटीकी वजहसे हुआ हे.. लखन दर्द होनेके बावजुद भी मनही मन बहुत खुस होने लगा.. क्युकी अ‍ेक तो उनके सभी दोस्तोको मुनाने जडी बुटीका कोर्ष करवाया था.. ओर उपरसे उनको पुनमने ये जडी बुटी पीलाइ.. लेकीन इस बातको लतासे भी छुपाना था.. ओर अ‍ेक लता थी जो अभी बहुत ही गभराइ हुइ थी.. तभी..

लता : (सरमाते धीरेसे) लखन.. इनमेतो बहुत सुजन आगइ हे.. क्या अभी डोक्टरको दीखाने जाये..? अ‍ैसा कैसे हो गया..? आप कही गये थे..? मतलब.. कीसी अ‍ैसी वैसी ओरके साथ.. सेक्स..

लखन : (जटसे जुठ बोलते) अरे नही नही.. पागल हो क्या..? मे दुसरी ओरतके पास क्यु जाउगा..? तुम नही हो क्या..? मुजे लगता हे.. बहुत ज्यादा चुदाइकी वजहसे हुआ हे.. सुबह तक ठीक होजायेगा.. अगर नही हुआ तो हम कल सुधीरभाइको दीखा देगे.. तु चीन्ता मत कर..

लता : (सरमाते मुस्कुराते धीरेसे) इसीलीये केह रही थी.. की कम चुदाइ करो.. बस.. आपको तो सारा दीन यही करना हे.. हम अकेले मीले नही की आप मेरी चुदाइ करने लगते हो.. अब देखना.. मे सीर्फ रातको ही आपको चोदने दुगी.. आजसे आपकी दिनमे चुदाइ बंध.. हें..हें..हें..

लखन : (जटसे) अरे नही नही.. अ‍ैसा थोडीना चलता हे.. मे तो अ‍ैसे ही मजाकमे केह रहा था.. मुजे लगता हे पेन्टमे कुछ कीडा वीडा घुस गया होगा.. ओर उसने काट लीया होगा.. तभी अ‍ैसा हुआ होगा.. कभी चुदाइसे अ‍ैसा होता हे..?

लता : (हसते) जोभी हो.. अब दिनमे चुदाइ बंध.. मतलब बंध.. मुजे ओर कुछ नही सुनना.. हें..हें..हें..

लखन : (लताको गीराते माथे चडते) तुम बहुत बीगड गइ हो.. अभी मेरी मजबुरीका फायदा उठा रही हो.. वरना अभी तुजे चोदकर बता देता.. बस अ‍ेक बार ये ठीक होजानेदे.. फीर तुजे बताता हु..

लता : (जोरोसे हसते छुटनेकी कोसीस करते) अरे नही नही.. मेती मजाक कर रही थी.. हें..हें..हें..

कहेते दोनोही मस्तीया करने लगे.. अब लखन इस मामलेमे बहुतही तर्जुबेकार हो गया था.. उनको पता चल गया की इस वक्त लताको चुदवानेकी बहुत ही इच्छा हो रही हे.. तब लखनने लताको नंगी करदीया.. ओर उनकी चुतपे मुह लगाते लताको बहुतही गरम करदीया.. फीर उनके दोनो बुब्स ओर होठोको चुमते लखन लताकी चुतमे उंगली डालकर हीलाता हे.. ओर लताको जडाकर उसे संतुस्त करदेता हे..

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लता : (सर्मसार होते मुस्कुराते) आखीर आपने अपने मनकी करली.. अब सोजाइअ‍े.. बहुत रात हो चुकी हे..

लखन : (बाहोमे भरते) लता.. क्या मजा आगयानां..? अ‍ेक बार ओर करदु..? हंम..?

लता : (समरमते नांमे गरदन हीलाते) नही.. कल ठीक होजायेगा.. तब मुजे चोद लीजीयेगा.. बस.. अब सोजाये..

तब कुछ ही देरमे लखन ओर लता दोनोही अ‍ेक दुसरेको बाहोमे सो गये.. तब नीचेके रुममे देवायत सृतीकी दो बार घमाकेदार चुदाइ करके अभी बडे ही कामुक तरीकेसे चंदाकी दुसरी बार चुदाइ कर रहा था.. तब चंदा चीखते चीलाते अपनी कमरको उछातले देवायतसे चुदवा रही थी.. ओर काम वासना मे अंधी होकर देवायतको चुदाइके नसेमे उनको प्रेगनेन्ट करनेकी मनते कर रही थी.. तब मंजु भी चंदाके बुब्सको चुम रही थी.. तो सृती चुतमे दर्दकी वजहसे घोडे बेचकर साइडमे सो रही थी..

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तो नीचे पुनमके रुममे भी आज पुनम लखनने उनके साथ कीया फ्लर्टके बारेमे सोचके उतेजीत होगइ थी.. ओर भावनाके साथ लेस्बीयन खेलते अ‍ेक दुसरेको संतुस्ट करके सो गइ थी.. तो यही हाल आज नीर्मला ओर भुमीकाके बीच था.. वोभी अ‍ेक दुसरेको संतुस्ट करते अ‍ेक दुसरीकी बाहोमे सो रही थी.. तो सुधीरके घर आज चारु ओर नीशा भी अ‍ेक दुसरेको संतुस्ट कर चुकी थी.. तो इधर रश्मी ओर वंदना भी अभी भी लेस्बीयन खेलते अ‍ेक दुसरेकी चुतको चाट रही थी..

तब गांवमे भी यही हाल मुनाके घरपे भी था.. मुना ओर बरखा दोनो ही चुदाइ कर रहे थे.. तब उनकी मां बसंती बाथरुममे मुनाको याद करते अपनी चुतमे उंगली कर रही थी.. तो बंसी सांतीको जबरदस्त तरीकेसे चोद रहा था तब जागुती बहारकी खीडकीसे इन दोनोकी चुदाइ देखते अपनी चुतमे उंगली कर रही थी.. जैसे ही उनकी चुतसे फवारा नीकल गया तब जागृती सरमाकर अपनी चुतको साफ करलेती हे.. ओर वापस अपने रुमकी ओर जाने लगती हे..

तभी उसे अचानक अपनी मम्मी जयाका खयाल आया.. ओर वो चुपकेसे उनके रुमकी ओर चली गइ.. ओर खीडकीसे जांकने लगी.. तो उसे बीस्तरपे सीर्फ उनके पापा सामतभाइ ही सोते दीखाइ दीये.. तो जागृती सब कुछ समज गइ.. ओर जटसे उपर छतपे चली गइ.. ओर वहा जाकर देखा तो छतपे जयाका खाली बीस्तर पडा था.. तब जागृती समज गइकी उनकी मम्मी आज भी रमेशके घरपे चुदवाने चली गइ हे.. ओर जागृती अपने रुममे आकर सो गइ..

अब उसने आज दोपहोरको सांतीके साथ बाते करते अपनी मम्मीको लेकर सभी उमीदे छोडदी थी.. ओर सांतीने भी जागृतीको अपनी सौतन बननेके लीये मना लीया था.. इस बातपे जागृती भी बहुत खुस थी.. इनको तो बस अब अ‍ेक ही बातका इन्तजार था.. वो था अपने भाइ बंसीके साथ पहेला मीलन करनेका.. उनको भी पताथा की अब बंसीने उनसे प्यारका इजहार करलीया हे तो भाइ मोका मीलते ही कभी भी उसे चोद लेगा.. जागृती बंसीके बारेमे सोचते कब नींदकी आगोसमे चली गइ.. उसे पताही नही चला..
 
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dilavar

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तो दुसरी ओर ब्रीन्दाभी कही दिनोसे श्रीधरको नही मीली थी.. तो अब वोभी श्रीधरको मीलनेके लीये बैचेन होने लगी थी.. ओर बीस्तरपे अपनी चुतको सहेलाते करवटे बदल रही थी.. तब उस वक्त घरकी छतपे उनका पती जीतुलाल उनकी भाभी वृन्दाकी जबरदस्त चुदाइ कर रहाथा.. तो आज भानुके घरपे कुछ अजीब हुआ.. आज रमाने भानुको तबीयत खराब होनेका बहाना बनाकर चोदनेके लीये मना करदीया था..

क्युकी अब उनके जहेनमे सीर्फ हमारे लखन भैया ही छाये हुअ‍े थे.. तो रमा भी जल्दसे जल्द लखनके साथ मीलन करनेके लीये बेकरार हो रही थी.. उनकी सभी बाते उनकी बेटी नीलमने मानली थी.. तो नीलम भी अपनी सादीको लेकर लखन ओर धिरेनके बीच अंसमजमे फसी हुइ थी.. उनको अ‍ेक बातका पका यकीन हो चुकाथा की अब वो सादी कीसीके भी साथ करे.. लेकीन उनके नसीबमे अब दो लंडसे चुदवाना पका हो गया था.. क्युकी वो धिरेनको सच्चा प्यार करती थी.. तो नीलम धिरेनको भी छोडना नही चाहती थी..

तो साहीलके घरपे भी साहील अपनी बडी अम्मा सलमाके उपर लेटा हुआ था.. ओर उसे धीरे धीरे कमर हीलाते चोद रहाथा.. ओर उनसे बाते भी कर रहाथा.. साहीलने आज अपनी बडी अम्मा सलमाको चोदते हुअ‍े कल सहेर चाचाके घर जानेकी बात करली.. तो सुनकर सलमा बहुतही खुस होगइ.. जब दोनोही जड गये तब अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे नंगेही सो गये.. ओर अ‍ैसेही रात गुजर गइ..

सुबह सुरज नीकला तब सभी लोग जाग चुके थे.. तो कुछ लोग अभी भी रातभर जागनेकी वजहसे सो रहेथे.. लता भी नींदमे उठकर बाथरुममे चली गइ.. तब लखन गहेरी नींद सो रहाथा.. जब नहाकर बहार नीकली तब लखनको सोते हुअ‍े देखकर उनको रातमे लखनके लंडपे सुजन होनेकी बात याद आगइ.. ओर वो जटसे लखनके पास आगइ.. ओर जुकते लखनके लंडकी ओर देखने लगी..

तो देखतेही लता थोडी गभराने लगी.. क्युकी लखनके लंडपे काफी सुजन ठीक हो गइ थी.. लेकीन फीर भी लखनका लंड पहेलेसे बहुतही बडा ओर मोटा दीख रहाथा.. जो लता उनको देखतेही गभरा रही थी.. ओर उसने धीरेसे लखनको हीलाते जगा दीया.. तो लखनने लताको खीचकर अपने उपर गीरा दीया ओर उसे अपनी बाहोमे भरकर चुमने लगा.. तब भी लताका ध्यान बार बार लखनके लंडकी ओर जा रहाथा.. तभी..

लता : (सरमाते धीरेसे) लखन.. प्लीज छोडीये मुजे मे नहा चुकी हु.. पहेले ये बताइअ‍े अब आपका दर्द कैसा हे..? क्या अबभी नीचे दर्द हो रहा हे..? देखीये अब भी वहा सुजन हे..

लखन : (अचानक लंडकी ओर देखते) अरे.. लता.. दर्दतो नही.. लेकीन ये इतना बडा लंबा ओर मोटा क्यु दिख रहा हे..? तुमने हीलाया था क्या..?

लता : (जटसे) अरे नही नही.. मेनेतो इसे छुआ भी नही.. इसीलीये तो आपको दर्दके बारेमे पुछ रही हु..

लखन : (जानकरभी अनजान होते मुस्कुराते) लता.. जोभी हो.. अगर ये अ‍ैसेही रहेतो कीतना अच्छा हे.. मजा आजायेगा.. हें..हें..हें..

लता : (गभराते जटसे खडी होते) क्या मजा आजायेगा..? ना बाबा ना.. अगर अ‍ैसाही रहेगातो मे आपसे नही चुदवाउगी.. येतो मेरी फाडके रख देगा.. मुजे नही चुदवाना आपसे.. आप कोइ ओर ढुंढ लेना..

लखन : (जोरोसे हसते) क्या..? क्या कोइ ओर ढुंढलेना.. मुजेतो मेरी लता ही चाहीये.. हें..हें..हें..

लता : (सरमाते हसते) नही लखन.. आप अ‍ेक बार कीसी डोक्टरको दीखादो.. तबही मुजे हाथ लगाना.. येतो बहुत बडा हे.. मे कोइ रीस्क नही लुगी.. इनसे बहुत डर लग रहा हे.. मुजे अ‍ेक बार सृतीभाभीसे इस बारेमे बात करनी पडेगी..

लखन : (सरमाते धीरेसे) अरे पागल होगइ हो क्या..? इस बारेमे भाभीको कुछ मत कहेना..

लता : (तैयार होते) अरे क्या कुछ मत कहेना..? वो इन्ही कतो डोक्टर हे.. चलो नही पुछुगी.. जो भी हो आप फटाफट नहालो सृतीभाभीको छोडने भी जाना हे.. हम इस बारेमे बादमे बात करेगे..

कहेते लता अपने बालोको सवारने लगी.. तो लखन उठकर बाथरुममे चला गया.. तो लता फटाफट तैयार होकर जटसे नीचेकी ओर चली गइ.. ओर थोडा परेसान होते सृती ओर पुनमको ढुंढने लगी.. सृती चंदा मंजु अब भी देवायतके साथ रुममे थी.. तो लता पुनमके रुममे चली गइ.. तब पुनम भी अपने बालोको बना रही थी तब भावना बाथरुममे नहा रही थी.. तो लता जटसे पुनमके पास जाकर थोडी परेसान होते बैठ गइ..

पुनम : (मुस्कुराते सामने देखते) क्यु भाभी.. आज कुछ ज्यादाही परेसान दीख रही हो..? कुछ हुआ हे क्या..?

लता : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. अब आपको सब कैसे कहु..? मुजे तो बताने भी बहुतही सरम आ रही हे.. ओर आपसे बात कीये बगैर रेह भी तो नही सकती.. बस.. अ‍ेक आप ही मेरी ननंदके साथ जेठानी ओर सहेली भी हो.. तो आपको ही सब कहेना पडेगा.. वो.. वो..

पुनम : (कुछ अंदाजा हो गयाथा.. फीरभी मजा लेते) हां हां.. भाभी.. जो भी बोलना हे बीन्दास्त बोलदे.. हम दोनोके बीच कैसा पर्दा..? अगर तु नही बतायेगी तो मुजे पता कैसे चलेगाकी तुजे क्या तकलीफ हे.. ओर सुन.. ये जेठानी वाली बात अभी सीर्फ हम दोनोके बीच ही रखना.. हें..हें..हें..

लता : (मुस्कुराते थोडी हीमत करते) अरे दीदी ये भी कोइ कहेनेकी बात हे..? फीकर मत करो ये राज सीर्फ मेरे तक सीमीत रहेगा.. दीदी.. वो.. वो.. आपके भाइको.. कल नीचे दर्द हो रहाथा.. मेने देखा तो वहा बहुत सुजन आगइ थी.. ओर अभी सुबह जब मे नहाकर नीकली देखा तो सुजनतो नही लग रही.. लेकीन उनका पहेले था.. उनसे बहुत लंबा ओर मोटा होगया हे.. उनको कुछ हुआ तो नही..? मुजे तो देखकर बहुत ही डर लग रहा हे..

पुनम : (आजु बाजु देखकर लताकी ओर घुमते धीरेसे खुस होते) भाभी.. क्या सचमे बडा ओर लंबा होगया हे..? कीतना बडा ओर लंबा होगया हे..? मुजे बता सकती हो..?

लता : (सर्मसार होते मुस्कुराते धीरेसे हाथसे दीखाते) दीदी.. कमसे कमा इतना लंबा दीख रहा हे.. ओर मोटा भी काफी होगया हे.. अगर मेरे अंदर गया तो मेरी तो फाडकर रख देगा.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते धीरेसे) भाभी.. तो फीर अच्छा हेना..? हें..हें..हें.. अब तेरे तो मजे ही मजे हे.. हें.. हें..हें.. लेकीन भाभी.. मे मजाक कर रही हु.. तुम फीकर मत करना इनमे कुछ नही होता तु खामखा डर रही हे.. बस.. उनको कहेना पहेली बार करे तो थोडा प्यारसे डाले.. हंम..?

लता : (सर्मसार होते मुस्कुराते) दीदी.. मुजे तो बहुत डर लग रहा हे.. क्या हेना.. मैने इतना बडा ओर लंबा कभी देखा नही हेना इसीलीये.. दीदी क्या आपने कभी.. इतना बडा.. आइ मीन..

पुनम : (हसते सरमाते) हां भाभी.. इनमे सरमानेकी क्या बात हे..? अब तो हम दोनो अ‍ेक दुसरेकी राजदार ओर सहेलीया भी हे.. भाभी.. ये तो बहुत ही खुसीकी बात हे.. की लखन भैयाका भी बडा होगया हे.. भाभी.. आपसे अ‍ेक बात कहु..? हमारे बडेभाइका भी अ‍ैसा ही हे.. आप तो जानती हे.. मे इनकी बीवी हु..

लता : (सरमाकर हसते) हां दीदी.. तभी तो आपको पुछ लीया..
 
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पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) भाभी.. आप फीकर मत करो.. आपको कुछ नही होगा.. अबतो आप मजे करो.. लखन भैया भी तो हमारे खानदानका खुन हे.. थोडा देरसे ही सही.. इनमे डरने वाली कोइ बात नही.. ओर हां.. अभी इस बारेमे कीसीसे बात करनेकी जरुरत नही.. मे इस बारेमे सृती भाभीसे बात करलुगी.. क्युकी वो इन्हीकी डोक्टर हे.. अगर आपको कोइ तकलीफ लगे तो मुजे फोन करदेना..

लता : (राहतकी सांस लेते मुस्कुराते) ठीक हे दीदी.. इसीलीये तो आपके पास आइ हु.. आप अ‍ेक बार सृती भाभीसे बात करलेना..बाबा मुजे तो बहुत डर लग रहा हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) भाभी.. इसमे डरनेकी कोइ बात नही हे.. आप भी तो बडे भैयासे प्यार करती हो.. उनसे अपनी सादीसे पहेले ही मीलन करना चाहती थी.. अगर पहेले इनका लीया होता तो..? अच्छा भाभी.. क्या बडे भैयासे आपकी इस बारेमे कुछ बात हुइ की नही..? आपने उसे प्यारका इजहार तो करदीया हे..

लता : (बहुतही सर्मसार होते) दीदी.. वो.. वो.. नही.. कुछ खास बात नही हुइ.. सीर्फ नीलुके बारेमे थोडी बहुत बाते हुइ.. मुजे बहुत डर लग रहा हे.. दीदी.. आपको ओर मंजुभाभीको सब पता हे.. तो प्लीज.. कीसीसे कहीयेगा नही.. मैने सीर्फ अपने दिलकी बात उनको बताइ हे.. लेकीन कहेते हे मे तुजे अपनी बहेन मानता हु..

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) वो भी अजीब हे.. सगी बहेनके साथ तो सादी करली हे.. तो फीर तुजे प्यार करनेके क्या प्रोबलेम..? भाभी.. आप फीकर मत करो.. अगर हम कीसीसे प्यार करते हेना..? तो अ‍ेक बार हमे अपने दिलकी बात उनसे दिल खोलकर करलेनी चाहीये.. मुजे यकीन हे वो आपका प्यार कबुल करलेगे.. ओर आप फीकर मत करना आपकी बात कीसीको पता नही चलेगी.. बस.. कुछ दिन इन्तजार कीजीये.. फीर तो आप भाइको सबके सामने मील सकोगी..

लता : (सरमाते हसते) दीदी.. आपको तो सबकुछ पता चल जाता हे.. तो क्या आप मुजे मेरे बारेमे सब कुछ बता सकती हे..?

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. बताउगी.. सबकुछ बता दुगी.. लेकीन अभी नही.. जब वक्त आयेगा तब मे आपको सीर्फ आपके बारेमे ही नही.. ओरोके बारेमे भी सबकुछ खुलकर बता दुगी.. क्युकी आने वाले दिन हम दोनोके लीये बहुत ही सुहाने दिन होगे.. बस.. आप कुछ रीस्ते देखकर वीचलीत मत होजाना.. क्युकी मुजे आपका भी साथ चाहीये..

लता : (सरमाते हसते) जी दीदी.. मे सबकुछ समज गइ.. आप फीकर मत करना.. मे आपके साथ हु.. अब तो मेभी अ‍ैसे रीस्ते देखने की आदी होगइ हु.. ओर सच कहु.. तो मुजे भी अब अ‍ैसे कोइ रीस्तोसे अ‍ेतराज भी नही हे.. क्युकी मुजे भी सक हे.. की लखनके मेरे अलावा कइ ओर रीस्ते भी हे..

पुनम : (मुस्कुराते) हां भाभी.. लेकीन अभी कुछ भी नही.. इस बारेमे हम दोनो फुरसतमे बात करेगे.. मे आपको सबकुछ बता दुगी.. अगर लखन भैयाका ओरोके साथ रीस्ता हे तो क्या आपको सुनकर बुरा लगेगा..?

लता : (मुस्कुराते) अरे नही नही.. दीदी.. मे खुद बडे भैयाको प्यार करती हु.. तो बुरा क्या लगना.. वैसे भी हमारे खानदानमे कीसी भी मर्दको अ‍ेक ओरतसे कहा संतोष होता हे..? हें..हें..हें.. ठीक हे दीदी.. अब आप जब बताना चाहो मुजे कहेना.. मे इस दिनका इन्तजार करुगी.. बस अ‍ेक आप ही मेरी सहेली ओर राजदार हो.. तो आपसे सब खुलकर पुछ सकती हु.. हें..हें..हें.. चलो मे चलती हु.. अभी नहाकर आगये होगे..

कहेते लता वापस कीचनमे चली गइ.. तब पुनम उनको जाते हुअ‍े देखती रही.. फीर तैयार होने लगी.. लताकी बाते सुनकर पुनमको भी लखनके पेनीसमे आये बदलावको देखनेकी दलचस्पी होने लगी.. वैसे भी दोनो भाइ बहेन सभी तराहकी चर्चा खुलकर करने लगे थे.. ओर जबसे देवर भाभी वाला रीलेशन होगया तब तो दोनो सभी तराहके रीलेशनकी चर्चा करते बहुत आगे बढ चुके थे.. इस बातसे अभी लता भी अन्जान थी..

तो आज भी लतासे लखनके पेनीसके बारेमे बाते करते पुनमने अ‍ेक बार फीर अपनी चुतको गीली करलीया.. तब पुनम बहुतही सरमा गइ.. ओर तैयार होने लगी.. तो दुसरे कमरेमे आज सृती ओर चंदाके बजाइ देवायतको जगाते मंजु हाथ लग गइ.. जो इस वक्त देवायत उनके उपर लैटे इनकी जबरजस्त चुदाइ कर रहा था.. तो मंजु भी सुबह सुबह अपनी कमर उछाल उछालके देवातको चुदवानेमे पुरा साथ दे रही थी.. तब सृती ओर चंदा बहुतही सरमाते दोनोकी चुदाइ देख रही थी.. तभी..

मंजुला : (दोनोकी ओर हसते) देखो कमीनीओ.. पतीका इस तराह खयाल रखा जाता हे.. सुबह सुबह तुम दोनो कैसे हमारे पतीसे भागती हो.. जैसे वो कोइ भुत हो.. हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते हसते) कमीनी तु ही चुदवा इनसे.. अब तु पकी चुदकड होगइ हे.. तुही इनको जेल पाती हे.. इनको जेलना हम अकेलीका काम नही.. क्यु सृती..? हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते हसते) हां दीदी.. जब इन दोनोकी सादी नही हुइ थी तब भी दोनो अ‍ैसेही चुदाइ करते रहेते थे.. ओर अब तो ये इनकी बीवी हे.. तो कमीनीको पुरी छुट मील गइ हे.. देखो कैसे उछल उछलके चुदवा रही हे.. हें..हें..हें.. दीदी.. चलो बहार.. वरना इनके साथ हमारी भी वापस कुटाइ हो जायेगी.. हें..हें..हें..

कहेते दोनोही अ‍ेक दुसरेका हाथ पकडकर मंजुकी ओर देखते जोरोसे हसती हुइ बहार चली गइ.. ओर दरवाजा बंध कर लीया.. तब कुछ ही देरमे मंजु ओर देवायत साथमे जड गये.. तो दोनो ही हसते हुअ‍े अ‍ेक साथ बाथरुममे घुस गये..तो वहाभी मंजुने अ‍ेक बार देवायतके साथ खडे खडे चुदवालीया.. ओर दोनो नहाके बहार आगये.. ओर तैयार होने लगे.. मंजु अपनी जींदगीका पुरा मजा बटोर रही थी.. दोनोही रुममे अकेले थे तभी....

कन्टीन्यु
 
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Bahut hi mazedar update
 
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Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 
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