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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

Rumana001

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ऐसे ही बातचीत करते रहने के बाद रूखी चली गई।

उसके साथ हुए इस मजेदार संभोग को याद करते करते शीला ने रात का खाना खाया और सो गई। बिस्तर पर लेटकर आँखें बंद करते ही उसे रूखी के मदमस्त गदराए मोटे मोटे स्तन नजर आने लगे... आहह.. कितने बड़े थे उसके स्तन... उसकी नंगी छातियों के उभार को देखकर ही मर्दों के कच्छे गीले हो जाएँ.. नीलगिरी के पेड़ के तने जैसी उसकी जांघें.. बड़े बड़े कूल्हें.. भारी कमर.. आहह.. सबकुछ अद्भुत था... !!

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हालांकि गंवार रूखी को ठीक से चुंबन करना नही आता था.. और वह चुत चाटने में भी अनाड़ी थी.. यह बात शीला को खटकी जरूर थी.. हो सकता है लंड चूसने में माहिर हो.. पर क्या रूखी ने कभी लेस्बियन अनुभव कीया होगा पहले? वैसे तो शीला के लिए भी यह प्रथम अनुभव था.. पर उसने ब्लू फिल्मों में ऐसे कई द्रश्य पहले देखे हुए थे.. तो उसे प्राथमिक अंदाजा तो था ही.. हो सकता है रूखी ने भी कभी ऐसी फिल्में देखी हो..उसके पति ने उसे इतनी बार ठोका है तो मोबाइल में बी.पी. भी दिखाया ही होगा..

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शीला के भोसड़े में नए सिरे से आग लग गई.. ऐसे ही विचारों में उसकी आँख लग गई.. और तब खुली जब डोरबेल बजने की आवाज सुनाई दी..

वह जाग गई.. "आज रसिक आया हो तो अच्छा.. " मन में सोचते हुए उसने दरवाजा खोला। सामने रसिक ही खड़ा था..

"कैसे हो रसिक?" पतीली में दूध डाल रहे रसिक को चौड़ी छाती को भूखी नज़रों से घूरते हुए शीला ने कहा। वह सोच रही थी की अभी यहीं रसिक उसे पकड़कर चोद दे तो कितना मज़ा आएगा!!

"आपने फिर फोन नही कीया मुझे, भाभी?" रसिक ने पूछा

"अरे में भूल ही गई मेरे काम में.. अंदर आ रसिक.. बैठ थोड़ी देर.. " शीला ने न्योता दिया

"नही भाभी.. अभी और बहोत घरों में दूध देने जाना है.. टाइम पर नही पहुंचता तो सब चिल्लाते है.. " रसिक ने कहा

शीला ने झुककर अपने गोरे गोरे मम्मों का जलवा दिखाकर रसिक को थोड़ी देर वहीं रुकने पर मजबूर कर दिया।

"भाभी अब में जाऊँ?" थोड़ी देर की चुप्पी के बाद रसिक ने कहा

"सुबह जल्दी निकला करो तुम.. तो यहाँ पर थोड़ी देर बैठकर आराम कर सकेगा" शीला ने कहा

"वो तो ठीक है भाभी... पर कहाँ सुबह सुबह आपकी नींद खराब करूँ!! आप भी पूरा दिन काम कर के थक जाती होगी"

शीला सोच रही थी... की मेरी थकान उतारने के लिए ही तो तेरी जरूरत है!! क्या हकीकत में ये रसिक इतना नादान है!! तभी रूखी को चोदता नही है..

शीला के मदमस्त बबले देखकर रसिक का लंड मेंडक की तरह कूदने लगा था जो शीला ने देख लिया। वह सोच रही थी की कल तो ये रसिक जल्दी आए या न आयें.. पर अभी चुत के अंदर जो आग लगी है, उसका में क्या करूँ? कैसे बुझाऊँ??

उसने कहा.. "रसिक, तू जल्दी आ जाया कर.. नींद का क्या है.. वो तो में दोपहर में पूरी कर लूँगी.. और वैसे भी मुझे रात को ठीक से नींद आती नही है"

"क्यों भाभी, भैया की बहुत याद आती है?"

"याद तो आती ही है..." कहते हुए शीला ने मदहोश होकर अंगड़ाई ली.. स्लीवलेस गाउन में से नजर आती उसकी गोरी काँखों को देखकर रसिक के लंड ने बगावत कर दी।

"भाभी, थोड़ा पानी मिलेगा? सुबह सुबह साइकिल चला कर गला सुख गया है"

शीला तुरंत किचन से पानी का ग्लास भरकर ले आई.. और रसिक को देते वक्त उसके हाथ को अच्छे से छु लिया.. रसिक भी शीला के हाथों को छूकर मस्तराम बन गया..

रसिक का लोडा उसके पतलून में तंबू बनाकर फुँकार रहा था.. पानी पीकर ग्लास लौटाते हुए उसने फिर से शीला के हाथ को जानबूझकर छु लिया।

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शीला की चुत में सुरसुरी होने लगी थी। उसने बाहर दोनों तरफ देखा.. चारों तरफ घनघोर अंधेरा था.. उसने यह मौका हड़प लिया.. और रसिक का हाथ पकड़कर खींचते हुए घर के अंदर ले गई और उससे लिपट पड़ी।

"आहह रसिक.. ऐसे क्यों खड़ा है.. मुझे कुछ कर ना.. कब तक ऐसे अनाड़ी बना रहेगा? कुछ समझता ही नही है तू तो..!!"

रसिक भी आखिर मर्द था.. उसने शीला के न्योते का स्वीकार करते हुए उसे कमर से जकड़ लिया.. आगोश में भरकर दबा दिया.. दो जवान धड़कनें एक हो गई.. शीला के भूखे स्तन रसिक की छाती से दब कर चपटे हो गए.. उन कडक बबलों का गरम स्पर्श अपनी छाती पर महसूस होते ही, रसिक दूध बेचना भूल गया.. वह अपने हाथों से शीला के भूखी जिस्म की भूगोल का मुआयना करने लगा...

रसिक की पतलून के ऊपर से ही शीला ने उसका लंड पकड़ लिया और दबाते हुए बोली

"रसिक.. यह तो खूँटे जैसा मोटा बन चुका है.. इसे इस हालत मे लेकर कहाँ घूमेगा तू!!"

"ओह भाभी... आपको देखकर ही यह ऐसा मोटा बन गया है" रसिक ने कराहते हुए कहा

"फिर देर किस बात की है रसिक... टूट पड़ मुझ पर और रौंद दे मुझे, हाय... "

"भाभी, आपका ये जोबन...कितना जबरदस्त है"

शीला ने रसिक के पतलून में हाथ डाल दिया और उसके नंगे राक्षस जैसे लंड को पकड़ लिया। उसने रसिक के होंठ पर अपने होंठ रख दिए और मस्त कामुक तरीके से चूसने लगी। पतलून के अंदर लंड को आगे पीछे कर हिलाते हुए अपने स्तनों को रसिक की छाती पर रगड़ने लगी। रसिक भी शीला के नितंबों पर हट्ठ फेर रहा था।

शीला अब घुटनों के बल बैठ गई.. और पतलून की चैन खोलकर रसिक के लंड को बाहर निकाला। रसिक के विकराल लंड को देखकर शीला पानी पानी हो गई। सोच रही थी की ये लंड है या ओएनजीसी की पाइपलाइन!!!! इतना बड़ा... !!!! बबुल के तने जितना मोटा.. उसका सुपाड़ा एकदम लाल था.. टमाटर जैसा.. जैसे अभी शेर शिकार कर आया हो और उसका मुंह खून से लथपथ हो ऐसा डरावना लग रहा था.. पर शेर कितना भी खूंखार क्यों न हो.. शेरनी भला उससे थोड़े ही डरती है!!

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शीला को अब डर के बदले रसिक के लंड पर बेशुमार प्यार आ रहा था.. उसने बड़े ही प्यार से उसके लंड को चूम लिया..

"आहहह भाभी" अपने लंड को थोड़ा सा धक्का देते हुए रसिक ने शीला के मुंह में डाल दिया.. लगभग ४ इंच जितना!! शीला रसिक का लंड चूसने लगी और उसके बोलबेरिंग जैसे अंडकोशों को अपने हाथ से सहलाने लगी। रसिक के लंड की सख्ती से शीला इतनी उत्तेजित हो गई की अपना मुंह फाड़कर जितना हो सकता था उतना लंड अंदर लेने लगी और आखिर लंड के मूल तक पूरा अंदर लेकर रही।

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दो साल की प्यास को आज बुझाने के लिए शीला पूर्णतः तैयार थी। पति की गैरमौजूदगी में उसने बीपी में देखे हुए लंड चुसाई के सारे सीन का अनुभव काम पर लगा दिया था.. इसके परिणाम स्वरूप रसिक "आहह ओहह" करते हुए कराह रहा था। रसिक के लिए यह बिल्कुल ही नया अनुभव था। उसकी गंवार पत्नी रूखी ने कभी उसका लंड नही चूसा था। इस प्रथम अनुभव को रसिक और लंबा खींच नही सका.. सिर्फ दो ही मिनट में उसने शीला के मुंह में अपनी सारी मर्दानगी को उंडेल दिया।

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शीला का पूरा मुंह रसिक के गरम लावारस जैसे वीर्य से भर गया। उसे यह जरा भी अंदाजा नही था की रसिक इतने जल्दी झड जाएगा। शीला की प्यास बुझती इससे पहले तो रसिक ठंडा हो गया!! रसिक ने तुरंत अपना लंड शीला के मुंह से निकाला और पेन्ट में रखकर चैन बंद कर दी और बोला

"आज तो मज़ा आ गया भाभी, कल और जल्दी आऊँगा.. आज देर हो गई है"

"रसिक, तेरा काम तो हो गया पर मेरा क्या? मेरी कश्ती तो किनारे पर आकर डूब गई!!" उदास शीला ने कहा "कुछ भी कर पर आज मुझे चोद कर ही जाने दूँगी.. भाड़ में गया तेरा दूध पर ऐसे मुझे तड़पती हुई छोड़कर मत जा" रोने जैसी शक्ल हो गई शीला की

रसिक दुविधा में आ गया.. अब क्या करें!!

"एक काम करता हूँ भाभी.. में दूध देकर सिर्फ १० मिनिट में आता हूँ, ठीक है ना!!" रसिक ने अपना कनस्तर उठाते हुए कहा

"मुझसे अब एक सेकंड भी बर्दाश्त नही होगा.. अभी के अभी चोद मुझे" कहते हुए शीला ने रसिक का हाथ खींचा और उसे बिस्तर तक ले गई और धक्का देकर लेटा दिया। तुरंत उसने अपना गाउन उतारा और नंगी हो गई... फिर रसिक पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी..

रसिक के शरीर के ऊपर सवार होकर उसने पागलों की तरह उसके शर्ट को नोच कर फाड़ दिया.. और उसकी खुली छाती पर यहाँ वहाँ चूमने लगी। उसने रसिक के दोनों हाथों को पकड़कर अपने स्तनों पर रख दिया और उससे मसलवाने लगी। रसिक के मुरझाए लंड पर अपनी गरम चुत को घिसने लगी। चुत का स्पर्श होते ही रसिक का लंड थोड़ी थोड़ी हरकत करने लगा पर पूरी तरह से टाइट नही हुआ। फिर भी शीला ने उस आधे मुरझाए लंड को अपने गरम सुराख पर रख दिया और पागलों की तरह कूदने लगी।

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शीला का यह रौद्र स्वरूप देखकर रसिक के होश उड़ गए.. क्या करना उसे पता ही नही चल रहा था.. शीला के नंगे मम्मे उसकी उछलकूद से ऊपर नीचे हो रहे थे.. स्तनों की उछलकूद से अंदाजा लग रहा था की शीला कितनी रफ्तार से उसे चोद रही थी। को स्त्री इतनी उत्तेजित भी हो सकती है यह रसिक ने कभी सोचा नही था।

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शीला के ताजमहल जैसे सुंदर नंगे जिस्म को देखकर रसिक भी उत्तेजित होने लगा.. उसका लंड सख्त हो गया.. शीला के भोसड़े में लंड की साइज़ बढ़ते ही.. उसे भी दोगुना मज़ा आने लगा और वह और उत्तेजित होकर कूदने लगी..

आखिर शीला की नाव किनारे पर पहुँच ही गई.. उसके भोसड़े से कामरस का झरना बहने लगा.. ऑर्गजम होते ही उसने रसिक के लंड को अजगर की तरह चारों तरफ से गिरफ्त में ले लिया... अपनी चुत की मांसपेशियों से उसने लंड को ऐसा दबोचा जैसे उसे फांसी देने जा रही हो।

शीला अब रसिक की बालों वाली छाती पर ढल गई.. रसिक का लँड़, शीला की चुत की गर्मी को और बर्दाश्त नही कर सका और सिर्फ १५ मिनिट के अंतराल में दूसरी बार झड़ गया..

शीला की माहवारी कब की रुक चुकी थी इसलिए गर्भ ठहरने का कोई प्रश्न ही नही था। दो साल से प्यासी उसकी चुत की धरती पर अमृततुल्य वीर्य की बूंदें पड़ते ही उसका रोम रोम पुलकित हो गया। रसिक के लंड से चुदकर वह धन्य हो गई।

सांसें नियंत्रित होते ही शीला ने चूमकर रसिक को कहा "क्या करती रसिक? मुझसे बर्दाश्त ही नही हो रहा था इसलिए... "

"वो तो ठीक है भाभी पर आपने मेरा शर्ट फाड़ दिया.. अब में कैसे दूध देने जाऊँ??" रसिक ने कहा

रसिक की फटी हुई कमीज देखकर शीला शर्म से लाल हो गई.. "रुको में तुम्हारे भैया को कोई शर्ट लाकर देती हूँ.. " अलमारी से तुरंत एक शर्ट निकालकर उसने रसिक को दीया।


"बहोत देर हो गई आज" कहते हुए रसिक ने शर्ट पहन लिया और भागा
Very nice
 

vakharia

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I love my family and friends ....
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शानदार कहानी ब्ररो मस्त क्या लिख रहे हो गजब बहुत बहुत शुभकामनाए ।।।❤️♥️❤️♥️❤️♥️
 

Ek number

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रूखी के हर कदम के साथ लयबद्ध तरीके से मटकते कूल्हों को और लचकती कमर को.. पीछे से देखता ही रहा पीयूष.. ऐसा रूप उसने जीवन में पहले कभी देखा नहीं था.. वाह.. !! ये तो शीला भाभी से भी बढ़कर है.. इतना सौन्दर्य? इन सब बातों से अनजान रूखी लटक-मटक चलते हुए निकल गई.. उसके जाने के बाद भी पीयूष मूर्ति की तरह दरवाजे पर खड़ा रहा.. उसके पैर फर्श पर जैसे चिपक गए थे.. रूखी के रूप से प्रभावित होकर वो दूध रखने किचन में गया तब कविता जाग गई.. और वो अपने घर चली गई.. सुबह के काम निपटाने.. पीछे पीछे पीयूष भी ताला लगाकर अपने घर गया..

एक ही दिन में कितनी सारी घटनाएं घट गई थी.. !! ऑफिस जाते जाते पीयूष सोच रही थी.. वैशाली के समाचार से उसका पूरा परिवार व्यथित था.. खासकर पीयूष और कविता को काफी सदमा पहुंचा था क्योंकि वो दोनों शीला भाभी और वैशाली के करीब थे.. और पीयूष तो माँ और बेटी दोनों को भोग चुका था.. कविता ने भी शीला भाभी के जिस्म की गर्माहट का लाभ उठाया था.. इसलिए पीयूष और कविता दोनों इस बात को लेकर काफी दुखी थे..

पीयूष के मन में बस एक ही विचार था.. यहाँ बैठे बैठे वो किस तरह शीला भाभी और मदन भैया की मदद करें.. उनके मन की स्थिति कैसी होगी? मदन भैया तो फिर भी अपने आप को संभाल लेंगे.. पर शीला भाभी का पुलिस स्टेशन में क्या हाल हुआ होगा?? उन्हें पुलिस की गंदी गालियां सुननी पड़ी होगी.. किसी ने उन्हें छेड़ा होगा तो.. !! शीला भाभी थी ही इतनी खूबसूरत की देखने वाले को एक पल में उत्तेजित कर दे.. भाभी से किसी ने ज्यादती तो नहीं की होगी?? विचारों में वो कब ऑफिस पहुँच गया उसे पता ही नहीं चला..

ऑफिस में जाते ही वह राजेश सर की केबिन में गया और उन्हें वैशाली के बारे में बताया.. राजेश सर को जबरदस्त धक्का लगा.. माउंट आबू की उस आखिरी मुलाकात के दौरान.. बियर के नशे में वैशाली ने उसे सब कुछ बताया तो था.. पर हालात इतने गंभीर होंगे उसका उसे अंदाजा नहीं लगा था तब.. राजेश ने तुरंत फोन करके रेणुका को ये समाचार दीये..

देखते ही देखते.. पूरी ऑफिस में ये बात फैल गई.. माउंट आबू की ट्रिप के कारण, ऑफिस के सभी कर्मचारी, वैशाली को जानते थे.. सब को इस बात का दुख हुआ.. राजेश सर भी बेहद अपसेट थे.. आबू में जिस तरह उनका कॉलर पकड़कर टॉइलेट के अंदर खींच लिया था.. उस नटखट चंचल वैशाली का चेहरा उनकी आँखों के सामने से हट ही नहीं रहा था.. इतनी अच्छी लड़की के साथ कुदरत ने ऐसा क्यों किया होगा? पति बेकार था इसमें वैशाली का क्या दोष? राजेश के स्टाफ के कर्मचारिओ ने वैशाली की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की और फिर काम पर लग गए..

पूरा दिन पीयूष का मन काम में नहीं लगा.. उदास होकर वो शाम को जब घर पहुंचा तब अनुमौसी ने खुशखबरी दी "वैशाली को होश आ गया है और अब उसकी तबीयत काफी बेहतर है.. मदन और शीला उसे लेकर फ्लाइट से आ रहे है.. बाकी का ट्रीटमेंट यहीं किसी अस्पताल में करवाएंगे.. वहाँ उसे अकेली छोड़ना खतरे से खाली नहीं था.. वो इंस्पेक्टर दोस्त ने सारी जिम्मेदारी ली है और कहा है की पुलिस का सारा मैटर वो संभाल लेंगे.. "

अठारह घंटे के तनाव के बाद पीयूष के दिल को शांति मिली.. उसने तुरंत वैशाली को फोन किया.. वैशाली ज्यादा बात करने की स्थिति में तो नहीं थी.. पर वो ठीक है इतना कहकर उसने फोन रख दिया.. पीयूष से बात कर वैशाली को भी बहोत अच्छा लगा..

रात को शीला भाभी के घर सोने के लिए पीयूष और कविता गए.. मौसी का मन तो बहोत था जाने का पर चिमनलाल की उपस्थिति के कारण वो जा न पाई.. ऐसा मौका हाथ से जाने पर मौसी दुखी थी.. कल तो शीला वापिस आ जाने वाली थी.. आज की रात आखिरी थी.. पर क्या करती?? बिना बैटरी के मोबाइल जैसे चिमनलाल के साथ ही रात गुजारना उनके नसीब में था..

कविता और पीयूष शीला के घर सोने के लिए आए तो थे.. पर अब वैशाली का टेंशन खतम हो जाने से दोनों काफी हल्का महसूस कर रहे थे.. तनाव खतम होते ही कविता का जिस्म लंड लेने के लिए बिलबिलाने लगा.. रात के साढ़े ग्यारह का समय था.. कविता ने पीयूष के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी थी..

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पीयूष: "क्या है यार?? बहोत खुजली हो रही है तुझे? इतनी रात को परेशान कर रही है.. !!"

कविता: "अरे जानु.. इतनी सुंदर पत्नी बगल में सो रही हो तब तो तुझे ऐसा सोचना चाहिए की काश.. ये रात खतम ही न हो.. !!"

पीयूष: "बात तो तेरी सही है जानु.. पर ये हमारा बेडरूम नहीं है.. शीला भाभी का है.. तेरी चूत के रस से उनकी चादर खराब करने का हमें कोई हक नहीं है"

कविता: "तो क्या हुआ..!! क्या मदन भैया और शीला भाभी कुछ करते नहीं होंगे?? और चादर को क्या पता की धब्बे शीला भाभी के है या मेरे?"

पीयूष: "अरे पगली.. मदन भैया कितने शौकीन है ये तुझे क्या पता.. घर का ऐसा कोई कोना नहीं होगा जहां उन्हों ने शीला भाभी को चोदा न हो.. पति पत्नी जब अकेले हो तब क्या क्या नहीं करते.. !! ऊपर से जब पत्नी शीला भाभी जैसी रंगीन हो तब तो और मज़ा आता है.. !!"

कविता: "तो क्या मैं रंगीन नहीं हूँ?? शीला भाभी के तारीफ़ों के पूल बांध रहा है.. कभी मेरी भी तारीफ किया कर.. " शीला भाभी की तारीफ सुनकर कविता के मन में ईर्ष्या के भाव जागृत हो गए.. बगल में खुद की बीवी नंगी सोई हो तब मर्द अगर दूसरी औरत की तारीफ करें तो जाहीर सी बात है की उसे बुरा लगेगा.. पर फिलहाल कविता की चूत को पीयूष के लंड का बेसब्री से इंतज़ार था इसलिए उसने ज्यादा नखरे नहीं किए.. अभी नखरे करती तो उसकी चूत भूखी मर जाती.. इसलिए कविता ने पीयूष को.. गिरफ्तार न करते हुए सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया..

पीयूष: "अरे मेरी जान.. तू तो रंगीन है ही.. मैं कहाँ मना कर रहा हूँ.. !! तेरी इस नशीली जवानी के जादू को बयान करने के लिए तो शब्द कम पड़ जाते है.. मेरी रानी.. !!" पुरुष सहज बुद्धि का प्रयोग कर पीयूष ने स्थिति को बिगड़ने से रोक लिया

कविता पीयूष की बातों से और गरम होकर उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी.. पतले कपड़े से बने गुलाबी नाइट ड्रेस से झलकता हुआ जोबन.. कटोरी के बीचोंबीच उभरी हुई निप्पल.. और पतली सुंदर जांघों के बीच महक रही चूत.. पीयूष के लंड को नीलाम करने के लिए काफी थे..

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कविता: "मदन भैया इतने सेक्सी है क्या.. !! लगते तो बड़े सीधे है.." पीयूष के लंड को पकड़कर उत्तेजना पूर्वक मसलते हुए कविता ने पूछा

अचानक पीयूष की नजर कोने के टेबल पर पड़े लैपटॉप पर गई.. "कोई भी पुरुष कितना सीधा है.. ये अगर जानना हो तो उसका लैपटॉप चेक करना चाहिए..अभी मदन भैया की कुंडली देखकर बताता हूँ"

कविता: "हाँ हाँ.. चेक कर.. देखें तो सही.. भाभी और मदन भैया क्या गुल खिलाते है.. !!" कहते हुए कविता ने पीयूष का लंड छोड़ दिया ताकि वो लैपटॉप तक जा सके

छलांग लगाते हुए पीयूष खड़ा हुआ और लैपटॉप लेकर बेड पर आ गया.. ऑन करते ही लैपटॉप ने पासवर्ड मांगा.. अब क्या करें??

पीयूष लैपटॉप की बेग के अंदर ढूँढने लगा.. एक कार्ड पर नंबर लिखा था 13754.. ये नंबर डालते ही लैपटॉप खुल गया.. !!!

कंप्यूटर को चलाने में पीयूष एक्सपर्ट था.. यहाँ वहाँ ढूँढने से पहले.. उसने "My recent" का फ़ोल्डर ओपन करते ही उसकी आँखों में चमक आ गई.. वहाँ से उन्हों ने एक फ़ोल्डर खोला जिसमे कई देसी व विदेशी नग्न मोडेलों की तस्वीर और अश्लील वीडियोज़ की भरमार थी.. ये सारी फाइल्स को देखते हुए पीयूष की नजर एक फ़ोल्डर पर पड़ी जिसका नाम था "My Videos"..!!

वो फ़ोल्डर खोलते ही पीयूष और कविता दोनों अचरज में डूब गए.. काफी सारी विडिओ क्लिप थी.. एक क्लिप को ओपन करके देखा तो वो मदन की रियल क्लिप थी.. वो किसी फिरंगी औरत के स्तनों से दूध चूस रहा था.. स्तनों को दबा दबाकर उसका दूध अपने लंड पर लगा रहा था.. देखकर कविता के आश्चर्य और उत्तेजना की कोई सीमा न रही.. उसकी चूत में ४४० वॉल्ट का झटका लगा.. मदन का खड़ा हथियार देखकर "आह्ह" कहते हुए वो सिसकने लगी..

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"ओ माँ.. बाप रे.. !!" कविता मदन को लंड हिलाता देख शर्म से पानी पानी हो गई.. उसकी नजर मदन के लंड से हट ही नहीं रही थी.. गला सूखने लगा था उसका.. पीयूष को पता चल गया की कविता की हालत ऐसी क्यों हो रही थी.. क्यों की जब शीला भाभी ने उसका लंड पकड़कर चूसा था तब उसकी भी हालत कुछ ऐसी ही हो गई थी..

उस गोरी अंग्रेज औरत और मदन दोनों विडिओ में नंगे थे.. पीयूष ने ढेर सारी ब्लू फिल्मों में विदेशी लड़कियों और औरतों को देखा था.. और जानता था की वे सब प्रोफेशनल और प्रशिक्षित होती है.. और उनके जिस्म के अंगों में सच्चाई कम और सिलिकॉन ज्यादा होता है.. पहली दफा वास्तविक बने विडिओ में अंग्रेज स्त्री के शरीर को देख रहा था.. तो दूसरी तरफ कविता मदन के जानदार लंड को टकटकी लगाकर देख रही थी.. वो अंग्रेज औरत इंग्लिश में कुछ बोल रही थी.. पर धीमी आवाज के कारण कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.. ये औरत कौन होगी यह पीयूष सोचता रहा और उसकी नजाकत, अंगभंगिमा और गदराया सौन्दर्य देख रहा था..

"आह्ह पीयूष.. बहुत हुआ.. अब कुछ कर.. मुझसे तो रहा ही नहीं जाता.. ये सब देखकर मेरी हालत खराब हो रही है.. " अपनी चूत की गर्मी सहन न होने पर कविता ने विनती की..

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"मुझे भी लगता है की विडिओ देखकर ही झड़ जाएगा.. कविता.. प्लीज यार.. मुंह में लेकर चूस दे एक बार.. देख ना.. ये औरत भी मदन भैया का कैसे चूस रही है.. !!" विडिओ में वो अंग्रेज औरत मदन का लंड पूरी तन्मयता और उत्तेजना से चूस रही थी.. साथ ही अपनी चूत में दो उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर कर रही थी.. ये देखकर पीयूष ने कविता के दोनों बॉल दबाते हुए कहा "यह फिरंगी लोग अपनी हवस शांत करने के लिए कितने प्रयत्नशील होते है.. और यहाँ की औरतें.. शर्म का चोला उतारती ही नहीं.. और फिर जीवन भर तड़पती रहती है"

"तू अपना उपदेश बाद में देना.. " पीयूष की गोद से लैपटॉप हटाकर कविता खुद बैठ गई.. हाथ से पीयूष का लोडा पकड़कर अपनी चूत के मध्य में सेट करते हुए उसने अपना सारा वज़न रख दिया.. पहले से द्रवित हो चुकी बुर ने एक ही पल में पूरा लोडा गटक लिया.. लंड के घर्षण से कविता की चूत में खलबली मच गई.. और अपना द्रव्य छोड़ने लगी.. उस अमृत रस को पीकर पीयूष का लोंडा भी तरोताजा हो गया


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दोनों उसी अवस्था में अपने गुप्तांगों के घर्षण का आनंद ले रहे थे तभी उनकी नजर बगल में पड़े लैपटॉप के स्क्रीन पर गई.. मदन उस फिरंगी औरत की चूत की परतों को अपनी उंगलियों से चौड़ा कर चाट रहा था.. क्लीन शेव गुलाबी गोरी चूत पर झांट का एक बाल न था.. देखते ही चाटने का मन करें ऐसी लुभावनी चूत थी.. और बीच का गुलाबी छेद.. आहाहाहा.. देखकर पीयूष और कविता की उत्तेजना दोगुनी हो गई.. हल्के हल्के पतवार मारते हुए कविता अपने स्तनों को पीयूष की छाती से रगड़ रही थी.. और साथ ही उसके गाल और होंठों को चूम रही थी

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धीरे धीरे अपनी नाव चलाते हुए वह बोली "पीयूष, ये औरत कौन होगी? जिसके साथ मदन भैया इतने मशरूफ़ होकर सेक्स कर रहे है? देखकर तो लगता है की ये कोई रांड तो नहीं है.. और दोनों एक दूसरे को अच्छे से जानते है.. माहोल भी किसी घर का ही लग रहा है.. " कविता ने पूछा.. पर इसका जवाब तो पीयूष के पास भी नहीं था

कविता के दोनों उरोजों को हल्के हल्के प्यार से मसाज करते हुए उसकी निप्पल खींचकर पीयूष ने कहा "क्या पता.. मैं भी वही सोच रहा था.. मदन भैया जिस तरह उसे भोग रहे है.. दोनों में जान पहचान तो होगी ही.. "

कविता: "पीयूष, तूने देखा?? उस औरत की छाती से तो दूध भी निकल रहा है.. मतलब उसे बच्चा होगा.. और डिलीवरी को भी ज्यादा समय नहीं हुआ होगा.. मतलब उसका पति भी होगा.. कहीं मदन भैया ने वहाँ जाकर दूसरी शादी तो नहीं कर ली इसके साथ?? और हो सकता है की वो बच्चा मदन भैया का ही हो.. !!" उस संभावना को सोचकर ही कविता कांप उठी

एक स्त्री कितना कुछ सोच सकती है.. !! कौन कहता है की औरतों की अक्ल उनके घुटनों पर होती है.. !! मर्दों से तो कई ज्यादा बुद्धि होती है औरतों में.. पर पुरुषों को इसका ज्ञान नहीं होता..

कविता की बात सुनकर पीयूष भी सोच में पड़ गया.. कविता की बात में दम था.. बड़ी तथ्यपूर्ण बात की थी उसने.. जरूर ऐसा हो सकता था

"नहीं यार.. ऐसा नहीं होगा.. मदन भैया दो सालों के लिए ही तो गए थे वहाँ.. इस दौरान इतना सब कुछ कैसे हो सकता है.. !! हो सकता है की दोनों के बीच नाजायज संबंध हो.. इतने लंबे समय तक बिना सेक्स के रहना तो असंभव सा है.. मदन भैया की भी जरूरतें होंगी.. और कविता.. तुम औरतों जितना धैर्य और सहनशक्ति मर्दों की नहीं होती.. अपनी बीवी को वफादार पति भी सुंदर लड़की देखकर पसीज जाता है.. अब तू ही सोच.. दो सालों तक मदन भैया बिना सेक्स के गुजार रहे हो.. तभी कोई स्लीवलेस टाइट टॉप पहनकर.. बड़े बड़े स्तन दिखाते हुए उनके सामने आ जाएँ.. तो वो बेचारे कैसे अपने आप को रोक पाएं.. !! और वैसे भी विदेश में सेक्स को लेकर काफी मुक्त विचारधारा होती है.. हो सकता है की वो स्त्री विधवा हो..या फिर तलाकशुदा.. विदेश में तो सिंगल मधर का भी काफी चलन है.. अगर हकीकत में मदन भैया ने उससे शादी कर ली होती तो क्या वो उन्हें भारत लौटने देती?" पीयूष ने अपना तर्क प्रस्तुत किया

अपनी कमर को हिलाते हुए पीयूष के लंड पर सवारी करती कविता ध्यान से पीयूष की बात सुन रही थी..

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दोनों चोद रहे थे और बातें कर रहे थे.. पर ध्यान तो लैपटॉप की स्क्रीन पर ही था.. तभी पीयूष ने अपना मोबाइल उठाया और मदन के लैपटॉप का पासवर्ड सेव कर लिया..

स्क्रीन पर मदन और वो औरत हंसकर बातें कर रहे थे और एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे.. वो स्त्री कुछ बोल रही थी.. लगभग पाँच मिनट तक दोनों की बातें चलती रही.. उस दौरान मदन ने उस औरत के स्तनों के बीच अपने लंड को दबाकर उन्हें चोदना शुरू कर दिया..

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पीयूष: "कविता.. यार ये विडिओ मेरे मोबाइल में सेव कर ले तो कैसा रहेगा.. !! फिर घर जाकर.. इयरफोन लगाकर हम इनकी बातें सुन पाएंगे.. हो सकता है की इनकी बातें सुनकर.. इनके संबंधों के बारे में कुछ पता चल जाए.. " पीयूष का ध्यान अब कविता को चोदने में काम और स्क्रीन पर ज्यादा था..

कविता ने थोड़ी सी नाराजगी के साथ कहा "ऐसा भी हो सकता है की उस फिरंगी औरत का पति चोदने में कम और कंप्यूटर पर क्लिप्स देखने में ज्यादा ध्यान देता होगा.. तभी वो मदन भैया के साथ ये सब कर रही होगी" पीयूष कविता की बात का कटाक्ष समझ गया.. और वैसे भी.. क्लिप को मोबाइल में ट्रांसफ़र करने के लिए केबल नहीं था.. इसलिए उसने लैपटॉप से ध्यान हटाकर कविता को ऑर्गजम देने पर ध्यान केंद्रित किया..

कविता तो पहले से ही गरमाई हुई थी.. मदन के लंड को देखकर वो और ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी.. मदन उस औरत के जिस्म से अपने मर्दाना शरीर को कामुकता पूर्वक रगड़ रहा था.. स्तनों के बीच से लंड हटाकर अब उसने अपना लाल सुपाडा उस फिरंगी के भोसड़े में डालकर धक्के लगाने शुरू कर दीये थे.. उस औरत का चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था.. और साथ ही कविता ने भी लंड पर कूदने की गति बढ़ा दी थी..

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उसकी हर उछाल के साथ स्तन भी उछल रहे थे.. पीयूष के लंड को कविता की चूत की मांसपेशियों ने इतनी मजबूती से जकड़ रखा था.. की शीला के बेडरूम में एक साथ चार चार ऑर्गजम हो गए.. कविता और पीयूष के साथ साथ.. स्क्रीन पर मदन और वो औरत भी झड़ चुके थे.. साथ ही लैपटॉप की बैटरी भी डिस्चार्ज होने से स्क्रीन भी बंद हो चुका था.. कविता के स्तन पीयूष की छाती से दबकर चपटे हो गए.. कविता को बाहों में भरते हुए पीयूष अपनी साँसों को नॉर्मल होने का इंतज़ार करने लगा.. उसका लंड अभी भी कविता की चूत में फंसा हुआ था.. आधे घंटे तक उसी अवस्था में पड़े रहने के बाद.. कविता धीरे से पीयूष के ऊपर से उतरी और बगल में लेट गई.. पिचक कर पीयूष का लंड बाहर निकल गया.. वीर्य और चूत रस से लसलसित लोडा उसके आँड पर मृत होकर गिर गया..

इतनी थकान के बाद पीयूष को नींद आ जानी चाहिए थी.. पर बगल में पड़ा लैपटॉप.. और उसके अंदर की स्फोटक सामग्री ने उसकी नींद उड़ा रखी थी.. पर मदन भैया और उनका परिवार कभी आ सकते थे.. ऐसी स्थिति में ज्यादा पड़ताल करने में खतरा था.. पीयूष बेड से उठा.. लैपटॉप को टेबल पर रखकर उसका चार्जर लगाया.. फिर शट डाउन करने से पहले उसने ध्यान से देख लिया की वो क्लिप कहाँ पर सेव थी.. लैपटॉप को ज्यों का त्यों रखकर वो सो गया..
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रूखी के हर कदम के साथ लयबद्ध तरीके से मटकते कूल्हों को और लचकती कमर को.. पीछे से देखता ही रहा पीयूष.. ऐसा रूप उसने जीवन में पहले कभी देखा नहीं था.. वाह.. !! ये तो शीला भाभी से भी बढ़कर है.. इतना सौन्दर्य? इन सब बातों से अनजान रूखी लटक-मटक चलते हुए निकल गई.. उसके जाने के बाद भी पीयूष मूर्ति की तरह दरवाजे पर खड़ा रहा.. उसके पैर फर्श पर जैसे चिपक गए थे.. रूखी के रूप से प्रभावित होकर वो दूध रखने किचन में गया तब कविता जाग गई.. और वो अपने घर चली गई.. सुबह के काम निपटाने.. पीछे पीछे पीयूष भी ताला लगाकर अपने घर गया..

एक ही दिन में कितनी सारी घटनाएं घट गई थी.. !! ऑफिस जाते जाते पीयूष सोच रही थी.. वैशाली के समाचार से उसका पूरा परिवार व्यथित था.. खासकर पीयूष और कविता को काफी सदमा पहुंचा था क्योंकि वो दोनों शीला भाभी और वैशाली के करीब थे.. और पीयूष तो माँ और बेटी दोनों को भोग चुका था.. कविता ने भी शीला भाभी के जिस्म की गर्माहट का लाभ उठाया था.. इसलिए पीयूष और कविता दोनों इस बात को लेकर काफी दुखी थे..

पीयूष के मन में बस एक ही विचार था.. यहाँ बैठे बैठे वो किस तरह शीला भाभी और मदन भैया की मदद करें.. उनके मन की स्थिति कैसी होगी? मदन भैया तो फिर भी अपने आप को संभाल लेंगे.. पर शीला भाभी का पुलिस स्टेशन में क्या हाल हुआ होगा?? उन्हें पुलिस की गंदी गालियां सुननी पड़ी होगी.. किसी ने उन्हें छेड़ा होगा तो.. !! शीला भाभी थी ही इतनी खूबसूरत की देखने वाले को एक पल में उत्तेजित कर दे.. भाभी से किसी ने ज्यादती तो नहीं की होगी?? विचारों में वो कब ऑफिस पहुँच गया उसे पता ही नहीं चला..

ऑफिस में जाते ही वह राजेश सर की केबिन में गया और उन्हें वैशाली के बारे में बताया.. राजेश सर को जबरदस्त धक्का लगा.. माउंट आबू की उस आखिरी मुलाकात के दौरान.. बियर के नशे में वैशाली ने उसे सब कुछ बताया तो था.. पर हालात इतने गंभीर होंगे उसका उसे अंदाजा नहीं लगा था तब.. राजेश ने तुरंत फोन करके रेणुका को ये समाचार दीये..

देखते ही देखते.. पूरी ऑफिस में ये बात फैल गई.. माउंट आबू की ट्रिप के कारण, ऑफिस के सभी कर्मचारी, वैशाली को जानते थे.. सब को इस बात का दुख हुआ.. राजेश सर भी बेहद अपसेट थे.. आबू में जिस तरह उनका कॉलर पकड़कर टॉइलेट के अंदर खींच लिया था.. उस नटखट चंचल वैशाली का चेहरा उनकी आँखों के सामने से हट ही नहीं रहा था.. इतनी अच्छी लड़की के साथ कुदरत ने ऐसा क्यों किया होगा? पति बेकार था इसमें वैशाली का क्या दोष? राजेश के स्टाफ के कर्मचारिओ ने वैशाली की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की और फिर काम पर लग गए..

पूरा दिन पीयूष का मन काम में नहीं लगा.. उदास होकर वो शाम को जब घर पहुंचा तब अनुमौसी ने खुशखबरी दी "वैशाली को होश आ गया है और अब उसकी तबीयत काफी बेहतर है.. मदन और शीला उसे लेकर फ्लाइट से आ रहे है.. बाकी का ट्रीटमेंट यहीं किसी अस्पताल में करवाएंगे.. वहाँ उसे अकेली छोड़ना खतरे से खाली नहीं था.. वो इंस्पेक्टर दोस्त ने सारी जिम्मेदारी ली है और कहा है की पुलिस का सारा मैटर वो संभाल लेंगे.. "

अठारह घंटे के तनाव के बाद पीयूष के दिल को शांति मिली.. उसने तुरंत वैशाली को फोन किया.. वैशाली ज्यादा बात करने की स्थिति में तो नहीं थी.. पर वो ठीक है इतना कहकर उसने फोन रख दिया.. पीयूष से बात कर वैशाली को भी बहोत अच्छा लगा..

रात को शीला भाभी के घर सोने के लिए पीयूष और कविता गए.. मौसी का मन तो बहोत था जाने का पर चिमनलाल की उपस्थिति के कारण वो जा न पाई.. ऐसा मौका हाथ से जाने पर मौसी दुखी थी.. कल तो शीला वापिस आ जाने वाली थी.. आज की रात आखिरी थी.. पर क्या करती?? बिना बैटरी के मोबाइल जैसे चिमनलाल के साथ ही रात गुजारना उनके नसीब में था..

कविता और पीयूष शीला के घर सोने के लिए आए तो थे.. पर अब वैशाली का टेंशन खतम हो जाने से दोनों काफी हल्का महसूस कर रहे थे.. तनाव खतम होते ही कविता का जिस्म लंड लेने के लिए बिलबिलाने लगा.. रात के साढ़े ग्यारह का समय था.. कविता ने पीयूष के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी थी..

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पीयूष: "क्या है यार?? बहोत खुजली हो रही है तुझे? इतनी रात को परेशान कर रही है.. !!"

कविता: "अरे जानु.. इतनी सुंदर पत्नी बगल में सो रही हो तब तो तुझे ऐसा सोचना चाहिए की काश.. ये रात खतम ही न हो.. !!"

पीयूष: "बात तो तेरी सही है जानु.. पर ये हमारा बेडरूम नहीं है.. शीला भाभी का है.. तेरी चूत के रस से उनकी चादर खराब करने का हमें कोई हक नहीं है"

कविता: "तो क्या हुआ..!! क्या मदन भैया और शीला भाभी कुछ करते नहीं होंगे?? और चादर को क्या पता की धब्बे शीला भाभी के है या मेरे?"

पीयूष: "अरे पगली.. मदन भैया कितने शौकीन है ये तुझे क्या पता.. घर का ऐसा कोई कोना नहीं होगा जहां उन्हों ने शीला भाभी को चोदा न हो.. पति पत्नी जब अकेले हो तब क्या क्या नहीं करते.. !! ऊपर से जब पत्नी शीला भाभी जैसी रंगीन हो तब तो और मज़ा आता है.. !!"

कविता: "तो क्या मैं रंगीन नहीं हूँ?? शीला भाभी के तारीफ़ों के पूल बांध रहा है.. कभी मेरी भी तारीफ किया कर.. " शीला भाभी की तारीफ सुनकर कविता के मन में ईर्ष्या के भाव जागृत हो गए.. बगल में खुद की बीवी नंगी सोई हो तब मर्द अगर दूसरी औरत की तारीफ करें तो जाहीर सी बात है की उसे बुरा लगेगा.. पर फिलहाल कविता की चूत को पीयूष के लंड का बेसब्री से इंतज़ार था इसलिए उसने ज्यादा नखरे नहीं किए.. अभी नखरे करती तो उसकी चूत भूखी मर जाती.. इसलिए कविता ने पीयूष को.. गिरफ्तार न करते हुए सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया..

पीयूष: "अरे मेरी जान.. तू तो रंगीन है ही.. मैं कहाँ मना कर रहा हूँ.. !! तेरी इस नशीली जवानी के जादू को बयान करने के लिए तो शब्द कम पड़ जाते है.. मेरी रानी.. !!" पुरुष सहज बुद्धि का प्रयोग कर पीयूष ने स्थिति को बिगड़ने से रोक लिया

कविता पीयूष की बातों से और गरम होकर उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी.. पतले कपड़े से बने गुलाबी नाइट ड्रेस से झलकता हुआ जोबन.. कटोरी के बीचोंबीच उभरी हुई निप्पल.. और पतली सुंदर जांघों के बीच महक रही चूत.. पीयूष के लंड को नीलाम करने के लिए काफी थे..

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कविता: "मदन भैया इतने सेक्सी है क्या.. !! लगते तो बड़े सीधे है.." पीयूष के लंड को पकड़कर उत्तेजना पूर्वक मसलते हुए कविता ने पूछा

अचानक पीयूष की नजर कोने के टेबल पर पड़े लैपटॉप पर गई.. "कोई भी पुरुष कितना सीधा है.. ये अगर जानना हो तो उसका लैपटॉप चेक करना चाहिए..अभी मदन भैया की कुंडली देखकर बताता हूँ"

कविता: "हाँ हाँ.. चेक कर.. देखें तो सही.. भाभी और मदन भैया क्या गुल खिलाते है.. !!" कहते हुए कविता ने पीयूष का लंड छोड़ दिया ताकि वो लैपटॉप तक जा सके

छलांग लगाते हुए पीयूष खड़ा हुआ और लैपटॉप लेकर बेड पर आ गया.. ऑन करते ही लैपटॉप ने पासवर्ड मांगा.. अब क्या करें??

पीयूष लैपटॉप की बेग के अंदर ढूँढने लगा.. एक कार्ड पर नंबर लिखा था 13754.. ये नंबर डालते ही लैपटॉप खुल गया.. !!!

कंप्यूटर को चलाने में पीयूष एक्सपर्ट था.. यहाँ वहाँ ढूँढने से पहले.. उसने "My recent" का फ़ोल्डर ओपन करते ही उसकी आँखों में चमक आ गई.. वहाँ से उन्हों ने एक फ़ोल्डर खोला जिसमे कई देसी व विदेशी नग्न मोडेलों की तस्वीर और अश्लील वीडियोज़ की भरमार थी.. ये सारी फाइल्स को देखते हुए पीयूष की नजर एक फ़ोल्डर पर पड़ी जिसका नाम था "My Videos"..!!

वो फ़ोल्डर खोलते ही पीयूष और कविता दोनों अचरज में डूब गए.. काफी सारी विडिओ क्लिप थी.. एक क्लिप को ओपन करके देखा तो वो मदन की रियल क्लिप थी.. वो किसी फिरंगी औरत के स्तनों से दूध चूस रहा था.. स्तनों को दबा दबाकर उसका दूध अपने लंड पर लगा रहा था.. देखकर कविता के आश्चर्य और उत्तेजना की कोई सीमा न रही.. उसकी चूत में ४४० वॉल्ट का झटका लगा.. मदन का खड़ा हथियार देखकर "आह्ह" कहते हुए वो सिसकने लगी..

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"ओ माँ.. बाप रे.. !!" कविता मदन को लंड हिलाता देख शर्म से पानी पानी हो गई.. उसकी नजर मदन के लंड से हट ही नहीं रही थी.. गला सूखने लगा था उसका.. पीयूष को पता चल गया की कविता की हालत ऐसी क्यों हो रही थी.. क्यों की जब शीला भाभी ने उसका लंड पकड़कर चूसा था तब उसकी भी हालत कुछ ऐसी ही हो गई थी..

उस गोरी अंग्रेज औरत और मदन दोनों विडिओ में नंगे थे.. पीयूष ने ढेर सारी ब्लू फिल्मों में विदेशी लड़कियों और औरतों को देखा था.. और जानता था की वे सब प्रोफेशनल और प्रशिक्षित होती है.. और उनके जिस्म के अंगों में सच्चाई कम और सिलिकॉन ज्यादा होता है.. पहली दफा वास्तविक बने विडिओ में अंग्रेज स्त्री के शरीर को देख रहा था.. तो दूसरी तरफ कविता मदन के जानदार लंड को टकटकी लगाकर देख रही थी.. वो अंग्रेज औरत इंग्लिश में कुछ बोल रही थी.. पर धीमी आवाज के कारण कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.. ये औरत कौन होगी यह पीयूष सोचता रहा और उसकी नजाकत, अंगभंगिमा और गदराया सौन्दर्य देख रहा था..

"आह्ह पीयूष.. बहुत हुआ.. अब कुछ कर.. मुझसे तो रहा ही नहीं जाता.. ये सब देखकर मेरी हालत खराब हो रही है.. " अपनी चूत की गर्मी सहन न होने पर कविता ने विनती की..

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"मुझे भी लगता है की विडिओ देखकर ही झड़ जाएगा.. कविता.. प्लीज यार.. मुंह में लेकर चूस दे एक बार.. देख ना.. ये औरत भी मदन भैया का कैसे चूस रही है.. !!" विडिओ में वो अंग्रेज औरत मदन का लंड पूरी तन्मयता और उत्तेजना से चूस रही थी.. साथ ही अपनी चूत में दो उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर कर रही थी.. ये देखकर पीयूष ने कविता के दोनों बॉल दबाते हुए कहा "यह फिरंगी लोग अपनी हवस शांत करने के लिए कितने प्रयत्नशील होते है.. और यहाँ की औरतें.. शर्म का चोला उतारती ही नहीं.. और फिर जीवन भर तड़पती रहती है"

"तू अपना उपदेश बाद में देना.. " पीयूष की गोद से लैपटॉप हटाकर कविता खुद बैठ गई.. हाथ से पीयूष का लोडा पकड़कर अपनी चूत के मध्य में सेट करते हुए उसने अपना सारा वज़न रख दिया.. पहले से द्रवित हो चुकी बुर ने एक ही पल में पूरा लोडा गटक लिया.. लंड के घर्षण से कविता की चूत में खलबली मच गई.. और अपना द्रव्य छोड़ने लगी.. उस अमृत रस को पीकर पीयूष का लोंडा भी तरोताजा हो गया


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दोनों उसी अवस्था में अपने गुप्तांगों के घर्षण का आनंद ले रहे थे तभी उनकी नजर बगल में पड़े लैपटॉप के स्क्रीन पर गई.. मदन उस फिरंगी औरत की चूत की परतों को अपनी उंगलियों से चौड़ा कर चाट रहा था.. क्लीन शेव गुलाबी गोरी चूत पर झांट का एक बाल न था.. देखते ही चाटने का मन करें ऐसी लुभावनी चूत थी.. और बीच का गुलाबी छेद.. आहाहाहा.. देखकर पीयूष और कविता की उत्तेजना दोगुनी हो गई.. हल्के हल्के पतवार मारते हुए कविता अपने स्तनों को पीयूष की छाती से रगड़ रही थी.. और साथ ही उसके गाल और होंठों को चूम रही थी

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धीरे धीरे अपनी नाव चलाते हुए वह बोली "पीयूष, ये औरत कौन होगी? जिसके साथ मदन भैया इतने मशरूफ़ होकर सेक्स कर रहे है? देखकर तो लगता है की ये कोई रांड तो नहीं है.. और दोनों एक दूसरे को अच्छे से जानते है.. माहोल भी किसी घर का ही लग रहा है.. " कविता ने पूछा.. पर इसका जवाब तो पीयूष के पास भी नहीं था

कविता के दोनों उरोजों को हल्के हल्के प्यार से मसाज करते हुए उसकी निप्पल खींचकर पीयूष ने कहा "क्या पता.. मैं भी वही सोच रहा था.. मदन भैया जिस तरह उसे भोग रहे है.. दोनों में जान पहचान तो होगी ही.. "

कविता: "पीयूष, तूने देखा?? उस औरत की छाती से तो दूध भी निकल रहा है.. मतलब उसे बच्चा होगा.. और डिलीवरी को भी ज्यादा समय नहीं हुआ होगा.. मतलब उसका पति भी होगा.. कहीं मदन भैया ने वहाँ जाकर दूसरी शादी तो नहीं कर ली इसके साथ?? और हो सकता है की वो बच्चा मदन भैया का ही हो.. !!" उस संभावना को सोचकर ही कविता कांप उठी

एक स्त्री कितना कुछ सोच सकती है.. !! कौन कहता है की औरतों की अक्ल उनके घुटनों पर होती है.. !! मर्दों से तो कई ज्यादा बुद्धि होती है औरतों में.. पर पुरुषों को इसका ज्ञान नहीं होता..

कविता की बात सुनकर पीयूष भी सोच में पड़ गया.. कविता की बात में दम था.. बड़ी तथ्यपूर्ण बात की थी उसने.. जरूर ऐसा हो सकता था

"नहीं यार.. ऐसा नहीं होगा.. मदन भैया दो सालों के लिए ही तो गए थे वहाँ.. इस दौरान इतना सब कुछ कैसे हो सकता है.. !! हो सकता है की दोनों के बीच नाजायज संबंध हो.. इतने लंबे समय तक बिना सेक्स के रहना तो असंभव सा है.. मदन भैया की भी जरूरतें होंगी.. और कविता.. तुम औरतों जितना धैर्य और सहनशक्ति मर्दों की नहीं होती.. अपनी बीवी को वफादार पति भी सुंदर लड़की देखकर पसीज जाता है.. अब तू ही सोच.. दो सालों तक मदन भैया बिना सेक्स के गुजार रहे हो.. तभी कोई स्लीवलेस टाइट टॉप पहनकर.. बड़े बड़े स्तन दिखाते हुए उनके सामने आ जाएँ.. तो वो बेचारे कैसे अपने आप को रोक पाएं.. !! और वैसे भी विदेश में सेक्स को लेकर काफी मुक्त विचारधारा होती है.. हो सकता है की वो स्त्री विधवा हो..या फिर तलाकशुदा.. विदेश में तो सिंगल मधर का भी काफी चलन है.. अगर हकीकत में मदन भैया ने उससे शादी कर ली होती तो क्या वो उन्हें भारत लौटने देती?" पीयूष ने अपना तर्क प्रस्तुत किया

अपनी कमर को हिलाते हुए पीयूष के लंड पर सवारी करती कविता ध्यान से पीयूष की बात सुन रही थी..

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दोनों चोद रहे थे और बातें कर रहे थे.. पर ध्यान तो लैपटॉप की स्क्रीन पर ही था.. तभी पीयूष ने अपना मोबाइल उठाया और मदन के लैपटॉप का पासवर्ड सेव कर लिया..

स्क्रीन पर मदन और वो औरत हंसकर बातें कर रहे थे और एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे.. वो स्त्री कुछ बोल रही थी.. लगभग पाँच मिनट तक दोनों की बातें चलती रही.. उस दौरान मदन ने उस औरत के स्तनों के बीच अपने लंड को दबाकर उन्हें चोदना शुरू कर दिया..

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कविता ने थोड़ी सी नाराजगी के साथ कहा "ऐसा भी हो सकता है की उस फिरंगी औरत का पति चोदने में कम और कंप्यूटर पर क्लिप्स देखने में ज्यादा ध्यान देता होगा.. तभी वो मदन भैया के साथ ये सब कर रही होगी" पीयूष कविता की बात का कटाक्ष समझ गया.. और वैसे भी.. क्लिप को मोबाइल में ट्रांसफ़र करने के लिए केबल नहीं था.. इसलिए उसने लैपटॉप से ध्यान हटाकर कविता को ऑर्गजम देने पर ध्यान केंद्रित किया..

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इतनी थकान के बाद पीयूष को नींद आ जानी चाहिए थी.. पर बगल में पड़ा लैपटॉप.. और उसके अंदर की स्फोटक सामग्री ने उसकी नींद उड़ा रखी थी.. पर मदन भैया और उनका परिवार कभी आ सकते थे.. ऐसी स्थिति में ज्यादा पड़ताल करने में खतरा था.. पीयूष बेड से उठा.. लैपटॉप को टेबल पर रखकर उसका चार्जर लगाया.. फिर शट डाउन करने से पहले उसने ध्यान से देख लिया की वो क्लिप कहाँ पर सेव थी.. लैपटॉप को ज्यों का त्यों रखकर वो सो गया..
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