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रंगा को जैल में आए तीन बीत चुके हैं l रंगा के साथ साथ सीलु और टीलु भी जैल में आ चुके हैं l विश्व के कहे अनुसार विश्व के चारों जासूस रंगा और उसके चार साथियों के साथ मिल गए हैं और चौबीसों घंटे उनकी चापलूसी में लगे चुके हुए हैं l इधर तापस के कैबिन में तापस के साथ साथ सतपती और दास मिलकर लैपटॉप पर पिछले तीन दिनों के सीसीटीवी के फुटेज देख रहे हैं l हर फुटेज में कहीं रंगा विश्व को उकसा रहा है, कहीं पर धक्का लगा रहा है और कहीं टंगड़ी लगा कर छेड़ रहा है l पर कहीं पर भी विश्व प्रतिक्रिया नहीं कर रहा है l
तापस - चलो एक बात तो है... विश्व कोशिश कर रहा है... रंगा को अवॉइड करने की... बस रंगा ही जबरदस्ती गले पड़ रहा है...
सतपती - आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं सर... हमे रंगा को वार्न करना चाहिए....
तापस - हाँ मैंने उसे बुलाया है... आने दो उसे...
तभी रंगा बाहर से अंदर आने के लिए पूछता है l तीनों दरवाजे के तरफ देखते हैं l
तापस - हाँ... आओ.. रंगनाथ उर्फ़ रंगा... तुम जब आये थे... मैंने तुमको समझाया था... कुछ ऐसा मत करना... अपने रिमांड पिरीयड में... के मैं तुम पर कोई एक्स्ट्रा चार्ज लगाऊँ... पर निकले तुम कुत्ते के दुम... बाज नहीं आए आखिर तुम...
रंगा - क्या सर... आप जानते हैं... मैं यहाँ आया क्यूँ हूँ...
सतपती - अच्छा... तो देर किस बात पर हो रही है... कोई अच्छी सी महुरत की प्रतीक्षा कर रहे हो क्या....
सतपती के इस तरह से कहने पर तापस हैरान व गुस्सा होता है और सतपती को घूरने लगता है l
रंगा - नहीं सर... वह क्या है कि... और दस दिन रहना है... मुझे... इसलिए मजे के लिए उसको अभी हड़का रहा हूँ...
सतपती - मतलब तुमने... विश्व से बदला लेने की ठान ली है..
रंगा - यह तो हो कर ही रहेगा... चाहे आप कितना भी चार्जर्स लगाओ...
सतपती - तब तो तुम्हें... और दस दिनों के लिए... काली कोठरी में बंद करना पड़ेगा...
रंगा - अगर आप ऐसा कुछ करने की कोशिश की.... तब... मैं खुद को बुरी तरह से ज़ख्मी कर लूँगा... और आप सब जैल स्टाफ पर... मानवाधिकार आयोग के सामने टॉर्चर का इल्ज़ाम लगा दूँगा...
तापस - व्हाट... यह क्या बकवास है....
रंगा - सर... इसलिए.... मेरे को ज्यादा ज्ञान मत चेपो... मैं जिस काम के लिए आया हूँ... वह तो मैं करूंगा ही... आप चाहे कुछ भी कर लो....
तापस - (अपनी जबड़े भींच कर) तुम मुझे धमका रहे हो....
रंगा - आप चाहे कुछ भी समझ लो...
तापस - तुम अपनी हेकड़ी हांकने के चक्कर में... बड़ी गलती कर गए हो.... पहली बात... तुमने इन तीन दिनों में... अपने ही खिलाफ सबूत बनाए हैं... यह देखो... (तापस लैपटॉप में वह सारे फुटेज दिखाता है, फुटेज देख कर रंगा की आंखे हैरानी से चौड़ी हो जाती है) और यहाँ आकर तुमने अपना इकबालिया जुर्म की बयान भी दे दिया है.... यह देखो.... (तापस अपने पीछे की दीवार पर लगे एक छोटी सी कैमरा दिखाता है) और इन सबके आधार पर मैं तुम्हें काल कोठरी में डाल सकता हूँ...
रंगा खुद को ठगासा महसूस करता है l वह अपना सर हिलाते हुए बिना कुछ कहे वहाँ से चल देता है l रंगा के जाते ही सतपती के तरफ देख कर
तापस - गुड़ वर्क सतपती... अच्छा ट्रैप किया...
सतपती - थैंक्स सर... पर आपने मुझे जिस तरह से देखा... पल भर के लिए तो मैं डर गया था...
तापस - हा हा... सॉरी... यह रंगा के सामने जरूरी था... पर पुरे इस प्रकरण में... एक आदमी खामोश खड़ा है... क्यूँ... दास क्या हुआ...
दास - सर पता नहीं क्यूँ पर अभी भी...
तापस - हाँ अभी भी...
दास - अभी भी... ऐसा लग रहा है... की हम बेवजह वीर को रंगा से दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं... मुझे लगता है... हमे रंगा को वीर से दूर रखने की ज़रूरत है....
तापस - क्या... यह तुम किस आधार पर कह रहे हो....
दास - जी सर... एक मिनट... (कह कर लैपटॉप में फाइल से वह कैन्टीन वाली वीडियो चलाता है, जिसमें विश्व एक घुसे से दीवार पर लगे ग्रेनाइट को तोड़ रहा है) मैं इस वीडियो की बात कर रहा था...
सतपती - क्यूँ इसमे ऐसा क्या खास है... हो सकता है वह ग्रेनाइट कमजोर रहा हो...
दास - पर वह घुसा कमजोर नहीं था.... (तापस की ओर देख कर) सर... विश्व ने एक ज़ोरदार घुसा डैनी को भी मारा था... नतीजतन विश्व की हाथ में सूजन आ गई थी... डॉक्टर ने उसके हाथ में क्रैप्ट बैंडेज बांधा था... पर इस बार विश्व की हाथ सही सलामत है.... और गौर से देखिए सर... रंगा विश्व को वहीँ छेड़ पाया है... जहां जहां कैमरा है... मतलब विश्व रंगा के खिलाफ सबूत बना रहा है.... मुझे ऐसा लगता है... जैसे विश्व हमे दिखा कुछ रहा है... हम देख कुछ रहे हैं... रंगा सोच कुछ रहा है... पर होने वाला कुछ और है....
तापस - कभी इतनी कडवा सच बोलते हो... की चाह कर भी मन स्वीकार कर नहीं पाता है... खैर फ़िलहाल रंगा को वार्न किया है... देखो क्या होता है....
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इधर रंगा अपने चार साथी और चार नए चमचों के बीच बैठा गहरी सोच में डुबा हुआ है l
सीलु - (ख़ामोशी को तोड़ते हुए) बॉस... क्या बात है... आप... टेंशन में लग रहे हो...
रंगा - मैं इस जैल में कई बार आया हूँ... हर चप्पे चप्पे से वाकिफ़ हूँ... फ़िर भी जोश जोश में... मुझे याद नहीं रहा... कहाँ कहाँ पर सीसीटीवी के कैमरे लगे हुए हैं...
एक आदमी - तो... क्या हुआ बॉस... तुमको कौनसा अच्छे चाल चलन के लिए... बाहर जल्दी निकालना है...
जीलू - बिल्कुल बॉस... तुम्हें इस बात को लेकर इतना सिरीयस नहीं होना चाहिए....
दुसरा आदमी - हाँ बॉस... यह छूटकु... एक दम सही बोल रहा है... तुम इतना टेंशन में क्यूँ हो.... वह भी एक चिरकुट के लिए...
रंगा - तुम लोगों को... समझ में नहीं आ नहीं रहा है बे.... मैं यहाँ आने के बाद से विश्व को ढूंढ रहा हूँ... और वह मेरे हाथ आया भी... पर जब जब वह कैमरा के सामने आया... तब तब मेरे हाथ वह लगा... और हाथ में से ऐसे फिसला... जैसे पानी में मछली... अब मुझे लगने लगा है... मैं उसे नहीं बल्कि वह मुझे घेर रहा है....
मीलु - बॉस... इससे क्या होगा... मारना तो आपको है ना उसे...
तीसरा आदमी - हाँ बॉस... मारना तो आपको है उसे...
रंगा - तुम समझ नहीं रहे हो... मैंने उसके पास दिखा तो मुझे काल कोठरी वाले सेल में डाल देंगे... फ़िर मेरा बदला अधूरा रह जाएगा...
सीलु - तो इस परेशानी में... समाधान एक ही है...
रंगा - क्या....
सीलु - (गाते हुए) शनिवारा...ती हमें नींद नहीं आती....
चौथा आदमी - (सीलु के सर के पीछे टफली मारते हुए) अबे सही सही बोल... गाना क्यूँ बजा रहा है...
सीलु - (अपना सर को मलते हुए) बॉस मैं... शनिवार रात वाली समाधान की बात कर रहा था...
पहला आदमी - यह... शनिवार समाधान वाली रात क्या है बॉस....
रंगा - अररे.. हाँ... यह सीलु ने... ठीक कहा है... यह एक रिवाज है... जिसे डैनी के साथ मिलकर हम सब लोगों ने ही... इस जैल में शुरू किया था...
दुसरा आदमी - रिवाज.... कैसा रिवाज...
रंगा - गुस्सा उतारने के लिए... दो कैदी अपनी मर्जी से... एक दुसरे से लड़ते हैं... आपसी मंजुरी से... इसमें जैल वालों की कोई दखल नहीं होता.... पर सवाल यह है... उस लड़ाई के लिए... विश्व को तैयार कैसे किया जाए....
टीलु - बहुत ही आसान है बॉस...
रंगा - कैसे...
टीलु - बॉस... विश्व को आप सबके सामने.... डैनी की तरह की तरह छेड़ना.... आख़िर विश्व ने डैनी पर भी हाथ छोड़ा ही था....
रंगा - हाँ यह मैं यहाँ सुना है... और विश्व ने.... इस बात के लिए... डेढ़ साल तक डैनी की गुलामी करी है...
तीसरा आदमी - सुना तो यह भी है... विश्व ने एक घुसे से... दीवार से चिपके ग्रेनाइट को तोड़ा है...
सीलु - अरे भाई... अगर उस वक़्त विश्व को मैंने ही उकसाया था... हाँ यह बात और है... फटी मेरी बहुत थी... पर सच तो यह है कि... वह ग्रेनाइट दीवार से खराब सीमेंट से चिपका हुआ था... इसलिए टूट गया.... ग्रेनाइट अगर एक फुट की ऊँचाई से भी गिर जाता है... तब भी टूटता ही है... अरे मैं तो बोलता हूँ... रंगा भाई होते तो पुरा का पुरा दीवार ही ढह गया होता...
रंगा - हा हा हा हा.... शाबाश मेरे चमचे शाबाश... (खड़े हो कर) अब शुक्रवार लंच के टाइम को ही.... मैं खुद उसको उकसाउंगा.. हा हा हा हा...
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तापस घर पहुंच कर देखता है प्रतिभा और प्रत्युष दोनों सोफ़े पर मुहँ लटकाए बैठे हुए हैं l तापस दोनों के चेहरे को गौर से देखता है और
तापस - क्या हुआ प्रत्युष....
प्रत्युष - प्लान फैल हो गया...
तापस - मतलब...
प्रत्युष - मैंने जो दवाई के सैंपल भेजे थे... उनमें कोई बैनड ड्रग्स नहीं मिले....
तापस - क्या... (तापस धप कर बैठ जाता है) इसका मतलब...
प्रतिभा - या तो... दवाओं के मामले में प्रत्युष को गलत फहमी है या फिर.... यश वर्धन को मालुम हो गया है....
प्रत्युष - दवाओं के मामले में मुझे कोई गलत फहमी नहीं है डैड... पर लगता है... हम लोग यश वर्धन के सर्विलांस में हैं...
कुछ देर के लिए किसीके मुहँ से कोई शब्द नहीं निकालता है l तापस और प्रतिभा के चेहरे पर टेंशन साफ़ दिख रहा है पर प्रत्युष का चेहरा कठोर दिख रहा है l
तापस - उन अंकल के नाम पर... तुमने फॉर्म भरा था ना...
प्रत्युष - हाँ... सैंपल का रिपोर्ट भी उन अंकल के पते पर ही आया था...
तापस - (झिझकते हुए) क्या... सैंपल... उन अंकल ने....
प्रत्युष - नहीं डैड नहीं... वह एक्स सर्विस मेन हैं... और वह अपने हेल्थ के लिए... बहुत कंसियस हैं.... उनको भी दवाओं की रिपोर्ट पर खेद है.... इसलिए कुछ पुराने दवाएँ थे उनके पास... वह मैं लेकर आया हूँ... पर हम इसे पोस्टल पर भेजने के वजाए खुद जा कर हाथों हाथ रिपोर्ट लाएं तो बेहतर होगा....
तापस - ह्म्म्म्म... अगर हम उसके सर्विलांस में हैं... तो हम जरा सा भी हिले... उसे पता चल जाएगा...
प्रत्युष - डैड अगर नहीं... हम वाकई उसके सर्विलांस में हैं....
प्रतिभा - अगर हम उसके सर्विलांस में हैं... तो अभी तक वह रिएक्ट क्यूँ नहीं किया....
तापस - शायद मौके की तलाश में है....
प्रतिभा - (आँखे डबडबा जाती हैं) अब हम क्या करें... सेनापति जी...
तापस - मुझे भी कुछ सूझ नहीं रहा है...
प्रतिभा - हमें उसकी सर्विलांस को भटकाना होगा... या फिर उस वक्त का इंतजार करना होगा... कुछ भी हो हमे यह काम जल्द से जल्द पुरा करना ही होगा....
प्रत्युष - हाँ डैड... इससे पहले कि वह रिएक्ट करे... हमे उस पर वार करना होगा...
तापस - कैसे... कैसे... कैसे... हमारे पास सबूत नहीं है... रैड नहीं करा सकते.... कहीं पर चूक गए तो... वह हम पर डीफेम केस कर देगा और पेनाल्टी ठोक देगा...
प्रतिभा - एक प्लान है.... जिससे काम बन सकता है...
तापस - कैसा प्लान...
प्रतिभा - आप किसी तरह ऑफिशियली टूर पर... भुवनेश्वर से बाहर निकलिए... और हाथों हाथ रिपोर्ट लाने की कोशिश करें....
प्रत्युष - हाँ डैड... माँ ठीक कह रही है... हमारी हर एक्टिविटी पर उसकी नजर है.... आप अगर ऑफिशियली भुवनेश्वर से बाहर निकलेंगे... तो हम शायद कुछ कर पाएंगे... उधर आपको जैसे ही रिपोर्ट हासिल होगा... हम यहां पर प्रेस कांफ्रेंस कर यश की पोल खोल देंगे....
प्रतिभा - हाँ ऐसा हो पाया तो... बहुत बढ़िया होगा....
तापस - ह्म्म्म्म... ठीक है... मैं दिल्ली का टूर प्लान करता हूँ.... ट्रेन में बैठ कर हावड़ा में उतर जाऊँगा.... कलकत्ते में रिपोर्ट बना लेने के बाद... फ्लाइट लेकर सीधे भुवनेश्वर आ जाऊँगा...
प्रत्युष - वाव डैड... क्या क्रिमिनल वाला दिमाग चलाया है... जैसे ही आपको रिपोर्ट मिल जाएगी...
प्रतिभा - वैसे ही हम... यहां पर प्रेस कांफ्रेंस की तैयारी कर देंगे.... और सीधे प्रेस कांफ्रेंस में ही... यश के चेहरे पर से.. शराफत का नकाब उतारेंगे....
तापस - डन...
प्रत्युष - डन....
प्रतिभा - डन...
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रविवार की सुबह तड़के तापस के घर की फोन बजने लगता है l तापस नींद भरे आंखों से फोन उठाता है l
तापस - है... हैलो...
सतपती - सर आपका मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा है....
तापस - अच्छा... शायद बैटरी में चार्ज खतम हो गई होगी... सुबह सुबह मतलब क्या कोई लफड़ा हुआ है.... बोलो क्या हुआ है...
सतपती - सर... वह... एक्चुऐली... कैसे कहूँ...
तापस - क्या यह रंगा से ताल्लुक है...
सतपती - जी सर...
तापस - आऊंगा जरूर... पहले बताओ हुआ क्या है....
फिर सतपती फोन पर कुछ बताने लगता है l जिसे सुन कर तापस की आँखे हैरानी से फैलती चली जाती है l फिर फोन रख कर खुद को जल्दी जल्दी तैयार करता है और गाड़ी ड्राइव कर कैपिटल हॉस्पिटल में पहुंचता है l वहाँ उसे दास और सतपती इंतजार करते हुए मिल जाते हैं l तीनों मिलकर स्पेशल वार्ड में पहुंचते हैं l तापस देखता है रंगा और उसके चार साथी वार्ड में ख़राब हालत में पड़े हुए हैं l रंगा की हालत तो फिरभी ठीक लग रही है पर उसके साथी ऐसे पड़े हुए हैं जैसे बदन का कोई हिस्सा लकवा ग्रस्त हुआ हो l तापस रंगा के बेड पर पहुंचता है l रंगा की आँखों में खौफ साफ साफ दिख रहा है l रंगा जैसे ही तापस को देखता है
रंगा - सुपरिटेंडेंट सर... मुझे किसी और जैल में शिफ्ट करा दीजिए.... प्लीज...
तापस - क्यूँ ऐसा क्या हुआ रंगा.... तुम तो अपना बदला लेने आए थे ना...
रंगा - (गिड़गिड़ाते हुए) मुझे किसी से कोई बदला नहीं लेना.... सर बस आप मुझे मेरे वकील से बात करा दीजिए... मैं... मैं दुबारा कभी... इस जैल में नहीं आऊंगा.... (तापस कुछ नहीं कहता, बस चुप रह कर कुछ सोचने लगता है) आ आप क्या सोच रहे हैं... सर...
तापस - हूँ... हाँ... मैं यह सोच रहा हूँ... आदमी को सीधा रहना चाहिए... देखो ना इससे पहले... इसी हस्पताल के इसी बेड पर... तुम उल्टे लेटे हुए थे... मगर जिद और माँग कर रहे थे... जैल में वापस जाने के लिए.... आज सीधे लेटे हुए हो... आज जिद भी कर रहे हो और मांग भी... इस जैल में नहीं जाने की...
रंगा - हाँ... आप सही कह रहे हैं... मैं तब उल्टी खोपड़ी से सोच रहा था... अब सीधा हो कर सोच रहा हूँ.... प्लीज मुझे मेरे वकील से बात करा दीजिए...
तापस - ठीक है... ठीक है... करा दूँगा... अब मुझे पूरे विस्तार में... सारी जानकारी दो.... वरना... आज रविवार है... और कल दस बजे तक... तुम्हें जैल में रख सकता हूँ...
रंगा - नहीं... नहीं... नहीं... नहीं... मैं बताता हूँ.... सब बताता हूँ...
सर... दो साल पहले... जब विश्व घायल हो कर इसी हस्पताल में इलाज के लिए दाखिल था... उस वक्त मेरे अड्डे पर छोटे राजा जी उर्फ़ पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी मिलने आए थे... उन्होंने मुझे एक काम सौंपा था... विश्व को अदालत में हाजिरी से पहले... अंदर से तोड़ देने के लिए... मैं विश्व से बलात्कार कर उसके अंदर के पुरुषार्थ को मिटा देना चाहता था.... पर आप जानते हैं... विश्व ने उल्टा मेरा पुरुषार्थ को तोड़ कर... झंझोड कर रख दिया.... नाकाम लोगों की... राजा साहब के दरबार में कोई काम नहीं होती... मुझे ना सिर्फ राजा साहब ने... बल्कि मेरी अपनी बनाई हुई दुनिया ने भी मुझे छोड़ दिया था...
इसी का बदला लेने के लिए पिछले एक साल से तैयारी कर रहा था... ताकि जो ज़ख़्म मुझे विश्व से मिला है... उससे कई गुना बड़ा ज़ख़्म विश्व को देना चाहता था... उससे पहले विश्व को मार मार कर धज्जियाँ उड़ा देना चाहता था.... मैं हर तरह से कोशिश किया विश्व को मुझसे उलझाने के लिए... मगर विश्व मुझे अपने जाल में फंसाता चला गया... वह बात मुझे आपके ऑफिस से पता चला... उस सीसीटीवी फुटेज से...
इसलिए मेरे पास सिर्फ़ एक ही रास्ता बचा था.... शैटर डे स्कैरी नाइट सल्युशन... जो हमने जैल में चलाया था....
तापस - व्हाट... तुम लोगों ने यह किया... और हममे से किसी को भी खबर नहीं...
दास - सर यह बात.. कांड होने के बाद ही हमें पता चलता है... यह लोग ऐफिडेविट पेपर में अपना कबुल नामा लिख कर रख लेते हैं.... और कांड के बाद किसी को कुछ हो या ना हो... कांड के हो जाने पर वह पेपर निकालते हैं....
तापस - अच्छा... यह बात है... यह जुगाड़ कैसे लगा लेते हैं... यह कम्बख्त.... हाँ तो रंगा... अब पूरी वाक्या विस्तार से बताओ... तुम जो विश्व को डराने आए थे... अब कैसे और क्यों डर के मारे भागने के जुगत में हो....
रंगा - सर बताता हूँ...
फ्लैशबैक रंगा की जुबानी
शुक्रवार लंच के समय विश्व अकेला एक कोने में डायनिंग टेबल पर बैठ कर खा रहा है l तभी रंगा अपना थाली लेकर विश्व के सामने बैठता है l विश्व अपने खाने में मगन रंगा की तरफ देखता नहीं l
रंगा - क्यूँ बे... हराम जादे... आज कल दिमाग खुब चला रहा है...
विश्व - (चुप रहता है)
रंगा - बे मादरचोद... तेरे रगों में खुन दौड़ता है या पानी... भोषड़ी के... कितनी आसानी से गाली हज़म कर रहा है...
विश्व - (फ़िर भी चुप रहता है)
रंगा - क्यूँ बे... जिस महापात्र का उपनाम अपने नाम के पीछे लगाया है.... उसके साथ तेरी माँ सोई थी तब जाकर तु पैदा हुआ... या वह भी गांडु महापात्र था... जो यही सोच कर रह गया... कौन मरा मारा... बच्चा हमारा... हा हा हा...
विश्व अपना खाना खतम कर हाथ और थाली धोने के लिए उठता है तो रास्ते में रंगा अपना टांग अड़ा देता है l विश्व रुक जाता है और रंगा को सपाट नजरों से देखता है l अब डायनिंग हॉल में सभी कैदी उन दोनों को देख रहे हैं l
विश्व - तु... चाहता क्या है... गांडु रंगा...
रंगा - ऐ... जुबान सम्भाल अपना...
विश्व - और तु गांड...
सभी कैदी दबी जुबान से हँसने लगते हैं l जिससे रंगा हाथ उठा देता है पर विश्व अपनी थाली दिखा देता है तो रंगा का हाथ थाली से टकरा जाता है l
विश्व - मुझे उकसाने के चक्कर में... तुने अपना सयम खो दिया... यहाँ भी सीसीटीवी है... ऐसा फंसेगा की...
रंगा - चुप बे... मर्द है तो मर्द की तरह भीड़ ना... यह सीसीटीवी की आड़ क्यूँ ले रहा है...
विश्व - यह कौन बोल रहा है... चूहे की जिगर रखने वाला... जो चार चार बंदों से एक आदमी को पकड़ कर उसके पिछवाड़े मुतने वाला... मर्द होने की धौंस जमा रहा है....
रंगा - अच्छा... यह बात है... तो तु... रंगा का जिगर देखेगा... रंगा कितना बड़ा मर्द है देखेगा... चल तेरी मन की मुराद पुरा कर देता हूँ... कल शनिवार है... यहाँ आपसी दुश्मनी को सुलझाने के लिए एक दुसरे से लड़ते हैं.... अग्रिमेंट के ज़रिए... चल करता है क्या... शैटर डे नाइट स्कैरी सल्युशन...
विश्व - (चुप रहता है)
रंगा - क्यूँ फट गई तेरी... चल अब मेरे सामने घुटने के बल झुक कर.... खुद को गांडु महापात्र बोल...
विश्व उसके सामने झुक कर घुटनों पर बैठता है, यह देख कर कुछ कैदी हैरान होते हैं और रंगा के चेहरे पर कुटिल मुस्कान खिल उठाता है l
विश्व - जैसी तेरी इच्छा... गांडु रंगा....
यह सुनते ही जहां रंगा की हँसी रुक जाती है वहीँ सभी कैदी मंद मंद मुस्कराने लगते हैं l फ़िर विश्व खड़ा हो जाता है l
रंगा - (चिल्लाता है) सीलु...
सीलु - जी... जी रंगा भाई...
रंगा - विश्व से कागजात पर दस्तखत ले लो....
सीलु विश्व के पास दो कागजात लेके जाता है l विश्व देखता है उसमें पहले से ही रंगा का दस्तखत है इसलिए दस्तखत कर एक काग़ज़ रख लेता है और दुसरा लौटा देता है l
रंगा काग़ज़ हाथ ले कर कहता है - हमारे फाइट का रेफरी येही सीलु होगा...
विश्व - जैसी तेरी इच्छा... गांडु रंगा...
रंगा बड़ी मुश्किल से सुन कर भी खुद को काबु करता है और विश्व को उंगली के इशारे से मार डालने की धमकी दे कर चला जाता है l
उसके बाद शनिवार की रात को गेम हॉल में सारे कैदी जमा हो जाते हैं l हॉल में सारे सामान एक किनारे कर दिया गया है l रंगा और विश्व दोनों हॉल के बीच में आ कर खड़े होते हैं l फर्श पर पानी डाल कर फिसलन भरा कर दिया गया है l रंगा अपना कुर्ता उतार देता है और अपना बॉडी दिखाने लगता है l इन दो सालों में रंगा ने अपना बढ़िया बॉडी बनाया हुआ है l सारे कैदी रंगा के नाम की हूटिंग करने लगते हैं l
सीलु सिटी मार कर फाइट का आगाज़ कर वहाँ से साइड हो जाता है l रंगा भाग कर चिल्लाते हुए विश्व के तरफ बढ़ता है l विश्व एक तरफ हट जाता है l रंगा फ़िर से विश्व को पकड़ने के लिए कोशिश करता है, इस बार भी वही होता है l विश्व लड़ाई की माहौल को कबड्डी में बदल देता है l रंगा कोशिश बहुत करता है पर विश्व उसके हाथ नहीं लगता l जिसके कारण रंगा बुरी तरह से थकने लगता है l उसे थकता देख रंगा के चारों साथी अचानक से अंदर आकर विश्व को पकड़ लेते हैं l
रंगा - (खुश होते हुए) शाबाश मेरे यारों... शाबाश... अब इस हरामजादे को तोड़ कर मसलता हूँ...
सीलु - (बीच में आ जाता है) यह गलत है... रंगा भाई.. यह गलत है... अग्रिमेंट में... वन टू वन फाइट लिखा है... आप लोग पांच हैं... यह गलत है...
रंगा - ऐ... इसे उठा कर फेंक दो रे....
रंगा का एक साथी सीलु को उठा कर कैदियों पर फेंक देता है l अब तीन लोग विश्व को पकड़े खड़े हुए हैं l रंगा और उसके साथी हँसने लगते हैं पर अचानक उन सबकी हँसी रुक जाती है l विश्व एक हूकींग किक उठाता है जो उसे पीछे पकड़े हुए आदमी को लगता है और वह पीछे छिटक कर दूर जा कर गिरता है, उसके बाद जो दो लोग विश्व के हाथों को पकड़े हुए हैं उन दोनों के हाथों को पकड़ कर सामने की तरफ फ्लिप मारता है l विश्व अपने घुटने पर आ जाता है पर वह दो लोग अपने पीठ के बल गिर कर कराहने लगते हैं l
यह सब सेकेंड के कुछ ही हिस्से में हो जाता है l रंगा और उसका चौथा साथी ही नहीं बल्कि सभी कैदी अचानक हुए इस घटनाक्रम से आश्चर्य चकित हो जाते हैं l पर उनके पकड़ से छूटने पर विश्व की कुर्ता फट जाता है, तो विश्व अपना कुर्ता फाड़ कर फेंक देता है l सबको विश्व के शरीर पर पेशियां और पेशियों पर कटाव दिखते हैं l सब विश्व के बदन को देख कर मन ही मन रंगा के बदन से तुलना करने लगते हैं l विश्व के जिस्म की कटाव के आगे रंगा का बदन भरा हुआ मांस का लोथड़ा नजर आने लगता है l खुद रंगा की हलक सूखने लगता है और वह बड़ी मुश्किल से थूक निगलता है l रंगा का वह चौथा साथी विश्व पर झपटा मार कर दाहिने हाथ का घुसा मारता है l विश्व उसके हाथ को अपने बाएं हाथ से रोक कर अपने दाएं हाथ की मुट्ठी में तर्जनी को मोड़ कर उसके कोहनी की अंदरुनी हिस्से पर मारता है फ़िर सामने कंधे की जोड़ पर मारता है फिर एक लात उसके सीने पर जड़ देता है जिससे वह आदमी उड़ते हुए कैदियों के बीच गिरता है l उसको उड़ते हुए जाते देख रंगा वहीँ पर जड़वत खड़ा रह जाता है l वह तीनों जो पीछे पड़े हुए थे वह उठ कर विश्व पर हमला कर देते हैं l विश्व उनके लिए तैयार था पहले वाले को एक स्पिन किक, दुसरे के चेहरे पर घुटने से और उसके बाद तीसरे को अपनी मुट्ठी के सारे मुड़े उँगलियों को सीधा कर एक ताकतवर पंच नाभि के ऊपर पेट पर जड़ देता है l उस तीसरे आदमी के मुहं से थोड़ा खुन निकालता है और वह पेट के बल गिर कर छटपटाने लगता है l फ़िर अपनी मुक्के की मध्यमा उंगली को मोड़ कर पहले वाले के बाएं रिबस पर मारता है फिर तर्जनी उंगली से दुसरे आदमी पीठ पर कंधे की जोड़ पर मारता है वह आदमी एक तरफ झुक कर किक मारने की कोशिश करता है तो उसके पैर पकड़ कर उसी मुड़ी हुई तर्जनी से घुटने के ऊपर जांघ पर एक घुसा मारता है l वे दोनों नीचे गिर जाते हैं और उनके हलक से गँ गँ कि आवाज़ निकलने लगती है I अपने चार साथियों का हश्र वह भी सिर्फ़ पांच सेकेंड से भी कम समय के भीतर देख कर रंगा के पैर कांपने लगते हैं l विश्व अब रंगा के तरफ बढ़ने लगता है और रंगा पीछे हटने लगता है और भागने की कोशिश करता है l पर चूँकि चारों तरफ कैदी घेरे हुए हैं इसलिए वह भाग नहीं पाता और तब तक विश्व रंगा तक पहुँच जाता है l रंगा डर के मारे घुटनों पर बैठ कर विश्व के आगे हाथ जोड़ देता है l विश्व उसके सामने आलती पालती मार कर बैठ जाता है l
विश्व - क्यूँ फट गई तेरी...
रंगा - (चुप रहता है)
विश्व - कितनी गालियाँ दी तुने मुझे... गिना नहीं होगा तुने....
रंगा - (चुप रहता है)
विश्व - जुबान है... तो कैसे कैसे चलाए तुने... कलेजा छलनी कर रख दिया तुने...
रंगा - म.. म.. मुझे.. मा.. माफ कर दो...
विश्व - एक शर्त पर...
रंगा - ब ब.. बोलिए विश्वा भाई...
विश्व - अब तु मुझे कभी नहीं दिखेगा... अगर कभी दिखा तो उसी दिन वहीँ पर जिंदा गाड़ दूँगा... कसम से... तेरी हर गाली का बदला उस दिन मैं लूँगा....
फ्लैशबैक से बाहर आता है रंगा l
रंगा - सर.... कुछ भी हो जाए... मैं तो जीते जी... विश्व के सामने नहीं आऊंगा... यह वह विश्व नहीं है... जो दो साल पहले आया था... जिससे मैं बदला लेना चाहता था.... यह तो कोई और है... ना चेहरे पर गुस्सा ना डर ना ही कोई भाव... एक दम सपाट... जब भी बात करता है... उसके हर शब्द में लगता है... जैसे मौत... हाँ मौत की सर्द महसूस होता है.... नहीं नहीं.. यह वह विश्व नहीं है... यह तो कोई और है.... या फिर यह कोई भूत है.... हाँ हाँ भूत ही तो हो सकता है... और नहीं तो... वह कहीं पर भी लड़ते हुए.... अकेला नहीं लगता था... ऐसा लगा जैसे एक नहीं... दो दो विश्व लड़ रहे हैं... या फिर उसके दो नहीं चार चार हाथ थे... इतना फुर्ती.... इतना फुर्ती किसी इंसान में... नहीं नहीं... यह भूत है... सेनापति सर भूत है वह... वह विश्व नहीं है...
तभी उस कमरे में डॉक्टर विजय आता है l विजय के देख कर
तापस - कहिए डॉक्टर... इन सबकी हालत कैसी है अब....
डॉक्टर - यार... यह तुम्हारा रंगा... इसको बहुत ही जबर्दस्त शॉक लगा है... कुछ ऐसा देखा है जिससे उसके मन में गहरा डर बैठ गया है... और बाकी चारों की हालत थोड़ी खराब है...
तापस - मतलब कितना खराब है....
डॉक्टर विजय - इन चारों को जहां जहां मार पड़ी है... उन जगहों पर लीगमेंटस हिल गए हैं... इसलिए उनको पारसीअल पैरालीसीस हुआ है... मतलब आंशिक लकवा...
तापस - (हैरान हो कर) व्हाट...
दो दिन बाद
तापस अपनी कैबिन में बैठ कर किसी सोच में खोया हुआ है l तभी उसे एक आवाज सुनाई देती है l
- मे आई कम इन सर...
तापस - हूँ... हाँ दास... प्लीज.. अंदर आ जाओ... (दास अंदर आता है) बैठ जाओ...
दास - (बैठते हुए) सर... आप किसी गहरी सोच में डुबे हुए हैं... कोई खास बात....
तापस - हाँ... मैं यह सोच रहा हूँ... इंसान और हालात को समझने की तुममे... गजब की काबिलियत है... फ़िर तुम इस जैल में क्या कर रहे हो... तुम्हें तो फ़ील्ड में होना चाहिए... तुम अपना टैलेंट बरबाद कर रहे हो... चाहो तो मैं तुम्हारा सिफारिश कर सकता हूँ...
दास - नहीं सर... मुझे कोई सिफारिश की जरूरत नहीं है... जहां हूँ.. जैसा हूँ... अच्छा हूँ...
तापस - क्यूँ... ऐसा क्यूँ...
दास - सर... यह वह नौकरी है... जहां क़ाबिलियत के हिसाब से ओहदा नहीं होता... और मुझे मेरी ओहदे की सीमा मालुम है...
तापस - खैर... फिरभी मैं तुम्हें सजेस्ट करूंगा... तुम अपनी अगली प्रमोशन के बाद... फ़ील्ड पर काम करो...
दास - सर.. मैं इतना तो कह ही सकता हूँ... आप मेरे बारे में सोच नहीं रहे थे... बात कुछ और है...
तापस - देखा... आख़िर सही अंदाजा लगाया लिया तुमने... हाँ मैं कुछ और ही सोच रहा था...
दास - क्या सोच रहे थे सर...
तापस - यही... रंगा की बात पर गौर किया जाए तो... मुठभेड़ सिर्फ़ एक मिनट का हुआ होगा... उस एक मिनट में... रंगा ने विश्व का ऐसा कौनसा रूप देख लिया.... के वह... अंदर से हिल गया... और विश्व इतना बड़ा फाइटर कब और कैसे बनगया... हमें पता भी नहीं चला...
दास - बात तो आपकी सही है... जैल के भीतर... एक बंदा कॉमबैट ट्रेनिंग लेता है... पर किसी को खबर तक नहीं होती... वह भी डेढ़ साल तक... कोई शक़ नहीं... हम इस मामले में फैल हो गए....
तापस - हाँ दास... मुझे भी इसी बात की खीज है...
दास - सर सच कहूँ तो... मुझे भी...
तापस - खैर... कहो दास... यहाँ... इस वक्त...
दास - सर यह आपका टूर अप्रूवल लेटर... आपको डेपुटेशन पर दिल्ली जाना है... आज रात को ही... राजधानी एक्सप्रेस में...
तापस - ओह... आज ही निकलना है... ओह माय गॉड... तैयार होने के लिए वक्त भी नहीं है...
दास - सर... यह... ऑल ऑफ सडन... दिल्ली..
तापस - वह मेरा एक काम बाकी रह गया है... पुरा करना है... इसलिए दिल्ली जाना जरूरी है... पर सोचा नहीं था... इतनी जल्दी अप्रूवल आ जाएगा...
दास - ओके सर... आई मे लिव नाउ... (कह कर सैल्यूट दे कर चला जाता है)
दास के जाते ही तापस प्रतिभा को फोन लगाता है l
तापस - हैलो... जान.. मुझे आज शाम को निकालना है... टूर अप्रूव हो गया है...
प्रतिभा - क्या... वाव... पर आज ही... तो फिर अब हम क्या करेंगे...
तापस - सुनो... आज क्या अभी... तुम वापस आ जाओ... और प्रत्युष को भी पीक कर लो... मैं घर पर तुम लोगों का इंतजार कर रहा हूँ... ओके...
प्रतिभा - ओके....
कह कर प्रतिभा फोन काट देती है और अपनी आँखे बंद कर भगवान को प्रार्थना करने लगती है l फ़िर अपनी ऑफिस से सभी काम समेट कर निकलती है l बाहर कार पार्किंग में पहुंच कर कार को स्टार्ट करती है l थोड़ी देर बाद गाड़ी को हाइकोर्ट के परिसर से बाहर निकाल कर मेन रोड पर आ जाती है l पर थोड़ी ही दूर उसकी गाड़ी रुक जाती है क्यूंकि बाहर रास्ते में कोई प्रदर्शन हो रहा है l प्रतिभा हॉर्न बजा कर रास्ता मांगती है l पर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कोई असर नहीं होता l प्रतिभा चिढ़ कर हॉर्न बजाती रहती है, तो थोड़ा रास्ता मिल जाता है l उसी रास्ते से गाड़ी थोड़ी जल्दी निकालने की कोशिश करती है पर तभी उसकी गाड़ी से कोई टकरा जाता है, जिससे वह आदमी छिटक कर दुर गिरता है l उस आदमी के गिरते ही सारी भीड़ प्रतिभा के कार के तरफ हमलावर हो जाता है l तभी कुछ नौजवान बीच बचाव करते हुए वहाँ आकर भीड़ को रोकते हैं l उन नौजवानों में से एक प्रतिभा के तरफ आ कर कार की ग्लास नीचे करने के लिए कहता है l प्रतिभा ग्लास नीचे करती है तो वह नौजवान
नौजवान - मैंम... आप घबराए नहीं... हम यहाँ सब सम्भाल लेंगे... एक्चुऐली हमारा लीडर आपके गाड़ी से टकरा कर गिर गया है... आप बस एक काम कीजिए... उसे एससीबी मेडिकल कॉलेज ले जाइए... हम यहाँ भीड़ को नियंत्रित कर लेंगे....
प्रतिभा - श्योर श्योर... एंड थैंक्यू...
नौजवान - कोई बात नहीं मैम... हम आपको जानते हैं... आप बस इसे ले जाइए...
प्रतिभा - ओके ओके... उन्हें जल्दी से अंदर ले आइए...
कुछ नौजवान उस आदमी को उठा कर प्रतिभा की गाड़ी की पिछली सीट पर बिठा देते हैं l प्रतिभा देखती है उस आदमी की घुटनों के नीचे से पेंट फट गया है और थोड़ा खुन भी बह रहा है l उस आदमी के बैठते ही लोग तुरंत प्रतिभा की गाड़ी को रास्ता दे देते हैं l प्रतिभा गाड़ी को कटक के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज की ओर भगाती है l गाड़ी के अंदर वह आदमी खामोश बैठा हुआ है l
प्रतिभा - आ.. आई... आई एम सॉरी...
आदमी - कोई बात नहीं है... मैडम... ऐसा हो जाता है... लगता है आप बहुत जल्दी में थीं...
प्रतिभा - हाँ... नहीं... मेरा मतलब है... हाँ भी और नहीं भी... वैसे किस बात की प्रदर्शन हो रहा है...
आदमी - अब केंद्र सरकार जेनेरिक मेडिसन को आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है... हम केंद्र सरकार के इस कदम के समर्थन में... राज्य सरकार पर दबाव बना रहे हैं...
प्रतिभा - ओह यह तो अच्छी बात है... पर राजनीतिक धरना या प्रदर्शन तो भुवनेश्वर में होना चाहिए... आप लोगों को कटक में क्यूँ कर रहे हैं....
आदमी - हम लोग कटक से भुवनेश्वर.... राज भवन तक रैली कर जाने वाले थे.... इसलिए लोगों को इकट्ठा कर रहे थे...
प्रतिभा - ओ अच्छा...
प्रतिभा एससीबी मेडिकल कॉलेज में पहुंच जाती है l जैसे ही गाड़ी की दरवाज़ा खोलती है तो उसे एहसास होता है कि मदत के लिए उस आदमी के पास कोई आया नहीं है l इसलिए वह अंदर जा कर एक वार्ड बॉय को बुलाती है l वह वार्ड बॉय एक व्हीलचेयर लेकर आता है और उस आदमी को व्हीलचेयर में बिठा कर अंदर कैजुअलटी में ले जाते हैं l डॉक्टर उस आदमी को चेक कर एक्सरे के लिए भेज देता है l प्रतिभा उस वार्ड बॉय के साथ साथ उस आदमी को ले कर चलती है l एक्सरे रिपोर्ट में उस आदमी की पैर की हड्डी टूटने की बात पता चलता है l डॉक्टर प्लास्टर करने के लिए ड्रेसिंग रूम भेज देता है l पुरे एक घंटे के बाद उस आदमी के टांग पर प्लास्टर चढ़ा जा चुका है l उस आदमी को जनरल वार्ड में एक बेड में सुला दिया गया है l अब चूँकि प्रतिभा ही अब तक सारी फर्मालीटी के वक्त साथ रही इसलिए डॉक्टर ने एडमिशन फॉर्म में पहले से ही प्रतिभा के दस्तखत ले लिए थे l जब उस आदमी को बेड तक पहुंचा दिया जाता है, प्रतिभा उसके पास आती है और उसके पास बैठ कर
प्रतिभा - आई एम एक्सट्रीमली सॉरी... आपके साथ जो हुआ...
आदमी - कोई बात नहीं है मैडम.... आपने भी मेरी प्लास्टर चढ़ने तक यहाँ मेरे पास रह कर सब कुछ हैंडल किया... उसके लिए दिल से थैंक्स...
प्रतिभा - अरे यह कह कर... मुझे शर्मिदा ना करो... वैसे क्या आपने अपने परिवार वालो को इंफॉर्म कर दिया है कि नहीं...
आदमी - पता नहीं... मेरे दोस्तों ने किया होगा या.. शायद नहीं...
प्रतिभा - कोई नहीं... आप मुझे अपने पेरेंट्स के नंबर दीजिए... मैं उनसे बात कर लेती हूँ...
आदमी - पहली बात आप मुझे आप ना कहें... आप उम्र में मुझसे बड़ी हैं... आप या तो तुम कहें या तु... और रही मेरे परिवार को बात तो... मेरी माँ अब इस दुनिया में नहीं है... पर आप मेरे पिताजी को फोन कर इंफॉर्म कर दीजिए...
प्रतिभा - ओह... तुम्हारी माँ नहीं हैं... सॉरी... ठीक है तुम अपने पिताजी की नंबर दो...
आदमी - जी उनका नंबर है xxxxxxxxxx
प्रतिभा उस नंबर पर डायल करती है और जवाब का इंतजार करने लगती है l फोन पर रिंग सुनाई देती है, फिर एक मर्दाना आवाज़ गूँजती है..
आवाज़ - हैलो...
प्रतिभा - जी मैं... एडवोकेट प्रतिभा सेनापति बोल रही हूँ...
आवाज़ - जी कहिए...
प्रतिभा - जी वह आपके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है...
आवाज़ - क्या... कैसे.. कब... कहाँ है मेरा बेटा...
प्रतिभा - जी जी आप घबराए नहीं.. वह अब ठीक है... आप बस यहाँ आकर उसे ले जाइए...
आवाज़ - हाँ हाँ अभी आता हूँ... कौनसे हस्पताल में है...
प्रतिभा - जी एससीबी मेडिकल कॉलेज कटक में....
आवाज़ - थैंक्स.. थैंक्यू वेरी मच...
प्रतिभा - (उस नौजवान से) अच्छा... अब मैं चलती हूँ... मेरे घर पर मेरा इंतजार हो रहा होगा...
आदमी - ठीक है मैंम... एंड थैंक्यू अगेन...
प्रतिभा - ओके.. अच्छा... वैसे तुम मेरे बारे में तो जान ही गए... पर मुझे तुम्हारा परिचय नहीं मिला अब तक....
आदमी - जब ठीक हो जाऊँगा... तब आपसे मिलने आऊंगा... वादा रहा... तब तक के लिए... धन्यबाद...
उस आदमी के इस तरह की जबाव, प्रतिभा को पसंद नहीं आया इसलिए प्रतिभा वहाँ से चली जाती है और गाड़ी को भुवनेश्वर की और दौड़ा देती है l जब प्रतिभा घर पहुँचती है तो घर में दोनों बाप बेटों को उसका इंतजार करते हुए पाती है l
तापस - यह क्या भाग्यवान... कब से आने को फोन किया था और तुम अब आ रही हो... और कितनी बार तुमको फोन लगाया... पर तुमने उठाया नहीं....
प्रतिभा - क्या करूँ सेनापति जी... आपने बुलाया और मैंने भी निकलने में देरी नहीं की पर... जल्दी जल्दी में... मेरी गाड़ी से किसी की टक्कर हो गई.... उसके इलाज के चक्कर में... फोन गाड़ी में ही रह गया था...
प्रत्युष - क्या....(हैरान हो कर)
प्रतिभा - ओह ओ... इतना बड़ा रिएक्शन मत दो... ठीक है बेचारा...
तापस - अच्छा... पर वह एक्सीडेंट हुई कैसे...
फिर प्रतिभा उसे सब कुछ बताती है l कैसे क्या और कब हुआ l बाप बेटे ध्यान से सुनने के बाद l
प्रत्युष - माँ... जो भी हुआ... पर आपने अपनी ड्यूटी बराबर निभाई...
तापस - हाँ भाग्यवान... जो भी हुआ अच्छा ही हुआ... इसी बहाने तुमसे एक नेक काम हो गया...
प्रतिभा - हाँ... भगवान उसे शीघ्र स्वस्थ करें और उसे लंबी उम्र दें... पता नहीं क्यूँ जब से उस आदमी को देखा है... ऐसा लग रहा है जैसे... मैं उसे पहचानती हूँ... पर याद नहीं कर पा रही हूँ....
तापस - ठीक है... अब ध्यान से सुनो... आज शाम साढ़े सात बजे... राजधानी में मैं जा रहा हूँ... ठीक रात के दो बजे खडकपुर में... उतर जाऊँगा... कल दिन भर उसी काम में लगा रहूँगा... और शाम को पहली फ्लाइट पकड़ कर पहुंच जाऊँगा... मतलब तुम लोगों को... कल शाम को ही... प्रेस कांफ्रेंस रखना है.... और मैं वहाँ पर सबूतों के साथ पहुँचुंगा...
प्रतिभा - ओके... डन...
तापस - इसलिए... कल (प्रतिभा से) ना तुम कोर्ट जाओगी... ना तुम (प्रत्युष से) कल मेडिकल कॉलेज जाओगे... आज मुझे रिलीज कर दिया गया है.... हम तीनों... आज दिन भर घर पर रहेंगे... और रात को तुम दोनों मुझे स्टेशन पर छोड़ कर आओगे....
दोनों - ठीक....
तापस - हमारे इस कदम से मामला बहुत भड़केगा... इसलिए हम माहौल थोड़ा शांत होने पर ही ड्यूटी रिजॉइन करेंगे....
दोनों - ठीक...
इस तरह वह दिन बीत जाता है और शाम को माँ बेटे तापस को लेकर रेल्वे स्टेशन पर छोड़ने जाते हैं l स्टेशन पर तापस प्रत्युष को बहुत देर तक अपने गलेसे लगा कर रखता है l ट्रेन की हॉर्न सुनने के बाद उसे खुद से अलग करता है l तीनों के आँखों में आंसू आ जाते हैं l
तापस - ना जाने कितनी बार मैं टूर पर गया हूँ... पर कभी आंसू नहीं निकले...
प्रतिभा - हाँ.... पर पता नहीं क्यूँ आज आंसू रुक ही नहीं रहे हैं....
तापस और प्रतिभा दोनों प्रत्युष से - तु कुछ नहीं कहेगा...
प्रत्युष - क्या कहूँ डैड... बस.... आज आप दोनों के मन में जो पीड़ा है... वह मेरे वजह से है... मुझे माफ़ कर दीजिए... मेरे वजह से आपके आँखों में आंसू आ गए... सॉरी डैड... सॉरी माँ....
प्रतिभा - (सिसकते हुए) देख मैं कहती हूँ... तुझे सच में मरूंगी....
फिर तीनों एक दुसरे के गले लग जाते हैं l ट्रेन अपनी आखिरी हॉर्न देती है l तापस अपना कंपार्टमेंट चढ़ जाता है और
तापस - मैंने जो कहा है... वैसा ही करना... कॉन्फ्रेंस के लिए... मेरे फोन का इंतजार करना...
दोनों - ठीक है...
फिर तापस हाथ हिला कर बाय बाय करता है l प्रत्युष उसे एक फ्लाइंग किस देते हुए
प्रत्युष - लव यू डैड... लव यू...
तापस - (ट्रेन रफ्तार पकड़ चुकी है) लव यू माय सन... (पर प्रत्युष तक यह शब्द पहुंच नहीं पाते)
ट्रेन के जाने के बाद दोनों माँ बेटे कुछ देर वहीँ खड़े रहते हैं l फ़िर दोनों गाड़ी लेकर अपने घर की ओर चलते हैं l गाड़ी में दोनों खामोश बैठे हुए हैं l कोई किसीसे बात नहीं कर रहा है l गाड़ी जैल कॉलोनी में प्रवेश करती है l पर दोनों को महसूस होता है जैसे पुरी कॉलोनी विरान हो गई है l कहीं भी कोई नजर नहीं आ रहा है l दोनों को थोड़ा डर लगने लगता है l प्रतिभा घड़ी देखती है तो सिर्फ़ आठ ही बजे हैं l गाड़ी क्वार्टर के सामने पहुँचती है l प्रतिभा और प्रत्युष गाड़ी से उतरते नहीं है l थोड़ी देर बाद एक गहरी सांस छोड़ते हुए
प्रत्युष - देखा माँ... अपने ही घर में जाने के लिए भी... कैसे डर लग रहा है...
प्रतिभा - हाँ... इस डर की उम्र थोड़ी ही देर की है बेटा... (एक गहरी सांस छोड़ कर) चलो कल तेरे डैड के आने तक हम खुदको घर में... बंद कर लेते हैं....
दोनों गाड़ी से उतरते हैं, चारों ओर नजर घुमाते है l रात के आठ बजे पुरी की पुरी कॉलोनी सुनसान लग रही है l एक डरावनी ख़ामोशी पसर रही है l दोनों एक दूसरे के हाथ थाम कर दरवाजे के सामने खड़े होते हैं के तभी लाइट्स चली जाती है l एक क्षण के लिए चीख़ निकलते निकलते दोनों के हलक में रुक जाती है l
प्रतिभा - अपनी मोबाइल की टॉर्च ऑन कर....
प्रत्युष - (चुप रहता है)
प्रतिभा - प्रत्युष.. ऐ प्रत्युष....
प्रत्युष - हाँ... हाँ... माँ.. क्या कहा...
प्रतिभा - चल मोबाइल का टॉर्च ऑन कर... ताला खोलना है...
प्रत्युष मोबाइल निकालकर टॉर्च जलाता है l प्रतिभा ताला खोल कर अंदर आती है उसके पीछे पीछे प्रत्युष भी अंदर आता है और दरवाज़ा बंद कर देता है l दोनों ड्रॉइंग रूम में हैं l
प्रतिभा - तु यहीं पर कहीं बैठ जा... मैं किचन से कैंडल लाती हूँ...
प्रत्युष - ठीक है माँ... (प्रतिभा जाने को होती है) माँ..
प्रतिभा - ह... हाँ बेटा...
प्रत्युष - पता नहीं क्यूँ... मुझे डर सा लग रहा है... मैं भी आपके साथ किचन में चलूँ...
प्रतिभा - अच्छा चल...
दोनों किचन की ओर जा रहे होते हैं के तभी ड्रॉइंग रूम की टीवी चलने लगती है l दोनों माँ बेटे वहीँ रुक जाते हैं l
प्रतिभा - लगता है... लाइट्स वापस आ गई.... प्रत्युष तुने टीवी बंद नहीं किया था...
प्रत्युष - पर आज... टीवी मैंने ऑन ही किया कब था...
प्रतिभा - ठीक है... शायद भूल गया होगा... चल लाइट जला...
प्रत्युष - ओके माँ...
प्रत्युष स्विच बोर्ड तक जाता है और लाइट ऑन करता है l तभी प्रतिभा की नजर टीवी पर चल रहे न्यूज पर अटक जाती है l
प्रतिभा - ओह माय गॉड... यह... यह यश है...
प्रत्युष - (टीवी की ओर देखता है) हाँ... यही यश वर्धन है... क्यूँ.. क्या हुआ माँ... आप चौंकी क्यूँ...
प्रतिभा - यही तो आज मेरे गाड़ी से टकराया था... और मैंने ही उसे हस्पताल पहुंचायी थी...
प्रत्युष - व्हाट...(कह कर न्यूज देखने लगता है)
"न्यूज - आज केंद्र सरकार की जेनेरिक दवाओं पर लिए गए कदम की सराहना करते हुए यश वर्धन चेट्टी ने कटक में एक समर्थन रैली में हिस्सा ले कर प्रदर्शन कर रहे थे l पर अचानक उनकी तेज रफ़्तार से जा रही गाड़ी से एक्सीडेंट हो गई l आनन-फानन में उनको एससीबी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया l आज शाम को उनके पिताजी ओंकार चेट्टी उनको लेकर उनकी अपनी निरोग हस्पताल में आगे की चिकित्सा के लिए भर्ती करा दिया है l हमारी सम्वाददाता इस बारे में उनसे बात कि...
यश - (एक व्हीलचेयर में बैठा हुआ है) मैं सरकार की इस फैसले का पुरजोर समर्थन करता हूँ... हर तरह की जेनेरिक दवाइयाँ... आम नागरिकों तक आसानी से पहुँचे और किसी की भी जेब पर भारी ना पड़े....
रिपोर्टर - विश्व भर की फार्मा लॉबी.. हर उस सरकार के विरुद्ध हैं... जो इस तरह की फैसले का स्वागत कर रहे हैं... अपना रहे हैं... आप भी तो फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री को बिलौंग करते हैं...
यश - हाँ करता हूँ... पर मैं पैसों का भूखा नहीं हूँ... मुझे प्रॉफिट मिल रहा है... तभी तो सरकार की इस कदम का सराहना करते हुए प्रदर्शन में भाग लिया था...
रिपोर्टर - क्या यह एक्सीडेंट प्लान्ड था... या हो गया...
यश - यह कह कर आप उस महिला की अपमान कर रहे हैं.... जिन्होंने आज दिन भर पास रह कर मेरी फर्स्ट ऐड और प्राइमरी ट्रीटमेंट कराया...
रिपोर्टर - सर और एक...
यश - नो.. नो मोर क्वेश्चन...
तो यह थे हमारे राज्य के युथ आइकन श्री यश वर्धन चेट्टी l
अचानक टीवी बंद हो जाती है l
प्रत्युष - अरे.. आपने टीवी बंद क्यूँ की...
प्रतिभा - मैंने कब बंद की... मेरे पास रिमोट ही कहाँ है...
प्रत्युष - फ़िर...
एक आवाज़ सुनाई देती है
- टीवी मैंने बंद की.... रिमोट मेरे पास है...
दोनों उस आवाज़ की तरफ देखते हैं l वहाँ पर यश दिखता है l जो धीरे धीरे चलते हुए सोफ़े पर बैठ जाता है l प्रतिभा और प्रत्युष के होश उड़ जाते हैं l यश के सामने माँ बेटे ऐसे खड़े हुए हैं, जैसे कोई मुज़रिम अदालत में खड़ा होता है और यश जज को तरह अभी उनका फैसला करने वाला है l
प्रतिभा - ओ.. तो तुम.. यश हो...
यश - हाँ... (एक शैतानी हँसी चमक उठती है उसके चेहरे पर) मैं ही हूँ... इस राज्य का आदर्शवादी... युवा नायक बिजनेसमैन... यश वर्धन चेट्टी...
प्रत्युष - युवा नायक... माय फुट...
यश - अभी... कुछ देर पहले... डर के मारे एक छोटा सा बच्चा... अपनी माँ की गोद में घुसा जा रहा था... मीमीया रहा था.... अब देखो कैसे दहाड़ रहा है...
प्रतिभा - त... तुम्हारा तो... पैर टुट गया था ना...
यश - हाँ... पर आपने मेरी ऐसी सेवा की के... मेरा पैर अभी जुड़ गया है... तभी तो मिलने आया हूँ... वादा जो किया था...
प्रतिभा फोन करने की कोशिश करती है पर फोन नहीं लगती l वह लैंडलाइन पर कोशिश करती है तो उसे लाइन डेड मिलती है l फ़िर प्रत्युष भाग कर दरवाज़ा खोलने की कोशिश करता है तो उसे दरवाज़ा बाहर से बंद मिलता है l दोनों अब खौफ़जादा हो कर यश को देखने लगते हैं l
यश - मैं तुझको पहले रिवार्ड दिया... फिर अपनी हॉस्पिटल में जॉब के साथ साथ पीजी करने की छूट भी दी... पर तुम... तुमने मेरे साथ ऐसा क्यूँ किया... मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था... तुमने ऐसा सिला दिया...
(प्रतिभा की बार बार फोन करने की कोशिश को देखते हुए) ना... नहीं मैडम... आपका फोन काम नहीं करेगा.... मेरे आदमियों ने यहाँ बाहर जैमर लगा दिए हैं... और जंक्शन बॉक्स से लैंडलाइन की कनेक्शन निकाल दिए हैं... इसलिए बेकार की कोशिश ना करें...
प्रतिभा - (चिल्ला कर) बचाओ... हेल्प... हेल्प... बचाओ.... आ.. आ आआआआ... बचाओ...
यश - कमाल है... अभीतक मैंने कुछ भी किया नहीं... बचाने के लिए लोगों को बुला रही हैं... जबकि मैंने थोड़े ही दूर पर फ़िल्म स्टार अतुल साहू की लाइव परफॉर्मेंस करवा रहा हूँ... और जैल कॉलोनी वालों को... पास के नाम पर सबको यहाँ से रफा-दफा कर चुका हूँ... इसलिए इस वीराने में आप दोनों, मैं और मेरे आदमी हैं... बस और कोई नहीं है...
प्रतिभा प्रत्युष के पास भाग कर जाती है उसे अपने पीछे ले लेती है और यश से कहती है
प्रतिभा - खबरदार जो मेरे बेटे को कुछ किया तो...
यश - अभी तो मैं कुछ नहीं करने वाला... बस बताना चाहता हूँ... और दिल से एक डील करना चाहता हूँ...
प्रतिभा - कैसी डील...
यश - अरे आप बैठिए तो सही... बैठिए बैठिए...
दोनों माँ बेटे यश के सामने वाली सोफ़े पर बैठ जाते हैं l
यश - तुम दिल्ली गए... जैसे ही मेरी दवाओं का लैब टेस्ट कराया... मुझे खबर मिल गई... चूँकि फॉर्म में... मेरी कंपनी का नाम नहीं था... इसलिए मैंने उन्हें असली रिपोर्ट देने को कहा... उसके बाद मैंने तुम पर नजर रखने लगा... अरे हाँ... तुम्हारे वह अंकल... वह कल से ही अपने भगवान प्यारे हो गए हैं... उनकी सढी गली लाश आज सुबह ही मिली... बीएमसी वालों ने इलेक्ट्रिक चूले में अंतिम संस्कार कर दिया... चु चु चु चु.. कितना बुरा हुआ नहीं...
(प्रतिभा के चेहरे पर पसीना उभरने लगती है l यश कहना चालू रखता है)
मैंने फ़िर भी तुमको मौका दिया... देता रहा... पर तुम निकले हरामी... तुमने हर जगह मेरी दवाओं की परीक्षण के लिए सैंपल भेजे... मैंने अपने कनेक्शन इस्तमाल करके... नीट एंड क्लिंन हो गया... फिर भी तुम बाज नहीं आए... अपने बाप को कलकत्ते भेज दिया....
प्रत्युष और प्रतिभा हैरान हो कर एक दुसरे को देखने लगते हैं l
प्रतिभा - त.. तुम्हें कैसे मालुम हुआ... वह कलकत्ता गए हैं...
यश - प्रत्युष के दिल्ली से आने के बाद... तुम्हारे घर में जो इलेक्ट्रिक वाइरिंग का काम हुआ था... वह मैंने ही करवाया था.... तभी मैंने अपने आदमी के जरिए तुम्हारे घर में यह (पॉकेट से कुछ माइक्रो माइक निकालता है) लगवा दिए थे... इसलिए आप सबकी बातों को सुन पा रहा था...
प्रतिभा - (रोते हुए हाथ जोड़ कर) प्लीज... मेरे बेटे को कुछ मत करो... मैं हाथ जोड़ती हूँ... पांव पड़ती हूँ...
यश - पर मैडम आपने अभी तक... मेरे पांव पड़े नहीं हैं...
प्रतिभा भाग कर आती है और यश के पैरों पर गिर जाती है l
यश - हाँ... यह ठीक तो है... पर... पर बेकार जाएगा... (प्रतिभा उसे हैरान हो कर ना समझने वाली भाव से देखती है) क्यूंकि आज यहाँ पर... हत्या और डकैती दोनों होंगी...
प्रतिभा - क्या.. (कह कर उठ जाती है)
प्रतिभा जैसे ही उठ खड़ी होती है यश भी उठ खड़ा होता है और प्रतिभा को चटाक से एक ज़ोरदार चाटा मार देता है l प्रतिभा दो घेरा घुम कर सोफ़े पर गिरती है l प्रत्युष माँ कहकर चिल्ला कर प्रतिभा के पास पहुंचता है और देखता है प्रतिभा के गालों पर यश के उंगलियों छाप पड़ गए हैं और होठों के किनारे से खुन बह रहा है l
प्रत्युष - कमीने यश...
(चिल्ला कर यश की तरफ बढ़ता है)
प्रतिभा - नहीं... प्रत्युष (चिल्लाती है)
देर हो जाती है l यश अपनी आस्तीन से एक चाकू निकाल कर पहले प्रत्युष के पेट में घोंप देता है l प्रत्युष का जिस्म यश पर लुढ़क जाता है l प्रतिभा की आवाज़ उसके गले में अटक जाता है l इधर प्रत्युष का जिस्म जो यश पर लुढ़का हुआ है छटपटाने लगता है l प्रतिभा की आँखें फटी रह जाती है l यश ज़ख्मी प्रत्युष को प्रतिभा की तरफ घुमाता है और फिर प्रत्युष के गले पर चाकू चला देता है l प्रतिभा और बर्दास्त नहीं कर पाती वहीँ बेहोश हो जाती है l
(फ्लैशबैक में स्वल्प विराम)
तापस चुप हो जाता है थोड़ी देर के लिए खान भी चुप हो जाता है l खान तापस की चेहरे पर नजर डालता है l अब तक कहानी को एक अलग भाव से कहने वाले की आंखे जैसे बुझ सी गई हैं l चेहरे पर दर्द छलक कर बाहर आने को लग रहे हैं पर आँखों ने जैसे ज़बरदस्ती रोक लिया है l खान ख़ामोशी को तोड़ते हुए
खान - तापस... (तापस के हाथ पर हाथ रखकर) आर यु ओके....
तापस - हूँ.. ह... हाँ.. मैं ठीक हुँ... खान - अच्छा... तो... तुम्हें... कब पता चला... प्रत्युष की इंतकाल के बारे में....
तापस - मैं खडकपुर में पहुँचा ही था कि... मुझे दास ने फोन कर प्रत्युष के बारे में जानकारी दी... मैं वहीँ पर उतरकर... टैक्सी से वापस भुवनेश्वर आ गया... सुबह जब पहुँचा तो देखा... प्रतिभा एक गुमसुम सी पत्थर की मुरत बन गई है... रो रो कर जैसे उसकी आँखे सुख गई हों... पुलिस अपनी तफ़तीश को अंजाम दे चुकी थी... मेरे पास आकर एक ऑफिसर ने मुझसे कहा कि यह डकैती और खुन का मामला है... अनजान लोगों के विरुद्ध...
खान - ओ... मतलब कोई सबूत नहीं मिले...
तापस - नहीं...
खान - अच्छा तुम्हारे पास तो... दवाओं के सैंपल थे ना... उसके जरिए तुम मर्डर की लिंक स्थापित करने की कोशिश की होगी....
तापस - नहीं... नहीं कर सका...
खान - क्यूँ...
तापस - क्यूंकि मैं जिस टैक्सी से पहुँचा था... वह टैक्सी मुझे वहीँ छोड़ कर चली गई थी...
खान - व्हाट... मतलब... वह टैक्सी...
तापस - पहले से ही... मेरे लिए... खडकपुर में खड़ी थी... मुझे मेरे मंजिल तक पहुँचा कर... बिना किराये लिए... मेरे समान के साथ चली गई...
खान - तो फ़िर... एफआईआर तो दर्ज कराया था ना तुमने...
तापस - हाँ... पर तहकीकात में ही... केस मार खा गई...
खान - कैसे...
तापस - यश वर्धन बहुत बड़ा इंडस्ट्रीयलीस्ट था... उसके गिरेबान पर हाथ डालने के लिए... पक्के सबूतों की दरकार थी... क्यूंकि प्रतिभा के बयान के मुताबिक जिस वक्त... यश मेरे घर पर था... निरोग हस्पताल के बुलेटिन और सीसीटीवी के मुताबिक... यश उस वक़्त निरोग हस्पताल के वीआईपी कैबिन में था.... और उसी समय यश से मिलने भुवनेश्वर के मेयर पिनाक सिंह क्षेत्रपाल भी मौजूद थे... पुरे दो घंटे तक.... उन्होंने अपनी गवाही में उस बात को पुष्टि की.... और यह बात... सीसीटीवी में भी पुष्टि हो गई.... पिनाक सिंह एक डॉक्टर के साथ अंदर कैबिन में जाता है... फिर पांच मिनट बाद डॉक्टर पिनाक सिंह को उसी कैबिन में छोड़ कर बाहर चला जाता है.... पिनाक सिंह दो घंटे तक यश के साथ उस कैबिन में बैठा रहा... दो घंटे बाद डॉक्टर अंदर जाता है... फिर पांच मिनट के बाद... पिनाक सिंह डॉक्टर के साथ बाहर निकल जाता है....
खान - या अल्लाह... कितना ख़तरनाक प्लान था... मर्डर की कोई भी थ्योरी यहाँ काम नहीं आया होगा...
तापस - हाँ...
खान - कैसे मैनेज किया उसने...
तापस - पुलिस वाले हो... दिमाग पर थोड़ा जोर डालो... और... थ्योरी एस्टाब्लीश करो...
खान - (कुछ देर सोचता है) ह्म्म्म्म... तो प्रत्युष के मर्डर में... मेयर पिनाक सिंह की मदत ली गई थी... निरोग हस्पताल यश की अपनी थी... सीसीटीवी के कैमरे करिडर में लगे होंगे... तो हुआ यूँ होगा... यश के कद और काठी के बराबर एक आदमी को डॉक्टर की लिबास में... चेहरे पर सर्जिकल मास्क लगाए हुए.... पिनाक सिंह के साथ... वीआईपी कैबिन में ले जाया गया होगा... कैबिन में उस आदमी के साथ यश ने लिबास अदला-बदली कर... चेहरे पर सर्जिकल मास्क लगा कर... बाहर निकल गया होगा.... पुरी तैयारी के साथ... और अपना काम खत्म करने के बाद... उसी डॉक्टर के लिबास में वापस अपने कमरे में आकर उस आदमी से लिबास की अदला-बदली किया होगा.... फिर पिनाक सिंह उस डॉक्टर के लिबास पहने आदमी के साथ बाहर निकल गया... यही हुआ होगा...
तापस - परफेक्ट... पर हम यह... साबित नहीं कर पाए.... और यश को क्लीन चिट मिल गया....
खान - फ़िर यश ने पलट वार किया क्या...
तापस - नहीं... उसने बहुत बड़ा दिल दिखाया... हमे माफ कर दिया... हमारी कभी ना खतम होने वाली दुख और पीड़ा के प्रति संवेदना व्यक्त की... और फिर हमे हमारी हाल पर छोड़ दिया... यह एहसास दिला कर... के हम उसका कभी भी... कुछ भी... उखाड़ नहीं पाएंगे....
खान - ह्म्म्म्म... फिर भाभी... और तुम... तुमने खुद को कैसे संभाला...
तापस - हमारी लड़ाई दो महीने तक चली.... यश को क्लीन चिट मिल जाने के बाद... मीडिया और पब्लिक ने हमारा जीना हराम कर के रख दिया... किसीने हम पर ही इल्ज़ाम लगा दिया... के हम... हमने.. अपने ही बेटे को मार डाला.. वगैरह वगैरह... इससे प्रतिभा और भी टुट गई... उसे दौरे पड़ने लगे... वह रो रो कर बेहोश हो जाने लगी... उसने कोर्ट जाना बंद कर दिया था....
खान - ओह...
तापस - कुछ मामलों में... हम मर्द वाकई बहुत कमजोर और स्वार्थी होते हैं... मुझसे प्रतिभा का दुख देखा नहीं जा रहा था... और उसके पास रुक कर दुख बांटा भी नहीं जा रहा था... इसलिए मैं ऑफिस चला जा रहा था... एक दिन प्रतिभा को हमारे जुड़वे बच्चों की तस्वीर लिए गुमसुम बैठे देखा तो मुझसे रहा नहीं गया...
(तापस के द्वारा फ्लैशबैक का अंतिम दौर)
तापस - (खीज कर) यह क्या है जान... आखिर कब तक... कब तक इन तस्वीरों में खोई रहोगी... वी आर फैल्ड... एज पेरेंट्स... एंड... वी आर रिजेक्टेड... फ्रॉम सोसाईटी...
प्रतिभा - (चुप रहती है)
तापस - (धीरे से) कहो तो... हम गांव चले जाएं... सब कुछ छोड़ छाड़ कर...
प्रतिभा - नहीं... (चीखते हुए) हरगिज़ नहीं... ( फोटो से ध्यान हटा कर तापस की ओर देखते हुए) मुझे उस यश वर्धन का अंत देखना है... (आवाज़ कठोर हो जाता है) उसका साथ देने वाला क्षेत्रपाल का अंत देखना है... या फिर घुट घुट के... एड़ियां रगड़ रगड़ कर मर जाना है... (तापस प्रतिभा का यह रूप देख कर हैरान हो जाता है) मुझे समाज से कोई मतलब नहीं है... ना ही भगवान से शिकायत है... पर मैं यश की अंत देखे बिना... हरगिज नहीं मरने वाली.... (फिर सिसक सिसक कर रोते हुए) जानते हैं सेनापति जी... मुझे बहुत पहले... उस वैदेही और उस विश्व से माफी मांग लेनी चाहिए थी... भगवाने मुझे मौका भी दिया था... मंदिर में... पर अपनी झूठी अहंकार की मुखौटे के पीछे खुद को छुपा कर... उससे माफ़ी नहीं मांगी.... इसलिए मैंने अपने प्रत्युष को खो दिया.... (रो देती है)
तापस - (उसे गले से लगा कर) तुम कबसे ऐसा सोचने लगी...
प्रतिभा - (बिलख बिलख कर) नहीं सेनापति जी... ऐसा ही है...
तापस - तुम प्रत्युष की मौत के लिए खुद को जिम्मेदार मान रही हो... और वैदेही खुदको जिम्मेदार मान रही है...
प्रतिभा - (हैरान हो कर तापस को देखने लगती है) क्या... यह आप क्या कह रहे हैं....
तापस - हाँ जान... प्रत्युष के बारे में जानने के बाद... वह एक बार तुमसे मिलने आई थी... पर तुम इस कदर बदहवास थी के... मैंने उसे तुमसे मिलने से रोका... वह बहुत गिड़गिड़ाई और माफी भी मांगने लगी... जब मैंने वजह पूछी तो उसने कहा कि... उसने कोई भी श्राप नहीं दी थी... फिर भी प्रत्युष के लिए वह खुद को दोषी मान रही है... क्यूंकि उसने हमारे पहली मुलाकात में कहा था... की "भगवान ना करे... किसी दिन इंसाफ़ की बिजली आपके घर पर गिरे"...
प्रतिभा - क्या...
तापस - हाँ जान... इस बात उसने अपने मन में गांठ बांध कर... तुमसे माफी मांगने आई थी...
प्रतिभा - तो... तो आपने... मिलने क्यूँ नहीं दिया...
तापस - (चिढ़ते हुए) क्यूंकि मैं... मैं... उस बात को सच मान कर ज़ज्बात के रॉ में बह गया... खूब खरी खोटी सुनाया.... और उसे निकाल दिया....
प्रतिभा - यह आपने ऐसा क्यूँ किया... उसने सच ही तो कहा था... विश्व निर्दोष था... पर कानून के चंगुल में फंस गया... वह उसके इंसाफ़ के लिए दर दर भटक रही थी.... हमारे पास भी आई थी... मैंने दुत्कारते उसे भगा दिया था... और हम... हम तो... कानून के दो मुहाफिज हैं... फिर भी हम... अपने बेटे को इंसाफ़ ना दिला पाए.... वैदेही ने तो... हमे आगाह किया था... ना कि अभिशाप दिया था... आपने उस बिचारी को... और भी दुखी कर दिया...
तापस - (खुद को संभाल कर) सॉरी जान... आई एम रियली सॉरी... मैं... मैं... तुम्हारी तरह नहीं सोच पाया... सॉरी... मैं... अगली बार... उसे तुम्हारे सामने लाउंगा... जरूर लाउंगा....
वैदेही से मिलवाने का वादा तो कर दिया तापस ने, पर उसकी परेशानी यह है कि, वैदेही एक महीने से विश्व से मिलने भी नहीं आई है l
तापस प्रतिभा की ओर देखता है तो उसका दिल चूर चूर हो जाता है l प्रतिभा अब बुढ़ी लगने लगी है उसके आँखों के नीचे और चेहरे पर हल्की हल्की झुर्रियाँ दिखने लगी है l चेहरा एक दम सपाट और बच्चों की बचपन की फोटो हाथ में लेकर उनमें खोई रहती है l तापस ने दास और सतपती के मदत से ड्यूटी किसी तरह मैनेज कर रहा है l कभी कभी दुख कम करने के लिए प्रतिभा को घर में बंद कर ड्यूटी पर चला जाता है l तापस प्रतिभा को देख देख कर भगवान से प्रार्थना कर रहा है
- काश वैदेही आ जाए... तो शायद प्रतिभा थोड़ी संभल जाएगी... हे भगवान प्लीज वैदेही से मिलवा दो...
तभी घर की लैंडलाइन बजने लगती है, तापस का ध्यान टूटता है l वह जा कर फोन उठाता है
तापस - हैलो...
दास - सर... दास बोल रहा हूँ...
तापस - हाँ दास बोलो...
दास - सर वैदेही आई है...
तापस - क्या.. (उम्मीद वाली खुशी से) क्या... सच में वैदेही आई है...
दास - यस सर... मैंने उसे और विश्व को लाइब्रेरी में बातेँ करने के लिए... इजाज़त दे दी है...
तापस - गुड.. वेरी गुड... एंड.. थैंक्यू... दास... थैंक्यू...
दास - सर इसमे... थैंक्स जैसी क्या बात है सर... आप बस जल्दी आ जाइए...
तापस - ठीक है दास... मैं.. मैं.. आ रहा हूँ...
फिर तापस एक नजर प्रतिभा को देखता है और फिर बाहर निकल कर घर पर ताला लगा देता है l गाड़ी में बैठ कर जैल में पहुँच कर सीधे लाइब्रेरी की ओर जाता है l लाइब्रेरी में
विश्व - तुम इतने दिनों से आई क्यूँ नहीं दीदी...
वैदेही - (दुख भरे आवाज में) मैं ख़ुद से नाराज़ थी मेरे भाई... हर पल मुझे यह लग रहा था... जैसे मुझसे कोई अनर्थ हो गया है... मैं.. मैं उसकी प्रायश्चित के लिए... उपाय ढूंढ रही थी...
विश्व - यह क्या अनाप सनाप बोल रही हो... और किस अनर्थ की बात कर रही हो...
वैदेही - जब मैं तेरे लिए... वकील ढूंढ रही थी... तब एक दिन सेनापति सर जी के घर गई थी... चूँकि उनकी पत्नी एक वकील थी... तो उनसे किसी जान पहचान वकील के बारे में पूछा... तो उन्होंने मना कर दिया था... क्यूंकि वह अपने कर्तव्य से... अपनी नौकरी से बंधे हुए थे.... पर (सिसकते हुए) बात बात में... मेरे मुहँ से निकल गया... "भगवान ना करे... कभी आपके घर पर इंसाफ़ की बिजली गिरे..." (रो देती है) मेरे भाई वह मेरे मुहँ से वैसे ही... निकल गया था... मैंने कैसे उनको बद दुआ दे सकती थी... विशु... पर वह शब्द मेरे बद दुआ बन कर गिरी उनके परिवार पर... उस घर का चिराग बुझ गया विशु... वह भी (आँखों के भाव बदल जाते हैं और गुस्से भरे लहजे में) उस कमीने यश वर्धन के हाथों... (फ़िर सिसकते हुए) मेरे भाई मैंने कोई श्राप नहीं दिआ था... बस मेरे मुहँ से निकल गया था... और देखो उनके जैसे अच्छे लोग... इंसाफ़ की लड़ाई... लड़ते लड़ते हार गए...
विश्व - दीदी.. इस बात के लिए... आप खुद को दोषी क्यूँ मान रही हो...
वैदेही - मैं... मैं... सेनापति सर जी से मिली... उनको सब बताया... मैं... मैंने तो उनकी पत्नी को मासी कहा था... फिर मैं कैसे उनको श्राप दे सकती हूँ बोलो...
विश्व - दीदी तुम बहुत ही अच्छी हो... अब सब भाग्य पर छोड़ दो... जो होना होगा... वही होगा...
वैदेही - जानते हो विशु... जब भी... मैं नींद से जागती हूँ... तब से... तब से लेकर सोने तक... मैं हर रोज... हर पल... क्षेत्रपाल और यश चेट्टी को श्राप देती रहती हूँ... उनका कुछ नहीं हो रहा है... पर बेचारे सेनापति सर... कितने अच्छे लोग हैं... कितना बुरा हुआ है... उनके साथ...
विश्व कुछ कह पाता तभी तापस अंदर आते हुए वैदेही से कहता है
तापस - मुझे माफ कर दो वैदेही... मुझे माफ कर दो..
वैदेही - यह... यह आप क्या कह रहे हैं... मुझसे माफी... क्यूँ...
तापस - माफी मांग इसलिए रहा हूँ... की तुम मुझे अभी भी अच्छा समझ रहे हो... माफी इसलिए मांग रहा हूँ... के बेटे को खोने के बाद भी... सोचने समझने की क्षमता.. मेरी पत्नी में तो है... पर मुझमें नहीं रही.... (हाथ जोड़ कर) प्रतिभा से एक बार मिल लो... वह तुमसे मिलना चाहती है.... प्लीज...
वैदेही - सर प्लीज... आप यूँ हाथ ना जोड़ीये... पाप लगेगा मुझे...
तापस - ठीक है... चलो प्लीज...
वैदेही - ठीक है... चलिए... अच्छा विशु.... मैं... बाद में मिलती हूँ...
विश्व - ठीक है दीदी.. आप जाओ...
वैदेही को लेकर तापस चला जाता है l
अगले दिन
सेंट्रल जैल
विश्व एक पेपर हाथ में लिए तापस की ऑफिस की कैबिन के बाहर पहुँचता है l बाहर उसे जगन मिलता है
विश्व - जगन भाई... क्या सर अंदर हैं...
जगन - नहीं... अभी तक... आए नहीं हैं... क्यूँ कुछ काम था क्या...
विश्व - हाँ था तो...
जगन - तो एक काम कीजिए ना... आप सतपती सर जी के कैबिन में जाइए... और उन्हें बताइए... वह शायद आपका काम कर दें...
विश्व - ठीक है जगन...
विश्व सतपती के कैबिन की ओर जाने को मुड़ा ही था कि उसे तापस आवाज़ देता है
तापस - विश्व... तुम मेरे पास ही... आए थे ना...
विश्व - (तापस को देख कर) जी...
तापस - (जगन से) जाओ... सतपती और दास को बुलाओ...(विश्व से) अंदर आओ विश्व... (दोनों तापस के कैबिन में आते हैं) हम्म... अब कहो... क्या काम है...
विश्व - सर... वकील साहिबा जी... कैसी हैं...
तापस - वैदेही से मिलकर... उसकी हालत थोड़ी सुधरी है... इसलिए आज हिम्मत कर पाया हूँ... यहाँ आने के लिए... खैर तुम उसकी खबर जानने के लिए तो नहीं ढूंढ रहे थे मुझे.... कहो क्या बात है...
विश्व - सर पता नहीं... इस वक्त.. यह कहना सही रहेगा या नहीं...
तापस - पहले कहो... सही गलत का निर्णय हम बाद में करेंगे...
तभी कैबिन के बाहर दास और सतपती पहुँचते हैं उन्हें देखते ही
तापस - नो फॉर्मालिटीस... कॉम इन... हाँ विश्व कहो...
विश्व - सर यह देखिए... (पेपर दिखाते हुए)
तापस - (पेपर को देख कर) हम्म.. तुम क्या चाहते हो विश्व...
दास - (तापस से) वह क्या है सर...
तापस - विश्व बताओ...
विश्व - सर यह एक एनजीओ है डी आई डी... मतलब ड्यूटी इज़ डीवाइंन... जो जैल में इच्छुक कैदियों को... स्किल ट्रेनिंग देते हैं... और जैल में उनके कमाई के लिए... बाहर से ऑर्डर लाकर देते हैं... जिसकी सजा खत्म हो जाती है... उसकी दुकान लगाने में सहायता करते हैं....
दास - तो तुम चाहते हो... हम इनसे कंटाक्ट करें... (तापस से) सर इस एनजीओ को... अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेकों पुरस्कार मिले हैं... इनका मुख्य मिशन... जैल में कैदी सुधार कार्यक्रम है....
तापस - हूँ ... यह अच्छा आइडिया है... जैल में सजायाफ्ता कैदी सुधार कार्यक्रम... ओके विश्व तुम जाओ... मैं देखता हूँ... क्या किया जा सकता है...
विश्व - ठीक है सर... (विश्व बाहर चला जाता है)
दास - सर यह बंदा... सुधार के बारे में सोच रहा है... और कुछ लोग हैं... इंसान और इंसानियत को जहन्नुम बनाने के लिए... किसी भी हद तक जा रहे हैं....
तापस - क्या बात है दास... इमर्जेंसी है कह कर बुलाए हो... क्या खबर है...
सतपती - सर ख़बर सीरियस है... हमें... थोड़ा सिक्रेसी मेंटेन करना होगा...
तापस - एनी थिंग प्रॉब्लम...
सतपती - यस सर... बिग... वेरी बिग प्रॉब्लम...
कह कर सतपती दास को इशारा करता है l दास तापस के कैबिन को अंदर से बंद कर देता है l फ़िर उन तीनों में गुप्त मीटिंग होती है l विश्व बाहर निकालते वक्त सिर्फ इतना ही सुन पाया कि
"कुछ लोग हैं... इंसान और इंसानियत को जहन्नुम बनाने के लिए... किसी भी हद तक जा सकते हैं.."
विश्व अनुमान लगाने की कोशिश करता है, दास के कहे इस बात का क्या मतलब हो सकता है l वह सोचते सोचते जा रहा है के उसे आवाज़ आती है "विश्वा भाई..." विश्व मुड़ कर देखता है तो सीलु है
विश्व - क्या है सीलु...
सीलु - (पास आकर) तुम सुपरिटेंडेंट के ऑफिस में क्यूँ गए थे..
विश्व - उनकी मानसिक हालत को समझने के लिए... कल जब आए थे.. तो बिखरे हुए लग रहे थे....
सीलु - क्यूँ...
विश्व - ऐसे ही... अच्छा... क्या कुछ खबर है....
सीलु - किस बात का...
विश्व - मुझे लगता है... इस जैल में कुछ होने वाला है...
सीलु - अच्छा... तो ठीक है... पता करने की कोशिश करता हूँ....
तभी अचानक हुटर बजता है l सभी कैदी अपना अपना काम छोड़ कर ग्राउंड पर जमा होते हैं l थोड़ी देर बाद तापस दास और सतपती के साथ पहुँचता है l
तापस - दोस्तों... यहाँ उपस्थित होने के लिए धन्यबाद.... एक विशेष सुचना देने के लिए... आप सबको यहाँ बुलाया गया है.... जैसा कि आप सबने हमेशा... हर तीसरे महीने में रूटीन मॉकड्रिल में साथ दिया है... वैसे ही आने वाले सात दिनों में... तरह तरह से मॉकड्रिल की जाएगी... यह आप सबकी और इस जैल की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है.... क्यूंकि सात दिन के बाद... इस जैल में... तीन खतरनाक कैदीयों को लाया जाएगा... वह असल में... अंतर्राज्यीय डकैत हैं.... पेशेवर हत्यारे हैं... उनको छुड़ाने के लिए कोशिश हो सकता है... तभी यहाँ पर इमर्जेंसी डिक्लेर किया जाएगा... आप लोग तब खुद को सुरक्षित करने के लिए कोशिश करेंगे... तो अब आप लोग... सहयोग करें... और मॉकड्रिल में हिस्सा लें...
एक कैदी - क्या वह खतरनाक डकैत... हमारे साथ रहेंगे....
दास - नहीं... उनके लिए स्पेशल सेल में व्यवस्था किया जा रहा है... स्पेशल सेल में... एक सीमेंट की पानी की टंकी है.... उसे ईगलु सेल में कन्वर्ट किया जा रहा है... उन तीनों को वहाँ पर रखा जाएगा.... पर आप सबको अनुरोध है... उन लोगों से मिलने की कोशिश भी मत करना...
सारे कैदी - ठीक है...
उसके बाद सात दिनों तक मॉकड्रिल होता रहा और सारे कैदियों को सुरक्षित स्थानों पर खुद को पहुँचाने और खुद को छुपाने की ट्रेनिंग लेते रहे l इन सात दिनों में विश्व लाइब्रेरी में न्यूज पेपरों को छानता रहता है l ठीक सात दिनों बाद जैल का ईगलु सेल तैयार हो जाता है l उस दिन रात के पौने दो बजे एक वैन सुरक्षा के घेरे में आ पहुँचती है l उनमें से तीन कैदियों को बेड़ियों के साथ ईगलु सेल में बंद कर दिया जाता है l
इस बात को, सारे कैदी सुबह तक जान भी जाते हैं कि उनके बगल वाले सेल में वही खतरनाक मुज़रिमों को ठहराया गया है l इस विषय को लेकर जैल में हर कैदी आपस में खुसुर-पुसुर कर रहे हैं l
लंच के समय
अपनी आदत के मुताबिक विश्व डायनिंग हॉल में एक कोने वाली टेबल पर विश्व खाना खा रहा है और उसके साथ सीलु और टीलु भी बैठे हुए हैं l
विश्व - सुनो... अपने साथियों से कहो... और साथ में तुम भी... कल जो नए कैदी आए हैं... उनसे मिलने जाने वाले हर आदमी पर नजर रखो... चाहे जैल स्टाफ हो... या कोई आम कैदी या फिर कोई और... कुछ भी गड़बड़ लगे... या किसी पर शक हो... तो तुरंत मुझे खबर करो...
सीलु - क्यूँ भाई... कुछ गड़बड़ वाली बात है क्या...
विश्व - हाँ... उस स्पेशल सेल से संबंधित... सब पर... पैनी नजर रखो...
टीलु - भाई... आपकी बातों से लगता है... बात बहुत सीरियस है...
विश्व - हो सकता है... मैं गलत हो जाऊँ... पर तुम लोग.... अपनी आँख, कान, नाक और मुहँ को अलर्ट मोड़ पर रखो...
(सीलु और टीलु एक दुसरे को हैरान हो कर देखते हैं) अगर... मैं सही हूँ... तो तुम सोच भी नहीं सकते... हम कितनी बड़ी खतरे के बीच में हैं...
सीलु और टीलु - ठीक है भाई....
विश्व ने सीलु और टीलु को काम पर लगा दिया और खुद जैल की अच्छी तरह से रेकी करता रहा l जब भी टाइम मिलता वह लाइब्रेरी में जा कर पेपर खंगालता रहता और कभी कभी लाइब्रेरी के खिड़की से झांकते हुए सब पर अपनी नजर से स्कैन करने की कोशिश करता रहता है l
दस दिनों के बाद डायनिंग हॉल में विश्व खाना खा रहा है कि सीलु विश्व से अपना हाथ जोड़ते हुए उपर उठा कर कहता है "नमस्कार विश्वा भाई जी"
नमस्कार शब्द सुन कर विश्व की भवैं तन जाते हैं और वह सीलु को देखता है और ज़वाब में नमस्कार कहता है l सीलु अपनी आँखे चौड़ी कर सर को हल्का सा हाँ में हिलाता है, और हाथ धोने वॉश रूम में चला जाता है l विश्व खाना खतम कर वॉश रूम में थाली धोने चला जाता है l वॉश रूम में सीलु से इंफॉर्मेशन लेने के बाद वह सीधे अपने सेल में जाकर काग़ज़ पर बार बार लिख कर फिर मिटाता रहा l ऐसे करते करते शाम हो जाता है l फिर अचानक से उसकी आँखे चमकने लगती हैं l वह अपनी सेल से निकल कर तापस की कैबिन की ओर जल्दी जल्दी जाने लगता है l जैसे ही तापस के कैबिन के पास पहुँचता है, इधर उधर देख कर बिना दरवाज खटखटाये वह तापस के कैबिन में घुस जाता है l
तापस - (चौंक कर) यह क्या है विश्व... तुम ऐसे कैसे घुस गए...
विश्व - सर बहुत ही इंपोर्टेंट बात है... वह आपके स्पेशल सेल वाले टेररीस्ट भागने वाले हैं...
तापस - क्या...(हकलाने लगता है) यह त.. तुम.. क.. क्या... कह रहे हो...
विश्व - सर... मुझ पर विश्वास कीजिए... वह लोग टेररीस्ट हैं... यह बात जो भी जानते हैं... उन सबको यहां... इसी वक़्त बुलाइये... वह कमीने अपने प्लान को लेकर तैयार हैं... कहीं हमसे देरी ना हो जाये ...
तापस - ओके... रुको... पांच मिनट...
तापस जल्दी से अपने इंटरकॉम से दास और सतपती को अपने कैबिन में बुलाता है l जब दोनों आ जाते हैं
तापस - गॉय्स... विश्व के पास... एक इंफॉर्मेशन है... विश्व... प्लीज इन्हें बताओ...
विश्व - सर आपके ईगलु सेल के मेहमान... बहुत जल्द... भागने वाले हैं...
सतपती और दास दोनों हैरान हो जाते हैं l वह कभी तापस को, कभी विश्व को तो कभी एक दुसरे को देखने लगते हैं l
सतपती - य... यह... तुम कैसे कह सकते हो... मम्म... मेरा मतलब है... तुमको कैसे पता चला...
तापस - सतपती... इसे... सब मालुम है... उन तीनों के बारे में... प्लीज अब सब बैठ जाओ... (और विश्व को) सुनो... (वे दोनों बैठ जाते हैं) विश्व तुम भी बैठो...
विश्व - नहीं... सर... मैं ठीक.. हूँ...
दास - विश्व... सर कह रहे हैं... तुम सब जानते हो... कैसे...
विश्व - सर मैं भले ही... टीवी पर न्यूज नहीं देखता हूँ... पर लाइब्रेरी में न्यूज पढ़ता रहता हूँ... मुझे मालुम है... ओड़िशा में पहली बार... आतंकवादी गतिविधि देखने को मिली है... महीने भर पहले.... जगतपुर मस्जिद में छुपे हुए... दो बांग्लादेशी और एक केरल से ताल्लुक़ रखने वाला... तीन आतंकवादी गिरफ्तार हुए थे... तीनों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था और उन्हें एसटीएफ के ऑफिस में ही रखा गया था... उस दिन असल में मैं... सुपरिटेंडेंट सर की मानसिक स्थिति जानने आया था... और मैं यूँ ही... बात बात में... उस एनजीओ की बात कही थी... उस वक़्त आप लोग वहाँ पहुँच गए और मुझे जाना पड़ा... पर जाते जाते मैंने यह सुना... कुछ लोग हैं इंसान और इंसानियत को जहन्नुम बनाने के लिए...
मेरे कानों में यह गूँजती रही... यह बात आपने दार्शनिक आधार पर कहा था या फिर... यूँही.. मैं ऐसा सोच रहा था कि.... आपने मॉकड्रील की बात कही और ईगलु सेल बनाने की बात कही... तभी मुझे अंदाजा हो गया था... जैल में आने वाले... कोई मामूली अपराधी नहीं हैं... इसलिए मैंने अपने तरफ से पता लगाया है कि यह तीनों वही आतंकवादी हैं...
तापस, दास और सतपती तीनों आँखे फाड़ कर विश्व को सुन रहे हैं l विश्व देखता है उनके आँखों में अभी भी हैरानी है l
सतपती - अच्छा... तुमने अंदाजा लगाया है... तुम यह भुल रहे हो... एसटीएफ के पास अपना सेल है... वह क्यूँ अपना अपराधी को... यहाँ रखेंगे... इस बात का तुम्हारे पास कोई लॉजिक है...
विश्व - है...
तीनों - अच्छा... क्या है..
विश्व - आपकी मॉकड्रील ने मुझे बताया...
दास - क्या मतलब...
विश्व - मतलब यह कि... यह लोग तब भागेंगे... जब उनके पास बाहरी मदत जब पहुंचेगी... एसटीएफ यह दिखाना चाहती है कि... यह आतंकवादी उनके सेल में हैं... यानी यह खबर उनको छुड़ाने वालों के लिए है... की अगर वह कोशिश करेंगे तो उनको एसटीएफ के ऑफिस पर अटैक करना होगा... इसलिए उनको यहाँ पर... आधी रात को शिफ्ट करा दिया गया... पर फ़िर भी.... किसी प्रकार की संभावना से आँखे नहीं फेरा जा सकता है... जैल में अगर हमला हो... तो उस हालत के लिए... सारे कैदियों को तैयार किया गया.... क्यूंकि आप लोगों को भी कहीं ना कहीं अंदेशा है... जैल पर हमला हो सकता है...
तीनों चुप रहते हैं और विश्व के दिए लॉजिक को मूक समर्थन देते हैं l
तापस - ठीक है... तुमने अच्छा दिमाग़ लगाया है... पर तुम्हें कैसे पता चला वह लोग भागने वाले हैं... कब और कैसे...
विश्व - सर... वह लोग बिना किसी खुन खराबा के भागने के फ़िराक़ में हैं... बुरा मत मानिए... आज सुबह ही... आपके जैल के स्टाफ के सामने... उन्होंने अपने वकील को.. भागने का प्लान बताया है...
तापस - (जबड़े भींच कर) क्या बक रहे हो... इट्स इंपसीबल..
विश्व - सर... यह हुआ है... उनका लीडर कोड लैंग्वेज में मैसेज दिया है... वकील के जरिए... अपने लोगों के पास...
दास - कोड लैंग्वेज... क्या तुम श्योर हो... उनके भागने को लेकर... पर कैसे.... क्यूंकि उसने जो भी बात की... हमारा संत्री वहाँ मौजूद था....
विश्व - ठीक है सर... क्या आपके पास डिटेल्स है... क्या बात हुई...
दास - हाँ केस की सुनवाई पर...
विश्व - और...
दास - और क्या...
सतपती - हाँ... और... वकील ने उनसे पुछा... और क्या चाहिए...
विश्व - (एक हल्की सी मुस्कान लिए) तो उन्होंने अपने वकील से क्या मांगा...
सतपती - यही... एक गुलाब का फूल... जुते... पीतल का घोड़ा... कॉफी ताला... ऐसा कुछ...
विश्व अपने जेब से एक काग़ज़ निकाल कर टेबल पर रख देता है l उस काग़ज़ पर कुछ विश्व कुछ लिख कर दिखाता है l
जुता, गुलाब दिन की चिड़िया.
कॉफी ताला घोड़ा पीतल का
विश्व - यही कहा था ना...
सतपती और दास - हाँ... यही कहा था...
विश्व - अब इसे... सिक्वेंश में समझने की कोशिश कीजिए...
विश्व की लेख देख कर तीनों को समझ में कुछ नहीं आता l
विश्व - मैंने उन कहे गए शब्दों को समझने के लिए.... आधा दिन लगा दिया.... तब जाकर मुझे सब समझ में आया... आपके चौबीस घंटे के सर्विलांस में... वह कैदी.. किसी को कुछ भी लिख कर नहीं भेज सकते हैं... तो उनके पास एक ही चारा बचता है... अपने वकील के जरिए... अपने लोगों के पास संदेशा भेजें... उन्होंने यही किया है... यह देखिए... जुता... यानी इंग्लिश में शु... गुलाब यानी इंग्लिश में रोज... दिन... की पंछी...
शुरोज... मतलब सुरज दिन... मतलब रविवार के दिन... पंछी मतलब उड़ जाना है...
तापस - व्हाट द फक... ठीक है... तुमने कहा कि.. बिना खुन खराबे के... कैसे... और कहाँ से.... क्या इस जैल से...
विश्व - नहीं जैल से नहीं...
दास - तो फिर....
विश्व - अभी कोड पुरा कर लेने दीजिए... आपको समझमें आ जाएगा...
तापस - ठीक है... पुरा करो...
विश्व - कॉफी... ताला... मतलब कैपिटल और घोड़ा... पीतल का... मतलब... हॉर्स पीतल... यानी हॉस्पिटल...
पुरा कोड का मतलब... रविवार के दिन उड़ जाना है.... कैपिटल हॉस्पिटल से...
तापस - क्या... उस आदमी ने यह मेसेज... बाहर भेजा है... यह मेसेज हम जानते थे... पर तुम्हें कैसे मालूम हुआ...
विश्व - सर... यह एक सीक्रेट है... सॉरी... मैं यह नहीं कह सकता... बस आप समझ लीजिए... यह रहा वह मैसेज... जो बाहर चला गया है...
तापस, दास और सतपती तीनों एक दूसरे के मुहँ को ताकते हैं फिर उस काग़ज़ को जिसमें विश्व ने उन टेररीस्टों का भागने का पूरा प्लान के कोड क्रैक कर लिखा दिया है l
तापस - ओह माय गॉड... यह क्या हो रहा है... ठीक है... पर वह लोग हॉस्पिटल जाएंगे कैसे...
विश्व - सर दो तरह से जा सकते हैं... पहला फुड पॉयजनींग...
दास - दुसरा... सेल्फ हार्मींग... मतलब खुद को चोट पहुंचा कर...
विश्व - बिल्कुल... पर पहले वाले पर अमल करने के लिए उनको किसी अंदर की आदमी की सहायता चाहए.... पर दुसरे वाले पर अमल करने के लिए... उन्हें किसी की सहायता नहीं चाहिए...
दास - यस... यु आर राइट.. बिल्कुल सही...
विश्व - सर... (तापस से) उन लोगों के भागने में... और चार दिन है... वह जरूर अपने प्लान को एक्जीक्यूट करेंगे... पर हम उनके प्लान को फैल कर सकते हैं...
तापस - कैसे....
फिर विश्व उन तीनों को अपना प्लान बताता है, तीनों विश्व के प्लान से सहमत होते हैं l
चार दिन बाद
तापस प्रतिभा को गाड़ी में लेकर राम मंदिर की ओर जा रहा है l तापस वैदेही से हफ्ते में एक दो दिन के लिए आने को कहा है, क्यूंकि प्रतिभा जितनी देर वैदेही के साथ रहती है उतना समय प्रतिभा अपने ग़मों से दूर हो जाती है l इसलिए तापस प्रतिभा को वैदेही से मिलवाने राम मंदिर को ले जा रहा है l रविवार को वैसे आम तौर पर तापस छुट्टी में रहता है पर आज वह हर हाल में जैल जाना चाहता है l इसलिए राम मंदिर में पहुंचते ही प्रतिभा को वैदेही के पास छोड़ कर जैल की तरफ गाड़ी मोड़ देता है l वह गाड़ी चला रहा होता है कि तभी उसकी मोबाइल बजने लगता है l तापस कार किट के जरिए फोन ऑन करता है l
तापस - हाँ दास.. क्या हुआ...
दास - सर... सेल्फ हार्म... उन तीनों ने खुद को ज़ख्मी कर लीआ है...
तापस - ह्म्म्म्म... कैसे...
दास - सर... अपने सर को... लॉकअप के ग्रिल से... फोड़ा है...
तापस - ह्म्म्म्म... मैं पहुँच रहा हूँ... तुम डॉक्टर को कॉल करो...
दास - कर दिया है सर... आपकी आने की देरी है...
तापस - ओके... कॉमींग...
कह कर तापस फोन काट देता है l फोन के कटते ही तापस को चार दिन पहले विश्व की कही बातें याद आती है
विश्व - सर... रविवार को... वह लोग खुद को इंज्योर्ड करेंगे... पर इतना नहीं के भागने में तकलीफ़ हो... पर इतना ज़रूर करेंगे... के डॉक्टर उनको एडमिट करने को कहे...
तापस - पर उन्हें कैसे मालुम हुआ... के हमारे जैल के कैदियों की सभी ट्रीटमेंट कैपिटल हॉस्पिटल में होती है... वे आखिर विदेशी हैं...
विश्व - पर उनको सपोर्ट तो देशी मिल रहा है... मतलब लोकल...
दास - हाँ.. पर आगे...
विश्व - सर आपको प्राइमरी ट्रीटमेंट के लिए... एक डॉक्टर को बुलाना पड़ेगा...
दास - वह तो बुलाना ही पड़ेगा... कैपिटल हॉस्पिटल से...
विश्व - पर डॉक्टर अपनी पार्टी का होना चाहिए...
दास - (तापस) सर... डॉक्टर विजय तो... छुट्टी पर हैं... हमें किसी और से काम चलाना पड़ेगा...
विश्व - वह छुट्टी पर हैं...
तापस - हाँ.. वह... छोड़ो... हमें.. कोई और डाक्टर को ढूंढना पड़ेगा...
सतपती - सर... कोई और...
विश्व - हाँ... क्यूंकि अगर उनका प्लान... कैपिटल हॉस्पिटल से भागने की है... तो वह लोग हस्पताल में... ऑलरेडी घुस पैठ कर चुके होंगे...
तापस - विश्व ठीक कह रहा है...
दास - तो हम किसे बुलाएं...
तापस - कोई बात नहीं... मेरा और एक दोस्त है... फायर स्टेशन हॉस्पिटल में... वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त है... मैं उसे समझा दूँगा... वह हमारी मदत करेगा...
विश्व - हाँ सर... यह बढ़िया रहेगा...
तापस अपनी गाड़ी को जैल के पास रोकता है और गाड़ी से उतर कर अंदर जाता है l अंदर डॉक्टर तीनों ज़ख्मीयों की मरहम पट्टी कर रहा है l वह तीनों ज़ख्मी, दर्द से कराह रहे हैं l
तापस - कैसी हालत है इनकी... डॉक्टर साहब..
डॉक्टर - नट मच सीरियस... बट... अगर इन्हें हस्पताल में एडमिट कर दिया जाए... तो इट विल बेटर...
तापस - ओके देन.. गो अहेड... सर बेहतर होगा... आप ही एम्बुलेंस बुलाईये...
डॉक्टर - ठीक है... मैं कॉल कर देता हूँ...
कह कर डॉक्टर फोन लगा देता है, फोन पर तीनों की हालत के बारे में जानकारी देता है और एम्बुलेंस भेजने को कहता है l उसके बाद वह अपने बैग से इंजेक्शन निकालता है l
डॉक्टर - जब तक एम्बुलेंस नहीं आ जाती... मैं इन सबको... टीटी का इंजेक्शन... आई मिन टिटनेस टक्साड इंजेक्शन दे देता हूँ...
तापस - श्योर... जैसा आप ठीक समझे...
डॉक्टर उनको एक एक कर इंजेक्शन लगा देता है l उन्हें इंजेक्शन लगता देख दास के चेहरे पर हल्का मुस्कान आ कर गायब हो जाता है l उसे विश्व की बातेँ याद आने लगती है
चार दिन पहले
दास - ठीक है... डॉक्टर प्राइमरी ट्रीटमेंट के बाद अगर... हास्पिटल रेफर ना किया तो.... वह तीनों ऑन स्पॉट... वायलेंट हो सकते हैं...
विश्व - नहीं... उनको रेफर करना पड़ेगा...
दास - अगर यह तीन हॉस्पिटल गए... तो हॉस्पिटल बैटल ग्राउंड बन जाएगा... शायद बहुत बड़ा एक्शन हो जाएगा... कैजुअलटी भी हो सकती है...
विश्व - डॉक्टर रेफर के लिए कहेंगे... और वह कैदी... रेफर से पहले उठेंगे नहीं...
दास - क्या मतलब...
विश्व - रेफर से पहले... डॉक्टर उनको टीटी के इंजेक्शन देंगे... पर असल में वह इंजेक्शन नींद की होगी... डायजे़पाम या मेज़ोलैम इंजेक्शन... उनको वह इंजेक्शन दे दिया जाएगा... जिससे वह लोग कमसे कम छह घंटे बेहोश रहेंगे...
दास - और उन छह घंटे में करेंगे क्या...
एम्बुलेंस की आवाज सुनाई देती है l दास विश्व की खयाल से बाहर आता है l एम्बुलेंस अंदर आता है डॉक्टर उस एम्बुलेंस में बैठ जाता है l उसके बाद एक जीप्सी में बैठ कर सतपती आगे आगे जाता है उसके पीछे एम्बुलेंस और एम्बुलेंस के पीछे फोर्स से भरी एक वैन चलती है l पर उनका यह काफ़िला कैपिटल हॉस्पिटल के वजाए फायर स्टेशन हॉस्पिटल जाती है l फायर स्टेशन हॉस्पिटल को देख कर सतपती के चहरे पर एक मुस्कराहट खिल जाता है l एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहता है - मान गए विश्व... क्या दिमाग लगाया है तुमने...
चार दिन पहले
सतपती - हाँ विश्व... वह लोग तो छह घंटे बेहोश रहेंगे... उन छह घंटों में... हम क्या करेंगे...
विश्व - प्राइमरी ट्रीटमेंट से अगर वह ठीक हो सकते हैं.... तो उनको मेडिकल ले जाना ही क्यूँ...
सतपती - क्या मतलब...
विश्व - जो एम्बुलेंस आएगा... वह फायर स्टेशन से आएगा... डॉक्टर एम्बुलेंस से चले जाएंगे... आप उन्हें एसकॉट करते हुए उनके हस्पताल में छोड़ दीजिएगा...
सतपती - ठीक है... पर उन कैदियों को अगर मालुम हुआ... के उन्हें हस्पताल नहीं लिया गया है... तो यहाँ पर भी यह लोग वायलेंट हो सकते हैं...
विश्व - उनको छह घंटे बाद जब होश आएगा... तब उनको आप ट्रॉली में ले जा कर... ईगलु सेल में डाल दीजिए.... उनको लगेगा वह लोग हस्पताल से आए हैं...
सतपती - और उनके इंतजार में जो कैपिटल हॉस्पिटल में होंगे...
विश्व - उनको खबर मिलेगा... की इन तीनों का इलाज किसी और सरकारी हस्पताल में हो गया... तब कुछ दिन के लिए शांत रहेंगे... फिर वह लोग इन्हें छुड़ाने के लिए कोई और प्लान सोचेंगे....
डॉक्टर - अच्छा... योंग मेन... ओह सॉरी... ब्रैव ऑफिसर... कुछ देर मेरे साथ बैठोगे या... वापस जाना चाहोगे...
सतपती - (विश्व की यादों से बाहर आकर) नहीं डॉक्टर साहब... मैं यह एम्बुलेंस लेकर वापस जाऊँगा... विथ योर परमिशन...
डॉक्टर - हम्म.. ठीक है... जाओ ले जाओ....
सतपती - थैंक्यू सर...
फिर खाली एम्बुलेंस लेकर सतपती लौटता है l गाड़ी में बैठ कर तापस को फोन करता है
सतपती - सर... मेडिकल इमर्जेंसी मॉकड्रील एकंप्लीश...
तापस फोन काट कर बेल बजाता है l जगन अंदर आता है
तापस - विश्व.. इस वक़्त कहाँ मिलेगा...
जगन - सर इस वक़्त... वह अपने... सेल में होगा शायद... नहीं नहीं... लाइब्रेरी में हो सकता है... बुला लाऊँ...
तापस - नहीं... मैं खुद उसके पास जाऊँगा...
कह कर तापस अपनी कैबिन से निकलता है और लाइब्रेरी के तरफ चल देता है l वहाँ पहुँच कर देखता है विश्व पेपर पढ़ रहा है l विश्व भी पेपर से अपना चेहरा उठाता है और तापस को देख कर उठ खड़ा होता है l
तापस - नहीं नहीं.. बैठे रहो...
विश्व - कोई बात नहीं सर... कुछ काम था...
तापस - हाँ... थैंक्यू... मैं तुमसे... थैंक्यू कहना चाहता था... इसलिए यहाँ आया...
विश्व - किस बात के लिए थैंक्स सर... आपके लिए मैं कुछ भी करूँ... वह कम ही है सर... आखिर आज अगर मैं अपने दो पैरों पर खड़ा हूँ... तो आपके वजह से... तापस - नहीं विश्व... तुम नहीं जानते... आज बहुत दिनों बाद... मैं एक मज़बूर बाप और एक बेबस पति के खोल से निकला हूँ... बहुत दिनों बाद मैं... खुश हुआ हूँ... बेशक... एज अ जैल सुपरिटेंडेंट... कुछ देर के लिए तुमने मुझे मेरे बेटे के ग़म से निकाल दिया... मैं थोड़ी देर के लिए ही सही... हँस पाया... थैंक्यू... थैंक्यू.. वेरी मच....
डायनिंग टेबल पर बैठ कर विक्रम, शुभ्रा को एक नौकरानी के साथ नास्ता लेकर रूप कि कमरे की ओर जाते हुए देखता है तो वह अपना सिर नीचे कर खाली प्लेट को देखता है और डायनिंग टेबल के चारों तरफ अपनी नजरें घुमाता है l नौकर ट्रॉली में नाश्ता ला कर टेबल के पास पहुँचा ही था कि विक्रम पानी की ग्लास उठा कर पिता है और बाहर चला जाता है l नौकर उसे जाते हुए देखता है l उधर शुभ्रा रूप के कमरे के सामने पहुँच कर दरवाज़ा खटखटाने लगती है l
रूप - (अंदर से) आइए भाभी.... आप मेरे कमरे में आने के लिए कबसे दरवाजा खटखटाने लगीं...
शुभ्रा और नौकरानी दोनों कमरे के भीतर आते हैं l शुभ्रा नौकरानी को नाश्ता लगाने के लिए इशारा करती है l नौकरानी खाना लगा देती है तब
शुभ्रा - (नौकरानी से) अब तुम जाओ... (नौकरानी सर झुका कर बिना पीठ पीछे किए वापस चली जाती है) (रूप से) हाँ तो क्या पूछ रही थी....
रूप - (नाश्ते के लिए बैठते हुए) क्या भाभी... आप को मेरे कमरे में आने के लिए... दरवाज़ा कब से खटखटाने लगीं... और क्यूँ भला...
शुभ्रा - (उसके साथ बैठ कर) वह क्या है कि... शायद राजकुमारी जी किसीके लिए तैयार हो रहे हों... ऐसे मोमेंट के लिए प्राइवेसी की जरूरत होती है ना...
रूप - (खीजते हुए) भाभी....
शुभ्रा - हा हा हा... (खिल खिला कर हँस देती है)
रूप - (उसकी हँसी देख कर) वा... व.... भाभी तुम हँसती हो तो कितनी खूबसूरत दिखती हो... सच भाभी आपके चेहरे पर हँसी शूट करती है...
शुभ्रा - (हँसी रुक जाती है)
रूप - (मुहँ उतर जाता है) सॉरी भाभी... अगर गलत कह दिया तो...
शुभ्रा - तुमने गलत तो नहीं कहा... पर... (रुक जाती है)
रूप - पर क्या भाभी... हाँ इससे पहले मैंने आपको... इतना खुलकर हँसते हुए देखा नहीं था... सच भाभी आप हँसते हुए... बहुत खूबसूरत लगती हैं...
शुभ्रा - मैं तो दो सालों से... हँसना भूल चुकी थी... रूप... तुम्हारे वजह से... कभी कभी मेरे चेहरे पर हँसी और खुशी के पल मिल जाते हैं...
रूप - (शुभ्रा की हाथ पकड़ कर) देखो भाभी... प्लीज... आप मुझे रूप ना बुलाओ... नंदिनी कहो...
शुभ्रा - (हँसते हुए) ठीक है ठीक है... नंदिनी जी...
शुभ्रा - (खीज कर) आ.आ..ह्... भाभी... प्लीज...
शुभ्रा - (हँसते हुए) ओके.. ओके... नंदिनी...
रूप - हाँ यह ठीक है...
(शुभ्रा बड़े प्यार से रूप के गालों पर हाथ फेरती है, रूप उसके हाथों को पकड़ लेती है) और भाभी... अगर आप मेरे वजह से हँस पा रही हो.. खुश हो पा रही हो... तो प्लीज भाभी... आप ऐसे ही रहिए... सच आप हँसते हुए कोई देवी लगती हो...
शुभ्रा - बस बस... बहुत हुआ हाँ... तुम कॉलेज जा कर बहुत बातेँ सीखने लगी हो...
रूप - राजगड़ छुटा... तो बातेँ दिलसे निकल रही हैं... वरना राजगड़ में तो... बातेँ सिर्फ़ जुबान से ही निकलती थीं...
नाश्ता खतम हो जाता है l दोनों अपने हाथों को साफ करते हैं l शुभ्रा जूठे बर्तनों को ट्रॉली के नीचे वाले सेल्फ पर रख देती है l रूप अपनी बैग में कुछ किताबें और नोट बुक्स रखती है और मोबाइल लेकर
रूप - अच्छा भाभी... चलती हूँ...
शुभ्रा - (टोक कर) एक मिनट नंदिनी... (पास आकर) तुम कॉलेज जा रही हो... यह क्या कोई मेक अप नहीं... ऐसे कैसे... और देखो तुमने घड़ी भी नहीं पहना है... (ड्रेसिंग टेबल से घड़ी ला कर पहनाते हुए) कितनी सुंदर हो... थोड़ा सज संवर जाओगी... तो अप्सरा लगोगी...
रूप - भाभी... आपने अभी कहा ना मैं सुंदर हूँ... बस यही काफी है... और सजने संवरने की बात तो भाभी... मुझे किसी को रिझाने की जरूरत नहीं...
शुभ्रा - अरे ऐसे कैसे नहीं... (खिंच कर उसे ड्रेसिंग टेबल के सामने बिठा देती है) अरे लड़की हो... थोड़ा सज संवर जाओगी तो तुम्हारा क्या बिगड़ जाएगा... (रूप को संवारने लगती है) उल्टा कितनों के दिलों पर छुरी चलेगी जानती हो...
रूप - अच्छा... यह सब जानने में... मुझे कोई इंट्रेस्ट नहीं है... तो पता कैसे चलेगा...
शुभ्रा - कितनों पर छुरीयाँ चली... कितने घायल हो गए... इसकी खबर तुझे तेरे दोस्त देंगे... (रूप के कानों के पास धीरे से) मेरा एक्सपेरियंस है... (आईना को दिखाते हुए) देखो तो कितनी खूबसूरत लग रही हो...
शुभ्रा - भाभी..(शर्मा कर) प्लीज... (फ़िर उदास हो कर) मेरी शादी तय हो चुकी है... यह आप जानती हैं... मैं यहाँ पढ़ने भी इसी वज़ह से आई हूँ... (झट से अपनी जगह से उठ जाती है) क्षेत्रपाल घर की औरतों को... सपने देखना मना है... (कह कर शुभ्रा के गले लग जाती है) अच्छा चलती हूँ... बाय...
शुभ्रा - (उसे जाते हुए देखती है और मुरझाए स्वर में कहती है) बाय
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सेंट्रल जैल
दास और विश्व दोनों जल्दी जल्दी लाइब्रेरी की ओर जा रहे हैं l
दास - पता नहीं... यह खान सर के दिमाग में क्या चल रहा है... कल सेनापति सर जी घर गए थे... दोपहर का और रात का खाना कुटने... बस यही समझ में नहीं आ रहा है... की बदहजमी हुआ है या सब हज़म कर आए हैं...
विश्व - यह आप क्या बोल रहे हैं... दास बाबु...
दास - अरे भाई... सच कह रहा हूँ... सुबह सुबह ऑफिस आकर कहने लगे... जाओ विश्व को बुलाओ... मैं लाइब्रेरी में उसका इंतजार कर रहा हूँ... पर क्यूँ यह नहीं बताया... पहली बार अपने चैम्बर... मतलब कैबिन के वजाए लाइब्रेरी...
विश्व - होगा कोई काम... पर उसके लिए... यूँ भाग कर जाना जरूरी है क्या...
दास - क्या बताऊँ... मैं आज खान सर का मुड़ पढ़ नहीं पाया...
विश्व - ठीक है... कोई बात नहीं...
दोनों यूँही तेज तेज चलते हुए लाइब्रेरी में आते हैं l खान टेबल पर कुछ किताबें पढ़ रहा था l विश्व को देख कर
खान - आओ विश्वा... आओ... क्या तुम जानते हो... तुम्हारा AIB एक्जाम कब है...
विश्व - नहीं... शायद... अगले हफ्ते...
खान - हाँ... अगले इतवार को.... इसलिए तुम्हारे पास सिर्फ पांच दिन है... तैयारी करने के लिए... मतलब जुमे रात तक....
विश्व - क्यूँ... शनिवार भी तो है...
खान - हाँ है... पर उस दिन तुम पेरोल पर बाहर जाने वाले हो... और मुझे नहीं लगता उस दिन पढ़ पाओगे... इसलिए... तुम्हारे पास यह पांच दिन है... तैयारी कर लो... हर रोज दोपहर को... तुम्हारी माँ आएँगी... शाम तक तुम्हें ट्यूशन देंगी...
विश्व - ओ... मतलब माँ ने ऐसा कहा है...
खान - हाँ भाई... वह तुम्हारी माँ हैं तो... मेरी बहन भी हैं... अगर उनकी बेटे की खातिर दारी में कोई कमी रह गई... तो वह मेरी हालत खराब कर देंगी...
खान के यह कहने के बाद विश्व और दास एक दुसरे को मुहँ फाड़े देखने लगते हैं l
खान - दास...
दास - यस सर...
खान - विश्व के खाने का इंतजाम यहीं कर देना...
दास - क्या... मेरा मतलब है... यस.. यस सर...
खान - गुड... सो... विश्वा... बेस्ट ऑफ लक...
विश्व - जी... जी सर... थैंक्यू...
खान लाइब्रेरी से निकल कर चला जाता है l दास और विश्व एक दुसरे को देखते हैं l
दास - अच्छा विश्व तुम पढ़ो... तैयारी करो... बस खाने के समय तुम्हारे पास खाना पहुँच जाएगा...
यह कह कर दास वहाँ से निकल जाता है l विश्व लाइब्रेरी में लॉ के किताबों के सामने बैठ जाता है l
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ESS ऑफिस
विक्रम अपने चैम्बर मैं पहुँच कर टेबल पर रखे बेल बजाता है l एक गार्ड अंदर आता है और सैल्यूट देता है l
विक्रम - देखो... महांती अगर आया होगा तो उसे कहो... कंफेरेंस हॉल में थोड़ी देर बाद पहुँचने के लिए कहना....
गार्ड वहाँ से चला जाता है l विक्रम अपना मोबाइल निकाल कर फोन लिस्ट में नंबर ढूंढने लगता है I बार बार स्कोलींग करने के बावजूद उसकी तलाश वीर की नंबर पर आकर रुक जाती है l कुछ देर तक वीर की नंबर को देखने के बाद वह वीर की नंबर पर कॉल लगा देता है l थोड़ी देर की रिंग के बाद वीर फोन उठाता है l
वीर - जी कहिए युवराज जी....
विक्रम - आप ऑफिस कब आ रहे हैं... राज कुमार...
वीर - अभी तो निकले हैं... बीच रास्ते में हैं... दस पंद्रह मिनट में... पहुँच रहे हैं....
विक्रम - ठीक है... आप आते ही... कंफेरेंस रुम में पहुँच जाइए...
वीर - ओके... कुछ जरूरी काम आ गया क्या...
विक्रम - हाँ... (कह कर फोन काट देता है)
विक्रम अपनी जगह से उठता है और कंफेरेंस रूम की तरफ जाता है l थोड़ी देर बाद उसे महांती दिख जाता है l फिर दोनों कमरे में आकर बैठ जाते हैं l
महांती - कहिए... युवराज जी... क्या काम निकल आया...
विक्रम - महांती... हमने इन कुछ दिनों में... उस हमलावर के बारे में गौर किया है... हमें कुछ शक़ सा हो रहा है...
महांती - युवराज जी... मैं समझ सकता हूँ.... आपको लगता है... कोई घर का भेदी है...
विक्रम - हाँ...
महांती - युवराज जी... मैं आपके शक़ को नकार नहीं सकता... इसलिए मैंने अपने हर आदमी पर... नजर रखने की कोशिश कर दिया है... पर्सनली...
विक्रम - यह आसान नहीं होगा महांती... हम ने जो आर्मी तैयार किया है... उस पर हमे खुद ही नजर रखनी पड़ रही है...
महांती - मज़बूरी है... दुश्मन वार तभी कर सकता है.... जब उसके साथ कोई घर का भेदी हो... पर छोटे राजा जी की वह प्रोग्राम फिक्स थी...
विक्रम - हाँ... पर हम जब कंफेरेंस हॉल में मौजूद थे... तभी फोन आया था... लैंडलाइन पर... इसलिए उस दिन जो भी यहाँ पर मौजूद था... उन्हीं पर निगरानी रखो...
महांती - वह मैं पहले ही कर चुका हूँ....
विक्रम - और कोई खास खबर...
महांती - सिवाय इसके कि... वह चार शूटर... हमारे सर्विलांस मैं हैं... उनका अगला कदम हमे उठाने की देर है...
विक्रम - गुड... ओके... तुम जा सकते हो...
महांती - थैंक्यू... सर... (कह कर चला जाता है)
उसके जाते ही कंफेरेंस रुम में विक्रम अकेला बैठा दरवाजे की ओर देखने लगता है l
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XXXX कॉलेज
नंदिनी कॉलेज में पहुँचती है l वह गाड़ी से उतर कर चारो ओर नजर दौड़ाती है l उसे उसके दोस्त दिख जाते हैं l वह उनके तरफ जाने लगती है l वहीँ दुसरे कोने पर रॉकी अपने दोस्तों के साथ बाइक पार्किंग में अपनी बाइक पर बैठा हुआ है l जैसे ही उसकी नजर नंदिनी पर पड़ती है
रॉकी - वाव... वहाँ देखो दोस्तों... क़यामत... हुस्न की मल्लिका... रूप कि देवी... उफ्फ... क्या कहूँ.... आज नंदिनी क्या दिख रही है... यारों...
रॉकी के सभी दोस्त नंदिनी की ओर देखने लगते हैं l असल में आज कॉलेज में सभी नंदिनी को चोर नजर से देख रहे हैं l ना जाने कितने तड़प तड़प कर आहें भर रहे हैं पर कोई भी जाहिर नहीं कर रहा है l क्यूँकी सभी जानते हैं नंदिनी कॉलेज के प्रेसिडेंट वीर सिंह की बहन है I उनकी जरा सी नादानी उनको खतरनाक अंजाम तक पहुँचा सकता है l रॉकी और उसके दोस्तों का भी वही हाल है l नंदिनी अपने दोस्तों के पास जाती है और सब से हाय फाय करती है l
रवि - काश यह अपने रॉकी के साथ भी... हाय फाय करती...
रॉकी - कोई नहीं... वह टाइम भी बहुत जल्द आएगा....
राजु - पता नहीं किसका टाइम आएगा...
रॉकी - आबे चुप... काली जुबान वाले... कुछ अच्छा सोच... वह कहते हैं ना... पहले सोच बदलो... फ़िर दुनिया बदलेगी...
आशीष - आबे रॉकी... याद है ना... आज तुझे प्रिन्सिपल के पास जाना है...
रॉकी - हाँ मालूम है रे... पाँच मिनट का काम है... और पूरा दिन पड़ा है... वह फूलों की रानी... बहारों की मल्लिका... उसका यूँ संवर के आना ग़ज़ब ढा रहा है...
सभी देखते हैं नंदिनी और उसके दोस्त उन्हीं के पास आ रहे हैं l सभी अपनी अपनी गाड़ी से उतर जाते हैं और अपने अपने हाथों को सीने पर मोड़ कर रख देते हैं l
नंदिनी - हैलो बॉयज...
सभी - हैलो...
नंदिनी - (रॉकी से) आपके हीरोइजम के चर्चे पूरे शहर में हैं... और कुछ लोग तो काफी इम्प्रेस भी हुए हैं...
रॉकी - (कुछ नहीं कहता, सिर्फ़ मुस्करा देता है)
तभी नंदिनी को बनानी कान में कुछ कहती है l नंदिनी उसकी बात पर हल्का सा मुस्करा देती है और
नंदिनी - अच्छा दोस्तों... हम क्लास जा रहे हैं... ब्रेक में मिलते हैं... बाय... सी यु अगेन...
सभी - बाय...
लड़कियों की टोली वहाँ से चली जाती है l रॉकी के सभी दोस्त रॉकी को देखते हैं l रॉकी उनके रिएक्शन देख कर शर्माने लगता है तो
सभी - ऑए होय... क्या बात है... टमाटर के भाव गिरने वाले हैं... लौंडे के गाल तो देखो...
रॉकी - चुप हो जाओ सालों...
आशीष - ऑए... तु पहले तय कर ले... हम साले हैं के भाई...
रॉकी - आरे कमीनों वह दिलदार है.. पर तुम लोग तो अपने यार हो....
रवि - तो इस बात पर क्यूँ ना किसी बीच पर पार्टी रखा जाए...
रॉकी - जरूर... पर पार्टी... इस हफ्ते की मिशन पुरी होने के बाद ही...
सभी - डन...
उनकी बातचीत के बीच प्रिन्सिपल ऑफिस का पीयोन वहाँ पहुँचता है l
पीयोन - रॉकी बाबु...
रॉकी - हाँ भाई बोल...
पीयोन - आपको प्रिन्सिपल सर ने याद किया...
रॉकी - अभी...
पीयोन - जी अभी...
रॉकी - ठीक है... आप चलो... मैं दो मिनट में... पहुँचता हूँ...
पीयोन - ठीक है...
पीयोन चला जाता है l उसके जाते ही रॉकी आशीष के तरफ देखता है l आशीष समझ जाता है, उनसे थोड़ा दूर जाकर अपने मोबाइल पर एक कॉल लगाता है l कुछ देर बात करने के बाद रॉकी को अपना अंगूठा दिखा कर हाँ में इशारा करता है l आशीष का चेहरा एकदम से चमक उठता है l
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ESS ऑफिस
कंफेरेंस रुम
विक्रम अपनी रीवॉल्वींग चेयर पर घुमते हुए किन्हीं ख़यालों में खोया हुआ है l वह ख़यालों से बाहर निकालता है तो अपने सामने वीर को बैठा पाता है l
विक्रम - (सीधा होकर बैठता है) अररे... राज कुमार... आप....आप कब आए...
वीर - ज्यादा नहीं.. सिर्फ़ पाँच मिनट ही हुए हैं...
विक्रम - व्हाट... आप....यहाँ पाँच मिनट से बैठे हुए हैं....
वीर - हाँ... हमे लगा... आप किसी गहरी सोच में खोए हुए हैं....
विक्रम - ओ हाँ... (फिर अपने सर को चेयर पर टिका कर छत की देखते हुए) हम खुद में खोए हुए थे... और खुद ही में खुद को ढूंढ रहे थे...
वीर - आज कल आप... बहुत खोए खोए रहने लगे हैं...
विक्रम - (चुप रहता है)
वीर - हम कुछ और बात करें...
विक्रम - अगर है... तो लीजिए....
वीर - नहीं.... आप कीजिए... हम साथ देंगे...
विक्रम - (अपना सिर वीर की ओर मोड़ते हुए) क्या कहें...
वीर - युवराज जी.... आप राजकुमार को तभी ढूंढते हैं... जब आपके दिल में कुछ चुभ रहा हो... क्यूंकि मुझसे.... आपने कभी काम की बातेँ तो कि ही नहीं...
विक्रम - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) जब हम कलकत्ता से आए थे... तब हमें छोटे राजा जी ने एक टास्क दिया था... हमने भी जोश जोश में... उस टास्क में अपना मंज़िल तय करने की ठान ली... अपनी वज़ूद बनाने की ठान ली... यही अब हम पर भारी पड़ने लगा है....
वीर - (चुप रहता है)
विक्रम - (वीर की ओर देखता है, फिर छत की ओर देख कर) पता नहीं क्या सोच कर... हमने अपने बंगले का नाम... द हैल रखा... अब सच में वह हैल ही लग रहा है... अब थकने लगा है... यह जिस्म... यह रूह... क्षेत्रपाल नाम को... ढोते ढोते... ना हम क्षेत्रपाल बन पाए... ना हम विक्रम सिंह बने रह पाए... एक सीने से लगना चाहते हैं.... उसकी धड़कनों में अपना नाम सुनना चाहते हैं... कभी कंधे पर... सर रख कर... शिकायत करना चाहते हैं.... पर नहीं... वह हमारी किस्मत हैं... ठुकरा चुकी हैं हमें...(कह कर वीर को देखता है)
वीर - (चुप रहता है)
विक्रम - क्या बात है राज कुमार.... कम से कम आप तो कुछ कहिए..
वीर - क्या कहें... बस एक सवाल.... क्या हम पूछें...
विक्रम - पूछिये...
वीर - आप को जब होश आया होगा... तब से आप जानते होंगे... के आप... विक्रम सिंह क्षेत्रपाल हैं... ऐसा दिन आएगा... क्या आप नहीं जानते थे...
विक्रम - (चुप रहता है)
वीर - आप अच्छी तरह से जानते थे... फिर किस बात पर अफ़सोस कर रहे हैं... तब हमने आप से कहा था... दिल प्यार इश्क़ वगैरह वगैरह की बातेँ ना किया कीजिए... पर आपने की... फिर उसका परिणाम झेलते हुए तकलीफ क्यूँ हो रही है आपको....
विक्रम - (चुप रहता है)
वीर - आपके और भाभी जी के बीच क्या हुआ... यह आपकी पर्सनल मैटर है... चार दीवारों के बीच की बात कभी चार लोगों के बीच ना होनी चाहिए... ना ही आनी चाहिए... यु चुज योर डेस्टीनी.. यु मेड योर फेट... नाउ यु कैंट अवॉइड इट... अब आपके पास आर या पार ऑप्शन है... या तो पूरी तरह क्षेत्रपाल बन जाइए... या फिर सब कुछ छोड़ दीजिए.... अपनी मज़बूरी का नाम लेकर... खुद से एसक्युज लेना छोड़ दीजिए.... आगे आपकी मर्जी....
इतना कह कर वीर वहाँ से उठ जाता है l विक्रम उसी तरह चेयर पर टेक लगाए वीर को जाते हुए देखता है l वीर के कमरे से निकल जाने के बाद विक्रम बुदबुदाने लगता है
- सच कह रहे हैं मेरे भाई...आप सच कह रहे हैं.... मैं दुनिया से कम... खुद से जुझ रहा हूँ... इसलिए अपनी तकलीफ कभी कभी आपसे कह देता हूँ.... घर अपनों से होती है... सपनों का होता है... ईंट सीमेंट के बंगले में.... ना कोई अपना है... ना कोई सपना है... यह हमने खुद चुना है... इसे हम छोड़ेंगे भी नहीं....
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XXXX कॉलेज
प्रिन्सिपल की ऑफिस में
प्रिन्सिपल - तो राकेश पहले तो थैंक्स... तुम्हारे वजह से हमारे कालेज में एक्सीडेंट होते होते रह गई... तुमने अपनी जान पर खेल कर एक जान भी बचाई...
रॉकी - सर... इसमें थैंक्स कहने की क्या जरूरत है... मेरी जगह कोई और होता... तो वह भी वही करता...
प्रिन्सिपल - वेल... यु मे बी राइट... लेकिन हमारे अपील के बाद भी... वह वीडियो वायरल हो ही गया.... खैर सबकी मन पर या हरकत पर तो हमारा वश भी नहीं है... अब तुम अपनी कॉलेज में ही नहीं... दुसरे कॉलेज में भी टॉक ऑफ द टॉपिक हो...
रॉकी - (शर्मा कर चुप रहता है और अपना सिर नीचे कर लेता है)
प्रिन्सिपल - डोंट बी साय... इटस् फैक्ट...
रॉकी - बस भी कीजिए सर... आप बे फिजूल इतनी तारीफ ना करें... वरना उसकी बोझ से सर उठाना भी मुश्किल हो जाए...
प्रिन्सिपल - ओके ओके... अच्छा तुम जानते ही होगे... मैंने तुम्हें यहाँ पर क्यूँ बुलाया है...
रॉकी - जी जानता हूँ... आपने कहा था कि... उस एक्सीडेंट के वजह से.... कुछ स्टूडेंट्स ट्रॉमा में हैं.... कुछ ऐसी ऐक्टिविटी हो... जिससे... सभी स्टूडेंट्स के मन से उस हादसे की छाप मीट जाए...
प्रिन्सिपल - देन... डु यु हेव एनी आइडिया...
रॉकी - यस सर...
प्रिन्सिपल - देन... स्पीक... लेट मि नो... व्हाट इज द आइडिया..
रॉकी - सर आपने एफएम 97 सुना होगा...
प्रिन्सिपल - हाँ...
रॉकी - सर उसमें मेरा दोस्त आशीष का कॉजीन सुरेश काम करता है...
प्रिन्सिपल - हाँ... पर... एफएम रेडियो से क्या मतलब है तुम्हारा...
रॉकी - सर... वह... रेडियो एफएम में... ऑडियंस के बीच कुछ भी इशू के ऊपर... लाइव प्रोग्राम करता है... उसका यह प्रोग्राम... हर शनिवार को दिन के बारह बजे आता है... लाइव...
प्रिन्सिपल - हाँ तो...
रॉकी - तो सर हम बुधवार को सभी स्टूडेंट्स को असेंबली हॉल में इकट्ठे होने के लिए कहेंगे... फिर सबको उनके अपने नाम एक चिट पर लिख कर देने को कहेंगे... फ़िर लकी ड्रॉ के जरिए... हम किसी एक का नाम निकाल कर डिक्लेर करेंगे... और सुरेश उसी दिन उस स्टूडेंट को एक टास्क देंगे... और शनिवार को सभी स्टूडेंट्स के सामने... लकी ड्रॉ में नाम जितने वाले स्टूडेंट को टास्क कंप्लीट करना पड़ेगा... वह सिर्फ़ हमारे कालेज के स्टूडेंट्स के सामने ही नहीं बल्कि हर उस एफएम सुनने वालों के सामने लाइव सेशन होगा...
प्रिन्सिपल - ह्म्म्म्म... बहुत अच्छे... अच्छा कांसेप्ट है... गुड... मैं पहले अपने स्टाफस् को इन्फॉर्म कर दूँ... फ़िर मैं लास्ट आवर में... अनाउंसमेंट कर दूँगा...
रॉकी - ठीक है सर...
प्रिन्सिपल - देखो रॉकी... इस प्रोग्राम की तैयारी और कामयाबी की जिम्मेवारी तुम्हारी...
रॉकी - श्योर सर...
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वीर अपने कैबिन में चेयर पर बैठ कर, आँखे मूँद कर अपनी सोच में खोया हुआ है l दाएँ हाथ से पेपर वेट को टेबल पर घुमा रहा है l उसे होश ही नहीं है कब से वह ऐसा कर रहा है l अचानक उसका पेपर वेट घुमाना बंद हो जाता है, उसे एहसास होता है कि उसे कोई देख रहा है l वह आँखे खोल कर देखता है l अनु अपने हाथ में दो स्माइली बॉल लिए उसे आँखे फाड़े हैरानी भरी नजरों से देख रही है l अनु सामने ऐसे देखते ही वीर के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है l
वीर - क्या बात है अनु जी... आप हमें ऐसे क्यूँ देख रहे हैं...
अनु - जी आप... जब से यहाँ आए हैं... तबसे... यह... पेपर वेट घुमा रहे हैं... मुझे लगा कि... शायद आपको... (स्माइली बॉलस् को दिखा कर) इन बॉलस् की ज़रूरत है...
वीर - (मुस्कान गहरी हो जाती है) है तो... पर तुमने देर कर दी...
अनु - क्या... (हैरानी से आँखे बड़ी हो जाती हैं) यह तो मुझसे बड़ी गलती हो गई... (रोनी सुरत जैसी हो जाती है) आप गुस्सा हो गए ना...
वीर - (पिघल जाता है) आरे नहीं... मैं यह पेपर वेट घुमा कर ठीक हो गया देखो...
अनु - फ़िर भी मैंने गलती की है... सजा तो बनती है...
वीर - (मन ही मन हँसने लगता है) हूँ... सजा तो बनती है... अब तुम ही बोलो मैं तुम्हें क्या सजा दूँ....
अनु - अब मैं क्या बताऊँ...
वीर - अच्छा... कैसी सजा दूँ... जो तुम अपने ऊपर ले सको...
अनु - मैं... कान पकड़ कर... उठक बैठक करूँ...(बड़ी मासूमियत के साथ पूछती है)
वीर - (अपनी हँसी को रोकते हुए) हूँ करो...
अनु झट से अपनी कान पकड़ लेती है और उठक बैठक लगाना शुरू कर देता है l विश्व उसके उठक बैठक देख कर अपनी हँसी और रोक नहीं पाता अपना पेट पकड़ कर जोर जोर से हँसने लगता है l वीर हँसते हँसते हुए देखता है अनु अपनी कान को पकड़े वीर को हैरान हो कर देख रही है l
वीर - (अपनी हँसी को काबु करते हुए) रुको रुको... यहाँ मत करो... लोग देखेंगे तो उन्हें बुरा लगेगा... तुम पर सजा उधार रहा... ठीक है... फ़िर कभी अकेले में... जब कोई ना देखता हो तब... तब.. तुम सौ उठक बैठक कर लेना... ठीक है...
अनु - (खुशी से दमकते हुए) ठीक है... (फ़िर भी कान पकड़ी हुई है)
वीर - आरे... अब तो अपने कान छोड़ो...
अनु - (शर्मा जाती है) ओ हाँ... (कान छोड़ कर) सर...
वीर - हूँ...
अनु - वह आप किसलिए... तनाव में थे...
वीर - तनाव... हाँ वह.. (उसे कुछ सूझता नहीं) वह... मैं...
वीर अनु को देखता है, अनु अपनी भवें तन कर मुहँ खोले जिज्ञासा भरे नजरों से देख रही है l उसकी ऐसी हालत देख कर वीर अपनी हँसी को फिर से काबु करते हुए
वीर - वह... युवराज जी ने... कहा है कि... हमारी (खराश लेते हुए) सिक्युरिटी सर्विस जहां जहां तैनात है... वहाँ भेष बदल कर जाओ... और... प्रतिपुष्टि करो... मतलब फीडबैक दो... वह लोग कैसे अपने ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं....
अनु - ओ... (प्रतिक्रिया ऐसे देती है जैसे सब समझ में आ गया)
वीर - तो बताओ... मुझे क्या करना चाहिए...
अनु - अगर युवराज मालिक ने कहा है... तो ठीक ही कहा होगा... आपको अपना भेष बदल कर उसकी प्रतिपुष्टि करनी चाहिए....
वीर - पर अगर मैं अकेला जाऊँगा... तो...
अनु - तो आप किसी को साथ ले जाइए...
वीर - (अपना सर हिलाते हुए) ह्म्म्म्म... क्या तुम चलोगी...
अनु - हाँ... (फिर जोर से) क्या... न न नहीं... म म.. मैं कैसे...
वीर - क्यूँ... डर लग रहा है मुझसे......
अनु पहले हाँ में सिर हिलती है फिर ना में फिर ऐसे हिलाती है जिसे ना हाँ में समझ आए ना, ना में समझ आए l
वीर - अच्छा एक काम करते हैं...
अनु - क्या...
वीर - तुम्हारी सजा... बदल देते हैं...
अनु - (चेहरे पर हैरानी भरे भाव में अपनी भवें तन कर) क्या... मतलब अब क्या करना होगा...
वीर - कुछ नहीं... मैं अब रोज अपनी सिक्युरिटी जवानों की चुस्ती... और ड्यूटी के प्रति समर्पण देखने जाऊँगा... और तुम मेरे साथ जाओगी....
अनु - आप भेष बदल लोगे... तो आप नहीं पहचाने जाओगे... पर मुझे तो लोग पहचान जाएंगे...
वीर - नहीं पहचानेंगे... तुम भी मेरे साथ अपना भेष बदलोगी...
अनु - भेष बदलने से... कोई आपको पहचान नहीं पाएगा... तो मैं आपको कैसे पहचान पाऊँगी... और मैं कौनसा भेष बदलुंगी... और अगर आप भी मुझे नहीं पहचान पाए तो...
वीर अपने अंदर ही अंदर जो हँस रहा था, उसकी हँसी बंद हो जाती है l वह अनु को मुहँ फाड़े हल्के हल्के से पलकें झपकाते हुए अनु को देखने लगता है l
वीर - कोई नहीं... मैं तुम्हारे सामने भेष बदलुंगा... और तुम... मेरे सामने भेष बदल लेना.... ठीक है...
अनु - (खुश होते हुए) हाँ यह ठीक रहेगा....
वीर उसे देखते हुए सोचने लगता है l यह लड़की मासूम है यह बेवकूफ़ या फिर दोनों l जो कह रही है या कर रही है मासूमियत भरा बेवकूफ़ी या बेवकूफ़ी भरा मासूमियत I
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कॉलेज से आकर रुप अपनी कमरे में आती है l अपनी किताबें टेबल पर रख कर बाथरूम फ्रेश होने चली जाती है l जब फ्रेश होकर कमरे में वापस आती है तो देखती है शुभ्रा उसके बेड पर बैठे उसका इंतजार कर रही है l
रुप - आरे... भाभी.. आप...
शुभ्रा - क्यूँ.. नहीं आना चाहिए था... तुम्हारा प्राइवेसी डिस्टर्ब हो रहा है... अच्छा ठीक है... मैं अब चलती हूँ...
रुप - क्या... भाभी... आपसे कभी मेरी प्राइवेसी डिस्टर्ब हो सकती है....
शुभ्रा - हाँ... हो सकती है...
रुप - (शुभ्रा के पास बैठते हुए) कैसे...
शुभ्रा - जब कमरे में तुम... अपने साजन के साथ होती...
रुप - आ.. ह् (तकिया उठा कर शुभ्रा की ओर फेंकती है) भाभी...
शुभ्रा - हा हा हा... क्यूँ मेरे होने के बाद भी... अपने साजन के साथ... हाँ... कमरे में... उम्म...
रूप - (शुभ्रा पर झपटते हुए) भाभी.... आज मैं आपको नहीं छोड़ुंगी...
शुभ्रा हँसते हँसते पहले कुछ प्रतिरोध करती है पर फिर रुक जाती है l और रुप को अपने गले से लगा लेती है l
शुभ्रा - थैंक्स रुप...
रुप - किस बात के लिए भाभी...
शुभ्रा - बहुत दिन हो गए थे... मैं हँसना भूल गई थी.... आज बेवजह ही सही पर खुलकर हँसी हूँ...
रुप - अगर मुझे छेड़ने पर... आपको खुशी और हँसी मिल रहा है... (शुभ्रा के गले से अलग हो कर) तो आप मुझे रोज छेड़ा करें...
शुभ्रा - वही तो कर रही हूँ... रुप - अच्छा... तब तो आपकी सौ खता माफ...
शुभ्रा - (मासूम सा चेहरा बना कर) अच्छा अगर गलती से... एक सौ एक खता हो गई तो...
रुप - (थोड़ा चेहरा उतर जाता है) क्या सच में भाभी... आपको लगता है... मेरी बीएससी खतम होते होते... आप एक सौ एक खता कर पाओगे...
शुभ्रा - (थोड़ी सीरियस हो कर) तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है... रुप...
रुप - (अपनी विस्तर से उठ कर पढ़ाई के टेबल के पास बैठ जाती है) काश कि मैं कभी... पढ़ी ही ना होती....
शुभ्रा - ओ...(चुप हो जाती है)
रुप - देखा... आपको भी मेरा दर्द का एहसास हो गया...
शुभ्रा - हूँ...
रुप - पढ़ाई जितना आगे जा रहा है... ख्वाहिशों को पंख उतने ही मिल रहे हैं... जब कि उसकी उड़ान सिर्फ़ पिंजरे के भीतर ही सीमित रहने वाली है... अपने हिस्से का आकाश... क्षेत्रपाल नाम में कहीं छुप गया है....
शुभ्रा - (बड़ी मुश्किल से) हूँ... (आँखे नम हो जाती हैं)
रुप - (शुभ्रा की आँखों में नमी देख कर) ओह... सॉरी... सॉरी भाभी... प्लीज सॉरी...
शुभ्रा - (अपनी आँखों को पोछते हुए) चलो छोड़ो... किस बात के लिए सॉरी... इस सच्चाई को मैंने स्वीकार कर लिया है... अब तुम स्वीकार कर रही हो... फिर भी तसल्ली इस बात की है... तुम एकदिन क्षेत्रपाल नहीं रहोगी...
शुभ्रा - (मुस्कराने की कोशिश करती है, पर मुस्करा नहीं पाती)
शुभ्रा - (रुप की भावनाओं को समझ पाती है) खैर छोड़ो... हम किस बे सिर पैर वाली बातों में वक़्त जाया कर रहे हैं... अच्छा यह बताओ... आज कितने घायल हुए... कितने शायर हुए...
रुप - (चेहरे पर मुस्कान आ जाती है) क्या... भाभी... जो हो नहीं सकता... हम उसकी आशा क्यूँ करें...
शुभ्रा - (सीरियस मुड़ बना कर) क्या बात कर रही हो... (छेड़ते हुए) यह तो हो ही नहीं सकता... के हुस्न राह से गुजरे और दीवाने आह ना भरें...
रुप - छोड़ो ना भाभी...(शर्माते हुए) क्यूँ छेड़ रही हैं...
शुभ्रा - अच्छा चलो... किसी लड़के ने... हिम्मत ना दिखाई... पर तुम्हारे दोस्त तो तुमको बताए होंगे...
रुप - हूँ... (शर्मा कर अपना चेहरा घुमा लेती है)
शुभ्रा - (जिज्ञासा भरे चहकते हुए) कितने लोग घायल होने की बात कही...
रुप - बहुत... (शुभ्रा को नहीं देखती)
शुभ्रा - उम्म्म... उनमें वह लड़का भी होगा शायद... (अपनी ठुड्डी पर दाएं हाथ की तर्जनी उंगली लगा कर) आँ... शायद... हाँ... हाँ (चुटकी बजा कर) रॉकी... रॉकी... उसकी क्या हालत हुई होगी...
रुप - (थोड़ी सीरियस होते हुए) पता नहीं भाभी....
शुभ्रा - क्या मतलब पता नहीं.....
रुप - वह चारा तो डाल रहा है... पर किसके लिए... यही कंफ्यूजन है...
शुभ्रा - तुम्हारे सिवा... किसी ओर के लिए चारा डाल सकता है क्या....
रुप - शायद...
शुभ्रा - क्या मतलब है शायद... मुझे तो लगता है कि वह तुम पर... चांस मार रहा है...
रुप - पहली बात... भाभी... कॉलेज में सभी मुझसे कतराते हैं... वजह... क्षेत्रपाल... हाँ यह रॉकी कुछ खिचड़ी पका जरूर रहा है... इस पर मैं शनिवार तक... शायद कंफर्म हो जाऊँगी...
शुभ्रा - शनिवार तक... ऐसा क्यूँ... रुप - आज प्रिन्सिपल ने बताया... जिस बैच के साथ वह आग वाला हादसा हुआ था... उसी बैच के लिए... रेडियो 97 एफएम का प्रोग्राम कंडक्ट किया जाएगा... बुधवार को लॉकी ड्रॉ से नाम चुना जाएगा... जिसका नाम आएगा... बुधवार को ही उसे एक टास्क दिया जाएगा... उसे उस टास्क पर... टॉपिक बना कर... रेडियो पर लाइव प्रेजेंटेशन देना होगा... शुभ्रा - हाँ तो इसमें... उस रॉकी का क्या रोल है...
रुप - यह सारा प्रोग्राम रॉकी ही कर रहा है... या फिर करवा रहा है... मुझे बस यह पता करना है... वह किसे टार्गेट कर रहा है....
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तापस और प्रतिभा दोनों डायनिंग टेबल पर बैठे हुए हैं l दोनों के सामने थाली पर खाना परोसा हुआ है पर खा कोई नहीं रहा है l दोनों ही किसी सोच में डूबे हुए हैं l फिर दोनों एक दुसरे को देखते हैं l
दोनों - मुझे कुछ कहना है... (एक दुसरे को देख कर)
तापस - मुझे तुम्हारे प्रताप के बारे में बात करनी है...
प्रतिभा - मैं भी आपसे... प्रताप के बारे में बात करना चाहती हूँ....
तापस - (अपना दाहिना हाथ प्रतिभा के बाएँ हाथ पर रखते हुए) ठीक है... पहले तुम कहो...
प्रतिभा - (अपने दोनों हाथों से तापस के हाथ को जोर से पकड़ कर) अब जब प्रताप... कुछ ही दिनों बाद छूटने वाला है.... तो मेरे मन में... आपके और प्रताप के बीच की... ख़ामोशी वाला रिस्ते को लेकर एक असमंजस की स्थिति है....
तापस - (अपना दुसरा हाथ लाकर प्रतिभा के दोनों हाथों पर रख देता है) देखो जान... कभी यह मत समझना मुझे वह पसंद नहीं है... या मुझे उसे लेकर कोई शिकायत है.... मैं उसे तब से पसंद करता था... जब तुमने उसे देखा भी नहीं था.... दिन व दिन वह मेरे अजीज होता चला गया... जब प्रत्युष हमसे छिन गया... तुम पुरी तरह से बिखर गई थी.... तुम्हें उससे माफ़ी माँगनी थी... पर उस पर तुमने अपना ममता लुटा दिया... प्यार और ज़ज्बात इंसान को इंसान बनाए रखते हैं... तुमको उसमें अपने प्रताप को महसुस किया... इसलिए तुमने उसे गले से लगा लिया... तुम्हारे गले से लगते ही... जिस प्यार से वह महरूम था... उस प्यार की उष्मा को उसने महसुस किया और तुम्हें भी अपनी माँ स्वीकार कर लिया... उस रात तुम सोई वह भी बिना नींद की गोली लिए... तुम्हें अपना माँ मानता है... तभी तो फिर कभी कानून को अपने हाथ में ना लेने की कसम लीआ और वादा भी किया.... मैं अब उसका ऋणी हो चुका हूँ... उसने पहले मेरी इज़्ज़त बचाई... फिर जान... और फिर उसके बाद उसके वजह से... मुझे मेरी जान मिल गई...
तुम दोनों आपस में जितने खुल गए... मेरे और विश्व में वह नहीं हो पाया है अब तक... इसलिए एक ख़ामोशी की रिस्ता है... वह तुम्हारे लिए सिर्फ़ प्रताप है... पर मेरे लिए वह विश्व प्रताप है... शायद यह ख़ामोशी किसी दिन टूटेगी... उस दिन हमारे रिश्ते पर रंग चढ़ेगा...
प्रतिभा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) मुझे उस दिन का इंतजार रहेगा.... अब आप बताओ... आप प्रताप के बारे में क्या कहना चाहते थे...
तापस - तुम अच्छी तरह से जानती हो... विश्व छूटने के बाद हमारे साथ सिर्फ़ एक महीना रहेगा... उसके बाद वह अपना गांव चला जाएगा... हाँ बीच बीच में आता रहेगा... जैसे अब वैदेही आती है... जब तक वह अपने मकसद पर कामयाब नहीं हो जाता... (तापस प्रतिभा की हाथों को जोर से पकड़ लेता है) मुझे डर है... कहीं प्रताप के दूर जाने से... मैं....
प्रतिभा - आप आगे कुछ मत कहिए.... आपको डर है... कहीं उसकी जुदाई मुझसे बर्दास्त ना हुआ... और मैं फ़िर से पागलों की तरह हो गई तो... यही सोच रहे हैं ना आप...
तापस - (अपना सिर झुका लेता है और कुछ नहीं कहता है)
प्रतिभा - आप फ़िक्र ना करें... पहली बात... मेरे प्रताप को कुछ नहीं होगा... कुछ भी नहीं होगा... एक एक माँ का विश्वास बोल रहा है.... वह बहुत जल्द अपना मकसद पुरा करेगा... फिर हमेशा के लिए हमारे पास आ जाएगा...
तीन कैदियों के भागने की कोशिश विफल हो जाने के तीन दिन बाद तापस के घर में खुशियाँ थोड़ी थोड़ी आने शुरू हुए हैं l प्रतिभा आज इतने दिनों बाद किचन में कुछ बना रही है l उसे खाना बनाते देख तापस भीतर से एक सुकून सा महसूस कर रहा है l पर उसकी सुकून को बाधा पहुँचाते हुए घर की लैंडलाइन घन घना उठता है l तापस खीजे हुए मन से फोन उठाता है
तापस - हैलो...
दास - सर... दास बोल रहा हूँ...
तापस - हाँ दास... बोलो...
दास - सर.. एक गड़बड़ हो गया है... क्या आप आ सकते हैं...
तापस - क्या मेरा आना जरूरी है...
दास - सर... बात आपसे... संबंधित है...
तापस - (एक नजर प्रतिभा पर डालता है) हम्म... ठीक है दास... जस्ट इन टेन मिनटस्... मेरे कैबिन में इंतजार करो...
दास - ओके सर...
तापस फोन रख देता है, और किचन की ओर जाता है l प्रतिभा उसके तरफ मुड़ती है
प्रतिभा - आप बेफ़िक्र हो कर जाइए... सेनापति जी...
तापस - (हैरान हो कर) वह... जान... मैं...
प्रतिभा - आप घबराइये मत... मैं बहुत हद तक संभल चुकी हूँ... उबरने भी लगी हूँ...
तापस - (प्रतिभा के पास जाकर उसके हाथ पकड़ कर) जान... तुम हो... इसलिए... मैं हूँ... वरना...
प्रतिभा - (तापस की हाथ को जोर से पकड़ कर) हम दोनों साथ रहेंगे... मैं बहुत जल्द कोर्ट जाना भी शुरू कर दूँगी... डोंट वरी... मेरी सिर्फ़ एक ही लक्ष बचा है... (चेहरा कठोर हो जाती है) उस चेट्टी की बरबादी.... (तापस की आँखों में देखते हुए) और उसके लिए... मुझे हर हाल में... उबरना ही था...
तापस - (प्रतिभा की चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले कर माथे को चूमते हुए) जान... अपना खयाल रखना... जल्द ही वापस आता हूँ...
प्रतिभा अपनी पलकें झपका कर हाँ कहती है l फिर तापस बाहर दरवाजे पर पहुँच कर वापस घूम कर प्रतिभा की ओर देखता है, और फिर बाहर निकल जाता है l इतने दिनों बाद पहली बार तापस बगैर ताला लगाए घर से बाहर जा रहा है l जैल में पहुँच कर अपने कैबिन में पहुँचता है l वहाँ पर दास और सतपती दोनों उसका इंतजार कर रहे हैं l तापस को देख कर दोनों खड़े हो जाते हैं l
तापस - सीट डाउन बॉयज्... सो... दास.. कुछ खास बात... जो मेरे बगैर तुमसे.. या सतपती से... हैंडल नहीं हो सका...
दास - वह... सर... ईगलु के मेहमान... खाना नहीं खा रहे हैं...
तापस - क्यूँ...
सतपती - सर उनका लीडर... अशरफ... आपसे बात करना चाहता है... उसके बाद ही... वह खाना खाएगा... ऐसा कह रहा है...
तापस - हूँ... तो वह लोग अब... भुख हड़ताल पर हैं...
दास - नट लाइक देट... पर वह लोग... सिर्फ़ आपसे बात करना चाहते हैं... फिर खाना खाएंगे बोल रहे हैं...
तापस - चलो फिर... उनसे मुलाकात करते हैं...
तीनों तापस के कैबिन से निकल कर ईगलु सेल के अंदर जाते हैं l वहाँ पर अलग अलग तीन सेल है और तीनों सेल में वह कैदी अलग अलग रह रहे हैं l एक कैदी पुश उप ले रहा है और दुसरा अपनी टांग उठा कर ग्रिल पर सीधा टेक् लगाए खड़ा है l तीसरा अपनी आँखे मूँद कर लेटा हुआ है l
तापस - तुम में से... अशरफ कौन है...
( जो बंदा आँखें बंद कर लेटा हुआ था वह उठ कर बैठ जाता है और कहता है)
अशरफ - मैं... (हाथ उठा कर) मैं हूँ...
तापस - कहो... क्या बात करना चाहते थे..
अशरफ - जैलर... तुमने हमारे साथ... ठीक नहीं किया...
तापस - क्या... क्या ठीक नहीं किया...
अशरफ - (खड़ा हो जाता है और ग्रिल के पास आकर) मुझे मालुम हो चुका है... तुमने हमारे कोड को... डीकोड कर के... हमारे भागने के प्लान को फैल कर दिया...
तापस - ओ... तो बात यह है... तुम... कमज़रफ.. मेरे जैल से भागने की कोशिश करोगे... और तुम मुझसे यह चाहते थे... के मैं तुम्हारे राह में फूल बिछाता... क्यूँ...
अशरफ - हम लोग यहाँ... किसी का भी खुन बिना बहाये... चले जाना चाहते थे... इसलिए बदले में... खुद हमने अपना खुन बहाया... क्यूंकि... बिना जान माल नुकसान के यहाँ से... हम चले जाना चाहते थे... पर तुम.. मेरे प्लान पर पानी फ़ेर कर... मुझे शर्मसार कर दिया...
तापस - तो... अपना शर्मसार चेहरा दिखाने के लिए... बुलाये हो मुझे...
अशरफ - नहीं... अबकी बार हम भागेंगे... डंके की चोट पर भागेंगे... यही बताने के लिए बुलाया है...
तापस - अच्छा.... तब तो महुरत भी निकाल लिया होगा तुमने...
अशरफ - (अपना सर हिलाते हुए) हाँ... आज से ठीक एक महीने के अंदर... हम चले जाएंगे... तुम्हारे सारे सिक्युरिटी की धज्जिया उड़कर... इस बार... ऐसा खुन खराबा होगा... के तुम्हारी रूह तक कांप जाएगी... और फिर आखिर में... जाते जाते तुम्हारे इसी जैल की दरवाजे पर... तुम्हारा कटा हुआ सर टांग कर जाएंगे... यह अशरफ उल मौमिन का वादा है...
तापस - हूँ... उसके लिए... बेस्ट ऑफ लक... अब खाना खा लो और ताकत बना लो... फिर उसके बाद... जो उखाड़ना है... उखाड़ो...
फिर तापस वहाँ नहीं रुकता, वापस मूड कर वह अपने ऑफिस में आ जाता है l उसके पीछे पीछे दास और सतपती भी चले आते हैं l
तापस - एक बात तो है... बातेँ छुपती नहीं है... किसी भी तरह... बाहर आ जाती है और फैल जाती है...
दास - नहीं सर... मुझे नहीं लगता... हमारे यहाँ से कुछ लीक हुई हो...
तापस - तो... कहाँ से...
दास - सर विश्व की माने तो... कैपिटल हॉस्पिटल में उनकी घुस पैठ हो चुकी थी... और बाहर हमने रिपोर्ट करी है... सबको मालुम है.. की हमारी.. मेडिकल इमर्जेंसी वाली मॉकड्रील... फायर स्टेशन हॉस्पिटल को गई थी... तो उनके लोग जो बाहर हैं... उन्होंने फायर स्टेशन हॉस्पिटल से खबर निकाली होगी... आई थिंक...
सतपती - सर.. यह एसटीएफ वाले क्या सच में... सीक्रेट बनाए रखे हैं.. के वह आतंकवादी एसटीएफ ऑफिस के सेल में नहीं... हमारे सेल में हैं...
तापस - क्या बच्चों जैसी बात कर रहे हो सतपती... असली बात यह है कि.. एसटीएफ वालों ने अपना सिर दर्द... हमारे सिर मढ दिया है... यह सिर्फ़ लीपा पोती है... असलीयत यह है कि.. उनके चाहने वालों को अच्छी तरह से मालुम है... के यह तीन मरदूत हमारे सेल में हैं...
सतपती - व्हाट... यह आप किस बिनाह पर कह सकते हैं...
तापस - थोड़ा दिमाग लगाओ यार... उनका वकील मेसेंजर का काम कर रहा है... तब उनके पास छुपाने के लिए कुछ भी नहीं है... वह लोग विदेशी हैं... पर यहाँ पर उनको सपोर्ट दे कौन रहा है... क्यूँ दे रहा है...
दास - एक्जाक्टली...
तापस - असलीयत में खेल कुछ और ही है... यह लोग कोई टेररिस्ट नहीं हैं... बल्कि कुछ और हैं...
सतपती - यह आप क्या कह रहे हैं...
तापस - वही... जो तुम सुन रहे हो... जरा सोचो... विश्व से जब हमने कहा कि वह विदेशी हैं.. तब उसने कहा था... उनको मदत देशी मिल रहा है... दो बांग्लादेशी और एक मलयाली को... लोकल मदत... कैसे और क्यूँ... असलीयत में उनको भगाने के लिए ही... इस जैल में रखा गया है... अगर वह कामयाब हो गए होते... तो हम सब... अब तक सस्पेंड हो चुके होते... यह सब हमें उल्लू बनाने के लिए... की वह टेररिस्ट हैं... वह... कमज़रफ अशरफ... ओड़िशा में आए जुम्मा जुम्मा कुछ ही दिन हुए हैं... किसके दम पर वह हमें धमकी दे रहा है... के वह भाग जाएगा... अब जितना गलत होना था हो चुका है... अब और गलत नहीं होनी चाहिए...
दास - और कुछ गलत होता है तो... एसटीएफ वाले साफ बच जाएंगे... फंसेंगे हम...
तापस - हाँ...
सतपती - मतलब... स्टेडियम के फ़्लड लाइट में... लुका छुपी खेला जा रहा है...
तापस - हूँ...
दास - तब तो हमे अपनी तैयारी करनी होगी... अगर अशरफ की बात पर गौर करें तो... हम नहीं जानते कि.. हमारे पास डेड लाइन कितने दिनों की है...
तापस - ह्म्म्म्म...
सतपती - सर क्या हम... विश्व की मदत लें...
तापस - नो नो... बिल्कुल भी नहीं...
दास - पर क्यूँ सर...
तापस - देखो... अशरफ को हमारे उपर शक़ है... इसलिए अगर सच में खुन खराबा होना है... तो वह सिर्फ़ कानून के नुमाइंदे और मुज़रिमों के बीच होनी चाहिए... जैल में सिर्फ़ विश्व ही नहीं... सभी कैदी... हमारे जिम्मेदारी हैं... उनकी सलामती की हम ज़वाबदेह हैं... इसलिए... उनमें से किसीको को भी शामिल मत करो... यह मामला हमारा है... हम ही सुलटाएंगे....
दोनों - ठीक है सर...
तापस - देखो... हर पॉसिबिलीटी पर... गौर करो... और उस पर वर्क आउट शुरू कर दो... अब यह हमारे डिपार्टमेंट की इज़्ज़त का सवाल है....
दोनों - यस सर...
इतना कह कर तापस वहाँ से चला जाता है l उसके जाते ही सतपती भी अपनी कैबिन के तरफ चला जाता है l वहाँ पर दास बैठ कर कुछ सोचने लगता है l फ़िर वह उठ कर लाइब्रेरी की ओर जाता है l वहाँ पर विश्व को न्यूज पेपर पढ़ते हुए देखता है l विश्व उसे देख कर हैरान होता है फिर खड़ा हो जाता है l
दास - विश्व... क्या हम बात कर सकते हैं...
विश्व - जी क्यूँ नहीं...
दास - वह आज उन... टेररिस्टों के लीडर ने... सुपरिटेंडेंट सर जी को बुला कर... धमकी दी है...
विश्व - (पेपर को टेबल पर रख कर) क्या... क्या धमकी दी है...
दास - वह... यहाँ से एक महीने के अंदर भाग जाएगा... और भागते वक्त... सुपरिटेंडेंट सर जी का गला काट कर... जैल की दरवाज़े पर टांग कर जाएगा...
विश्व - क्यूँ...
दास - क्यूँकी... उन लोगों का भागने का प्लान फैल हो गया... और इन सबका जिम्मेदार वह लोग... सुपरिटेंडेंट सर जी को मान रहे हैं...
विश्व - तब तो आपको अपने डिपार्टमेंट को इन्फॉर्म कर देना चाहिए... और उनसे मदत लेनी चाहिए...
दास - विश्व... मैं अब क्या कहूँ... मेरी बेबसी को शायद ही... शब्दों में बयान कर सकूं... पर मेरे दिल में... कहीं ना कहीं यह महसूस हो रहा है... तुम सब जान पा रहे हो... या.. सब समझ चुके हो...
विश्व - मैं... मैं इसमें... क्या कर सकता हूँ...
दास - प्लीज विश्व.... अब मैं और क्या कहूँ... यह लोग कौन हैं... हम नहीं जानते... अगर अशरफ की बात में दम है... तो हम बहुत बुरी तरह से फंसे हुए हैं...
विश्व - हाँ यह तो सच है...
दास - (हैरानी से देखता है) क्या... यह... यह लोग कौन हैं.... तुम जानते हो...
विश्व - शायद...
दास - बैठो प्लीज... (विश्व बैठ जाता है और खुद भी विश्व के पास बैठ कर ) इस केस को... तुमने जैसा भी और जितना भी समझा है... प्लीज... मुझे बताओ...
विश्व - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) पहले मुझे भी लगा... यह लोग शायद टेररिस्ट हैं... पर फिर मैंने इतिहास में झांका... (न्यूज पेपर की रैक दिखाते हुए) ओड़िशा में कभी भी... आतंकवादी गतिविधि थी ही नहीं... बगैर गतिविधि के कहाँ से यह लोग आए और गिरफ्तार हो गए.... फ़िर (एक पेपर निकाल कर टेबल पर रख देता है) मैंने सारे न्यूज को बारीकी से पढ़ा... पढ़ने के बाद मुझे कुछ और ही महसुस हुआ...
दास - क्या...
विश्व - यह लोग.... स्मगलर हैं...
दास - व्हाट...
विश्व - हूँ... चूँकि... जगत पुर मस्जिद में... अज़ान देने आए लोगों नें.. उनके पास हथियार देखा था... इसलिए पुलिस को उन्होंने आतंकवादी होने की सूचना दी...
दास - तो... पुलिस ने... उनलोगों को गिरफ्त में लेकर... जो हथियार बरामद किए... वह बेशक विदेशी माउजर, पिस्टल और केट्रीज थे... इसलिए मीडिया में आतंकवादी बोल दिया... पर असल में वह लोग किसी के खास महमान थे... तभी उनको बचाने के लिए... सिस्टम से जुड़े कुछ लोगों के जरिए प्रयास शुरू हुआ...
दास - हाँ... यह हो सकता है... सुपरिटेंडेंट सर भी यही कह रहे थे...
विश्व - एसटीएफ पहले उनको अपने कब्जे में लेता है... उसके बाद जैल प्रशासन को ऑर्डर आता है... सिर्फ़ सात दिनों में... ईगलु सेल बनाने के लिए... जैल प्रशासन आदेश का पालन करते हुए... ना सिर्फ़ सेल बनाती है... बल्कि उनको वहाँ पर रख भी लेती है... पर ताजूब की बात यह है... की तिहार जैल में कसाब को जब एग सेल में रखा गया था... तब उसके सेल में होने से लेकर खाने पीने तक की हर छोटी से छोटी एक्टिविटी को... अपने न्यूज में छापने वाले... जिन कैदियों के लिए... इतना बड़ा ईगलु सेल बना... उस पर कोई लेख नहीं... कोई खोज नहीं... कहीं पर कोई चर्चा नहीं... बस यहीं पर मुझे शक़ हुआ... कुछ तो गड़बड़ है... पर क्या...
दास - यस ... पर क्या... फिर क्या पता लगाया तुमने...
विश्व - मैंने अपने दिमाग के घोड़े दौडाए... विदेशी मुज़रिमों को कैपिटल हॉस्पिटल से... कौन छुड़ा सकता है... जाहिर है... देशी मदत... और देशी मदत के पीछे क्या हो सकता है...
तब ध्यान आया... वह लोग सिर्फ कुछ ही हथियारों के साथ गिरफ्तार हुए हैं... पर कोई गोला बारूद नहीं असलहा नहीं... तब मैंने और पेपर खंगाले... तो एक बात समझ में आया... उनके पास कुछ प्रतिबंधित ड्रग्स की कुछ मात्रा में बरामदगी हुई थी... हो ना हो यह लोग... ड्रग्स स्मगलर हैं... (एक न्यूज पेपर दास के सामने खोल कर वह पन्ना दिखाता है) जिस मजहब के आड़ लेकर छुपे थे... उसी मजहब के अमन पसंद लोगों ने...उनको गिरफ्तार करवा दिया....
दास - ओ... पर मान लो... यह भाग भी जाते हैं... तब भी इनकी पहचान... आतंकवादी की ही रहेगी... हमारे राज्य में तो नहीं... पर दुसरे राज्य में तो एंटी टेररिस्ट स्क्वाड हैं... उनके हत्थे भी तो चढ़ सकते हैं...
विश्व - (न्यूज पेपर की बंडल रख देता है) कहीं पर भी... इन लोगों की तस्वीर नहीं छपी है... ना ही कहीं पर कोई पहचान... यहाँ तक जिस दिन गिरफ्तार हुए... उस दिन के फोटो में वह लोग साफ नहीं दिख रहे हैं....
दास - ऐसा क्यूँ...
विश्व - हूँ... बहुत ही वाज़िब सवाल है... तो इसका ज़वाब यह है कि... उस दिन सभी न्यूज पेपर वालों को... एक फूल पेज की ऐड मिली... (कह कर न्यूज पेपर टेबल पर खोल कर रख देता है, उस पेपर के पहली पन्ने पर... दास देखता है पुरा का पुरा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ओंकार चेट्टी के काम की प्रचार और शुभकामना वार्ता लिखा हुआ है)
दास - व्हाट... क्या यह तुम यक़ीन के साथ कह सकते हो...
विश्व - नहीं... पर मैं लॉजिक बिठा सकता हूँ...
दास - बिठाओ...
विश्व - जब भी... मेरा मतलब है जिस दिन... न्यूज पेपर में... इन आतंकवादियों के बारे में ख़बर छपी है ... उस दिन... पेपर पर फूल पेज ऐड भी छपा है... वह भी मुख पृष्ठ पर... कभी ओंकार चेट्टी की.... पर ज्यादातर वाई आइ सी फार्मास्यूटिकल्स की...
दास - ओ माय गॉड... पर ऐड से.. उनके साथ कैसे लिंक बिठा सकते हो...
विश्व - खुद ही देख लीजिए... बस यही लॉजिक है... आज के दौर में... खबर कैसा हो... लोगों के पास कौनसी खबर पहुंचे... यह या तो कुछ पॉवर फुल लोग... या फिर कोई बहुत बड़े बिजनेसमैन का पैसा तय करता है...
दास - वह लोग... कोई और तरकीब क्यूँ नहीं भिड़ा रहे हैं... हमला करने के पीछे मकसद क्या है...
विश्व - जिनको बचाने के लिए... पुरा सिस्टम लगा हुआ है... जाहिर सी बात है... उनके पास उतना बड़ा(अपनी दोनों हाथ को फैलाते हुए) कंसाइनमेंट होगा... इतना बड़ा की हमारी सोच वहाँ तक नहीं पहुँच सकती...
दास - अगर मकसद यही है... तो... हमे क्यूँ उलझा रहे हैं...
विश्व - ताकि यह खबर छपे... भुवनेश्वर सेंट्रल जैल में... दंगा हुआ... मौके का फायदा उठा कर... आतंकवादीयों को उनके साथी भगा ले गए... और इतने पुलिस वाले मारे गए... आखिर जिनके दोस्त फंसे हुए हैं... आतंकवादी बन गए हैं... भगाने के लिए कोई सालिड रीजन भी तो चाहिए... मेरा मतलब यह है कि... हलाल के लिए कोई बकरा तो चाहिए... और वह बकरा इस वक़्त पुरा...जैल प्रशासन है...
दास - ओह माय गॉड... (दास वहाँ से उठता है और वहाँ पर रखे फिल्टर से पानी पीने लगता है) वैसे विश्व... बाहर से हथियार बंद घुसने की कोशिश करेंगे... तो मारे जाएंगे...
विश्व - हाँ... वह तो है... पर अगर... एक ही समय पर... अंदर कोई दंगा हुआ... और उसी समय पर बाहर से हमला हुआ... तब दोनों के बीच... पुलिस वाले पीस जाएंगे...
दास - उनको अंदर कैसे हेल्प मिलेगा....
विश्व - दो बातेँ हो सकती हैं... पहली बात यह है कि... अगर जैल का कोई स्टाफ उनसे मिल जाए...
दास - और दुसरी बात...
विश्व - दुसरी बात... अब इन दस या पंद्रह दिनों में... कुछ कैदी आएंगे...जो पहले भी इस जैल में आ चुके होंगे... कुछ ऐसे कैदियों को दंगा करने के लिए ही भेजा जाएगा... जो बहुत ही प्रोफेशनल होंगे...
दास - विश्व... मुझे सुपरिटेंडेंट सर ने... स्ट्रिक्टली मना किया था... तुमसे कुछ भी कहने के लिए... उनका मानना है कि... यह लड़ाई कानून के नुमाइंदे और मुज़रिमों के बीच है... किसी आम लोगों से मदत ना लेने से मना कर दिया... अब मैं तुम्हारे सारे लॉजिक मान रहा हूँ... हो सकता है कि... हमारे स्टाफ में से कोई उनसे मिला हो... मैं... कोई रिस्क लेना नहीं चाहता... क्या तुम मेरी मदत करोगे....
विश्व - एक शर्त पर...
दास - कहो... मैं पुरी करने के लिए... जान लगा दूँगा...
विश्व - नहीं... जान नहीं... जुबान दीजिए... मेरा नाम कहीं पर भी नहीं आना चाहिए...
दास - यह क्या कह रहे हो.... अगर कामयाबी मिली तो तुम्हारा सजा माफ हो सकता है... तुम्हें आजाद कर दिया जाएगा... और तुम्हारा नाम सीक्रेट रखा जाएगा...
विश्व - ना... अदालत में... यह सजा मैंने खुद मांगा है... दास बाबु... इसे तो मैं पुरा करके ही जाऊँगा... आप बस अपना जुबान दीजिए...
दास - ठीक है दिया...
विश्व - हम अभी से जो भी करेंगे... सिर्फ़ हम दोनों ही करेंगे... किसी तीसरे को भनक भी नहीं लगनी चाहिए...
दास - ओके... तो अब बताओ... हमला कब हो सकता है... एनी आइडिया...
विश्व - (एक पेपर निकालता है और दास के सामने रखते हुए) इसी महीने की सत्ताइस तारीख को...
दास देखता है वह राज्य सरकार की सरकारी विज्ञापन है जिसमें आने वाले सत्ताईस तारीख़ को सी आर पी ग्राउंड में वाइब्रेंट ओड़िशा का एग्जिबिशन लगने वाला है l उस दिन देश विदेश से बहुत जाने माने बिजनेसमैन और इनवेस्टर अपनी अपनी स्टॉल लगायेंगे और रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा l उस एग्जिबिशन में मुख्यमंत्री जी के साथ साथ बहुत से मंत्री और इंडस्ट्रीयलीस्ट भी होंगे l
दास - (यह खबर पढ़ कर अपना सर पकड़ लेता है) ओह माय गॉड... उस दिन भुवनेश्वर में.. वीआईपी और वीवीआईपीयों का जमावड़ा रहेगा... जाहिर सी बात है... उनके सिक्युरिटी के लिए पुलिस और ओएसएपी बटालियन वहीँ पर होंगे...
विश्व - बिल्कुल...
दास - हमे शायद ही सपोर्ट मिल सकेगा...
विश्व - सपोर्ट मिलने के लिए... उनके पास खबर भी तो पहुंचनी चाहिए...
दास - क्या... क्या मतलब है...
विश्व - क्या लगता है आपको... वह हमला करेंगे... और चाहेंगे कि आप... मदत के लिए किसीको बुला पाएं...
दास - मतलब... वह लोग हमारे सारे कम्युनिकेशन को तोड़ देंगे... कैसे...
विश्व - यह आप... मुझसे पूछ रहे हैं...
दास - वह लोग लैंडलाइन काट देंगे... जैमर से सिग्नल ज़ाम कर देंगे... इससे मोबाइल फोन काम नहीं करेगा... और वीएचएफ भी काम नहीं करेगा...
विश्व - हाँ...
दास - हे.. भगवान... अब हम क्या करें... अगर हम एक दुसरे से... कम्युनिकेट नहीं कर पाए तो...
विश्व - पुराने तकनीक इस्तेमाल कीजिए... इंटरकॉम हर किसी के पास पहुँचा दीजिए...
दास - उसमें सिर्फ अलर्ट कर सकते हैं... पर कॉमबैट के समय... वीएचएफ मददगार होता है.... (तभी अचानक उसके दिमाग की बत्ती जलती है) एक मिनट... एक मिनट... जैमर से वह लोग हाई फ्रीक्वेंसी को जैम कर सकते हैं... पर लो फ्रीक्वेंसी.... वह भी... फाइव टू थर्टी मेगा हज बैंड वीड्थ में... कम्युनिकेशन किया जा सकता है...
विश्व - यह टेक्नीकल बातेँ आप ही जानों... हाँ अगर आप मुझे लाइव प्रसारण करा सकें तो मेहरबानी होगी...
दास - कोई बात नहीं... मैं उपलब्ध करा दूँगा... तुम्हें दो वायर लैस... मेरा मतलब है... दो वॉकी टॉकी दूँगा...
विश्व - ठीक है...
दास - बस एक बात का अफसोस रहेगा कि... बगैर कम्युनिकेशन के ना हम एम्बुलेंस बुला सकते हैं... ना ही फायर ब्रिगेड... कैजुअलटी हुई तो बहुत होगा...
विश्व - आप कम्युनिकेशन करें या ना करें... एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड यहाँ पर होंगी जरूर...
दास - वह कैसे... (अचानक दास की आँखे फैल जाती है) ओह माय गॉड... इसका मतलब वह लोग... एम्बुलेंस से भागेंगे और उनको बचाने वाले फायर ब्रिगेड में...
विश्व - (कुछ नहीं कहता, सिर्फ मुस्करा देता है)
दास - इसका मतलब... एक वैल ऑर्गनाइज्ड क्राइम होगा... पुरे सेटअप के साथ...
विश्व - यह ध्यान रखिए... जो कैदी यहाँ कुछ दिनों में आने वाले हैं... वह लोग पहले भी आ चुके होंगे... जो जैल के हर चप्पे-चप्पे से वाकिफ़ होंगे... बाहर से जहां तक मुझे अंदेशा है... वह लोग वीएचएफ स्टेशन वाली दीवार को तोड़ कर घुसेंगे... क्यूंकि वह स्पेशल बैरक और मैन रोड़ के पास है... भागने में आसानी होगी...
दास - ह्म्म्म्म...
विश्व - और एक बात... बहुत ही खास और जरूरी बात... आपके आर्म्स एम्युनीशन रूम से सब निकाल कर दुसरी जगह शिफ्ट करा दीजिए... जो आपको और भरोसे के लायक लोगों को छोड़ किसी को भी मालुम ना हो... और एक खास बात...
विश्व दास समझाने लगता है l सब समझने के बाद दास और विश्व दोनों हाथ मिलाते हैं l
देर शाम का वक्त
तापस अपनी ड्रॉइंग रूम में दास और सतपती का इंतजार कर रहा है l कॉलिंग बेल बजती है
तापस - कॉम इन... दरवाज़ा खुला छोड़ा है... तुम्हारे लिए... आ जाओ...
दास और सतपती दोनों अंदर आते हैं l दोनों को तापस बैठने को इशारा करता है l दोनों बैठ जाते हैं, तापस बेड रूम की जाता है और धीरे से दरवाजा बंद कर वापस ड्रॉइंग रुम में आता है l
सतपती - सर... मैम...
तापस - डोंट वरी.. नींद की गोली दे कर सुला दिया है... सो.. लीव इट... अब बोलो... कोई वर्क आउट किया है... तुम लोगों ने...
सतपती - सर.. ऑनेस्टली स्पीकिंग... जब आपने कहा कि... हमे फंसाया जा रहा है... तब से फैंट था... दिमाग आउट था... सारी वर्क आउट दास ने किया है... और बहुत ही बढ़िया किया है सर...
तापस - हूँ.. दास... आई नो... ऐसा तुम्हीं कर सकते थे... अब बोलो क्या ढूँढा और क्या पाया...
दास - सर... सर आपके कहने पर मैंने... खोज बिन शुरू किया... और जो सामने आया... या आने वाला है... वह मैं बताने जा रहा हूँ...
कह कर विश्व ने जो आशंका और संभावना बताया था पुरा का पुरा व्याख्यान कर देता है l साथ में लाए वह पेपर दिखा देता है l जब तापस को इस में चेट्टी बाप बेटों की होने की बात पता चलता है, उसके आँखों में खुन उतर आता है l जबड़े भिंच जाते हैं l दास को इस बात का एहसास हो जाता है l वह चुप हो जाता है l थोड़ी देर बाद तापस को एहसास होता है कि वह पर्सनल हो गया है तब
तापस - स.. सॉरी... मैं थोड़ा... नहीं थोड़ा नहीं बहुत बहुत... पर्सनल हो गया... सॉरी... दास... गुड... वेरी गुड... वह लोग कब अटैक करेंगे कैसे करेंगे... हमारे पास पर्याप्त इंफॉर्मेशन है... हम कैसे रिटेलीयट करेंगे... कोई प्लान है या हम बनाएं...
दास - सर प्लान है... और आई थिंक... फूल प्रूफ...
तापस - मुझे मालुम था... तुम्हारे पास कुछ ना कुछ प्लान होगा... नहीं भी होता तो तुम बना लोगे... कॉम ऑन एक्सप्लैन...
दास - सर क्यूंकि हमे टाइम पता है... इसलिए अब जो भी कैदी... सत्ताइस तारीख के अंदर आयेंगे.... हम उन्हें... बैरक नंबर वन पर रखेंगे...
तापस - हूँ... ठीक है.... फिर...
दास - किसको कानो कान खबर ना हो... ऐसे हम एम्युनिशन रूम को बदल देंगे..., हम विएचएफ में थोड़ा बदलाव करेंगे कम्युनिकेशन के लिए....
तापस - हूँ... और अपने लोगों में से किसको... और कैसे तैयार करेंगे...
दास - सर उस रात के लिए... हम अपने तीस खास लोगों को चुनेंगे... रात की मॉकड्रील के नाम पर... हमारे दस वाच टॉवर हैं... हर एक टॉवर पर दो गार्ड्स डिप्लॉय करेंगे... हर एक टॉवर पर... एक एक सर्च लाइट है... हम और एक बढ़ा देंगे...
तापस - हूँ... यह हो गए बीस... और दसों को...
दास - सर हम पांच बंकर बनाएंगे... एक पावर हाउस के पास... दुसरा मैन ऑफिस के पास... तीसरा बैरक नंबर दो और तीन के पास... चौथा स्पेशल बैरक के पास... और पांचवां... विएचएफ ऑफिस के पास....
तापस - यह सब ठीक है... यह दो और तीन नंबर बैरक के पास क्यूँ...
दास - एक्शन डे के दिन... हम सारे क़ैदियों को... दो और तीन नंबर बैरक पर भेज देंगे... ताकि उनको आड़ लेकर... कोई उन्हें ह्यूमन शील्ड ना बना दें...
तापस - वेरी गुड... अब एक्शन डे के दिन... क्या करेंगे और क्या हो सकता है... ब्रीफ करो...
दास - सर... अटैक शाम को डिनर के वक्त होगा... इसलिए... उस दिन डिनर सबको जल्दी करा देंगे... पर एक नंबर के बैरक वालों को रूटीन टाइम पर ही कराएंगे... इसलिए एक्शन के बीच कोई आम कैदी नहीं आएगा... उसके बाद उनको सिग्नल भेजा जाएगा... हम उनकी मदत करेंगे... जब जैमर से सिग्नल जाम करेंगे... सर वह लोग पावर काट कर... ब्लैक आउट करने की कोशिश करेंगे... इसलिए हम पावर हाउस को... 24/7 जनरेटर से जोड़े रखेंगे... सर उनकी कामयाबी के लिए अंधेरा चाहिए... हमें रौशनी बनाए रखना है... पावर कट के बाद सबसे बड़ा हमला... पावर स्टेशन पर ही होगा... हम सभी सर्च लाइट को फंक्शन में लेंगे... फ़िर जब वह लोग अंदर आयेंगे... हम उनका स्वागत... गोलियों से करेंगे...
तापस - ह्म्म्म्म... ठीक है... तो अब यह एनश्योर करो... हमारे सबके पास बुलेट प्रूफ भेस्ट, बुलेट प्रूफ थाई पैड और बुलेट प्रूफ आर्म पैड हो... राजनीति वालों से लेकर सिस्टम वालों तक... हमे कम कर आंका है... लेट अस प्रुव देम रॉंग.. एंड टीच दोज बास्टर्डस् अ लेशन... वीथ जीरो कैजुअल्टी....
दोनों - यस सर
एक्शन डे
शाम को दास चुपके से विश्व के पास आता है l विश्व अपने सेल में ध्यान की मुद्रा में बैठा हुआ है l
दास - विश्व... ऐ.. विश्वा..
विश्व - (अपनी आँखे खोलता है) हूँ... कहिए... दास बाबु...
दास - (अपनी भेस्ट से दो वॉकी टॉकी निकाल कर विश्व को देता है) यह लो... देखो इसमे (एक वॉकी टॉकी को दिखाते हुए) तीन नंबर चैनल पर तुम हम सबकी बातें सुन पाओगे... और इसमे (दुसरा वॉकी टॉकी दिखाते हुए) सात नंबर पर... मैं तुम्हारे साथ कॉन्टैक्ट में रहूंगा...
विश्व - (दोनों वॉकी टॉकी ले लेता है) ह्म्म्म्म... जहाँ मेरी ज़रूरत पड़ेगी.... बेझिझक बोल दीजिएगा...
दास - ज़रूर... और.. थैंक्यू वेरी मच...
इतना कह कर दास वहाँ से चला जाता है l प्लान के मुताबिक पहले ही सारे पुराने कैदियों को दो और तीन नंबर बैरक पर शिफ़्ट कर दिया गया था l जो नए कैदी आए थे उन्हें एक नंबर के बैरक में ठहराया गया था l पहले पुराने कैदियों का बगैर हुटर के डिनर खतम करवा दिया गया और उन सबको दो और तीन नंबर बैरक में भेज दिया गया l नए कैदीयों के लिए डिनर का हुटर बजाया गया, विश्व के अनुमान हिसाब से यही हुटर ही उनके लिए सिग्नल का पहला पड़ाव था l वे लोग बैरक से निकल कर डायनिंग हॉल में आ कर थाली के लिए लाइन में खड़े होते हैं l तभी वहाँ के माइक पर तापस की आवाज़ गूँजती है
तापस - शुभ संध्या दोस्तों.... आज आपके आतिथेय के लिए यहाँ पर... बुफे का इंतजाम किया गया है... इसलिए डिनर का आनंद लें और अपने बैरक में जा कर विश्राम लें....
सभी नए कैदी देखते हैं थाली और खाना सजा हुआ है l नए क़ैदियों के लीडर समझ जाता है कि उनका प्लान लीक हो गया है l वह तुरंत अपने जेब से मोबाइल निकाल कर किसीसे बात करता है l सीसीटीवी पर यह दास को दिखता है l वह तुरंत वायर लैस से तापस को कहता है l और फ़िर विश्व को भी बताता है l
वह लीडर अपनी इंफॉर्मेशन पास करने के बाद सारे कैदियों को कहता है
-भाई लोग... हमें यह लोग चुतिआ बना दिए हैं... पर हमको अपना काम करना ही है... एक काम करो... हर एक तुममें से एक थाली और एक ग्लास लो... दोनों थाली और ग्लास बजाते हुए.... नारा देते हुए... बाहर राउंड मारेंगे... वह भी जैलर को गाली देते देते... चलो सब...
वह सारे कैदी वही करते हैं l हर एक कैदी के हाथों में एक थाली और एक ग्लास लेकर बजाते हुए डायनिंग हॉल से निकल कर बाहर ग्राउंड में आ जाते हैं l नारा लगाते हुए ग्राउंड की चक्कर लगाना शुरू करते हैं l उनमें से कुछ कैदियों के हाथ में ड्राई आइस वाला फायर एस्टींगुइशर भी होता है l
सीसीटीवी में यह देख कर दास के मुहँ से अपने आप निकल जाता है l
"वाह विश्व... क्या अनुमान लगाया था तुमने... बिल्कुल वैसा ही हुआ"
दास - (वॉकी टॉकी पर) बॉयज... क्लोज द हॉल... लीव द स्पॉट एंड टेक योर पोजिशन...
यह मैसेज उन गार्ड्स के लिए था l जिनको डायनिंग हॉल के किचन में छुपाया गया था के कहीं हॉल में ही वह कैदी आपस में मार पीट शुरू कर ना दें l चूँकि वह कैदी अब हॉल से बाहर थे l डायनिंग हॉल को अंदर से बंद कर किचन की एक्झस्ट फैन को निकाल कर उसी रास्ते से तीन गार्ड्स बाहर चले जाते हैं l
उधर जैसे ही वह सारे कैदी स्पेशल सेल वाली बैरक के पास पहुंचते हैं उनका लीडर फिर से फोन लगाता है l उसके फोन बंद करने के तुरंत बाद ही जैल के बाहर एक गाड़ी बड़ी स्पीड से पहुंचती है और एक बड़ा सा बैग को एक आदमी उठा कर अंदर फेंक देता है l तभी जैल और आसपास ब्लैकआउट हो जाता है l
कुछ कैदी वहीँ स्पेशल सेल के पास रुक कर थाली और ग्लास पीटते रहते हैं और कुछ कैदी बाग कर उस बैग के पास पहुँचते हैं l तभी जनरेटर चालू हो जाता है और लाइट्स वापस आ जाता है l पर तब तक कुछ कैदी उस बैग तक पहुँच कर बैग उठा लेते हैं और एक पेड़ के ओट में चले जाते हैं l उस बैग से उन लोगों को माउजर, पिस्टल, गोलियां कैट्रीज और कुछ बम मिल जाते हैं l वह लोग भी फुर्ती दिखाते हुए बम फेंकने लगते हैं जिससे हर तरफ धुआँ धुआँ हो जाता है l
दास - ओह शीट.. (तापस को वायर लैस पर) उन लोगों को स्मोक बम मिल गया है... और उन्हों ने इस्तमाल भी कर दिया है...
तापस - डोंट बी पैनिक... सर्च लाइट से हर एक पर नजर रखने की कोशिश करो... ध्यान रहे... गोली चलाने की नौबत आने पर ही गोली चलानी है...
दास - ओके सर... (वायर लैस पर) ऑल सर्च लाइट स्पॉट ऑन देम...
सारी सर्च लाइट उन लोगों पर फोकस हो जाती है l पर कुछ कैदी अपनी एक्टिविटी को स्मोक बम के धुएँ के आड़ में अपनी अपनी हाइडिंग पॉइंट बना लेते हैं और सर्च लाइट की ओर गोलियाँ चलाने लगते हैं l कुछ कैदी एम्युनीशन रूम की ओर जाते हैं और कामयाब भी हो जाते हैं l पर कुछ देर बाद उन्हें यह भी मालुम हो जाता है कि एम्युनीशन रूम खाली है l उन्हें यह भनक लगते ही वह कैदी धुएँ के आड़ लेकर वापस डायनिंग हॉल की तरफ भागते हैं l यह देख कर दास को कुछ शक़ होता है I
दास - विश्व.. विश्वा..
विश्व - जी दास बाबु...
दास - एक गड़बड़ है...
विश्व - क्या...
दास - इनमें से कुछ लोग हमें एनगैज कर रखा है... और कुछ लोग डायनिंग हॉल के तरफ जा रहे हैं... यह वही हैं... जो एम्युनीशन रूम पर कब्जा कर लिया था...
विश्व - आपने डायनिंग हॉल बंद करवा दिया है ना...
दास - हाँ... पर अगर वह लोग दरवाजा तोड़ कर अंदर घुसे... तो गड़बड़ हो जाएगी...
विश्व - क्या गड़बड़... कहीं...
दास - हाँ.. हाँ... बिल्कुल... तुमने सही अंदाजा लगाया है... वह लोग गैस सिलिंडर को अपने कब्जे में लेकर... दो या तीन नंबर बैरक के कैदियों को हॉस्टेज फिर ह्यूमन शील्ड बना सकते... तुम कुछ कर सकते हो...
विश्व - मैं क्या कर सकता हूँ... मैं तो यहाँ पर बंद हूँ...
दास - नहीं... मैंने तुम्हारे सेल का दरवाजा खुला रख छोड़ा है...
विश्व - ठीक है... पर मैं जाऊँ कैसे...
दास - एक काम करो... तुम अपने सेल से निकल कर दो नंबर बैरक के कॉमन टॉयलेट पर पहुँचो... उस टॉयलेट में पीछे के तरफ एक्जिट डोर है... वहाँ से निकल कर दाएँ कुछ दूर जाओगे तो तुम डायनिंग हॉल के किचन के पीछे पहुँच जाओगे...अंधेरा होगा वहाँ पर... पर आई थिंक तुम्हारे आँखों को अंधेरे की आदत हो जाएगी... एक्झस्ट फैन नहीं होगा... देखना... उसी रास्ते से अंदर जाओ और किचन को अच्छी तरह से अंदर से बंद कर देना... मैं दो गार्ड्स को लेकर वहाँ पर पहुँच जाऊँगा... तब तक शायद उनकी गोलियाँ भी खतम हो जाए... हम आकर उन्हें दबोच लेंगे... बस तुम किसी तरह से वहाँ पहुँच जाओ...
विश्व - हाँ मैं पहुँच गया...
दास - व्हाट... तत्.. तुम पहुँच गए... यार तुम आदमी हो के भूत.. मैं तो तुम्हें रास्ता बता रहा था...
विश्व - वह सब छोड़िए... वाकई यह लोग दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं...
दास - हाँ... तुम बस किचन की डोर को बंद कर निकल जाओ... मैं वहाँ पहुँचने की कोशिश करता हूँ...
विश्व - ठीक है... जब तक आप यहाँ नहीं पहुँचते... यह लोग किचन तक नहीं पहुँचेंगे..
दास - देखो विश्व.. वह लोग हथियार बंद हैं... तुम उनसे एनगैज्ड मत हो जाना...
विश्व - नहीं...
विश्व वायर लैस को किचन के स्टोव के पास रख देता है l फ़िर वह वॉशरुम जा कर सारे टाप खोल देता है l फ़िर एक नजर दरवाजे पर डालता है और हॉल में लगे बिग साइज वाटर प्यूरीफायर के इनपल्स लाइन को तोड़ देता है l इससे पुरे हॉल के फर्श पर पानी फैल ने लगता है I विश्व फिर दुसरी तरफ खिड़की के पास जा कर पर्दे खिंच कर निकाल देता है और उन पर्दों को दरवाजे के पास फ़र्श पर डाल कर वहीँ बैठ जाता है l
उधर कैदियों ने ड्राई आइस वाला एस्टींगुइशर इस्तमाल करके स्पेशल सेल की ताला तोड़ देते हैं l सीसीटीवी पर यह देखते ही दास विश्व को कॉन्टेक्ट करने की कोशिश करता है पर कर नहीं पाता l उसी वक़्त दास को तापस वायर लैस से कहता है
तापस - दास..
दास - यस सर...
तापस - तुम और दो गार्ड्स के साथ... स्पेशल सेल के पास एनगैज रखो...
दास - पर सर...
तापस - डोंट वरी... फ़िलहाल के लिए.. बाहर से अभी भी कोई एक्टिविटी नहीं... एंड गार्ड्स छह-सात ओर नौ नंबर सर्च टॉवर से डायनिंग हॉल को एनगैज रखो... और सतपती कुछ भी हो... पावर हाउस तक वह लोग पहुँचने नहीं चाहिए...
दास और सतपती - यस सर...
दास कुछ गार्ड्स को लेकर ऑफिस वाले बंकर तक पहुँच कर स्पेशल सेल के पास छुपे कैदीयों पर फायरिंग शुरू करता है l चूँकि जानकारी और तैयारी पहले से ही थी इसलिए तापस और उनके ग्रुप्स को जबरदस्त एडवांटेज मिल चुका था l कैदियों के तरफ से कैजुअलटी बढ़ रहा था l
तभी तापस देखता है बाहर के कैमरे एक एक करके बंद होने लगते हैं l तापस समझ जाता है अब बाहर से हमला होने वाला है l
तापस - बंकर नंबर पाँच..
- यस सर
तापस - तुम दोनों.. बंकर नंबर दो पर पहुँचो... और दास की मदत करो...
- यस सर...
तापस - बंकर नंबर तीन..
- यस सर...
तापस - क्या पोजीशन है...
- सर उनका.. टू कैजुअलटी... हमारे साइड जीरो... प्रॉब्लम यह है कि... वह स्मोक वाल और पिलर्स के गार्ड में हैं... सर वॉच टॉवर अगर कवर फायर करे तो हम हम वहाँ पहुँच सकते हैं...
तापस - नहीं... कुछ भी हो... तुम लोग अपनी पोजिशन नहीं छोड़ोगे...
- ओके सर...
तापस अपना एसएलआर उठाता है और ऑफिस के अंदर से पोजीशन लेता है l कुछ देर बाद वीएचएफ के बगल वाली दीवार पर एक ज़ोरदार धमाका होता है और पुरा का पुरा दीवार ढह जाता है l सबकी ध्यान उस तरफ जाता है l तभी उसी टूटी हुई दीवार से एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी तेजी से घुसती है और अंदर आते आते गाड़ी से एक ग्रैनेड़ पावर स्टेशन के पास हीट करता है l एक और धमाका होता है l
तापस - सतपती... आर यु ओके...
सतपती - यस सर... नथींग टू वरी... जनरेटर हिट बाहर हुआ है... वह लोग चूक गए...
तापस - थैंक् गॉड...
वह फायर ब्रिगेड की गाड़ी जाकर डायनिंग हॉल के पास रुकती है सभी वॉच टॉवर से उस फायर ब्रिगेड गाड़ी पर फायरिंग होने लगती है l
तापस - (वायर लैस पर) रुक जाओ सभी... यह एक डाइवर्जन... है... सब अपने अपने पोजिशन पर डटे रहो...
बंकर नं तीन -(तापस से) सर वह गाड़ी ने पुरी तरह से... डायनिंग हॉल की एंट्रेंस को गार्ड कर लिया है...
तापस - देन मेक मि शोर... कोई वहाँ से निकल ना पाए....
- ओके सर...
दास - (सात नंबर चैनल पर) विश्व... आर यु देयर... अगर हो तो बहुत बड़े खतरे में हो... (विश्व से कोई जवाब नहीं मिलता है) ओ.. ह.. डैम...
फायर ब्रिगेड की गाड़ी से पाँच आदमी उतर कर वहाँ के कैदियों को जॉइन करते हैं और अब एंट्रेंस की दरवाज़े को तोड़ने की कोशिश करते हैं l थोड़ी कोशिश के बाद वह दरवाज़ा खुल जाता है l दस लोग डायनिंग हॉल के टूटे दरवाज़े से घुसने लगते हैं कि तभी आगे वाले दो आदमी फिसल कर गिरते हैं और इससे पहले कोई कुछ समझ पाता चाबुक की तरह गिले कपड़े की मार लगने लगती है जिसके वजह से चार आदमी दो तरफ गिर जाते हैं l
असल में विश्व दरवाजे के पास खिड़की से निकाले पर्दों को फर्श पर गिरा दिया था जिससे पर्दे गिले हो गए थे जैसे ही दरवाजा तोड़ कर वह लोग अंदर आए विश्व अचानक से उन गिले पर्दों को फर्श पर उठा कर खिंच लिया और जोर जोर से मोड़ कर चाबुक जैसे घुमाते हुए उन लोगों तक फेंकते हुए फटाक से अपने पास खिंच लेता है जिससे ठाय की आवाज़ के साथ मार चाबुक की तरह लगती है l छह लोग नीचे गिर जाते हैं और चार लोग पीछे हट कर पहले बाहर दीवार के पीछे हो जाते हैं l अंदर जब वह छह संभल कर उठते हैं विश्व अपने पांचो गुरू डैनी, वसंत, चित्त, हरीश और प्रणव को याद कर उन पर टुट पड़ता है l उनके साथ लड़ते हुए विश्व समझ जाता है वह लोग बहुत ट्रेन्ड हैं l इसलिए विश्व डैनी की कही बातों पर अमल करते हुए लड़ाई को जल्द खतम करने की कोशिश करता है l उनमें से तीन को पटक ने के बाद अचानक बाहर से उसपर गोली बरसने लगता है l विश्व फुर्ती से छलांग लगाता है और गिले फ़र्श पर फिसलते हुए किचन में घुस जाता है l किचन में हो रही गोलीबारी से दास समझ जाता है विश्व वहीँ पर है l दास ना तो अपना पोजीशन छोड़ सकता था और ना ही विश्व के पास पहुँच सकता था l वह सिर्फ़ भगवान से प्रार्थना कर रहा था l विश्व को कुछ ना हो l उधर डायनिंग हॉल में तीनों जो गिर गए थे वह उठ नहीं पाते हैं तो उन तीनों को वहीँ छोड़ कर वह सात किचन की की धीरे धीरे बढ़ने लगते हैं l चूँकि फर्श पानी पानी हो चुका था इसलिए उन लोगों के चलने से छ्प छ्प की आवाज़ आने लगती है l विश्व किचन में अपना नजर घुमाने लगता है तो उसे सात आठ सब्जी काटने वाले चाकू दिख जाते हैं l वह बिना आवाज किए उन चाकुओं को उठा लेता है और खुदको किचन स्टोव की ओट में छुपा लेता है l
अचानक उसे एक गन दिखता है l विश्व बिना देरी किए चाकू फेंकता है l अचूक निशाना, चाकू उस गनर के हाथ में लगता है तो उसके हाथ से छूट जाता है और वह गनर चिल्लाते हुए पीछे हट जाता है l तभी विश्व की छटी इंद्रिय उसे खतरे आभास करा देता है l विश्व अपने दाएं तरफ किचन के फर्श पर छलांग लगाता है और उसी वक़्त उन लोगों में से एक अंदर की ओर एसएलआर को फायर करते हुए किचन की फर्श पर छलांग लगाता है l दोनों एक दूसरे के विपरित दिशा में छलांग लगा चुके हैं और दोनों ने अपने हथियार चलाएं हैं l पर बाजी विश्व मार लेता है l उस आदमी को चाकू लग जाता है l चाकू लगने से उस आदमी की हाथ मुड़ जाती है और उसके गन की फायर से दरवाजे के पास खड़े चार लोगों को लग जाता है l जो दो लोग और बचे थे वह अपने कदम पीछे खिंचने लगते हैं l उनमें से एक चिल्लाने लगता है, बैक अप ... बैक अप...
दास बैक अप सुनते ही,इत्मीनान की साँस लेता है l तभी एक एंबुलेंस अंदर घुस जाती है और बैक करते हुए स्पेशल सेल के एंट्रेंस पर लगा देता है l अब तक पुलिस वालों को छोड़ अशरफ को छुड़ाने आए लोगों की कैजुअलटी बहुत हो चुकी है l अब कुछ ही लोग बचे हुए हैं l
तापस अब अपने ऑफिस से निकल कर बाहर झांकता है, उसे कोई और गाड़ी नहीं दिखती है l पर वह समझ जाता है l आस पास और भी गाडियाँ हो सकती है l इसलिए वह एक ख़तरनाक कदम उठाता है l तापस अंदर की तरफ खुलने वाली गेट को खोलता है और अपनी गाड़ी को स्टार्ट कर टूटी हुई दीवार को सटा कर गाड़ी को खड़ा कर देता है l कुछ फायरिंग तापस की ओर होने लगता है l तापस को ऐसे खुले आम गोलीबारी के बीच कार में फंसे देख कर सतपती से रहा नहीं जाता वह दो गार्ड्स को ऑफिस के हाइडींग पॉइंट पर भेज कर उनकी कवर फायरिंग के सहारा ले कर तापस को कवर फायर देते हुए तापस के पास पहुँच जाता है l तापस सतपती को देख कर बिदक जाता है l कार की ओट में आ जाते हैं
तापस - व्हाट इज़ दिस सतपती...
सतपती - सर आप ही ने कहा था... जीरो कैजुअलटी... फ़िर आपको ऐसे खुले में कैसे छोड़ सकता था...
तापस - पर... देखो क्या हो गया... तुमने पावर स्टेशन खाली छोड़ दिया...
तापस की बात पुरी भी नहीं हुई थी कि पावर स्टेशन पर एक ग्रैनेड गिरता है l बूम... पावर स्टेशन उड़ जाता है l हर तरफ अंधेरा हो जाता है l बाजी जो अभी तक तापस एंड ग्रुप के हाथ में था अब सरक कर अशरफ को बचाने वालों के हाथ आ गई l अंधेरा होते ही अशरफ और उसके साथी ऐंबुलेंस चढ़ जाते हैं गाड़ी जब उसी दीवार की तरफ जाती है तो सभी वॉच टॉवर से गोलियाँ बरसने लगती हैं, पर तब तक ऐंबुलेंस तापस की गाड़ी के पास पहुँच जाती है l ऐंबुलेंस की हेड लाइट में तापस उन लोगों को साफ दिखने लगता है I अशरफ निशाना लगा कर गोली चलाता है तापस जंप लगा कर एक कोने में गिर जाता है, ओर उसके हाथ से एसएलआर छूट जाता है l तभी एक पोर्टेबल माइक से
अशरफ - होल्ड योर फायर... अगर एक भी गोली चली... तुम्हारा जैलर गया... (हर ओर से फायरिंग रुक जाता है) वाह सुपरिटेंडेंट... मानना पड़ेगा... मेरी हर चाल को समझ जाता है तु... पर अल्लाह आज मुझ पर मेहरबान है... (फ़िर चिल्ला कर) जो जहां है... वहीँ रहे वरना... इस जैलर की बिना सिर वाली जिस्म छोड़ जाऊँगा... (गोली बारी रुक जाती है) मेरे साथियों... मेरे पास आओ... और मेरे साथ चलो...
सभी जो बच गए थे वे सभी ऐंबुलेंस के पास भागते हुए आते हैं l अशरफ सब पर नजर डालता है
अशरफ - बहुत से साथी हमारे... शहादत दिए हैं आज... अल्लाह उनको जन्नत से नवाजे... उनके शहादत के बदले... उनके लिये...... (तापस से) तेरा सिर तो बनता है जैलर...
तभी दास के वायर लैस पर हल्की सी आवाज आती है l चूंकि दास उनसे दूर था इसलिए अशरफ गैंग वाले सुन नहीं पाते l
दास - (धीरे से) वि.. विश्व..
विश्व - आप उसे बातों में उलझाए रखें... सिर्फ़ दो मिनट के लिए... और वॉच टॉवर से गोली ना चले यह देखिए...
दास - (धीरे से) ठीक है... (वायर लैस को अपने हाथ में लिए चिल्लाता है) अशरफ साहब... मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूँ...
अशरफ - अच्छा... आजा... पर अकेले... वरना...
दास - ठीक है...(दास अपनी वायर लैस से) कोई फायर नहीं करेगा... जब तक मैं ना कहूँ...
सभी जो वायर लैस से कनेक्टेड थे - ओके सर...
दास वहाँ पहुँचता है तो उसे भी गन पॉइंट पर ले लिया जाता है l दास देखता है चार लोग शायद ऐंबुलेंस से आये थे यह तीन कैदियों को बचाने वाले छह लोग थे दो लोग डायनिंग हॉल से दो लोग सब मिलाकर पंद्रह लोग l पर चूँकि उनके स्पॉट लाइट पर तापस आ गया, इसलिए बाजी पलट गया l पर उसे उम्मीद है क्यूंकि उनका सीक्रेट हथियार, जिसके बारे में यह लोग नहीं जानते l दास को कब्जे में लेते ही
अशरफ - वह क्या बात है... मार्केट में ऑफर में एक के साथ एक फ्री होता है... यहाँ तो दो दो फ्री मिल गए... (अपने लोगों से) इस कार को.. (तापस की गाड़ी को दिखाते हुए) यहाँ से हटाओ...
चार बंदे कार को धक्का मार कर हटाने की कोशिश करते हैं l और कुछ बंदे तापस, सतपती और दास को ज़बरदस्ती ऐंबुलेंस में बिठाने लगते हैं l तभी सट सट चाकू आकर उन लोगों को लगते हैं l जिन जिन को लगता है वह लोग दर्द के चिल्लाते हुए तापस, सतपती और दास को छोड़ देते हैं l तापस हैरान हो जाता है क्यूंकि वहाँ पर विश्व पहुँच चुका है l इससे अशरफ गैंग कुछ समझ पाते विश्व बिजली की फुर्ती से अशरफ पर फ्लाइंग किक मारता है l अशरफ गिर जाता है दो स्पिन किक दो साथी उसके गिर जाते हैं l इतने में दास उनसे एक एसएलआर हासिल कर देता है और उन चारों पर फायर कर देता है जो कार धकेल रहे थे l सतपती भी एक माउजर हासिल कर उन घायल बंदों पर हमला बोल देता है l उनमें से एक आदमी आकर अशरफ के पास गिरता है, अशरफ देखता है उसके कंधे पर एक चाकू धंसा हुआ है l अशरफ भी फुर्ती दिखाते हुए वह चाकू निकाल कर तापस की ओर छलांग लगा देता है l विश्व तापस को अपनी तरफ खिंच लेता है और अशरफ के सामने आ कर डॉज करता है पर इसबार विश्व थोड़ा लेट हो जाता है l उसके कंधे पर चाकू उतर जाता है l विश्व की भी चीख निकल जाता है l तापस अभी तक जो शॉक में था विश्व की चीख सुनते ही होश में आता है नीचे पड़े एक पिस्टल को उठा कर अशरफ को गोली मार देता है l दास और सतपती भी सब पर अपने हथियार का मुहँ खोल देते हैं l अब वहाँ पर रेस्क्यू गैंग वालों के सबकी लाशें बिछ जाती है l जैल में कैजुअलटी के नाम पर सिर्फ़ विश्व ज़ख्मी हो जाता है l सतपती टूटे हुए दीवार के पार एसएलआर से गोली बरसाने लगता है l बाहर जो भी गाडियाँ अंधेरे में पार्क थी, वह गाडियाँ और वहाँ पर नहीं रुकती, कुछ ही देर में जैल की बाहर सभी गाडियाँ गायब हो जाते हैं l तापस विश्व के पास आता है l विश्व अपने कंधे को पकड़ कर खड़ा हुआ है l एक नजर विश्व की ओर देखता है और एक नजर दास पर डालता है l दास अपना सिर झुका लेता है l
अगले दिन
कैपिटल हॉस्पिटल में
प्रतिभा बद हवास हो कर पहुँचती है l उसे दास मिलता है उसे वह तापस की बारे में पूछती है l दास उसे वार्ड नंबर बताता है l प्रतिभा भागते हुए उस वार्ड के बाहर पहुँचती है l बाहर ही उसे तापस सही सलामत मिल जाता है l प्रतिभा उसे देख कर गले से लग जाती है और फुट फुट कर रोने लगती है l
तापस - जान... रो मत... मैं ठीक हुँ...
प्रतिभा - (फुट फुट कर रोते हुए) आपको कुछ हो जाता तो...
तापस - हाँ हो सकता था... पर किसीने मेरे पर हमले को अपने ऊपर ले लिया... सच कहूँ तो... आज हम सब सही सलामत उसीके वजह से हैं...
प्रतिभा - (रोना रुक जाता है, सिसकते हुए) क.. क्या.. क.. क. कौन है... वह...
तापस - जा कर मिल लो... वह रहा (वार्ड की तरफ दिखाते हुए)
प्रतिभा के आँखों में आंसू तर रहे हैं I अपनी भीगी आँखों से बेड की तरफ देखती है l उसे आँसुओं के वजह से सब झीनी झीनी दिख रही है l उसे बेड पर प्रत्युष दिखता है l प्रतिभा के दिल में एक हूक सी उठती है l अपनी हाथों से आँखों को साफ करती है तो बेड पर एक अनजान सा चेहरा दिखता है पर उसे अपना लगता है l
प्रतिभा - क.. क..कौन हो तुम... क्या नाम है तुम्हारा...
विश्व - जी.. विश्व प्रताप...
प्रतिभा - प्रताप... (जोर से कहते हुए) प्रताप मेरे प्रताप... (विश्व को गले लगा लेती है)
तापस के द्वारा फ्लैशबैक समाप्त
खान - ओह... तो उसके प्रताप नाम से ही भाभी जी ने उसे अपना बेटा मान लिया....
प्रतिभा - (अंदर आते हुए) नहीं खान भाई साहब... प्रताप एक वजह तो है... पर उसे उस वक़्त देखते ही... मेरे अंदर की ममता... हिलोरे लेने लगी...(सोफ़े पर बैठते हुए) इसलिए वह मेरा बेटा बन गया... हक़ से... उसने मेरी माँग भी बचाया था...
खान - ओह... तो फिर आपने केस रिओपन क्यूँ नहीं करवाया...
प्रतिभा - मैंने करने की जिद की थी... पर उसे डर था... कहीं मेरी हालत... जयंत सर के जैसा ना हो जाए...
खान - ओह... क्या इसी लिए... वह लॉ कर रहा है...
प्रतिभा - हाँ....
खान - पर उसने आपको ही क्यूँ गुरु बनाया... मेरा मतलब...
तापस - हाँ यह बात मैंने भी पूछा था... जवाब में उसने कहा था... माँ से बढ़ कर कोई गुरु हो ही नहीं सकता... बस इतना कह कर मुझे लाज़वाब कर दिया.... बस यही कहानी है... विश्व की हमारी जीवन में... बस...
खान - बस इतना ही...
तापस - हाँ बस इतना ही...
खान - पता नहीं क्यूँ... पर मुझे लगता है... तुमने मुझे पुरी बात नहीं बताई...
तापस - क्यूँ... तुम्हें ऐसा क्यूँ लग रहा है...
खान - लग नहीं रहा... बल्कि मैं जानता हूँ... तुमने एक बात मुझे नहीं बताई....
तापस - (अपनी भवैं सिकुड़ कर) कौनसी बात....
खान - यही की (थोड़ा सस्पेंस बढ़ाते हुए) विश्वा ने जैल के भीतर.... (प्रतिभा की धड़कन बढ़ जाती है) यश वर्धन चेट्टी का खुन कर दिया था...
डायनिंग टेबल पर बैठ कर विक्रम, शुभ्रा को एक नौकरानी के साथ नास्ता लेकर रूप कि कमरे की ओर जाते हुए देखता है तो वह अपना सिर नीचे कर खाली प्लेट को देखता है और डायनिंग टेबल के चारों तरफ अपनी नजरें घुमाता है l नौकर ट्रॉली में नाश्ता ला कर टेबल के पास पहुँचा ही था कि विक्रम पानी की ग्लास उठा कर पिता है और बाहर चला जाता है l नौकर उसे जाते हुए देखता है l उधर शुभ्रा रूप के कमरे के सामने पहुँच कर दरवाज़ा खटखटाने लगती है l
रूप - (अंदर से) आइए भाभी.... आप मेरे कमरे में आने के लिए कबसे दरवाजा खटखटाने लगीं...
शुभ्रा और नौकरानी दोनों कमरे के भीतर आते हैं l शुभ्रा नौकरानी को नाश्ता लगाने के लिए इशारा करती है l नौकरानी खाना लगा देती है तब
शुभ्रा - (नौकरानी से) अब तुम जाओ... (नौकरानी सर झुका कर बिना पीठ पीछे किए वापस चली जाती है) (रूप से) हाँ तो क्या पूछ रही थी....
रूप - (नाश्ते के लिए बैठते हुए) क्या भाभी... आप को मेरे कमरे में आने के लिए... दरवाज़ा कब से खटखटाने लगीं... और क्यूँ भला...
शुभ्रा - (उसके साथ बैठ कर) वह क्या है कि... शायद राजकुमारी जी किसीके लिए तैयार हो रहे हों... ऐसे मोमेंट के लिए प्राइवेसी की जरूरत होती है ना...
रूप - (खीजते हुए) भाभी....
शुभ्रा - हा हा हा... (खिल खिला कर हँस देती है)
रूप - (उसकी हँसी देख कर) वा... व.... भाभी तुम हँसती हो तो कितनी खूबसूरत दिखती हो... सच भाभी आपके चेहरे पर हँसी शूट करती है...
शुभ्रा - (हँसी रुक जाती है)
रूप - (मुहँ उतर जाता है) सॉरी भाभी... अगर गलत कह दिया तो...
शुभ्रा - तुमने गलत तो नहीं कहा... पर... (रुक जाती है)
रूप - पर क्या भाभी... हाँ इससे पहले मैंने आपको... इतना खुलकर हँसते हुए देखा नहीं था... सच भाभी आप हँसते हुए... बहुत खूबसूरत लगती हैं...
शुभ्रा - मैं तो दो सालों से... हँसना भूल चुकी थी... रूप... तुम्हारे वजह से... कभी कभी मेरे चेहरे पर हँसी और खुशी के पल मिल जाते हैं...
रूप - (शुभ्रा की हाथ पकड़ कर) देखो भाभी... प्लीज... आप मुझे रूप ना बुलाओ... नंदिनी कहो...
शुभ्रा - (हँसते हुए) ठीक है ठीक है... नंदिनी जी...
शुभ्रा - (खीज कर) आ.आ..ह्... भाभी... प्लीज...
शुभ्रा - (हँसते हुए) ओके.. ओके... नंदिनी...
रूप - हाँ यह ठीक है...
(शुभ्रा बड़े प्यार से रूप के गालों पर हाथ फेरती है, रूप उसके हाथों को पकड़ लेती है) और भाभी... अगर आप मेरे वजह से हँस पा रही हो.. खुश हो पा रही हो... तो प्लीज भाभी... आप ऐसे ही रहिए... सच आप हँसते हुए कोई देवी लगती हो...
शुभ्रा - बस बस... बहुत हुआ हाँ... तुम कॉलेज जा कर बहुत बातेँ सीखने लगी हो...
रूप - राजगड़ छुटा... तो बातेँ दिलसे निकल रही हैं... वरना राजगड़ में तो... बातेँ सिर्फ़ जुबान से ही निकलती थीं...
नाश्ता खतम हो जाता है l दोनों अपने हाथों को साफ करते हैं l शुभ्रा जूठे बर्तनों को ट्रॉली के नीचे वाले सेल्फ पर रख देती है l रूप अपनी बैग में कुछ किताबें और नोट बुक्स रखती है और मोबाइल लेकर
रूप - अच्छा भाभी... चलती हूँ...
शुभ्रा - (टोक कर) एक मिनट नंदिनी... (पास आकर) तुम कॉलेज जा रही हो... यह क्या कोई मेक अप नहीं... ऐसे कैसे... और देखो तुमने घड़ी भी नहीं पहना है... (ड्रेसिंग टेबल से घड़ी ला कर पहनाते हुए) कितनी सुंदर हो... थोड़ा सज संवर जाओगी... तो अप्सरा लगोगी...
रूप - भाभी... आपने अभी कहा ना मैं सुंदर हूँ... बस यही काफी है... और सजने संवरने की बात तो भाभी... मुझे किसी को रिझाने की जरूरत नहीं...
शुभ्रा - अरे ऐसे कैसे नहीं... (खिंच कर उसे ड्रेसिंग टेबल के सामने बिठा देती है) अरे लड़की हो... थोड़ा सज संवर जाओगी तो तुम्हारा क्या बिगड़ जाएगा... (रूप को संवारने लगती है) उल्टा कितनों के दिलों पर छुरी चलेगी जानती हो...
रूप - अच्छा... यह सब जानने में... मुझे कोई इंट्रेस्ट नहीं है... तो पता कैसे चलेगा...
शुभ्रा - कितनों पर छुरीयाँ चली... कितने घायल हो गए... इसकी खबर तुझे तेरे दोस्त देंगे... (रूप के कानों के पास धीरे से) मेरा एक्सपेरियंस है... (आईना को दिखाते हुए) देखो तो कितनी खूबसूरत लग रही हो...
शुभ्रा - भाभी..(शर्मा कर) प्लीज... (फ़िर उदास हो कर) मेरी शादी तय हो चुकी है... यह आप जानती हैं... मैं यहाँ पढ़ने भी इसी वज़ह से आई हूँ... (झट से अपनी जगह से उठ जाती है) क्षेत्रपाल घर की औरतों को... सपने देखना मना है... (कह कर शुभ्रा के गले लग जाती है) अच्छा चलती हूँ... बाय...
शुभ्रा - (उसे जाते हुए देखती है और मुरझाए स्वर में कहती है) बाय
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सेंट्रल जैल
दास और विश्व दोनों जल्दी जल्दी लाइब्रेरी की ओर जा रहे हैं l
दास - पता नहीं... यह खान सर के दिमाग में क्या चल रहा है... कल सेनापति सर जी घर गए थे... दोपहर का और रात का खाना कुटने... बस यही समझ में नहीं आ रहा है... की बदहजमी हुआ है या सब हज़म कर आए हैं...
विश्व - यह आप क्या बोल रहे हैं... दास बाबु...
दास - अरे भाई... सच कह रहा हूँ... सुबह सुबह ऑफिस आकर कहने लगे... जाओ विश्व को बुलाओ... मैं लाइब्रेरी में उसका इंतजार कर रहा हूँ... पर क्यूँ यह नहीं बताया... पहली बार अपने चैम्बर... मतलब कैबिन के वजाए लाइब्रेरी...
विश्व - होगा कोई काम... पर उसके लिए... यूँ भाग कर जाना जरूरी है क्या...
दास - क्या बताऊँ... मैं आज खान सर का मुड़ पढ़ नहीं पाया...
विश्व - ठीक है... कोई बात नहीं...
दोनों यूँही तेज तेज चलते हुए लाइब्रेरी में आते हैं l खान टेबल पर कुछ किताबें पढ़ रहा था l विश्व को देख कर
खान - आओ विश्वा... आओ... क्या तुम जानते हो... तुम्हारा AIB एक्जाम कब है...
विश्व - नहीं... शायद... अगले हफ्ते...
खान - हाँ... अगले इतवार को.... इसलिए तुम्हारे पास सिर्फ पांच दिन है... तैयारी करने के लिए... मतलब जुमे रात तक....
विश्व - क्यूँ... शनिवार भी तो है...
खान - हाँ है... पर उस दिन तुम पेरोल पर बाहर जाने वाले हो... और मुझे नहीं लगता उस दिन पढ़ पाओगे... इसलिए... तुम्हारे पास यह पांच दिन है... तैयारी कर लो... हर रोज दोपहर को... तुम्हारी माँ आएँगी... शाम तक तुम्हें ट्यूशन देंगी...
विश्व - ओ... मतलब माँ ने ऐसा कहा है...
खान - हाँ भाई... वह तुम्हारी माँ हैं तो... मेरी बहन भी हैं... अगर उनकी बेटे की खातिर दारी में कोई कमी रह गई... तो वह मेरी हालत खराब कर देंगी...
खान के यह कहने के बाद विश्व और दास एक दुसरे को मुहँ फाड़े देखने लगते हैं l
खान - दास...
दास - यस सर...
खान - विश्व के खाने का इंतजाम यहीं कर देना...
दास - क्या... मेरा मतलब है... यस.. यस सर...
खान - गुड... सो... विश्वा... बेस्ट ऑफ लक...
विश्व - जी... जी सर... थैंक्यू...
खान लाइब्रेरी से निकल कर चला जाता है l दास और विश्व एक दुसरे को देखते हैं l
दास - अच्छा विश्व तुम पढ़ो... तैयारी करो... बस खाने के समय तुम्हारे पास खाना पहुँच जाएगा...
यह कह कर दास वहाँ से निकल जाता है l विश्व लाइब्रेरी में लॉ के किताबों के सामने बैठ जाता है l
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ESS ऑफिस
विक्रम अपने चैम्बर मैं पहुँच कर टेबल पर रखे बेल बजाता है l एक गार्ड अंदर आता है और सैल्यूट देता है l
विक्रम - देखो... महांती अगर आया होगा तो उसे कहो... कंफेरेंस हॉल में थोड़ी देर बाद पहुँचने के लिए कहना....
गार्ड वहाँ से चला जाता है l विक्रम अपना मोबाइल निकाल कर फोन लिस्ट में नंबर ढूंढने लगता है I बार बार स्कोलींग करने के बावजूद उसकी तलाश वीर की नंबर पर आकर रुक जाती है l कुछ देर तक वीर की नंबर को देखने के बाद वह वीर की नंबर पर कॉल लगा देता है l थोड़ी देर की रिंग के बाद वीर फोन उठाता है l
वीर - जी कहिए युवराज जी....
विक्रम - आप ऑफिस कब आ रहे हैं... राज कुमार...
वीर - अभी तो निकले हैं... बीच रास्ते में हैं... दस पंद्रह मिनट में... पहुँच रहे हैं....
विक्रम - ठीक है... आप आते ही... कंफेरेंस रुम में पहुँच जाइए...
वीर - ओके... कुछ जरूरी काम आ गया क्या...
विक्रम - हाँ... (कह कर फोन काट देता है)
विक्रम अपनी जगह से उठता है और कंफेरेंस रूम की तरफ जाता है l थोड़ी देर बाद उसे महांती दिख जाता है l फिर दोनों कमरे में आकर बैठ जाते हैं l
महांती - कहिए... युवराज जी... क्या काम निकल आया...
विक्रम - महांती... हमने इन कुछ दिनों में... उस हमलावर के बारे में गौर किया है... हमें कुछ शक़ सा हो रहा है...
महांती - युवराज जी... मैं समझ सकता हूँ.... आपको लगता है... कोई घर का भेदी है...
विक्रम - हाँ...
महांती - युवराज जी... मैं आपके शक़ को नकार नहीं सकता... इसलिए मैंने अपने हर आदमी पर... नजर रखने की कोशिश कर दिया है... पर्सनली...
विक्रम - यह आसान नहीं होगा महांती... हम ने जो आर्मी तैयार किया है... उस पर हमे खुद ही नजर रखनी पड़ रही है...
महांती - मज़बूरी है... दुश्मन वार तभी कर सकता है.... जब उसके साथ कोई घर का भेदी हो... पर छोटे राजा जी की वह प्रोग्राम फिक्स थी...
विक्रम - हाँ... पर हम जब कंफेरेंस हॉल में मौजूद थे... तभी फोन आया था... लैंडलाइन पर... इसलिए उस दिन जो भी यहाँ पर मौजूद था... उन्हीं पर निगरानी रखो...
महांती - वह मैं पहले ही कर चुका हूँ....
विक्रम - और कोई खास खबर...
महांती - सिवाय इसके कि... वह चार शूटर... हमारे सर्विलांस मैं हैं... उनका अगला कदम हमे उठाने की देर है...
विक्रम - गुड... ओके... तुम जा सकते हो...
महांती - थैंक्यू... सर... (कह कर चला जाता है)
उसके जाते ही कंफेरेंस रुम में विक्रम अकेला बैठा दरवाजे की ओर देखने लगता है l
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XXXX कॉलेज
नंदिनी कॉलेज में पहुँचती है l वह गाड़ी से उतर कर चारो ओर नजर दौड़ाती है l उसे उसके दोस्त दिख जाते हैं l वह उनके तरफ जाने लगती है l वहीँ दुसरे कोने पर रॉकी अपने दोस्तों के साथ बाइक पार्किंग में अपनी बाइक पर बैठा हुआ है l जैसे ही उसकी नजर नंदिनी पर पड़ती है
रॉकी - वाव... वहाँ देखो दोस्तों... क़यामत... हुस्न की मल्लिका... रूप कि देवी... उफ्फ... क्या कहूँ.... आज नंदिनी क्या दिख रही है... यारों...
रॉकी के सभी दोस्त नंदिनी की ओर देखने लगते हैं l असल में आज कॉलेज में सभी नंदिनी को चोर नजर से देख रहे हैं l ना जाने कितने तड़प तड़प कर आहें भर रहे हैं पर कोई भी जाहिर नहीं कर रहा है l क्यूँकी सभी जानते हैं नंदिनी कॉलेज के प्रेसिडेंट वीर सिंह की बहन है I उनकी जरा सी नादानी उनको खतरनाक अंजाम तक पहुँचा सकता है l रॉकी और उसके दोस्तों का भी वही हाल है l नंदिनी अपने दोस्तों के पास जाती है और सब से हाय फाय करती है l
रवि - काश यह अपने रॉकी के साथ भी... हाय फाय करती...
रॉकी - कोई नहीं... वह टाइम भी बहुत जल्द आएगा....
राजु - पता नहीं किसका टाइम आएगा...
रॉकी - आबे चुप... काली जुबान वाले... कुछ अच्छा सोच... वह कहते हैं ना... पहले सोच बदलो... फ़िर दुनिया बदलेगी...
आशीष - आबे रॉकी... याद है ना... आज तुझे प्रिन्सिपल के पास जाना है...
रॉकी - हाँ मालूम है रे... पाँच मिनट का काम है... और पूरा दिन पड़ा है... वह फूलों की रानी... बहारों की मल्लिका... उसका यूँ संवर के आना ग़ज़ब ढा रहा है...
सभी देखते हैं नंदिनी और उसके दोस्त उन्हीं के पास आ रहे हैं l सभी अपनी अपनी गाड़ी से उतर जाते हैं और अपने अपने हाथों को सीने पर मोड़ कर रख देते हैं l
नंदिनी - हैलो बॉयज...
सभी - हैलो...
नंदिनी - (रॉकी से) आपके हीरोइजम के चर्चे पूरे शहर में हैं... और कुछ लोग तो काफी इम्प्रेस भी हुए हैं...
रॉकी - (कुछ नहीं कहता, सिर्फ़ मुस्करा देता है)
तभी नंदिनी को बनानी कान में कुछ कहती है l नंदिनी उसकी बात पर हल्का सा मुस्करा देती है और
नंदिनी - अच्छा दोस्तों... हम क्लास जा रहे हैं... ब्रेक में मिलते हैं... बाय... सी यु अगेन...
सभी - बाय...
लड़कियों की टोली वहाँ से चली जाती है l रॉकी के सभी दोस्त रॉकी को देखते हैं l रॉकी उनके रिएक्शन देख कर शर्माने लगता है तो
सभी - ऑए होय... क्या बात है... टमाटर के भाव गिरने वाले हैं... लौंडे के गाल तो देखो...
रॉकी - चुप हो जाओ सालों...
आशीष - ऑए... तु पहले तय कर ले... हम साले हैं के भाई...
रॉकी - आरे कमीनों वह दिलदार है.. पर तुम लोग तो अपने यार हो....
रवि - तो इस बात पर क्यूँ ना किसी बीच पर पार्टी रखा जाए...
रॉकी - जरूर... पर पार्टी... इस हफ्ते की मिशन पुरी होने के बाद ही...
सभी - डन...
उनकी बातचीत के बीच प्रिन्सिपल ऑफिस का पीयोन वहाँ पहुँचता है l
पीयोन - रॉकी बाबु...
रॉकी - हाँ भाई बोल...
पीयोन - आपको प्रिन्सिपल सर ने याद किया...
रॉकी - अभी...
पीयोन - जी अभी...
रॉकी - ठीक है... आप चलो... मैं दो मिनट में... पहुँचता हूँ...
पीयोन - ठीक है...
पीयोन चला जाता है l उसके जाते ही रॉकी आशीष के तरफ देखता है l आशीष समझ जाता है, उनसे थोड़ा दूर जाकर अपने मोबाइल पर एक कॉल लगाता है l कुछ देर बात करने के बाद रॉकी को अपना अंगूठा दिखा कर हाँ में इशारा करता है l आशीष का चेहरा एकदम से चमक उठता है l
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ESS ऑफिस
कंफेरेंस रुम
विक्रम अपनी रीवॉल्वींग चेयर पर घुमते हुए किन्हीं ख़यालों में खोया हुआ है l वह ख़यालों से बाहर निकालता है तो अपने सामने वीर को बैठा पाता है l
विक्रम - (सीधा होकर बैठता है) अररे... राज कुमार... आप....आप कब आए...
वीर - ज्यादा नहीं.. सिर्फ़ पाँच मिनट ही हुए हैं...
विक्रम - व्हाट... आप....यहाँ पाँच मिनट से बैठे हुए हैं....
वीर - हाँ... हमे लगा... आप किसी गहरी सोच में खोए हुए हैं....
विक्रम - ओ हाँ... (फिर अपने सर को चेयर पर टिका कर छत की देखते हुए) हम खुद में खोए हुए थे... और खुद ही में खुद को ढूंढ रहे थे...
वीर - आज कल आप... बहुत खोए खोए रहने लगे हैं...
विक्रम - (चुप रहता है)
वीर - हम कुछ और बात करें...
विक्रम - अगर है... तो लीजिए....
वीर - नहीं.... आप कीजिए... हम साथ देंगे...
विक्रम - (अपना सिर वीर की ओर मोड़ते हुए) क्या कहें...
वीर - युवराज जी.... आप राजकुमार को तभी ढूंढते हैं... जब आपके दिल में कुछ चुभ रहा हो... क्यूंकि मुझसे.... आपने कभी काम की बातेँ तो कि ही नहीं...
विक्रम - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) जब हम कलकत्ता से आए थे... तब हमें छोटे राजा जी ने एक टास्क दिया था... हमने भी जोश जोश में... उस टास्क में अपना मंज़िल तय करने की ठान ली... अपनी वज़ूद बनाने की ठान ली... यही अब हम पर भारी पड़ने लगा है....
वीर - (चुप रहता है)
विक्रम - (वीर की ओर देखता है, फिर छत की ओर देख कर) पता नहीं क्या सोच कर... हमने अपने बंगले का नाम... द हैल रखा... अब सच में वह हैल ही लग रहा है... अब थकने लगा है... यह जिस्म... यह रूह... क्षेत्रपाल नाम को... ढोते ढोते... ना हम क्षेत्रपाल बन पाए... ना हम विक्रम सिंह बने रह पाए... एक सीने से लगना चाहते हैं.... उसकी धड़कनों में अपना नाम सुनना चाहते हैं... कभी कंधे पर... सर रख कर... शिकायत करना चाहते हैं.... पर नहीं... वह हमारी किस्मत हैं... ठुकरा चुकी हैं हमें...(कह कर वीर को देखता है)
वीर - (चुप रहता है)
विक्रम - क्या बात है राज कुमार.... कम से कम आप तो कुछ कहिए..
वीर - क्या कहें... बस एक सवाल.... क्या हम पूछें...
विक्रम - पूछिये...
वीर - आप को जब होश आया होगा... तब से आप जानते होंगे... के आप... विक्रम सिंह क्षेत्रपाल हैं... ऐसा दिन आएगा... क्या आप नहीं जानते थे...
विक्रम - (चुप रहता है)
वीर - आप अच्छी तरह से जानते थे... फिर किस बात पर अफ़सोस कर रहे हैं... तब हमने आप से कहा था... दिल प्यार इश्क़ वगैरह वगैरह की बातेँ ना किया कीजिए... पर आपने की... फिर उसका परिणाम झेलते हुए तकलीफ क्यूँ हो रही है आपको....
विक्रम - (चुप रहता है)
वीर - आपके और भाभी जी के बीच क्या हुआ... यह आपकी पर्सनल मैटर है... चार दीवारों के बीच की बात कभी चार लोगों के बीच ना होनी चाहिए... ना ही आनी चाहिए... यु चुज योर डेस्टीनी.. यु मेड योर फेट... नाउ यु कैंट अवॉइड इट... अब आपके पास आर या पार ऑप्शन है... या तो पूरी तरह क्षेत्रपाल बन जाइए... या फिर सब कुछ छोड़ दीजिए.... अपनी मज़बूरी का नाम लेकर... खुद से एसक्युज लेना छोड़ दीजिए.... आगे आपकी मर्जी....
इतना कह कर वीर वहाँ से उठ जाता है l विक्रम उसी तरह चेयर पर टेक लगाए वीर को जाते हुए देखता है l वीर के कमरे से निकल जाने के बाद विक्रम बुदबुदाने लगता है
- सच कह रहे हैं मेरे भाई...आप सच कह रहे हैं.... मैं दुनिया से कम... खुद से जुझ रहा हूँ... इसलिए अपनी तकलीफ कभी कभी आपसे कह देता हूँ.... घर अपनों से होती है... सपनों का होता है... ईंट सीमेंट के बंगले में.... ना कोई अपना है... ना कोई सपना है... यह हमने खुद चुना है... इसे हम छोड़ेंगे भी नहीं....
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XXXX कॉलेज
प्रिन्सिपल की ऑफिस में
प्रिन्सिपल - तो राकेश पहले तो थैंक्स... तुम्हारे वजह से हमारे कालेज में एक्सीडेंट होते होते रह गई... तुमने अपनी जान पर खेल कर एक जान भी बचाई...
रॉकी - सर... इसमें थैंक्स कहने की क्या जरूरत है... मेरी जगह कोई और होता... तो वह भी वही करता...
प्रिन्सिपल - वेल... यु मे बी राइट... लेकिन हमारे अपील के बाद भी... वह वीडियो वायरल हो ही गया.... खैर सबकी मन पर या हरकत पर तो हमारा वश भी नहीं है... अब तुम अपनी कॉलेज में ही नहीं... दुसरे कॉलेज में भी टॉक ऑफ द टॉपिक हो...
रॉकी - (शर्मा कर चुप रहता है और अपना सिर नीचे कर लेता है)
प्रिन्सिपल - डोंट बी साय... इटस् फैक्ट...
रॉकी - बस भी कीजिए सर... आप बे फिजूल इतनी तारीफ ना करें... वरना उसकी बोझ से सर उठाना भी मुश्किल हो जाए...
प्रिन्सिपल - ओके ओके... अच्छा तुम जानते ही होगे... मैंने तुम्हें यहाँ पर क्यूँ बुलाया है...
रॉकी - जी जानता हूँ... आपने कहा था कि... उस एक्सीडेंट के वजह से.... कुछ स्टूडेंट्स ट्रॉमा में हैं.... कुछ ऐसी ऐक्टिविटी हो... जिससे... सभी स्टूडेंट्स के मन से उस हादसे की छाप मीट जाए...
प्रिन्सिपल - देन... डु यु हेव एनी आइडिया...
रॉकी - यस सर...
प्रिन्सिपल - देन... स्पीक... लेट मि नो... व्हाट इज द आइडिया..
रॉकी - सर आपने एफएम 97 सुना होगा...
प्रिन्सिपल - हाँ...
रॉकी - सर उसमें मेरा दोस्त आशीष का कॉजीन सुरेश काम करता है...
प्रिन्सिपल - हाँ... पर... एफएम रेडियो से क्या मतलब है तुम्हारा...
रॉकी - सर... वह... रेडियो एफएम में... ऑडियंस के बीच कुछ भी इशू के ऊपर... लाइव प्रोग्राम करता है... उसका यह प्रोग्राम... हर शनिवार को दिन के बारह बजे आता है... लाइव...
प्रिन्सिपल - हाँ तो...
रॉकी - तो सर हम बुधवार को सभी स्टूडेंट्स को असेंबली हॉल में इकट्ठे होने के लिए कहेंगे... फिर सबको उनके अपने नाम एक चिट पर लिख कर देने को कहेंगे... फ़िर लकी ड्रॉ के जरिए... हम किसी एक का नाम निकाल कर डिक्लेर करेंगे... और सुरेश उसी दिन उस स्टूडेंट को एक टास्क देंगे... और शनिवार को सभी स्टूडेंट्स के सामने... लकी ड्रॉ में नाम जितने वाले स्टूडेंट को टास्क कंप्लीट करना पड़ेगा... वह सिर्फ़ हमारे कालेज के स्टूडेंट्स के सामने ही नहीं बल्कि हर उस एफएम सुनने वालों के सामने लाइव सेशन होगा...
प्रिन्सिपल - ह्म्म्म्म... बहुत अच्छे... अच्छा कांसेप्ट है... गुड... मैं पहले अपने स्टाफस् को इन्फॉर्म कर दूँ... फ़िर मैं लास्ट आवर में... अनाउंसमेंट कर दूँगा...
रॉकी - ठीक है सर...
प्रिन्सिपल - देखो रॉकी... इस प्रोग्राम की तैयारी और कामयाबी की जिम्मेवारी तुम्हारी...
रॉकी - श्योर सर...
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वीर अपने कैबिन में चेयर पर बैठ कर, आँखे मूँद कर अपनी सोच में खोया हुआ है l दाएँ हाथ से पेपर वेट को टेबल पर घुमा रहा है l उसे होश ही नहीं है कब से वह ऐसा कर रहा है l अचानक उसका पेपर वेट घुमाना बंद हो जाता है, उसे एहसास होता है कि उसे कोई देख रहा है l वह आँखे खोल कर देखता है l अनु अपने हाथ में दो स्माइली बॉल लिए उसे आँखे फाड़े हैरानी भरी नजरों से देख रही है l अनु सामने ऐसे देखते ही वीर के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है l
वीर - क्या बात है अनु जी... आप हमें ऐसे क्यूँ देख रहे हैं...
अनु - जी आप... जब से यहाँ आए हैं... तबसे... यह... पेपर वेट घुमा रहे हैं... मुझे लगा कि... शायद आपको... (स्माइली बॉलस् को दिखा कर) इन बॉलस् की ज़रूरत है...
वीर - (मुस्कान गहरी हो जाती है) है तो... पर तुमने देर कर दी...
अनु - क्या... (हैरानी से आँखे बड़ी हो जाती हैं) यह तो मुझसे बड़ी गलती हो गई... (रोनी सुरत जैसी हो जाती है) आप गुस्सा हो गए ना...
वीर - (पिघल जाता है) आरे नहीं... मैं यह पेपर वेट घुमा कर ठीक हो गया देखो...
अनु - फ़िर भी मैंने गलती की है... सजा तो बनती है...
वीर - (मन ही मन हँसने लगता है) हूँ... सजा तो बनती है... अब तुम ही बोलो मैं तुम्हें क्या सजा दूँ....
अनु - अब मैं क्या बताऊँ...
वीर - अच्छा... कैसी सजा दूँ... जो तुम अपने ऊपर ले सको...
अनु - मैं... कान पकड़ कर... उठक बैठक करूँ...(बड़ी मासूमियत के साथ पूछती है)
वीर - (अपनी हँसी को रोकते हुए) हूँ करो...
अनु झट से अपनी कान पकड़ लेती है और उठक बैठक लगाना शुरू कर देता है l विश्व उसके उठक बैठक देख कर अपनी हँसी और रोक नहीं पाता अपना पेट पकड़ कर जोर जोर से हँसने लगता है l वीर हँसते हँसते हुए देखता है अनु अपनी कान को पकड़े वीर को हैरान हो कर देख रही है l
वीर - (अपनी हँसी को काबु करते हुए) रुको रुको... यहाँ मत करो... लोग देखेंगे तो उन्हें बुरा लगेगा... तुम पर सजा उधार रहा... ठीक है... फ़िर कभी अकेले में... जब कोई ना देखता हो तब... तब.. तुम सौ उठक बैठक कर लेना... ठीक है...
अनु - (खुशी से दमकते हुए) ठीक है... (फ़िर भी कान पकड़ी हुई है)
वीर - आरे... अब तो अपने कान छोड़ो...
अनु - (शर्मा जाती है) ओ हाँ... (कान छोड़ कर) सर...
वीर - हूँ...
अनु - वह आप किसलिए... तनाव में थे...
वीर - तनाव... हाँ वह.. (उसे कुछ सूझता नहीं) वह... मैं...
वीर अनु को देखता है, अनु अपनी भवें तन कर मुहँ खोले जिज्ञासा भरे नजरों से देख रही है l उसकी ऐसी हालत देख कर वीर अपनी हँसी को फिर से काबु करते हुए
वीर - वह... युवराज जी ने... कहा है कि... हमारी (खराश लेते हुए) सिक्युरिटी सर्विस जहां जहां तैनात है... वहाँ भेष बदल कर जाओ... और... प्रतिपुष्टि करो... मतलब फीडबैक दो... वह लोग कैसे अपने ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं....
अनु - ओ... (प्रतिक्रिया ऐसे देती है जैसे सब समझ में आ गया)
वीर - तो बताओ... मुझे क्या करना चाहिए...
अनु - अगर युवराज मालिक ने कहा है... तो ठीक ही कहा होगा... आपको अपना भेष बदल कर उसकी प्रतिपुष्टि करनी चाहिए....
वीर - पर अगर मैं अकेला जाऊँगा... तो...
अनु - तो आप किसी को साथ ले जाइए...
वीर - (अपना सर हिलाते हुए) ह्म्म्म्म... क्या तुम चलोगी...
अनु - हाँ... (फिर जोर से) क्या... न न नहीं... म म.. मैं कैसे...
वीर - क्यूँ... डर लग रहा है मुझसे......
अनु पहले हाँ में सिर हिलती है फिर ना में फिर ऐसे हिलाती है जिसे ना हाँ में समझ आए ना, ना में समझ आए l
वीर - अच्छा एक काम करते हैं...
अनु - क्या...
वीर - तुम्हारी सजा... बदल देते हैं...
अनु - (चेहरे पर हैरानी भरे भाव में अपनी भवें तन कर) क्या... मतलब अब क्या करना होगा...
वीर - कुछ नहीं... मैं अब रोज अपनी सिक्युरिटी जवानों की चुस्ती... और ड्यूटी के प्रति समर्पण देखने जाऊँगा... और तुम मेरे साथ जाओगी....
अनु - आप भेष बदल लोगे... तो आप नहीं पहचाने जाओगे... पर मुझे तो लोग पहचान जाएंगे...
वीर - नहीं पहचानेंगे... तुम भी मेरे साथ अपना भेष बदलोगी...
अनु - भेष बदलने से... कोई आपको पहचान नहीं पाएगा... तो मैं आपको कैसे पहचान पाऊँगी... और मैं कौनसा भेष बदलुंगी... और अगर आप भी मुझे नहीं पहचान पाए तो...
वीर अपने अंदर ही अंदर जो हँस रहा था, उसकी हँसी बंद हो जाती है l वह अनु को मुहँ फाड़े हल्के हल्के से पलकें झपकाते हुए अनु को देखने लगता है l
वीर - कोई नहीं... मैं तुम्हारे सामने भेष बदलुंगा... और तुम... मेरे सामने भेष बदल लेना.... ठीक है...
अनु - (खुश होते हुए) हाँ यह ठीक रहेगा....
वीर उसे देखते हुए सोचने लगता है l यह लड़की मासूम है यह बेवकूफ़ या फिर दोनों l जो कह रही है या कर रही है मासूमियत भरा बेवकूफ़ी या बेवकूफ़ी भरा मासूमियत I
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कॉलेज से आकर रुप अपनी कमरे में आती है l अपनी किताबें टेबल पर रख कर बाथरूम फ्रेश होने चली जाती है l जब फ्रेश होकर कमरे में वापस आती है तो देखती है शुभ्रा उसके बेड पर बैठे उसका इंतजार कर रही है l
रुप - आरे... भाभी.. आप...
शुभ्रा - क्यूँ.. नहीं आना चाहिए था... तुम्हारा प्राइवेसी डिस्टर्ब हो रहा है... अच्छा ठीक है... मैं अब चलती हूँ...
रुप - क्या... भाभी... आपसे कभी मेरी प्राइवेसी डिस्टर्ब हो सकती है....
शुभ्रा - हाँ... हो सकती है...
रुप - (शुभ्रा के पास बैठते हुए) कैसे...
शुभ्रा - जब कमरे में तुम... अपने साजन के साथ होती...
रुप - आ.. ह् (तकिया उठा कर शुभ्रा की ओर फेंकती है) भाभी...
शुभ्रा - हा हा हा... क्यूँ मेरे होने के बाद भी... अपने साजन के साथ... हाँ... कमरे में... उम्म...
रूप - (शुभ्रा पर झपटते हुए) भाभी.... आज मैं आपको नहीं छोड़ुंगी...
शुभ्रा हँसते हँसते पहले कुछ प्रतिरोध करती है पर फिर रुक जाती है l और रुप को अपने गले से लगा लेती है l
शुभ्रा - थैंक्स रुप...
रुप - किस बात के लिए भाभी...
शुभ्रा - बहुत दिन हो गए थे... मैं हँसना भूल गई थी.... आज बेवजह ही सही पर खुलकर हँसी हूँ...
रुप - अगर मुझे छेड़ने पर... आपको खुशी और हँसी मिल रहा है... (शुभ्रा के गले से अलग हो कर) तो आप मुझे रोज छेड़ा करें...
शुभ्रा - वही तो कर रही हूँ... रुप - अच्छा... तब तो आपकी सौ खता माफ...
शुभ्रा - (मासूम सा चेहरा बना कर) अच्छा अगर गलती से... एक सौ एक खता हो गई तो...
रुप - (थोड़ा चेहरा उतर जाता है) क्या सच में भाभी... आपको लगता है... मेरी बीएससी खतम होते होते... आप एक सौ एक खता कर पाओगे...
शुभ्रा - (थोड़ी सीरियस हो कर) तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है... रुप...
रुप - (अपनी विस्तर से उठ कर पढ़ाई के टेबल के पास बैठ जाती है) काश कि मैं कभी... पढ़ी ही ना होती....
शुभ्रा - ओ...(चुप हो जाती है)
रुप - देखा... आपको भी मेरा दर्द का एहसास हो गया...
शुभ्रा - हूँ...
रुप - पढ़ाई जितना आगे जा रहा है... ख्वाहिशों को पंख उतने ही मिल रहे हैं... जब कि उसकी उड़ान सिर्फ़ पिंजरे के भीतर ही सीमित रहने वाली है... अपने हिस्से का आकाश... क्षेत्रपाल नाम में कहीं छुप गया है....
शुभ्रा - (बड़ी मुश्किल से) हूँ... (आँखे नम हो जाती हैं)
रुप - (शुभ्रा की आँखों में नमी देख कर) ओह... सॉरी... सॉरी भाभी... प्लीज सॉरी...
शुभ्रा - (अपनी आँखों को पोछते हुए) चलो छोड़ो... किस बात के लिए सॉरी... इस सच्चाई को मैंने स्वीकार कर लिया है... अब तुम स्वीकार कर रही हो... फिर भी तसल्ली इस बात की है... तुम एकदिन क्षेत्रपाल नहीं रहोगी...
शुभ्रा - (मुस्कराने की कोशिश करती है, पर मुस्करा नहीं पाती)
शुभ्रा - (रुप की भावनाओं को समझ पाती है) खैर छोड़ो... हम किस बे सिर पैर वाली बातों में वक़्त जाया कर रहे हैं... अच्छा यह बताओ... आज कितने घायल हुए... कितने शायर हुए...
रुप - (चेहरे पर मुस्कान आ जाती है) क्या... भाभी... जो हो नहीं सकता... हम उसकी आशा क्यूँ करें...
शुभ्रा - (सीरियस मुड़ बना कर) क्या बात कर रही हो... (छेड़ते हुए) यह तो हो ही नहीं सकता... के हुस्न राह से गुजरे और दीवाने आह ना भरें...
रुप - छोड़ो ना भाभी...(शर्माते हुए) क्यूँ छेड़ रही हैं...
शुभ्रा - अच्छा चलो... किसी लड़के ने... हिम्मत ना दिखाई... पर तुम्हारे दोस्त तो तुमको बताए होंगे...
रुप - हूँ... (शर्मा कर अपना चेहरा घुमा लेती है)
शुभ्रा - (जिज्ञासा भरे चहकते हुए) कितने लोग घायल होने की बात कही...
रुप - बहुत... (शुभ्रा को नहीं देखती)
शुभ्रा - उम्म्म... उनमें वह लड़का भी होगा शायद... (अपनी ठुड्डी पर दाएं हाथ की तर्जनी उंगली लगा कर) आँ... शायद... हाँ... हाँ (चुटकी बजा कर) रॉकी... रॉकी... उसकी क्या हालत हुई होगी...
रुप - (थोड़ी सीरियस होते हुए) पता नहीं भाभी....
शुभ्रा - क्या मतलब पता नहीं.....
रुप - वह चारा तो डाल रहा है... पर किसके लिए... यही कंफ्यूजन है...
शुभ्रा - तुम्हारे सिवा... किसी ओर के लिए चारा डाल सकता है क्या....
रुप - शायद...
शुभ्रा - क्या मतलब है शायद... मुझे तो लगता है कि वह तुम पर... चांस मार रहा है...
रुप - पहली बात... भाभी... कॉलेज में सभी मुझसे कतराते हैं... वजह... क्षेत्रपाल... हाँ यह रॉकी कुछ खिचड़ी पका जरूर रहा है... इस पर मैं शनिवार तक... शायद कंफर्म हो जाऊँगी...
शुभ्रा - शनिवार तक... ऐसा क्यूँ... रुप - आज प्रिन्सिपल ने बताया... जिस बैच के साथ वह आग वाला हादसा हुआ था... उसी बैच के लिए... रेडियो 97 एफएम का प्रोग्राम कंडक्ट किया जाएगा... बुधवार को लॉकी ड्रॉ से नाम चुना जाएगा... जिसका नाम आएगा... बुधवार को ही उसे एक टास्क दिया जाएगा... उसे उस टास्क पर... टॉपिक बना कर... रेडियो पर लाइव प्रेजेंटेशन देना होगा... शुभ्रा - हाँ तो इसमें... उस रॉकी का क्या रोल है...
रुप - यह सारा प्रोग्राम रॉकी ही कर रहा है... या फिर करवा रहा है... मुझे बस यह पता करना है... वह किसे टार्गेट कर रहा है....
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तापस और प्रतिभा दोनों डायनिंग टेबल पर बैठे हुए हैं l दोनों के सामने थाली पर खाना परोसा हुआ है पर खा कोई नहीं रहा है l दोनों ही किसी सोच में डूबे हुए हैं l फिर दोनों एक दुसरे को देखते हैं l
दोनों - मुझे कुछ कहना है... (एक दुसरे को देख कर)
तापस - मुझे तुम्हारे प्रताप के बारे में बात करनी है...
प्रतिभा - मैं भी आपसे... प्रताप के बारे में बात करना चाहती हूँ....
तापस - (अपना दाहिना हाथ प्रतिभा के बाएँ हाथ पर रखते हुए) ठीक है... पहले तुम कहो...
प्रतिभा - (अपने दोनों हाथों से तापस के हाथ को जोर से पकड़ कर) अब जब प्रताप... कुछ ही दिनों बाद छूटने वाला है.... तो मेरे मन में... आपके और प्रताप के बीच की... ख़ामोशी वाला रिस्ते को लेकर एक असमंजस की स्थिति है....
तापस - (अपना दुसरा हाथ लाकर प्रतिभा के दोनों हाथों पर रख देता है) देखो जान... कभी यह मत समझना मुझे वह पसंद नहीं है... या मुझे उसे लेकर कोई शिकायत है.... मैं उसे तब से पसंद करता था... जब तुमने उसे देखा भी नहीं था.... दिन व दिन वह मेरे अजीज होता चला गया... जब प्रत्युष हमसे छिन गया... तुम पुरी तरह से बिखर गई थी.... तुम्हें उससे माफ़ी माँगनी थी... पर उस पर तुमने अपना ममता लुटा दिया... प्यार और ज़ज्बात इंसान को इंसान बनाए रखते हैं... तुमको उसमें अपने प्रताप को महसुस किया... इसलिए तुमने उसे गले से लगा लिया... तुम्हारे गले से लगते ही... जिस प्यार से वह महरूम था... उस प्यार की उष्मा को उसने महसुस किया और तुम्हें भी अपनी माँ स्वीकार कर लिया... उस रात तुम सोई वह भी बिना नींद की गोली लिए... तुम्हें अपना माँ मानता है... तभी तो फिर कभी कानून को अपने हाथ में ना लेने की कसम लीआ और वादा भी किया.... मैं अब उसका ऋणी हो चुका हूँ... उसने पहले मेरी इज़्ज़त बचाई... फिर जान... और फिर उसके बाद उसके वजह से... मुझे मेरी जान मिल गई...
तुम दोनों आपस में जितने खुल गए... मेरे और विश्व में वह नहीं हो पाया है अब तक... इसलिए एक ख़ामोशी की रिस्ता है... वह तुम्हारे लिए सिर्फ़ प्रताप है... पर मेरे लिए वह विश्व प्रताप है... शायद यह ख़ामोशी किसी दिन टूटेगी... उस दिन हमारे रिश्ते पर रंग चढ़ेगा...
प्रतिभा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) मुझे उस दिन का इंतजार रहेगा.... अब आप बताओ... आप प्रताप के बारे में क्या कहना चाहते थे...
तापस - तुम अच्छी तरह से जानती हो... विश्व छूटने के बाद हमारे साथ सिर्फ़ एक महीना रहेगा... उसके बाद वह अपना गांव चला जाएगा... हाँ बीच बीच में आता रहेगा... जैसे अब वैदेही आती है... जब तक वह अपने मकसद पर कामयाब नहीं हो जाता... (तापस प्रतिभा की हाथों को जोर से पकड़ लेता है) मुझे डर है... कहीं प्रताप के दूर जाने से... मैं....
प्रतिभा - आप आगे कुछ मत कहिए.... आपको डर है... कहीं उसकी जुदाई मुझसे बर्दास्त ना हुआ... और मैं फ़िर से पागलों की तरह हो गई तो... यही सोच रहे हैं ना आप...
तापस - (अपना सिर झुका लेता है और कुछ नहीं कहता है)
प्रतिभा - आप फ़िक्र ना करें... पहली बात... मेरे प्रताप को कुछ नहीं होगा... कुछ भी नहीं होगा... एक एक माँ का विश्वास बोल रहा है.... वह बहुत जल्द अपना मकसद पुरा करेगा... फिर हमेशा के लिए हमारे पास आ जाएगा...