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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

Dirty_mind

Love sex without any taboo
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चेतना: "बेटा.. डरने की जरूरत नहीं है.. देख कितनी मस्त गीली हो गई है शीला की चुत!! जा.. उसके छेद में अपना लंड पेल दे.. और धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर.. और सुन.. पूरा जोर लगाना.. ठीक है.. तुझे बस ऐसा सोचना है की ट्यूशन पहुँचने में देर हो गई है और तू तेज गति से साइकिल के पेडल लगा रहा है.. जा जल्दी कर"

चेतना की बात सुनकर पिंटू खड़ा हुआ.. और शीला के दो पैरों के बीच सटकर.. लंड घुसाते हुए अंदर बाहर करने लगा.. शीला को पिंटू के चोदने से कोई फरक नहीं पड़ा.. उसकी चुत में अब तक काफी लोग निवेश कर चुके थे.. और ये तो अग्रीमन्ट भी घबराते हुए कर रहा था.. बिना हिले डुले लाश की तरह पड़ी रही शीला.. और पिंटू उस पर कूदता रहा.. जैसे बिना हवा के पतंग उड़ाने का प्रयत्न कर रहा हो!!

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दो तीन मिनट तक ऐसे ही बेजान धक्के लगाकर.. वह बेचारा छोकरा थक गया.. चेतन कमरे के कोने में नंगी बैठी हुई चुत में उंगली कर रही थी.. शीला बिस्तर पर नंगी पड़ी थी.. और नंगा पिंटू झड़कर शीला के जिस्म के ऊपर गिरा हुआ था.. तीनों स्खलित होकर तंद्रावस्था में पहुँच गए थे..


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तभी डोरबेल बजने की आवाज आई.. डींग डोंगगगग.. !!

तीनों नंगे थे.. तेजी से कपड़े पहनने लगे.. शीला ने भागकर दरवाजा खोल दिया.. दरवाजे पर अनुमौसी थी.. कविता की सास..

अनुमौसी: "इतनी देर क्यों लगा दी दरवाजा खोलने में?" शक की निगाह से देखते हुए वह बोली

शीला: "अरे मौसी.. मेरी सहेली आई है.. हम दोनों बातों में ऐसी उलझ गई थी की डोरबेल की आवाज ही नहीं सुनी मैंने.. आइए ना अंदर"

अनुमौसी अंदर आ गई.. "दूध फट गया था.. थोड़ा सा मिलेगा तेरे पास?"

शीला ने फ्रिज से पतीली निकाली और अनुमौसी को दूध दिया.. अनुमौसी से उनके बीमार भाई की तबीयत के बारे में भी पूछा.. थोड़ी देर यहाँ वहाँ की बातें करने के बाद अनुमौसी निकल गई.. पर सोफ़े पर कुशन के पीछे पड़ी हुई गीली पेन्टी.. उनकी नज़रों से बच ना सकी.. वह कुछ बोली नहीं.. और चुपचाप वहाँ से चली गई..

पिछले ६० सालों में मौसी ने भी की खेल खेले थे.. वह इतनी नादान तो थी नहीं की चुत के स्खलन की और पुरुष के वीर्य की गंध को पहचान ना सके.. शीला के घर में जरूर कुछ पक रहा था.. पर अनुभवी मौसी फिलहाल बिना कुछ कहे दूध लेकर चली गई.. डोरबेल बजते ही चेतना और पिंटू बाथरूम में छुप गए थे.. जब तक अनुमौसी शीला से बातें कर रही थी.. तब तक वह दोनों चुपचाप अंदर खड़े रहे..

चेतना ने इस मौके का फायदा उठाया.. पिंटू को बाहों में लेकर अपने स्तनों को उसकी छाती पर रगड़कर.. उस नादान लड़के को उत्तेजित कर दिया.. पिंटू भी चेतना की छातियाँ दबाते हुए उसके होंठ चूस रहा था.. चेतना ने पिंटू के पेंट में हाथ डालकर उसका लंड मसलना शुरू किया.. पिंटू भी चेतना के पेटीकोट में हाथ डालकर उसकी गरम चुत में उंगली अंदर बाहर करने लगा.. कामरस से गीली हो रखी चुत में बड़े ही आराम से उंगली जा रही थी।

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शीला ने बाथरूम को दरवाजा खटखटाकर खोलने के लिए हरी झंडी दिखाई.. चेतना ने पिंटू को चूमते हुए दरवाजे की कुंडी खोल दी.. इन दोनों को लिपटे हुए देखकर शीला ने कहा

शीला: "क्या बात है!! तुम दोनों तो बाथरूम में ही शुरू हो गए!! बड़ी जल्दी सिख गया तू पिंटू.. औरत को खुश रखने का दूसरा नियम जान ले.. जहां और जब मौका मिले.. चोद देना.. "

चेतना: "देख शीला.. तूने अभी अभी चटवा ली है.. और झड भी चुकी है.. अब मुझे अपनी चटवाने दे.. फिर मैं घर के लिए निकलूँ.. मुझे देर हो रही है"

शीला: "अरे, पर मेरा अभी भी बाकी है.. उसका क्या?? तेरे घर तो तेरा पति भी है.. मेरे वाला तो चार महीने बाद आने वाला है"

चेतना: "वो सब मैं नहीं जानती.. पिंटू अब मेरी चुत चाटेगा.. बस.. !! बड़ी लालची है तू शीला.. एक बार पानी निकलवा लिया फिर भी तसल्ली नहीं हुई तुझे.."

पिंटू के छोटे से लंड के लिए दोनों झगड़ने लगी..

चेतना: "क्या बताऊँ तुझे शीला!! मेरे पति को डायाबीटीस है.. काफी समय हो गया.. वो बेचारे अब पहले की तरह.. नहीं कर पाते है"

शीला: "मतलब? उनका खड़ा नहीं होता क्या?"

चेतना: "बड़ी मुश्किल से खड़ा होता है.. वो भी काफी देर तक चूसने के बाद.. अब क्या करू मैं.. किससे कहूँ? रोज मुझे बाहों में भरकर चूम चूम कर गरम कर देते है.. पर उनका लोंडा साथ ही नहीं देता.. इसलिए करवट बदलकर सो जाते है बेचारे.. प्लीज.. अभी मुझे चटवा लेने दे" कहकर चेतना ने बाथरूम में ही अपना घाघरा ऊपर कर लिया.. और अपने एक पैर को कमोड पर रख दिया.. अपनी चुत खुजाते हुए उसने पिंटू को गिरहबान से पकड़कर खींचा और नीचे बैठा दिया.. पिंटू पालतू कुत्ते की तरह चेतना की बुर की फाँकें चाटने लगा.. शीला ने चेतना के बाहर लटक रहे पपीते जैसे स्तनों को मसलते हुए.. उसकी बादामी रंग की निप्पल को दांतों के बीच दबाते हुए काट लिया..

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दर्द से कराह उठी चेतना.. फिर भी शीला और पिंटू ने अपना काम जारी रखा.. शीला अपने दूसरे हाथ से अपनी बुर खुजाने लगी.. पिंटू ने भी शीला की गुफा को सहला दिया.. "आह्ह.. शाबाश पिंटू मेरे लाल.. बिना कहे ही समझ गया तू मेरे बेटे.. सहला और सहला वहाँ.. आह्ह.. "

शीला भी अपनी चुत खुजाते हुए आनंद के महासागर में गोते खाने लगी.. और डूब गई.. शीला ने चेतना के होंठों पर कामुक चुंबन जड़ दिया.. चेतना भी वासना के सागर में अपनी पतवार चलाते हुए किसी दूसरी दुनिया में पहुँच गई.. पिंटू को अपनी दोनों जांघों के बीच दबोच कर.. शीला के चुचे दबाते हुए.. जोर से हांफने लगी.. पिंटू का पूरा मुंह.. चेतना के चिपचिपे चुत-रस से भर गया। उस छोटे लड़के ने अपने छोटे लंड के उपयोग के बिना ही चेतना को ठंडी कर दिया..

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स्खलित हुई चेतना की सांसें बड़ी ही तेज चल रही थी.. उसकी हांफती हुई बड़ी बड़ी छाती.. और बिखरे हुए बाल.. बड़े ही सुंदर लग रहे थे। उसका काम निपट गया था.. उसने अपने कपड़े उठाए और बाथरूम के बाहर निकली तब शीला.. कोने में पड़ी कपड़े धोने की थप्पी का मोटा हेंडल तेजी से अपनी चुत में घुसेड़कर मूठ मार रही थी।

पिंटू बड़े ही आश्चर्य से शीला के भोसड़े में उस मोटे डंडे को अंदर बाहर होते हुए देखता रहा.. इतना मोटा डंडा भी बड़े आराम से अंदर ले रही शीला को देखकर पिंटू को अपने छोटे से औज़ार की मर्यादा का एहसास हुआ.. फिर भी बिना निराश हुए.. उसने शीला के हाथ से उस थप्पी को खींचकर बगल में रख दिया.. शीला को पलटा कर झुका दिया.. शीला कमोड पर हाथ टिकाते हुए झुक गई.. उसके नरम गोल बड़े बड़े उरोज बड़ी सुंदरता से लटक रहे थे.. जैसे खुद के स्तनों का ही भार लग रहा हो.. शीला ने अपने एक स्तन को हाथों में पकड़ लिया और फ्लश टँक पर हाथ टेक कर अपने चूतड़ उठाकर खड़ी हो गई।

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अब पिंटू.. उकड़ूँ होकर नीचे बैठ गया.. शीला के भव्य कूल्हों को दोनों हाथों से अलग करते ही.. उसे शीला का गुलाबी रंग का गांड का छेद दिखने लगा.. शीला को खुश करने के लिए पिंटू के पास उस थप्पी के हेंडल जैसा मोटा हथियार तो नहीं था.. उसे अपने छोटे से मर्यादित कद के हथियार से ही युद्ध लड़ना था.. और जीतना भी था.. हालांकि.. इस युद्ध मैं पिंटू की दशा.. अमरीका के सामने बांग्लादेश जैसी थी..

बिना एक पल का विलंब किए.. पिंटू ने शीला की गांड के छेद को उत्तेजना से चूम लिया.. और अपनी जीभ की नोक उस छेद पर फेर दी.. फिर उसने थोड़ा सा नीचे जाकर.. शीला की लसलसित चुत की लकीर पर आक्रमण शुरू किया.. उस दौरान उसने शीला के दोनों चूतड़ों को फैलाकर पकड़ रखा था.. जैसे किसी मोटे ग्रंथ की किताब को खोलकर पढ़ रहा हो..

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चुत की लकीर चौड़ी होते ही.. अंदर का लाल गुलाबी विश्व द्रश्यमान होने लगा.. देखते ही पिंटू की सांसें फूल गई.. पिंटू चुत पर जीभ फेरने लगा और शीला तड़पने लगी.. और वासना से बेबस हो गई.. उत्तेजना के कारण शीला के पैर कांप रहे थे.. और वह बड़ी हिंसक तरीके से अपने स्तन मसल रही थी.. निप्पल तो ऐसे खींच रही थी मानों उसे अपने स्तन से अलग कर देना चाहती हो..

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तीन घंटे पहले.. शीला के घर आया ये नादान छोकरा.. अब किसी अनुभवी मर्द की अदा से शीला की रसभरी.. स्ट्रॉबेरी जैसी चुत को चाट रहा था। शीला के स्तन उत्तेजना के कारण कठोर हो गए थे.. और निप्पल सख्त होकर बेर जैसी हो गई थी.. पिंटू को इतना तो पता चल गया की उसकी छिपकली जैसी लोड़ी से शीला के किले को फतह कर पाना नामुमकिन सा था.. इसी लिए वो उसे चाट चाटकर शांत करने का प्रयास कर रहा था।

वो कहावत तो सुनी ही होगी "काम ही काम को सिखाता है" बस उसी तर्ज पर.. पिंटू के दिमाग में कुछ आया.. और उसने शीला की गांड में अपनी उंगली घुसा दी.. शीला को अपनी गांड में जबरदस्त खुजली हो रही थी.. बिना सिखाए की गई इस हरकत से शीला खुश हो गई.. और खुद ही अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए पिंटू की उंगली को चोदने लगी..

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"आह्ह.. ओह्ह.. ओह्ह.. चाट पिंटू.. अंदर तक जीभ डाल दे.. ऊईई..मर गई.. मज़ा आ रहा है.. उईई माँ.. तेज तेज डाल.. जीभ फेर जल्दी.. मैं झड़नेवाली हूँ.. आह्ह आह्ह आह्ह.. मैं गईईईईईई......!!!!!!!!" कहते ही शीला का शरीर ऐसे कांपने लगा जैसे उसे बिजली का झटका लगा हो.. उसका पूरा शरीर खींचकर तन गया.. और दूसरे ही पल एकदम ढीला हो गया.. शीला वहीं फर्श पर ढेर होकर गिर गई.. पिंटू भी चाट चाट कर थक गया था.. शीला के अनुभवी भोसड़े को शांत करना मतलब.. शातिर गुनेहगार से अपने जुर्म का इकरार करवाने जितना कठिन काम था.. पर पिंटू की महेनत रंग लाई.. शीला और चेतना.. दोनों को मज़ा आया..

चेतना तो कपड़े पहनकर कब से ड्रॉइंगरूम में इन दोनों का इंतज़ार कर रही थी.. उसकी चुत मस्त ठंडी हो चुकी थी.. वह जानती थी की शीला तब तक बाहर नहीं निकलेगी जब तक की उसके भोसड़े को ठंडक नहीं मिल जाती!!

"पिंटू.. मेरे हुक बंद कर दे.. मुझे ओर भी काम है बेटा.. " कहते हुए शीला घूम गई.. पिंटू उनकी संगेमरमर जैसी पीठ को देखतय ही रह गया.. उस चिकनी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसने ब्रा के दोनों छोर को पकड़कर खींचा ताकि हुक बंद कर सकें.. ब्रा के पट्टों को खींचकर करीब लाते हुए ऐसा महसूस हो रहा था जैसे रस्साकशी का खेल चल रहा हो!! पिंटू को हंसी आ गई.. आईने में पिंटू को देख रही शीला ने पूछा..

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"क्यों रे छोकरे? हंस क्यों रहा है?"

"भाभी, मैं ये सोचकर हंस रहा था की इतनी छोटी सी ब्रा में इतने बड़े बड़े गोले कैसे समाएंगे भला??"

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शीला: "भोसडी के..मादरचोद.. उसमें हसने वाली क्या बात है!!"

पिंटू: "भाभी.. ऐसे ही बड़े बड़े बबलों ने मुझे हिन्दी की परीक्षा में १५ मार्क दिलवाए थे.. "

शीला (आश्चर्य से): "वो कैसे?"

पिंटू: "बोर्ड की परीक्षा में हिन्दी के पेपर में एक निबंध पूछा गया था "बढ़ती हुई आबादी से होते नुकसान".. क्या लिखूँ कुछ सूझ ही नहीं रहा था.. इतने में मेरी नजर सुपरवाइज़र मैडम पर पड़ी.. उनके स्तन भी आपकी तरह बड़े बड़े थे और ब्लाउस मैं संभल नहीं रहे थे.. उन्हे देखकर मैंने निबंध लिखना शुरू कर दिया.. आबादी के बढ़ने से लोगों को होती परेशानियाँ.. दो तीन वाक्य लिखने के बाद.. मैंने दूसरा अनुच्छेद छोटे से घर में ज्यादा लोगों को रहने पर पड़ती तकलीफ की ऊपर लिख दिया.. और उपसंहार आबादी के चलते जरूरत की चीजों की किल्लत पर लिख दिया.. सब कुछ उस सुपरवाइज़र मैडम के मम्मों की प्रेरणा की वजह से.. वो बात याद आ गई.. इसलिए हंसी आई.. वो बात छोड़िए.. आप ये बताइए की अब ब्रा के हुक को बंद कैसे करू? ज्यादा खिचूँगा तो टूट जाएंगे.."

पिंटू की बकवास सुनकर बोर हो चुकी शीला ने अपनी दोनों कटोरियों में से स्तनों को निकाल दिया.. उसके उरोज ब्रा के नीचे झूलने लगे.. स्टेशन आते ही जैसे लोकल ट्रेन में जगह हो जाती है वैसे ही अब जगह हो गई और हुक आसानी से बंद हो गए.. शीला के स्तन अभी भी ब्रा के बाहर झूल रहे थे।

शीला: "चल पिंटू.. अब इन दोनों को अंदर डाल दे.. "

पिंटू ने शीला का दोनों स्तनों को पकड़कर पहले तो थोड़ी देर दबाया.. शीला आँखें बंद करके स्तन मर्दन का आनद लेने लगी

शीला: "जरा जोर से मसल.. आह्ह!!"

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पिंटू ने शीला को अपनी ओर खींच लिया.. और उसके गालों को चूम कर अपने होंठों को शीला के कान के करीब ले गया और फुसफुसाते हुए बोला

पिंटू: "आप का तो हो गया भाभी.. पर मेरा अभी बाकी है.. मेरा पानी निकलवाने का भी कोई जुगाड़ लगाइए.."

शीला अपना हाथ नीचे ले गई और पिंटू का लंड पकड़कर बोली " सच कहूँ पिंटू?? तू मेरे बच्चों से भी छोटा है.. तेरी नुन्नी से छेड़खानी करते हुए भी मुझे शर्म आ रही है.. पर क्या करती? ये सब इतना अचानक हो गया की.. वरना तेरे ये सीटी जैसे लंड से मेरा क्या भला होगा!! अभी देखा था ना तूने.. उस थप्पी का हेंडल कैसे अंदर समा गया था!! अब तू ही बता.. तेरी छोटी सी लोड़ी से मुझे कैसे संतोष मिलेगा??"

पिंटू: "पर उसमें मेरी क्या गलती है? मैंने आपको और चेतना भाभी को.. मुझे जितना आता था वह सब कर के दिया ना!! और ठंडा भी कर दिया!!"

शीला: "तेरी बात सही है पिंटू.. पर तेरा छोटा सा लंड पकड़ने में मुझे शर्म आती है.. तू खुद ही इसे हिला ले.. क्यों की अगर मैं गरम हो गई.. तो फिर तुझे चूस लूँगी पूरा.. इससे अच्छा तो तू मेरे स्तनों को चूसते हुए अपना लंड हिलाते हुए पानी गिरा दे" कहते ही शीला ने अपना एक स्तन पिंटू के मुंह में दे दिया.. बेचारा पिंटू!! शीला की निप्पल चूसते हुए अपना लंड हिलाए जा रहा था..

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शीला: "जल्दी जल्दी कर.. मेरी चुत में फिर से खाज होनी शुरू हो गई है"

"उहह भाभी.. आह्ह.. ओह्ह.. " पिंटू स्खलित हो गया.. शीला बड़े ताज्जुब से देखती रही.. इतने छोटे लंड की पिचकारी दो फुट दूर जाकर गिरी!! उस फेविकोल जैसे वीर्य को देखकर शीला की चुत में झटका लगा.. अंदर दलवाया होता तो मज़ा आता.. कितने फोर्स से पिचकारी लगाई इसने!! अंदर बच्चेदानी तक जाकर लगती.. मज़ा आ जाता.. पर उसके ये सिगरेट जैसे लंड से वह कहाँ ठंडी होने वाली थी!! चलो, जो हुआ अच्छा ही हुआ!!

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शीला और पिंटू कपड़े पहनकर ड्रॉइंगरूम में आए.. चेतना सोफ़े पर बैठे बैठे आराम से अखबार पढ़ रही थी..

शीला: "आप दोनों बातें करो.. मैं अभी कुछ नाश्ता बना कर लाती हूँ.. बेचारे पिंटू को भूख लगी होगी"

पिंटू: "नहीं नहीं.. मुझे भूख नहीं लगी.. मैं अब निकलता हूँ.. घर पहुँचने में देर होगी तो मम्मी डाँटेगी.. "

शीला: "अब आधे घंटे में कोई देरी नहीं हो जाने वाली.. आराम से बैठ.. नाश्ता कर के ही जा.. आज तो तुझे पूरा निचोड़ दिया हमने!!"

चेतना जिस अखबार को पढ़ रही थी उसमें एक इश्तिहार छपा हुआ था.. जिसमें एक मॉडल छोटी सी ब्रा पहने अपने बड़े बड़े उभार दिखा रही थी..

चेतना: "ये अखबार वाले भी कैसी कैसी अधनंगी एडवर्टाइज़मेंट छापते है!! फिर खुद ही बीभत्सता के खिलाफ लंबे लंबे आर्टिकल लिखते है.. और इन मॉडलों को तो देखो.. कैसे अपने बबले दिखाकर फ़ोटो खिंचवाई है!! इन्हे देखकर तो मर्दों के लंड पतलून फाड़कर बाहर निकल जाते होंगे!! खुद ही आधे कपड़ों में घूमेगी.. फिर कुछ उंच-नीच हो जाए तो चिल्लाएगी.. "

पिंटू आराम से सुनता रहा.. अखबार पढ़ रही चेतना का पल्लू नीचे गिर गया था.. उसकी ओर इशारा करते हुए उसने कहा

पिंटू: "भाभी.. पहले तो आप अपनी दोनों हेडलाइट को ढँक लो.. कहीं मैं ही कुछ कर बैठा तो यहीं पर उंच-नीच हो जाएगी और आप चिल्लाएगी"

चेतना: "तुझे जो मन में आए वो कर इनके साथ... मैं कहाँ मना कर रही हूँ!!" कहते हुए चेतना ने पिंटू की जांघ को सहलाया और उसके करीब आ गई.. अपने आप को थोड़ा सा ऊपर किया.. और अपनी छाती से पल्लू गिरा दिया.. कमर के ऊपर अब केवल ब्लाउस के अंदर कैद स्तनों का उभार देखकर कोई भी बेकाबू बन जाता.. चेतना ने बड़ी ही कातिल अदा से अंगड़ाई ली.. और मदहोश कामुक नज़रों से.. अपने निचले होंठ को दांतों तले दबाया,. होंठों पर अपनी जीभ फेर ली.. और अपने स्लीवलेसस ब्लाउस में से पसीनेदार काँखों को दिखाकर.. पिंटू की मर्दानगी को.. एक ही पल में नीलाम कर दीया।

अखबार को सोफ़े पर फेंककर चेतना पिंटू की जांघों पर सवार हो गई.. और उसके बिल्कुल सामने की तरफ हो गई। पिंटू के मासूम चेहरे को अपनी दोनों हथेलियों में भरते हुए उसके गालों को सहलाने लगी और बड़ी ही कामुक अदा से बोली

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चेतना: "हाय रे पिंटू.. कितना चिकना है रे तू!! तुझे कच्चा चबा जाने का मन कर रहा है मेरा" कहते हुए चेतना ने पिंटू के होंठों को चूम लिया.. चिंटू ने अपने दोनों हाथों से चेतना के कूल्हें पकड़ लिए.. और उन्हे सहलाने लगा..

चेतना ने पिंटू के पतलून की चैन खोली और उसके सख्त लंड को बाहर निकाला.. बिना वक्त गँवाए उसने अपना घाघरा उठाया और अपनी रसीली चुत की दरार पर पिंटू के सुपाड़े को सेट करते हुए अपने जिस्म का वज़न पिंटू की जांघों पर रख दिया.. पिंटू का लंड चेतना की चुत में ऐसे गायब हो गया जैसे गधे के सर से सिंग!!

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शीला एक प्लेट में गरमागरम पकोड़े लेकर बाहर आई तब इन दोनों को चुदाई करते हुए देखकर हंस पड़ी.. और मन ही मन बोली.. साली ये चेतना भी.. इस बेचारे बच्चे की जान ही ले लेगी आज.. शीला ने एक गरम पकोड़ा लिया और चेतना के खुले नितंब पर दबा दिया

चेतना: "उईई माँ.. क्या कर रही है हरामी साली!!!" बोलते हुए चेतन उछल पड़ी.. उसके उछलते ही पिंटू का लंड उसकी चुत से बाहर निकल गया.. वह उत्तेजना से थर-थर कांप रही थी.. पिंटू का लंड भी झूल रहा था..

शीला ने पकोड़े की डिश को टेबल पर रखा और पिंटू के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.. शीला के मुंह की गर्मी.. पिंटू और बर्दाश्त न कर सका.. और बस दस सेकंड में उसके लंड ने इस्तीफा दे दिया.. पिंटू का वीर्य मुंह में भरकर शीला किचन में चली गई। चेतन से अब और रहा न गया.. अपना घाघरा ऊपर करते हुए वह क्लिटोरिस को रगड़ने लगी.. अपनी चुत की आग को बुझाने की भरसक कोशिश कारणे लगी.. पर उसकी चुत झड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी।

आखिरकार उसने पिंटू को सोफ़े पर लिटा दिया और उसके मुंह पर सवार हो गई.. और इससे पहले की पिंटू कुछ कर पाता.. वह उसके मुंह पर अपनी चुत रगड़ने लगी.. करीब पाँच मिनट तक असहाय पिंटू के मुंह पर चुत रगड़ते रहने के बाद.. उसकी चुत का फव्वारा निकल गया.. बेचारा पिंटू.. चेतना के इस अचानक हमले से हतप्रभ सा रह गया..

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थोड़ी देर यूं ही लेते रहने के बाद वह उठा और कपड़े ठीक किए.. उसकी हालत खराब हो गई थी.. वह बुरी तरह थक चुका था.. अपने लंड को पेंट में डालकर उसने चैन बंद की और बिना कुछ कहे वह दरवाजा खोलकार चला गया.. नाश्ता करने भी नहीं रुका.. इन दोनों भूखे भोसड़ों की कामवासना ने उसे डरा दिया था... वह दुम दबाकर भाग गया

शीला और चेतना ने उसे रोकने की कोशिश भी नहीं की.. क्यों करती!! उनका काम तो हो गया था.. अनमोल ऑर्गैज़म प्राप्त कर दोनों सहेलियाँ पकोड़े खाते हुए बातों में मशरूफ़ हो गई।

चेतना: "मस्त पकोड़े बनाए है तूने" खाते हुए बोली

शीला: "चेतना.. क्या सच में तेरे पति का खड़ा नहीं होता?"

चेतना: "इतना निकम्मा भी नहीं हुआ है अब तक.. पर हाँ.. पहले की तरह जल्दी सख्त नहीं होता.. और होता भी है तो एकाध मिनट में बैठ जाता है"

कहते हुए चेतना उदास हो गई.. शीला ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.. "मैं समझ सकती हूँ की तुझ पर क्या बीत रही होगी.. मैंने भी मदन की गैरमौजूदगी में दो साल बिताए है.. तू अब से मेरे घर आया कर.. तुझे तड़पना नहीं पड़ेगा.. "

चेतना: "इसी लिए तो मैं घर पर आकर बात करने के लिए बोल रही थी.. ऐसी बातें बाहर खुले में करना ठीक नहीं"

शीला: "सच कहा तूने चेतना.. इस उम्र में जब जिस्म की भूख सताती है तब ऐसी स्थिति होती है की ना सहा जाता है और ना कहा जाता है"

चेतना: "एक बात पूछूँ शीला? सच सच बताना.. मदन भाई दो साल से गए हुए.. इतने समय तू बिना कुछ किए रह पाई यह बात मैं मान नहीं सकती"

शीला: "सच कह रही है तू.. मैंने तो अपने दूधवाले को जुगाड़ लिया है.. रोज सुबह सुबह तगड़ा लंड मिल जाता है"

चेतना: "मेरा भी उसके साथ कुछ चक्कर चला दे शीला.. " विनती करते हुए चेतना ने कहा.. तगड़े लंड का नाम सुनकर उसके दो पैरों के बीच के तंदूर से धुआँ निकलने लगा

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शीला: "अरे तू भी ना.. ऐसे कैसे सेटिंग करवा दूँ.. मैंने भी अभी अभी शुरू किया है उसके साथ!!"

थोड़ी देर के लिए दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला

चेतना एकदम धीमी आवाज में बोली "बेटे से तो बाप अच्छा है"

"मतलब??" शीला समझ नहीं पाई

"कुछ नहीं.. जाने दे यार.. चलती हूँ.. वरना मेरी सास फिर से चिल्लाएगी... जैसे मैं किसी के साथ भाग जाने वाली हूँ" चेतना ने एक भारी सांस छोड़कर कहा

"तो बोल दे अपनी सास को.. की अपने बेटे से कहे की तुझे ठीक से चोदे.. वरना सचमुच भाग जाऊँगी.. एक औरत बिना आटे के जीवन गुजार लेगी पर बिना खूँटे के तो एक पल नहीं चलेगा" शीला ने कहा

"बिना खूँटे के तो मेरी सास को भी नहीं चलता.. दिन में दो दो बार अपनी चुत चटवाती है मेरे ससुर से.. "

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"बाप रे!! क्या बात कर रही है तू!! तुझे कैसे पता चला?" शीला आश्चर्यसह चेतन की ओर देखती रही

"कई बार रात को उनके कमरे में चल रही गुसपुस सुनती हूँ.. मेरा ससुर भी कुछ काम नहीं है.. खड़े हुए ऊंट की गांड मार ले ऐसा वाला हरामी है कुत्ता.. साला" चेतना ने कहा

"कमाल है यार!! इस उम्र में भी!! तेरा ससुर रंगीला तो था ही.. याद है.. तेरे देवर की शादी में मेरे बूब्स को कैसे घूर घूर कर देख रहा था" शीला ने कहा

"हाँ यार.. चल अब मैं चलती हूँ.. बहोत देर हो गई.. घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे मेरा.. "

"ठीक है.. पर आती रहना.. "

"तू बुलाएगी तो जरूर आऊँगी.. और ऐसा कुछ भी मौका मिले तो मुझे याद करना.. अकेली अकेली मजे करती रहेगी तो एड्स से मर जाएगी.. मिल बांटकर खाने में ही मज़ा है.. मेरी चुत का भला करेगी तो उपरवाला तेरा भी ध्यान रखेगा" हँसते हुए चेतना ने कहा और चली गई

शीला फिर से अकेली हो गई.. उसे चेतना पर बहोत दया आ रही थी.. बेचारी.. कैसे मदद करू चेतना की?? शीला सोचती रही
अनु मौसी
F-T72y-HXc-AACi-H5
 

vakharia

Supreme
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बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
कविता और शीला की व्दिअर्थी बातें वो भी मदन के सामने बडी ही मस्त
इधर मौसम की शादी लगभग तरुण से तय हो गई लेकीन पियुष इससे मायुस हो गया एक कोरी करारी चुद जो बस चुदने को तयार थी वो हाथों से जाती नजर आ रही थी पर मौसम ने शादी से पहले पियुष से चुदने का वादा करके उसकी मायुसी दुर कर दी
मौसम को अपने पिता और फाल्गुनी को रंगेहाथ पकडना हैं तो वो निकल पडी वैशाली के साथ
अब देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thanks a lot Napster bhai :happy: :love2: ♥️
 

Rajizexy

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रूखी के हर कदम के साथ लयबद्ध तरीके से मटकते कूल्हों को और लचकती कमर को.. पीछे से देखता ही रहा पीयूष.. ऐसा रूप उसने जीवन में पहले कभी देखा नहीं था.. वाह.. !! ये तो शीला भाभी से भी बढ़कर है.. इतना सौन्दर्य? इन सब बातों से अनजान रूखी लटक-मटक चलते हुए निकल गई.. उसके जाने के बाद भी पीयूष मूर्ति की तरह दरवाजे पर खड़ा रहा.. उसके पैर फर्श पर जैसे चिपक गए थे.. रूखी के रूप से प्रभावित होकर वो दूध रखने किचन में गया तब कविता जाग गई.. और वो अपने घर चली गई.. सुबह के काम निपटाने.. पीछे पीछे पीयूष भी ताला लगाकर अपने घर गया..

एक ही दिन में कितनी सारी घटनाएं घट गई थी.. !! ऑफिस जाते जाते पीयूष सोच रही थी.. वैशाली के समाचार से उसका पूरा परिवार व्यथित था.. खासकर पीयूष और कविता को काफी सदमा पहुंचा था क्योंकि वो दोनों शीला भाभी और वैशाली के करीब थे.. और पीयूष तो माँ और बेटी दोनों को भोग चुका था.. कविता ने भी शीला भाभी के जिस्म की गर्माहट का लाभ उठाया था.. इसलिए पीयूष और कविता दोनों इस बात को लेकर काफी दुखी थे..

पीयूष के मन में बस एक ही विचार था.. यहाँ बैठे बैठे वो किस तरह शीला भाभी और मदन भैया की मदद करें.. उनके मन की स्थिति कैसी होगी? मदन भैया तो फिर भी अपने आप को संभाल लेंगे.. पर शीला भाभी का पुलिस स्टेशन में क्या हाल हुआ होगा?? उन्हें पुलिस की गंदी गालियां सुननी पड़ी होगी.. किसी ने उन्हें छेड़ा होगा तो.. !! शीला भाभी थी ही इतनी खूबसूरत की देखने वाले को एक पल में उत्तेजित कर दे.. भाभी से किसी ने ज्यादती तो नहीं की होगी?? विचारों में वो कब ऑफिस पहुँच गया उसे पता ही नहीं चला..

ऑफिस में जाते ही वह राजेश सर की केबिन में गया और उन्हें वैशाली के बारे में बताया.. राजेश सर को जबरदस्त धक्का लगा.. माउंट आबू की उस आखिरी मुलाकात के दौरान.. बियर के नशे में वैशाली ने उसे सब कुछ बताया तो था.. पर हालात इतने गंभीर होंगे उसका उसे अंदाजा नहीं लगा था तब.. राजेश ने तुरंत फोन करके रेणुका को ये समाचार दीये..

देखते ही देखते.. पूरी ऑफिस में ये बात फैल गई.. माउंट आबू की ट्रिप के कारण, ऑफिस के सभी कर्मचारी, वैशाली को जानते थे.. सब को इस बात का दुख हुआ.. राजेश सर भी बेहद अपसेट थे.. आबू में जिस तरह उनका कॉलर पकड़कर टॉइलेट के अंदर खींच लिया था.. उस नटखट चंचल वैशाली का चेहरा उनकी आँखों के सामने से हट ही नहीं रहा था.. इतनी अच्छी लड़की के साथ कुदरत ने ऐसा क्यों किया होगा? पति बेकार था इसमें वैशाली का क्या दोष? राजेश के स्टाफ के कर्मचारिओ ने वैशाली की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की और फिर काम पर लग गए..

पूरा दिन पीयूष का मन काम में नहीं लगा.. उदास होकर वो शाम को जब घर पहुंचा तब अनुमौसी ने खुशखबरी दी "वैशाली को होश आ गया है और अब उसकी तबीयत काफी बेहतर है.. मदन और शीला उसे लेकर फ्लाइट से आ रहे है.. बाकी का ट्रीटमेंट यहीं किसी अस्पताल में करवाएंगे.. वहाँ उसे अकेली छोड़ना खतरे से खाली नहीं था.. वो इंस्पेक्टर दोस्त ने सारी जिम्मेदारी ली है और कहा है की पुलिस का सारा मैटर वो संभाल लेंगे.. "

अठारह घंटे के तनाव के बाद पीयूष के दिल को शांति मिली.. उसने तुरंत वैशाली को फोन किया.. वैशाली ज्यादा बात करने की स्थिति में तो नहीं थी.. पर वो ठीक है इतना कहकर उसने फोन रख दिया.. पीयूष से बात कर वैशाली को भी बहोत अच्छा लगा..

रात को शीला भाभी के घर सोने के लिए पीयूष और कविता गए.. मौसी का मन तो बहोत था जाने का पर चिमनलाल की उपस्थिति के कारण वो जा न पाई.. ऐसा मौका हाथ से जाने पर मौसी दुखी थी.. कल तो शीला वापिस आ जाने वाली थी.. आज की रात आखिरी थी.. पर क्या करती?? बिना बैटरी के मोबाइल जैसे चिमनलाल के साथ ही रात गुजारना उनके नसीब में था..

कविता और पीयूष शीला के घर सोने के लिए आए तो थे.. पर अब वैशाली का टेंशन खतम हो जाने से दोनों काफी हल्का महसूस कर रहे थे.. तनाव खतम होते ही कविता का जिस्म लंड लेने के लिए बिलबिलाने लगा.. रात के साढ़े ग्यारह का समय था.. कविता ने पीयूष के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी थी..

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पीयूष: "क्या है यार?? बहोत खुजली हो रही है तुझे? इतनी रात को परेशान कर रही है.. !!"

कविता: "अरे जानु.. इतनी सुंदर पत्नी बगल में सो रही हो तब तो तुझे ऐसा सोचना चाहिए की काश.. ये रात खतम ही न हो.. !!"

पीयूष: "बात तो तेरी सही है जानु.. पर ये हमारा बेडरूम नहीं है.. शीला भाभी का है.. तेरी चूत के रस से उनकी चादर खराब करने का हमें कोई हक नहीं है"

कविता: "तो क्या हुआ..!! क्या मदन भैया और शीला भाभी कुछ करते नहीं होंगे?? और चादर को क्या पता की धब्बे शीला भाभी के है या मेरे?"

पीयूष: "अरे पगली.. मदन भैया कितने शौकीन है ये तुझे क्या पता.. घर का ऐसा कोई कोना नहीं होगा जहां उन्हों ने शीला भाभी को चोदा न हो.. पति पत्नी जब अकेले हो तब क्या क्या नहीं करते.. !! ऊपर से जब पत्नी शीला भाभी जैसी रंगीन हो तब तो और मज़ा आता है.. !!"

कविता: "तो क्या मैं रंगीन नहीं हूँ?? शीला भाभी के तारीफ़ों के पूल बांध रहा है.. कभी मेरी भी तारीफ किया कर.. " शीला भाभी की तारीफ सुनकर कविता के मन में ईर्ष्या के भाव जागृत हो गए.. बगल में खुद की बीवी नंगी सोई हो तब मर्द अगर दूसरी औरत की तारीफ करें तो जाहीर सी बात है की उसे बुरा लगेगा.. पर फिलहाल कविता की चूत को पीयूष के लंड का बेसब्री से इंतज़ार था इसलिए उसने ज्यादा नखरे नहीं किए.. अभी नखरे करती तो उसकी चूत भूखी मर जाती.. इसलिए कविता ने पीयूष को.. गिरफ्तार न करते हुए सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया..

पीयूष: "अरे मेरी जान.. तू तो रंगीन है ही.. मैं कहाँ मना कर रहा हूँ.. !! तेरी इस नशीली जवानी के जादू को बयान करने के लिए तो शब्द कम पड़ जाते है.. मेरी रानी.. !!" पुरुष सहज बुद्धि का प्रयोग कर पीयूष ने स्थिति को बिगड़ने से रोक लिया

कविता पीयूष की बातों से और गरम होकर उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी.. पतले कपड़े से बने गुलाबी नाइट ड्रेस से झलकता हुआ जोबन.. कटोरी के बीचोंबीच उभरी हुई निप्पल.. और पतली सुंदर जांघों के बीच महक रही चूत.. पीयूष के लंड को नीलाम करने के लिए काफी थे..

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कविता: "मदन भैया इतने सेक्सी है क्या.. !! लगते तो बड़े सीधे है.." पीयूष के लंड को पकड़कर उत्तेजना पूर्वक मसलते हुए कविता ने पूछा

अचानक पीयूष की नजर कोने के टेबल पर पड़े लैपटॉप पर गई.. "कोई भी पुरुष कितना सीधा है.. ये अगर जानना हो तो उसका लैपटॉप चेक करना चाहिए..अभी मदन भैया की कुंडली देखकर बताता हूँ"

कविता: "हाँ हाँ.. चेक कर.. देखें तो सही.. भाभी और मदन भैया क्या गुल खिलाते है.. !!" कहते हुए कविता ने पीयूष का लंड छोड़ दिया ताकि वो लैपटॉप तक जा सके

छलांग लगाते हुए पीयूष खड़ा हुआ और लैपटॉप लेकर बेड पर आ गया.. ऑन करते ही लैपटॉप ने पासवर्ड मांगा.. अब क्या करें??

पीयूष लैपटॉप की बेग के अंदर ढूँढने लगा.. एक कार्ड पर नंबर लिखा था 13754.. ये नंबर डालते ही लैपटॉप खुल गया.. !!!

कंप्यूटर को चलाने में पीयूष एक्सपर्ट था.. यहाँ वहाँ ढूँढने से पहले.. उसने "My recent" का फ़ोल्डर ओपन करते ही उसकी आँखों में चमक आ गई.. वहाँ से उन्हों ने एक फ़ोल्डर खोला जिसमे कई देसी व विदेशी नग्न मोडेलों की तस्वीर और अश्लील वीडियोज़ की भरमार थी.. ये सारी फाइल्स को देखते हुए पीयूष की नजर एक फ़ोल्डर पर पड़ी जिसका नाम था "My Videos"..!!

वो फ़ोल्डर खोलते ही पीयूष और कविता दोनों अचरज में डूब गए.. काफी सारी विडिओ क्लिप थी.. एक क्लिप को ओपन करके देखा तो वो मदन की रियल क्लिप थी.. वो किसी फिरंगी औरत के स्तनों से दूध चूस रहा था.. स्तनों को दबा दबाकर उसका दूध अपने लंड पर लगा रहा था.. देखकर कविता के आश्चर्य और उत्तेजना की कोई सीमा न रही.. उसकी चूत में ४४० वॉल्ट का झटका लगा.. मदन का खड़ा हथियार देखकर "आह्ह" कहते हुए वो सिसकने लगी..

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"ओ माँ.. बाप रे.. !!" कविता मदन को लंड हिलाता देख शर्म से पानी पानी हो गई.. उसकी नजर मदन के लंड से हट ही नहीं रही थी.. गला सूखने लगा था उसका.. पीयूष को पता चल गया की कविता की हालत ऐसी क्यों हो रही थी.. क्यों की जब शीला भाभी ने उसका लंड पकड़कर चूसा था तब उसकी भी हालत कुछ ऐसी ही हो गई थी..

उस गोरी अंग्रेज औरत और मदन दोनों विडिओ में नंगे थे.. पीयूष ने ढेर सारी ब्लू फिल्मों में विदेशी लड़कियों और औरतों को देखा था.. और जानता था की वे सब प्रोफेशनल और प्रशिक्षित होती है.. और उनके जिस्म के अंगों में सच्चाई कम और सिलिकॉन ज्यादा होता है.. पहली दफा वास्तविक बने विडिओ में अंग्रेज स्त्री के शरीर को देख रहा था.. तो दूसरी तरफ कविता मदन के जानदार लंड को टकटकी लगाकर देख रही थी.. वो अंग्रेज औरत इंग्लिश में कुछ बोल रही थी.. पर धीमी आवाज के कारण कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.. ये औरत कौन होगी यह पीयूष सोचता रहा और उसकी नजाकत, अंगभंगिमा और गदराया सौन्दर्य देख रहा था..

"आह्ह पीयूष.. बहुत हुआ.. अब कुछ कर.. मुझसे तो रहा ही नहीं जाता.. ये सब देखकर मेरी हालत खराब हो रही है.. " अपनी चूत की गर्मी सहन न होने पर कविता ने विनती की..

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"मुझे भी लगता है की विडिओ देखकर ही झड़ जाएगा.. कविता.. प्लीज यार.. मुंह में लेकर चूस दे एक बार.. देख ना.. ये औरत भी मदन भैया का कैसे चूस रही है.. !!" विडिओ में वो अंग्रेज औरत मदन का लंड पूरी तन्मयता और उत्तेजना से चूस रही थी.. साथ ही अपनी चूत में दो उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर कर रही थी.. ये देखकर पीयूष ने कविता के दोनों बॉल दबाते हुए कहा "यह फिरंगी लोग अपनी हवस शांत करने के लिए कितने प्रयत्नशील होते है.. और यहाँ की औरतें.. शर्म का चोला उतारती ही नहीं.. और फिर जीवन भर तड़पती रहती है"

"तू अपना उपदेश बाद में देना.. " पीयूष की गोद से लैपटॉप हटाकर कविता खुद बैठ गई.. हाथ से पीयूष का लोडा पकड़कर अपनी चूत के मध्य में सेट करते हुए उसने अपना सारा वज़न रख दिया.. पहले से द्रवित हो चुकी बुर ने एक ही पल में पूरा लोडा गटक लिया.. लंड के घर्षण से कविता की चूत में खलबली मच गई.. और अपना द्रव्य छोड़ने लगी.. उस अमृत रस को पीकर पीयूष का लोंडा भी तरोताजा हो गया


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दोनों उसी अवस्था में अपने गुप्तांगों के घर्षण का आनंद ले रहे थे तभी उनकी नजर बगल में पड़े लैपटॉप के स्क्रीन पर गई.. मदन उस फिरंगी औरत की चूत की परतों को अपनी उंगलियों से चौड़ा कर चाट रहा था.. क्लीन शेव गुलाबी गोरी चूत पर झांट का एक बाल न था.. देखते ही चाटने का मन करें ऐसी लुभावनी चूत थी.. और बीच का गुलाबी छेद.. आहाहाहा.. देखकर पीयूष और कविता की उत्तेजना दोगुनी हो गई.. हल्के हल्के पतवार मारते हुए कविता अपने स्तनों को पीयूष की छाती से रगड़ रही थी.. और साथ ही उसके गाल और होंठों को चूम रही थी

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धीरे धीरे अपनी नाव चलाते हुए वह बोली "पीयूष, ये औरत कौन होगी? जिसके साथ मदन भैया इतने मशरूफ़ होकर सेक्स कर रहे है? देखकर तो लगता है की ये कोई रांड तो नहीं है.. और दोनों एक दूसरे को अच्छे से जानते है.. माहोल भी किसी घर का ही लग रहा है.. " कविता ने पूछा.. पर इसका जवाब तो पीयूष के पास भी नहीं था

कविता के दोनों उरोजों को हल्के हल्के प्यार से मसाज करते हुए उसकी निप्पल खींचकर पीयूष ने कहा "क्या पता.. मैं भी वही सोच रहा था.. मदन भैया जिस तरह उसे भोग रहे है.. दोनों में जान पहचान तो होगी ही.. "

कविता: "पीयूष, तूने देखा?? उस औरत की छाती से तो दूध भी निकल रहा है.. मतलब उसे बच्चा होगा.. और डिलीवरी को भी ज्यादा समय नहीं हुआ होगा.. मतलब उसका पति भी होगा.. कहीं मदन भैया ने वहाँ जाकर दूसरी शादी तो नहीं कर ली इसके साथ?? और हो सकता है की वो बच्चा मदन भैया का ही हो.. !!" उस संभावना को सोचकर ही कविता कांप उठी

एक स्त्री कितना कुछ सोच सकती है.. !! कौन कहता है की औरतों की अक्ल उनके घुटनों पर होती है.. !! मर्दों से तो कई ज्यादा बुद्धि होती है औरतों में.. पर पुरुषों को इसका ज्ञान नहीं होता..

कविता की बात सुनकर पीयूष भी सोच में पड़ गया.. कविता की बात में दम था.. बड़ी तथ्यपूर्ण बात की थी उसने.. जरूर ऐसा हो सकता था

"नहीं यार.. ऐसा नहीं होगा.. मदन भैया दो सालों के लिए ही तो गए थे वहाँ.. इस दौरान इतना सब कुछ कैसे हो सकता है.. !! हो सकता है की दोनों के बीच नाजायज संबंध हो.. इतने लंबे समय तक बिना सेक्स के रहना तो असंभव सा है.. मदन भैया की भी जरूरतें होंगी.. और कविता.. तुम औरतों जितना धैर्य और सहनशक्ति मर्दों की नहीं होती.. अपनी बीवी को वफादार पति भी सुंदर लड़की देखकर पसीज जाता है.. अब तू ही सोच.. दो सालों तक मदन भैया बिना सेक्स के गुजार रहे हो.. तभी कोई स्लीवलेस टाइट टॉप पहनकर.. बड़े बड़े स्तन दिखाते हुए उनके सामने आ जाएँ.. तो वो बेचारे कैसे अपने आप को रोक पाएं.. !! और वैसे भी विदेश में सेक्स को लेकर काफी मुक्त विचारधारा होती है.. हो सकता है की वो स्त्री विधवा हो..या फिर तलाकशुदा.. विदेश में तो सिंगल मधर का भी काफी चलन है.. अगर हकीकत में मदन भैया ने उससे शादी कर ली होती तो क्या वो उन्हें भारत लौटने देती?" पीयूष ने अपना तर्क प्रस्तुत किया

अपनी कमर को हिलाते हुए पीयूष के लंड पर सवारी करती कविता ध्यान से पीयूष की बात सुन रही थी..

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दोनों चोद रहे थे और बातें कर रहे थे.. पर ध्यान तो लैपटॉप की स्क्रीन पर ही था.. तभी पीयूष ने अपना मोबाइल उठाया और मदन के लैपटॉप का पासवर्ड सेव कर लिया..

स्क्रीन पर मदन और वो औरत हंसकर बातें कर रहे थे और एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे.. वो स्त्री कुछ बोल रही थी.. लगभग पाँच मिनट तक दोनों की बातें चलती रही.. उस दौरान मदन ने उस औरत के स्तनों के बीच अपने लंड को दबाकर उन्हें चोदना शुरू कर दिया..

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पीयूष: "कविता.. यार ये विडिओ मेरे मोबाइल में सेव कर ले तो कैसा रहेगा.. !! फिर घर जाकर.. इयरफोन लगाकर हम इनकी बातें सुन पाएंगे.. हो सकता है की इनकी बातें सुनकर.. इनके संबंधों के बारे में कुछ पता चल जाए.. " पीयूष का ध्यान अब कविता को चोदने में काम और स्क्रीन पर ज्यादा था..

कविता ने थोड़ी सी नाराजगी के साथ कहा "ऐसा भी हो सकता है की उस फिरंगी औरत का पति चोदने में कम और कंप्यूटर पर क्लिप्स देखने में ज्यादा ध्यान देता होगा.. तभी वो मदन भैया के साथ ये सब कर रही होगी" पीयूष कविता की बात का कटाक्ष समझ गया.. और वैसे भी.. क्लिप को मोबाइल में ट्रांसफ़र करने के लिए केबल नहीं था.. इसलिए उसने लैपटॉप से ध्यान हटाकर कविता को ऑर्गजम देने पर ध्यान केंद्रित किया..

कविता तो पहले से ही गरमाई हुई थी.. मदन के लंड को देखकर वो और ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी.. मदन उस औरत के जिस्म से अपने मर्दाना शरीर को कामुकता पूर्वक रगड़ रहा था.. स्तनों के बीच से लंड हटाकर अब उसने अपना लाल सुपाडा उस फिरंगी के भोसड़े में डालकर धक्के लगाने शुरू कर दीये थे.. उस औरत का चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था.. और साथ ही कविता ने भी लंड पर कूदने की गति बढ़ा दी थी..

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उसकी हर उछाल के साथ स्तन भी उछल रहे थे.. पीयूष के लंड को कविता की चूत की मांसपेशियों ने इतनी मजबूती से जकड़ रखा था.. की शीला के बेडरूम में एक साथ चार चार ऑर्गजम हो गए.. कविता और पीयूष के साथ साथ.. स्क्रीन पर मदन और वो औरत भी झड़ चुके थे.. साथ ही लैपटॉप की बैटरी भी डिस्चार्ज होने से स्क्रीन भी बंद हो चुका था.. कविता के स्तन पीयूष की छाती से दबकर चपटे हो गए.. कविता को बाहों में भरते हुए पीयूष अपनी साँसों को नॉर्मल होने का इंतज़ार करने लगा.. उसका लंड अभी भी कविता की चूत में फंसा हुआ था.. आधे घंटे तक उसी अवस्था में पड़े रहने के बाद.. कविता धीरे से पीयूष के ऊपर से उतरी और बगल में लेट गई.. पिचक कर पीयूष का लंड बाहर निकल गया.. वीर्य और चूत रस से लसलसित लोडा उसके आँड पर मृत होकर गिर गया..

इतनी थकान के बाद पीयूष को नींद आ जानी चाहिए थी.. पर बगल में पड़ा लैपटॉप.. और उसके अंदर की स्फोटक सामग्री ने उसकी नींद उड़ा रखी थी.. पर मदन भैया और उनका परिवार कभी आ सकते थे.. ऐसी स्थिति में ज्यादा पड़ताल करने में खतरा था.. पीयूष बेड से उठा.. लैपटॉप को टेबल पर रखकर उसका चार्जर लगाया.. फिर शट डाउन करने से पहले उसने ध्यान से देख लिया की वो क्लिप कहाँ पर सेव थी.. लैपटॉप को ज्यों का त्यों रखकर वो सो गया..
Awesome sex between Kavita & piyush
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