• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

vakharia

Supreme
5,264
14,372
174
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
गोवा में गाडी से जाते समय शीला और उसका दामाद संजय की रासलीला शुरु हो गई वही शीला की कामुकता देखकर संजय तो दंग ही रह गया शीला ने उसे अपना दुध पिलाया और उसका लंड चुसकर उसे खल्लास कर दिया पर अपनी चुद पर हाथ नहीं लगाने दिया उसने खुद चुद में उंगली घुसाकर उसे सुंघने लगाया और चेतना का नाम लेकर संजय पर एक हथौडा चला दिया
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
Thanks Napster bhai 💖❤️💖
 

Sanju@

Well-Known Member
4,861
19,637
158
मौसम ने तुरंत ही फाल्गुनी के मासूम स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए उसके गाल पर पप्पी कर दी.. और एक बार उसके गाल को चाट भी लिया.. गाल पर मौसम की जीभ का स्पर्श होते ही फाल्गुनी उत्तेजना से कराहने लगी.. तभी अचानक वो सामने दिख रहे कपल ने अपनी खिड़की बंद कर दी

फाल्गुनी निराश हो गई "खेल खतम और पैसा हजम"

मौसम ने कहा "अरे यार बहोत जल्दी बंद कर दी खिड़की.. थोड़ी देर और खुली रखी होती तो कितना मज़ा आता देखने का.. !!"

वैशाली: "कोई बात नही मौसम.. खिड़की बंद हो गई तो क्या हुआ.. हम तीनों तो एक दूसरे को मजे दे ही सकते है.. चलो बेड पर.. मैं सिखाऊँगी.. बहोत मज़ा आएगा.. " दोनों को कमरे के अंदर लेते हुए वैशाली ने बालकनी का दरवाजा बंद कर दिया.. बिना किसी शर्म या संकोच के वैशाली ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी होकर बिस्तर पर लेट गई.. और फाल्गुनी से कहा "कम ऑन बेबी.. तू भी अपने कपड़े उतार और मेरे बगल में लेट जा.. चल जल्दी"

फाल्गुनी बहोत शरमा गई और बोली "नही यार.. तू भी क्या कर रही है.. शर्म नाम की कोई चीज है की नही? नंगी होकर लेट गई.. !!"

वैशाली: "अरे ओ डेढ़-सयानी..तेरे बबले तो कब से खुले लटक रहे है.. अब सिर्फ नीचे की लकीर ही तो दिखानी है.. उसमें क्या इतना शर्माना!! चल अब नाटक बंद कर और आजा मेरे पास"

"नही, पहले लाइट बंद करो.. तभी मैं आऊँगी" फाल्गुनी ने आधी सहमति दे दी

मौसम ने तुरंत ही लाइट ऑफ कर दी और उसका रास्ता आसान कर दिया.. अब अंधेरे में भला क्या शर्म?? मौसम और फाल्गुनी अंधेरे का सहारा लेकर पूरी नंगी हो गई और बेड पर वैशाली के साथ लेट गई.. वैशाली अब दोनों कुंवारी चूतों को चुदाई के पाठ सिखाने लगी..

3l

वैशाली की एक तरफ मौसम और दूसरी तरफ फाल्गुनी लेटी हुई थी और वैशाली कभी मौसम की चूत को तो कभी फाल्गुनी के स्तनों को सहलाते हुए अपनी उत्तेजना सांझा कर रही थी.. फाल्गुनी की चूत पर हाथ फेरते वैशाली को लगा की वो कच्ची कुंवारी तो नही थी.. भले ही वो सेक्स की बात करते हुए डरती हो और ऐसी बातों से दूर ही रहती हो.. पर उसकी चूत का ढीलापन इस बात की गँवाही दे रहा था फाल्गुनी कुंवारी तो नहीं थी..

अचानक वैशाली ने बेड के साइड में पड़ा टेबल-लैम्प ऑन कर दिया.. पूरे कमरे में उजाला छा गया.. अब तक तो अंधेरे में एक दूसरे से नजर बचाते हुए अपनी शर्म को छुपा रहे थे.. पर लाइट चालू होते ही तीनों की नग्नता एक दूसरे के सामने उजागर हो जाने पर मौसम और फाल्गुनी थोड़ी सी सहम गई.. संकोच थोड़ा सा ही हुआ.. क्योंकि थोड़ी देर पहले देखे द्रश्य और वैशाली की हरकतों के कारण फाल्गुनी और मौसम पहले से ही काफी उत्तेजित थी..

कुछ पलों के संकोच के बाद तीनों स्वाभाविक और सामान्य हो गई..

वैशाली ने फाल्गुनी की चूत में अपनी दो उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करते हुए देखा की फाल्गुनी ने न कोई विरोध किया और ना ही कोई पीड़ा का एहसास दिखाया

lf

वैशाली ने फाल्गुनी से कहा "तू माने या न माने.. जितनी तू लगती है उतनी मासूम तू है नही.. मेरा अंदाजा तो यह कहता है की तू लंड का स्वाद पहले ही चख चुकी है.. "

मौसम तो ये सुनते ही स्तब्ध हो गई "माय गॉड.. वैशाली.. क्या बात कर रही है यार!! फाल्गुनी और सेक्स?? ये लड़की तो किताब में सेक्स शब्द पढ़कर भी थरथर कांपने लगती है.. और तेरा कहना है की उसने सेक्स किया हुआ है?" मौसम ने अपनी सहेली का पक्ष लेते हुए कहा.. आखिर वो उसकी दस साल पुरानी सहेली थी.. दोनों साथ खेल कर बड़ी हुई थी.. एक दूसरे की सभी बातें शेर करती थी.. इसलिए स्वाभाविक था की मौसम फाल्गुनी की साइड लेती

"अरे यार मौसम, तू आजकल की लड़कियों को जानती नही है.. मेरे ससुराल के पड़ोस में एक फॅमिली रहता है.. अठारह साल की उनकी लड़की के सेक्स संबंध उसके सगे बाप के साथ है.. और पिछले आठ साल से दोनों के बीच ये चल रहा है.. खुद वो लड़की ने ही मुझे ये बताया..!!"

वैशाली की बात सुनकर मौसम और फाल्गुनी दोनों बुरी तरह चोंक गए.. "क्या बात कर रही है वैशाली? ऐसा भी कभी होता है क्या? "

वैशाली: "तुम यकीन नही करोगी पर ये हकीकत है.. अभी इतनी रात न हुई होती तो मैं मोबाइल पर तुम दोनों की बात करवाती उस लड़की के साथ" वैशाली ने फाल्गुनी की चूत में उंगली डालते हुए कहा "मुझे भी शोक लगा था जब पहली बार उसके मुंह से ये बात सुनी थी.. और जब मैंने उसकी ये बात को नही माना.. तब उस लड़की ने मुझे रूबरू उन दोनों का सेक्स दिखाया.. !! फिर तो मेरे पास यकीन करने के अलावा और कोई रास्ता ही नही था.. पहले तो उसने अपने बाप के साथ सेक्स करते वक्त वॉइस-रेकॉर्डिंग करके मुझे सुनाया था.. पर उनकी बंगाली भाषा में मुझे कुछ समझ में नही आया.. इसलिए मैंने विश्वास नही किया.. फिर उसने मुझे उन दोनों की चुदाई दिखाई.. तब से मैं ये मानने लगी हूँ की सेक्स में कुछ भी मुमकिन हो सकता है.. ऐसा कभी नही समझना चाहिए की सेक्स में कोई सीमा-रेखा होती है.. मैं फाल्गुनी पर कोई आरोप लगाना नही चाहती पर.. तू खुद ही देख मेरी चुदी हुई चूत को.. !!"

कहते ही वैशाली ने अपने दोनों पैर खोल दिए और अपनी बिना झांटों वाली क्लीन शेव चूत दिखाई..

"ठीक से दिखाई नही दे रहा है.. मैं ट्यूबलाइट ऑन करती हूँ" मौसम ने बड़ी लाइट ऑन कर दी.. पूरा कमरा रोशनी से झगमगा उठा.. और उसके साथ ही तीनों नंगे जिस्मों की उत्तेजना दोगुनी हो गई

वैशाली के मुंह से गंदी और कामुक बातें सुनकर फाल्गुनी ने अपनी गांड ऊपर उठाते हुए एक सिसकी भर ली..

मौसम: "वैशाली, तेरी छातियाँ तो कितनी बड़ी है.. तुझे इसका वज़न नही लगता? कितने बड़े है यार.. !! कम से कम ४० का साइज़ होगा"

हँसते हुए वैशाली ने फाल्गुनी की चूत से उंगली निकाली.. और उंगली पर लगे चूत के गिलेपन को अपने स्तन पर रगड़ दिया.. और अपनी निप्पल खींचते हुए बोली "खुद के ही जिस्म के हिस्सों का वज़न थोड़े ही लगता है कभी!!"

मौसम: "अरे फाल्गुनी.. कुछ दिन पहले कॉलेज से आते हुए याद है हमने क्या देखा था?"

फाल्गुनी: "कब की बात कर रही है? मुझे तो कुछ याद नही आ रहा" वैशाली की उंगली चूत से बाहर निकल जाने की वजह से थोड़ी सी अप्रसन्न थी फाल्गुनी जो उसकी आवाज से साफ झलक रहा था

मौसम: "अरे भूल गई.. !! उस दिन जब हम घर लौट रहे थे तब रोड पर गधा खड़ा था जिसका बड़ा सा पेनिस बाहर लटक रहा था.. !!!"

फाल्गुनी: "हाँ हाँ.. याद आया.. बाप रे.. कितना मोटा और लंबा था !! आते जाते सारे लोग उसे देख रहे थे.. "

मौसम: "उस दिन मैं यही सोच रही थी.. इतना बड़ा पेनिस.. ??"

वैशाली ने मौसम की चूत पर हल्की सी चपत लगाते हुए उसकी बात आधी काट दी और बोली "भेनचोद.. क्या कब से पेनिस पेनिस लगा रखा है!! उसे लंड बोल.. लोडा बोल.. पूरी नंगी होकर मेरे सामने पड़ी है फिर भी बोलने में शरमा रही है.. चल बोलकर दिखा.. "लंड.. !!"

मौसम: "तू जा न यार.. मुझे ये बुलवाकर तुझे क्या काम है?"

फाल्गुनी अब खुद ही अपनी चूत को मसल रही थी.. उसने कहा "मौसम, एक बार बोल ना.. मुझे भी तेरे मुंह से वो शब्द सुनना है.. एक बार तू बोलकर दिखा फिर मैं भी बोलूँगी"

मौसम: "अरे यार तुम दोनों तो बस पीछे ही पड़ गई.. चलो बोल ही देती हूँ.. लंड.. अब खुश?" और फिर शरमाते हुए मौसम ने अपने दोनों हाथों से पूनम के चाँद जैसा सुंदर मुखड़ा छुपा लिया

वैशाली: "अरी मादरचोद.. अपना चेहरा नही.. चूत को ढँक.. चेहरा दिखे तो शर्म की बात नही होती.. पर खुलेआम इस तरह चूत का प्रदर्शन करना ये तो बड़ी शर्मिंदगी वाली बात है.. " मौसम को छेड़ते हुए वैशाली ने उसके स्तन पर चिमटी काट ली और कहा "आज तो तू लंड शब्द बोलने में भी शरमा रही है.. पर एक बार तेरी शादी हो जाएगी और अपने पति के साथ हनीमून पर जाएगी तब इसी लंड को एक सेकंड के लिए भी अपने हाथ से जाने नही देगी.. चल फाल्गुनी.. तेरी बारी.. अब तू बोलकर दिखा"

फाल्गुनी ने तुरंत ही बोल दिया "लंड.. !!" पर बोलते वक्त उसका चेहरा ऐसा हो गया मानों सच में उसके हाथ में असली लंड आ गया हो

शाबाश.. !! हाँ फाल्गुनी.. तू क्या कह रही थी.. गधे के लंड के बारे में??"

फाल्गुनी: "मौसम ने भी उस दिन मुझसे यही सवाल किया था.. इतने बड़े लंड का वज़न नही लगता होगा उसे !! और आज तुम्हारी छातियों के बारे में भी उसने यही बात कही"

"मौसम, तू सिख फाल्गुनी से.. देख कितने आराम से लंड बोल रही है.. !!" वैशाली ने हँसते हुए कहा

मौसम: "वो सब बातें छोड़.. तू अभी यहाँ क्या दिखा रही थी? " मौसम ने वैशाली की चूत की ओर इशारा करते हुए कहा

वैशाली: "ईसे चूत कहते है.. भोस भी कहते है.. बहोत ढीला, बड़ा या ज्यादा चुदा हुआ हो तो भोसड़ा कहते है.. समझी!!" और एक नया पाठ सिखाया वैशाली ने

मौसम: "हाँ बाबा.. चूत.. तो तू क्या दिखा रही थी अपनी चूत में?" अब मौसम ने भी वैशाली के आग्रह से खुली भाषा का स्वीकार कर लिया

वैशाली: "हाँ.. तो मैं ये कहना चाहती थी की चुदी हुई चूत और कच्ची कुंवारी चूत में कितना अंतर होता है तू खुद ही देख.. कितना फरक है तेरी और मेरी चूत में मौसम.. !! और अब फाल्गुनी की चूत देख.. !!"

नंगी उत्तेजक बातें और बीभत्स भाषा के प्रयोग से वैशाली ने मौसम और फाल्गुनी की वासना को इस हद तक भड़का दिया था की दोनों नादान लड़कियां अपनी उत्तेजना को दबाने में असमर्थ हो गई थी.. अपने स्तनों पर वैशाली के हाथों का सुहाना दबाव महसूस करते हुए मौसम बेबस होकर बोली "तू बड़ा मस्त दबाती है वैशाली.. मैं खुद दबाती हूँ तब इतना मज़ा नही आता.. ऐसा क्यों?"

वैशाली: "मुझे क्या पता.. !! पर मुझे लगता है की किसी और का हाथ पड़े तब ज्यादा मज़ा आता है.. अब तू मेरे दबा कर देख.. देखती हूँ कैसा मज़ा आता है" वैशाली जान बूझकर ये खेल खेल रही थी इन लड़कियों के साथ ताकि वह दोनों एकदम खुल जाएँ

वैशाली के पपीते जैसे स्तन मौसम के मुंह के आगे आ गए.. दो घड़ी के लिए मौसम वैशाली के इन तंदूरस्त उरोजों को देखती ही रही और सोच रही थी "बाप रे.. कितने बड़े बड़े है !!"

"देख क्या रही है? दबा ना.. !!" वैशाली ने मौसम को कहा और अपने स्तन को उसके मुंह पर दबा दिया.. "ले.. दबाने का मन ना हो तो चूस ले.. छोटी थी तब अपनी मम्मी की निप्पल चूसती थी ना.. !! वैसे ही चूस.. सच कहूँ मौसम.. जब एक मर्द आपकी निप्पल चूसें तब जो आनंद आता है वो मैं बयान भी नही कर सकती.. उनके स्पर्श में ऐसा जादू होता है.. हम खुद कितना भी मसले या रगड़ें.. पर मर्द के हाथों जैसा मज़ा तो आता ही नही है"

मौसम से पहले फाल्गुनी ने वैशाली का एक स्तन पकड़ लिया और उसके नरम हिस्से को चूम लिया.. फिर वैशाली की गुलाबी निप्पल पर अपनी जीभ फेरी.. और चाटकर बोली "कुछ स्वाद नही आता यार.. ईसे चूसकर क्या फायदा? अगर दूध आता होता तो मज़ा आता"

lsnlsn2


वैशाली हंस पड़ी और फाल्गुनी की चूत को सहलाते हुए बोली "मेरी जान.. उसके लिए तो पहले इस चूत में लंड डालकर अच्छे से ठुकवाना पड़ता है.. कितनी रातों तक पैर चौड़े करके अंदर शॉट लगवाने पड़ते है.. मर्द के वीर्य से अपनी चूत भिगोनी पड़ती है.. तब जाकर इन चूचियों में दूध भरता है.. समझी.. !! उँगलियाँ डालने से कुछ नही होता.. असली लंड अंदर घुसता है तब इतना मज़ा आता है की मैं क्या बताऊँ.. मुझे तो अभी अंदर डलवाने का इतना मन हो रहा है की अभी कोई अनजान आदमी भी आकर खड़ा हो जाएँ तो मैं खुशी खुशी अपनी टांगें चौड़ी कर के नीचे लेट जाऊँ"

मौसम भी अब फाल्गुनी की तरह वैशाली का एक स्तन दबाकर चाट रही थी.. और दूसरे स्तन को चूस रही फाल्गुनी के गालों को सहला रही थी.. दोनों लड़कियों को कोई अनुभव नही था.. चुदाई के मामले में उन्हे ट्रेन करने के लिए वैशाली अलग अलग नुस्खे आजमा रही थी.. और ऐसा करने में उसे मज़ा आ रहा था वो अलग..

उसका स्तन चूस रही फाल्गुनी के बालों में हाथ फेरते हुए वैशाली ने पूछा "तुझे लिप किस करना आता है?"

मुंह से निप्पल निकालकर फाल्गुनी ने ऊपर देखा और बोली "थोड़ा थोड़ा आता है"

"ठीक है.. तो अब तू मौसम के होंठों पर किस कर के दिखा.. फिर मैं तुम दोनों को सिखाऊँगी.. ऐसा सिखाऊँगी की तुम्हारे होने वाले पति ऐसा ही समझेंगे की तुम दोनों अनुभवी हो"

"ना बाबा ना.. मुझे नही सीखना.. शादी की शुरुआत में ही हमारे पति हम पर शक करने लगे.. ऐसा नही सीखना मुझे" मौसम घबरा गई

वैशाली: "अरे बेवकूफ.. शादी के पहले मैं अपने मायके में ही चुदकर ससुराल गई थी फिर भी आजतक संजय को पता नही चला.. तू सिर्फ किस करने से घबरा रही है.. !! मर्दों के पास ऐसा कोई मीटर या सेंसर थोड़ी न होता है जिससे उसे पता चलें की शादी के पहले तुमने क्या क्या किया है!! पति को पता ना चले इसलिए कैसे नखरे करने है वो मैं तुम दोनों को सिखाती हूँ"

फाल्गुनी ने आश्चर्य से पूछा "मतलब?? क्या करना है?"

वैशाली ने अब फाल्गुनी की तरफ ध्यान केंद्रित करते हुए कहा "मैं तुझे क्यों सिखाऊँ? तू अपनी निजी बातें मुझे बता नही रही.. फिर मैं तुझे क्यों सिखाऊँ?"

मौसम: "हाँ वैशाली.. सही बात है.. ये कमीनी बहोत कुछ छुपाती है"

फाल्गुनी: "अरे यार.. ऐसा कुछ नही है.. मैंने कब तुझसे कुछ छुपाय है?"

वैशाली: "तो फिर अभी के अभी बता.. तूने किससे चुदवाया है और कितनी बार?"

"सात से आठ बार" आँखें झुकाकर फाल्गुनी ने कहा और फिर खामोश हो गई

सुनते ही मौसम के मुंह से वैशाली की निप्पल छूट गई और वो चोंक कर खड़ी हो गई.. "सात आठ बार?? किसके साथ? कहाँ? मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा.. आज तक मुझे पता कैसे नही चला?? पूरा टाइम या तो तू मेरे साथ कॉलेज होती है या फिर अपने घर पर.."

वैशाली: "मैंने कहा था ना.. फाल्गुनी कुंवारी नही है वो तो मैं उसकी चूत देखकर ही समझ गई थी.. जितनी आसानी से उसकी चूत में मेरी दोनों उँगलियाँ चली गई.. कुंवारी होती तो कितना चिल्लाई होती.. तभी मुझे शक हो गया था.. दो दो उँगलियाँ लेकर भी हमे कहती थी की मैं कुंवारी हूँ.. "

मौसम की गीली हो चुकी चूत में एक उंगली डालते हुए वैशाली ने कहा "मौसम, तू ही बता.. एक उंगली अंदर बाहर करने में भी तुझे दर्द होता है ना.. सोच पूरा का पूरा लोडा अंदर घुस जाएँ तो क्या हाल होगा? औसतन इतना मोटा होता है लंड" ड्रेसिंग टेबल पर पड़े हेंडब्रश का हैन्डल दिखाते हुए वैशाली ने कहा

मौसम: "बाप रे.. इतना मोटा.. मैं तो मर ही जाऊँ अगर कोई इतना बड़ा मेरे छेद में डालेगा तो.. मैंने सिर्फ एक बार पतली सी मोमबत्ती अंदर डालने की कोशिश की थी पर इतना दर्द हुआ था की वापिस निकाल लिया.. वैशाली, तू अपनी चूत में आराम से लंड ले पाती है?"

वैशाली: "हाँ हाँ.. क्यों नही.. अरे इस हैन्डल से भी मोटा है मेरे पति का.. और लंबा भी"

मौसम बार बार उस ब्रश के हैन्डल को देखकर कल्पना करते हुए घबरा रही थी.. वो बिस्तर से खड़ी हुई और हेंडब्रश ले आई.. हाथ में उसका हैन्डल पकड़ते हुए बोली "इससे भी मोटा?? मुझे तो यकीन नही होता.. तुझे डलवाते हुए दर्द नही होता??"

"वो बात बाद में.. पहले तू इस मादरचोद रांड से पूछ.. की किसका लोडा ले रही है? हम दोनों भी उससे चुदवाएंगे.. वैसे भी मुझे लंड की सख्त जरूरत है.. तुझे तो पता है.. मेरे और संजय के बीच की अनबन के बारे में.. "

फाल्गुनी बोल उठी "प्लीज यार.. नाम जानने की जिद ना ही करो तो अच्छा है.. मैं नाम नही बता पाऊँगी.. अगर बता दिया तो बड़ा भूकंप आ जाएगा मेरे जीवन में"

मौसम के हाथ से हेंडब्रश लेकर वैशाली ने उसे फाल्गुनी के स्तन पर हल्के से मारते हुए कहा "क्यों?? नाम बताने में क्या प्रॉब्लेम है तुझे? कहीं कोई बड़ा कांड तो नही कर रही तू? सच सच बता.. मुझे तो कोई बड़ा गंभीर लोचा लगता है.. तू लगती है उतनी भोली और मासूम तू है नही!!"

मौसम: "हाँ हाँ.. बता भी दे हरामखोर.. अब तो नाम जाने बगैर हम तुझे छोड़ेंगे नही.. चल वैशाली.. इस रांड पर टूट पड़ते है.. " मौसम फाल्गुनी के ऊपर लेट गई और उसे अपने शरीर के वज़न तले दबाते हुए उसके दोनों स्तन को मसल दिया.. मौसम और फाल्गुनी दोनों की चूत के हिस्से एक दूसरे से छु रहे थे..

lsls2

वैशाली ने अपने होंठ फाल्गुनी के होंठों पर रखकर उन्हें चूसना शुरू कर दिया.. दो दो शरीरों के कामुक स्पर्श से फाल्गुनी बेहद उत्तेजित हो गई.. और वैशाली को किस कने में सहयोग देते हुए मौसम की नंगी पीठ को अपने नाखूनों से कुरेदने लगी

मौसम और फाल्गुनी एक दूसरे को बाहों में भरकर रोमांस कर रहे थे और वैशाली फाल्गुनी के होंठ गीले करने के काम में जुटी हुई थी.. फाल्गुनी अब दोनों को अच्छे से रिस्पॉन्स दे रही थी.. वैसे लिप किस करने के मामले में वो अनाड़ी थी पर फिर भी उस बेचारी को जितना आता था उतना कर रही थी..

वैशाली जब झुककर किस कर रही थी तब उसके स्तन मौसम के कंधों से टकरा रहे थे.. तीनों लड़कियां कामदेव के जादू तले बराबर आ चुकी थी.. वैशाली के होंठ चूसने के कारण फाल्गुनी मौसम से भी अधिक उत्तेजित थी.. और वो अपने ऊपर चढ़ी मौसम की पीठ पर नाखून से वार करती जा रही थी.. मौसम के मन में लगातार एक ही प्रश्न मंडरा रहा था.. सात-आठ बार फाल्गुनी ने किससे करवाया होगा? सुबह से लेकर दोपहर तक कॉलेज में वो मेरे साथ होती है.. घर जाने के बाद तीं बजे हम ट्यूशन जाते है और ७ बजे लौटकर घर जाते है.. तो फाल्गुनी ने किस वक्त ये सब करवाया होगा?? बड़ी शातिर है फाल्गुनी..

मौसम को अपनी चूत पर अनोखे गीले स्पर्श का एहसास हुआ और वो नीचे देखने लगी.. अरे बाप रे.. !! वैशाली उसकी चूत चाटने लगी थी.. ओह नो.. वैशाली ये क्या कर दिया तूने? ऐसा तो मुझे कभी महसूस नही हुआ पहले.. आह्ह आह्ह आह्ह.. मौसम फाल्गुनी की ऊपर चढ़ी हुई थी और उसी अवस्था में कमर ऊपर नीचे करते हुए बोली "माय गॉड.. वैशाली.. चाट यार.. अपनी जीभ डाल अंदर.. बहोत मज़ा आ रहा है यार.. इतना मज़ा पहले कभी नही आया मुझे.. ओह्ह!!"


lp2

मौसम की कुंवारी.. थोड़ी सी झांटों वाली चूत काम रस से गीली होकर रिस रही थी.. वैशाली को भी आज लेस्बियन सेक्स में बहोत मज़ा आ रहा था.. दो दो कुंवारी चूत उसकी पक्कड़ में आ चुकी थी.. मौसम और फाल्गुनी दोनों वैशाली की एक एक हरकत पर आफ़रीन हो रही थी.. उसकी हर बात को आदेश के तौर पर मान रही थी वो दोनों..

तीनों लड़कियां एक दूसरे के साथ बिल्कुल ही खुल गई थी.. वैसे वैशाली की कविता के साथ भी गहरी दोस्ती थी लेकिन उनका संबंध जिस्मानी नही था.. जब की इन दोनों लड़कियों ने इस मामले में कविता को भी पीछे छोड़ दिया था.. जो कुछ भी हो रहा था वो संयोग से ही हो रहा था.. मौसम दोपहर को अपने जीजू के साथ हुए रोमांस को याद करते हुए जबरदस्त उत्तेजना महसूस कर रही थी.. और अब फाल्गुनी और वैशाली के साथ उस उत्तेजना को अपने अंजाम तक पहुंचाने वाली थी..

वैशाली मौसम की चूत चाटने में इतनी मशरूफ़ थी की मौसम की सिसकियों को नजरअंदाज करते हुए वह उसकी गांड के नीचे दोनों हाथ डालकर उसके कडक कूल्हों को अपने अंगूठों से चौड़ा करते हुए अपनी जीभ अंदर तक डाल रही थी.. मौसम के लिए ये प्रथम अनुभव था.. पेशाब करने और पिरियड्स निकालने के छेद में इतना मज़ा छुपा हुआ होगा उसका उसे अंदाजा ही नही था.. मौसम को इस बात का ताज्जुब था की चूत शब्द बोलते ही क्यों उसके चूत में झटके लगने लगते थे !! अब तक रास्ते पर चलते.. पान की या चाय की टपरी पर बैठे लोफ़रों के मुंह से यह गंदा शब्द काफी बार सुना था और तब उसे इस शब्द से ही नफरत थी.. आज उसी शब्द को सुनकर उसे बहोत मज़ा आ रहा था..

lele3


फाल्गुनी के स्तनों को दबाते हुए उसने उसके कानों में कहा "मज़ा आ रहा है ना फाल्गुनी?"

"हाँ यार.. मुझे तो बहोत मज़ा आ रहा है.. और तुझे?"

"अरे मुझे तो इतना मज़ा आ रहा है वैशाली के चाटने से की क्या बताऊँ.. !! तूने कभी अपनी चूत चटवाई है फाल्गुनी?"

ये सुनते ही फाल्गुनी की मुनिया में आग लग गई.. "मौसम प्लीज.. तू भी मेरी चूत में अपनी जीभ डाल यार.. !!" फाल्गुनी उत्तेजना से मौसम के कोमल नाजुक बदन को मसलते हुए बोली

मौसम: "नही यार.. मुझे ये सब नही आता.. मैंने कभी किया भी नही है ऐसा.. " दोनों की बातें सुनते हुए वैशाली मौसम की पुच्ची को चाट रही थी

मौसम: "तूने मेरी बात का जवाब नही दिया फाल्गुनी?"

फाल्गुनी: "कौनसी बात का?"

मौसम: "इससे पहले तूने कभी अपनी चूत चटवाई है?"

फाल्गुनी खामोश रही.. बदले में उसने मौसम के गाल को चूसा और अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी और मौसम की चूत को सहलाने लगी.. सहलाते हुए कभी उसकी उंगली वैशाली की जीभ का स्पर्श करती तो वैशाली उसकी उंगली को भी चाट लेती.. फाल्गुनी की उंगली को गीला करके वैशाली ने उस उंगली को मौसम की चूत के अंदर डाल दिया

"आह्ह.. " फाल्गुनी की उंगली अंदर घुसते ही मौसम की सिसकी निकल गई..

"कितनी गरम गरम है तेरी चूत तो यार.. !!" फाल्गुनी ने कहा.. और तेजी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगी..

"आह्ह.. मर गई.. ऊईई.. माँ" मौसम चिल्लाई.. फाल्गुनी ने तुरंत अपने होंठ उसके होंठों पर दबाकर और उसके स्खलित होने से निकली चीख को रोक दिया.. मौसम का पूरा शरीर अकड़ कर बिस्तर से ऊपर उठ गया.. दो सेकंड के लिए उसी अवस्था में थरथराने के बाद वह धम्म से बिस्तर पर गिरी.. तेज सांसें भरते हुए.. ए.सी. कमरे में भी उसे पसीने छूट गए.. फाल्गुनी की उंगली और वैशाली की जीभ, दोनों ने मिलकर मौसम की मुनिया को एक जानदार ऑर्गजम दिया था..

अब वैशाली ने अपनी जीभ से फाल्गुनी की चूत पर हमला कर दिया.. उसकी चूत को चाटते हुए वैशाली एक पल के लिए रुकी और उसने मौसम से कहा "मौसम, अब तेरी बारी.. चल मेरी चूत चाट जल्दी से.. "

अपनी साँसों को नियंत्रित करते हुए मौसम ने कहा "यार, मुझसे नही होगा ये.. !!"

"क्यों? मादरचोद.. चटवाते वक्त तो तुझसे सब कुछ हो रहा था.. अब चाटने की बारी आई तो नखरे कर रही है? चुपचाप चाटना शुरू कर वरना ये हेरब्रश का हेंडल तेरी चूत में घुसेड़कर गुफा बना दूँगी" वैशाली ने गुर्रा कर कहा

"यार, मैंने पहले कभी चाटी नही है वैशाली"

"साली रंडी.. आजा.. तुझे सब सीखा दूँगी.. " कहते हुए वैशाली अपने विशाल स्तनों को खुद ही दबाते हुए खड़ी हुई और मौसम को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया.. वैशाली मौसम के स्तनों पर सवार हो गई और अपनी गुलाबों को दोनों होंठ उंगलियों से चौड़े करके मौसम के होंठों पर रगड़ने लगी.. न चाहते हुए भी मौसम उसकी चुत पर जीभ फेरने के लिए मजबूर हो गई.. यह देख उत्तेजित होकर फाल्गुनी अपनी चूत पर हेरब्रश तेजी से घिसने लगी..

lfr2hh

वैशाली की बेकाबू जवानी हिलोरे ले रही थी.. अनुभवहीन मौसम की जीभ को ट्रेन करते हुए उसने मौसम के सर के नीचे दोनों हाथ डालकर उसे कानों से पकड़ते हुए अपनी चूत से दबाए रखा था.. और अपनी चूत चटवाएं जा रही थी.. मौसम को शुरू शुरू में चूत और उसके पानी की गंध बड़ी ही विचित्र लगी.. पर वैशाली ने उसे ऐसे पकड़ रखा था की छूटना मुश्किल था.. आखिर अपने हथियार डालकर उसने अपनी जीभ को वैशाली के सुराख के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.. थोड़ी ही देर में वह सीख गई.. वैशाली चुत चटवाते हुए अपनी गदराई गांड मौसम के स्तनों पर रगड़ रही थी.. जिससे मौसम नए सिरे से सिहर रही थी.. वैशाली ने मौसम के स्तनों पर घोड़े की तरह सवारी करते हुए अपनी लय प्राप्त कर रही थी.. आगे पीछे हो रही वैशाली के दोनों खरबूजे बड़ी ही अद्भुत तरीके से हिल रहे थे.. दोनों के नरम नरम अंग एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे..

lhlh2

मौसम की चूत में फिर से खुजली होने लगी.. वो अभी थोड़ी देर पहले ही झड़ी थी.. पर वैशाली की चूत की मादक गंध और बबलों की मजबूत रगड़ाई के कारण उसकी चुनमुनिया फुदकने लगी.. तीन चार मिनट तक चाटते रहने के बाद अब मौसम को भी वैशाली की पनियाई चूत के अंदर जीभ डालने में मज़ा आने लगा था.. उसकी रसीली कामुक चिपचिपी चूत के वर्टिकल होंठ और क्लिटोरिस को अपने मुंह में भरकर वो मस्ती से चूस रही थी.. बगल में लेटी फाल्गुनी हेरब्रश के हेंडल को अपनी चूत पर रगड़े जा रही थी..

तीनों लड़कियां अपनी हवस शांत करने के लिए अलग अलग क्रियाएं करने में व्यस्त थी.. लेकिन उनकी वासना शांत होने के बदले और भड़क रही थी.. रात के डेढ़ बजे का समय हो रहा था.. पर तीनों में से किसी की भी आँखों में नींद का नामोनिशान नही था.. थी तो बस नारी की हवस..

ll2
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है मौसम और फाल्गुनी की सेक्स गुरु वैशाली बन गई है तीनो ने अपनी वासना को शांत कर लिया है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,861
19,637
158
तीनों लड़कियां अपनी हवस शांत करने के लिए अलग अलग क्रियाएं करने में व्यस्त थी.. लेकिन उनकी वासना शांत होने के बदले और भड़क रही थी.. रात के डेढ़ बजे का समय हो रहा था.. पर तीनों में से किसी की भी आँखों में नींद का नामोनिशान नही था.. थी तो बस नारी की हवस..

आज फाल्गुनी का बिल्कुल नया ही स्वरूप देख रहे थे मौसम और वैशाली.. अचानक वैशाली ने अपनी आगे पीछे होने की गति बधाई.. वो बड़ी ही आक्रामकता से अपनी चूत को मौसम के चेहरे के साथ रगड़ने लगी.. वैशाली के प्रहारों से मौसम बिलबिलाने लगी.. लेकिन वैशाली के जोर के सामने वो ज्यादा कुछ नही कर पाई.. अब मौसम थक चुकी थी.. खुले बालों के साथ हाँफ रही वैशाली का पूरा चेहरा लाल हो गया था.. पसीने से तरबतर हो गई थी उसकी गर्दन.. उसका पसीना दोनों स्तनों के बीच से गुज़रता हुआ उसकी चूत से होकर मौसम के चेहरे पर टपकने लगा था.. फाल्गुनी यह द्रश्य और वैशाली का कामुक स्वरूप देखकर ही झड़ गई.. हेरब्रश का डंडा चूत में डालने की जरूरत ही नही पड़ी..

"ओह्ह ओह्ह ओह्ह आह्ह मर गई.. चाट जल्दी.. डाल जीभ अंदर.. ऊईई आह्ह.. ओह गॉड.. उफ्फ़.. !!!!" की कामुक आवाजों के साथ वैशाली झड़ गई.. जैसे भूकंप आने से बहुमंजिला इमारत ढह जाती है.. संध्या होते ही दो पर्वतों के बीच सूरज ढल जाता है.. वैसे ही वैशाली भी पस्त होकर गिर पड़ी.. फाल्गुनी की चूत ने झड़ने के बाद काफी पानी निकाला था.. बेड के चद्दर पर बड़ा सा धब्बा हो गया था चूत के रिसे हुए पानी से.. फाल्गुनी और वैशाली दोनों ठंडी हो चुकी थी.. पर मौसम अब फिरसे उत्तेजित हो गई थी.. अब समस्या यह थी की वैशाली या फाल्गुनी दोनों में से कोई भी उसका साथ देने के लिए फिलहाल तैयार नही थे..

3lp

मौसम खड़ी हो गई.. और बालकनी की दीवार के पास खड़ी होकर अपनी चूत को खुजाने लगी.. चारों तरफ अंधकार था.. ठंडी सरसराती हवाएं उसके नंगे बदन को चूमते हुए निकल रही थी.. मौसम की पुच्ची में खुजली का जोर बढ़ता जा रहा था.. उसे अपने पीयूष जीजू की याद आ रही थी.. पीयूष ने कैसे उसके होंठों पर उसके जीवन का प्रथम चुंबन दिया था.. उसके ड्रेस में हाथ डालकर उरोजों को पकड़कर दबाया था.. आह्ह.. !!

मौसम ने पीछे मुड़कर बिस्तर की तरफ देखा.. वैशाली और फाल्गुनी.. एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर.. नवविवाहित जोड़ें की तरह पड़े हुए थे.. फाल्गुनी वैशाली के होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थी.. और हेरब्रश का हेंडल वैशाली की चुत के अंदर डाल रही थी.. लगभग ६ इंच लंबा हेंडल कैसे वैशाली की चूत के अंदर चला गया ये देखना चाहती थी मौसम.. !! वह वापिस बेड पर आई.. वैशाली के दोनों पैरों को चौड़ा किया और फाल्गुनी के हाथ से हेरब्रश ले लिया..

मौसम: "मुझे सच सच बता.. फाल्गुनी.. तूने जो लंड लिया वो इतना ही लंबा था?"

फाल्गुनी: "इतना लंबा तो नही था"

मौसम: "तो इससे आधा ??"

वैशाली: "मौसम, लगता है तुझे लंड देखने की बड़ी चूल मची है.. एक काम कर.. यहाँ हमारे ग्रुप में से किसी भी एक मर्द को पसंद कर और चुदवा ले.. यहाँ कौन देखने वाला है तुझे!! घर वापिस लौटकर चुदवाना तो छोड़.. लंड देखना भी नसीब नही होगा !!"

फाल्गुनी: "मन तो मेरा भी कर रहा है.. पर किसी को भी कैसे राजी करें? सीधा जाकर ऐसा तो नही बोल सकते की चलो चोदते है!!"

वैशाली: "तुम दोनों मुझे एक बात बताओ.. अगर तुम्हें एक रात के लिए किसी एक मर्द के साथ बिताने का मौका मिले.. तो हमारे ग्रुप में से कीसे चुनोगी?"

सवाल बड़ा ही रोमांचक था.. मौसम और फाल्गुनी दोनों शरमा गई.. नग्न स्त्री या लड़की को शरमाते देखना बड़ा ही मनोहर द्रश्य होता है

मौसम: "पहले तू बता वैशाली.. तुझे कौन पसंद है?"

वैशाली: "मुझे तो सब पसंद है.. अगर मौका मिले तो मैं एक ही रात में सभी मर्दों से चुदवा लूँ.. पर अभी बात मेरी नही, तुम दोनों की हो रही है.. तो बताओ मुझे.. हो सकता है की तुम्हारी पसंद के मर्द के साथ रात गुजारने का मैं ही तुम दोनों के लिए सेटिंग कर दूँ....

फाल्गुनी: "माय गॉड.. तुम तो दलाल जैसी बात कर रही हो.. !!"

मौसम: "यार फाल्गुनी.. मुझे तो लगता है की वैशाली ने इस ग्रुप के किसी मर्द के साथ ऑलरेडी सेक्स कर लिया है.. मुझे तो यकीन है!!"

फाल्गुनी: "अच्छा? तो तेरे हिसाब से वैशाली ने किसके साथ किया होगा? कौन हो सकता है?"

थोड़ी देर सोचने के बाद मौसम ने कहा "हम्म.. एक तो राजेश सर के साथ और दूसरा.. !!"

वैशाली रोमांची होकर बोली "हाँ हाँ बोल ना.. कौन हो सकता है दूसरा!!" वो देखना चाहती थी की मौसम अपने मुंह से पीयूष का नाम लेती है या नही

मौसम: "दूसरा कौन हो सकता है.. ये मुझे पता नही.. फाल्गुनी, तू बता.. तू किसके साथ रात गुजारना चाहेगी?"

फाल्गुनी के स्तन टाइट हो गए.. रात बिताने की कल्पना से ही.. !!

उसने शरमाते हुए कहा "पिंटू के साथ, मौसम। मुझे वो बहोत ही पसंद है.. कितना क्यूट है यार!! कल से उसकी तरफ देखकर लाइन दे रही हूँ.. पर वो कमीना मेरे सामने नजर उठाकर देखता तक नही है!! मुझे लगता है की उसे किसी ओर लड़की में इन्टरेस्ट होगा.. !!"

मौसम अपनी बहन कविता के राज के बारे में थोड़ा बहोत जानती थी.. फाल्गुनी के मुंह से पिंटू का नाम सुनकर वो चोंक गई.. कहीं पिंटू और कविता के बीच अब भी कुछ??? बाप रे.. !! जिस कंपनी में पिंटू जॉब करता हैं, वहीं पर जीजू भी है.. ये कड़ियाँ कहीं न कहीं तो जुड़ ही रही होगी.. मौसम चुपचाप सोचती रही..

फाल्गुनी: "अब तेरी बारी है मौसम.. तू बता"

मौसम उलझन में पड़ गई.. कैसे कहूँ की मैं अपने जीजू पीयूष के साथ रात बिताना चाहती हूँ!!

पीयूष जीजू की याद आते ही मौसम बेचैन हो गई.. जीजू के संग बिताएं वो दो घंटों का सुहाना समय.. उसके जीवन का एक अविस्मरणीय पन्ना था.. पीयूष के साथ बिताएं उन पलों के बाद.. मौसम ज्यादातर उत्तेजित रहती और उसे बार बार अपनी गीली मुनिया में उंगली करने को दिल कर रहा था.. आज से पहले उसे कभी ऐसा एहसास नही हुआ था.. अब तक तो वो दो हफ्तों में.. कभी कभी महीने में एकाध बाद चूत में उंगली करती या टूथब्रश घुसाकर सो जाती.. पर माउंट आबू के इस मदहोश वातावरण में.. पीयूष के संग बिताई उस दोपहर के बाद.. और खास कर उस सेक्स शॉप में हुए अनुभव के बाद.. जैसे उसकी कामुकता को रोके रखने वाला दरवाजा ही टूट गया.. हाय रे जवानी.. !! बालकनी में नंगी खड़ी मौसम.. अपने कुँवारे स्तनों पर लग रही ठंडी ठंडी हवा के स्पर्श का मज़ा लेते हुए पीयूष की लिप किस को याद कर रही थी.. उसने हल्के से अपनी छाती पर हाथ रखा और बालकनी की दीवार पर एक पैर टीकाकर.. मजबूत लंड के धक्के कखाने को बेकरार.. उसकी गुलाबी चूत को सहलाने लगी.. जैसे अपनी चूत को मना रही हो.. उसे ताज्जुब इस बात का हो रहा था की कैसे वैशाली, फाल्गुनी और पीयूष के हाथ उसके जिस्म पर सरककर निकल गए!! वो माउंट आबू की हसीन वादियों का मज़ा लेने आई तब निर्दोष मासूम बच्ची थी.. एक ही दिन में जिंदगी ने ऐसी करवट ली.. की उसकी पूरी सोच ही बदल गई.. उसने कभी सपने में भी नही सोचा था की उसकी कुंवारी जवानी की धरती पर.. पीयूष नाम का बादल यूं बरस पड़ेगा.. !!

स्तन मर्दन करते हुए उसकी जवानी की भूख इतनी बेकाबू हो चली.. की बार बार उसकी चूत फड़फड़ा उठती.. अपने दिल को उसने बार बार समझाया की शादी के बाद ही ये सारी चीजें हो सकती है.. पर कमबख्त दिल था की मानता ही नही था.. !! क्या करूँ? कैसे समझाऊँ अपने जिस्म को? ये तो अच्छा हुआ की ऐसे वक्त पर मुझे वैशाली और फाल्गुनी का साथ मिल गया.. नहीं तो जरूर मैं कुछ गलती कर बैठती.. !! उसने एक नजर बेड पर लेटी अपनी नंगी सहेलियों की ओर देखा.. एक दूसरे के गले में बाहें डालकर बेफिक्र होकर दोनों लेटी हुई थी..

2l

मौसम धीरे से बेड की तरफ आई.. ट्यूबलाइट के सफेद प्रकाश में वैशाली की मदमस्त छाती इतनी गदराई और तंदूरस्त नजर आ रही थी.. देखते ही अच्छे अच्छों की नियत खराब हो जाएँ.. मौसम ने फाल्गुनी के स्तनों की ओर देखा.. देखकर पता चलता था की भले ही वैशाली जीतने दबे नही थे पर फाल्गुनी अनछुई भी नही थी.. और अब तो उसने खुद ही इस बात का एकरार कर लिया था.. !! वो खुद ही बता चुकी थी की वो सात से आठ बार चुद चुकी थी.. पर पहली बार जब उसने अपनी नाजुक सी फुद्दी में लंड लिया होगा तब उसे कैसा अनुभव हुआ होगा?? लंड.. लंड.. लंड.. !! बाप रे.. ये शब्द सोचते ही चूत में ४४० वॉल्ट का झटका लग जाता था.. पता नही चूत के अंदर लेते वक्त क्या होता होगा..!!

वैशाली और फाल्गुनी के बीच पड़ा हेरब्रश मौसम ने उठाया.. और उसे चूम लिया.. पता नही चल रहा था की वो ऐसा क्यों कर रही थी!! एक निर्जीव लकड़ी से बने ब्रश को चूमने पर इतना मज़ा क्यों आ रहा था भला.. !! मौसम को वो रात याद आ गई जब उसके गाने से खुश होकर संजय ने उसे ५०० रुपये दिए थे.. वैशाली का कहना था की उसका पति संजय बहोत ही लोफ़र और दिलफेंक किस्म का आदमी था.. कहीं ५०० रुपये देकर संजय मुझे पटाना तो नही चाहता था.. !!! उस वक्त तो ऐसा कुछ नही लगा था.. और उस वक्त के बाद संजय से मिलना भी तो नही हुआ था.. वैसे संजय दिखने में बड़ा हेंडसम है.. तो फिर वैशाली को उससे इतनी भी क्या दिक्कत होगी??

हेरब्रश को अपनी छाती से रगड़ते हुए मौसम ये सब सोच रही थी.. सारे विचारों को अपने दिमाग से हटाकर मौसम ने फाल्गुनी की नंगी जांघों पर हेरब्रश का डंडा हल्के से रगड़ दिया.. कहीं फाल्गुनी को संजय ने तो नही चोद दिया होगा?? नही नही.. संजय और फाल्गुनी मिले ही एक बार है.. ऐसा होना असंभव था.. गहरी नींद में सो रही फाल्गुनी को अपने शरीर पर किसी चीज का स्पर्श महसूस नही हुआ.. मौसम की नजर फाल्गुनी की चूत पर पड़ी.. उसकी चूत भी जैसे गहरी नींद सो रही थी.. वैशाली द्वारा चटवाने के बाद शांत पड़ी चूत काफी सुस्त लग रही थी.. वैशाली की टांगें थोड़ी सी चौड़ी करके हेरब्रश का डंडा उसकी चुत पर रगड़ा.. वैशाली का सुराख थोड़ा सा चौड़ा था.. पर मेरी चूत तो अब भी कितनी टाइट और कसी हुई है!! शायद इसी वजह से वैशाली को फाल्गुनी पर शक हुआ था की उसका सील टूटा हुआ था.. सील टूटते वक्त कैसा महसूस होता होगा?? अब मौसम वापिस फाल्गुनी की चूत पर हेरब्रश रगड़ने लगी.. सोचते सोचते अनजाने में ही मौसम ने हेरब्रश का हेंडल फाल्गुनी की चूत के अंदर धकेल दिया..

"आह्ह.. !!" फाल्गुनी की आँख एकदम से खुल गई.. उसने बगल में बैठी नग्न मौसम को चूत के अंदर डंडा डालते देख वह अपनी आँखें मलते हुए खड़ी हो गई.. "तू अभी भी जाग रही है.. !! नींद नही आ रही क्या?"

मौसम को हाथ में हेरब्रश पकड़े देखकर उसने आगे पूछा "क्या बात है मौसम? तू क्या करने वाली थी? सच सच बता मुझे"

मौसम: "कुछ नही यार.. मैं ये सोच सोचकर परेशान हो रही हूँ की आखिर तूने इतनी सारी बार सेक्स किया किसके साथ? मैंने दिमाग पर जोर डालकर बहोत सोचा पर कोई नाम नही सुझा मुझे.. मुझे बता न यार!! जब तक मैं ये जान नही लूँगी तब तक मेरे मन को चैन नही पड़ेगा.. तेरा उस व्यक्ति का संपर्क कैसे हुआ था? पहचान कैसे हुई थी? मुझे तूने क्यों कुछ नही बताया? मुझसे छुपाने का क्या कारण था?? इस बात का मुझे दुख हो रहा है ये जाहीर सी बात है.. मैंने आज तक तुझसे मेरी कोई बात नही छुपाई फिर तूने मेरे साथ आखिर ऐसा किया ही क्यों?"

एक ही सांस में मौसम ने कई सवाल दाग दिए फाल्गुनी की ओर.. पूछते पूछते उसने हेरब्रश का चार इंच जितना हिस्सा फाल्गुनी की चूत में डाल दिया था.. और वो उसे हिलाते हुए आगे पीछे भी कर रही थी.. फाल्गुनी को मज़ा आना शुरू हो गया था इसका पता चल रहा था क्योंकि वो मौसम के हाथों की हलचल के साथ तालमेल मिलाते हुए अपने चूतड़ भी हिला रही थी.. !! उसकी कमर और गांड की हलचल से ये साफ प्रतीत हो रहा था की उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी..

dil
मौसम: "बोल ना फाल्गुनी.. मुझसे क्यों छुपा रही है? क्या तू मुझे अपना नही मानती? ठीक है.. नही बताना है तो मत बता" कहते हुए नाराज होकर उसने हेरब्रश चूत से बाहर निकाल लिया और नाराज होकर फाल्गुनी की बगल में लेट गई

फाल्गुनी: "मौसम, तू समझती क्यों नही है यार!!! मैं नाम नही बता सकती.. अगर बता सकती तो तुझसे छुपाती ही क्यों? अगर मैंने नाम बता दिया तो हाहाकार मच जाएगा.. प्लीज यार.. मुझे नाम बताने के लिए ओर फोर्स मत कर"

नाराज मौसम को देखकर फाल्गुनी सोच में डूब गई.. इस मामले को सुलझाएं कैसे? किसी भी सूरत में अपना ये सीक्रेट मौसम को नही बता सकती थी ये बात तो पक्की थी.. मौसम नाराज होकर करवट बदलकर फाल्गुनी से विरुद्ध दिशा में सो गई.. मौसम की चूत में जबरदस्त खुजली हो रही थी पर साथ ही साथ उसका दिमाग ये सोच रहा था की यही सही वक्त था फाल्गुनी से वो राज उगलवाने का.. अगर वो आज जान नही पाई तो ये राज हमेशा राज बनकर ही रह जाएगा..

मौसम को कंधे से पकड़कर फाल्गुनी ने अपनी और खींचा और बोली "नाराज हो गई यार!! मैंने आज तक तुझसे कोई बात कभी छुपाई है क्या!! वो हरीश मुझे लाइन मारता था वो भी बता दिया था मैंने तुझे!!"

मौसम: "हाँ फाल्गुनी.. तुझे जो लड़का लाइन मार रहा था उसके बारे में तो सब बता दिया था तूने.. पर जो तुझे चोद गया उसके बारे में मुझे कुछ भी नही बता रही.. एक बार को तो ऐसा भी विचार आया मुझे की कहीं उस लफंगे हरीश के साथ तो तूने नही चुदवाया ना?? हो सकता है.. क्यों नही हो सकता.. जो लड़की अपनी सब से खास सहेली से इतनी बड़ी बात छुपा सकती है.. वो कुछ भी कर सकती है"

फाल्गुनी अब बराबर फंस चुकी थी.. उसने एकदम धीमी आवाज में कहा "तूने ऐसा क्यों नही सोचा की मेरे लिए बताना मुमकिन नही होगा तभी नही बताया होगा... वरना मैं क्यों तुझसे कुछ भी छुपाऊँ?? और तुझसे छुपाकर मुझे क्या फायदा?"

मौसम: "क्या फायदा ये तो छुपानेवाला ही बता सकता है.. कुछ तो होगा कारण.. हो सकता है की तुझे लगता हो की अगर मुझे बताएगी तो मैं भी तेरे साथी में हिस्सा मांगूँगी.. !!"

फाल्गुनी: "पागलों जैसी बात मत कर, मौसम!!"

मौसम: "तुझे ये भी विचार नही आया की सात आठ बार मजे लूट लेने के बाद तू मुझे भी मौका देती..!! मुझे पता नही था की तू इतनी स्वार्थी होगी.. अब तक तो हम एकदम खास सहेलियाँ थी.. पर शायद अब तुझे अकेले अकेले ही खाने में मज़ा आने लगा है.. जा.. अब से तेरी कट्टी"

पहाड़ टूट पड़ा फाल्गुनी पर.. मौसम रूठ जाएँ तो कैसे चलेगा.. !! फाल्गुनी अपने माँ बाप के बगैर रह सकती थी पर मौसम के बगैर उसे एक पल नही चलता था.. इतनी गहरी दोस्ती थी दोनों की.. फाल्गुनी को भी मन ही मन गुस्सा आ रहा था.. की मौसम ऐसी बात के लिए उससे रूठ गई!! पर मैं भी क्या करूँ? अगर मौसम को सब सच बता दूँ तो कयामत आ जाएगी.. और नही बताती तो दोस्ती टूट जाएगी.. ओह्ह क्या करूँ?

रात के साढ़े तीन बज रहे थे पर मौसम या फाल्गुनी.. दोनों की नींद उड़ चुकी थी.. वैशाली घोड़े बेचकर सो रही थी.. अपनी चूत शांत करके.. अब वो सच में सो रही थी या ढोंग कर रही थी वो तो उसे पता.. !! पर मौसम और फाल्गुनी के संबंध ऐसे चौराहे पर आकर खड़े हो गई थे की अगर फाल्गुनी सच नही बताती तो दोनों की दोस्ती वहीं खतम होने वाली थी


बहोत उदास हो गई फाल्गुनी.. जिंदगी ऐसे कठिन मोड पर लाकर खड़ा कर देगी ऐसा उसने कभी नही सोचा था.. सोचते सोचते कब दोनों की आँख लग गई उन्हे पता ही नही चला..
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,861
19,637
158
बहोत उदास हो गई फाल्गुनी.. जिंदगी ऐसे कठिन मोड पर लाकर खड़ा कर देगी ऐसा उसने कभी नही सोचा था.. सोचते सोचते कब दोनों की आँख लग गई उन्हे पता ही नही चला..

सुबह साढ़े छह बजे एलार्म बजते ही सब से पहले वैशाली की आँख खुली.. उसने धक्का देकर मौसम को जगाया.. अपने नंगे जिस्म को देखकर.. वैशाली को पिछली रात की रंगीन घटनाएं याद आ गई.. मन ही मन मुस्कुराते हुए उसने मौसम को हाथ से सहारा देकर उठाया और गुड मॉर्निंग कहते हुए उसे गले से लगा लिया.. स्तन से स्तन मिलें.. और स्तनों ने भी आपस में सुप्रभातम कर लिया..

"अब इस चुड़ैल को भी जगा..फिर हम तीनों बाथरूम में एक साथ नहायेंगे.. सब के सामने तैयार होकर जाने से पहले.. एक एक ऑर्गैज़म हो जाए.. फिर किसी की ओर आकर्षण होने का कोई खतरा नही.. वरना इस छुपी रुस्तम फाल्गुनी का कुछ कह नही सकते.. माउंट आबू में ही किसी को ढूंढकर उसके नीचे लेट जाएगी.. और फिर हम से कहेगी.. सात-आठ बार नही पर नौ बार चुदवाया है.. अभी भी साली मादरचोद ने उसका नाम नही बताया.. और ये भी नही बताया की सात-आठ बार एक ही लंड लिया था या हर बार अलग अलग था.. !!"

सुबह-सुबह वैशाली के मुंह से यह नंग-धड़ंग बातें सुनकर मौसम की चूत में कुछ कुछ होने लगा.. मौसम खड़ी हुई और वैशाली को उसकी निप्पल से खींचते हुए बाथरूम के अंदर ले गई.. और इंग्लिश कमोड पर बैठकर पेशाब करने लगी.. उसने निप्पल पकड़े रखी थी.. वैशाली ने कहा "क्या कर रही है यार तू? दर्द हो रहा है.. ऐसे भी भला कोई निप्पल खींचता है क्या!! दिमाग-विमाग है या नही? नहाना मुझे भी है.. ऐसे ही थोड़े बिना नहाए साइट सीइंग के लिए निकल पड़ूँगी!! अब जल्दी खतम कर और खड़ी हो जा.. मुझे भी बड़ी जोर से लगी है" मौसम के हाथ से अपनी निप्पल छुड़वाते हुए वैशाली ने थोड़े गुस्से से कहा

पर मौसम ने उसकी एक न सुनी.. और आराम से कमोड पर ही बैठकर मुस्कुराते रही.. आखिर थककर वैशाली बाथरूम के फर्श पर ही उकड़ूँ बैठ गई और मूतने लगी.. दोनों की पेशाब की धार की आवाज पूरे बाथरूम में गूंज रही थी..

वैशाली: "वो रांड अब तक जागी क्यों नही? रात को कहीं किसी वेटर के साथ चुदवाने तो नही गई थी ना.. !! उसका कुछ कह नही सकते" मौसम के गले में अपने बाहों का हार डालकर उसकी नाक से अपनी नाक रगड़ते हुए उसने कहा

मौसम ने झुककर अपना हाथ वैशाली की मूत रही चूत पर लगाया और पेशाब की धार से अपनी हथेली गीली करके खुद की चूत पर मल दिया और आँखें बंद कर किसी दूसरी दुनिया में ही पहुँच गई और बोली "आहाहाहा.. वैशाली कितना गुनगुना और गरम लग रहा है यार!! मन कर रही है की टांगें चौड़ी करके यहीं नीचे लेट जाऊँ.. और तेरे पेशाब की धार सीधी अपने चूत में लूँ.. "

u

मौसम के सुंदर स्तनों को दबाते हुए वैशाली ने कहा "अरे यार.. पहली बता देती.. चूत में क्यों.. तेरे मुंह में ही मेरी धार मार देती.. ऐसा मस्त नमकीन स्वाद तुझे और कहीं चखने को नही मिलेगा.. "

मौसम को घिन आ गई "छी छी यार.. मुंह में भी कभी कोई मुतता है क्या!!!"

वैशाली: "यार मौसम.. ये फाल्गुनी हमे उस चोदनेवाला का नाम क्यों नही बता रही? कोई बहोत बड़ा राज है क्या?"

मौसम: "रात को हम दोनों के बीच इस बारे में काफी कहा सुनी हुई थी.. तू सो गई उसके बाद.. मैंने कितनी बार पूछा पर उसने बताया ही नही.. इतना बुरा लगा मुझे.. दोस्ती में ऐसा भी क्या छुपाना!!! अगर मुझे बता देती तो मैँ कौन सा उसके लवर को छीन लेने वाली थी..!!"

वैशाली: "हाँ यार.. उस बात का मुझे भी बुरा लगा था.. जब हम तीनों इतना खुल चुके थे तब उसे बताने में भला क्या दिक्कत थी?? अब उसे बताना ही ना हो फिर पूछकर क्या काम.. !!"

मौसम: "हमें काम तो कुछ नही पर जानना जरूरी है.. कहीं वो किसी उलटे सीधे मर्द के साथ फंस गई हो तो हम उसकी मदद कर सकते है "

वैशाली सोचने लगी.. मौसम की बात तो सही थी.. एक तरफ फाल्गुनी सेक्स से इतना परहेज करती है.. और फिर भी सात-आठ बार कर चुकी है.. ऐसा कैसे हो सकता है? कहीं किसी के चंगुल में तो नही फंस गई? या फिर कोई ब्लैकमेल कर रहा हो.. ??

वैशाली: "तेरी बात बिल्कुल सही है मौसम.. कुछ तो बड़ा लोचा है.. हमें कुछ करना ही होगा" वैशाली वैसे ही नंगी कमरे में चली गई और फाल्गुनी को जगाकर बाथरूम में खींच लाई..

फाल्गुनी को अंदर लाकर वैशाली ने शावर चालू कर दिया और तीनों एक दूसरे पर पानी उड़ाते हुए खेलने लगी.. पानी का जादू ही कुछ ऐसा होता है की बूढ़े से बूढ़ा आदमी भी उसके संसर्ग में आकर बच्चे जैसा बन जाता है.. गीजर के गरम गुनगुने पानी को एक दूसरे पर उछालते हुए वैशाली दोनों के साथ बातें कर रही थी.. पर मौसम और फाल्गुनी एक दूसरे से नजरें चुरा रही थी.. दोनों बात भी नही कर रही थी.. फाल्गुनी से मौसम का ये बदला बदला सा रूप बर्दाश्त नही हो रहा था.. उसने मौसम पर पानी उड़ाकर उसे मनाने की कोशिश तो की.. पर मौसम तौलिया लेकर बिना कुछ कहें कमरे में चली गई..

3s

वैशाली समझ गई की दोनों के बीच अनबन हुई थी.. मौसम के बाहर जाते ही मौके का फायदा उठाकर वैशाली ने दरवाजा बंद कर लिया और फाल्गुनी को अपनी बाहों में दबा दिया.. फाल्गुनी ने वैशाली के होंठों पर किस करते हुए कहा "देख वैशाली.. जैसे तूने सिखाया था वैसे ही किस करना अब आ गया मुझे"

वैशाली: "अब वो तो होना ही था.. क्यों नही आता भला.. !! आखिर गुरु कौन है तेरी!!! हा हा हा हा.. पर मुझे ऐसी शेखी नही मारनी चाहिए की मैंने ही तुझे किस करना सिखाया" वैशाली ने परोक्ष तरीके से बात छेड ही दी.. फाल्गुनी के स्तनों पर साबुन मलते हुए दूसरा साबुन उसने उसके हाथ में दे दिया.. फाल्गुनी समझ गई और वो भी वैशाली के भरे भरे स्तनों पर साबुन लगाते हुए बोली "मतलब? तू कहना क्या चाहती है?"

rb2


वैशाली: "मेरे कहने का ये मतलब है की तूने सात-आठ बार जिसका भी लंड अपनी चूत में दलवाया.. उसने सीधे सीधे तो लंड अंदर नही डाला होगा न.. पहले बूब्स दबाएं होंगे.. चूसे होंगे.. चूत चाटी होगी.. और लिप किस भी की होगी.. फिर मैं ये कैसे कह सकती हूँ की मैंने तुझे सिखाया?"

"वो तो उन्होंने की थी.. मैंने थोड़े ही की थी? जिसने की हो वही जाने.. उनके करने से मुझे किस करना कैसे आ जाता.. !! पर ये बता दूँ.. की तुझे और मौसम को किस करने में जो मज़ा आया था वैसा मज़ा उनके साथ नही आया था यार.. !!"

फाल्गुनी के बोलते ही वैशाली ने नोटिस किया "उन्होंने.. उनके.. " शब्द प्रयोग का अर्थ यह था की फाल्गुनी को चोदने वाला कोई उसकी उम्र का या उसकी आसपास की उम्र का नही था.. कोई बड़ी उम्र का या बुजुर्ग ही हो सकता है.. अब नाम जानने के लिए फाल्गुनी को फुसलाना जरूरी था.. वैशाली का दिमाग भी उसकी माँ शीला जैसा तेज था.. उसने एक तरकीब सोची..

फाल्गुनी की चूत पर साबुन रगड़ते हुए वैशाली ने अपनी एक उंगली अंदर डाली और उसके होंठों पर एक लंबी किस कर दी.. दोनों के साबुन लगे स्तन एक दूसरे के संग दब गए.. चूत में उंगली करते हुए उसने फाल्गुनी से कहा "फाल्गुनी, मेरी एक रीक्वेस्ट है.. "

rs2

फाल्गुनी: "हाँ हाँ बोल ना.. !!"

वैशाली: "यार, बात दरअसल यह है की तुझे शायद नही पता होगा.. मेरे और मेरे पति संजय के बीच जरा भी नही बनती.. पिछले काफी समय से हम एक दूसरे से ठीक से बात तक नही करते.. तुझे पता है फाल्गुनी, मर्द तो घूमते रहते है और अपनी जरूरतें बाहर कहीं भी पूरी कर लेते है.. लेकिन हम लड़कियां ऐसा नही कर सकती.. मर्दों को अपनी हवस बुझाने के लिए बाजार में ढेरों लड़कियां मौजूद है जो पैसे लेकर अपने शरीर का सौदा कर लेती है.. पर हम लड़कियों के लिए वो सुविधा भी आसानी से उपलब्ध नही होती.. यार फाल्गुनी, तू अभी कुंवारी है इसलिए शायद मेरी बात समझ में नही आएगी.. पर एक बार हमारी चूत को लंड की आदत पड़ जाती है ना.. फिर उसे वो चाहिए ही चाहिए.. संजय तो अब मुझे छूता तक नही.. या यूं कह लो की मैं उस मादरचोद को हाथ लगाने नही देती.. किसी रांड की चूत में घुसा हुआ लंड मैं क्यों अपने मुंह में लूँ.. ??" वैशाली ऐसे ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रही थी जिन्हे सुनकर फाल्गुनी की चूत गरम भांप छोड़ने लगी..

बाथरूम से बाहर आकर मौसम ने कपड़े पहन लिए.. मेकअप भी कर लिया.. लेकिन वैशाली और फाल्गुनी अभी तक बाथरूम में ही घुसी हुई थी.. क्या कर रही होगी वो दोनों अंदर? दरवाजा भी बंद है.. जरूर रात जैसा है कोई कार्यक्रम शुरू किया होगा दोनों ने.. मैं भी अंदर रहती तो मज़ा आता.. वैशाली के साथ वैसे तो बहोत मज़ा आता ही है.. बोल्ड और ब्यूटीफुल है वो.. पर इन दोनों ने दरवाजा अंदर से बंद क्यों कर रखा है? मौसम को ज्यादा विचार करने की जरूरत नही पड़ी क्योंकि दरवाजे के करीब खड़े रहकर उसे वैशाली की बातें स्पष्ट सुनाई दे रही थी.. अब मौसम कान लगाकर उनकी बातें बाहर से सुन रही है उसका पता वैशाली और फाल्गुनी को कैसे चलता.. !!


lsss

वैशाली: "मुझे तो हर रात को इतनी इच्छा होती है.. रोज रात होते ही मेरी भूख जाग जाती है और मुझसे बर्दाश्त नही होती.. संजय तो अपनी मस्ती में कहीं पड़ा रहता है.. और मैं यहाँ मर्द के स्पर्श को तरसती और तड़पती रहती हूँ.. फाल्गुनी, मैं भी जवान हूँ.. मेरे भी अरमान है.. जरूरतें है.. ज्यादा से ज्यादा तीन दिनों तक अपनी भूख को सहन कर लेती हूँ.. चौथे दिन तो ऐसा मन करता है की कहीं भाग जाऊँ.. अलग अलग प्रयोग करके खुद को संतुष करने की कोशिश करती हूँ.. पर कितने दिनों तक?? ओरीजीनल लेने में कितना मज़ा आता है.. तुझे तो पता ही है.. !!"

फाल्गुनी: "हाँ यार वैशाली.. तेरी बात बिल्कुल सही हैं.. मैं कितनी भी कोशिश करूँ मुझसे गलती हो ही जाती है.. साला कंट्रोल ही नही रहता.. पर तू मुझसे क्या चाहती है, ये तो बता.. !!"

वैशाली: "बुरा मत मानना फाल्गुनी, तेरा जो भी पार्टनर हो उसे मैं छिनना नही चाहती.. पर एक बार मुझे भी उनसे मिलवा दे.. मुझे बहोत मन कर रहा है यार.. इस चूत में असली लंड गए हुए एक साल से ऊपर हो गया है.. मुझे तो लगता है की मैं पागल हो जाऊँगी.. "

फाल्गुनी: "जो तू कह रही है वो मुमकिन नही हो सकता.. कोई चांस ही नही है:

वैशाली: "मैं समझ सकती हूँ यार.. पर अगर तेरे पार्टनर के साथ मुमकिन न हो तो उसके कोई दोस्त से सेटिंग करवा दे.. हम दोनों मिलकर मजे करेंगे"

फाल्गुनी: "यार वैशाली, मैं तुझे कैसे समझाऊँ? ये पोसीबल ही नहीं ये.. वो मौसम भी यही बात को लेकर मुझसे रूठी हुई है.. उसे भी नाम जानना है.. अगर मैं उसे नाम बता दूँगी तो उसकी क्या हालत होगी वो नही जानती.. और तुम भी कल रात से इसी जिद पर अडी हुई हो..!!"

मौसम दरवाजे पर कान चिपकाकर ये सारी बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी.. उसकी सांसें गले में अटक गई थी.. कहीं कोई बात सुनने में रह न जाए इसलिए वो एकटक अपना ध्यान अंदर की बातों पर केंद्रित कर सुन रही थी.. उसे वैशाली की बात सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ.. एक स्त्री होकर कैसे वो अपनी दोस्त का पार्टनर मांग रही थी!!!! वो भी सेक्स करने के लिए ?? माय गॉड.. एक नंबर की बेशर्म है साली.. !!"

फाल्गुनी: "वैशाली, जैसा तूने कहा की मर्दों को पैसे देकर लड़कियां मिल जाती है.. तो क्या संजय भी ऐसी लड़कियों के साथ संबंध रखता है ??"

वैशाली की उंगलियों का जादुई असर अब फाल्गुनी पर हो रहा था.. उत्तेजित होकर वो विचित्र सवाल पूछ रही थी जिनका जवाब भी उत्तेजना और अश्लीलता से भरपूर ही होने वाला था

lf

वैशाली: "हाँ यार.. दो दो महिना बाहर रहकर जब वो घर आता है.. तब इतने आराम से मेरे बगल में लेटे हुए बिना कुछ कीये पड़ा रहता है.. देखकर ही पता चल जाता है की वो अपनी आग कहीं और बुझाकर आया है.. बाकी ऐसा कौन सा पति होगा जो दो महीने तक अपनी पत्नी से दूर रहकर वापिस आयें और अपनी पत्नी को हाथ भी ना लगाएं.. !!!"

फाल्गुनी: "सही बात है.. मर्द लोग तो कुछ भी कर सकते है.. ना जगह देखते है.. न समय देखते है.. जब मन करे तब छेड़ने लगते है.. हम लोगों तो कितनी शर्म आती है पर उन्हें तो कोई शर्म ही नही होती.. !!"

वैशाली: "जैसे पुरुषों के लिए लड़कियों और औरतों का बाजार होता है वैसे ही हम लड़कियों के लिए भी लड़कों/मर्दों का बाजार होता तो कितना अच्छा होता.. !! मेरी जैसी भूखी लड़कियां.. विधवा.. तलाकशुदा औरतें.. वहाँ जाकर अपनी पसंद के लड़के से चुदकर हवस को शांत कर पाती.. ये भूख अब सही नही जाती.. तू मानेगी नही.. इतना मन करता है की तुझे क्या बताऊँ?? कल रात तुम दोनों ने देखा था न.. कितनी गरम हो गई थी मैं!! ये जानते हुए की मेरी खुजली शांत कर सकें ऐसा लंड हाजिर नहीं है फिर भी कैसे मैंने मेरी चूत को तेरे और मौसम के चेहरे पर चिपका दिया था!! अब तुझसे क्या छुपाना.. संजय की उपेक्षा से मैं तंग आकर मैं यहाँ अपनी मम्मी के पास आ गई.. और सेक्स की इतनी तीव्र इच्छा हो रही थी की मैंने मम्मी की गैरमौजूदगी में अपने कॉलेज के पुराने फ्रेंड को घर बुलाकर चुदवा लिया.. तब जाके नीचे थोड़ी ठंडक मिली.. पर मुसीबत ये है की एक बार करने पर भूख थोड़े समय के लिए शांत तो हो जाती है.. पर दो-तीन बितते है वापिस अंदाई लेकर भूख जाग जाती है.. कभी कभी तो पुरुषों को देखकर इतने गंदे गंदे विचार आने लगते है मन में की क्या बताऊँ? मन करता है की उनको वहीं धर दबोचूँ और अपनी चूत में उनका लंड ले लूँ.. अब ऐसे मैं कहीं मुझसे कोई बड़ी गलती हो गई तो?? इसीलिए मैंने तुझसे कहा.. की तू जिसके साथ मजे करती है उसके साथ मेरी भी सेटिंग करवा दे.. तू बुरा मत मानना.. पर तू तो कुछ दिनों में चली जाएगी.. फिर मुझे ऐसा चांस दोबारा नही मिलेगा.. मुझे एक बार तो मजे कर लेने दे यार.. तुझे क्या दिक्कत है?? पर जब तू नाम भी नही बता रही तो करने देने का कोई सवाल ही नही उठता.. " एक भारी सांस छोड़ते हुए वैशाली ने कहा

फाल्गुनी: वैशाली, तू मेरे पार्टनर के साथ सेक्स करें उसमें मुझे कोई प्रॉब्लेम नही है.. पर मैं उलझन में हूँ.. अगर मैं वो नाम बता दूँगी तो तू मेरे बारे में क्या सोचेगी!!! और मौसम को पता चलेगा तो उसके सर पर आसमान टूट पड़ेगा.. !!"

वैशाली: 'मैं प्रोमिस करती हूँ.. ये बात मौसम को कभी पता नही चलेगी.. तुझे मुझपर इतना भरोसा तो होना चाहिए.. और वैसे भी मैं कुछ दिनों में वापिस कलकत्ता चली जाऊँगी.. तेरा राज मेरे सीने में महफूज रहेगा.. "

फाल्गुनी: "बात तो तेरी ठीक है.. पर कहते हुए मेरी जबान नही चलती.. प्लीज यार.. !!"

वैशाली: "फाल्गुनी, तू नाम देने में जितना शरमा रही है.. उतनी ही मेरी बेसब्री बढ़ते जा रही है.. अगर तूने मुझे नाम बता दिया.. तो मैं मौसम से तेरी दोस्ती फिर से करवा दूँगी.. बिना उसे कुछ बताएं.. ये मेरा वादा है.. " वैशाली ने फाल्गुनी के दोनों स्तनों को दबाकर उसे उत्तेजित कर दिया.. शावर का गरम पानी उसकी चूत से होकर टपकते हुए उसे बेहद आनंद दे रहा था

फाल्गुनी: "ये कैसे मुमकिन होगा वैशाली? बिना नाम जाने मौसम नही मानेगी.. और मैं किसी भी सूरत में उसे नाम नही बता पाऊँगी.. नाम बता दूँगी तो भी हम दोनों की दोस्ती हमेशा हमेशा के लिए टूटने वाली है फिर मैं क्यों बेकार में उसके पापा का नाम बदनाम करूँ???"

वैशाली की सिट्टी-पीट्टी गुम हो गई.. उसके मुंह से चीख निकल गई "मतलब तू मौसम के पापा के साथ..............!!!!!!!!!!!!!!!!" वहीं चीख दरवाजे से होते हुए मौसम के कानों तक पहुँच गई और फिर हवा में ओजल हो गई..

फाल्गुनी: "धीरे बोल वैशाली.. कहीं मौसम ने सुन लिया तो गजब हो जाएगा.. वो तो जान से मार देगी मुझे.. "

वैशाली: "फाल्गुनी, मौसम के पापा के साथ तेरा संपर्क कैसे हुआ? कैसे शुरू हुआ ये सब? कुछ विस्तार से बता तो पता चले मुझे" वैशाली ने एक मिशन तो पार कर लिया था अब दूसरे की तैयारी करने लगी..

फाल्गुनी: "वो सब बाद में बताऊँगी वैशाली.. हम लोग कब से बाथरूम के अंदर घुसकर बैठे है.. सब नीचे साइट-सीइंग के लिए हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे.. मौसम भी क्या सोचेगी हमारे बारे में.. !! और हाँ.. तू मेरी और उसकी दोस्ती करवा दे फिर मैं अपनी कहानी सुनाऊँगी!!"

वैशाली: "उसका हल तो काफी सिम्पल सा है.. तू ऐसे ही किसी का भी नाम बता दे मौसम को.. ऐसे व्यक्ति का नाम बता दे जिसे मौसम जानती तो हो पर उससे कन्फर्म करने ना जा सके "

फाल्गुनी: "ऐसे कैसे किसी का भी नाम ले लूँ?"

वैशाली: "दिमाग पर थोड़ा जोर लगा और सोच.. कोई तो नाम होगा.. कोई बुजुर्ग.. या पड़ोसी या कोई रिश्तेदार.. !!"

"नही यार.. ऐसा कोई नही है जिसका नाम ले सकूँ" फाल्गुनी सोचते हुए बोली

"तुम्हारे कॉलेज का कोई प्रोफेसर? " वैशाली उसे नाम सोचने में मदद करने लगी

"प्रोफेसर तो सारे जवान है.. हाँ प्रिंसिपल सर बूढ़े है.. उनका नाम बता दूँ?" फाल्गुनी खुश हो गई.. अपनी समस्या का हल मिलने पर चमक आ गई उसके चेहरे पर..

"हाँ.. बढ़िया रहेगा.. मौसम तुम्हारे प्रिंसिपल से ये पूछने तो जाएगी नही की.. सर, क्या आप मेरी फ्रेंड को चोदते हो?.. " वैशाली ने कहा

फाल्गुनी: "पूछने जाने का तो सवाल ही नही है.. बहोत ही स्ट्रिक्ट है प्रिंसिपल सर.. चल अब हम दोनों निकलते है बाहर"

वैशाली: "और सुन.. बाहर जाकर.. जैसा मैं कहूँ वैसे ही मौसम से बात करना.. ठीक है"

"ओके.. " कहते हुए फाल्गुनी अपने और वैशाली के गीले जिस्म को तौलिए से पोंछने लगी..

बाहर मौसम की पूरी दुनिया गोल गोल घूम रही थी.. वो बेड पर अपना सर पकड़कर बैठी हुई थी.. पापा?? मेरे पापा?? ऐसा कैसे कर सकते है? फाल्गुनी के साथ सेक्स? मौसम के लिए उन दोनों के बाहर आने से पहले नॉर्मल हो जाना काफी जरूरी था.. नहीं तो उनको पता चल जाता की मौसम ये बात जान चुकी थी.. उसने आईने में देखकर अपना मेकअप ठीक कर लिया और लिपस्टिक लगाते हुए गीत गुनगुनाने लगी..

वैशाली और फाल्गुनी बाथरूम से बाहर निकले.. मौसम को मेकअप में व्यस्त देखकर दोनों के दिल को राहत मिली.. खास कर फाल्गुनी को.. क्यों की उसे डर था की जब वैशाली ने चीखकर उसके पापा का नाम लिया तब शायद मौसम ने सुन लिया हो.. !! डरते डरते उसने तिरछी नज़रों से मौसम की ओर देखा.. मौसम तो बेफिक्री से बैठी हुई थी..

वैशाली: "मौसम.. मैंने इस रंडी से उसके पार्टनर का नाम उगलवा लिया"

मौसम: "वैशाली, तू उसकी खास सहेली है.. इसलिए तुझे तो वो सब बताएगी.. दिक्कत तो उसे सिर्फ मुझे बताने में है.."

फाल्गुनी की आँखों में आँसू आ गए "ऐसा नही है मौसम.. तू मुझे गलत समझ रही है यार.. प्लीज ऐसा मत बोल"

मौसम को जैसे फाल्गुनी के आँसू या उसकी बातों से कोई फरक ही नही पड़ा हो वैसे उसने कहा "चलो अब नीचे चलें.. !! सब लोग हमारा वैट कर रहे होंगे"

फाल्गुनी के उदास चेहरे के सामने वैशाली ने देखा..

वैशाली: "मौसम, इतना भी क्या गुस्सा करना? ऐसा गुस्सा अक्सर दोस्ती के लिए खतरनाक साबित होता है.. डोर को कभी इतना भी मत खींचो की वो टूट जाएँ.. !!"

मौसम: "मैंने कहाँ कुछ किया या कहा है? जो भी किया है फाल्गुनी ने किया.. हम दोनों बचपन से साथ है.. एक दूसरे को हर छोटी बड़ी बात बताते है.. पर आज उसने इतनी बड़ी बात मुझसे छुपाई और तुझे बता दी.. अब तू ही बता.. मुझे दुख तो होगा ना.. !!"

फाल्गुनी ने नजरें झुकाते हुए कहा "यार, वो हमारे कॉलेज के प्रिंसिपल सर है.. इसलिए उनका नाम लेने में मुझे शर्म आ रही थी.. !!"

मौसम को दूसरा सदमा पहुंचा.. दोस्ती में एक और झूठ???

एक तरफ तो अपने पापा और फाल्गुनी के संबंधों के बारे में जानकर उसकी रूह कांप गई थी.. ऊपर से प्रिंसिपल के नाम का झूठ सुनकर उसे बड़ा धक्का लगा.. पर उसने अपने चेहरे से ये प्रतीत नही होने दिया.. और नॉर्मल होकर बोली "अरे वो टकलू.. !! तूने क्या देख लिया उस बूढ़े खूसट में? तू चाहती तो एक से बढ़कर एक लड़के तेरी टांगों के बीच आने के लिए तैयार थे.. हरीश है. राज है.. सब लाइन मारते है तुझे.. और तुझे उस बूढ़े माथुर में ऐसा क्या नजर आ गया.. ??"

मौसम को नॉर्मल होकर चर्चा में शामिल होता देख वैशाली खुश हो गई.. चलो आखिर सब ठीक होने लगा था..

वैशाली: "हाँ यार फाल्गुनी.. मौसम की इस बात से तो मैं भी सहमत हूँ.. कोई बांका जवान हेंडसम लड़का होता तो तुझे अपनी छातियाँ मसलवाने में कितना मज़ा आता.. उस बूढ़े में ऐसा क्या दिख गया तुझे? साले का एक पैर कबर में और दूसरा पैर अस्पताल में.. वो तुझे चोद गया.. मुझे तो ये बात हजम नही हो रही" फाल्गुनी ब्रा के हुक बंद करते हुए अपने तंदूरस्त स्तनों को थोड़ा सा उभारने लगी.. ताकि उनका आकार बाहर नजर आयें..

bh

फाल्गुनी: "मैंने सामने से कहाँ कुछ किया है यार.. आप लोग तो मुझ पर ऐसे टूट पड़े जैसे मैं सामने से माथुर सर की चेम्बर में जाकर नंगी होकर लेट गई.. तुझे याद है मौसम उस दिन हम माथुर सर की चेम्बर में.. उस हरामी हरीश की कंप्लेन करने गए थे?? याद कर.. !!"

मौसम: "हाँ हाँ.. याद आया.. !!" मौसम को ताज्जुब हुआ.. कितनी आसानी से बातों की कड़ियाँ जोड़ रही है ये फाल्गुनी..!!!

फाल्गुनी: "उस दिन फिर तू बाहर पटेल सर से बात करने के लिए रुक गई और जैसे ही मैं माथुर सर के चेम्बर में गई.. तो मैंने देखा की वो पल्लवी मैडम को अपनी गोद में बिठाकर उनके बूब्स दबा रहे थे.. और पल्लवी मैडम उन्हे किस कर रही थी.. दोनों इतने बीजी थे की मैं उनके पास जाकर खड़ी हो गई तब तक उन्हें पता ही नही चला.. मैडम के ब्लाउज में हाथ डालकर वो उनके बूब्स को मसल रहे थे.. मैडम भी उनके पेंट के अंदर हाथ डालकर बैठी थी.. यार मौसम.. मैंने तो पहले कभी ऐसा कुछ देखा ही नही था.. मैं तो बुरी तरह चोंक गई.. क्या करूँ समझ में नही आ रहा था.. तभी अचानक उनकी नजर मेरे ऊपर पड़ी.. मैं भागकर बाहर चली गई.. दूसरे दिन तू कॉलेज नही आई थी.. तब कॉलेज खतम होने के बाद मैडम ने मुझे स्टाफ रूम में बुलाया और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.. फिर उन्होंने जबरदस्ती अपने बूब्स मुझसे दबवाये और कहा की अगर मैं किसी को भी इस बारे में कुछ बताऊँगी तो वो मुझे फैल कर देंगे.. मैं बहोत डर गई थी यार.. इसलिए तुझे बता न सकी.. इस में मेरी क्या गलती? मैंने अपनी मर्जी से तो कुछ किया नही था"

वैशाली: "तूने मैडम के साथ ये सब किया तो माथुर सर बीच में कैसे आ गए फाल्गुनी? मुझे लगता है तू अभी भी कुछ छुपा रही है"

फाल्गुनी: "मैं सब कुछ बताती हूँ.. थोड़ा रुको तो.. !!"

तभी मौसम के मोबाइल पर पीयूष का कॉल आया.. उसने कहा की सब बस में बैठ चुके थे और तीनों की राह देख रहे थे.. जल्दी आओ.. तीनों फटाफट निकले पर निकालने से पहले वैशाली ने मौसम और फाल्गुनी की फिरसे दोस्ती करवा दी और कहा "मौसम, गुस्सा थूक दे.. "और फिर दोनों के स्तनों को बारी बारी दबा दिया.. फिर वैशाली और फाल्गुनी दोनों ने मिलकर मौसम के स्तन एक साथ दबाएं और उसे हंसा दिया.. मौसम फाल्गुनी से गले लग गई.. फाल्गुनी की आँखों से आँसू टपक पड़े.. वो इतना ही बोल पाई "मौसम प्लीज.. दोबारा कभी मेरे साथ ऐसा मत करना.."

मौसम: "तूने मुझसे ये सब छुपाया नही होता तो ये नोबत ही नही आती.. चल.. अब सब भूल जा.. चलते है अब.. देर हो गई है"

वैशाली: "एक मिनट रुको.. कुछ दिनों के बाद मैं वापिस कलकत्ता चली जाऊँगी.. फिर न जाने कब मिले.. एक लास्ट किस तो बनती है" तीनों ने एक दूसरे को किस किया और स्तन दबाएं और खिलखिलाकर हँसते हुए बाहर निकली

lki
मौसम नॉर्मल होने का दिखावा कर रही थी.. लेकिन उसके दिल और दिमाग में तो आग जल रही थी.. रह रहकर उसे ये विचार आ रहा था की पापा और फाल्गुनी ने ऐसा क्यों किया? कब किया होगा? मम्मी कहाँ थी तब? मैं कहाँ थी? क्या वो दोनों मेरे घर पर ही करते होंगे? या फिर पापा की ऑफिस में?? नही नही ऑफिस में तो नही हो सकता.. तो फिर कहाँ मिलते होंगे वो दोनों.. और एकाध बार नही.. सात आठ बार.. !! जानना तो पड़ेगा ही.. फाल्गुनी पर नजर रखूंगी तो सब पता चल जाएगा.. !!!
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है फाल्गुनी तो छुपी रुस्तम निकली अपनी सहेली के पापा से ही चूद गई और उसे पता तक नहीं चलने दिया वैशाली भी शीला की तरह बहुत ही तेज है फाल्गुनी से आखिर सच बाहर निकलवा ही लिया
 

Sanju@

Well-Known Member
4,861
19,637
158
शीला नंगी होकर अपने दामाद संजय की बाहों में पड़े पड़े गोवा की आखिरी रात को रंगीन बनाने की तैयारी में थी.. दोनों आज अपनी सारी इच्छाओं को पूर्ण करने की फिराक में थे.. क्योंकी ऐसा मौका उन्हें दोबारा नही मिलने वाला था.. दोनों आपस में एकदम खुल चुके थे

cd

शीला की एक एक सिसकी.. संभोग के समय के हावभाव देखकर संजय पागल हो जाता था.. अब तो नोबत ऐसी आन पड़ी थी शीला के साथ प्रत्येक क्षण वो उत्तेजित ही रहता था.. पूरा समय लंड खड़ा रहने के कारण उसे दर्द होता था.. चार चार बार झड़ने के बाद भी शीला, संजय के गोरे.. वीर्य-विहीन लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़े रखती थी..

शीला: "बेटा.. मैंने कभी सोचा भी नही था की अपने दामाद के साथ ही मुझे ये सब करने का मौका मिलेगा.. जो कुछ भी हो रहा है वो मुझे इतना अच्छा लग रहा है की तुम्हें बता नही सकती.. लेकिन आज ये सब कुछ करने का आखिरी दिन है.. तू एक जानदार मर्द है.. एक औरत होने के नाते मैं इतना तो कह ही सकती हूँ की तू अपनी कामुक हरकतों से किसी भी लड़की या स्त्री को अपनी गुलाम बना सकता है.. संजय बेटा.. तेरी हरेक हरकत ऐसी होती है की तुझसे एक बार चुदने के बाद कोई भी तेरे इस डंडे को कभी भूल नही पाएगा.. और मैं तो पहले से ही सेक्स की काफी शौकीन हूँ.. तेरे ससुर के साथ मैंने इतने खुलकर मजे कीये है की तुझे क्या बताऊँ.. !! तेरे साथ चुदते वक्त.. तेरे दमदार धक्कों को मेरी चूत में लेते वक्त.. मुझे ऐसा ही लगता था जैसे तेरे अंदर मदन घुस गया हो.. ये तेरा सुंदर लंड इतना रसीला है की कोई भी स्त्री उसे देखते ही अपने छेद में लेने के लिए बेबस हो जाएँ.. " शीला ने झुककर संजय के लंड को चूम लिया

संजय: "आहह मम्मीजी.. मुंह में लेकर चुसिए..बहोत मज़ा आ रहा है.. मम्मीजी, मैंने आज तक सेंकड़ों लड़कियों और औरतों को चोदा है.. पर आपके जैसी स्त्री मैंने आजतक नही देखि जो २४ घंटे बस चुदने के लिए ही बेकरार हो.. !!" कहते हुए संजय ने शीला के गदराए स्तनों को बड़ी मस्ती से दबा दिया "मम्मीजी, आप एक बार कलकत्ता आइए.. वहाँ मेरे बहोत सारे दोस्त है.. आपको नए नए लंडों को स्वाद मिलेगा.. !!"

शीला: "बेटा.. इतने दूर सिर्फ लंड लेने के लिए आऊँ?? और मुझे अलग अलग लंड लेने में दिलचस्पी नहीं है.. मुझे तो चाहिए एक ताकतवर लंड जो मेरे जनम जनम की भूख को संतुष्ट कर सकें.. मेरी चूत में जो हर दस मिनट पर चुदवाने की चूल मचती है.. उसे शांत कर सकें.. संजयं, तू यहाँ शिफ्ट हो जा.. फिर हम आराम से एक दूसरे को भोग सकेंगे.. तू मेरा दामाद है इसलिए किसी को शक भी नही होगा.. मेरा दिल अभी तेरा लंड लेकर भरा नही है.. अभी तो मुझे तुझसे बहोत बार चुदवाना है.. इतनी बार करवाना है की दोबारा कभी चुदवाने का मन ही न हो" कहते हुए शीला ने संजय को बिस्तर पर लेटा दिया और उसपर सवार हो गई.. संजय के लंड को अपनी गांड के छेद पर सेट किया और हल्के से दबाया.. आह्ह..

शीला: "तेरे मोटे लंड से जब गांड की दीवारें रगड़ती है तब बड़ी ही तेज खुजली होती है अंदर.. आज इस आखिरी रात को यादगार बनाने के लिए मैं तुझसे अपनी गांड मरवाना चाहती हूँ"

संजय: "ओह्ह ओह्ह आह्ह मम्मीजी.. कितनी टाइट है आपकी गांड आह्ह.. " सिसकियाँ लेते हुए संजय ने अपनी गांड ऊपर कर दी और शीला की कमर को दोनों हाथों से पकड़कर उसकी गांड को ड्रिल करने लगा.. शीला की दर्द से भरी सिसकियाँ.. और संजय की कराहों की गूंज के बीच.. शीला की गांड को चीरता हुआ संजय का तगड़ा लंड अंदर घुस गया.. शीला के परिपक्व और मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों से पकड़कर मसलते हुए संजय ने उसे अपनी ओर खींचा.. और उसके रसीले कामुक होंठों पर एक जबरदस्त किस कर दी..

ba

शीला और उसका दामाद संजय.. एक कपल की तरह नही.. पर पति पत्नी की तरह एक दूसरे में खो गए.. संजय का लंड शीला की गांड में ऐसे फिट हो गया जैसे वो दोनों जनम जनम के साथी हो.. कमर हुचकाते हुए संजय.. अपने लंड को शीला की गांड के अंदर बाहर कर रहा था.. और शीला की गांड ऐसे लंड गटक रही थी जैसे उसका सर्जन ही लंड लेने के लिए हुआ हो.. बड़ी मस्त ठुकाई हो रही थी शीला की गांड की..

संजय: "ओह्ह मम्मी जी.. कितनी टाइट गांड है यार.. मेरे लंड में दर्द होने लगा है.. आह्ह जरा धीरे धीरे.. !!!"

शीला: "आह्ह बेटा.. मेरा तो मन कर रहा है की मैं तेरी रखेल बन जाऊँ.. और तू मुझे पूरा दिन चोदता रहें.. अलग अलग आसनों में..ओह्ह बेटा.. बहोत जोरों की खुजली मची है मेरी गांड में.. लगा जोर से धक्के.. फाड़ दे मेरी गांड.. आह्ह आह्ह ओह्ह ओह्ह.. !!"

संजय के ऊपर हिंसक होकर कूद रही थी शीला.. कैसी जवान लड़की से दोगुना जोर था शीला के धक्कों में.. उसकी गदराई कामुक काया की एक एक अंग भंगिमा.. किसी भी पुरुष को अपने वश में करने के लिए काफी थी.. शीला ने हाथ नीचे डालकर संजय का लंड पकड़ लिया और थोड़ा सा रुककर अपनी गांड से बाहर निकाला.. थोड़ा सा झुकी और एक ही धक्के में अपने भोसड़े में उतार दिया..

ba2

शीला: "आह्ह.. आग तो यहाँ भी लगी हुई है.. जमकर धक्के लगा बेटा.. आग बुझा दे मेरी.. अब और रहा नही जाता संजु बेटा.. !!" शीला ने अपनी रिधम प्राप्त कर लिए थी.. वो संजय के जिस्म पर ऐसे हावी हो गई थी जैसे किसी बड़े मगरमच्छ ने छोटी सी गिलहरी को दबोच रखा हो.. संजय का लंड अब दर्द करने लगा था.. पर अपना बचाव करने की स्थिति में नही था वो.. शीला ने जैसे उसके शरीर, मन और मस्तिष्क पर कब्जा कर लिया था.. बेजान पड़े पड़े वो बस शीला से संचालित हो रहा था.. शीला के इस सुनामी जैसे हमले को देखकर वो स्तब्ध हो गया था.. पड़े रहने के अलावा उसके पास ओर कोई विकल्प नही था.. शीला इतनी हिंसक होकर उसके लंड पर कूद रही थी जैसे उसके लंड को शरीर से अलग कर देना चाहती हो..

संजय अब घबरा रहा था.. कहीं शीला की ये तीव्र सेक्स की भूख उसकी जान न ले ले.. आँखें बंदकर वो प्रार्थना कर रहा था की शीला जल्द से जल्द झड जाए.. करीब १२ मिनट के भीषण धक्कों के शीला ढल पड़ी.. ऐसे लाश होकर संजय की छाती पर गिरी जैसे उसके शरीर की सारी ऊर्जा भांप बनकर उड़ गई हो.. शीला के विराट स्तनों और बदन के वज़न तले संजय दब गया था.. उसका लंड अब वीर्य छोड़ पाने की स्थिति में भी नही रहा था.. और बिना झड़े ही नरम होकर शीला के भोसड़े से बाहर निकल गया था.. और मरे हुए चूहे जैसे लटक रहा था.. दायें तरफ के आँड की ओर लटक रहे मुरझाएं लंड को देखकर ही पता लग रहा था की शीला के भोसड़े के अंदर उस पर क्या बीती होगी.. संजय ने मन ही मन अपने ससुर को सलाम कर दी.. जिन्होंने इतने सालों से इस हवस की महासागर को समेटकर संभाल रखा था.. पता नही ससुरजी कैसे इस शेरनी को काबू में रखते होंगे.. !! संजय सोच रहा था.. मैं इतना बड़ा चुदक्कड़ हूँ फिर भी मम्मी जी ने मेरे झाग निकाल दिए.. कोई सामान्य इंसान होता उसकी तो जान ही निकल जाती मम्मी जी के नीचे.. !!!

रात के साढ़े बारह बजे.. एक जानदार ऑर्गैज़म के बाद.. शीला और संजय बाथरूम में साथ नहाने गए.. नहाते हुए शीला ने फिरसे एकबार संजय को मुख-मैथुन का अलौकिक आनंद दिया.. वह जानती थी की किसी भी मर्द को अगर काबू में करना हो तो मुख-मैथुन से बेहतर ओर कोई दूसरा विकल्प नही है..

sd

अगर ईमानदारी से सर्वे किया जाए तो कोई कपल ऐसा नही मिलेगा जिसे ओरल सेक्स में मज़ा न आता हो.. मर्द को अपना लंड चुसवाने में.. और औरत को अपनी चुत चटवाने में हमेशा आनंद आता है.. सब के सामने या दोस्तों के बीच.. इस क्रिया को घृणास्पद या गंदा कहने वाले लोग.. बेडरूम की चार दीवारों के बीच बड़े आराम से इसका मज़ा उठाते है.. इतना ही नही.. दुनिया के सारे मर्द यही सोचते है.. की उसके जितनी विकृत हरकतें और कोई नही करता होगा.. उसमें भी जब उसकी बीवी उससे कहें "बाप रे.. क्या कर रहे हो आप? आप को तो कुछ शर्म ही नही है.. एक नंबर के बेशर्म हो.. !!" यह सुनते ही पुरुष का अहंकार पोषित होता है और वो सातवे आसमान पर पहुँच जाता है.. और इसी भ्रामक अहंकार का उपयोग कर औरतें मर्दों से अपने काम निकलवा लेती है.. इंसानों की बात छोड़िए.. जानवर भी तो ऐसा ही करते है.. !!! नर जानवर मादा की योनि की गंध सूंघकर और उसे चाटकर ही उसे संभोग के लिए तैयार करता है.. हाँ, मादा जानवर कभी नर के साथ मुख-मैथुन नही करती.. ये क्रिया केवल मनुष्यों में ही देखी जाती है.. कुदरत ने इस मामले में इंसानों को ज्यादा ही स्वतंत्रता दी है..

शावर लेते हुए जब शीला घुटनों के बल बैठकर अपने दामाद का लंड चूस रही थी तब उसका ध्यान इस बात पर जरा भी नही था की संजय को मज़ा आ रहा है या नही.. वह तो खो चुकी थी अपनी ही मैथुन की अलौकिक दुनिया में.. लंड के लिए उसने अपने मन में जो कुछ भी विकृतियाँ पाल रखी थी वो सब उसने गोवा की इस आलीशान होटल के बाथरूम में ही संतुष्ट करने का मन बना लिया था.. संजय के विकराल लंड को अपने मुख के अंदर बाहर कर रही थी.. उसने अपनी आँखें इसलिए खोली थी ताकि वो दीवार पर लगे आईने में अपनी हरकतें देख सके.. फिर से एक बार पूरे लंड को मुंह से बाहर निकालकर उसने अपनी जीभ से उसे चाट लिया.. एक एक हरकत को आईने में देखकर वो उत्तेजित हो रही थी.. संजय तो शीला के हाथों का एक खिलौना बनकर रह गया था.. वो शीला के स्तनों को बार बार दबाकर.. निप्पलों को खींचकर अपनी सास के स्तनों से खेलने की सालों पुरानी तमन्नाओं को पूरी कर रहा था.. संजय को वो समय याद आ रहा था.. जब जब वो ससुराल आता तब अपनी सास के गदराए जोबन को देखते ही बेचैन हो जाता था.. तब से उसे महसूस होता की इस स्त्री में कुछ ऐसा खास था जो मर्दों को अपनी ओर चुंबक की तरह खींच लेती थी..

जब संजय वैशाली को पहली बार देखने आया था तब से वो अपनी सास के हुस्न का आशिक बन गया था.. जब पहली बार शीला ने झुककर नाश्ते की प्लेट टेबल पर रखी थी और जिस तरह उसके सामने देखा था.. संजय को ऐसा ही लगा था जैसे वो उसके चोदने के लिए आमंत्रित कर रही हो.. वैशाली से कहीं ज्यादा वो शीला के प्यार में पागल था.. शीला के लिए ये कोई नई बात नही थी.. वो अपने दामाद की गंदी नज़रों से काफी समय पहले ही वाकिफ हो चुकी थी.. पहले तो वो ज्यादातर संजय के सामने आती ही नही थी.. ताकि उसकी कामुक नज़रों का सामना न करना पड़ें.. तब से लेकर आज तक.. उनके संबंध कहाँ से कहाँ पहुँच गए!!! शीला के हाथों में अपने दामाद का लंड आ चुका था.. और जिन उन्नत स्तनों को याद करते हुए संजय, वैशाली की चूत का भोसड़ा बना देता था.. वो स्तन भी संजय के हाथों में थे.. आम तौर पर संभोग के दौरान.. पुरुष सक्रिय होते है और स्त्री निष्क्रिय.. पर यहाँ तो सारी सक्रियता का ठेका शीला ने ही ले रखा था.. संजय तो बेचारा बस अपनी सास के आदेशों का पालन ही कर रहा था..

शीला आईने में संजय के लंड को ऐसे देख रही थी जैसी किसी एंटिक पीस को देख रही हो.. बार बार वो संजय के लंड को चूमती.. चाटती.. संजय शीला के इस कामुक स्वरूप को कभी नही जान पाता.. अगर उसे गोवा लेकर नही आता तो..

ba3

शीला खड़ी हो गई और संजय के गले लग गई.. उसके आलिंगन में केवल उत्तेजना नही थी.. पर बेफिक्री से समाज और दुनियादारी के डर से दूर.. ये आखिरी आलिंगन हो रहा था इस भाव से लिपट पड़ी.. अपने दामाद के साथ ये संबंध संयोग से हुआ था.. और इस संबंध को समाज की स्वीकृति मिलना असंभव था.. पर शीला और संजय को एक दूसरे का चस्का लग गया था.. क्या भविष्य होगा इस संबंध का?? घर जाने के बाद दोनों अपने आप को कैसे रोक पाएंगे? वैसे सोचा जाएँ तो.. समाज जिसे स्वीकार नही कर सकता.. ऐसे कितने सारे संबंध हमारे आस पास पनप रहे होंगे.. !!! कीसे पता.. !!!

संजय के लंड की चुभन अपनी चिकनी जांघों पर फ़ील करते हुए शीला उत्तेजित कम और भावुक ज्यादा हो रही थी.. हाफ़िज़ का फोन आ चुका था.. वो वापिस जाने के लिए गाड़ी तैयार कर चुका था.. और दोनों का इंतज़ार कर रहा था.. चेकआउट करने की घड़ी जैसे जैसे नजदीक आती गई.. वैसे वैसे शीला संजय को और जोर से आलिंगन करती रही.. पर आँखें बंद कर देने से तूफान चला तो नही जाता.. !! सिर्फ दिखना बंद होता है

आखिर वो घड़ी आ गई.. दोनों तैयार होकर रीसेप्शन काउन्टर पर पहुँच गए.. शीला जान बूझकर धीरे धीरे तैयार हुई थी ताकि उतना ज्यादा समय संजय के साथ बिताने को मिले.. फिर भी वो क्षण आकर खड़ी हो गई.. संजय पेमेंट और चेकआउट की प्रक्रिया पूर्ण कर रहा था.. वेटर ने उनका सामान उठाकर गाड़ी की डीकी में रख दिया था.. बड़े ही भारी मन के साथ शीला ने गोवा और अपने दामाद के साथ संबंध को अलविदा कहा.. संजय के आने से पहले ही वो गाड़ी में जा बैठी.. हाफ़िज़ ने ए.सी. पहले से ही चला रखा था इसलिए गाड़ी का वातावरण एकदम ठंडा था..

हाफ़िज़: "मैडम, साड़ी में आप बड़ी कातिल लगती हो" बेक-मिरर सेट करके शीला की तरफ देखकर उसने कहा

शीला: "साड़ी के अंदर का सब कुछ तो देख रखा है तुमने.. अब भी मन नही भरा क्या??"

हाफ़िज़: "कसम से शीला.. तू चीज ही ऐसी है.. एक बार चोदकर मन ही नही भरा.. !!"

शीला: "चुप मर हरामी.. अभी तेरा बाप आ जाएगा और सुनेगा तो नई मुसीबत खड़ी हो जाएगी.. उस दिन वो फ़ोटो वाले से तो मुश्किल से बची थी मैं.. "

हाफ़िज़: "अरे कोई मुसीबत नही होगी यार.. चल मेरे कु एक पप्पी दे" ड्राइवर सीट पर मुड़ते हुए हाफ़िज़ ने विचित्र डिमांड की..

शीला ने गुस्से से कहा "पागल हो गया है क्या?"

हाफ़िज़: "यार शीला.. तू माल ही ऐसी है की अच्छे अच्छे पागल हो जाएँ.. अब यार टाइम जास्ती खोटी मत कर.. उसके आने से पहले एक धमाकेदार पप्पी दे दे.. तो ड्राइविंग में मुझे मज़ा आयें"

शीला: "तू जरा समझ यार.. वो आ जाएगा अभी.. रास्ते में कहीं चांस मिला तो जरूर दूँगी.. ठीक है!!"

हाफ़िज़: "अरे मेरी रानी.. पता नही है पल की.. और बात करे है कल की.. " हाफ़िज़ ने अपनी सीट से उठकर शीला के स्तनों पर हाथ फेर दिया.. संजय के आ जाने के डर से शीला सहम कर बैठी रही.. पर हाफ़िज़ का हाथ उसके उरोजों पर हटाने की उसकी हिम्मत क्यों नही हुई.. क्या पता!! वो कितनी भी कोशिश कर लेती.. पर पुरुष का स्पर्श होते ही अपना कंट्रोल खो बैठती.. उसकी सालों पुरानी बीमारी थी ये.. शीला ने खिड़की से बाहर देखा.. संजय कहीं नजर नही आ रहा था.. अंधेरे का फायदा उठाकर उसने फटाफट अपने ब्लाउस के दो हुक खोल दिए.. और अपने दोनों विशाल स्तनों को बाहर निकालकर हाफ़िज़ के हाथों में थमा दिए..

शीला: "ले.. उसके आने से पहले दबा ले जितना दबाना हो.. उसकी मौजूदगी में अगर ऐसी वैसी बात या हरकत की तो तकलीफ हो जाएगी, मेरे बाप!!"

शीला के मदमस्त बबले मसलते हुए उसकी निप्पलों को दबाते हुए हाफ़िज़ ने कहा "क्या मस्त मम्मे है तेरे शीला मेरी जान.. " उसने दोनों स्तनों को ऐसा मरोड़ा की शीला की चीख निकल गई..

sb

शीला: "कमीने.. अपनी नजर रखना.. कहीं वो आ न जाएँ.. नहीं तो तेरी गांड फाड़कर रख देगा.. "

हाफ़िज़: "नही आएगा.. मुझे खिड़की से सब नजर आ रहा है.. तू चिंता मत कर, मेरी नजर है.. तू मजे कर और कुछ मत सोच"

शीला फिर से बेबस होकर हाफ़िज़ के मर्दाना हाथों से हो रहे अपने स्तनों के मर्दन का आनंद लेने लगी.. ये कार्यक्रम थोड़ी देर तक चलता रहा और तभी दूर से संजय नजर आया.. दोनों अलग हो गए.. शीला अपनी सीट पर ठीक से बैठ गई और अपने स्तनों को ब्लाउस और ब्रा के अंदर दबाकर डालने लगी.. संजय दरवाजे तक पहुँच गया और शीला एक हुक बंद भी नही कर पाई.. उसने पल्लू से अपने उरोजों को ढँक लिया.. अंदर बैठते ही संजय ने शीला के पल्लू में हाथ डाला.. तब शीला पल्लू के नीचे ही पहले से ही खुले हुक को खोलने का नाटक करती रही और तभी हाफ़िज़ ने गाड़ी को पाँचवे गियर पर लिया.. शीला ने खुद ही खोलकर अपना स्तन संजय के हाथ में रख दिया..

sb

"पहले से ही खोल रखा था?? क्या बात है मम्मी जी.. "

संजय ने बरमूडा पहन रखा था.. उसकी खुली जांघों पर शीला हाथ फेरते हुए उसके लंड को सहला रही थी

"बेटा.. समय न बिगड़े इसलिए मैं तैयार बैठी थी.. तेरे आते ही.. तेरे पसंदीदा खिलौने से तू खेल सके इसलिए.. !! मुझे पता है तुझे मेरी छातियाँ बहोत पसंद है" इतना कहते ही शीला ने बरमूडा के अंदर हाथ डालकर संजय के मुर्झाएँ लंड को मुठ्ठी में पकड़ लिया.. संजय ने शीला की कमर में हाथ डालकर अपने तरफ खींच लिया.. और दोनों आखिरी रोमांस में व्यस्त हो गए.. शीला की कामुक हरकतें इतनी जंगली हो गई थी.. जैसे इन आखिरी पलों को वो पूरे दिल से उपभोग करना चाहती हो..

जैसे जैसे रास्ता कटता गया और गोवा की ट्रिप अपने अंत की ओर जाने लगी.. शीला अपने हाथों को और तीव्रता से चलाने लगी.. संजय के अंगों के साथ हो रही एक एक छेड़खानी में एक अजीब प्रकार की आतुरता थी.. जिसका मतलब शायद ये भी निकलता था की काश.. !! इस स्वतंत्रता की रात की सुबह जल्दी न हो.. शीला का हाथ चलते ही संजय का लंड चड्डी की साइड से बाहर आकर शीला को उकसाने लगा.. उसके सुपाड़े का स्पर्श होते ही शीला की चूत में जैसे चिनगारी हुई..

"ओह्ह बेटा.. तेरा बम्बू तो फिरसे तैयार हो गया.. " संजय के लंड को मुठ्ठी में दबाते हुए शीला ने कहा

"ओह्ह मम्मीजी.. आप तो गजब हो यार.. !!" संजय इससे ज्यादा कुछ बोल नही पाया.. एक तरफ उसके हाथों में शीला के स्तन थे.. और दूसरी तरफ शीला के हाथों का स्पर्श उसके लंड के टोपे पर इतना आह्लादक और कामुक लग रहा था.. कोई मर्द अपनी उत्तेजना को कैसे कंट्रोल करे!!

हर पल उसके लंड का कद बढ़ता जा रहा था.. शीला के मदमस्त बबले भी जैसे उसके लंड के साथ प्रतियोगिता में शामिल होकर तंग हो रहे थे.. हाफ़िज़ कार चलाते हुए सास-दामाद की कामुक बातों और मादक आवाजों को सुनकर.. अपनी चैन खोलकर लंड बाहर निकालके हिला रहा था.. आगे और पीछे की सीट के बीच एक पतला सा पर्दा था.. जिसके कारण वो पीछे का द्रश्य देख तो नही पा रहा था.. लेकिन उनकी आवाज से पीछे क्या हो रहा था उसकी कल्पना कर वो गाड़ी चलाते चलाते मूठ मार रहा था

dc

जितनी तेज गति से गाड़ी चल रही थी उतनी ही गति से हाफ़िज़ अपने लंड को हिला रहा था.. शीला के संग बिताई हसीन पलों को याद करते हुए उसे स्खलित होने में ज्यादा वक्त नही लगा.. एक शानदार पिचकारी लगाकर वो ठंडा हो गया.. गाड़ी साफ करने वाले कपड़े से उसने अपना लंड पोंछ लिया..

सेक्स के अलावा कोई खास घटना हुई नही सफर के दौरान.. तेज गति से भागती हुई गाड़ी सुबह पाँच बजे तक एक सुंदर होटल के प्रांगण में आकर रुक गई.. पूरी रात के ड्राइविंग के बाद उसे थोड़े आराम और एक कडक चाय की जरूरत थी.. शीला और संजय के साथ हाफ़िज़ भी गाड़ी के बाहर निकला.. बाहर काफी अंधेरा था.. शीला और संजय होटल की ओर चलते जा रहे थे और पीछे पीछे हाफ़िज़ शीला के पृष्ठ भाग को छेड़ते हुए चल रहा था.. संजय को पता न चले उस तरह वो बार बार शीला के कूल्हों पर हाथ फेर रहा था.. एक बार तो वो शीला के पीछे इतना करीब आ गया की उसने अपना लंड शीला की गांड पर रगड़ लिया..

शीला को हाफ़िज़ की हरकतें अच्छी तो नही लग रही थी क्योंकी अभी फिलहाल वो स्थिति न थी की शीला को मज़ा आयें.. पूरी रात उसने संजय के साथ अटखेलियाँ करते हुए बिताई थी.. संजय की उंगली ने उसके भोसड़े को ३-४ बार स्खलित कर दिया था.. सफर की थकान भी थी.. और संजय को पता चल जाने का डर भी था.. इसलिए वो हाफ़िज़ के स्पर्श का आनंद ले नही पा रही थी..

होटल के करीब पहुंचते ही हाफ़िज़ शीला से दूर चला गया.. उसकी इस समझदारी को देखकर शीला मन ही मन प्रसन्न हुई.. तीनों ने अदरख वाली कडक चाय का लुत्फ उठाया.. संजय ने सिगरेट जलाई.. दो दम मारते ही उसके पेट में उथल-पुथल होने लगी.. जैसा अक्सर सिगरेट पीने वालों के साथ होता है

संजय: "हाफ़िज़, तुम मेमसाब को लेकर गाड़ी में बैठो.. मुझे टॉइलेट जाना पड़ेगा.. मैं १५-२० मिनट में आता हूँ.. "

हाफ़िज़: 'जी साहब.. चलिए मैडम" हाफ़िज़ आगे आगे चल दिया और शीला उसके पीछे.. दोनों गाड़ी के पास पार्किंग में पहुंचे जहां कोई लाइट न होने की वजह से अब भी काफी अंधेरा था.. गाड़ी के पास पहुंचते ही.. अंधेरे का लाभ उठाकर शीला ने हाफ़िज़ को अपनी ओर खींचकर बाहों में भर लिया और एक जबरदस्त किस देकर कहा "मैंने कहा था न.. की रास्ते में मौका मिलेगा तो मैं कुछ करूंगी.. तो अब बिना समय गँवाएं कर ले पीछे से.. मेरा घाघरा उठाकर डाल दे अपना लोडा.. इससे पहले की कोई आ जाएँ.. " कहते ही शीला ने गाड़ी के बोनेट पर अपने दोनों हाथ टीका दिए और अपने चूतड़ को उठाते हुए हाफ़िज़ का लंड लेने के लिए तैयार हो गई.. फटी आँखों से हाफ़िज़ इस हवस की महारानी को देखता ही रहा.. फिर धीरे से उसने शीला का घाघरा ऊपर किया.. और शीला के नंगे चूतड़ों के प्रातः दर्शन कीये.. देखते ही हाफ़िज़ का लंड एक झटके में खड़ा हो गया..

शीला के कूल्हों में ऐसी बरकत थी की हाफ़िज़ का लंड अब बाहर निकलने के लिए तरसने लगा.. हाफ़िज़ ने तुरंत अपनी चैन खोलकर हथियार बाहर निकाला और हमले की तैयारी की.. लंड के टोपे पर थूक लगाकर उसने शीला के गरम सुराख पर टिकाया.. एक जोर के धक्के के साथ शीला की गुफा उस्ताद को निगल गई.. दोनों कूल्हों पर हथेलियाँ रखकर हाफ़िज़ ने जबरदस्त पमपिंग शुरू कर दिया.. शीला इस प्रत्येक पल को अपनी आखिरी क्षण मानते हुए पूरे मजे लेने लगी.. हाफ़िज़ के दमदार धक्कों से पूरी गाड़ी हिल रही थी.. जैसे वो शीला को नही.. गाड़ी को चोद रहा हो!!


kc2


शीला जब बोनेट पर झुककर हाफ़िज़ से ठुकवा रही थी.. तभी.. गाड़ी की पिछली सीट पर पड़ा उसका मोबाइल बजने लगा.. लेकिन वासना के सागर में डूबी हुई शीला को मोबाइल की रिंग कहाँ सुनाई पड़ती!!! सामने टॉइलेट के कमोड पर बैठकर सिगरेट फूँक रहे संजय को वेन्टीलेशन से हाफ़िज़ और अपनी सास के बीच हो रही चुदाई नजर आ रही थी.. अंधेरा छट रहा था.. और द्रश्य इतना साफ नही था.. पर जुवान हाफ़िज़ अपनी सास को चोद रहा है वह साफ पता चल रहा था..

दस मिनट के अद्वितीय संभोग के बाद शीला के भोसड़े का मुर्गा "कुक-डे-कूक" बोल उठा और वोह झड़ गई.. उसी के साथ हाफ़िज़ के ताकतवर लंड ने भी इस्तीफा घोषित कर दिया.. और गोवा के ट्रिप का अंतिम अध्याय समाप्त हुआ.. शीला ने घाघरा नीचे किया और चुपचाप गाड़ी में बैठ गई..धीरे धीरे उजाला हो रहा था.. शीला तो चाहती थी की इस रात की कभी सुबह न हो.. संजय कार के पास आ पहुंचा.. और हाफ़िज़ बाथरूम की ओर चला गया..

अब १५० किलोमीटर का अंतर बाकी था और इन तीनों को यह बाकी का सफर सज्जनता पूर्वक पूर्ण करना था.. थोड़ी बहोत छेड़खानियों के अलावा कुछ ज्यादा कर पाना मुमकिन भी नही था.. डीकी खोलकर संजय ने अपने बेग से पेंट और शर्ट निकाला और शॉर्ट्स के ऊपर ही कपड़े पहन लिए.. तभी हाफ़िज़ बाथरूम से लौटा.. तुरंत गाड़ी ड्राइव करने का आदेश देकर संजय गाड़ी में बैठ गया..


जैसे जैसे समय बीतता गया.. राह कटती गई.. अपना शहर नजदीक आता गया.. शीला के मन को संकोच और शर्म ने घेर लिया.. वो सोचने लगी.. पिछले दो दिनों में क्या क्या नही हुआ.. !!! ऐसी सारी घटनाएं बड़ी सहजता से हो चुकी थी जिनके बारे में उसने कभी सपने में भी नही सोचा था..!! एक विदेशी से चुदवाया.. गोरी के साथ लेस्बियन सेक्स किया.. अपने दामाद से चुदवाया और गांड भी मरवाई.. और अंत में एक मामूली ड्राइवर से भी अपना भोसड़ा मरवा लिया.. !! शीला का गोरा चेहरा शर्म से लाल हो गया.. सुबह की पहली किरण धरती पर पड़ते ही जैसी लालिमा नजर आती है वैसी ही कुछ शीला के चेहरे पर भी लिप्त थी..
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है शीला संजय और हाफिज की गोवा की ट्रिप बहुत ही शानदार और लाजवाब रही
 

vakharia

Supreme
5,264
14,372
174
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
लगता हैं जल्दी ही मौसम कली से फुल बनने वाली हैं
पार्टी में कविता किस तरहा से कहर ढाती हैं
उधर गोवा में शीला और संजय के बीच क्या उथलपुथल होती है देखते हैं आगे
Thanks bhai💖💕💖
 

Ek number

Well-Known Member
8,575
18,567
173
शीला नंगी होकर अपने दामाद संजय की बाहों में पड़े पड़े गोवा की आखिरी रात को रंगीन बनाने की तैयारी में थी.. दोनों आज अपनी सारी इच्छाओं को पूर्ण करने की फिराक में थे.. क्योंकी ऐसा मौका उन्हें दोबारा नही मिलने वाला था.. दोनों आपस में एकदम खुल चुके थे

cd

शीला की एक एक सिसकी.. संभोग के समय के हावभाव देखकर संजय पागल हो जाता था.. अब तो नोबत ऐसी आन पड़ी थी शीला के साथ प्रत्येक क्षण वो उत्तेजित ही रहता था.. पूरा समय लंड खड़ा रहने के कारण उसे दर्द होता था.. चार चार बार झड़ने के बाद भी शीला, संजय के गोरे.. वीर्य-विहीन लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़े रखती थी..

शीला: "बेटा.. मैंने कभी सोचा भी नही था की अपने दामाद के साथ ही मुझे ये सब करने का मौका मिलेगा.. जो कुछ भी हो रहा है वो मुझे इतना अच्छा लग रहा है की तुम्हें बता नही सकती.. लेकिन आज ये सब कुछ करने का आखिरी दिन है.. तू एक जानदार मर्द है.. एक औरत होने के नाते मैं इतना तो कह ही सकती हूँ की तू अपनी कामुक हरकतों से किसी भी लड़की या स्त्री को अपनी गुलाम बना सकता है.. संजय बेटा.. तेरी हरेक हरकत ऐसी होती है की तुझसे एक बार चुदने के बाद कोई भी तेरे इस डंडे को कभी भूल नही पाएगा.. और मैं तो पहले से ही सेक्स की काफी शौकीन हूँ.. तेरे ससुर के साथ मैंने इतने खुलकर मजे कीये है की तुझे क्या बताऊँ.. !! तेरे साथ चुदते वक्त.. तेरे दमदार धक्कों को मेरी चूत में लेते वक्त.. मुझे ऐसा ही लगता था जैसे तेरे अंदर मदन घुस गया हो.. ये तेरा सुंदर लंड इतना रसीला है की कोई भी स्त्री उसे देखते ही अपने छेद में लेने के लिए बेबस हो जाएँ.. " शीला ने झुककर संजय के लंड को चूम लिया

संजय: "आहह मम्मीजी.. मुंह में लेकर चुसिए..बहोत मज़ा आ रहा है.. मम्मीजी, मैंने आज तक सेंकड़ों लड़कियों और औरतों को चोदा है.. पर आपके जैसी स्त्री मैंने आजतक नही देखि जो २४ घंटे बस चुदने के लिए ही बेकरार हो.. !!" कहते हुए संजय ने शीला के गदराए स्तनों को बड़ी मस्ती से दबा दिया "मम्मीजी, आप एक बार कलकत्ता आइए.. वहाँ मेरे बहोत सारे दोस्त है.. आपको नए नए लंडों को स्वाद मिलेगा.. !!"

शीला: "बेटा.. इतने दूर सिर्फ लंड लेने के लिए आऊँ?? और मुझे अलग अलग लंड लेने में दिलचस्पी नहीं है.. मुझे तो चाहिए एक ताकतवर लंड जो मेरे जनम जनम की भूख को संतुष्ट कर सकें.. मेरी चूत में जो हर दस मिनट पर चुदवाने की चूल मचती है.. उसे शांत कर सकें.. संजयं, तू यहाँ शिफ्ट हो जा.. फिर हम आराम से एक दूसरे को भोग सकेंगे.. तू मेरा दामाद है इसलिए किसी को शक भी नही होगा.. मेरा दिल अभी तेरा लंड लेकर भरा नही है.. अभी तो मुझे तुझसे बहोत बार चुदवाना है.. इतनी बार करवाना है की दोबारा कभी चुदवाने का मन ही न हो" कहते हुए शीला ने संजय को बिस्तर पर लेटा दिया और उसपर सवार हो गई.. संजय के लंड को अपनी गांड के छेद पर सेट किया और हल्के से दबाया.. आह्ह..

शीला: "तेरे मोटे लंड से जब गांड की दीवारें रगड़ती है तब बड़ी ही तेज खुजली होती है अंदर.. आज इस आखिरी रात को यादगार बनाने के लिए मैं तुझसे अपनी गांड मरवाना चाहती हूँ"

संजय: "ओह्ह ओह्ह आह्ह मम्मीजी.. कितनी टाइट है आपकी गांड आह्ह.. " सिसकियाँ लेते हुए संजय ने अपनी गांड ऊपर कर दी और शीला की कमर को दोनों हाथों से पकड़कर उसकी गांड को ड्रिल करने लगा.. शीला की दर्द से भरी सिसकियाँ.. और संजय की कराहों की गूंज के बीच.. शीला की गांड को चीरता हुआ संजय का तगड़ा लंड अंदर घुस गया.. शीला के परिपक्व और मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों से पकड़कर मसलते हुए संजय ने उसे अपनी ओर खींचा.. और उसके रसीले कामुक होंठों पर एक जबरदस्त किस कर दी..

ba

शीला और उसका दामाद संजय.. एक कपल की तरह नही.. पर पति पत्नी की तरह एक दूसरे में खो गए.. संजय का लंड शीला की गांड में ऐसे फिट हो गया जैसे वो दोनों जनम जनम के साथी हो.. कमर हुचकाते हुए संजय.. अपने लंड को शीला की गांड के अंदर बाहर कर रहा था.. और शीला की गांड ऐसे लंड गटक रही थी जैसे उसका सर्जन ही लंड लेने के लिए हुआ हो.. बड़ी मस्त ठुकाई हो रही थी शीला की गांड की..

संजय: "ओह्ह मम्मी जी.. कितनी टाइट गांड है यार.. मेरे लंड में दर्द होने लगा है.. आह्ह जरा धीरे धीरे.. !!!"

शीला: "आह्ह बेटा.. मेरा तो मन कर रहा है की मैं तेरी रखेल बन जाऊँ.. और तू मुझे पूरा दिन चोदता रहें.. अलग अलग आसनों में..ओह्ह बेटा.. बहोत जोरों की खुजली मची है मेरी गांड में.. लगा जोर से धक्के.. फाड़ दे मेरी गांड.. आह्ह आह्ह ओह्ह ओह्ह.. !!"

संजय के ऊपर हिंसक होकर कूद रही थी शीला.. कैसी जवान लड़की से दोगुना जोर था शीला के धक्कों में.. उसकी गदराई कामुक काया की एक एक अंग भंगिमा.. किसी भी पुरुष को अपने वश में करने के लिए काफी थी.. शीला ने हाथ नीचे डालकर संजय का लंड पकड़ लिया और थोड़ा सा रुककर अपनी गांड से बाहर निकाला.. थोड़ा सा झुकी और एक ही धक्के में अपने भोसड़े में उतार दिया..

ba2

शीला: "आह्ह.. आग तो यहाँ भी लगी हुई है.. जमकर धक्के लगा बेटा.. आग बुझा दे मेरी.. अब और रहा नही जाता संजु बेटा.. !!" शीला ने अपनी रिधम प्राप्त कर लिए थी.. वो संजय के जिस्म पर ऐसे हावी हो गई थी जैसे किसी बड़े मगरमच्छ ने छोटी सी गिलहरी को दबोच रखा हो.. संजय का लंड अब दर्द करने लगा था.. पर अपना बचाव करने की स्थिति में नही था वो.. शीला ने जैसे उसके शरीर, मन और मस्तिष्क पर कब्जा कर लिया था.. बेजान पड़े पड़े वो बस शीला से संचालित हो रहा था.. शीला के इस सुनामी जैसे हमले को देखकर वो स्तब्ध हो गया था.. पड़े रहने के अलावा उसके पास ओर कोई विकल्प नही था.. शीला इतनी हिंसक होकर उसके लंड पर कूद रही थी जैसे उसके लंड को शरीर से अलग कर देना चाहती हो..

संजय अब घबरा रहा था.. कहीं शीला की ये तीव्र सेक्स की भूख उसकी जान न ले ले.. आँखें बंदकर वो प्रार्थना कर रहा था की शीला जल्द से जल्द झड जाए.. करीब १२ मिनट के भीषण धक्कों के शीला ढल पड़ी.. ऐसे लाश होकर संजय की छाती पर गिरी जैसे उसके शरीर की सारी ऊर्जा भांप बनकर उड़ गई हो.. शीला के विराट स्तनों और बदन के वज़न तले संजय दब गया था.. उसका लंड अब वीर्य छोड़ पाने की स्थिति में भी नही रहा था.. और बिना झड़े ही नरम होकर शीला के भोसड़े से बाहर निकल गया था.. और मरे हुए चूहे जैसे लटक रहा था.. दायें तरफ के आँड की ओर लटक रहे मुरझाएं लंड को देखकर ही पता लग रहा था की शीला के भोसड़े के अंदर उस पर क्या बीती होगी.. संजय ने मन ही मन अपने ससुर को सलाम कर दी.. जिन्होंने इतने सालों से इस हवस की महासागर को समेटकर संभाल रखा था.. पता नही ससुरजी कैसे इस शेरनी को काबू में रखते होंगे.. !! संजय सोच रहा था.. मैं इतना बड़ा चुदक्कड़ हूँ फिर भी मम्मी जी ने मेरे झाग निकाल दिए.. कोई सामान्य इंसान होता उसकी तो जान ही निकल जाती मम्मी जी के नीचे.. !!!

रात के साढ़े बारह बजे.. एक जानदार ऑर्गैज़म के बाद.. शीला और संजय बाथरूम में साथ नहाने गए.. नहाते हुए शीला ने फिरसे एकबार संजय को मुख-मैथुन का अलौकिक आनंद दिया.. वह जानती थी की किसी भी मर्द को अगर काबू में करना हो तो मुख-मैथुन से बेहतर ओर कोई दूसरा विकल्प नही है..

sd

अगर ईमानदारी से सर्वे किया जाए तो कोई कपल ऐसा नही मिलेगा जिसे ओरल सेक्स में मज़ा न आता हो.. मर्द को अपना लंड चुसवाने में.. और औरत को अपनी चुत चटवाने में हमेशा आनंद आता है.. सब के सामने या दोस्तों के बीच.. इस क्रिया को घृणास्पद या गंदा कहने वाले लोग.. बेडरूम की चार दीवारों के बीच बड़े आराम से इसका मज़ा उठाते है.. इतना ही नही.. दुनिया के सारे मर्द यही सोचते है.. की उसके जितनी विकृत हरकतें और कोई नही करता होगा.. उसमें भी जब उसकी बीवी उससे कहें "बाप रे.. क्या कर रहे हो आप? आप को तो कुछ शर्म ही नही है.. एक नंबर के बेशर्म हो.. !!" यह सुनते ही पुरुष का अहंकार पोषित होता है और वो सातवे आसमान पर पहुँच जाता है.. और इसी भ्रामक अहंकार का उपयोग कर औरतें मर्दों से अपने काम निकलवा लेती है.. इंसानों की बात छोड़िए.. जानवर भी तो ऐसा ही करते है.. !!! नर जानवर मादा की योनि की गंध सूंघकर और उसे चाटकर ही उसे संभोग के लिए तैयार करता है.. हाँ, मादा जानवर कभी नर के साथ मुख-मैथुन नही करती.. ये क्रिया केवल मनुष्यों में ही देखी जाती है.. कुदरत ने इस मामले में इंसानों को ज्यादा ही स्वतंत्रता दी है..

शावर लेते हुए जब शीला घुटनों के बल बैठकर अपने दामाद का लंड चूस रही थी तब उसका ध्यान इस बात पर जरा भी नही था की संजय को मज़ा आ रहा है या नही.. वह तो खो चुकी थी अपनी ही मैथुन की अलौकिक दुनिया में.. लंड के लिए उसने अपने मन में जो कुछ भी विकृतियाँ पाल रखी थी वो सब उसने गोवा की इस आलीशान होटल के बाथरूम में ही संतुष्ट करने का मन बना लिया था.. संजय के विकराल लंड को अपने मुख के अंदर बाहर कर रही थी.. उसने अपनी आँखें इसलिए खोली थी ताकि वो दीवार पर लगे आईने में अपनी हरकतें देख सके.. फिर से एक बार पूरे लंड को मुंह से बाहर निकालकर उसने अपनी जीभ से उसे चाट लिया.. एक एक हरकत को आईने में देखकर वो उत्तेजित हो रही थी.. संजय तो शीला के हाथों का एक खिलौना बनकर रह गया था.. वो शीला के स्तनों को बार बार दबाकर.. निप्पलों को खींचकर अपनी सास के स्तनों से खेलने की सालों पुरानी तमन्नाओं को पूरी कर रहा था.. संजय को वो समय याद आ रहा था.. जब जब वो ससुराल आता तब अपनी सास के गदराए जोबन को देखते ही बेचैन हो जाता था.. तब से उसे महसूस होता की इस स्त्री में कुछ ऐसा खास था जो मर्दों को अपनी ओर चुंबक की तरह खींच लेती थी..

जब संजय वैशाली को पहली बार देखने आया था तब से वो अपनी सास के हुस्न का आशिक बन गया था.. जब पहली बार शीला ने झुककर नाश्ते की प्लेट टेबल पर रखी थी और जिस तरह उसके सामने देखा था.. संजय को ऐसा ही लगा था जैसे वो उसके चोदने के लिए आमंत्रित कर रही हो.. वैशाली से कहीं ज्यादा वो शीला के प्यार में पागल था.. शीला के लिए ये कोई नई बात नही थी.. वो अपने दामाद की गंदी नज़रों से काफी समय पहले ही वाकिफ हो चुकी थी.. पहले तो वो ज्यादातर संजय के सामने आती ही नही थी.. ताकि उसकी कामुक नज़रों का सामना न करना पड़ें.. तब से लेकर आज तक.. उनके संबंध कहाँ से कहाँ पहुँच गए!!! शीला के हाथों में अपने दामाद का लंड आ चुका था.. और जिन उन्नत स्तनों को याद करते हुए संजय, वैशाली की चूत का भोसड़ा बना देता था.. वो स्तन भी संजय के हाथों में थे.. आम तौर पर संभोग के दौरान.. पुरुष सक्रिय होते है और स्त्री निष्क्रिय.. पर यहाँ तो सारी सक्रियता का ठेका शीला ने ही ले रखा था.. संजय तो बेचारा बस अपनी सास के आदेशों का पालन ही कर रहा था..

शीला आईने में संजय के लंड को ऐसे देख रही थी जैसी किसी एंटिक पीस को देख रही हो.. बार बार वो संजय के लंड को चूमती.. चाटती.. संजय शीला के इस कामुक स्वरूप को कभी नही जान पाता.. अगर उसे गोवा लेकर नही आता तो..

ba3

शीला खड़ी हो गई और संजय के गले लग गई.. उसके आलिंगन में केवल उत्तेजना नही थी.. पर बेफिक्री से समाज और दुनियादारी के डर से दूर.. ये आखिरी आलिंगन हो रहा था इस भाव से लिपट पड़ी.. अपने दामाद के साथ ये संबंध संयोग से हुआ था.. और इस संबंध को समाज की स्वीकृति मिलना असंभव था.. पर शीला और संजय को एक दूसरे का चस्का लग गया था.. क्या भविष्य होगा इस संबंध का?? घर जाने के बाद दोनों अपने आप को कैसे रोक पाएंगे? वैसे सोचा जाएँ तो.. समाज जिसे स्वीकार नही कर सकता.. ऐसे कितने सारे संबंध हमारे आस पास पनप रहे होंगे.. !!! कीसे पता.. !!!

संजय के लंड की चुभन अपनी चिकनी जांघों पर फ़ील करते हुए शीला उत्तेजित कम और भावुक ज्यादा हो रही थी.. हाफ़िज़ का फोन आ चुका था.. वो वापिस जाने के लिए गाड़ी तैयार कर चुका था.. और दोनों का इंतज़ार कर रहा था.. चेकआउट करने की घड़ी जैसे जैसे नजदीक आती गई.. वैसे वैसे शीला संजय को और जोर से आलिंगन करती रही.. पर आँखें बंद कर देने से तूफान चला तो नही जाता.. !! सिर्फ दिखना बंद होता है

आखिर वो घड़ी आ गई.. दोनों तैयार होकर रीसेप्शन काउन्टर पर पहुँच गए.. शीला जान बूझकर धीरे धीरे तैयार हुई थी ताकि उतना ज्यादा समय संजय के साथ बिताने को मिले.. फिर भी वो क्षण आकर खड़ी हो गई.. संजय पेमेंट और चेकआउट की प्रक्रिया पूर्ण कर रहा था.. वेटर ने उनका सामान उठाकर गाड़ी की डीकी में रख दिया था.. बड़े ही भारी मन के साथ शीला ने गोवा और अपने दामाद के साथ संबंध को अलविदा कहा.. संजय के आने से पहले ही वो गाड़ी में जा बैठी.. हाफ़िज़ ने ए.सी. पहले से ही चला रखा था इसलिए गाड़ी का वातावरण एकदम ठंडा था..

हाफ़िज़: "मैडम, साड़ी में आप बड़ी कातिल लगती हो" बेक-मिरर सेट करके शीला की तरफ देखकर उसने कहा

शीला: "साड़ी के अंदर का सब कुछ तो देख रखा है तुमने.. अब भी मन नही भरा क्या??"

हाफ़िज़: "कसम से शीला.. तू चीज ही ऐसी है.. एक बार चोदकर मन ही नही भरा.. !!"

शीला: "चुप मर हरामी.. अभी तेरा बाप आ जाएगा और सुनेगा तो नई मुसीबत खड़ी हो जाएगी.. उस दिन वो फ़ोटो वाले से तो मुश्किल से बची थी मैं.. "

हाफ़िज़: "अरे कोई मुसीबत नही होगी यार.. चल मेरे कु एक पप्पी दे" ड्राइवर सीट पर मुड़ते हुए हाफ़िज़ ने विचित्र डिमांड की..

शीला ने गुस्से से कहा "पागल हो गया है क्या?"

हाफ़िज़: "यार शीला.. तू माल ही ऐसी है की अच्छे अच्छे पागल हो जाएँ.. अब यार टाइम जास्ती खोटी मत कर.. उसके आने से पहले एक धमाकेदार पप्पी दे दे.. तो ड्राइविंग में मुझे मज़ा आयें"

शीला: "तू जरा समझ यार.. वो आ जाएगा अभी.. रास्ते में कहीं चांस मिला तो जरूर दूँगी.. ठीक है!!"

हाफ़िज़: "अरे मेरी रानी.. पता नही है पल की.. और बात करे है कल की.. " हाफ़िज़ ने अपनी सीट से उठकर शीला के स्तनों पर हाथ फेर दिया.. संजय के आ जाने के डर से शीला सहम कर बैठी रही.. पर हाफ़िज़ का हाथ उसके उरोजों पर हटाने की उसकी हिम्मत क्यों नही हुई.. क्या पता!! वो कितनी भी कोशिश कर लेती.. पर पुरुष का स्पर्श होते ही अपना कंट्रोल खो बैठती.. उसकी सालों पुरानी बीमारी थी ये.. शीला ने खिड़की से बाहर देखा.. संजय कहीं नजर नही आ रहा था.. अंधेरे का फायदा उठाकर उसने फटाफट अपने ब्लाउस के दो हुक खोल दिए.. और अपने दोनों विशाल स्तनों को बाहर निकालकर हाफ़िज़ के हाथों में थमा दिए..

शीला: "ले.. उसके आने से पहले दबा ले जितना दबाना हो.. उसकी मौजूदगी में अगर ऐसी वैसी बात या हरकत की तो तकलीफ हो जाएगी, मेरे बाप!!"

शीला के मदमस्त बबले मसलते हुए उसकी निप्पलों को दबाते हुए हाफ़िज़ ने कहा "क्या मस्त मम्मे है तेरे शीला मेरी जान.. " उसने दोनों स्तनों को ऐसा मरोड़ा की शीला की चीख निकल गई..

sb

शीला: "कमीने.. अपनी नजर रखना.. कहीं वो आ न जाएँ.. नहीं तो तेरी गांड फाड़कर रख देगा.. "

हाफ़िज़: "नही आएगा.. मुझे खिड़की से सब नजर आ रहा है.. तू चिंता मत कर, मेरी नजर है.. तू मजे कर और कुछ मत सोच"

शीला फिर से बेबस होकर हाफ़िज़ के मर्दाना हाथों से हो रहे अपने स्तनों के मर्दन का आनंद लेने लगी.. ये कार्यक्रम थोड़ी देर तक चलता रहा और तभी दूर से संजय नजर आया.. दोनों अलग हो गए.. शीला अपनी सीट पर ठीक से बैठ गई और अपने स्तनों को ब्लाउस और ब्रा के अंदर दबाकर डालने लगी.. संजय दरवाजे तक पहुँच गया और शीला एक हुक बंद भी नही कर पाई.. उसने पल्लू से अपने उरोजों को ढँक लिया.. अंदर बैठते ही संजय ने शीला के पल्लू में हाथ डाला.. तब शीला पल्लू के नीचे ही पहले से ही खुले हुक को खोलने का नाटक करती रही और तभी हाफ़िज़ ने गाड़ी को पाँचवे गियर पर लिया.. शीला ने खुद ही खोलकर अपना स्तन संजय के हाथ में रख दिया..

sb

"पहले से ही खोल रखा था?? क्या बात है मम्मी जी.. "

संजय ने बरमूडा पहन रखा था.. उसकी खुली जांघों पर शीला हाथ फेरते हुए उसके लंड को सहला रही थी

"बेटा.. समय न बिगड़े इसलिए मैं तैयार बैठी थी.. तेरे आते ही.. तेरे पसंदीदा खिलौने से तू खेल सके इसलिए.. !! मुझे पता है तुझे मेरी छातियाँ बहोत पसंद है" इतना कहते ही शीला ने बरमूडा के अंदर हाथ डालकर संजय के मुर्झाएँ लंड को मुठ्ठी में पकड़ लिया.. संजय ने शीला की कमर में हाथ डालकर अपने तरफ खींच लिया.. और दोनों आखिरी रोमांस में व्यस्त हो गए.. शीला की कामुक हरकतें इतनी जंगली हो गई थी.. जैसे इन आखिरी पलों को वो पूरे दिल से उपभोग करना चाहती हो..

जैसे जैसे रास्ता कटता गया और गोवा की ट्रिप अपने अंत की ओर जाने लगी.. शीला अपने हाथों को और तीव्रता से चलाने लगी.. संजय के अंगों के साथ हो रही एक एक छेड़खानी में एक अजीब प्रकार की आतुरता थी.. जिसका मतलब शायद ये भी निकलता था की काश.. !! इस स्वतंत्रता की रात की सुबह जल्दी न हो.. शीला का हाथ चलते ही संजय का लंड चड्डी की साइड से बाहर आकर शीला को उकसाने लगा.. उसके सुपाड़े का स्पर्श होते ही शीला की चूत में जैसे चिनगारी हुई..

"ओह्ह बेटा.. तेरा बम्बू तो फिरसे तैयार हो गया.. " संजय के लंड को मुठ्ठी में दबाते हुए शीला ने कहा

"ओह्ह मम्मीजी.. आप तो गजब हो यार.. !!" संजय इससे ज्यादा कुछ बोल नही पाया.. एक तरफ उसके हाथों में शीला के स्तन थे.. और दूसरी तरफ शीला के हाथों का स्पर्श उसके लंड के टोपे पर इतना आह्लादक और कामुक लग रहा था.. कोई मर्द अपनी उत्तेजना को कैसे कंट्रोल करे!!

हर पल उसके लंड का कद बढ़ता जा रहा था.. शीला के मदमस्त बबले भी जैसे उसके लंड के साथ प्रतियोगिता में शामिल होकर तंग हो रहे थे.. हाफ़िज़ कार चलाते हुए सास-दामाद की कामुक बातों और मादक आवाजों को सुनकर.. अपनी चैन खोलकर लंड बाहर निकालके हिला रहा था.. आगे और पीछे की सीट के बीच एक पतला सा पर्दा था.. जिसके कारण वो पीछे का द्रश्य देख तो नही पा रहा था.. लेकिन उनकी आवाज से पीछे क्या हो रहा था उसकी कल्पना कर वो गाड़ी चलाते चलाते मूठ मार रहा था

dc

जितनी तेज गति से गाड़ी चल रही थी उतनी ही गति से हाफ़िज़ अपने लंड को हिला रहा था.. शीला के संग बिताई हसीन पलों को याद करते हुए उसे स्खलित होने में ज्यादा वक्त नही लगा.. एक शानदार पिचकारी लगाकर वो ठंडा हो गया.. गाड़ी साफ करने वाले कपड़े से उसने अपना लंड पोंछ लिया..

सेक्स के अलावा कोई खास घटना हुई नही सफर के दौरान.. तेज गति से भागती हुई गाड़ी सुबह पाँच बजे तक एक सुंदर होटल के प्रांगण में आकर रुक गई.. पूरी रात के ड्राइविंग के बाद उसे थोड़े आराम और एक कडक चाय की जरूरत थी.. शीला और संजय के साथ हाफ़िज़ भी गाड़ी के बाहर निकला.. बाहर काफी अंधेरा था.. शीला और संजय होटल की ओर चलते जा रहे थे और पीछे पीछे हाफ़िज़ शीला के पृष्ठ भाग को छेड़ते हुए चल रहा था.. संजय को पता न चले उस तरह वो बार बार शीला के कूल्हों पर हाथ फेर रहा था.. एक बार तो वो शीला के पीछे इतना करीब आ गया की उसने अपना लंड शीला की गांड पर रगड़ लिया..

शीला को हाफ़िज़ की हरकतें अच्छी तो नही लग रही थी क्योंकी अभी फिलहाल वो स्थिति न थी की शीला को मज़ा आयें.. पूरी रात उसने संजय के साथ अटखेलियाँ करते हुए बिताई थी.. संजय की उंगली ने उसके भोसड़े को ३-४ बार स्खलित कर दिया था.. सफर की थकान भी थी.. और संजय को पता चल जाने का डर भी था.. इसलिए वो हाफ़िज़ के स्पर्श का आनंद ले नही पा रही थी..

होटल के करीब पहुंचते ही हाफ़िज़ शीला से दूर चला गया.. उसकी इस समझदारी को देखकर शीला मन ही मन प्रसन्न हुई.. तीनों ने अदरख वाली कडक चाय का लुत्फ उठाया.. संजय ने सिगरेट जलाई.. दो दम मारते ही उसके पेट में उथल-पुथल होने लगी.. जैसा अक्सर सिगरेट पीने वालों के साथ होता है

संजय: "हाफ़िज़, तुम मेमसाब को लेकर गाड़ी में बैठो.. मुझे टॉइलेट जाना पड़ेगा.. मैं १५-२० मिनट में आता हूँ.. "

हाफ़िज़: 'जी साहब.. चलिए मैडम" हाफ़िज़ आगे आगे चल दिया और शीला उसके पीछे.. दोनों गाड़ी के पास पार्किंग में पहुंचे जहां कोई लाइट न होने की वजह से अब भी काफी अंधेरा था.. गाड़ी के पास पहुंचते ही.. अंधेरे का लाभ उठाकर शीला ने हाफ़िज़ को अपनी ओर खींचकर बाहों में भर लिया और एक जबरदस्त किस देकर कहा "मैंने कहा था न.. की रास्ते में मौका मिलेगा तो मैं कुछ करूंगी.. तो अब बिना समय गँवाएं कर ले पीछे से.. मेरा घाघरा उठाकर डाल दे अपना लोडा.. इससे पहले की कोई आ जाएँ.. " कहते ही शीला ने गाड़ी के बोनेट पर अपने दोनों हाथ टीका दिए और अपने चूतड़ को उठाते हुए हाफ़िज़ का लंड लेने के लिए तैयार हो गई.. फटी आँखों से हाफ़िज़ इस हवस की महारानी को देखता ही रहा.. फिर धीरे से उसने शीला का घाघरा ऊपर किया.. और शीला के नंगे चूतड़ों के प्रातः दर्शन कीये.. देखते ही हाफ़िज़ का लंड एक झटके में खड़ा हो गया..

शीला के कूल्हों में ऐसी बरकत थी की हाफ़िज़ का लंड अब बाहर निकलने के लिए तरसने लगा.. हाफ़िज़ ने तुरंत अपनी चैन खोलकर हथियार बाहर निकाला और हमले की तैयारी की.. लंड के टोपे पर थूक लगाकर उसने शीला के गरम सुराख पर टिकाया.. एक जोर के धक्के के साथ शीला की गुफा उस्ताद को निगल गई.. दोनों कूल्हों पर हथेलियाँ रखकर हाफ़िज़ ने जबरदस्त पमपिंग शुरू कर दिया.. शीला इस प्रत्येक पल को अपनी आखिरी क्षण मानते हुए पूरे मजे लेने लगी.. हाफ़िज़ के दमदार धक्कों से पूरी गाड़ी हिल रही थी.. जैसे वो शीला को नही.. गाड़ी को चोद रहा हो!!


kc2


शीला जब बोनेट पर झुककर हाफ़िज़ से ठुकवा रही थी.. तभी.. गाड़ी की पिछली सीट पर पड़ा उसका मोबाइल बजने लगा.. लेकिन वासना के सागर में डूबी हुई शीला को मोबाइल की रिंग कहाँ सुनाई पड़ती!!! सामने टॉइलेट के कमोड पर बैठकर सिगरेट फूँक रहे संजय को वेन्टीलेशन से हाफ़िज़ और अपनी सास के बीच हो रही चुदाई नजर आ रही थी.. अंधेरा छट रहा था.. और द्रश्य इतना साफ नही था.. पर जुवान हाफ़िज़ अपनी सास को चोद रहा है वह साफ पता चल रहा था..

दस मिनट के अद्वितीय संभोग के बाद शीला के भोसड़े का मुर्गा "कुक-डे-कूक" बोल उठा और वोह झड़ गई.. उसी के साथ हाफ़िज़ के ताकतवर लंड ने भी इस्तीफा घोषित कर दिया.. और गोवा के ट्रिप का अंतिम अध्याय समाप्त हुआ.. शीला ने घाघरा नीचे किया और चुपचाप गाड़ी में बैठ गई..धीरे धीरे उजाला हो रहा था.. शीला तो चाहती थी की इस रात की कभी सुबह न हो.. संजय कार के पास आ पहुंचा.. और हाफ़िज़ बाथरूम की ओर चला गया..

अब १५० किलोमीटर का अंतर बाकी था और इन तीनों को यह बाकी का सफर सज्जनता पूर्वक पूर्ण करना था.. थोड़ी बहोत छेड़खानियों के अलावा कुछ ज्यादा कर पाना मुमकिन भी नही था.. डीकी खोलकर संजय ने अपने बेग से पेंट और शर्ट निकाला और शॉर्ट्स के ऊपर ही कपड़े पहन लिए.. तभी हाफ़िज़ बाथरूम से लौटा.. तुरंत गाड़ी ड्राइव करने का आदेश देकर संजय गाड़ी में बैठ गया..


जैसे जैसे समय बीतता गया.. राह कटती गई.. अपना शहर नजदीक आता गया.. शीला के मन को संकोच और शर्म ने घेर लिया.. वो सोचने लगी.. पिछले दो दिनों में क्या क्या नही हुआ.. !!! ऐसी सारी घटनाएं बड़ी सहजता से हो चुकी थी जिनके बारे में उसने कभी सपने में भी नही सोचा था..!! एक विदेशी से चुदवाया.. गोरी के साथ लेस्बियन सेक्स किया.. अपने दामाद से चुदवाया और गांड भी मरवाई.. और अंत में एक मामूली ड्राइवर से भी अपना भोसड़ा मरवा लिया.. !! शीला का गोरा चेहरा शर्म से लाल हो गया.. सुबह की पहली किरण धरती पर पड़ते ही जैसी लालिमा नजर आती है वैसी ही कुछ शीला के चेहरे पर भी लिप्त थी..
Nice update
 

vakharia

Supreme
5,264
14,372
174
Pintu ki jeebh ka sparsh apni yoni pr pa kr Kavita swarg mein pahunch gyi.
Well written dear Vakharia, awesome sexy👙👠💋 update
✔️✔️✔️✔️✔️
👌👌👌👌
💦💦💦
Thank you bhabhiji 💖❤️💖
 

Ben Tennyson

Its Hero Time !!
1,483
4,321
159
वाह भाई गज़ब का अपडेट दिया है फाल्गुनी तो एक नम्बर निकली बड़ी शरीफ़ बन रही थी और मौसम के बाप का मौसम बना के चुद गई.... और इधर हरामी ड्राइवर भी मौके पर चौका लगा गया... सही खेल गए सब
 
Top