• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest शहजादी सलमा

Motaland2468

Well-Known Member
3,182
3,288
144
उदयगढ़ में आपातकालीन सभा लगा हुई थी और राज्य के सभी छोटे बड़े अधिकारी मौजूद थे!

विक्रम:" राजमाता का राज्य से अचानक गायब हो जाना किसी बड़े खतरे का संकेत है! हमे किसी भी हालत में उन्हे ढूंढकर वापिस लाना ही होगा! मुख्य द्वार के पहरे पर कौन होता हैं ?

एक सिपाही आगे आता हैं और सिर झुकाकर बोला:" महाराज मैं ही था लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ तो संदेह वाला हो!

विक्रम ने उसे घूरकर देखा और जाने का इशारा किया और सभी से बोला:" जाइए और पूरा राज्य ढूंढ निकालिए! आधे घण्टे के अंदर हमे राजमाता वापिस चाहिए!

अजय सावधानी से इधर उधर देख रहा था और उसके दिमाग में एक विचार आया और सभी लोग जा रहे थे तो अजय ने धीरे से विक्रम को कहा:"

" युवराज सारे मंत्री और अधिकारी यहां हैं लेकिन शक्ति सिंह नही हैं!

अजय की बात सुनकर विक्रम ने नजर उठाकर देखा और उसे भी शक्ति सिंह कहीं नजर नहीं आया तो उसने उस सिपाही को वापिस बुलाया और पूछा:"

" कल जब तुम पहरे पर थे क्या शक्ति सिंह वहां से गया था ?

सिपाही:" हान महाराज गया था और देर रात तक भी वापिस नही लौटा था!

विक्रम:" क्या तुमने उसके बग्गी को चेक किया था?

सिपाही की नजरे शर्म से झुक गई और इधर उधर देखते हुए थूक गटकने लगा तो विक्रम ने एक थप्पड़ उसे जड़ दिया तो सिपाही चींखता हुआ दूर गिरा और उसके मुंह से खून आने लगा!

विक्रम ने अपना सिर पकड़ लिया क्योंकि वो समझ गया था कि राजमाता किसी बहुत बड़ी मुश्किल में फंस गई है!अजय ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला:" आप फिक्र न करें युवराज सब ठीक होगा! राजमाता भी कुशलता पूर्वक वापिस आयेगी और शक्ति सिंह को उसकी गद्दारी की सजा भी मिलेगी!

विक्रम की आंखे सुलग रही थी और जबड़े भींचते चले गए और बोला:" हम शक्ति सिंह को जिंदा नही छोड़ेंगे !! जाओ सभी और ढूंढो उस गद्दार को!

सभी लोग सारे राज्य, जंगल और उसके आस पास के इलाके मे ढूंढते रहे लेकिन कोई सुराग नही मिला पाया तो किसी तरह रात कटी और अगले दिन सुबह फिर से ढूंढ मच गई लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात!

जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था युवराज का दिल बैठता जा रहा था! तभी एक सैनिक दौड़ते हुए आया जिसके हाथ में एक लिफाफा था और बोला:"

" युवराज एक अजनबी घुड़सवार आपके लिए छोड़ कर भाग गया!

विक्रम ने बेताबी से उसे फाड़ा और पढ़ने लगा:"

" राजमाता हमारे कब्जे में है और और उनकी जिंदगी चाहते हो तो चुप चाप काली पहाड़ी पर बने पुराने किले पर अजय के साथ आ जाओ रात 9 बजे!

विक्रम ने गुस्से से खत को बंद किया तो अजय जो कि पत्र पढ़ चुका था कठोर लहजे में बोला:"

" आप फिक्र नहीं करे युवराज! चलने की तैयारी कीजिए! हम दोनो जी पूरी सेना पर भारी है!

दोनो ने अपने आपको हथियारों से सुसज्जित किया और उसके बाद बिना देर किए दोनो घोड़ों पर सवार होकर काली पहाड़ी की तरफ निकल गए! अजय पूरी तरह से आश्वस्त था कि वो आराम से राजमाता को बचाकर वापिस ले आयेंगे क्योंकि जब तक उसके पास वो खानदानी तलवार हैं दुनिया में को उसका कुछ बिगाड़ सकता!

करीब 9 बजे दोनो काली पहाड़ी पर पहुंच गए और देखते ही देखते दोनो की चारो से हथियार बंद सैनिकों ने घेर लिया और सामने ही राजमाता किले की दीवार पर बंधी नजर आई और नजर आया शक्ति सिंह जो कुटिल मुस्कान के साथ बोला:"

" आओ युवराज आओ! सच में आपकी मूर्खता की दाद देनी पड़ेगी जो दोनो यहां मरने के लिए चले आए!

अजय:" किसकी मौत आई है ये तो तुझे थोड़ी देर बाद पता चल ही जाएगा गद्दार! लेकिन तेरी अंदर इतनी हिम्मत कहां से आ गई जो तू राजमाता को उठा लाया!

तभी दीवार के पीछे से जब्बार और पिंडाला निकाल आए और देखते ही देखते करीब 100 से ज्यादा पिंडारियो ने उन्हे घेर लिया और जब्बार बोला:"

"आओ युवराज और अजय तुम दोनो का मौत के मुंह में स्वागत है आज!

युवराज ने अपनी तलवार को बाहर निकाला और बोला:"

" किसकी मौत आयेगी ये तो तेरी गर्दन कटने के बाद ही तुझे समझ आएगा जब्बार!!

राजमाता सामने दीवार पर बंधी हुई थी और उसके मुंह में कपड़े ठूंसा हुआ था जिस कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी! विक्रम और अजय दोनो राजमाता की ये दुर्दशा देखकर गुस्से से दुश्मनों पर टूट पड़े और देखते ही देखते जंग का मैदान बन गई काली पहाड़ी! तलवारों के टकराने की आवाजे गूंज रही थी और मरते हुए सैनिक चींख रहे थे! लेकिन अजय मानो आज सारी दुनिया की ताकत अपने अंदर समेटे हुए था और उसकी तलवार बिजली की तरह चमक रही थी और पिंडारियो को गाजर मूली की तरह काट रही थी! ये देखकर जब्बार बौखला गया और बोला:"

" जल्दी से अपनी योजना को अंजाम दो नही तो हम सबकी लाशे पड़ी होगी यहां!

पिंडाला ने भी खतरे को महसूस किया और देखते ही देखते पिंडाला, शक्ति सिंह और जब्बार तीनों ने एक साथ विक्रम पर वार करना शुरू कर दिया और विक्रम बेहद बहादुरी से सबका मुकाबला कर रहा था! अजय ने एक नजर युवराज को देखा जो चारो तरफ से घिरा हुआ था और उसने लड़ते हुए युवराज की तरफ बढ़ना शुरू किया ! युवराज लगातार चारो तरफ से हो रहे हमलों का जवाब देते हुए थोड़ा पीछे हटता गया और जब्बार की आंखो में चमक आने लगी! अजय पूरी ताकत से अपनी तलवार चला रहा था और दुश्मनों के सिर कटकर गिर रहे थे लेकिन युवराज अभी भी उससे बहुत दूर था!

पिंडाला ने तेजी से तलवार के वार किए और विक्रम बचाव करते हुए जैसे ही पीछे हटा तो पहले से बनाए हुए गड्ढे में उसका पैर आया और जैसे ही वो लड़खड़ाया तो जब्बार के एक शक्तिशाली वार पीछे से किया और युवराज के हाथ से तलवार छूट कर गिर पड़ी और शक्ति सिंह ने बिना देर किए अगला वार किया और युवराज के कंधे से खून निकल आया! पिंडाला ने अगला वार किया और युवराज ने उसकी तलवार को पकड़ लिया और दोनो एक दूसरे से उलझ पड़े! इसी बीच अजय जो सैनिकों से घिरा हुआ था चाहकर भी कुछ मदद नही कर पा रहा था और शक्ति सिंह और जब्बार कभी युवराज के पैर पर तो कभी उसके हाथो पर वार कर रहे थे और युवराज उनकी चाल को समझ गया था कि वो क्यों उसे मार नही रहे तो वो दर्द से कराहते हुए चिल्लाया:"

" अजय अपनी तलवार मत छोड़ना, ये मुझे नही मार सकते!

लेकिन युद्ध में टकराती हुई तलवारों के शोर के आगे उसकी आवाज सब सी गई और युवराज के जिस्म से बहते खून को देखकर अजय अंधे की तरह तलवार चलाते हुए उसकी तरफ बढ़ा और अब अपने जीवन की भी कोई परवाह नही थी क्योंकि युवराज का जीवन ही उसके लिए सर्वोपरि था!

देखते ही कई घाव अजय के जिस्म पर हो गए थे लेकिन वो पीछे हटने के बजाय आगे ही बढ़ता जा रहा था और तभी शक्ति सिंह ने अपनी तलवार से पूरी फुर्ती से युवराज विक्रम की गर्दन पर वार किया और यही अजय से चूक हो गई क्योंकि उसने अपनी तलवार से निशाना बनाते हुए शक्ति सिंह के हाथ पर वार करते हुए अपनी तलवार को हवा मे फेंक दिया और तलवार शक्ति के हाथ पर लगी और उसका हाथ कटकर दूर जा गिरा और अगले ही कई सारी तलवार निहत्थे अजय पर टूट पड़ी और अजय का जिस्म कई जगह से कट गया और अजय तड़पते हुए आगे बढ़ा और पिंडारी को गले से पकड़ लिया और देखते ही देखते उस पिंडारी का दम घुटने लगा और पीछे से एक के बाद एक ताबड़तोड़ वार अजय पर होने लगे लेकिन उसकी पकड़ ढीली नही हुई और अंत में दोनो एक साथ जमीन पर गिर पड़े!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम ये सब देखकर पागल सा हो गया और एक तेज झटका हवा में खाते हुए गड्ढे से बाहर निकल कर अजय की तरफ लपका लेकिन तब तक अजय विक्रम की तरफ देखते हुए दम तोड चुका था!

अजय की मौत से विक्रम अपना मानसिक संतुलन खो बैठा और विक्रम ने अब बिना खौफ के पिंडारियो पर हमला कर दिया और इसी बीच कई घाव विक्रम के जिस्म पर हुए और काफी खून बहने लगा!

पीछे से पिंडाला ने एक वार उसकी कमर पर किया और दर्द से तड़प कर युवराज जमीन पर गिर पड़ा और उसे चारो और से घेर लिया! जब्बार ने उसे एक जोरदार लात मारी और बोला:"

" आखिरकार तुम हमारे जाल ही फंस ही गए युवराज!

पिंडाला हंसते हुए बोला:" फंसता कैसे बाजी नही क्योंकि हमने इसी चाल के दम पर तो इन दोनो के पिता को खत्म किया था!

जब्बार:" बस हमें उस जादुई तलवार से खतरा था तो अजय के मरने के बाद उस उसकी की भी कहानी खत्म!

विक्रम दर्द से कराह रहा था और चारो और से उसके ऊपर लात घूंसे बरस रहे थे और विक्रम दर्द से बेहाल होकर बोला:"

" राजमाता को आजाद कर दो जब्बार, चाहे तो मेरी जान ले लो!

पिंडाला जोर जोर से हंसने लगा और बोला:" राजमाता तो कब की आजाद हो गई है युवराज लेकिन हमारी कैद से नही बल्कि जिंदगी की कैद से मुक्त हो गई है वो!

विक्रम को लगा मानो उसके जिस्म से जान निकल गई हो और उसने खड़े होने की कोशिश करी तो पिंडाला ने उसे एक जोरदार धक्का दिया और विक्रम दूर जाकर गिरा और जब्बार अपने सैनिकों से बोला:"

" खत्म कर दो इसे भी जाओ! मेरा मुंह क्या देखते हो !!

सभी सैनिक एक सात आगे बढ़े और विक्रम ने मदद के लिए उधर इधर देखा लेकिन कोई मौजूद नही था! तभी उसकी नजर एक तलवार पर पड़ी लेकिन अगले ही पल उसकी आंखो में निराशा छा गई क्योंकि ये तो अजय की वही खानदानी तलवार थी जिसे सिर्फ उसके परिवार के लोग ही उठा सकते थे और बाकी कोई उठाए तो हाथ लगाते ही मौत निश्चित थी! एक सैनिक ने विक्रम पर तलवार का वार किया और मरता क्या न करता वाली बात विक्रम पर पर लागू हुई और उसने तेजी से हाथ आगे बढाया और अजय की तलवार को हाथ में उठा लिया और अगले ही तलवार चली और सैनिक की गर्दन दूर जा गिरी! विक्रम को यकीन नही हो रहा था कि उसके हाथ में अजय की खानदानी तलवार हैं लेकिन ये समय यकीन करने का नही बल्कि युद्ध करने का था और वही विक्रम ने किया और देखते ही देखते सैनिकों के सिर कट कर जमीन पर गिरने लगे और काली पहाड़ी पर आतंक मच गया क्योंकि सैनिकों के पांव उखड़ने लगा! विक्रम को छूना तो दूर की बात कोई उस पर वार भी नही कर रहा था और देखते ही देखते सैनिक जान बचाकर भाग खड़े और पिंडाला, जब्बार और शक्ति सिंह हैरानी से ये सब देख रहे थे मानो उन्हे अपनी आंखो पर यकीन नही हो रहा था!

जब्बार थोड़ा घबराते हुए बोला:" भागो अगर अपनी जान बचानी हैं तो यहां से!

इतना कहकर जब्बार भाग खड़ा हुआ और उसके पीछे ही देखते देखते पिंडाला भी भाग खड़ा हुआ और शक्ति सिंह भी भागने लगा लेकिन उसकी गति घायल होने के कारण उतनी नही थी और विक्रम ने शेर की तरह उछलते हुए उसे पकड़ लिया और शक्ति सिंह विक्रम के पैरो में गिर पड़ा और माफी मांगने लगा

" मुझे माफ कर दीजिए युवराज!

विक्रम ने शक्ति सिंह के दूसरे हाथ को भी काट दिया और उसके बाद विक्रम ने अजय और राजमाता के शव उठाए और शक्ति सिंह को घोड़े के पीछे पैरो से बांध कर खींचते हुए राज्य की तरफ बढ़ गया!

विक्रम के दिमाग में तूफान मचा हुआ था और उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे! उसने सपने में भी नही सोचा था कि अजय उसे ऐसे छोड़कर जायेगा! विक्रम उनकी सारी चाल समझ गया था और उसने अजय को समझाया भी लेकिन अजय ने उसकी जान बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी ये सब सोच सोच विक्रम का दिल रो रहा था और साथ ही साथ उसे एक बात और हैरान कर रही थीं कि वो अजय के परिवार की जादुई तलवार कैसे उठा सकता हैं जबकि वो परिवार तो सिर्फ उसके ही परिवार के लोग उठा सकते हैं! उनके अलावा कोई और छुए तो मौत निश्चित हैं! इन्ही सब दुविधाओ में घिरा हुआ वो उदयगढ़ की सीमा में घुस गया और थोड़ी ही देर में पूरे राज्य में राजमाता गायत्री देवी और अजय की मौत की खबर फैल गई और जनता बाहर महल के चारो तरफ इकट्ठा हो गई और सभी गायत्री देवी और अजय की मौत का शोक मानने लगे और जनता बार बार चिल्लाकर चिल्ला कर शक्ति सिंह को उसके हवाले करने की बात कर रही थी!

मेनका के जैसे ही अजय के शहीद होने की खबर मिली तो वो बेहोश हो गई और काफी कोशिश के बाद उसे होश आया तो दहाड़े मार मार कर रोने लगी और विक्रम उसे बार बार दिलाशा देता रहा लेकिन मां की ममता भला कैसे अपने आपको रोक पाती और मेनका बार बार बेहोश होती रही! अगले दिन सुबह तक ये बात आस पास के राज्य में पहुंच गई और जैसे ही सीमा और सलमा को पता चला तो दोनो रो पड़ी और जैसे तैसे करके सलमा ने सीमा को संभाला और सीमा के लिए उदयगढ़ जाने का प्रबंध किया! सलमा का भी बड़ा मन था लेकिन जब्बार के पहले और बंदिशों के चलते वो मजबूर थी लेकिन सीमा उदयगढ़ पहुंच गई थी! करीब 11 बजे के आस पास अजय और गायत्री देवी की लाश को अग्नि दी गई और अग्नि से ज्यादा लोगो की आंखे गुस्से से जल रही थी और उनमें से ही दो आंखे सीमा की भी थी जिनके आंसू अब सूख गए थे और उनमें से सुर्ख चिंगारी निकल रही थी! उसने कसम खाई कि जब तक वो अजय के हत्यारों को मौत की नींद नही सुला देगी चैन से नहीं बैठेगी!!
Welcome back unique bhai mast update Diya hai
 
10,112
42,478
258
यह क्या किया यूनिक स्टार भाई आपने ! अजय को शहीद करवा दिया ! ऐसा नही होना चाहिए था ।
कम से कम उसकी मां मेनका के बारे मे तो सोचा होता ! उसकी प्रेयसी सीमा के बारे मे तो सोचा होता ! उसकी कम उम्र के बारे मे तो सोचा होता !
ऐसा बिल्कुल ही नही होना चाहिए था ।

राजमाता की मौत का उतना अफसोस नही जितना अजय की शहादत का है ।

विक्रम का तलवार धारण करना यह संकेत दे रहा है कि वह अजय का सगा भाई था । अगर यह सच हुआ तब इसका मतलब मेनका का अब भी एक पुत्र जिंदा है ।

शायद मेनका के साथ साथ सीमा भी विक्रम की जिम्मेदारी हो गई ।
बेहतरीन अपडेट यूनिक स्टार भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,418
13,338
159
उदयगढ़ में आपातकालीन सभा लगा हुई थी और राज्य के सभी छोटे बड़े अधिकारी मौजूद थे!

विक्रम:" राजमाता का राज्य से अचानक गायब हो जाना किसी बड़े खतरे का संकेत है! हमे किसी भी हालत में उन्हे ढूंढकर वापिस लाना ही होगा! मुख्य द्वार के पहरे पर कौन होता हैं ?

एक सिपाही आगे आता हैं और सिर झुकाकर बोला:" महाराज मैं ही था लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ तो संदेह वाला हो!

विक्रम ने उसे घूरकर देखा और जाने का इशारा किया और सभी से बोला:" जाइए और पूरा राज्य ढूंढ निकालिए! आधे घण्टे के अंदर हमे राजमाता वापिस चाहिए!

अजय सावधानी से इधर उधर देख रहा था और उसके दिमाग में एक विचार आया और सभी लोग जा रहे थे तो अजय ने धीरे से विक्रम को कहा:"

" युवराज सारे मंत्री और अधिकारी यहां हैं लेकिन शक्ति सिंह नही हैं!

अजय की बात सुनकर विक्रम ने नजर उठाकर देखा और उसे भी शक्ति सिंह कहीं नजर नहीं आया तो उसने उस सिपाही को वापिस बुलाया और पूछा:"

" कल जब तुम पहरे पर थे क्या शक्ति सिंह वहां से गया था ?

सिपाही:" हान महाराज गया था और देर रात तक भी वापिस नही लौटा था!

विक्रम:" क्या तुमने उसके बग्गी को चेक किया था?

सिपाही की नजरे शर्म से झुक गई और इधर उधर देखते हुए थूक गटकने लगा तो विक्रम ने एक थप्पड़ उसे जड़ दिया तो सिपाही चींखता हुआ दूर गिरा और उसके मुंह से खून आने लगा!

विक्रम ने अपना सिर पकड़ लिया क्योंकि वो समझ गया था कि राजमाता किसी बहुत बड़ी मुश्किल में फंस गई है!अजय ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला:" आप फिक्र न करें युवराज सब ठीक होगा! राजमाता भी कुशलता पूर्वक वापिस आयेगी और शक्ति सिंह को उसकी गद्दारी की सजा भी मिलेगी!

विक्रम की आंखे सुलग रही थी और जबड़े भींचते चले गए और बोला:" हम शक्ति सिंह को जिंदा नही छोड़ेंगे !! जाओ सभी और ढूंढो उस गद्दार को!

सभी लोग सारे राज्य, जंगल और उसके आस पास के इलाके मे ढूंढते रहे लेकिन कोई सुराग नही मिला पाया तो किसी तरह रात कटी और अगले दिन सुबह फिर से ढूंढ मच गई लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात!

जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था युवराज का दिल बैठता जा रहा था! तभी एक सैनिक दौड़ते हुए आया जिसके हाथ में एक लिफाफा था और बोला:"

" युवराज एक अजनबी घुड़सवार आपके लिए छोड़ कर भाग गया!

विक्रम ने बेताबी से उसे फाड़ा और पढ़ने लगा:"

" राजमाता हमारे कब्जे में है और और उनकी जिंदगी चाहते हो तो चुप चाप काली पहाड़ी पर बने पुराने किले पर अजय के साथ आ जाओ रात 9 बजे!

विक्रम ने गुस्से से खत को बंद किया तो अजय जो कि पत्र पढ़ चुका था कठोर लहजे में बोला:"

" आप फिक्र नहीं करे युवराज! चलने की तैयारी कीजिए! हम दोनो जी पूरी सेना पर भारी है!

दोनो ने अपने आपको हथियारों से सुसज्जित किया और उसके बाद बिना देर किए दोनो घोड़ों पर सवार होकर काली पहाड़ी की तरफ निकल गए! अजय पूरी तरह से आश्वस्त था कि वो आराम से राजमाता को बचाकर वापिस ले आयेंगे क्योंकि जब तक उसके पास वो खानदानी तलवार हैं दुनिया में को उसका कुछ बिगाड़ सकता!

करीब 9 बजे दोनो काली पहाड़ी पर पहुंच गए और देखते ही देखते दोनो की चारो से हथियार बंद सैनिकों ने घेर लिया और सामने ही राजमाता किले की दीवार पर बंधी नजर आई और नजर आया शक्ति सिंह जो कुटिल मुस्कान के साथ बोला:"

" आओ युवराज आओ! सच में आपकी मूर्खता की दाद देनी पड़ेगी जो दोनो यहां मरने के लिए चले आए!

अजय:" किसकी मौत आई है ये तो तुझे थोड़ी देर बाद पता चल ही जाएगा गद्दार! लेकिन तेरी अंदर इतनी हिम्मत कहां से आ गई जो तू राजमाता को उठा लाया!

तभी दीवार के पीछे से जब्बार और पिंडाला निकाल आए और देखते ही देखते करीब 100 से ज्यादा पिंडारियो ने उन्हे घेर लिया और जब्बार बोला:"

"आओ युवराज और अजय तुम दोनो का मौत के मुंह में स्वागत है आज!

युवराज ने अपनी तलवार को बाहर निकाला और बोला:"

" किसकी मौत आयेगी ये तो तेरी गर्दन कटने के बाद ही तुझे समझ आएगा जब्बार!!

राजमाता सामने दीवार पर बंधी हुई थी और उसके मुंह में कपड़े ठूंसा हुआ था जिस कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी! विक्रम और अजय दोनो राजमाता की ये दुर्दशा देखकर गुस्से से दुश्मनों पर टूट पड़े और देखते ही देखते जंग का मैदान बन गई काली पहाड़ी! तलवारों के टकराने की आवाजे गूंज रही थी और मरते हुए सैनिक चींख रहे थे! लेकिन अजय मानो आज सारी दुनिया की ताकत अपने अंदर समेटे हुए था और उसकी तलवार बिजली की तरह चमक रही थी और पिंडारियो को गाजर मूली की तरह काट रही थी! ये देखकर जब्बार बौखला गया और बोला:"

" जल्दी से अपनी योजना को अंजाम दो नही तो हम सबकी लाशे पड़ी होगी यहां!

पिंडाला ने भी खतरे को महसूस किया और देखते ही देखते पिंडाला, शक्ति सिंह और जब्बार तीनों ने एक साथ विक्रम पर वार करना शुरू कर दिया और विक्रम बेहद बहादुरी से सबका मुकाबला कर रहा था! अजय ने एक नजर युवराज को देखा जो चारो तरफ से घिरा हुआ था और उसने लड़ते हुए युवराज की तरफ बढ़ना शुरू किया ! युवराज लगातार चारो तरफ से हो रहे हमलों का जवाब देते हुए थोड़ा पीछे हटता गया और जब्बार की आंखो में चमक आने लगी! अजय पूरी ताकत से अपनी तलवार चला रहा था और दुश्मनों के सिर कटकर गिर रहे थे लेकिन युवराज अभी भी उससे बहुत दूर था!

पिंडाला ने तेजी से तलवार के वार किए और विक्रम बचाव करते हुए जैसे ही पीछे हटा तो पहले से बनाए हुए गड्ढे में उसका पैर आया और जैसे ही वो लड़खड़ाया तो जब्बार के एक शक्तिशाली वार पीछे से किया और युवराज के हाथ से तलवार छूट कर गिर पड़ी और शक्ति सिंह ने बिना देर किए अगला वार किया और युवराज के कंधे से खून निकल आया! पिंडाला ने अगला वार किया और युवराज ने उसकी तलवार को पकड़ लिया और दोनो एक दूसरे से उलझ पड़े! इसी बीच अजय जो सैनिकों से घिरा हुआ था चाहकर भी कुछ मदद नही कर पा रहा था और शक्ति सिंह और जब्बार कभी युवराज के पैर पर तो कभी उसके हाथो पर वार कर रहे थे और युवराज उनकी चाल को समझ गया था कि वो क्यों उसे मार नही रहे तो वो दर्द से कराहते हुए चिल्लाया:"

" अजय अपनी तलवार मत छोड़ना, ये मुझे नही मार सकते!

लेकिन युद्ध में टकराती हुई तलवारों के शोर के आगे उसकी आवाज सब सी गई और युवराज के जिस्म से बहते खून को देखकर अजय अंधे की तरह तलवार चलाते हुए उसकी तरफ बढ़ा और अब अपने जीवन की भी कोई परवाह नही थी क्योंकि युवराज का जीवन ही उसके लिए सर्वोपरि था!

देखते ही कई घाव अजय के जिस्म पर हो गए थे लेकिन वो पीछे हटने के बजाय आगे ही बढ़ता जा रहा था और तभी शक्ति सिंह ने अपनी तलवार से पूरी फुर्ती से युवराज विक्रम की गर्दन पर वार किया और यही अजय से चूक हो गई क्योंकि उसने अपनी तलवार से निशाना बनाते हुए शक्ति सिंह के हाथ पर वार करते हुए अपनी तलवार को हवा मे फेंक दिया और तलवार शक्ति के हाथ पर लगी और उसका हाथ कटकर दूर जा गिरा और अगले ही कई सारी तलवार निहत्थे अजय पर टूट पड़ी और अजय का जिस्म कई जगह से कट गया और अजय तड़पते हुए आगे बढ़ा और पिंडारी को गले से पकड़ लिया और देखते ही देखते उस पिंडारी का दम घुटने लगा और पीछे से एक के बाद एक ताबड़तोड़ वार अजय पर होने लगे लेकिन उसकी पकड़ ढीली नही हुई और अंत में दोनो एक साथ जमीन पर गिर पड़े!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम ये सब देखकर पागल सा हो गया और एक तेज झटका हवा में खाते हुए गड्ढे से बाहर निकल कर अजय की तरफ लपका लेकिन तब तक अजय विक्रम की तरफ देखते हुए दम तोड चुका था!

अजय की मौत से विक्रम अपना मानसिक संतुलन खो बैठा और विक्रम ने अब बिना खौफ के पिंडारियो पर हमला कर दिया और इसी बीच कई घाव विक्रम के जिस्म पर हुए और काफी खून बहने लगा!

पीछे से पिंडाला ने एक वार उसकी कमर पर किया और दर्द से तड़प कर युवराज जमीन पर गिर पड़ा और उसे चारो और से घेर लिया! जब्बार ने उसे एक जोरदार लात मारी और बोला:"

" आखिरकार तुम हमारे जाल ही फंस ही गए युवराज!

पिंडाला हंसते हुए बोला:" फंसता कैसे बाजी नही क्योंकि हमने इसी चाल के दम पर तो इन दोनो के पिता को खत्म किया था!

जब्बार:" बस हमें उस जादुई तलवार से खतरा था तो अजय के मरने के बाद उस उसकी की भी कहानी खत्म!

विक्रम दर्द से कराह रहा था और चारो और से उसके ऊपर लात घूंसे बरस रहे थे और विक्रम दर्द से बेहाल होकर बोला:"

" राजमाता को आजाद कर दो जब्बार, चाहे तो मेरी जान ले लो!

पिंडाला जोर जोर से हंसने लगा और बोला:" राजमाता तो कब की आजाद हो गई है युवराज लेकिन हमारी कैद से नही बल्कि जिंदगी की कैद से मुक्त हो गई है वो!

विक्रम को लगा मानो उसके जिस्म से जान निकल गई हो और उसने खड़े होने की कोशिश करी तो पिंडाला ने उसे एक जोरदार धक्का दिया और विक्रम दूर जाकर गिरा और जब्बार अपने सैनिकों से बोला:"

" खत्म कर दो इसे भी जाओ! मेरा मुंह क्या देखते हो !!

सभी सैनिक एक सात आगे बढ़े और विक्रम ने मदद के लिए उधर इधर देखा लेकिन कोई मौजूद नही था! तभी उसकी नजर एक तलवार पर पड़ी लेकिन अगले ही पल उसकी आंखो में निराशा छा गई क्योंकि ये तो अजय की वही खानदानी तलवार थी जिसे सिर्फ उसके परिवार के लोग ही उठा सकते थे और बाकी कोई उठाए तो हाथ लगाते ही मौत निश्चित थी! एक सैनिक ने विक्रम पर तलवार का वार किया और मरता क्या न करता वाली बात विक्रम पर पर लागू हुई और उसने तेजी से हाथ आगे बढाया और अजय की तलवार को हाथ में उठा लिया और अगले ही तलवार चली और सैनिक की गर्दन दूर जा गिरी! विक्रम को यकीन नही हो रहा था कि उसके हाथ में अजय की खानदानी तलवार हैं लेकिन ये समय यकीन करने का नही बल्कि युद्ध करने का था और वही विक्रम ने किया और देखते ही देखते सैनिकों के सिर कट कर जमीन पर गिरने लगे और काली पहाड़ी पर आतंक मच गया क्योंकि सैनिकों के पांव उखड़ने लगा! विक्रम को छूना तो दूर की बात कोई उस पर वार भी नही कर रहा था और देखते ही देखते सैनिक जान बचाकर भाग खड़े और पिंडाला, जब्बार और शक्ति सिंह हैरानी से ये सब देख रहे थे मानो उन्हे अपनी आंखो पर यकीन नही हो रहा था!

जब्बार थोड़ा घबराते हुए बोला:" भागो अगर अपनी जान बचानी हैं तो यहां से!

इतना कहकर जब्बार भाग खड़ा हुआ और उसके पीछे ही देखते देखते पिंडाला भी भाग खड़ा हुआ और शक्ति सिंह भी भागने लगा लेकिन उसकी गति घायल होने के कारण उतनी नही थी और विक्रम ने शेर की तरह उछलते हुए उसे पकड़ लिया और शक्ति सिंह विक्रम के पैरो में गिर पड़ा और माफी मांगने लगा

" मुझे माफ कर दीजिए युवराज!

विक्रम ने शक्ति सिंह के दूसरे हाथ को भी काट दिया और उसके बाद विक्रम ने अजय और राजमाता के शव उठाए और शक्ति सिंह को घोड़े के पीछे पैरो से बांध कर खींचते हुए राज्य की तरफ बढ़ गया!

विक्रम के दिमाग में तूफान मचा हुआ था और उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे! उसने सपने में भी नही सोचा था कि अजय उसे ऐसे छोड़कर जायेगा! विक्रम उनकी सारी चाल समझ गया था और उसने अजय को समझाया भी लेकिन अजय ने उसकी जान बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी ये सब सोच सोच विक्रम का दिल रो रहा था और साथ ही साथ उसे एक बात और हैरान कर रही थीं कि वो अजय के परिवार की जादुई तलवार कैसे उठा सकता हैं जबकि वो परिवार तो सिर्फ उसके ही परिवार के लोग उठा सकते हैं! उनके अलावा कोई और छुए तो मौत निश्चित हैं! इन्ही सब दुविधाओ में घिरा हुआ वो उदयगढ़ की सीमा में घुस गया और थोड़ी ही देर में पूरे राज्य में राजमाता गायत्री देवी और अजय की मौत की खबर फैल गई और जनता बाहर महल के चारो तरफ इकट्ठा हो गई और सभी गायत्री देवी और अजय की मौत का शोक मानने लगे और जनता बार बार चिल्लाकर चिल्ला कर शक्ति सिंह को उसके हवाले करने की बात कर रही थी!

मेनका के जैसे ही अजय के शहीद होने की खबर मिली तो वो बेहोश हो गई और काफी कोशिश के बाद उसे होश आया तो दहाड़े मार मार कर रोने लगी और विक्रम उसे बार बार दिलाशा देता रहा लेकिन मां की ममता भला कैसे अपने आपको रोक पाती और मेनका बार बार बेहोश होती रही! अगले दिन सुबह तक ये बात आस पास के राज्य में पहुंच गई और जैसे ही सीमा और सलमा को पता चला तो दोनो रो पड़ी और जैसे तैसे करके सलमा ने सीमा को संभाला और सीमा के लिए उदयगढ़ जाने का प्रबंध किया! सलमा का भी बड़ा मन था लेकिन जब्बार के पहले और बंदिशों के चलते वो मजबूर थी लेकिन सीमा उदयगढ़ पहुंच गई थी! करीब 11 बजे के आस पास अजय और गायत्री देवी की लाश को अग्नि दी गई और अग्नि से ज्यादा लोगो की आंखे गुस्से से जल रही थी और उनमें से ही दो आंखे सीमा की भी थी जिनके आंसू अब सूख गए थे और उनमें से सुर्ख चिंगारी निकल रही थी! उसने कसम खाई कि जब तक वो अजय के हत्यारों को मौत की नींद नही सुला देगी चैन से नहीं बैठेगी!!

Behad shandar update he Unique star Bhai,

Shakti ne dhoka diya he................lekin kyun..............iska khulasa abhi tak nahi hua

Ajay ke sath sath rajmata ki bhi hatya kar di jabbar aur pindario ne..............

Lekin vikram ne ajay ki khandani talwar ko utha kaise liya...............kahi vikram aur ajay dono sage bhai to nahi he............

Ab iska aaj bhi menka hi khol sakti he..............

Agli update ke liye jyada pratiksha nahi karwana Bhai
 
  • Like
Reactions: Unique star

WhiteDragon

Member
147
266
63
उदयगढ़ में आपातकालीन सभा लगा हुई थी और राज्य के सभी छोटे बड़े अधिकारी मौजूद थे!

विक्रम:" राजमाता का राज्य से अचानक गायब हो जाना किसी बड़े खतरे का संकेत है! हमे किसी भी हालत में उन्हे ढूंढकर वापिस लाना ही होगा! मुख्य द्वार के पहरे पर कौन होता हैं ?

एक सिपाही आगे आता हैं और सिर झुकाकर बोला:" महाराज मैं ही था लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ तो संदेह वाला हो!

विक्रम ने उसे घूरकर देखा और जाने का इशारा किया और सभी से बोला:" जाइए और पूरा राज्य ढूंढ निकालिए! आधे घण्टे के अंदर हमे राजमाता वापिस चाहिए!

अजय सावधानी से इधर उधर देख रहा था और उसके दिमाग में एक विचार आया और सभी लोग जा रहे थे तो अजय ने धीरे से विक्रम को कहा:"

" युवराज सारे मंत्री और अधिकारी यहां हैं लेकिन शक्ति सिंह नही हैं!

अजय की बात सुनकर विक्रम ने नजर उठाकर देखा और उसे भी शक्ति सिंह कहीं नजर नहीं आया तो उसने उस सिपाही को वापिस बुलाया और पूछा:"

" कल जब तुम पहरे पर थे क्या शक्ति सिंह वहां से गया था ?

सिपाही:" हान महाराज गया था और देर रात तक भी वापिस नही लौटा था!

विक्रम:" क्या तुमने उसके बग्गी को चेक किया था?

सिपाही की नजरे शर्म से झुक गई और इधर उधर देखते हुए थूक गटकने लगा तो विक्रम ने एक थप्पड़ उसे जड़ दिया तो सिपाही चींखता हुआ दूर गिरा और उसके मुंह से खून आने लगा!

विक्रम ने अपना सिर पकड़ लिया क्योंकि वो समझ गया था कि राजमाता किसी बहुत बड़ी मुश्किल में फंस गई है!अजय ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला:" आप फिक्र न करें युवराज सब ठीक होगा! राजमाता भी कुशलता पूर्वक वापिस आयेगी और शक्ति सिंह को उसकी गद्दारी की सजा भी मिलेगी!

विक्रम की आंखे सुलग रही थी और जबड़े भींचते चले गए और बोला:" हम शक्ति सिंह को जिंदा नही छोड़ेंगे !! जाओ सभी और ढूंढो उस गद्दार को!

सभी लोग सारे राज्य, जंगल और उसके आस पास के इलाके मे ढूंढते रहे लेकिन कोई सुराग नही मिला पाया तो किसी तरह रात कटी और अगले दिन सुबह फिर से ढूंढ मच गई लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात!

जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था युवराज का दिल बैठता जा रहा था! तभी एक सैनिक दौड़ते हुए आया जिसके हाथ में एक लिफाफा था और बोला:"

" युवराज एक अजनबी घुड़सवार आपके लिए छोड़ कर भाग गया!

विक्रम ने बेताबी से उसे फाड़ा और पढ़ने लगा:"

" राजमाता हमारे कब्जे में है और और उनकी जिंदगी चाहते हो तो चुप चाप काली पहाड़ी पर बने पुराने किले पर अजय के साथ आ जाओ रात 9 बजे!

विक्रम ने गुस्से से खत को बंद किया तो अजय जो कि पत्र पढ़ चुका था कठोर लहजे में बोला:"

" आप फिक्र नहीं करे युवराज! चलने की तैयारी कीजिए! हम दोनो जी पूरी सेना पर भारी है!

दोनो ने अपने आपको हथियारों से सुसज्जित किया और उसके बाद बिना देर किए दोनो घोड़ों पर सवार होकर काली पहाड़ी की तरफ निकल गए! अजय पूरी तरह से आश्वस्त था कि वो आराम से राजमाता को बचाकर वापिस ले आयेंगे क्योंकि जब तक उसके पास वो खानदानी तलवार हैं दुनिया में को उसका कुछ बिगाड़ सकता!

करीब 9 बजे दोनो काली पहाड़ी पर पहुंच गए और देखते ही देखते दोनो की चारो से हथियार बंद सैनिकों ने घेर लिया और सामने ही राजमाता किले की दीवार पर बंधी नजर आई और नजर आया शक्ति सिंह जो कुटिल मुस्कान के साथ बोला:"

" आओ युवराज आओ! सच में आपकी मूर्खता की दाद देनी पड़ेगी जो दोनो यहां मरने के लिए चले आए!

अजय:" किसकी मौत आई है ये तो तुझे थोड़ी देर बाद पता चल ही जाएगा गद्दार! लेकिन तेरी अंदर इतनी हिम्मत कहां से आ गई जो तू राजमाता को उठा लाया!

तभी दीवार के पीछे से जब्बार और पिंडाला निकाल आए और देखते ही देखते करीब 100 से ज्यादा पिंडारियो ने उन्हे घेर लिया और जब्बार बोला:"

"आओ युवराज और अजय तुम दोनो का मौत के मुंह में स्वागत है आज!

युवराज ने अपनी तलवार को बाहर निकाला और बोला:"

" किसकी मौत आयेगी ये तो तेरी गर्दन कटने के बाद ही तुझे समझ आएगा जब्बार!!

राजमाता सामने दीवार पर बंधी हुई थी और उसके मुंह में कपड़े ठूंसा हुआ था जिस कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी! विक्रम और अजय दोनो राजमाता की ये दुर्दशा देखकर गुस्से से दुश्मनों पर टूट पड़े और देखते ही देखते जंग का मैदान बन गई काली पहाड़ी! तलवारों के टकराने की आवाजे गूंज रही थी और मरते हुए सैनिक चींख रहे थे! लेकिन अजय मानो आज सारी दुनिया की ताकत अपने अंदर समेटे हुए था और उसकी तलवार बिजली की तरह चमक रही थी और पिंडारियो को गाजर मूली की तरह काट रही थी! ये देखकर जब्बार बौखला गया और बोला:"

" जल्दी से अपनी योजना को अंजाम दो नही तो हम सबकी लाशे पड़ी होगी यहां!

पिंडाला ने भी खतरे को महसूस किया और देखते ही देखते पिंडाला, शक्ति सिंह और जब्बार तीनों ने एक साथ विक्रम पर वार करना शुरू कर दिया और विक्रम बेहद बहादुरी से सबका मुकाबला कर रहा था! अजय ने एक नजर युवराज को देखा जो चारो तरफ से घिरा हुआ था और उसने लड़ते हुए युवराज की तरफ बढ़ना शुरू किया ! युवराज लगातार चारो तरफ से हो रहे हमलों का जवाब देते हुए थोड़ा पीछे हटता गया और जब्बार की आंखो में चमक आने लगी! अजय पूरी ताकत से अपनी तलवार चला रहा था और दुश्मनों के सिर कटकर गिर रहे थे लेकिन युवराज अभी भी उससे बहुत दूर था!

पिंडाला ने तेजी से तलवार के वार किए और विक्रम बचाव करते हुए जैसे ही पीछे हटा तो पहले से बनाए हुए गड्ढे में उसका पैर आया और जैसे ही वो लड़खड़ाया तो जब्बार के एक शक्तिशाली वार पीछे से किया और युवराज के हाथ से तलवार छूट कर गिर पड़ी और शक्ति सिंह ने बिना देर किए अगला वार किया और युवराज के कंधे से खून निकल आया! पिंडाला ने अगला वार किया और युवराज ने उसकी तलवार को पकड़ लिया और दोनो एक दूसरे से उलझ पड़े! इसी बीच अजय जो सैनिकों से घिरा हुआ था चाहकर भी कुछ मदद नही कर पा रहा था और शक्ति सिंह और जब्बार कभी युवराज के पैर पर तो कभी उसके हाथो पर वार कर रहे थे और युवराज उनकी चाल को समझ गया था कि वो क्यों उसे मार नही रहे तो वो दर्द से कराहते हुए चिल्लाया:"

" अजय अपनी तलवार मत छोड़ना, ये मुझे नही मार सकते!

लेकिन युद्ध में टकराती हुई तलवारों के शोर के आगे उसकी आवाज सब सी गई और युवराज के जिस्म से बहते खून को देखकर अजय अंधे की तरह तलवार चलाते हुए उसकी तरफ बढ़ा और अब अपने जीवन की भी कोई परवाह नही थी क्योंकि युवराज का जीवन ही उसके लिए सर्वोपरि था!

देखते ही कई घाव अजय के जिस्म पर हो गए थे लेकिन वो पीछे हटने के बजाय आगे ही बढ़ता जा रहा था और तभी शक्ति सिंह ने अपनी तलवार से पूरी फुर्ती से युवराज विक्रम की गर्दन पर वार किया और यही अजय से चूक हो गई क्योंकि उसने अपनी तलवार से निशाना बनाते हुए शक्ति सिंह के हाथ पर वार करते हुए अपनी तलवार को हवा मे फेंक दिया और तलवार शक्ति के हाथ पर लगी और उसका हाथ कटकर दूर जा गिरा और अगले ही कई सारी तलवार निहत्थे अजय पर टूट पड़ी और अजय का जिस्म कई जगह से कट गया और अजय तड़पते हुए आगे बढ़ा और पिंडारी को गले से पकड़ लिया और देखते ही देखते उस पिंडारी का दम घुटने लगा और पीछे से एक के बाद एक ताबड़तोड़ वार अजय पर होने लगे लेकिन उसकी पकड़ ढीली नही हुई और अंत में दोनो एक साथ जमीन पर गिर पड़े!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम ये सब देखकर पागल सा हो गया और एक तेज झटका हवा में खाते हुए गड्ढे से बाहर निकल कर अजय की तरफ लपका लेकिन तब तक अजय विक्रम की तरफ देखते हुए दम तोड चुका था!

अजय की मौत से विक्रम अपना मानसिक संतुलन खो बैठा और विक्रम ने अब बिना खौफ के पिंडारियो पर हमला कर दिया और इसी बीच कई घाव विक्रम के जिस्म पर हुए और काफी खून बहने लगा!

पीछे से पिंडाला ने एक वार उसकी कमर पर किया और दर्द से तड़प कर युवराज जमीन पर गिर पड़ा और उसे चारो और से घेर लिया! जब्बार ने उसे एक जोरदार लात मारी और बोला:"

" आखिरकार तुम हमारे जाल ही फंस ही गए युवराज!

पिंडाला हंसते हुए बोला:" फंसता कैसे बाजी नही क्योंकि हमने इसी चाल के दम पर तो इन दोनो के पिता को खत्म किया था!

जब्बार:" बस हमें उस जादुई तलवार से खतरा था तो अजय के मरने के बाद उस उसकी की भी कहानी खत्म!

विक्रम दर्द से कराह रहा था और चारो और से उसके ऊपर लात घूंसे बरस रहे थे और विक्रम दर्द से बेहाल होकर बोला:"

" राजमाता को आजाद कर दो जब्बार, चाहे तो मेरी जान ले लो!

पिंडाला जोर जोर से हंसने लगा और बोला:" राजमाता तो कब की आजाद हो गई है युवराज लेकिन हमारी कैद से नही बल्कि जिंदगी की कैद से मुक्त हो गई है वो!

विक्रम को लगा मानो उसके जिस्म से जान निकल गई हो और उसने खड़े होने की कोशिश करी तो पिंडाला ने उसे एक जोरदार धक्का दिया और विक्रम दूर जाकर गिरा और जब्बार अपने सैनिकों से बोला:"

" खत्म कर दो इसे भी जाओ! मेरा मुंह क्या देखते हो !!

सभी सैनिक एक सात आगे बढ़े और विक्रम ने मदद के लिए उधर इधर देखा लेकिन कोई मौजूद नही था! तभी उसकी नजर एक तलवार पर पड़ी लेकिन अगले ही पल उसकी आंखो में निराशा छा गई क्योंकि ये तो अजय की वही खानदानी तलवार थी जिसे सिर्फ उसके परिवार के लोग ही उठा सकते थे और बाकी कोई उठाए तो हाथ लगाते ही मौत निश्चित थी! एक सैनिक ने विक्रम पर तलवार का वार किया और मरता क्या न करता वाली बात विक्रम पर पर लागू हुई और उसने तेजी से हाथ आगे बढाया और अजय की तलवार को हाथ में उठा लिया और अगले ही तलवार चली और सैनिक की गर्दन दूर जा गिरी! विक्रम को यकीन नही हो रहा था कि उसके हाथ में अजय की खानदानी तलवार हैं लेकिन ये समय यकीन करने का नही बल्कि युद्ध करने का था और वही विक्रम ने किया और देखते ही देखते सैनिकों के सिर कट कर जमीन पर गिरने लगे और काली पहाड़ी पर आतंक मच गया क्योंकि सैनिकों के पांव उखड़ने लगा! विक्रम को छूना तो दूर की बात कोई उस पर वार भी नही कर रहा था और देखते ही देखते सैनिक जान बचाकर भाग खड़े और पिंडाला, जब्बार और शक्ति सिंह हैरानी से ये सब देख रहे थे मानो उन्हे अपनी आंखो पर यकीन नही हो रहा था!

जब्बार थोड़ा घबराते हुए बोला:" भागो अगर अपनी जान बचानी हैं तो यहां से!

इतना कहकर जब्बार भाग खड़ा हुआ और उसके पीछे ही देखते देखते पिंडाला भी भाग खड़ा हुआ और शक्ति सिंह भी भागने लगा लेकिन उसकी गति घायल होने के कारण उतनी नही थी और विक्रम ने शेर की तरह उछलते हुए उसे पकड़ लिया और शक्ति सिंह विक्रम के पैरो में गिर पड़ा और माफी मांगने लगा

" मुझे माफ कर दीजिए युवराज!

विक्रम ने शक्ति सिंह के दूसरे हाथ को भी काट दिया और उसके बाद विक्रम ने अजय और राजमाता के शव उठाए और शक्ति सिंह को घोड़े के पीछे पैरो से बांध कर खींचते हुए राज्य की तरफ बढ़ गया!

विक्रम के दिमाग में तूफान मचा हुआ था और उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे! उसने सपने में भी नही सोचा था कि अजय उसे ऐसे छोड़कर जायेगा! विक्रम उनकी सारी चाल समझ गया था और उसने अजय को समझाया भी लेकिन अजय ने उसकी जान बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी ये सब सोच सोच विक्रम का दिल रो रहा था और साथ ही साथ उसे एक बात और हैरान कर रही थीं कि वो अजय के परिवार की जादुई तलवार कैसे उठा सकता हैं जबकि वो परिवार तो सिर्फ उसके ही परिवार के लोग उठा सकते हैं! उनके अलावा कोई और छुए तो मौत निश्चित हैं! इन्ही सब दुविधाओ में घिरा हुआ वो उदयगढ़ की सीमा में घुस गया और थोड़ी ही देर में पूरे राज्य में राजमाता गायत्री देवी और अजय की मौत की खबर फैल गई और जनता बाहर महल के चारो तरफ इकट्ठा हो गई और सभी गायत्री देवी और अजय की मौत का शोक मानने लगे और जनता बार बार चिल्लाकर चिल्ला कर शक्ति सिंह को उसके हवाले करने की बात कर रही थी!

मेनका के जैसे ही अजय के शहीद होने की खबर मिली तो वो बेहोश हो गई और काफी कोशिश के बाद उसे होश आया तो दहाड़े मार मार कर रोने लगी और विक्रम उसे बार बार दिलाशा देता रहा लेकिन मां की ममता भला कैसे अपने आपको रोक पाती और मेनका बार बार बेहोश होती रही! अगले दिन सुबह तक ये बात आस पास के राज्य में पहुंच गई और जैसे ही सीमा और सलमा को पता चला तो दोनो रो पड़ी और जैसे तैसे करके सलमा ने सीमा को संभाला और सीमा के लिए उदयगढ़ जाने का प्रबंध किया! सलमा का भी बड़ा मन था लेकिन जब्बार के पहले और बंदिशों के चलते वो मजबूर थी लेकिन सीमा उदयगढ़ पहुंच गई थी! करीब 11 बजे के आस पास अजय और गायत्री देवी की लाश को अग्नि दी गई और अग्नि से ज्यादा लोगो की आंखे गुस्से से जल रही थी और उनमें से ही दो आंखे सीमा की भी थी जिनके आंसू अब सूख गए थे और उनमें से सुर्ख चिंगारी निकल रही थी! उसने कसम खाई कि जब तक वो अजय के हत्यारों को मौत की नींद नही सुला देगी चैन से नहीं बैठेगी!!
Bahot dino baad fir bhi behtareen update....
 
  • Like
Reactions: Unique star
Top