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Incest शहजादी सलमा

karthik90

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उदयगढ़ में आपातकालीन सभा लगा हुई थी और राज्य के सभी छोटे बड़े अधिकारी मौजूद थे!

विक्रम:" राजमाता का राज्य से अचानक गायब हो जाना किसी बड़े खतरे का संकेत है! हमे किसी भी हालत में उन्हे ढूंढकर वापिस लाना ही होगा! मुख्य द्वार के पहरे पर कौन होता हैं ?

एक सिपाही आगे आता हैं और सिर झुकाकर बोला:" महाराज मैं ही था लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ तो संदेह वाला हो!

विक्रम ने उसे घूरकर देखा और जाने का इशारा किया और सभी से बोला:" जाइए और पूरा राज्य ढूंढ निकालिए! आधे घण्टे के अंदर हमे राजमाता वापिस चाहिए!

अजय सावधानी से इधर उधर देख रहा था और उसके दिमाग में एक विचार आया और सभी लोग जा रहे थे तो अजय ने धीरे से विक्रम को कहा:"

" युवराज सारे मंत्री और अधिकारी यहां हैं लेकिन शक्ति सिंह नही हैं!

अजय की बात सुनकर विक्रम ने नजर उठाकर देखा और उसे भी शक्ति सिंह कहीं नजर नहीं आया तो उसने उस सिपाही को वापिस बुलाया और पूछा:"

" कल जब तुम पहरे पर थे क्या शक्ति सिंह वहां से गया था ?

सिपाही:" हान महाराज गया था और देर रात तक भी वापिस नही लौटा था!

विक्रम:" क्या तुमने उसके बग्गी को चेक किया था?

सिपाही की नजरे शर्म से झुक गई और इधर उधर देखते हुए थूक गटकने लगा तो विक्रम ने एक थप्पड़ उसे जड़ दिया तो सिपाही चींखता हुआ दूर गिरा और उसके मुंह से खून आने लगा!

विक्रम ने अपना सिर पकड़ लिया क्योंकि वो समझ गया था कि राजमाता किसी बहुत बड़ी मुश्किल में फंस गई है!अजय ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला:" आप फिक्र न करें युवराज सब ठीक होगा! राजमाता भी कुशलता पूर्वक वापिस आयेगी और शक्ति सिंह को उसकी गद्दारी की सजा भी मिलेगी!

विक्रम की आंखे सुलग रही थी और जबड़े भींचते चले गए और बोला:" हम शक्ति सिंह को जिंदा नही छोड़ेंगे !! जाओ सभी और ढूंढो उस गद्दार को!

सभी लोग सारे राज्य, जंगल और उसके आस पास के इलाके मे ढूंढते रहे लेकिन कोई सुराग नही मिला पाया तो किसी तरह रात कटी और अगले दिन सुबह फिर से ढूंढ मच गई लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात!

जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था युवराज का दिल बैठता जा रहा था! तभी एक सैनिक दौड़ते हुए आया जिसके हाथ में एक लिफाफा था और बोला:"

" युवराज एक अजनबी घुड़सवार आपके लिए छोड़ कर भाग गया!

विक्रम ने बेताबी से उसे फाड़ा और पढ़ने लगा:"

" राजमाता हमारे कब्जे में है और और उनकी जिंदगी चाहते हो तो चुप चाप काली पहाड़ी पर बने पुराने किले पर अजय के साथ आ जाओ रात 9 बजे!

विक्रम ने गुस्से से खत को बंद किया तो अजय जो कि पत्र पढ़ चुका था कठोर लहजे में बोला:"

" आप फिक्र नहीं करे युवराज! चलने की तैयारी कीजिए! हम दोनो जी पूरी सेना पर भारी है!

दोनो ने अपने आपको हथियारों से सुसज्जित किया और उसके बाद बिना देर किए दोनो घोड़ों पर सवार होकर काली पहाड़ी की तरफ निकल गए! अजय पूरी तरह से आश्वस्त था कि वो आराम से राजमाता को बचाकर वापिस ले आयेंगे क्योंकि जब तक उसके पास वो खानदानी तलवार हैं दुनिया में को उसका कुछ बिगाड़ सकता!

करीब 9 बजे दोनो काली पहाड़ी पर पहुंच गए और देखते ही देखते दोनो की चारो से हथियार बंद सैनिकों ने घेर लिया और सामने ही राजमाता किले की दीवार पर बंधी नजर आई और नजर आया शक्ति सिंह जो कुटिल मुस्कान के साथ बोला:"

" आओ युवराज आओ! सच में आपकी मूर्खता की दाद देनी पड़ेगी जो दोनो यहां मरने के लिए चले आए!

अजय:" किसकी मौत आई है ये तो तुझे थोड़ी देर बाद पता चल ही जाएगा गद्दार! लेकिन तेरी अंदर इतनी हिम्मत कहां से आ गई जो तू राजमाता को उठा लाया!

तभी दीवार के पीछे से जब्बार और पिंडाला निकाल आए और देखते ही देखते करीब 100 से ज्यादा पिंडारियो ने उन्हे घेर लिया और जब्बार बोला:"

"आओ युवराज और अजय तुम दोनो का मौत के मुंह में स्वागत है आज!

युवराज ने अपनी तलवार को बाहर निकाला और बोला:"

" किसकी मौत आयेगी ये तो तेरी गर्दन कटने के बाद ही तुझे समझ आएगा जब्बार!!

राजमाता सामने दीवार पर बंधी हुई थी और उसके मुंह में कपड़े ठूंसा हुआ था जिस कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी! विक्रम और अजय दोनो राजमाता की ये दुर्दशा देखकर गुस्से से दुश्मनों पर टूट पड़े और देखते ही देखते जंग का मैदान बन गई काली पहाड़ी! तलवारों के टकराने की आवाजे गूंज रही थी और मरते हुए सैनिक चींख रहे थे! लेकिन अजय मानो आज सारी दुनिया की ताकत अपने अंदर समेटे हुए था और उसकी तलवार बिजली की तरह चमक रही थी और पिंडारियो को गाजर मूली की तरह काट रही थी! ये देखकर जब्बार बौखला गया और बोला:"

" जल्दी से अपनी योजना को अंजाम दो नही तो हम सबकी लाशे पड़ी होगी यहां!

पिंडाला ने भी खतरे को महसूस किया और देखते ही देखते पिंडाला, शक्ति सिंह और जब्बार तीनों ने एक साथ विक्रम पर वार करना शुरू कर दिया और विक्रम बेहद बहादुरी से सबका मुकाबला कर रहा था! अजय ने एक नजर युवराज को देखा जो चारो तरफ से घिरा हुआ था और उसने लड़ते हुए युवराज की तरफ बढ़ना शुरू किया ! युवराज लगातार चारो तरफ से हो रहे हमलों का जवाब देते हुए थोड़ा पीछे हटता गया और जब्बार की आंखो में चमक आने लगी! अजय पूरी ताकत से अपनी तलवार चला रहा था और दुश्मनों के सिर कटकर गिर रहे थे लेकिन युवराज अभी भी उससे बहुत दूर था!

पिंडाला ने तेजी से तलवार के वार किए और विक्रम बचाव करते हुए जैसे ही पीछे हटा तो पहले से बनाए हुए गड्ढे में उसका पैर आया और जैसे ही वो लड़खड़ाया तो जब्बार के एक शक्तिशाली वार पीछे से किया और युवराज के हाथ से तलवार छूट कर गिर पड़ी और शक्ति सिंह ने बिना देर किए अगला वार किया और युवराज के कंधे से खून निकल आया! पिंडाला ने अगला वार किया और युवराज ने उसकी तलवार को पकड़ लिया और दोनो एक दूसरे से उलझ पड़े! इसी बीच अजय जो सैनिकों से घिरा हुआ था चाहकर भी कुछ मदद नही कर पा रहा था और शक्ति सिंह और जब्बार कभी युवराज के पैर पर तो कभी उसके हाथो पर वार कर रहे थे और युवराज उनकी चाल को समझ गया था कि वो क्यों उसे मार नही रहे तो वो दर्द से कराहते हुए चिल्लाया:"

" अजय अपनी तलवार मत छोड़ना, ये मुझे नही मार सकते!

लेकिन युद्ध में टकराती हुई तलवारों के शोर के आगे उसकी आवाज सब सी गई और युवराज के जिस्म से बहते खून को देखकर अजय अंधे की तरह तलवार चलाते हुए उसकी तरफ बढ़ा और अब अपने जीवन की भी कोई परवाह नही थी क्योंकि युवराज का जीवन ही उसके लिए सर्वोपरि था!

देखते ही कई घाव अजय के जिस्म पर हो गए थे लेकिन वो पीछे हटने के बजाय आगे ही बढ़ता जा रहा था और तभी शक्ति सिंह ने अपनी तलवार से पूरी फुर्ती से युवराज विक्रम की गर्दन पर वार किया और यही अजय से चूक हो गई क्योंकि उसने अपनी तलवार से निशाना बनाते हुए शक्ति सिंह के हाथ पर वार करते हुए अपनी तलवार को हवा मे फेंक दिया और तलवार शक्ति के हाथ पर लगी और उसका हाथ कटकर दूर जा गिरा और अगले ही कई सारी तलवार निहत्थे अजय पर टूट पड़ी और अजय का जिस्म कई जगह से कट गया और अजय तड़पते हुए आगे बढ़ा और पिंडारी को गले से पकड़ लिया और देखते ही देखते उस पिंडारी का दम घुटने लगा और पीछे से एक के बाद एक ताबड़तोड़ वार अजय पर होने लगे लेकिन उसकी पकड़ ढीली नही हुई और अंत में दोनो एक साथ जमीन पर गिर पड़े!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम ये सब देखकर पागल सा हो गया और एक तेज झटका हवा में खाते हुए गड्ढे से बाहर निकल कर अजय की तरफ लपका लेकिन तब तक अजय विक्रम की तरफ देखते हुए दम तोड चुका था!

अजय की मौत से विक्रम अपना मानसिक संतुलन खो बैठा और विक्रम ने अब बिना खौफ के पिंडारियो पर हमला कर दिया और इसी बीच कई घाव विक्रम के जिस्म पर हुए और काफी खून बहने लगा!

पीछे से पिंडाला ने एक वार उसकी कमर पर किया और दर्द से तड़प कर युवराज जमीन पर गिर पड़ा और उसे चारो और से घेर लिया! जब्बार ने उसे एक जोरदार लात मारी और बोला:"

" आखिरकार तुम हमारे जाल ही फंस ही गए युवराज!

पिंडाला हंसते हुए बोला:" फंसता कैसे बाजी नही क्योंकि हमने इसी चाल के दम पर तो इन दोनो के पिता को खत्म किया था!

जब्बार:" बस हमें उस जादुई तलवार से खतरा था तो अजय के मरने के बाद उस उसकी की भी कहानी खत्म!

विक्रम दर्द से कराह रहा था और चारो और से उसके ऊपर लात घूंसे बरस रहे थे और विक्रम दर्द से बेहाल होकर बोला:"

" राजमाता को आजाद कर दो जब्बार, चाहे तो मेरी जान ले लो!

पिंडाला जोर जोर से हंसने लगा और बोला:" राजमाता तो कब की आजाद हो गई है युवराज लेकिन हमारी कैद से नही बल्कि जिंदगी की कैद से मुक्त हो गई है वो!

विक्रम को लगा मानो उसके जिस्म से जान निकल गई हो और उसने खड़े होने की कोशिश करी तो पिंडाला ने उसे एक जोरदार धक्का दिया और विक्रम दूर जाकर गिरा और जब्बार अपने सैनिकों से बोला:"

" खत्म कर दो इसे भी जाओ! मेरा मुंह क्या देखते हो !!

सभी सैनिक एक सात आगे बढ़े और विक्रम ने मदद के लिए उधर इधर देखा लेकिन कोई मौजूद नही था! तभी उसकी नजर एक तलवार पर पड़ी लेकिन अगले ही पल उसकी आंखो में निराशा छा गई क्योंकि ये तो अजय की वही खानदानी तलवार थी जिसे सिर्फ उसके परिवार के लोग ही उठा सकते थे और बाकी कोई उठाए तो हाथ लगाते ही मौत निश्चित थी! एक सैनिक ने विक्रम पर तलवार का वार किया और मरता क्या न करता वाली बात विक्रम पर पर लागू हुई और उसने तेजी से हाथ आगे बढाया और अजय की तलवार को हाथ में उठा लिया और अगले ही तलवार चली और सैनिक की गर्दन दूर जा गिरी! विक्रम को यकीन नही हो रहा था कि उसके हाथ में अजय की खानदानी तलवार हैं लेकिन ये समय यकीन करने का नही बल्कि युद्ध करने का था और वही विक्रम ने किया और देखते ही देखते सैनिकों के सिर कट कर जमीन पर गिरने लगे और काली पहाड़ी पर आतंक मच गया क्योंकि सैनिकों के पांव उखड़ने लगा! विक्रम को छूना तो दूर की बात कोई उस पर वार भी नही कर रहा था और देखते ही देखते सैनिक जान बचाकर भाग खड़े और पिंडाला, जब्बार और शक्ति सिंह हैरानी से ये सब देख रहे थे मानो उन्हे अपनी आंखो पर यकीन नही हो रहा था!

जब्बार थोड़ा घबराते हुए बोला:" भागो अगर अपनी जान बचानी हैं तो यहां से!

इतना कहकर जब्बार भाग खड़ा हुआ और उसके पीछे ही देखते देखते पिंडाला भी भाग खड़ा हुआ और शक्ति सिंह भी भागने लगा लेकिन उसकी गति घायल होने के कारण उतनी नही थी और विक्रम ने शेर की तरह उछलते हुए उसे पकड़ लिया और शक्ति सिंह विक्रम के पैरो में गिर पड़ा और माफी मांगने लगा

" मुझे माफ कर दीजिए युवराज!

विक्रम ने शक्ति सिंह के दूसरे हाथ को भी काट दिया और उसके बाद विक्रम ने अजय और राजमाता के शव उठाए और शक्ति सिंह को घोड़े के पीछे पैरो से बांध कर खींचते हुए राज्य की तरफ बढ़ गया!

विक्रम के दिमाग में तूफान मचा हुआ था और उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे! उसने सपने में भी नही सोचा था कि अजय उसे ऐसे छोड़कर जायेगा! विक्रम उनकी सारी चाल समझ गया था और उसने अजय को समझाया भी लेकिन अजय ने उसकी जान बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी ये सब सोच सोच विक्रम का दिल रो रहा था और साथ ही साथ उसे एक बात और हैरान कर रही थीं कि वो अजय के परिवार की जादुई तलवार कैसे उठा सकता हैं जबकि वो परिवार तो सिर्फ उसके ही परिवार के लोग उठा सकते हैं! उनके अलावा कोई और छुए तो मौत निश्चित हैं! इन्ही सब दुविधाओ में घिरा हुआ वो उदयगढ़ की सीमा में घुस गया और थोड़ी ही देर में पूरे राज्य में राजमाता गायत्री देवी और अजय की मौत की खबर फैल गई और जनता बाहर महल के चारो तरफ इकट्ठा हो गई और सभी गायत्री देवी और अजय की मौत का शोक मानने लगे और जनता बार बार चिल्लाकर चिल्ला कर शक्ति सिंह को उसके हवाले करने की बात कर रही थी!

मेनका के जैसे ही अजय के शहीद होने की खबर मिली तो वो बेहोश हो गई और काफी कोशिश के बाद उसे होश आया तो दहाड़े मार मार कर रोने लगी और विक्रम उसे बार बार दिलाशा देता रहा लेकिन मां की ममता भला कैसे अपने आपको रोक पाती और मेनका बार बार बेहोश होती रही! अगले दिन सुबह तक ये बात आस पास के राज्य में पहुंच गई और जैसे ही सीमा और सलमा को पता चला तो दोनो रो पड़ी और जैसे तैसे करके सलमा ने सीमा को संभाला और सीमा के लिए उदयगढ़ जाने का प्रबंध किया! सलमा का भी बड़ा मन था लेकिन जब्बार के पहले और बंदिशों के चलते वो मजबूर थी लेकिन सीमा उदयगढ़ पहुंच गई थी! करीब 11 बजे के आस पास अजय और गायत्री देवी की लाश को अग्नि दी गई और अग्नि से ज्यादा लोगो की आंखे गुस्से से जल रही थी और उनमें से ही दो आंखे सीमा की भी थी जिनके आंसू अब सूख गए थे और उनमें से सुर्ख चिंगारी निकल रही थी! उसने कसम खाई कि जब तक वो अजय के हत्यारों को मौत की नींद नही सुला देगी चैन से नहीं बैठेगी!!
Nice update
 
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HsJAAT

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nice update
matbal vikram aur menka ka aapas mai koi rista hai ya vikram ajay ka hee bhai hai
Waiting for next update unique bhai
 
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Behad shandar update he Unique star Bhai,

Shakti ne dhoka diya he................lekin kyun..............iska khulasa abhi tak nahi hua

Ajay ke sath sath rajmata ki bhi hatya kar di jabbar aur pindario ne..............

Lekin vikram ne ajay ki khandani talwar ko utha kaise liya...............kahi vikram aur ajay dono sage bhai to nahi he............

Ab iska aaj bhi menka hi khol sakti he..............

Agli update ke liye jyada pratiksha nahi karwana Bhai

विक्रम के तलवार उठाने से एक बात तो साफ हैं कि उसका मेनका के परिवार से कुछ रिश्ता जरूर हैं! आगे देखो कहानी में क्या रंग आता हैं! कोशिश हैं कि जल्दी ही एक और अपडेट देने की! सभी लोग साथ में बने रहिए
 

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राजमाता और अजय की मौत के दुख में उदयगढ़ में चूल्हे नही चढ़े और प्रजा गुस्से से भरी हुई थी और शक्ति सिंह को नगर के बीचों बीच फांसी देने की मांग कर रही थी और विक्रम ने उनकी मांग को पूरा किया और अगले ही दिन शक्ति सिंह को नगर के बीच चौराहे पर फांसी दे दी गई! शक्ति सिंह की विधवा बीवी और बच्चो ने उसका शव लेने से मना कर दिया और उसकी लाश को पहाड़ी पर से लावारिश की तरह ही फेंक दिया गया!

करीब एक हफ्ते तक राजकीय शोक चलता रहा और आखिर में उदयगढ़ के सलाहकार ने विक्रम को सलाह दी :"

" युवराज क्षमा करना लेकिन ये शोक का समय नही हैं! राजमाता और अजय की मौत का सारे राज्य की बेहद दुख हैं लेकिन हमे हर हाल में खुद को संभाल कर उनकी मौत का बदला लेना ही होगा!

विक्रम ने अपने आंसू साफ किए और बोला:" मैने तो अपना सब कुछ ही खो दिया है और मुझे अब मौत की कोई परवाह नही है! जब तक मैं राजमाता और अजय की मौत का बदला नही लूंगा चैन से नही बैठने वाला!

सलाहकार:" ठीक हैं महाराज! आप कल से राज्य सभा और मंत्री दल की बैठक में सारी योजना बनायेगें!

इतना कहकर सलाहकार चला गया और विक्रम ने अजय के घर जाने का फैसला किया ताकि वो उसकी माता मेनका को हिम्मत दे सके! विक्रम मेनका के घर पर पहुंचा तो घर का दरवाजा खुला हुआ मिला और मेनका वही पास में ही फर्श पर पड़ी हुई मिली जिसकी आंखे आंसुओं से भीगी हुई थी! विक्रम के कदमों की आहत सुनकर वो खड़ी हो गई और उसकी आंखो से आंसू बहते रहे तो विक्रम को उस पर दया आई और बोला:"

" देखिए मैं आपका दुख समझ सकता हु लेकिन आपको फख्र होना चाहिए कि आप एक वीर और बहादुर बेटे की मां हो जिस पर पूरा राज्य अभिमान कर रहा हैं!

मेनका की रुलाई फुट गई और दोनो हाथों से अपना चेहरा ढककर रोने लगी तो विक्रम ने हिम्मत करके उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया और बोला:"

" एक वीर योद्धा की माता की आंखो में आंसू शोभा नही देते! हमने भी तो अपनी माता गायत्री देवी को खोया हैं लेकिन हमारी आंखों में आंसू नहीं बल्कि दिल में प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही है और ये ज्वाला उसी दिन ठंडी शांत जब हम अजय की हत्या का बदला ले लेंगे! आप एक वीरांगना हैं और वीरांगना के हाथो में तलवार होती हैं आंखो में आंसू तो बिलकुल भी नहीं !

विक्रम की बात सुनकर मेनका को याद आया कि उसने भी तो अपनी मां को खो दिया है तो उसके दिल में सहानुभूति उमड़ आई और अपने आंसू साफ करते हुए बोली:" हम आपका दुख समझ सकते हैं युवराज क्योंकि आप और मैं दोनो एक जैसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं! लेकिन मुझे एक बात समझ नही आ रही है कि तलवार होने के बाद भी अजय को कैसे मार दिया गया ?

विक्रम ने लंबी आह भरी और दुखी स्वर के साथ बोला:" हम लोग एक षडयंत्र का शिकार हुए! राजमाता बचाने के लिए हम लड़े और जान बूझकर जब्बार और पिंडारियो ने मुझ पर हमला किया और पहले से ही बनाए गए गड्डे में मेरा पैरा फंसा और मेरे हाथ से तलवार गिर पड़ी तो मैं ढाल से लड़ता रहा और उनकी सारी चाल समझ गया और अजय को बताए कि तलवार अपने हाथ मे रखे लेकिन मुझे मुश्किल में जानकर अजय मेरी तरफ मुझे बचाने के लिए बढ़ा और अंत मे उसने मेरी मौत निश्चित जानकर मेरी तरफ तलवार का वार करने वाले को अपनी तलवार फेंक कर मार डाला और उसके बाद सब ने निहत्थे अजय पर वार किया और मैं लाख कोशिश करने के बाद भी उसे नही बचा सका!

इतना कहकर विक्रम की आंखो में आंसू आ गए और मेनका भी रुंधे गले के साथ बोली:"

" मेरे बेटे ने भी अपने अपने पिता की तरह अपने राज धर्म का पालन करते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया!

थोड़ी देर चुप्पी छाई रही और दोनो ही अपने अपने आंसू रोकने का प्रयास करते रहे और मेरी विक्रम बोला:"

" मैने तो मान ही लिया था कि आज मेरी भी मृत्यु निश्चित हैं और मेरा शरीर जख्मी हो गया था लेकिन फिर जो हुआ वो अविश्वसनीय था!

मेनका ने उसकी तरफ देखा और बोली:" ऐसा क्या हुआ युवराज?

विक्रम:" मृत्यु को निश्चित जानकर मैने अपने पास पड़ी हुई अजय की तलवार को हाथ में उठा लिया और सब दुश्मनों पर टूट पड़ा!

मेनका का मुंह खुला का खुला रह गया और उसकी आंखे आश्चर्य से फैल गई और बोली:" असंभव, ऐसा होना नामुकिन हैं क्योंकि हाथ लगाते ही मौत निश्चित है!

विक्रम ने अपने हाथ को अपनी कमर के पीछे किया और अब उसके हाथ में वही अजय की जादुई तलवार थी और मेनका को दिखाते हुए बोला:"

" ये देखिए आप! यही वो आपकी तलवार हैं और मुझे खुद यकीन नही हो रहा है कि मैं इसे कैसे उठा सकता हूं ?

मेनका ने उसकी हाथ में थमी हुई तलवार को देखा और उसकी आंखो में सारी दुनिया का आश्चर्य था और ध्यान से तलवार को देखती हुई बोली:"

" सचमुच ये तो हमारी ही तलवार हैं लेकिन आपके हाथ मे कैसे आ सकती हैं मुझे खुद समझ नही आ रहा है!

विक्रम ने तलवार को चूम लिया और बोला:" आज इसी तलवार की वजह से मैं जिंदा हु क्योंकि अगर ये तलवार नही होती तो मेरी मृत्यु निश्चित थी!

" ईश्वर का धन्यवाद जो आप जिंदा है नही तो प्रजा बेचारी अनाथ हो जाती! ईश्वर आपको हमेशा खुश रखे!

मेनका के स्वर में अब थोड़ी बैचैनी आ गई थी और उसे पता नही क्यों विक्रम बिलकुल अपने जैसा ही लग रहा था और उसके दिल से उसके लिए करोड़ों दुआएं निकल रही थी!

विक्रम:" आप अपना ध्यान रखिए और किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बताएगा!

मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप अपना सिर हिला दिया तो विक्रम बोला:"

" अच्छा ये अपनी अमानत आप रख लीजिए!

इतना कहकर विक्रम ने तलवार को मेनका की तरफ बढ़ाया तो मेनका ने तलवार को हाथ में लिया और फिर से उसे वापिस विक्रम को देती हुई हुई:"

" आज से आप ही इसके वारिस हैं युवराज! आपका कर्तव्य होगा कि आप पूरे राज्य और नागरिकों की रक्षा करे!

इतना कहकर पता नहीं किस भवावेश में आकर मेनका ने विक्रम का माथा चूम लिया और विक्रम ने तलवार को हाथ में लिया और बोला:"

" आपकी सौगंध खाता हु बहुत जल्दी ही जब्बार और पिंडाला की लाशे आपके कदमों में पड़ी हुई मिलेगी या फिर मेरी लाश!

विक्रम की बात सुनकर मेनका का दिल भर आया और उसके होंठो पर हाथ रखकर बोली:

" ऐसे अशुभ बाते मुंह से नही निकालते युवराज! ईश्वर आपको मेरी भी उम्र प्रदान करे!

विक्रम के दिल में भी मेनका के लिए हमदर्दी आ गई थी और बोला:" अच्छा मैं अब चलता हु मुझे कुछ दूसरे काम भी पूरे करने हैं! मैं बीच बीच में आता रहूंगा! किसी भी चीज की जरूरत हो तो आप निसंकोच मुझे कहिएगा!

इतना कहकर विक्रम चला गया और मेनका उसे जाते हुए देखती रही! मेनका को अभी तक यकीन नहीं हो रहा था कि विक्रम उनकी तलवार को कैसे उठा सकता था! क्या ये कोई करिश्मा है या कुछ ऐसी घटना जो उससे छुपाई गई हो! मेनका ने सोच लिया था कि वो जरूर इस सच्चाई का पता लगाकर रहेगी!

दूसरी तरफ मेनका से मिलने के बाद विक्रम सुलतान के हाल चाल पूछने उनके पास गया और जैसे ही अजय और राजमाता की मौत की खबर मिली तो उन्हे बेहक अफसोस हुआ और बोले:"

" ये सब शायद मेरी वजह से हुआ है विक्रम! ना आप मुझे बचाकर लाते और ना ही वो आपसे बदला लेने के लिए ऐसा करते!

विक्रम ने सुलतान का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला:" आप इसके खुद को दोष मत दीजिए! ईश्वर की इच्छा के आगे किसी की नही चलती! एक पूरी खबर है कि पूरी तरह से सुल्तानपुर पर जब्बार का कब्जा हो गया है!

सुलतान थोड़ा चिंतित दिखाए दिए और बोले:" जब्बार को तो मैं ऐसी मौत मारूंगा कि उसकी रूह भी कांप उठेगी बस एक बार मैं पूरी तरह से ठीक हो जाऊ!

विक्रम की आंखे हो गई और गुस्से से बोला:" आप मुझे वचन दीजिए कि आप जब्बार को नही मारेंगे! वो अब मेरा शिकार हैं !

सुलतान ने सहमति में सिर हिलाया और बोला:" सल्तनत मे अभी भी मेरे कई सारे वफादार है और मेरे जिंदा होने की खबर से ही सारी प्रजा मेरे साथ आ जायेगी! किसी तरह हम सलीम को सही दिशा में लाना होगा!

विक्रम: आप फिक्र मत कीजिए! मैं जल्दी ही खुद सुल्तानपुर जाऊंगा और एक फिर हालात का अच्छे से जायजा लूंगा और आपको सब बाते बताऊंगा! तब तक आप आराम कीजिए और अपना ख्याल रखिएगा! मैं फिर से आऊंगा!

इतना कहकर विक्रम बाहर निकल आया और वैद्य जी से मिला और बोला:"

" वैद्य जी सुलतान आपके घर में हैं ये बात आप और मैं जानते हैं! किसी तीसरे आदमी को पता चला तो आप इसका परिणाम खुद सोच लेना!

वैद्य:" आप निश्चित रहे युवराज! मरने के बाद भी मेरी जुबान बंद ही रहेगी!

विक्रम ने वैद्य का कंधा थपथपाया और फिर बाहर निकल गया और महल में पहुंच कर देखा कि कबूतर शहजादी सलमा का खत लिए हुए था और युवराज ने उसे पढ़ा"

" मेरे प्रियतम विक्रम"

अजय और राजमाता की मौत ने मुझे बुरी तरह से अंदर से झकझोर दिया है और मैं अंदाजा लगा सकती हू कि आप पर इस समय क्या बीत रही होगी! यहां सुल्तानपुर में भी हालत बेहद खराब हैं और जब्बार ने पूरी तरह से मेरे और अम्मी के बाहर निकलने पर रोक लगा दी है तो मैं चाह कर भी आपसे नही मिल पा रही हूं! आप इस मुश्किल समय में खुद को संभालिए! मेरे अब्बा सुलतान का भी ख्याल रखिएगा!

मैं कल से रोज रात में 12 बजे गुप्त द्वार के अंतिम छोर पर 5 मिनट आपकी प्रतीक्षा किया करूंगी! आशा है आप जल्दी ही मौका देखकर मुझसे मिलने आयेंगे!

" आपकी शहजादी सलमा"

खत पढ़कर विक्रम को एहसास हुआ कि पिछले कुछ दिनो में वो शहजादी को तो पूरी तरह से भूल ही गया था! विक्रम ने मन ही मन फैसला किया कि वो जल्दी ही अच्छा देखकर एक बार सुलतानपुर जायेगा!


वहीं दूसरी तरफ पिंडाला और जब्बार दोनो बैठे हुए थे और जब्बार बोला:"

" हमारी सारी बनी बनाई योजना पर पानी फिर गया! साला एक बात समझ नही आई कि अजय के परिवार की तलवार विक्रम ने कैसे उठा ली?

पिंडाला उसे घूरते हुए बोला:" तुम चुप ही रहो! सब तुम्हारी योजना थी और मेरे कई आदमी मारे गए उसका क्या!

जब्बार:" मुझे भी बेहद अफसोस हैं और सबसे बड़ी बात हमारा सबसे बड़ा मोहरा शक्ति सिंह भी मारा गया!

पिंडाला:" उसकी मौत तो वैसे भी निश्चित थी क्योंकि वो बच भी जाता तो मेरे हाथ मारा जाता क्योंकि गद्दार कभी विश्वास के लायक नही होते!

जब्बार:" ये बात भी ठीक है क्योंकि हमने उसे राजा बनाने का सिर्फ लालच दिया था कोई सच में थोड़े ही बनाने वाले थे! लेकिन मुझे वही बात हैरान कर रही है कि विक्रम ने तलवार कैसे उठा ली नही तो उस दिन ही सब काम एक साथ खत्म हो जाते!

पिंडाला:" अबे सीधी सी बात है कि जरूर उसका अजय के परिवार से कोई रिश्ता रहा होगा! ये बात अगर सच है तो खतरा निश्चित रूप से बड़ा रूप लेगा!

जब्बार:" मैं भी वही सोच रहा हूं और जल्दी ही हमे इससे मुक्ति पानी होगी क्योंकि सुलतान कभी भी सामने आ सकता है और उसे देखकर प्रजा बगावत कर सकती हैं जो हमारे लिए ठीक नहीं होगा!


पिंडाला:" चल वो सब बाद में देखेंगे! रात के लिए लड़की का इंतजाम कब तक होगा! मुझे अब सब्र नहीं हो रहा है!

जब्बार:" सैनिक गए हुए हैं और आने ही वाले होंगे!

दोनो की बाते चलती रही और करीब 15 मिनट बाद पिंडाला के कमरे में एक लड़की को भेज दिया और पिंडाला ने बड़ी बेदर्दी से उसे पूरी रात जानवर की तरह रौंदा और बेचारी मासूम लड़की ने तड़प तड़प कर दम तोड दिया!
 

park

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राजमाता और अजय की मौत के दुख में उदयगढ़ में चूल्हे नही चढ़े और प्रजा गुस्से से भरी हुई थी और शक्ति सिंह को नगर के बीचों बीच फांसी देने की मांग कर रही थी और विक्रम ने उनकी मांग को पूरा किया और अगले ही दिन शक्ति सिंह को नगर के बीच चौराहे पर फांसी दे दी गई! शक्ति सिंह की विधवा बीवी और बच्चो ने उसका शव लेने से मना कर दिया और उसकी लाश को पहाड़ी पर से लावारिश की तरह ही फेंक दिया गया!

करीब एक हफ्ते तक राजकीय शोक चलता रहा और आखिर में उदयगढ़ के सलाहकार ने विक्रम को सलाह दी :"

" युवराज क्षमा करना लेकिन ये शोक का समय नही हैं! राजमाता और अजय की मौत का सारे राज्य की बेहद दुख हैं लेकिन हमे हर हाल में खुद को संभाल कर उनकी मौत का बदला लेना ही होगा!

विक्रम ने अपने आंसू साफ किए और बोला:" मैने तो अपना सब कुछ ही खो दिया है और मुझे अब मौत की कोई परवाह नही है! जब तक मैं राजमाता और अजय की मौत का बदला नही लूंगा चैन से नही बैठने वाला!

सलाहकार:" ठीक हैं महाराज! आप कल से राज्य सभा और मंत्री दल की बैठक में सारी योजना बनायेगें!

इतना कहकर सलाहकार चला गया और विक्रम ने अजय के घर जाने का फैसला किया ताकि वो उसकी माता मेनका को हिम्मत दे सके! विक्रम मेनका के घर पर पहुंचा तो घर का दरवाजा खुला हुआ मिला और मेनका वही पास में ही फर्श पर पड़ी हुई मिली जिसकी आंखे आंसुओं से भीगी हुई थी! विक्रम के कदमों की आहत सुनकर वो खड़ी हो गई और उसकी आंखो से आंसू बहते रहे तो विक्रम को उस पर दया आई और बोला:"

" देखिए मैं आपका दुख समझ सकता हु लेकिन आपको फख्र होना चाहिए कि आप एक वीर और बहादुर बेटे की मां हो जिस पर पूरा राज्य अभिमान कर रहा हैं!

मेनका की रुलाई फुट गई और दोनो हाथों से अपना चेहरा ढककर रोने लगी तो विक्रम ने हिम्मत करके उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया और बोला:"

" एक वीर योद्धा की माता की आंखो में आंसू शोभा नही देते! हमने भी तो अपनी माता गायत्री देवी को खोया हैं लेकिन हमारी आंखों में आंसू नहीं बल्कि दिल में प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही है और ये ज्वाला उसी दिन ठंडी शांत जब हम अजय की हत्या का बदला ले लेंगे! आप एक वीरांगना हैं और वीरांगना के हाथो में तलवार होती हैं आंखो में आंसू तो बिलकुल भी नहीं !

विक्रम की बात सुनकर मेनका को याद आया कि उसने भी तो अपनी मां को खो दिया है तो उसके दिल में सहानुभूति उमड़ आई और अपने आंसू साफ करते हुए बोली:" हम आपका दुख समझ सकते हैं युवराज क्योंकि आप और मैं दोनो एक जैसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं! लेकिन मुझे एक बात समझ नही आ रही है कि तलवार होने के बाद भी अजय को कैसे मार दिया गया ?

विक्रम ने लंबी आह भरी और दुखी स्वर के साथ बोला:" हम लोग एक षडयंत्र का शिकार हुए! राजमाता बचाने के लिए हम लड़े और जान बूझकर जब्बार और पिंडारियो ने मुझ पर हमला किया और पहले से ही बनाए गए गड्डे में मेरा पैरा फंसा और मेरे हाथ से तलवार गिर पड़ी तो मैं ढाल से लड़ता रहा और उनकी सारी चाल समझ गया और अजय को बताए कि तलवार अपने हाथ मे रखे लेकिन मुझे मुश्किल में जानकर अजय मेरी तरफ मुझे बचाने के लिए बढ़ा और अंत मे उसने मेरी मौत निश्चित जानकर मेरी तरफ तलवार का वार करने वाले को अपनी तलवार फेंक कर मार डाला और उसके बाद सब ने निहत्थे अजय पर वार किया और मैं लाख कोशिश करने के बाद भी उसे नही बचा सका!

इतना कहकर विक्रम की आंखो में आंसू आ गए और मेनका भी रुंधे गले के साथ बोली:"

" मेरे बेटे ने भी अपने अपने पिता की तरह अपने राज धर्म का पालन करते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया!

थोड़ी देर चुप्पी छाई रही और दोनो ही अपने अपने आंसू रोकने का प्रयास करते रहे और मेरी विक्रम बोला:"

" मैने तो मान ही लिया था कि आज मेरी भी मृत्यु निश्चित हैं और मेरा शरीर जख्मी हो गया था लेकिन फिर जो हुआ वो अविश्वसनीय था!

मेनका ने उसकी तरफ देखा और बोली:" ऐसा क्या हुआ युवराज?

विक्रम:" मृत्यु को निश्चित जानकर मैने अपने पास पड़ी हुई अजय की तलवार को हाथ में उठा लिया और सब दुश्मनों पर टूट पड़ा!

मेनका का मुंह खुला का खुला रह गया और उसकी आंखे आश्चर्य से फैल गई और बोली:" असंभव, ऐसा होना नामुकिन हैं क्योंकि हाथ लगाते ही मौत निश्चित है!

विक्रम ने अपने हाथ को अपनी कमर के पीछे किया और अब उसके हाथ में वही अजय की जादुई तलवार थी और मेनका को दिखाते हुए बोला:"

" ये देखिए आप! यही वो आपकी तलवार हैं और मुझे खुद यकीन नही हो रहा है कि मैं इसे कैसे उठा सकता हूं ?

मेनका ने उसकी हाथ में थमी हुई तलवार को देखा और उसकी आंखो में सारी दुनिया का आश्चर्य था और ध्यान से तलवार को देखती हुई बोली:"

" सचमुच ये तो हमारी ही तलवार हैं लेकिन आपके हाथ मे कैसे आ सकती हैं मुझे खुद समझ नही आ रहा है!

विक्रम ने तलवार को चूम लिया और बोला:" आज इसी तलवार की वजह से मैं जिंदा हु क्योंकि अगर ये तलवार नही होती तो मेरी मृत्यु निश्चित थी!

" ईश्वर का धन्यवाद जो आप जिंदा है नही तो प्रजा बेचारी अनाथ हो जाती! ईश्वर आपको हमेशा खुश रखे!

मेनका के स्वर में अब थोड़ी बैचैनी आ गई थी और उसे पता नही क्यों विक्रम बिलकुल अपने जैसा ही लग रहा था और उसके दिल से उसके लिए करोड़ों दुआएं निकल रही थी!

विक्रम:" आप अपना ध्यान रखिए और किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बताएगा!

मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप अपना सिर हिला दिया तो विक्रम बोला:"

" अच्छा ये अपनी अमानत आप रख लीजिए!

इतना कहकर विक्रम ने तलवार को मेनका की तरफ बढ़ाया तो मेनका ने तलवार को हाथ में लिया और फिर से उसे वापिस विक्रम को देती हुई हुई:"

" आज से आप ही इसके वारिस हैं युवराज! आपका कर्तव्य होगा कि आप पूरे राज्य और नागरिकों की रक्षा करे!

इतना कहकर पता नहीं किस भवावेश में आकर मेनका ने विक्रम का माथा चूम लिया और विक्रम ने तलवार को हाथ में लिया और बोला:"

" आपकी सौगंध खाता हु बहुत जल्दी ही जब्बार और पिंडाला की लाशे आपके कदमों में पड़ी हुई मिलेगी या फिर मेरी लाश!

विक्रम की बात सुनकर मेनका का दिल भर आया और उसके होंठो पर हाथ रखकर बोली:

" ऐसे अशुभ बाते मुंह से नही निकालते युवराज! ईश्वर आपको मेरी भी उम्र प्रदान करे!

विक्रम के दिल में भी मेनका के लिए हमदर्दी आ गई थी और बोला:" अच्छा मैं अब चलता हु मुझे कुछ दूसरे काम भी पूरे करने हैं! मैं बीच बीच में आता रहूंगा! किसी भी चीज की जरूरत हो तो आप निसंकोच मुझे कहिएगा!

इतना कहकर विक्रम चला गया और मेनका उसे जाते हुए देखती रही! मेनका को अभी तक यकीन नहीं हो रहा था कि विक्रम उनकी तलवार को कैसे उठा सकता था! क्या ये कोई करिश्मा है या कुछ ऐसी घटना जो उससे छुपाई गई हो! मेनका ने सोच लिया था कि वो जरूर इस सच्चाई का पता लगाकर रहेगी!

दूसरी तरफ मेनका से मिलने के बाद विक्रम सुलतान के हाल चाल पूछने उनके पास गया और जैसे ही अजय और राजमाता की मौत की खबर मिली तो उन्हे बेहक अफसोस हुआ और बोले:"

" ये सब शायद मेरी वजह से हुआ है विक्रम! ना आप मुझे बचाकर लाते और ना ही वो आपसे बदला लेने के लिए ऐसा करते!

विक्रम ने सुलतान का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला:" आप इसके खुद को दोष मत दीजिए! ईश्वर की इच्छा के आगे किसी की नही चलती! एक पूरी खबर है कि पूरी तरह से सुल्तानपुर पर जब्बार का कब्जा हो गया है!

सुलतान थोड़ा चिंतित दिखाए दिए और बोले:" जब्बार को तो मैं ऐसी मौत मारूंगा कि उसकी रूह भी कांप उठेगी बस एक बार मैं पूरी तरह से ठीक हो जाऊ!

विक्रम की आंखे हो गई और गुस्से से बोला:" आप मुझे वचन दीजिए कि आप जब्बार को नही मारेंगे! वो अब मेरा शिकार हैं !

सुलतान ने सहमति में सिर हिलाया और बोला:" सल्तनत मे अभी भी मेरे कई सारे वफादार है और मेरे जिंदा होने की खबर से ही सारी प्रजा मेरे साथ आ जायेगी! किसी तरह हम सलीम को सही दिशा में लाना होगा!

विक्रम: आप फिक्र मत कीजिए! मैं जल्दी ही खुद सुल्तानपुर जाऊंगा और एक फिर हालात का अच्छे से जायजा लूंगा और आपको सब बाते बताऊंगा! तब तक आप आराम कीजिए और अपना ख्याल रखिएगा! मैं फिर से आऊंगा!

इतना कहकर विक्रम बाहर निकल आया और वैद्य जी से मिला और बोला:"

" वैद्य जी सुलतान आपके घर में हैं ये बात आप और मैं जानते हैं! किसी तीसरे आदमी को पता चला तो आप इसका परिणाम खुद सोच लेना!

वैद्य:" आप निश्चित रहे युवराज! मरने के बाद भी मेरी जुबान बंद ही रहेगी!

विक्रम ने वैद्य का कंधा थपथपाया और फिर बाहर निकल गया और महल में पहुंच कर देखा कि कबूतर शहजादी सलमा का खत लिए हुए था और युवराज ने उसे पढ़ा"

" मेरे प्रियतम विक्रम"

अजय और राजमाता की मौत ने मुझे बुरी तरह से अंदर से झकझोर दिया है और मैं अंदाजा लगा सकती हू कि आप पर इस समय क्या बीत रही होगी! यहां सुल्तानपुर में भी हालत बेहद खराब हैं और जब्बार ने पूरी तरह से मेरे और अम्मी के बाहर निकलने पर रोक लगा दी है तो मैं चाह कर भी आपसे नही मिल पा रही हूं! आप इस मुश्किल समय में खुद को संभालिए! मेरे अब्बा सुलतान का भी ख्याल रखिएगा!

मैं कल से रोज रात में 12 बजे गुप्त द्वार के अंतिम छोर पर 5 मिनट आपकी प्रतीक्षा किया करूंगी! आशा है आप जल्दी ही मौका देखकर मुझसे मिलने आयेंगे!

" आपकी शहजादी सलमा"

खत पढ़कर विक्रम को एहसास हुआ कि पिछले कुछ दिनो में वो शहजादी को तो पूरी तरह से भूल ही गया था! विक्रम ने मन ही मन फैसला किया कि वो जल्दी ही अच्छा देखकर एक बार सुलतानपुर जायेगा!


वहीं दूसरी तरफ पिंडाला और जब्बार दोनो बैठे हुए थे और जब्बार बोला:"

" हमारी सारी बनी बनाई योजना पर पानी फिर गया! साला एक बात समझ नही आई कि अजय के परिवार की तलवार विक्रम ने कैसे उठा ली?

पिंडाला उसे घूरते हुए बोला:" तुम चुप ही रहो! सब तुम्हारी योजना थी और मेरे कई आदमी मारे गए उसका क्या!

जब्बार:" मुझे भी बेहद अफसोस हैं और सबसे बड़ी बात हमारा सबसे बड़ा मोहरा शक्ति सिंह भी मारा गया!

पिंडाला:" उसकी मौत तो वैसे भी निश्चित थी क्योंकि वो बच भी जाता तो मेरे हाथ मारा जाता क्योंकि गद्दार कभी विश्वास के लायक नही होते!

जब्बार:" ये बात भी ठीक है क्योंकि हमने उसे राजा बनाने का सिर्फ लालच दिया था कोई सच में थोड़े ही बनाने वाले थे! लेकिन मुझे वही बात हैरान कर रही है कि विक्रम ने तलवार कैसे उठा ली नही तो उस दिन ही सब काम एक साथ खत्म हो जाते!

पिंडाला:" अबे सीधी सी बात है कि जरूर उसका अजय के परिवार से कोई रिश्ता रहा होगा! ये बात अगर सच है तो खतरा निश्चित रूप से बड़ा रूप लेगा!

जब्बार:" मैं भी वही सोच रहा हूं और जल्दी ही हमे इससे मुक्ति पानी होगी क्योंकि सुलतान कभी भी सामने आ सकता है और उसे देखकर प्रजा बगावत कर सकती हैं जो हमारे लिए ठीक नहीं होगा!


पिंडाला:" चल वो सब बाद में देखेंगे! रात के लिए लड़की का इंतजाम कब तक होगा! मुझे अब सब्र नहीं हो रहा है!

जब्बार:" सैनिक गए हुए हैं और आने ही वाले होंगे!

दोनो की बाते चलती रही और करीब 15 मिनट बाद पिंडाला के कमरे में एक लड़की को भेज दिया और पिंडाला ने बड़ी बेदर्दी से उसे पूरी रात जानवर की तरह रौंदा और बेचारी मासूम लड़की ने तड़प तड़प कर दम तोड दिया!
Nice and superb update....
 
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Motaland2468

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राजमाता और अजय की मौत के दुख में उदयगढ़ में चूल्हे नही चढ़े और प्रजा गुस्से से भरी हुई थी और शक्ति सिंह को नगर के बीचों बीच फांसी देने की मांग कर रही थी और विक्रम ने उनकी मांग को पूरा किया और अगले ही दिन शक्ति सिंह को नगर के बीच चौराहे पर फांसी दे दी गई! शक्ति सिंह की विधवा बीवी और बच्चो ने उसका शव लेने से मना कर दिया और उसकी लाश को पहाड़ी पर से लावारिश की तरह ही फेंक दिया गया!

करीब एक हफ्ते तक राजकीय शोक चलता रहा और आखिर में उदयगढ़ के सलाहकार ने विक्रम को सलाह दी :"

" युवराज क्षमा करना लेकिन ये शोक का समय नही हैं! राजमाता और अजय की मौत का सारे राज्य की बेहद दुख हैं लेकिन हमे हर हाल में खुद को संभाल कर उनकी मौत का बदला लेना ही होगा!

विक्रम ने अपने आंसू साफ किए और बोला:" मैने तो अपना सब कुछ ही खो दिया है और मुझे अब मौत की कोई परवाह नही है! जब तक मैं राजमाता और अजय की मौत का बदला नही लूंगा चैन से नही बैठने वाला!

सलाहकार:" ठीक हैं महाराज! आप कल से राज्य सभा और मंत्री दल की बैठक में सारी योजना बनायेगें!

इतना कहकर सलाहकार चला गया और विक्रम ने अजय के घर जाने का फैसला किया ताकि वो उसकी माता मेनका को हिम्मत दे सके! विक्रम मेनका के घर पर पहुंचा तो घर का दरवाजा खुला हुआ मिला और मेनका वही पास में ही फर्श पर पड़ी हुई मिली जिसकी आंखे आंसुओं से भीगी हुई थी! विक्रम के कदमों की आहत सुनकर वो खड़ी हो गई और उसकी आंखो से आंसू बहते रहे तो विक्रम को उस पर दया आई और बोला:"

" देखिए मैं आपका दुख समझ सकता हु लेकिन आपको फख्र होना चाहिए कि आप एक वीर और बहादुर बेटे की मां हो जिस पर पूरा राज्य अभिमान कर रहा हैं!

मेनका की रुलाई फुट गई और दोनो हाथों से अपना चेहरा ढककर रोने लगी तो विक्रम ने हिम्मत करके उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया और बोला:"

" एक वीर योद्धा की माता की आंखो में आंसू शोभा नही देते! हमने भी तो अपनी माता गायत्री देवी को खोया हैं लेकिन हमारी आंखों में आंसू नहीं बल्कि दिल में प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही है और ये ज्वाला उसी दिन ठंडी शांत जब हम अजय की हत्या का बदला ले लेंगे! आप एक वीरांगना हैं और वीरांगना के हाथो में तलवार होती हैं आंखो में आंसू तो बिलकुल भी नहीं !

विक्रम की बात सुनकर मेनका को याद आया कि उसने भी तो अपनी मां को खो दिया है तो उसके दिल में सहानुभूति उमड़ आई और अपने आंसू साफ करते हुए बोली:" हम आपका दुख समझ सकते हैं युवराज क्योंकि आप और मैं दोनो एक जैसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं! लेकिन मुझे एक बात समझ नही आ रही है कि तलवार होने के बाद भी अजय को कैसे मार दिया गया ?

विक्रम ने लंबी आह भरी और दुखी स्वर के साथ बोला:" हम लोग एक षडयंत्र का शिकार हुए! राजमाता बचाने के लिए हम लड़े और जान बूझकर जब्बार और पिंडारियो ने मुझ पर हमला किया और पहले से ही बनाए गए गड्डे में मेरा पैरा फंसा और मेरे हाथ से तलवार गिर पड़ी तो मैं ढाल से लड़ता रहा और उनकी सारी चाल समझ गया और अजय को बताए कि तलवार अपने हाथ मे रखे लेकिन मुझे मुश्किल में जानकर अजय मेरी तरफ मुझे बचाने के लिए बढ़ा और अंत मे उसने मेरी मौत निश्चित जानकर मेरी तरफ तलवार का वार करने वाले को अपनी तलवार फेंक कर मार डाला और उसके बाद सब ने निहत्थे अजय पर वार किया और मैं लाख कोशिश करने के बाद भी उसे नही बचा सका!

इतना कहकर विक्रम की आंखो में आंसू आ गए और मेनका भी रुंधे गले के साथ बोली:"

" मेरे बेटे ने भी अपने अपने पिता की तरह अपने राज धर्म का पालन करते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया!

थोड़ी देर चुप्पी छाई रही और दोनो ही अपने अपने आंसू रोकने का प्रयास करते रहे और मेरी विक्रम बोला:"

" मैने तो मान ही लिया था कि आज मेरी भी मृत्यु निश्चित हैं और मेरा शरीर जख्मी हो गया था लेकिन फिर जो हुआ वो अविश्वसनीय था!

मेनका ने उसकी तरफ देखा और बोली:" ऐसा क्या हुआ युवराज?

विक्रम:" मृत्यु को निश्चित जानकर मैने अपने पास पड़ी हुई अजय की तलवार को हाथ में उठा लिया और सब दुश्मनों पर टूट पड़ा!

मेनका का मुंह खुला का खुला रह गया और उसकी आंखे आश्चर्य से फैल गई और बोली:" असंभव, ऐसा होना नामुकिन हैं क्योंकि हाथ लगाते ही मौत निश्चित है!

विक्रम ने अपने हाथ को अपनी कमर के पीछे किया और अब उसके हाथ में वही अजय की जादुई तलवार थी और मेनका को दिखाते हुए बोला:"

" ये देखिए आप! यही वो आपकी तलवार हैं और मुझे खुद यकीन नही हो रहा है कि मैं इसे कैसे उठा सकता हूं ?

मेनका ने उसकी हाथ में थमी हुई तलवार को देखा और उसकी आंखो में सारी दुनिया का आश्चर्य था और ध्यान से तलवार को देखती हुई बोली:"

" सचमुच ये तो हमारी ही तलवार हैं लेकिन आपके हाथ मे कैसे आ सकती हैं मुझे खुद समझ नही आ रहा है!

विक्रम ने तलवार को चूम लिया और बोला:" आज इसी तलवार की वजह से मैं जिंदा हु क्योंकि अगर ये तलवार नही होती तो मेरी मृत्यु निश्चित थी!

" ईश्वर का धन्यवाद जो आप जिंदा है नही तो प्रजा बेचारी अनाथ हो जाती! ईश्वर आपको हमेशा खुश रखे!

मेनका के स्वर में अब थोड़ी बैचैनी आ गई थी और उसे पता नही क्यों विक्रम बिलकुल अपने जैसा ही लग रहा था और उसके दिल से उसके लिए करोड़ों दुआएं निकल रही थी!

विक्रम:" आप अपना ध्यान रखिए और किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बताएगा!

मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप अपना सिर हिला दिया तो विक्रम बोला:"

" अच्छा ये अपनी अमानत आप रख लीजिए!

इतना कहकर विक्रम ने तलवार को मेनका की तरफ बढ़ाया तो मेनका ने तलवार को हाथ में लिया और फिर से उसे वापिस विक्रम को देती हुई हुई:"

" आज से आप ही इसके वारिस हैं युवराज! आपका कर्तव्य होगा कि आप पूरे राज्य और नागरिकों की रक्षा करे!

इतना कहकर पता नहीं किस भवावेश में आकर मेनका ने विक्रम का माथा चूम लिया और विक्रम ने तलवार को हाथ में लिया और बोला:"

" आपकी सौगंध खाता हु बहुत जल्दी ही जब्बार और पिंडाला की लाशे आपके कदमों में पड़ी हुई मिलेगी या फिर मेरी लाश!

विक्रम की बात सुनकर मेनका का दिल भर आया और उसके होंठो पर हाथ रखकर बोली:

" ऐसे अशुभ बाते मुंह से नही निकालते युवराज! ईश्वर आपको मेरी भी उम्र प्रदान करे!

विक्रम के दिल में भी मेनका के लिए हमदर्दी आ गई थी और बोला:" अच्छा मैं अब चलता हु मुझे कुछ दूसरे काम भी पूरे करने हैं! मैं बीच बीच में आता रहूंगा! किसी भी चीज की जरूरत हो तो आप निसंकोच मुझे कहिएगा!

इतना कहकर विक्रम चला गया और मेनका उसे जाते हुए देखती रही! मेनका को अभी तक यकीन नहीं हो रहा था कि विक्रम उनकी तलवार को कैसे उठा सकता था! क्या ये कोई करिश्मा है या कुछ ऐसी घटना जो उससे छुपाई गई हो! मेनका ने सोच लिया था कि वो जरूर इस सच्चाई का पता लगाकर रहेगी!

दूसरी तरफ मेनका से मिलने के बाद विक्रम सुलतान के हाल चाल पूछने उनके पास गया और जैसे ही अजय और राजमाता की मौत की खबर मिली तो उन्हे बेहक अफसोस हुआ और बोले:"

" ये सब शायद मेरी वजह से हुआ है विक्रम! ना आप मुझे बचाकर लाते और ना ही वो आपसे बदला लेने के लिए ऐसा करते!

विक्रम ने सुलतान का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला:" आप इसके खुद को दोष मत दीजिए! ईश्वर की इच्छा के आगे किसी की नही चलती! एक पूरी खबर है कि पूरी तरह से सुल्तानपुर पर जब्बार का कब्जा हो गया है!

सुलतान थोड़ा चिंतित दिखाए दिए और बोले:" जब्बार को तो मैं ऐसी मौत मारूंगा कि उसकी रूह भी कांप उठेगी बस एक बार मैं पूरी तरह से ठीक हो जाऊ!

विक्रम की आंखे हो गई और गुस्से से बोला:" आप मुझे वचन दीजिए कि आप जब्बार को नही मारेंगे! वो अब मेरा शिकार हैं !

सुलतान ने सहमति में सिर हिलाया और बोला:" सल्तनत मे अभी भी मेरे कई सारे वफादार है और मेरे जिंदा होने की खबर से ही सारी प्रजा मेरे साथ आ जायेगी! किसी तरह हम सलीम को सही दिशा में लाना होगा!

विक्रम: आप फिक्र मत कीजिए! मैं जल्दी ही खुद सुल्तानपुर जाऊंगा और एक फिर हालात का अच्छे से जायजा लूंगा और आपको सब बाते बताऊंगा! तब तक आप आराम कीजिए और अपना ख्याल रखिएगा! मैं फिर से आऊंगा!

इतना कहकर विक्रम बाहर निकल आया और वैद्य जी से मिला और बोला:"

" वैद्य जी सुलतान आपके घर में हैं ये बात आप और मैं जानते हैं! किसी तीसरे आदमी को पता चला तो आप इसका परिणाम खुद सोच लेना!

वैद्य:" आप निश्चित रहे युवराज! मरने के बाद भी मेरी जुबान बंद ही रहेगी!

विक्रम ने वैद्य का कंधा थपथपाया और फिर बाहर निकल गया और महल में पहुंच कर देखा कि कबूतर शहजादी सलमा का खत लिए हुए था और युवराज ने उसे पढ़ा"

" मेरे प्रियतम विक्रम"

अजय और राजमाता की मौत ने मुझे बुरी तरह से अंदर से झकझोर दिया है और मैं अंदाजा लगा सकती हू कि आप पर इस समय क्या बीत रही होगी! यहां सुल्तानपुर में भी हालत बेहद खराब हैं और जब्बार ने पूरी तरह से मेरे और अम्मी के बाहर निकलने पर रोक लगा दी है तो मैं चाह कर भी आपसे नही मिल पा रही हूं! आप इस मुश्किल समय में खुद को संभालिए! मेरे अब्बा सुलतान का भी ख्याल रखिएगा!

मैं कल से रोज रात में 12 बजे गुप्त द्वार के अंतिम छोर पर 5 मिनट आपकी प्रतीक्षा किया करूंगी! आशा है आप जल्दी ही मौका देखकर मुझसे मिलने आयेंगे!

" आपकी शहजादी सलमा"

खत पढ़कर विक्रम को एहसास हुआ कि पिछले कुछ दिनो में वो शहजादी को तो पूरी तरह से भूल ही गया था! विक्रम ने मन ही मन फैसला किया कि वो जल्दी ही अच्छा देखकर एक बार सुलतानपुर जायेगा!


वहीं दूसरी तरफ पिंडाला और जब्बार दोनो बैठे हुए थे और जब्बार बोला:"

" हमारी सारी बनी बनाई योजना पर पानी फिर गया! साला एक बात समझ नही आई कि अजय के परिवार की तलवार विक्रम ने कैसे उठा ली?

पिंडाला उसे घूरते हुए बोला:" तुम चुप ही रहो! सब तुम्हारी योजना थी और मेरे कई आदमी मारे गए उसका क्या!

जब्बार:" मुझे भी बेहद अफसोस हैं और सबसे बड़ी बात हमारा सबसे बड़ा मोहरा शक्ति सिंह भी मारा गया!

पिंडाला:" उसकी मौत तो वैसे भी निश्चित थी क्योंकि वो बच भी जाता तो मेरे हाथ मारा जाता क्योंकि गद्दार कभी विश्वास के लायक नही होते!

जब्बार:" ये बात भी ठीक है क्योंकि हमने उसे राजा बनाने का सिर्फ लालच दिया था कोई सच में थोड़े ही बनाने वाले थे! लेकिन मुझे वही बात हैरान कर रही है कि विक्रम ने तलवार कैसे उठा ली नही तो उस दिन ही सब काम एक साथ खत्म हो जाते!

पिंडाला:" अबे सीधी सी बात है कि जरूर उसका अजय के परिवार से कोई रिश्ता रहा होगा! ये बात अगर सच है तो खतरा निश्चित रूप से बड़ा रूप लेगा!

जब्बार:" मैं भी वही सोच रहा हूं और जल्दी ही हमे इससे मुक्ति पानी होगी क्योंकि सुलतान कभी भी सामने आ सकता है और उसे देखकर प्रजा बगावत कर सकती हैं जो हमारे लिए ठीक नहीं होगा!


पिंडाला:" चल वो सब बाद में देखेंगे! रात के लिए लड़की का इंतजाम कब तक होगा! मुझे अब सब्र नहीं हो रहा है!

जब्बार:" सैनिक गए हुए हैं और आने ही वाले होंगे!

दोनो की बाते चलती रही और करीब 15 मिनट बाद पिंडाला के कमरे में एक लड़की को भेज दिया और पिंडाला ने बड़ी बेदर्दी से उसे पूरी रात जानवर की तरह रौंदा और बेचारी मासूम लड़की ने तड़प तड़प कर दम तोड दिया!
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करीब एक हफ्ते तक राजकीय शोक चलता रहा और आखिर में उदयगढ़ के सलाहकार ने विक्रम को सलाह दी :"

" युवराज क्षमा करना लेकिन ये शोक का समय नही हैं! राजमाता और अजय की मौत का सारे राज्य की बेहद दुख हैं लेकिन हमे हर हाल में खुद को संभाल कर उनकी मौत का बदला लेना ही होगा!

विक्रम ने अपने आंसू साफ किए और बोला:" मैने तो अपना सब कुछ ही खो दिया है और मुझे अब मौत की कोई परवाह नही है! जब तक मैं राजमाता और अजय की मौत का बदला नही लूंगा चैन से नही बैठने वाला!

सलाहकार:" ठीक हैं महाराज! आप कल से राज्य सभा और मंत्री दल की बैठक में सारी योजना बनायेगें!

इतना कहकर सलाहकार चला गया और विक्रम ने अजय के घर जाने का फैसला किया ताकि वो उसकी माता मेनका को हिम्मत दे सके! विक्रम मेनका के घर पर पहुंचा तो घर का दरवाजा खुला हुआ मिला और मेनका वही पास में ही फर्श पर पड़ी हुई मिली जिसकी आंखे आंसुओं से भीगी हुई थी! विक्रम के कदमों की आहत सुनकर वो खड़ी हो गई और उसकी आंखो से आंसू बहते रहे तो विक्रम को उस पर दया आई और बोला:"

" देखिए मैं आपका दुख समझ सकता हु लेकिन आपको फख्र होना चाहिए कि आप एक वीर और बहादुर बेटे की मां हो जिस पर पूरा राज्य अभिमान कर रहा हैं!

मेनका की रुलाई फुट गई और दोनो हाथों से अपना चेहरा ढककर रोने लगी तो विक्रम ने हिम्मत करके उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया और बोला:"

" एक वीर योद्धा की माता की आंखो में आंसू शोभा नही देते! हमने भी तो अपनी माता गायत्री देवी को खोया हैं लेकिन हमारी आंखों में आंसू नहीं बल्कि दिल में प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही है और ये ज्वाला उसी दिन ठंडी शांत जब हम अजय की हत्या का बदला ले लेंगे! आप एक वीरांगना हैं और वीरांगना के हाथो में तलवार होती हैं आंखो में आंसू तो बिलकुल भी नहीं !

विक्रम की बात सुनकर मेनका को याद आया कि उसने भी तो अपनी मां को खो दिया है तो उसके दिल में सहानुभूति उमड़ आई और अपने आंसू साफ करते हुए बोली:" हम आपका दुख समझ सकते हैं युवराज क्योंकि आप और मैं दोनो एक जैसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं! लेकिन मुझे एक बात समझ नही आ रही है कि तलवार होने के बाद भी अजय को कैसे मार दिया गया ?

विक्रम ने लंबी आह भरी और दुखी स्वर के साथ बोला:" हम लोग एक षडयंत्र का शिकार हुए! राजमाता बचाने के लिए हम लड़े और जान बूझकर जब्बार और पिंडारियो ने मुझ पर हमला किया और पहले से ही बनाए गए गड्डे में मेरा पैरा फंसा और मेरे हाथ से तलवार गिर पड़ी तो मैं ढाल से लड़ता रहा और उनकी सारी चाल समझ गया और अजय को बताए कि तलवार अपने हाथ मे रखे लेकिन मुझे मुश्किल में जानकर अजय मेरी तरफ मुझे बचाने के लिए बढ़ा और अंत मे उसने मेरी मौत निश्चित जानकर मेरी तरफ तलवार का वार करने वाले को अपनी तलवार फेंक कर मार डाला और उसके बाद सब ने निहत्थे अजय पर वार किया और मैं लाख कोशिश करने के बाद भी उसे नही बचा सका!

इतना कहकर विक्रम की आंखो में आंसू आ गए और मेनका भी रुंधे गले के साथ बोली:"

" मेरे बेटे ने भी अपने अपने पिता की तरह अपने राज धर्म का पालन करते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया!

थोड़ी देर चुप्पी छाई रही और दोनो ही अपने अपने आंसू रोकने का प्रयास करते रहे और मेरी विक्रम बोला:"

" मैने तो मान ही लिया था कि आज मेरी भी मृत्यु निश्चित हैं और मेरा शरीर जख्मी हो गया था लेकिन फिर जो हुआ वो अविश्वसनीय था!

मेनका ने उसकी तरफ देखा और बोली:" ऐसा क्या हुआ युवराज?

विक्रम:" मृत्यु को निश्चित जानकर मैने अपने पास पड़ी हुई अजय की तलवार को हाथ में उठा लिया और सब दुश्मनों पर टूट पड़ा!

मेनका का मुंह खुला का खुला रह गया और उसकी आंखे आश्चर्य से फैल गई और बोली:" असंभव, ऐसा होना नामुकिन हैं क्योंकि हाथ लगाते ही मौत निश्चित है!

विक्रम ने अपने हाथ को अपनी कमर के पीछे किया और अब उसके हाथ में वही अजय की जादुई तलवार थी और मेनका को दिखाते हुए बोला:"

" ये देखिए आप! यही वो आपकी तलवार हैं और मुझे खुद यकीन नही हो रहा है कि मैं इसे कैसे उठा सकता हूं ?

मेनका ने उसकी हाथ में थमी हुई तलवार को देखा और उसकी आंखो में सारी दुनिया का आश्चर्य था और ध्यान से तलवार को देखती हुई बोली:"

" सचमुच ये तो हमारी ही तलवार हैं लेकिन आपके हाथ मे कैसे आ सकती हैं मुझे खुद समझ नही आ रहा है!

विक्रम ने तलवार को चूम लिया और बोला:" आज इसी तलवार की वजह से मैं जिंदा हु क्योंकि अगर ये तलवार नही होती तो मेरी मृत्यु निश्चित थी!

" ईश्वर का धन्यवाद जो आप जिंदा है नही तो प्रजा बेचारी अनाथ हो जाती! ईश्वर आपको हमेशा खुश रखे!

मेनका के स्वर में अब थोड़ी बैचैनी आ गई थी और उसे पता नही क्यों विक्रम बिलकुल अपने जैसा ही लग रहा था और उसके दिल से उसके लिए करोड़ों दुआएं निकल रही थी!

विक्रम:" आप अपना ध्यान रखिए और किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बताएगा!

मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप अपना सिर हिला दिया तो विक्रम बोला:"

" अच्छा ये अपनी अमानत आप रख लीजिए!

इतना कहकर विक्रम ने तलवार को मेनका की तरफ बढ़ाया तो मेनका ने तलवार को हाथ में लिया और फिर से उसे वापिस विक्रम को देती हुई हुई:"

" आज से आप ही इसके वारिस हैं युवराज! आपका कर्तव्य होगा कि आप पूरे राज्य और नागरिकों की रक्षा करे!

इतना कहकर पता नहीं किस भवावेश में आकर मेनका ने विक्रम का माथा चूम लिया और विक्रम ने तलवार को हाथ में लिया और बोला:"

" आपकी सौगंध खाता हु बहुत जल्दी ही जब्बार और पिंडाला की लाशे आपके कदमों में पड़ी हुई मिलेगी या फिर मेरी लाश!

विक्रम की बात सुनकर मेनका का दिल भर आया और उसके होंठो पर हाथ रखकर बोली:

" ऐसे अशुभ बाते मुंह से नही निकालते युवराज! ईश्वर आपको मेरी भी उम्र प्रदान करे!

विक्रम के दिल में भी मेनका के लिए हमदर्दी आ गई थी और बोला:" अच्छा मैं अब चलता हु मुझे कुछ दूसरे काम भी पूरे करने हैं! मैं बीच बीच में आता रहूंगा! किसी भी चीज की जरूरत हो तो आप निसंकोच मुझे कहिएगा!

इतना कहकर विक्रम चला गया और मेनका उसे जाते हुए देखती रही! मेनका को अभी तक यकीन नहीं हो रहा था कि विक्रम उनकी तलवार को कैसे उठा सकता था! क्या ये कोई करिश्मा है या कुछ ऐसी घटना जो उससे छुपाई गई हो! मेनका ने सोच लिया था कि वो जरूर इस सच्चाई का पता लगाकर रहेगी!

दूसरी तरफ मेनका से मिलने के बाद विक्रम सुलतान के हाल चाल पूछने उनके पास गया और जैसे ही अजय और राजमाता की मौत की खबर मिली तो उन्हे बेहक अफसोस हुआ और बोले:"

" ये सब शायद मेरी वजह से हुआ है विक्रम! ना आप मुझे बचाकर लाते और ना ही वो आपसे बदला लेने के लिए ऐसा करते!

विक्रम ने सुलतान का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला:" आप इसके खुद को दोष मत दीजिए! ईश्वर की इच्छा के आगे किसी की नही चलती! एक पूरी खबर है कि पूरी तरह से सुल्तानपुर पर जब्बार का कब्जा हो गया है!

सुलतान थोड़ा चिंतित दिखाए दिए और बोले:" जब्बार को तो मैं ऐसी मौत मारूंगा कि उसकी रूह भी कांप उठेगी बस एक बार मैं पूरी तरह से ठीक हो जाऊ!

विक्रम की आंखे हो गई और गुस्से से बोला:" आप मुझे वचन दीजिए कि आप जब्बार को नही मारेंगे! वो अब मेरा शिकार हैं !

सुलतान ने सहमति में सिर हिलाया और बोला:" सल्तनत मे अभी भी मेरे कई सारे वफादार है और मेरे जिंदा होने की खबर से ही सारी प्रजा मेरे साथ आ जायेगी! किसी तरह हम सलीम को सही दिशा में लाना होगा!

विक्रम: आप फिक्र मत कीजिए! मैं जल्दी ही खुद सुल्तानपुर जाऊंगा और एक फिर हालात का अच्छे से जायजा लूंगा और आपको सब बाते बताऊंगा! तब तक आप आराम कीजिए और अपना ख्याल रखिएगा! मैं फिर से आऊंगा!

इतना कहकर विक्रम बाहर निकल आया और वैद्य जी से मिला और बोला:"

" वैद्य जी सुलतान आपके घर में हैं ये बात आप और मैं जानते हैं! किसी तीसरे आदमी को पता चला तो आप इसका परिणाम खुद सोच लेना!

वैद्य:" आप निश्चित रहे युवराज! मरने के बाद भी मेरी जुबान बंद ही रहेगी!

विक्रम ने वैद्य का कंधा थपथपाया और फिर बाहर निकल गया और महल में पहुंच कर देखा कि कबूतर शहजादी सलमा का खत लिए हुए था और युवराज ने उसे पढ़ा"

" मेरे प्रियतम विक्रम"

अजय और राजमाता की मौत ने मुझे बुरी तरह से अंदर से झकझोर दिया है और मैं अंदाजा लगा सकती हू कि आप पर इस समय क्या बीत रही होगी! यहां सुल्तानपुर में भी हालत बेहद खराब हैं और जब्बार ने पूरी तरह से मेरे और अम्मी के बाहर निकलने पर रोक लगा दी है तो मैं चाह कर भी आपसे नही मिल पा रही हूं! आप इस मुश्किल समय में खुद को संभालिए! मेरे अब्बा सुलतान का भी ख्याल रखिएगा!

मैं कल से रोज रात में 12 बजे गुप्त द्वार के अंतिम छोर पर 5 मिनट आपकी प्रतीक्षा किया करूंगी! आशा है आप जल्दी ही मौका देखकर मुझसे मिलने आयेंगे!

" आपकी शहजादी सलमा"

खत पढ़कर विक्रम को एहसास हुआ कि पिछले कुछ दिनो में वो शहजादी को तो पूरी तरह से भूल ही गया था! विक्रम ने मन ही मन फैसला किया कि वो जल्दी ही अच्छा देखकर एक बार सुलतानपुर जायेगा!


वहीं दूसरी तरफ पिंडाला और जब्बार दोनो बैठे हुए थे और जब्बार बोला:"

" हमारी सारी बनी बनाई योजना पर पानी फिर गया! साला एक बात समझ नही आई कि अजय के परिवार की तलवार विक्रम ने कैसे उठा ली?

पिंडाला उसे घूरते हुए बोला:" तुम चुप ही रहो! सब तुम्हारी योजना थी और मेरे कई आदमी मारे गए उसका क्या!

जब्बार:" मुझे भी बेहद अफसोस हैं और सबसे बड़ी बात हमारा सबसे बड़ा मोहरा शक्ति सिंह भी मारा गया!

पिंडाला:" उसकी मौत तो वैसे भी निश्चित थी क्योंकि वो बच भी जाता तो मेरे हाथ मारा जाता क्योंकि गद्दार कभी विश्वास के लायक नही होते!

जब्बार:" ये बात भी ठीक है क्योंकि हमने उसे राजा बनाने का सिर्फ लालच दिया था कोई सच में थोड़े ही बनाने वाले थे! लेकिन मुझे वही बात हैरान कर रही है कि विक्रम ने तलवार कैसे उठा ली नही तो उस दिन ही सब काम एक साथ खत्म हो जाते!

पिंडाला:" अबे सीधी सी बात है कि जरूर उसका अजय के परिवार से कोई रिश्ता रहा होगा! ये बात अगर सच है तो खतरा निश्चित रूप से बड़ा रूप लेगा!

जब्बार:" मैं भी वही सोच रहा हूं और जल्दी ही हमे इससे मुक्ति पानी होगी क्योंकि सुलतान कभी भी सामने आ सकता है और उसे देखकर प्रजा बगावत कर सकती हैं जो हमारे लिए ठीक नहीं होगा!


पिंडाला:" चल वो सब बाद में देखेंगे! रात के लिए लड़की का इंतजाम कब तक होगा! मुझे अब सब्र नहीं हो रहा है!

जब्बार:" सैनिक गए हुए हैं और आने ही वाले होंगे!

दोनो की बाते चलती रही और करीब 15 मिनट बाद पिंडाला के कमरे में एक लड़की को भेज दिया और पिंडाला ने बड़ी बेदर्दी से उसे पूरी रात जानवर की तरह रौंदा और बेचारी मासूम लड़की ने तड़प तड़प कर दम तोड दिया!
Bahut hi badhiya update diya hai Unique star bhai....
Nice and beautiful update....
 
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