जयश्री : (जोरोसे हग करते मुस्कुराते) मोम.. आइ लव यु.. आपने हमारे बारेमे जो भी नीर्णय लीया.. इनमे हम दोनो बहुत खुस हे.. मुजे भाइ जैसा पती.. ओर अेक मांसेभी बढकर मुजे ढेर सारा प्यार करने वाली मां मील गइ हे.. हमे ओर कुछ नही चाहीये..
ब्रीन्दा : (प्यारसे गाल सहेलाते) बीटु.. इस बटवारेकी बातपे बडे भैया भी नाराज थे.. तो उसने तेरे चाचुका सभी हीस्सा हमारे नाम कर दीया हे.. इस घरमे भी.. ओर हमारे बीजनेसमे भी.. अब मेरा बेटा भी बीजनेसपे बैठेगा..
जयश्री : (सामने देखते) मोम.. पापा बहुत अच्छे हे.. लेकीन मम्मी उनको तो कुछ मानती ही नही.. आप तो जानती हे.. मामाके घरपे भी उनको कोइ ज्यादा तवजो नही देते.. वहा जैसा मान सन्मान आपको मीलता हे.. उतना मम्मीको नही मीलता.. पता नही उनकी वजह क्या हे.. ओर पापाकी लाइफ भी आपही की तराह हे.. लेकीन बेचारे क्या करे..? घरके सबसे बुजुर्ग आदमी हे.. तो कीसीको अपनी तकलीफ के बारेमे केह भी तो नही सकते..
ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बेटा.. जानती हु मे.. छोड सब पुरानी बाते.. चलो ठीक हे.. अब जोभी कुछ हुआ अच्छा ही हुआ.. अब चलो.. डीनर करलो.. फीर आराम करना.. ओर सुनो.. अगर डीनर करते वक्त कुछ बाते होजाये.. तो तुम दोनो कुछ भी नही बोलोगे.. समजे..?
श्रीधर : (ब्रीन्दाकी ओर कातील स्माइल करते) येस मोम..
कहेते श्रीधर जयश्रीकी नजर बचाते ब्रीन्दाको आंख मार देता हे.. ओर मुस्कुराने लगता हे.. तो ब्रीन्दाभी श्रीधरकी हरकत देखकर सरमा गइ.. ओर मुहको दुसरी ओर करते मुस्कुराने लगी.. फीर तीनोही खानेके टेबलपे आगये.. तब वहा जवेरीलाल वृन्दा ओर जीतुलाल पहेलेसे ही तीनोका इन्तजार करते बैठे थे.. ब्रीन्दा ओर जयश्रीने सबका खाना टेबलपे रखदीया.. ओर दोनो बैठकर सबको परोसने लगी.. तभी..
जवेरीलाल : ब्रीन्दा बेटा.. मेने घरके ओर हमारे बीजनेसके सभी पेपर वकीलको कंपलीट करने दे दीये हे.. अब जोभी करना हे.. इस दोनोकी सादीके बाद करना हे.. मेने आज ब्रोकरको केह दीया हे.. की दो बेड वाला अेक मकान चाहीये.. तो अेक दो दीनमे वोभी देखकर ले लेगे.. ओर दुसरी बात.. अब जीतु हमारे साथ ही रहेगा.. बस.. अब तुमसे सीर्फ अेक ही रीक्वेस्ट हे..
ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बडेभैया.. आप मुजे बेटी कहेते हे.. तो आपको मुजे रीक्वेस्ट करनेकी कोइ जरुरत नही हे.. मे भी आपको पीता समान मानती हु.. आपको जोभी कहेना हे हक से कहीये..
जवेरीलाल : (मुस्कुराते) थेन्क्स बेटी.. बस.. वही कहेनाथा.. की इस घरको तुम कभी मत बेचना.. क्युकी ये हमारे पुर्खोकी नीशानी हे.. नाजाने यहा कीतनी पीढीने अपनी जींदगी गुजारी हे.. हमारा बचपन यही गुजारा हे.. मेरा श्रीधर ओर जयश्री भी इस घरकी वारीस हे.. इसीलीयेतो मेने ये मकान तुम दोनोके नाम करदीया हे..
श्रीधर : (मुस्कुराते) बडेपापा.. आप फीकर मत करना.. आइ प्रोमीस.. हम जींदगीभर इस वीरासतको सम्हालकर रखेगे.. ओर हमारी अगली पीढीको देगे..
जवेरीलाल : (मुस्कुराते) साबास बेटा.. मुजे पता हे तुम मेरे होनहार बेटे हो.. अब हम तीन चार दिनमे ही तुम दोनोकी सादी करवा देगे.. बस.. मेरी जयश्रीका खयाल रखना..
ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बडेभैया.. मे जयश्रीको अपनी बहु नही मानती.. इसे भी अपनी बेटी ही मानती हु.. तो आप जयश्रीकी फीकर कभी मत करना.. मेरे लीये जयश्री पहेले हे.. ओर श्रीधर बादमे..
जवेरीलाल : (आंख गीली करते मुस्कुराते) साबास बेटी.. मुजे तुमसे यही उमीद थी.. बस.. मे यही सुनना चाहता था.. ये कभी मत भुलना.. हमारे घरका बटवारा हुआ हे.. हमारे रीस्तोका नही.. अगर मेरा यहा आनेका मन हुआ तो मे यहा आता जाता रहुगा..
श्रीधर : (मुस्कुराते) बडेपापा.. भलेही आपने ये घर हमारे नाम करदीया.. लेकीन ये घरपे हमेसा आपका हक था.. हे.. ओर हमेसा रहेगा.. आप यहा कभी भी आ जा सकते हो.. ओर जीतना दिल करे रेह सकते हो..
जीतुलाल : (नजरे चुराते) भैया.. मेने भी मेरे ओर ब्रीन्दाके पेपर तैयार करवालीये हे.. (श्रीधरकी ओर देखते) बेटा.. सोरी.. अब मे ओर तेरी मम्मी अलग हो रहे हे.. मे भाइके साथ रहेने जा रहा हु..
जवेरीलाल : (सामने देखते) जीतु.. क्या अभी ये सब बच्चोके सामने कहेना जरुरी हे..? इसपे हम कोइ डीसकस नही करेगे..
वृन्दा : (थोडी परेसान होते) क्यु जी..? अब बच्चे भी तो बडे होगये हे.. तो वोभी अपना डीसीजन खुद लेने लगे हे.. अब हमसे पुछना भी जरुरी नही समजते.. तो उनको भी सब पता होना चाहीये.. इसमे जीतुने क्या गलत कहा..? (जयश्री श्रीधरको) देखो बेटा.. अब तेरे पापा ओर तेरी मम्मी अलग हो रहे हे.. तो अब तेरे पापा मेरे साथ रहेगे.. वैसे भी वो मेरे बेटे जैसा हे.. जयश्री तो अब इधर रहेगी.. तो मे अब जीतुको ही अपना बेटा मानती हु.. ओर उसे अब हमेसाके लीये मेरे साथ रखुगी..
ब्रीन्दा : (रहस्य भरी मुस्कानसे सामने देखते) स्योर दीदी.. सोखसे रखीये.. अब आप इनको कही पे लेजाइअे.. इस आदमीके साथ अब मेरा कोइ लेना देना नही हे..
श्रीधर : (मुस्कुराते) मौसी.. लेकीन मे ओर जयश्री तो अब मम्मीके साथ इधर ही रहेगे..
कहेते श्रीधर ब्रीन्दाकी ओर देखते कातील स्माइल करने लगा.. तो ब्रीन्दाने आंखोके इसारेसे श्रीधरको हसनेके लीये मना करदीया.. ओर खुद वृन्दा ओर जीतुलालकी ओर कातीलाना स्माइल करने लगी.. तो जीतुलाल ओर वृन्दा ब्रीन्दाको अैसे हसते देखकर तीलमीलाने लगे.. ओर मनमे गुस्सा करने लगे.. फीर सबलोग चुपचाप खाना खाने लगे.. जब खाना खालीया तो श्रीधर अपने दोस्तोके पास लटार मारने चला गया.. ओर ब्रीन्दा ओर जयश्री भी सब काम नीपटाने लगी..
तो चोराहेपे सभी दोस्त अेकठे हो गये.. ओर चर्चा करने लगे.. तब बंसीने सबको दो दिनके बाद उनकी सादी होनेकी बात कही.. तो सबलोग सुनकर खुस होगये.. ओर बंसीको बधाइ देने लगे.. तो बंसीने लखनको कल सुबह सहेरमे सादीकी खरीदी करने उनकी जीप लेजानेकी बात करली.. ओर जागृतीके कहेनेपे श्रीधरको कल जयश्रीको भी अपने साथ खरीदी करने साथ लेजानेकी बात कही.. तो श्रीधर सुनकर खुस होगया.. लेकीन चहेरेपे जाहीर नही होने दीया..
क्युकी वोभी अपनी मम्मी ब्रीन्दाको कइ दिनोसे नही मीलाथा.. तो कल जयश्री जागृतीके साथ जाने वाली थी.. तो श्रीधरको भी कल ब्रीन्दाके साथ मीलन करनेका मौका मील रहा था.. तब श्रीधरने भी आज उनके मम्मी पापाके डीवोर्सके बारेमे घरपे हुइ बात बतादी.. तो लखनने साहीलको कल सुबह उनकी बडी अम्माके साथ सहेर उनके चाचाके पास पैसा लेकर साथ चलनेके लीये रेडी रहेने को कहा....
तो सुनकर साहील भी खुस होगया.. ओर उसने तभी फोन लगाकर उनके चाचा चाचीसे कल अम्माके साथ वही सहेरमे आनेकी बात करली.. ओर काफी देर बाते करते सभी दोस्तो अपने अपने घर चले गये.. अब दिन भर दिन ना इस गांवमे बल्की आजु बाजुके भी सभी गांवमे काम वासना बढने लगी थी.. तो इस रात भी कभी ना थमने वाला चुदाइका तुफान भवंडर बनकर कइ चुतोकी धजीया उडा रहा था..